खिलोना compleet

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rajsharma
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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

खिलोना पार्ट--18

आश्चर्या से रीमा का मुँह खुला रह गया,जब होश आया तो चादर खींच कर उसने अपना नन्गपन ढँक लिया.

"क्या छुपा रही हो,जानेमन?तुम्हारे बदन के रोम-रोम से तो मैं वाकिफ़ हू."

शर्म से रीमा का चेहरा लाल हो गया,उसने धीरे से सर घुमा कर अपने ससुर की ओर देखा तो इस बार पहले से भी ज़्यादा हैरत मे पड़ गयी-वो उसे देखते हुए मुस्कुरा रहे थे & वैसे ही नंगे बैठे थे.

बाहर बदलो के गरजने की ज़ोरदार आवाज़ आई & फिर तेज़ बारिश शुरू हो गयी,"चलो कुच्छ तो राहत मिलेगी इस उमस से.",शेखर अपने कपड़े उतार रहा था,"..आहह..!.."

"क्या हुआ शेखर?",विरेन्द्र जी ने उसके कराहने की वजह पुछि.

1 जगह फुटपाथ से टकरा कर पैर मे चोट लग गयी है.",उसने अपने जूते उतारे तो सबने देखा की टखने के पास 1 ज़ख़्म था जिस से बह के खून सुख चुका था.

"हमारी बहू अभी तुम्हारी मरहम-पट्टी कर देगी,आख़िर ट्रेंड नर्स है भाई!",वीरेंद्र जी ने ठहाका लगाया.रीमा की तो कुच्छ समझ मे नही आ रहा था.आख़िर ये दोनो बाप-बेटे कैसा खेल खेल रहे थे?

"शेखर अब पूरा नंगा हो चुका था,"नहा के आता हू,फिर ज़रा मेरी पट्टी कर देना,रीमा."रीमा ने जवाब मे कुच्छ ना कहा,"..ओह!पिताजी,ये बेचारी तो अभी भी हैरत मे है.ज़रा इसे समझाइये...अब इतनी परेशान क्यू हो,जानेमन?अब तो तुम्हे कुच्छ च्छुपाने की ज़रूरत भी नही.जब तुम्हारा जी करे,हम मे से जिसके साथ जी करे, जैसे चाहे बिना किसी डर के चुदाई कर सकती हो.",वो उसके पास आया & उसके गाल पे हाथ फेरने लगा,"..है ना अच्छी बात!वैसे भी तुम्हे चुदाई कितनी पसंद है,पिच्छले 1-1 1/2 महीने से हम दोनो देख ही रहे हैं!",दोनो बाप-बेटे ने ज़ोर का ठहाका लगाया & शेखर बाथरूम मे घुस गया.

विरेन्द्र जी ने उसकी चादर खींच कर हटा दी & अपनी बाई बाँह मे उसके कंधे को घेर अपने करीब कर लिया,"तुम्हे शर्म आ रही है,है ना?...& ये भी लग रहा होगा कि ना जाने हम दोनो तुम्हे कैसी लड़की समझते हैं.",उन्होने उसे पास खींच उसके गाल को चूम लिया,"..अपने मंन से ये सारी बाते निकाल दो.हम दोनो समझते हैं कि जिस्म की भूख होती ही ऐसी है & इसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही है ना ही हम तुम्हे ऐसी-वैसी लड़की समझते हैं."

रीमा का दिमाग़ तो जैसे काम ही नही कर रहा था,पर उसने बड़ी कोशिश कर उसे दौड़ाना शुरू किया...दोनो बाप-बेटे मिले हुए थे,फिर 1 दूसरे को पसंद ना करने का नाटक क्यू खेला?

तभी शेखर नहा कर आ गया,"रीमा ज़रा अपना फर्स्ट-एड बॉक्स तो ले आओ.देखो ना,फिर से खून बह रहा है."

