तरक्की का सफ़र compleet

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rajsharma
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Re: तरक्की का सफ़र

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“ये एपलीकेशन किस चीज़ की है?” मैंने पूछा।

“सर, आज मुझे आधे दिन कि छुट्टी चाहिये, जो काम पेंडिंग रह जायेगा वो मैं कल जल्दी आकर पूरा कर दूँगी”, आयेशा ने कहा।

उसके चेहरे को देख कर मुझे लगा कि वो मुझसे कुछ छुपा रही है। “आयेशा! सच-सच बताओ कि बात क्या है, तुम आधे दिन कि छुट्टी क्यों लेना चाहती हो?”

“सर, विजय का फोन आया था और वो चाहता है कि मैं दोपहर में वहाँ आऊँ। वो सब मुझे साथ में चोदना चाहते हैं। सर, कोई बहाना बना दीजिये ना!” वो हँसते हुए बोली।

“लेकिन घर में दूसरी औरतें भी तो हैं.... उनका क्या?” मैंने पूछा।

“सर! विजय ने बताया कि वो सब शॉपिंग पर जा रही हैं, और सर आप ही सोचिये कि जब चार खड़े लंड मेरे साथ होंगे, सर, सिर्फ़ इस खयाल से ही मेरी चूत से पानी टपक रहा है, सर, प्लीज़ मेरी छुट्टी मंज़ूर कर दीजिये”, आयेशा गिड़गिड़ाते हुए बोली।

“ठीक है! लेकिन एक शर्त पर कि तुम पेंडिंग काम कल पूरा कर दोगी”, मैंने हँसते हुए कहा।

मेरा इतना कहने की देर थी कि आयेशा ने जोर से मेरे होंठों पर चुंबन लिया और केबिन के बाहर दौड़ कर चली गयी।

इसके पहले कि मैं आयेशा के चुंबन के असर से बाहर आता एम-डी का इंटरकॉम पर फोन आया, “राज! आज आयेशा कहाँ है..... दिखी नहीं?”

“सर! आज वो छुट्टी पर है”, मैंने जवाब दिया।

एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और नसरीन को कॉफी लाने को कहा। कॉफी की घूँट भरते हुए एम-डी ने कहा, “राज! लगता है आयेशा पर काम का बोझ कुछ ज्यादा ही है, इसलिये मैं नसरीन को अपनी पर्सनल सेक्रेटरी बनाना चाहता हूँ।”

“सर, आपका खयाल तो अच्छा है, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि उसे नियुक्त करने से पहले हमें उसकी काबिलियत को जान लेना चाहिये.....” मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा।

“हाँ! तुम सही कह रहे हो!” एम-डी ने जोर से हँसते हुए कहा।

एम-डी ने नसरीन को अपने केबिन में बुलकर कहा, “नसरीन मैंने फैसला किया है कि मैं तुम्हें अपना पर्सनल सेक्रेटरी एपॉयंट कर दूँ.... लेकिन उसके पहले राज ने बताया कि हम तुम्हारी काबिलियत जाँच लें।”

“सर, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है।” नसरीन ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुए कहा। मैं आयेशा के ख्यालों में खोया हुआ था कि वो चार मुस्टंडे लंडों के साथ क्या कर रही होगी। इतने में मैंने देखा कि नसरीन बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और इस समय हमेशा की तरह चुदने के पहले कोकेन की डोज़ अपनी नाक में खींच रही थी। फिर दो बार नसरीन की काबिलियत जाँचने के बाद मैंने एम-डी से जाने की विदा माँगी।

“तुम जा सकते हो..... यहाँ सब ठीक है, ओहहहहह नसरीन! हाँ जोर से चूसो......., हाँआआआआ अब ठीक है!!!! ओहहहहह मेरा छूटने वाला है!!!!” एम-डी कामुक्ता भरे स्वर में कह रहा था।

जब मैं घर पहुँचा तो देखता हूँ कि तीन लड़के अपने मुर्झाये लंड को हाथ में पकड़े बैठे थे। “आयेशा कहाँ है और उसका क्या हाल है?”

