सामूहिक चुदाई compleet

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rajsharma
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Re: सामूहिक चुदाई

Post by rajsharma »

ललिता अपनी चूत में राज का लंड पिलवाते हुए हर धक्के के साथ ‘श.. श.. आ.. आ..’ कर रही थी और बोल रही थी- हाय राज क्या मस्त चोद रहे हो… और ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे, बहुत दिनों के बाद आज मेरी कायदे से चुद रही है… हाय क्या मस्त लौड़ा है तुम्हारा… मेरी चूत… लग रही है आज फट ही जाएगी… तुम रुकना मत.. मुझे आज खूब चोदो… चोद-चोद कर मेरी चूत का भोसड़ा बना दो।

राज भी ललिता की चूची दबाते हुए अपनी कमर उठा-उठा कर हचक-हचक कर ललिता को चोद रहा था और बोल रहा था- हाय मेरी चुदक्कड़ रानी… आज तक तूने जय का लंड खाया है, आज तुझे मैं अपने लंड से चोद-चोद कर तेरी चूत का बाजा बजा दूँगा… आज तेरी चूत की खैर नहीं…!

इधर जय मेरी चूत चोदते हुए बोल रहा था- हाय मेरी जान.. तुम इतने दिन क्यों नहीं मुझसे चुदवाई… आज तेरी चूत देख.. मैं कैसे चोदता हूँ… तेरी चूत मेरे लंड के लिए ही बनी हुई है… आज के बाद तू सिर्फ़ मुझसे चुदवाएगी… ले ले मेरे लंड की रानी.. ले.. मेरे लंड की ठोकर खा.. अपनी चूत के अन्दर… मज़ा आ रहा कि नहीं.. मेरी जान.. बोल ना..! बोल.. कुछ तो बोल…!

पूरे कमरे में बस पक… पक.. पका.. पक.. की आवाज़ गूँज रही थी।

तभी अचानक जय ने मुझे चोदते-चोदते अचानक चोदना बंद कर दिया और अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर के मुझे पलंग पर से उठने के लिए बोला। जैसे ही मैं पलंग पर से उठी तो जय झट मेरी जगह पर लेट गया और मुझे अपने ऊपर खींच करके मुझसे उस पर चढ़ कर के चोदने के लिए बोला।

मैं तो गर्म थी ही और इसलिए मैं जय की कमर के दोनों तरफ अपने हाथों को रख कर के जय के लंड को अपने हाथों से पकड़ के उसके सुपारे पर एक चुम्मा दिया और जय के ऊपर चढ़ गई, अपने हाथों से जय का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद से भिड़ा दिया।

जय ने भी नीचे से मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथों से पकड़ कर उनको दबाते हुए नीचे अपना कमर उठा कर के अपना लंड मेरी चूत के अन्दर पेल दिया।

मैं जय के ऊपर बैठ कर उसके लंड को अपने चूत में लेती हुई मुड़ कर देखने लगी कि राज ने भी ललिता की चूत मारने का आसान बदल लिया है और वो अब ललिता को घोड़ी बना करके उकडूँ होने के लिए कह रहा था। उसके बाद राज ने ललिता के बड़े चूतड़ों को पकड़ कर उसे पीछे से चोदना शुरू कर दिया।

ललिता घोड़ी बन कर राज के धक्कों का जवाब देने लगी और मैं भी जय को ऊपर से तेज़ी से जय को चोदने लगी। थोड़ी ही देर में हम चारों एक साथ झड़ गए।

झड़ते समय जय ने मुझे अपने से चिपका लिया और अपना लंड जड़ तक मेरी चूत में घुसेड़ कर अपना पूरा का पूरा माल मेरी चूत की गहराई में छोड़ दिया।

उधर राज भी ललिता को अपने चिपका कर ललिता की चूत अपने लंड के पानी से भर दिया। झड़ते वक़्त मैं और ललिता ने अपने हाथों से जय और राज को अपने से सटा लिया था और जैसे ही चूत के अन्दर लंड का फुव्वारा छूटा.. चूत ने भी अपनी अपना रस छोड़ दिया।