"हां,फिर मैं तुम्हारे मंन मे उठ रहे सारे सवालो का जवाब दूँगा.",विरेन्द्र जी ने कहा.

रीमा उठ कर कमरे से निकल गयी,अंदर बाप-बेटे कुच्छ बात कर रहे थे.बाहर आ कर वो छुप कर दरवाज़े से कान लगा कर खड़ी हो गयी,"..क्या कहा आपने,पिताजी,आप उसे सारी बात बता देंगे?"

"हां."

"मगर क्यू?!",दोनो काफ़ी धीमी आवाज़ मे बोल रहे थे.

"देखो,कल 12 बजे तक,किसी भी हाल मे हमारा काम हो जाएगा,फिर इसकी क्या ज़रूरत है?"

"तो इसे भी ख़तम कर देंगे?"

"हां.पर कल सवेरे तक ये हम दोनो का दिल लगाए रखेगी..लेकिन अगर इसके मन के सवालो का जवाब नही दिया तो ये उस गर्मजोशी से बिस्तर मे हमारा साथ नही दे पाएगी.इसीलिए मैने उस से ऐसा कहा."

"मान गये आपको!"

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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

रीमा वाहा से दबे पाँव भाग कर अपने कमरे मे आ गयी,उसका पूरा बदन पसीने से नहा गया था..ये लोग उसकी जान लेना चाहते थे,मगर क्यू?क्या फ़ायदा होगा इस से उन्हे?उसे किसी भी तरह इनके चंगुल से निकलना था.उसने टवल से पसीने को पोंच्छा & फिर अपना फर्स्ट एड बॉक्स उठा लिया.

आज तक वो इस धोखे मे थी कि वो इन दोनो मर्दो से खिलोने की तरह खेल रही है,पर हक़ीक़त ये थी कि वो उन दोनो के हाथो का खिलोना थी & अभी तक दोनो उस से जी भर के खेले थे.लेकिन आज वो अपने इसी जिस्म का फिर से इस्तेमाल करेगी & उनके जाल को काट कर यहा से निकलेगी..वो सवेरे तक उस से मन बहलाना चाहते थे ना!ठीक है,वो उनकी इस ख्वाहिश को ज़रूर पूरा करेगी मगर पहले उनके मुँह से उनका ये सबसे बड़ा राज़ निकलवाएगी.

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"ये लीजिए हो गयी पट्टी.",दोनो बाप-बेटे पलंग के हेडबोर्ड से टेक लगाके नंगे बैठे थे.रीमा उठी तो शेखर ने खींच कर उसे अपनी गोद मे बिठा लिया & उसके बदन को मसल्ते हुए चूमने लगा.

"अरे बेटा,इसे यहा बीच मे बिठा..ज़रा हम भी तो थोडा मज़ा ले,फिर अभ तो इसे कितनी बाते बतानी हैं.",उन्होने रीमा को बीच मे खींच लिया.दोनो बाप बेटे ने उसके दोनो हाथो मे अपने-2 लंड थमा दिए.

"हां,अब ठीक है..चलो हिलाओ,रीमा.",विरेन्द्र जी ने उसे कहा तो रीमा दोनो ले लुंडो को हिलाने लगी.

"रीमा,तुम्हे याद है हमने तुम्हे कजरी के बारे मे बताया था..",रीमा ने हां मे सर हिलाया तो विरेन्द्र जी मुस्कुरा के उसकी जाँघ सहलाने लगे,उनकी देखा-देखी शेखर भी उसकी दूसरी जाँघ पे हाथ फेरने लगा,"..तो मैने उस दिन तुमसे थोडा झूठ बोला था.

"अब सही कहानी सुनो.छैल मे उन 4 दीनो मे हमने ना जाने कितनी बार कजरी की चूत मे अपना पानी छ्चोड़ा & सुमित्रा की चूत मे बस 2 बार.पर कुदरत का कमाल देखो-कजरी तो नही सुमित्रा प्रेग्नेंट हो गयी!",रीमा ने चौंक के उन्हे देखा.

