हवस का नंगा नाच compleet

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jay
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Re: हवस का नंगा नाच

Post by jay »

म्र्स डी"सूज़ा समझ जाती है ..उसकी आँखों में परेशानी , उस के चेहरे पर सवाल का जवाब सून ने से पहले ही जान लेने का अस्चर्य और हैरत सॉफ झलक रहे थे ...


" हां सॅम बेटा ....तुम ठीक समझ रहे हो .बिल्कुल ठीक ...जिस तरेह तुम अपनी मा में अपनी मा और एक प्रेमिका का रूप देखते हो ना ..तेरी मा भी अपने बाप में अपने प्रेमी का भी रूप देखती थी...जैसे तुम्हारे दिल में साना के लिए अथाह..असीम और बे-इंतहा प्यार है ना.. साना के दिल में भी वैसा ही था .... हरदयाल उसका बाप था और तेरा भी ..तभी तो उसे खोने के सदमे से उसे दोहरा मार लगा बेटे ..जिस से वो अब तक सम्भल नही पाई..... "


समीर म्र्स. डी'सूज़ा की बातों से सकते में था ..उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ...और खुद अपने और मोम के रिश्तों के बारे भी म्र्स. डी' सूज़ा के मुँह से ऐसी बातें सून उसे अस्चर्य हुआ ..आखीर उन्होने ऐसा कैसे समझ लिया....


" ह्म्‍म्म अब मुझे कुछ कुछ समझ में आया मोम क्यूँ मेरे साथ ऐसा बर्ताव करती हैं ..उन्होने अपने बाप और प्रेमी ..दोनो को एक साथ खो दिया ..सच है कितना बड़ा धक्का लगा होगा उन्हें ..पर सौज़ी मोम अब मेरे और मोम के बीच भी वोही संबंध है ..मैं भी उन्हें वैसे ही प्यार करता हूँ ..आप कैसे कह सकती हैं.? मैने तो आज तक ऐसा कुछ भी नही किया ..? "

इस बात पर म्र्स. डी' सूज़ा जोरों से हंस पड़ती है...." बेटा मैने तुम्हें और तुम्हारी मा दोनों को अपनी गोद में पाला है..मैं तुम दोनों की रग रग से वाक़िफ़ हूँ..मैं तुम दोनों को इतनी अच्छी तरेह जानती हूँ, जितना तुम भी अपने आप को नही जानते .. तुम्हारे रोम रोम में तुम्हारी मा बस्ती है...तुम्हारी तड़प और तुम्हारी ललक मैं देखती हूँ हर रोज़..मैं क्या समझती नही ? तुम दोनों आख़िर एक ही बाप की संतान हो..जब उसके जीन्स में अपने ही खून से जिस्मानी रिश्ता रखने की भूख थी ..फिर अगर तुम्हारे में भी है तो क्या बूरा है ....डरो मत आगे बढ़ो , पर हॅव पेशियेन्स ..उसे समय दो ....देखना वो किस तरेह तेरी बाहों में होगी...."


" हां सौज़ी मोम ....मैं बहोत तड़प्ता हूँ मोम के लिए ..बहोत ...मेरा दिल उन्हें अपने प्यार से शराबोर कर देने को बेताब है ....इतना प्यार कि वो समेट ना पायें ..जितना खोया है उन्होने मैं उस से भी ज़्यादा प्यार करूँगा सौज़ी मोम ...उस से भी ज़्यादा ..बस सिर्फ़ एक बार ..सिर्फ़ एक बार मेरी ओर प्यार से नज़रें तो मिलाए ना मोम ....सिर्फ़ एक बार ..." सॅम की आवाज़ में तड़प , कसक , दर्द और मोम के लिए अटूट प्यार भरा था ..


तभी उपर मोम के बेड रूम का दरवाज़ा खुलता है ..दोनों उपर की ओर देखते हैं ...सामने सीढ़ियों से उतरती हुई साना नीचे डाइनिंग हॉल की ओर बड़े नपे तुले कदमों से आती जा रही थी...उसकी नज़र सॅम की ओर थी..उसे एक टक देखे जा रही थी ......सॅम की नज़रें भी मोम की नज़रों से टकरा रही थी....वो भी एक टक उन्हें देखे जा रहा था..


