एक अनोखा बंधन compleet

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jay
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Re: एक अनोखा बंधन

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अब आगे ....

कुछ देर में हॉस्पिटल पहुँच गए| गेट पे मुझे दिषु का cousin मिल गया| उसने मुझे सब बता दिया और डॉक्टर से भी मिला दिया| मैंने उसे दस हजार दिए जो उसने जमा कराये थे और उसे घर भेज दिया| उसे विदा कर के मैं और डॉक्टर अनिल के कमरे में आये| अनिल सो रहा था पर दरवाजा खुलने की आवाज से उठ बैठा| मैं तेजी से चल के उसके पास पहुँचा, उसने पाँव छूने चाहे पर मैंने उसे रोक दिया|

मैं: ये बता की ये सब हुआ कैसे?

अनिल: जीजू...वो मैं बाइक से जा रहा था....

मैं: बाइक? पर तेरे पास बाइक कैसे आई?

अनिल: जी वो मेरे दोस्त की थी|

मैं: फिर...?

अनिल: इनकी गाडी wrong साइड से आ रही थी और मुझे आ लगी...

मैंने पलट के डॉक्टर की तरफ देखा| सुरेन्द्र घबरा गया और बोला;

सुरेन्द्र: Sorry Sir .... मैंने आप से झूठ कहा...गलती मेरी थी.... मैं फोन पे बात कर रहा था और सामने नहीं देख रहा था ....I'm Sorry ! Please मुझे माफ़ कर दीजिये!!!

मुझे गुस्सा तो बहुत आया...पर फिर खुद को रोक लिया और ये सोचा की अगर ये चाहता तो अनिल को उसी हालत पे मरने को छोड़ जाता और हमें कभी पता ही नहीं चलता| पर अगर ये इंसान अपनी इंसानियत नहीं भुला तो मैं कैसे भूल जाऊँ|

मैं: Calm down ... I'm not gonna file any complaint against you! Relax .... आप चाहते तो इसे वहीँ छोड़ के भाग सकते थे...और मुझे कभी पता भी नहीं चलता...पर ना केवल आपने इसे हॉस्पिटल पहुँचाया बल्कि इसके फोन से मुझे कॉल भी किया और मेरे आने तक इसका पूरा ध्यान रखा| Thank You .... Thank You Very Much !

मैंने उससे हाथ मिलाया तब जा के उसकी घबराहट कम हुई|

मैं: अब आप प्लीज ये बता दो की अनिल को यहाँ कितने दिन रहना है? दरअसल इनकी दीदी नहीं जानती की इनका एक्सीडेंट हुआ है... तो मैं इसे जल्द से जल्द गाँव भेज दूँ जहाँ इसकी देखभाल अच्छे से होगी|

सुरेन्द्र: सर....कल का दिन और रुकना पड़ेगा| कल शाम तक मैं discharge करवा दूँगा|

अनिल: जीजू...मैं गाँव नहीं जा सकता..exams आ रहे हैं| attendance भी short है|

मैं: पर यहाँ तेरा ख्याल कौन रखेगा?

सुरेन्द्र: सर.. If you don’t mind…मैं हॉस्टल में रहता हूँ and I can take good care of him! वैसे भी गलती मेरी ही है|

मैं: Sorry यार I don’t want to trouble you anymore.

अनिल: जीजू...वो.....मेरी grilfreind है...and she can take good care of me!

मैं: अबे साले तूने girlfriend भी बना ली?

अनिल मुस्कुराने लगा|

मैं: कहाँ है वो? मैं जब से आया हूँ मुझे तो दिखी नहीं|

अनिल: वो ... उसे इसका पता नहीं है... वो मेरे ही साथ पढ़ती है! पर प्लीज घर में किसी को कुछ मत बताना|

मैं: ठीक है... पर अभी तू आराम कर सुबह के पाँच बज रहे हैं|

सुरेन्द्र: सर आप मेरे केबिन में आराम करिये|

मैं: No Thanks ! मैं यहीं बैठता हूँ और जरा घर फोन कर दूँ|

अनिल: नहीं जीजू...प्लीज एक्सीडेंट के बारे में किसी को कुछ मत बताना...सब घबरा जायेंगे|

मैं: अरे यार...मेरे माँ-पिताजी को सब पता है और मैं उन्हें तो बात दूँ| वो किसी से नहीं कहेंगे..अब तू सो जा|

अनिल: जी ठीक है!

मैंने पिताजी को फोन कर के सब बताया तो वो उस डॉक्टर पे बहुत गुस्सा हुए, पर फिर मैंने उन्हें समझाया की घबराने की बात नही है...अनिल के सीधे हाथ में फ्रैक्चर हुआ है ... उस डॉक्टर ने इंसानियत दिखाई...और न केवल अनिल को हॉस्पिटल लाया..बल्कि उसे स्पेशल वार्ड में दाखिल कराया और उसका ध्यान वही रख रहा था| तब जाके उनका क्रोध शांत हुआ और मैंने उन्हें बता दिया की मैं एक-दो दिन में आ जाऊँगा| बात खत्म हुई और मैं भी वहीँ सोफे पे बैठ गया और आँख लग गई| सुबह आठ बजे फोन बजा...फोन भौजी का था....उन्हें अब भी बात नहीं पता थी उन्होंने तो फोन इसलिए किया की बच्चे बात करना चाहते थे|

आयुष: हैल्लो पापा...आप मेरे लिए क्या लाओगे?

मैं: आप बोलो बेटा क्या चाहिए आपको?

आयुष: Game ... Assassin's Creed Unity

मैं: बेटा ...वो तो वहां भी मिलेगी...यहाँ से क्या लाऊँ?

आयुष: पता नहीं ...

और पीछे से मुझे नेहा और भौजी के हंसने की आवाज आई| बात हंसने वाली ही थी...आयुष चाहता था की मैं उसके लिए कुछ लाऊँ...पर क्या ये उसे नहीं पता था!!! फिर नेहा से बात हुई तो उसने कहा की उसे कुछ स्पेसल चाहिए....क्या उसने नहीं बताया| अगली बारी भौजी की थी;

भौजी: तो जानू.... कब आ रहे हो?

मैं: बस जान.... एक-दो दिन!

भौजी: आप चूँकि वहां हो तो आप अनिल से मिल लोगे? भाई-दूज के लिए आ जाता तो अच्छा होता? आप उसे साथ ले आओ ना?

मैं: उम्म्म्म ऐसा करता हूँ मैं आपकी बात उससे करा देता हूँ|

भौजी: हाँ दो न उसे फोन?

मैं: Hey ... मैं अपने दोस्त के घर हूँ| अनिल की बगल में नहीं बैठा| मैं उससे आज शाम को मिलूंगा...तब आपकी बात करा दूँगा|

भौजी: ठीक है...और आपका दोस्त कैसा है?

मैं: ठीक है.... ! अच्छा मैं चलता हूँ...बैटरी डिस्चार्ज होने वाली है|

भौजी: ठीक है...लंच में फोन करना|

मैं: Done!

मैं अनिल के कमरे में लौटा तो वो उठ चूका था| मैंने उसे बताया की उसकी दीदी का फोन था;

मैं: तेरी दीदी कह रही है की भाई-दूज के लिए तुझे साथ ले आऊँ?

अनिल: इस हालत में? ना बाबा ना .... आपने दीदी का गुस्सा नहीं देखा! मैं उनसे शाम को बात कर लूँगा|

मैं: तो तूने फोन कर दिया अपनी गर्लफ्रेंड को?

अनिल: हाँ...वो आ रही है| मैं उसके साथ उसके कमरे में ही रुकूँगा?

मैं: अबे...तू कुछ ज्यादा तेज नहीं जा रहा? साले लेटे-लेटे सारा प्लान बना लिया?

अनिल शर्मा गया!

मैं: आय-हाय शर्म देखो लौंडे की ?? (मैं उसे छेड़ रहा था और शर्म से उसके गाल लाल थे|)

अनिल: जीजू...आप भी ना.... खेर छोडो ये सब और आप बताओ की कैसा चल रहा है आपका काम? कब शादी कर रहे हो? (उसने बात बदल दी)

मैं: काम सही चल रहा है.... और शादी....वो जल्दी ही होगी|

अनिल: जल्दी? कब?

मैं: पता चल जायेगा|

अनिल: कौन है लड़की? ये तो बताओ?

मैं: तू मेरी वाली छोड़ और ये बता की इस के साथ तेरा क्या relationship है? Time pass या Serious भी है तू?

अनिल: जी...serious वाला केस है| कोर्स पूरा होते ही शादी कर लूँगा|

मैं: घर वालों को पता है?

अनिल: नहीं...और जानता हूँ वो मानेंगे नहीं...पर देखते हैं की आगे क्या होता है? वैसे भी आप और दीदी तो है ही|

मैं: पागल कहीं का...

इतने में वो लड़की आ गई, जिसकी हम बात कर रहे थे| दिखने में बड़ी सेंसिबल थी| अनिल अब भी मुझे जीजू ही ख रहा था और वो भी यही समझ रही थी की मैं उसका जीजू ही हूँ| डॉक्टर आके अनिल को चेक कर रहे थे तो हम दोनों बहार आ गए| उस लड़की का नाम सुमन था;

मैं: सुमन... If you don’t mind me asking you….ummmm… how’s he in studies?

सुमन: He’s good…. मतलब मेरे से तो अच्छा ही है| मैं इसी से टूशन लेती हूँ|

मैं: I hope he doesn’t drink or do shit like that?

सुमन: Naa…he’s very shy to these things…even I don’t do drinks and all! Ummmm…. (वो कुछ कहना चाहती थी...पर कहते-कहते रूक गई|)

मैं: क्या हुआ? You wanna say something?

सुमन: अम्म्म..actually जीजू.....इसकी थर्ड और फोर्थ सेमेस्टर की फीस पेंडिंग है.... मैंने इसे कहा की मुझसे लेले ...पर माना नहीं...कहता है की घर में कुछ प्रॉब्लम है...तो....

मैं: Fees कैसे जमा होती है?

सुमन: जी चेक से, कॅश से...ड्राफ्ट से ...

मैंने अपनी जेब से चेक-बुक निकाली और कॉलेज का नाम भर के उसे दे दिया| फीस 50,000/- की थी| मुझे देने में जरा भी संकोच नहीं हुआ... जब अनिल का चेकअप हो गया तो हम कमरे में आये और मैंने उसे फीस का चेक दे दिया| वो हैरान हो के मुझे देखने लगा फिर गुस्से से सुमन को देखने लगा|

मैं: Hey .... मैंने उससे पूछा था...वो बता नहीं रही थी...तेरी कसम दी तब बोली| अब उसे घूर मत और इसे संभाल के रख| मैं जरा एकाउंट्स डिपार्टमेंट से होके आया|

मैं एकाउंट्स डिपार्टमेंट पहुँचा तो सुरेन्द्र वहीँ खड़ा था .... उसने बिल सेटल कर दिया था|

सुरेन्द्र: सर आप चाहें तो अभी अनिल को घर ले जा सकते हैं| हाँ बीच-बीच में उसे follow up के लिए आना होगा तो मैंने उसे अपना नंबर दे दिया है..वो मुझसे मिल लेगा और मैं जल्दी से उसका check up करा दूँगा|

मैं: (एकाउंट्स क्लर्क से) ये लीजिये ..(मैंने उन्हें debit card दिया)

क्लर्क: सर पेमेंट तो हो गई...Mr. Surendra ने आपके Behalf पे पेमेंट कर दी|

मैं: What? सुरेन्द्र...ये नहीं चलेगा....

सुरेन्द्र: सर...गलती मेरी थी...मेरी वजह से आप को दिल्ली से यहाँ अचानक आना पड़ा...

मैं: आपने अपनी इंसानियत का फ़र्ज़ पूरा किया और अनिल को हॉस्पिटल तक लाये...उसका इलाज कराया..वो भी मेरी अनुपस्थिति में...मैं नहीं जानता की जब तक मरीज का कोई रिश्तेदार ना हो आपलोग आगे इलाज नहीं करते? प्लीज ...ऐसा मत कीजिये मैं बहुत ही गैरतमंद इंसान हूँ| प्लीज...सुनिए (एकाउंट्स क्लर्क) इनके पैसे वापस कीजिये और पेमेंट इस कार्ड से काटिये| प्लीज!

क्लर्क ने एक नजर सुरेन्द्र को देखा पर सुरेन्द्र के मुख पर कोई भाव नहीं थे... उसने (क्लर्क) ने कॅश पैसे मुझे दिए और कार्ड से पेमेंट काटी| मैंने पैसे सुरेन्द्र को वापस किये...वो ले नहीं रहा था पर मेरी गैरत देख के मान गया|

मैं अनिल को discharge करवा के सुमन के फ्लैट पे ले आया

अनिल: सॉरी जीजू...मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हुई.... extremely sorry!

मैं: ओ पगले! कोई तकलीफ नहीं हुई....बस कर और आराम कर| तो सुमन...आप ध्यान रख लोगे ना इस का?

सुमन: जीजू आप चिंता ना करें... मैं इनका अच्छे से ध्यान रखूंगी?

मैं: तो फिर मैं आज रात की flight ले लेता हूँ?

सुमन: अरे जीजू...आज तो मिलु हूँ आपसे... आजतक ये बताता ही था आपके बारे में...कुछ दिन तो रहो| कुछ घूमते-फिरते...!!

मैं: मैं यहाँ ये सोच के आया था की इसे गाँव छोड़ दूँगा...पर ये तुम्हारे पास रहना चाहता है| किसी को "तकलीफ" नहीं देना चाहता| बहाना अच्छा मारा था! खेर...अब तुम हो ही इसका ध्यान रखने...मैं चलता हूँ...वहां सब काम छोड़ के यहाँ भागा आया था| रही घूमने-फिरने की बात तो..... अगली बार ...और शायद मेरे साथ इसकी दीदी भी हों...!!!

बात खत्म करके मैं फ्रेश हुआ, टिकट बुक की...और चाय पी|

मैं: ओह...यार तू पहले अपनी दीदी से बात कर ले... (मैंने उसे भौजी का नंबर मिला के दिया|)

दोनों ने बात की और भौजी को अभी तक कुछ पता नहीं था| मैंने रात की फ्लाइट पकड़ी और बारह बजे तक घर पहुँच गया| बारह बजे तक बच्चे जाग ही रहे थे| मैं अपने कमरे में दाखिल हुआ तो देखा दोनों जागे हुए थे और पलंग के ऊपर खड़े हुए और मेरी तरफ लपके| मैंने दोनों को गले लगा लिया|

मैं: okay ..okay ... आपके लिए मैं स्पेशल gifts लाया हूँ| नेहा के लिए जो गिफ्ट है वो बाहर हॉल में है|
(नेहा बाहर हॉल की तरफ भागी| वो अपना गिफ्ट उठा के अंदर लाई| ये 30 inch का टेडी बेयर था!)

मैं: अब बारी है आयसुह की....तो ...आपके लिए मैं लाया हूँ Hot Wheels का Track set !
(वो भी अप गिफ्ट देख के खुश उअ और उसे खोल के tracks को सेट करने लगा|

भौजी: हे राम! आप ना....कभी नहीं सुधरोगे?

मैं: Oh Comeon यार!

भौजी: और मेरे लिए?

मैं: oops !!!

