तरक्की का सफ़र compleet

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rajsharma
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Re: तरक्की का सफ़र

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उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी, “ओहहहहहहह आआहहहहह राज ये क्या कर डाला तुमने। बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ किये जाओओओओ।”

मैं उसे चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ रहा था। उसकी प्यारी चूत बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने जोर लगाया तो वो और जोर से सिसकने लगी, “ओहहहहहहहहहहह आआआआहहहहहह राजजजजजज!!!!!”

मैंने उसकी टाँगों को थोड़ा फैला कर उसकी कुँवारी चूत के छेद को पहली बार देखा। काफी छोटा है, मैंने सोचा।

जैसे ही मैं अपनी जीभ उसकी चूत के छेद पर रगड़ने लगा, उसने मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। रजनी ने जोर से सिसकरी भरी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

रजनी ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे उसके ऊपर कर लिया और बोली, “राज मुझे चोदो, आज मेरी कुँवारी चूत को चोद दो, मुझे अपना बना लो।”

मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर पूछा, “रजनी तुम वाकय चुदवाना चाहती हो?”

“हाँ!!! अब देर मत करो और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, फाड़ दो मेरी चूत को”, वो उत्तेजना में चिल्लायी।

मैं अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी। फिर थोड़ा सा खींच कर एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी कुँवारी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया।

“ओह!!! बहुत दर्द हो रहा है राज!” वो दर्द से चिल्ला उठी और उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसकी आँखों के आँसू पौंछते हुए मैंने कहा, “डार्लिंग! अब चिंता मत करो, जो दर्द होना था वो हो गया... अब सिर्फ़ मज़ा आयेगा”, इतना कहकर मैं उसे चोदने लगा। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरे धक्के का साथ देने लगी। उसकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी।

“हाँ राज! जोर जोर से करो, ऐसे ही करते जाओ, बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज़ रुकना नहीं... आआआआहहहहह और जोर से, लगता है मेरा छूटने वाला है।”

मुझे अभी अपने लंड में तनाव लग रहा था। वो किसी परेशानी में ना पड़ जाये, इसलिये मैं अपने लंड को उसकी चूत से निकालने जा रहा था कि वो बोली, “क्या कर रहे हो? निकालो मत, बस मुझे चोदते जाओ।”

“रजनी तुम प्रेगनेंट हो सकती हो, मुझे निकाल लेने दो”, मैंने जवाब दिया।

“हिम्मत ना करना निकालने की, बस चोदते जाओ, और अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दो। आज इस प्यासी चूत की साऱी प्यास बुझा दो।” ये कहकर वो उछल-उछल कर चुदवाने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।

उसका शरीर कंपकंपाया, “ओह राज!!!! हाँआँआँआआआ... चोदो लगता है मेरा छूटने वाला है”, वो जोर से चिल्लायी और वैसे ही मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।

हम दोनों काफी थक चुके थे। जब मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया तो मैंने उसकी बगल में लेट कर सिगरेट जला ली।

“राज बहुत मज़ा आया, आज मैं लड़की से औरत बन गयी”, रजनी ने कहा।

“हाँ रजनी! काफी आनंद आया”, मैंने जवाब दिया।

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: तरक्की का सफ़र

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मैं उसके मम्मे सहला रहा था, और देखना चाहता था कि अब उसकी चूत कैसी दिखायी दे रही है। मैंने उसकी जाँघें ऊपर उठायीं तो देखा कि उसकी चूत थोड़ी चौड़ी हो गयी थी। उसमें से वीर्य और खून दोनों टपक रहे थे। मेरा बाथरोब भी खून और पानी से सराबोर था।

मैं उसके मम्मे और चूत दोनों सहला रहा था जिससे मेरे लंड में फिर गरमी आ गयी थी।

जैसे ही उसका हाथ मेरे खड़े लंड पर पड़ा वो चिहुँक उठी, “राज ये तो फिर तन कर खड़ा हो गया है, इसे फिर से मेरी चूत में डाल दो।“

“हाँ रानी! मैं भी मरा जरा जा रहा हूँ, तुम्हारी चूत है ही इतनी प्यारी”, ये कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कस कर चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों खलास हो गये।