साना ने अपने ऑफीस का ड्रेस उतार दिया था ..जिसे पहने वो सो गयी थी ..और अब उसके बदन पर एक ढीला सा टॉप था और उतना ही लूज़ और पतला पाजामा ...ब्रा और पैंटी साना ने पहनी नही थी ....


उनके ढीले कपड़ों के अंदर उनके कसे बदन की झलक , उनकी गदराई जांघों की थिरकन , उनके सीने की गोलाईयो का उछलना और मचलना ...सम आँखें फाड़ अपनी मोम का अपनी जिंदगी में पहली बार एक बिल्कुल ही अलग रूप देख रहा था ....हैरान था वो .और सब से बड़ी हैररानी थी मोम की नज़रें ..आज उनकी नज़रों में सॅम के लिए नफ़रत , गुस्सा या खीज़ का नामो-निशान नही था ....आज उनकी नज़रों में उसके लिए प्यार , ममता , स्नेह और दर्द भरा था ....


सॅम अपनी आँखें मलता है ....कहीं वो सपना तो नही देख रहा ..? पर जब मोम उसके बगल आ कर बैठ गयीं , अपना हाथ सॅम के सर पर रखा ..उनके बदन की खुशबू का झोंका उसे अपनी साँसों के साथ अंदर जाता महसूस हुआ ..उनकी हथेली का गर्म और नरम स्पर्श अपने सर पे महसूस हुआ ..वो चौंक गया ..यह सपना नही हक़ीक़त थी ....जो सपने से भी ज़्यादा हसीन और खूबसूरत थी ...जिस सपने का उसे इतने सालों से इंतेज़ार था ..

सॅम अपने सपने से जागता है ...मोम की तरेफ निहारता है ...साना उसके सर पर हाथ फेरती है , और उस से पूछती है .." सॅम बेटा ..कॉलेज से कब आया तू..."


उनकी आवाज़ में प्यार , दुलार और ममता लबालाब भरी थी ...


सॅम इतना प्यार , दुलार और स्नेह अपनी मोम का जिसके लिए वो तड़प रहा था , उसकी भीख माँगता फीर रहा था आज तक ..आज जब उसे अचानक मिला ..वो अपने आप को रोक नही सका , और फिर वो बीलख बीलख कर रो पड़ा , एक छोटे से बच्चे की तरेह फूट पड़ा सॅम ..


साना उसका सर अपने सीने से चीपका लेती है , उसके माथे को चूमती है , उसके गालों को बेतहाशा चूमती जाती है ..उस से लिपट जाती है और खुद भी फूट फूट के रो पड़ती है ..


मा बेटा एक दूसरे की बाहों में रोते जा रहे थे ,साना अपनी आंसूओं से इतने दिनों से अपने अंदर जमी नफ़रत , गुस्सा और दूरियों की मोटी परत को धोती जा रही थी ...


म्र्स. डी' सूज़ा चूप चाप खड़ी खड़ी मा - बेटे का यह अनहोनी सा लगता मिलाप , प्यार और एक दूसरे के लिए तड़प देखती जा रही थी ,,उसकी आँखों से भी लगातार आंसूओं की धार छूट रही थी ...


वो उन्दोनो को अकेले छोड़ किचन की ओर दबे पावं चल पड़ती है ...


दोनों मा -बेटे अभी भी एक दूसरे से चीपके सिसक रहे थे ...रो रहे थे ..इतने दिनों की दूरियाँ एक पल में मिटा देने को... बरसों के अंतराल को मिटाने की..जाने कितनी सारी अनकही बातों को अपनी आँसुओ से उसी एक पल में एक दूसरे को सब कुछ जताने की , बताने की पूरजोर कोशिश में जुटे थे...
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: हवस का नंगा नाच

Post by jay »

UPDATE 14


Shaam ho chookee thee...Sameer apne college se aa chooka thaa....us ne dekha uski Souzi Mom Mom ke kamre ki or jaaa rahee thee , yaane ki Mom shayad aa chookee theen ghar ..par yeh ek ajeeb hi baat thee ....Mom aur is samay ghar mein..? Aisa to uske 18 saal ki chotee par kuch lambee see jindagi mein aaj tak nahee hua ..is samay Mom yah to office mein hoteen yah phir club mein ...aur phir club hote hue ghar aateen yah phir waheen se seedhe kisi party mein .... Apni Mom ki shakal usko subeh hi deekhtee ....


