हवस का नंगा नाच compleet

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jay
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हवस का नंगा नाच compleet

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हवस का नंगा नाच

फ्रेंड्स आपके लिए एक और तड़कती फड़कती कहानी पेश कर रहा हूँ जैसा कि मैने पहले भी कहा है मैं कोई लेखक नही हूँ
मुझे जो कहानी अच्छी लगती है आपके साथ शेअर कर लेता हूँ ये कहानी आकाश ने लिखी है मैं इसे आपके लिए हिन्दी फ़ॉन्ट मे कंवर्ट कर रहा हूँ

अपडेट 1


साना ने आज अपनी उम्र की 19 वीं सीढ़ी पर कदम रख दिए थे ...उसकी साल गीरह मनाने का अंदाज़ नायाब था ...और क्यूँ ना हो...शहेर के सब से नामी गीरामी बिज़्नेसमॅन लाला हरदयाल की एक लौटी बेटी जो थी .... नायाब बेटी के नायाब कारनामे ...


उसकी हर चीज़ नायाब थी... लंबी , छरहरे बदन की मालकीन...5'6" की लंबाई , बदन में सही जागेह सही गोलाई और उभार ...नाक सुडौल रंग गोरा... किसी भी मर्द के सपनों की रानी. उस ने अपने पैसे , जवानी और बदन का भरपूर इस्तेमाल करना सीखा था ... भरपूर ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाना सीखा था ...लाला ने भी उसे भरपूर जिंदगी जीने की छूट दे रखी थी. इस की वजह थी साना की मा की उसके बचपन में ही मौत.


मा के प्यार की कमी लाला जी ने अपने पैसे और साना को अपनी ज़िंदगी भरपूर जीने की आज़ादी दे कर पूरी करनी चाही थी..नतीज़ा यह हुआ साना को प्यार तो नसीब नहीं हुआ पर वो हवस को प्यार समझ बैठी और उसकी ज़िंदगी एक हवस की भूख मिटाने का ही सबब बन गया ...पर हवस कभी पूरी हुई है ..????



आज लाला जी के फार्म हाउस में साना की 19 वीं साल्गीरह धूमधाम से मनाई जा रहे है ...शराब और शबाब से भरपूर...


साना नायाब थी..उसकी पार्टी भी नायाब ...


हवस की पुतली साना की पार्टी भी हवस के रंग में शराबोर थी....हवस का नंगा नाच हो रहा था ...


साना के कुछ गिने चुने दोस्त ही वहाँ मौज़ूद थे...उसके दोस्तों में सिर्फ़ मर्द ही नहीं बल्कि लड़कियाँ भी शामिल थीं ..साना की ही तरेह अमीर , बिगड़ी और हवस की भूखी ..

केक कट चूका था ... डिन्नर का भी दौर ख़त्म हो चूका था..फ्रेंच शॅंपेन की बोतलें कितनी खूली और कितने जाम उनके गले के नीचे उतरे इसका कोई पैमाना नहीं था ....हल्की हल्की मदहोश करने वाली डॅन्स की धूनों पर डॅन्स फ्लोर पर जोड़े एक दूसरे से चीपके , कमर हिलाते ...अपने , हाथों से एक दूसरे की पीठ सहलाते , होंठों को चूमते , सीने से सीना दबाए थीरक रहे थे ...


कपड़े नीचे फर्श पर गिरते जा रहे थे किसी को कोई होश नही ... लड़कियों के हाथ लड़कों के कपड़े उतार रहे थे...लड़कों की हथेलिया लड़कियों के बदन और कपड़ों पर जुटे थे , एक दूसरे को नंगा करने की होड़ मची थी ...


साना डॅन्स फ्लोर से अलग बहोत ही पतली और झीनी सी ड्रेस पहने , हाथ में जाम लिए अपने दोनों बगल अपने सब से करीबी दोस्तों के साथ बैठी थी... उसके एक हाथ में शॅंपेन का जाम था .. दूसरा हाथ अपने बगल बैठे दोस्त के पॅंट के उभार पर था ... और उसके दोस्त के हाथ साना के बदन से खेल रहे थे ...दोनों एक दूसरे में खोए थे...साना दुनिया से बेख़बर , शराब और शबाब की मस्ती में डूबी ...अपने आप को अपने दोनों दोस्तों के हाथ छोड़ दिया था ..


शराब की मस्ती , हवस की प्यास और उम्र के तकाज़े ने अब तक वहाँ मौज़ूद सब के कपड़े उतार दिए थे ...


डॅन्स फ्लोर पर सभी नंगे थे .. एक दूसरे को सहलाते , चीपकते , नोचते , चूमते और कमर हिलाते एक दूसरे में समान जाने को बेताब ... सिसकारियाँ .. थपथपाहट , चूमने की चटखारों , अया ...उईईईई.. हाई ... की धीमी पर मदहोश आवाज़ें निकाल रहे थे..उनके हाथों की उंगलियाँ चूचियों की गोलाई ...चूत की गहराई , बदन के भरपूर गोश्त का जायज़ा ले रही थी ..होंठ एक दूसरे के होंठों से चीपके एक दूसरे को पूरी तरेह खा जाने को बेताब थे ..कुछ जोड़ों से अब और रहा नही गया. , उनके सब्र का बाँध फूट पड़ा था...लड़कियों ने अपनी टाँगें फैला दी ..अपने हाथों से अपने गीली , रसीली चूत की फाँकें अलग कर दी , डॅन्स फ्लोर पर झूमती हुई लेट गयीं ...उनके साथियों ने अपने तन्नाए , फन्फनाते लौड़ों को सहलाते हुए अपने पार्ट्नर्स के इन्विटेशन को क़बूल किया , उनके टाँगों के बीच आ गये ....और फिर फ्लोर पर चुदाई का आलम शूरू हो गया ...