उस दिन रात तक हम लोगों ने चार बार चुदाई कि और काफी थक गये थे। करीब नौ बजे वो बोली, “राज अब मुझे जाना चाहिये, मम्मी घर पर इंतज़ार कर रही होगी।”

“अभी तो सिर्फ़ नौ बजे हैं, थोड़ी देर रुक जाओ.... फिर मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगा”, मैंने उसे रोकना चाहा।

“नहीं राज! मैंने मम्मी से कहा था कि मैं सहेली के साथ सिनेमा देखने जा रही हूँ और साढ़े नौ तक वापस आ जाऊँगी। अगर टाईम से घर नहीं पहुँची तो मम्मी को मुझपर विश्वास नहीं रहेगा”, ये कहकर वो कपड़े पहन के अपने घर चली गयी।

अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा रजनी का ई-मेल आया था, “राज डार्लिंग! कल कि शाम बहुत अच्छी थी, मुझे बहुत मज़ा आया, क्यों ना हम फिर से करें। आज शाम छः बजे कैसा रहेगा? ऑय लव यू, रजनी।”

मैंने उसे जवाब दिया, “हाँ मुझे भी अच्छा लगा। मैं भी आज शाम छः बजे तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।”

लंच के समय शबनम बोली, “आखिर हमारे राज ने रजनी की कुँवारी चूत फाड़ ही दी।”

“ये तुम कैसे कह सकती हो?” नीता ने पूछा।

“आज सुबह मैं जब ऑफिस में आयी तो, जैसे सब कहते हैं, मैंने भी रजनी से कहा, गुड मोर्निंग रजनी, कैसी हो, मैंने देखा उसके चेहरे पर रोज़ से ज्यादा चमक थी। उसने कहा, गुड मोर्निंग शबनम। और मुझे बाँहों में भर कर बोली ओह शबनम आज मैं बहुत खुश हूँ। उसकी मादकता और चंचलता देख कर मुझे लगा कि वो चुदाई कर चुकी है।”

“क्या सिर्फ़ उसके इस व्यवहार से तुम कैसे अंदाज़ा लगा सकती हो कि वो कुँवारी नहीं रही?” समीना ने कहा।

“एक और बात भी है जो मुझे सोचने पर मजबूर कर गयी, आज राज सुबह जब ऑफिस में आया तो उसके चेहरे पर खुशी की झलक थी और होंठों से गीत गुनगुना रहा था”, शबनम ने कहा।

“क्या ये ठीक कह रही है राज?” नीता और समीना ने पूछा।

“हाँ मेरी जानू! ये ठीक कह रही है, उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे अब भी मेरे लंड पर दर्द हो रहा है”, मैंने खुशी के मारे जवाब दिया।

“देखा! मेरा शक ठीक निकला ना! फ्रैंड्स अब हमको राज के आनंद में बाधा नहीं बनना चाहिये, इसलिये आज से हम उसके घर नहीं जायेंगे”, शबनम ने कहा।

“तो क्या हम राज के लंड का मज़ा नहीं ले सकेंगे?” नीता ने कहा।

“क्यों नहीं ले सकेंगे? स्टोर रूम जिंदाबाद!” समीना ने हँसते हुए स्टोर रूम की चाबी दिखायी।

अगले दिन मैंने कुछ कंडोम खरीद लिये जिससे कोई खतरा ना हो। मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं रजनी प्रेगनेंट ना हो जाये। हम लोग बराबर मिलते थे और जम कर चुदाई करते थे।

एक दिन रजनी बोली, “राज ये कंडोम पहनना जरूरी है क्या? इस रबड़ के साथ मज़ा नहीं आता।”

“तो तुम बर्थ कंट्रोल पिल्स लेना शुरू कर दो”, मैंने कहा।

“मैं कहाँ से लाऊँगी, और मुझे कौन लिख कर देगा, कहीं मम्मी को पता चल गया तो मुझे जान से ही मार डालेगी”, उसने जवाब दिया।

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Re: तरक्की का सफ़र

Post by rajsharma »

दूसरे दिन ऑफिस में मैंने समीना से कहा, “समीना! तुम्हें मेरा एक काम करना होगा, मुझे बर्थ कंट्रोल की गोलियाँ चाहिये रजनी के लिये।”

