एक अनोखा बंधन compleet

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jay
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Re: एक अनोखा बंधन

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अब आगे ....

भौजी: (खुसफुसाते हुए) अब बताओ?

मैं: क्या बताऊँ?

भौजी: उखड़े-उखड़े क्यों हो?

मैं: नहीं ऐसा नहीं है... वो कल रात को...जो हुआ ...उसके लिए I'm Terribly Sorry ! मैं आपको समझा नहीं सकता की मुझे कितना बुरा लगा था....और किस तरह मैंने खुद को रोक|

भौजी: जानती हूँ.... और समझ सकती हूँ| पर मैं वो सब नहीं जानना चाहती .... मैं बस आपको चाहती हूँ! किसी भी कीमत पे!!!

मैं: पर मैं वो नहीं कर सकता| मुझे डर लगता है....की अगर आप प्रेग्नेंट हो गए तो?

भौजी: तो क्या होगा?

मैं: आप सब से क्या कहोगे...की ये किसका बच्चा है?

मेरी बात सुन के भौजी चुप हो गईं|

मैं: तब आप ये नहीं कह सकते की ये चन्दर भैया का है...क्योंकि उन्होंने तो आको सात सालों में छुआ नहीं| और हर बार आप तभी प्रेग्नेंट क्यों होते हो जब मैं आपके आस-पास होता हूँ? पिछली बार भी आप तभी प्रेग्नेंट हुए जब मैं गाँव में थे| और इस बारी भी...जब आप शहर में हो? है को जवाब इन सवालों का? इसी सब के चलते मैं वो सब नहीं कर सकता| कम से कम हम एक साथ तो हैं! इसलिए प्लीज...प्लीज मुझे उसके लिए मत कहो|

भौजी: आप जानते हो मुझे किस बात का सबसे ज्यादा बुरा लगा? की आपने मेरे अंदर जल रही आग को तो शांत कर दिया पर अपने अंदर की आग को दबा दिया|

मैं: किसने कहा? मैंने कल रात को (हाथ हिला के इशारा करते हुए) किया था...I was okay !

भौजी: क्यों जूठ बोल रहे हो? गाँव आने से पहले करते थे वो सब..गाँव से आने के बाद मैं शर्त लगा के कहती हूँ आपने वो कभी नहीं किया|

उनकी बात बिलकुल सही थी|

भौजी: और आज सुबह छत पे आपके दो अंडरवियर टंगे थे! मतलब कल रात को आप नहाये थे... इसी तरह खुद को ठंडा किया ना?

मेरी चोरी पकड़ी गई थी....तो मैंने सर झुका के हाँ कहा|

भौजी: इसलिए मेरे लिए ना सही...कम से कम आपके लिए तो एक बार..... let me help you? Let me relieve you!

मैं: ना यार... I'm alright ...और अगर ये सब एक बार शुरू हो गया तो.....फिर रुकेगा नहीं| its better we don’t involve in this physical relationship!

भौजी: तो अब आप मुझे गले भी नहीं लगाओगे? Kiss भी नहीं करोगे? मतलब मेरे आस-पास भी नहीं भटकोगे?

मैं: मैंने ऐसा कब कहा| मैं आपको दिल से अब भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले प्यार किया करता था| पर प्यार में ये जरूरी तो नहीं की इंसान physical भी हो? मैं आपको इस तरह गले लगाउँगा... (मैंने भौजी को अपने गले लगाया) ...और आपको Kiss भी करूँगा (मैंने भौजी के होठों को हलके से चूम लिया|) पर इसके आगे ....कभी नहीं बढूँगा|

भौजी: ठीक है .... मेरे लिए इतना ही काफी है|

मैं दिल से नहीं चाहता था की ऐसी किसी दुविधा में खुद पडूँ या उन्हें डालूँ| पर भौजी के जवाब में ना जाने मुझे क्यों वो आश्वासन नजर नहीं आया जो आना चाहिए था! खेर दिन बीतने लगे...नए प्रोजेक्ट के चलते मुझे और भौजी को साथ बिताने के लिए समय कम मिलने लगा| पर हम एक दूसरे से कटे नहीं थे| फ़ोन पे चैट किया करते थे ... जब कभी समय मिलता तो मैं उन्हें गले लगा लेता...Kiss करता ...पर इसके आगे जाने की कभी हिम्मत नहीं हुई! करवाचौथ से एक हफ्ते पहले की बात थी| सुबह-सुयभ जब भौजी मेरे कमरे में चाय ले के आईं तो उनका मूड ऑफ था!

मैं: Good Morning जान!

भौजी: ह्म्म्म्म्म....

मैं: क्या बात है? मूड क्यों ऑफ है?

भौजी: कुछ नहीं...

मैं: यार बताओ तो सही ?

पर वो कुछ नहीं बोलीं और बाहर चली गईं| सुयभ-सुबह मुझे कुछ सामान लेने जाना था तो मैं वहाँ निकल गया और फिर समय नहीं मिला की उनसे कुछ और पूछ सकूँ| दोपहर को लंच तुम्हे मैं फ्री हो गया और उन्हें फोन किया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया| मैंने फिर माँ को फोन किया तब पता चला की भौजी का मन बहुत दुखी है, क्यों ये वो बताती नहीं! मैंने माँ को फोन किया;

मैं: हेल्लो माँ...

माँ: हाँ बेटा...कब आ रहा है लंच के लिए?

मैं: मैं अभी फ्री हूँ और रास्ते में हूँ| आप ये बताओ की आखिर हुआ क्या है उनको? सुबह से उनका मुँह क्यों उतरा हुआ है? (मेरा तातपर्य भौजी से था|)

माँ: पता नहीं बेटा.... शायद तेरे भैया से कुछ कहा-सुनी हुई होगी|

मैं: माँ...आप अगर कहो तो मैं बच्चों को और उनका पिक्चर ले जाऊँ...शायद मूड बदल जाए|

माँ: ठीक है...कब जा रहे हो तुम?

मैं: मैं अभी आता हूँ...फिर पूछता हूँ उनसे|

मैं आधे घंटे बाद घर पहुँचा, भौजी उस समय किचन में चावल बना रहीं थीं| मैं अंदर घर में घुसा और बिना कुछ कहे उनका हाथ पकड़ के उन्हें कमरे में खींच लाया|

मैं: Okay tell me what is it? Why are you so pissed off?

भौजी कुछ नहीं बोलीं|

मैं: okay ... get ready we're going for a movie .... get dressed !

भौजी: मूड नहीं है|

मैं: Hey I'm not asking you .... I'm ordering you ! (मैंने अपना वही डायलॉग मारा|)

भौजी: तो आप भी मुझे हुक्म दोगे? आप भी जबरदस्ती करोगे?

मैं: Hey ..Hey .... Hey .... I didn't mean that ! और जबरदस्ती..... did he?

भौजी कुछ नहीं बोलीं बस उनकी आँख से आँसूं का एक कटरा छलका और वो चली गईं| मेरे रोम-रोम में आग लग गई| आँखों में खून उतर आया.... I just wanted to punch that guy! मैंने अपना फोन उठाया और चन्दर भैया को फोन मिलाया....

मैं: (गरजते हुए) कहाँ हो?

चन्दर भैया: गुडगाँव ..पर हुआ क्या? इतने गुस्से में क्यों हो?

मैं: वहीँ रहना ....मैं आ रहा हूँ|

मैंने गाडी भगाई और घर से गुडगाँव का एक घंटे का रास्ता 39 मिनट में पूरा किया| जैसे ही मैं गाडी पार्क कर रहा था की तभी मुझे दूसरी साइट से फोन आया| फोन लेबर का था, उसने बताया की आपके चन्दर भैया ने defective fitting लगवाई थीं और अब मालिक गुस्से में आग-बबूला हो रखा है| पिताजी गाजियाबाद गए हुए थे और यहाँ सिर्फ मैं ही संभालने वाला था| अब इस फोन ने तो आग में घी का काम किया| अभी उसका फोन रखा ही था की उसी मालिक का फोन आगया|

सतीश जी: मानु...ये क्या ड्रामा है? तुमने किस आदमी को ठेका दिया है? साले ने साड़ी की साड़ी फिटिंग बकवास लगवाई है... कमोड लीक कर रह है...वाश बसिनस (washbasins) सारे गंदे मंगवाए हैं....कोई फिनिश नहीं...सब बकवास काम| हमने Faucets के लिए कहा था और तुम्हारे आदमी ने प्लास्टिक के नल लगा दिए! इसीलिए काम दिया था तुम्हें?

मैं: सर..सर..please listen to me ....

सतीश जी: क्या सुनूँ? आगे से कोई भी काम तुम लोगों को नहीं दूँगा| और पूरी कोशिश करूँगा की कोई काम न मिले तुम लोगों को!!!

मैं: सर देखिये...आपका गुस्सा जायज है...but please let me talk to the guy and don't worry I'll get it replaced at no extra cost! Please Sir gimme a chance!

सतीश जी: ठीक है..कल तक साड़ी चीजें रेप्लस हो जानी चाहिए वरना....

मैं: Sir I won't give you another chance!

सतीश जी: You Better Be!



अब मैंने फोन काटा और समय था गुस्से को बाहर निकालने का|

मैं पाँव पटकते हुए पहुँचा और उन्हें इशारे से अलग बुलाया| अंदर एक कमरा था जिसमें सामान पड़ा हुआ था पर कोई लेबर नहीं थी .....उनसे मुझे शराब की बू आ रही थी|

मैं: शराब पी है?

चन्दर भैया: नहीं तो...

मैं: कसम खाई थी न तुमने ...वो भी अपनी माँ की...की तुम शराब को हाथ तक नहीं लगाओगे?

चन्दर भैया: वो मेरी माँ है... मैं चाहे कसम तोडूं या जो भी करूँ...तुझे उससे क्या?

मैंने चन्दर भैया को धक्का दिया और दिवार से लगा के खड़ा किया और उसकी कमीज के कालर पकड़ लिए;

मैं: वो मेरी भी बड़की अम्मा हैं...और क्यों परेशान करते हो अपनी पत्नी को?

चन्दर भैया: ओह! तो ये बात है! तो उसने भेजा है तुम्हें? और तुम्हें उससे क्या?

मैं: उन्होंने कुछ नहीं कहा...पर उनके बिना कहे ही मैं समझ गया की कौन सी आग लगी है तुझ में| वो मेरी दोस्त है..और अगर कोई भी उसे परेशान करे तो मैं ये भूल जाऊँगा की मेरे सामने कौन खड़ा है| I don't give a danm about who you are?

चन्दर भैया: अबे ओ ...दूर रह मेरे परिवार से!

उन्होंने अपना कालर छुड़ाया और मुझे धक्का देना चाहा पर मैंने उसे फिर से धक्का दिया और दिवार से उसका सर जा टकराया| मैंने एक घूसा उनके पेट मारा और सीधे हाथ से उन्हें लताड़ा फिर उन्हें दुबारा दिवार से टिका के खड़ा किया| अपनी कोहनी उनके गले पे रखी और कहा;

मैं: सुन...एक बार बोलूँगा.....दुबारा तूने उन्हें हाथ भी लगाया ना तो तेरी हड्डियां तोड़ दूँगा ...समझ गया?

उस समय चन्दर भैया नशे में धूत थे.... और मेरे एक धक्के से उनकी फट गई| अब चूँकि मैं शरीर में उनसे बलिष्ठ था तो वो मुझे कुछ डरे हुए से लगे| फिर अचानक कुछ बुदबुदाये;

चन्दर भैया: साल...न घर में बीवी छूने देती है...और यहाँ ये ...अपने शरीर का डर दिखा के मुझे डराता है| कुत्ते...कुत्ते जैसी हालत हो गई है|

मैं: तू इसी के लायक है! ना तू उनकी बहन पे बुरी नजर डालता और न आज तेरी ये हालत होती!

चन्दर भैया: तुझे...तुझे सब पता है?

मैं: हाँ... और ये भी पता है की तूने सतीश जी के यहाँ जो plumbing के काम में गबन किया है उसके बारे में भी|

चन्दर भैया: क...क...क्या...क्या किया मैंने?

मैं: सारा माल घटिया लगाया तूने...और वो फोन कर के मेरी मार रहा था| बताऊँ पिताजी को?

चन्दर भैया: मैंने कुछ ....कुछ नहीं किया....वो तो... (उनकी आवाज में घबराहट थी|)

मैं: Shut Up!!!

चन्दर भैया: (गिड़गिड़ाते हुए) नहीं भैया...प्लीज चाचा को कुछ मत कहना ....प्लीज... मैं हाथ जोड़ता हूँ| आप जो कहोगे वो करूँगा...कभी उसे हाथ नहीं लगाउँगा...वैसे भी वो कौन सा मुझे छूने देती है| कल कोशिश की तो साली ने मुझे धकेल दिया|

मैंने एक बार फिर उनका गाला पकड़ा और उन्हें दिवार से दे मारा;

मैं: (मैंने गुस्से में उन्हें तीन-चार थप्पड़ जड़ दिए) ओये ...तमीज से बात कर उनसे! समझा.... वरना मुँह तोड़ दूँगा तेरा!

चन्दर भैया: ओह सॉरी...सॉरी भैया...माफ़ कर दो....प्लीज मुझे जाने दो...मैं आगे से उसे कभी नहीं छूँगा.... कोई तकलीफ नहीं दूँगा...प्लीज...प्लीज ...प्लीज !

मैंने उसका गाला छोड़ा और वहाँ से निकल के सतीश जी के यहाँ पहुँचा| वहाँ पहुँच के मैंने सारी तसवीरें खींचीं...इस आदमी ने सारा काम उल्टा कराया था| प्लास्टिक की पाइप की जगह लोहे की पाइप्स लगवाईं वो भी जंग लगी हुई| कमोड ...wash basins ....Faucets .... सब कुछ थर्ड क्वालिटी! अगर पिताजी देखते तो पक्का चन्दर को सुना देते... उसने तो सामान के Bill में भी घपला किया था| जहाँ से उसने सामान मंगवाया था वो whole seller था और हमारी अच्छी जान-पहचान थी| जब मैंने उसे फोन किया तो उसने इस घपले के बारे में बताया| मेरे कान खड़े हो गए, ये सुन के की उसने दस हजार का घपला किया था और जान-बुझ के ये सामान आर्डर किया था| जब दुकानदार ने उससे कहा की ऐसा सामान क्यों मंगवा रहे हो तो वो बोला की एक बार लग जाए तो घंटा कोई कुछ उखाड़ लेगा मेरा| मैंने उसकी साड़ी बातें रिकॉर्ड कर लीन और उससे नए सामान का आर्डर दिया और पुराने समानक बिल भी मँगवा लिया| मैं पिताजी को ये सब नहीं बताना चाहता था पर मैं जानता था की कभी न कभी ये बात खुलेगी जर्रूर| उस दिन मैं घर नहीं लौटा...लेबर से ओवरटाइम करा के सारा काम सुबह तक खत्म करा दिया| दोपहर बारह बजे सतीश जी आये और काम देख के खुश हुए| उन्होंने कल के व्यवहार के लिए अपनी तरफ से क्षमा मांगी....मैंने बात संभाल ली और उन्हें खुश कर दिया| अगले दिन दोपहर को घर आया तो पिताजी घर से निकलने वाले थे| जब उन्होंने कहा की मई कहाँ था तो मैंने कह दिया की सतीश जी का काम करवा रहा था| तब उन्होंने चन्दर भैया को डाँट लगवाई क्योंकि उन्होंने एक दिन पहले कहा था की काम लघभग खत्म हो गया है| पर जब मैंने एक पूरा दिन उसमें बर्बाद किया तो उन्हें गुस्सा आ गया| वो तो शुक्र था की मैंने उन्हें घपले वाली बात बताई नहीं वरना आज तो काण्ड हो जाता| पिताजी ने आज मुझे आराम करने को कहा और चन्दर भैया को अपने साथ ले के चले गए| मैं नहाया और फिर अपने कमरे में प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने लगा| ये मेरी आदत थी की काम खत्म होने के बाद उसकी रिपोर्ट जर्रूर बनाता था| अब इसमें मैं घपले का जिक्र तो कर नहीं सकता था पर फिर भी मैंने उसकी एक अलग रिपोर्ट बनाई! इतने में भौजी खाना ले आईं;

भौजी: कल आप घर आये नहीं?

मैं: हाँ काम ज्यादा था...

भौजी: जानती हूँ...क्या काम था....तो सबक सीखा दिया आपने उन्हें?

मैं: बता दिया सब उसने?

भौजी: हाँ...कल रात को कह रहे थे की मैंने आप से शिकायत की ...और आपने उनकी पिटाई भी की!

मैं: He deserved that ! आपका ख़याल आगया इसलिए ज्यादा नहीं पीटा वरना कल धुलाई पक्की थी उसकी| साले ने अम्मा की जूठी कसम खाई और आपको छूने की कोशिश की| सजा तो मिलनी ही थी|

भौजी: पर आपने ऐसा क्यों किया? अगर उन्होंने पिताजी से शिकायत कर दी तो?

मैं: नहीं करेगा..और कर भी तो I don't give a fuck !!!

भौजी: ये क्या हो गया है आपको? क्यों ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हो?

मैं: मेरा दिमाग खराब हो गया है... उस साले की हिम्मत कैसे हुई आपको हाथ लगाने की?

