मैं और मेरा परिवार
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Re: मैं और मेरा परिवार
फ्लॅशबॅक 812 डी
जयसिंघ अपने सपने मे खो गया था
और बाकी सब स्कूल के सामने वाले छोटे से थियेटर मे चले गये
थियेटर का मालिक पिताजी का दोस्त था जिस से टिकेट मिल गयी ,
राजेश खन्ना की मूवी की टिकेट मिलना वो भी 1 स्ट दे वाली , मुश्किल होता है
पर पिताजी ने नेहा और नीता के लिए थियेटर वाले से दोस्ती कर ली जिस से उनको टिकेट मिल जाती है
छोटू- मुझे समोशा चाहिए
पिताजी - वो पिक्चर आधी होने के बाद मिलेगा अभी पॉपकॉर्न
छोटू- मैं भैया का पॉपकॉर्न भी लूँगा
नेहा - भैया कहाँ है
पूजा - कहाँ होंगे , स्कूल के सामने हमेशा की तरह
नीता- इतनी अच्छी मूवी छोड़ कर कैसे जा सकते है भैया
पूजा - भैया को ,यहाँ आते ही दिन मे सपने दिखाई देते है
पिताजी- तुम सब चलो अंदर
नेहा - पिताजी एक बात पुच्छू
पिताजी- हाँ पूछो ना ,
नेहा - भैया को आप शहर3 क्यू नही भेजते पढ़ाई करने को ,उनकी कितनी इच्छा है
पूजा - पिताजी मैं भी नेहा की बात से सहमत हूँ , भैया का सपना है शहर3 जाके पढ़ने का तो पढ़ने दीजिए ना
नीता -भैया शहर3 जाएँगे तो हमे भी नयी नयी बाते सीखने को मिलेंगी
पिताजी- उसके सपने बहुत बड़े है अगर पूरे हुए तो भी अच्छा नही होगा और नही पूरे हुए तो भी अच्छा नही होगा
नेहा - पिताजी ऐसे मे कॉसिश का तो समाधान रहता है कि हमने कॉसिश की है , ऐसा लगता कि अगर हारते नही तो जीत हमारी होती
पिताजी- मेरी बेटी इतनी अच्छी बाते करती है ये मुझे पता नही था , तू तो बड़ी हो गयी है
नीता- मैं भी बड़ी हुई हूँ
नेहा - तू कितनी भी बड़ी हो जा रहेंगी तो मुझसे छोटी ही
नीता- माँ मुझे बड़ा क्यू नही किया
माजी- मेरे बस मे कुछ नही था ,
छोटू- अगर होता तो माँ मुझे बड़ा बना देती हैना
माजी- तुम छोटा ही अच्छा है , इसी लिए तुझे इतना प्यार करती हूँ
पूजा - हम भैया की बात कर रहे थे
नेहा - मुझे लगता है अगर भैया को इतना अच्छा गाओं छोड़ कर बाहर जाना है तो ज़रूर उन्हो ने कुछ सोच रखा होगा
पूजा - मैं तो इसी गाओं मे रहूंगी
माजी- शादी के बाद तो तुझे जाना होगा
पूजा - पिताजी मुझे इसी गाओं मे रहना है
पिताजी- तुम्हारे दूल्हे को यहा लेकर आएँगे
नेहा - और मैं
नीता- मैं पहले बता रही हूँ , जहा नेहा रहेंगी वहाँ मैं रहूंगी
माजी- अब तुम बड़ी हो गयी हो , अब तो दूर रहना सीखो , शादी के बाद तुम्हे दूर रहना होगा
नीता- फिर तो मैं शादी ही नही करूँगी
नेहा - हम दो भाई से शादी करेंगी , फिर तो हम साथ रहेंगे
माजी- ये दोनो भी ना
पिताजी- सही तो कहा , साथ रहने मे इनको एक दूसरे का प्यार मिलता रहेगा
नेहा - एकता मे शक्ति
पिताजी- सही कहा , तो चले अंदर
पूजा - हम फिर बात बदल रहे है , हम भैया के बारे मे बात कर रहे थे
नेहा - पिताजी भैया को शहर3 जाने दीजिए ना , मैं ने भैया को कई बार अकेले बैठ कर सोचते हुए देखा है
पूजा - वो स्कूल मे भी यही सोचते रहते है , मास्टर जी कहते है बच्चे बड़े होते है तो उनको उड़ने के लिए घर छोड़ना पड़ता है
नीता - भैया को हमारा प्यार वापस गाओं मे लेकर आएगा
माजी- काश ऐसा हो
पिताजी- ठीक है , वैसे भी हम इस्पे बात कर चुके है , अब तुम सब भी यही चाहती हो तो मैं बात करता हूँ जयसिंघ से चलो अब मूवी देखने
नीता - अब तो मूवी देखने मे ज़्यादा मज़ा आएगा
और सब हॉल के अंदर आ गये
अंदर आते ही राजेश खन्ना को देखते ही नीता ने सिटी बजा दी
और नेहा नीता मूवी मे खो गये
पूजा को भी मूवी देकने मे मज़ा आ रहा था
पूजा को हेरोयिन के कपड़ो मे इंटेरेस्ट था ,
छोटू तो अपनी ही धुन मे अपनी माँ के साथ मूवी देख रहा था
पिताजी के दिमाग़ ने कुछ और चल रहा था
पिताजी मूवी नही देख रहे थे
वो जयसिंघ के बारे मे सोच रहे थे
जयसिंघ अगर वापस नही आया तो
उसने ज़िंदगी भर शहर3 मे रहने का फ़ैसला किया तो
अगर शादी के बाद उसने सारे रिस्ते तोड़ दिए तो
अगर उनके पोते को उनसे दूर किया तो
अगर जयसिंघ गाँव मे नही रहना चाहता है तो वो अपने बेटे को कैसे रहने देगा
मुझे जयसिंघ के लिए ऐसी जीवन साथी ढूँढनी होंगी जो उसको बदल दे , उसकी सोच को बदल दे
पर शहर3 जाके जयसिंघ ने शादी कर ली तो
मुझे क्या करना चाहिए
पिताजी की कशमकस को माजी समझ गयी
माजी- क्या बात है
पिताजी- कुछ नही
माजी- आप मुझसे तो झूठ मत बोलिए
पिताजी- जयसिंघ के बारे मे सोच रहा हू
माजी- क्या सोच रहे थे
पिताजी- तुम यही बच्चो के साथ रूको मैं बात करके आता हूँ जयसिंघ से
माजी- मैं भी चलती हूँ
पिताजी- तुम यही रूको , मैं उससे जो बात करूँगा तुम्हे बता दूँगा
माजी- जी , जल्दी आना
पिताजी- तुम डरो मत , मैं अभी आता हूँ
पिताजी बच्चो को माजी के भरोसे छोड़ कर थियेटर से बाहर आ गये
पिताजी स्कूल के पास गये
.जयसिंघ अभी तक वही खड़ा था ,
वो स्कूल के बच्चो को देख रहा था
पिताजी जयसिंघ के पास चले गये
पिताजी- जयसिंघ
जयसिंघ तो अपने ही ख़यालो मे खोया था
पिताजी- जयसिंघ
जयसिंघ-हाँ क्या हुआ ,
पिताजी- तुम्हे क्या हुआ
जयसिंघ-मूवी
पिताजी- वो तो कब की शुरू हो गयी है , सब मूवी देख रहे है
जयसिंघ-मैं वो यहाँ पर
पिताजी- तुम यहाँ क्या कर रहे हो मुझे पता है
जयसिंघ-पिताजी वो मैं
पिताजी- तुम्हे आगे बढ़ाना हैना
जयसिंघ-जी
पिताजी- तुम्हे गाओं की गलियो से निकल कर शहर3 के रोड पे भागना है
जयसिंघ-जी
पिताजी- पर ऐसा करने से कहीं तुम गिर गये तो
जयसिंघ-आपका बेटा हूँ गिर गया तो भी खड़ा होकर फिर से चलने लगूंगा
पिताजी- मेरा बेटा होता तो गाओं छोड़ने की बात कभी नही करता
जयसिंघ-मैं बस पढ़ाई करने जाना चाहता हूँ
पिताजी- तुझे भी पता है कि उसके बाद भी तू शहर3 मे रहेगा वही जॉब करेंगे
जयसिंघ-मैं खुद की कंपनी निकालना चाहता हूँ ,
पिताजी- उस से तुझे खुशी मिलेगी ?
