कामुक कलियों की प्यास compleet

Post Reply
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कामुक कलियों की प्यास

Post by jay »

धरम अन्ना जल्दी से लौड़ा चूत पर टिका देता है और एक जोरदार झटका मारता है, एक ही बार में पूरा लौड़ा चूत में समा जाता है।
रचना- आह उफ़फ्फ़ धरम अन्ना खुद तो तुम कोयले जैसे काले हो उह लौड़ा भी बहुत गरम है तेरा… आ..हह.. आराम से करो ना… मैं कोई रंडी आ..हह.. नहीं हूँ जो आ..हह.. जिसे देखो लौड़ा चूत में डाल देता है…!
धरम अन्ना- आ..हह.. उहह उहह अईयो तुमको कौन बोला जी रंडी आ..हह.. तुम तो हूर होना जी आ..हह.. तुम्हारी चूत उफ्फ बहुत टाइट और गर्म है उह उह उह लो आ…!
रचना- आ..हह.. ऐइ उई उफ्फ धरम अन्ना आह चूत तो टाइट ही होगी आ ना मेरी उमर आ अभी क्या है उफ्फ…!
धरम अन्ना- सही कहा जी आ..हह.. लो आ..हह.. शरद चोदा तेरा भाई चोदा और सचिन चोदा उसके बाद भी चूत इतनी टाइट होना जी पहली बार समय सील टूटने के समय क्या हाल होना जी… आ..हह.. मेरा तो सोच कर दिल खराब होता आ…!
रचना- आह फास्ट धरम अन्ना यू फास्ट आ..हह.. फक मी हार्ड आ..हह.. आई एम गॉन फास्ट फास्ट उ ह आआआ…!
धरम अन्ना उसकी बातों से उत्तेज़ित हो गया और ज़ोर-ज़ोर से उसको चोदने लगा था। पाँच मिनट तक ये तूफान चलता रहा और धरम अन्ना के लौड़े ने गर्म पानी की पिचकारी चूत में छोड़ दी। रचना भी कूल्हे उठा-उठा कर झड़ने लगी थी।
धरम अन्ना- उईईइ ह मज़ा आ गया आहह यू आर सो हॉट बेबी आह…!
रचना- एयेए आआ धरम अन्ना बड़ा हरामी है तू आह उफ़फ्फ़…!
धरम अन्ना निढाल सा होकर एक तरफ लेट गया। दोनों लंबी साँसें लेने लगे।
दोस्तों चलो आपको बता दूँ कि अशोक और ललिता ऊपर गए, तब क्या हुआ था।
ललिता- अशोक प्लीज़ मेरी बात तो सुनो, रचना को धरम अन्ना से मत चुदने दो प्लीज़.. मेरी बात तो करवाओ एक बार धरम अन्ना से…!
अशोक- ललिता प्लीज़ मैंने तुम्हारी बात मानी, तुमको माफ़ किया इसका नाजायज फायदा मत उठाओ…!
ललिता- अशोक एक बार मेरी बात सुन लो। वो धरम अन्ना है ना वो…..
अशोक- चुप करो जिस रंडी बहन के लिए तुम्हारा दिल जल रहा है देखो कैसे वो धरम अन्ना का लौड़ा प्यार से चूस रही है इसको देख कर तुमको लगता है कि इसके साथ जबरदस्ती हो रही है।