अब तक फ्लोर पर जोड़े खड़े थे ..अब जोड़े फ्लोर पर पड़े थे ...कमर खड़े खड़े भी हिल रही थी और कमर अब पड़े पड़े भी हिल रही थी ..पर अब साथ में लौड़ों और चूत का भी खेल बराबर चल रहा था..पूरा हॉल आआआः.....उूुउऊहह ...हाईईईईईईई....हाआँ ... उईईईई की धीमी सिसकारियों और चीखों से गूँज रहा था ...हवस का नंगा नाच अपनी बुलंदियों पर था


इधर साना के कपड़े भी उतर चूके थे ...अब तक वो अपने दोनों दोस्तों की गोद में बिल्कुल नंगी पड़ी थी..उसकी आँखें बंद थीं ...उसके दोस्तों के हाथ साना के बदन का भरपूर मज़ा ले रहे थे ..


एक साना की मुलायम , गीली , रसीली चूत का मज़ा चाट चाट कर ले रहा था..दूसरा साना के होंठों की मस्ती , उसकी जीभ की मीठी और गीली स्वाद का मज़ा उन्हें चूस चूस कर ले रहा था ....उसकी हथेलिया साना की 32ब साइज़ वाली चूचियों से खेल रही थीं ...उन्हें दबा रही थी....उनकी घुंडीयों को सहला रही थी जितना ज़्यादा साना की चूचियाँ और होंठ चूसे जाते ..उतना ही मस्ती से उसकी चूत फदक उठ ती और उसकी चूत भी उतनी ही गीली होती जाती ...और चूत चाटने वाले दोस्त का मुँह भर उठता साना की चूत रस से...

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: हवस का नंगा नाच

Post by jay »



तीनों मस्ती की सीढ़ियों पर आगे और आगे बढ़ते जेया रहे थे..साना कराह रही थी , सिसकारियाँ ले रही थी..उसकी आँखें बंद थी ..


उसके दोनों दोस्तों ने उसे उठाया और सामने पड़े बड़े से सोफे पर लीटा दिया और अपनी अपनी पोज़िशन बदल ली.....चूत चाटनेवाला अब उसकी चूचियों से खेल रहा था और चूचियों से खेलनेवाला अब उसकी चूत पर टूट पड़ा था ..


साना अपनी टाँगे फैलाए ..घूटने उपर किए लेटी लेटी मज़े ले रही थी ..उसकी चूत से रस की बारिश हो रही थी...चूचियों की घुंडी कड़ी , तनी हुई और ऐसे उपर उठी थी मानो किसी बच्चे की नूनी.... उन्हें छूते ही साना के बदन में करेंट सा दौड़ जाता .....


साना बड़बड़ा रही थी.." उफफफफ्फ़....यार तुम दोनों क्या कर रहे हो..अरे कोई तो चोद ले..मेरी चूत बहोत खुज़ला रही है ..अब चोद भी दो ना ...कम ऑन ..."


उसकी चूत की तरफवाले लड़के ने अपना सर साना की चूत से हटाया , उसकी ओर देखा और कहा..


" हां साना ...तेरी चूत से तो नदी बह रही है यार ..चल तू भी क्या नाम लेगी ..ले आज तेरा बर्थ डे प्रेज़ेंट मैं ही देता हूँ..."


" हां जानू बस आ जा .....भर दे मेरी चूत अपने लंड से ...अया देर मत कर ..बस आ जा .." साना ने अपनी टाँगें और भी फैला दीं ....


साना की बातों से वो और भी जोश में आ गया , और उसकी टाँगें उठाता हुआ अपने कंधों पर ले लिया और अपना लंड उसकी चूत पे रखा और एक जोरदार धक्का मारा..फच से पुर का पूरा लॉडा साना की चूत के अंदर था ...


साना का पूरा बदन सीहर उठा , कांप उठा " हान हाअन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...बस ऐसे ही लगाओ धक्के , रूकना मत ..आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हां और ज़ोर ..और ज़ोर ...अबे मा के लौडे और ज़ोर लगा ना ..साले कुछ खाया पिया नहीं ..? मार ..मार मदर्चोद मार ना धक्के ..साला चुदाई कर रहा है कि चूत लंड से खुजा रहा है...मार मार ...मदर्चोद जब लंड में दम नहीं फिर मुझे चोदने की हिम्मत कैसे हुई...अबे गान्डू और ज़ोर लगा ....अयाया अयाया ...और ज़ोर ...""


साना कुछ भी बेक जा रही थी ...


उसकी बातें सून सून लड़का पूरे जोश में धक्के लगता लगाता खुद तो बूरी तरेह झाड़ गया साना की चूत में..पर साना अभी भी फारिग नही हुई थी ..उसकी चूत अभी भी गर्म थी ..आग बूझने का नाम नहीं था..


दूसरे लड़के ने भी अपने लौडे की करामात दीखाई ..पर साना की चूत के सामने उसके लौडे ने भी हार मान ली....


सब जानते थे वहाँ साना को चोदना और उसे झड़ाना उनमें से किसी के वश की बात नही थी ,पर सिर्फ़ साना जानती थी ....बस सिर्फ़ एक ही लंड था जिसकी मार से साना की चूत में हलचल मच जाती ..उसकी आग ठंडी हो जाती ..पर उस लंड का मालिक अभी तक वहाँ नही आया था ....


साना अपनी चूत फैलाए .. सिसकारियाँ लेते उसका बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी ...


उसके सभी दोस्त जा चूके थे ...


साना अकेली रह गयी थी ..उस विशाल हॉल के सोफे पर लेटी ..चूत से रस , वीर्य टपकाती ...पर फिर भी दहक्ते अंगार के तरेह गर्म ....


उसकी आँखें बंद थीं .....


तभी उसके कानों में किसी के कदमों की आहट हुई


साना ने आँखें खोलीं ..देखा तो सामने सोफे के करीब , उसके बिल्कुल सर के पास लाला हरदयाल खड़े थे ..उसके प्यारे पापा.... !




Saina ne aaj apni umra ki 19 ween seedhi par kadam rakh diye the ...uski saal geerah manaane ka andaaz nayaab thaa ...aur kyoon na ho...sheher ke sab se naami geeraami businessman Lala Hardayaal ki ek lauti beti jo thee .... nayaab beti ke nayaab kaarnaame ...