जयसिंघ-हाँ
पिताजी- पर तूने आज अपने भाई बहनों का हाथ छोड़ दिया है ,फिर आगे तो तू उनको पूछेगा भी नही
जयसिंघ-मैं उनको भी साथ लेकर चलूँगा , उनकी लाइफ बदल दूँगा
पिताजी- पर तूने आज उनका हाथ छोड़ा है कल नही छोड़ेगा उसकी क्या गारन्टी है
जयसिंघ-आपका बेटा हूँ , ज़बान दूँगा तो पूरी ज़रूर करूँगा
पिताजी- क्या करेगा
जयसिंघ-आप जो बोलेंगे वो मैं करूँगा
पिताजी- तू शादी मेरी मर्ज़ी से करेगा
जयसिंघ-जी
पिताजी- तेरे बेटे पे मेरा हक होगा
जयसिंघ-जी
पिताजी- सोच कर बोलो
जयसिंघ-मुझे मंज़ूर है
पिताजी- तेरे बेटा वारिस बनेगा
जयसिंघ-जी
पिताजी- फिर मत कहना कि उसके भी सपने है
जयसिंघ-तब तक मैं खुद यहा वापस आ जाउन्गा
पिताजी- तो
जयसिंघ-तो मैं जा सकता हूँ शहर 3 मे
पिताजी- पहले मेरी बात सुन
जयसिंघ-जी
पिताजी- तूने तो तेरे भाई बहनों का हाथ छोड़ दिया आज , पर तेरे भाई बहन ने तेरे सपने को पूरे करने को कहा है मुझे , ये बात याद रखना कि तू तेरे भाई बहनों की वजह से अपने सपने पूरे कर रहा है
जयसिंघ-मैं उनके प्यार को कभी नही भूलूंगा
पिताजी- भूल गये तो भी मुझे दुख नही होगा पर खुद को कभी मत भूलना कि तुम कौन हो
जयसिंघ-खुद को जिस दिन भूलूंगा वो आख़िरी दिन होगा मेरा
पिताजी- कहाँ पढ़ना चाहता है , इस स्कूल मे
जयसिंघ-यहाँ नही , शहर3 मे पढ़ना चाहता हूँ
पिताजी- इतनी दूर
जयसिंघ-वहाँ अच्छा स्कूल और कॉलेज है
पिताजी- ठीक है , मैं बंदोबस्त करता हूँ , पर अपनी बात याद रखना
जयसिंघ-जी याद रखूँगा
पिताजी- और खुद को भूलने वाली बात भी
जयसिंघ-जी
पिताजी- और हाँ ये एक साल तुझे अपने भाई बहन के साथ गुजारना होगा , उनको खुश रखना होगा तभी तू अगले साल जा पाएगा शहर3 पढ़ाई करने को (एक साल बाद मे बी तू सबका प्यार देख कर शहर3 जाने को मना कर दे)
जयसिंघ-जी
पिताजी- इस साल अगर तू इस तहसील मे अव्वल आया तो तब तुझे शहर3 भेजूँगा
जयसिंघ-जी मैं जी जान लगा दूँगा
पिताजी चाह रहे थे कि जयसिंघ शहर3 जाए ही नही
पिताजी- चल अब सब तेरा इंतज़ार कर रहे है
जयसिंघ-क्या सच मैं शहर3 जाउन्गा
पिताजी- अगर तू मेरी बात याद रखेगा तभी जा पाएगा
इतना सुनते ही जयसिंघ पिताजी के गले लग गया
पिताजी- कभी दुबारा ये मत सोचना कि मैं तुम्हे प्यार नही करता , मैं तेरी भलाई के लिए तुझे शहर3 जाने नही दे रहा था
पिताजी- पर तुझे तेरे सपने हमसे ज़्यादा प्यारे है तो यही सही ,
पिताजी- ये साल अपने भाई बहनों के नाम कर देना
जयसिंघ-जी
पिताजी- फिर से कह रहा हूँ खुद को भूलना मत कि तुम कौन हो ,
जयसिंघ-जी , नही भूलूंगा
पिताजी- अपनी पहचान जो भूल जाता है वो जीते जी मर जाता है
जयसिंघ-मेरी पहचान मैं हूँ , मेरी फॅमिली है , मेरा गाओं है
जयसिंघ की बात से पिताजी खुश तो हुए
पर उनको पता था कि वो क्या करने जा रहे है
सब यही चाहते है तो यही सही
नेहा पूजा और नीता ने पिताजी को जयसिंघ के शहर3 भेजने की बात करके , पिताजी ने डिसाइड किया कि उनको क्या करना है
बस वो कुछ बाते क्लियर करना चाहते थे
पिताजी को पता था कि जयसिंघ की बीवी सोच बदल सकती है
वो अभी से जयसिंघ के लिए ऐसी बीवी ढूँढने मे लग जाएँगे जो जयसिंघ की बीवी नही इस घर की बेटी बन कर इस फॅमिली का हिस्सा बने
.तब जाके पिताजी जयसिंघ को वापस ला पाएगे
पिताजी ने सही सोचा
पिताजी ने दूर का सोचा कर जयसिंघ से शादी का प्रॉमिस करने को कहा
और पोते की बात करके क्लियर कर दिया कि वो उड़ सकता है पर उसको उसके उड़ने की कीमत मे उसका बेटा पिताजी को देना होगा
जयसिंघ आज जवानी की जोश मे हाँ तो बोल गया
पर पता नही आगे क्या होता है
सफ़र लंबा है
लंबे सफ़र मे अक्सर आदमी की सोच बदल जाती है जिस से सफ़र कभी तय नही होता है
जयसिंघ ने प्रॉमिस तो किया कि वो कौन है ये बात कभी नही भूलेगा
पर वो शहर ही क्या जो आदमी की पहचान ना भुला दे
शहर आकर अच्छे अच्छे आदमी खुद को ही भूल गये है
पर आज तो सब खुश थे पिताजी को जो चाहिए था वो मिला उनका वारिस
जयसिंघ को उसका सपना पूरा करने का चान्स मिला है
माजी अपने बेटे को खुश देख कर खुश थी
जयसिंघ के आते ही सबको मूवी और अच्छी लगने लगी
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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- shubhs
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Re: मैं और मेरा परिवार
एक अच्छी शुरुआत
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- xyz
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Re: मैं और मेरा परिवार
फ्लॅशबॅक 812ए
जयसिंघ को इजाज़त ही मिलते वो खुश हो गया
पर पिताजी को पता था कि आगे क्या हो सकता है
और उसके लिए तय्यार थे पिताजी
इसी लिए ऐसे प्रॉमिस लिए
माजी- क्या बात हुई
पिताजी- वो शहर3 जाएगा
माजी- वो मैं जय की खुशी देख कर समझ गयी
पिताजी- क्या हमने ठीक किया
माजी- बच्चो की खुशी तो चाहिए हमे , मुझे आप पे विश्वास है
पिताजी- विश्वास
माजी- आपने ज़रूर आगे का कुछ सोचा होगा
पिताजी- मैं ने जयसिंघ को कहा कि उसकी शादी मेरे मर्ज़ी से होंगी
माजी- ये तो आपने बहुत अच्छा किया , हमारी बहू जय को बदल देगी
पिताजी- हाँ
माजी- और हम ऐसी बहू ढूंढ़ेंगे जो जय के लिए पर्फेक्ट हो , और वो हमारी बेटी बन कर रहे
पिताजी- मैं ने भी यही सोचा था
माजी- और ऐसे तो हमारा पोता हमारे पास रहेगा
पिताजी- बस जय सिंग को अपना प्रॉमिस याद रहना चाहिए
माजी- मैं उसे याद दिला दूँगी
पिताजी- पर हम उसपे दबाव नही डाल सकते
माजी- वो बाद की बात है , आज आपने सब ठीक कर दिया
पिताजी- तुम खुश हो ना
माजी- वो तो रात मे पता चल जाएगा आपको
पिताजी- आज मना मत करना किसी बात के लिए
माजी- आज तक कभी किया है
पिताजी- अभी हाँ कहती हो और रात मे मना करती हो धीरे करो
माजी- आज नही कहूँगी
पिताजी- चलो मूवी देखते है
माजी- नीता की वजह से हमे मूवी देखने को मिलती है वरना आप तो कभी मुझे दिखाते ही नही
पिताजी- क्यू ,शादी होते ही मेरे पिताजी से छुप कर हम मूवी देखने गये थे ,भूल गयी
माजी-गाइड , याद है मुझे वो मूवी
पिताजी- पर जयसिंघ ने सही कहा जमाना बदल रहा है , कहाँ वो मैं बचपन मे ब्लॅकन्वाइट मूवी देखते और कहाँ ये रंगीन मूवी , सब कुछ बदल गया है
माजी- पर आप नही बदले , आज भी उतना ही प्यार करते हो जितना पहले करते थे
पिताजी- अब मेरा प्यार बढ़ गया है
माजी- अब चुप रहिए , छोटू पास मे ही है