“तुम कंडोम क्यों नहीं इस्तमाल करते?” समीना ने पूछा।

“कंडोम इस्तमाल करता हूँ लेकिन रजनी को उसमे मज़ा नहीं आता”, मैंने कहा।

“ठीक है मैं ला दूँगी”, कहकर समीना अपने कम में लग गयी।

अगले दिन समीना ने मुझे पैकेट दिया और कहा, “जाओ ऐश करो।”

अब हम लोगों के दिन आराम से कट रहे थे। दिन में ऑफिस में तीनों को चोदता था और घर पर रजनी को। मन में आता था कि मैं रजनी से शादी कर लूँ, इसलिये नहीं कि मैं उससे प्यार करता था मगर इसलिये कि मैं कंपनी के एम-डी का दामाद बन जाता, और क्या पता भविष्य में कंपनी का एम-डी।

एक दिन रजनी अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिये काम छोड़ कर चली गयी। मैं भी बोर हो रहा था तो सोचा अपने घर हो आऊँ। काफी दिन हो गये थे सब से मिले।

ऑफिस में छुट्टी की एपलीकेशन देकर मैं अपने घर पहुँचा। सब से मिलकर बहुत मज़ा आया, खास तौर पर अपनी दोनों बहनें, अंजू और मंजू से।

एक दिन पिताजी ने कहा, “राज मैंने तुम्हारी शादी फिक्स कर दी है, आज से ठीक पाँच दिन बाद तुम्हारी शादी मेरे दोस्त की बेटी प्रीती से हो जायेगी।”

मैं चिल्ला कर कहना चाहता था कि “नहीं पिताजी! मैं प्रीती से शादी नहीं करना चाहता, मुझे रजनी से शादी करनी है और कंपनी का एम-डी बनना है।” पर हिम्मत नहीं हुई, सिर्फ इतना कह पाया, “आप जैसा बोलें पिताजी।”

आज मेरी सुहागरात थी। मैं अपने दोस्तों के बीच बैठा था और सब मुझे समझा रहे थे कि सुहागरात को क्या करना चाहिये, सैक्स कैसे किया जाता है। उन्हें क्या मालूम कि मैं इस खेल में बहुत पुराना हो चुका हूँ। रात काफी हो चुकी थी। अपने दोस्तों से विदा ले मैं अपने कमरे की और बढ़ गया।

कमरे में घुसते ही देखा कि कमरा काफी सज़ा हुआ था। चारों तरफ फूल ही फूल थे। बेड भी सुहाग सेज़ की तरह सज़ा हुआ था। बेड पे मेरी दुल्हन यानी प्रीती, लाल रंग का जोड़ा पहने, घूँघट निकाले हुए बैठी थी। कमरे में पर्फयूम की सुगंध फैली हुई थी। मेरे कदमों की आवाज़ सुन कर उसने अपना सिर उठाया।

मैंने उसके पास बेड पर बैठते हुए कहा, “प्रीती ये तुमने घूँघट क्यों निकाल रखा है? मम्मी कहती थी कि तुम बहुत सुंदर हो, अपना घूँघट हटा कर मुझे भी तुम्हारे रूप के दर्शन करने दो।” उसने ना में गर्दन हिलाते हुए जवाब दिया।

अगर तुम नहीं हटाओगी तो ये कम मुझे अपने हाथों से करना पड़ेगा। ये कहकर मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसका घूँघट हटा दिया। घूँघट हटाते ही ऐसे लगा कि कमरे में चाँद निकल आया हो। प्रीती सिर्फ काफी नहीं बल्कि बहुत सुंदर थी। गोरा रंग, लंबे बाल। उसकी काली काली आँखें इतनी तीखी और प्यारी थी कि मैं उसकी सुंदरता में खो गया। रजनी, प्रीती के आगे कुछ भी नहीं थी। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं, चेहरे पे शर्म थी। मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा, “प्रीती! तुम दुनिया की सबसे सुंदर लड़की हो, अपनी आँखें खोलो और मुझे इसकी गहराइयों में डूब जाने दो।”

उसने अपनी मादकता से भरी आँखें धीरे से खोली, और मैंने अपने तपते हुए होंठ उसके लाली से भरे होंठों पर रख दिये। उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी इसके सिवा कि उसकी साँसें तेज हो रही थी। प्रीती ने काफी ज्वेलरी पहन रखी थी। मैं एक-एक कर के उसके जेवर उतारने लगा।

