मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ compleet

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Jemsbond
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »

नीरज ने जल्दी से फ़ोन दोबारा उठा लिया और उस सीन को रिकॉर्ड करने लग गया, रोमा अपनी धुन में लगी रही।
नीरज- आह्ह.. चूस मेरी जान.. आह्ह.. ले पूरा मुँह में ले.. आह्ह.. तू साली बहुत कमाल का चूसती है।
कुछ देर तक रोमा लंड को चूस कर मज़ा लेती रही.. उसके बाद उसकी चूत की गर्मी बढ़ गई.. तो वो घोड़ी बन गई और उसने नीरज से कहा- जल्दी से घुसा दो लौड़ा.. अब बर्दाश्त नहीं होता..
नीरज ने जल्दी से फ़ोन सैट किया और रोमा की ताबड़तोड़ चुदाई में लग गया।
रोमा- आह्ह.. आह्ह.. चोदो मेरे जानू.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. अफ सस्स एयेए..
नीरज स्पीड से रोमा को चोद रहा था और उसकी गाण्ड पर हाथ घुमा रहा था।
नीरज- आह्ह.. ले जान.. उफ़फ्फ़ तेरी गाण्ड भी बहुत मस्त है.. आह्ह.. आज इसका भी मुहूरत कर ही देता हूँ.. आह्ह.. आह्ह..
रोमा- वो बाद की बात है.. आह्ह.. फास्ट.. फास्ट.. अफ चोदो आह..
करीब 20 मिनट तक नीरज रोमा को पेलता रहा.. उसके बाद दोनों ठंडे पड़ गए और आराम से लेट गए।
दोस्तो, 20 मिनट का यह खेल कैमरे में कैद हो गया या यूँ कहो कि रोमा की जिंदगी कैद हो गई। अब यह वीडियो क्या खेल दिखाएगा.. ये तो वक़्त आने पर पता लग ही जाएगा।
नीरज और रोमा ठंडे पड़े हुए बस एक-दूसरे को देख रहे थे.. पता नहीं क्या सोच कर रोमा हँसने लगी।
नीरज- अरे क्या हुआ मेरी जान.. तुम क्यों हंस रही हो?
रोमा- कुछ नहीं अपने लौड़े को देखो.. कैसे मुरझा कर दोनों पैरों में घुसा हुआ है जैसे मुझसे डर रहा हो।
नीरज- अच्छा इसलिए हँसी आ रही है.. ये डर नहीं रहा.. बस जरा नाराज़ है तुमसे.. समझी..
रोमा- अरे नाराज़ क्यों होगा भला.. अभी तो इसने चूत का मज़ा लिया है।
नीरज- नहीं.. ये कह रहा है.. इतने दिन से बस चूत का मज़ा दे रही है.. अपनी मखमली गाण्ड में क्यों नहीं घुसवाती मुझे..
रोमा- नहीं नीरज प्लीज़.. तुम्हें मेरे प्यार की कसम है.. तुम गाण्ड का नाम भी मत लेना..
नीरज- अरे तुमने इतनी सी बात के लिए कसम दे दी जान..
रोमा- यह इतनी सी बात नहीं है.. प्यार में मैंने अपनी चूत तुमको दे दी.. अब जब हम शादी करेंगे.. तो सुहागरात में क्या नया होगा.. कुछ भी तो नहीं ना.. बस ऐसे ही चुदाई और क्या?
नीरज- मैं कुछ समझा नहीं.. गाण्ड का सुहागरात से क्या सम्बन्ध?
रोमा- है मेरे जानू.. ज़रा सोचो.. अगर उस रात तुम मेरी चूत के बजाय गाण्ड मारोगे.. तो तुमको कितना मज़ा आएगा और मुझे दर्द होगा तभी तो लगेगा ना.. हमारी सुहागरात बनी है.. समझे तुम?

नीरज- चल ठीक है.. तुमने कसम दी तो मैं मान लेता हूँ.. मगर एक और बात है जो तुम्हें आज ही करनी होगी..
रोमा- गाण्ड नहीं मरवाऊँगी.. इसके अलावा जो कहोगे कर लूँगी.. बोलो..