"हां,मैं भी ऐसे ही चौंक उठा था.खैर,उसके बाद हमने कजरी को पैसे दे के विदा किया & 9 महीने बाद ये हमारे साहबज़ादे सुमित्रा की कोख से बाहर आए.",शेखर अपने बाप को देख के मुस्कुराया & रीमा की छाती को दबाने लगा.

"जब ये 3 महीने का हुआ तो 1 बार फिर कजरी हमारे दरवाज़े पे आ कर खड़ी हो गयी.उसके पति का अभी तक कुच्छ पता नही चला था & मा-बेटी का हाल बुरा था.लेकिन कजरी इस बार केवल पैसो के लिए हमारे पास नही आई थी,उसे कुच्छ और भी वाहा खींच लाया था.वो था ये जिसे तुम अपने हाथो मे लिए हिला रही हो."

"..हमारे साथ छैल मे वो छुट्टिया बिताए 1 साल हो गया था & इस 1 साल मे वो किसी से भी नही चुदी थी,ऐसा उसने हमे बाद मे बताया.उसे देख कर मेरी आँखो मे भी चमक आ गयी थी.सुमित्रा को भी इस नये अंदाज़ मे चुदाई बहुत पसंद आई थी,सो हमने उसे काम पे रख लिया..",अपनी बहू की छाती को झुक के उन्होने चूम लिया.

"क्या दिन थे वो भी!कितनी खूबसूरत राते हम तीनो ने गुज़ारी थी!..लेकिन उसके बाद कजरी प्रेग्नेंट हो गयी.अब समस्या ये थी कि सब जानते थे कि उसका पति तो गायब है,तो सब उसपे उंगलिया उठाने लगते.मैने 1 बार फिर अपना तबादला कराया & 9 महीने तक किसी को भनक नही लगने दी कि कजरी मा बनाने वाली है.फिर उसने उस बच्चे को जनम दिया जो आगे जाके तुम्हारा पति बना.",रीमा बस हैरत से उनकी कहानी सुने जा रही थी,उसके हाथ दोनो मर्दो के लंड को वैसे ही हिला रहे थे.

"..सुमित्रा & मैने सबको ये बताया था कि सुमित्रा दुबारा मा बनाने वाली है.रवि को जनम देने के बाद कजरी 3 महीने तक हमारे साथ रही & उसके बाद वो चली गयी,उसे भी डर था कि कही ये राज़ ना खुल जाए.ऐसा होने पे उसकी बड़ी बदनामी होती.",विरेन्द्र जी ने उसके हाथ को अपने लंड से खींचा & अपनी गर्दन मे डाल दिया & झुक कर उसकी चूची चूसने लगे.शेखर ने भी फ़ौरन अपने बाप की नकल उतारी.

"..हम तो कजरी को भूल ही चुके थे कि 1 दिन अचानक हमारे पास 1 वकील ये खबर ले के आया कि उसकी क्लाइंट मिसेज़.राय जो कि राई ग्रूप ऑफ इंडस्ट्रीस के मालिक सूरज राइ की पत्नी हैं,मुझ से मिलना चाहती हैं.",रीमा की छाती से मुँह हटा अब वो उसके चेहरे को चूम रहे थे.
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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

"..यहा से करीब 3 घंटे के सफ़र के बाद 1 बड़ा-सा शहर आता है-आवंतिपुर.ये राइ इंडस्ट्रीस वही बेस्ड है.अब .100 करोड़ के टर्नोवर वाले ग्रूप की मालकिन को मुझ से क्या काम आन पड़ा था-ये सोच के मैं हैरान था.सूरज राइ को मरे भी 2-3 बरस बीत चुके थे."