भौजी: देखिये अभी शांत हो जाइए और खाना खाइये|

मैं: आपने खाया?

भौजी: नहीं...

मैं: तो बैठो यहाँ और मेरे साथ खाओ|

हम खाना खाने लगे| भौजी मुझे अपने हाथों से खिला रहीं थीं और मैं उन्हें खिला रहा था|

भौजी: आप गुस्से में अच्छे नहीं लगते|

मैं: और आप भी ....

भौजी: हम्म्म्म ...

मैं: आपने कभी बताया नहीं की भैया फिर से शराब पीने लगे हैं?

भौजी: वो.... गाँव में कभी-कभी रात को पी लिया करते थे..... पर किसी को पता नहीं था की...वो पीते हैं|

मैं: आप कब से उनकी गलतियों पे पर्दा डालने लगे?

भौजी: मुझे डर था की आप उनके साथ यही करोगे जो आपने आज किया|

मैं: उन्होंने अपनी माँ की कसम तोड़ी है...मैं क्या अगर पिताजी को पता चल गया की उन्होंने उनकी भाभी की कसम तोड़ी है तो...वो उन्हीने मारने से बिलकुल नहीं हिचकेंगे|

हम पलंग पे बैठे खाना खा रहे थे| पलंग पे फाइल्स और कागज़, bills वगैरह फैले हुए थे... इतने में उनकी नजर मेरी रिपोर्ट पर पढ़ी| उन्होंने उसे उठाया और पढ़ा;

भौजी: ये...ये क्या है?

मैं: चन्दर भैया की करनी!

भौजी: क्या? (वो हैरान थीं)

मैं: हाँ...उन्होंने दस हजार का घपला किया| मुझे पता नहीं चलता पर कल उस मालिक का फोन आया और उसने मुझे खरी-खोटी सुनाई ... साइट पे पहुँच के मैंने छन-बीन की तो ये सच सामने आया| इसीलिए कल सारा दिन उनका काम फाइनल कराया और घर नहीं आ पाया!

भौजी: मैंने कुछ दिन पहले उनके पास नोटों की गड्डी देखी थी...मुझे लगा की शायद पिताजी ने उन्हें दिए होंगे...पर ....ये .... OMG !!! आपने पिताजी को बताया?

मैं: नहीं....

भौजी: पर क्यों?

मैं: क्योंकि पिताजी ये सब बर्दाश्त नहीं करेंगे! काम के प्रति वो बहुत ही संवेदनशील हैं| वो बैमानि बर्दाश्त नहीं करते| अगर मैने ये गलती की हो तो वो मुझे घर से निकाल देते| और अगर उन्हें पता लग गया तो वो भैया को और आपको वापस भेज देंगे! और ये मैं नहीं चाहता! मैं आपको दुबारा खो नहीं सकता!

भौजी: तो ये नुक्सान कौन भरेगा?

मैं: मैं..और कौन.... वैसे भी खुदगर्ज़ी की कुछ तो सजा मिलनी ही चाहिए!

भौजी: नहीं...आप नहीं भरेंगे...मेरे पास कुछ....

मैं: Shut Up! खबरदार जो मेरे सामने दुबारा ऐसी बात कही तो|

हमारा खाना हो गया और वो बर्तन ले के चली गईं| मैं रिपोर्ट बनाने में लग गया और वो भी बिस्तर के दूसरी तरफ बैठ के कुछ सिलने लगीं|

भौजी: अब सो जाइए....

मैं: आप की गोद में सर रखने की इज्जाजत है?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया और मुस्कुराने लगीं| मैंने उनकी गोद में सर रखा और उन्होंने मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया| इतने में बच्चे आ गए और मेरे साथ लिपट के सो गए| भौजी की उँगलियाँ बालों में अपना जादू चला रहीं थीं| और अभी मेरी आँख बंद ही होने वाली थी की भौजी ने झुक के मेरे होठों को अपने मुंह में भर लिया और उन्हें चूसने लगीं| मैंने अपने दोनों हाथ ऊके सर पे पीछे से रखे और अपने ऊपर और झुका लिया और उनके होठों को चूसने लगा| मन तो नहीं था सोने का पर रात की थकावट के कारन नींद आने लगी और मैं सो गया| शाम को छः बजे उठा तो भौजी चाय लेके आ गईं|

मैं: यार ...(अंगड़ाई लेते हुए) क्या नींद आई....

भौजी: अच्छा जी?

मैं: हाँ यार.... आपकी Kiss में जादू है|

भौजी: हाय! जानू...आपने बड़ी प्यारी-प्यारी बातें करते हो|

मैं: सब आप की सौबत का असर है|

रात को खाना खाने के बाद भौजी कमरे में आईं;

भौजी: आप प्लीज रात को साइट पे मत रुका करो ...बच्चे आप के बिना सोते नहीं हैं|कल बड़ी मुश्किल से मैंने उन्हें सुलाया था|

आयुष: पापा...आपके बिना नीनी नहीं आती!

मैं: Awwwww ....बेटा वादा तो नहीं कर सकता ...पर कोशिश पूरी करूँगा|

भौजी: आपकी कोशिश ही मेरे लिए काफी है|

बस इतनी बात हुई, और भौजी अपने घर चली गईं और बच्चे मेरे पास सो गए| अगले दिन उठा तो एक और सियाप्पा खड़ा हो गया| मैं सो के लेट उठा था...सर दर्द से फ़ट रहा था ...और जैसे ही नजर भौजी पे पड़ी तो उनके चेहरे के भावों को मैं ठीक से पढ़ नहीं पाया...समझ नहीं आया की वो खुश हैं की दुखी?

मैं: क्या हुआ जान?

भौजी: आपके भैया आज सुबह ही गाँव चले गए?

मैं: फ़ट गई साले की?

भौजी: क्या मतलब?

मैं: उसे लगा की मं पिताजी को उसके घपले के बारे में बता दूँगा| इसलिए फ़ट गई उसकी! आपने पिताजी को कुछ बताया?

भौजी: माँ को बताया था...उन्होंने पिताजी को बता दिया| आठ बजे से पिताजी फोन मिला रहा हैं और वो उठाते नहीं|

मैं: और कितने बजे घर से निकला वो?

भौजी: सुबह पाँच बजे!

मैं: चलो देखें हुआ क्या है?

मैं बाहर आया तो भैया अब भी पिताजी का फोन नहीं उठा रहे थे| आखिर हार के पिताजी ने गाँव में बड़के दादा को फोन कर दिया की चन्दर गाँव आ रहा है...अकेला! वो हैरान तो हुए पर अभी किसी को पूरी बात पता नहीं थी|

पिताजी: आखिर कल इस लड़के को हुआ क्या> ये क्यों चला गया इस तरह? बहु तुझे कुछ कहा नहीं?

मैंने भौजी का हाथ पकड़ के दबा दिया और उन्हें कुछ भी कहने से रोक दिया|

इतने में सतीश जी का फोन आ गया|

पिताजी: प्रणाम मालिक!

सतीश जी: प्रणाम भाईसाहब! दरअसल मैं आज आपसे मिलना चाहता था|

पिताजी: बोलो मालिक कब आऊँ?

सतीश जी: बारह बजे आजाईये और हाँ मानु को साथ ले आना|

पिताजी: क्यों उसका कोई ख़ास काम है आपको?

सतीश जी: देखो भाईसाहब आपको उसने तो सब बता ही दिया होगा| आज जो काम मैं आपको बताने वाला हूँ वो सिर्फ मानु ही करायेगा...नहीं तो मैं किसी और को बुला के करवा लूँगा|

पिताजी: अरे नहीं मालिक... वो ही देख लेगा सारा काम| मैं बारह बजे मिलता हूँ आपसे|

पिताजी ने फोन काटा|

माँ और भौजी नाश्ता बनाने में लगे थे|

पिताजी: हाँ तो अब तू बता?

मैं: क्या?

पिताजी: सतीश जी कह रहे थे की कल कुछ हुआ है!

मैं; कुछ भी तो नहीं!

पिताजी: देख जूठ मत बोल! बता क्या हुआ है?

मैं: सच में कुछ नहीं...बस वो काम थोड़ा ज्यादा खिंच गया था बस!

इतने में भौजी मेरे कमरे से मेरी रिपोर्ट वाली फाइल ले आईं और पिताजी के सामने रख दी|

भौजी: पिताजी...ये कारन है ...उनके जाने का और शायद सतीश जी भी यही कह रहे होंगे|

पिताजी ने फाइल खोली और सारे बिल देखे| उन्होंने अपना सर पीट लिया;

पिताजी: हे भगवान! ये लड़का हमारे साथ ही धोका-धडी कर रहा था| और मैं इसे अपना आध बिज़नेस सौंपना चाहता था! सच में किसी का विश्वास नहीं कर सकते|

भौजी: और एक बात है पिताजी|

पिताजी: बोलो बहु|

भौजी: ये शराब भी पीते हैं!

पिताजी: क्या? पर...इसने तो अपनी माँ की कसम खाई थी.....

मैं: कल जब मैं इनसे मिलने साइट पे पहुँचा तब ये नशे में धुत्त थे! उसी समय मुझे सतीश जी का फोन भी आया और वो आग-बबूला हो रखे थे| ऊपर से ये इन्हें (भौजी) को मारते-पीटते भी थे...और गुस्से में मैंने इनपे हाथ उठा दिया| जब मैंने इस घपले की बात की तो ये डर गए और मेरे आगे हाथ जोड़ने लगे की मैं आपको ना बताऊँ|

पिताजी: और तू उसके गुनाहों पे पर्दा डाल रहा था.....वो तो बहु ने साडी बात बताई.... हमारी बरसों की इज्जत ये मिटटी में मिलाने पे तुला है|

पिताजी ने फोरना बड़के दादा को फोन मिलाया और उन्हें साड़ी बात बता दी| ये भी कह दिया की चन्दर भैया के लिए अब इस घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं| उधर बड़के दादा भी चन्दर भैया को गालियाँ निकाल रहे थे| उनके लाख बार पूछने पर भी पिताजी ने ये नहीं बताय की उन्होंने कितने पैसों का गबन किया है| बड़के दादा ने इतना जर्रूर कहा की वो आएगा तो यहाँ से जिन्दा नहीं जायेगा और साथ ही पिताजी को मिलने के लिए बुलाया|

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अब आगे ....

फोन पे बात होने के बाद पिताजी ने मुझसे बात की;

पिताजी: बेटा मुझे रात की train से गाँव निकलना होगा| पता नहीं कितने दिन लगेंगे...अब तुझे ही सारा काम देखना होगा!

मैं: जी ठीक है...पर आपको इस समस्या का हल निकालना होगा| चन्दर भैया ना तो शराब छोड़ सकते हैं और ना ही इन्हें (भौजी) मारना पीटना...ऐसे में बच्चों का क्या होगा? उनका भविष्य ....खराब कर देगा ये इंसान!

पिताजी: बेटा तू चिंता ना कर ...सब ठीक हो जायेगा| मेरी गैरहाजरी में तुझे सारा काम सम्भालना पड़ेगा| चन्दर भैया का भी...!!!

मैं: पिताजी...एक बात कहना चाहता हूँ|

पिताजी: हाँ..हाँ बोल?

मैं: पिताजी...मैं चाहता हूँ की चन्दर भैया के काम से जो भी प्रॉफिट हो उसकी मैं आयुष और नेहा के नाम की FD बना दूँ|

पिताजी: अच्छा विचार है बेटा! पर मैं सोच रहा था किहम गाडी ले लें| पर ये विचार बहुत अच्छा है...यही होगा| तू अपने साथ भौजी को ले कर बैंक जईओ और FD करा दिओ|

मैं: जी बेहतर!

मेरी बात सुन भौजी मेरी तरफ देख रहीं थीं| मैं नाश्ता करके मैं पिताजी के साथ सीधा काम पे निकल गया|रात को पिताजी ने गाडी पकड़नी थी.... पर मैं उन्हें छोड़ने स्टेशन नहीं जा पाया| काम में फंस गया था...और घर भी नहीं जा पाया| भौजी का रात को फोन आया था और वो मुझे बला भी रहीं थी ...पर मैंने उन्हें समझा दिया| बच्चों ने उनकी नाक में डीएम कर रखा था ..फिर मेरी बच्चों से बात हुई और मेरे समझाने पे और एक कहानी सुनने के बाद दोनों मान गए| उस रात दो बजे तक हम बात करते रहे| अगले दिन मैं सुबह छः बजे घर आया और नहा-धो के सो गया| दोपहर को उठा और फिर भाग गया| इसी तरह दौड़-भाग करते-करते करवाचौथ में 1 दिन रह गया| इधर चन्दर भैया का कुछ पता नहीं था...वो घर ना जाके मामा जी के घर टिके हुए थे| शायद अपने जुगाड़ को पेल रहे थे! पिताजी ने और बड़के दादा ने मिलके उन्हें घर बुलाया तब भी वो नहीं आये... आगे वहां क्या हुआ मैं आपको आगे चल के बताऊँगा| करवाचौथ में एक दिन रह गए थे और इधर भौजी ने मुझे के बात साफ़ कर दी थी|

भौजी: जानू...मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ|

मैं: जी कहिये!

भौजी: अब तक मैं हर करवाचौथ पे व्रत सिर्फ और सिर्फ आपके लिए रखती थी| मुझे उस शक्स से कभी कोई वास्ता नहीं था! हरदम आपका ही ध्यान करके मैं व्रत रखा करती थी और आपको ही याद कर के व्रत तोडा करती थी| अब इस बार मौका मिला है...तो मैं चाहती हूँ की इस बार आप मेरे सामने हो जब मैं व्रत तोडूं...बल्कि मैं व्रत तभी तोड़ूँगी जब आप मुझे अपने हाथ से पानी पिलाओगे| आप मेरी ये इच्छा पूरी करोगे?

मैं: ठीक है...तो इस बार मैं भी व्रत रखूँगा..आपके लिए!

भौजी: नहीं...आप को सारा दिन बाहर घूमना-फिरना होता है...काम करते हो....नहीं-नहीं... आप नहीं करोगे|

मैं: मैंने आपसे इजाजत नहीं माँगी है|

भौजी: पर....

मैं: मैं कुछ नहीं सुनने वाला|

भौजी: ठीक है....तो मेरी भी एक शर्त है! कल की रात आप और मैं....एक होंगें! मैं अब आप से और दूर नहीं रह सकती!

मैं: यार मैंने आपसे पहले भी कहा था की....

भौजी: (मेरी बात काटते हुए) मैं कुछ नहीं सुनुँगी .... I need You ! Please !!! मैं जानती हूँ की आपको मेरी कितनी चिंता है पर ....

मैं: ठीक है...मैं कल कंडोम ले आऊँगा|

भौजी: बिलकुल नहीं !!! इतने सालों बाद आप और हम एक होंगे और आप... You wanna use rubber or latex ...Whatever it is ....मैं परसों I-Pill ले लूँगी| But Promise me !

मैं: (गहरी सांस छोड़ते हुए) I Promise !

भौजी: Thank You!!!

और उन्होंने मुझे गले लगा लिया|

अगले दिन मैंने सरप्राइज की तैयारी कर ली थी| मैंने उस दिन आधे दिन के बाद ही सबकी छुट्टी कर दी| और मैं बारह बजे घर पहुँच गया| पिताजी कल रात को ट्रैन पकड़ के परसों आने वाले थे| घर पे सिर्फ मैं, माँ, भौजी और बच्चे थे| मैंने बच्चों को प्लान समझा दिया था और उन्होंने जिद्द करके स्कूल से छुट्टी कर ली थी| भौजी को मेरे प्लान के बारे में कुछ नहीं पता था| मैं जब घर पहुँचा तो पता चला की माँ pados में सभी औरतों के साथ हैं और भौजी को कथा सुनने के लिए चार बजे बुलाया है| पिछले एक महीने से मैं ही दिषु की गाडी घुमा रहा था...और चूँकि वो मेरा जिगरी दोस्त था...बल्कि भाई जैसा था तो उसने कभी मुझसे गाडी नहीं माँगी| पेट्रोल मैं भरा दिया करता था और उसके पास उसकी बाइक तो थी ही! खेर मैंने भौजी को तैयार पाया...वो माँ के पास जा ही रहीं थीं|

मैं: कहाँ जा रहे हो?

भौजी: माँ के पास...कथा के लिए!

मैं: वो तो चार बजे है| अभी चलो मेरे साथ?

भौजी: कहाँ?

मैं: पिक्चर देखने|

भौजी: और माँ

मैं: मैं उन्हें फोन कर देता हूँ|

मैंने माँ को फोन कर दिया की भौजी का मन बड़ा उदास है और मैं उन्हें पिक्चर ले जा रहा हूँ| माँ ने बस इतना कहा की "बेटा ध्यान रखिओ बहु का|" और मैंने "जी" बोल के फ़ोन रख दिया|

भौजी: आपने मेरे बहन मारा?

मैं: तो क्या हुआ?

भौजी: पर मेरा मन कहाँ उदास है? मैं तो खुश हूँ!

मैं: अरे यार जूठ बोला ...बस!

भौजी: क्यों बोला...माँ से जूठ मत बोला करो|

मैं: अच्छा बाबा..आज के बाद नहीं बोलूँगा|

मैं उन्हें और बच्चों को लेके घर से निकला| मैंने गाडी स्टार्ट की और मुस्कुराने लगा|

भौजी: क्या बात है?

