यकीन करना मुश्किल है compleet

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rajsharma
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Re: यकीन करना मुश्किल है

Post by rajsharma »

रात तो खाने के बाद मैं और इनायत रूम मे थे. इनायत कोई न्यूसपेपर पढ़ रहे थे कि मैने अपनी नाइटी उतार दी और उनके राइट मे नंगी लेट गयी, इनायत ने मेरी तरफ देखा और चौंक से गये और बोल पड़े

इनायत:"आरा, ये क्या है, दरवाज़ा तो लॉक कर दो, कोई आ गया तो क्या होगा"
मैं:"कौन आ सकता है"
इनायत:"साना आ जाए, या अम्मी आ जायें या हो सकता है कि अब्बू ही आ जायें"
मैं:"तुम्हारे अब्बू सो रहे हैं और अगर साना या तुम्हारी अम्मी आएगी तो क्या फ़र्क पड़ता है, उन्होने तो मुझे पहले ही नंगा देखा है"
इनायत:"क्या बात है आज बहोत मूड मे हो"
मैं:"बहोत दिन हो गये हैं, तुम तो वापिस आकर अपनी बुक्स मे खो जाते हो,शौकत भी ताबू की चूत मे घुसा रहता है तो कौन मर्द बाकी है घर में?"

इनायत:"अच्छा मेरी जान मैं खुद दरवाज़ा बंद कर लेता हूँ"

शौकत ने दरवाज़ा बंद करते ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरी टाँगो के बीच मे आकर मेरी चूत चाटने लगा.

मैं:"बेटा अपनी अम्मी की चूत को प्यार से चॅटो और धीरे धीरे"

इनायत मेरी तरफ देखा फिर वो वापिस अपनी लंबी ज़बान से मेरी चूत चाटने मे लग गया और फिर मेरी तरफ देख कर बोला

:"अच्छा मेरी प्यारी अम्मी, आज मैं आपकी ऊट चाट कर अपनो खूब मज़ा दूँगा"

इनायत काफ़ी देर कर मेरी बुर से ज़बान रगड़ता रहा फिर वो मुझ पर आकर लेट गया और हम किस करने लगे. अब वो मेरी बुर मे अपना लौडा पेलने के लिए तैय्यार था. उसने धीरे से अपने मूसल मेरे अंदर घुसाया. उसका मूसल अंदर जाते ही मेरी चूत मे धँस जाता था और मैं कसमसा कर रह जाती.


मैं:"इनायत मैं कुछ दिनो से तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ लेकिन वादा करो कि तुम एक मर्द की तरहा नही एक इंसान की तरहा इस बात को सुनोगे"

इनायत ने धक्के लगाना शुरू कर दिया था और मेरी चूत मे हलचल शुरू हो गयी थी, वो दोनो हाथो से मेरी बड़े बड़े चुचियों
को मसल रहा था.

इनायत:"आरा मैं तुम्हारा दोस्त भी हूँ ,मुझसे कुछ कहने के लिए तुम्हे वादे की ज़रूरत नहीं है"

मैं:"जानते हो जिस रात मेरी तबीयत ठीक नही थी, इस रात मैं तुम्हारी अम्मी के रूम मे सोई थी."
इनायत:"हां तो"
मैं:"तो रात को कराहने की आवाज़ आई जिससे मेरी आँख खुल गयी, कमरे मे 0 वॉट का बल्ब जल रहा था, मैने देखा की अम्मी अपनी सलवार के अंदर उंगली कर रही थीं, जैसे ही उनकी नज़र मुझ पर पड़ी तो वो चौंक पड़ी और उंगली निकाल ली, फिर उनकी आँखो मे आँसू आगये, मुझे बुरा लगा, मैने उनसे कहा कि आप शर्मिंदा ना हो, इसमे कोई हर्ज नही है तो उन्होने मुझे बताया की काफ़ी टाइम से उनके मिया उनसे सेक्स नही कर पा रहे हैं और जल्दी झाड़ जाते हैं जिसकी वजह से वो काफ़ी परेशान रहने लगी है, मुझे उनपर काफ़ी तरस आया, अगली सुबह उन्होने ही मुझे नहलाया, उनके कपड़े भीग गये थे तो मैने उनसे भी मेरे साथ नहाने के लिए कह दिया,उफ़फ्फ़ जब उन्होने अपने कपड़े उतारे तो मैं उनकी चूत देखती ही रह गयी,हम दोनो अपने उपर कंट्रोल खो बैठे,मैं और तुम्हारी अम्मी ने फिर एक दूसरे के जिस्म से अपनी हसरत को पूरा किया "

इनायत:"क्या, क्या कह रही हो?"

इनायत का लंड अब मेरी चूत से निकल चुका था और उसका मूह खुला हुआ था, वो मेरी तरफ बड़ी हैरत से देख रहा था.