पिताजी- वो बच्चा है
माजी- वो भी बड़ा हो रहा है
पिताजी- रात मे बात करते है
और सब मूवी का मज़ा लेने लगे
छोटू ने इंटर्वल मे 4 समोसे दबा लिए
मूवी ख़त्म होते ही जयसिंघ ने सबको थॅंक्स कहा
और किताबो के लिए जो पैसे जमा किए थे जयसिंघ ने उन पैसो से सबको आइस क्रीम खिलाई
ये देख कर पिताजी को अच्छा लगा
जयसिंघ अपने काम मे लग गया
उसको अच्छे मार्क लाने थे
अपना सपना पूरा करना था
पूजा नेहा और नीता ने अपने भाई के सपने को पूरे करने की तरफ एक कदम बढ़ा दिया
उनके इस एक कदम से जयसिंघ को एक उम्मीद की किरण मिल गयी
छोटू को तो जल्दी खुद का अलग कमरा मिलेगा
जयसिंघ के जाते ही पूरा कमरा उसका होगा
नेहा नीता ने अपना काम कर दिया
वो फिर से अपनी मस्ती मज़ाक मे लग गयी
उनकी मस्ती मज़ाक दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी
माँ तो परेशान हो गयी थी
माँ उनको खाना बनाना सिखाने की जितनी कॉसिश करती दोनो दाल मे कुछ काला कर देती
पर माँ ने हार नही मानी
पिताजी के टोकने के बाद भी पूजा नेहा और नीता को घर के काम सिखाने लगी
थोड़ा मुश्किल था
पर वो माँ थी , अपने बेटी को शादी के बाद गालियाँ सुनने थोड़ी देती
ऐसा ट्रेन किया कि उनके हाथ का कोई खाना खा ले तो उंगलिया चाट ले
लेकिन इस बीच नेहा और नीता ने मस्ती करना बंद नही किया
स्कूल के मास्टर जी से लेकेर प्रिन्सिपल की चेयर के नीचे पटाखे लगा कर उनकी नींद खराब कर दी
उनकी कंप्लेंट किस से करे ,
उनके पिताजी है योगेद्रसिन्घ , और ठाकुरजी उनके अंकल थे
उनका मूड होता खेलनेका तो वो चुपके से घंटी बजा देती
चपरासी जो सोया रहता है उसकी नींद खराब करने से नेहा और नीता को बहुत मज़ा आता था
एक बार तो चपरासी के हाथ लगते लगते बच गयी
फिर भी टीचर की फेव स्टूडेंट मे से एक थी नेहा और नीता
जयसिंघ जितनी पढ़ाई मे तेज नही थी पर कुछ कम भी नही थी
खेल मे तो चॅंपियन थी
हर गेम खेल लेती
और बिना चीटिंग के खेलती
क्यू कि उनको गेम मे कोई हरा ही नही सकता था
जयसिंघ अगर पढ़ाई मे ट्रॉफ़ी लाता तो नेहा नीता गेम जीत कर ट्रॉफ़ी लाती
पिताजी ने उनकी ट्रॉफ़ी को संभाल कर रखा था
घर मे अगर कोई आता तो उनकी नज़र इस ट्रॉफ़ी पे जाती
सभी भाई बहन एक ही स्कूल मे थे
पर सब की क्लास अलग थी बस नेहा नीता एक क्लास मे थी
सबको जयसिंघ स्कूल मे ले जाता और वापस ले आता
पूजा की सहेली भी उसी स्कूल मे थी , मंदा
मंदा को जयसिंघ अच्छा लगता था पर पूजा ने उसे पहले बता दिया कि ऐसे सपने मत देख कि जिसके टूटने के चान्स ज़्यादा है
मंदा उस बात को समझ गयी कि जयसिंघ उसका नही हो सकता
पर उसका भाई राकेश वो पूजा के हाथ का मार खा कर भी चुप बैठने की जगह पूजा के पीछे पीछे लगा रहता था
मंदा ने भी राकेश को कई बार थप्पड़ मारा पर वो कुछ सुनने को तय्यार ही नही था
ये तो बच्पना था बड़ा हो जाएगा तो सब समझ जाएगा
जयसिंघ ने अपने पिताजी को दिए हुए वादे के मुताबिक 1 साल अपने भाई बहनों को दिया
स्कूल के लंच ब्रेक मे सबको एक साथ लेकर पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खाते
लंच ब्रेक मे भाई बहन से दोस्त बन जाते
नेहा - भैया ये पेड़ पिताजी ने लगाया हैना
जयसिंघ- हाँ , जिस दिन मुझे स्कूल मे अड्मिशन दिलाने लाए थे तब पिताजी ने मुझे बताया था ,ये हमारे लिए लगाया था ताकि हम इसके छान्व के नीचे खेल सके पढ़ाई कर सके
नेहा - ये पेड़ हमारा हैना
पूजा - हाँ , हम बचपन से इसके छान्व के नीचे खेल कर बड़े हो रहे है
छोटू-अगेर ये अमरूद का पेड़ होता तो कितना अच्छा होता
नेहा- ये छोटू , तुझे मोटू होना है
छोटू- ये दो चोटी वाली बंदर की साली
नेहा - मैं बंदर की साली , पूजा दीदी आपके राजकुमार को बंदर कहा
पूजा - छोटू मार चाहिए
छोटू - मैं भी मारूँगा
जयसिंघ- छोटू पूजा बड़ी हैना,
छोटू- आप सब मेरे छोटे होने का फ़ायदा उठाते है
पूजा - तू तो रोने लगा है
छोटू- आप हर बार मेरा मज़ाक उड़ाती है
पूजा - तू इतना प्यारा है कि प्यार से तुझे छोटू कहते है
नेहा - तू तो हमसे भी बड़ा हो जाएगा एक दिन ,तब तू हमे छोटू कहना
छोटू- उस दिन मैं आपको तंग करूँगा
जयसिंघ- उसके लिए पढ़ाई करनी पड़ती है
छोटू - मुझसे पढ़ाई होती ही नही
नीता - हमारे साथ क्यू नही करता पढ़ाई
छोटू - मैं मास्टर जी के पास जाउन्गा शाम मे पढ़ाई करने
जयसिंघ- वाआअ रे मेरे शेर
पूजा - चलो खाना तो हो गया अब क्या करे
जयसिंघ - इस पेड़ के नीचे बैठ कर बाते करते है ,
नेहा - इस पेड़ के साथ हमने कितने दिन बिताए होंगे
नीता - मुझे नही पता , भैया से पूछो उनका मेद्स अच्छा है
जयसिंघ- हम बड़े होकेर जब भी यहा आएँगे ना हम अपने बचपन को याद करेंगे
नेहा - मुझे बड़ा होना ही नही है मैं ऐसी ठीक हूँ
नीता - मैं भी , बड़े होने पे मस्ती कर ही नही सकते
पूजा - हम करेगे साथ मिलकर
नेहा - वो कैसे
पूजा - हम अपने बच्चो के साथ बच्चा बन कर अपने बचपन को दुबारा जियेंगे
नेहा- ये तो अच्छा सुझाव दिया आपने
नीता - हम अपने बच्चों को इसी स्कूल मे भेजेंगे , वो भी इस पेड़ के नीचे खेलेंगे
छोटू - भैया तो जा रहे है ,
नेहा - वो वापस आएँगे , आएँगे ना भैया
जयसिंघ - तुम्हारे लिए वापस आउन्गा
नीत- हमे भूल गये
जयसिंघ -तुम सबके लिए वापस आउन्गा ,
नेहा - और हम फिर से अपने बच्चो के साथ अपने बचपन को जियेंगे
नीता - ये पेड़ उस बात का गवाह रहेगा
छोटू- मेरे बच्चे तो सब से छोटे रहेंगे उनको भी छोटू कहोगी
नेहा- नही , तू ही छोटू रहेगा , हमारा प्यारा छोटू
पूजा - भैया आप शहर जाओगे तो साल मे एक बार वापस आएँगे ना
जयसिंघ- दीवाली मे आउन्गा
पूजा - मेरे लिए शहर3 से गिफ्ट लाओगे
जयसिंघ- तुम सब के लिए लाउन्गा
नेहा - मुझे मेरा और आपका गिफ्ट चाहिए
जयसिंघ- तुझे तो सबसे ज़्यादा गिफ्ट दूँगा
नीता - भैया वो हमने आपको एक कम्पास दिया था वो कहाँ है
जयसिंघ- वो संभाल कर रखा है
पूजा - आप इस्तेमाल नही करते , हमने पैसे जमा करके आपके लिए लिया था
जयसिंघ- किया ना , पर अब उसको तुम सब की याद बना कर संभाल कर रखा है
नेहा - आप उसको हमेशा अपने पास रखना
जयसिंघ- वो मुझे तुम सब की याद दिलाएगा
नेहा - हम जैसे अपनी डॉल संभालते है वैसे संभाल कर रखना
नीता - हाँ भैया , हमारी डॉल को हम किसी को हाथ लगाने नही देते वैसे आप भी किसी को मत देना
पूजा - क्यू ना हम
जयसिंघ- बोलो ना
पूजा - कुछ नही ,
छोटू- भैया आप जाएँगे तो मैं इस पेड़ का ख़याल रखूँगा