"..खैर,मैं उनके घर राइ विला पहुँचा & वाहा जब मैं मिसेज़.राइ के कमरे मे दाखिल हुआ तो चौंक उठा-मेरे सामने बिस्तर पे काफ़ी बीमार कजरी लेटी हुई थी.",शेखर अब जोश से भर चुका था & रीमा को नीचे लिटा उसे चोदना चाहता था.

"अभी नही बेटे,पहले इसे पूरी बात सुन लेने दो.",उन्होने उसे रोका,"..चलो तुम थोड़ी देर अपने हाथ इसके बदन से हटा लो & तुम भी कहानी सुनो."

"..कजरी की कहानी भी कमाल की थी!उसके पति को विदेश मे किसी ऐसे जुर्म के लिए जैल भेज दिया गया था जो उसने किया ही नही था.उसे जैल मे काफ़ी टॉर्चर भी सहना पड़ा था.जब ये हक़ीक़त सामने आई तो वाहा की अदालत ने केवल उसे जैल से रिहा करवा कर वाहा की सरकार से माफी दिलवाई बल्कि 1 मोटी रकम भी मुआवज़े के तौर पे दी.उस रकम से यहा आके अपनी मेहनत के बल पे सूरज राइ ने अपना बिज़्नेस खड़ा किया."

"..कजरी के दुख के दिन ख़त्म हो गये लेकिन 1 बहुत बड़ी कमी अभी भी उसके जीवन मे थी.टॉर्चर की वजह से सूरज कभी भी बाप नही बन सकता था.उसकी मौत के बाद कजरी को रवि का ख़याल आया & जब वो बीमार हो बिस्तर पे पड़ गयी तो उसने फ़ैसला किया कि वो अपने हिस्से की सारी जायदाद & कंपनी के शेर्स रवि के नाम कर देगी & इसीलिए उसने मुझे आवंतिपुर बुलाया था."

"अब आगे मैं बताता हू",शेखर बोला,"..ये जो मेरे पिताजी हैं,इन्हे दुनिया बहुत ईमानदार समझती है जबकि ये बहुत पहुँची चीज़ हैं.इनका मानना है कि सीधे घूस लेकर पैसे कमाना बहुत बड़ी बेवकूफी है.इन्होने नानाजी को इतना इंप्रेस किया कि उन्होने मा से इनकी शादी कर दी,मा इकलौती औलाद थी,सो सारी जायदाद अंत मे इन्हे ही मिली.उसी तरह ये नौकरी मे तो पूरी ईमानदारी बरतते थे मगर दूसरे के नाम से इन्होने खूब उल्टे-सीधे धंधे करके पैसे कमाए हैं."

"..हमारी ऐसी ही 1 स्कीम उस वक़्त फैल कर गयी थी & हम पर कुच्छ 4 लाख रुपये का क़र्ज़ था जब कजरी राइ ने हमे कॉंटॅक्ट किया.अब अगर पिताजी अचानक रवि को अपना लेते तो ये उनके रवैये के खिलाफ होता,जिस से रवि को शक़ हो सकता था & शायद दुनिया को भी.इनका राज़दार तो केवल मैं हू..हमारी सोच ही इतनी मिलती है.",दोनो बाप बेटे हंस दिए,"..पता है,तुम्हे इन्हे रवि की बीवी के रूप मे क्यू नही पसंद नही थी?क्यूकी तुम ग़रीब थी.इन्होने उसके लिए 1 काफ़ी मालदार असामी की लड़की को देख रखा था & तुम्हारे प्यार ने सब चौपट कर दिया."

"..मैने भी मीना से पैसो के लिए शादी की थी पर वो तो बहुत तेज़ लड़की थी,उसे मेरे लालची इरादो की भनक लगी & उसने तलाक़ ले लिया.अब रवि & उसकी जयदाद ही हमारा सहारा थे.तो इन्होने मुझे आगे किया,पर जैसे ही मैने अपनी खुरापाति स्कीम बताई,रवि भड़क गया & उसने मुझे 1 भी पैसा देने से इनकार कर दिया.पिताजी ने रवि को उसके जनम की कहानी सुना दी थी & कजरी राइ से मिलवा भी दिया था पर उस से अभी भी ऐसे पेश आते थे जैसे कि नाराज़ हो.हक़ीक़त मे वो रवि की 1-1 हरकत पे नज़र रखे हुए थे."