ललिता भी रचना को देखती रह गई। उसको अपनी आँखों पर यकीन नहीं आ रहा था। अशोक उसके पास बेड पर बैठ गया और दोनों चुपचाप रचना का तमाशा देखने लगे। अशोक के लौड़े में तनाव आने लगा था। ये सब देख कर वो ललिता के पास बैठा था और उसका हाथ अपने आप ललिता के मम्मों पर चले गए। वो उनको दबाने लगा। ललिता को भी मस्ती चढ़ने लगी थी। वो भी अशोक के लंड को मसलने लगी। काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे के साथ खेलते रहे। जब धरम अन्ना ने रचना की चूत
में लौड़ा डाला, ललिता के मुँह से ‘आह’ निकल गई। उसकी चूत गीली हो गई थी। अशोक का भी बुरा हाल था। अब उसका बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। धरम अन्ना धकाधक रचना को चोद रहा था और अशोक ने ललिता को बेड पर सीधा लेटा कर उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया था।
दोस्तों ये दोनों तो गर्म हो गए। अब इनकी चुदाई पक्की शुरू होगी। आपको बीच मैं डिस्टर्ब करूँगी, तो आपको अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए पहले शरद क्या कर
रहा है, वो आप देख लो ओके।
शरद गुस्से में उस रूम में जाता है, जहाँ सब दारू पी रहे थे।
सुधीर- आओ भाई तुम भी पियो और जल्दी उस रंडी को हमारे हवाले करो…!
शरद- सुधीर जो दवा सिम्मी को दी थी, क्या अभी ला सकता है..? फिर तुम दोनों को रचना के साथ वो ही सब करना है जो उस समय किया था।
सुधीर- भाई 20 मिनट भी नहीं लगेंगे, आप बस किसी को गाड़ी लेकर साथ भेज दो। आज तो साली रंडी से गिन-गिन कर बदले लूँगा।
शरद सुधीर के साथ सचिन को भेज देता है और खुद वहाँ बैठकर शराब पीने लगता है।
चलो दोस्तों वो लोग आएं, तब तक वापस ललिता और अशोक के पास चलते हैं। अशोक ललिता के होंठों का रस पी रहा था और ललिता अपने हाथ उसकी पीठ पर
घुमा रही थी।
अशोक- आई लव यू.. ललिता, जब से तुमको देखा है, बस दीवाना हो गया हूँ तुम्हारा, भगवान का शुक्र है तुम निरपराध हो, वरना तुम्हें तकलीफ़ में
देख कर मुझे बहुत दुख होता।
ललिता कुछ नहीं बोल रही थी, बस अशोक के बालों में हाथ घुमा रही थी। अशोक ललिता के मम्मों को दबा रहा था।
ललिता- आ..हह.. धीरे से उफ्फ आप तो ऐसे दबा रहे हो, जैसे कभी किसी लड़की के दबाए ही ना हों।
अशोक- तेरी जैसी अप्सरा कभी मिली ही नहीं अब ये कपड़ों के बंधन से आज़ाद हो जाओ और आ जाओ मेरी बाँहों में।
ललिता- आप ही निकाल लो, रोका किसने है..!
अशोक एक-एक करके कपड़े उतार कर ललिता को नंगा कर देता है और उसकी मदमस्त चूत देख कर उसको चूम लेता है।
ललिता- सस्सस्स सीईई उफ़फ्फ़ कितनी गर्म साँसें हैं आपकी…!
अशोक चूत को चूसने लगता है। ललिता उसके सर को पकड़ कर चूत पर दबा लेती है। दो मिनट की चूत चूसाई के बाद अशोक सर उठाता है।
अशोक- जान तेरी चूत का तिल देखकर ही मेरा दिल इस पर आ गया था। मैं आज इस पर मेरे लौड़े की मुहर लगा दूँगा।
ललिता- उफ्फ अब मेरे बर्दाश्त के बाहर है, आपने चूत को चाट कर अपना बना लिया है। अब जल्दी से अपना लंड डाल दो बस…!
अशोक- अभी लो मेरी जान.. ये लो निकाला शर्ट और ये गई पैन्ट।
ललिता- रूको अंडरवियर मैं निकालूँगी।
अशोक- आ जाओ रानी, ये लो निकालो..!
ललिता ने अंडरवियर निकाला, लौड़ा फनफनाता हुआ बाहर आ गया। ललिता ने जल्दी से उसको अपने मुँह में ले लिया।
अशोक- उफ्फ जालिम क्या अदा से चूसती है साली.. मेरे लौड़े से तो बूँदें टपकने लगीं…!
ललिता के मुँह में लंड था, उसको हँसी आ गई। उसने और ज़ोर से लौड़े को चूसना शुरू कर दिया।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ बस भी कर साली.. दोबारा मुँह से ही ठंडा करेगी क्या.. चल बन जा घोड़ी… आज तेरी सवारी करूँगा, अब मेरा लौड़ा तेरी चूत का स्वाद चखेगा।
ललिता घुटनों पर आ जाती है।
ललिता- आराम से डालना जानू… चूत में दर्द है। शरद ने कल बहुत ठुकाई की है मेरी।
अशोक- डर मत रानी शरद के लौड़े से छोटा ही है… ले संभाल…!
अशोक ने टोपी चूत पर टिका कर हल्का धक्का मारा।
ललिता- आ..हह.. उई अशोक मज़ा आ गया आ..हह.. डाल दो पूरा आराम से।
अशोक ने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और धीरे-धीरे झटके मारने लगा। ललिता भी आपने कूल्हे पीछे धकेल कर मज़ा लेने लगी।
ललिता- आ..हह.. उई उफ्फ चोदो आ..हह.. मज़ा आ रहा है। आ..हह.. चोद लो उफ़फ्फ़ ससस्स कर लो अपना अरमान पूरा आ..हह.. आह ज़ोर से उ आह मज़ा आ रहा है…!
अशोक दे दनादन झटके मारने लगा। उसका लौड़ा चूत की गहराई तक जाता और पूरा बाहर आ जाता, फिर ज़ोर से अन्दर जाता। ललिता की नन्ही चूत इतना कहाँ बर्दाश्त कर पाती, उसका बाँध टूट गया।
ललिता- आआआ एयाया फास्ट प्लीज़ आह फास्ट मैं झड़ने वाली हूँ उईईइ मेरी चूत आआ..हह.. में बहुत तेज़ गुदगुदी हो रही है.. थोड़ा और ज़ोर से चोदो आ..हह..
प्लीज़ प्लीज़ आआ…!
ललिता की बातों से अशोक और ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया और अपनी पूरी ताक़त लगा कर झटके मारने लगा। दोनों के मिलन की आवाजें गूँजने लगीं “ठप..ठप..पूछ..पूछ..एयाया उईईइ आह उह उह उह..!” बस पाँच मिनट तक ये तूफ़ान चलता रहा। अशोक भी ललिता के साथ ही झड़ गया। आज उसके लंड ने इतना पानी छोड़ा, जितना शायद ही कभी निकला हो। दोनों के पानी का समागम हो गया और रूम में एकदम सन्नाटा हो गया। जैसे तूफ़ान के बाद सब ख़त्म हो जाता है, एकदम शान्त। दोनों बेड पर निढाल होकर गिर गए। दो मिनट की शांति के बाद अशोक ने ललिता के मम्मों को टच किया।
ललिता- क्या बात है तुम्हारा मन नहीं भरा क्या..!
अशोक- यार तुम ऐसी अप्सरा हो कि कभी मन नहीं भरेगा। चलो अब कपड़े पहन लो, नीचे क्या हो रहा है, देखते हैं..!
ललिता- अशोक मुझे धरम अन्ना के बारे में कुछ बताना है।
अशोक- बाद में बता देना, अभी चलो यहाँ से वरना शरद पता नहीं क्या सोचेगा।
दोनों नीचे आ जाते हैं। तब तक सुधीर और सचिन भी आ चुके थे, सचिन वहीं शरद के पास खड़ा था और सुधीर अन्दर रूम में दारू पीने चला गया।
शरद- आओ हीरो, आओ दिमाग़ ठीक हुआ क्या इसका.. या अब भी उस रंडी के लिए परेशान है ये?
ललिता- नहीं मेरा दिमाग़ उस समय भी ठीक था अब भी है, पर आपने मेरी बात सुनी ही नहीं, अब तो धरम अन्ना ने रचना को चोद लिया। अब तो मेरी बात धरम अन्ना से करवा दो।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कामुक कलियों की प्यास

Post by jay »

