मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ compleet

Post Reply
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »

स्कूल की छुट्टी हो गई.. वो घर आ गई मगर नीरज अब भी गायब था। वो बस सोच-सोच कर परेशान हो रही थी।
दोस्तो, बस इसी तरह दिन निकलते रहे और रोमा की सोच बस सोच बनकर ही रह गई.. क्योंकि नीरज अब उसकी सोच की गहराइयों में कहीं खो गया था।
उसका कुछ अता-पता ही नहीं था.. टीना ने उसको समझाया कि शायद उसको कोई और मिल गई होगी या उसको अपनी ग़लती का अहसास हो गया होगा.. जो वो चुपचाप यहाँ से चला गया।
रोमा के दिल में भी ऐसा ही कुछ विचार चल रहा था। अब वो भी नीरज को भूलने लगी थी। उसका डर भी अब कम हो गया था..
वो कहते है ना कि वक़्त हर जख्म को भर देता है.. जो घाव नीरज ने उसको दिए हैं वो भी कभी ना कभी भर ही जाएँगे।
हाँ.. एक बात है रोमा को कभी-कभी सेक्स की इच्छा होती है.. मगर जब उसको नीरज का ख्याल आता है तो उसकी आँखें भर आती हैं और सेक्स का ख्याल दिल से निकल जाता है।
दोस्तो, अगर आप लड़के हो तो प्लीज़ किसी कच्ची कली के चक्कर में किसी की लाइफ बर्बाद मत करना। सेक्स भगवान का दिया हुआ एक अ नमोल तोहफा है। सेक्स करो.. मगर ज़बरदस्ती या किसी को मजबूर करके नहीं.. और अगर इंसान हो तो किसी एक
के साथ वफ़ा करो.. अलग-अलग के साथ तो जानवर करते हैं। लड़कियां भी ये जान लें कि प्यार अँधा होता है.. मगर पागल नहीं.. दिमाग़ इस्तेमाल करें.. अपने प्रेमी को खुश करने के लिए ऐसा कदम ना उठाएं कि सारी जिंदगी आपको पछताना पड़े.
इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब सब नॉर्मल हो गए थे.. तो चलो नये दिन की शुरूआत ख़ुशी के साथ करते हैं।

आज रविवार का दिन है.. मीरा और राधे सुकून की नींद सोए हुए हैं तभी ममता आ गई और अपनी आदत से मजबूर मीरा के कमरे को ठोकने लगी।
ममता- बीबी जी उठो.. अब तक सो रही हो.. मुझे आपसे जरूरी बात करनी है।
मीरा और राधे की आँख खुल गईं, मीरा नींद में उठी और दरवाजा खोल दिया।
मीरा- क्या है ममता.. आज रविवार है मुझे कौन सा स्कूल जाना है.. क्यों परेशान कर रही हो?
ममता जल्दी से आगे बढ़ी और उसने मीरा को गले से लगा लिया और उसको चूमने लगी।
ममता- बीबी जी आज में बहुत खुश हूँ.. मैं माँ बनने वाली हूँ। यह सब आपकी कुर्बानी का नतीजा है, मैं माँ बनने वाली हूँ ओह्ह…
उसकी बात सुनकर मीरा की नींद उड़ गई वो भी बहुत खुश हो गई और राधे भी बिस्तर पर बैठा मुस्कुराने लगा।
जब ममता ने राधे को देखा तो ख़ुशी के मारे वो उसके लिपट जाने को बेताब हो गई और मीरा को अलग करके वो राधे की ओर भागी.. मगर फ़ौरन ही उसको अहसास हो गया कि मीरा वहीं है और वो रुक गई।
ममता की हालत का अहसास मीरा को हो गया तो वो हँसने लगी।
मीरा- हा हा हा अरे ममता डर मत.. आज तो ख़ुशी का मौका है.. जा लिपट जा अपने होने वाले बच्चे के बाप से.. हा हा.. इसके बाद तो मैं तुमको मेरे राधे को छूने भी नहीं दूँगी।
ममता- बीबी जी आप क्या.. साहेब जी ने खुद यही कहा था कि जब बच्चा ठहर जाएगा.. तो वो मुझे स्पर्श भी नहीं करेंगे सच्ची आप बहुत भाग्यशाली हो.. जो आपको इतना प्यार करने वाला पति मिला।
मीरा- हाँ जानती हूँ ममता.. अभी मैं नहाने जा रही हूँ.. तुम दिल खोल कर अपने अरमान निकाल लो.. क्योंकि ये सब मैंने तुम्हें ख़ुशी देने के लिए किया था। अब आगे अगर ये रिश्ता बना रहा तो इंसानियत और शराफ़त के साथ धोखा होगा। अभी तो शायद भगवान हमें माफ़ कर दे.. क्योंकि एक अच्छे काम के लिए हमने गंदा काम किया है.. मगर इसके आगे सिर्फ़ वासना होगी.. जिसकी माफी कभी नहीं मिलती।
ममता ने भी मीरा की ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई… वो सच्ची बहुत खुश थी। हाँ दिल के एक कोने में उसके यह अहसास भी था कि अब उसको राधे के मस्त लौड़े का मज़ा नहीं मिलेगा.. मगर बच्चे की सोच कर उसका दिल खुश हो गया।

