मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ compleet

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Jemsbond
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »

वो नीरज को धक्के देने लगी- निकल जाओ यहाँ से.. तुम्हें जो करना हो कर लो.. मगर टीना के साथ मैं ये सब नहीं होने दूँगी..।
नीरज- ठीक है साली.. अभी तो मैं जाता हूँ.. तेरा दिमाग़ सही नहीं है अभी.. मगर याद रख.. कल तक सोच ले.. मैं किसी काम से बाहर जाकर शाम तक आ जाऊँगा.. अगर तुझे बदनाम नहीं होना ना.. तो तू इसको मेरे पास ले आना.. वरना कल सारी दुनिया तेरे रंडी रूप को देख लेगी।
रोमा- जो करना है.. कर लेना.. अभी अपनी गंदी सूरत लेकर यहाँ से निकल जाओ.. वरना वो हाल करूँगी.. याद रखोगे तुम..
नीरज ने उम्मीद नहीं की थी कि रोमा इस तरह पेश आएगी.. उसने कपड़े पहने और वहाँ से निकल गया। उसके जाने के बाद रोमा ने टीना के कपड़े ठीक किए और उसके पास बैठकर रोने लगी।
दोस्तो, यह होता है अंजाम अंधे प्यार का.. अगर आप किसी को प्यार करते हो.. तो इस बात का जरूर ध्यान रखना कि प्यार में ऐसी ग़लती कभी मत करना.. जिससे आपको मजबूर होना पड़ जाए।
सुबह का सूरज राधे और मीरा के लिए तो अच्छा था.. क्योंकि रात को मस्त चुदाई के बाद दोनों चिपक कर सोए थे।
इधर नीरज के लिए कुछ ठीक नहीं था.. रात को जलील होकर वो शीला के पास चला गया था और उसने बहुत ज़्यादा पी ली थी। वहाँ शीला ने उसको कहा- वो हाथ आ जाएगी.. पहले पैसे का इंतजाम कर.. वो अंग्रेजन हाथ से चली गई.. तो वापस नहीं आएगी..
तो बस नीरज ने रोमा और टीना को कुछ देर के लिए भुला दिया और अंग्रेजन लड़की के चक्कर में सुबह-सुबह पीकर और टल्ली हो गया।
इधर बेचारी रोमा पूरी रात रोती रही उसकी आँखों में रोते-रोते सूजन आ गई थी। जब सुबह टीना उठी तो उसका सर भारी था.. मगर उसको क्या पता.. यहाँ क्या हुआ था। उसने रोमा को देखा तो वो उसके पास बैठी हुई थी।
टीना- गुड-मॉर्निंग रोमा..
रोमा ने झुठी मुस्कान के साथ उसको गुड-मॉर्निंग कहा..
टीना- अरे तू इतनी सुबह-सुबह ऐसे क्यों बैठी है.. क्या हुआ?
रोमा- होना क्या था.. कुछ भी तो नहीं हुआ..
टीना- अरे यार.. तेरा चेहरा देख कर ऐसा लग रहा है.. जैसे सारी रात तू सोई नहीं.. बस रोती रही.. बता ना यार.. मेरा दिल बड़ा बेचैन हो रहा है।
टीना की बात सुनकर रोमा को बहुत रोना आया.. मगर वो डर के मारे रो भी नहीं पाई और बहाना बना कर उसे टाल दिया।
कुछ देर बातें करने के बाद रोमा ने चाय नाश्ता बनाया.. टीना ने भी उसकी मदद की और दोनों रेडी होकर स्कूल चली गईं।
दोस्तो, रात को जो पहाड़ रोमा पर टूटा था.. उसका असर स्कूल में भी टीना को महसूस हो रहा था।
किसी तरह स्कूल का वक्त निकल गया.. टीना ज़िद करके रोमा को अपने साथ घर ले गई.. वहाँ उसको बड़ी मुश्किल से खाना खिलाया और अपने कमरे में लेकर चली गई।
टीना- अरे यार तू सुबह से इतनी मायूस क्यों हो.. बता ना क्या हुआ..? कहीं तेरे नीरज ने कुछ कह दिया क्या.. या उसको मिलने को तरस रही है.. यार आज मौका अच्छा है.. आंटी शाम तक आएंगी.. जा जाकर मिल आ.. तेरा चेहरा खिल उठेगा।
दोस्तो, इसे कहते हैं जले पर नमक छिड़कना.. मगर बेचारी टीना नहीं जानती थी कि रात क्या हुआ.. उसने तो बस अंजाने में ये सब कहा था।
रोमा जो रात से इस दर्द को दिल में छुपाए बैठी थी.. अब वो आँसू बनकर उसकी आँखों से बाहर आ गया।
टीना- अरे अरे.. क्या हुआ रोमा.. तेरी आँखों में आँसू क्यों आ गए?
रोमा फूट-फूट कर रोने लगी.. वो टीना से लिपट गई। उसका रोना देख कर टीना का दिल हिल गया। बड़ी मुश्किल से उसने रोमा को चुप कराया।
टीना- प्लीज़ रोमा.. बताओ न.. क्या हुआ..? मुझे सुबह से कुछ अहसास हो रहा है.. कि कुछ तो गलत हुआ है.. बताओ ना प्लीज़ रोमा.. तुम्हें मेरी दोस्ती की कसम..
रोमा ने अपने दिल का हाल टीना को सुनाना शुरू किया कि कैसे नीरज ने उसको बहला कर उसकी इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ किया और धोखे से वीडियो बना कर रात को उसने क्या धमकी दी.. और टीना के साथ जो सुलूक किया.. वो भी रोमा ने बताया.. तो टीना की आँखों में भी आँसू आ गए।
टीना- छी:.. इतना घटिया निकला वो.. उसने अपने गंदे हाथों से मुझे छुआ.. छी:.. सोच कर घिन आती है.. थैंक्स रोमा.. तुमने रात को मेरी जान बचाई.. मगर अब हम क्या करेंगे?
रोमा- यार समझ नहीं आ रहा.. अगर शाम को हम उसके पास नहीं गए.. तो ना जाने वो क्या करेगा?
टीना- तू पागल है.. मैं नहीं जाने वाली उस हरामी के पास.. हम मॉम को सब बता दें या पुलिस को बता दें।
रोमा- अरे नहीं.. ऐसे में तो वो मेरा वीडियो नेट पर डाल देगा।
टीना- यार मुझे बहुत डर लग रहा है.. हम वहाँ गए.. तो वो मेरे साथ भी.. छी: छी:.. नहीं नहीं.. प्लीज़..
रोमा- अरे ऐसा कुछ नहीं होगा.. मैं हूँ ना.. अगर तुझे कुछ होता तो रात को ही हो जाता.. मेरे रहते तू डर मत.. बस किसी तरह उसका फ़ोन हमें लेना है.. उसके बाद उसको अच्छा सबक़ सिखा देंगे..
टीना- हाँ ये सही रहेगा.. मगर हमें बहुत ध्यान से सब करना होगा यार..
वो दोनों काफ़ी वक्त तक बातें करती रही और बस अलग-अलग प्लान बनाती रही कि शाम को कैसे नीरज से फ़ोन लेना है।
दोस्तो, इनको बातें करने दो.. हम नीरज के पास चलते हैं.. जिसकी ये बातें कर रहे हैं वो अभी कहाँ है।
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Jemsbond
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