भौजी: कोई बात नहीं...आप आ गए..वही काफी है|

मैं: Sorry! जरा एक ग्लास पानी लाना|

भौजी पानी लेने गईं इतने में मैंने उनका एक गिफ्ट छुपा दिया| जब वो वापस आइन तब मैं उनहीं उनका दूसरा गिफ्ट दिया;

मैं: Here you go .... Handmade Chocolates for my beautiful wife!

भौजी: जानती थी...आप कुछ न कुछ लाये जर्रूर होगे|

फिर मैं माँ-पिताजी के कमरे में गया और उनके लिए कुछ gifts लाया था जो उन्हें दिए| पिताजी के लिए कोल्हापुरी चप्पल और माँ के लिए पश्मीना शाल!

पिताजी: बहु तुम जाके सो जाओ...मैं जरा इससे कुछ काम की बात कर लूँ|

भौजी चली गईं|

पिताजी: हाँ...तू बता...अब कैसा है अनिल?

मैं: जी plaster चढ़ा है...और उसके कॉलेज के दोस्त हैं तो उसका ख्याल वही रखेंगे| वो नहीं चाहता की गाँव में ये बात पता चले तो आप प्लीज कुछ मत कहना| अगर कल को बात खुली भी तो कह देना मैंने आपको कुछ नहीं बताया|

पिताजी: पर आखिर क्यों? गाँव जाता तो उसका ख्याल अच्छे से रखते सब|

मैं: उसके अटेंडेंस short है...लेक्टुरेस बाकी है...कह रहा था manage कर लेगा|

पिताजी: ठीक है जैसे तू कहे|

मैंने एक बात नोट की, जब से पिताजी गाँव से लौटे थे उनका मेरे प्रति थोड़ा झुकाव हो गया था| क्यों, ये मैं नहीं जानता था| खेर मैं भी अपने कमरे में आगया और बच्चों को बड़ी मुश्किल से सुकया| नेहा तो मान गई सोने के लिए पर आयुष...आयुष..जब तक ओ track set जोड़ नहीं लेता वो सोने वाला नहीं था| मैं भी उसके साथ track set जोड़ने लग गया और ट्रैक सेट जुड़ने के बाद उसने लांचर से कार चलाई तब जाके वो सोया| अगली सुबह.... एक नई खबर से शुरू हुई| खबर ये की समधी जी मतलब भौजी के पिताजी अगले हफ्ते आ रहे हैं| मैंने मन ही मन सोचा की चलो इसी बहाने मैं उसने भी बात कर लूँगा| पर पहले....पहले मुझे पिताजी से बात करनी थी| वो बात जो इतने सालों से मेरे मन में दबी हुई थी!

सुबह नाश्ता करने के बाद मैं और पिताजी डाइनिंग टेबल पे बैठे थे, बच्चे अंदर खेल रहे थे और माँ और भौजी किचन पे काम कर रहे थे| यही समय था उनसे बात करने का....पर ये समझ नहीं आ रहा था की की शुरू कैसे करूँ? शब्दों का चयन करने में समय बहुत लग रहा था ...और समय हाथ से फिसल रहा था| आखिर मैंने दृढ निश्चय किया की मैं आज बात कर के रहूँगा|

मैं: अ.आआ... पिताजी....मुझे आपसे और माँ से कुछ बात करनी है|

पिताजी: हाँ हाँ बोल?

मैं: माँ...आप भी प्लीज बैठ जाओ इधर| (मेरी आवाज गंभीर हो चली थी|) और आप (भौजी) प्लीज अंदर चले जाओ|

माँकुर्सी पे बैठते हुए) क्यों...?

मैं: माँ....बात कुछ ऐसी है|

भौजी समझ चुकी थीं ...और वो चुपचाप अंदर चली गईं| नजाने मुझे क्यों लगा की वो हमारी बातें सुन रही हैं!

मैं: (एक गहरी साँस लेटे हुए) पिताजी...आज मैं आपको जो बात कहने जा रहा हूँ...वो मेरे अंदर बहत दिनों से दबी हुई थी...आपसे बस एक गुजारिश है| जानता हूँ की ये बात सुन के आपको बहुत गुस्सा आएगा...पर प्लीज...प्लीज एक बार मेरी बात पूरी सुन लेना..और अंत में जो आप कहंगे वही होगा| (मैंने एक गहरी साँस छोड़ी और अपनी बात आगे कही|) मैं संगीता(भौजी का नाम) से प्यार करता हूँ!

ये सुन के पिताजी का चेहरा गुस्से से तमतमा गया|

मैं: ये सब तब शुरू हुआ जब हम गाँव गए थे| हम दोनों बहुत नजदीक आ गए| वो भी मुझसे उतना ही प्यार करती हैं...जितना मैं उनसे! आयुष................आयुष मेरा बेटा है!

पिताजी का सब्र टूट गया और वो जोर से बोले;

पिताजी: क्या? ये क्या बकवास कर रहा है तू? होश में भी है?

मैं: प्लीज...पिताजी...मेरी पूरी बात सुन लीजिये| पिताजी: बात सुन लूँ? अब बचा क्या है सुनने को? देख लो अपने पुत्तर की करतूत|

मैं: पिताजी...मैं ...संगीता से शादी करना चाहता हूँ! (मैंने एक दम से अपनी बात उनके सामने रख दी|)

पिताजी: मैं तेरी टांगें तोड़ दूँगा आगे बकवास की तो!! होश है क्या कह रहा है? वो पहले से शादी शुदा है...उसका परिवार है...तू क्यों उसके जीवन में आग लगा रहा है?

मैं: तोड़ दो मेरी टांगें...खून कर दो मेरा...पर मैं उनके बिना नहीं जी सकता| वो भी मुझसे प्यार करती हैं.... उनके पेट में हमारा बच्चा है....और जिस शादी की आप बात कर रहे हो...उसे उन्होंने कभी शादी माना ही नहीं| चन्दर भैया के बारे में आप सब जानते हो...शादी से पहले से ही उनके क्या हाल थे.... उन्होंने भौजी की बहन के साथ भी वो किया...जो उन्हें नहीं करना चाइये ...इसीलिए तो वो उन्हें खुद को छूने तक नहीं देती|

पिताजी ने तड़ाक से एक झापड़ मुझे रसीद किया|

पिताजी: तू इतना नामाकूल हो गया की ऐसी गन्दी बातें करता है? यही शिक्षा दी थी मैंने तुझे?

इतने में संगीता (भौजी) की रोती हुई आवाज आई|

संगीता: नहीं पिताजी...ये सच कह रहे हैं|

पिताजी: तू बीच में मत पद बहु...ये तुझे बरगला रहा है| पागल हो गया है ये !!! बच्चों के प्यार में आके ये ऐसा कह रहा है! बहुत प्यार करता है ना ये बच्चों से...ये भी भूल गया की जिसे ये भौजी कहता था उसी के बारे में....छी....छी....छी....

मैं: आपने कभी गोर नहीं किया...मैंने इन्हें भौजी कहना कब का छोड़ दिया| कल रात भी तो मैं इन्हें आप ही कहा रह था ना?

पिताजी ने एक और झापड़ रसीद किया|

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अब आगे ....

पिताजी: चुप कर!

संगीता: प्लीज पिताजी.....

मैं: मैं इनके बिना नहीं जी सकता| जानता था की आप कभी नहीं मानोगे...फिर भी ...फिर भी आपसे सच कहने की हिम्मत जुटाई| प्लीज ...पिताजी...ये उस इंसान के साथनहीं रहना चाहतीं और अब मैं इनके बिना नहीं जी सकता.... आप अगर जबर्द्द्स्ती मेरी शादी किसी और से भी करा दोगे तो मैं उस लड़की को कभी प्यार नहीं कर पाउँगा| सात साल इनके बिना मैंने कैसे काटे हैं...ये अप माँ से पूछ लो...मैं कितना तनहा महसूस करता था...गुम-सुम रहता था...माँ से पूछो...उन्हें सब पता है| कितनी बार उन्होंने मुझे दिलासा दिया...और वो भी जानती हैं की मैं संगीता से emotionally attached हूँ! कोई फायदा नहीं होगा? प्लीज?

पिताजी अब हार मानने लगे थे....गुस्से से तो वो मुझे काबू नहीं कर पाये...इधर माँ बिलख-बिलख के रो रही थीं|

मैं: माँ...प्लीज...आप तो...

माँ: मत कह मुझे माँ....तूने....तूने ये क्या किया?

पिताजी: बेटा...तू जो कह रहा है वो नहीं हो सकता| समाज क्या कहेगा? बिरादरी में हमारा हुक्का-पानी बंद हो जाएगा...संगीता के घर वाले कभी नहीं मानेंगे?...मेरे अड़े भाई...वो कभी नहीं मानेंगे? सब खत्म हो जायेगा बेटा!!! सब खत्म ....

मैं: आपकी और माँ की भी लव मैरिज थी ना? आपके भाई ने उसे तक नहीं माना था...पर धीरे-धीरे सब ठीक हो गया ना?

पिताजी: बेटा वो अलग बात थी...ये अलग है? तुम दोनों ये भी तो देखो की तुम्हारी उम्र क्या है?

मैं: पिताजी...जब मुझे इनसे प्यार हुआ तब मुझे इनकी उम्र नहीं दिखी.... आप वो देख रहे हो की ...की दुनिया क्या कहेगी? आप ये नहीं देख रहे की मेरी ख़ुशी किस्में है? क्या आपको मेरी ख़ुशी जरा भी नहीं प्यारी? क्या आपके लिए सिर्फ दुनियादारी ही सब कुछ है? कल को आप मेरी शादी किसी अनजान लड़की से करा दोगे....जिसको मैं नहीं जानता| शादी के बाद वो क्या करेगी किसी को नहीं पता? हो सकता है मुझे आपसे अलग कर दे...या मुझे उसे divorce देना पड़े? पर दूसरी तरफ ये (संगीता) हैं... आप इन्हें जानते हो...पहचानते हो... ये कितना ख्याल रखती हैं आप लोगों का...माँ ...आप तो इन्हीें अपनी बहु की तरह प्यार करते हो! उस दिन जब मैंने इन्हें आपकी गोद में सर रखे देखा तो मैं बता नहीं सकता मुझे कितनी ख़ुशी हुई| आप लोगों को तो ये भी नहीं पता की एक पल के लिए मेरे मन में ख्याल आया था की मैं इन्हें भगा के ले जाऊँ... पर आप जानते हो इन्होने क्या कहा; "मैं नहीं चाहती आप मेरी वजह से अपने माँ-पिताजी को छोडो..मैं रह लुंगी उस इंसान के साथ|" आप ही बताओ कौन कहता है इतना? प्लीज पिताजी...प्लीज....एक बार आप दोनों ठन्डे दिमाग से सोचो की क्या ये मेरी पत्नी के रूप में ठीक नहीं हैं? रही दुनिया की बात तो वो तो हमेशा कुछ न कुछ कहेंगे ही? शादी के बाद लड़की मुझे आप से अलग कर दे तो भी और ना करे तो भी? मैं आप लोगों को धमका नहीं रहा...बस अपनी बात रख रहा हूँ| प्लीज पिताजी...हमें अलग मत करिये....हम जी नहीं पाएंगे|

पिताजी: पर ..पर ये सब होगा कैसे? क्या तू सब को बिना बताये?

मैं: नहीं पिताजी...मैं कोई पाप नहीं कर रहा जो सब से छुपाऊँ.... अगले हफ्ते इनके पिताजी आ रहे हैं| मैं खुद उन से बात करूँगा...फिर बड़के दादा से भी मैं ही बात करूँगा| आप बस अपना फैसला सुनाइए?

पिताजी ने माँ की तरफ देखा और माँ का रोना अब बंद हो चूका था...फिर माँ खुद बोलीं;

माँ: बहु....इधर आ...मेरे पास बैठ|

भौजी उनके पास कुर्सी पे बैठ गईं और देखते ही देखते उन्होंने संगीता को गले लगा लिया|

पिताजी: देख बेटा....हमारे लिए बस तू ही एक जीने का सहारा है.... अब अगर तू ही हम से दूर हो गया तो हम कैसे जिन्दा रहेंगे? माँ-बाप हमेशा बच्चों की ख़ुशी चाहते हैं...ठीक है....हमें मंजूर है|

मैं: oh पिताजी ! ...मैं बता नहीं सकता आपने मुझे आज वो ख़ुशी दी है....की मैं बयान नहीं कर सकता| Thank you पिताजी|

मैं पिताजी के सीने से लग गया और वो थोड़े भावुक हो गए थे| मैंने उनके पाँव छुए फिर माँ के पाँव छुए.... और फिर दोनों से माफ़ी भी मांगी| खेर अब जाके घर में सब शांत था! आज मुझे समझ गया की पिताजी का आखिर मेरे प्रति क्यों झुकाव था? वो मुझे किसी भी कीमत पे खोना नहीं चाहते थे| और दुनिया का कोई भी बाप ये नहीं चाहता|

अब बात थी भौजी के पिताजी से बात करने की| उन्हें अगले हफ्ते आना था और मैंने ये सोच लिया था की मुझे इस हफ्ते क्या करना है? सतीश जी पेशे से वकील थे तो उनसे सलाह लेना सब से सही था| मैं अगले दिन उनके पास गया और उनसे प्रोसीजर के बारे में पूछा| उन्होंने कहा की सबसे पहले तो हमें डाइवोर्स के लिए फाइल करना होगा| उसके बाद ही हम दोनों शादी कर सकते हैं| पर ये इतना आसान नहीं है...केस कोर्ट में जाएगा और अगले डेढ़ साल में फैसला आएगा की डाइवोर्स मंजूर हुआ की नहीं| इसका एक शॉर्टकट है पर वो legal नहीं है| Divorce thorough Registeration ....इसमें पंगा ये है की ये कोर्ट में मंजूर नहीं किया गया है| इसके चलते आप दूसरी शादी तो कर सकते हो पर जो aggrieved पार्टी है वो आगे चल के केस कर सकती है| अब मैं दुविधा में पद गया...मैं चाहता था की संगीता के माँ बनने से पहले हमारी शादी हो जाए ताकि मैं officially बच्चे को अपना नाम दे सकूँ| तो मैंने सतीश जी से एक बात पुछि, "की अगर शादी के बाद उनका पति हमपे case कर दे तो क्या उस हालत में आप बात संभाल सकते हैं?" तो उन्होंने जवाब दिया; " देखो मानु...वैसे तो उसके केस करने का कोई base नहीं है...वो जयदा से ज्यादा तुम से पैसे ही मांगेगा...अब ये तो मैं नहीं बता सकता की तुम उसे पैसे दे दो...या कुछ"|

मैं: उस सूरत में क्या मैं संगीता की तरफ से Domestic Voilence का case फाइल कर सकता हूँ?

सतीश जी: वो बहुत बड़ा पचड़ा है... तुम उसमें ना ही पदो तो बेहतर है| अब चूँकि तुम अपने हो तो एक रास्ता है| थोड़ा टेढ़ा है ...पर मैं संभाल लूँगा| कुछ खर्चा भी होगा?

मैं: बोलिए?