“आओ प्रीती! मेरे पास लेट जाओ”, कहकर मैंने उसे अपने बगल में लिटा दिया। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए हम लोग ऐसे ही कितनी देर तक लेटे रहे। थोड़ी देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख कर उसके मम्मे दबाने लगा।

“ये क्या कर रहे हो?” उसने धीरे से कहा।

“कुछ नहीं! तुम्हारे बदन को परख रहा हूँ”, मैंने जवाब दिया।

जब मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोलने शुरू किये तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा, “प्लीज़ मत करो ना।“

“मुझे करने दो ना, आज हमारी सुहागरात है और सुहागरात का मतलब होता है दो शरीर और अत्मा का मिलन, और मैं नहीं चाहता कि हमारे मिलन के बीच ये कपड़े आयें”, और मैं उसके कपड़े उतारने लगा।

“अच्छा लाइट बंद कर दो... नहीं तो मैं शरम से मर जाऊँगी।” उसने अपना चेहरा दोनों हाथों में छुपाते हुए कहा।

“अगर लाइट बंद कर दूँगा तो तुम्हारे गोरे और प्यारे बदन को कैसे देख सकुँगा”, मैंने मुस्कुराते हुए कहा।

अब मैं धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा। उसका नंगा बदन देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “प्रीती! तुम्हारा बदन तो मेरी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर है।” ये सुनकर उसने अपने आँखें और कस कर बंद कर ली।

मैं उसकी दोनों छातियों को सहला रहा था और उसके निप्पल चूस रहा था। जब कभी मैं उसके निप्पल को दाँतों में भींच लेता तो उसके मुँह से सिसकरी छूट पड़ती थी।

मैं उसकी चूत का छेद देखना चाहता था कि क्या वो रजनी के छेद जैसा ही था या उससे छोटा था। मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसकी नाभी को चूमते हुए उसकी चूत के पास आ गया। उसकी चूत बारिकी से कटे हुए बालों से ढकी पड़ी थी।

मैंने उसकी चूत को धीरे से फैला कर अपनी जीब उस पर रख दी और चाटने लगा।

“प्लीज़! ये मत करो”, उसने सिसकते हुए कहा।

उसकी चूत को चूसते और चाटते हुए मैंने उसकी जाँघों को थोड़ा ऊपर उठाया और उसकी चूत के छेद को देखा। प्रीती की चूत का छेद रजनी की चूत के छेद जैसा ही था।

“वहाँ मत देखो मुझे बहुत शरम आ रही है”, उसने कहा।

“इसमे शरमाने की क्या बात है? हमारी शादी हो चुकी है, और हम दोनों को एक दूसरे के शरीर को देखने और खेलने का हक है। तुम भी मेरा लंड देख सकती हो।” उसने शर्मते हुए मेरे लंड की तरफ देखा जो तंबू की तरह मेरे पायजामे में तन कर खड़ा था।

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Re: तरक्की का सफ़र

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मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार कर उस पर लेट गया। प्रीती ने अपनी दोनों टाँगें आपस में जोड़ रखी थीं।

“डार्लिंग! अपनी टाँगें फैलाओ और मेरे लंड के लिये जगह बनाओ!”

उसने कुछ जवाब नहीं दिया और अपनी टाँगें और जकड़ ली। जब मेरे दोबारा कहने पर भी वो नहीं मानी तो मैं अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

अपनी चूत पर मेरे लंड की गर्मी से उसका बदन हिलने लगा और मैंने अपने घुटनों से उसकी जाँघें फैला दी।

उसकी कुँवारी चूत को चोदने के खयाल से ही मैं उत्तेजना में भरा हुआ था, मगर मैं रजनी की चूत की तरह एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में नहीं डालना चाहता था। बल्कि उसकी चूत के मुँह पर अपना लंड मैंने धीरे से डाला जिससे पूरा मज़ा आ सके।

प्रीती का बदन घबड़ाहट में कंपकंपा गया जब उसे लगा कि मेरा लंड उसकी चूत में घुसने वाला है। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए एक धीरे से धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में जा घुसा। उसकी चूत की कुँवारी झिल्ली मेरे लंड का रास्ता रोके हुए थी।

“डार्लिंग थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना”, कहकर मैंने अपने लंड को थोड़ा सा दबाया। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और अपने होंठ दाँतों में भींच रखे थे जैसे दर्द सहने की कोशिश कर रही हो।

मेरा लंड उसकी झिल्ली पर ठोकर मार रहा था, उसके मुँह से “ऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआआआ” की आवाजें निकल रही थी। अब मैंने थोड़ा जोर से अंदर घुसेड़ा और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया, उसके मुँह से जोर की चींख निकली, “ऊऊऊ ईईईई माँ!!! मैं मर गयी!”