“आयेशा तो सही कमाल की है, जब से आयी अपनी टाँगें पसारे चुदवा रही है, हमारे ही लंड में अब ताकत नहीं रही”, विजय बोला।

“जय कहाँ है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“जय इस समय आयेशा की चुदाई कर रहा है, पर हमें नहीं लगता कि इस बार झड़ने के बाद वो दोबारा उसे चोद सकेगा”, राम ने कहा।

“राज, तुम ही अब जा कर आयेशा को चोदो!” श्याम ने कहा।

मैंने बेडरूम में झाँक कर देखा कि विजय धीरे-धीरे आयेशा की चुदाई कर रहा है। “हाँ चोदो मुझे!!!!! ओहहहहह हाँआआआआआ आआआआहहहह मेरा छूटने वाला है”, आयेशा सिसकरियाँ ले रही थी। उसका स्वर शराब के नशे के कारण भारी और अस्पष्ट सा था। विजय भी दो तीन धक्के और मार कर उसकी चूत में झड़ गया।

जैसे ही विजय उससे अलग हुआ, मैंने अपने कपड़े उतार कर अपना लंड आयेशा की चूत में डाल दिया, “ओह सर!!! आप कब आये।”

कोई जवाब दिये बिना मैं जमकर उसकी चुदाई करने लगा। जब मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और उससे अलग होने लगा तो वो मुझे बाँहों में जकड़ते हुए हकलाते हुए स्वर में बोली, “स....सर! प्लीज़ एक... एक बार और.... चो...चोदो ना।”

“नहीं अब और नहीं.... तुम्हें घर जाना है.... और तुमने इतनी शराब क्यों पी?” मैंने बिस्तर पर से उठते हुए कहा।

“सर.... आप..आपने सारा मज़... किरकिरा कर...कर दिया”, उसने उठते हुए कहा।
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Re: तरक्की का सफ़र

Post by rajsharma »

“मैंने मज़ा किरकिरा नहीं किया.... बल्कि तुम्हें तुम्हारे अब्बू से बचा रहा हूँ, अगर तुम्हें ढूँढते हुए वो ऑफिस पहुँच गये और पता चला कि तुम दोपहर में ही चली गयी हो तो तुम्हारी शामत आ जायेगी।”

“हाँ सर... ये.... ये बात तो सही है”, आयेशा बोली। फिर मैंने उसके परों में से उसके ऊँची हील के सैंडल निकाल कर उसे बाथरूम में शॉवर के नीचे बिठा दिया ताकि उसका नशा कुछ कम हो। नहाने के बाद उसने आधा घंटा आराम किया और फिर अपने कपड़े पहन कर जाते हुए चारों लड़कों से बोली, “सही में तुम लोगों के साथ बहुत मज़ा आया..... ऐसा ही कार्यक्रम दोबारा फ़िर रखेंगे।”

“हाँ जरूर!” चारों ने साथ में कहा।

अब अक्सर आयेशा दिन में छुट्टी ले मेरे फ्लैट पर चली जाती और चारों लड़कों से दिल खोल कर चुदवाती।

करीब दस दिन के बाद एक शाम रजनी अपनी एक फ्रैंड फातिमा को ले ऑफिस पहुँची। “राज! ये मेरी कॉलेज की फ्रैंड फातिमा है”, रजनी ने मेरा उससे परिचय कराया।

फातिमा बहुत ही सुंदर थी। पतला बदन, गुलाबी होंठ...... मन करा कि बढ़कर चूस लूँ। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी नहीं थीं पर बनाव अच्छा था। उसने लाइट ब्लू कलर की सलवार कमीज़ और सफ़ेद कलर के बहुत ही ऊँची हील के सैंडल पहन रखे थे। उसकी सुंदरता देखने लायक थी। वो किसी भी टॉप की मॉडल को मात कर सकती थी।

“राज! फातिमा का कहना है कि इसके अंकल चुदाई में तुमसे ज्यादा निपुण हैं और मैं कहती हूँ कि तुम हो...... हमने इसी बात पर शर्त लगायी है”, रजनी ने कहा।

तो मुझे इस सुंदर हूर को चोदने का मौका मिलने वाला है, यही सोच कर मेरा लंड तनने लगा।