Us ne ashcharya karte hue Souzi Mom se poocha .." Kya baat hai Souzi Mom ..aap Mom ke kamre mein abhee is waqt jaa rahee hain ..? "


Mrs. D' Souza use apni taref ishaare se boolaatee hain ...aur apne saath le use uski Mom ke kamre ko or le chaltee hai ..darwaazaa bina kisi awaaz kiye dheere se kholtee hai aur andar dekhtee hai... Sameer bhee Souzi Mom ke saath andar dekhta hai ...


Saina beestar par abhee bhee so rahee thee ... bilkul ek bachhee ki tareh shaant , nishchal chehraa thaa ..chehre par koi sheekan nahee thee...saaree duniya se bekhabar thee ...


Yeh kuch to uske scotch ke shooroor ka aur kuch uske rone se , aansoo bahaane se apne aap ko halka mehsoos karne ka asar thaa ...


Souzi Mom darwaaze ko phir se bina awaaz kiye udhkaa deti hai Sameer ke saath baahar nikal aatee hai ...aur phir uske saath dining table se lage kursi par baith ..uski or dekhtee hai


" Beta tum ne dekhaa naa aaj ki Saina kaisi hai....dekha na kitni maasoom thee ..kitni haseen lag rahee thee ...? "


" Haan Souzi Mom ....ek to aaaj is waqt Mom ghar par hai ..aur phir itna shaant aur nishcheent chehra aaj tak maine nahee dekhaa ..yeh kyaa ho gayaa unhein ..tabiyat to theek hai na unki..? " Sam hairaan hote hue kehta hai..


" Beta yeh aaj jo roop hai na teri Mom ka..yeh uske asli roop ki thodi si jhalak hai ....bahot thodi si ..dekha na kitna sunder , kitna khoobsoorat aur nishchal hai yeh chehra ? "


"Par aaj hua kyaa Souzi Mom ...? yeh badlao ? "


" Maine subeh kahaa thaa na tujh se Sam ..tum ne uski Maa ki Mamta ko jhakjhor diya hai ...uske dil mein uthal puthal machee hai.... jis tareh tum ne padhaa hoga na ke saagar mein manthan hua thaa aur kitne ratna nikle the...wohi manthan aaj Saina ke saagar se gehre pyaar bhare dil mein bhee ho rahaa hai aur phir ismein se tumhaare liye moti hee moti niklenge beta ...ismein se sirf tumhaare liye pyaar ki amrit phoot padegi ..tu sambhaal nahee payega itna pyaar degi woh tujhe..abhee abhee uske andar ka toofaan shaant hua hai aur ab woh shaantee uske chehre par jhalak rahee hai .....bas thoda sabra karo beta ..." Mrs D' Souza use kehti hai ..


Sameer ankhein phaade Saina ki or dekhta hai , apni MOm ka yeh roop ..,uske upar ka chaadar ast vyast sa uski sharir ko dhank kam rahaa thaa , uske badan ki golaiyon , uski chaatee ki ubhaar ko aur bhee haseen banaa rahaa thaa ... sudaul tangein bahaar nikli hui thee , sanson ke saath uski choochiyon ka upar neeche hona ..baal chehre par beekhre beekhre ... Sam ki ankhon mein ek ajeeb hi chamak thee ...woh apni Mom mein kho sa gayaa thaa ..Mrs. D' Souza ki nazar us par padtee hai ..woh muskuraa deti hai..Sam thoda jhenp jata hai ..par jhenp mitaate hue kehta hai

" PAr Souzi Mom yeh sab hua kaise ...jab Mom office jaa rahee theen.kitne gusse mein thee ....bataiye na kya hua uske baad ..?"


Aur phir MrsD.'Souza , Saina ke office se jaldi aa jaane se le kar uske aur Saina ke beech hui baton ka poora haal soonaatee hain ....