Uski har cheez nayaab thee... lambi , charhaari badan ki maalkeen...5'6" ki lambaai , badan mein sahee jageh sahee golai aur ubhaar ...nak sudaul rang gora... kisi bhi mard ke sapnon ki raani. Us ne apne paise , jawaani aur badan ka bharpoor istemaal karna seekha tha ... bharpoor zindagi ka lutf uthaanaa seekha thaa ...Lala ne bhi use bharpoor jindagi jeene ki chhoot de rakhee thee. Is ki wazeh thee Saina ki Maa ka uske bachpan mein hi maut.


Maa ke pyaar ki kami Lala ji ne apne paise aur Saina ko apni zindagi bharpoor jeene ki azaadi de kar poori karni chaahee thee..nateeza yeh hua Saina ko pyaar to naseeb naheen hua par woh hawas ko pyaar samajh baithee aur uski zindagi ek hawas ki bhookh mitaane ka hi sabab ban gaya ...par hawas kabhi poori hui hai ..????



Aaj Lala Ji ke farm house mein Saina ki 19 ween saalgeerah dhoomdhaam se manayi ja rahe hai ...sharab aur shabab se bharpoor...


Saina nayaab thee..uski party bhi nayaab ...


Hawas ki putli Saina ki party bhi hawas ke rang mein sharabor thee....hawas ka nanga naach ho rahaa thaa ...


Saina ke kuch gine choone dost hi wahaan mauzood the...uske doston mein sirf mard hi naheen balke ladkiyan bhi shamil theen ..Saina ki hi tareh ameer , bigde aur hawas ke bhookhe ..

Cake kat chooka thaa ... dinner ka bhi daur khatm ho chooka thaaa..french champaign ki botlein kitni khooli aur kitne jaam unke gale ke neeche utre iska koi paimana naheen thaa ....halki halki madhosh karnewaaali dance ki dhoonon par dance floor par jode ek doosre se cheepke , kamar hilate ...apne , hathon se ek doosre ki peeth sehlaate , honthon ko choomte , seene se seena dabaye theerak rahe the ...


Kapde neeche farsh par geerte ja rahe the kisi ko koi hosh nahee ... ladkiyon ke haath ladkon ke kapde utaar rahe the...ladkon ki hatheliyan ladkiyon ke badan aur kapdon par joote the , ek doosre ko nanga karne ki hod machee thee ...


Saina dance floor se alag bahot hi patli aur jheeni si dress pehne , haath mein jaam liye apne donon bagal apne sab se kareebi doston ke saath baithee thee... uske ek haath mein champaign ka jaam thaa .. doosra haath apne bagal baithe dost ke pant ke ubhar par thaa ... aur uske dost ke haath Saina ke badan se khel rahe the ...donon ek doosre mein khoye the...Saina duniya se bekhabar , sharab aur shabab ki masti mein doobi ...apne aap ko apne donon doston ke haath chhod diya thaa ..


Sharab ki masti , hawas ki pyaas aur umra ke takaze ne ab tak wahan mauzood sab ke kapde utaar diye the ...


dance floor par sabhi nange the .. ek doosre ko sehlate , cheepkate , nochte , choomte aur kamar hilate ek doosre mein samaan jaane ko betab ... siskariyan .. thapthapaahat , choomne ki chatkhaaron , aaah ...uiiiiii.. haai ... ki dheemi par madhosh awaazein nikaal rahe the..unke haathon ki ungliyan choochiyon ki golai ...choot ki gehrai , badan ke bharpoor gosht ka jaizaa le rahee thee ..honth ek doosre ke honthon se cheepke ek doosre ko poori tareh khaa jane ko betab the ..kuch jodon se ab aur rahaa nahee gayaa. , unke sabra ka baandh phoot padaa thaa...ladkiyon ne apni tangein phaila dee ..apne hathon se apne geeli , raseeli choot ki phankein alag kar dee , dance floor par jhoomtee hui let gayeen ...unke saathiyon ne apne tannaye , phanphante laudon ko sehlaate hue apne partners ke invitation ko qabool kiya , unke tangon ke beech aa gaye ....aur phir floor par choodai ka alaam shooroo ho gayaa ...


Ab tak floor par jode khade the ..ab jode floor par pade the ...kamar khade khade bhi hil rahe the aur kamar ab pade pade bhi hil rahe the ..par ab saath mein laudon aur choot ka bhi khel barabar chal raha thaa..poora hall aaaaah.....uuuuuhhh ...haiiiiiiii....haaan ... uiiiiii ki dheemi siskariyon aur cheekhon se gunj rahaa thaa ...hawas ka nanga naach apni bulandiyon par thaa


Idhar Saina ke kapde bhi utar chooke the ...ab tak woh apne donon doston ki god mein bilkul nangi padee thee..uski ankhein band theen ...uske doston ke haath Saina ke badan ka bharpoor mazaa le rahe the ..


Ek Saina ki mulayam , geeli , raseeli choot ka maza chaat chaat kar le rahaa thaa..doosra Saina ke honthon ki masti , uski jeebh ki meethee aur geeli swaad ka mazaa unhein choos choos kar le raha thaa ....uski hatheliyan Saina ki 32B size waali choochiyon se khel rahee theen ...unhein dabaa rahee thee....unki ghundiyon ko sehla rahee jitna jyada Saina ki choochiyan aur honth choose jate ..utna hi masti se uski choot phadak uth ti aur uski choot bhi utni hi geeli hoti jaati ...aur choot chatne wale dost ka munh bhar uthta Saina ke choot ras se...


Teenon masti ki seedhiyon par aage aur aage badhte jaa rahe the..Saina karah rahee thee , siskariyan le rahee thee..uski ankhein band thee ..


Uske donon doston ne use uthaya aur samne pade bade se sofe par leeta diya aur apni apni position badal li.....choot chatnewalaa ab uski choochiyon se khel rahaa thaa aur choochiyon se khelnewalaa ab uski choot par toot pada thaa ..


Saina apni tange phailaye ..ghootne upar kiye leti leti maje le rahee thee ..uski choot se ras ki baarish ho rahee thee...choochiyon ki ghundi kadi , tani hui aur aise upar uthee thee mano kisi bachee ki nuni.... unhein choote hi Saina ke badan mein current si daud jaati .....