सतीश: मैं डाइवोर्स papers तैयार कर देता हूँ| तुम चन्दर को डरा-धमका के उसके sign ले लो| संगीता तो इस्पे sign कर हीदेगी क्योंकि वो तुमसे प्यार करती है| मैं ये केस फाइल कर देता हूँ और इसी बीच तुम शादी कर लो| marriage certificate का जुगाड़ मैं कर देता हूँ| केस को चलने दो...जब मौका आएगा तो मेरी यहाँ जान-पहचान अच्छी है...मैं कैसे न कैसे करके डेढ़ साल बाद ही सही संगीता का डाइवोर्स करा दूँगा| हाँ ये बात court में दबी रहनी चाहिए की तुम-दोनों शादी शुदा हो वरना कोर्ट उसे मतलब चन्दर को reimburse करने का आर्डर दे सकती है|

मैं: ये बात दबी कैसे रहेगी?

सतीश: यही तो पैसा खर्च होगा.... मैं अपने जान-पहचान के जज की कोर्ट में केस ले जाऊँगा| चन्दर वकील तो यहीं करेगा न?

मैं: अगर नहीं किया तो?

सतीश: हमारी Bar Council में जो चीफ थे उनसे मेरी अच्छी जान पहचान है...वो बात संभाल लेंगे|

मैं: ठीक है सर ...पर मुझे Marriage Certificate Original ही चाहिए|

सतीश: यार वो ओरिजिनल ही मिलता है| तू चिंता ना कर और मुख़र्जी नगर में XXX XXXX (उस जगह का नाम) वहां जो भी दिन हो मुझे बता दिओ... वहीँ शादी करा देंगे| मेरी अच्छी जान पहचान है वहां|

मैं: Thank you सर!

सतीश: अरे यार थैंक यू कैसा? दो प्यार करने वालों को मिलाना पुण्य का काम है|

मैंने घर लौट के पिताजी को और माँ को सारी बात बता दी| वो चाहते तो थे की शादी धूम-धाम से हो पर...हालात कुछ ऐसे थे की...ये पॉसिबल नहीं था| पर मैंने उनकी ख़ुशी के लिए मैंने Reception प्लान कर ली|

माँ पिताजी इस एक हफ्ते में बहुत खुश थे...और माँ ने तो संगीता को अपनी बहु की तरह दुलार करना शुर कर दिया था और अब संगीता भी बहुत खुश थी...बच्चे भी खुश थे...और मैं...मैं अपने होने वाले सौर जी से बात करने की सोच रहा था| खेर वो दिन आ ही गया जब होनेवाले ससुर जी आ गए, उन्हें रिसीव करने मैं ही स्टेशन गया| उनके पाँव छुए...और सामान उठा के गाडी में रखा और रास्ते भर वो बड़े इत्मीनान से बात कर रहे थे....जब घर पहुंचे तो संगीता ने उनके पाँव छुए और उनके गले लगी| दरअसल वो यहाँ संगीता को अपने साथ गाँव वापस ले जाने आये थे| जब उन्होंने ये बात रखी तो मजबूरन मुझे ही बात शुरू करनी पड़ी|

ससुर जी: अरे संगीता बेटा...तुमने तो यहाँ डेरा ही डाल लिया| तुम्हारा पति वहां गाँव में है...हॉस्पिटल मं भर्ती है और तुम यहाँ हो? मैं तुम्हें लेने आया हूँ! चलो सामान पैक करो रात की गाडी है|

मैं: उम्...मुझे माग कीजिये ...पर वो वहां वापस नहीं जाएँगी|

ससुर जी: क्या? पर क्यों?

मैं: क्योंकि वो इंसान इन्हें मारता-पीटता है...बदसलूकी करता है!

ससुर जी: हाँ तो? वो पति है इसका?

अमिन: तो वो जो चाहे कर सकता है? यही कहना चाहते हैं ना आप?

ससुर जी: वो उसकी बीवी है...धर्म है उसका की निभाय अपने पति के साथ?

मैं: वाह! सही धर्म सिखाया आपने? वो स्त्री है तो आप दबाते चले जाओगे?
(मैं अब भी बड़े आराम से बात कर रहा था|)

ससुर जी: तो तुम मेरी लड़की की वकालत कर रहे हो?

मैं: नहीं...मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं...मैं उनसे प्यार करता हूँ!

ससुर जी: क्या? सुन रहे हैं आप?

उन्होंने मेरे पिताजी से कहा और इससे पहले की वो कुछ कहते मैंने पिताजी को रोक दिया और उनकी बात का जवाब दिया|

मैं: हाँ वो सब जानते हैं.... और मैं सिर्फ कह नहीं रहा| मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ...और वो भी मुझसे पय्यार करती है| और हम...शादी करना चाहते हैं!!!

जवाब बहुत सीधा था... और वो हैरान....की मैं ये सब क्या कह रहा हूँ|

ससुर जी: तू....तू ....पागल हो चूका है...लड़के.....तू नहीं जानता...तू क्या कह रहा है| तू एक शादी शुदा औरत से शादी करना चाहता है? वो औरत जिसे तू "भौजी" कहता है? कभी नहीं...ऐसा कभी नहीं हो सकता...मैं ...मैं बिरादरी में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूँगा| नहीं....नहीं ...मैं ये नहीं होने दूँगा| संगीता...संगीता ...सामान बाँध...हम अभी निकल रहे हैं|

मैं: देखिये...मैंने उन्हें भौजी बोलना कब का छोड़ दिया.... और सिर्फ बोलने से क्या होता है? ना तो मैंने उन्हें कभी अपनी भाभी माना और ना ही कभी उन्होंने मुझे अपना देवर...प्लीज ...

उनके अंदर का अहंकार बोलने लगा था| पर मैं अब भी नम्र था...मैंने अपने घुटनों पे आके उनसे विनती की;

मैं: प्लीज...प्लीज...पिताजी हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते...प्लीज हमें अलग मत कीजिये?

ससुर जी: लड़के...तू होश में नहीं है...ये शादी कभी नहीं होगी! कभी नहीं! कभी नहीं! संबगीता ...तू चल यहाँ से?

संगीता उनकी बगल में खड़ी थीं पर कुछ बोल नहीं रही थी और ना ही उनके साथ जा रही थी| ससुर जी ने संगीता का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती खींच के ले जाने लगे पर वो नहीं हिलीं;

ससुर जी: तो तू भी यही चाहती है? तू प्यार करती है इस लड़के से?

संगीता: हाँ...

ससुर जी: तो आखिर इसका जादू चल ही गया तुझ पे? मुझे पहले ही शक था....जब तू अपने चरण काका के यहाँ शादी में आई थी| हमारे बुलाने पे तू ना आई...बस इस लड़के ने जरा सा कह दिया और तू आ गई|

संगीता: जादू...कैसा जादू..... प्यार मैं इनसे करती हूँ....जब से मैंने इन्हें देखा था.... आप नहीं जानते पिताजी....पर मैंने इनसे प्यार का इजहार किया था... मुझे इनसे पहली नजर में प्यार हो गया था| इन्होने मुझे अपनाया...नेहा को भी!
(डर के मारे भौजी के मुंह से बातें आगे-पीछे निकल रही थीं|)

ससुर जी: अगर तू ने इससे शादी की...तो हमसे सारे नाते -रिश्ते तोड़ने होंगे! मेरे घर के दरवाजे तेरे लिए बंद!

मैं: नहीं...प्लीज ऐसा मत कहिये! संगीता...प्लीज ....प्लीज.... आप चले जाओ....प्लीज...मैं नहीं चाहता की आप...आप मेरी वजह से अपने परिवार से अलग हो!

पिताजी: ये तू क्या कह रहा है? अगर ये अपने घर के दरवाजे बंद कर डाई तो क्या? अब वो बहु है हमारी!

मैं: पिताजी... जब वो नहीं चाहती थीं की, उनकी वजह से मैं आपसे अलग हूँ तो भला ...भला मैं कैसे?

पिताजी: पर बेटा?

मैं: कुछ नहीं पिताजी? आप सोच लेना की मैं जिद्द कर रहा था...और...

इसके आगे बोलने की मुझमें हिम्मत नहीं थी| मेरे सारे सपने ससुर जी के एक वाक्य ने तोड़ डाले थे! पर मैं उन्हें बिलकुल भी नहीं कोस रहा था...बस अफ़सोस ये था की उन्हें अपनी बेटी की ख़ुशी नहीं बल्कि अपना अहंकार बड़ा लग रहा था! मैं पलट के बाहर जाने लगा तो संगीता की आवाज ने मेरे कदम रोक दिए;

संगीता: सुनिए .... मेरा जवाब नहीं सुनेंगे?

मैं: नहीं....क्योंकि मैं नहीं चाहता आप अपने माँ-बाप का दिल तोड़ो| मैं ये कतई नहीं चाहता|

संगीता: मेरी ख़ुशी भी नहीं चाहते?

मैं: चाहता हूँ ...पर .... Not at the cost of your parents!

संगीता: पर मैं आपसे अलग मर जाऊँगी...

मैं: मैं भी...अपर आपको हमारे बच्चों के लिए जीना होगा!

संगीता: और आप?

मैं: मुझे अपने माँ-पिताजी के लिए जीना होगा? मुश्किल होगी....पर...

संगीता: पर मैं अब भी आपसे शादी करना चाहती हूँ!

मैं: नहीं...

आगे उन्होंने कुछ नहीं सुना और आके मेरे गले लग गईं और रो पड़ीं...मेरे भी आँसूं निकल पड़े| अब बात साफ़ थी... भौजी ने अपने परिवार की बजाय मुझे चुना था!

पिताजी: भाईसाहब...मैं चुप था...अपने बच्चे की ख़ुशी के लिए....पर आप...आपको अपना गुरुर ज्यादा प्यार है...अपनी बेटी की ख़ुशी नहीं! पर आप चिंता मत कीजिये.... ये हमारी बेटी बन के रहेगी|

ससुर जी ने अपनी अकड़ दिखाई और चले गए|

मैं: I'm sorry ....so sorry .... I put you in this difficult situation! I'm sorry !!!

संगीता: नहीं...आपने कुछ नहीं किया....मेरे पिताजी....उन्होंने आपका इतना अपमान किया...और फिर भी आप.....नहीं चाहते थे की हम शादी करें| आप तो मेरे परिवार के लिए हमारे प्यार को कुर्बान कर रहे थे| (भौजी ने ये सब रोते-रोते कहा...इसलिए उनके शब्द इसी प्रकार निकल रहे थे|)

हम दोनों ये भूल ही गए की घर में पिताजी और माँ मौजूद हैं| जब पिताजी की आवाज कान में पड़ी तब जाके हमें उनकी मौजूदगी का एहसास हुआ|

पिताजी: बेटा...तुम दोनों का प्रेम .... मेरे पास शब्द नहीं हैं...तू मदोनों एक दूसरे से इतना प्रेम करते हो की एक दूसरे के परिवार के लिए अपने प्रेम तक को कुर्बान करने से नहीं चूकते| मुझे तुम दोनों पे फक्र है....मानु की माँ...इन दोनों को शादी करने की इज्जाजत देके हमने कोई गलत फैसला नहीं किया|

और पिताजी ने हम दोनों को अपने सीने से लगा लिया|

पिताजी: अब बस जल्दी से तुम दोनों की शादी हो जाए!

मैं: पिताजी....अभी भी कुछ बाकी है! चन्दर के sign! (मैंने अपने आँसूं पोछे और कहा) बगावत का बिगुल तो अब बज चूका है|

मैं जानता था की आज जो आग ससुर जी के कलेजे में लगी है वो गाँव में हमारे घर तक पहुँच गई होगी| रात के खाने के बाद मैं ऑनलाइन टिकट बुक कर रहा था की तभी पिताजी कमरे में आ गए| भले ही पिताजी ने हम दोनों को शादी की इज्जाजत दे दी हो पर हमारे कमरे अब भी लग थे...और हम अब पहले की तरह चोरी-छुपे नहीं मिलते थे!

पिताजी: बेटा टिकट बुक कर रहा है?

मैं: जी ..कल दोपहर की गोरक्धाम की टिकट अवेलेबल है!

पिताजी: दो बुक करा|

मैं: दो...पर आप क्यों?

पिताजी: तू बेटा है मेरा....तेरा हर फैसला मेरा फैसला है| और वो बड़े भाई है मेरे....मैं उन्हें समझा लूँगा|

मैं: आपको लगता है...की वो मानेंगे?

पिताजी: तुझे लगा था मैं मानूँगा?

मैं: नहीं...पर एक उम्मीद थी|

पिताजी: मुझे भी है| अब चल टिकट बुक कर|

मैंने टिकट बुक कर ली और Divorce Papers और अपने एक जोड़ी कपड़े रखने लगा| इतने में संगीता आ गई|

संगीता: तो कल जा रहे हो आप?

मैं:हाँ...

संगीता: अगर उन्होंने sign नहीं किया तो?

मैं: I'm not gonna give him a choice!

अब उन्होंने मेरे कपडे तह कर के पैक करने शुरू कर दिए|

संगीता: जल्दी आना?

मैं: ofcourse ...अब तो वहां रुकने का कोई reason भी नहीं है हमारे पास!

संगीता: हमारी एक गलती ने ....सब कुछ...

मैं: Hey .... गलती? Like Seriously? आपको लगता है की हमने गलती की? अगर सोच समझ के करते तो गलती होती..पर क्या आपने प्यार करने से पहले सोचा था?

संगीता: नहीं ...

मैं: See told you ...

भौजी मुस्कुराईं और अपने कमरे में चली गईं| उसी एक बैग में माँ ने पिताजी के कपडे भी पैक कर दिए| रात को as usual बच्चों कोमैने संगीता के कमरे में ही सुला दिया और मैं अपने कमरे में आ के सो गया|

सुबह तैयार हो के हम निकलने वाले थे की मैं अपना रुमाल लेने आया तो पीछे से संगीता भी आ गई;

संगीता: I'm sorry ...for last night! I didn't mean that!

मैं: Hey .... I know ....

मैंने उन्हें गले लगा लिया और उनके सर को चूमा| उन्होंने ने भी मुझे कस के गले लगा लिया| इतने में माँ आ गईं और हमें इस तरह देखा;

माँ: O ... अभी शादी नहीं हुई है तुम्हारी...चलो....

माँ ने बड़े प्यार से दोनों को छेड़ते हुए कहा और उनका हाथ पकड़ के बाहर ले आईं| मैं भी उनके पीछे-पीछे बाहर आ गया|

माँ: ये दोनों ....अंदर गले लगे हुए थे!

माँ ने हँसते हुए कहा और ये सुन भौजी ने माँ के कंधे पे सर रख के अपना मुँह छुपा लिया|

पिताजी: (हँसते हुए) भई ये तो गलत है! (पिताजी ने ये नसीरुद्दीन साहब की तरह गर्दन हिलाते हुए कहा|)

हम हँसते हुए घर से निकले और ट्रैन पकड़ के अगले दिन गाँव पहुंचे| हालाँकि हमें लखनऊ में हॉस्पिटल (नशा मुक्ति केंद्र) जाना था और वहां से चन्दर के sign ले के गाँव जाना था परन्तु वहां पहुँच के पता ये चला की वो तो दो दिन पहले ही वहां से भाग के घर आ चुके हैं| तो अब अगला स्टॉप था गाँव!
हम गाँव पहुंचे तो वहां के हालात जंग के जैसे थे| जैसा की मैंने सोचा था, ससुर जी के कलेजे की आग ने घर को आग लगा दी थी|

बड़के दादा: अब यहाँ क्या लेने आये हो? (उन्होंने गरजते हुए कहा)

पिताजी: भैया...एक बार इत्मीनान से मेरी बात सुन लो?