अपनी इस पहली अदला-बदली चुदाई के बाद हम सब बहुत थक गए और थोड़ी देर तक अपनी जगह पर लेट कर और बैठ करके सुस्ताने लगे।

जय अपना लंड मेरी चूत से बिना निकाले मेरे ऊपर ही पड़ा रहा और अपने हाथों से मेरी चूचियों से खेलता रहा और कभी-कभी मेरी होंठों पर चुम्मा दे रहा था, मैं भी जय को चुम्मा दे रही थी।

उधर राज भी ललिता की चूत से अपना लंड बिना निकाले उसकी चूचियों को चूस रहा था।
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: सामूहिक चुदाई

Post by rajsharma »

थोड़ी देर के बाद जब सांस थोड़ी सी ठीक हुई तब हम लोग बिना कपड़े पहने नंगे ही ड्राइंग-रूम में आए, कमरे में आकर जय ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरी चूचियों से खेलने लगा।

उधर राज ने ललिता को पीछे से पकड़ा और अपना झड़ा हुआ लंड उसके नंगे चूतड़ों से रगड़ने लगा।

मैं और ललिता दोनों जय और राज की नंगी गोद में बैठ कर अपने अपने हाथों को पीछे करके उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया।

तभी जय ने ललिता से एक गिलास पानी माँगा, ललिता नंगी ही रसोई की तरफ चल दी और राज भी उसके पीछे-पीछे चल दिया।

जय एक सोफे पर बैठ गया और मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। मेरे नंगे चूतड़ उसके लम्बे लंड से छू रहे थे। राज और ललिता रसोई से ड्रिंक्स और खाने का सामान लेकर वापस आए।

राज ने भी ललिता को अपनी गोद में अपने लंड पर बिठा लिया और उसके चूतड़ों से खेलने लगा। इस तरह से दोनों लोग एक-दूसरे की पत्नियों के नंगे बदन से जी भर के खेलने लगे।

अचानक राज ने जय से पूछा- जय, बताओ तुमको डॉली कैसी लगी, खास कर उसकी चूत तुम्हें पसंद आई या नहीं?

जय ने उत्तर दिया- क्या बात करते हो राज..! डॉली को चोदने में तो मज़ा आ गया… अपने चूतड़ उठा-उठा कर… क्या चुदवाती है..! और सबसे मज़ा डॉली की चूची मसलने में है, क्या मस्त चूची है डॉली की…! कब से मैं ऐसी मस्त बड़ी-बड़ी चूचियों वाली औरत को चोदने के चक्कर में था, पर तुम बताओ कि तुम्हें ललिता को चोदने में कैसा मज़ा आया?

राज बोला- यार जय, मुझे भी ललिता की कसी हुई चूत चोदने में बड़ा मज़ा आया… मेरा लंड ललिता की चूत में फँस-फँस कर घुस रहा था। ललिता जब अपनी टांग उठा कर अपनी चूत में मेरा लंड पिलवा रही थी तब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी बहुत दिनों से एक छोटी-छोटी चूचियों और बड़े-बड़े चूतड़ों वाली औरत को चोदने के सपने देख रहा था। चाहो तो डॉली से पूछ लो।

मैंने कहा- हाँ राज को तो बस ललिता जैसी बीवी चाहिए थी। राज अपनी औरत को उल्टा लिटा करके पीछे से चूत में चोदना पसंद करता है और साथ ही साथ उसके भारी-भारी चूतड़ों से खेलना पसंद करता है।

यह सुन कर ललिता बोली- अच्छा तो राज को मेरे जैसी और जय को डॉली जैसी बीवी चाहिए थी, फिर हम क्यों ना एक-दूसरे से जीवन भर के लिए पति और पत्नी को बदल लें? वैसे मुझे भी राज के लंड की चुदाई बहुत अच्छी लगी। चूत चुदवाते वक़्त लग रहा था कि मेरी चूत पूरी की पूरी भर गई है।