मैं: आज पहली बार मेरी सीट पे कोई लड़की बैठी है|

भौजी कुछ बोली नहीं बस मुस्कुरा दीं| मैंने गाडी mall की तरफ घुमाई और वहाँ पहुँच के गाडी से एक पैकेट निकाला और उनहीं दिया;

भौजी: ये क्या है?

मैं: Washroom जाओ और चेंज कर के आओ|

भौजी ने पैकेट ले के खोल के देखा और मुस्कुरा दीं| बीस मिनट बाद वो चेंज कर के आईं तो वो उस दिन की तरह पटाखा लग रहीं थीं|

भौजी: आपने पहले से सब सोच रखा था|

मैं: हाँ

नेहा: मम्मी...you looking beautiful!

आयुष ने भौजी का हाथ पकड़ के उन्हें अपनी हाइट के लेवल तक झुकाया और उनके गालों को चूम लिया|

भौजी: Awwwwwww !!!

मैं: तो चलें मूवी देखने?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया| वहाँ जितने भी मौजूद लड़के थे सब उनहीं ही देख रहे थे..और शायद हमें couple समझ रहे थे| इसलिए भी क्योंकि मैंने दाढ़ी बढ़ा रखी थी| हॉल में सबसे Last Row की सबसे कोने की सीट ले रखी थी| हम सीट्स पर कुछ इस आर्डर में बैठे थे; मैं, भौजी आयुष और नेहा| पर बच्चे बीच में बैठने की जिद्द कर रहे थे...जैसे-तैसे भौजी ने उनहीं समझाया...और खाने-पीने का लालच दिया, तब जाके वो माने| अभी ads चल रहीं थीं और इधर भौजी ने मेरे सीधे हाथ के कंधे को अपना तकिया बना के अपना सर उसपे टिका दिया| मूवी चालु हुई..... इधर बच्चों ने उथल-पुथल मचा दी... आयुष को मेरी गोद में बैठना था...और उधर नेहा जिद्द करने लगी की उसे मेरे पास बैठना है| मैंने सीट्स का आर्डर चेंज किया; नेहा, आयुष, मैं और भौजी| भौजी की बगल वाली सीट पर एक आंटी बैठी थीं|

मैं: (खुसफुसाते हुए) क्या हुआ? अब क्यों नहीं सर रख रहे मेरे कंधे पर?

भौजी: बगल में आंटी बैठीं हैं!

मैं: तो? डर लग रहा है?

भौजी: नहीं तो...

फिर उन्होंने थोड़ी हिम्मत दिखाई और वापस मेरे कंधे पे सर रख के बैठ गईं| आयुष मेरी बगल में बैठा था और बड़े चाव से पिक्चर देख रहा था और नेहा अकेला न महसूस करे इसलिए मेरा दाहिना हाथ आयुष के पीछे से होता हुआ नेहा के सर पे था| मूवी शुरू हो चुकी थी और इधर भौजी की मस्तियाँ भी!

भौजी ने अचानक मेरे कान को काटा...मैंने गर्दन हिला के उनके मुन्हे से छुड़ाया तो उन्होंने मेरे गाल को Kiss करना शुरू किया| अब मेरा भी मन हो रहा था की कुछ करूँ पर....बगल में आंटी थीं तो खुद को रोक लिया| भौजी ने मेरा बायना हाथ अपने हाथों में दबा रखा था और मुझे बार-बार Kiss कर रहीं थीं|

भौजी: आप नहीं करोगे Kiss?

मैं: आंटी ने देख लिया ना ....तो...

भौजी हंसने लगीं| जब इंटरवल हुआ तब मैं तीनों को लेके बाहर आगया और पॉपकॉर्न खरीदने के लिए लाइन में लग गए|

भौजी: अपने और बच्चों के लिए लेना...मैं नहीं खा सकती|

मैं: मैं भी यहाँ सिर्फ बच्चों के लिए ही लेने के लिए लाइन में लग हूँ|

भौजी: पर....ठीक है बाबा!

मैंने अपना डेबिट कार्ड निकाल के उन्हें दिया और कहा की आप खरीदो, वो जिझकने लगीं पर मेरे दबाव देने पे मान गईं| उन्होंने दो मध्यम पॉपकॉर्न आर्डर किये और पेमेंट के लिए मैंने उनहीं समझया की कैसे कार्ड को स्वाइप करना है..फिर उन्हें PIN नंबर बताया और उनहोने पहली बार कार्ड से पेमेंट कर के कुछ खरीदा| हाँ उन्हें सीखने में करीब 3 - 4 मिनट लगे पर शुक्र है की पीछे वही आंटी कड़ी थीं और जब मैंने उनकी तरफ मूड के खा; "actually aunty आज इनका first time है|" तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा; "कोई बात नहीं बेटा"| खेर आज भौजी को ATM Card से सामान खरींदा तो आ ही गया और वो काफी excited भी लग रहीं थीं| इंटरवल के बाद हम अपनी जगह बैठे हुए थे की तभी भौजी ने फिर मस्ती शुरू कर दी| अब चूँकि मैं मजबूर था और कुछ नहीं कर सकता था तो वो इसका पूरा फायदा उठा रहीं थीं| कभी कान को काट लेती तो कभी कान को वो हिस्सा जिसमें लोग छेड़ कराते हैं उसे मुंह में भर के चूसने लगती| उन्होंने हद्द तो तब पार की जब उन्होंने मेरे outer ear में जीभ से गुड-गुड़ी की और मैं एकदम से सिहर उठा| इधर आयुष ने मुझे पॉपकॉर्न का एक टुकड़ा खिलाना चाहा तो मैंने उसे प्यार से मना कर दिया|

भौजी: देखो कितने प्यार से खिला रहा है...खा लो ना?

मैं: ना...

खेर मूवी खत्म हुई और मैं बच्चों को लेके जल्दी घर आ गया| भौजी नहा धो के तैयार हुईं और कथा के लिए समय से पहुँच गईं| घर पे मैं और बच्चे रह गए थे, बच्चों को तो मैंने गेम लग दी और मैं कल के काम के लिए बेलदार और लेबर से बात करने लगा| पूजा के बाद माँ और भौजी घर आगये| माँ ने पिताजी से फोन पे बात की पर हमें उस बारे में कुछ नहीं बताया| खेर मैं बेसब्री से चाँद देखने का इन्तेजार करने लगा| इसलिए नहीं की मैं भूखा था बल्कि इसलिए की भौजी भूखी थीं... पेट से भी और दिल से भी! मैं आयुष और नेहा को लेके छत पे डेरा डाल के बैठ गया| आँखें बस चाँद का दीदार करने को तरस रहीं थीं| इतने में माँ और भौजी ऊपर आ गए|

माँ: बेटा हमसे ज्यादा बेसब्र तो तू है...निकल आएगा चाँद| क्यों परेशान हो रहा है?

मैं: परेशान नहीं हूँ...उम्मीद लगाये बैठा हूँ की चाँद जल्दी निकल आये|

माँ और भौजी तो छत पे पड़ी कुर्सी पे बैठ गए और नेहा और आयसुह छत पे खलने लगे और मैं टंकी पे चढ़ गया और चाँद देखने लग|

भौजी: माँ देखो ना...कहाँ चढ़ गए हैं?

माँ: मानु...नीचे आज बेटा...चोट लग जाएगी|

मैं: आ रहा हूँ माँ|

मैंने एक बार और आसमान में चाँद को ढूंढा तो आखिर में वो नजर आ ही गया| मैंने जोर से चिलाया, "चाँद निकल आया"|
(और प्रेम भाई इससे पहले की आप कोई गाना लिखें मैं ही गाने के बोल लिख देता हूँ;
dekho chaand aaya, chaand nazar aaya
aaya aaya aaya chaand aaya sharmaaya
haanji aaya aaya aaya sharmaaya
tu bhi aaja saawariya
aaya aaya aaya dekho chaand nazar woh aaya
dekho chaand nazar dekho dekho ji chaand nazar woh aaya
sharmaaya aaya aaya aaya chaand aaya sharmaaya )

चूँकि पिताजी नहीं थे तो माँ और भौजी को ऐसे ही पूजा करनी थी| अब बात ये थे की भौजी चाहती थीं की उनकी पूजा मेरे साथ हो और ये माँ के सामने होना नामुमकिन था| इसलिए भौजी चुप-चाप थाली ले के खड़ी थी और माँ ने पूजा शुरू कर दी थी| मैंने नेहा को अपने पास बुलाया और उसके कान में फुसफुसाया....

मैंने नेहा को अपने पास बुलाया और उसके कान में फुसफुसाया;

मैं: बेटा मेरा एक काम करोगे?

नेहा: बोलो पापा

मैं: बेटा आप दादी को किसी बहाने से नीचे ले जाओगे?

नेहा: ठीक है!

वो माँ के पास जा रही थी और मैंने फोन निकला और जूठ में ऐसा दिखाया जैसे मैं फोन पे किसी से बात कर रहा हूँ|

नेहा: दादी...मेरा प्रोग्राम टी.वी. पे शुरू हो गया है...चलो ना ....

माँ: बेटा आपकी मम्मी पूजा कर लें फिर हम सब चलते हैं| और बहु तू खड़ी क्यों है...चल पूजा कर जल्दी|

पर नेहा ने जिद्द पकड़ ली,

माँ: मानु...बेटा ले जा इसे नीचे टी.वी. दिखा दे?

मैं: माँ...वो कल लेबर आने से मना कर रही है ...अगर कल नहीं आई तो काम ठप्प हो जायेगा...प्लीज बात करने दो...

माँ: अच्छा बाबा...चल...मैं तुझे पहले टी.वी ही दिखा दूँ|

माँ चली गईं और भौजी के चेहरे पे वही रौनक...वही ख़ुशी लौट आई| मैं हाथ बांधे खड़ा हो गया और भौजी ने पूजा शुरू की| पूजा के बाद उन्होंने मेरे पाँव छुए और मैंने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें अपने गले लग लिया| भौजी की आँखों से आँसूं छलक आये और मेरी कमीज भिगोने लगे|

मैं: Hey ...मैं हूँ ना यहाँ? फिर क्यों आँखें भर आईं आपकी?

भौजी: कुछ नहीं...बस ऐसे ही आज मेरी बरसों की एक मुराद पूरी हो गई|

मैं: अच्छा चलो ...अब आपका व्रत खोलें...चलो मेरे हाथ से पानी पीओ|

मैंने उन्हें पानी पिला के उनका व्रत खोला और उन्होंने भी मुझे पानी पिलाया और मेरा व्रत भी खुलवाया|

मैं: अब आँखें बंद करो!

भौजी: क्यों? (और उन्होंने आँखें और बड़ी कर लीं|)

मैं: अरे यार...मैंने आँखें बंद करने को कहा...बड़ी करने को नहीं|

भौजी ने आँखें बंद की और मैं उनके पीछे जाके खड़ा हो गया| मैंने जेब से सोने का मंगलसूत्र निकाला और पीछे से उन्हें पहना दिया| भौजी ने तुरंत आँखें खोली और मंगलसूत्र देखते ही उनकी आँखें बड़ी हो गईं|

भौजी: ये...आप....

मैं: Hey ... उस बार मेरे पास पैसे नहीं थे ...तो चांदी का मंगलसूत्र लाया था...अब तो पैसे कमा रहा हूँ तो ...सोने का!

भौजी: I Love You!

मैं: I Love You Too!

हम नीचे आ गए और खाना खा के सोने की बारी आ गई| बच्चे मेरे कमरे में मेरे साथ सोना चाहते थे ... चूँकि भैया गाँव गए हुए थे तो माँ ने कहा था की भौजी तीसरे कमरे (जो की गेस्ट रूम था) में सो जाया करें| मैंने बच्चों को ये कहके मना किया की आज वो मेरे और उनकी मम्मी के साथ सोयेंगे| खेर मैंने बच्चों को सुला दिया और उठ के अपने कमरे में आने के लिए दरवाजा खोला और भौजी की तरफ देखते हुए बोला;

मैं: रात बारह बजे ...

आगे मुझे कुछ बोलने की जर्रूरत नहीं पड़ी, भौजी समझ चुकीं थीं|

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Re: एक अनोखा बंधन

Post by jay »

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अब आगे ....

मैं अपने कमरे में आ गया और दरवाजा लॉक नहीं किया और पलंग बैठ के अपना टेबलेट ओन कर के उसमें कुछ गाने सेट करने लगा| घडी ने बारह बजाये और भौजी ने दरवाजा खोला, जैसी ही नजर उन पर पड़ी तो मैं उन्हें टकटकी लगाए देखने लगा| आज उन्होंने सिल्क की नाइटी पहनी थी| नाइटी की रॉब उनके पीछे कमर में बंधी थी| वो मुद के दरवाजा लॉक करने लगीं| मैंने पीछे से उन्हें जकड़ लिया और गोद में उठा लिया और फिर उन्होंने मेरी गोद में आते ही मुझे Kiss कर लिया| मैंने इशारे से उन्हें लाइट बुझाने को कहा| मैं उन्हें गोद में लिए स्विच बोर्ड के पास ले गया और उन्होंने लाइट ऑफ की और रेड कलर का जीरो वॉट का बल्ब जगमगा रहा था| मैंने उन्हें बीएड पे लिटाया और झुक के उनको Kiss करने लगा|उनके जिस्म से आ रही Musk Deo की खुशबु मुझे बहका रही थी|

भौजी: क्या बात है जानू बड़ा प्यार आ रहा है?

मैं: आपकी फरमाइश पूरी करने के दो रास्ते थे, एक की मैं बेमन से सब करूँ, जिसमें ना आपको मजा आता न मुझे! और दूसरा की मैं सब कुछ दिल से करूँ| तो मैंने दूसरा रास्ता चुना!

मैंने टेबलेट पे गाना प्ले कर दिया, वो गाना सिचुएशन पे बिलकुल सही बैठता था| "आज फिर तुम पे प्यार आया है - Hate Story 2!!!"


भौजी: जानू...गाना बिलकुल सूट करता है!

मैं: तभी तो लगाया है...मेरी जान!

मैं भौजी के गले को चुम रहा था और अपना सर वहां से हटाना ही नहीं चाहता था| भौजी ने अपनी बाहों को मेरी गर्दन के पीछे ले जाके लॉक कर दिया था| उनकी दिल की धड़कनें तेज हो चलीं थीं! इधर गाने ने हम दोनों पे एक सुरुर्र सा चढ़ा दिया| मैं भौजी को गर्न को चूमता हुआ वापस उनके चेहरे पे आया और उनके लबों को अपने लबों से मिला दिया| मैंने बिना देरी किये अपनी जुबान उनके मुंह में प्रवसिह करा दी और भौजी ने उसे अपनाते हुए उसे अपने दाँतों से पकड़ लिया और चूसने लगीं| इधर मेरे हाथों ने भौजी के स्तनों के ऊपर चहलकदमी शुरू कर दी थी| मैं उनकी नाइटी के ऊपर से ही उनके स्तनों को सहला रहा था और इधर भौजी ने अपनी जुबान मेरे मुंह में प्रवेश करा दी| मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया| भौजी के बदन ने मचलना शुरू कर दिया ...और एक पल के लिए लगा की शायद मैं इन्हें काबू ना कर पाऊँ| मैंने उनकी जुबान को आजाद किया और अपनी कोहनी का सहारा ले कर उनकी बगल में लेट गया| मैंने उनके चेहरे को अपने हाथ से सहलाया| मेरा हाथ जहाँ भी उनके चेहरे को छूता वो उसी तरफ अपनी गर्दन घुमा देतीं| भौजी ने अपने दायें हाथ की उँगलियाँ मेरे होठों पे रखीं...मैंने उन्हें अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा|

भौजी: आज तो स्स्स्स्स्स्स्स्स ....

मैंने उनके होठों पे ऊँगली रख दी और गाना चेंज कर दिया| "कुछ न कहो - 1942 Love Story"
भौजी मेरी आँखों में बड़े प्यारे भरे तरीक से देखने लगीं, जैसे पूछ रहीं हों की आज आपको हो क्या गया है? जैसे ही उन्होंने अपनी नाइटी का रॉब खोलना चाहा, ठीक उसी समय ये लाइन आई "समय का ये पल.... थम सा गया और सी पल में कोई नहीं है.....बस एक मैं हूँ.....बस एक तुम हो!!" और उन्होंने अपना नाइटी खोलने का प्रयास छोड़ दिया| मैं उन्हें निहारने लगा .....आज बरसों बात बड़े इत्मीनान से मैं उन्हें इस तरह निहारने लगा| कमरे का माहोल रोमांटिक हो चूका था| भौजी भी मुझे बिना पलकें झपकाये देख रहीं थीं| हमें आज कोई जल्दी नहीं थी, अभी तो पूरी रात बाकी थी! मैं: सुलगी-सुलगी सांसें...बहकी-बहकी धड़कन.......और इस पल में कोई नहीं है...बस एक मैं हूँ.....बस एक तुम हो !!!

भौजी मुस्कुरा दीं... मैंने उनके गले को फिर से चूमा! अब मैं उनके ऊपर आ गया| उनका शरीर मेरी टांगों के बीच था| मैंने उनकी कमर के नीचे हाथ ले जाकर उन रॉब खोल दिया| पर मैंने उनकी नाइटी को सामने से अभी तक नहीं खोला था...पर इधर भौजी का मन मचलने लगा था| उन्होंने मेरा टेबलेट उठाया और गण सर्च करने लगीं और फिर ये गाना लगाया; "पिया बसंती रे.....कहे सताय आ जा! जाने क्या जादू किया...."