“मैं तुम्हें समझाती हूँ कि क्या करना है, सही में मैं जिनकी बात कर रही हूँ वो मेरे अंकल नहीं हैं.... बल्कि वो मेरी अम्मी के प्रेमी हैं और उन्होंने ही मुझे पहली बार चोदा था”, फातिमा बोली। “वो एक हफ़्ते की छुट्टी पर इस शनिवार को आ रहे हैं और मैं चाहती हूँ कि आप भी उसी रोज़ पहुँचें।”

“ठीक है हम लोग पहुँच जायेंगे..... पर मेरी बीवी मेरे साथ होगी”, मैंने कहा।

“बहुत अच्छा, और रजनी ने मुझे बताया कि तुम भी फ़्री सैक्स में विश्वास रखते हो?” फातिमा बोली।

“हाँ! रजनी ने सही कहा है, मैं शनिवार की टिकटों का इंतज़ाम कर लूँगा।”

“एक आखिरी बात! हमारे घर में तुम्हें कईंयों को चोदने को मिलेगा..... जैसे मेरी अम्मी, मैं खुद और हमारी दो नौकरानियाँ। इस हिसाब से तुम चार नई चूतों को चोदोगे और तुम सिर्फ़ प्रीती और रजनी को साथ लेकर आओगे!”

फातिमा थोड़ा हँसते हुए बोली, “इस हिसाब से तुम्हें दो लड़कियों को और साथ लाना होगा.... मेरे अंकल के लिये, जो तुम्हारे लिये कोई मुश्किल काम नहीं होगा।” फातिमा एक दम व्यापारी रीत में बोली।

“ठीक है!!! मैं इंतज़ाम कर लूँगा”, मैंने कहा।

“तो ठीक है..... हम लोग शनिवार को स्टेशन पर मिलेंगे, मैं तुम लोगों के साथ ही चलूँगी”, कहकर फातिमा चली गयी।

रजनी ने पूछा, “किसे साथ लेकर जाने की सोच रहे हो?”

“आयेशा तो पक्की है, और अगर तुम इंतज़ाम कर पाओ तो टीना को लेकर जाना चाहुँगा”, मैंने रजनी की तरफ देखते हुए कहा।

“ठीक है, मैं कोशिश करूँगी”, ये कहकर रजनी भी चली गयी।

बाद में घर पर मैंने प्रीती से बात की तो प्रीती ने घर में सब को हमारे प्रोग्राम के बारे में बताया। “अगर आप इजाज़त दें तो हम सब भी चलना चाहेंगे”, राम ने हमारी बात सुनकर कहा, “इसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जायेगा, जब से आये हैं, घर में ही घुसे हुए हैं।”

“अगर फातिमा को आपत्ति नहीं है तो मैं तैयार हूँ।” मैंने जवाब दिया।

प्रीती ने तुरंत रजनी को फोन लगाकर फातिमा से बात कराने को कहा।

करीब एक घंटे बाद रजनी टीना को लिये घर में दाखिल हुई। टीना की आँखें एक दम सुर्ख लाल हो रही थी।

“ये टीना को क्या हुआ... और ये रो क्यों रही है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“राज तुमसे बात होने के बाद मैंने घर पहुँच कर टीना को सब बताया तो वो खुशी से उछल पड़ी और अपने पापा से इजाज़त लेने गयी, पर अंकल ने एक दम साफ मना कर दिया।” रजनी बोली।

“जब टीना ने पूछा कि पर क्यों पापा!.... तो.... अंकल ने ये कहकर साफ मना कर दिया कि तुम जानना चाहती हो कि मैं क्यों ना बोल रहा हूँ..... जब राज ने तुम्हारी चूत और गाँड मारी तो मैं कुछ नहीं कर पाया और अब तुम चाहती हो कि राज के दोस्त भी तुम्हें चोदें...... नहीं! ये मैं कभी नहीं होने दूँगा।”

“ये सुन टीना बहुत उदास थी और रो रही थी.... इसी लिये मैं इसे यहाँ ले आयी कि कम से कम जाने से पहले एक बार राज से चुदवा लेगी तो इसके मन को ठंडक पड़ जायेगी”, रजनी ने कहा।