मीरा बाथरूम चली गई तो ममता ख़ुशी के मारे राधे से लिपट गई और राधे ने भी उसको मुबारकबाद दी।
तीनों ने मिलकर नाश्ता किया। हाँ दिलीप जी सुबह-सुबह कहीं बाहर निकल गए थे.. तो ये खुलकर बातें कर रहे थे और हँस रहे थे।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »

चलो दोस्तो, यहाँ तो सब ठीक है। रोमा के हाल जान लेते हैं।
रोमा की माँ ने उसको उठाया और कहा- अरे रविवार है तो क्या हुआ.. तू सोती रहेगी क्या.. मुझे मार्केट जाना है.. तू नाश्ता कर ले।
रोमा ने कहा- मुझको टीना के घर जाना है.. कल से हम लोगों के टेस्ट हैं तो आज पूरा दिन मैं टीना के साथ स्टडी करूँगी।
तो उसकी माँ ने कहा- तो ठीक है.. जल्दी से तैयार हो ज़ा.. हम साथ ही निकलेंगे।
बस रोमा उठी और फटाफट तैयार हो गई.. नाश्ता किया और माँ के साथ निकल गई और पहुँच गई सीधे टीना के घर के पास.. मगर उसका सामना बाहर ही आयुष से हो गया।
आयुष- हाय रोमा कैसी हो?
रोमा- मैं ठीक हूँ.. आप बताओ.. कैसे हो.. टीना उठ गई क्या?
आयुष- मैं एकदम अच्छा हूँ.. तुमसे कुछ बात करनी थी।
रोमा को पता था आयुष क्या कहना चाह रहा था.. मगर अब उसको प्यार के नाम से नफ़रत हो गई थी।
रोमा- देखो आयुष.. प्लीज़ बुरा मत मानना। मैं जानती हूँ तुम्हें क्या बात करनी है.. प्लीज़ मेरा ख्याल दिल से निकाल दो.. मुझे इन सब में कोई दिलचस्पी नहीं है।
आयुष- अरे मेरे कहे बिना तुम कैसे बोल सकती हो.. कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
रोमा- अच्छा तो तुम अपने मुँह से बता दो।
रोमा थोड़ी चिड़चिड़ी सी हो गई थी।
आयुष- देखो रोमा मुझे पता है.. टीना ने तुम्हें मेरे बारे में कहा था और तुमने सोचने का समय माँगा था। मगर आज मैं अपने दिल की नहीं तुम्हारे दिल की बात कहना चाहता हूँ।
रोमा- मेरे दिल की क्या बात है?
आयुष- मैं जानता हूँ.. तुम किस मुसीबत में फँस गई थी और बड़ी मुश्किल से जान बची है.. मगर एक इंसान को देख कर सभी को बुरा समझना.. यह ठीक नहीं है। भले ही तुम मुझसे प्यार ना करो.. मगर हम अच्छे दोस्त तो बन सकते हैं ना?
आयुष के मुँह से ये बात सुनकर रोमा को झटका लगा कि टीना ने आयुष को सब बता दिया है।
रोमा- आयुष प्लीज़ इस टॉपिक पर मुझे कोई बात नहीं करनी और ना ही मुझे दोस्ती करनी है.. हटो मेरे सामने से.. मुझे टीना से मिलना है।
रोमा गुस्से में अन्दर चली गई। टीना उस समय चाय पी रही थी.. उसने रोमा को चाय के लिए पूछा.. मगर उसने मना कर दिया और मौका देख कर टीना को कमरे में ले गई।
टीना- अरे क्या हुआ.. बता तो.. ऐसे गुस्से में मुझे क्यों अन्दर ले आई?
रोमा- टीना हमने वादा किया था कि वो बात किसी को नहीं बताएँगे और तूने अपने भाई को बता दी.. छी:.. तुम्हें उसको वो सब बताते हुए शर्म नहीं आई।
टीना- तेरा दिमाग़ खराब हो गया है.. भला में क्यों बताऊँगी?
रोमा ने टीना को पूरी बात बताई तो टीना हैरान हो गई।
टीना- नहीं नहीं.. कुछ तो गड़बड़ है.. भाई को कैसे पता चला?
रोमा- तुमने नहीं बताई तो क्या नीरज ने बताई होगी.. मगर वो तो लापता हो गया है या कहीं ऐसा तो नहीं आयुष ने उसको कुछ कर दिया हो.. जब उसको पता लगा कि वो तुम्हारे साथ गलत करना चाहता था।
रोमा की बात सुनकर टीना को भी ऐसा ही लगा.. वो झट से बाहर गई और उसको आयुष घर के बाहर खड़ा मिल गया।
टीना ने उसको अन्दर बुलाया और उससे पूछा- भाई तुमको कैसे पता लगा कि रोमा मुसीबत में है?
आयुष- देख टीना, यहाँ खड़े होकर ये बात नहीं होगी.. चल अन्दर चल.. मैं सब बताता हूँ।
टीना के साथ आयुष को आता देख कर रोमा सवालिया नज़रों से उनको देखने लगी।
टीना- भाई प्लीज़.. बताओ आपको कैसे पता लगा और नीरज के साथ आपने कुछ किया तो नहीं ना?
आयुष- हैलो.. मैं क्या करूँगा उसके साथ.. मैंने कुछ नहीं किया.. वो अपनी मौत खुद मर गया है.. समझी..
नीरज के मरने की बात सुनते ही दोनों के चेहरे का रंग उड़ गया।
रोमा- क्या.. नीरज मर गया? कैसे.. कब..? प्लीज़ पूरी बात बताओ.. मेरा दिल बैठा जा रहा है।
आयुष- जिस आदमी ने तुम्हें इतना दुख दिया.. उसके लिए दिल बैठा जा रहा है तुम्हारा?
रोमा- नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. प्लीज़ बताओ ना.. उसको क्या हुआ था? उसके पास मेरी कुछ जरूरी चीज थी।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »


आयुष- मैं जानता हूँ रोमा.. मैं सब जानता हूँ। ऐसे तुम समझ नहीं पाओगी तो शुरू से सुनो.. उस दिन तुम और टीना बात कर रही थीं.. बस इत्तफ़ाक से मैंने तुम दोनों की बात सुन ली थीं और नीरज का कारनामा पता चला तो मुझे बहुत गुस्सा आया। उसने मेरी बहन को भी गलत करना चाहा.. यह मुझसे सहन नहीं हुआ और मैं यहाँ से निकल गया।
रोमा- मगर तुम नीरज को जानते नहीं थे तो ये सब कैसे?
आयुष- याद करो तुमने टीना को बताया था.. कि वो कहाँ रहता है? बस मैं सुनते ही अपने कुछ दोस्तों के साथ वहाँ पहुँच गया.. मगर मामला ऐसा था कि मैंने अपने दोस्तों को कुछ नहीं बताया था। बस कुछ बहाना करके उनको वहाँ ले गया।
टीना- ओह.. भाई आपने कुछ किया तो नहीं ना.. प्लीज़ बताओ..
आयुष- अरे सुन तो.. हम वहाँ पहुँचे तो वो कहीं जा रहा था। मैंने उसको देखा नहीं था.. मगर मुझे लगा शायद यही वो होगा.. तो हमने उसका पीछा किया। वो पुणे गया था उस दिन..
आयुष ने उस दिन का सारा हाल सुनाया जिसको सुनकर दोनों हैरान हो गईं।
टीना- छी: कितना गंदा इंसान था वो.. अच्छा हुआ मर गया..
रोमा- वो लड़की कौन थी?
आयुष- अरे सुनो तो पूरी बात.. हम उसको हॉस्पिटल ले गए और रास्ते में मैंने उसका फ़ोन अपने पास रख लिया।
रोमा- ओह.. थैंक्स.. कहाँ है..? प्लीज़ मुझे दे दो।
आयुष- रोमा मुझे पता था उसमें जो है.. वो अच्छा नहीं है.. मैं कोई बुरा इंसान नहीं.. जो उसको अपने पास रखता। मैंने आते समय उसको पानी में फेंक दिया था।
टीना- ओह्ह.. भाई आप सच्ची बहुत अच्छे हो..
रोमा- थैंक्स आयुष..
आयुष- अरे ठीक है.. आगे तो सुनो.. हॉस्पिटल में वो लड़की दोबारा उसका हाल जानने आई। तब वो मुझसे मिली तो मैंने उसको बता दिया कि वो मर गया और अब सबको मालूम है कि नशे की हालत में रोड पर आ गया था और मर गया।
रोमा- ओह्ह.. मगर वो लड़की थी कौन.. उसने कुछ बताया नहीं क्या?
आयुष- अरे बताया ना सब.. और मैंने भी उसको सब बताया।
टीना- क्या बताया भाई?
आयुष ने राधे और मीरा के बारे में बताया और ये भी बताया कि मीरा घर जाकर राधे को नहीं बताएगी.. क्योंकि वो अपने दिल पर इस बात को लेकर बैठ जाएगा।
रोमा- ओह्ह.. माय गॉड.. वो इतना गिरा हुआ था.. छी: मैंने कैसे उस पर विश्वास कर लिया.. उउउ.. उउउ.. मेरी लाइफ बर्बाद हो गई उउउ.. उउउ..
आयुष ने जल्दी से आगे बढ़कर रोमा के कंधे पर हाथ रखा।
टीना वहाँ से उठकर बाहर चली गई शायद इस हालत में उसका बाहर जाना ही ठीक था।