भौजी: काहे सताए आ जा!

मैं उनका इशारा समझ चूका था और उनकी नाइटी को धीरे खोला और आज देख के हैरान था की उन्होंने आज Red कलर की ब्रा-पेंटी पहनी थी| उसे देखते ही मेरी आँखें बड़ी हो गईं और मैंने झुक के उनके सीने को चूम लिया| फिर मैं वापस उनकी बगल में कोहनी का सहारा ले के बैठ गया

मैं: एक के बाद एक Surprise दे रहे हो? नाइटी...ब्रा-पेंटी वो भी Red कलर की! आज तो आप कत्ल कर के रहोगे!

भौजी: आज के दिन की तैयारी मैंने नजाने कब से कर रखी थी|

मैंने उन्हें फिर से किश किया...और अब तक गाना खत्म हो चूका था| कमरा बिलकुल शांत था| फिर भौजी ने करवट ली और मेरे ऊपर आ के बैठ गईं|

मैं: अपनी पेंटी उतारो!

भौजी: ना ...आप उतारो|

मैंने करवट ली और उन्हें अपने नीचे ले आया;

मैं: हम्म्म्म....Naughty Girl !

फिर मैंने उनकी पेंटी उतारी और उनकी योनि को Kiss किया और वापस अपनी जगह पे पीठ के बल लेट गया|

भौजी: बस?

मैं: नहीं.. I want you to sit on my face with your legs opened!

भौजी मेरा मतलब समझ गईं और जैसा मैंने कहा वैसा ही किया| वो उठ के खड़ी हुईं और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर उकड़ूँ हो के बैठ गईं| उनकी योनि ठीक मेरे होठों के ऊपर थी| मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उनकी योनि की फांकों को खोलती हुई अंदर जा पहुंची| अंदर से उनकी योनि की गर्मी का एहसास मुझे उत्तेजित करने लगा| मैंने जीभ को उनकी योनि के अंदर गोल-गोल घुमाना चुरू कर दिया और इधर भौजी के मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं| "स्स्स्स्स्स...जानू....." फिर मैंने अपनी जीभ बहार निकाली और उनकी योनि की फांकों को बारी-बारी से मुँह में लेके चूसने लगा और उन्हें खींचने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था| भौजी ने एपीआई कमर हिलाना शुरू कर दिया था| मैंने अपनी जीभ वापस उनकी योनि में डाल दी और इस्पे उनके कमर को हिलाने से ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ मेरे लंड का काम कर रही हो और अंदर-बाहर हो रही हो| अब भौजी ने उकड़ूँ हो के बैठना मुश्किल हो रहा था| इसलिए वो खड़ी हुईं और वापस अपने घुटने मोड़ के मेरे मुँह पे अपनी योनि टिका के बैठ गईं| अब मेरी जीभ अपनी लम्बाई जितना उनकी योनि में घुस पा रही थीं और भौजी की हालत खराब होने लगीं| उन्होंने अपना दाहिना हाथ मेरे सर पे रखा और उसे अपनी योनि पे दबाने लगीं और कमर को आगे-पीछे हिलाने लगीं| इधर मैंने अपनी जीभ से लपलपाने शुरू कर दिया...किसी Ant Eater की जीभ की तरह मेरी जीभ अंदर-बाहर हो रही थी और उनकी योनि ये सब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी| अगले दो मिनट में वो चरमोत्कर्ष पे पहुकन गईं और अगले ही पल स्खलित हो गईं| स्खलित होते समय उन्होंने मेरे सर के बालों को अपनी मुट्ठी में भर लिया था| भौजी मेरे मुँह से उठीं और बगल में लेट गईं| उनका योनि रस आज इतना था की एक पल के लिए मैं हैरान था की इतना? अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने इनहीं शांत किया था...और उस दिन भी इतना रस नहीं निकला था जितना आज निकला| मैं तो सारा पी भी नहीं पाया और कुछ अंश मेरे गालों पे भी लग गया| मैंने पास पड़े रुमाल को उठाया और अपना चेहरा साफ़ किया|

जब तक वो सामन्य नहीं हुईं मैंने उन्हें स्पर्श नहीं किया, मैं भी स्थिर लेटा रहा|

भौजी: सो गए क्या?

मैं: यार आज भी अगर मैं सो गया तो..जानता हूँ कल आप मुझसे बात नहीं करोगे|

भौजी: वो तो है ....और बात नहीं बल्कि चाक़ू से नस काट लूँगी|

मैं: Hey ... !!! (मैंने आवाज में थोड़ी कठोरता से कहा|)

भौजी: Sorry बाबा!

अब भौजी उठीं और मेरे लंड पे बैठ गईं| उन्होंने ने तो पेंटी पहनी थी बस नाइटी और ब्रा पहनी थी| इधर मैं अब भी अपनी टी-शर्ट और पजामे पहने था| उन्होंने मेरे लंड पे बैठे-बैठे अपनी नाइटी उतार फेंकी फिर मेरे ऊपर झुकीं पर मेरी टी-शर्ट निकाल फेंकी| फिर स्वयं ही मेरा पजामे का नाड़ा खोला और उसे खींच के निकाल के फेंक दिया और वापस लंड से थोड़ा ऊपर यानी मेरे Belly Button पे बैठ गईं|

भौजी मेरे छाती पे झुकीं और मेरी बिना बालों वाली छाती पे होंठ रखते हुए बोलीं;

भौजी: wow ! आपकी chest बिना बालों के दमक रही है|

मैं: Yeah I Like it this way only.

भौजी ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा;

भौजी: तो इसका (दाढ़ी) भी कुछ करो ना? आप दाढ़ी में अच्छे नहीं लगते! प्लीज कल शेव कर लेना! अब आपका ये ही देख लो (मेरा लंड) बिना बालों के कितना प्यार लग रहा है|

मैं: Awwwww ...यार दाढ़ी इसलिए रखता हूँ ताकि हम एक परफेक्ट couple लगें|

भौजी: वो मैं नहीं जानती...मुझे ये चुभती है..जब भी मैं आपको Kiss करती हूँ| आप कल ही इस सौतन दाढ़ी को काट लेना|

मैं: ठीक है बाबा!

भौजी झुकीं और मेरे लबों को अपने लबों से मिलाते हुए Kiss करने लगीं| फिर खुद ही नीचे की ओर सरकने लगीं और उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथों की गिरफ्त में ले लिया| उन्होंने उसपे अपनी गर्म सांसें छोड़ी और मेरे लंड में अचानक से खून का प्रवाह तेज हो गया| भौजी ने फिर उसे अपने होठों से छुआ.... उनके होठों की नमी ने सुपाड़े को गीला करना शुरू कर दिया था|अगले पल उन्होंने अपनी जीभ की नोक से मेरे सुपाड़े के छेड़ को छुआ और मुझे एक करंट का आभास हुआ| उन्होंने उस छेड़ को अपनी जीभ की नोक से कुरेदना शुरू कर दिया था और मेरी हालत खरब कर दी|

मैं: You’re killing me!

भौजी: ह्म्म्म्म्म ...

उन्होंने अगले ही पल अपना मुंह जितना खुल सकता था उतना खोला और पूरा लंड अंदर लेने की भरसक कोशिश की| परन्तु थोड़ा बाहर फिर भी रह गया| अब उन्हें Deep Throat तो आता नहीं था...ना ही मैं इतना Kinky था! उन्होंने दो-चार बार लंड पे अपनी गर्दन उप्र नीचे की और पूरा लंड अपनी लार से सां दिया| मैं हैरानी से उन्हें देख रहा था की वो आखिर कर क्या रहीं हैं!

भौजी: (मेरी हैरानी समझते हुए) मैंने आपको बताया नहीं....आयुष जब पैदा हुआ था तो मैंने Cesarian surgery कराइ थी...ताकि मेरी योनि में आपको वही कसावट मिले जो पहले मिलती थी| अब चूँकि इतने साल हो गए हैं...और मैंने इन सालों में एक भी बार हस्त-मैथुन नहीं किया| मन तो बहुत किया की खुद को relieve कर लूँ पर मैं चाहती थी की मेरा योनि रस आपके रस के साथ मिल जाए पर उस दिन आप ने मुझे तड़पता हुआ छोड़ दिया था और मेरी इच्छा अधूरी रह गई थी| तो अक़ब मेरी योनि सिकुड़ सी गई है...इसलिए आज इतने सालों बाद फर्स्ट टाइम है...तो इसलिए इसे lubricate कर रही हूँ वरना मैं इसे झेल नहीं पाऊँगी!

मैं: समझ गया|

फिर मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचा और करवट लेके उन्हें अपने नीचे ले आया| भौजी की घबराहट उनके चेहरे से झलक रही थी पर साथ ही साथ उनके अंदर वो प्रेम की आग भी दाहक रही थी|

मैं: यार relax .... मैं आपका rape नहीं करने जा रहा| I'll be very cautious! और आगर आपको लगता है की आप अभी तैयार नहीं हो तो कल करते हैं|

भौजी: (फटेक से बोलीं) बिलकुल नहीं...जो करना है आज ही करो...मुझे आप पर पूरा विश्वास है|

मैं: okay यार ...I'll be gentle!

मैंने अपने सुपाड़े को उनकी योनि के द्वार पे रखा और अपने लंड को पकड़ के ऊपर-नीचे करते हुए उनकी योनि के द्वार को सहलाने लगा| भौजी की योनि से एक लिस-लिसा द्रव्य बाह निकला...और जब मैंने अपने सुपाड़े की ओर देखा तो उन भाईसाहब ने भी वैसा ही द्रव्य बहन चालु कर दिया था| मैंने लंड को उनकी योनि पे सेट किया और धीरे से लंड को अंदर धकेलना शुरू किया| अब ही सुपाड़ा अंदर गया था की भौजी ने अपने दोनों हाथों को मेरी छाती पे रख दिया और मुझे आगे बढ़ने से रोकने लगीं| उनकी योनि अंदर से भट्टी जैसी जल रही थी और गीली थी| परन्तु कसावट इतनी की जैसे मेरे लंड को निगल जाए और उसका सारा रस निचोड़ ले! मैं वैसे बिना लंड को और अंदर डाले उन पर झुक गया और उनकी ब्रा उतार दी| उनके स्तन मेरे सामने थे और मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे| मैंने अपने दायें हाथ से उनके दायें स्तन को दबाया ओर बाएं हाथ से उनके बाएं स्तन को| फिर मैंने उनके दायें स्तन को अपने मुंह में लिया ओर बिना उनके निप्पल को छेड़े चूसने लगा| भौजी के लिए इस दोहरे हमले को झेलपाना मुहकिल हो रहा था ओर उनके माथे पे मुझे शिकन नजर आई| मुझे लगा जैसे उन्हें बहुत दर्द हो रहा हो|

मैं: दर्द हो रहा है?

भौजी: नहीं....आपको पाने का सुख इस दर्द से बहुत बड़ा है...इतना दर्द तो मैं सह ही लूंगी|

मैं उस समय बड़ा confuse था की क्या करूँ? लंड बाहर निकालूँ या और अंदर डालूं...अब चूँकि मैंने RSS पे काफी कहानियां पढ़ीं थीं तो मैंने एक try मारने का सोचा! मैंने लंड उतना ही अंदर रखा और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा| मुझे नहीं पता था की ये तरीका कारगर होगा या नहीं पर उस समय सिवाय try करने के और कोई रास्ता नहीं था| मेरे उतना अंदर-बाहर करने से ही भौजी का जिस्म उन्माद से भर उठा| उन्होंने एक दम से मुझे अपनी छाती से जकड़ लिया ओर मेरी नंगी पीठ पे हाथ फिराते हुए बोलीं;

भौजी: Please थोड़ा ओर अंदर Push करो!

मैं: पक्का?

भौजी: स्स्स्स्स हाँ!

मैंने धीरे-धीरे लंड को ओर अंदर धकेला और अबकी बार लंड आधे से ज्यादा अंदर पहुँच गया| भौजी का जिस्म कमान की तरह अकड़ गया और इसे देख मैं उसी पोजीशन में रूक गया| अगले दो मिनट में उनका शरीर ढीला पड़ा और वो वापस सामन्य नजर आईं| पर ये क्या उनकी योनि ने रस की धार छोड़ दी.... मैं बिलकुल स्थिर अपने घुटने मोड़ के बैठा था और भौजी स्थिर पड़ीं थी| आज मुझे खुद पे फक्र होने लगा था क्योंकि आज मैं अपने पूरे कंट्रोल में था और भौजी दो बार स्खलित हो चुकीं थीं| मेरा Stop - Start का आईडिया काम करने लगा था| जब भौजी थोड़ा शांत हुईं और उनकी सांसें सामान्य हुईं तब मैंने लंड को बाहर निकला| भौजी थकी हुईं लग रहीं थी और मुझे उन पर तरस आने लगा था| मैं उठ के उनकी बगल में लेट गया| कमरे में अब उनके योनि रस की महक गूंज रही थी...

भौजी: ये क्या.... आप हट क्यों गए? आज मैं बिना आपको relieve हुए जाने नहीं दूँगी|

और भौजी उचक के मेरे लंड पे बैठ गईं... लंड उनकी योनि के भीतर नहीं था पर ऊनि योनि से पड़ रहे दबाव के कारन उसमें नई ऊर्जा आने लगी थी|

मैं: जान... I’m gonna give you the best fuck of your lifetime. I’m just giving you some time so you can recharge! Or you;ll be exhausted by the time I’m done with you!

भौजी: I don’t care about my exhaustion… Jaanu…I just want you inside me!

और इतना कहते हुए भौजी उठीं और मेरे लंड को पकड़ के अपनी योनि में फिर से संजो लिया| जैसे ही वो उसपे बैठीं, लंड सर-सराता हुआ अंदर घुस गया और भौजी के गर्भाशय से जा टकराया| भौजी उन्माद से भर उठीं और चिहुंक उठीं; "आअह!"

मैं: See I told you to be careful !

भौजी: Its okay जी!

भौजी ने बहुत धीरे-धीरे लंड के ऊपर बैठ के सवारी शुरू की| जैसे ही वो ऊपर उठतीं मैं अपनी कमर नीचे खींच लेता और जैसे ही वो नीचे आने लगतीं मैं कमर ऊपर उठा देता जिससे मेरा समूचा लंड उनकी योनि में घुस जाता| मुझे सबसे ज्यादा मजा आता जब मेरे सुपाड़े का छेड़ उनके गर्भाशय से टकराता| भौजी की स्पीड बहुत कम थी और अब उत्तेजना मुझ पे हावी होने लगी थी| मैंने फिर से करवट बदली और उन्हें अपने नीचे ले आया और तेजी से लंड पिस्टन की तरह अंदर-बाहर करने लगा| भौजी की सीत्कारें निकलने लगीं थी... :स्स्स्स्स्स्स...अह्ह्ह्ह...म्म्म्म....जानुुुुुु प्लीज....." मुझे लग की मैं अभी झड़ जाऊँगा तो मैंने एक दम से ब्रेक लगा दी और उनके ऊपर झुक के उनके स्तनों को चूसने लगा| भौजी ने अपने हाथों को मेरे सर पे रखा और उँगलियाँ मेरे बालों में फिराने लगीं|

भौजी: स्स्स्स....आप....रूक क्यों ....गए?

मैं: just want to extend this pleasure we're having!

भौजी ने नीचे से अपनी कमर उचकाना शुरू कर दिया था...मतलब वो चाहती थीं की मैं फिर से शुरू हो जाऊँ| पर मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था| मैं उनके कान में खुसफसाया;

मैं: Hold me tight !

भौजी ने अपनी बाहों को मेरे गर्दन के इर्द-गिर्द कस लिया और अपनी टांगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लॉक कर लिया| मैंने उन्हें उसी अवस्था में बिस्तर से उठाया और ले जाके कमरे के दरवाजे से उनकी पीठ सटा दी| अब मैंने नीचे से तीजी से धक्के लगाने शुरू किये.... भौजी के मुंह से अब करहाने की आवाज आ रही थी.... और मेरा खुद पे कंट्रोल छूटने लगा था| मेरे हर धक्के पे वो "आह!" कहते हुए करहा उठती, और मैं तो जैसे लघभग चरमोत्कर्ष पे पहुँच ही गया था की तभी भौजी बोलीं;

भौजी: I'm cummming ! आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स

उनकी हालत मुझे खस्ता लग रही थी और उस एक पल के लिए मेरी साड़ी उत्तेजना काफूर हो गई| खुद पे क्रोध आने लगा की मैं उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताब कर रहा हूँ...मई उनहीं पुनः बेड पे लेटा दिया और उनपर से हटने लगा की तभी उन्होंने अपने हाथों की गिरफ्त से मुझे आजाद नहीं किया बल्कि अपने ऊपर खींच लिया|

भौजी: (साँसों को नियंत्रित करते हुए बोलीं) कहाँ जा रहे हो आप?

मैं: Yaar lok at you…you’re completely exhausted!

भौजी: But you’re not! And I’m letting you slip away this time!