पूजा - तुझे ही रखना होगा
जयसिंघ - अपनी बहनों को ख़याल रखना , मेरे ना होने पे तू अपने आप बड़ा हो जाएगा
छोटू - जी भैया मैं आपकी तारा सबका ध्यान रखूँगा
जयसिंघ - चलो अब क्लास शुरू हो गया है
नेहा - भैया
जयसिंघ- हाँ
नेहा - आपकी बहुत याद आएगी
और नेहा जयसिंघ के गले लग गयी नेहा का देख कर नीता और पूजा भी गले लग गयी
पाँचो भाई बहन कुछ देर ऐसे एक दूसरे के प्यार को फील करने लगे
जयसिंघ- अभी मेरे जाने को 3 महीने बाकी है
नेहा - समय कैसे बीत जाता है पता ही नही चलता
पूजा - ये 2 महीने की छुट्टियाँ हम साथ मे खेतो मे बिताएँगे
जयसिंघ- हाँ, हमारे आम के बगीचे मे
नेहा - खूब मस्ती करेंगे
नीता - वहाँ भी हम अपने बचपन को क़ैद करके रखेंगे
जयसिंघ-चलो अब , वरना मैं रो दूँगा
पाँचो भाई बहन एक एक दिन ऐसे ही हँसी मज़ाक मस्ती , के साथ बिताने लगे
स्कूल मे बने हुए पेड़ मे अपने बचपन की यादो को संभाल कर रखने को कहा
ताकि जब उनके बच्चे यहाँ आए तो ये पेड़ उनको इनके बचपन की कहानी सुनाए
जयसिंघ को इजाज़त ही मिलते वो खुश हो गया
पर पिताजी को पता था कि आगे क्या हो सकता है
और उसके लिए तय्यार थे पिताजी
इसी लिए ऐसे प्रॉमिस लिए
माजी- क्या बात हुई
पिताजी- वो शहर3 जाएगा
माजी- वो मैं जय की खुशी देख कर समझ गयी
पिताजी- क्या हमने ठीक किया
माजी- बच्चो की खुशी तो चाहिए हमे , मुझे आप पे विश्वास है
पिताजी- विश्वास
माजी- आपने ज़रूर आगे का कुछ सोचा होगा
पिताजी- मैं ने जयसिंघ को कहा कि उसकी शादी मेरे मर्ज़ी से होंगी
माजी- ये तो आपने बहुत अच्छा किया , हमारी बहू जय को बदल देगी
पिताजी- हाँ
माजी- और हम ऐसी बहू ढूंढ़ेंगे जो जय के लिए पर्फेक्ट हो , और वो हमारी बेटी बन कर रहे
पिताजी- मैं ने भी यही सोचा था
माजी- और ऐसे तो हमारा पोता हमारे पास रहेगा
पिताजी- बस जय सिंग को अपना प्रॉमिस याद रहना चाहिए
माजी- मैं उसे याद दिला दूँगी
पिताजी- पर हम उसपे दबाव नही डाल सकते
माजी- वो बाद की बात है , आज आपने सब ठीक कर दिया
पिताजी- तुम खुश हो ना
माजी- वो तो रात मे पता चल जाएगा आपको
पिताजी- आज मना मत करना किसी बात के लिए
माजी- आज तक कभी किया है
पिताजी- अभी हाँ कहती हो और रात मे मना करती हो धीरे करो
माजी- आज नही कहूँगी
पिताजी- चलो मूवी देखते है
माजी- नीता की वजह से हमे मूवी देखने को मिलती है वरना आप तो कभी मुझे दिखाते ही नही
पिताजी- क्यू ,शादी होते ही मेरे पिताजी से छुप कर हम मूवी देखने गये थे ,भूल गयी
माजी-गाइड , याद है मुझे वो मूवी
पिताजी- पर जयसिंघ ने सही कहा जमाना बदल रहा है , कहाँ वो मैं बचपन मे ब्लॅकन्वाइट मूवी देखते और कहाँ ये रंगीन मूवी , सब कुछ बदल गया है
माजी- पर आप नही बदले , आज भी उतना ही प्यार करते हो जितना पहले करते थे
पिताजी- अब मेरा प्यार बढ़ गया है
माजी- अब चुप रहिए , छोटू पास मे ही है
पिताजी- वो बच्चा है
माजी- वो भी बड़ा हो रहा है
पिताजी- रात मे बात करते है
और सब मूवी का मज़ा लेने लगे
छोटू ने इंटर्वल मे 4 समोसे दबा लिए
मूवी ख़त्म होते ही जयसिंघ ने सबको थॅंक्स कहा
और किताबो के लिए जो पैसे जमा किए थे जयसिंघ ने उन पैसो से सबको आइस क्रीम खिलाई
ये देख कर पिताजी को अच्छा लगा
जयसिंघ अपने काम मे लग गया
उसको अच्छे मार्क लाने थे
अपना सपना पूरा करना था
पूजा नेहा और नीता ने अपने भाई के सपने को पूरे करने की तरफ एक कदम बढ़ा दिया
उनके इस एक कदम से जयसिंघ को एक उम्मीद की किरण मिल गयी
छोटू को तो जल्दी खुद का अलग कमरा मिलेगा
जयसिंघ के जाते ही पूरा कमरा उसका होगा
नेहा नीता ने अपना काम कर दिया
वो फिर से अपनी मस्ती मज़ाक मे लग गयी
उनकी मस्ती मज़ाक दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी
माँ तो परेशान हो गयी थी
माँ उनको खाना बनाना सिखाने की जितनी कॉसिश करती दोनो दाल मे कुछ काला कर देती
पर माँ ने हार नही मानी
पिताजी के टोकने के बाद भी पूजा नेहा और नीता को घर के काम सिखाने लगी
थोड़ा मुश्किल था
पर वो माँ थी , अपने बेटी को शादी के बाद गालियाँ सुनने थोड़ी देती
ऐसा ट्रेन किया कि उनके हाथ का कोई खाना खा ले तो उंगलिया चाट ले
लेकिन इस बीच नेहा और नीता ने मस्ती करना बंद नही किया
स्कूल के मास्टर जी से लेकेर प्रिन्सिपल की चेयर के नीचे पटाखे लगा कर उनकी नींद खराब कर दी
उनकी कंप्लेंट किस से करे ,
उनके पिताजी है योगेद्रसिन्घ , और ठाकुरजी उनके अंकल थे
उनका मूड होता खेलनेका तो वो चुपके से घंटी बजा देती
चपरासी जो सोया रहता है उसकी नींद खराब करने से नेहा और नीता को बहुत मज़ा आता था
एक बार तो चपरासी के हाथ लगते लगते बच गयी
फिर भी टीचर की फेव स्टूडेंट मे से एक थी नेहा और नीता
जयसिंघ जितनी पढ़ाई मे तेज नही थी पर कुछ कम भी नही थी
खेल मे तो चॅंपियन थी
हर गेम खेल लेती
और बिना चीटिंग के खेलती
क्यू कि उनको गेम मे कोई हरा ही नही सकता था
जयसिंघ अगर पढ़ाई मे ट्रॉफ़ी लाता तो नेहा नीता गेम जीत कर ट्रॉफ़ी लाती
पिताजी ने उनकी ट्रॉफ़ी को संभाल कर रखा था
घर मे अगर कोई आता तो उनकी नज़र इस ट्रॉफ़ी पे जाती
सभी भाई बहन एक ही स्कूल मे थे
पर सब की क्लास अलग थी बस नेहा नीता एक क्लास मे थी
सबको जयसिंघ स्कूल मे ले जाता और वापस ले आता
पूजा की सहेली भी उसी स्कूल मे थी , मंदा
मंदा को जयसिंघ अच्छा लगता था पर पूजा ने उसे पहले बता दिया कि ऐसे सपने मत देख कि जिसके टूटने के चान्स ज़्यादा है
मंदा उस बात को समझ गयी कि जयसिंघ उसका नही हो सकता
पर उसका भाई राकेश वो पूजा के हाथ का मार खा कर भी चुप बैठने की जगह पूजा के पीछे पीछे लगा रहता था
मंदा ने भी राकेश को कई बार थप्पड़ मारा पर वो कुछ सुनने को तय्यार ही नही था
ये तो बच्पना था बड़ा हो जाएगा तो सब समझ जाएगा
जयसिंघ ने अपने पिताजी को दिए हुए वादे के मुताबिक 1 साल अपने भाई बहनों को दिया
स्कूल के लंच ब्रेक मे सबको एक साथ लेकर पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खाते
लंच ब्रेक मे भाई बहन से दोस्त बन जाते
नेहा - भैया ये पेड़ पिताजी ने लगाया हैना
जयसिंघ- हाँ , जिस दिन मुझे स्कूल मे अड्मिशन दिलाने लाए थे तब पिताजी ने मुझे बताया था ,ये हमारे लिए लगाया था ताकि हम इसके छान्व के नीचे खेल सके पढ़ाई कर सके
नेहा - ये पेड़ हमारा हैना
पूजा - हाँ , हम बचपन से इसके छान्व के नीचे खेल कर बड़े हो रहे है