अरे बस बस बस.. ब्रेक लगाओ यार.. वहाँ मेन हेरोइन गुस्से में लाल है.. और आप लोग यहाँ बैठे हो.. चलो अब यहाँ से यार.. कुछ तो रहस्य बाकी रहने दो.. कि नीरज क्या कहेगा.. तो चलो वहाँ का हाल देख लेते हैं।
राधे ज़बरदस्ती मीरा को कमरे में ले गया और बिस्तर पर बैठा दिया।
मीरा- राधे क्या है ये.. छोड़ो मेरा हाथ.. यहाँ क्यों लाए मुझे?
राधे- मेरी जान.. गुस्से को काबू करो.. ऐसा क्या हो गया.. जो तुम आग बबूला हो रही हो?
मीरा- उस ममता ने क्या किया.. तुम नहीं जानते.. क्या ऐसे कैसे अन्दर आ गई.. और मेरे सामने तुम्हारा लौड़ा चूस रही थी.. छी: उसको ज़रा भी शर्म नहीं आई?
राधे- अरे इतना भी कोई पहाड़ नहीं टूट गया.. तूने ही तो उसको मुझसे चुदवाया है.. अब उसने लौड़ा चूस लिया तो क्या हो गया.. समझो..
मीरा- हाँ.. मैंने उसकी भलाई के लिए ऐसा किया.. मगर उसको सोचना चाहिए कि हम पति-पत्नी हैं.. शादी नहीं हुई तो क्या हुआ.. दिल से मैंने आपको पति मान लिया है और दुनिया की कोई भी औरत अपने सामने अपने पति को किसी और के साथ नहीं देख सकती।
राधे- अरे बाप रे.. तू तो आज डेंजर जोन में चली गई.. अच्छा ठीक है उसको प्यार से समझा देंगे.. देख मेरी जान.. पापा को कुछ ना पता लगे इसलिए ममता को खुश रखना होगा.. कहीं जल्दबाज़ी में लिया फैसला हमारे लिए गलत हो सकता है.. तुम समझ गई ना.. अब चलो मूड ठीक करो.. वो बेचारी खुद बहुत ज़्यादा डरी हुई है।
मीरा- हाँ तुमने ठीक कहा… पता नहीं मुझे इतना गुस्सा क्यों आ गया.. चलो अब नास्ता करते हैं.. बहुत भूख लगी है.. वैसे भी रात को तुम जल्दी सो गए थे क्या?
राधे- मैं नहीं जानेमन.. तुम सो गई थीं.. मेरा लौड़ा तो ‘टन.. टन..’ करता रह गया। एक बार मैं इसकी भूख कहाँ मिटने वाली थी.. तू तो सो गई.. मरता क्या ना करता.. मैं भी सो गया..
मीरा- अले.. अले.. मेले भोले आशिक को तकलीफ़ हुई होगी..
राधे- बस बस.. अब मेरा मूड बिगड़ जाएगा.. तुम तो ममता को गुस्सा करोगी नहीं.. मैं तुम पर चढ़ जाऊँगा..
मीरा- तो चढ़ जाओ ना मेरे आशिक.. रोका किसने है?
राधे- सुबह-सुबह मस्ती में आ गई क्या.. अभी तो तुम गुस्से में लाल हो रही थीं।
मीरा- अरे सॉरी मेरे आशिक.. रात को ज़्यादा पी गई.. होश ही नहीं रहा मगर तुम तो होश में थे ना.. मैं सो गई तो क्या था.. लौड़ा घुसा देते मेरी चूत में.. मैं उठ जाती..
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »

राधे- नहीं मीरा.. मैंने पहले भी कहा था मैं तुमसे सच्चा प्यार करता हूँ। ऐसी हरकत वो करते हैं जिनको सिर्फ़ जिस्म की भूख होती है.. उनका प्यार एक हवस होता है.. मैं तुम्हारे जिस्म से नहीं.. तुमसे प्यार करता हूँ।
राधे की बात सुनकर मीरा बहुत खुश हो गई और ‘आई लव यू राधे’ कह कर उसके लिपट गई।
अब दोनों साथ-साथ बाहर गए और ममता को देख कर हँसने लगे क्योंकि बेचारी वो बहुत डरी हुई थी। मीरा ने उसे प्यार से समझा दिया कि उसके स्कूल जाने के बाद जो चाहो करो.. मगर उसके सामने ऐसी हरकत दोबारा मत करना।
तो बस सब ठीक हो गया।
मीरा ने नाश्ता किया और स्कूल चली गई। इधर राधे तो रात का भूखा था.. वो कहाँ ममता को छोड़ने वाला था। बस मौका मिला नहीं.. कि ममता को ले गया कमरे में.. और शुरू हो गया चुदाई में..