शरद कुछ सोचता है और उस रूम की तरफ जाने लगता है, जहाँ धरम अन्ना और रचना थे।
उधर धरम अन्ना फिर से रचना की गाण्ड को सहलाने लगता है।
रचना- क्या बात है धरम अन्ना, क्या इरादा है तुम्हारा?
धरम अन्ना- बेबी बस ये गाण्ड और मारने दो, उसके बाद मैं खुद शरद को समझाएगा जी…!
रचना- मार लो अब मना करूँगी तो मानोगे थोड़े ही तुम हरामी जो ठहरे…!
धरम अन्ना- ही ही ही तुम बहुत नॉटी होना जी.. आ..हह.. जाओ पहले मेरे नाग को तैयार करो जी।
रचना धरम अन्ना के लौड़े पर हाथ रख देती है, तभी डोर पर नॉक होती है।
धरम अन्ना- क्या हुआ जी?
शरद- डोर खोलो जल्दी से…!
धरम अन्ना मूड ऑफ करके डोर खोल देता है।
शरद- तुमने ठीक से बताया नहीं कि अमर कहाँ है, ठिकाने लगा दिया का मतलब कहीं तुमने उसको मार तो नहीं दिया न..!
धरम अन्ना- ना जी हम धरम अन्ना स्वामी किसी को मारना नहीं जी उसको पेपर साइन के लिए दिए साला होशियार निकला पेपर रीड कर लिया जी कुत्ता भड़क गया कि ब्लू-फिल्म के लिए उसको और उसकी बहन को कास्ट किया गया है। बस उसको कंट्रोल करने के लिए मेरा आदमी लोग बन्द करके रखना जी… वो इधर बाहर ही गाडी में पड़ा है।
शरद- क्या यार धरम अन्ना पागल हो क्या.. पहले क्यों नहीं बताया मैं समझा तुम्हारे कहने का मतलब है कि उसको किसी काम में बिज़ी कर आए हो।
धरम अन्ना- सॉरी जी..!
शरद- अशोक जाओ तुम उसको लेके आओ और जहाँ सब हैं वहीं उसको ले जाओ, साथ में आदमी लेके जाना, कहीं भाग ना जाए कुत्ता…!
अशोक- हाँ जाता हूँ सचिन आओ तुम साथ चलो।
दोनों वहाँ से चले जाते हैं।
शरद- अच्छा ये बताओ ये ललिता को जानते हो तुम?
धरम अन्ना- न..नहीं तो, क्यों कुछ कहा क्या इसने..!
शरद- कहा तो नहीं, मगर इसको तुमसे बात करनी है इसलिए पूछा…!
धरम अन्ना- क..क्या बात करनी है?
ललिता- चलो मेरे साथ रूम में बताती हूँ क्या बात करनी है…!
रचना तब तक बाहर आ चुकी थी और शरद को घूर रही थी।
शरद- ऐसे क्या देख रही है साली, भागना चाहती है क्या.. जा भाग जा मैं कल तेरी फिल्म रिलीज कर दूँगा।
रचना कुछ ना बोली और बस उसी हालत में शरद को देखती रही। दोस्तों इनको छोड़ो, ललिता और धरम अन्ना की बात सुनते हैं आख़िर माजरा क्या है?
ऐसी क्या बात है जो धरम अन्ना जैसा खिलाड़ी तुतला रहा है। धरम अन्ना रूम में जाते ही डोर लॉक कर देता है।
धरम अन्ना- बेबी सॉरी जी हम जानता नहीं था, रचना तुम्हारी बहन होना जी।
ललिता एकदम गुस्से में आँखें लाल कर लेती है।
ललिता- पहले पता नहीं था, पर आज तो पता चल गया था ना उसके बाद भी तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई… मेरी दीदी को हाथ लगने की… हाँ…!



Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कामुक कलियों की प्यास

Post by jay »