राज तब झुक कर ललिता के होंठों को चूमते हुआ बोला- ललिता, थैंक्स फॉर दि कॉंप्लिमेंट्स… वैसे सारी उम्र का तो मैं नहीं जानता, पर मैं डॉली को ललिता से बदलने के लिए हमेशा तैयार हूँ। मुझे ललिता की चूत में लंड पेलना बहुत अच्छा लगा।

यह सुन कर जय बोला- यार राज, क्या बात है। तूने तो मेरे मन की बात कह डाली। तुम भी जब चाहो ललिता के साथ मज़ा ले सकते हो, उसकी चूत चाट सकते हो, उसकी चूत चोद सकते हो, चाहो तो तुम ललिता की गान्ड में अपना लंड भी घुसेड़ सकते हो। राज, कल शनिवार है और अगर तुम चाहो तो डॉली को मेरे पास ही कल तक रहने दो और तुम डॉली की जगह ललिता को अपने साथ घर ले जाओ।
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Re: सामूहिक चुदाई

Post by rajsharma »

राज ने उत्तर दिया- जय, इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है। मैं डॉली को तुम्हारे पास छोड़ जाता हूँ और तुम ललिता को कल शाम को आकर ले जाना, लेकिन पहले हम लोगों को ललिता और डॉली से भी पूछ लेना चाहिए कि उनकी क्या राय है। क्या वो अपने पति की गैर मौजूदगी में किसी और के लंड अपने चूत में पिलवाना चाहेंगी या नहीं?

राज की बात सुन कर ललिता सबसे पहले बोली- डॉली की बात तो मैं जानती नहीं, लेकिन मुझे जब नंगी करके जय के सामने एक बार राज चोद चुका है तो मुझे अब कोई फरक नहीं पड़ता कि राज दोबारा मुझे जय की गैर मौजूदगी में चोदता या जय के सामने चोदता। मुझे तो इस समय बस राज की चुदाई की खुमारी चढ़ी हुई है और मैं फिर से राज के लंड अपने चूत में पिलवाना चाहती हूँ।



ललिता की बातों को सुन कर मैं भी तब जय के लंड को अपने हाथों से मरोड़ते हुए बोली- हाय मेरी छिनाल ललिता रानी, तू एक बार राज का लंड खाकर ही उस पर फिदा हो गई? कोई बात नहीं, जा मैं आज और कल तक के लिए तुझे राज का लंड में दिया… जा तू अपनी चूत मेरे प्यारे राज के लंड से चुदवा या अपनी गान्ड मरवा… मैं आज रात तेरे पति के लण्ड से अपना काम चला लूँगी। वैसे ललिता मेरी जान, तेरा ठोकू खूब दम से ठोकता है अपना लंड। मुझे तो मज़ा आ गया और तुम लोगों के जाने के बाद मैं तो जय से फिर अपनी चूत में उसका लंड ठुकवाऊँगी।

ललिता और मेरी बातों को सुन कर जय और राज बहुत खुश हो गए और हम लोगों को ढेर सारी चुम्मियाँ दीं और चूचियाँ मसलीं।

फिर राज ललिता को मेरे कपड़े पहना कर अपने साथ ले गया और मुझे जय के पास नंगी छोड़ गया। सच बताऊँ तो जय और मैं अपने इस पहली अदला-बदली चुदाई के अनुभव से इतने उत्साहित हुए कि राज और ललिता के घर से जाते ही फिर से चुदाई में लग गए।

बाद में राज ने बताया कि उसने भी घर जाकर सारी रात ललिता को मेरे बिस्तर पर पटक कर खूब चोदा।

राज और ललिता के जाते ही जय ने सबसे पहले मुझको अपने बाँहों में लेकर के खूब चूमा और मेरी दोनों चूचियों को दबाया, मसला और चूसा फिर मुझे अपनी गोद में नंगी ही उठा लिया और बिस्तर पर ले आया।

बिस्तर पर लाकर जय ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे बगल में लेट कर मेरी चूचियों को दबाते हुए बोला- डॉली मेरी जान, मैं तुम्हें आज सारी रात जैसा तुम चाहोगी वैसे चोद कर पूरा मज़ा देना चाहता हूँ। बोलो आज रात मेरे साथ तुम अपनी चूत कैसे चुदवाना चाहती हो?