“ये तो तुमने ठीक किया पर क्या फातिमा से तुम्हारी बात हो गयी है?” मैंने रजनी से पूछा।

“हाँ! मेरी फातिमा से बात हो गयी है, उसका कहना है कि उनका बंगला काफी बड़ा है और उसे या उसकी अम्मी को कोई परेशानी नहीं होगी”, रजनी ने जवाब दिया।

“रजनी, एक बात बताओ! फातिमा इतनी सुंदर है पर बात करते वक्त इतने ठंडे लहज़े में क्यों बात करती है?” मैंने पूछा।

“ऐसा कुछ नहीं है, बस जब थोड़ा चिंतित होती है तो उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है।”

“तब तो ठीक है, नहीं तो मैं तो सोच रहा था कि मुझे बर्फ की सिल्ली के समान चूत में ही अपना लंड पेलना पड़ेगा”, मैंने कहा।

“बर्फ की सिल्ली... मेरी जूती! जब तुम्हारा लंड उसकी चूत में घुसेगा तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हारा लंड किसी जलती हुई भट्टी में घुस गया है”, रजनी थोड़ा जोर देती हुई बोली।

उसके बाद मैंने दो बार टीना की जम कर चुदाई की और फिर खाना खाकर वो दोनों चली गयीं।
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Re: तरक्की का सफ़र

Post by rajsharma »

दूसरे दिन मैंने अनिता को अपने प्रोग्राम के बारे में बताया कि मैं आयेशा और वो नयी लड़की ज़ुबैदा को साथ ले जाना चाहता हूँ, तो उसने कहा, “सर! आप फ़िक्र ना करें, आप जायें और इंजॉय करें, मैं पीछे सब संभल लूँगी।”

हम शनिवार की दोपहर को फातिमा के घर पहुँचे। वो तीन मंज़िला बंगला था। फातिमा ने हमारा परिचय उसकी अम्मी, मिसेज रूही, से कराया। मिसेज रूही सही में बहुत ही सुंदर थीं। उनकी उम्र ४५ के आस पास थी पर वो देखने में फातिमा की बड़ी बहन से ज्यादा नहीं लगती थी। अगर मुझसे कोई उन माँ-बेटी में से एक को चुनने को कहता तो मैं माँ को ही चुनता, उसकी सुंदरता देखने काबिल थी।

“आप सब का हमारे घर में वेलकम है”, रूही हमारा स्वागत करते हुए बोली, “और ये.....” उसने अपने पीछे खड़ी हुई दो लड़कियों कि ओर इशारा किया, “ये आबिदा और सलमा हैं, जो आप लोगों का हर तरह से खयाल रखेंगी।” आबिदा और सलमा को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो नौकरानियाँ हैं बल्कि वो दोनों किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थीं। उनका पहनावा और शृंगार, फतिमा और मिसेज रुही से कम नहीं था।

हम सबने दोपहर का खाना खाकर आराम किया। शाम को फातिमा के अंकल कहो या रूही के प्रेमी, मिस्टर रवि आ गये। रवि देखने में अच्छे थे, लंबा कद, चौड़े बाज़ू और सुंदर चेहरा। कोई भी औरत उनकी तरफ आकर्षित हो सकती थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

सब हॉल में इकट्ठे हो जाओ! “ड्रिंक्स पंद्रह मिनट में सर्व की जायेंगी”, रूही आदेश देती हुई बोली, “रवि! बार की कमान तुम संभालो।”

थोड़ी ही देर में सब ड्रिंक्स और माहोल का आनंद ले रहे थे।

“अच्छी भीड़ जमा कर रखी है इस वक्त?” मैंने रवि को रूही से कहते हुए सुना।

“ये सब फातिमा के दोस्त हैं, लेकिन अफ़सोस कि इस बार तुम्हारे लिये कोई कोरी चूत नहीं है”, रूही हँसते हुए बोली।

“इस बार मेरी जान.... मैं तुमसे मिलने आया हूँ ना कि कुँवारी चूत की उम्मीद में”, रवि ने अपने ग्लास से घूँट भरते हुए कहा।

खाने की टेबल पर फातिमा ने रवि को अपनी शर्त की बात बतायी। “तुम्हें नहीं लगता कि तुम बचकाना हरकत कर रही हो?” रवि ने कहा।