बड़के दादा: अब सुनने के लिए कुछ नहीं बचा है! चले जाओ यहाँ से...इससे पहले की मैं भूल जाऊँ की तू मेरा ही भाई है!

मैं: दादा...प्लीज ...मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ...एक बार मेरी बात सुन लीजिये! उसके बाद दुबारा मैं आपको कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाऊँगा

इतने में बड़की अम्मा भी आ गईं|

बड़की अम्मा: सुनिए...एक बार सुन तो लीजिये लड़का क्या कहने आया है? शायद माफ़ी मांगने आया हो!

मैं: दादा ...मैं आपसे माफ़ी मांगने नहीं आया...बल्कि बात करने आया हूँ| मैं संगीता से बहुत प्यार करता हूँ...और शादी करना चाहता हूँ|

बड़के दादा: देख लिए...ये बेगैरत हम से इस तरह बात करता है| हमारे प्यार का ये सिला दिया है?

मैं: दादा...मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूँ और अम्मा आप...आप मेरे लिए दूसरी माँ हो...मेरी बड़ी माँ...पर संगीता वो इस (मैंने चन्दर की तरफ इशारा किया जो पीछे खड़ा था|) इस इंसान से प्यार नहीं करती....बल्कि मुझसे प्यार करती हैं| वो इससे क्यों प्यार नहीं करती ये आप लोग जानते हैं...बल्कि मुझसे बेहतर जानते हैं| शादी से पहले ये जैसा हैवान था...शादी के बाद भी वैसे ही हैवान है|

चन्दर : ओये ...जुबान संभाल के बात कर|

मैं: Shut up! (मैंने चिल्लाते हुए कहा|) आप लोगों ने ये सब जानते हुए भी इसकी शादी संगीता से कर दी.... क्यों बर्बाद किया उसका जीवन| ये जानवर उन्हें मारता-पीटता है ...जबरदस्ती करता है... और तो और ये बार-बार मामा जी के घर भाग जाता है! जानते हैं ना आप....किस लिए भागता है वहां...और किसके लिए भागता है? फिर भी आप मुझे ही गलत मानते हैं?

बड़के दादा: अगर जाता भी है तो इसका कारन बहु ही है! वो इसकी जर्रूरतें पूरी नहीं करेगी तो ये और क्या करेगा?

मैं: जर्रूरतें? इस वहशी दरिंदे ने उनकी बहन तक को नहीं छोड़ा....ये जानने के बाद ऐसी कौन सी लड़की होगी जो ऐसे इंसान को खुद को छूने देगा?

बड़के दादा: वो औरत है?

अब तो मेरे सब्र का बाँध टूट गया पर इससे पहले मैं कुछ बोलता पिताजी का गुस्सा उबल पड़ा|

पिताजी: बस बहुत हो गया.... वो औरत है तो क्या उसे आप दबा के रखोगे? जैसे आपने भाभी (बड़की अम्मा) को दबा के रखा था? मैं आज भी वो दिन नहीं भुला जब आप भाभी को दरवाजे के पीछे खड़ा कर के उनके हाथ को कब्जे के बीच में दबा के दर्द दिया करते थे| मैं उस वक़्त छोटा था...आप से डरता था इसलिए कुछ नहीं कहा...पर ना आप बदले और ना ही आपकी सोच! अब भी वही गिरी हुई सोच!

बड़के दादा: जानता था....जैसा बाप वैसा बेटा.... जब बाप को प्यार का बुखार चढ़ा और उसने दूसरी जाट की लड़की से ब्याह कर लिया तो लड़का....लड़का भी तो वही करेगा ना...बल्कि तू तो दो कदम आगे ही निकला? अपनी ही भाभी पे बुरी नजर डाली|

अब मेरा सब्र टूट चूका था...उन्होंने हमारे रिश्ते को गाली दी थी|

मैं: बहुत हो गया....मैंने बुरी नजर डाली....मैं उनसे प्यार करता हूँ...वो भी मुझसे प्यार करती हैं.... और मैं यहाँ आप लोगों के कीचड भरी बातें सुनने नहीं आया| ये ले sign कर इन पर|

मैंने divorce papers chander की तरफ बढाए| वो हैरानी से इन्हें देखने लगा;

मैं: देख क्या रहा है? तलाक के कागज़ हैं...चल sign कर! (मैंने बड़े गुस्से में कहा|)

चन्दर: मैं....मैं नहीं ...करूँगा sign!

मैं: जानता था...तू यही कहेगा....

मैंने जेब से फोन निकाला और सतीश जी को मिलाया|

मैं: हेल्लो सतीश जी... सर मुझे आपसे कुछ पूछना था... (मैंने फोन loudspeaker पे डाल दिया|) जो पति अपनी बीवी को मारता-पीटता हो ...उसके साथ जबरदस्ती करता हो...ऐसे इंसान को कौन सी दफा लगती है?

सतीश जी: सीधा-सीधा Domestic Voilence का केस है| पत्नी हर्जाने के तहत कितने भी पैसे मांग सकती है...ना देने पर जेल होगी और हाँ किसी भी तरह का धमकाना...जोर जबरदस्ती की गई तो जेल तो पक्की है|

मैं: और हाँ cheating की कौन सी दफा लगती है?

सतीश जी: दफा 420

इसके आगे सुनने से पहले ही चन्दर ने घबरा कर sign कर दिया|

मैंने उसके हाथ से पेन और पेपर खींच लिए और वापस निकलने को मुड़ा... फिर अचानक से पलटा;

मैं: अम्मा...दादा तो अभी गुस्से में हैं...शायद मुझे माफ़ भी ना करें ....पर आप...आप प्लीज मुझे कभी गलत मत समझना| मैं शादी में आपके आशीर्वाद का इन्तेजार करूँगा|

मैंने आगे बढ़ के बड़के दादा और बड़की अम्मा के पैर छूने चाहे तो बड़के दादा तो मुझे अपनी पीठ दिखा के चले गए पर बड़की अम्मा वहीँ खड़ी थीं और उन्होंने मेरे सर पे हाथ रखा और मूक आशीर्वाद दिया| मेरे लिए इतना ही काफी था! शायद अम्मा संगीता के दर्द को समझ सकती थीं! पिताजी ने भी हाथ जोड़ के अपने भाई-भाभी से माफ़ी माँगी| मुझे लगा शायद बड़के दादा का दिल पिघल जाए पर आगे जो उन्होंने कहा ...वो काफी था ये दर्शाने के लिए की उनके दिल में हमारे लिए कोई जगह नहीं|

बड़के दादा: दुबारा कभी अपनी शक्ल मत दिखाना| इस गाँव से अब तुम्हारा हुक्का-पानी बंद!

ये सुनने के बाद पिताजी का दिल तो बहुत दुख होगा...और इसका दोषी मैं ही था! सिर्फ और सिर्फ मैं! इसके लिए मैं खुद को ताउम्र माफ़ नहीं कर पाउँगा! कभी नहीं! मैंने पिताजी के कंधे पे हाथ रखा और उनका कन्धा दबाते हुए उन्हें दिलासा देने लगा| हम मुड़े और वापस पैदल ही Main रोड के लिए निकल पड़े|

और तभी अचानक से खेतों में से भागती हुई रास्ते में सुनीता मिल गई|

सुनीता: नमस्ते अंकल!

पिताजी: नमस्ते बेटी...खुश रहो!

सुनीता: Hi !

मैं: Hi !

सुनीता: मानु जी...आप जा रहे हो? मेरी शादी कल है...प्लीज रूक जाओ ना?

मैं: सुनीता...My Best Wishes for your marriage! पर मैं तुम्हारी शादी attend नहीं कर पाउँगा| तुम तो जानती ही हो...और तुम क्या पूरा गाँव जानता है की मैं संगीता से शादी करने जा रहा हूँ| तो ऐसे में मैं अगर तुम्हारी शादी के लिए रुका तो खामखा तुम्हारी शादी में भंग पड़ जायेगा|

सुनीता: प्लीज रूक जाओ ना!

मैं: अगर रूक सकता तो मना करता?

सुनीता: नहीं...

मैं: अच्छा ये बताओ की लड़का कौन है?

सुनीता: मेरे ही कॉलेज का! Wholesale की दूकान है ...दिल्ली में|

मैं: WOW! मतलब लड़का तुम्हारी पसंद का है! शादी के बाद तुम भी दिल्ली में ही रहोगी... That's cool! तब तो मेरी शादी में जर्रूर आना?

सुनीता: मैं बिन बुलाये आ जाउंगी| अपना मोबाइल नंबर दो!

मैंने उसे अपना मोबाइल नंबर दिया और उसने तुरंत miss call मारके अपना नंबर दे दिया| हम ने उससे विदा ली और रात की गाडी से अगले दिन सुबह-सुबह दिल्ली पहुँच गए| घर पहुँचते ही पिताजी ने मेरे सामने अपना सरप्राइज खोल दिया;

पिताजी: बेटा... तुम्हारी शादी धूम-धाम से हो ये हम दोनों की ख्वाहिश है| तो मैंने तीन दिन पहले ही पंडित जी को तुम दोनों की कुंडली दिखाई थी और उन्होंने मुहूर्त 8 दिसंबर का निकाला है!

मैं: सच? (ये सुन के मेरा चेहरा ख़ुशी से खिल गया|)

पिताजी: हाँ...शादी की तैयारी भी शुरू हो चुकी है.... पर ये अभी तक secret था....तुम्हारी माँ का कहना था की ये बात तुम्हें आज ही के दिन पता चले|

मैं उठा और जा के माँ और पिताजी के पाँव छुए| पिताजी ने तो मुझे ख़ुशी से अपने गले ही लगा लिया|

पिताजी: तो बेटा वैसे तो guest की लिस्ट तैयार है...पर कुछ लोग ...जैसे की अनिल मेरा होनेवाला साल), अशोक, अनिल, गट्टू (तीनों बड़के दादा के लड़के) इन सब को बुलाएं या नहीं...समझ नहीं आता|

मैं: हजहां तक अनिल, मतलब मेरे होने वाले साले सहब (ये मैंने जान बुझ के संगीता की तरफ देख के बोला) की बात है...तो मैं उनसे बात करता हूँ| बाकी बचे तीन लोग....में से कोई नहीं आएगा|

पिताजी: पर अशोक? वो तो तुझे बहुत मानता है?

मैं: उनसे एक बार बात कर के देखता हूँ! इन सब के आलावा आपने और किस-किस को बुलाया है?

पिताजी: ये रही लिस्ट...खुद देख ले और मैं चला चांदनी चौक...तेरी शादी के कार्ड्स लेने!

मैं: आपने वो भी बनवा दिए...पिताजी आप तो आज surprise पे surprise दे रहे हो|

पिताजी: बेटा तुझी से सीखा है! (पिताजी खिलखिला के हँसे और चला दिए| सच पूछो तो उनके और माँ के चेहरों पे ख़ुशी देख के मैं बहुत खुश था|)

माँ नहाने चली गईं और पिताजी तो निकल ही चुके थे|

अब बारी थी अनिल से बात करने की, मैं जानता था की उसे अब तक इस बात की भनक लग गई होगी| बस यही सोच रहा था की उसने फोन क्यों नहीं किया? क्या वो मुझसे नफरत करता है? पर मेरे सवालों का जवाब दरवाजे पे खड़ा था| दरवाजे पे knock हुई और संगीता ने दरवाजा खोला ये सोच के की पिताजी ही होंगे| पर जब उन्होंने अनिल को दरवाजे पे देखा और उसके हाथ में प्लास्टर देखा तो वो दांग रह गईं|

संगीता: अनिल...ये...ये सब कैसे हुआ?

अनिल: दीदी...वो सब बाद में ... क्या मैंने जो सुना वो सच है? आप मानु जी से शादी कर रहे हो? (उसने काफी गंभीर होते हुए कहा|)

संगीता: तू पहले अंदर आ और बैठ फिर बात करते हैं|

अनिल अंदर आया और बैठक में बैठ गया| मैं उसके सामने ही सोफे पे बैठा था....

संगीता: हाँ...हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी कर रहे हैं|

अनिल: पर आपने मुझसे ये बात क्यों छुपाई? क्या मुझ पे भरोसा नहीं था? I mean ...मुझे तो पहले से ही लगता था की मानु जी....आप से दिल ही दिल में बहुत प्यार करते हैं...और आप....आप भी तो उनके बारे में ही कहते रहते थे...पर आपने मुझे बताया क्यों नहीं?

संगीता: भाई...

मैं: (मैंने उनकी बात काट दी) क्योंकि हम नहीं जानते थे की हम इस मोड़ पे पहुँच जायेंगे की .... एक दूसरे के बिना जिन्दा नहीं रह सकते! Still if you think we're guilty ....then I guess we're sorry ...for not telling you anything !

अनिल: नहीं मानु जी....आप दोनों ने कोई गलती नहीं की....मैं...मैं आपकी बात समझ गया..... खेर...मेरी ओर से आप दोनों को बधाइयाँ?

मैं: क्यों? तू शादी तक नहीं रुकेगा? शादी 8 दिसंबर की है!

अनिल: I'm sorry .... दरअसल पिताजी ने मुझे कल ही फोन करके आप लोगों के बारे में बताया...खुद को रोक नहीं पाया और इस तरह यहाँ आ धमका... और दीदी ...आपने तो घर से सारे रिश्ते नाते तोड़ दिए!

संगीता: इसका मतलब तू हमारी शादी में नहीं आएगा?

अनिल: किसने कहा? मैं तो जर्रूर आऊंगा...पर आज मुझे जाना है... मेरी return ticket शाम की है| 1 दिसंबर की टिकट बुक करा लूँगा और आप दोनों को कोई चिंता नहीं करनी...मैं सब संभाल लूँगा|

दोनों बहुत खुश थे ...और संगीता के चेहरे की मुस्कान ने मुझे भी खुश कर दिया था|

संगीता: अब ये बता की .... तुझे ये चोट कैसे लगी?

अनिल मेरी तरफ देखने लगा...शायद उसे लगा की मैंने सब बता दिया होगा और हम दोनों की ये चोरी संगीता ने पकड़ ली|

संगीता: तो आपको सब पता था? है ना?

मैं: हाँ... याद है वो दिवाली वाली रात... जो फ़ोन आया था ...वो अनिल के मोबाइल से ही आया था|

फिर मैंने उन्हें साड़ी बात बता दी...सुमन की बात भी...बस college fees की बात छुपा गया|

संगीता: आपने इतनी बड़ी बात छुपाई मुझसे?

मैं: I'm sorry यार.....really very sorry !!! पर आप वैसे ही उन दिनों बहुत परेशान थे... और हलता काबू में थे ...इसलिए नहीं बताया! Sorry !

संगीता: और माँ-पिताजी को?

मैं: घर में सब जानते हैं सिवाय आपके.... और सास-ससुर जी को भी कुछ नहीं पता| I'm sorry !!!

संगीता: मैं आपसे बात नहीं करुँगी!

