मैं और मेरा परिवार
- shubhs
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Re: मैं और मेरा परिवार
नही सो रहा है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- xyz
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Re: मैं और मेरा परिवार
क्या करूँ पापी पेट का सवाल था इसलिए इतने दिन दूर रहा फ्रेंड्स
और अभी भी टाइम कम मिल रहा है पर जितना हो सकेगा अपडेट देता रहूँगा
और अभी भी टाइम कम मिल रहा है पर जितना हो सकेगा अपडेट देता रहूँगा
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
- xyz
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Re: मैं और मेरा परिवार
Flashback 812 J
जय सिंग जीतनी बार भी अच्छा करने की कॉसिश करता उस से ग़लती हो ही जाती थी
पिताजी कितनी बार उसकी ग़लतियो को नज़रअंदाज़ करते
माँ को भी इस बार गुस्सा आया था
पर माँ ज़्यादा देर अपने बेटे से गुस्सा कैसे रहती ,
माँ के माफ़ करने से जयसिंघ को अच्छा लगा
अब तो गर्मिया होने से सब पूरा दिन खेत मे बिताते थे
आम के बगीचे मे खेल कर दिन बिता रहे थे
नेहा नीता पूजा जयसिंघ और छोटू नये नये खेल खेलने लगे
पिताजी अपने काम मे लगे रहते थे
माँ उनको मदद करती थी
बच्चों को खेलते हुए देख कर वो टेन्षन फ्री हो जाते थी
जयसिंघ जब भी ग़लती करता था तब पिताजी और माँ उसको बता देती थी
नेहा नीता के लिए ये छुट्टियाँ नयी मस्ती लेकर आई थी
दोनो काफ़ी खुश थी
पर ये दिन भी कैसे बीत गये पता भी नही चला
पिताजी तो चाह रहे थे कि ये गर्मिया कभी ख़तम ही ना हो
उनको पता था कि अब जयसिंघ शहर3 जाने की बात करेंगा
जयसिंघ को तो रिज़ल्ट का इंतज़ार था
और जैसा जयसिंघ चाहता था वैसा ही हुआ
जयसिंघ अच्छे मार्क्स से पास हो गया
उसने पिछले साल से भी ज़्यादा मार्क ले ली
मास्टर जी ने उसके पास होने की खुशी मे स्कूल मे फंक्षन रखा था
जयसिंघ आज बहोत खुश था क्यू कि उसे शहर3 पढ़ने जाने को मिलेगा
पिताजी को समझ नही आ रहा था कि वो खुश हुए या रोए
बेटे के मार्क देख कर उनको खुश होना चाहिए था पर उनको इस बात से रोना आ रहा था कि अब जयसिंघ उनसे दूर चला जाएगा
उनको पता था कि ये दूरिया कभी कम नही होंगी
जयसिंघ ने घर आते पिताजी को रिज़ल्ट दिखाकर सब से पहले अपने शहर3 जाने की बात कही
जयसिंघ- पिताजी मैं ने अपना वादा पूरा कर दिया अब मुझे शहर3 जाने दीजिए
पिताजी ने सिर्फ़ हाँ मे गर्दन घुमाई और अपने कमरे मे चले गये
जयसिंघ तो अपनी खुशी मे डूबा हुआ था
उसको अपने पिताजी का दर्द दिखाई नही दे रहा था
पर नेहा अपने पिता जी के पास चली गयी
नेहा - पिताजी आप रो रहे है
पिताजी - नही , ये तो खुशी के आँसू है , तुम्हारे भाई पास हो गया
नेहा - पिताजी मैं बड़ी हो गयी हूँ ,
पिताजी - तू कभी बड़ी मत होना , तू ऐसी ही रहना , मेरे पास
नेहा - मैं आपको कभी छोड़ कर नही जाउन्गी
नेहा पिताजी के गले लग गयी
पिताजी - तेरी जैसी समाज अगर जयसिंघ को होती तो सब अच्छा होता
नेहा - भैया को बस और पड़ना है इसलिए शहर3 जा रहे है , वो वापस ज़रूर आएँगे
पिताजी - (खास तेरी बात सच हो ) जाएँगा कहाँ हम उसका कान पकड़ कर लाएँगे
नेहा - एक कान नीता पकदेगी और दूसरा कान मैं पकडूगी
पिताजी -तू ही , उसको घर लेकर आना
नेहा - चाहिए ना , वरना भैया को बुरा लगेगा
पिताजी -तू चल मैं थोड़ी देर मे आता हूँ
नेहा के जाते ही माँ.पिताजी के पास आ गयी
माजी- जय पास हो गया
पिताजी -तुम.क्या चाहती हो बस इतना बताओ
माजी- उसे जाने दीजिए , उसने शहर3 जाने के लिए साल भर बहोत मेहनत की है , अगर उसे जाने नही दिया तो वो टूट जाएगा
पिताजी -तुम क्या चाहती हो वो बताओ
माजी- मैं उसके बिना रह लूँगी , वो एक दिन वापस ज़रूर आएगा
पिताजी -तुम क्या चाहती हो
माजी- उसे उसके सपने पूरे करने दीजिए , उसको बड़ा आदमी बनना है बनने दो
पिताजी -तूमे पता हैना है वो एक बार गया तो वापस आने के चान्स कम है
माजी- मैं उसे वापस लेकर आउन्गि ,
पिताजी -तुम नही कर पाओगी
माजी- हम साथ मिल कर उसे वापस लेकर आएँगे
पिताजी -मैं कल ही शहर3 जाने का सोच रहा था बाद मे खेती की वजह से जा नही पाउन्गा
माजी- आप खुद को अकेला मत समझना मैं आपके साथ हूँ , और आपके साथ ही रहूंगी
पिताजी -जयसिंघ को बता दो कि हम कल शहर3 जाएँगे , उसे सब कुछ पता हॉंगा , उसे तय्यार रहने को कहो
माजी- आप कहेंगे तो उसे अच्छा लगेगा वरना वो समझेगा कि आप.खुश नही है
पिताजी -मैं खुश कैसे हो सकता हूँ
माजी-मेरे लिए ,
पिताजी -चलो
पिताजी बाहर आ गये
पिताजी - जयसिंघ
जयसिंघ- जी पिताजी
पिताजी- हम कल शहर3 जाएँगे
जयसिंघ-कल
पिताजी -बाद में खेतो के कामो की वजह से आ नही पाउन्गा
जयांघ-कल तो फॉर्म नही निकलेंगे
पिताजी -हम देख कर आते है , 1 2 दिन वही रुकेंगे , पूछ ताछ करेंगे
जयसिंघ-ये ठीक रहेगा , वैसे मैं ने सारी इन्फो निकाल ली है , हमे ज़्यादा प्राब्लम नही होंगी
पिताजी -पैसे कितने लगेंगे
जयसिंघ-रिज़र्वेशन मे अड्मिशन हुआ तो कुछ भी नही लगेंगे ,
पिताजी -ठीक है , हम कल निकल जाएँगे
जयसिंघ-जी
पूजा - भैया , आप शहर3 जा रहे है
जयसिंघ-हाँ ,
पूजा - हमे भूल मत जाना
जयांघ-तूमे कैसे भूल सकता हूँ
छोटू - भैया आप जब भी शहर से वापस आएँगे तब मेरे लिए गिफ्ट लाना
जयसिंघ- सबके लिए गिफ्ट लाउन्गा
नेहा - मुझे नये नये ड्रेस चाहिए
जयसिंघ- तुझे परी जैसा सज़ा दूँगा
नीता - और मुझे
जयसिंघ- तुझे अप्सरा
पिताजी -सुनो , आज खाने मे स्वीट बनाना , जयसिंघ पास हो गया है
माजी - जी ,
पिताजी -जयसिंघ , तय्यारी करो शहर3 जाने की , मेहनत करना , और हाँ खुद को.कभी भूलना मत , तुम क्या हो ये बात हमेशा याद रखना ,
जयसिंघ-जी पिताजी
पिताजी- मेरे गले नही लगोगे
जयसिंघ को लगा कि पिताजी नाराज़ रहेंगे
पर पिताजी को खुश देख कर जयसिंघ खुश हो गया
और जयसिंघ पिताजी के गले लग गया ,
पिताजी ने ये माँ की वजह से किया
लेकिन इसी से जयसिंघ खुश हो गया
बाकी सब भी दोनो के गले लग गये
सबके दिल जयसिंघ के जाने से रो रहे थे पर चेहरे पे स्माइल थी
जयसिंघ को तो आज नया जनम.मिल गया था
जयसिंघ कल जाएगा
इस लिए सब जयसिंघ के साथ वक्त बिताने लगे
पिताजी कल के जाने का इंतज़ाम करने लगे
और बाकी सब जतसिंघ के कमरे मे थे
जल्दी ये कमरा छोटू का हो जाएगा
जयसिंघ- छोटू अब तेरे अकेले का कमरा होगा ये
छोटू- मेरे अकेले का कमरा
पूजा - बच्चू ज़्यादा खुश मत हो
छोटू- क्या मतलब ,
पूजा - इतने बड़े कमरे मे तू अकेला रहेगा , , तुझे डर नही लगेगा ,
छोटू- माँ को बुला लूँगा
पूजा - मैं आ जाती हूँ यहा पर , बड़ा कमरा है , हम साथ मे रहेंगे , मैं तुझे छोटू भी नही कहूँगी
पूजा छोटू को मस्का लगा रही थी
छोटू- मैं अकेला रहूँगा
पूजा- मैं तुझे रोज 10 पैसे दूँगी
छोटू - सच
नेहा - हाँ , मैं भी दूँगी, तू माँ को कहना कि तू पूजा दीदी के साथ रहना चाहता है
छोटू - आपने बाद में नही दिया तो
नीता- ये ले , अभी दे रही है
छोटी को सबने 10 10 पैसे दिए
छोटू- मैं अभी माँ को बता कर आता हूँ
छोटू भाग गया
जयसिंघ- तुम तीनो ने छोटू को उल्लू बना दिया
पूजा - भैया नेहा नीता बड़ी हो रही है , वो कमरा हम तीनो के लिए छोटा है
जयसिंघ- तुम तीनो यहाँ आ जाओ
नेहा - वो कमरा हम नही छोड़ेंगे
नीता- हम ने दीदी से बात की है
जयसिंघ- तुम सबके तो मज़े होंगे अब
नेहा - आपके बिना हम मज़ा कैसे कर सकते है भैया , ये आपने सोच भी कैसे
जयसिंघ- मुझे पता है तुम सब को मेरी याद आएगी
पूजा - मत जाओ ना भैया
जयसिंघ- मुझे जाना हॉंगा , मैं ये हम सबके लिए कर रहा हूँ ,
नेहा - क्या मतलब
जयसिंघ- देखो जमाना कहाँ से कहाँ चला गया है
नेहा - तो
जयसिंघ -हमे भी जमाने के साथ बदलना चाहिए
पूजा - बदल तो रहे हैं ना
जयसिंघ- तुम संज्झी नही , शहर मे जाकर देखो लोग बाइक से जाते है और हमे साइकल से जाना पड़ता है
नेहा - भैया साइकल पे कितना मज़ा आता है
जयसिंघ- तुम अभी बच्ची हो, तुम नही समझोगी ,
नीता- समझा दो ना भैया
जयसिंघ- तुम्हे कैसे समझाऊ , शहर मे सब कुछ मिलता है
नेता - क्या यहाँ जैसी मस्ती कर सकते है , क्या ऐसा प्यार मिलता है
जयसिंघ- वहाँ पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग है , बड़े बड़े घर है कुछ भी हाथों से करने की ज़रूरत नही पड़ती
पूजा - वो छोटे छोटे कपड़े पहना
जयसिंघ- वो स्टाइल है
पूजा - मैं ऐसी ठीक हूँ
नेहा -मैं भी
जयसिंघ- तुम देखना जब मैं वापस आउन्गा तो तुम भी शहर चलने की बात कहोगी
नेहा - कुछ भी हो जाए मैं गाओं छोड़ कर कही नही जाउन्गी ,
पूजा - मैं भी
नीता- नेहा नही जाएगी तो मैं भी.नही जाउन्गी
जयसिंघ- वो बाद मे देखेंगे , कल तो मैं जा रहा हूँ
नीता- आप क्यूँ जा रहे हो
जयसिंघ -हम सब के लिए जा रहा हूँ , मैं सबकी लाइफ बदल दूँगा
नेहा - मुझे नही बदलनी मेरी लाइफ , मैं ऐसी ही ठीक हूँ
जयसिंघ- वो बाद मे देखेंगे , आज की बात करो
नीता- भैया मत जाओ ना
जयसिंघ-नीता क्या तुम एक ही बात कर रही हो
नीता - आप जाओगे तो हमे स्कूल कौन लेकर जाएगा
जयसिंघ- मैं तुम्हे बड़े कॉलेज मे लेकर जाउन्गा
नेहा - भैया ,आप कल के बारे मे क्यूँ सोच रहे आज के बारे मे सोचिए ना ,
जयसिंघ- पगली मैं हमेशा के लिए थोड़ी जा रहा हूँ
नेहा - तो
जयसिंघ- एक दो साल बाद वापस आउन्गा (ग्रेजुएशन के बाद वापस आउन्गा)
नेहा -पक्का प्रॉमिस
जयसिंघ- प्रॉमिस , अब मेरी पॅकिंग करने मे मदद करो
पूजा - मैं करती हूँ ,
और सब जयसिंघ की मदद करने लगे
जय सिंग जीतनी बार भी अच्छा करने की कॉसिश करता उस से ग़लती हो ही जाती थी
पिताजी कितनी बार उसकी ग़लतियो को नज़रअंदाज़ करते
माँ को भी इस बार गुस्सा आया था
पर माँ ज़्यादा देर अपने बेटे से गुस्सा कैसे रहती ,
माँ के माफ़ करने से जयसिंघ को अच्छा लगा
अब तो गर्मिया होने से सब पूरा दिन खेत मे बिताते थे
आम के बगीचे मे खेल कर दिन बिता रहे थे
नेहा नीता पूजा जयसिंघ और छोटू नये नये खेल खेलने लगे
पिताजी अपने काम मे लगे रहते थे
माँ उनको मदद करती थी
बच्चों को खेलते हुए देख कर वो टेन्षन फ्री हो जाते थी
जयसिंघ जब भी ग़लती करता था तब पिताजी और माँ उसको बता देती थी
नेहा नीता के लिए ये छुट्टियाँ नयी मस्ती लेकर आई थी
दोनो काफ़ी खुश थी
पर ये दिन भी कैसे बीत गये पता भी नही चला
पिताजी तो चाह रहे थे कि ये गर्मिया कभी ख़तम ही ना हो
उनको पता था कि अब जयसिंघ शहर3 जाने की बात करेंगा
जयसिंघ को तो रिज़ल्ट का इंतज़ार था
और जैसा जयसिंघ चाहता था वैसा ही हुआ
जयसिंघ अच्छे मार्क्स से पास हो गया
उसने पिछले साल से भी ज़्यादा मार्क ले ली
मास्टर जी ने उसके पास होने की खुशी मे स्कूल मे फंक्षन रखा था
जयसिंघ आज बहोत खुश था क्यू कि उसे शहर3 पढ़ने जाने को मिलेगा
पिताजी को समझ नही आ रहा था कि वो खुश हुए या रोए
बेटे के मार्क देख कर उनको खुश होना चाहिए था पर उनको इस बात से रोना आ रहा था कि अब जयसिंघ उनसे दूर चला जाएगा
उनको पता था कि ये दूरिया कभी कम नही होंगी
जयसिंघ ने घर आते पिताजी को रिज़ल्ट दिखाकर सब से पहले अपने शहर3 जाने की बात कही
जयसिंघ- पिताजी मैं ने अपना वादा पूरा कर दिया अब मुझे शहर3 जाने दीजिए
पिताजी ने सिर्फ़ हाँ मे गर्दन घुमाई और अपने कमरे मे चले गये
जयसिंघ तो अपनी खुशी मे डूबा हुआ था
उसको अपने पिताजी का दर्द दिखाई नही दे रहा था
पर नेहा अपने पिता जी के पास चली गयी
नेहा - पिताजी आप रो रहे है
पिताजी - नही , ये तो खुशी के आँसू है , तुम्हारे भाई पास हो गया
नेहा - पिताजी मैं बड़ी हो गयी हूँ ,
पिताजी - तू कभी बड़ी मत होना , तू ऐसी ही रहना , मेरे पास
नेहा - मैं आपको कभी छोड़ कर नही जाउन्गी
नेहा पिताजी के गले लग गयी
पिताजी - तेरी जैसी समाज अगर जयसिंघ को होती तो सब अच्छा होता
नेहा - भैया को बस और पड़ना है इसलिए शहर3 जा रहे है , वो वापस ज़रूर आएँगे
पिताजी - (खास तेरी बात सच हो ) जाएँगा कहाँ हम उसका कान पकड़ कर लाएँगे
नेहा - एक कान नीता पकदेगी और दूसरा कान मैं पकडूगी
पिताजी -तू ही , उसको घर लेकर आना
नेहा - चाहिए ना , वरना भैया को बुरा लगेगा
पिताजी -तू चल मैं थोड़ी देर मे आता हूँ
नेहा के जाते ही माँ.पिताजी के पास आ गयी
माजी- जय पास हो गया
पिताजी -तुम.क्या चाहती हो बस इतना बताओ
माजी- उसे जाने दीजिए , उसने शहर3 जाने के लिए साल भर बहोत मेहनत की है , अगर उसे जाने नही दिया तो वो टूट जाएगा
पिताजी -तुम क्या चाहती हो वो बताओ
माजी- मैं उसके बिना रह लूँगी , वो एक दिन वापस ज़रूर आएगा
पिताजी -तुम क्या चाहती हो
माजी- उसे उसके सपने पूरे करने दीजिए , उसको बड़ा आदमी बनना है बनने दो
पिताजी -तूमे पता हैना है वो एक बार गया तो वापस आने के चान्स कम है
माजी- मैं उसे वापस लेकर आउन्गि ,
पिताजी -तुम नही कर पाओगी
माजी- हम साथ मिल कर उसे वापस लेकर आएँगे
पिताजी -मैं कल ही शहर3 जाने का सोच रहा था बाद मे खेती की वजह से जा नही पाउन्गा
माजी- आप खुद को अकेला मत समझना मैं आपके साथ हूँ , और आपके साथ ही रहूंगी
पिताजी -जयसिंघ को बता दो कि हम कल शहर3 जाएँगे , उसे सब कुछ पता हॉंगा , उसे तय्यार रहने को कहो
माजी- आप कहेंगे तो उसे अच्छा लगेगा वरना वो समझेगा कि आप.खुश नही है
पिताजी -मैं खुश कैसे हो सकता हूँ
माजी-मेरे लिए ,
पिताजी -चलो
पिताजी बाहर आ गये
पिताजी - जयसिंघ
जयसिंघ- जी पिताजी
पिताजी- हम कल शहर3 जाएँगे
जयसिंघ-कल
पिताजी -बाद में खेतो के कामो की वजह से आ नही पाउन्गा
जयांघ-कल तो फॉर्म नही निकलेंगे
पिताजी -हम देख कर आते है , 1 2 दिन वही रुकेंगे , पूछ ताछ करेंगे
जयसिंघ-ये ठीक रहेगा , वैसे मैं ने सारी इन्फो निकाल ली है , हमे ज़्यादा प्राब्लम नही होंगी
पिताजी -पैसे कितने लगेंगे
जयसिंघ-रिज़र्वेशन मे अड्मिशन हुआ तो कुछ भी नही लगेंगे ,
पिताजी -ठीक है , हम कल निकल जाएँगे
जयसिंघ-जी
पूजा - भैया , आप शहर3 जा रहे है
जयसिंघ-हाँ ,
पूजा - हमे भूल मत जाना
जयांघ-तूमे कैसे भूल सकता हूँ
छोटू - भैया आप जब भी शहर से वापस आएँगे तब मेरे लिए गिफ्ट लाना
जयसिंघ- सबके लिए गिफ्ट लाउन्गा
नेहा - मुझे नये नये ड्रेस चाहिए
जयसिंघ- तुझे परी जैसा सज़ा दूँगा
नीता - और मुझे
जयसिंघ- तुझे अप्सरा
पिताजी -सुनो , आज खाने मे स्वीट बनाना , जयसिंघ पास हो गया है
माजी - जी ,
पिताजी -जयसिंघ , तय्यारी करो शहर3 जाने की , मेहनत करना , और हाँ खुद को.कभी भूलना मत , तुम क्या हो ये बात हमेशा याद रखना ,
जयसिंघ-जी पिताजी
पिताजी- मेरे गले नही लगोगे
जयसिंघ को लगा कि पिताजी नाराज़ रहेंगे
पर पिताजी को खुश देख कर जयसिंघ खुश हो गया
और जयसिंघ पिताजी के गले लग गया ,
पिताजी ने ये माँ की वजह से किया
लेकिन इसी से जयसिंघ खुश हो गया
बाकी सब भी दोनो के गले लग गये
सबके दिल जयसिंघ के जाने से रो रहे थे पर चेहरे पे स्माइल थी
जयसिंघ को तो आज नया जनम.मिल गया था
जयसिंघ कल जाएगा
इस लिए सब जयसिंघ के साथ वक्त बिताने लगे
पिताजी कल के जाने का इंतज़ाम करने लगे
और बाकी सब जतसिंघ के कमरे मे थे
जल्दी ये कमरा छोटू का हो जाएगा
जयसिंघ- छोटू अब तेरे अकेले का कमरा होगा ये
छोटू- मेरे अकेले का कमरा
पूजा - बच्चू ज़्यादा खुश मत हो
छोटू- क्या मतलब ,
पूजा - इतने बड़े कमरे मे तू अकेला रहेगा , , तुझे डर नही लगेगा ,
छोटू- माँ को बुला लूँगा
पूजा - मैं आ जाती हूँ यहा पर , बड़ा कमरा है , हम साथ मे रहेंगे , मैं तुझे छोटू भी नही कहूँगी
पूजा छोटू को मस्का लगा रही थी
छोटू- मैं अकेला रहूँगा
पूजा- मैं तुझे रोज 10 पैसे दूँगी
छोटू - सच
नेहा - हाँ , मैं भी दूँगी, तू माँ को कहना कि तू पूजा दीदी के साथ रहना चाहता है
छोटू - आपने बाद में नही दिया तो
नीता- ये ले , अभी दे रही है
छोटी को सबने 10 10 पैसे दिए
छोटू- मैं अभी माँ को बता कर आता हूँ
छोटू भाग गया
जयसिंघ- तुम तीनो ने छोटू को उल्लू बना दिया
पूजा - भैया नेहा नीता बड़ी हो रही है , वो कमरा हम तीनो के लिए छोटा है
जयसिंघ- तुम तीनो यहाँ आ जाओ
नेहा - वो कमरा हम नही छोड़ेंगे
नीता- हम ने दीदी से बात की है
जयसिंघ- तुम सबके तो मज़े होंगे अब
नेहा - आपके बिना हम मज़ा कैसे कर सकते है भैया , ये आपने सोच भी कैसे
जयसिंघ- मुझे पता है तुम सब को मेरी याद आएगी
पूजा - मत जाओ ना भैया
जयसिंघ- मुझे जाना हॉंगा , मैं ये हम सबके लिए कर रहा हूँ ,
नेहा - क्या मतलब
जयसिंघ- देखो जमाना कहाँ से कहाँ चला गया है
नेहा - तो
जयसिंघ -हमे भी जमाने के साथ बदलना चाहिए
पूजा - बदल तो रहे हैं ना
जयसिंघ- तुम संज्झी नही , शहर मे जाकर देखो लोग बाइक से जाते है और हमे साइकल से जाना पड़ता है
नेहा - भैया साइकल पे कितना मज़ा आता है
जयसिंघ- तुम अभी बच्ची हो, तुम नही समझोगी ,
नीता- समझा दो ना भैया
जयसिंघ- तुम्हे कैसे समझाऊ , शहर मे सब कुछ मिलता है
नेता - क्या यहाँ जैसी मस्ती कर सकते है , क्या ऐसा प्यार मिलता है
जयसिंघ- वहाँ पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग है , बड़े बड़े घर है कुछ भी हाथों से करने की ज़रूरत नही पड़ती
पूजा - वो छोटे छोटे कपड़े पहना
जयसिंघ- वो स्टाइल है
पूजा - मैं ऐसी ठीक हूँ
नेहा -मैं भी
जयसिंघ- तुम देखना जब मैं वापस आउन्गा तो तुम भी शहर चलने की बात कहोगी
नेहा - कुछ भी हो जाए मैं गाओं छोड़ कर कही नही जाउन्गी ,
पूजा - मैं भी
नीता- नेहा नही जाएगी तो मैं भी.नही जाउन्गी
जयसिंघ- वो बाद मे देखेंगे , कल तो मैं जा रहा हूँ
नीता- आप क्यूँ जा रहे हो
जयसिंघ -हम सब के लिए जा रहा हूँ , मैं सबकी लाइफ बदल दूँगा
नेहा - मुझे नही बदलनी मेरी लाइफ , मैं ऐसी ही ठीक हूँ
जयसिंघ- वो बाद मे देखेंगे , आज की बात करो
नीता- भैया मत जाओ ना
जयसिंघ-नीता क्या तुम एक ही बात कर रही हो
नीता - आप जाओगे तो हमे स्कूल कौन लेकर जाएगा
जयसिंघ- मैं तुम्हे बड़े कॉलेज मे लेकर जाउन्गा
नेहा - भैया ,आप कल के बारे मे क्यूँ सोच रहे आज के बारे मे सोचिए ना ,
जयसिंघ- पगली मैं हमेशा के लिए थोड़ी जा रहा हूँ
नेहा - तो
जयसिंघ- एक दो साल बाद वापस आउन्गा (ग्रेजुएशन के बाद वापस आउन्गा)
नेहा -पक्का प्रॉमिस
जयसिंघ- प्रॉमिस , अब मेरी पॅकिंग करने मे मदद करो
पूजा - मैं करती हूँ ,
और सब जयसिंघ की मदद करने लगे
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भाइयो प्रूफ दे दिया है कि मैं सो नही रहा था :lol: :lol: :lol: :lol: :lol: :lol: :lol: :lol:
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Re: मैं और मेरा परिवार
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