छोटू-अगेर ये अमरूद का पेड़ होता तो कितना अच्छा होता
नेहा- ये छोटू , तुझे मोटू होना है
छोटू- ये दो चोटी वाली बंदर की साली
नेहा - मैं बंदर की साली , पूजा दीदी आपके राजकुमार को बंदर कहा
पूजा - छोटू मार चाहिए
छोटू - मैं भी मारूँगा
जयसिंघ- छोटू पूजा बड़ी हैना,
छोटू- आप सब मेरे छोटे होने का फ़ायदा उठाते है
पूजा - तू तो रोने लगा है
छोटू- आप हर बार मेरा मज़ाक उड़ाती है
पूजा - तू इतना प्यारा है कि प्यार से तुझे छोटू कहते है
नेहा - तू तो हमसे भी बड़ा हो जाएगा एक दिन ,तब तू हमे छोटू कहना
छोटू- उस दिन मैं आपको तंग करूँगा
जयसिंघ- उसके लिए पढ़ाई करनी पड़ती है
छोटू - मुझसे पढ़ाई होती ही नही
नीता - हमारे साथ क्यू नही करता पढ़ाई
छोटू - मैं मास्टर जी के पास जाउन्गा शाम मे पढ़ाई करने
जयसिंघ- वाआअ रे मेरे शेर
पूजा - चलो खाना तो हो गया अब क्या करे
जयसिंघ - इस पेड़ के नीचे बैठ कर बाते करते है ,
नेहा - इस पेड़ के साथ हमने कितने दिन बिताए होंगे
नीता - मुझे नही पता , भैया से पूछो उनका मेद्स अच्छा है
जयसिंघ- हम बड़े होकेर जब भी यहा आएँगे ना हम अपने बचपन को याद करेंगे
नेहा - मुझे बड़ा होना ही नही है मैं ऐसी ठीक हूँ
नीता - मैं भी , बड़े होने पे मस्ती कर ही नही सकते
पूजा - हम करेगे साथ मिलकर
नेहा - वो कैसे
पूजा - हम अपने बच्चो के साथ बच्चा बन कर अपने बचपन को दुबारा जियेंगे
नेहा- ये तो अच्छा सुझाव दिया आपने
नीता - हम अपने बच्चों को इसी स्कूल मे भेजेंगे , वो भी इस पेड़ के नीचे खेलेंगे
छोटू - भैया तो जा रहे है ,
नेहा - वो वापस आएँगे , आएँगे ना भैया
जयसिंघ - तुम्हारे लिए वापस आउन्गा
नीत- हमे भूल गये
जयसिंघ -तुम सबके लिए वापस आउन्गा ,
नेहा - और हम फिर से अपने बच्चो के साथ अपने बचपन को जियेंगे
नीता - ये पेड़ उस बात का गवाह रहेगा
छोटू- मेरे बच्चे तो सब से छोटे रहेंगे उनको भी छोटू कहोगी
नेहा- नही , तू ही छोटू रहेगा , हमारा प्यारा छोटू
पूजा - भैया आप शहर जाओगे तो साल मे एक बार वापस आएँगे ना
जयसिंघ- दीवाली मे आउन्गा
पूजा - मेरे लिए शहर3 से गिफ्ट लाओगे
जयसिंघ- तुम सब के लिए लाउन्गा
नेहा - मुझे मेरा और आपका गिफ्ट चाहिए
जयसिंघ- तुझे तो सबसे ज़्यादा गिफ्ट दूँगा
नीता - भैया वो हमने आपको एक कम्पास दिया था वो कहाँ है
जयसिंघ- वो संभाल कर रखा है
पूजा - आप इस्तेमाल नही करते , हमने पैसे जमा करके आपके लिए लिया था
जयसिंघ- किया ना , पर अब उसको तुम सब की याद बना कर संभाल कर रखा है
नेहा - आप उसको हमेशा अपने पास रखना
जयसिंघ- वो मुझे तुम सब की याद दिलाएगा
नेहा - हम जैसे अपनी डॉल संभालते है वैसे संभाल कर रखना
नीता - हाँ भैया , हमारी डॉल को हम किसी को हाथ लगाने नही देते वैसे आप भी किसी को मत देना
पूजा - क्यू ना हम
जयसिंघ- बोलो ना
पूजा - कुछ नही ,
छोटू- भैया आप जाएँगे तो मैं इस पेड़ का ख़याल रखूँगा
पूजा - तुझे ही रखना होगा
जयसिंघ - अपनी बहनों को ख़याल रखना , मेरे ना होने पे तू अपने आप बड़ा हो जाएगा
छोटू - जी भैया मैं आपकी तारा सबका ध्यान रखूँगा
जयसिंघ - चलो अब क्लास शुरू हो गया है
नेहा - भैया
जयसिंघ- हाँ
नेहा - आपकी बहुत याद आएगी
और नेहा जयसिंघ के गले लग गयी नेहा का देख कर नीता और पूजा भी गले लग गयी
पाँचो भाई बहन कुछ देर ऐसे एक दूसरे के प्यार को फील करने लगे
जयसिंघ- अभी मेरे जाने को 3 महीने बाकी है
नेहा - समय कैसे बीत जाता है पता ही नही चलता
पूजा - ये 2 महीने की छुट्टियाँ हम साथ मे खेतो मे बिताएँगे
जयसिंघ- हाँ, हमारे आम के बगीचे मे
नेहा - खूब मस्ती करेंगे
नीता - वहाँ भी हम अपने बचपन को क़ैद करके रखेंगे
जयसिंघ-चलो अब , वरना मैं रो दूँगा
पाँचो भाई बहन एक एक दिन ऐसे ही हँसी मज़ाक मस्ती , के साथ बिताने लगे
स्कूल मे बने हुए पेड़ मे अपने बचपन की यादो को संभाल कर रखने को कहा
ताकि जब उनके बच्चे यहाँ आए तो ये पेड़ उनको इनके बचपन की कहानी सुनाए
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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Re: मैं और मेरा परिवार
फ्लॅशबॅक 812 फ
पाँचो भाई बहन साथ साथ वक्त बिताने लगे
पिताजी चाहते थे कि वो हमारे ऐसे ही साथ रहे
उनको जो चाहिए वो पिताजी ने दिया
उनकी सारी ग़लतियो को माफ़ करके उनके साथ एक दोस्त की तरह रहते थे
नेहा नीता और पूजा के लिए तो उनके हीरो थे पिताजी
माँ को अपनी बेटियो की चिंता लगी रहती थी कि आज उनको इतना प्यार मिल रहा है तो आगे जाकर शादी के बाद वो कैसे एक दूसरे से दूर रहेंगी
माँ अपने तरीके से अपने बेटियो को बड़ा कर रही थी
पिताजी तो अपना सारा समय अपने बच्चो और अपने दोस्त ठाकुर के साथ बिताते थे
नेहा नीता जैसे जैसे बड़ी हो रही थी उनकी मस्तिया बढ़ रही थी
पिताजी को रात का समय माँ के साथ बिताना अच्छा लगता था पर नेहा नीता ने वो अभी समय अपने लिए माँग लिया
पिताजी अपनी बेटियो की हर बात मानते थे
ऐसे मे नेहा और नीता बिना कहानी सुने सोती ही नही थी
पिताजी उनको नयी नयी कहानी सुनाते थे
पिताजी को भी उनको कहानी सुनाना अच्छा लगता था
माँ भी अपनी परियो वाली कहानी सुनाती थी
पर नेहा और नीता की फेव कहानी थी पिताजी और ठाकुर की दोस्ती की कहानी
पिताजी तो नेहा और नीता के लिए हीरो थे ऐसे मे उनके बहादुरी की कहानी सुनना उनको अच्छा लगता था
पिताजी ने उनको कई बार वो कहानी सुनाई फिर नेहा उसी कहानी को सुनने की ज़िद्द करती
नेहा ने ज़िद्द की तो नीता उसका साथ देती
पिताजी- आज फिर कहानी सुननी है
नीता- हाँ
माजी- बहुत देर हो गयी ,अब सो जाओ फिर कभी कहानी सुन लेना
नेहा - हमे आज सुननी है कहानी
पिताजी- नेहा रात काफ़ी हो चुकी है ,
नेहा- पिताजी
पिताजी- ठीक है , सिर्फ़ एक कहानी सुनाउन्गा
माजी- आप ये क्या कर रहे हो , ये कहानी सुनते सुनते यही सो जाएँगी
नेहा - माँ , पिताजी हमे उठा कर अपने कमरे मे ले जाएँगे
नीता- सूपरमन है पिताजी
पिताजी- तो मैं शुरू करता हूँ
नेहा - एक मिनिट पिताजी
और नेहा पिताजी की गोद मे सर रख कर लेट गयी
और नीता माँ की गोद मे सर कर कहानी सुनने को तय्यार हो गयी
नीता- अब बताइए कहानी
पिताजी- एक बहुत बड़ा जंगल था ,
उस जंगल मे एक शेर रहता था ,
वो शेर उस जंगल का राजा था ,
अपने बच्चो के साथ वो हँसी खुशी जंगल मे रहता था ,
नेहा - पिताजी रुकिये
पिताजी- क्या हुआ पसंद नही आई