मैंने भी जय के मुँह से अपनी एक चूची लगाती हुए बोली- तो फिर मैं जैसे कहूँ वैसे मुझे धीरे-धीरे चोद कर सारी रात मुझे और मेरी चूत को मज़ा दो।

जय ने पूछा- तो बताओ मैं क्या करूँ… जो तुम बताओगी वही मैं करूँगा।

मैंने जय से अपने ऊपर नंगे लेट कर पहले मेरा सारा नंगा बदन चूमने और चाटने के लिए कहा। जय झट से मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी नंगे बदन को सर से पैर तक चूमने लगा। पहले उसने मेरे होंठों को खूब चूमा, फिर मेरी चूचियों को खूब चूसा। उसके बाद मेरे पैर से लेकर मेरी जगहों तक मेरे बदन को खूब चूमा और चाटा। जय ने मेरे पेट को, मेरी नाभि को, मेरी चूत के ऊपर के उभरे हुए त्रिकोण को जी भर के चाटते हुए मेरी सब जगहों और मेरे पैरों को खूब चाटा।

मुझे जय के इस तरह से चूमना और चाटना बहुत अच्छा लग रहा था और जय भी बहुत मन लगा कर के मेरा सारा बदन चूम रहा था और चाट रहा था।

इतनी चुम्मा-चाटी के बाद भी अभी तक जय ने मेरी चूत के अन्दर अपनी जीभ नहीं घुसेड़ी थी।

अब मेरी चूत के अन्दर चीटियाँ रेंगना चालू हो गईं।

फिर उसके बाद मैं पेट के बल लेट गई और जय से फिर अपने सारे बदन को पीछे से चाटने को कहा। जय फिर मेरी गर्दन को, मेरी पीठ को और मेरे पैरों को चाटने लगा। अब मैंने जय से मेरे चूतड़ों को चाटने को कहा।

क्रमशः..................
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Re: सामूहिक चुदाई

Post by rajsharma »

गतान्क से आगे.....................

जय ने जी भर के मेरे चूतड़ों को अपने हाथ से फैला कर, उनके अन्दर अपनी जीभ डाल कर खूब चूमा और चाटा।

फिर मैंने जय को मेरी पीछे से चूत के आस-पास चूमने को कहा, मैंने जय को अपनी जीभ से मेरी चूत को धीरे-धीरे चाटने को कहा।

जय बड़े आराम से मेरी चूत चाटने लगा।

थोड़ी देर चूत चटवाने के बाद मेरी चूत पानी छोड़ दिया और मैंने जय को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

इसके बाद मैंने जय को मेरे ऊपर चढ़ा कर अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर डालने को कहा।

जय ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और मैं जय का लौड़ा बड़े आराम से अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी।

मैं जैसे-जैसे जय का लंड चाट और चूस रही थी, वैसे-वैसे उसके लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया।

जय अपने हाथों से मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा।

थोड़ी देर में ही मेरे चूसने से जय का लंड तन्ना कर खड़ा हो गया..!

जब जय का लंड पूरा का पूरा तन गया तो उसने मुझसे बोला- अरे मेरी लंड की रानी, अब तो छोड़ दो मेरे लंड को… मुझे अब तुम्हारी चूत में अपना लंड पेलना और तुम्हें चोदना है… देखो ना मेरा लंड अकड़ कैसे खड़ा हो गया है.. यह अब तुम्हारी चूत में घुसना चाहता है… चलो अब चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाओ।

जय का बात सुन कर मैं जय का लण्ड अपने मुँह से निकाल कर जय से बोली- हाय मेरी चूत के राजा, जैसे तुम्हारा लौड़ा तन कर खड़ा हुआ है, वैसे ही मेरी चूत भी लंड खाने के लिए अपनी लार छोड़ रही है। मेरी चूत बहुत गीली हो गई है, अब मैं भी तुमसे अपनी चूत चुदवाना चाहती हूँ। चलो अब जल्दी से अपना यह मोटा सा डंडा मेरी चूत में घुसेड़ो और चूत को चोद-चोद कर फाड़ दो।