मैं रुक गया और देखा कि दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े थे। मैंने उसके आँसू पौंछते हुए कहा, “डार्लिंग जो दर्द होना था वो हो गया अब तुम्हें कभी दर्द नहीं होगा”, और मैं अपने लंड को धीरे- धीरे अंदर बाहर करने लगा।

उसकी चूत काफी कसी हुई थी, और जब मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों से रगड़ते हुए अंदर तक जाता तो उसके मुँह से हल्की हल्की दर्द भरी चींख निकल जाती। थोड़ी देर में उसकी चूत भी गीली होने लगी जिससे मुझे चोदने में आसानी हो रही थी। अब मैं थोड़ा तेजी से उसे चोद रहा था।

थोड़ी देर में उसकी चींखें सिसकरियों में बदल गयी। अब उसे भी मज़ा आ रहा था। उसकी भी जाँघें मेरी जाँघों के साथ थाप से थाप मिला रही थी।

एक तो मैंने तीन हफ्तों से किसी को चोदा नहीं था, ऊपर से उसकी कसी चूत मेरे लंड के पानी में उबाल ला रही थी। मुझे अपने आपको रोकना मुश्किल हो रहा था।

इस उत्तेजना में मैंने उसे जोर से अपनी बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी जवाब देते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी।

“ओहहहहह डार्लिंग!!! मेरा छूट रहा है, अब मैं नहीं रोक सकता”, ये कहकर मैंने अपना सारा वीर्य उसकी फटी हुई चूत में उगल दिया। जैसे ही मेरा पानी उसकी चूत में गिरा, वो भी जोर से “आआहहहहहह” करती हुई बिस्तर पर निढाल पड़ गयी। उसकी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी।

हम दोनों का शरीर पसीने से लथपथ था। दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे एक दूसरे की आँखों में इस मिलन का आनंद ले रहे थे। इतने में ही मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल पड़ा।

उस रात मैंने उसे चार बार चोदा। हर चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। अब वो भी मेरे धक्कों का जवाब अपनी टाँगें उछाल कर देने लगी। उन्माद में मेरे होंठों को दाँतों से भींच लेती। मेरे दोनों कुल्हों पर हाथ रख कर मेरे लंड को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश करती। उसके मुँह से आनंद की सिसकरियाँ निकलती थी। काफी थक कर हम दोनों सो गये।

अगले दिन मैं सो कर उठा तो देखा प्रीती वहाँ पर नहीं थी और ना ही उसके कपड़े। अब भी मुझे लग रहा था कि रात मैंने कोई सपना देखा था, जिसमें मैंने प्रीती की चुदाई की थी, परंतु बिस्तर पर खून और वीर्य के धब्बे इस बात को कह रहे थे कि वो सपना नहीं था।

“गुड मोर्निंग!” कहते हुए प्रीती हाथ में चाय का कप लिये कमरे में दाखिल हुई।

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Re: तरक्की का सफ़र

Post by rajsharma »

“इतनी सुबह कहाँ गयी थी?” मैंने पूछा।

“सुबह? राज दस बज रहे हैं और मैं तुम्हारे लिये चाय बनाने गयी थी”, उसने चाय के कप की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“इतना गुलाब की तरह क्यों खिली हुई हो, सब ठीक है ना, या तुम्हें किसी ने कुछ कहा जिससे तुम्हें शरम आ रही है?” मैंने पूछा।

“हाँ! सब ठीक है, किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा, बस तुम्हारी दोनों बहनें मुझे तंग कर रही थी जब मैं चाय बना रही थी।”

“ओह अंजू और मंजू!! दोनों ही बहुत शैतान हैं”, मैंने कहा।

“हाँ कुछ ज्यादा ही शैतान हैं”, उसने हँसते हुए कहा।

प्रीती को चोदने की इच्छा फिर से हो रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “आओ प्रीती यहाँ बैठो।”