ललिता को गुस्से में देख कर धरम अन्ना के होश उड़ जाते हैं।
धरम अन्ना- बेबी हम तुम्हारे पैर पकड़ता जी प्लीज़ यहाँ किसी को कुछ मत कहना जी हम मर जाएगा जी प्लीज़…!
ललिता- साले कुत्ते, तेरी इतनी हिम्मत हो गई है मेरी दीदी को गंदा कर दिया है। तुझे जरा भी डर नहीं लगा मेरा हाँ अब देख मैं क्या करती हूँ..! बहुत शौक है ना तुझे ब्लू-फिल्म बनाने का… अब तेरी फिल्म सबको मैं दिखा दूँगी और टीना को सब कुछ बता दूँगी मैं.. फिर देखती हूँ कितना बहादुर है तू…!
धरम अन्ना- नहीं जी ऐसा मत करना… मैं कुछ नहीं करूँगा जी प्लीज़ अगर टीना को ये बात पता चल गई तो वो मर जाएगी प्लीज़…!
ललिता- अगर मैं चाहूँ तो तुमको कब का मार देती, पर क्या करूँ मजबूर हूँ टीना मेरी बेस्ट-फ्रेंड है और तुमने तो बहुत कोशिश की कि मुझे रास्ते से हटा दो, पर कामयाब नहीं हुए क्यों…. मार दो मुझे… तुम्हारा डर ख़त्म हो जाएगा…!
धरम अन्ना- नहीं जी तुम वो वीडियो किसके पास रखा जी बहुत हरामी होना वो.. अगर मैंने तुमको टच भी किया तो वो मेरी लाइफ बर्बाद कर देगा जी।
ललिता- मन तो करता है, तुझे अभी जान से मार दूँ, पर तेरे जैसे गंदे आदमी के खून से मेरे हाथ ही गंदे होंगे। अब बाहर जाकर तेरे जो मन में आए वो झूट बोल और यहाँ से निकल जा.. मेरे भाई को मारा तुमने.. उसका बदला मैं बाद में लूँगी.. अभी तो मुझे शरद और अशोक को मनाना है।
वहाँ अशोक और सचिन अमर को गाड़ी से निकाल कर उस रूम में ले जाते हैं, जहाँ सब मौजूद थे।
अमर- छोड़ो मुझे सालों एक-एक को देख लूँगा मैं…!
अशोक उसको कोने में लेजा कर धमकाने लगता है। सचिन भी कहाँ पीछे रहने वाला था, वो भी उसके साथ गालियाँ बकने लगा।
अशोक- साले मेरी बहन के साथ गंदा किया तूने… हाँ मादरचोद तेरे को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर भाग कर उसको छुड़ाता है।
सुधीर- भाई… इससे हमको रेट भी तो पूछना है इसकी बहन का… जाने दो आप… हम देख लेंगे आप बाहर जाओ…!
सचिन- चल अशोक इसको ये सब बता देंगे बाहर चलते हैं।
वो दोनों बाहर आए तभी धरम अन्ना और ललिता भी बाहर आ जाते हैं।
धरम अन्ना- शरद जी हमको थोड़ा अर्जेंट काम होना जी हम जाता, आप का प्लान तो कामयाब हो गया जी… अब आप अपने हिसाब से बदला लो.. मेरे को जाने दो…!
शरद- क्यों धरम अन्ना आख़िर बात क्या है? मैं बहुत समय से देख रहा हूँ तुम ललिता से नजरें नहीं मिला रहे हो और इसने ऐसा क्या कह दिया जो रचना को
बिना चोदे जा रहे हो?
धरम अन्ना- चोद लिया जी बस मन भर गया। आप मेरा बहुत अच्छा दोस्त होना जी।
प्लीज़ मुझ को जाने दो मैं तुमको नहीं बता सकता जी प्लीज़…!
अशोक- ललिता, ऐसा क्या कह दिया तुमने..! ये क्यों जा रहा है? ऐसी क्या बात हुई तुम दोनों के बीच… हाँ…!
धरम अन्ना- नहीं अशोक जी प्लीज़ इसको कुछ मत पूछो, मैं आपसे वादा करता हूँ समय आने पर खुद आपको बताएगा जी… अभी मैं जाता और ललिता तुमको तुम्हारी माँ का कसम जी किसी को कुछ मत बताना जी..!
शरद- अरे धरम अन्ना ऐसा क्या हो गया जो तुम ऐसे घबरा रहे हो?
धरम अन्ना- प्लीज़ शरद जी मेरे को जाने दो बाद में सब मैं खुद बताएगा जी..!
धरम अन्ना आपने आदमी लेकर वहाँ से चला जाता है। अशोक और सचिन बस ललिता को देख रहे थे और शरद कुछ सोच रहा था। रचना अब भी वहीं खड़ी थी। शरद सीधा उस रूम में जाता है जहाँ वो तीनों थे।
अमर- शरद ये सब क्या है? इन लोगों ने मुझे सब बता दिया है तुम बदला लेने के लिए इतना गिर जाओगे..! मैं सोच भी नहीं सकता।
शरद- चुप बहनचोद मैं अपनी जान का बदला लेने के लिए तुम लोगों के साथ खेल रहा हूँ.. पर तू तो अपनी बहनों को चोद चुका है, तुझे शर्म नहीं आई..!
अंकित- क्या… इसने दोनों को चोदा है… हाय रे हमारी फूटी किस्मत…. साले हमें भी देदे ना अपनी दोनों रंडी बहनों को कसम से बड़े प्यार से चोदेंगे।
अमर- चुप कर साले हरामी तेरी औकात में रह…!
सुधीर को गुस्सा आ गया और वो उठकर गया और उसने अमर का कॉलर पकड़ लिया, अंकित भी साथ हो लिया। शरद ने उनको रोका अमर बेहाल सा होकर एक साइड में बैठ गया।
शरद- साले अगर जीना चाहता है तो वहीं बैठा रह।
अमर कुछ बोलना चाहता था, पर अभी उसे ठुकाई का डर उसको याद आ गया।
शरद उन दोनों को समझा कर बाहर आ जाता है।
शरद- ललिता ऐसी क्या बात की तुमने धरम अन्ना से कि वो दुम दबा कर भाग गया।
मैं पागल नहीं हूँ सब समझता हूँ तू मेरे को झूट बोली ना कि तू हमारे साथ है… साली छिनाल… अपनी बहन को बचाने के लिए तू तड़प रही है। अब देख तुम दोनों का क्या हाल करता हूँ मैं..!
ललिता- नहीं शरद जी आप गलत सोच रहे हो। मैं बस उस धरम अन्ना से दीदी को नहीं चुदवाना चाहती थी। मुझे नफ़रत है उस आदमी से।
शरद- क्यों उसने तेरी गाण्ड मारी थी क्या? जो नफ़रत है?
ललिता- प्लीज़ अभी कुछ मत पूछो, आपके दोस्त की बदनामी होगी उसने आपको मना भी किया पूछने से…!
रचना- शरद प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैंने जो किया गुस्से में किया, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो…!
शरद- साली, बहन की लौड़ी अब माफी माँग रही है, इतनी आसानी से तुझे माफी नहीं मिलेगी, पहले तेरा घमण्ड तोड़ूँगा मैं…!
ललिता चुप खड़ी सब सुन रही थी और शरद रचना को गालियाँ दे रहा था। बस रचना माफी माँगे जा रही थी, तभी सुधीर दवा लेकर आ गया। शरद वो गोली लेकर पानी के गिलास में मिला देता है और सुधीर के साथ मिलकर ज़बरदस्ती रचना को पिला देता है। रचना बचने की बहुत कोशिश करती है, पर नाकाम रहती है। पाँच मिनट तक सब शान्त थे रचना को चक्कर आने लगे।
शरद- सुधीर जाओ अंकित को बुला ला…!
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कामुक कलियों की प्यास

Post by jay »