आयुष- नहीं रोमा.. प्लीज़ मत ऐसे रो.. चुप हो जाओ.. उसने तुम्हारा इस्तेमाल किया। उसकी सज़ा भगवान ने उसको दे दी.. प्लीज़ चुप हो जाओ..
रोमा- नहीं आयुष.. उसने मुझे बर्बाद कर दिया है, अब में किसी के काबिल नहीं रही।
आयुष- रोमा प्लीज़.. बुरा मत मानना.. मैं कल भी तुम्हें दिल से चाहता था और आज भी मेरे दिल में तुम्हारे लिए वही है.. आई लव यू रोमा..
रोमा- नहीं नहीं.. आयुष.. मैं अब तुम्हारे काबिल नहीं रही। मैंने खुद अपनी इज्जत उसके हवाले कर दी थी। अब मैं किसी के लायक नहीं हूँ।
आयुष- रोमा प्यार दिल का रिश्ता होता है.. ये सब बकवास बात है। मुझे तुमसे प्यार है.. तुम्हारे जिस्म से नहीं.. प्लीज़ मुझे ‘ना’ मत कहो। मैं जिंदगी भर तुम्हें प्यार करूँगा। तुम उसको भूल जाओ.. सब भूल जाओ..
रोमा- नहीं आयुष.. कहना आसान है.. कल अगर नीरज को लेकर तुम्हारे दिल में कोई बात आएगी.. तो आज जो मेरा हाल है.. उस वक़्त उससे भी बुरा होगा।
आयुष- रोमा मैं अपनी बहन से हद से ज़्यादा प्यार करता हूँ.. मैं उसकी कसम ख़ाता हूँ। मैं कभी तुम्हें इस बात को याद नहीं आने दूँगा.. ना मैं कभी इस बात का जिक्र करूँगा।
रोमा- नहीं आयुष.. प्लीज़ नहीं.. ऐसा नहीं हो सकता..
आयुष- मान जाओ रोमा.. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगा.. मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ.. तुम्हें दुखी नहीं देख सकता। अगर तुमने ‘ना’ कहा तो मैं मर जाऊँगा।
रोमा ने जल्दी से आयुष के होंठों पर हाथ रख दिया- नहीं आयुष.. ऐसा मत कहो.. तुमको मेरी भी उमर लग जाए.. तुमने मुझे दलदल से बाहर निकाला है। तुम देवता हो.. और मैं कुचला हुआ फूल हूँ। समझो बात को.. कुचले हुए फूल देवता के चरणों में नहीं चढ़ाए जाते।
आयुष- नहीं.. मैं एक आम इंसान हूँ और तुम्हें दिल से चाहता हूँ। ये सब बकवास बात है.. आई लव यू रोमा..
आयुष की बेपनाह मोहब्बत ने रोमा को मजबूर कर दिया। उसने भी आयुष को अपना लिया। अब दोनों एक-दूसरे से लिपट गए थे। आयुष से लिपट कर रोमा को बड़ा सुकून मिला।
टीना- ओ.. हैलो.. ये क्या हो रहा है भाई.. आप मेरी सहेली को क्यों सता रहे हो..
आयुष और रोमा जल्दी से अलग हुए।
आयुष- अरे कुछ नहीं.. बस ऐसे ही..
टीना- भाई आख़िर आप जीत ही गए.. आप सच में हीरो हो।
कुछ देर वहाँ ख़ुशी का माहौल रहा। आज कई दिनों के बाद रोमा खुलकर हँसी थी।