वो मेरा मक्सद समझ कर बोली, “अभी नहीं!! पहले तुम चाय पियो, ठंडी हो जायेगी। फिर नहा कर तैयार हो जाओ, सब नाश्ते पर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।”

“तुम्हें सिर्फ़ चाय की पड़ी है कि ठंडी हो जायेगी”, मैंने बिस्तर पर से खड़े होकर अपने तने लंड की तरफ इशारा किया, “और इसका क्या? तुम चाहती हो कि ये ठंडा हो जाये।”

मेरे तने लंड को देख कर वो बोली, “ओह! तो ये वाला लंबा डंडा था जो मेरी चूत में घुसा था?”

“हाँ मेरी जान पूरा का पूरा।” उसके चेहरे पर आश्चर्य देख कर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और लंड उसकी चूत में घुसा दिया। “आआआआआआहहहहह ऊऊऊहहहह” वो छटपटायी।

“देखा कैसे पूरा का पूरा तुम्हारी चूत में आसानी से चला गया”, मैंने धक्के लगाते हुए उसे पूछा, “प्रीती जब मैं तुम्हें चोदता हूँ तो तुम्हें मज़ा आता है ना?” वो कुछ बोली नहीं और चुप रही।

“शरमाओ मत, चलो बताओ मुझे?”

उसने अपनी गर्दन धीरे से हिलाते हुए कहा, “हाँ! आता है।”

मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था। वो भी अपने कुल्हे उठ कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिसकरियाँ निकल रही थी। जब भी मेरा लंड उसकी चूत की जड़ से टकराता तो “ओओओओहहहह आआहहहह” भरी सिसकरी निकल जाती। थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ा और एक “आआहहहह” के साथ निढाल पड़ गया। मैंने भी दो चार धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।

“ओह रानी! बहुत अच्छा था”, ये कहकर मैं उस पर से उठ गया।

“हाँ राज! बहुत अच्छा लगा”, कहकर वो भी बिस्तर पर से उठ गयी।

हम रोज़ हर रात को कई-कई बार चुदाई करते। मैं उसे अलग-अलग आसनों से चोदता था। वो भी मज़े लेकर चुदवाती थी। एक रात मैंने उसकी चूत चाटते हुए कहा, “प्रीती! तुम अपनी चूत के बाल साफ़ क्यों नहीं कर लेती?” उसने कुछ नहीं कहा।

अगली रात मैंने देखा कि उसकी चूत एक दम साफ़ थी। एक भी बाल का नामो निशान नहीं था। उस रात उसकी चिकनी और सपाट चूत को चाटने और चोदने में काफी मज़ा आया।

एक बात थी जो मुझे सता रही थी। जब भी मैं अपनी तीनों असिसटेंट को चोदता था तो वो इतनी जोर से चिल्लाती थी, और आहें भरती थी कि शायद पड़ोसियों को भी सुनाई पड़ जाती होंगी, पर प्रीती के मुँह से सिर्फ, ऊहह आआहह के सिवा कुछ नहीं निकलता था। मैं सोच में रहता था पर मैंने प्रीती से कुछ कहा नहीं। साथ ही तीनों असिसटेंट चुदाई के समय भी अपने हाई हील के सैंडल पहने रखती थीं जिससे मुझे और अधिक जोश और लुत्फ आता था। हालांकि मैंने नोटिस किया था कि बाहर घुमने जाते वक्त प्रीती भी हाई हील के सैंडल पहनना पसंद करती थी पर मैं चाहता था कि बिस्तर पर चुदाई के समय भी वो अपने सैंडल पहने रहे।

मेरी छुट्टियाँ खत्म होने को आयी थी। पिताजी ने हमारे लिये फर्स्ट क्लास एयर कंडीशन का रिज़रवेशन कराया था। दो दिन के लंबे सफ़र में मैंने उसे कई बार चोदा, और उसकी चूत चाटी थी। मैंने उसे लंड को चूसना भी सिखा दिया। शुरू में तो उसे वीर्य का स्वाद अच्छा नहीं लगा था पर अब वो एक बूँद भी मेरे लंड में छोड़ती नहीं थी। जब तक हम लोग मुंबई पहुँचे, मेरे लंड का पानी एक दम खत्म हो चुका था और उसकी चूत पानी से भरी हुई थी।

!!! क्रमशः !!!

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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