“यही बात अम्मी और राज ने भी कहीं थी, लेकिन मैंने फैसला कर लिया है कि मैं जान कर रहुँगी! इसलिये प्लीज़... आप हाँ कर दें”, फातिमा ने कहा।

“रवि! हाँ कर दो ना! तुम्हारा क्या जाने वाला है?” रूही चौथा पैग खतम करती हुई बीच में बोली।

“ठीक है! अगर तुम्हारी अम्मी कह रही है तो मैं तैयार हूँ”, रवि ने कहा, “बताओ कैसे आजमाना चाहोगी।”

“अंकल! आज रात आप रजनी के साथ सोयेंगे और मैं राज के साथ”, फातिमा ने बताया, “रजनी राज के साथ सो चुकी है और मैं आपके साथ.... सो हम दोनों का बयान ही फैसला करेगा।”

जिस तरह उस घर का दस्तूर था, रूही ने फैसला किया कि कौन किसके साथ सोयेगा। रूही ने जोड़ों की घोशना की, “राम, आयेशा और अंजू को चोदेगा, श्याम, मंजू और सलमा को, विजय, सिमरन और आबिदा को, और जय, ज़ुबैदा और साक्षी को।”

“पर आपका और प्रीती का क्या होगा?” फातिमा ने पूछा।

“कुछ नहीं! हम लोग एक दिन बिना मर्द के रह लेंगे, एक दूसरे को सैटिसफायी करने के लिये हम ही काफी हैं”, रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।

उस रात जब मैंने अपना लंड फातिमा की चूत में घुसाया तो वो बोली, “राज! तुम्हारा लंड कितना लंबा और मोटा है, मुझे लगता है कि मेरी चूत तुम्हारे लंड से पूरी भर गयी है।”

उसकी बातों को नज़र अंदाज़ करते हुए मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा। कभी मैं अपनी रफतार तेज कर देता और कभी धीरे से पेल देता और कभी अचानक ही पूरा लंड एक ही झटके में जड़ तक डाल देता। थोड़ी देर में ही उसे भी पूरा जोश आ गया था, और वो अब अपने कुल्हे उठा कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।

“हाँआआआआ राज!!! इसी तरह चोदो!!!, हाय अल्लाह.... कितना अच्छा लग रहा है!!!!, हाँ और जोर से चोदो!!!! हाँआआआआ ओहहहहह”, उसका शरीर अकड़ रहा था और मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है, “हाँआआआआ राज!!! और जोर से!!! हाँ ओहहह मेरा छूटाआआ”, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

दो तीन जोर के धक्के और मारने के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी।

उस रात मैंने फातिमा को चार बार चोदा और सुबह फातिमा ने मेरे लंड को ऐसे चूसा कि आज तक मैंने ये अनुभव नहीं किया था।

सुबह नाश्ते की टेबल पर सब इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि फैसला किसके हक में जाता है। “राज भी चुदाई कला में माहिर है, मैं फैसला नहीं कर पा रही कि कौन बेहतर है”, फातिमा ने कहा।

“और यही राय मेरी है, मेरे हिसाब से दोनों ही माहिर हैं”, रजनी ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

उस दिन हम सब शहर में घूमने गये और देर शाम तक ही लौटे। खाने के बाद फिर ड्रिंक्स का दौर चला और फ़िर रूही ने तय किया कि कौन किसके साथ सोयेगा। रवि के हिस्से में प्रीती और सिमरन आयी, आयेशा और मंजू जय के साथ, विजय को मिली साक्षी और ज़ुबैदा, फातिमा और रजनी राम के साथ, श्याम के साथ अंजू और रूही और मेरे हिस्से में आयी आबिदा और सलमा।

जब हम अपने अपने कमरे में जाने की तैयारी कर रहे थे तो रवि बोला, “राज इनसे मसाज करवाना नहीं भूलना!”