मैं: यार आप तीन बार स्खलित हो चुके हो...आप एक बार और बर्दाश्त नहीं कर पाओगे| Faint हो जाओगे! (मैंने अपनी चिंता जाहिर की)

भौजी: I don't care ...finish what you started!

मैं: प्लीज...don't make me do this!

भौजी: I Beg of you! I want you inside me!

उनकी आँखें भर आईं थीं और इससे पहले की वो छलकती मैंने उन्हें जोरदार तरीके से Kiss किया| जवाब उन्होंने भी दिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में खुली छोड़ दी| मैं उनकी जीभ को चूसने लगा और इधर भौजी में ताकत नहीं बची थी...झटके बर्दाश्त करने की पर पता नहीं कैसे उन्होंने फिर से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया| मैं उनका इशारा समझ गया और मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया| मैंने धक्कों की स्पीड जान-बुझ के कम राखी की वो तक न जाएंिन पर ये कमबख्त लंड उतनी स्पीड से खुश नहीं था....

भौजी: लगता है सारी रात...स्स्स्स्स्स्स.....यूँ ही आपके नीचे कटेगी.......मेरी...आह!

मुझे मजबूरन धक्कों की तीव्रता बढ़ानी पड़ी| अब तो मेरे धक्कों के साथ भौजी बदन पूरी तरह हिलने लगा था ...मुझे इतना जोश चढ़ गया की मैं नीचे से धक्के लगा रहा था और ऊपर से उनके बदन को जगह-जगह से काटने लगा था| मैंने उनके निप्पलों पे अपने दांत गड़ा दिए थे भौज के स्तन तो जगह-जगह से लाल हो चुके थे| उनकी गोरी-गोरी गर्दन चमक रही थी तो मैंने वहाँ भी अपने ड्रैकुला जैसे दाँत गड़ा दिए| भौजी मेरे हर बार दाँत गड़ाने से करहा उठती| अब उन्होंने मेरी पथ को अपनी बाहों में जकड लिया और इधर मेरे धक्कों की रफ़्तार फुल स्पीड पे थी| दोनों के बदन पे पसीना आने लगा था...भौजी ने मेरी पीठ पे अपने नाखून गड़ा दिए और मुझसे चिपक गईं और द्देर डरा गाढ़ा रस छोड़ दिया| अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हुआ और मेरा गाढ़ा-गाढ़ा लावे जैसा रस जो की सात सालों से safe deposit में लॉक पड़ा था वो सूत समेत बाहर आया और उनकी योनि में भरने लगा| इधर जैसे ही भौजी को उनकी योनि में गाढ़ा-गाढ़ा रस गिरता हुआ प्रतीत हुआ उन्होंने अपने दांतों से मेरे कंधे पे काटा| इतनी तेज काटा की मैं चिल्ला ही पड़ा "आअह!"

अगले दस मिनट तक हम एक दूसरे से लिपटे रहे| लंड अब भी उनकी योनि पे पड़ा हुआ था और भौजी की हालत मुझे बहुत खस्ता लग रही थी| साइड टेबल पे पड़ी घडी में समय देखा तो सुबह के तीन बजे थे| भौजी बेसुध थीं और मैं डरा हुआ था| पूरे कमरे में हमारे दोनों के रस की महक भर चुकी थी| इधर भौजी को बेसुध देख मैं बहुत घबरा गया| मैंने जल्दी से उनहीं कपडे पहनाये, और गोद में उठा के उनके कमरे तक बिना आवाज किये ले गया और उन्हें बेड पे लेटा दिया| फिर उन्हें एक चादर ओढ़ा दी| मैंने एक बार उनकी छाती पे सर रख के उनके दिल की धड़कन सुनी और तसल्ली की अभी उन में प्राण बचे हैं| फिर उनके गालों और माथे को चूम और वापस अपने कमरे में आ गया| कमरे की जब लाइट जलाई तो मुँह खुला का खुला रह गया| दरवाजे के पास जमीन गीली थी| चादर पे जगह-जगह हम दोनों के रस की बूँदें गिर पड़ी थीं और बिलकुल सेंटर में खून ने चादर को गिला कर रखा था| मैंने जल्दी से चादर उतारी और उसे बाथरूम में कोने में छुपा दिया| नई चादर बिछाई ....और अब तो थकावट मुझ पे असर दिखाने लगी थी| मैं लेटते ही सो गया!

मैं अपने मोबाइल में छः बजे का अलार्म हमेशा लगाए रखता हूँ| अगले दिन उसी अलार्म ने मुझे उठाया और मन तो किया की फोन उठा के बाहर फेंक दूँ, इतनी नींद आ रही थी| पर माँ को देखते ही होश आ गया;

माँ: ये ले बेटा चाय!

मैं: आप....वो (भौजी) नहीं उठीं क्या?

माँ: नहीं बेटा...पता नहीं आज क्यों नहीं उठी| रात में कब सोये थे तुम लोग?

मैं: माँ....आ....नौ बजे मैंने बच्चों को सुला दिया था...और फिर मैं यहाँ आके सो गया| वो भी तभी सो गई होंगी...रात में टी.वी. चलने की आवाज तो नहीं आई?

माँ: पता नहीं बेटा...कल तो मैं बहुत तक गई थी...मेरी आँख तो सीधा सुबह खुली|

मैं: मैं बच्चों को उठा दूँ...वरना लेट हो जायेंगे|

मैंने बच्चों कको एक-एक कर उठाया और उन्हें तैयार किया, पहलीबार उनका टिफ़िन मैंने बनाया और वो भी सैंडविच|

मैं: नेहा बेटा ये आप रखो...

नेहा: पापा ये तो पचास रूपय हैं? इसका क्या करूँ?

मैं: बेटा अगर आपको या आयसुह को भूख लगे तो इसका कुछ खा लेना|

आयुष: नहीं पापा...(उसने नेहा से पैसे ले के मुझे दे दिए) आप रख लो ...हमारा पेट भर जायेगा सैंडविच से|

मैं: नहीं बेटा रख लो...कभी जर्रूरत पड़े तो| (मैंने पैसे वापस नेहा को पकड़ा दिए)

कोई और बच्चा होता तो झट से पैसे रख लेटा पर उस पल मुझे दोनों पे फक्र हो रहा था की भौजी ने उन्हें बहुत अच्छी शिक्षा दी है| मैंने दोनों के माथों को चूमा और दोनों को वैन में बैठा आया|

वापस आके देखा तो माँ नाश्ता बना रही थीं, मैंने चाय गर्म की और भौजी के कमरे में चला गया| भौजी वैसे ही लेटी थीं जैसे मैंने उन्हें रात में लिटाया था| मैंने सबसे पहले उनकी धड़कन सुनी ...तब डर कुछ कम हुआ| फिर उनके माथे पे हाथ फिराया तब एहसास हुआ की उन्हें बुखार है| ज्यादै तेज नहीं था...Mild Fever ही था! मैं एक दम से घबरा गया और चाय साइड टेबल पे राखी और उन्हें पुकारने लगा..."जान...जान.... उठो...प्लीज..." पर को असर नहीं| अब मैं और भी घबरा गया और सोच की एक बार और पुकारता हूँ;

मैं: जान....प्लीज उठो...

भौजी: हम्म्म्म ...

इस आवाज के साथ उनकी पलकों में हरकत हुई और मेरी जान में जान आई! उन्हेोने अंगड़ाई ली और उठीं...पर शायद उनको थकावट लग रही थी...वैसे भी कल उन्होंने व्रत रखा था और रात को....मैंने उन्हें सहारा दे के बिठाया|

भौजी: Good Morning जानू!

मैं: Good Morning जान! आपने तो जान ही निकाल दी थी मेरी!

भौजी: क्यों?

मैं: सुबह से चार बार आपकी दिल की धड़कनें चेक कर चूका हूँ| (जो बिलकुल सच था|)

भौजी: मतलब मैं जिन्दा हूँ की नहीं! ही..ही..ही... इतनी जल्दी आपको छोड़ के नहीं जाने वाली| आपने बर्फी मूवी देखि है ना? बिलकुल उसी की तरह मारूंगी मैं...आपके साथ!

मैं: सुबह-सुबह मरने-मारने की बातें! हे भगवान इन्हें सत बुद्धि दो!

भौजी उठ के बाथरूम जाने लगीं तो मैंने देखा की वो लंगड़ा रही हैं|

मैं: जान...क्या हुआ? लंगड़ा क्यों रहे हो? रात को अच्छा खासा तो लेटा के गया था!

भौजी के सेकंड के लिए रुकीं और फिर कुछ सोचने लगीं और फिर मुझे देख मुस्कुराईं और बाथरूम चलीं गईं| जब वहां से निकली तो उन्होंने साडी पहन रखी थी, और अब भी मुस्कुरा रहीं थीं और उन्होंने बात बदलने की कोशिश की;

भौजी: अरे बच्चे कहाँ हैं ..(फिर नजर घडी पे डाली और चौंकते हुए बोलीं) हे राम सात बज गए...बच्चे?

मैं: उन्हें मैं तैयार कर के छोड़ आया| टिफ़िन भी मैंने बना के दिया|

भौजी: आपने? अंडा बनाया क्या? (और उन्होंने एपीआई जीभ होठों पे फेरी)

मैं: हे भगवान...सुबह उठते ही अंडा चाहिए आपको? ही...ही...ही...

इतने में माँ अंदर आ गईं| भौजी बड़ी मुश्किल से झुकीं और उनके पाँव छुए|

माँ: जीती रह बहु| तुझे...तुझे तो बुखार है....

भौजी: नहीं माँ...बस हलकी सी हरारत है|

मैं: आप लेटो यहाँ (मैंने उनका हाथ थामा और उन्हें लिटा दिया|)

माँ: तू आराम कर बहु|

भौजी: पर मेरे होते हुए आप काम करो ये मुझे अच्छा नहीं लगता|

मैं: ठीक है ...मैं आज का काम संभाल लूँगा|

भौजी: नहीं...आप भी थके हो|

अमिन: कम से कम मुझे बुखार तो नहीं|

माँ: तू रहने दे.... उस दिन तूने और बच्चों ने रसोई की हालत खराब कर दी थी| और बहु तू आराम कर...बस हम तीन ही तो हैं..थोड़ा आराम कर ले कल से तू काम संभाल लिओ|

मैंने भौजी को चाय दी और साथ में Crocin दी| माँ कह गईं की वो पड़ोस में जा रही हैं, और हम दोनों का नाश्ता बनाके रख दिया है उन्होंने| माँ के जाते ही मैंने अपना सवाल दागा;

मैं: अब बताओ की आप लंगड़ा क्यों रहे थे? कहीं चोट लगी है?

भौजी मुस्कुरा दीं!

मैं: बताओ ना?

भौजी: वो...वो..ना.....

मैं: क्या वो-वो लगा रखा है| (इतने में साइट से फोन अ गया| मैंने फोन उठा के इतना कहा की मैं बाद में करता हूँ|)

भौजी: पहले आप फोन निपटाओ!

मैं: वो जर्रुरी नहीं है...आप ज्यादा जर्रुरी हो|

भौजी: अच्छा बाबा...."वो" (उनकी योनि) सूज गई है!

मैं: Oh Shit !

मैं तुरंत रसोई की तरफ भाग और पानी गर्म करने रख दिया| फिर माँ के कमरे से first aid बॉक्स निकला और उसमें से रुई का बड़ा सा टुकड़ा निकला और अब तक पानी भी गर्म हो चूका था| मैं पतीले को पकड़ के उनके पलंग तक ले आया|

भौजी: ये क्या?

मैं: आपको सेंक देने के लिए|

भौजी: क्या? नहीं रहने दो ...ठीक हो जायेगा|

मैं: यार...प्लीज जिद्द मत करो..आप बस लेट जाओ|

मैंने दरवाजा तो पहले से ही लॉक कर रख था| मैंने भौजी की साडी उठा के उनके पेट पे रख दी और दोनों हाथों से उनकी टांगें चौड़ी कीं| फिर मैंने चेक किया की पानी ज्यादा गर्म तो नहीं| फिर रुई का टुकड़ा पानी में भिगो के उसे उनकी योनि पे रखा| टुकड़े के उनकी योनि को छूते ही उनके मुख से सीत्कार निकली और उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली| मैंने देखा उनकी योनि लाल हो गई थी और काफी सूज गई थी| मैं उनकी योनि को सेंक रहा था और मेरी आँखें भर आईं थीं... आज पहली बार मैंने उनको ऐसा दर्द दिया था...शयद कल रात मैं अपना आपा खो चूका था...बड़ा फक्र कर रहा था की मैं अपने ऊपर कंट्रोल कर सकता हूँ...यही कंट्रोल है तेरा? इस तर हसे खुद को अंदर ही अंदर झिड़क रहा था| जब मेरी आँख से आंसूं का कतरा उनकी जांघ पे गिरा तब उन्होंने अपनी आँख खोल के मुझे देखा|

भौजी: जानू....? क्या हुआ?

मैं: I'm so sorry !!! कल रात मैंने अपना आपा खो दिया और ये सब मेरी वजह से हुआ! मैं आपके साथ ये नहीं करना चाहता था|

भौजी: मैं जानती हूँ...मैंने आपको उकसाया था! और ये कोई नासूर नहीं जो ठीक नहीं होगा| बस सूजन है..चली जायेगी| आप खाम्खा इतना परेशान हो जाते हो| (उन्होंने मेरे आँसूं अपने आँचल से पोछे)

मैं: मुझे बहुत बुरा लग रहा है| मैंने ऐसा ......

भौजी: Hey .... I actually kindaa enjoyed this ! इसीलिए तो मैं मुस्कुरा रही थी|

मैं: Enjoyed ? What’s there to enjoy? आप बातें बना रहे हो ताकि मुझे बुरा ना लगे!

भौजी: नहीं बाबा...आपकी कसम... It was like a fantasy for me…. जो यहाँ आने के बाद develop हुई थी...उस दीं जब आप मुझे छोड़ गए थे| मैं चाहती थी की आप मुझे इतना प्यार करो..इतना प्यार करो की मेरी यही हालत हो जो आज हुई है!

मैं: What ? You’re getting Kinky day by day!

भौजी हँस दीं! अब तक पानी ठंडा हो चूका था और मेरा फोन भी दुबारा बज उठा| मैंने उनके कपडे ठीक किये और फोन पे बात करने लगा| फोन दिषु का था...

मैं: बोल भाई!

दिषु: यार गाडी चाहिए थी| तुझे कोई काम तो नहीं?

मैं: यार गाडी तेरी है...जब चाहे ले जा|

दिषु: यार actually वो मुझे गुर्गाओं निकलना है और वापसी रात तक है तो इस लिए गाडी चाहिए|

मैं: यार...ले जा चाभी| मैं आज वैसे भी घर पे ही हूँ| (मैंने भौजी की तरफ देखते हुए कहा|)

दिषु: ठीक है मैं आ रहा हूँ|

भौजी: क्या मतलब घर पर ही हूँ? साइट पे नहीं जाना?

मैं: ना...आज तो मैं आपकी देखभाल करूँगा|

इतने में लेबर का फोन बज उठा|

मैं: हाँ बोलो भाई क्या दिक्कत है?

लेबर: साहब माल नहीं आया साइट पे? और आप कब आएंगे?

मैं: संतोष कहाँ है?

इतने में संतोष लाइन पर आ गया|

मैं: संतोष भाई...आज प्लीज काम संभाल ले..मैं आज नहीं आ पाउँगा|

संतोष: साहब कोई emergency है?

मैं: नहीं यार...आज किसी के तबियत खराब है...

संतोष: किस की साहब? माँ जी ठीक तो हैं?

मैं: हाँ-हाँ वो ठीक हैं...बस है कोई ख़ास! और वैसे गाडी भी नहीं है ना...अब यहाँ से गुडगाँव आऊँगा, एक घंटा उसमें खपेगा और फिर रात को रूक भी नहीं सकता| तो आज-आज संभाल ले कल से मैं आ जाऊँगा|

संतोष: ठीक है साहब, आप जरा रोड़ी और बदरपुर के लिए बोल दो और मैं कल आपको सारा हिसाब दे दूँगा|

मैं: ठीक है..अभी करता हूँ|

मैंने माल के लिए फोन कर दिया और फिर भौजी की ओर देखा तो जैसे वो कुछ कहना चाहती हों|
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Re: एक अनोखा बंधन

Post by jay »

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अब आगे ....

मैंने स्वयं ही उन से पूछा;

मैं: कहो क्या कहना है?

भौजी: आप गाडी ले लो| FD बाद में करा लेंगे|

मैं: Hey .... मेरा निर्णय फाइनल है| इसके बारे में मैं कुछ नहीं सुन्ना चाहता|

भौजी: पर गाडी भी तो जर्रुरी है| आपका काम आसान हो जाएगा?

मैं: No and END OF DISCUSSION !

मैंने बात वहीं के वहीँ निपटा दी| हाँ मैं कई बार rude हो जाता था...पर वो बहुत जर्रुरी होता था| गाडी से ज्यादा future secure करना जर्रुरी था|

मैं: मैं नाश्ता ले के आता हूँ|

भौजी: (रुठते हुए) मुझे नहीं खाना!

मैं: Awwwww मेरा बच्चा नाराज हो गया! Awwwww (मैंने उनहीं छोटे बच्चे की तरह दुलार किया|)

भौजी: आप मेरी बात कभी नहीं मानते!