सुधीर अन्दर जाता है अंकित शराब पीकर मस्त था। सुधीर भी बोतल साथ ले आया और किसी भूखे कुत्ते की तरह वो रचना को घूरने लगे।
रचना- प्लीज़ शरद जी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ अशोक तुम तो माफ़ कर दो मुझे… इन कुत्तों के हवाले मत करो… इन्होंने सिम्मी को बहुत तड़पाया था प्लीज़…!
ये सुनकर अशोक के रोंगटे खड़े हो गए, पर तभी शरद बोल पड़ा।
शरद- सालों जैसा उस दिन किया अगर आज वैसा नहीं हुआ ना तो तुम दोनों को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर- हाँ भाई आप बस देखो दोनों बहनों को आज तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे…!
ललिता- प्लीज़ शरद अब भी वक़्त है रोक लो इन्हें… दीदी को माफ़ कर दो.. आपने हमारे साथ जो किया आप उसको कैसा बदला समझा रहे हो…. हाँ… अरे आपने चोदा और सब से चुदवाया.. साथ में मेरी भी लाइफ बर्बाद कर दी। मेरा तो कोई कसूर ही नहीं था.. प्लीज़ समझो बात को.. दीदी जलन में अंधी हो रही
थी और आप बदले की भावना में अंधे हो रहे हो।
शरद- चुप कर कुत्ती… सिम्मी मेरी जान थी…!
ललिता- अरे तो उसकी मौत का कितना बदला लोगे… हाँ… हम दोनों बहनों की इज़्ज़त आपने दांव पर लगा दी.. ये दो कुत्ते जिन्होंने सिम्मी को बर्बाद किया। आप इनको दोबारा वो ही हैवानियत करने को बोल रहे हो… इससे अच्छा तो है मार दो..! हमें ताकि तुम्हारे दिल को सुकून मिले, अरे मैं तो कब से जानती हूँ पर मैं
चुप रही, क्योंकि मैं भी मानती हूँ दीदी ने गलत किया, पर कहाँ लिखा है? जो पाप करे उसके घर वालों को भी सज़ा मिलनी चाहिए..! अब तुमको जो
करना है करो, लेकिन मैं बेगुनाह हूँ, तुमने मेरे साथ जो किया उसका बदला मुझे देदो मेरी इज़्ज़त वापस देदो, फिर मार दो दीदी को..!
ललिता रोए जा रही थी और बोल रही थी। रचना को होश नहीं था, पर वो अन्दर से रो रही थी। अमर भी बाहर आ गया और अशोक के पैर पकड़ लिए।
अमर- प्लीज़ ललिता की बात मान लो, माफ़ कर दो हमको, नादानी समझो या सेक्स की भूख हमसे ग़लती हुई है, प्लीज़ माफ़ कर दो…!
अशोक- भाई एक बात कहूँ जो हुआ गलत हुआ अब हम जो कर रहे हैं.. वो भी गलत है, जाने दो ना, इनको सज़ा मिलनी थी मिल गई, इन कुत्तों को सज़ा
दे दो, मैं नहीं रोकूँगा बस।
“ओके तुम कहते हो, तो मान लेता हूँ। ये माफी के काबिल तो नहीं है, पर ललिता की बातों ने मुझे भी झकजोर दिया है।”
शरद की बात सुनकर सुधीर और अंकित सन्न रह गए।
सुधीर- सालों हमें मारने का सोच रहे हो क्या? हम पागल हैं… भाग अंकित वरना ये साले छोड़ेंगे नहीं हमको…!
वो दोनों भागते इसके पहले अशोक ने उनको पकड़ लिया। नशे की हालत में कहाँ भागते कुत्ते। उन दोनों को वापस अन्दर बन्द कर दिया और सब रूम में आकर बैठ गए और बातें करने लगे।
सचिन- यार सही है, जो हुआ बहुत हुआ इतनी सज़ा काफ़ी है भाई उन वीडियो का क्या करना है अब…!
शरद- ख़त्म कर दो सब, आज ललिता ने हमें पाप करने से बचा लिया है।
अशोक- मगर भाई इस अमर ने मेरी सिम्मी की गाण्ड मारी थी। इसको सज़ा तो मिलनी चाहिए ना…!
अमर- अरे यार अब सब ठीक हो गया, प्लीज़ भूल जा ना और तू मेरी बहन की गाण्ड मार ले। हिसाब बराबर हो जाएगा… प्लीज़ यार हम सब एन्जॉय करेंगे न…!
शरद- साला बहनचोद इतना बड़ा हरामी है ना तू इतना सब हो गया अब भी तेरी लार टपक रही है चूत पर…!
ललिता- शरद जी इसमें गलत क्या कहा भाई ने…! अब सब ठीक हो गया है तो चलो ना एक ग्रुप-सेक्स हो जाए मज़ा आएगा…!
अमर- रचना को देखो, उसको तो होश ही नहीं है, कहाँ शामिल हो पाएगी वो…!
ललिता- मैं हूँ न.. सब मिलकर मुझे चोदो मेरा हाल से बेहाल कर दो ताकि दीदी ने जो किया, उसकी सज़ा के तौर पर मैं अपने आप को खुश समझूँगी कि मैंने
दीदी को बचा लिया।
अशोक- नहीं ललिता तुम सह नहीं पाओगी। हम 4 हैं.. मर जाओगी और अब सज़ा किस बात की? सब ठीक हो गया ना?
ललिता- अरे अशोक जी सज़ा नहीं, तो मज़ा ही सही… पर मेरा मन है, बस हम ग्रुप-सेक्स करेंगे..! चोदो मुझे सब मिल कर मज़ा लो मेरी जवानी का…!
अमर- जा भाई अशोक इसकी गाण्ड पर तेरा हक़ है, तू तोड़ इसकी गाण्ड की सील..! मैं तो चूत से मन भर लूँगा।
शरद- ये सही रहेगा, सचिन तुम इसके मुँह को चोदो मैं धरम अन्ना के पास जाकर आता हूँ।
ललिता- ओह शरद जी आप के बिना मज़ा नहीं आएगा। सब से बड़ा हथियार तो आपके पास है।
अशोक- अरे यार ललिता अब शरद क्या तेरे कान में लौड़ा डालेगा? जाने दे ना उसको..!
ललिता- नहीं, अशोक भाई रचना को चोद लेगा वैसे भी मैंने उससे चुदाई करवा ली है। अब सचिन को चूत का स्वाद दूँगीं, आप गाण्ड मारना और शरद जी के लौड़े का टेस्ट बहुत अच्छा है। मैं उसको चुसूंगी बस…!
अमर- अरे वाह मैं अकेला रचना को आराम से चोदूँगा, सोई हुई भी बड़ी मस्त लग रही है वो, पहले चूत से शुरू करता हूँ.. यार ललिता वो तो सोई है, जल्दी से मेरा लौड़ा चूस कर गीला कर दे न.. प्लीज़…!
ललिता- ओके ओके.. सब कपड़े निकाल दो, अब यहाँ कोई कपड़े में नहीं रहेगा। अमर दीदी को भी नंगा कर दो जल्दी से…!