दोस्तो, अब यहाँ की चुदाई होने दो.. रोज-रोज नहीं लिखूँगी.. वहाँ कुछ नया होगा तो वो देख लेना।
रोमा बस टकटकी लगाए नीरज को देख रही थी कि अब क्या बोलेगा..
नीरज- अरे क्या हुआ मेरी जान.. ऐसे क्या देख रही हो.. कोई बहुत बड़ा काम नहीं है.. बस आज मेरे लौड़े को चूस कर ठंडा कर दो.. तो मज़ा आ जाएगा।
रोमा- ओह्ह.. बस इतनी सी बात.. मैं डर गई थी.. क्या पता क्या कहोगे..
नीरज- तुम समझी नहीं जान.. लौड़े को मुँह में ठंडा करना है.. इसका रस पीना होगा.. अब ‘ना’ मत कहना..
इतने दिनों से रोमा लौड़े को चूस कर आदी हो गई थी.. थोड़ा-थोड़ा रस जो आता है.. उसको चाट भी चुकी थी.. तो अब उसको पूरा रस पीने में घिन नहीं आएगी.. यही सोच कर नीरज ने सब कहा।
रोमा- अरे ये क्या बात हुई.. चूस कर निकाल दूँगी ना.. लेकिन पीना होगा ये नहीं.. प्लीज़…
नीरज- अरे यार.. अब बस भी करो.. हर बार ना-ना.. कभी तो एक बार में मान लिया करो.. और वैसे भी कई बार लौड़े की चुसाई के वक्त थोड़ा रस तो गटक ही चुकी हो.. समझी..
रोमा- अच्छा मेरे जानू.. माफ़ करो.. लाओ आज इस निगोडे लंड को मुँह में ठंडा करती हूँ।
नीरज तो यही चाहता था.. तो बस वो बिस्तर पर पैर लटका कर बैठ गया और रोमा सोए हुए लौड़े को मुँह में लेकर जगाने लगी।
नीरज- गुड माय स्वीट जान.. ऐसे ही चूसती रहो.. आह्ह.. खड़ा हो रहा है मेरा राजा बाबू.. आह्ह.. चूस..
रोमा अब लौड़ा चुसाई में एक्सपर्ट हो गई थी। वो बड़े प्यार से पूरे लंड को जड़ तक मुँह में लेती और होंठ भींच कर पूरा बाहर निकालती.. जिससे नीरज स्वर्ग की सैर करने लगा था और उसकी आँखे बन्द थीं।
नीरज- आह्ह.. ऐइ उफ़फ्फ़.. चूस मेरी जान.. बहुत मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. तू बहुत आह्ह.. अच्छा चूस रही है.. तेरी चूत से ज़्यादा मज़ा मुँह चोदने में आह्ह.. रहा है.. आह्ह.. चूस..
दस मिनट तक रोमा लौड़े को आम की तरह चूसती रही और अब आम चूसेगी तो उसमें से रस भी निकलेगा ना.. बस नीरज के आम से आमरस.. नहीं.. नहीं.. कामरस निकल कर सीधा रोमा के गले में गिरा.. जिसे बाहर निकालने का मौका भी नहीं मिला बेचारी को.. क्योंकि नीरज ने उसका सर पकड़ लिया था और ज़ोर-ज़ोर से दो-तीन झटके मुँह में मार कर वो झड़ने लगा।
नीरज- आह.. आह.. बस आह.. निकल गया जान.. आह्ह.. अब बस पूरा लंड चाट कर साफ कर दे.. आह्ह.. मज़ा आ जाएगा मुझे आह्ह.. उफ़फ्फ़..