दोस्तों अब इन सबकी जिन्दगी मज़े से गुजर रही थी। हाँ कुछ दिन बाद दिलीप जी को दोबारा सीने में तकलीफ़ हुई और इस बार उनका अंतिम समय आ गया था।
पापा के जाने के बाद मीरा बहुत उदास हो गई थी.. मगर राधे उसका पूरा ख्याल रखता था।
कुछ दिनों बाद राधे ने मीरा को कहा- अब यहाँ रहना ठीक नहीं..
तो उन्होंने उस घर को भी बेच दिया और दूसरे शहर में जाकर शादी कर ली। अब वो समाज के सामने पति-पत्नी बनकर आराम से रह सकते थे। वहाँ किसी को पता नहीं था कि ये दोनों कौन हैं।
इधर आयुष और रोमा की मोहब्बत परवान पर थी। दोनों खूब बातें करते और घूमते-फिरते थे। रोमा की माँ को भी आयुष पसन्द था.. तो उन्होंने आयुष की माँ से मिलकर उनके रिश्ते की बात कर ली और कहा- जब दोनों की पढ़ाई पूरी हो जाएगी.. तब इनकी शादी कर देंगे।
बस अब तो दोनों को मिलने के लिए कोई दिक्कत नहीं थी। मगर ‘हाँ’ आयुष ने कभी रोमा के साथ कोई गंदी बात नहीं की। यहाँ तक की एक किस भी नहीं किया। उसका मानना था.. ये सब शादी के बाद ज़्यादा अच्छा रहेगा।
दूसरे शहर जाकर भी मीरा और राधे ममता को भूले नहीं थे। वो उसका हाल जानने के लिए कभी-कभी उससे फ़ोन पर बात कर लेते थे।
ममता ने भी सोच लिया था कि अगर बेटा होगा तो उसका नाम राधे और बेटी होगी तो नाम मीरा रखेगी।
बस दोस्तो.. अब इस कहानी में कुछ नहीं बचा है.. मैंने पूरी कोशिश की है कि सब बात बता दूँ.. फिर भी अगर कोई ग़लती हुई हो.. तो आप सबसे माफी मांगती हूँ।
एक बात कहना चाहती हूँ.. कुछ लोग कहेंगे कि असली राधा का क्या हुआ..? तो दोस्तों इंडिया में रोज बच्चे खोते हैं.. अब वो कहाँ जाते हैं.. ये तो आप सब जानते हो। इसका जबाव देना जरा मुश्किल है। राधा भी इस भीड़ में कहीं ना कहीं होगी।
इस कहानी का असली मकसद ये बताना था कि भगवान को सब पता होता है.. वो किसी को अजीब किसी खास मकसद के लिए बनाता है.. जैसे राधे को बनाया.. तो प्लीज़ कभी ऐसा मत सोचना कि मैं ऐसा क्यों हूँ.. ये सब भगवान की लीला है!!
तो सभी खुश रहो और दूसरों को खुश रखो और प्लीज़ कभी किसी को मजबूर मत करो.. कभी किसी को तकलीफ़ मत दो.. जो जैसा करेगा.. वैसा ही भरेगा।

एंड

समाप्त
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
User avatar
VKG
Novice User
Posts: 245
Joined: 19 Jun 2017 21:39

Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ compleet

Post by VKG »

I like it
@V@
Post Reply