“मसाज क्यों? मैं तो जमकर इनकी चुदाई करना चाहता हूँ!” मैंने कहा।

“चुदाई तो तुम जब चाहो कर सकते हो, पर मसाज कराकर देखो, तुम्हारी जन्नत की सैर हो जायेगी, इनका मसाज करने का तरीका कुछ अलग ही है”, रवि ने कहा।

“ठीक है! मैं आजमाना चाहुँगा”, मैंने कहा, “लेकिन इसके लिये मुझे क्या करना होगा।”

“कुछ नहीं! बाकी मैं इन्हें समझा दूँगा”, रवि ने जवाब दिया।
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Re: तरक्की का सफ़र

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रात को बिस्तर पर लेटे हुए मैंने देखा कि आबिदा और सलमा, दोनों, सिर्फ हाई पेन्सिल हील के सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी मेरे कमरे में दाखिल हुईं। उनके हाथों में एक मोमबत्ती थी और एक कटोरी तेल की थी। उन्होंने मेरे कपड़े उतारे और मुझे पेट के बल लेट जाने को कहा।

आबिदा मेरी जाँघों को मसल रही थी और सलमा थोड़ा सा तेल मेरी पीठ पर डाल कर उसे मसल रही थी। उनके हाथ इस अंदाज़ में चल रहे थे कि वो मुर्दे के शरीर में भी जान फूँक सकते थे।

“ओहहहह कितना अच्छा लग रहा है!” मैं सिसका। उन्होंने मुझे फिर पलट कर पीठ के बल कर दिया। तब तक मेरा लंड आधा तन ही चुका था।

बिना कुछ कहे वो मेरी छाती पर झुक गयीं और मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी। ऐसा मेरे साथ पहले किसी ने नहीं किया था।

“ओहहहहहह”, मेरे मुँह से सिसकरी निकली। मेरा लंड भी अब तन कर खड़ा हो चुका था।

आबिदा मेरे निप्पल को चूसते हुए नीचे की ओर बढ़ी और वहीं सलमा ने गरम तेल मेरे निप्पल पर डाल दिया। “ओहहह जल रहा है, तेल गरम है, थोड़ा ध्यान रखो!” मैंने कहा।

आबिदा नीचे होती हुए मेरी जाँघों के भीतरी भाग पर अपनी ज़ुबान से चाट रही थी और वहीं सलमा अपने नाज़ुक हाथों से मेरी छाती की मालिश कर रही थी।

एक की ज़ुबान और दूसरे के हाथ ऐसा मज़ा दे रहे थे कि बयान नहीं कर सकता। थोड़ी देर में सलमा भी मेरी जाँघों के बीच आ कर मेरे लंड के सुपाड़े पर अपनी ज़ुबान घुमाने लगी। वहीं आबिदा मेरी जाँघों के अंदरूनी भाग को चूमे जा रही थी।

वो थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी जगह बदल लेतीं। अब सलमा मेरे लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले चूस रही थी और वहीं आबिदा मेरे अंडवों को मुँह में ले चूस रही थी।

“ओहहहहहह सलमाआआआआ चूसती जाओ!!!! ओहहहहह आआआआहहहहह मेरा छूटने वाला है!!!!!” मुझसे अब रुकना मुश्किल हो रहा था और मैंने अपना वीर्य सलमा के मुँह में छोड़ दिया।

उस रात मैंने कई बार आबिदा और सलमा को चोदा और जब मेरे लंड में ताकत नहीं रही तो हम एक दूसरे की बाँहों में सो गये।

सुबह मैंने प्रीती से रवि के बारे मैं पूछा, “कैसा रहा?”

“रवि का लंड वाकय में बहुत लंबा और मोटा है और वो चोदता भी तरीके से है, लेकिन मेरे लिये तुम और तुम्हारा लंड सब से ज्यादा अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।

“तुमने इतना कह दिया.... मेरे लिये इतना ही बहुत है”, मैंने प्रीती को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।

!!! क्रमशः !!!

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Re: तरक्की का सफ़र

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प्रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो गया। ठीक है जो ज़िंदगी में गुजरा वो कुछ अजीबो गरीब था लेकिन वो सही में मुझसे प्यार करती थी।

रवि भी नाश्ते के लिये हमारे साथ हो गया, “क्यों राज! आबिदा और सलमा के साथ कैसा रहा?”