रोमा को कामरस का टेस्ट थोड़ा अजीब लगा.. मगर इतना बुरा भी नहीं लगा। वो पूरा गटक गई और जीभ से लौड़े को चाट-चाट कर साफ कर दिया।

उस वक्त नीरज के चेहरे की ख़ुशी देखने लायक थी.. और रोमा तो अंधविश्वास.. अरे नहीं.. नहीं.. लंड विश्वास में अंधी हो गई थी। उसको तो सब सावन के अंधे की तरह हरा-भरा नज़र आ रहा था। मगर नीरज जैसा हरामी उसको सच्चा प्यार करेगा.. ये वो नहीं जानती थी.. हाँ हो सकता है कि नीरज का दिल बदल जाए.. मगर ऐसा होगा या नहीं.. ये बात बाद में पता लग जाएगी। आज आप इसके बारे में सोच कर मज़ा खराब मत करो।
नीरज ने रोमा को पकड़ा और उसको गले से लगा लिया- ओह्ह.. माय स्वीट जान.. तुमने आज मुझे खुश कर दिया।
रोमा- हाँ जानू.. मुझे भी बहुत मज़ा आया आज..
नीरज- अच्छा रोमा.. तुम्हारी मॉम आज आएगी नहीं.. तो तुम अकेली घर में कैसे रहोगी?
रोमा- मॉम ने कहा है.. या तो मैं टीना के घर चली जाऊँ या उसको अपने घर बुला लूँ.. मगर मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी..
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »

टीना का नाम सुनते ही नीरज की आँखों में चमक आ गई.. उसके दिल से आवाज़ आई कि एक और कुँवारी चूत का बंदोबस्त हो सकता है।
नीरज- तो तुम क्या करोगी?
रोमा- अरे मेरे जानू.. आज पूरा दिन और पूरी रात मैं तुम्हारे साथ रहूँगी.. खुल कर मज़ा करेंगे.. कोई टेन्शन नहीं है।
नीरज- नहीं नहीं.. तुम घर नहीं जाओगी तो पड़ोस वाले तुम्हारी माँ को बोल देंगे।
रोमा- अरे मैं उनसे कह दूँगी.. मैं टीना के घर थी।
नीरज- अरे मेरी भोली रोमा.. ऐसा कहोगी तो तुम्हारी मॉम टीना के घर जाएगी उसकी माँ का शुक्रिया अदा करने.. कि तुमको रात वहाँ रखा।
रोमा- अरे हाँ.. ये तो मैंने सोचा ही नहीं… हाँ, माँ जरूर वहाँ जाएगी।
नीरज- देख शाम तक तू मेरे साथ मज़े कर.. उसके बाद टीना को अपने घर लेकर जा.. रात को मैं चुपके से तुम्हारे घर आ जाऊँगा। उसके बाद वहीं मज़ा करेंगे ना..
रोमा- आप पागल हो गए हो क्या.. टीना को कहाँ कुछ पता है और उसके सामने कैसे होगा?
नीरज- तू बहुत भोली है.. उसको पता नहीं चलेगा.. उसके सो जाने के बाद मैं आऊँगा।
रोमा- नहीं नहीं.. वो उठ गई तो.. ना बाबा.. मैं ऐसा रिस्क नहीं ले सकती..
नीरज- अच्छा सुन.. मेरे पास नींद की दवा है.. तू उसको सोने के पहले किसी तरह वो दवा दे देना.. उसके बाद सुबह तक वो आराम से सोती रहेगी और हम पति-पत्नी की तरह पूरी रात मज़ा करेंगे।
रोमा- मगर ये सब ठीक नहीं होगा नीरज तुम..
नीरज- अरे अगर-मगर को मारो गोली.. ये सबसे बेस्ट आइडिया है.. मुझे तुम्हारे घर से ज़्यादा सेफ जगह नहीं दिख रही।
रोमा- नहीं अभी बहुत वक्त है.. रात होने में.. और शाम तक हम बहुत बार चुदाई कर सकते हैं उसके बाद तो थक जाएँगे ना.. फिर रात को कहाँ मूड बनेगा।
नीरज को लगा रोमा सही कह रही है मगर उसकी नज़र तो टीना पर थी और वो हरामी नंबर वन था। झट से उसके शैतानी दिमाग़ में आइडिया आ गया।
नीरज- अरे मेरी जान.. अगर शाम तक मैं तुम्हें चोद सकता तो कभी नहीं कहता ये बात, मुझे बहुत जरूरी काम से अभी जाना होगा.. अब एक बार तो चुदाई की हमने.. कहाँ मज़ा आया.. रात को पूरा मज़ा लेंगे ना..