Saina badbadaa rahee thee.." Ufffff....yaar tum donon kya kar rahe ho..are koi to chod le..meri choot bahot khujla rahee hai ..ab chod bhi do na ...come on ..."


Uski choot ki tarafwaale ladke ne apna sar Saina ki choot se hataya , uski or dekha aur kahaa..


" Haan Saina ...teri choot se to nadi beh rahee hai yaar ..chal tu bhi kya naaam legi ..le aaj tera Birth Day present main hi deta hoon..."


" Haan jaanu bas aa ja .....bhar de meri choot apne laude se ...aaah der mat kar ..bas aa ja .." Saina ne apni tangein aur bhi phaila deen ....


Saina ki baton se woh aur bhi josh mein aa gayaa , aur uski tangein uthata hua apne kandhon par le liya aur apna lund uski choot pe rakhaa aur ek jordaar dhakka maraa..futch se poore ka poora lauda Saina ki choot ke andar thaa ...


Saina ka poora badan seehar uthaaa , kanp uthaa " Haan haaan ...bas aise hi lagao dhakke , rookna mat ..aaaaah haan aur jor ..aur jor ...abe Maa ke laude aur jor lagaa na ..saale kuch khayaa piya naheen ..? Maar ..maar madarchod maar na dhakke ..salaa chudai kar rahaa hai ke choot lund se khooja raha hai...maar maar ...madarchod jab lund mein dum naheen phir mujhe codne ki himmat kaise hui...abe gaandu aur jor lagaa ....aaaah aaaah ...aur jor ...""


Saina kuch bhi bake jaa rahee thee ...


Uski batein soon soon ladka poore josh mein dhakke lagata lagaata khud to boori tareh jhad gayaa Saina ki choot mein..par Saina abhi bhi faarig nahe hui thee ..uski choot abhi bhi garm thee ..aaag boojhne ka naam naheen tha..


Doosre ladke ne bhi apne laude ki karaamaat deekhayee ..par Saina ki choot ke saamne uske laude ne bhi haar maan lee....


Sab jante the wahaan Saina ko chodna aur use jhadaanaa unmein se kisi ke vash ki baat nahee thee ,par sirf Saina janti thee ....bas sirf ek hi lund thaa jiski maar se Saina ki choot mein halchal mach jaaati ..uski aag thandi ho jaatee ..par us lund ka maalik abhi tak wahaan nahee aayaa thaa ....


Saina apni choot phailaaye .. siskariyan lete uska besabri se intezaar kar rahee thee ...


Uske sabhi dost jaa chooke the ...


Saina akeli reh gayee thee ..us vishaal hall ke sofe par leti ..choot se ras , virya tapakti ...par phir bhee dahakte angaar ke tareh garm ....


Uski ankhein band theen .....


Tabhi uske kanon mein kisi ke kadmon ki aahat hui


Saina ne ankhein kholeen ..dekha to saamne sofe ke kareeb , uske bilkul sar ke paas Lala Hardayal khade the ..uske pyaare Papa.... !

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Re: हवस का नंगा नाच

Post by jay »

लाला जी आँखें फाडे अपनी बेटी के सर के पास खड़े उस की ओर ताक रहे थे...अपनी पूरी 5' 11" की लंबाई से झाँकते हुए ....उन्हें हैरानी तो हुई .. गुस्सा भी आया ...पर अपनी बेटी को अच्छी तरेह जानते थे ....और उन दोनों के बीच का रिश्ता भी बाप-बेटी का कम और करीबी दोस्त का ज़्यादा था ...उनकी उम्र भी कोई ज़्यादा नहीं 48 साल की ही थी और ख्यालात भी काफ़ी खुले और ज़माने के साथ थे ...उन्होने समझदारी से काम लेने का फ़ैसला किया....गुस्से से साना और भी भड़क उठती और बात बीगड़ने का ख़तरा था ...साना उनका गुस्सा बर्दाश्त नही कर सकती .... और साना के इस हद तक गिरने में लाला जी का भी कुछ कम हाथ नही था..उनकी छूट का ही यह नतीज़ा था ....उन्होने गुस्से को पी डाला ...


हरदयाल अपनी बेटी के बगल चूपचाप उसकी ओर ताकते हुए बैठ गये ... कुछ कहा नही ... अपने घूटनों पर अपने हाथ रखे अपना चेहरा हथेलियों से छुपाए हुए बैठे थे...


साना ने अपनी बदहाली देखी ...वो समझ गयी उसके प्यारे पापा को शायद बूरा लगा था .., अपने पापा से बहोत प्यार करती थी...सारी दुनिया में वोही तो उसके अपने थे....दोस्त थे उसके पर सच्ची दोस्ती किसी से नही थी ....सभी सिर्फ़ मौज़ मस्ती के ही दोस्त थे ....अपने दिल की बात सिर्फ़ पापा से ही कर सकती थी ....


साना वैसे ही लेटी थी , शॅंपेन का नशा अभी भी उस पर था ..फिर भी अपनी लड़खड़ाती ज़ुबान से उस ने कहा .." पापा ....आप खामोश क्यूँ है ..कुछ बोलो ना ....आज मेरे बर्थ डे पर अभी तक मुझे विश भी नहीं किया..आप बहोत गंदे हो ..बहोत गंदे हो ...."


हरदयाल अपनी बेटी की मासूमियत , उसके भोलेपन और उसकी इस हालत को देख फूट पड़े ..उनकी आँखों से आँसुओं की धार फूट पड़ी ....