मैं:"हां इनायत ये सच है"
इनायत: "मेरी माँ ये सब कभी नही कर सकती"
मैं:"मैं जानती हूँ इसका यकीन करना मुश्किल है, लेकिन तुम एक सेक्स से लिए तरसती औरत की बात भी कर रहे हो"
इनायत:"लेकिन फिर भी वो ऐसा कैसे कर सकती हैं, क्या उन्हे अपनी उमर और रिश्ते का ख़याल नही रहा"
मैं:"वाह मेरे शौहर, आख़िर आप मर्द की तरह बात करने ही लगे, खुद आप दिल मे अपनी सग़ी मा और बहेन के लिए जज़्बात रखते हैं और ये आपको बुरा नहीं लगता लेकिन एक औरत जिसके कुछ ख़ास ज़रूरतें भी होती है अगर वो अपने लिए कुछ करे तो आपको उमर और रिश्ता नज़र आने लगता है"
इनायत:"लेकिन आरा...."
मैं:"जाइए इनायत साहब सो जाइए, मुझे सोना है"
इनायत:"आरा सुनो तो, सॉरी मुझे लगता है मैं ओवर रिक्ट कर गया,,, "
मैं:"मुझे आपसे यही उम्मीद थी जनाब"
इनायत:"देखो हो सकता है कि अम्मी को बाद मे पछतावा हुआ हो अपने किए पर"
मैं:"हां हुआ था और वो शर्मिंदा भी थीं लेकिन मैने उनसे कहा कि इसमे शर्मिंदा होने को कोई ज़रूरत नहीं है, मैने उनसे कह
दिया है कि अगर मेरे ज़रिए उनकी कोई ज़रूरत पूरी हो रही है तो मैं इसके लिए तैय्यार हूँ"
इनायत:"तुमने ठीक किया"
मैं:"जानते हो मैने उन्हे ये बता दिया कि हम रोल प्ले करते हैं और ये भी कि तुम मुझे उनका रोल प्ले करने के लिए कहते हो"
इनायत:"आआर, क्या तुम्हारा दिमाग़ ठीक नहीं था उस वक़्त, तुमने मुझे शर्मिंदा कर दिया, अब मैने उनके सामने कैसे जाउन्गा"

मैं:"इनायत वो मेरी सास ही नही बल्कि मेरे सबसे अच्छी दोस्त भी हैं अब, तुम्हे ये याद रखना चाहिए, उनको पहले बहोत अटपटा सा लगा लेकिन फिर वो इसको क़ुबूल कर बैठी, उन्होने खुद कहा कि अकसर ऐसा होता है, लड़के अपनी मा से अट्रॅक्ट हो जाते हैं

, मैने ये भी बताया कि कैसे तुम उनके बारे में इमॅजिन करके एग्ज़ाइट हो जाते हो"

इनायत:"फिर"

मैं:"फिर क्या, उन्होने मुझसे पूछा कि उनमे ऐसा क्या है"

इनायत:"फिर"

मैं:"इनायत तुम नहीं जानते कि तुम्हारी मा कितनी खूबसूरत हैं, उनकी चूचियाँ, उनके चुतड और उनकी जांघे सब बड़े दिलकश हैं,मैने आज दोपहर ही जब घर में कोई नही था,उनके साथ तुम्हारा रोल प्ले किया, जब मैं उनकी दिलकश चूत चाट रही थी तो वो तुम्हारा नाम लेकर एग्ज़ाइटेड थीं"

इनायत के चेहरे पर ऐसे एमोशन थे जैसे किसी इंसान को किसी बड़े ख़ज़ाने का नक्शा मिल गया हो, वो मेरी तरफ किसी मूरत की तरहा देख रहे थे.

मैं:"इनायत, कर दो अपनी मा की ख्वाइश पूरी, वो ना जाने कब से एक लंड के लिए तरस रहीं हैं, मैने उनसे कहा था कि मैं इस बारे में तुमसे बात करूँगी,लेकिन वो ये मान ही नही पा रही थी कि तुम कभी इस बात के लिए राज़ी होगे, लेकिन
मैने उनसे वादा कर लिया कि मैं तुमको राज़ी कर के ही रहूंगी"

इनायत:"लेकिन ये कैसे हो पाएगा"
मैं:"उसकी फिकर तुम मत करो,आज शायद अब्बू को बुखार है और उनको डॉक्टर ने नींद की गोली दी है तो वो गहरी नींद मे सो रहे हैं

, मैं अम्मी को बुला लेती हूँ और फिर मैं अब्बू के कमरे मे चली जाउन्गि, पहरा देने को, तुम आज उनकी सारी हसरतें पूरी
कर लेना "

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: यकीन करना मुश्किल है

Post by rajsharma »

इनायत:"लेकिन अगर अब्बू जाग गये तो?"

मैं:"तो मैं हूँ ना,उनको मैं पहले ही पसंद हूँ, मैं कॉसिश करूँगी कि मैं उनको अपनी बातों मे फुस्लाये रखूं, वो मेरी अदा से
वहीं पर जमे रहेंगे, लेकिन तुम अपनी मा की ज़रूरत का पूरा ध्यान रखना"

इनायत:"ठीक है तुम उनको बुला लाओ, फिर तुम ही पहले बात शुरू करना, मैं पहले कुछ नहीं करूँगा"

मैं:"ठीक है, मैं उनको अभी बुला लाती हूँ"


ये कहकर मैं सास के कमरे मे चली गयी, वो लोग सोने की तैय्यारि कर रहे थे, मुझे देख कर ससुरजी की आँखो मे चमक आ गयी

मैं:"अम्मी आज रात मैं अब्बू के पास सोना चाहती हूँ"
सास:"क्या? और इनायत?"

मेरी बात सुनकर तो जैसे ससुरजी खिल उठे लेकिन मेरी सास थोड़ा टेन्षन मे आ गयी

मैं:"हां अम्मी, अब्बू मुझे बहुत अच्छी तरहा प्यार करते हैं, मैने इनायत से कह दिया है कि अब्बू बीमार हैं और अम्मी दिन भर की थकि हैं, दोनो एक दूसरे की देख भाल नही कर सकते, और इसलिए मैं अब्बू को सारी रात देखती रहूंगी और अम्मी चाहे तो मेरे कमरे मे सो जायें"

ससुरजी:"हां आरा कोई बात नही तुम मेरे साथ सो जाओ"

सास:"अर्रे लेकिन मैं इनायत के कमरे के कैसे सोने जाउ"

मैं:"अम्मी वो नींद की दवा लेते हैं कभी कभी तो वो पहले ही सो गये हैं"

सास:"और शौकत, ताबू और साना"