मैंने आँखें बड़ी करके उन्हें हैरानी जाहिर की;

भौजी: हाँ-हाँ कल रात आपने मेरी बात मानी थी|

मैंने फिर से वैसे ही आँखें बड़ी कर के हैरानी जताई|

भौजी: हाँ-हाँ ....आपने सात साल पहले वाली भी बात मानी थी|

मैंने तीसरी बार वैसे ही मुंह बनाया...

भौजी: ठीक है बाबा...आप मेरी सब बात मानते हो| बस! अब नाश्ता ले आओ...और मेरे साथ बैठ के खाना|

मैं नाश्ता लेने गया और तभी दिषु भी आ गया और चाभी लेके निकल गया| मैंने नाश्ते के लिए कहा तो वो वापस आया, परांठा हाथ में ले के निकल गया| मैंने परांठे लिए और उनके साथ बैठ के खाया| इतने में माँ आ गईं| जब मैं नाश्ता लेने गया था तभी मैंने दरवाजा अनलॉक कर दिया था|

माँ: बहु...अब कैसा लग रहा है? मानु तूने दवाई दी बहु को?

मैं: जी चाय के साथ दी थी|

भौजी: माँ ...अब बेहतर लग रहा है| आप बैठो मैं खाना बनाना शुरू करती हूँ|

मैं: अभी आपका बुखार उतरा नहीं है...आराम करो| खाना मैं बाहर से माँगा लेता हूँ|

माँ: ठीक है...पर अटर-पटर मत माँगा लिओ खाना| कहीं पेट भी ख़राब कर दे! और बहु तू आराम कर...

भौजी: माँ मैं अकेली यहाँ बोर हो जाऊँगी|

मैं: तो tablet पे मूवी देखें?

माँ: जो करना है करो...मैं चली CID देखने|

भौजी: माँ मैं भी आपके पास ही बैठ जाती हूँ|

मैंने मुंह बनाके उन्हें दिखाया, क्योंकि मैं सोच रहा था हम साथ बेड पे बैठ के मूवी देखते|

माँ: ठीक है बेटा...तू सोफे पे लेट जा और मैं कुर्सी पे बैठ जाती हूँ|

मैं: ठीक है...आप सास-बहु का तो हो गया प्रोग्राम सेट! मैं चला अपने कमरे में!

माँ: क्यों आज काम पे नहीं जाना?

मैं: नहीं...संतोष आज संभाल लेगा...कल से चला जाऊँगा|

माँ: जैसी तेरी मर्जी|

मैं अपने कमरे में आ गया और कुछ बिल्स वगेरह लेके एकाउंट्स लिखने लगा| कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी तो मैं पानी लेने उठा तो बैठक का नजारा देख के चौखट पे खड़ा होक दोनों को देखने लगा| भौजी ने माँ की गोद में सर रख रखा था और माँ उनका सर थपथपा रहीं थीं| मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास आया, जैसे ही माँ की नजर मुझ पे पड़ी तो उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया| मैं चुप-चाप वहां से उले पाँव अपने कमरे में आगया| भौजी को माँ की गोद रखा देख मुझे बहुत प्यार आ रहा था| एक ख़ुशी सी महसूस हो रही थी की कैसे भौजी इस घर में अपनी जगह बना रही थीं| उन्होंने माँ के दिल में जगह पा ली थी और पिताजी...खेर उनके दिल में भौजी के लिए बेटी जैसा प्यार था| वो रोज नेहा और आयुष के लिए चॉकलेट्स वगेरह लाया करते थे| बच्चे उनसे घुल-मिल गए थे! भौजी के दिल में पिताजी से वही प्यार और इज्जत थी जो मेरे दिल में थी! क्या भौजी इस परिवार का हिस्सा बन सकती थीं? यही सोचते-सोचते मैं सो गया| अब रात की थकावट कुछ तो असर दिखा ही रही थी| दो घंटे बाद मैं चौंक के उठ गया| दरअसल मैंने सपना देखा...और सपने में मैंने ये देखा की मैं भौजी को I-pill देना भूल गया| मैंने घडी देखि तो लंच का समय हो रहा था और बच्चों के आने का भी| मैंने फटाफट कपडे पहने और बाहर आया| देखा तो माँ और भौजी दोनों सोफे पर वैसे ही बैठे थे और अब माँ की भी आँख लग गई थी| मैं दबे पाँव बाहर जाने लगा इतने में हलकी सी आहत से माँ की आँख खुल गईं| उन्होंने इशारे से पूछा की मैं कहाँ जा रहा हूँ और मैंने भी इशारे से कह दिया की मैं खाना लेने जा रहा हूँ| माँ ने आज्ञा दी और मैं चुप-चाप बाहर आ गया| घर से दूर आके मैंने ऑटो किया और दूसरी कॉलोनी की तरफ चला गया| वहां पहुँच के मैंने Medicine की दूकान से I-pill खरीदी, अब ये काम अपनी कॉलोनी की Medicine की दूकान से नहीं ले सकता था, क्योंकि वहाँ सब मुझे जानते थे| तो ये मेरा कदम बहुत ही सोचा-समझा था! मैंने खाना पैक कराया और अब तो बच्चों की वैन भी आने वाली थी| मैं खाना लेके उनके स्टैंड पर खड़ा हो गया| अगले दड़ो मिनट में बच्चे भी आ गए और मैं उनको लेके घर पहुँच गया| भौजी अब भी सो रही थीं और माँ CID देख रही थी|

जब उन्होंने देखा की मैं आ गया हूँ और बच्चे भी आ गए हैं तो उन्होंने प्यार से भौजी को पुकारा;

माँ: बहु......बेटा...... उठो खाना खा लो|

भौजी ने आँख खोली और देखा की बच्चे और मैं सब चुप-चाप दोनों सास-बहु को इस तरह बैठे हुए देख रहे हैं| भौजी ने आँखों ही आँखों में मुझसे पूछा; "की क्या देख रहे हो?" और मैं उनकी बात का जवाब मुस्कुरा के देने लगा|

खाना मैंने किचन काउंटर पे रखा और बच्चों को अंदर ले गया| कपडे चेंज कर के मैं और बच्चे तीनों बहार आ गए| हमने खाना खाया और फिर नेहा ने मुझे चालीस रूपए वापस दिए;

मैं: बेटा ....ये आप मुझे क्यों दे रहे हो? मैंने कहा था न की ये आप रखो|

नेहा ने हाँ में सर हिलाया| फिर मैंने पूछा;

मैं: तो बेटा क्या खाया लंच में?

आयुष: सैंडविच और चिप्स

भौजी: मैने मना किया था ना तुम दोनों को!

मैं: Relax यार...मैंने ही पैसे दिए थे क्योंकि मैंने सैंडविच बांया था...अब एक सैंडविच से से क्या होता है? इसलिए मैंने कहा था की कुछ खा लेना|

माँ: बहु...कोई बात नहीं,...बच्चे हैं| चलो बच्चों खाना खाओ|

भौजी शिकायत भरी नजरों से मुझे देख रही थीं| खाना खाने के बाद बच्चे सोना चाहते थे और मेरा भी मन कर रहा था की सो जाऊँ| मैंने बच्चों को लिटाया और भौजी की तबियत पूछने चला गया| भौजी सो चुकी थीं, मैंने उनका हाथ छू के देखा तभी उनकी आँख खुल गईं;

भौजी: क्या हुआ?

मैं: Sorry आपको जगा दिया| मैं बस आपका बुखार चेक कर रहा था| अब नार्मल है! आप आराम करो...शाम को मिलते हैं|

भौजी: मुझे नींद नहीं आएगी ..... आप भी यहीं सो जाओ ना?

मैं: माँ घर पे है! (मैंने उन्हें आगाह किया|)

भौजी: प्लीज !!!

जिस तरह से उन्होंने मुंह बना के कहा...मैं उन्हें मना नहीं कर पाया| मैंने बच्चों को उठाया और अपने साथ भौजी वाले कमरे में ले आया| बच्चों को बीच में लिटा दिया और मैं और भौजी उनके अगल-बगल लेट गए| भौजी ने अपना बायां हाथ आयुष की छाती पे रखा और थप-थपा के सुलाने लॉगिन और नेहा मुझसे लिपट गई| नजाने कब आँख लग गई ...सीधा शाम को छः बजे आँख खुली| भौजी अब भी सो रही थीं और बच्चे भी| मैं चुप-चाप उठा और नेहा की गिरफ्त से खुद को छुड़ाया| मैं बहार अपने कमरे में आया और मुंह धोया फिर सोचा की चाय बना लूँ, देखा तो माँ डाइनिंग टेबल पे बैठी चाय पी रही थी और काफी गंभीर लग रही थी| उन्होंने मुझे अपने पास बिठा के कुछ बातें बातें जो गाँव में घट रही थीं| सुन के मैं थोड़ा हैरान हो गया और सोचने लगा की भौजी को बताऊँ या नहीं! माँ मास्टर वाली जगह बैठी थीं और मैं उनकी दाहिने तरफ बैठा था|

कुछ देर में भौजी जाग गईं और उनका चेहरा दमक रहा था! साफ़ लग रहा था की उनकी तबियत अब ठीक है| हाँ उनकी चाल में थोड़ा फर्क था| वो बड़ा सम्भल के चाल रहीं थीं| भौजी आके माँ की बायीं तरफ बैठ गईं| हमें चाय पीता हुआ देख के वो बोलीं;

भौजी: माँ...मुझे उठा देते मैं चाय बना लेती|

माँ: पहले बता तेरी तबियत कैसी है? (और माँ ने उनके माथे को छू के देखा|) हम्म्म...अब बुखार नहीं है|

मैंने उठ के उन्हें भी चाय ला दी| बच्चे अब भी सो रहे थे... भौजी और माँ बस यूँ ही बातें शुरू हो गईं ,,,,पर माँ ने उन्हें कुछ नहीं बताया| मैं बच्चों को उठाने चला गया और जब वापस आया तो भौजी ने उनका दूध बना दिया था| दोनों ने दूध पिया और मेरे कमरे में पढ़ाई करने बैठ गए| मैं अपने ट्रंक में कुछ खिलोने ढूंढने लगा...मैंने सारे खिलोने निकाल के बच्चों को दे दिए| मैं जब छोटा था तब से खिलोने कलेक्ट करता था...दसवीं तक मैं खिलोने कलेक्ट करता था...और माँ से कहता था की ये खिलोने मैं अपने बच्चों को दूंगा| तो आज वो दिन आ गया था|

मैं: नेहा...आयुष...आपके लिए मेरे पास कुछ है|

नेहा: क्या पापा?

मैं: ये लो...आप दोनों के लिए Piggy Bank (गुल्ल्क)!

आयुष: ये तो बॉक्स है?

नेहा: अरे बुद्धू ...ये गुल्ल्क है..इसमें पैसे जमा करते हैं|

उनमें से एक Piggy Bank Disney Tarzan का collectors item था जो मैंने आयुष को दिया और दूसरा वाला Mickey Mouse वाला था जो मेरे बचपन का था, जब मैं आयुष की उम्र का था|

मैं: बेटा ये लो...पचास रूपए आप (आयुष) और सौ रुपये आप लो (नेहा)|

नेहा: पर किस लिए?

मैं: बेटा ये आपकी पॉकेट मनी है| आप इसे जमा करो...जब पैसे काफी इकठ्ठा हो जायेंगे तब मैं आपका Kotak Mahindra में अकाउंट खुलवा दूँगा|

आयुष: तो मैं भी sign कर के पैसे निकलूंगा? (उसने मुझे और पिताजी को कई बार चेक पे sign करते हुए देखा था|)

मैं: हाँ बेटा... और आपको आपका ATM Card भी मिलेगा|

भौजी: क्यों आदत बिगाड़ रहे हो?

मैं: मैंने भी बचत करना अपने बचपन से सीखा है| ये भ सीखेंगे... मुझे इन पर पूरा भरोसा है..ये पैसे बर्बाद नहीं करेंगे| नहीं करोगे ना बच्चों?

दोनों बच्चे मेरे पास आये और गले लग गए और भौजी को जीभ चिढ़ाने लगे|

भौजी: (हँसते हुए) शैतानों इधर आओ .... कहाँ भाग रहे हो?

और बच्चे कमरे में इधर-उधर भागने लगे| भौजी भागने को हुईं तो मैंने उनकी कलाई थाम ली और उन्हें अपने पास बिठा लिया|

मैं: अब बताओ कैसा महसूस कर रहे हो?

भौजी: ऐसा जैसे प्राण आपके पास रह गए हों और ये खोखला शरीर मेरे पास रह गया|

मैं: ओह! कुछ ज्यादा नहीं हो गया?

भौजी: ना...

उन्होंने अपना दोनों बाहें मेरी गर्दन में दाल दीं और मुंह से आह निकल गई|

भौजी: क्या हुआ?

मैं: कुछ नहीं

पर उन्हें कहाँ चैन पड़ने वाला था, उन्होंने मेरी टी शर्ट गर्दन से हटाई और देखा तो उनके दाँतों के निशान पड़ चुके थे और उतना हिस्सा लाल था....

भौजी: हाय राम..... ये मैंने!!

ये वही निशान था जो उन्होंने कल रात आखरी बार स्खलित होते समय मुझे जोर से काट लिया था| वो एक दम से उठीं और दवाई लेने जाने लगीं तो मैंने उन्हें उठने नहीं दिया|

मैं: ठीक हो जायेगा... आप ये लो...

मैंने I-pill की गोली का पत्ता उनकी ओर बढ़ा दिया| उसे देखते ही वो एकदम से बोल उठीं;

भौजी: I wanna conceieve this baby!

उनकी बात सुन के मेरी हालत ऐसी थी की ना तो सांस आ रहा था ओर ना ही जा रहा था...मैं आँखें फाड़े उन्हें देखने लगा| एक बार तो मन किया की उन्हें जी भर के डाँट लगाउन...पर फिर उनकी तबियत का ख्याल आया और मैंने इत्मीनान से बात करने की सोची| मुझे भरोसा था की मैं उन्हें मना लूँगा....

मैं: तो आपने ये सब पहले से प्लान कर रखा था ना? उस दीं आपने जब मुझे कंडोम use नहीं करने दिया...मतलब आपने सब प्लान कर रखा था ना?

भौजी कुछ नहीं बोलीं बस सर झुका लिया|

मैं: मैं आपसे कुछ पूछ रहा हूँ| Answer me !!! (मैं बड़े आराम से बात कर रहा था|)

भौजी ने हाँ में सर हिलाया| मैंने अपने सर पे हाथ रख लिया और उठ के खड़ा हो गया ....गुस्सा अंदर भर चूका था..बस बाहर आने को मचल रहा था| मैं कमरे में एक कोने से दूसरे कोने तक चलने लगा| Just Imagine the Gabbar and Sambha वाला सीन| गब्बर मैं था और भौजी साम्भा की तरह सर झुकाये बैठी थीं| मैं अंदर ही अंदर खुद को समझा रहा था की गुस्से को शांत कर ले और आराम से बात कर| फिर मैंने चलते-चलते उनसे सवाल पूछा;

मैं: एक पल के लिए मैं आपकी बात मान लेता हूँ! ठीक है आपको ये बच्चा चाहिए...पर आप सब से क्या कहोगे? बड़की अम्मा...माँ...पिताजी...बड़के दादा ...और हाँ चन्दर भैया से क्या कहोगे?

भौजी कुछ नहीं बोलीं|

मैं: चन्दर भैया कहोगे की मैंने इन्हें सात सालों से छुआ तक नहीं....तो? या इस बार भी यही कहोगे की शराब पी कर उन्होंने आपके साथ जबरदस्ती की?

भौजी के पास मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था|वो बस सर झुकाये बैठी थीं....

मैं: बताओ...क्या जवाब दोगे?

मुझे पता था की उनके पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है....तभी उन्होंने रोते हुए अपनी बात सामने रखी;

भौजी: मैं ...नहीं जानती...मैं क्या जवाब दूँगी! मैं बस ये बच्चा चाहती हूँ.... आप मुझे ये गोली लेने को कह रहे हो...पर अंदर ही अंदर ये बात मुझे काट रही है| मैं ये नहीं कर सकती....

मैं: Hey .... (मैं उनके सामने घुटनों पे बैठ गया|) Listen to me .... अभी वो बच्चा आपकी कोख में नहीं आया है...आप उसकी हत्या नहीं कर रहे हो! अभी 24 घंटे भी नहीं हुए...its completely safe! कुछ नहीं होगा...All you've to do is take this pill ...and that's it!

भौजी: मेरा मन नहीं मान रहा इसके लिए| उस दिन भी जब मैंने आपको फोन किया था तो मन नहीं मान रहा था...मैंने अपना मन मार के आपको फोन किया...और आप देख सकते हो की उसका नतीजा क्या हुआ? मेरे एक गलत फैसले ने आपको आपके ही बेटे से दूर कर दिया...आप उसे अपनी गोद में नहीं खिला पाये... उसे वो प्यार नहीं दे पाये जो आप उसे देना चाहते थे...या जो आपने नेहा को उन कुछ दिनों में दिया था| आज वो आपके सामने आता है तो मुझे बड़ी खेज होती है की मैंने आप से वो खुशियां छें ली...वो भी बिना आपसे पूछे| ये बच्चा (उन्होंने अपनी कोख पे हाथ रखा) आपको वो सुख देगा! आप इसे अपनी गोद में खिलाओगे...उसे प्यार करोगे.... उसे वो सारी बातें सिखाओगे जो आप आयुष को सिखाना चाहते थे|

मैं: यार ऐसा नहीं है...मैं उसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ.... जो हुआ वो Past था ...आप क्यों उसके चक्कर में हमारा Present ख़राब करने पे तुले हो!