सुधीर अन्दर जाता है अंकित शराब पीकर मस्त था। सुधीर भी बोतल साथ ले आया और किसी भूखे कुत्ते की तरह वो रचना को घूरने लगे।
रचना- प्लीज़ शरद जी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ अशोक तुम तो माफ़ कर दो मुझे… इन कुत्तों के हवाले मत करो… इन्होंने सिम्मी को बहुत तड़पाया था प्लीज़…!
ये सुनकर अशोक के रोंगटे खड़े हो गए, पर तभी शरद बोल पड़ा।
शरद- सालों जैसा उस दिन किया अगर आज वैसा नहीं हुआ ना तो तुम दोनों को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर- हाँ भाई आप बस देखो दोनों बहनों को आज तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे…!
ललिता- प्लीज़ शरद अब भी वक़्त है रोक लो इन्हें… दीदी को माफ़ कर दो.. आपने हमारे साथ जो किया आप उसको कैसा बदला समझा रहे हो…. हाँ… अरे आपने चोदा और सब से चुदवाया.. साथ में मेरी भी लाइफ बर्बाद कर दी। मेरा तो कोई कसूर ही नहीं था.. प्लीज़ समझो बात को.. दीदी जलन में अंधी हो रही
थी और आप बदले की भावना में अंधे हो रहे हो।
शरद- चुप कर कुत्ती… सिम्मी मेरी जान थी…!
ललिता- अरे तो उसकी मौत का कितना बदला लोगे… हाँ… हम दोनों बहनों की इज़्ज़त आपने दांव पर लगा दी.. ये दो कुत्ते जिन्होंने सिम्मी को बर्बाद किया। आप इनको दोबारा वो ही हैवानियत करने को बोल रहे हो… इससे अच्छा तो है मार दो..! हमें ताकि तुम्हारे दिल को सुकून मिले, अरे मैं तो कब से जानती हूँ पर मैं
चुप रही, क्योंकि मैं भी मानती हूँ दीदी ने गलत किया, पर कहाँ लिखा है? जो पाप करे उसके घर वालों को भी सज़ा मिलनी चाहिए..! अब तुमको जो
करना है करो, लेकिन मैं बेगुनाह हूँ, तुमने मेरे साथ जो किया उसका बदला मुझे देदो मेरी इज़्ज़त वापस देदो, फिर मार दो दीदी को..!
ललिता रोए जा रही थी और बोल रही थी। रचना को होश नहीं था, पर वो अन्दर से रो रही थी। अमर भी बाहर आ गया और अशोक के पैर पकड़ लिए।
अमर- प्लीज़ ललिता की बात मान लो, माफ़ कर दो हमको, नादानी समझो या सेक्स की भूख हमसे ग़लती हुई है, प्लीज़ माफ़ कर दो…!
अशोक- भाई एक बात कहूँ जो हुआ गलत हुआ अब हम जो कर रहे हैं.. वो भी गलत है, जाने दो ना, इनको सज़ा मिलनी थी मिल गई, इन कुत्तों को सज़ा
दे दो, मैं नहीं रोकूँगा बस।
“ओके तुम कहते हो, तो मान लेता हूँ। ये माफी के काबिल तो नहीं है, पर ललिता की बातों ने मुझे भी झकजोर दिया है।”
शरद की बात सुनकर सुधीर और अंकित सन्न रह गए।
सुधीर- सालों हमें मारने का सोच रहे हो क्या? हम पागल हैं… भाग अंकित वरना ये साले छोड़ेंगे नहीं हमको…!
वो दोनों भागते इसके पहले अशोक ने उनको पकड़ लिया। नशे की हालत में कहाँ भागते कुत्ते। उन दोनों को वापस अन्दर बन्द कर दिया और सब रूम में आकर बैठ गए और बातें करने लगे।
सचिन- यार सही है, जो हुआ बहुत हुआ इतनी सज़ा काफ़ी है भाई उन वीडियो का क्या करना है अब…!
शरद- ख़त्म कर दो सब, आज ललिता ने हमें पाप करने से बचा लिया है।
अशोक- मगर भाई इस अमर ने मेरी सिम्मी की गाण्ड मारी थी। इसको सज़ा तो मिलनी चाहिए ना…!
अमर- अरे यार अब सब ठीक हो गया, प्लीज़ भूल जा ना और तू मेरी बहन की गाण्ड मार ले। हिसाब बराबर हो जाएगा… प्लीज़ यार हम सब एन्जॉय करेंगे न…!
शरद- साला बहनचोद इतना बड़ा हरामी है ना तू इतना सब हो गया अब भी तेरी लार टपक रही है चूत पर…!
ललिता- शरद जी इसमें गलत क्या कहा भाई ने…! अब सब ठीक हो गया है तो चलो ना एक ग्रुप-सेक्स हो जाए मज़ा आएगा…!
अमर- रचना को देखो, उसको तो होश ही नहीं है, कहाँ शामिल हो पाएगी वो…!
ललिता- मैं हूँ न.. सब मिलकर मुझे चोदो मेरा हाल से बेहाल कर दो ताकि दीदी ने जो किया, उसकी सज़ा के तौर पर मैं अपने आप को खुश समझूँगी कि मैंने
दीदी को बचा लिया।
अशोक- नहीं ललिता तुम सह नहीं पाओगी। हम 4 हैं.. मर जाओगी और अब सज़ा किस बात की? सब ठीक हो गया ना?
ललिता- अरे अशोक जी सज़ा नहीं, तो मज़ा ही सही… पर मेरा मन है, बस हम ग्रुप-सेक्स करेंगे..! चोदो मुझे सब मिल कर मज़ा लो मेरी जवानी का…!
अमर- जा भाई अशोक इसकी गाण्ड पर तेरा हक़ है, तू तोड़ इसकी गाण्ड की सील..! मैं तो चूत से मन भर लूँगा।
शरद- ये सही रहेगा, सचिन तुम इसके मुँह को चोदो मैं धरम अन्ना के पास जाकर आता हूँ।
ललिता- ओह शरद जी आप के बिना मज़ा नहीं आएगा। सब से बड़ा हथियार तो आपके पास है।
अशोक- अरे यार ललिता अब शरद क्या तेरे कान में लौड़ा डालेगा? जाने दे ना उसको..!
ललिता- नहीं, अशोक भाई रचना को चोद लेगा वैसे भी मैंने उससे चुदाई करवा ली है। अब सचिन को चूत का स्वाद दूँगीं, आप गाण्ड मारना और शरद जी के लौड़े का टेस्ट बहुत अच्छा है। मैं उसको चुसूंगी बस…!
अमर- अरे वाह मैं अकेला रचना को आराम से चोदूँगा, सोई हुई भी बड़ी मस्त लग रही है वो, पहले चूत से शुरू करता हूँ.. यार ललिता वो तो सोई है, जल्दी से मेरा लौड़ा चूस कर गीला कर दे न.. प्लीज़…!
ललिता- ओके ओके.. सब कपड़े निकाल दो, अब यहाँ कोई कपड़े में नहीं रहेगा। अमर दीदी को भी नंगा कर दो जल्दी से…!


Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कामुक कलियों की प्यास

Post by jay »



अमर ने जल्दी से रचना को नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। इतनी देर में वो तीनों भी नंगे हो गए थे।
ललिता- वाउ क्या बात है… कितने लौड़े मेरी नज़रों के सामने हैं…. भाई आपका 6 का, सचिन का 7.30 के लगभग होगा, अशोक आपका 8 का और सबसे बड़ा शरद जी का 9″ का, ऐसा लग रहा है, जैसे लौड़ों की दुकान लगी हो। हर साइज़ के मिल रहे हैं हा हा हा हा…!
शरद- दुकान नहीं लगी है रंडी, आज तेरी ठुकाई ऐसे होगी कि आज के बाद तू हाथी का लौड़ा भी अपनी चूत में लेने से नहीं डरेगी हा हा हा हा…!
सब के सब शरद की बात सुनकर हँसने लगे।
ललिता- शरद जी मैं कच्ची कली हूँ… आप मुझे रंडी क्यों बोल रहे हो…!
शरद- प्यार से मेरी जान, सेक्स के समय जितनी गालियाँ दो, प्यार का मज़ा आता है, मगर तुम मुझे गाली मत देना क्योंकि मुझे गाली सुनना पसन्द नहीं है।
हाँ देनी है, तो तेरे हरामी भाई को दे देना।
अमर- हाँ बहना मुझे चाहे जितनी गाली दो, अब कोई फरक नहीं पड़ता। अब जल्दी से लौड़ा चूस न.. ऐसे क्या बातों में समय खराब कर रही है यार…!
ललिता- ओके..ओके.. सब गोल घेरा बना कर खड़े हो जाओ, मैंने एक इंग्लिश फिल्म में देखा है, एक लड़की सब के लौड़े कैसे चूसती है।
शरद- अच्छा मेरी रानी को इंग्लिश पोज़ बनाना है… साली अभी जब लौड़ा चूत और गाण्ड में जाएगा न.. तो इंग्लिश तो दूर हिन्दी भी भूल जाओगी..! बस उईई आईईइ करेगी जैसे कोई चाइना की बिल्ली करती है हा हा हा हा हा…!
दोस्तों उस कमरे का माहौल ऐसा हो गया, जैसे कभी कुछ हुआ ही ना हो। सही कहते हैं सज़ा देने वाले से माफ़ करने वाला ज़्यादा बड़ा होता है। सब गोल घेरा बना कर खड़े हो गए। तकरीबन सब के लौड़े तने हुए थे। ललिता एक-एक करके सब के लौड़े चूस रही थी। जीभ से चाट रही थी। रचना बेहोश नहीं थी, बस उसकी आँखें बन्द थीं। वो सब सुन रही थी मगर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ बोलने की और ललिता लौड़ों का रस लेने में बिज़ी थी।
अशोक- उफ्फ तेरे होंठों का कमाल है ललिता आ क्या मज़ा आ रहा है…!
अमर- अरे बहना साली… मेरा लौड़ा थोड़ी देर लेती है, तेरे यार सचिन का ज़्यादा चूस रही है।
ललिता- चुप साले बहनचोद मेरा यार सचिन नहीं अशोक है समझे…!
शरद- साली मादरचोद रंडी रात तक तो तेरा यार मैं था… अब अशोक हो गया। लगता है साली लौड़े के साथ ही तेरा यार बदल जाता है।
ललिता- ही ही ही ही सॉरी शरद जी मजाक कर रही थी, आप तो मेरे यार से बढ़ कर हो। आपने तो इस क़ाबिल बनाया कि आज लौड़े नहीं, लौड़ों को चूस रही
हूँ ही ही ही ही…!
ललिता को हंसता देख अशोक ने जल्दी से उसके खुले मुँह में पूरा लौड़ा फँसा दिया और बाल पकड़ कर झटके मारने लगा।
अमर- बस भाई मुझ से अब बर्दाश्त नहीं होता मैं तो चला रचना को चोदने।
सचिन- अब बस भी कर अशोक, इसके मुँह में झड़ने का इरादा है क्या? कर दे साली की गाण्ड का मुहूरत…!
शरद- चल छिनाल, अब चुदने को तैयार हो जा। सचिन नीचे लेट जा और इसकी चूत में लौड़ा डाल दे।
सचिन सीधा लेट जाता है, ललिता उसके लौड़े पर बैठ जाती है, ‘सर्रर्र’ से लौड़ा चूत में समा जाता है।
ललिता- आईईईई उफफफफ्फ़ ककककक…!
शरद- बस रंडी, अभी से नाटक मत कर अभी तेरी गाण्ड बाकी है। अशोक अच्छे से थूक लगा कर डाल दे।
अशोक- हाँ भाई आप अपना बम्बू इसके मुँह में डाल दो ताकि साली ज़्यादा शोर ना मचाए।
ललिता सचिन पर लेट गई। आगे से शरद ने अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया और अब उसकी गाण्ड का गुलाबी सुराख अशोक के सामने था। अशोक ने लौड़े पर अच्छे से थूक लगाया और उसकी गाण्ड पर थूक कर छेद में ऊँगली से थूक डाल दिया। ललिता मस्ती में शरद का लौड़ा चूस रही थी। सचिन अपना लौड़ा डाले शान्त
पड़ा रहा, ताकि अशोक आराम से गाण्ड में लौड़ा घुसा दे। अशोक ने ऊँगली से गाण्ड को खोंला और अपनी टोपी फंसा कर जोरदार धक्का मारा…. आधा लौड़ा गाण्ड को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया, ललिता बस “गूं गूं अईयू” करती रही, मुँह में जो लौड़ा फँसा हुआ था। अशोक ने देर ना करते हुए लौड़ा पीछे खींचा और दोबारा पूरी ताक़त से लौड़ा अन्दर डाला। अबकी बार पूरा 8″ का लौड़ा गाण्ड की गहराइयों में खों गया। ललिता को इतना दर्द हुआ, अगर लौड़ा मुँह में नहीं होता, तो उसकी चीखों से पूरा फार्म गूँज जाता।