मैं उठा और जाके उन्हें मानाने लगा पर वो बहुत गुस्से में थी...मैं अपने घुटनों पे आ के उनसे माफियाँ माँग रहा था...पर कोई असर नहीं! आखिर अनिल ने उन्हें सब बता दिया की उसने ही जोर दिया था की मैं किसी को कुछ ना बताऊँ! वरना सब परेशान हो जाते! और उसने ये भी बता दिया की उसके कॉलेज की फीस मैंने ही भरी है! तब जाके उनका दिल पिघला और उन्होंने बिना कुछ सोचे ही अनिल के सामने मुझे गले लगा लिया| मैं उनके कान में खुस-फुसाया:

मैं: He's watchin us!

तब जाके उन्होंने मुझे छोड़ा!

अनिल: Okay I don't need any proof now ..... My sister is in safe hands! और मानु जी प्लीज मेरी बहन को खुश रखना?

मैं: यार I Promise!

संगीता: (उन्होंने अनिल से कहा) You don't have to say that ... He Loves me..... (आगे वो कुछ कहतीं इससे पहले माँ नहा के आ चुकीं थीं|

माँ: अरे अनिल...बेटा तू कब आया? बहु...चाय बना ....और मालपुए ला...तुझे बहुत पसंद है ना?

मैं खड़ा हैरानी से देख रहा था की हैं....माँ को कैसे पता की उसे मालपुए पसंद हैं! शायद संगीता ने ही बताया होगा| खेर मैं साइट पे फोन करने लगा और घर से बाहर आ गया|

जब मैं फोन करके वापस आया तो माँ अपने कमरे में फोन पे बात कर रही टी और दोनों भाई-बहन गप्पें मार रहे थे|

संगीता: तू तो मुझे बड़ा कह रहा था की आपने मुझे अपने और उन बारे में कुछ नहीं बताया ...और तू...तूने भी तो अपने और सुमन के बारे में कुछ नहीं बताया?

अनिल: दीदी ... वो?

मैं: शर्मा गया... गाल लाल हो जाते हैं जब उसका नाम आता है तो!!!

अनिल: वो मानु जी....

संगीता: तू इन्हें नाम से क्यों बुला रहा है? ये तो तेरे जीजा जी हैं?

अनिल: दीदी... पहले बुलाता था किसी और रिश्ते से...इन्हें जीजा नहीं मानता था...बस मुंह से कहता था...पर अब 8 तरीक के बाद, जॉब तुम्हारी शादी हो जाएगी तब से इन्हें जीजा जी ही कहूँगा|

संगीता: तो अभी भी तो ये तेरे होने वाले जीजा जी ही हैं?

मैं: यार होने वाले हैं...हुए तो नहीं ना? अब कुछ टाइम तो हम दोनों को Lovers बने रहना है!

मेरी बात सुन के मैं और अनिल तो ठहाके मारके हंसने लगे और संगीता ने अपना मुँह मेरे बाएं कंधे पे रख के छुपा लिया|
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: एक अनोखा बंधन

Post by jay »

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अब आगे ....

अनिल: अब गाल किस के लाल हो रहे हैं?

अब की बार तीनों हँस पड़े! दोपहर को बच्चे स्कूल से आये और अपने मामा को देख के खुश हुए| दोपहर में पिताजी घर आये थे और साथ में शादी का कार्ड भी लाये थे... सब को कार्ड पसंद आया| पिताजी ने कार्ड का स्टाइल काफी राजसी रखा था| ये उनकी दिली तमन्ना थी तो मैंने उन्हें कुछ नहीं कहा! पिताजी ने अनिल से बात की और कोशिश की कि समधी जी मान जाएँ...पर ससुर जी बड़े जिद्दी थे...उन्होंने तो अनिल से भी कह दिया था कि वो संगीता या मेरा फोन न उठाये..न कभी हम से मिले| अगर उसने ऐसा किया तो वो उस से भी मुँह मोड़ लेंगे! जब ये बात हमें पता लगी तो सबसे पहले मेरा रिएक्शन निकला;

मैं: अनिल...यार तब तो तुम्हें इस शादी में शरीक नहीं होना चाहिए! हमारी ँझ से अगर तुम भी अपने माँ-पिताजी से अलग हो गए तो कौन उनका साहरा होगा? वो कहाँ जायेंगे?

संगीता: (मेरी बात में हाँ में हाँ मिलते हुए|) हाँ भाई...अब मेरे आलावा तुम ही तो उनका सहारा हो!

अनिल: दीदी... प्लीज मुझे मत रोको...आप तो जानते ही हो पिताजी का सौभाव ...वो अपनी जिद्द के आगे किसी कि नहीं सुनते| पर पांच दिन बाद मैं गाँव जाने वाला हूँ! उन्हें भी तो ये पता चले की जिसे वो इतना गलत समझते हैं उन्होंने हमारे लिए क्या-क्या किया है?

मैं: नहीं अनिल...प्लीज उन्हें कुछ मत कहना| वरना वो समझेंगे की मैंने वो सब इसी लालच में किया|

अनिल: लालच? अगर आपको लालच ही होता तो आप उस दिन पिताजी से सब कुछ बता देते...और आज भी आप मुझे उन्हें बताने से रोक रहे हो! तो लालच होने का तो सवाल ही नहीं होता! मैं जानता हूँ आपने जो भी किया वो हमारी बेहतरी के लिए किया| वैसे भी मैं उन्हें सुमन से मिलाना चाहता हूँ!

मैं: क्या? यार तू इतनी जल्दी क्यों मचा रहा है? वो वैसे ही हमारी वजह से दुखी हैं...ऐसे में तेरा ये फैसला उनके लिए आघात साबित होगा|

संगीता: तू ऐसा कुछ नहीं करेगा...अभी तेरा कोर्स बाकी है...पहले उसे निपटा...तब तक ये बात भी ठंडी हो जाएगी! फिर बात कर लिओ! अगर उनका गुस्सा शांत हो गया तो मैं भी उनसे तेरी सिफारसिह कर दूँगी|

अनिल: वो कभी नहीं मानेंगे! सुमन की जात, उसके non-vegetarian होने से, traditional कपडे ना पहनने से ...और भी नजाने कितनी गलतियां निकाल देंगे|

मैं: देख अभी सब्र से काम ले...ज्यादा जल्दीबाजी ठीक नहीं|

अनिल: मैं गारंटी तो नहीं देता ...पर अगर उन्होंने आपके खिलाफ कुछ कहा तो....तो मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा!

मैं: I'm not a GOD ...की तू मेरे लिए उनसे लड़ाई करेगा| तूने खुद ही कहा न की वो गुस्से में किसी की नहीं सुनते! एक बार उनका गुस्सा शांत हो जाए तो हम खुद मिलेंगे उनसे... तब तुझे मेरी जितनी तरफदारी करनी है कर लिओ| ठीक है?

अनिल: ठीक है जीजू!

संगीता: आखिर निकल ही आया तेरे मुँह से जीजू?

अनिल मुस्कुराने लगा|

खेर रात की गाडी से अनिल का जाना तय था तो मैं ही उसे समय से स्टेशन छोड़ आया| गाडी में बिठा के मैं घर लौटा तो देर हो चुकी थी| मैं सीधा अपने कमरे में घुसा और देखा तो बच्चे सो रहे थे| मैंने चुप-चाप कंप्यूटर पे कहानी टाइप करनी शुरू कर दी, अब आप लोगों को भी तो MEGA UPDATE देना था! इतने में संगीता कमरे में आई और मेरे पीछे आके खड़ी हो गई| उन्होंने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और पूछा की मैं हिंदी में क्या टाइप कर रहा हूँ| जब उन्हें पता चल की मैं हमारी ही कहानी टाइप कर रहा हूँ तो वो शर्मा गईं और उनके कान और गाल लाल हो गए|

संगीता: आप हमारी कहानी लिख रहे हो?

मैं: हाँ क्यों?

संगीता: और आपने मेरे नाम की जगह "भौजी: लिखा है?

मैं: हाँ...यार अब रीडर्स को सारी बात ऐसे ही तो नहीं बता सकता ना? वरना कहानी से सारा रस चला जायेगा|

संगीता: हम्म्म्म...आपने नाम बदल के हमारी गरिमा बनाये रखी है!

मैं: हाँ...वो तो है!

खेर अब उन्हें पता चल चूका था की मैं कहानी लिख रहा हूँ और अब वो आपके कमेंट्स भी पद रही हैं| कुछ कमेंट्स पढ़ के उन्हें गुस्सा अवश्य आया पर उनका कहना था की रीडर इसे सच माने या जूठ...मर्जी उसकी...हमें खुद को Justify करने की कोई जर्रूरत नहीं|

आगे बढ़ते हुए....

हमारा renovation cum construction का काम बढ़ गया था और इधर पिताजी ने शादी के कार्ड बांटने का जिम्मा खुद ले लिया था| मैं साइट पे बिजी रहता था तो अब घर आने में बहुत देर हो जाया करती थी| शादी से एक दिन प्पहले तक मैं सिर्फ इतना ही समय निकाल पाटा था की ये कहानी आगे लिख सकूँ| शादी में करीब दस दिन बचे थे की एक दिन किस्मत से मैं दोपहर के खाने पर पहुँच गया;

पिताजी: चलो...आज तेरी शक्ल तो दिख गई!

मैं: पिताजी...क्या करें... काम बहुत बढ़ गया है|

माँ: सब बहु के चरणों का प्रताप है!

संगीता: नहीं माँ... आपलोगों का आशीर्वाद है| पिताजी ने काफी नाम कमाया है बिज़नेस में..और ये उसी नाम को आगे ले जा रहे हैं!

मैं: Anyways ...पिताजी...सारे कार्ड बँट गए?

पिताजी: हाँ बेटा...

मैं: किसी ने पूछा नहीं की लड़की कौन है?

पिताजी: हाँ पूछा था...मैंने बहु का नाम बता दिया...अब बहु को तो यहाँ के लोग जानते ही हैं...ये भी तो तुम्हारी माँ के साथ कीर्तन वगेरह में हर जगह समिल्लित होती थी?

मैं: तो किसी ने कुछ कहा नहीं? I mean ....

पिताजी: (मेरी बात काटते हुए) नहीं...और अगर पूछा भी तो मैंने कह दिया की मेरा लड़का लड़की से प्यार करता है...बस इतना काफी है| लड़की सुशील है..हमारा बहुत ख्याल रखती है और हमारे लिए जिसने अपने माँ-पिताजी की कुर्बानी दे दी...इससे बड़ी बात क्या होगी? (पिताजी ने संगीता की तरफदारी की|)

मैं: हम्म्म्म !!!

ये सुन के तसल्ली हुई की माँ-पिताजी उन्हें दिल से अपना चुके हैं! अपनी बेटी की तरह प्यार और दुलार करते हैं| वो भी उन्हें अपने माता-पिता की तरह प्यार करती हैं....इससे ज्यादा मुझे क्या चाहिए? खाना खाने के बाद मैं कहानी लिखने ही बैठा था की वो मेरे कमरे में आइन|

एक सवाल था जो मन में उठ रहा था और मन किया तो मैंने उनसे पूछा|

मैं: जान... आपके पिताजी ओ बहुत गुस्सा हैं... पर आपकी माँ? क्या मैं उनसे बात करूँ?

संगीता: उनसे बात नहीं हो पायेगी! उनके पास फोन नहीं...पिताजी उन्हें बहुत बाँध के रखते हैं| बिना इजाजत तो वो घर से निकलती तक नहीं|

मैं: पर उस दिन जब मैं उनसे गाँव में मिला तो वो बड़ी सहज दिखीं|

संगीता: सब के सामने वो सहज ही दिखती हैं! पर मैं जानती हूँ की वो कितना घुट-घुट के जीती हैं|

मैं: अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं... एक बार उनसे बात करूँ? अभी अनिल भी वहीँ है...तो उसके फोन के जरिये उनसे बात कर के देखूं? या आप उनसे बात करो...शायद वो आपकी बात मान लें!

संगीता: ठीक है| मैं उनसे बात करती हूँ|

मैंने फोन मिलाया और अनिल से बात की और उसे कहा की वो सासु जी की बात संगीता से करा दे| उसने फोन सासु जी को दिया और संगीता ने उनसे बात करना शुरू की| जैसे ही उन्होंने "हेल्लो" बोला संगीता रो पड़ी और मैं उठ के उनके साथ बैठ गया और उन्हें अपना सहारा दे के चुप कराया ताकि वो अपनी माँ से बात कर सकें| किसी तरह उन्होंने खुद को संभाला और शायद सासु जी भी रो पड़ी थीं... सासु जी पहले तो उन्हें समझा रहीं थीं की वो ये शादी ना करें और उनके पास लौट आएं...पर जब संगीता ने उन्हें अपने दिल की बात बताई तो सासु माँ का मन भर आया और उन्होंने ने उन्हें आशीर्वाद दिया और फिर मेरी उनसे जो बात हुई वो ये थी;

मैं: प्रणाम माँ

सासु माँ; जीते रहो बेटा! बेटा मैं जान चुकी हूँ की तुम दोनों एक दूसरे को कितना प्यार करते हो...जब तुम हम से मिलने आये थे मुझे तुम तब भी बहुत अच्छे इंसान लगे थे...तुम्हारे विचार बहुत ऊँचे थे! मैं खुश हूँ की संगीता को अपना जीवनसाथी बनाना चाहते हो! मेरी दिली खवाइश ही की मैं वहां आउन और तुम दोनों को मिलूं और आशीर्वाद दूँ..पर ये संभव नहीं है| पर मैं तुम्हें फोन पर ही आशीर्वाद देती हूँ... जुग-जुग जिओ...फूलो फलो, तुम्हें हमेशा जीवन में कामयाबी मिले...खुशियों से तुम्हारा दामन भरा रहे|

मैं: माँ...आप आ जाओ ना| प्लीज ...मैं आपको खुद लेने आ जाता हूँ...या फिर आप अनिल के साथ आ जाओ! किसी को कुछ बताने की जर्रूरत नहीं...शादी निपटा के चले जाना|

सासु माँ: बेटा आ तो जाऊँ..पर यहाँ तुम्हारे ससुर जी का ख्याल कौन रखेगा? और अगर उन्हें भनक भी लग गई तो?

मैं: मैं हूँ ना...आप मेरे पास रहना... हम सब साथ रहेंगे|

सासु माँ: बेटा औरत के लिए उसके पति का घर ही सबकुछ होता है| मैं छह कर भी तुम सब के साथ नहीं रह सकती|

आगे कुछ बात होती इससे पहले ही पीछे से आवाज सुनाई दी;

"किस्से बात कर रही है?" ये किसी और की नहीं बल्कि ससुर जी की आवाज थी!

उन्होंने सासु माँ के हाथ से फोन खींच लिया और बोले;

ससुर जी: हेल्लो...

मैं: प्रणाम पिता जी!

ससुर जी: (गुस्से में) तू? तेरी हिम्मत कैसे हुई फोन करने की!

मैं: जी 8 दिसंबर को हमारी शादी है.... उसके लिए कार्ड देने आना चाहता था...तो पूछ रहा था की कब आऊँ?