जय मेरी बातों को सुन कर मेरे ऊपर से नीचे उतर गया और मेरी टाँगों के बीच बैठ गया। टाँगों के बीच बैठने के बाद जय ने मेरी टाँगों को अपने हाथों से खोल कर मेरी चूत को खोला और अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रख कर एक धक्के से पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर घुसेड़ दिया।

मैंने भी अपनी टाँगों को जितना हो सका, खोल कर जय का लंड अपनी चूत में ले लिया, लेकिन जय के धक्के के साथ साथ मेरे मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई।

जय ने मेरी चीख सुन कर के पूछा- क्या हुआ, डॉली तुम्हारी चुदी-चुदाई चूत क्या फिर से फट गई? अरे अभी तो सिर्फ़ लंड चूत के अन्दर डाला है, अभी तो पूरी चुदाई बाकी है और तुम अभी से चीख रही हो?

मैं जय की बातों को सुन कर बोली- साले हरामी चूत के पिस्सू, ऐसे धक्का मारा जाता है? चुदक्कड़ बीवी के चोदू खसम, अबे यह तेरी बीवी की चूत नहीं है, कि जैसे मर्ज़ी चोद रहा है… साले आराम-आराम से चोद..!

फिर मैंने जय से प्यार से बोली- जय, ऐसे नहीं, धीरे-धीरे, अपने लंड को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाले बिना, हल्के-हल्के धक्के मार कर, जी भर के सारी रात चोद कर मुझे मज़ा दो। ऐसे जल्दी-जल्दी से चोदने से क्या फायदा? तुम जल्दी झड़ जाओगे और मुझे भी मज़ा नहीं मिलेगा।

अब जय मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा। थोड़ी देर तक धीरे-धीरे चोदने के बाद जय ने मेरी टाँगें पकड़ कर ऊपर फैला लीं और अपने लंड को मेरी चूत से पहले आधा निकालता फिर उसको मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ देता।

मुझे इस धीमी चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा था। मैं जय की कमर को अपने पैरों से पकड़ कर उसको अपनी चूचियों से चिपका लिया और अपनी कमर उठा-उठा कर जय का लंड अपनी चूत में पिलवाने लगी।

जय की इस धीमी चुदाई से मेरी चूत अब तक तीन बार पानी छोड़ चुकी थी, लेकिन चूत और चुदना चाहती थी।

थोड़ी देर जय मुझे धीरे-धीरे चोदने के बाद मुझसे से बोला- मेरी रानी, अब बहुत हो गया है.. अब मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने दो। वैसे ललिता को मैं तो रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदता हूँ और ललिता भी चुदते-चुदते ज़ोर-ज़ोर से चोदने के लिए बोलती है। अब तुम अपनी चूत संभालो और मैं तेज़ी से चोदता हूँ।

इतना कहने के बाद जय ने मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथों से कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर तेज़ी से उठा-उठा कर मुझे चोदने लगा।

अब मैं भी बहुत गर्म हो गई थी और मैंने भी जय को अपने दोनों हाथों और दोनों पैरों से पकड़ कर उससे चिपक कर जय की चुदाई का मज़ा लेने लगी।

थोड़ी देर मेरी चूत में लंड तेज़ी से पेलने के बाद जय का लंड मेरी चूत के अन्दर ठुमका मारने लगा और मैं समझ गई कि अब जय झड़ने वाला है।

वैसे मैं भी अब झड़ने वाली थी।

मैंने जय का मुँह खींच कर अपने चूचियों पर सटाते हुए जय से बोली- जय, जल्दी से तुम मेरी चूची चूसते हुए मुझे चोदो, मैं भी अब झड़ने वाली हूँ। चूची चुसवाते हुए चुदने से मैं बहुत जल्दी झड़ूँगी।