उन्होने अपना सर उसकी तरेफ घुमाते हुए उसके नंगे बदन , उसके अपने दोस्तों से रौंदे हुए बदन को देखा और फिर अपना सर नीचे कर लिया...कुछ देर बाद सर उठाया ..और कहा

" बेटी ..तू अपने बाप को और कितना तडपाएगी..? और कितना दूख देगी ..क्या तुझे इस हालत में देख मैं तालियाँ बजाऊं ..खुश होउँ..? सारे शहर में ढिढोरा पिटवाउ ... लोगों की छोड़ो ..मुझे दूसरों से कुछ लेना देना नहीं ..पर मेरे दिल में , मेरे दिमाग़ में तेरी हालात पर जो हथौड़े चल रहे हैं ..उसकी चोट को मैं कैसे बर्दाश्त करूँ बेटी ..बोल ना साना .....बोल ना ....?" हरदयाल बच्चो की तरेह फूट फूट कर रो रहे थे ...


साना का नशा अपने बाप की हालत देख काफूर हो चूका था ....


वो अपने पापा से लिपट गयी ..उनका चेहरा अपने हथेलियों से थाम लिया ..उनके आँसू पोंछते हुए उन से कहा ..


" पापा ..आइ आम रियली वेरी सॉरी ..मैं समझ सकती हूँ आप पर क्या बीत रही होगी...पर पापा आप ने मुझे पहली बार तो नंगी नहीं देखा है ना... फिर आज क्या हो गया ..?" साना ने बड़े भोलेपन से जवाब दिया ...


लाला जी चौंक पड़े उस की इस बात पर ..यह सच था कि उनके और उनकी बेटी के बीच इनसेस्चूयियल रिश्ता था ..पर वो उनका जाती मामला था ...वो एक ऐसा रिश्ता था जो सिर्फ़ उन दोनों के बीच का था..सारी दुनिया में नुमाइश के लिए नहीं ...

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Re: हवस का नंगा नाच

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" बेटी तू कितनी भोली है ... कितनी नासमझ है अभी भी ....यह रिश्ते क्या दुनिया को दिखाने के होते हैं..? क्या हमारे तुम्हारे बीच के रिश्ते में सिर्फ़ हवस और शरीर की भूख है..प्यार नहीं..? क्या सारी दुनिया के सामने हम दोनों नंगे हो जायें ...क्या यही हवस है ? क्या सेक्स पब्लिक में नुमाइश की चीज़ है ..? तुम्हें मैने अपने दोस्तों से सेक्स करने से कभी रोका है ...? किसी भी मज़े के लिए तुझे मना किया है ?? ..पर इस का यह तो मतलब नहीं है ना बेटी के तू सरे-आम नंगी हो कर हमारी इज़्ज़त नीलाम कर दो ..? सेक्स अपनी जगेह है बेटी ..सेक्स कोई बूरी चीज़ नही पर उसका इस तरेह भोन्देपन से नुमाइश क्या अच्छी बात है ..?

हां बेटी हम ने तुझे कितनी बार नंगी किया है ..कितनी बार तेरे साथ सेक्स किया है और जब तक तू चाहेगी आगे भी करूँगा ..पर क्या तू यह चाहती है कि हम अपना इतना प्यारा समय ..इतने अपनेपन से भरपूर लम्हे , उन .. सब से कीमती पलों को सरे - आम नीलाम कर दूं ..?बेज़ार में तुम्हें नंगी कर सब के सामने चोद दूँ ..बोलो बोलो ..बोलो ना साना ...."


इतना कहते हुए हरदयाल चूप हो गये , पर आवेश के मारे हाँफ रहे थे ....भावनाओं
( सेंटिमेंट , ज़ज़्बात ) का तूफान था उनके अंदर ... साना सकते में थी.. उस से कुछ बोलते नही बन रहा था......


थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे को देखते रहे ... दोनों की आँखों में एक दूसरे के लिए प्यार , लगाव और अपनापन साफ झलक रहा था..पर हरदयाल की आँखों में दूख और साना की आँखों में पछतावे की भी झलक थी ....


साना आगे बढ़ी ..अपने बाप के सीने से लिपट गयी और फफक फफक के रोते हुए कहा...." उफफफ्फ़..पापा ..आप इस कदर मुझ से प्यार करते हो..? हमारे रिश्ते की इतनी कद्र है आप को..... मैने आज तक इतनी गहराई से इसे नहीं देखा ....मैने आज समझा पापा ..रिश्तों की गहराई और उन्हें अपने में महफूज़ रखने की कीमत क्या है ....पापा मैं समझ सकती हूँ मेरे आज के रवैइय्ये से आप को कितनी चोट पहूंची है ....उफफफफफ्फ़....आज आप के एक एक लफ़्ज़ों ने मेरे दिल की गहराई में चोट मारी है...मैं अपने रिश्तों की अहमियत आज जान गयी ..आप यकीन करो मेरी जान से भी प्यारे पापा इस रिश्ते की धड़कन मेरे दिल की धड़कानों से भी ज़्यादे प्यारी हैं मुझे .....मैं मर जाऊंगी ..मेरे दिल की धड़कन रुक जाएगी..पर हमारे रिश्ते हमेशा धड़कते रहेंगे ..धक धक धक ...." और फिर साना अपने घूटनों पर बैठते हुए अपने हाथ जोड़ती हुई कहती है .." पापा बस सिर्फ़ एक बार ..बस एक बार मुझे माफ़ कर दो....सिर्फ़ एक बार ....दूबारा ऐसी ग़लती नही होगी .... आपकी माफी मेरे लिए बर्थ डे के तोहफे से भी बढ़ के होगी ...."


हरदयाल अपनी बेटी को उठाता है . गले से लगाता है ..अभी भी उसकी आँखों में आँसू हैं ..पर खुशी और प्यार से सराबोर हैं उसके आँसू...साना के माथे को चूमता हुआ कहता है " बेटी.... माफी कैसी ..तुम्हें समझ आ गयी बस यही मेरे लिए बड़ी बात है ... चलो अब ज़रा मुस्कुरा दो मेरी बेटी..मैं तरस गया आज तुम्हारी मुस्कुराहट के लिए ... कम ऑन साना ...गिव मी युवर स्पार्कलिंग स्माइल ... आइ लव देम .."


साना अपने होंठों पर शरारत भरी मुस्कुराहट लाती है और फिर हरदयाल के सीने पर प्यार से मुक्के लगाते हुए बोल उठ ती है


" ह्म्‍म्म..पापा आप सिर्फ़ मेरी मुस्कुराहट से प्यार करते हो..?"