रोमा- लेकिन कुछ देर पहले तो तुमने कहा था कि शाम तक मज़ा करेंगे?
नीरज- अरे मैं भूल गया था.. मेरे अंकल आने वाले हैं.. नहीं तो तुमको रात यहाँ ना रोक लेता.. अब तू सोच मत.. बस ‘हाँ’ कह दे..
रोमा बेचारी कहाँ उसके नापाक इरादों को जानती थी.. वो हर बार उसकी बातों में आ जाती.. बस उसने ‘हाँ’ कह दी।
रोमा- अच्छा बाबा.. उसको बुला लूँगी.. मगर वो दवा मुझे दे दो.. ऐसे वो उठ सकती है और हाँ एक बार और करेंगे अभी.. उसके बाद मुझे घर छोड़ आना। अब स्कूल का वक्त तो निकल ही गया है।
नीरज- अरे नहीं.. एक बार और करेंगे तो बहुत वक्त हो जाएगा.. अंकल कभी भी आ सकते हैं।
रोमा ने बहुत कहा मगर नीरज नहीं माना और उसको कपड़े पहना कर उसके घर के पास छोड़ आया। उसको नींद की दवा भी दे दी और खुद वहाँ से चला गया।
जाते हुए वो रोमा के उदास चेहरे को देख कर मुस्कुरा रहा था और अपने लौड़े पर हाथ रख कर बड़बड़ा रहा था।
नीरज- मेरी जान.. मैं जानता हूँ.. तू अधूरी रह गई.. मगर अभी तुझे पूरी कर देता तो तू रात को टीना को नहीं बुलाती और मुझे एक कच्ची चूत से हाथ धोना पड़ जाता। अब तू देख आज की रात में कैसे दो चूतों की सवारी करता हूँ।
हैलो दोस्तो.. कहाँ खो गए.. यह कहानी तो अजीब ही होती जा रही है.. मगर आपको मज़ा भी खूब आ रहा होगा ना.. तो अब रात का इन्तजार करो.. तब तक राधे के हाल देख लो।
ममता की चूत और गाण्ड को जम कर चोदने के बाद अब राधे आराम से लेटा हुआ था और ममता भी नंगी उसके सीने पर सर रख कर पड़ी थी.. तभी फ़ोन की घंटी बजी..



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राधे- अरे मेरी जान.. जा देख.. किसका फ़ोन है?
ममता गई और फ़ोन उठाया तो दिलीप जी का फ़ोन था और वो राधा से बात करना चाहते थे।
ममता ने राधे को बताया और वो पापा से बात करने चला गया या गई।
कुछ देर बात करने के बाद राधे के चेहरे पर अलग ही भाव आ गए.. वो कुछ परेशान सा दिख रहा था।
ममता- क्या हुआ मेरे राजा जी.. पापा ने कहीं कोई लड़का पसन्द कर लिया क्या?
राधे- अरे नहीं.. तू हर बार ऐसा क्यों सोचती है… चल कपड़े पहन ले और खाना बना ले.. तब तक मीरा भी आ जाएगी।
ममता- अरे हुआ क्या.. कुछ बताओ भी मुझे?
राधे- अरे होना क्या था… पापा शाम को आ रहे हैं.. अब तू जा.. मुझे थोड़ा आराम करने दे।
ममता अपने काम में लग गई और राधे बिस्तर पर बैठा कुछ सोचने लग गया।
दोपहर को जब मीरा आई.. तब राधे कमरे में आराम कर रहा था और ममता बर्तन साफ कर रही थी। उसने मीरा को बता दिया कि पापा का फ़ोन आया था उसके बाद राधे कुछ उदास सा लग रहा है।
मीरा- अच्छा ठीक है.. मैं बात कर लूँगी.. तुम ऐसा करो.. अभी चली जाओ हम शाम को पापा के साथ आज बाहर ही खाना खा लेंगे।
ममता- आप खाना खा लो.. मैं बर्तन साफ करके चली जाऊँगी।
मीरा- नहीं.. अभी भूख नहीं है.. तुम जाओ.. मैं कर दूँगी।
ममता- ठीक है बीबी जी.. जैसा आप ठीक समझो।
ममता जब तक चली ना गई.. मीरा वहीं रही.. उसके जाने के बाद वो कमरे में गई.. राधे सोया हुआ था।
मीरा ने कपड़े चेंज किए और राधे के पास जाकर उसके बालों को सहलाने लगी।
राधे- अरे मीरा तुम कब आईं?