नीता- हम ये कहानी नही , आपकी और ठाकुरजी की कहानी सुननी है
पिताजी- पिछले हफ्ते तो बताई थी ना
माजी- कितनी बार सुनोगी , तुम्हारी वजह से मुझे भी याद हो गयी है कहानी
नेहा - माँ , वो हमारी फेव कहानी है
पिताजी- नेहा दूसरी बताऊ , उस से भी बढ़िया वाली
नेहा- नही , मुझे तो वही सुननी है
नीता - माँ आपको भी वो कहानी पसंद हैना , पिताजी ने ठाकुरजी को बचाया था
माजी- मुझे भी.पसंद है पर इसका ये मतलब नही कि उसे बार बार सुनी जाए
नेहा- पिताजी आख़िरी बार
पिताजी- ठीक है , पर तुम सोना नही वरना मैं दुबारा नही बताउन्गा
नेहा - ये कहानी सुनते हुए हम कभी सोते है क्या
नीता- आप बताइए , शुरू से , और सब कुछ बताना
पिताजी- अच्छा बाबा बताता हूँ
बात उन दिनो की है जब मैं जवान था
मेरी शादी भी नही हुई थी ,
मैं अपने पिताजी के साथ खेत मे जाता था ,
मैं उस समय 7 थ क्लास तक पढ़ा था ,
हमारे गाओं मे सबसे पढ़ा लिखा था मैं , ठाकुरजी का बेटा भी मुझसे ज़्यादा पढ़ा था , विलायत मे पढ़ कर आया था
( अवी- रणजीतसिंघ के बच्चे
अवी के पापा जयसिंघ - रणजीतसिंघ
अवी के दादाजी - ठाकुर प्रतापसिंघ
अवी के दादाजी के पिताजी - ठाकुरजी,
इस तरह चलेंगे , जेनरेशन टू जेनरेशन , करेंट्ली रणजीतसिंघ ठाकुर बना है , तो हम अवी के दादाजी और अवी के दादाजी के पिताजी की कहानी सुनेगे और उस वक्त के ठाकुर की कहानी सुनेगे )
प्रतापसिंघ विलायत मे पढ़ने के बाद वो वापस गाओं आ आया था अपने पूर्वजों की विरासत चलाने
प्रतापसिंघ मुझ से आगे मे छोटा था
पर उसकी पढ़ाई उसकी हैसियत बड़ी थी ,
मेरे पिताजी मुझे कहते थे कि वो ठाकुर है उनको समान दिया करो
मैं तो पहलवान था फिर भी मैं अपने पिताजी की बात मान कर ठाकुरजी के साथ प्रतापसिंघ को भी इजाज़त देता था
मैं इतना पड़ा लिखा होने के बाद भी अपने पिताजी के साथ खेतो.मे जाता था
पिताजी मुझे मना करते थे पर मैं इस मिट्टी की कीमत जानता था
इस मिट्टी से जुड़ा हुआ था मैं
पिताजी.मुझे हिसाब किताब करने को बोलते पर मैं जो काम दिखता वो करने लगता
मेरे काम से पिताजी खुश रहते थे
उनको लगा था कि मैं बड़ा ऑफीसर बन जाउन्गा और अपने गाओं को भूल जाउन्गा पर मैं ने ऐसा नही किया
मैं ने अपनी पढ़ाई अपने गाओं की तरक्की मे लगा दी जिसे देख कर पिताजी का सर उचा हो गया
मैं ने पिताजी और ठाकुरजी को बोल कर हमारे गाओं मे पाठशाला शुरू की
हमारे गाओं मे स्कूल की शुरुआत मैं ने की थी
ठाकुरजी और पिताजी ने मेरा पूरा साथ दिया
स्कूल की शुरुआत एक छोटे से कमरे से हुई ,
एक रिटायर मास्टर जी और मैं बच्चो को पढ़ाते थे
ठाकुरजी ने अपने पॉवर का इस्तेमाल करके सरकार को स्कूल को फंड और नये मास्टर देने को कहा
और हमारे गॉव का स्कूल चालू हो गया
नये मास्टर जी आते ही मैं ने वहाँ पढ़ाना बंद किया
सब इस स्कूल को गाओं मे शुरू करने से मेरा शुक्रिया अदा करने लगे
आज तुम सब उसी स्कूल मे पढ़ते हो
जयसिंघ पूजा नेहा नीता छोटू , तुम उस स्कूल मे पढ़ते हो
मैने तो 25 किमी दूर तहसील के गॉव स्कूल मे अपनी पढ़ाई की थी ,
मैं साइकल से तहसील मे जाता और पढ़ाई करता था , उस समय साइकल भी बड़ी मुश्किल से मिलती थी , ऐसे मे मैं अपने साथ 2 दोस्तो को भी लेकर जाता , पूरा दिन निकल जाता था स्कूल जाने आने मे ,
इसी लिए कोई स्कूल नही जाता था
ये बात मुझे बचपन मे समझ मे आ गयी थी
जिस से मैं ने अपने गाओं मे स्कूल शुरू किया
गाओं के ज़्यादातर बच्चे कसरत करने मे लगे रहते थे ऐसे मे स्कूल स्टार्ट होते ही सब स्कूल मे जाने को तय्यार हो गये
ठाकुरजी ने बहुत पैसे लगाए स्कूल को अच्छा बनाने मे
ये तो हो गया मेरी पढ़ाई के बारे मे
मैं पढ़ाई के साथ कसरत भी करता था , इस ज़िल्ले मे मुझे कुस्ति मे हराने वाला पैदा नही हुआ था
मेरे किस्से धीरे धीरे सबको पता चल रहे थे
तुम्हारी माँ भी एक दिन मेरी कुस्ति देखने आई थी
और तभी मेरे पिताजी ने तुम्हारी माँ को मेरे लिए पसंद कर लिया था
और कुस्ति के मैदान से मैं सीधा शादी के मंडप मे बैठ गया
ये तो बाद की बात है
मैं शादी के पहले जो हुआ वो बताता हूँ ,
जैसे कि मैं ने बताया कि मैं पढ़ाई करने के बाद पिताजी को खेतो मे मदद करने लगा
हमारे खेत जंगल से लग कर थे
और हमारे खेतो के पीछे के जंगल से अजीब अजीब आवाज़े आती है जिस से हमारे खेत मे काम करने को बहुत कम लोग आते थे
इस लिए मैं ज़्यादा से ज़्यादा काम करता था ,
एक दिन तो एक बैल के पैर मे चोट लग गयी
और हमे बीज बोने ज़रूरी थे
तो मैं बैल के साथ हल को चलाने लगा ,
तुम्हे पता है मेरे ऐसा करने पे मेरे पिताजी ने मुझे शाबाशी नही दी
मुझे एक थप्पड़ मारा था ,
ऐसा करने से मुझे कुछ हो जाता था तो
उस दिन के बाद मैं ने दुबारा वैसा नही किया
पर पता है मैं ने वैसा क्यूँ किया था
नेहा- क्यूँ किया था पिताजी
पिताजी- उस समय हमारे गाओं मे एक पिक्चर दिखाने वाला आया था ,
पता है कौन सी पिक्चर थी
नीता - मुझे पता है
माजी- कहानी ऐसे सुनो कि तुम पहली बार सुन रही हो
पिताजी- मदर इंडिया
उस मूवी मे हल चलाते हुए देखा था तो मैं ने भी वैसा ही किया
नेहा - आपकी ये बीमारी नीता को लगी है , राजेश खन्ना की दीवानी
नीता- देखो ना माँ नेहा क्या कह रही है
पिताजी- नेहा ,
नेहा - सॉरी नीता
अब ठाकुरजी के बेटे प्रतापसिंघ ठाकुर(रणजीतसिंघ का बाप )की बात बताता हूँ
जैसे मैं ने बताया कि प्रतापसिंघ विलायत मे पढ़ कर आया था
विलायत मे पढ़ने के बाद भी उसको भी मेरी तरह अपनी जनम भूमि से प्यार था
इस गाओं मे आते ही उस ने स्कूल को और बेहतर बना दिया
प्रतापसिंघ अपने पिताजी की तरह ही था
पर उसको भी कुस्ति का शौक था
प्रतापसिंघ कुस्ति देखने आता था
पर वो भी अच्छे से कुस्ति खेलता था
ऐसे एक दिन हमारे गाओं मे खुशी का खेल शुरू हो गया
ठाकुरजी के साथ प्रतापसिंघ भी आ गया और उसका सौतेला भाई भी आ गया
प्रतापसिंघ के सौतेले भाई के साथ मेरी बनती नही थी
पर प्रतापसिंघ को मेरा स्कूल शुरू करना अच्छा लगा था
ठाकुरजी को दो बेटे थे , उनकी दो बीवी के दो बेटे
प्रतापसिंग ठाकुर के सौतेले भाई को हवेली का राजा बनना था
पर ठाकुरजी को अपने बड़े बेटे को जो विलायत मे पढ़ कर आया था प्रतापसिंघ उसे अपना वारिस बनाना था
पर वारिश बनाने से पहले ठाकुरजी को हार्ट अटॅक आ गया और वो चल बसे
पर अंदर की बात ये थी कि जो मुझे पिताजी ने बताई थी कि उनके छोटे बेटे ने ठाकुरजी को ज़हर दिया था