जय झट से मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

मैं भी अपनी चूतड़ उचका-उचका कर जय के लंड से चुदवाने लगी।

थोड़ी देर में जय ने लंड तेज़ी से मेरी चूत में अन्दर तक पेल कर पानी छोड़ दिया और मेरी चूत को अपने पानी से भर दिया।

मैंने भी उसी समय अपनी चूत का पानी जय के लंड के ऊपर छोड़ दिया।

हम लोग इस चुदाई से बहुत ही थक गए थे और बिना चूत से लंड निकाले एक-दूसरे को अपने से चिपका कर सो गए।
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Re: सामूहिक चुदाई

Post by rajsharma »

सुबह जब आँख खुली तो देखा कि जय मेरी बगल में नंग-धड़ंग सो रहा है और मैं भी बिल्कुल नंगी हूँ।

पहले तो मैं चौंक गई फिर बाद में बीती रात की सारी घटना याद आई और मैं एक बार के लिए शरमा गई।

फिर मैंने गौर से जय को देखा, सुबह होने पर भी उसका लंड फिर से खड़ा हो कर हवा में झूम रहा है। उस समय जय के लौड़े का सुपारा पूरी तरह से खुला हुआ था और बिल्कुल टमाटर की तरह लाल था।

मैं जय के लंड का ऐसा मस्त नज़ारा देख कर अपने आप को रोक नहीं पाई और बैठ कर उस लंड को अपने हाथों से पकड़ अपने मुँह से आगे लगा लिया।

मुँह से लगते ही जय का लंड और भी अकड़ गया।

मुझे जय के लंड से अपनी चूत की महक आ रही थी।

मैंने जय का लंड अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगी।

जय की आँख खुल गई और उसने अपने हाथों से मुझे जकड़ लिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मुझे बेतहाशा चूमने लगा।

थोड़ी देर चूमने के बाद जय ने मेरी नंगी चूचों से खेलने लगा और उन्हें चूसने लगा।

फिर जय ने मुझसे बोला- रानी, मुझे तुम्हारा नींद से जगाने का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। चलो अब हम तुम अब 69 की पोजीशन में एक-दूसरे के चूत और लंड चूसते हैं।

मैं झट बिस्तर पर फिर से लेट गई और जय उठ कर मेरे पैरों की तरफ अपना सर करके लेट गया। पहले जय मेरी चूत से थोड़ा खेला और फिर ऊपर चढ़ करके मेरी चूत चाटने लगा।

मैं भी जय का लंड अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी।

थोड़ी देर तक मैं और जय एक-दूसरे का लंड और चूत चाटते और चूसते रहे। फिर वो मेरे ऊपर से उठ गया और मुझे अपने पेट के बल लेटने के लिए बोला।

मैंने फ़ौरन जय से पूछा- क्यों? सुबह सुबह अपने दोस्त की बीवी की गाण्ड मारने का इरादा है क्या?

जय तब अपने हाथों से मुझे उल्टी लिटाते हुए बोला- नहीं, अभी मैं तुमको कुतिया बना कर पीछे से चोदूँगा और तुम एक कुतिया की तरह अपनी गान्ड हिला-हिला कर मेरा लंड अपनी चूत में पीछे से पिलवाओगी।

मैं तब बिस्तर पर अपने चार हाथ और पैरों के सहारे कुतिया की तरह हो गई और जय झट से उठ कर मेरे पीछे बैठ गया और पीछे से मेरे चूतड़ों को चाटने लगा और थोड़ी देर के बाद मेरी चूत भी चाटना और चूसना शुरू कर दिया।

तब जय ने मुझसे बोला- क्यों मेरी चुदक्कड़ डॉली रानी, तुम्हें अपनी गान्ड मरवाने की बहुत जल्दी पड़ी हुई है। अभी तो मैं तेरी चूत की चोद-चोद करके उसको चौड़ी करूँगा और फिर नाश्ता करने के बाद तेरी गान्ड में अपना लंड घुसेड़ कर तेरी गान्ड का छेद चौड़ा करूँगा।