मीरा- मुझे आए हुए आधा घंटा से ज़्यादा हो गया.. देखो कपड़े भी बदल लिए मैंने.. चलो अब बहुत भूख लगी है.. खाना खा लेते हैं.. मैंने ममता को घर भेज दिया है.. आज मैं अपने पति देव को अपने हाथों से खाना खिलाऊँगी।
राधे- नहीं मीरा.. मुझे भूख नहीं है.. तुम खा लो जाओ.. मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है।
मीरा- अरे उठो भी अब.. चलो मुझे पता है वो जरूरी बात.. अब खड़े हो जाओ।
राधे सवालिया नज़रों से मीरा को देख रहा था।
मीरा- क्या हुआ?
राधे- तुम्हें कैसे पता पापा से बात तो मैंने की है?
मीरा- ओहोह.. पापा जब गए तुम बाहर थे.. वो मुझे बताकर गए थे और आज उनका फ़ोन आया.. उन्होंने तुमको भी वही कहा होगा.. बस यही ना?
राधे- नहीं तुम्हें नहीं पता.. कुछ भी नहीं समझी..
मीरा- सब पता है.. तुमको सुनना है तो सुनो.. पापा ने कहा कि बेटी अब मुझसे भाग-दौड़ नहीं होती.. इसलिए मैं सारी प्रॉपर्टी बेचने जा रहा हूँ.. बस यही बात थी ना.. आज पापा ने कहा होगा.. सब काम निपटा कर वो आ रहे हैं।
राधे- हाँ यही बात है.. लेकिन इसके आगे भी है.. उन्होंने कहा शाम को वो बैंक मैनेजर के साथ घर आएँगे.. उन्होंने सब कुछ बेच कर नकद कर लिया है और शाम को हम दोनों के खातों में आधा-आधा पैसा डाल देंगे।
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

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मीरा- अरे तो इसमे टेन्शन वाली क्या बात है.. सब कुछ हमारा ही तो है.. तुम भी ना..
राधे- नहीं मीरा.. ये पैसा हमारा नहीं.. तुम्हारा है.. मैं तो बस एक बहुरूपिया हूँ.. प्लीज़ किसी भी तरह पापा को समझाओ.. मुझे पैसा नहीं.. बस तुम चाहिए..
मीरा- अरे बुद्धू.. मेरे पास रहेंगे.. तब भी हमारे होंगे ना.. अब पापा को थोड़ी पता है कि हम अलग-अलग नहीं.. एक साथ शादी करेंगे.. इसलिए उन्होंने आधा-आधा किया है..
राधे- तुम बात को समझो.. मेरे पास पैसे आएँगे.. तो गड़बड़ हो जाएगी। तुम्हें याद है वो 5 लाख.. जो मेरे पास थे.. वो नीरज ले गया।
राधे ने पूरी बात मीरा को बताई।
मीरा- तुम उसे कुछ मत बताना.. उसके इरादे ठीक नहीं लगते और वो पैसे उसी के थे.. जो वो ले गया.. मुझे तुम मिल गए उसकी वजह से..
सॉरी दोस्तों.. आप सोच रहे होंगे.. मैं क्या फालतू बात लेकर बैठ गई। दोस्तो, अब सब चुदाई हो गई कहानी में.. ये बात भी अहम है.. तो आपको बता रही हूँ.. चलो अब आगे देखो..
काफ़ी देर तक दोनों में बातें होती रहीं.. इस दौरान उन्होंने खाना भी खा लिया और बस बातें करते रहे।
शाम को सब सामान्य रहा.. दिलीप जी आ गए और करोड़ों रुपये दोनों बहनों के नाम डाल दिए.. बस घर को नहीं बेचा मगर वो भी दोनों के नाम कर दिया।
राधा- पापा अपने ये सब क्यों किया? इतनी भी क्या जल्दी थी आपको?