Sameer saari baat bade dhyaan se soonta hai , aur thoda confused saa lagtaa hai ....use yeh samajh nahee aa rahaa thaa uske Mom ke Papa aur uske khud ke PApa jinki maut air crash mein ho gayee thee , in donon ke beech kya rishta thaa ...uske Papa ko Mom baar baar Papa ..Papa kyoon bol rahee thee ..jaisa ke Mrs. D' Souza apni baat karte waqt kehtee jateen ...


Sam ko yeh maloom nahee thaa ab tak ke uske Papa aur uske Mom ke Papa ek hi the ...ek hi shaksha thaa donon shakshiyat ka maaalik ... use kisi ne bataya nahee thaa ab tak .yeh baat us se choopaayee gayee thee...


Woh poochta hai hairaani se " Souzi Mom ...mere Papa ko Mom bhee Papa ..Papa kehti jaa rahee thee ....kya matlab hai iska ..?? "


Aur tabhee uske deemag ki ghanti bajtee hai ..uska mathaa thanak uthta hai ....

aur phir ek dam se chaunkta hua kursi se uth ta hai Mrs D' Souza ko unke kandho se jakadtaa hua jhakjhorta hai aur bol uth ta hai .." Souzi Mom ..kaheen aisa to nahee...... " aur bolta hua achanak choop ho jata hai aur ankhein phaade Mrs D' Souza ki or dekhta hai ....


Mrs D"Souza samajh jaatee hai ..uski ankhon mein pareshani , us ke chehre par sawaal ka jawaab soon ne se pehle hi jaan lene ka ascharya aur hairat saaf jhalak rahe the ...


" Haan Sam beta ....tum theek samajh rahe ho .bilkul theek ...jis tareh tum apni Maa mein apni Maa aur ek premikaa ka roop dekhte ho na ..teri Maa bhee apne Baap mein apne premi ka bhee roop dekhtee thee...jaise tumhaare dil mein Saina ke liye athaah..aseem aur be-intaha pyaar hai na.. Saina ke dil mein bhee waisa hi thaa .... Hardayal uska Baap thaa aur tera bhee ..tabhee to use khone ke sadme se use dohraa maar lagaa bete ..jis se woh ab tak sambhal nahee paayee..... "


Sameer Mrs. D'Souza ki baton se sakte mein thaa ..use samajh nahee aa rahaa thaa kya kare ...aur khud apne aur Mom ke rishton ke baare bhee Mrs. D' Souza ke munh se aisi batein soon use ascharya hua ..aakheer unhone aisa kaise samajh liya....


" Hmmm ab mujhe kuch kuch samajh mein aaya Mom kyoon mere saath aisa bartaaw kartee hain ..unhone apne Baap aur Premi ..dono ko ek saath kho diya ..sach hai kitna badaa dhakka lagaa hoga unhein ..par Souzi Mom aap mere aur Mom ke beech bhee wohi sambandh hai ..main bhee unhein waise hi pyaar karta hoon ..aap kaise keh saktee hain.? Maine to aaj tak aisa kuch bhee nahee kiya ..? "

Is baat par Mrs. D' Souza joron se hans padtee hai...." Beta maine tumhein aur tumhaari Maa donon ko apni god mein palaa hai..main tum donon ke rag rag se waaqif hoon..main tum donon ko itni achee tareh jaanti hoon, jitna tum bhee apne aap ko nahee jaante .. tumhaare rom rom mein tumhaaree Maa bastee hai...tumhaaree tadap aur tumhaaree lalak main dekhtee hoon har roz..main kya samajhtee nahee ? Tum donon aakkheer ek hi Baap ki santaan ho..jab uske genes mein apne hi khoon se jismaani rishta rakhne ki bhookh thee ..phir agar tumhaare mein bhee hai to kya boora hai ....daro mat aagey badho , par have patience ..use samay do ....dekhna woh kis tareh teri bahon mein hogi...."


" Haan Souzi Mom ....main bahot tadapta hoon Mom ke liye ..bahot ...mera dil unhein apne pyaar se sharabor kar dene ko betab hai ....itna pyaar ki woh samet na payein ..jitna khoya hai unhone main us se bhee jyaadaa pyaar karoonga Souzi Mom ...us se bhee jyaadaa ..bas sirf ek baar ..sirf ek baar meri or pyaar se nazrein to milaye na Mom ....sirf ek baar ..." Sam ki awaaz mein tadap , kasak , dard aur Mom ke liye atoot pyaar bharaa thaa ..