जय की बातों को सुन कर मैं जय से बोली- मेरी चूत और गान्ड की बातों को छोड़, तुम अपनी बीवी की चूत और गान्ड की चिंता करो जय… मेरे महा चोदू पति ने अब तक तुम्हारी बीवी की चूत और गान्ड चोद-चोद कर उसके दोनों छेद चौड़े कर दिए होंगे। तुम्हें शायद नहीं मालूम कि राज को औरतों की गान्ड मारने का बहुत शौक है और अब तक वो अपने लंड कम से दो-तीन बार ललिता की गान्ड में डाल चुका होगा।

जय मेरी बातों को सुन कर बोला- कोई बात नहीं, राज अगर ललिता की चूत और गाण्ड की छेद चौड़े कर रहा है तो मैं भी तुम्हारी चूत और गाण्ड की छेद बड़े कर दूँगा।

फिर थोड़ी देर के बाद जय ने मेरे पीछे से मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चूत से सटा कर एक हल्का सा धक्का मारा और उसका सुपारा मेरी चूत में समा गया।

मैंने भी अपने बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी कमर को पीछे की तरफ धकेला और जय का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।

अब जय ने मेरी कमर को पकड़ कर अपना कमर चला करके मुझे चोदना शुरू कर दिया। इस आसन में जय का लौड़ा मेरी चूत की बहुत गहराई तक पहुँच रहा था और मुझे भी मज़ा मिल रहा था।

जय ने तब अपने दोनों हाथों को नीचे से बढ़ा कर मेरे दोनों रसीले पके आमों को, जो हवा में झूल रहे थे, पकड़ लिया और मसलने लगा।

थोड़ी देर तक मेरी चूचियों से खेलने के बाद जय मेरी चूत की घुंडी से खेलने लगा और इसी तरह से वो मुझे चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद जय ने चूत में अपना लंड का पानी छोड़ दिया और मेरी चूत को भर दिया।

मैं भी जय के साथ-साथ झड़ गई और बिस्तर पर औंधे लेट कर सुस्ताने लगी। जय भी मेरी पीठ पर पड़ा-पड़ा सुसताने लगा।

थोड़ी देर सुसताने के बाद जय मेरे ऊपर से हट गया और मैं भी तब पलंग पर उठकर अपनी चूत को पहले चादर से पोंछा और फिर बाथरूम चली गई।

जब मैं बाथरूम से नहा-धो कर निकली तो देखा कि जय अपने लंड को पकड़ कर सहला रहा है और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया है।

मैंने जय से पूछी- क्या बात है? तुम्हरा हथियार फिर से खड़ा हो गया है? अभी उसको अपने हाथ से ही ठंडा करो और मैं अभी चाय-नाश्ता बनाने जा रही हूँ।

जय मेरी तरह देखते हुए बोला- अरे रानी, तुम चीज़ ही ऐसी हो कि तुम्हारी याद आते ही यह पिस्टन तैयार हो जाता है तुम्हारे सिलेण्डर में जाने के लिये !

तुम्हारी चूत बिल्कुल मक्खन मलाई जैसी है, जी करता है उसको मैं हमेशा चूमूँ, चाटूं और चोदूँ।

ठीक है.. अभी तुम चाय-नाश्ता बनाओ और मैं भी बाथरूम जा रहा हूँ। लेकिन चाय-नाश्ते के बाद मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।

लोग कहते हैं किसी औरत की चुदाई तब तक पूरी नहीं होती, जब तक उसकी गाण्ड में लंड ना पेला जाए। इसलिए मैं अभी नाश्ता करने के बाद तुम्हारी गण्डिया में अपना लाण्डिया पेलूँगा।



इतना कह कर जय बाथरूम चला गया और मैं नाश्ता बनाने रसोई में चली आई। रसोई में सबसे पहले नाश्ता बनाया और चाय बनाई।

जब तक मैं चाय-नाश्ता बना रही थी कि जय बाथरूम से नहा-धो कर बिल्कुल नंगा ही निकल आया और मुझसे कहने लगा- डॉली, चलो अब तुम भी नंगी हो जाओ..! हम लोग नंगे ही बिस्तर पर बैठ कर चाय-नाश्ता करेंगे।
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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