ससुर जी: @@@@@@@@@ (उन्होंने गाली दी) खबरदार जो इधर आया तो काट के रख दूँगा तुझे! तूने मेरी फूल सी बच्ची को बरगलाया है ...तू ...तू नर्क में जाएगा|

संगीता ने मेरे हाथ से फोन ले लिया और आगे की गालियाँ उन्ही ने सुनी| वो रो पड़ीं और मेरे सीने से लग गईं... उनके मुँह से बस इतना निकला; "पिताजी...." ससुर जी ने ये सुना ...फिर वो चुप हो गए और समझ गए की फोन संगीता के हाथ में है|

संगीता: (रोते हुए) आप...इन्हें गलत समझ...रहे हैं!

ससुर जी: कर दिया ना उसने तुझे आगे?

संगीता: नहीं...मैंने उनसे फोन ले लिया!

ससुर जी: रहने दे..झूठ मत बोल| मैं सब जानता हूँ ..

और उन्होंने फोन रख दिया| संगीता मुझसे लिपट के बुरी तरह रोने लगी...

मैं: Hey ... its okay ...चुप हो जाओ|

संगीता: मेरी वजह से.....

मैं: कुछ आपकी वजह से नहीं! ठीक है? वो बड़े हैं...उन्हें हक़ है गुस्सा होने का...नाराज होने का.... कोई बात नहीं| आप चुप हो जाओ... You're gonna be a mom soon….. don’t cry| Okay!

मैंने उन्हें बहुत पुचकारा और ढांढस बंधाया की सब ठीक हो जाएगा... और तब जाके वो चुप हुईं| उस दिन मैं साइट पे नहीं गया और शाम को सब को ले के घूमने निकल गया| संगीता प्रेग्नेंट थी... और डॉक्टर ने मुझे उनका ख्याल रखने को बोला था| वैसे भी मैं उनका कुछ EXTRA ही ख्याल रखता था| उन्हें खुश रखना मेरी Top Priority थी! मैं कितना कामयाब हुआ इसका पता आपको अंत में उनके कमेंट के रूप में पता चलेगा| मैं जानता हूँ की मैंने अपने माता-पिता के आलावा किसी को ये बात नहीं बताई थी की आयुष मेरा ही लड़का है या संगीता प्रेग्नेंट है..वरना सब को यही लगता की मैं मामला cover up कर रहा हूँ!

खेर दिन बीतने लगे और मुझे याद है उस दिन 1 दिसंबर था...रात की गाडी से अनिल ने आना था और 30 नवंबर को मैंने लेबर से ओवरटाइम करा मार ताकि 1 दिसंबर मैं घर पर रह सकूँ| रात भर जग था तो जब मैं सुबह सात बजे घर घुसा तो बच्चों को बाय बोल के सो गया| माँ-पिताजी को किसी से मिलने जाना था तो वो संगीता से कह गए की वो मेरे ध्यान रखें क्योंकि मैंने रात से कुछ खाया नहीं था..और थका होने के कारन मैं सीधा आके बिस्तर में घुसा और रजाई ओढ़ ली| उसके बाद मेरी नींद तब खुली जब संगीता की बाहें रजाई के अंदर से मुझे खुद से जकड़ने लॉगिन थीं| मुझे ऐसा लगा जैसे की कोई जंगली बेल मेरे शरीर से लिपट गई हो! मैंने दाईं करवट ले रखी थी| मेरी पीठ संगीता की तरफ थी| उन्होंने अपनी बाहें मेरी कमर से होते हुए मेरी छाती को जकड़ ने लगी थीं|

मैं: (मैंने आँखें बंद किये हुए नींद में कुनमुनाते हुए कहा) बाबू .... क्या कर रहे हो?

संगीता: What did you just say?

मैं: बाबू...

संगीता: Awwwwww ....I like what you just say?

मैं: उम्म्म्म... (मैं आँख बंद किये हुए...सोना चाहता था|)

संगीता: मैं आपको बहुत तंग करती हूँ ना?

मैं: उम्म्म्म्म

मैं अब भी नींद में था और बस कुनमुना रहा था;

संगीता: मेरी एक जिद्द के कारन ये सब हो गया| ना मैं आपसे कहती की I wanna conceive this baby ...ना आप कहते की Marry Me! सब मेरी गलती है| मेरी वजह से आप काम में इतना मशगूल हो गए की...मुझे पूरा समय नहीं दे पाते हो|

उनकी इस बात ने मेरे होश उड़ा दिए और मैं उनकी तरफ पलटा और उन्हें खींच के अपने वष में ले लिया;

मैं: Listen ...Stop Blaming yourself ... आप की कोई गलती नहीं है..आप की इसी जिद्द ने मुझे आपसे जुड़ने की एक वजह दे दी| राह मुश्किल थी पर अब बस सात दिन और...और फिर हम एक हो जायेंगे| आप finally मेरे बच्चे को मेरा नाम दे पाओगे...मैं उसे अपनी गोद में खिलाऊँगा...सब वैसा होगा जैसा की आप और मैं चाहते थे.... समय के साथ रिश्तों पर से ये कोहरा भी साफ़ हो जायेगा|

संगीता: सच?

जवाब में मैंने उनके माथे को चूमा!

संगीता: एक बात कहूँ?

मैं: कहो मेरी जान!

संगीता: बहुत दिनों से आपने मुझे प्यार नहीं किया!

मैं: Sorry यार...काम इतना जयदा बढ़ गया की समय ही नहीं मिला|

संगीता: मतलब शादी के बाद भी आप मुझे समय नहीं दोगे? I'm having second thoughts!
(उन्होंने मुझे छेड़ते हुए कहा|)

मैं: Really ... So you wanna back down? Its okay!

संगीता: इतनी आसानी से आपका पीछा नहीं छोडूंगी| ये फेविकोल का जोड़ है...इतनी आसानी से नहीं छूटेगा!

ये कहते हुए उन्होंने अपनी बाहों से मुझे जकड़ के खुद से चिपका लिया|

मैं: You’re getting naughty haan?

संगीता ने आँखें बंद किये हुए गर्दन हाँ में हिलाई!

मैंने लपक के अपना टेबलेट उठाया और उसमें गाना search करने लगा|

वो गाना ये था, संगीता ने बस उसके बोल बदल दिए;

संगीता: हमारी शादी में...
अभी बाकी हैं दिन सात ....
सात बरस लगे ... ये हफ्ता होगा कैसे पार...
नहीं कर सकती मैं और एक दिन भी इंतज़ार...
आज ही पहना दे ...
हो आज ही पहना दे ...
अपनी बाँहों का हार ...
हो जन्म... हो जानम हो ....

संगीता का गाना सुन के उनके दिल की कावेश तो मैं समझ हो चूका था; अब बारी थी मेरी जवाब देने की...और मैं बस गाने के उस paragraph का इन्तेजार कर रहा था जिसके बोल मैंने कुछ इस प्रकार बदल दिए;

मैं: हमारी शादी में...
अभी बाकी है बस दिन सात...
महीने बीत गए ये दिन भी हो जाएंगे पार...
ना फिर तरसाऊँगा और करवाके इंतज़ार ...
मैं यूँ पहना दूँगा ...ऐसे पहना दूँगा...
हक़ से पहना दूँगा तुम्हे अपने बाहों का हार...
हो साजनी हो ... बालम हो

गाना खत्म होते ही उन्होंने अपना सवाल पूछा;

संगीता: So you’re not gonna fulfill my wish?

मैं: यार... मैं मना नहीं कर रहा...बस एक बात कह रहा हूँ की its just a matter of days… and then…

संगीता: After those days we'll be husband and wife and not Lovers?

मैं: Awwwww .... you mean you wanna have a lil bit of love before the marriage? (मैं जानता था की वो मानने वाली नहीं हैं|)

संगीता: (खुश होते हुए) हाँ...

मैं: Well if that's the case .... anything for my love!

मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचा और उनके होंठों को चूमा| मेरे एक Kiss ने उनके जिस्म में हरकत मचा दी| वो कसमसाने लगीं...

संगीता: उफ्फ्फ्फ़ जानू..... आपके छूने भर से मरा शरीर जलने लगता है|

मैंने करवट बदली और उन्हें अपने नीचे ले आया ...उनकी साडी खोलनी चाही तो वो बोलीं;

संगीता: जानू...माँ-पिताजी कभी भी आ सकते हैं... forget the formality!

मैं: But jaan it'll hurt you!

संगीता: Please grab some vaseline!

मैंने उठ के vaseline उठाई और वापस रजाई में घुस गया| मैंने ऊँगली से खूब सारी vaseline निकाली और ज्यादा तर अपने लंड पे चुपड़ दी और बाकी बची थोड़ी उनकी योनि पर| मैं डर रहा था की कहीं फिर से खून-खराबा न हो जाए| इसलिए मैं अपना लंड उनकी योनि द्वार पे रखे हुए उनपर झुका हुआ था|

संगीता: क्या हुआ?

मैं: यार डर लग रहा है की कहीं आपको दर्द हुआ तो?

संगीता: तो क्या हुआ?

मैं: यार शादी में अगर आप लँगड़ाये तो? सरे लोग मुझे ही घूर रहे होंगे?

संगीता हँस पड़ी|

संगीता: हाय...इतना प्यार करते हो आप मुझसे? मुझे जरा सा भी दर्द नहीं दे सकते? Here let me help you ...

ये कहते हुए वो उप्र आ गेन और मैं नीचे लेटा था| उन्होंने अपनी दोनों टांगें मोड़ी और मेरे लंड के ऊपर आ गईं| फिर उन्होंने अपने दायें हाथ से अपनी योनि के कपालों को खोल के सुपाड़े के लिए जहाज बनाई और बहुत धीरे-धीरे नीचे आने लगीं| इस बीच रजाई पूरे जिस्म से हट चुकी थी और कमरा ठंडा होने के कारन मुझे ठण्ड लगने लगी थी, क्योंकि मैं सोते समय बस एक पतली सी टी-शर्ट पहनता हूँ| वो इतना संभाल के नीचे आ रहीं थी की जैसा कोई कुँवारी योनि डरते-डरते आगे बढ़ती है| जैसे ही सुपाड़ा थोड़ा अंदर गया वो रूक गईं और उनके मुख पे दर्द के निशान थे| उनके मुख पे दर्द देख के मुझे भी दर्द एह्सा हुआ|

मैं: आप नीचे आ जाओ...I'll be gentle.

वो उठीं और मेरी बगल में लेट गईं| अब मैंने उनकी टांगें खोलीं और मैं उनके बीच में आ गया| मैंने हाथ से लंड को उनके योनि द्वार पे रखा और जैसे किसी Screw को screwdriver से धीरे-धीरे टाइट किया जाता है, ठीक उसी तरह मैंने लंड को धीरे-धीरे अंदर दबाना चालु किया| जब उन्हें ज्यादा दर्द होता तो मैं वहीँ रूक जाता और जब तक वो सामन्य नहीं होतीं मैं आगे नहीं बढ़ता| धीरे-धीरे आधा ही लंड अंदर जा पाया और मैं रूक गया और उतना ही अंदर-बाहर करने लगा| संगीता की योनि ने रस की धार छोड़ दी और अब अंदर घर्षण जरा भी नहीं रहा गया था| मैं अब भी आधा लंड ही अंदर डालता था| अंदर जो लावा था वो अब बाहर आने को तड़प रहा था| बीस मिनट के संघर्ष के बाद आखिर मैं और वो एक साथ ही स्खलित हुए और मैं उनकी बगल में लेट गया| रजाई की गर्मी और इस exercise ने शरी से कुछ पसीने की बूंदें निकलवा दीं थीं| वैसे ये पहली बार था की मैंने रजाई मैं ये सब किया हो| कभी इसके बारे में सोचा ही नहीं था|

जब दोनों की सांसें सामन्य हुईं तो वो बोलीं;

संगीता: Thanks ...मेरा दिल रखने के लिए and Sorry मैंने आपकी नींद खराब कर दी| आप आराम करो..मैं कुछ खाने के लिए बनाती हूँ|

मैं: अरे छोडो और मेरे पास रहो!

संगीता: और माँ ने मेरे बाल बिखरे हुए..और साडी की ये हालत देखि तो?

मैं: कोई नहीं...

संगीता: उन्हें लगेगा की मैं इतनी उतावली हूँ की...(आगे उन्होंने बात पूरी नहीं की|)

मैं: नहीं...बल्कि ये लगेगा की लड़का इतना बावरा हो गया है की बहु को छोड़ता ही नहीं!

और हम दोनों हंसने लगे...

मैं: ऐसा करो .... मैगी बना लो! और हम दोनों मिल के खाते हैं|

संगीता: अभी लाई|

अभी वो मैगी बना ही रहीं थीं की मैं किचन में पहुँच गया और उन्हें पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया| मैंने अपने होठ उनकी गर्दन पे रख दिए और उन्हें Kiss करने लगा| मेरे हाथों ने उनकी कमर को जकड रखा था और वो बस हाथों से मैगी मसाला डाल रही थीं|

संगीता: छोडो ना?

मैं: क्यों? आप अगर मुझे इस तरह जकड सकते हो तो मैं क्यों नहीं?

संगीता: हम हॉल के पास हैं...कोई आ गया तो?

मैं: तो क्या हुआ...!

संगीता: आप ना...बहुत शरारती हो गए हो! छोडो मुझे... अब सात दिन बात बारी आएगी! उसके बाद कभी नहीं रोकूंगी...!

मैं: हाय...पहले तो आप आदत बिगाड़ते हो और फिर जब आपकी लत पड़ जाती है तो आदत छुड़ाने की बात करते हो|

संगीता: जानू ...लत छुड़ाने के लिए नहीं कह रही... बस सब्र करने को कह रही हूँ| सात दिन बात तो .... (उन्होंने अपने होंठ सिकोड़ के Kiss करने जैसा मुँह बनाया|

मैं: ना अब तो आपने सोते हुए शेर को जग दिया है| अब तो नहीं छोड़ने वाला आपको| अब तो आप माँ-पिताजी का सहारा लेना शुरू कर दो| वरना जहाँ अकेले मिले वहीँ आपको प्यार करना शुरू कर दूँगा|

संगीता मुस्कुराने लगी और मैगी बना के ले आई और हम दोनों डाइनिंग टेबल पे बैठे खा रहे थे जब पिताजी और माँ आ गए|

पिताजी: क्यों भई मैगी खाई जा रही है?

मैं: हाँ देख लो पिता जी..शादी से पहले ये हाल है? शादी के बाद तो ब्रेड बटर पे आ जाऊँगा! ही..ही..ही..

पिताजी भी हँस पड़े!

माँ: इस घर में सबसे ज्यादा मैगी किसे पसंद है?

संगीता: इन्हें

माँ: सुन लिया जी! इसी ने बनवाई है! बदमाश!

इसी तरह रात हंसी-मजाक करते-करते रात हो गई. और मैं अनिल को लेने स्टेशन पहुँच गया| जब वो डीबी से निकला तो उसके साथ सुमन भी थी| उसे डेक्क के मैं हैरान हुआ.....की ये? मतलब अनिल ने तो बताया नहीं की सुमन भी आ रही है, वरना उसके ठहरने का इन्तेजाम मैं कर देता| खेर मैं दोनों को टैक्सी से घर ले आया| आज संगीता ने पहली बार सुमन को देखा ...ये तो नहीं कह सकता की दोनों दोस्त बन गईं पर हाँ ऐसा लगा की शायद उन्हें लड़की पसंद नहीं आई! रात के खाने के बाद सोने की बारी आई;

मैं: पिताजी...आप और माँ तो अपने कमरे में ही सोओगे!