Tabhee upar Mom ke bed room ka darwaazaa khulta hai ..donon upar ki or dekhte hain ...saamne seedhiyon se utartee hui Saina neeche dining hall ki or bade nape tule kadmon se aatee jaa rahee thee...uski nazar Sam ki or thee..use ek tak dekhe jaa rahee thee ......Sam ki nazrein bhee Mom ki nazron se takraa rahee thee....woh bhee ek tak unhein dekhe jaa rahaa thaa..


Saina ne apne office ka dress utaar diya thaaa ..jise pehne woh so gayee thee ..aur ab uske badan par ek dheela sa top thaa aur utna hi lose aur patla pajama ...bra aur panty Saina ne pehni nahee thee ....


Unke dheele kapdon ke andar unke kase badan kee jhalak , unke gadraayee janghon ki theerkan , unke seene ki golaiyon ka uchalna aur machalna ...Sam ankhein phaad apni Mom ka apni jindagi mein pehli baar ek bilkul hi alag roop dekh rahaa thaa ....hairaan thaa woh .aur sab se badee hairrani thee Mom ki nazrein ..aaj unki nazron mein Sam ke liye nafrat , gussa yah kheez ka namo-nishaan nahee thaa ....aaj unki nazron mein uske liye pyaar , mamta , sneh aur dard bharaa thaa ....


Sam apni ankhein malta hai ....kaheen woh sapna to nahee dekh rahaa ..? Par jab Mom uske bagal aa kar baith gayeen , apna haath Sam ke sar par rakhaa ..unke badan ki khoshboo ka jhonka use apni sanson ke saath andar jaata mehsoos hua ..unki hatheli ka garm aur naram sparsh apne sar pe mehsoos hua ..woh chaunk gayaa ..yeh sapna nahee haqiqat thee ....jo sapne se bhee jyadaa haseen aur khooobsoorat thee ...jis sapne ka use itne saalon se intezaar thaa ..

Sam apne sapne se jaagta hai ...Mom ki taref nihaarta hai ...Saina uske sar par haath pherti hai , aur us se poochtee hai .." Sam beta ..college se kab aayaa too..."


Unki awaaz mein pyaar , dulaar aur mamta labaalaab bharee thee ...


Sam itna pyaar , dulaar aur sneh apnee Mom ka jiske liye woh tadap rahaa thaa , uski bheekh mangta pheer rahaa thaa aaj tak ..aaj jab use achanak mila ..woh apne aap ko rok nahee sakaa , aur phir woh beelakh beelakh kar ro padaa , ek chhote se bachhe ki tareh phoot padaa Sam ..


Saina uska sar apne seene se cheepka leti hai , uske mathe ko choomtee hai , uske galon ko betahaashaa choomtee jatee hai ..us se leepat jatee hai aur khud bhee phoot phoot ke ro padtee hai ..


Maa beta ek doosre ki bahon mein rote jaa rahe the ,Saina apni aansooon se itne dinon se apne andar jamee nafrat , gussa aur dooriyon ki moti parat ko dhoti ja rahee thee ...


Mrs. D' Souza choop chaap khadee khadee Maa - Bete ka yeh unhonee sa lagtaa milaap , pyaar aur ek doosre ke liye tadap dekhtee jaa rahee thee ,,uski ankhon se bhee lagataar aansooon ki dhaar choot rahee thee ...


Woh undonon ko akele chhod kitchen ki or dabe paon chal padtee hai ...


Donon Maa -Bete abhee bhee ek doosre se cheepake sisak rahe the ...ro rahe the ..itne dinon ki dooriyan ek pal mein meetaa dene ko... barson ki antaraal ko meetane ki..jaane kitni saaree unkahee baton ko apni ansooon se usi ek pal mein ek doosre ko sab kuch jataane ki , bataane ki poorjor koshish mein joote the...
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mini

Re: हवस का नंगा नाच

Post by mini »

kuch bold dirty turn kero na
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jay
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Re: हवस का नंगा नाच

Post by jay »