मैं:"साना को तो आप जानती ही हैं कि जल्दी सोती है और सुबह ही उठती है, शौकत और ताबू चुदाई का खेल खेल रहें हैं"
सास:"लेकिन तुम्हारे यहाँ सोने के ख़तरा है"
मैं:"कोई ख़तरा नहीं है, मैं फिर वापस अपने कमरे में चली जाउन्गि, अगर किसी ने पूछा तो कह दूँगी कि अब्बू को बुखार और और मैं उनके लिए जाग रही हूँ"

सास:"आरा आज तो मैं चली जाती हूँ लेकिन कल ऐसा दोबारा नहीं होगा"

मैं:"ठीक है मेरी अच्छी सासूजी, आप कितनी अच्छी हैं,चलिए मैं आपको छोड़ आती हूँ अपने कमरे में"

ससुरजी:"वो खुद चली जाएगी, आरा तुम मेरे पास आओ"

मैं:"मेरे राजा थोड़ा वेट करो ना, मैं अभी आती हूँ"

सास:"चलो, ठीक है"

मैने बाहर आकर अपनी सास को सारा मामला समझा दिया कि कैसे इनायत उनकी चूत लेने के लिए बेताब है.पहले तो वो ना नुकुर करने लगी कि तुम्हारे ससुर को मालूम पड़ जाएगा लेकिन मैने भरोसा दिलाया कि मैं आज रात ससुरजी को बाहर आने का मौका ही नही दूँगी तो वो राज़ी हो गयी.मैं जैसे ही अपने कमरे मे आई तो इनायत और मेरी सास दोनो एक दूसरे को देख कर थोड़ा शरमा से गये लेकिन मैने सिचुयेशन को हॅंडल कर लिया.

मैं:"आरे आप लोग एक दूसरे को देखते ही रहोगे कि कुछ आगे भी बढ़ोगे,चलो अपने कपड़े उतारो"
सास:"आरा, तुम कितनी बेशरम होती जा रही हो"
मैं:"जिसने की शरम उसके फूटे करम, चलो इनायत जल्दी करो, मुझे अब्बू के पास भी जाना है, कहीं वो जाग ना जायें"

वो लोग कभी एक दूसरे को देखते तो कभी दीवार या छत को तो मैने सोचा कि मैं ही कुछ करूँ.मैने अपनी सास की नाइटी के बटन खोलने शुरू कर दिए और उनसे कहा कि वो अपने दोनो हाथ उपर कर लें, पहले तो उन्होने बनावटी नखड़ा दिखाया लेकिन फिर मेरे इसरार करने पर हाथ उपर उठा लिए, मैने उनकी नाइटी उनके जिस्म से अलग कर दी, अब वो एक हाथ से अपने सीने को छिपा रहीं थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत ढक रही थी,उनका सिर झुका हुआ था और वो शर्म से लाल हो रही थी, उधर इनायत का मूह खुला था और वो साँस थामे ये सब बे यकीनी से देख रहा था.अब मैने अपनी सास के दोनो हाथ हटा दिए और इनायत की तरफ आँख मार कर कहा

मैं:"देखो मैने कहा था ना कि तुम्हारी मा बड़ी खूबसूरत हैं"
इनायत:"हां"
मैं:"अम्मी आप बिस्तर पर लेट जाओ"

मेरी सास बिस्तर पर लेट गयी उन्होने अपनी आँखें बंद कर रखी थी, मैने इनायत से कहा कि वो दरवाज़ा लॉक कर ले लेकिन जाते जाते मैं अपनी सास की टाँगो को चौड़ा किया और उनकी चूत पर एक ज़ोर दार किस कर लिया, इससे ये हुआ कि उन्होने अपनी हालत खोल ली, उन्होने देखा कि मैं हूँ तो वो बोल पड़ी.

सास:"आरा शरारत मत करो"
मैं:"शरारत तो आज आपका बेटा करेगा आपकी चूत मे अपना लॉडा पेल कर"

ये कह कर मैं बाहर आ गयी और इनायत ने डोर लॉक कर दिया अब मैं अपने ससुर के कमरे में आ चुकी थी.
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Re: यकीन करना मुश्किल है

Post by rajsharma »

Raat to khaane ke baad main aur Inayat room me the. Inayat koi newspaper padh rahe the ki maine apni nighty utaar di aur unke right me
nangi let gayi, Inayat ne meri taraf dekha aur chaunk se gaye aur bol padey

Inayat:"Aara, ye kya hai, darwaza to lock kar do, koi aa gaya to kya hoga"
Main:"kaun aa sakta hai"
Inayat:"Sana aa jaye, ya ammi aa jayein ya ho sakta hai ki abbu hi aa jayein"
MAin:"tumhare abbu so rahe hain aur agar sana ya tumhari ammi aayegi to kya fark padta hai, unhone to mujhe pehle hi nanga dekha hai"
Inayat:"kya baat hai aaj bahot mood me ho"
Main:"bahot din ho gaye hain, tum to wapis aakar apni books me kho jaate,Shaukat bhi Tabu ki choot me ghusa rehta hai to kaun mard baaki
hai ghar mein?"
Inayat:"accha meri jaan main khud darwaza band kar leta hoon"

Shaukat ne darwaza bad karte hi apne saare kapde utaar diye aur mere taango ke beech me aakar meri choot chaatne laga.

Main:"beta apni ammi ki choot ko pyaar se chaato aur dheere dheere"

Inayat ke meri taraf dekha phir wo wapis apni lambi zaban se meri choot chaatne me laga gaya aur phir meri taraf dekh kar bola

MAin:"accha meri pyari ammi, aaj main aapki choot chaat kar apno khoob maza doonga"

Inayat kaafi deir kar meri bur ke zaban ragadta raha phir wo mujh par akar let gaya aur hum kiss karne lagey. Ab wo meri bur me
apna luada pelne ke liye taiyyar tha. Usne dheere se apne moosal mere andar ghusaya. Uska moosal andar jaate hai meri choot me dhans
jaata tha aur main kasmasa kar reh jaati.