भौजी: प्लीज...मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ ..मुझे ये पाप करने को मत कहो... मैं अपना मन नहीं मार सकती!

अब बातें क्लियर थीं की की मेरी किसी भी बात का असर उनपर नहीं पड़ने वाला था| मैं उठा और वो I-pill का पत्ता जो मेरे हाथ में था, उसे मैंने हाथ में लेके इस तरह मोड़-तोड़ दिया की मानो सारा गुस्सा उस दवाई के पत्ते पे निकाल दिया| मैंने उसे कूड़ेदान में दे मार और कमरे से बाहर निकला, बस जाते-जाते इतना कहा;

मैं: Fine ....

मैं छत पे पहुँच गया और टंकी के ऊपर बैठ गया और अपना दिमाग शांत करने लगा| करीब एक घंटे बाद भौजी छत पे आ गईं और मुझे इधर-उधर ढूंढने लगीं पर मैं नहीं दिखा...दीखता कैसे...मैं तो ऊपर टंकी पे बैठ था| भौजी ने मुझे आवाज भी लगाईं; "जानू...जानू....आप कहाँ हो?" पर मैंने कोई जवाब नहीं देखा बस उन्हें ऊपर से देख रहा था| फिर मैं चुप-चाप उतरा और उनके पीछे जाके खड़ा हो गया,जैसे ही मेरी सांसें उन्हें महसूस हुईं वो एक दम से पलटीं, मैंने अपने दोनों हाथों से उनहीं थाम लिया और उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा;

मैं: Marry Me !

भौजी: क्या?

मैं: I said Marry Me ! Its the only way ....we both can be happy!

भौजी: No …we can’t.

मैं: Marry Me! You can have this baby .... आपको जूठ बोलने की जर्रूरत नहीं....बच्चे मुझे सब के सामने पापा कह सकेंगे….हम हमेशा एक साथ रहेंगे...इस तरह छुप-छुप के मिलने से आजादी...everything will be fine!

भौजी: नहीं...कुछ भी Fine नहीं होगा.... माँ- पिताजी कभी नहीं मानेंगे... कम से कम अभी हम साथ तो हैं...आपकी इस बात के बाद तो हम दोनों को अलग कर दिया जायेगा| मैं जैसे भी हूँ...भले ही उस इंसान के साथ रह रही हूँ पर अंदर से तो आपसे ही प्यार करती हूँ... मैं उसके साथ रह लुंगी...पर प्लीज...

मैं: (मैंने उनकी बात काट दी) आप उनके साथ तो अब वैसे भी नहीं रह सकते| वो लखनऊ के "नशा मुक्ति केंद्र" में भर्ती हैं|

भौजी: क्या?

मैं: हाँ...कल पिताजी और माँ की बात हुई थी ना...तो माँ ने आज मुझे बताया| यही समय ठीक है... मैं पिताजी के आने पर उनसे बात करता हूँ.... आज आपका और माँ का प्यार देख के ये तो पक्का है की वो इस बात के लिए मान जाएँगी...थोड़ा देर से ही सही!

भौजी: नहीं...प्लीज.... वो नहीं मानेंगे! नशे की आदत छूट जाएगी तो वो बदतमीजी नहीं करेंगे|

मैं: आपको पूरा यकीन है की वो आपको परेशान नहीं करेंगे? उनके अंदर की वासना की आग का क्या? प्लीज.... Let me try once!

भौजी: आगा नहीं माने तो हम फिर से जुदा हो जायेंगे?

मैं: आप मुझसे प्यार करते हो ना? तो मुझ इ भरोसा रखो और दुआ करो की सब ठीक हो जाए| मैं सब से बात कर लूँगा...सब को मना लूँगा.... नहीं तो.... हम भाग जायेंगे|

भौजी: प्लीज ऐसा मत करो...प्लीज..... सब कुछ तबाह हो जाएगा!

मैं: भरोसा रखो....

और मैंने उन्हें गले लगा लिया और भौजी रो पड़ीं|

मैं: बस मेरी जान...बस .... अब रोने का समय नहीं है...बस आज रात पिताजी आ जाएंगे ..और मैं उनसे कल ही सारी बात कर लूँगा|

भौजी फफ्फ्क् के रो रहीं थीं| मैंने उन्हें चुप कराया...और उन्हें नीचे ले आया| रात को भोजन के बाद मैंने उनहीं गर्म पानी का पतीला दिया और कहा की आप बाथरूम में जाके सिकाई कर लो और मैं पिताजी को लेने स्टेशन चला गया| लौटते-लौटते देर हो गई और बच्चे सो गए थे| माँ ने बताया की बच्चे सो नहीं रहे थे और भौजी ने उन्हें बहुत बुरी तरह डाँटा तब जाके वो रोते-रोते सो गए| पिताजी ने भोजन किया और काम के बारे में पूछा और फिर सोने चले गए| मैं कमरे में आया तो ग्यारह बज रहे थे और बच्चे जगे हुए थे पर चुप-चाप सो रहे थे| मुझे कमरे में देखते ही दोनों मुस्कुरा दिए और मुझसे लिपट गए| मैंने दोनों को अगल-बगल लिटाया और मैं बीच में लेट गया| दोनों ने मुझे झप्पी डाली, मेरी बाहों को तकिया बनाया और अपनी टांगें उठा के मेरे पेट पे रख के सो गए| मैं रात भर सोचता रहा की कल कैसे पिताजी से हिम्मत कर के ये सब कहूँगा? क्या वो मेरी बात मानेंगे? ये सब सोचते-सोचते सुबह हो गई.... भौजी जब कमरे में आइन तो मेरी आँखें खुली हुई थीं...कमरे में खिड़की से आ रही रौशनी उजाला कर रही थी और दिवाली आने में बहुत कम समय था|

भौजी: सोये नहीं सारी रात?

मैं: नहीं... जानता हूँ आप भी नहीं सोये| आर आज के बाद ...सब ठीक हो जायेगा!

भौजी: मैं आपसे एक रिक्वेस्ट करने आई हूँ|

मैं: हाँ बोलो ...पर अगर आप चाहते हो की मैं वो बात ना करूँ तो...I'm sorry मैं आपकी ये बात नहीं मानूँगा|

भौजी: नहीं...मैं बस ये कह रही हूँ की आप बात करो...पर अभी नहीं...दिवाली खत्म होने दो...कम से कम एक दिवाली तो आपके साथ मना लूँ...फिर आगे मौका मिले न मिले!

मैं: Hey .... ऐसे क्यों बोल रहे हो....पर ठीक है मैं आज बात नहीं करूंगा पर दिवाली के बाद पक्का?

भौजी: ठीक है!

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Re: एक अनोखा बंधन

Post by jay »

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अब आगे ....

बच्चों को स्कूल छोड़ मैं काम पे निकल गया...और रात को आने में देर हो गई| भौजी ने खाना खा लिया था... और वो मुझ पर बहुत गुस्सा थीं|

भौजी: आपने एक कॉल तक नहीं किया? इतना busy हो गए थे?

मैं: जान फ़ोन की बैटरी discharge हो गई थी...इसलिए नहीं कर पाया ... मैं जानता हूँ की आपने खाना नहीं खाया है...I'm Sorry !

भौजी: नहीं...मैंने खाना खा लिया|

उनका जवाब बड़ा रुखा था और वो अपने कमरे में चली गईं| मैंने माँ से पूछा तो उन्होंने बताया की हाँ भौजी ने सब के साथ बैठ के खाना खाया था|उन्होंने रात को बच्चों को मेरे पास भी सोने नहीं दिया... दिवाली आने तक उनका व्यवहार अचानक मेरे साथ रूखा हो गया था.... बात-बात पे चिढ़ जातीं ....गुस्से में बात करती...फोन नहीं उठातीं....तो कभी-कभी इतने फोन करती की पूछो मत| आखिर दिवाली आ ही गई और आज वो बड़ी चुप थीं| सुबह पिताजी ने मुझे डाइनिंग टेबल पे बिठा के कुछ बात की;

पिताजी: बेटा हमारा प्रोजेक्ट फाइनल हो चूका है ...और ये तो तूने सारा काम संभाल लिया...वरना बहुत नुक्सान होता| ये ले चेक ...जैसा तूने कहा था...इन पैसों की तू नेहा और आयुष के नाम की FD बना दे और तेरे हिस्से का प्रॉफिट मैंने तेरे अकाउंट में डाल दिया है|

मैं: जी बेहतर!

मैंने मुड़ के भौजी की तरफ देखा तो उनका मुंह अब भी उतरा हुआ था| मैं सारी बात समझ गया|

मैं: पिताजी...दिवाली के लिए कुछ खरीदारी करनी है...तो आप की आज्ञा हो तो मैं इन्हें (भौजी), माँ और बच्चों को ले जाऊं?

पिताजी: बेटा आज मुझे तेरी माँ के साथ मिश्रा जी के यहाँ जाना है| दिवाली का दिन है...उन्हें मिठाई दे आते हैं| तू अपनी भौजी और बच्चों को ले जा|

मैं: जी ठीक है|

हम सारे तैयार हो के एक साथ निकले| मैं भौजी को सामान खरीदने के लिए बाजार ले गया| बच्चे इन दिनों में अपनी मम्मी से मिल रहे रूखेपन के करण उन से नाराज थे और मुझसे बातें करते थे और भौजी के आते ही चुप हो जाते थे| आज भी दोनों चुपचाप चल रहे थे|

मैं: नेहा...बेटा आपने स्कूल में रंगोली बनाई थी?

नेहा: जी पापा ...

मैं: तो यहाँ घर पे बनाओगे?

नेहा: हाँ (उसकी आँखें चमक उठीं)

मैं: ये लो पैसे और जो सामान लाना है ले लो...

भौजी: लोई जर्रूरत नहीं...घर पे सब रखा है|

नेहा सेहम गई और वापस मेरे पास आ गई|

मैं: आप चलो मेरे साथ...मैं आपको सामान दिलाता हूँ|

नेहा ने एक नजर भौजी को देखा और फिर से सेहम गई और जाने से मना कर दिया|

मैं: उनको मत देखो...चलो मेरे साथ!

मैं जबरदस्ती उन्हें दूकान में ले गया और रंग वगेरह खरीद दिए| फिर आयुष को चखरी, फूलझड़ी, अनार और राकेट दिला दिए| वो भी भौजी की तरफ देख के सहमा हुआ था पर मेरे साथ होने से वो कम डरा हुआ था| फिर भौजी ने खुद ही दिए लिए, और जो भी सामान लेना था सब लिया और हम घर आ गए| पिताजी और माँ अभी तक लौटे नहीं थे वो मिश्रा जी के यहाँ लंच के लिए रूक गए थे| घर पर हम अकेले थे....भौजी खाना बनाने लगीं तो मैंने उन्हें ओके दिया, ये कह की मैंने खाना आर्डर कर दिया है|
उन्होंने गुस्से में आके गैस बंद की और अपने कमरे में जाने लगीं तो मैंने उनका हाथ थाम लिया और अपने कमरे में ले आया| बच्चे टी.वी. देखने में व्यस्त थे.....

मैं: बैठो...कुछ बात करनी है|

भौजी बैठ गईं पर अब भी उनका मुँह उदास दिख रहा था|

मैं: जानता हूँ आप ये सब जान बुझ के कर रहे हो| बार-बार गुस्सा हो जाना... मेरे बिना खाए खाना खा लेना....बिना बात के बच्चों को डाँटना...डरा के रखना... और वो सब जो करवाचौथ के बाद आप कर रहे हो|

ये सुनते ही उन्होनेनजरें उठा के मेरी तरफ देखा...

मैं: जान-बुझ के इसलिए कर रहे हो ताकि मैं आपसे खफा हो जाऊँ और पिताजी से बात ना करूँ| है ना?

भौजी: हाँ (और उनकी आँखें छलक आईं)

मैं: और आपको लगा की मैं गुस्से में आपसे नफरत करने लगूंगा और आपको छोड़ दूँगा.... आपने ये सोच भी कैसे लिया?

भौजी रोने लगीं...मुझसे उनका रोना नहीं देखागया और मैं उनके सामने घुटनों पे आ गया और वो मेरे गले लग गईं|

मैं: मेरी एक बात का जवाब दो? क्या आप मुझसे प्यार नहीं करते? आप नहीं चाहते की हम एक साथ रहे ना की इस तरह छुप-छुप के...

भौजी: मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ...बस आपको खोना नहीं चाहती...कल आप पिताजी से वो बात कहेंगे तो वो हमें अलग कर देंगे....

मैं: ऐसा कुछ नहीं होगा...और अगर हुआ तो....मैं आपको भगा के ले जाऊँगा|

भौजी: यही मैं नहीं चाहती...मैं नहीं चाहती की मेरी वजह से आप अपने माँ-पिताजी से अलग हो जाओ|

मैं: ऐसी नौबत नहीं आएगी....अब चुप हो जाओ ...आज त्यौहार का दिन है| प्लीज....आयुष...नेहा....बेटा इधर आओ|

दोनों बैठक से उठ के मेरे कमरे में आये;

मैं: बेटा मम्मी के गले लगो...

दोनों थोड़ा झिझक रहे थे ...

मैं: देखा आपके जरा सा रुखपन दिखाने से ये आपसे कितना डर गए हैं| बेटा ...मम्मी मुझसे नाराज थीं...और आप पर गुस्सा निकाल दिया|इन्हें माफ़ कर दो और गले लगो|

तब जाके दोनों भौजी के गले लगे|

खेर हम लोगों ने खाना खाया और घर की decoration में लग गए| मैंने छत पे जाके लड़ियाँ लगा दीं और भौजी और नेहा मिलके रंगोली बनाने लगे| माँ-पिताजी के आते -आते घर चमक रहा था! आयुष तो रात होने का इन्तेजार कर रहा था ताकि वो पटके जल सके| भौजी अब खुश लग रहीं थीं.... कुछ देर बाद मेरे नंबर पे अनिल (भौजी का भाई)का फोन आया| उससे बात हुई...और मैंनेफोन भौजी को दे दिया| दरसल भौजी के फोन की बैटरी discharge हो गई थी और उन्हें पता ही नहीं था| मैंने ही उनका फोन चार्जिंग पे लगाया|

रात को पूजा के समय हम लोग कुछ इस तरह बैठे थे| माँ और पिताजी एक साथ फिर मैं और भौजी, नेहा मेरी दाहिनी तरफ बैठी थी और आयुष मेरी गोद में बैठा था| पूजा के बाद हम छत पे आ गए पटाखे जलाने के लिए| आयुष को मैंने सिर्फ फूलझड़ी दी और मैं अनार जलने लगा| अनार के जलते ही वो ख़ुशी से कूदने लगा| नेहा पिताजी के साथ कड़ी-कड़ी ख़ुशी से चीख रही थी| मैंने एक फूलझड़ी जल के नेहा को दी, पहले तो वो डर रही थी फिर पिताजी ने उसके सर पे प्यार से हाथ फेरा तो वो मान गई और मेरे हाथ से फूलझड़ी ले ली| अब बारी थी चखरी जलाने की ..... मैंने आयुष को तरीका बताया और उसने पहली बार कोई पटाखा जलाया| चखरी को गोल-गोल घूमता देख दोनों भाई-बहन के उसके आस-पास कूदने लगे| बच्चों को इस तरह खुश देख मेरी आँखें ख़ुशी के मारे नम हो गईं| भौजी भी उन्हें कूदता हुआ देख खुश थीं| अब बारी थी राकेट जलाने की| अब मैंने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही राकेट जलाया था जो की ऊपर ना जाके नीचे ही फ़ट गया था| उस दिन के बाद मैंने कभी राकेट नहीं जलाया| इसलिए राकेट जलाने का काम मैंने पिताजी को दिया| अब पिताजी भी बच्चे बन के नेहा और आयसुह के साथ पटाखे जला रहे थे| मैं उठ के माँ और भौजी के पास बैठ गया| टेबल पे कुछ सोन पापड़ी और ढोकला रखा हुआ था| मैं वही खाने लगा तभी माँ और भौजी की बात शुरू हुई;

माँ: बेटा तो कैसी लगी दिवाली हमारे साथ?

भौजी: माँ...सच कहूँ तो ये मेरी अब तक की सबसे बेस्ट दिवाली है| गाँव में ना तो इतनी रौशनी होती है...न ये शोर-गुल| रात की पूजा के बाद शायद ही कोई पटाखे जलाता है| पिछले साल मैंने आयसुह को फूलझड़ी का एक पैकेट खरीद के दिया था.... वो और नेहा तो जानते थे की यही दिवाली होती है! यहाँ आके पता चला की दिवाली क्या होती है!

माँ: बेटा वो ठहरा गाँव और ये शहर! पटाखे तो मानु कभी नहीं खरीदता था...पता नहीं इस बारी कैसे खरीद लिए? जब मैं कहती थी की पटाखे ले आ तो कहता था...माँ धरती पे pollution बढ़ गया है| और आज देखो?