" हा हा हा !! " हरदयाल उसकी बात सून ठहाका लगाते हुए कहता है " थ्ट्स लाइक माइ स्वीट बेबी ..यू नो वेल साना .... इट्स यू हू ओन्स युवर स्माइल... आइ लव दा ओनर ऑफ युवर स्माइल्स मोर दॅन एनितिंग एल्स इन माइ लाइफ ... अपनी जान से भी ज़्यादा ...."


और फिर दोनों के होंठ जुड़ जाते हैं ..दोनों एक दूसरे से पागलों की तरेह लिपट जाते हैं और एक दूसरे को खा जाने की हद तक चूमने लगते हैं....


साना एक दम से अलग हो जाती है पापा से ....उसके चेहरे पे फिर से शरारती मुस्कान आ जाता है ..हरदयाल कुछ कन्फ्यूज़्ड हो जाता है और पूछता है.." क्या हुआ साना ..??"


" पापा ...आगे का काम इस पब्लिक हॉल में नहीं..अपने प्राइवेट बेड रूम में ..." साना के चेहरे पर शरारती मुस्कान अभी भी कायम थी ..


हरदयाल फिर से ठहाका लगाता है ..साना को अपनी बाहों में लेटा हुआ अपनी गोद में उठा लेता है और बेड रूम की ओर यह कहता हुआ चल पड़ता है ..." ह्म्‍म्म्म ..... थ्ट्स लाइक माइ बेबी , माइ ट्रू बेबी ..माइ ट्रू लव ... लेट अस सेलेब्रेट युवर बर्थ डे ! "





UPDATE 2



Lala Ji ankhein phaade apni beti ke sar ke paas khade us ki or taak rahe the...apni poori 5' 11" ki lambai se jhankte hue ....unhein hairaani to hui .. gussa bhi aayaa ...par apni beti ko achhee tareh jante the ....aur un donon ke beech ka rishta bhi Baap-Beti ka kam aur kareebi dost ka jyaadaa thaa ...unki umra bhi koi jyadaa naheen 48 saal ki hi thee aur khyalaat bhi kaaphi khule aur zamane ke saath the ...unhone samjhdaari se kaam lene ka phaisla kiya....gusse se Saina aur bhi bhadak uthti aur baat beegadne ka khatra thaa ...Saina unka gussa bardasht nahee kar saktee .... aur Saina ke is had tak geerne mein Lala Ji ka bhi kuch kam haath nahee thaa..unki chhoot ka hi yeh nateeza thaa ....unhone gusse ko pee dalaa ...


Hardayal apni beti ke bagal choopchaap uski or taakte hue baith gaye ... kuch kahaa nahee ... apne ghootnon par apne haaath rakhe apna chehra hatheliyon se choopaaye hue baithe the...


Saina ne apni badhaali dekhi ...wo samajh gayee uske pyaare Papa ko shayad boora lagaa thaa .., apne Papa se bahot pyaar karti thee...saari duniya mein wohi to uske apne the....dost the uske par sachee dosti kisi se nahee thee ....sabhee sirf mauz masti ke hi dost the ....apne dil ki baat sirf Papa se hi kar sakti thee ....


Saina waise hi leti thee , champaign ka nasha abhi bhi us par thaa ..phir bhi apni ladkhadaati juban se us ne kahaa .." Papa ....aap khamosh kyoon hai ..kuch bolo na ....aaj mere birth day par abhi tak mujhe wish bhi naheen kiya..aap bahot gande ho ..bahot gande ho ...."


Hardayal apni beti ki masoomiyat , uske bholepan aur uski is halat ko dekh phoot pade ..unki ankhon se aansuon ki dhar phoot padee ....


Unhone apna sar uski taref ghoomate hue uske nange badan , uske apne doston se raunde hue badan ko dekha aur phir apna sar neeche kar liya...kuch der baad sar uthaaya ..aur kahaa

" Beti ..tu apne baap ko aur kitna tadpayegi..? aur kitna dookh degi ..kya tujhe is haalat mein dekh main taliyan bajaoon ..khush houn..? Saare shahar mein dindhora pitwaoon ... logon ki chhodo ..mujhe dusron se kuch lena dena naheen ..par mere dil mein , mere deemag mein teri halaat par jo hathaude chal rahe hain ..uski chot ko main kaise bardasht karoon beti ..bol na Saina .....bol na ....?" Hardayal bachon ki tareh phoot phoot kar ro rahe the ...


Saina ka nasha apne baap ki halat dekh kaphoor ho chooka tha ....


woh apne Papa se leepat gayee ..unka chehra apne hatheliyon se thaam liya ..unke aansoo ponchte hue un se kahaa ..


" Papa ..I am really very sorry ..main samajh sakti hoon aap par kya beet rahee hogi...par Papa aap ne mujhe pehli bar to nangi naheen dekha hai na... phir aaj kya ho gaya ..?" Saina ne bade bholepan se jawaab diya ...


Lala JI chaunk pade us ki is baat par ..yeh sach thaa ke unke aur unki beti ke beech incestual rishta thaa ..par woh unka jaati mamla thaa ...woh ek aisa rishta thaa jo sirf un donon ke beech ka thaa..saari duniya mein numaish ke liye naheen ...


" Beti tu kitni bholi hai ... kitni nasamajh hai abhi bhi ....yeh rishte kya duniya ko deekhane ki hoti hain..? Kya hamare tumhare beech ke rishte mein sirf hawas aur sharir ki bhookh hai..pyaar naheen..? Kya saari duniya ke samne hum donon nange ho jayein ...kya yehi hawas hai ? kya sex public mein numaish ki cheez hai ..? Tumhein maine apne doston se sex karne se kabhi roka hai ...? Kisi bhi maze ke liye tujhe manaa kiya hai ?? ..par is ka yeh to matlab naheen hai na beti ke tu sare-aam nangi ho kar hamari izzat neelam kar do ..? Sex apni jageh hai beti ..sex koi boori cheez nahee par uska is tareh bhondepan se numaish kya achhee baat hai ..?