Main:"Inayat main kuch dino se tumse ek baat kehna chahti hoon lekin waada karo ki tum ek mard ki tarha nahi ek insan ki tarha is baat
ko sunoge"

Inayat ne dhakke lagana shuru kar diya tha aur meri choot me halchal shuri ho gayi thi, wo dono haanto se meri badey badey seeno
ko masal raha tha.

Inayat:"Aara main tumhara dost bhi hoon ,mujhse kuch kehne ke liye tumhe waade ki zarurat nahin hai"

Main:"jaanto ho jis raat meri tabiyat theek nahi thi, is raat main tumhari ammi ke room me soyi thi."
Inayat:"haan to"
Main:"to raat ko karahne ki awaz aayi jisse meri aankh khul gayi, kamre me 0 watt ka bulb jal raha tha, maine dekha ki ammi apni
salwar ke andar ungali kar rahi theen, jaise hi unki nazar mujh par padi to wo chaunk padi aur ungali nikaal li, phir unki
aankho me aansu aagaye, mujhe bura laga, maine unse kaha ki aap sharminda na ho, isme koi harj nahi hai to unhone mujhe
bataya ki kaafi time se unke miya unse sex nahi kar paa rahe hain aur jaldi jhad jaate hain jiski wajah se wo kaafi parehsan
rehne lagi hai, mujhe unpar kaafi taras aaya, agli subha unhone hi mujhe nehlaaya, unke kapde bheeg gaye the to maine
unse bhi mere sath nahane ke liye keh diya,ufff jab unhone apne kapde utaare to main unki choot dekhti hi reh gayi,hum dono
apne upar control kho baithe,main aur tumhari ammi ne phir ek doosre ke jism se apni hasrat ko poora kiya "

Inayat:"kya, kya keh rahi ho?"

Inayat ka lund ab meri choots se nikal chuka tha aur uska muh khula hua tha, wo meri taraf badi hairat se dekh raha tha.


MAin:"haan Inayat ye sach hai"
Inayat: "meri maa ye sab kabhi nahi kar sakti"
Main:"main jaanti hoon iska yakeen karna mushkil hai, lekin tum ek sex se liye tarasti aurat ki baat bhi kar rahe ho"
Inayat:"lekin phir bhi wo aisa kaise kar sakti hain, kya unhe apni umar aur riste ka khayal nahi raha"
Main:"waah mere shauhar, aakhir aap mard ki tarha baat karne hi lagey, khud aap dil me apni sagi maa aur bahen ke liye jazbaat
rakhte hain aur ye aapko bura nahin lagta lekin ek aurat jiske kuch khaas zaruratein bhi hoti hai agar wo apne liye kuch
kare to aapko umar aur rishta nazar aane lagta hai"
Inayat:"lekin Aara...."
Main:"jaiye Inayat sahab so jaiye, mujhe sona hai"
Inayat:"Aara suno to, sorry mujhe lagta hai main over react kar gaya,,, "
Main:"mujhe aapse yahi ummeed thi janab"
Inayat:"dekho ho sakta hai ki ammi ko baad me pachtawa hua ho apne kiye par"
Main:"haan hua tha aur wo sharminda bhi theen lekin maine unse kaha ki isme sharminda hone ko koi zarurat nahin hai, maine unse keh
diya hai ki agar mere zariye unki koi zarurat poori ho rahi hai to main iske liye taiyyar hoon"
Inayat:"tumse theek kiya"
Main:"jaante ho maine unhe ye bata diya ki hum role play karte hain aur ye bhi ki tum mujhe unka role play karne ke liye kehte ho"
Inayat:"AAra, kya tumhara dimaag theek nahin tha us waqt, tumne mujhe sharminda kar diya, ab maine unke saamne kaise jaunga"
Main:"Inayat wo meri saas hi nahi balki mere sabse acchi dost bhi hain ab, tumhe ye yaad rakhna chahiye, unko pehle bahot atpata
sa laga lekin phir wo isko qubul kar baithi, unhone khud kaha ki akasr aisa hota hai, ladke apni maa se attract ho jaate hain
, maine ye bhi bataya ki kaise tum unke baare mein imagine karke excite ho jaate ho"
Inayat:"phir"
Main:"phir kya, unhone mujhse poocha ki unme aisa kya hai"
Inayat:"phir"
Main:"Inayat tum nahin jaante ki tumhari maa kitni khoobsurat hain, unki choochiyaan, unke chuttad aur unki jhangein sab badey dilkas
hain,maine aaj dopahar hi jab ghar mein koi nahi tha,unke sath tumhare role play kiya, jab main unki dilkash choot chaat rahi
thi to wo tumhara naam lekar excited theen"

Inayat ke chehre par aise emotion the jaise kisi insaan ko kisi badey khazane ka naksa mil gaya ho, wo meri taraf kisi moorat ki
tarha dekh rahe the.

Main:"Inayat, kar do apni maa ki khwaish poori, wo na jane kab se ek lund ke liye taras rahin hain, maine unse kaha tha ki main
is baare mein tumse baat karungi,lekin wo ye maan hi nahi paa rahi thi ki tum kabhi is baat ke liye raazi hogey, lekin
maine unse wada kar liya ki main tumko raazi kar ke hi rahungi"
Inayat:"lekin ye kaise ho payega"
Main:"uski fikar tum mat karo,aaj shayad abbu ko bukhar hai aur unko doctor ne neend ki goli di hai to wo gehri neend me so rahe hain
, main ammi ko bula leti hoon aur phir main abbu ke kamre me chali jaungi, pehra dene ko, tum aaj unki saari hasratein poori
kar lena "
Inayat:"lekin agar abbu jag gaye to?"
Main:"to main hoon na,unko main pehle hi pasand hoon, main kosish karun ki main unko pani baaton me fuslay rakhun, wo meri ada se
wahin par jame raheinge, lekin tum apni maa ki zarurat ka poora dhyan rakhna"

Inayat:"theek hai tum unko bula lao, phir tum hi pehle baat shuru karna, main pehle kuch nahin karunga"

Main:"theek hai, main unko abhi bula laati hoon"


Ye kehkar main saas ke kamre me chali gayi, wo log soney ki taiyyari kar rahe the, mujhe dekh kar sasurji ki aankho me chamak aa gayi

Main:"ammi aaj raat main abbu ke paas sona chahti hoon"
Saas:"kya? aur Inayat?"

Meri baat sunkar to jaise sasurji khil uthe lekin meri saas thoda tension me aa gayi

Main:"haan ammi, abbu mujhe bahut acchi tarha pyar karte hain, maine Inayat se keh diya hai ki abbu beemar hain aur ammi din bhar
ki thaki hain, dono ek doosre ki dekh bhaal nahi kar sakte, aur isliye maine abbu ko saari raat dekhti rahungi aur ammi chahe
to mere kamre me so jayein"
Sasurji:"haan Aara koi baat nahi tum mere sath so jao"
Saas:"Arrey lekin main Inayat ke kamre ke kaise soney jaun"
Main:"Ammi wo neend ki dawa lete hain kabhi kabhi to wo pehle hi so gaye hain"
Saas:"Aur Shaukat, Tabu aur Sana"
Main:"Sana to aap jaanti hi hain ki jaldi soti hai aur subha hi uthi hai, Shaukat aur Tabu ki chudai ka khel khel rahein hain"
Saas:"lekin tumhare yahan soney ke khatra hai"
MAin:"koi khatra nahin hai, main phir wapas apne kamre mein chali jaungi, agar kisi ne poocha to keh doongi ki abbu ko bukhar aur
aur maine unke liye jag rahi hoon"
Saas:"Aara aaj to main chali jaati hoon lekin kal aisa dobara nahin hoga"
Main:"theek hai meri acchi saasuji, aap kitni acchi hain,chaliye main aapko chhod aati hoon apne kamre mein"
Sasurji:"wo khud chali jayegi, Aara tum mere paas aao"
Main:"mere raja thoda wait karo na, main abhi aati hoon"
Saas:"chalo, theek hai"

Maine bahar aakar apni saas ko saara maamla samjha diya ki kaise Inayat unki choot lene ke liye betaab hai.Pehle to wo na nukur karne
lagi ki tumahre sasur ko malum pad jayega lekin maine bharosa dilaya ki main aaj raat sasurji ko bahar aane ka mauka hi nahi doongi
to wo razi ho gayi.Main jaise hi apne kamre me aayi to Inayat aur meri saas dono ek doosre ko dekh kar thoda sarma se gaye lekin
maine situation ko handle kar liya.

Main:"Aarey aap log ek doosre ko dekhte hi rahoge ki kuhc aaghe bhi badhoge,chalo apne kapde utaaro"
Saas:"Aara, tum kitni besharam hoti jaa rahi ho"
Main:"jisne ki sharam use phoote karam, chalo Inayat jaldi karo, mujhe abbu ke paas bhi jaana hai, kahin wo jaag na jayein"

wo logkabhi ek doosre ko dekhte to kabhi deewar ya chhat ko to maine socha ki main hi kuch karun.Maine apni saas ki nighty ke button
kholne shuru kar diye aur unse kaha ki wo apne dono haanth upar kar lein, pehle to unhone banavti nakra dikaya lekin phir mere
israr karne par haanth upar utha liye, Maine unki nighty unke jism se alag kar di, ab wo ek haant se apne seene ko chipa rahin
thi aur doosre haant se apni choot dhak rahi thi,unka shar jhuka hua tha aur wo sharm se laal ho rahi thi, udhar Inayat ke muh khula
tha aur wo saans thaame ye sab be yakini se dekh raha tha.Ab maine apni saas ke dono haant hata diye aur Inayat ki taraf aankh maaf
kar kaha

Main:"dekho maine kaha tha na ki tumhari maa badi khoobsurat hain"
Inayat:"haan"
Main:"ammi aap bistar par let jao"

Meri saas bistar par let gayi unhone apni aankhein band kar rahi thi, maine Inayat se kaha ki wo darwaza lock kar le lekin
jaate jaate main apni saas ki taango ko chauda kiya aur unki choot par ek zor daar kis kar liya, isse ye hua ki unhone apni halat
khol li, unhone dekha ki main hoon to wo bol padi.

Saas:"Aara sharat mat karo"
Main:"sharat to aaj aapka beta karega aapki choot me apna lauda pel kar"

Ye keh kar main bahar aa gayi aur Inayat ne door lock kar diya ab main apne sasur ke kamre mein aa chuki thi.
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Re: यकीन करना मुश्किल है

Post by rajsharma »

जैसे ही मैं अपने ससुर की कमरे मे आई उन्होने मुझे अपनी बाहों मे दबोच लिया और मुझे जगह जगह चूमने लगे.

मैं:"अर्रे मेरे राजा, मैं यहीं हूँ रात तक तुम्हारे साथ, टेन्षन मत लो, रात भर रगड़ रगड़ कर चोदना मुझे"
ससुरजी:"ह्म्‍म्म्म मेरी रानी आज तो मैं सोच रहा हूँ कि रात भर तुमको प्यार करूँ"
मैं:"तो कर ना मेरे कुत्ता, अच्छा रुक मुझे फिर से पेसाब आया है, हट वरना सासू जी की चद्दर फिर गीली हो जाएगी,,,,हहाहाहा"
ससुरजी:"तो मेरे मूह मे कर लो मेरी जान"
मैं:"मुझे बहोत ज़ोर से लगा है, तू कितना पी पाएगा"
ससुरजी:"एक काम करो इस ग्लास मे मूतो"

मैं वो ग्लास लिया और उसमे मूतने लगी, मेरी चूत से सीयी,,, की आवाज़ आ रही थी, मैने वो ग्लास ससुरजी को दिया उन्होने उसमे से एक घूँट पिया और फिर मुझे दोपहर की तरह बिस्तर को कोने मे बिठा दिया और मेरी चूत चाटने लगे. मैं भी उनके बालो मे उंगली घुमा रही थी.


मैं:"बरकत मेरी जान काश हम लोग खुल कर दिन के उजाले में सबके सामने प्यार कर पाते"
ससुरजी:"ऐसा कैसे हो पाएगा"
मैं:"तेरी बीवी को तो मैं शीशे में उतार चुकी हूँ, अभी जब मैं इनायत के रूम मे गयी थी, तो वो सो रहा था, मैने उसके
कमरे में जाकर तेरी बीवी की चूत में उंगली डाली थी और उसके सीने को दबाया, बदले में उसने भी ऐसा ही किया,कल सुबह ही मैं उसकी चूत का स्वाद ले लूँगी और फिर उसको इनायत के लिए तैयार कर दूँगी.समझा"
ससुरजी:"जैसे चाहो करो लेकिन मेरे लिए साना को और ताबू को तैय्यार करो"


अब ससुरजी ने मुझे किसी कुतिआ की तरहा पीछे मोड़ दिया और मैने सपोर्ट के लिए बेड पर दोनो हाथ रख लिए और अब वो मेरे पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल कर धक्के लगाना शुरू हो गये थे.

मैं:"पहले इनायत तो चोद ले तेरी बीवी,फिर साना को भी तेरे लौडे से चुदवा देंगे"
ससुरजी:"वो दोनो कैसे मान जायेंगे?"
मैं:"इनायत तो कई बार मुझे अपनी अम्मी बना का चोद चुका है, तो उसकी कोई टेन्षन मत लो, रही तेरी बीवी की तो कल ही उसको राज़ी करती हूँ"

ससुरजी:"लेकिन उससे साना कैसे राज़ी होगी?"

मैं:"साना को ये दिखाना पड़ेगा कि इनायत अपनी मा को ही चोद रहा है, जब वो अपनी आँखो से देखेगी तो परेशान हो जाएगी, फिर मैं उसको बता दूँगी कि इनायत शुरू से ही अपनी मा और बहेन को चोदना चाहता है और उसकी मा भी अपने शौहर के ढीले लंड से परेशान हो चुकी है, इसलिए मैने दोनो का मिलन करवाया"

ससुरजी:"तो इससे वो मेरे पास कैसे आएगी"
मैं:"पहले वो अपने भाई के लंड का मज़ा लेगी वो भी मेरे और अपनी मा के सामने और फिर मैं उसको ये दिखा दूँगी कि मैं तेरे लौडे से रोज़ रात को चुद रही हूँ, फिर क्या आपकी ख्वाइश भी मैं उसको बता दूँगी, इससे वो राज़ी हो जाएगी"

ससुरजी:"वाह क्या प्लान है तुम्हारा मेरी जान, लेकिन फिर ताबू कैसे मानेगी"

मैं:"शौकत की नज़र अब भी मुझपर रहती है,एक बार भाई बहेन, मा बेटा और बाप बेटी की चुदाई हो जाए तो इनायत को मेरा शौकत से चुदना बुरा नही लगेगा और वो भी अपनी मा और बहेन की चूत का रस पी लेगा, फिर मैं तब्बास्सुम को भी इस खेल में शामिल कर लूँगी"

ससुरजी:"तो तुम कल ही ये सब करो, ठीक है"

मैं:"हाँ कल की कल देखेंगे अभी तो तू मेरी चूत मार यार"

रात भर मैं अपने ससुर से चुदवाती रही, वो थक चुके थे लेकिन उनका दिल नही भरा था.इस दौरान उन्होने मेरे जिस्म का कोई हिस्सा बाकी नही रखा था जहाँ उन्होने चाटा ना हो. मैं भी नंगी ही उनके साथ सो गयी. सुबह जब आँख खुली तो देखा कि दरवाज़ा खुला ही रह गया है. ये देखकर मेरे तोते उड़ गये, ससुरजी भी नंगे ही मेरी बगल में लेटे थे,अचानक परदा हटा तो ताबू को अंदर चाइ का ट्रे लेकर आते देखा तो वो चाइ का ट्रे गिरने से बचा. वो हैरान थी मुझे देखकर, मैने उसको एक कातिल मुस्कान दी और आँख मारी, मैं चुपके से उसके पास गयी और उसके कान मे कहा कि बाद में डीटेल में समझाउंगी अभी तुम ये चाइ का ट्रे यहाँ रखो और अपने रूम मे जाओ. वो चली गयी फिर मैने अपने कपड़े पहने और ससुरजी को भी उठाया.

मुझे ये जानने कि जल्दी थी कि रात को मा और बेटे में क्या हुआ, मेरी सास मेरे रूम मे नहीं थी, वो किचन में थीं.
मैने जाते ही इनायत से हाल पूछा.

मैं:"मेरी जान कैसी रही रात, क्या क्या हुआ"

इनायत ने मुझे बिस्तर पर खींच लिया और मुझे बाहों मे भर के मेरे होंठ चूम लिए.