“रवि! तुम्हारे सुझाव के लिये शुक्रिया”, मैं हँसते हुए बोला, “सही में इतना आनंद मुझे कभी नहीं आया, उन दोनों का जवाब नहीं।”

दिन इसी तरह गुज़ार गया। चुदाई की छूट थी, जिसकी मरज़ी में जो आता उसे रूम में ले जाकर उसकी जम कर चुदाई करता। हम सब शाम को ड्रिंक्स पीने बैठे ही थे कि दरवाजे पर घंटी बजी। “आप सब रुकिये, मैं देखती हूँ”, आबिदा ने उठते हुए कहा।

“मैडम! आर्यन बाबा आये हैं!” आबिदा ने दरवाजा खोलते हुए कहा।

“ये इस समय यहाँ क्या कर रहा है”, रूही अपनी सीट से उठती हुई बोली।

“हाय मम्मी”, इतने मैं एक सत्रह-अट्ठारह साल का गबरू लड़का हॉल में दाखिल हुआ।

“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” रूही ने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “तुम्हें तो बोर्डिंग में होना चाहिये था।”

“मम्मी! स्कूल की छुट्टियाँ जल्दी शुरू हो गयी, इसी लिये मैं यहाँ आ गया”, आर्यन ने जवाब दिया।

“अच्छा हुआ तुम आ गये, अपने मेहमानों से मिलो!” रूही ने उसका माथा चूमते हुए कहा।

“आप सब इससे मिलें, ये मेरा बेटा आर्यन है”, रूही ने बारी-बारी हमारा परिचय कराया।

रवि को देख कर वो उनसे हाथ मिलाते हुए बोला, “अरे रवि अंकल! आप कब आये और कैसे हैं?”

रवि ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा, “आर्यन तुमसे मिलकर खुशी हुई, आओ बैठो यहाँ। और बताओ कैसी गुजर रही है स्कूल में। तुम सही में सुंदर और जवान हो गये हो, स्कूल की लड़कियाँ तुम पर मरती होंगी।”

“नहीं अंकल! ऐसे नसीब कहाँ हैं हमारे।”

“इसका मतलब तुमने आज तक किसी लड़की की चूत नहीं चोदी है?” रवि ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“नहीं अंकल! कोई लड़की तैयार ही नहीं हुई।”

“ममम... मेरा बच्चा! कोई बात नहीं आज तुम्हारा कुँवारापन जरूर लुटेगा, ये मेरा वादा है”, रवि ने कहा।

“वो ठीक है अंकल! पर क्या मम्मी मानेगी इस बात को?” आर्यन ने पूछा।

“तुम उसकी चिंता मत करो! मैं सब संभाल लूँगा!” रवि ने जवाब दिया।

रात को खाने की टेबल पर रवि ने सब से पूछा, “लड़कियों! क्या तुम ये बर्दाश्त कर सकती हो कि हमारे बीच कोई कुँवारा बैठा हो?”

“नहीं!!!!” सबने जवाब दिया।

“तुम किसकी बात कर रहे हो?” रूही ने पूछा।

“किसकी क्या? मैं तुम्हारे बेटे आर्यन की बात कर रहा हूँ”, रवि ने कहा।

“तो तुम सब में से कौन इसका कुँवारापन भंग करना चाहेगा?” रवि ने पूछा।

“मैं!! मैं!!! नहीं मैं!!!!” चारों तरफ से आवाज़ आ रही थी।

“सब शाँत हो जाओ!” रूही ने अपना हाथ उठाया, “अगर आर्यन का कुँवारापन ही भंग करना है तो मैं तय करूँगी कि वो किसके साथ रात गुज़ारे…. आर्यन! तुम अपने कमरे में जाओ और इंतज़ार करो।”

आर्यन के जाने बाद सबने मिलकर पूछा, “वो नसीबदार कौन है?”

“प्रीती! क्या तुम आर्यन का कुँवारापन लेना चाहोगी?”

“आपने मुझे ही क्यों चुना?” प्रीती ने पूछा।

“वैसे तो तजुर्बे के हिसाब से मैं ही जाती, लेकिन मैं उसकी माँ हूँ, और तजुर्बे के हिसाब से मेरे बाद तुम ही आती हो!” रूही ने जवाब दिया।

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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