"..कजरी राइ को कॅन्सर था & कुच्छ दीनो बाद वो मर गयी & सारी जायदाद रवि के नाम हो गयी.जिस दिन तुम्हारी आनिवर्सयरी थी,उसी दिन सवेरे रवि ने काग़ज़ साइन किए थे."

"पर रवि ने मुझे कुच्छ नही बताया इस बारे मे?"

"शायद तुम्हे सर्प्राइज़ देना चाहता हो?"

"..अब तुम अपने पति का भी 1 राज़ सुनो जिसने उसकी जान ली लेकिन हमारा बहुत फ़ायदा कराया."

क्रमशः.........................
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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

खिलोना पार्ट--19

"कौन सा राज़?",रीमा का दिल ज़ोरो से धड़कने लगा.

"बताता हू.",शेखर अब उसके पैरो की तरफ सर करके लेट गया,"..जिन दीनो मे कजरी राइ & पिताजी की आवंतिपुर मे मुलाकात हुई,उसी वक़्त पंचमहल के 1 पब मे मैं शंतु से टकराया.मैने तो उसे पहचाना ही नही,बढ़ी दाढ़ी,बिखरे बाल,नशे मे धुत...उसकी फॅमिली कॅल्कटा शिफ्ट हो गयी थी पर वो यही रह गया था.रवि के पुणे जाने के बाद से मैने उसे नही देखा था.जब उसके ऐसे हाल के बारे मे पुचछा तो वो टाल गया."

"..पर मैने भी 2 दीनो मे 2 बॉटल वोडका के सहारे उस से ये राज़ उगलवा ही लिया जिसे सुन के मैं हैरान रह गया.सुनोगी?",शेखर उसके पैरो को सहला रहा था & वीरेन्द्र जी उसकी चूचियो को दबा & चूस रहे थे.

"हन."

"तुम्हारा पति & शंतु लवर्स थे."

"क्या बकवास है!रवि गे नही था."

"जानेमन!मैने कब कहा कि वो गे था,वो तो बाइसेक्षुयल था-उसे औरत & मर्द दोनो के साथ सेक्स करने का शौक था.जब तुम्हारे प्यार मे दीवाना हो वो तुमसे शादी कर बैठा तो शंतु-जो कि गे था,उसका दिल टूट गया & वो डिप्रेशन का शिकार हो गया.वो पागल समझता था कि रवि उसके साथ पूरी ज़िंदगी बिताएगा.पर रवि ने तो तुम्हारे उसकी ज़िंदगी मे आने के बाद से ही उस से कन्नी काटना शुरू कर दिया था.",शेखर उसके पैरो की उंगलियो को चूम रहा था.

"..बस यही मौका हमे मिल गया.मेरे खुरापाति दिमाग़ ने शंतु के ज़रिए रवि को ब्लॅकमेल करने का प्लान बनाया.मैने शंतु को एमोशनली यूज़ करना शुरू किया.उस से झूठ कहा कि रवि ने तुमसे शादी करने के बाद हमसे भी नाता तोड़ लिया था & वो मुझे भी अपने बॅंक से लोन नही दिलवा रहा था."

"..मैने शंतु को इस बात के लिए तैय्यार कर लिया कि वो बॅंगलुर जाकर रवि से मिले & उसे डराए कि अगर उसने उसे .6 लाख रुपये नही दिए तो वो तुम्हे उसके & रवि के रिश्ते के बारे मे सब बता देगा.पहले तो वो झिझका पर जब मैने उसे कहा कि उन पैसो से मैं उसे दुबई मे नौकरी दिलवा दूँगा तो वो तैय्यार हो गया."

"..तो इसीलिए रवि उन दीनो परेशान था?",रीमा ने सोचा.

"..उसके बाद तो तुम जानती ही हो,कि रवि ने कैसे पैसो का इंतेज़ाम किया-कुच्छ अपने पास से,कुच्छ फ़र्ज़ी लोन से.तुम्हे खोना नही चाहता था वो-आख़िर तुम हो ही ऐसी चीज़!",शेखर उसके पैर के अंगूठे को चूस्ते हुए उसकी जंघे सहला रहा था.

"..मैने शंतु को बॅंगलुर के बाहर 1 सरॅमिक फॅक्टरी के गेस्ट हाउस मे ठहराया था.उस दिन रवि ने उसे जब पैसे दिए तो मैं वही छुपा था.जैसे ही रवि पैसे दे के निकला मैने शंतु से पैसे ले लिए & उसे एरपोर्ट भेज दिया.हम दोनो 1 ही फ्लाइट से 1 साथ वापस यहा आने वाले थे,उसके बाद शंतु दुबई चला जाता & मुझे 1 हथ्यार मिल जाता रवि को आगे भी ब्लेकमेल करने के लिए."

"..पर रवि की बदक़िस्मती देखो,पैसे देने के वक़्त उसकी जेब से उसका वॉलेट वाहा गिर गया था & जब 45 मिनिट बाद वो उसे लेने वाहा आया तो उसने कमरे मे मुझे पाया.मैं पैसे गिनना ख़त्म कर वाहा से निकलने ही वाला था कि वो कमरे मे दाखिल हुआ & 1 पल मे ही सब समझ गया.मैं उसकी ओर लपका पर उसने मुझे धक्का दे कर गिरा दिया & वाहा से निकल भागा."
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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

"..वो अपनी बाइक से भाग रहा था & मैं 1 कार से उसका पीचछा कर रहा था.जब वो पुल पे पहुँचा तो बाइक थोड़ी स्लो हुई,मैं सही टाइम पे ब्रेक नही लगा पाया & पीछे से कार उसकी बाइक से जा भिड़ी.टक्कर के चलते बाइक उस पुराने पुल की कमज़ोर रेलिंग को तोड़ उसमे अटक गयी.बाइक आधी हवा मे & आधी पुल पे थी & रवि उच्छल कर रेलिंग के उस पार गिर गया था.पर उसने गिरते हुए किसी तरह पुल को पकड़ लिया था & अब उस से लटका हुआ था."

"..अगर वो बच जाता तो मेरा भंडा फूट जाता & साथ ही साथ इनका भी,",उसने अपने पिता की ओर इशारा किया.उसके होठ अब उसके पैरो को छ्चोड़ उपर उसकी गोरी टांग पे आ गये थे,"..मैने इधर-उधर देखा,जगह बिल्कुल वीरान थी.मैने अपना हाथ नीचे बढ़ाया तो उसने सोचा कि मैं उसे उपर खींचुँगा & मेरा हाथ थाम लिया.ऐसा करते ही मैने हाथ छ्चोड़ दिया & वो नीचे नदी मे जा गिरा.1 धक्के के बाद बाइक भी नदी मे थी & थोड़ी देर बाद मैं & इस हादसे से अंजान शंतु प्लेन मे बैठे थे."

रीमा बुत की तरह बैठी थी & दोनो उस से खिलोने की तरह खेल रहे थे,"..तो इस कमीने ने उसके रवि का खून किया था!कैसे घिनोने लोग हैं ये!इन्ही बाप & भाई से बिछदने का गम था बेचारे रवि को!"