शरद- उईईई साली काटती क्यों है, आ..हह.. यार अशोक आराम से डाल ना देख कैसे आँखों में आँसू आ गए बेचारी के…!
नीचे से सचिन धका-धक चोदने में बिज़ी था।
सचिन- उह उह आ..हह.. इसी को आह…आह शौक चढ़ा था, ग्रुप-चुदाई का आह आहा…!
अशोक भी अब दे दना-दन शॉट मार रहा था। उधर अमर रचना की चूत में लौड़ा पेले जा रहा था। वो भी एकदम मस्ती में था।
अमर- आ आ..हह.. चोदो आ..हह.. मेरी दोनों बहनों को एक साथ चुदाई करो उफ्फ मज़ा आ रहा है, रचना माय डार्लिंग काश तुम होश में होतीं… उफ्फ देखो ललिता
का कैसे गैंग-बैंग हो रहा है।
पन्द्रह मिनट तक ललिता की गाण्ड और चूत में धक्के लगते रहे और शरद उसके मुँह को चोदने में बिज़ी था। ललिता इस तिहरी चुदाई से दो बार झड़ गई थी।
अब अशोक का बाँध भी टूटने वाला था, वो फुल स्पीड से दोनों को चोदने लगा।
अशोक- आह आह उहह उहह मैं गया आ..हह.. इसकी गाण्ड बहुत मस्त है आ… अशोक ने पूरा पानी गाण्ड में भर दिया और लौड़ा निकाल कर साइड में लेट गया।
लौड़ा निकलते ही ‘पुच्छ’ की आवाज़ आई और ललिता को असीम दर्द का अहसास हुआ। ललिता ने शरद का लौड़ा मुँह से निकाल दिया।
ललिता- आइ उफ्फ आ..हह.. शरद जी आ..हह.. डाल दो लौड़ा गाण्ड में… उफ्फ ये दर्द अब मज़ा देने लगा है… आप भी मेरी गाण्ड का मज़ा लो आ..हह….!
जैसे ही शरद ने लौड़ा गाण्ड में घुसाया,
ललिता- आईईईई उइ मा मर गई आ..हह.. ससस्स आह सचिन आह उफ़फ्फ़ ज़ोर से चोदो आ..हह.. मैं गई उफ़फ्फ़ आईईइ…!
सचिन और ज़ोर से चोदने लगा। वो भी झड़ने के करीब था।
सचिन- आ..हह.. ले साली छिनाल आ..हह.. उह उह आ..हह.. एयाया उफफफफ्फ़…!
सचिन भी झड़ गया, पर शरद तो गाण्ड का भुर्ता बनाने में लगा हुआ था। अमर एकदम स्पीड बढ़ा देता है और अपना पूरा पानी रचना की चूत में छोड़ देता है।
अमर- आह उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया शरद सब झड़ गए… अब तू भी पानी निकाल दे यार.. क्यों मेरी बहन की गाण्ड की गंगोत्री बना रहा है।
शरद- आ..हह.. उह उह अबे चुप साले मादरचोद इस रंडी को पूछ… मज़ा आ रहा है या नहीं… उह उह कहाँ ऐसा लौड़ा मिलेगा इसको… उह आ आ…!
ललिता- आ..हह.. उ आ..हह.. हा भाई उफ्फ दर्द तो बहुत है पर आ आ..हह.. सच में ऐसा तगड़ा आ..हह.. लौड़ा कहाँ मिलेगा आ..हह…..!
शरद अब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा था शायद उसके लौड़े में झनझनाहट हो गई थी।
ललिता- आ..हह.. उफ्फ तेज़ शरद जी आ..हह.. प्लीज़ लौड़ा आ आ..हह.. मेरी चूत में डाल कर ही पानी निकालना आ..हह.. मेरा भी आह निकलने वाला है आ..हह.. उ…!
शरद ने जल्दी से लौड़ा गाण्ड से निकाला और ललिता की चूत में पेल दिया।
ललिता- आइ आइ कितना चुदवा कर भी आ आपका लौड़ा तो चूत में आ..हह.. दर्द ही करता है…उईई अब फास्ट प्लीज़ आ..हह.. फास्ट मैं गई आ आ..हह.. आह…!
दोनों एक साथ झड़ जाते हैं।
अमर- वाउ यार ललिता की गाण्ड तो देखो कैसे लाल हो गई है और छेद देखो कैसे खुला हुआ है, यार शरद तेरा लौड़ा बहुत भारी है कसम से मेरी बहनों की तो लॉटरी निकल गई.. ऐसा लौड़ा पाकर…!
अशोक- बस कर साले कुत्ते, अभी भी मेरे दिमाग़ में सिम्मी घूम रही है, साले तेरी जान ले लूँगा मैं अब…!
सचिन- भाई उन दो कुत्तों का क्या करना है अब..!
शरद- रहने दो उनको वहीं पर। थोड़ा रेस्ट कर लो सब.. बाद में बात करेंगे…!
सब नंगे ही वहाँ सो गए जैसे यहाँ कोई सेक्स का मेला लगा हो ललिता को नींद नहीं आ रही थी। उसकी गाण्ड में बहुत दर्द था, वो उठकर बाथरूम में चली गई और गर्म पानी करके टब में गाण्ड और चूत सेंकने लगी। करीब आधा घंटा वो वहीं बैठी रही। फिर नहाकर रूम में आकर बेड पर लेट गई। चुदाई की थकान से उसको भी नींद आ गई। दोपहर तक सब के सब सोते रहे। सबसे पहले रचना की आँख खुली अब दवा का असर जाता रहा। रचना ने सब पर निगाह मारी और सीधी बाथरूम में चली गई। बीस मिनट बाद फ्रेश होकर वो नंगी ही बाहर आई, तब अशोक नींद में ललिता के ऊपर पैर डाले पड़ा था और उसका लौड़ा ललिता की जाँघों पर चढ़ा हुआ था।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply