मैं और मेरा परिवार

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sahil
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Re: मैं और मेरा परिवार

Post by sahil »

Kya bhai update nahi dega kya
sahil
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Re: मैं और मेरा परिवार

Post by sahil »

Ek bar bata de ki kab update dege
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xyz
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Re: मैं और मेरा परिवार

Post by xyz »

813आ

चाची अमित के पपास चली गयी

और मैं बेड पे लेट कर सोचने लगा

चाची की कहानी सुनकर मेरे चेहरे पे स्माइल आ गयी

चाची आज भी मुझे बच्चा ही समझती है

मुझे 2 साल वाला अवी समझती है

अब मैं वो अवी नही रहा जो रात मे निकले हुए चाँद को सूरज समझ लूँ

जैसे चाची मुझे समझती है वैसे मैं भी उनको समझने लगा हूँ

चाची ने जो कहानी बताई है वो सब सच है

चाची बिना वजह मुझे कहानी नही बताएँगी

चाची एक तीर से कई शिकार करती है

और वो मेरा शिकार करना चाहती थी

पर वो भूल गयी कि उनका स्टूडेंट अब उनसे बहुत कुछ सीख गया है

मैं ने बड़ी चाची को पूछा कि नेहा बुआ ऐसा क्यूँ करती है

तो बड़ी चाची ने मुझे बता दिया पर छोटी चाची तब चुप थी

इसका ये मतलब है छोटी चाची को मेरा बड़ी चाची से पूछना अच्छा नही लगा

पर बड़ी चाची ने छोटी चाची को बताया कि मुझे संभाल ले

इस लिए चाची ने मुझे कहानी बताई नेहा बुआ की

चाची ने जिस तरह कहानी बताई उस से कभी भी नही लगा कि चाची ने झूठ बोला होगा

नेहा और नीता बचपन मे शरारती थी ये कविता और लीना को देख कर पता चल ही जाता है , और पूजा बुआ भी कभी कभी कविता लीना को मस्ती करते हुए देखती है तो कहती है अपनी माँ जैसी है दोनो , नटखट , शरारती

माँ के गुण बच्चों को आ जाते है

नीता बुआ अबी भी बीच बीच मे सीमा चाची जैसी बाते करती है

चाचा को छोटू कहना , तभी तो मैं सोचु चाचा पूजा बुआ को नाम से क्यू बुलाते है , ये बचपन से चलता आ रहा है , जिस से आदत पड़ गयी

नीता बुआ को राजेश खाना पसंद है ये भी मुझे पता है

थियेटर के सामने मॉडर्न स्कूल था ये चाची को कैसे पता होगा , वो थियेटर तो सालो पहले हटा दिया गया था, तब तो मैं भी पैदा नही हुआ था , और छोटी चाची तो यहाँ से बहुत दूर रहती थी उनका मायका बहुत दूर है

आम का बगीचा इस तरह बनाया था ये मुझे पता ही नही था

कोमल ने उस स्कूल के पेड़ के बारे मे बताया था मुझे

दादाजी और ठाकुरजी के दोस्ती के बारे मे भी मुझे पता है मेले मे पता चल गया था

दादाजी को कुश्ती मे मिली हुई गदा घर मे रखी हुई है

मेरे पापा मेद्स मे अच्छे थे ,

पापा की बाते जो चाची ने बताई है वो माँ ने मुझे बताया था

पापा के सपने के बारे मे मैं ने माँ से सुना था पर याद नही आ रहा

सब कुछ तो रियल था

सब कुछ सच था

मेरे पापा की बाते भी सच थी

मेरे पापा बीच मे छोड़ कर गये थे अपने भाई बहनों को वो भी सच ही होगा ,चाची बिना वजह कुछ कहती

तभी चाची मुझे इतना ज़ोर देती है कि मैं अपने भाई बहनों का ख़याल रखू उनको ख़ुसीया दूं

दादाजी जैसी कसरत करने को बोलती है

दादाजी ने मुझे अपना वारिस बनाया था

शायद मेरे वजह से झगड़ा हुआ होगा पापा और दादाजी मे

मुझे गाओं मे रखना या शहर3 मे रखने पे झगड़ा हुआ होगा

यही वजह होगी जिस से हम शहर 3 मे रहते थे

और मैं दादाजी को इतना प्यारा था फिर भी मिलने नही आते थे

दादाजी चाहते होंगे कि हम गाओं मे आएँ

पर ये तो आधी कहानी है

पर चाची ने मुझे ये कहानी क्यूँ बताई

चाची ने कहा था कि अगर उनको ठाकुर के बारे मे पहले पता होता तो वो मुझे ठाकुर के साथ ऐसा कुछ करने नही देती , शायद वो ठाकुरजी और दादाजी के दोस्ती की वजह से बोल रही होंगी , पर मेरे काम से छोटी चाची खुश थी

ठाकुरजी और दादाजी मे और भी कुछ होगा

मेरे पापा के साथ शहर3 मे क्या हुआ होगा ये भी पता नही है

बाद मे नेहा बुआ नीता बुआ और पूजा बुआ का क्या हुआ ,

क्यू पूजा बुआ ने पापा से पहले शादी की

नेहा बुआ के साथ ऐसा क्या हुआ होगा जो अपनी हँसी भूल गयी है

मुझे ये पता लगाना होगा

वो तो छोटी चाची एक दिन बता देंगी

फिर चाची ने ये आधी अधूरी कहानी क्यूँ बताई होंगी

शायद छोटी चाची चाहती होंगी कि मैं नेहा बुआ की खुशी वापस लेकर आ जाउ

अपने भाई बहनों को और खुशी दूं ,उनके साथ रहूं , उनको अकेला नही छोड़ू

कोमल को हमेशा खुश रखूं जिस से नेहा बुआ खुश रहे

यही बात होगी

मेरी सोच बदलना चाहती थी छोटी चाची

मैं समझता था कि नेहा बुआ सिर्फ़ नफ़रत करना जानती है


पर छोटी चाची की कहानी से पता चल गया कि नेहा बुआ का एक और दिल है जो सिर्फ़ हँसना जानता है ,प्यार बाहर निकलना चाहता है , मुझे उस छुपे हुए दिल को नफ़रत की दीवार से बाहर निकालना होगा

यही बात है

छोटी चाची मेरी सोच बदलना चाहती थी

नेहा बुआ के लिए जो मेरे दिमाग़ मे बुरी बाते है वो निकालना चाहती है

इसलिए तो चाची ने कहा कि ये सिर्फ़ एक कहानी थी

ये सब झूठ था

पर नेहा बुआ की बात सच थी ऐसा छोटी चाची ने कहा है

मतलब चाची चाहती थी कि मैं सिर्फ़ नेहा बुआ के बारे मे सोचु

छोटी चाची जैसा चाहती है मैं वैसा ही करूँगा

मेरे पापा के बारे मे मुझे छोटी चाची ही बता सकती है और कोई नही

मुझे छोटी चाची को खुश करना होगा ताकि वो मुझे मेरे पापा के बारे मे बता दे

और छोटी चाची तबी खुश होंगी जब मैं उनकी कहानी की नेहा बुआ को रियल लाइफ मे वापस लेकर आउ

ये मुश्किल है

पर छोटी चाची ने मुझे सेलेक्ट किया है तो उनको मुझ पे विश्वास हॉंगा कि ये सिर्फ़ मैं कर सकता हूँ

मैं जितनी हो सके उतनी कॉसिश करूँगा

पर मुझे और पता करना होगा नेहा बुआ के बारे मे

और छोटी चाची अब बताएँगी नही

तो

कौन बता सकता है

नीता बुआ

नेहा बुआ की जान

नीता बुआ नेहा बुआ के साथ साथ रहती थी तो उनको सबसे ज़्यादा पता होगा

वैसे भी कल नीता बुआ ने मुझे बुलाया है

मैं कल नीता से पूछ लूँगा

और बाकी की बाते भूल जाउन्गा

क्यूँ कि मुझे लगता है कि मेरे पापा ऐसा नही कर सकते

मैं कितनी भी कॉसिश करूँगा मुझे पता नही चलेगा ,क्यू कि कोई बात ही नही करता मेरे पापा के बारे मे ,तो मुझे पता कैसे चलेगा , और जहाँ तक मुझे लगता है , सिर्फ़ छोटी चाची को सारा सच पता है ,

मुझे थोड़ा थोड़ा याद है कि पापा अपने कमरे मे बैठे कर माँ को कहते थे कि हम गाओं कब जाएँगे

मतलब पापा को गाओं जाना था

माँ ने कहा था कि हम मेले मे जाएँगे गाओं और दादाजी से मिलेंगे

मतलब पापा तो गाओं आना चाहते थे

ज़रूर कुछ और बात होंगी

ये सिर्फ़ छोटी चाची बता सकती है

सिर्फ़ छोटी चाची को पता होगा कि पूरा सच क्या है

बाकियो को पूरा सच पता नही है

चाची ने कहा कि मेरे पापा ग़लत भी थे और सही भी थे

पर बाकी सब ती ग़लत ही समझते है

मतलब पूरा सच चाची को पता है

मतलब मुझे रुकना होगा

और छोटी चाची कहती है ज़्यादा सोचना मत , जितना ज़्यादा सोचेगा उतना फँसता जाउन्गा

मैं ये सब छोटी चाची पे छोड़ देता हूँ


वही बताएँगी मेरे पापा के बारे मे

मैं बस नेहा बुआ पे फोकस करता हूँ

अब ये बात निकाल देता हूँ अपने दिमाग़ से

क्यू कि मुझे प्रेज़ेंट मे रहना पसंद है

पास्ट के लिए छोटी चाची है मेरे पास

छोटी चाची भी यही चाहती कि मैं इस पे ज़्यादा सोचु ना इस लिए ये कहा कि ये झूठ था

और वो कसम खाने की बात , छोटी चाची को पता था कि मैं उनके कहने से ऐसा नही कहूँगा

चाची यही चाहती है तो यही सही

वैसे भी मुझे बहुत कुछ पता चला है

और एक दिन मे मैं इस से ज़्यादा बात हजम नही कर पाउन्गा

पर चाचा को नेहा बुआ छोटू कहती थी

चाचा का कितना मज़ाक उड़ाती थी , बिचारे चाचा इसीलिए चाचा बुआ से ठीक से बात नही करते , पर छोटू था बहुत प्यारा , माँ माँ कहने वाला

ये तो हो गया

अब मुझे चाची को राजेश के बारे मे बताना है

चाची को आने दो

और मैं राजेश की क्लिप देखने लगा


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Re: मैं और मेरा परिवार

Post by xyz »

चाची मेरे कमरे से बाहर चली गयी

चाची- अच्छा हुआ अमित रोने लगा

वरना अवी मुझे सवाल पूछ कर जवाब बताने पर मज़बूर करता

अब जाउन्गी तो टॉपिक चेंज करूँगी

राजेश के बारे मे पूछूंगी

अवी को कुछ देर सोचने के लिए अकेला छोड़ देती हूँ

अवी अब ये सोचेगा कि मैं उसे अभी तक बच्चा समझती हूँ

2 साल पहले वाला भोला भाला अवी समझती हूँ

ये सोचेगा अवी कि मैं उसे नादान समझती हूँ जो उसको कहानी बताने के बाद ये कहा कि ये झूठ था

अवी खुद को स्मार्ट समझेगा

पर अवी भूल रहा है कि मैं उसकी गुरु हूँ

स्टूडेंट कितना भी बड़ा क्यूँ ना हो जाए अपने गुरु से जीत नही सकता

मैं ने अवी को स्मार्ट बनाया है उस से 1 कदम आगे ही रहूंगी

मैं ने ही जानबूझ कर कहा है कि कहानी मे सब झूठ है

सिर्फ़ नेहा की बात सच थी

अब अवी ये सोचेगा कि मैं इतनी बड़ी कहानी बिना वजह नही बताउन्गी

सब कुछ सच था ऐसा उसे लगेगा ऐसा ही बताया है मैं ने

वो नेहा के बारे मे ही सोचेगा

अपने पापा के बारे मे सोचेंगा ही नही , उसे पता है वो सिर्फ़ मैं बता सकती हूँ

क्यू की सारा सच मुझे पता है ऐसा अवी सोचेगा

अवी अपने पापा के बारे मे किसी को पूछेगा नही क्यू कि उसके हिसाब से सब उसके पापा के बारे मे ग़लत सोचते है

जैसा मैं ने अवी को सोचने के लिए लगा दिया है अवी वही सोच रहा होगा

अवी नेहा के बारे मे सोचेगा

अवी अपने भाई बहनों के बारे मे सोचेगा

और बाकी बात मुझे पे छोड़ देगा

जैसा सुमन दीदी से बात हुई वैसा ही किया मैं ने

अब सुमन दीदी को अवी तंग नही करेगा

और आधा सच

अवी को पता चल गया होगा कि आधा सच कैसा होता है

और नेहा की दाल मे कुछ काला था इस से भी पता चल गया होगा

नेहा सच मे कितनी प्यारी थी बचपन मे

अवी के दादाजी पूजा दीदी और बड़ी चाची ने जो मुझे नेहा के बारे मे बताया वो सुनकर तो ऐसा लगता है कि मेरा बचपन भी काश ऐसा ही होता

मैं भी बचपन वाली नेहा बना चाहूँगी

पर उस के बाद जो हुआ

इस बात के लिए टाइम है

अवी को कभी ना कभी बताना पड़ेगा

बस मुझे ऐसे सिचुयेशन मिल जाए जब अवी नेहा के दर्द के समझ सकेगा

पर अब लगता है वो समय जल्दी आ जाएगा

अवी और नेहा का आमना सामना बहुत हो रहा है

जब दो ख़ास टकराते है तो टूटेंगे ज़रूर

बस मुझे अवी को मज़बूत बनाना है उस दिन के लिए

और नेहा को कमज़ोर बनाना है ताकि वो फिर से टूट जाए और अवी अपने प्यार से नेहा के दिल को जोड़ दे

बस

इस से ज़्यादा सोचना बेकार होगा

देखो अमित भी सो गया

थोड़ी रुक कर जाती हूँ

और अवी के पपास जाते कहानी के बारे मे बोलूँगी भी नही

चाहे कुछ भी हो जाए

राजेश के बारे मे पूछ कर टॉपिक चेंज कर दूँगी

थोड़ी हँसी मज़ाक से अवी का ध्यान भटका दूँगी
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