इनायत:"थॅंक्स मेरी जान, तुम्हारी वजह से मैं अपना ड्रीम पूरा कर पाया,अम्मी के साथ पूरी रात बड़ी हसीन गुज़री है"
मैं:"वो तो मैं जानती हूँ, अच्छी ही गुज़री होगी लेकिन क्या क्या किया ये तो बताओ"

इनायत:"अम्मी को सेक्स का असली मज़ा दिया जिसके लिए वो बेताब थी,उनको हर पोज़िशन मे कयि बार चोदा"
मैं:"अच्छा वो शर्मा ही रही थी कि कुछ बोल भी रहीं थी"
इनायत:"पहले तो बहोत शरमाई लेकिन एक बार जब मेरा लंड गया उनकी खूबसूरत चूत में तो वो सारी शर्म छोड़ चुकी थी,
मुझे तो फिर डर लग रहा था कि कहीं कोई जाग ना जाए इतनी ज़ोर से वो चिल्ला रहीं थी जोश में, मैने सोचा नहीं
था कि वो बहोत पहले से ही मुझसे चुदवाना चाहती थी, वो तो तुमने हमको मिलाया वरना हम तो कभी एक ना हो पाते
, काश शौकत भी अम्मी को चोद पाए,लेकिन मैं सोचता हूँ कि अगर अब्बू को पता चला तो क्या होगा"

मैं:"देखो सीधा सा हिसाब है, तुम उनकी बीवी चोद रहे हो तो अगर वो तुम्हारी बीवी चोद सके तो मामला बराबर का होगा"
इनायत:"अच्छा लेकिन ये होगा कैसे"

मैं:"वो एक मर्द हैं, तुम कहो तो मैं आज रात ही उनसे चुदवा लूँ"

इनायत:"इतनी जल्दी कैसे मुमकिन है"

मैं:"वो मुझ पर छोड़ दो,मुझे नींद आ रही है, सारी रात मैं जाग रही थी तुम्हारे अब्बू की खातिर"

इनायत:"अच्छा कैसी तबीयत है उनकी?"

मैं:"वो जाग गये हैं, मैने टेंपरेचर चेक किया था, अब बुखार नहीं है"

इनायत:"चलो ठीक है, मैं फ्रेश हो लेता हूँ, तुम ब्रेकफास्ट रेडी करो"

मैं:"तुम्हारी दूसरी बीवी बना रही है, तुम्हारे लिए ब्रेकफास्ट"

इनायत:"कौन ताबू"

मैं:"नहीं वो जिसने कल रात तुम्हारा बिस्तर गरम किया था अहहहाआहहः"

इनायत:"यू नॉटी"

ये कहकर मैं किचन में चली आई.यहाँ मेरी सास नहा धो कर अपने बेटे के लिए ब्रेकफास्ट बना रही थी.
मुझे देखकर वो बोल पड़ी

सास:"आरा मैने तुमको देखा था अपने कमरे में , मैं दरवाज़ा लॉक करने आना ही चाहती थी लेकिन फिर बाद में भूल गयी,
तुमको तो ख़याल होना चाहिए था ना"
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: यकीन करना मुश्किल है

Post by rajsharma »


मैं:"वो मैं भूल गयी लेकिन ये इतनी सुबह सुबह आज किसके लिए ब्रेकफास्ट बन रहा है"

सास:"सबके लिए"

मैं:"सबके लिए या अपने रात वाले यार के लिए हहाहहाहा"

सास:"आरा तुम कितनी बेशर्म होती जा रही हो"

मैं:"आज आपके चेहरे पर ये चमक देख कर अच्छा लग रहा है,मुझे बहोत ख़ुसी है"

सास:"लेकिन ना जाने मेरे मिया इसके लिए राज़ी होंगे कि नही"

मैं:"कल रात मैने इस बारे मे बात कर ली आपके मिया से और वो कह चुके हैं कि उनको प्राब्लम नही है लेकिन उनको साना की और ताबू की चूत चाहिए, आख़िर हैं तो वो मर्द ही"

सास:"अच्छा तो कैसे मिलेगी उनको साना और ताबू की चूत"

मैं:"वो आप मुझपर छोड़ दीजिए, मैं आज साना को आपकी और इनायत की चुदाई दिखाउन्गि, फिर साना को रेडी करूँगी इनायत के लंड के लिए और फिर साना को आपके मिया के लिए"

सास:"सब कुछ बड़ी जल्दी हो रहा है देखो कहीं तुम्हारा प्लान उल्टा ना पड़ जाए."

मैं:"आप इसकी फिकर ना करो बस ताबू को शौकत के साथ मार्केट भेज दो "

प्लान के मुताबिक ताबू, शौकत, बरकत बाहर जा चुके थे और घर में सिर्फ़ मैं, सास, साना और इनायत बाकी थे.

इनायत को मैने नहीं बताया था कि आज अचानक ही साना उनकी और उनकी अम्मी की चुदाई देख लेगी. मेरी सास को टेरेस पर जाना था

इनायत को लेकर, टेरेस पर एक हट सा बनाया गया था, वो चारो तरफ से बंद था, ये एक सूखी घास से बनाया हुआ हट था.उसमे एक चारपाई भी पड़ी थी, सुबह का टाइम था इसलिए मौसम ठंडा था.सास को इनायत को टेरेस पर ले जाकर चुदवाना था ताकि मैं और साना उनकी धीमी आवाज़ सुन कर टेरेस पर आ जायें और शॉक्ड रह जायें. साना को बहोत फील होगा लेकिन फिर उसको मुझे नीचे लेकर सिड्यूस करना होगा ताकि वो अपने अब्बू से चुदने के लिए तैय्यार हो जाए, एक बार इनायत ने साना की चूत की सील तोड़ दी तो वो वर्जिन नही रहेगी और फिर आरिफ़ के साथ उसकी शादी होने में कोई देर नही होगी. फिर इनायत मुझे और आरिफ़ को नही रोक पाएगा.

आरिफ़ के लंड के लिए मैने ना जाने सब को इतना मनिपुलेट कर दिया था कि वो दिन दूर नही था जब सब बाप बेटी,बेटा मा, देवर भाभी दिन के उजाले में जिसकी चाहे ले लें.