Haan beti hum ne tujhe kitni baar nangi kiya hai ..kitni baar tere saath sex kiya hai aur jab tak tu chahegi aagey bhi karoonga ..par kya tu yeh chahti hai ke hum apna itna pyaaraa samay ..itna apnepan se bharpoor lamhe , un .. sab se keemti palon ko sare - aam neelam kar doon ..?Bazaar mein tumhein nangi kar sab ke saamne chod doon ..bolo bolo ..bolo na Saina ...."


Itna kehte hue Hardayal choop ho gaye , par aawesh ke maare hanf rahe the ....bhawnaon
( sentiment , zazbaat ) ka toofan thaa unke andar ... Saina sakte mein thee.. us se kuch bolte nahee ban rahaa thaa......


Thodi der tak donon ek doosre ko dekhte rahe ... donon ki ankhon mein ek doosre ke liye pyaar , lagao aur apnapan saaph jhalak rahaa thaa..par Hardayal ki ankhon mein dookh aur Saina ki ankhon mein pachtaawe ki bhi jhalak thee ....


Saina aage badhee ..apne baap ke seene se leepat gayee aur phaphak phaphak ke rote hue kahaa...." Uffff..Papa ..aap is kadar mujh se pyaar karte ho..? Hamaare rishte ka itna kadra hai aap ko..... maine aaj tak itni gehrai se ise naheen dekha ....maine aaj samjha Papa ..rishton ki gehrai aur unhein apne mein mehphooz rakhne ki keemat kya hai ....Papa main samajh saktee hoon mere aaj ke rawaiiyye se aap ko kitni chot pahoonchee hai ....uffffff....aaj aap ke ek ek lafzon ne mere dil ki gehrai mein chot maaree hai...main apne rishton ki ahmiyat aaj jaan gayee ..aap yakin karo meri jaan se bhi pyaare Papa is rishte ki dhadkan mere dil ki dhadkanon se bhi jyade pyaari hain mujhe .....main mar jaoongi ..mere dil ki dhadkan rook jayegi..par hamare rishte hamesha dhadakte rahenge ..dhak dhak dhak ...." Aur phir Saina apne ghootnon par baithte hue apne haath jodti hui kehti hai .." Papa bas sirf ek baar ..bas ek baar mujhe maf kar do....sirf ek baar ....doobaare aisi galti nahee hogi .... aapki maafi mere liye birth day ke tohfe se bhi badh ke hogi ...."


Hardayal apni beti ko uthaataa hai . gale se lagaataa hai ..abhi bhi uski aankhon mein aansoo hain ..par khushi aur pyaar se sarabor hain uske aansoo...Saina ke maathe ko choomta hua kehta hai " Beti.... maafi kaisi ..tumhein samajh aa gayee bas yehi mere liye badi baat hai ... chalo ab jara muskura do meri beti..main taras gaya aaj tumhari muskurahat ke liye ... come on Saina ...give me your sparkling smile ... I love them .."


Saina apne honthon par shararat bhari muskurahat laati hai aur phir Hardayal ke seene par pyaar se mukke lagate hue bol uth ti hai


" Hmmm..Papa aap sirf meri muskuraahat se pyaar karte ho..?"


" Ha ha ha !! " Hardayal uski baat soon thahaaka lagate hue kehta hai " Thats like my sweet baby ..you know well Saina .... its you who owns your smile... I love the owner of your smiles more than anything else in my life ... apni jaan se bhi jyada ...."


Aur phir donon ke honth jud jaate hain ..donon ek doosre se pagalon ki tareh leepat jaate hain aur ek doosre ko khaa jaane ki had tak choomne lagte hain....


Saina ek dum se alag ho jatee hai Papa se ....uske chehre pe phir se shararti muskan aa jaata hai ..Hardyal kuch confused ho jaata hai aur poochta hai.." Kya hua Saina ..??"


" Papa ...aage ka kaam is public hall mein naheen..apne private bed room mein ..." Saina ke chehre par shararti muskaan abhi bhi kaayam thee ..


Hardayal phir se thahaakaa lagaata hai ..Saina ko apni bahon mein leta hua apni god mein uthaa leta hai aur bed room ki or yeh kehta hua chal padta hai ..." Hmmmm ..... thats like my baby , my true baby ..my true love ... let us celebrate your birth day ! "
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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Re: हवस का नंगा नाच

Post by jay »

अपडेट 3:



अपने पापा की गोद में आते ही साना सीहर उठी ...अपने पापा के सीने पर अपना सर रख दिया और अपनी बाहें उनके गले से लगा उन से बूरी तरेह चीपक गयी ..अपना चेहरा उपर की ओर उठाया ..पापा अपनी बेटी की चाहत समझ गये ..उन्होने अपना सर नीचे किया और अपनी बेटी के गर्म , नर्म और रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे ..मानो खा जाएँगे ..और इसी हालत में होंठ चूस्ते , जीभ चूस्ते बेड रूम की ओर बढ़ चले ....


यह सच था के साना और हरदयाल दोनों की जिंदगी में सेक्स की कोई कमी नहीं थी ...साना को दोस्तों की कमी नही थी ...और हरदयाल को लड़कियों की कमी नहीं थी..पर फिर भी जब दोनों एक दूसरे से मिलते , तो ऐसा लगता जैसे पहली बार किसी के साथ मिले हों...एक दूसरे पर भूखे शेर और शेरनी की तरेह टूट पड़ते ..पागलपन की हद तक एक दूसरे को प्यार करते ...


और आज तो सारी हदें पार हो चूकी थी... साना दो दो लंड अपनी चूत में ले चूकि थी..पर अभी भी वो तड़प रही थी ..उसकी चूत अभी भी अपने पापा के लंड की भूखी थी ... और हरदयाल भी पागल हो उठा था अपनी बेटी को इस हालत में नंगी देख ...


दोनों एक दूसरे को चूमते चाट ते बेड रूम में दाखील होते हैं ..हरदयाल अपनी बेटी को पलंग पर लिटा देता है..साना के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट है ..उसकी आँखें अपने पापा को एक तक निहार रहे थे..पापा भी उसकी आँखों में देखते देखते अपने को भी नंगा किए जा रहे थे...दोनो इतने एग्ज़ाइटेड थे..उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी..हाँफ रहे थे ..