कुछ देर बाद म्र्स. डी' सूज़ा हाथ में चाइ की ट्रे थामे डाइनिंग टेबल पर दोनों के सामने रख देती है .... उन्हें देख दोनों एक दूसरे से अलग होते हैं ..अपने अपने आँसू पोंछते हैं...एक दूसरे को देखते हैं ..पर दोनों चूप हैं ..किसी के पास शब्द नही..अल्फ़ाज़ नही ..इतने दिनों की भडास चन्द लफ़्ज़ों में कैसे उतारें..कैसे कहें ....ऐसे समय लफ़्ज़ों की भाषा बेमायने हो जाती हैं और मौन की भाषा , चूप रहने की भाषा ही सब से असरदार भाषा होती है..और दोनों मा-बेटे एक दूसरे को देखते इसी भाषा का बड़े ही असरदार ढंग से इस्तेमाल में ला रहे थे...


पर वातावरण में एक भारीपन था , एक अजीब ही तनाव सा था ..मानो इस तनाव से सब कुछ खींचता हुआ टूट जाएगा , फॅट जाएगा ...


म्र्स. डी' सूज़ा इस तनाव को कम करने की कोशिश करते हुए बोलती है ..


" कम ऑन ..साना आंड सम ..अरे बाबा पूरी जिंदगी पड़ी है...रो लेना ..जितना आँसू चाहे बहा लेना ...अभी ज़रा ब्रेक ले ले ..चल चाइ पी ले ... यह सेंटिमेंटल सीन बदलो भी ..ज़रा कॉमेडी ब्रेक लेते हैं ..क्यूँ ठीक है ना..??"


सूज़ी मोम की बातों से दोनों के चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट आती है ...


साना समझ जाती है अपनी आंटी की बात ...अपने आँखों से आँसू पोंछती है , ट्रे से बिस्कुट और केक का प्लेट उठाती है और उसे सॅम की तरफ बढ़ाते हुए कहती है ..


" सॅम बेटा ..तू कॉलेज से आ कर कुछ खाया भी नही होगा ..भूखा होगा ..चल कुछ खा ले "


सॅम की जिंदगी में यह पहली बार हुआ था ... आज सब कुछ पहली बार हो रहा था उस बेचारे की जिंदगी में ....


वो प्लेट से एक बड़ा सा केक का टूकड़ा उठाता है मुँह की ओर अपना हाथ ले जाता है..पर फिर से मा की ओर देखता हुआ फूट पड़ता है ....


इस बार साना ने हिम्मत से काम लिया ..आखीर वो उसकी मा थी ..अपने बेटे का हाल समझती थी ... इतने दिनों से बेचारा इस तरेह के प्यार और दुलार का भूखा था ..आज अचानक उसे सब मिलता है..वो संभाल नही पा रहा था ..


साना बड़े प्यार से उसके हथेली को अपने हाथों से पकड़ उसके मुँह की ओर ले जाती है और मुँह के अंदर डालती हुई बोलती है...


" खा ले बेटा ..खा ले ..मैं जानती हूँ बेटा ..मैं जानती हूँ..मैं कितनी अभागन हूँ ..कितनी बेशरम हूँ...मैं अपने बेटे को इस हाल तक पहुचाने के पहले मर क्यूँ नही गयी... मुझे माफ़ कर दे अगर कर सकता है तो ..खा ले बेटा ..मुझ पर तरस खा के ही खा ले..खा ले .."


सॅम समझता है अपनी मोम का हाल ..वो समझ जाता है के साना किस हाल में है..उसे अपने आप को संभालना पड़ेगा ..अपनी मोम को संभालना होगा ..अपने प्यार को संभालना होगा ...सौज़ी मोम बोलती हैं ना प्यार करनेवाले देते हैं ..लेते नही ..मैं भी अपने प्यार को ..अपनी मोम को आज तक जो नही दे पाया ..आज तक जो उसकी मोम नही ले पाई ..सब कुछ दूँगा ..उसकी झोली भर दूँगा ..उसी पल वो ठान लेता है अपने मन में...अपने आप को संभालने की ठान लेता है ....अपने मोम को संभालने की ठान लेता है ..


उसकी आँखों में अब एक चमक थी ... अपने आँसू पोंछता है और इस तरेह बोलता है , जैसे कुछ हुआ नही ...