"..कजरी राइ रवि की मौत के 2 हफ्ते पहले ही चल बसी थी & उसके वकील ने उसकी वसीयत के मुताबिक उसी दिन सवेरे-जिस दिन रवि की मौत हुई-बॅंगलुर आके सवेरे काग़ज़ात पे उसके दस्तख़त लिए थे & रवि से 1 इंसान को अपना नॉमिनी बनाने के लिए कहा था ताकि अगर रवि की मौत हो जाए तो उसके हिस्से की सारी दौलत उस इंसान को मिल जाए.रवि ने तुम्हे अपना नॉमिनी बनाया था.",शेखर उठ कर बैठ गया था & उसका हाथ रीमा की जाँघो से फिसलता हुआ उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.

"..हमे ये बात पता चली तो तुम्हारा हमारे करीब होना ज़रूरी हो गया & फिर पिताजी तुम्हे यहा ले आए.वकील ने हमे पेपर्स दिखाए,उनमे सॉफ-2 लिखा था कि अगर रवि की अन्नॅचुरल डेथ होती है तो 3 महीने बाद ही तुम्हे सारी दौलत मिलेगी.उन 3 महीनो तक ये ज़रूरी था कि रवि की मौत के पीछे साज़िश होने की बात ना खुले बल्कि सबको ये लगे कि वो 1 रोड आक्सिडेंट था वरना वकील मामले को पोलीस के पास ले जाता.आख़िर करोड़ो रुपयो का सवाल था!"

"..तो ये थी असली बात!ये सारा खेल उसे पोलीस के पास जाने से रोकने & दौलत हड़पने के लिए इन दोनो बाप-बेटे ने खेला था!",रीमा ने सोचा.

"...फिर तुम्हारी जिस्म की भूख ने भी हमारा साथ दिया.हमने तो सोचा भी नही था की तुम खुद हम दोनो के बिस्तर गरम करोगी!",शेखर & विरेन्द्र जी दोनो उसकी चूचिया मसल रहे थे,शेखर 1 हाथ से उसकी चूत भी रगड़ रहा था.

"..वकील ने तुमसे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की पर तुम बंगलोर मे नही मिली तो वो पिताजी के पास आया.पिताजी ने वकील को ये कहा कि तुम अभी भी बहुत दुखी हो & इन सब चीज़ो से तुम्हे कोई मतलब नही है,तो उसने पिताजी को 1 काग़ज़ दिया जिसमे ये लिखा था कि तुम ही रवि की पत्नी हो & उसकी वसीयत के मुताबिक अब सारी दौलत तुम्हे मिलेगी पर इसके लिए तुम्हे 2 महीनो तक इंतेज़ार करना पड़ेगा...& कल 2 महीने पूरे हो रहे हैं.आज जिन काग़ज़ो पे तुमने साइन किया है,उनमे यही लिखा कि तुम्हे रवि की दौलत मिल रही है."

"..पर उसके नीचे 1 पेपर और भी है जिसपे तुमने साइन करके उस दौलत को जैसे चाहे इस्तेमाल करने की पॉवेर ऑफ अटर्नी हम दोनो को दे दी है.",शेखर ने उसकी चूत मारते हुए उसके होठ चूम लिए.

"..फिर शंतु का क्या हुआ?",रीमा ने उसके होठ से अपने होठ अलग किए.

"तुमने वो ब्लॅंक कॉल्स वाली बात बताई तो पता नही क्यू मेरा माथा ठनका कि हो ना हो ये शंतु ही है.बस मैने पता लगाना शुरू किया तो मालूम हुआ कि उसने दुबई के बाद अपनी पोस्टिंग यहा करा ली थी.मैने उस से मुलाकात की & उसे जम के दारू पिलाई.नशे मे धुत शंतु को मैने उसके घर पहुँचाया,जहा वो बेसूध सोने लगा & मैने उसका फ्लॅट छानना शुरू किया.शंतु को 1 गंदी आदत थी-जर्नल लिखने की.दिल मे जो भी ख़याल आते या कोई ऐसी बात सुनता जो उसे अच्छी लगती तो वो उसे उसमे लिख लेता."
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