मेरी सास इनायत को टेरेस पर लें गयी. इनायत भी मना नहीं कर पाया और टेरेस पर चल पड़ा.मैं साना के रूम मे गयी तो
वो उठ चुकी थी और आदत के हिसाब से फ्रेश होकर बैठी थी, मैने उसके साथ ब्रेकफास्ट किया और उसको अपने और उसकी मा के उंगली करने वाले किस्से सुनाने लगी, वो बड़ी दिलचसबी ले रही थी, मैने उसकी शलवार में हाथ डाला तो उसकी बुर पनिया गयी थी. मैने उसका पानी चखा और उससे कहा क्यूँ ना थोड़ा मज़ा किया जाए और टेरेस पर चला जाए, उसने मुझे अपनी मा और भाई इनायत के बारे में पूछा तो मैने कह दिया कि इनायत तो शायद काम पर चले गये हैं और सासू जी तो पड़ोस मे कहीं गयी हैं.
जब हम टेरेस पर पहुँचे तो साना के कान खड़े हो गये,
सीढ़ियो से ये नज़र आ रहा था कि कोई औरत घोड़ी बन कर खड़ी और और कोई आदमी पीछे से उसको चोद रहा है, लेकिन साना को ये नज़र नही आ रहा था कि ये हैं कौन, जैसे ही हम नज़दीक पहुँचे तो यहाँ से सास और इनायत साफ नज़र आते थे,

साना को देख कर इनायत के होश उड़ गये और वो हैरत से बोल पड़ी.

साना:"अम्मी, भाई आप लोग यहाँ और ये"

सास:"वो साना ,त...तू...तुम या....यहाआँ?"

साना ने कुछ और सुनना या देखना ठीक नहीं समझा और फिर वो नीचे भाग आई.

मैं:"इनायत तुम टेन्षन मत लो, साना को मैं समझा लूँगी"
इनायत अभी भी घबराया हुआ था लेकिन मेरी सास ने उसकी अपनी तरफ मोड़ लिया
सास:"मेरे बच्चे टेन्षन मत ले,आरा उसको समझा देगी, वो और आरा काफ़ी अच्छे दोस्त हैं, साना भी मेच्यूर हो चुकी है, वो समझ जाएगी, तू फिलहाल मेरी चूत पर ध्यान दे, जाने कब्से मैं किसी ताकतवर लंड के लिए तरस रही हूँ"

मैं सोच रही थी कि ये चूत और लंड की प्यास आदमी और औरत को क्या से क्या बना देती है. मैं नीचे आई तो साना बेड पर पड़ी रो रही थी. मैने उसके सर पर हाथ फेरा और उसको पानी पीने को दिया.


मैं:"साना, क्या हुआ, ज़िंदगी की हक़ीक़त देख कर तुम्हारी मेचुरिटी कहाँ चली गयी"

इसपर वो बेड से उठ कर मेरी तरफ देख कर बोली.

साना:"भाभी आप को बुरा नहीं लगा ये सब देख कर"

मैं:"इसमे क्या बुरा था"

साना:"यही कि एक मा खुद अपने बेटे से छि.."

मैं:"अच्छा तो तुम्हारी मा को क्या करना चाहिए था,,,किसी सड़क पर खड़े लड़के से कहना चाहिए था कि आ मेरी चूत मार"

साना:"लेकिन अपने ही बेटे से.उउफ़फ्फ़"

वो रोए जा रही थी, उसके आँसू लगातार बह रहे थे.

मैं:"अगर तुम एक शादी शुदा औरत हो और कई सालो तक तुमको अपनी उंगली से काम चलाना पड़े तो तुम क्या करोगी"

साना:"मैं सबर करूँगी"

मैं:"अच्छा,सबर करोगी, वो भी तो बेचारी सबर ही कर रही थी"

साना:"आप तो ऐसे बात कर रही हैं जैसे आपको ये सब पहले से पता है"

मैं:"मुझे मालूम है ये सब लेकिन ये नहीं मालूम था कि वो लोग टेरेस पर हैं"

साना:"आपको इससे कोई ऐतराज़ नहीं"

मैं:"नहीं, इनायत मेरे ही कहने पर अपनी मा की ज़रूरत पूरी कर रहे हैं"

साना:"आपको ये सब ठीक लगता है"

मैं:"तुम मुझसे कह रही थी कि अगर मैं अपने भाई से ताल्लुक रखू तब भी तुम आरिफ़ से शादी करने के लिए तैय्यार हो"

साना:"हां मैने कहा था लेकिन ये हक़ीक़त में बुरा लगता है"

मैं:"मैने तुम्हे पहले की कहा था ये सब"

साना:"हां मुझे याद है"

अब साना ने रोना बंद कर दिया था. अब मैने उसको धीरे धीरे मनिपुलेट करना शुरू कर दिया

मैं:"देखो साना इस वक़्त तुम्हारे भाई और मा को तुम्हारे सपोर्ट की ज़रूरत है,अगर तुम अपनी मा से नफ़रत करोगी तो वो टूट जायेंगी , तुमको चाहिए कि उनको हौसला दो,तुम्हारे भाई भी तुमसे बहोत प्यार करते हैं"

साना:"लेकिन अगर अब्बू को ये सब मालूम पड़ा तो क्या होगा"

मैं:"तुम्हारे अब्बू को मैं मना लूँगी, अगर उनकी बीवी मेरे शौहर के चुद रही है तो मैं भी उनके चुदवाने के लिए तैय्यार हूँ"
साना:"क्या आप क्या कह रही हैं"

मैं:"तुम सिर्फ़ अपने बारे मे सोच रही हो लेकिन मैं अपनी सास के बारे में सोच रही हूँ"

साना:"मुझे नहीं लगता ऐसा पासिबल भी है"

मैं:"मेरी जान ये भूल जाओ की हम सबमे एक दूसरे से क्या रिश्ता है, बस एक बार अपने और दूसरो की ख़ुसी के बारे मे सोचो"

साना:"इससे क्या होगा"

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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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