" क्या मोम आप भी ना...अरे मैं अब बड़ा हो गया हूँ ...मैं कोई दूध पीता बच्चा थोड़ी हूँ जो आप के हाथों से खाऊंगा .? मेरे हाथों को देखिए अब कितना दम है ..मैं आप को अपने हाथों से खीलाऊँगा ..आप भी तो भूखी हैं ..सुबेह नाश्ता भी नही किया .."

कहते हुए साना के हाथ से केक मुँह में लेता है और दूसरा बड़ा टूकड़ा अपने हाथों से उठाता हुआ साना के मुँह में डालता है ...साना यह टूकड़ा अपने मुँह में लेते हुए निहाल हो उठती है ..उसका प्यार अपने लिए देख गद गद हो उठ ती है ..उसकी आँखों से भी आँसू फूट पड़ने को तैयार हैं ..पर अपने आप को संभालती है और बोलती है ...


" हां बेटे मैं भूकी थी अब तक ..अब मेरी भूख मिट जाएगी ....हां बेटा ...मैं कितनी बेवक़ूफ़ थी ...बे-वज़ह अब तक भूखी रही ... हां बेटा...बहोत भूखी .."


साना की गहरी बात का मतलब सॅम अच्छी तरेह समझ जाता है ..सही में कितनी बेवक़ूफ़ थी उसकी मोम... पर उसे किसी भी हालत में अपनी मोम को अपने आप को इस तरेह कोसने की कोशिश , इस तरेह अपने गुनाहों की अपने आप को सज़ा देने की कोशिश से निकालना होगा ...हटाना होगा ..वरना यह हालत और भी बूरी होगी मोम के लिए ..और यह काम उसके अलावा और कोई नही कर सकता ..यह भी वो समझता था ..अच्छी तरेह .

सच है दूख , दर्द और पीड़ा इंसान को बहोत जल्द ही बहोत समझदार बना देते हैं .. और यही हुआ सॅम के साथ ...वो अपनी उम्र के लड़कों से कहीं ज़्यादा मेच्यूर और समझदार था......

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jay
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Re: हवस का नंगा नाच

Post by jay »


वो उठता है अपनी कुर्सी से...कुर्सी से हट ता हुआ खड़ा हो जाता है..अपनी बाहें फैलाता हुआ साना की ओर देखता है और कहता है..


'" देखिए मोम ..अच्छी तरेह देखिए मुझे ....क्या मैं आप को बच्चा लगता हूँ...कम ऑन मोम देखिए ना ...."


साना अपनी नज़रें सॅम की तरेफ करती है..अपने बेटे की जवानी का यह रूप उसे पहली बार दीखता है..उसके बेटे का खिलखिलाना आज उसे पहली बार दीखता है..उसके चेहरे पर अपनी मा के लिए उसका पास , उसके साथ होने का अहसास उसे पहली बार दीखता है ..पहली बार साना ने महसूस किया अपने बेटे का अहसास ..अपनी मा होने का अहसास ...


कितना अच्छा लग रहा था..उसका जवान बेटा उसके सामने खड़ा था अपनी जवानी की मस्ती के साथ..भरा पूरा बदन , लंबा 6' का क़द और उसके पापा की हू-ब-हू शक़ल ...मांसल बाहें ..चौड़ा सीना ...साना मचल उठी उसके सीने से लगने को..उसके सीने में समा जाने को....


साना उसकी ओर देखते हुए कहती है ...


" हां बेटा अब तो तू सही में कितना बड़ा हो गया है..बहोत बड़ा है मेरा बेटा ...बहोत उँचा ...हां बेटा अब तू बड़ा हो गया...पर मा के सामने तो बच्चा ही रहेगा ना ...." और यह कहते हुए खिलखिला उठ ती है ....

अपनी मों का खिलखिलाना देख सॅम झूम उठ ता है..आगे बढ़ता है .....साना को अपनी बाहों से जकड़ता हुआ कुर्सी से उठा लेता है ...अपने सामने कर लेता है ...उसके गाल चूमता है ..उसके दोनों हाथ चूमता है ...और साना भी उसके चौड़े सीने में अपना सर रख उसे अपनी बाहों में ले लेती है ....