ये बात लोगो को पता नही चलने दी
और ठकुराइन ने प्रतापसिंघ को ठाकुर बना दिया जिस से उसका सौतेला भाई उसे अपना दुश्मन समझने लगा
ये तो बाद की बात पहले क्या हुआ वो बताता हूँ
तुम्हे मैं उस कुस्ति की कहानी बताता हूँ
गाओं मे कुस्ति का खेल शुरू हो गया
हर तरफ मेरा नाम ही ले रहे थे गाओं वाले
उनको पता था कि मैं जीतने वाला हूँ
पंचकोशी मे मुझे टक्कर देने वाला पहलवान नही था
और हुआ भी ऐसा ही मैं एक एक करके सारे पहलवान को पछाड़ता गया
आख़िरी कुस्ति मेरी दूसरे गाओं के पहलवान से थी
मैं ने उसे भी पछाड़ दिया
और जैसे हर पहलवान चॅलेंज देता है मैं ने भी वही किया
पर ये क्या मेरा चॅलेंज प्रतापसिंघ से कबुल किया
जब तक आप चॅलेंज नही देते आप विन्नर नही बनते
हर बार मेरा चॅलेंज कोई स्वीकार नही करता था
पर इस बार प्रतापसिंघ ने चॅलेंज स्वीकार किया
प्रतापसिंघ के खड़े होते ही पूरा गाँव चुप हो गया
सब प्रतापसिंघ की तरफ देखते रह गये
मैं भी शॉक्ड हो गया ,
मैं ठाकुर के साथ कैसे लड़ सकता हूँ
कोही ठाकुर पे हाथ उठाने का सोच भी नही सकता
मैं अपनी पिताजी की तरफ देखने लगा
प्रताप सिंग ने चॅलेंज स्वीकार किया तो मैं पीछे भी नही हट सकता था
पिताजी ने मुझे शांत दिमाग़ से काम लेने का इशारा किया
और प्रतापसिंघ ने लंगोट मे मैदान मे एंट्री मारी
प्रतापसिंघ- तुम अच्छा लड़ते हो
योगेंद्रसिंघ- मैं आप से लड़ नही सकता
प्रतापसिंघ- क्यू डर गये
योगेंद्रसिंघ- मैं डरता नही किसी से , पर आप ठाकुर हो
प्रतापसिंघ- कुस्ति के मैदान मे सिर्फ़ मैं एक खिलाड़ी हूँ
योग्र्न्द्रसिन्घ- ( बात तो ठीक है , पर प्रतापसिंघ हार गया तो ठाकुर की इज़्ज़त मिट्टी मे मिल जाएगी )
प्रतापसिंघ विलायत से आया था उसे ज़्यादा कुछ पता नही था ठाकुर को कैसे रहना चाहिए
वरना वो कभी चॅलेंज नही देता
अब अगर वो हार गया तो उसके ठाकुर बनते ही उसकी इजाज़त कम हो जाएगी , हर कोई इस हार से प्रतालसिंघ को पहचानेगा
मैं क्या करूँ
मैं ने पिताजी की तरफ देखा तो पिताजी ने मुझे हारने का इशारा किया
मेरे हारने से सिर्फ़ मैं हारुन्गा
पर प्रतपसनघ के हारने से पूरा गाओं हार जाएगा , ठाकुर की फॅमिली हार जाएगी
मैं ने पिताजी की बात मान ली
और मेरे और प्रतापसिंघ के बीच मे कुस्ति शुरू हो गयी
सब देखने वाले अपनी साँस रोक कर कुस्ति देख रहे थे
ना मेरा नाम ले रहे थे और ना ठाकुर का नाम ले रहे थे
पिन ड्रॉप स्लिएंट था
ठाकुरजी अपने सर पे हाथ रख कर कुस्ति देख रहे थे
पिताजी ठाकुरजी की टेन्षन को समझ गये
होने वाला ठाकुर हार जाएगा तो उसकी इज़्ज़त कम हो जाएगी
मैं इस बात का ध्यान रख रहा था
प्रतापसिंघ को मुझपे भारी पड़ने दे रहा था
मैं थकने का ड्रामा कर रहा था
क्यू कि इस से पहले मैं 7 कुस्ति खेल चुका था
और मैं प्रतापसिंघ के हाथो से हार गया
चॅलेंजर जीत गया
प्रतापसिंघ ने मुझे हरा दिया
पर प्रतापसिंघ को मेरी हार का पता चल गया , इतना पढ़ा लिखा जो था
प्रतापसिंघ ने मुझे कुछ नही कहा
ठाकुरजी ने मेरे पिताजी को शुक्रिया कहा , उनके बेटे को जिताने के लिए
प्रतापसिंघ ने जब गदा उठाई तो मुझे अपने पास बुलाया
प्रतापसिंघ- ये गदा योगेंद्रसिंघ की है , वो असली चॅंपियन है , अगर मैं 7 कुस्ति खेलता तो कभी जीत नही पाता , इतना थकने के बाद भी योगेंद्रसिंघ ने जल्दी हार नही मानी , वो है असली चॅंपियन
पर योगेंद्रसिंघ ने मुझे कड़ी टक्कर दी , मैं एक कुस्ति खेल कर ये गदा जीत नही सकता , योगेंद्रसिंघ ने सभी पहलवानो को हराया है , वो असली चॅंपियन है
और प्रतापसिंघ ने मुझे गदा दी और मेरे गले लग गया
प्रतापसिंघ- तुम जान बुझ कर हारे हो मुझे पता है , हम ये मॅच कही और अकेले मे खेलेंगे
योगेंद्रसिंघ- जब आप कहोगे तब खेलेंगे
और इस तरह हमारी कहानी स्टार्ट हुई
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Re: मैं और मेरा परिवार
फ्लॅशबॅक 812 जी
नेहा - पिताजी आप हार कर जीत गये
पिताजी- कभी कभी हमे अपने से ज़्यादा दूसरो के बारे मे सोचना पड़ता है
नीता- आपने गाओं वालो के बारे मे सोचा है
पिताजी- हाँ , गाओं ठाकुर चलाते है , ठाकुर की वजह से गाओं का नाम होता है
नेहा - फिर आपने क्या किया
पिताजी- फिर तो हमारी कुस्ति कभी ख़तम ही नही हुई
नीता- आप अकेले मे कुस्ति खेली ठाकुरजी के साथ
पिताजी- हाँ , केयी बार
नेहा - कौन जीता
पिताजी- कभी रिज़ल्ट निकला ही नही
नीता- मतलब
पिताजी- हर बार हमारी कुस्ति अधूरी रह जाती
नेहा - आगे क्या हुआ
पिताजी- सुनो
उस कुस्ति के बाद प्रतापसिंघ मेरी दोस्ती होने लगी
ठाकुरजी ने मेरे पिताजी को दावत पे बुलाया उस कुस्ति के बाद
मैं भी गया था हवेली पे
वहाँ ठाकुरजी ने मेरी तारीफ की , प्रतापसिंघ ने भी मेरी तारीफ की
फिर ठाकुरजी और पिताजी बात करने लगे
और मैं प्रतापसिंघ के साथ हवेली के पीछे चला गया
प्रतापसिंघ- कुस्ति खेलने को तय्यार हो
योगेंद्रसिंघ- यहाँ पर
प्रतापसिंघ -यही पर क्यू डर गये
योगेंद्रसिंघ- मैं डरता नही किसी से
प्रतापसिंघ- तो आओ मैदान मे
और हम हवेली के पीछे कुस्ति खेलने लगे
सबसे छुपाते हुए कुस्ति खेल रहे थे
ये डिसाइड करने के लिए कि हममे से बेस्ट कौन है
हमारी कुस्ति हर बार बहुत लंबी चलती इस बार ठाकुरजी और मेरे पिताजी घूमते हुए हवेली के पीछे आए
तो हम रुक गये और गले मिल कर एक दूसरे से पूछने लगे चोट तो नही लगी
ठकुज़ी- क्या हुआ कपड़े खराब कैसे हो गये ,ये क्या हाल बना रखा है
प्रतापसिंघ- पिताजी वो हम गिर गये थे
योगेंद्रसिंघ- ठाकुरजी , हम एक खरगोश पकड़ रहे थे कि हमारी ये हालत हो गयी
और हम वहाँ से खिसक गये
ठाकुरजी और मेरे पिताजी हँसने लगे उनको पता था कि हम क्या कर रहे थे , उनको पता चल गया था कि इस से हमारी दोस्ती मज़बूत हो जाएगी
हवेली के पीछे कुस्ति खेलने के बाद प्रताप सिंग शाम मे मेरे खेत मे आता
मेरे पिताजी के जाते ही हम कुस्ति खेलते पर सूरज ढलने की वजह से कुस्ति पूरी नही होती
धीरे धीरे हमे उस मे मज़ा आने लगा
हम कुस्ति मज़े के लिए कब खेलने लगे पता ही नही चला
जहाँ अकेले मिले वही शुरू हो जाते
कभी हवेली मे कभी खेत मे , कभी मंदिर के पीछे
तो कभी नदी के पीछे
कही भी शुरू हो जाते
अब कोई हार रहा होता तो दूसरा जानबूझ कर कुस्टी खेलना बंद करता ताकि ये कुस्ति कभी ख़तम ना हो
एक दिन हम हवेली के पीछे कुस्ति खेल रहे थे कि एक नौकर भागते हुए आ गया और बताया कि ठाकुरजी को आटॅक आया है
हम वैसे ही ठाकुरजी के पास आ गये
पर तब तक देर हो चुकी थी
पिताजी ने बताया की ठाकुरजी को जहर दिया गया है
पर ये बात प्रतापसिंघ से ठकुराइन ने छुपा दी
गाओं के ठाकुर के जाते ही नया ठाकुर कौन बनेगा इसकी बाते होने लगी
सबको लगता प्रतापसिंघ बने , पर प्रतापसिंघ का सौतेला भाई ठाकुर बनना चाहता था
उसको प्रतापसिंघ का नाम ज़्यादा सुनाई दे रहा था
उसकी माँ भी यही चाहती थी
प्रतापसिंघ के सौतेले भाई को अपना हक छीनते हुए दिख रहा था
ऐसे मे उस ने प्रतापसिंघ को रास्ते से हटानेंका फ़ैसला किया
उसने ये अफवा फैला दी कि जंगल मे एक भेड़िया आया है
जंगल मे हमारे गाओं की तरफ जंगली जानवर नही आते है
प्रतापसिंघ के सौतेले भाई ने अपने कुत्ते से एक बच्चे पे हमला करवाया और कहा कि भेड़िया ने मारा है
भेड़िया का डर गाओं मे फैलते ही सब हवेली आ गये मदद माँगने
अब तक ठाकुर किसी को बनाया नही गया था
ऐसे मे गाओं वालो की मदद कौन करेगा ,
प्रतापसिंघ खड़ा हो गया , और भेड़िया के शिकार पे निकल ने की घोषणा की
इसी लिए सब प्रतापसिंघ को ठाकुर बनाना चाहते थे
मुझे ये बात पता ही नही थी
2 दिन से मैं भेड़िया की वजह से खेतो मे जो बैल थे उनकी रखवाली कर रहा था
प्रतापसिंघ उसके सौतेले भाई के जाल मे फस गया
प्रतापसिंघ अपने 2 साथियो के साथ जंगल की तरफ निकल गया
प्रतापसिंघ पहले मंदिर की तरफ गया पर वहाँ उसे कुछ नही मिला
ऐसे मे वो हमारे खेत के पीछे वाले जंगल मे भेड़िया के शिकार पे निकल गया
मैं खेत मे पड़ा पड़ा बोर हो गया था
ऐसे मे मुझे प्रतापसिंघ जंगल मे जाते हुए दिखाई दिया
मुझे कुस्ति खेलने का मन हुआ तो मैं भी प्रतापसिंघ के पीछे पीछे जाने लगा
प्रतापसिंघ अपने साथियो के साथ जंगल के कंदर मे आ गया
जहाँ उसके लिए जाल बनाया गया था
उस खंडहर मे जाते ही प्रतापसिंघ के साथियो ने प्रतापसिंघ को धक्का दे कर गिरा दिया
ये प्रतपांघ के भाई के हाथो बिक चुके थे
दोनो प्रातपासिंघ के सामने गन लेकर खड़े थे
प्रतापसिंघ के साथ धोका हुआ
अपने भाई को देख कर समझ गया कि ये उसकी चाल है
प्रतापसिंघ इतनी आसानी से हार नही मान सकता था
प्रतापसिंघ ने अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करके अपने भाई को कुस्ति खेलके हराने को कहा
उसका भाई प्रतापसिंघ की बातों मे फस गया और वो कुस्ति खेलने लगे
मैं भी वहाँ पहुच चुका था
मैं ने सब कुछ सुन लिया था और देख भी लिया था
मैं बस सही मोके की तलाश मे था
प्रतापसिंघ अपने भाई के साथ हाथा पाई कर रहा था
और वो 2 साथी गन लेकर सब देख रहे थे
मैं उनका ध्यान भटकने का इंतज़ार कर रहा था
और जैसे उनसे ग़लती हुई मैं उन दोनो पे टूट पड़ा
पहले तो उनकी गन दूर फेक दी
और उन दोनो को अपनी ताक़त दिखाने लगा
मेरे आते ही प्रतापसिंघ को मदद मिल गयी उसकी हिम्मत वापस आ गयी
हम दोनो मिलकर सबको मारने लगे
प्रतापसिंघ के साथ , उसके भाई के आदमियो को मारने लगा
हमे अपने आदमियो को मारता हुआ देख प्रतापसिंघ का भाई छुप गया
हम एक एक करके सबको मारने लगे
ऐसे मे प्रतापसिंघ के सौतेले भाई के हाथ गन लग गयी
उसने प्रतापसिंघ को निशाना बना दिया
मैं ये देखते ही प्रतापसिंघ और गन के बीच मे आ गया
गोली मेरे हाथ मे लग गयी
और मेरी चीख निकल गयी
जिस सुनकर प्रताप हरकत मे आ गया और उसने भी गन उठा ली
पर तब तक उसका भाई भाग चुका था
प्रतापसिंघ- ये क्या किया तुमने
योगेंद्रसिंघ-तुम्हे कुस्ति मे हराए बिना मरने कैसे देता
प्रत्पसिंघ- पागल हो तुम , अगर तुम मर जाते तो
योगेंद्रसिंघ - मुझे कुछ नही होगा , बिना तुम्हे हराए मैं मरूँगा नही
प्रतापसिंघ- पर आज तुमने मुझे हरा दिया दोस्त
योगेंद्रसिंघ - दोस्त
प्रतापसिंघ-अब कुछ मत कहो , चलो मैं तुम हॉस्पिटल लेकर जाता हूँ
और प्रतापसिंघ मुझे हॉस्पिटल लेकर गया
गाओं वालो को पता चल गया कि भेड़िया कौन था
अब उस भेड़ियो को प्रतापसिंघ छोड़ेगा नही
मैं ने प्रतपांघ को बचाया था इसलिए पिताजी खुश हो गये उस बार उन्होने ये नही कहा कि मुझे कुछ हो जाता तो , उन्हो ने कहा कि तुम ने गाओं के लिए गोली खाई है
उस दिन से पिताजी सर उठा कर चलने लगे
प्रतापसिंघ और मेरी दोस्ती हो गयी
प्रतापसिंघ ने ठकुराइन को सारी बात बता दी और प्रतापसिंघ को ठाकुर बनाया गया
और हमारी दोस्ती मज़बूत हो गयी
इस कुस्ति मे मैं जीत गया
उस के बाद हमने कभी कुस्ति नही खेली
हमारी दोस्ती की वजह से हम बहुत मज़ा मस्ती करने लगे
हमारी दोस्ती गाओं मे मशहूर हो गयी
और गाओं को नया ठाकुर मिल गया
पिताजी हमारी दोस्ती से खुश थे
उनको गाओं की बागडोर नये कंधो पे देख कर अच्छा लगा
नेहा - और ठाकुर ,ठाकुरजी बन गये
पिताजी- हाँ
नीता- पिताजी वो निशान अभी तक होगा
पिताजी- कितनी बार देखा है तुमने
नेहा - आप हमारे साथ कुस्ति खेलोगे
पिताजी- नही , मैं हार जाउन्गा
नीता- आप तो रियल लाइफ के हीरो हो
पिताजी- मैं कोई हीरो नही हूँ , हीरो तो मेरी बेटी है
नेहा - मैं हेरोयिन हूँ
पिताजी- हाँ बाबा , तुम हेरोयिन हो
नीता- पिताजी , प्रतापठाकुर जी आपके दोस्त है , तो हमारे क्या हुए
पिताजी- तुम्हारे भी दोस्त है तभी तो तुम उनको ठाकुरजी कहते हो
माजी- चलो अब अपने कमरे मे , कहानी ख़तम हुई
नेहा - 25 बार सुनी है
पिताजी- और कितनी बार सुनना है
नीता- हम तो ज़िंदगी भर सुनेंगे
पिताजी- अरे बाप रे
नेहा - पिताजी भैया आपके जैसे पहलवान नही है
पिताजी- वो गधा है ,
नीता- पढ़ाई मे आपके जैसे है भैया
पिताजी- वो बचपन मे कसरत करता था अभी भी वो मुझे कुस्ति मे हरा सकता है
माजी- चलो अब बहुत हो गया है ,
नेहा - पिताजी कल नयी कहानी सुननी है
नीता- पिताजी ठाकुरजी के भाई का क्या हुआ
पिताजी- उसका मुझे नही पता , उसको उसके बाद देखा नही किसीने
माजी- तुम अभी गयी नही तो मार पड़ेगी
नेहा - ये हमारे पिताजी का कमरा है आप जाइए
पिताजी- नेहा
नीता- चलो नेहा , माँ को सोना है
पिताजी- तुम भी सो जाओ वरना कल स्कूल नही जाओगी
नेहा - उस स्कूल मे तो हमे जाना पसंद है , क्यू कि वो स्कूल आपने शुरू किया है
और नेहा नीता के साथ अपने कमरे मे चली गयी
सोने से पहले नेहा ने पूजा की नींद खराब की और खुद सो गयी
पूजा को नेहा की इस हरकत की आदत पड़ गयी थी
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(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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