आयुष: (जिद्द करते हुए) मैं दादी जी के पास सोऊंगा!

मैं: ठीक है मेरे बाप तू माँ के पास सो जाना!

आयुष: माँ नहीं दादी!

मैं: हाँ भई हाँ...मेरी माँ तेरी दादी जी ही हैं| चलो भाई इनका तो प्रोग्राम सेट...सुमन और संगीता अपने कमरे में...और मैं और तू (अनिल) एक कमरे में|

अनिल: जीजू, मैं यहीं सो जाऊँगा हॉल में|

माँ: नहीं बेटा ठण्ड का मौसम है|

अब सब फाइनल हो चूका था, सुमन तो संगीता के कमरे में चली गई, माँ-पिताजी भी अपने कमरे में चले गए, अनिल नेहा को मेरे कमरे में ले गया और गेम खेलने लगा|अब बस मैं और संगीता बचे थे, मैंने उन्हें इशारे से छत पे आने को कहा| आखिर मैं भी तो जानना चाहता था की वजह क्या है? पांच मिनट बाद वो भी छत पे आ गईं| मौसम ठंडा था पर वो सर्दी नहीं थी जो हाल ही के दिनों में पड़ने लगी है|

मैं: तो बताओ क्यों मुँह बना हुआ है आपका?

संगीता: वो लड़की...मुझे कुछ जचि नहीं!

मैं: क्या मतलब?

संगीता: पता नहीं ...पर ऐसा लगता है की वो लड़की अनिल के लिए सही नहीं है|

मैं: यार देखो...पहले अनिल से बात करो| ऐसे ही अपना मन मत बनाओ!

संगीता: ठीक है... तो बस इसीलिए आपने मुझे बुलाया है?

मैं: नहीं...

मैं आगे बढ़ा और उन्हें दिवार से सटा के खड़ा कर दिया| उनका बदन मेरे दोनों हाथों के बीच था| मैं उनकी आँखों में दखते हुए उनके ऊपर झुका और उन्हें Kiss करने ही वाला था की इतने में मुझे cigarette की बू आई और सुमन हमारे सामने थी| मेरी पीठ उसकी तरफ थी पर संगीता का मुँह उसी की तरफ था| उसे देखा तो संगीता ने मुझे इशारे से कहा की कोई है| हमने मुड़ के देखा तो वो कड़ी cigarette पि रही थी| उसे cigarette पीता देख हम हैरान थे| मतलब मुझे भी नहीं पता था की वो cigarette पीती है|

सुमन: अरे जीजू...दीदी...आप लोग यहाँ क्या कर रहे हो? (उसने cigarette फेंक दी और वो बुरी तरह से हड़बड़ा गई|)

मैं: वो ...हम.... (इतने में संगीता गुस्से में नीचे चली गई|) तुम cigarette पीती हो?

सुमन: जी कभी-कभी!

मैं: कभी-कभी का कोई सवाल नहीं होता! खेर तुम्हारी जिंदगी है जैसे मर्जी जिओ! वैसे अनिल जानता है?

सुमना: जी हाँ!

मैं आगे कुछ नहीं बोला और नीचे आ गया| मैं अपने कमरे में आया और अनिल से बात करने लगा| इतने में ही नेहा जिद्द करने लगी की उसे कहानी सुन्नी है| तो मैंने अनिल से कहा की तुम गेम खेलो मुझे तुम से कुछ बात करनी है| नेहा कहानी सुनते-सुनते उझे से लिपट के रजाई ओढ़ के सो गई|

मैं: अनिल....PC बंद कर और यहाँ बैठ, कुछ पूछना है तुझ से?

अनिल: जी अभी आया| (उसने PC बंद किया और दूसरी रजाई ओढ़के बगल में लेट गया|)

मैं: सुमना... cigarette पीती है? (ये सुन के उसका चेहरा फीका पड़ गया|)

अनिल: जी...वो... हाँ!

मैं: हम्म्म्म ....

अनिल: पर आपको कैसे पता?

मैं: हम अभी छत पे थे और वो cigarette पीते हुए आ गई|

अनिल: मतलब दीदी ने भी देख लिया? सत्यानाश!

मैं: Dude .... कल अपनी दीदी का सामना करने के लिए तैयार रहना|

अनिल: जीजू... please help me!

मैं: I can't ..... until you tell me everything.

इतने में दरवाजे पे दस्तक हुई और संगीता एक दम से अंदर आई और बोली;

संगीता: अनिल...तुझे मालूम है ना वो लड़की cigarette पीती है? और तू...तू भी cigarette पीता है ना?

अनिल: नहीं दीदी...नहीं...मैं नहीं पीता|

संगीता: (मुझ से) देखा...कहाँ था न मुझे वो लड़की अजीब लगी| उस समय मुझे उसके मुँह से ऐसी ई बू आई थी| मुझे नहीं पता था की ये cigarette की बू है|

मैं: बाबू calm down! अगर वो सिगरेट पीती भी है तो...क्या प्रॉब्लम है?

संगीता: क्यों पीती है? ऐसी कौन सी बिमारी है?

मैं: यार अनिल उसे कहेगा तो वो छोड़ देगी|

अनिल: हाँ दीदी..वो पक्का छोड़ देगी?

संगीता: तूने मुझे बवकूफ समझा है? cigarette और शराब कभी छूटती है? तू उससे शादी नहीं कर सकता!

मैं: Hey ...Hey ...Hey ..... Don't jump to a conclusion ...okay! कल हम उससे बात करते हैं| अभी आप सो जाओ..और उसे कुछ मत कहना...promise me! अगर वो कुछ कहे तो कहना कल बात करते हैं!

संगीता: ठीक है...पर शादी से पहले ये मामला सुलझना चाहिए! (उन्होंने अनिल से कहा|)

अनिल: जी दीदी!

मैं: अच्छा बाबू..अब आप जाओ और सो जाओ|

वो चलीं गईं|

अनिल: thanks जीजू आपने वर्ल्ड वॉर रुकवा दी| वरना दीदी आज उसे घर से बाहर ही सुलाती| You really know how to control her anger!

मैं: Atleast for now she’s quite… पर बेटा...कल की तैयारी कर| उनकी मर्जी के आगे मेरी भी नहीं चलती...और अभी तो माँ-पिताजी ने भी तुझ से कल बहुत सवाल पूछने हैं?

अनिल: मर गया|

सुबह हुई और बच्चों के स्कूल जाने के बाद मैं चाय पी रहा था, सुमन कित्च्ने में मदद करना चाहती थी पर संगगता मदद नहं करने दे रही थी| चूँकि पिताजी और माँ डाइनिंग टेबल पर ही बैठे थे इसलिए संगीता के होंठों पे चुप्पी थी| अगले पल गुस्से में संगीता नादर अपने कमरे में चली गई| अनिल और सुमन माँ-पिताजी के सामने बैठे थे...मैं उन्हें मानाने के लिए अंदर चला गया| वो बिस्तर के सामने कड़ी हो के रजाई तह लगा रही थीं की मैंने उन्हें पीछे से गले लगा लिया|

संगीता: छोड़िये! माँ-पिताजी देख लेंगे!

मैं: अच्छा पर पहले बताओ की मूड क्यों ऑफ है?

संगीता: वो मुझे वो लड़की नहीं जचि! रात भर मुझसे बात करने की कोशिश करती रहे पर मैं ने कुछ नहीं कहा|

मैं: Awwwww बाबू!

संगीता: आप ना... बहुत तरफदारी कर रहे हो उसकी! बार-बार बाबू कह के मुझे मन लेते हो! (और वो आके मेरे गले लग गईं|)

मैं: यार...चलो बाहर ..माँ-पिताजी बाहर बैठे हैं...चाय पीते हैं|

मैं उन्हें किसी तरह बाहर बुला लाया और सब चाय पी रहे थे|

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: एक अनोखा बंधन

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अब आगे ....

पिताजी: तो अनिल...बेटा आगे क्या इरादा है! (उनका ये सवाल दोनों के लिए था, पर इससे पहले की सुमन कुछ बोलती..अनिल ही बोल पड़ा|)

अनिल: जी शादी! (वो रात से इतना हड़-बढ़ाया हुआ था की उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कह रहा है|)

मैं: O महान आत्मा...पिताजी पूछ रहे हैं की कोर्स के बाद क्या करना है? (ये सुन के सभी हँस पड़े|)

अनिल: Oh sorry ...जी..वो....Job!

पिताजी: बेटा...अगर चाहो तो हमारे साथ काम join कर सकते हो! पर शायद समधीजी को ये पसंद ना आय?

अनिल: जी...शायद उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा...

मैं: क्यों? (मैंने गंभीर होते हुए पूछा|)

अनिल: जीजू..आपने उस दिन मासे बात की थी...तो पिताजी बहुत गुस्से में थे...उन्होंने आपके बारे में सब बोलना शुरू कर दिया| मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उन्हें सब बता दिया| उन्हें कोई हक़ नहीं है आपको इस तरह जलील करने का|

पिताजी: ये तुमने ठीक नहीं किया बेटा| तुमने उन्हें ये तो नहीं बताया की तुम शादी attend करने आ रहे हो?

अनिल: क्षमा करें पिताजी...पर मैंने उन्हें सब बता दिया पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया!

पिताजी: बेटा....भगवान से दुआ करता हूँ की कोई नै परेशानी न कड़ी हो जाये तुम दोनों (मैं और संगीता) के जीवन में|

मैं: पिताजी...शादी के बाद मैं और संगीता जाके उनसे मिल लेंगे| वैसे शादी की तैयारी कैसी है?

माँ: तू तो ऐसे पूछ अहा है जैसे घर का बड़ा-बूढ़ा तू ही है? हमें पता है की क्या तैयारी करनी है और कैसे करनी है| तू बस खुद को काबू में रख!

माँ ने मेरे ऊपर कटाक्ष किया, क्योंकि कल से मैं कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो गया था| ये सुन के संगीता के गाल भी शर्म से लाल हो गए| खेर नाश्ते के बाद माँ-पिताजी खरीदारी के लिए निकल गए और अनिल को कुछ नंबर दे गए और उसे काम समझा दिया| शादी की तैयारी से मुझे और संगीता को बिलकुल दूर रखा गया था...ये पिताजी का प्लान था| मुझे तो ये भी नहीं बताया गया था की Venue कहाँ है| इसीलिए कार्ड जब हमें दिखाया गया तो उसे भी दूर से दिखाया गया| contents तो पढ़ने को ही नहीं मिले|
खेर अब संगीता ने अपने सवालों को शब्दों की बन्दूक में load कर लिया था और बस मेरे fire कहने की देरी थी और आज अनिल को सवालों की गोली से छलनी कर दिया जाना था| बातों का सिलसिला शुरू हुआ;

मैं: Guys ... Lets start this Q and A round! Sangeeta shoot!

संगीता: My first question to you Suman, are you an alcoholic?

सुमन: No दीदी!

संगीता: Is this true Anil? And don’t you dare lie!

अनिल: She's right ...she doesn't drink ...and so do I.

संगीता: I’m not talking about you! (उन्होंने अकड़ और गुस्सा दिखाते हुए कहा|) Okay, why do you smoke?

सुमन: Because of my roomie… उसकी गलत संगत में... वो depression में थी...

संगीता: And instead of sstoppinh her…you started smoking right?

अनिल: नहीं दीदी.... she had a broke up…she was in depression…then we met …she found a soft spot inside my heart and ….

संगीता: Shut Up! क्यों झूठ बोला?

सुमन: दीदी...मैं अपने Past को याद नहीं करना चाहती|

संगीता: Its my brother's life on the line, you have to dig your past and answer my every danm question!

अनिल: प्लीज दीदी...

संगीता: Shut up ! You? why did the two of you had a break up?

सुमन: He was fool to trust that he loves me. (वो रोने लगी| इधर अनिल मेरी तरफ देख रहा था की मैं इस Q and A को रोकूँ|)

मैं: Okay enough!

संगीता मेरा इशारा समझ गईं और उन्होंने सुमन के Past के बारे में कोई सवाल नहीं किया बस एक आखरी सवाल पूछा;

संगीता: तुम अनिल के लिए खुद को बदल सकती हो? तुम्हारा ये cigarette पीना.... ये नए-नए कपडे पहनना .... क्योंकि मेरे माँ-पिताजी बिलकुल ही Hardcore Indians हैं... उनहीं ये ने जमाने की लड़कियां बिलकुल नहीं पसंद? उन्हें वही गाँव की लड़की पसंद है जो आज भी मिटटी के चूल्हे पे खाना पका सके| और सब से जर्रुरी सवाल ...क्या तुम अनिल के लिए अपने माँ-बाप को छोड़ सकती हो?

सुमन: दीदी आपके सारे सवालों का जवाब है हाँ! (उसकी आवाज में वही confidence था जो उस दिन संगीता की आवाज में था, जब उन्होंने अपने पिताजी की जगह मुझे चुना था|)

संगीता: No More Questions Dear! (उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा) I'm Sorry for being so rude!

सुमन: नहीं दीदी...मैं समझ सकती हूँ ... आप अनिल की बड़ी बहन हो .... और आपको पूरा हक़ है|

संगीता ने उसके सर पे हाथ फेरा और finally ये मामला settle हुआ|

दिन बीतते गए और सात दिसंबर आ गया...सुबह-सुबह मैं साइट से लौटा तो अनिल डाइनिंग टेबल पे बैठा मेरा इन्तेजार कर रहा था|

अनिल: जीजू...बैठो! कुछ बात करनी थी|

मैं: हाँ बोल!

अनिल: जीजू...कल शादी है... मैं सोच अहा था की How about a Bachelor's Party?

मैं: What? (मैंने इधर-उधर देखा तो माँ-पिताजी कमरे में थे..और संगीता और सुमन बाहर सब्जी खरीदने गए थे|)

अनिल: क्यों जीजू? आप drink नहीं करते?

मैं: मेरी छोड़...और तू अपनी बता! तू Drink करता है?

अनिल: हाँ कभी-कभी rommie के साथ!

मैं: पहली बात मैं तुम्हारी दीदी और माँ-पिताजी से वादा कर चूका हूँ की मैं कभी ड्रिंक नहीं करूँगा... और दूसरी बात आगर तुम्हारी दीदी और सुमन को ये पता चला की तूने पी है तो बेटा स्त्री शक्ति का सामना करने के लिए तैयार रहिओ|

अनिल: Oh Come on जीजू! सुमन कुछ नहीं कहेगी...

मैं: Dude ... NO Bachelor's party for me!

अनिल: ठीक है तो मैं दिषु भैया से कह देता हूँ की आप नहीं आ रहे|

मैं: दिषु? Oh God!

इतने में दिषु का फोन बज उठा, क्योंकि अनिल ने उसे sms कर दिया की "Jiju isn't coming"|

मैं: Hi Bro !

दिषु: तो तू नहीं आ रहा?

मैं: ना यार...seriously ... पिछली बार याद है ना?

दिषु: हाँ यार...तेरे से जयदा बड़ा काण्ड मेरे घर पे हुआ था|

मैं: यार..मैंने promise किया है....!

दिषु: अच्छा ठीक है....तू ड्रिंक मत करिओ पर हमारे साथ तो चल|

मैं: ठीक है...but promise me you won't pressure me for drinks!