दिलीप जी- बेटी मैं दिल का मरीज हूँ.. कभी भी कुछ भी हो सकता है.. मेरे बाद तुम दोनों कहाँ भागती फ़िरोगी.. अगर तुम लड़का होतीं.. तो कोई बात नहीं थी.. मगर आजकल के जमाने में ये सब संभाल पाना जरा मुश्किल था.. इसलिए सब बेच कर नकद तुमको दे दिए।
मीरा- क्या पापा आप भी कहाँ की बात लेकर बैठ गए.. अभी आप को बहुत साल हमारे साथ रहना है।
दिलीप जी- नहीं बेटी.. ये मुमकिन नहीं है और राधा मुझे माफ़ करना.. इतने साल तुम मुझसे दूर रही हो.. मैं तुम्हें प्यार ना दे पाया और अब भी मैं तुम्हारे साथ गलत कर रहा हूँ।
राधा- अरे पापा.. इतने सालों में जो नहीं दिया.. अब दे दो.. और मेरे साथ क्या गलत किया आपने?
दिलीप जी- तेरी शादी की उमर हो गई मगर मेरा स्वार्थ है कि तू चली जाएगी तो मीरा अकेली रह जाएगी.. तुम दोनों को एक साथ विदा करना चाहता हूँ.. मगर मीरा अभी छोटी है और जब इसकी शादी का वक़्त आएगा.. तब मैं शायद जिन्दा ना रहूँ.. तो तुम मुझसे वादा करो कि अपनी बहन का ख्याल रखोगी.. इसके पहले शादी नहीं करोगी..
राधा- पापा प्लीज़ रुलाओगे क्या.. मैं कसम खाती हूँ.. अगर मैं शादी करूँगी तो मीरा के साथ ही करूँगी.. वरना नहीं करूँगी।
मीरा- हाँ पापा हम दोनों एक साथ शादी करेंगे.. आप बेफिकर रहो..
बस-बस दोस्तो, फैमिली ड्रामा बन्द करो.. बहुत हो गया.. आपको तो ये बिल्कुल पसन्द नहीं आ रहा होगा.. मगर लाइफ में सेक्स ही सब कुछ नहीं होता.. कभी नॉर्मल स्टोरी भी पसन्द किया करो। अच्छा गुस्सा मत हो आप.. लो नहीं सुनाती.. बस चलो नीरज के पास वहाँ आपके काम का सीन आएगा।
नीरज अपनी खास दोस्त शीला के पास बैठा हुआ था।
शीला- अरे क्या हुआ मेरे राजा.. आजकल आता ही नहीं.. लगता है उस लड़की को बराबर ठोक रहा है।
नीरज- हाँ जानेमन बहुत मज़ा आ रहा है.. साली मेरे लौड़े की दीवानी हो गई है।
शीला- इतने दिन हो गए.. अब तक तो उसके आगे-पीछे के सारे छेद ढीले कर दिए होंगे तूने?
नीरज- अरे कहाँ.. बस चूत को ढीला किया.. साली गाण्ड नहीं मरवाती.. कहती है शादी की रात सुहागरात को मरवाऊँगी..

शीला- हा हा हा तू उससे शादी करेगा.. क्या राजा?
नीरज- अबे हट.. ऐसी लड़की से कौन शादी करेगा.. जो शादी के पहले चुदवा कर ढीली हो गई है।
शीला- राजा तुझे तो चूत मिल गई.. मुझे अब तू कहाँ याद करता है..
नीरज- अबे साली नाटक मत कर.. तुझे याद नहीं करता होता.. तो यहाँ आता क्या.. अभी चल अब कुछ आइडिया दे.. उसकी गाण्ड कैसे मारूँ.. साली ने कसम दे दी है।
शीला- तू बस आइडिया लेने आता है अपनी शीला के लिए कुछ लाता नहीं है।
नीरज- अबे लाया हूँ ना.. साली ये देख तेरे लिए एकदम चमचमाता सोने का हार लाया हूँ।

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