अपने बेटे को सीने से लगाने का अहसास उसे आज पहली बार हुआ ...उफ़फ्फ़ यह कैसा अहसास था ... साना सीहर उठी ... सम भी सीहर उठा पहली बार अपनी मा के सीने से लग कर ...


दोनों एक दूसरे की गर्मी , एक दूसरे की धड़कानों का अहसास लिए जा रहे थे ,आँखें बंद किए इस अहसास को अपने में समेट लेने की कोशिश में थे...


सॅम अपनी मा से कहता है " मोम ... आप कितनी स्वीट हो...यू आर दा स्वीटेस्ट मोम..."


यह वो ही शब्द थे जिन्हें सून आज सुबेह साना कितनी जल भून गयी थी ..और अब यह वोही शब्द उसे शहद की तरेह मीठा और अमृत की तरेह उसे नयी जिंदगी दे रहा था ....


साना आज पूरी तरेह मा थी ...अपने सॅम की मा.... !!


एक ऐसा अहसास था उन दोनों में ....सिर्फ़ वो दोनों ही समझ सकते थे..महसूस कर सकते थे ..इस अहसास में कितनी गर्मी थी , कितनी तड़प थी , कितनी भूख थी, कितनी प्यास थी ...इतने दिनों तक दबा अहसास आज एक दम से सारे रुकावटों , सारे बंधनो को तोड़ता हुआ बहार आता जा रहा था ..


दोनों एक दूसरे से चीपके थे ...सॅम का अपनी मोम को जकड़ते हुए उपर उठाने से उसकी जांघों के बीच का उभार साना की जांघों के बीच की मुलायम , पर अब तक कितनी गीली और फूली फूली चूत से स्पर्श होता है .....इस स्पर्श से दोनों सीहर उठते हैं ....इस सीहरन में हवस का नामो-निशान नहीं था ..यह सीहरन , मिलन और एक दूसरे पर अपने प्यार का इज़हार करने की चराम सीमा थी..दोनों अब उस कगार पर खड़े थे ...अपने अपने प्यार का एक दूसरे से पूरी तरेह इज़हार करने की कगार पर थे ..और इस अहसास ने दोनों के शरीर , दिल और दिमाग़ को पूरी तरेह जगा दिया था..इतने दिनों तक सोए अरमानों , इच्छाओ को झकझोर दिया था ...अपने को ,अपने प्यार को एक दूसरे से बाँटने को मचल रहे थे ..


इसका नतीज़ा यही हो रहा था ...सॅम के इस बाँटने के अहसास ने उसके लंड को कड़क और बूरी तरह कड़क कर दिया था साना के इस अहसास ने अपना रास्ता ढूँढ लिया था , उसकी चूत से रस की तरेह लगातार रीस्ता हुआ बाहर आता जा रहा था ..


दोनों तड़प रहे थे ..सॅम को इस तड़प से बूरी तरेह कड़क लौडे में दर्द सी महसूस हुई..मानो फट पड़ेगा ....साना की चूत लावा उगलती जा रही थी .


सॅम से बर्दाश्त नही हो सका ..वो दर्द भरी आँखों से अपनी मोम को देखता है ..और मोम को बोलता है ...." अया ..! म-ओ-ओ-म ...?"

उसके इस इन लफ़्ज़ों में उसके अंदर की सारी तड़प , भूख और दर्द शामिल थे और इस दर्द को मिटाने के लिए आगे बढ़ने की इज़ाज़त की माँग थी ...


साना अपने बेटे का हाल समझती है..उसे भी तो अपने बेटे को पूरी तरेह अपने में समा लेने की चाहत थी , तड़प थी .


साना ,सॅम की तरेफ अपनी आँखें करते हुए उसकी आँखों में झाँकती है , सर हिलाती हुई अपनी हामी भर देती है और बोलती है.." हां..बेटा ..हां ..." और अपना सर उसके सीने में लगाए छूपा लेती है....


सॅम का पूरा शरीर गन गना जाता है, सीहर उठ ता है मोम की इस प्रतिक्रिया(रिक्षन) से , उसका लॉडा और भी कड़क हो जाता है ,,मानो साना की चूत में उसके पाजामा को भेदता हुआ अंदर चला जाएगा....


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