दिषु: I Promise!

रात का प्लान सेट हो गया| हमने XXXXX PUB जाने का प्लान बनाया| घर से मैं ये बोल के निकल गया की मैं अनिल को साइट पे काम दिखा के आ रहा हूँ| जाते-जाते मैं पिताजी को बता गया की मैं अनिल और दिषु पार्टी करने जा रहे हैं| उन्होंने अपना वादा याद दिलाया और मैंने भी उनका पैर छू के हामी भरी की मैं अपना वादा नहीं भूलूँगा| दिषु ने हमें घर के बाहर से pick किया और हम loud music सुनते हुए Pub पहुँचे! दिषु हम दोनों के लिए टी-शर्ट्स और जीन्स ले आया था, जो हमने गाडी में ही बदल लिए थे| Pub पहुँचते ही दोनों आपे से बाहर हो गए| अनिल और दिषु तो पार्टी में खो गए| मैं बस PUB में बारटेंडर के पास बैठा हुआ था और "पानी" पी रहा था! I mean can you imagine guys ... खेर as usual Music की धुन और शराब से दोनों टुन हो चुके थे! हाँ मैंने उन्हें कोई drug नहीं लेने दिया| वापसी में गाडी में ही ड्राइव कर रहा था| पहले दिषु को उसके घर छोड़ा| दरवाजा उसकी नौकरानी ने खोला और मैं उसे उसके कमरे में लिटा आया|

वापसी में उसके पापा दिखे और बोले;

दिषु के पापा: आज फिर पी?

मैं: Sorry अंकल|

दिषु के पापा: पर तुम तो पिए हुए नहीं लग रहे?

मैं: जी...मैंने अपने पिताजी से वादा किया था|

दिषु के पापा: तो ये कैसी Bachelor's party थी? दूल्हे को छोड़ के सबने पी! (वो मुस्कुराने लगे|) वैसे Good बेटा...काश ये पागल भी तुम्हारी तरह होता| तुम चाहो तो यहीं रुक जाओ|

मैं: अंकल...वो मेरा साला गाडी में है..उसे घर छोड़ के गाडी यहीं छोड़ जाता हूँ|

दिषु के पापा: नहीं..नहीं...बेटा...गाडी लेने कल इस पागल को भेज दूँगा|

मैं: Thanks अंकल and Good Night!

दिषु के पापा: Good Night बेटा!

मैं घर पहुँचा..शुक्र था की मेरे पास डुप्लीकेट चाभियां थीं तो मैं बिना किसी को उठाये अंदर aaya और दिषु को अपने कमरे में लेजाने लगा तो देखा वहाँ संगीता और सुमन सो रहे थे| मैं चुप-चाप पीछे हटा और उनके (संगीता) कमरे में उसे लिटा दिया और ऊपर रजाई डाल दी| आयुष तो अपनी दादी जी के पास सो रहा था और नेहा संगीता के पास| मेरे दरवाजा खोलने से शायद वो जाग गई थी| इसलिए जब मैं बैठक में लौटा, की चलो सोफे पर सो जाता हूँ तो नेहा कमरे का दरवाजा खोल के बाहर आई;

नेहा: पापा...आप तो सुबह आने वाले थे?

मैं: Awwww मेरा बच्चा सोया नहीं? आओ इधर! (नेहा आके मुझसे लिपट गई|)

नेहा: पापा आपके बिना नींद नहीं आती|

मैं: Awwwww मेरा बच्चा!

मैं चाहता तो अनिल के साथ उसी कमरे में सो जाता पर अब नेहा साथ थी... और अनिल से शराब की बू आ रही थी, और ऐसे हाल में मुझे ये सही नहीं लगा| अब सोफ़ा छोटा था तो दो लोग उसमें सो नहीं सकते थे| मैंने नेहा को गोद में उठाया और मैं पीठ के बल लेट गया और नेहा मेरे सीने पर सर रख के लेट गई| ऊपर से मैंने रजाई ले ली| नींद कब आई पता नहीं चला| सुबह तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा| सुबह संगीता ने नेहा और मेरे ऊपर से रजाई उठाई तब मेरी नींद खुली|

घडी में साढ़े पाँच बजे थे;

संगीता: What are you doing here?

मैं: Good Morning Dear!

संगीता: You didn't answer me?

मैं: (मैंने अपनी एक आँख बंद की) रात को जल्दी लौट आया था!

संगीता: Seriously?

मैं: Yeah !

संगीता: तो यहाँ क्यों सोये हुए हो? और अनिल कहाँ है?

मैं: अंदर है! (मैंने उनके कमरे की तरफ इशारा किया| मैं समझ गया था की आज तो दोनों की शामत है!)

इतने में शोर सुन के पिताजी और माँ भी बाहर आ गए|

पिताजी: क्या हुआ भई? मानु...तू यहाँ क्यों सो रहा है?

मैं: जी वो...

संगीता: पिताजी....पता नहीं दोनों कहाँ गए थे? कपडे देखो इनके? कब आये कुछ पता नहीं? नेहा यहाँ कैसे पहुंची कुछ पता नहीं? अनिल कहाँ है, कुछ पता नहीं?

पिताजी: बेटा बात ये है की ये तीनों.... मतलब ये, अनिल और दिषु Party करने गए थे! मुझे बता के गए थे!

संगीता: Party? मतलब आपने शराब पी?

मैं: No Baby! Remember I promised you and dad!

संगीता: अनिल कहाँ है?

इतने में अनिल अपना सर पकडे बाहर आ गया|

अनिल: मैं इधर हूँ दीदी! आह! सर दर्द से फट रहा है!

संगीता समझ चुकी थी की अनिल ने शराब पी रखी है|

दीदी: तूने शराब पी?

अनिल: Sorry दीदी...ये मेरा और दिषु भैया का प्लान था| जीजू ने मन किया था पर हमारे जोर देने पे वो हमारे साथ Bachelor's पार्टी के लिए गए थे| पर उन्होंने एक बूँद भी शराब नहीं पी! उनकी कोई गलती नहीं!

संगीता: तूने शराब कब से पीनी शुरू की?

अनिल: वो roomies के साथ कभी-कभी पी लेता था!

संगीता: देखा पिताजी...!

पिताजी: बेटा आज की young Generation ऐसी ही है| खेर छोडो इस बात को ..आज तुम दोनों की शादी है! मानु की माँ ...अनिल को चाय दो...इसका सर दर्द बंद हो तो ...आगे का काम संभाले|

अनिल: पिताजी...बस एक कप चाय और मेरा इंजन स्टार्ट हो जाएगा|

सुमन: पिताजी: मैं चाय बनाती हूँ|

मैं उठा और अपने कमरे में जाके चेंज करने लगा और फ्रेश होने लगा|

तभी पीछे से संगीता आ गईं;

संगीता: Sorry

मैं: Its ओके जानू! Now gimme a kiss and smile!

संगीता: कोई Kiss Wiss नहीं ...जो मिलेगी सब रात को?

मैं: यार... that's not fair! कम से कम सुबह के गुस्से के हर्जाने के लिए एक Kiss दे दो!

उन्होंने ना में गर्दन हिलाई| और मैं बाथरूम जाने को मुदा की तभी उन्होंने अचानक से मुझे अपनी तरफ घुमाया और अपने पंजों पे खड़े हो के मुझे Kiss किया| मेरे दोनों हाथ उनके पीठ पे लॉक हो गए थे और उनके हाथ मेरी पीठ पे लॉक थे| मैं उनके होठों को चूसने में लगा था और उनके बदन की महक मुझे पागल कर रही थी| इतने में सुमन चाय ले के आ गई, हम ये भूल ही गए की दरवाजा खुला है|

सुमना: (खांसते हुए) ahem ! चाय for the love birds!

हम अलग हुए, और सुमन को मुस्कुराता हुआ देख संगीता ने मेरे सीने में अपना मुँह छुपा लिया| सुमन ने चाय टेबल पे रख दी और हमें देखने के लिए खड़ी हो गई| मैंने सुमन को जाने का इशारा किया..पर वो मस्ती में जानबूझ के खड़ी रही और मुस्कुराती रही| इतने में अनिल वहाँ आ गया और संगीता और मुझे इस तरह गले लगे हुए देख वो समझ गया और उसने सुमन का हाथ पकड़ा और खींच के बाहर ले गया|

मैं: Hey ...they're gone!

संगीता: They?

मैं: हाँ अनिल और सुमन|

संगीता: हे राम!

मैं: चलो जल्दी से Kiss निपटाओ और ....

संगीता: न बाबा ना ...बस अब नहीं...अगर माँ आ गईं तो डाँट पड़ेगी!

खेर मुहूर्त नौ बजे का था ... हमें यहाँ से बरात लेके छतरपुर जाना था| वहीँ का एक फार्महाउस पिताजी ने बुक किया था| संगीता, सुमन, अनिल, दिषु के माता-पीता और हमारे कुछ जानने वाले भौजी की तरफ थे| बरात लेके हम समय से पहुसंह गए और जो भी रस्में निभाईं जाती हैं वो निभाई गईं| अब बारी थी कन्यादान की! जब पंडित जी ने कन्यादान के लिए कहा तो पिताजी स्वयं आगे आये और पूरे आशीर्वाद के साथ उन्होंने कन्यादान पूरा किया| संगीता की आँखों से आंसूं की एक बूँद गिरी| मैंने देख लिया था पर उस समय रस्म चल रही थी तो मैं कुछ नहीं बोला| जैसे ही कन्यादान की रस्म समाप्त हुई मैंने उनके आंसूं पोछे और मेरे ऐसा करने से सब को पता चल गया की वो रो रहीं हैं| माँ उनके पीछे ही बैठी थीं, उन्होंने संगीता को थोड़ा प्यार से पुचकारा और उन्हें शांत किया| खेर इस तरह सारी रस्में पूरी हुईं और हम रात एक बजे के आस-पास घर पहुँचे|

ग्रह प्रवेश की रस्म हुई ... उसके बाद सब बैठक में बैठे थे...मैं और संगीता भी| बच्चे हँस-खेल रहे थे; मैंने उन्हें अपने पास बुलाया और बोला;

मैं: नेहा...आयुष....बेटा अब से आप मुझे सब के सामने पापा "कह" सकते हो!

दोनों ने मुझे सब के सामने पापा कहा और मेरे गले लग गए| दोस्तों मैं बता नहीं सकता मेरी हालत उस समय क्या थी? गाला भर आया था और मैं रो पड़ा| पिताजी उठे और मेरे कंधे पे हाथ रख के मुझे शांत करने लगे|

मैं: पिताजी......मुझे....सात साल लगे....सात साल से मैं आज के दिन का इन्तेजार कर रहा था|

पिताजी: बस बेटा...शांत हो जा...अब सब ठीक हो गया ना! अब तुम दोनों पति-पत्नी हो! बस-बस!

माँ: (मेरे आंसूं पोंछते हुए) बेटा.... तू बड़े surprise प्लान करता है ना? आज मैं तुझे पहला सरप्राइज देती हूँ? ये ले... (उन्होंने एक envolope दिया)

मैं: ये क्या है?

माँ: खोल के तो देख?

मैंने उस envelope को लिया तो वो भारी लगा...उसे खोला तो उसमें से चाभी निकली! इससे पहले मैं कुछ कहता माँ बोलीं;

माँ: तेरी नई गाडी! क्या नाम है उसका?

पिताजी: Hyundai i10!

मैं: Awwwwwwww thanks माँ! मैं उठ के माँ के गले लग गया| Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You !!!

पिताजी: O बस कर thank you ...अब मेरी बारी ये ले... (उन्होंने भी मुझे एक चाभी का गुच्छा दिया|)

मैं: अब ये किस लिए? एक साथ कितनी गाड़ियाँ दे रहे हो आप?

पिताजी: ये तेरे फ्लैट की चाभी है!

मैं: मेरा फ्लैट? पर किस लिए? और मैं क्या करूँ इसका? Wait ...wait ....Wait .... आप मुझे अलग settle कर रहे हो! Sorry पिताजी.... मैं ये नहीं लेने वाला|

पिताजी: बेटा...तुम लोग अपनी अलग जिंदगी शुरू करो| कब तक हमसे यूँ बंधे रहोगे|

संगीता उठी और मेरे हाथ से चाभी ली और पिताजी को वापस देते हुए बोली;

संगीता: Sorry पिताजी! हम आपके साथ ही रहेंगे...एक ही शहर में होते हुए आपसे अलग नहीं रह सकते| मुझे भी तो माँ-बाप का प्यार चाहिए! और आप मुझे इस सुख से वंचिंत करना चाहते हो?

माँ: देख लिया जी...मैंने कहा था न दोनों कभी नहीं मानेंगे| मुझे अपने खून पे पूरा भरोसा है| अच्छा बहु ये चाभी तू अपने पास ही रख|

मैं: (संगीता से चाभी लेते हुए) ये आप ही रखो... हमें नहीं चाहिए|

पिताजी: अच्छा भई...ये बाद में decide करेंगे| अभी बच्चों को सुहागरात तो मनाने दो|

अनिल और सुमन जो अभी तक चुप-चाप बैठे थे और हमारा पारिवारिक प्यार देख रहे थे वो आखिर बोले;

अनिल: जीजू...आप का कमरा तैयार है? चलिए !

हम कमरे में घुसे तो अनिल और सुमन दोनों ने कमरे को सजा रखा था| सुहाग की सेज सजी हुई थी और मैं देख के हैरान था...की wow ....!!! इतने मैं आयुष और नेहा भागते हुए आये और जगह बनाते हुए मेरी टांगों में लिपट गए|

आयुष: मैं तो यहीं सोऊँगा|

नेहा: मैं भी पापा के पास सोऊँगी|

अनिल: ओ हेल्लो... ये तुम दोनों के लिए नहीं है| आपके मम्मी-पापा के लिए है| आप आज सुमन जी के साथ सो जाओ|

बच्चे जिद्द करने लगे....

मैं: कोई बात नहीं यार... सोने दे|

इतने में पिताजी बोले;

पिताजी: बच्चों ...आप में से किस को कल Special वाली Treat चाहिए?

दोनों एक साथ बोले; "मुझे"

पिताजी: तो फिर आज आप दोनों दादी और सुमन "मामी" के साथ सोओगे|

मैं: मामी? (अनिल के और सुमन के गाल लाल हो गए|)

पिताजी: हाँ भाई... अब सिर्फ शादी अटेंड करने के लिए तो कोई नहीं आता ना?

पिताजी की बात बिलकुल सही थी और सब समझ चुके थे की अनिल का इरादा क्या है?

खेर सब बाहर गए और मैंने कमरा लॉक किया और उनकी तरफ मुड़ा;

मैं: FINALLY !!!! WE'RE TOGETHER !!!

संगीता: नहीं अभी नहीं...अब भी पाँच फुट का गैप है! ही...ही...ही...ही...

खेर वो रात मेरे लिए कभी न भूलने वाली रात थी! उस रात मैंने जो चाहा वो सब मिल गया| Thanks भगवान...and Thanks to you guys! सुहागरात के बारे में मैं कुछ नहीं लिख सकता क्योंकि NOW Its PERSONAL! Hope You'll understand !!!





samaapt
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: एक अनोखा बंधन

Post by jay »

friends mene stori post kar di hai

coment writter ko dena
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