मैं: मैं अब भी कहता हूँ की pollution बढ़ गया है....इसीलिए तो मैं बम नहीं लाया| उनसे noise pollution भी होता है और air pollution भी| रही बात फूलझड़ी और अनार की तो ये तो कुछ भी नहीं है...थोड़ा बहुत तो बच्चों के लिए करना ही होता है|

माँ: ठीक है बेटा ...मैं तुझे कब मना करती थी| अच्छा खाना मांगा ले!

भौजी: पर माँ मैंने पुलाव बना लिया है|

माँ: पुलाव? तुझे कैसे पता की दिवाली पे मैं पुलाव बनाती थी? इस बार तो समय नहीं मिला इसलिए नहीं बना पाई....

भौजी ने मेरी तरफ देख के इशारा किया और माँ समझ गईं|

माँ: हम्म्म....

एक पल के लिए लगा की माँ समझ गईं हों की हमारे बीच में क्या चल रहा है| पर शायद उन्होंने उस बात को तवज्जो नहीं दी और बच्चों को पटाखे जलाते हुए देखने लगीं माँ का ध्यान सामने की तरफ था और इतने में किसी ने दस हजार बम की लड़ी जला दी|

अब कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था...तो मैं भौजी के नजदीक गया और उनके कान में बोला;

मैं: दस मिनट बाद नीचे मिलना|

भौजी: ठीक है|

दरअसल मुझे भौजी को एक सरप्राइज देना था| मैं नीचे की चाभी ले के पहले आ गया| करीब पांच मिनट बाद भौजी भी आ गईं|

मैं: Hey .... क्या हुआ आपको?

भौजी: (नजरें झुकाते हुए) कुछ नहीं|

मैं: Awwww ...

मैंने भौजी को गले लगा लिया और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में कस के जकड लिया|

मैं: I got a surprise for you !

मैंने अपने कमरे से उन्हें एक Bengali Design की साडी निकाल के दी| वो सेट पूरा कम्पलीट था और पिछले कुछ दिनों में टेलर मास्टर ने उसे सिल के तैयार कर दिया था|

मैं: इसे पहन लो|

भौजी: आप...आप ये कब लाये?

मैं: काफी दिन हो गए...टेलर मास्टर ने जब तक इसे कम्पलीट नहीं किया मैंने आप से छुपा के रखा| आज मौका अच्छा है...पहन लो फिर drive पे चलते हैं|

भौजी: ड्राइव पे? पर गाडी कहाँ है?

मैं: मैंने आज के लिए किराए पे ली है|

भौजी: पर माँ-पिताजी?

मैं: मैं उन्हें संभाल लूंगा...आप तैयार तो हो जाओ?

भौजी: रुकिए...पहले मैं भी आपको एक सरप्राइज दे दूँ|

भौजी फटाफट अपने कमरे में गईं और मेरे लिए एक कुरता-पजामा ले आईं| मैं: आपने ये कब खरीदा? आप तो नाराज थे ना मुझसे?

भौजी: ऑनलाइन आर्डर किया था ...आपके लिए!

मैं: तो ठीक है भई...दोनों तैयार हो जाते हैं|

मैं अपने कमरे में घुसा और वो अपने कमरे में...मैं तो दो मिनट में तैयार हो गया था...और डाइनिंग टेबल पे बैठा उनका इन्तेजार कर रहा था| करीब पंद्रह मिनट बाद वो निकलीं ...."WOW !" बिलकुल दुल्हन की तरह सजी हुई थीं|

भौजी: WoW ! शुक्र है आपको फिट आ गया| मैं तो दर रही थी की कहीं आपको फिट ना आया तो मेरा सरप्राइज खराब हो जायेगा| वैसे ये बताओ की आपको कैसे पता की मेरा ब्लाउज किस साइज का है?

मैं: उम्म्म्म....वो मैंने ..छत पे सुख रहे आपके कपडे....मतलब उस दिन...मैंने आपका ब्लाउज चुराया और माप के लिए दे दिया|

भौजी: अच्छा जी....!!! तो इसमें शर्माने वाली क्या बात है?

मैं: यार मैंने आजतक कभी ऐसा नहीं किया...इसलिए शर्मा रहा था...खेर चलो चलते हैं|

भौजी: ठीक है...आप-माँ पिताजी को बोल आओ|

मैं: आप भी साथ चलो...तो माँ-पिताजी मना नहीं करेंगे|

मैंने पिताजी से ड्राइव पे जाने को कहा तो पिताजी ने रोका नहीं...बच्चे तो वैसे भी पिताजी को पटाखे फोड़ने में लगाय हुए थे| माँ ने बस इतना कहा की बेटा जल्दी आ जाना, खाना भी खाना है| मैंने उन्हें ये नहीं बताया की मैंने गाडी किराए पर ली है वरना वो जाने नहीं देते| हाँ उन्होंने हमारे कपड़ों के बारे में अवश्य पूछा तो मैंने कह दिया की हमने एक दूसरे को गिफ्ट दिया है! जूठ बोलने की इच्छा नहीं थी...और साथ-साथ मैं ये भी चाहता थकी कल की बात के लिए मुझे कुछ BASE भी मिल जाए|

मैं और भौजी फटाफट निकल आये| मैंने गाडी घुमाई और भगाता हुआ इंडिया गेट के पास ले आया, पूरे रास्ते भौजी का सर मेरे कंधे पे था और उन्होंने गाने भी बड़े रोमांटिक लगा दिए थे| सही जगह पहुँच के मैंने गाडी रोकी और भौजी की तरफ मुड़ा|

मैं: Hey ...मूड रोमांटिक हो रहा है?

भौजी: आपके साथ अकेले में समय बिताने को मिले और मूड रोमांटिक ना हो...तो कैसे चलेगा?

मैं: तो चलें बैक सीट?

भौजी: I was hoping you'd never ask!

हम गाडी की बैकसीट पे आ गए| गाडी रोड की एक तरफ कड़ी ही और दिवाली के चलते यहाँ जयदा चहल-पहल नहीं थी| मैंने स्विफ्ट गाडी किराय पे ली थी! भौजी मेरी तरफ देख रहीं थीं और मैं उनकी तरफ| हम दोनों एक दूसरे को प्यासी नजरों से देख रहे थे| अब समय था आगे बढ़ने का.....
हम दोनों ही सीट पे एक दूसरे की तरफ आगे बढे और दोनों ने एक साथ एक दूसरे के लबों को छुआ और बेतहाशा एक दूसरे को चूमने लगे| दोनों की सांसें तेज हो चलीं थीं...दिल जोरों से धड़क रहा था...एक उतावलापन था! तभी अचानक डैशबोर्ड में रखे फोन की घंटी बज उठी! ये अनिल का फोन था....रात के साढ़े नौ बजे...अनिल का फोन? कहीं कोई परेशानी तो नहीं? पहले तो मन किया की भौजी को सब बता दूँ...पर फिर रूक गया...उनका मूड कल को लेके पहले से ही खराब था, वो तो मैं उन्हें ड्राइव पे ले आया तो वो कुछ खुश लग रहीं थीं| मैंने फोन उतहया और चुप-चाप गाडी के बाहर आ गया और फोन पे बात करते-करते आगे गाडी से दूर जाने लगा|

मैं: हेल्लो!

अनजान आवाज: जी नमस्ते.... आपका कोई रिश्तेदार जिसका एक्सीडेंट हो गया था वो यहाँ हॉस्पिटल में admit है!

मैं: क्या? ये ....ये तो अनिल का नंबर है| वो ठीक तो है? (मैं बहुत घबरा गया था|)

अनजान आवाज: जी वो फिलहाल बेहोश है...उसके हाथ में फ्रैक्चर हुआ है| में ... मैं ही उसे हॉस्पिटल लाया था|

मैं: आप कौन हो? और किस हॉस्पिटल में हो?

अनजान आवाज: जी मेरा नाम सुरेन्द्र है...मैं यहाँ Lilavati Hospital & Research Centre Bandra West से बोल रहा हूँ| मैं यहाँ PG डॉक्टर हूँ| मुझे आपका ये रिश्तेदार जख्मी हालत में मिला | मैं इसे तुरंत हस्पताल ले आया| उसके मोबाइल में लास्ट dialed नंबर आपका था तो आपको फोन किया|

तब मुझे याद आया की आखरी बार उसकी बात मुझसे और भौजी से हुई थी|)

मैं: Thank You Very Much! मैं....मैं.....कल ही मुंबई पहुँचता हूँ...आप प्लीज मेरे साले का ध्यान रखना| Please .....

सुरेन्द्र: जी आप चिंता ना करें|

फोन disconnect हुआ और मैं चिंता में पड़ गया की भौजी को कुछ बताऊँ या नहीं? शक्ल पे बारह बजे हुए थे.... कुछ समझ नहीं आ रहा था| फिर मैंने दिमाग को थोड़ा शांत किया....तब एक दम बात दिमाग में आई की दिषु के एक चाचा मुंबई में रहते हैं| मैंने तुरंत दिषु को फोन मिलाया....एक बार... दो बार....तीन बार....चार बार.... पांच बार.... पर वो फोन नहीं उठा रह था| मैं गाडी की तरफ भाग और ड्राइविंग सीट पे बैठा और गाडी भगाई|

भौजी: क्या हुआ? आप परेशान लग रहे हो?

मैं: हाँ...वो मेरे कॉलेज का एक दोस्त है...वो बीमार है| तो हम अभी दिषु के घर जा रहे हैं|

भौजी: क्या हुआ आपके दोस्त को?

मैं: Exactly पता नहीं...बस इतना पता है की तबियत खराब है|

भौजी: पर तबियत खराब होने पे आप इतना परेशान क्यों हैं?

मैं: यार....वो.....मेरा जिगरी दोस्त है| आप ऐसा करो ये मेरा फोन ओ और दिषु का नंबर तरय करते रहो| जैसे ही उठाये कहना घर के नीचे मुझे मिले|

भौजी को फोन देने से पहले मैं उसमें से अनिल की कॉल की entry delete का चूका था| भौजी दिषु का नंबर मिलाये जा रहीं थीं और करीब-करीब दस बार मिलाने के बाद उसकी माँ न उठाया| उसकी माँ से क्या बात हुई मुझे नहीं पता मैं ड्राइव कर रहा था और सोह रहा था की घर में कैसे बताऊंगा ये सब? और क्या मैं भौजी के घरवालों को फोन करूँ या नहीं? मुझे बस इतना सुनाई दिया; "आंटी जी दिषु से बात करनी है....मैं उनके दोस्त की भाभी बोल यही हूँ|" और फिर कुछ देर बाद; "दिषु...आपके दोस्त अभी ड्राइव कर रहे हैं और उन्होंने कहा है की आप हमें पांच मिनट में घर के नीचे मिलो...कुछ अर्जेंट काम है|" हम अगले पांच मिनट में दिषु के घर पे थे| भौजी अब भी बैक सीट पर ही बैठी थीं और मैं उत्तर के गाडी के सामने दिषु से बात कर रहा था|

मैं: भाई...तेरी help चाहिए?

दिषु: हाँ..हाँ बोल.... अंदर बैठ के बात करते हैं आजा|

मैं: नहीं यार...इनका (भौजी) का भाई मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में है| इन्हें ये बात मैंने बताई नहीं है...उसका एक्सीडेंट हो गया और को PG डॉक्टर है सुरेन्द्र उसने अनिल को हॉस्पिटल में एडमिट किया है| भाई तू प्लीज अपने चाचा से बात कर ले और उन्हें एक बार चेक करने को भेज दे...कही कोई फुद्दू बना रहा हो| मैं अभी फ्लाइट की टिकट बुक करता हूँ ...और तू कन्फर्म करेगा तो मैं मुम्बई के लिए निकल जाऊँगा| प्लीज यार!

दिषु: रूक एक मिनट|

उसने मेरे साने ही अपने चाचा के लड़के को फोन मिलाया और उसे हॉस्पिटल भेजा| किस्मत से उसके चाचा बांद्रा वेस्ट में ही रहते थे| मैं आधे घंटे तक वहीँ खड़ा रहा उसके साथ और बाउजी गाडी में...वो बाहर निकल के आना चाहती थीं पर मैंने मना कर दिया|

दिषु: तुम दोनों गए कहाँ थे?

मैं: ड्राइव पे

दिषु: और ये गाडी किस की है?

मैं: किराय पे बुक की|

दिषु: अबे साले तेरा दिमाग खराब है...मुझसे चाभी ले लेता?

मैं: यार... अभी वो सब छोड़...तू जरा फोन करके पूछना?

दिषु: करता हूँ|

उसने फोन किया और मैं मन ही मन प्रार्थना कर रह था की कोई फुद्दू बना रहा हो...!!! ये बात जूठी हो !!! पर फोन पे बात करते-करते दिषु गंभीर हो आया मतलब बात serious थी| अभी उसने फ़ोन काटा भी नहीं था और मैंने अपना फोन निकाल के flights चेक करना शुरू कर दिया| सबसे जल्दी की फ्लाइट रात एक बजे की थी|

दिषु: यार बात सच है...मेरा cousin किसी Dr. सुरेन्द्र से मिला ...उसने अनिल से मिलवाया...वो फ़िलहाल होश में है ...उसके सीधे हाथ में fracture है|

मैं: Thanks yaar .... मैंने टिकट बुक कर ली है|

दिषु: सुन...साढ़े गयरह तैयार रहिओ मैं तुझे एयरपोर्ट ड्राप कर दूँगा|

मैं: Thanks भाई!

मैं गाडी में वापस बैठा...और भौजी से क्या बहाना मारूँ सोचने लगा|

भौजी: क्या हुआ? आपका दोस्त ठीक तो है?

मैं: हाँ...वो दरअसल किसी प्रोजेक्ट के लिए आज ही बुला रहा है|

भौजी: प्रोजेक्ट? कैसा प्रोजेक्ट? तो आप परेशान क्यों थे? आप कुछ तो छुपा रहे हो?

मैं: वो...दरअसल उसने किसी कंपनी के लिए ठेका उठाया था...एडवांस पैसे इधर-उधर खर्च कर दिए और अब बीमार पड़ा है| उसे हमारी मदद चाहिए...परसों कंपनी वाले साइट विजिट करे आ रहे हैं और ये बिस्तर से हिल-डुल नहीं सकता| अब अगर मैंने वहां पहुँच के काम शुरू नहीं किया तो ये फंसेगा...कंपनी सीधा केस ठोक देगी| इसलिए आज रात की flight से मुंबई जा रहा हूँ|

भौजी: आज रात की फ्लाइट से? कितने बजे?

मैं: फ्लाइट एक बजे की है| साढ़े गयरह-बारह बजे के around निकलूंगा|

भौजी: ठीक है...आप डिनर करो तब तक मैं आपका सामान पैक कर देती हूँ|

भौजी मेरी बातों से पूरी तरह आश्वस्त थीं| मैं भी हैरान था की मैं इतना बड़ा झूठ कैसे बोल गया| अब ये समझ नहीं आ रह था की घर आके माँ-पिताजी से सच कहूँ या झूठ| घर पहुंचा तो माँ-पिताजी खाने के टेबल पर ही बैठे थे और हमारा इन्तेजार कर रहे थे| मैंने पिताजी को एक मिनट के लिए उनके कमरे में बलाया और उन्हें सब सच बता दिया की अनिल का एक्सीडेंट हो गया है...और मैं रात एक बजे की flight से मुंबई जा रहा हूँ| पिताजी ने मुझे जाने से बिलकुल नहीं रोक और कुछ पैसे कॅश देने लगे| मैंने लेने से मन कर दिया क्योंकि मैं flight में पैसे carry नहीं करना चाहता था| मैंने उन्हें कह दिया की इस बात का जिक्र वो भौजी से बिलकुल ना करें...पहले मैं एक बार सुनिश्चित कर लूँ की सब ठीक है फिर मैं ही उन्हें बता दूँगा| पिताजी को ये बात जचि नहीं पर मेरे रिक्वेस्ट करने पे वो मान गए| परन्तु उन्होंने कह दिया की अगर बात गंभीर निकली तो ना केवल वो भौजी को बताएँगे बल्कि उनके माता-पिता को भी बता देंगे| माँ को भी ये बात पता चल गई और वो तो बताने के लिए आतुर थीं...जो की सही भी था...पर मेरे जोर देने पर वो चुप हो गईं|
मैंने बच्चों को सुलाया और निकलते समय भौजी ने मुझे मेरा ATM Card खुद ही दे दिया| मैंने उनके माथे को चूमा और इतने में दिषु आ चूका था| रास्ते में दिषु ने मुझे बताया की उसके cousin ने हॉस्पिटल में पैसे जमा करा दिए हैं और अब घबराने की कोई बात नहीं है| पर जब तक मैं उसे देख नही लेता दिल को चैन कहाँ पड़ने वाला था| अगले डेढ़ घंटे में मैं मुंबई पहुँच गया और जैसे ही मैं एयरपोर्ट से निकला और टैक्सी ली की भौजी का फोन आगया|

भौजी: जानू...पहुँच गए?

मैं: हाँ जान... बस बीस मिनट हुए|

भौजी: जल्दी काम निपटाना...यहाँ कोई आप का बेसब्री से इन्तेजार कर रहा है|

मैं: जानता हूँ....अच्छा मैं आपको कल सुबह फोन करता हूँ|

भौजी: पहले I Love You कहो?

मैं: I Love You जान!

भौजी: I Love You Toooooooooooooooooooooo ! Muah !!!
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