जैसे ही हरदयाल ने अपनी पॅंट और अंडरवेर उतारी ,,उनका लॉडा फन्फनाता हुआ उपर की ओर उछल पड़ा ....उनके कद की तरेह लौडे का कद भी लंबा और मोटा था ..साना की सब से पसंदीदा लंड ..सब से प्यारा लंड , हरदयाल के लंड पर उसकी नज़र पड़ते ही साना के गले से मज़े की चीख निकल गयी ..उसका पूरा बदन सीहर उठा...चूत से पानी की धार फूट पड़ी ...


उस ने भर्राई सी आवाज़ में कहा " पापा ....आइ लव यू ..आइ लव यू पापा ....आओ ना प्लीज़ मुझे अपनी बाहों में लो ना ..प्लीज़ ....कब से तड़प रही हूँ ...आओ ना पापा ....उफफफ्फ़ जल्दी करो ना ..मैं मर जाऊंगी ...आआआआआआआआआः.." और उसकी उंगलियाँ अपनी चूत सहला रही थी ...टाँगें फैली थी..


हरदयाल पलंग की ओर अपने 7" लंबे लौडे को अपनी मुट्ठी से सहलाता हुआ बढ़ा ..उसकी नज़र अपनी बेटी की चूत पर पड़ी ..उस पर उसकी रस और पहले की चुदाई का वीर्य चारो ओर लगा था ....बाल बिल्कुल नही थे ....चूत चमक रही थी ....चिपचीपी सी थी

चूचियाँ सीने पर साँसों के साथ उपर नीचे हो रही थी ....हरदयाल पागल हो उठा ...साना से बूरी तरेह चीपक गया उसकी चूचियाँ उसके सीने पर चिपकी थीं और उसके होंठ साना के होंठो से चिपके थे ...दोनों की टाँगें एक दूसरे की टाँगों को जाकड़ लिए थे .....दोनों बिल्कुल एक दूसरे में समाए थे ....एक दूसरे को सहला रहे थे ....चूम रहे थे , चाट रहे थे ....


"हां ..हां ..पापा खा जाओ ना..मुझे..चूस लो ना मुझे ..उफफफफफ्फ़ .....उईईई..."

साना सिसकारियाँ ले रही थी.....चीख रही थी ...और हरदयाल भी पागलों की तरह उसे कभी चूमता..कभी चूची मुँह में भर लेता ..कभी उसकी घुंडीयों पर जीब फिराता ..और साना अपनी चूची उसके मुँह में हथेलियों से जकड़ते हुए और भी अंदर कर देती ....दोनों बूरी तरेह मचल रहे थे ..एक दूसरे को अपने में समा लेने को बेताब थे ...


तभी अचानक हरदयाल नीचे आता है साना की टाँगों के बीच ..उसकी फूली -फूली , गीली और फडकति चूत अपनी मुट्ठी में भर लेता है और निचोड़ता है..मानो उसका रस पूरे का पूरा निचोड़ लेगा ..साना उछल पड़ती है " आआआआआआआआह ....पपाा/..उउउउउउउउ"


उसकी चूत की फाँकें इतनी चुदाई के बाद भी काफ़ी टाइट थी...कसी थी..गुलाबी रंग ..पंखुड़ीयाँ फदक रही थी , मुट्ठी में लेने से हरदयाल की हथेली पूरी तरेह गीली हो गयी उसकी चूत रस से ...उसने अपनी हथेली अपने मुँह की तरफ किया और अपनी बेटी की आँखों में देखता हुआ जीभ निकाली और हथेली को चाट लिया ....


साना हैरान थी ...उसकी चूत में पहले की चुदाई का भी वीर्य था ....अभी हॉल में उसी बात पर पापा उसे सीख दे रहे थे..और अभी चाट रहे हैं...

हरदयाल उसकी हैरानी की वजेह समझ गया और कहा


" मेरी प्यारी बेटी ...मेरी जान ..मेरी लाडली....बेटी जब प्यार करते हैं ना तो सब कुछ भूल जाओ ..बस सिर्फ़ एक दूसरे को याद रखो...प्यार में कुछ भी गंदा नहीं ..तेरी हर चीज़ मुझे प्यारी है बेटी ..हर चीज़ ...." और फिर उस ने अपना मुँह उसकी चूत पर लगाया , उसकी चूत अपने होंठों से जाकड़ लिया और चूसने लगा ...मानो उसके अंदर का सारा रस , सब कुछ अपने अंदर लेना चाह रहा हो..


साना फिर से उछल पड़ी ..उसके चूतड़ उछल पड़े ..उसकी चूत हरदयाल के मुँह में धँस गयी ...हरदयाल के चेहरे पर साना की चूत का रस लगा था ....वो चूस रहा था ..चाट रहा था अपनी बेटी की चूत ....उसके नमकीन टेस्ट और भीनी भीनी मदमाती खूशबू अपने अंदर जज़्ब करता जा रहा था और इसका असर उसके लौडे पर सॉफ झलक रहा था ..बिल्कुल टाइट और कड़क हो उठा था ....


साना से रहा नही गया , वो एक झटके के साथ उठी अपना हाथ बढ़ाया और अपने पापा का स्टील की तरेह कड़े लौडे को अपने हथेली से जकड़ते हुए दबा दिया ....साना अब तक काफ़ी गर्म हो चूकी थी..सीहर रही थी ..और जब उस ने इतना कड़क . मोटा और लंबा लॉडा अपनी हथेली में भरते हुए महसूस किया ...उसका बदन सीहर उठा ..कांप उठा और उसकी चूत ने फड़फड़ाते हुए पानी छोड़ दिया ....आज अपने जन्म दिन पर उसे जन्म देनेवाले लौडे का अपने हथेली पर महसूस सहन नही हो पाया , और वो बहोत एग्ज़ाइटेड हो गयी ..यह उसका आज का पहला ऑर्गॅज़म था ....
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