Post by Jemsbond »


नीरज अपने कमरे में नशे में पड़ा हुआ बड़बड़ा रहा था- साली रंडी की ये मज़ाल.. मुझे मारती है.. आज देख साली का क्या हाल करता हूँ.. बस एक बार उनको यहाँ आने दो.. साली को मज़ा चखा दूँगा..
नीरज ना जाने क्या से क्या बोल रहा था.. तभी उसका फ़ोन बजने लगा।
नीरज- अरे मेरे दोस्त.. मेरे भाई.. कैसा है तू.. सॉरी यार सुबह मैं नहीं आ पाया.. बस अभी निकलता हूँ.. शाम तक तेरे पास आ जाऊँगा ओके..
राधे- तू ऐसे कैसे बोल रहा है.. तूने बहुत पी रखी है क्या?
नीरज- अरे नहीं यार.. तू फ़ोन रख, मैं निकलता हूँ.. मैं तो भूल गया था..
दोनों ने काफ़ी देर बात की.. उसके बाद नीरज ने फ़ोन रख दिया।
दोस्तो.. नीरज उसी हालत में नीचे गया और अपनी गाड़ी में बैठ गया। तभी कुछ लड़के एक कार में वहाँ आए.. उन्होंने नीरज को देखा और उससे बात करनी चाही या वे उससे कुछ पूछना चाह रहे थे.. मगर तब तक नीरज ने गाड़ी आगे बढ़ा दी थी।
दोस्तो, अब गाड़ी के साथ-साथ जाने का क्या फायदा.. चलो इसको जाने दो.. रोमा और टीना ने एक प्लान बनाया.. वो सुन लो।
टीना- यार वो कितना घटिया आदमी होगा.. मेरे साथ भी सेक्स करना चाहता है.. ऐसे तो हर बार उसकी डिमाण्ड बढ़ेगी.. आज मैं.. कल वो किसी और के बारे में बात करेगा.. आज उसका खेल ख़त्म करना ही होगा।
रोमा- हाँ हमारा आइडिया अगर ठीक काम किया.. तो समझो आज से उसका सताना खत्म हो जाएगा.. उसके बाद वो कभी हमें परेशान नहीं कर पाएगा।
टीना- बस भगवान से प्रार्थना करो.. हमने जो सोचा.. वो हो जाए और उस कुत्ते से हमारी जान बच जाए।
दोस्तो, इन्होंने तो प्लान बना भी लिया.. मगर क्या.. यह तो मुझे भी नहीं पता। अब शाम होने पर ही पता लगेगा। तो चलो जल्दी से कहानी को फॉरवर्ड करके शाम का सीन देखते हैं।
नीरज ने राधे को फ़ोन करके अपने आने की खबर दे दी थी.. और मीरा और राधे दोनों वहाँ पहले ही पहुँच गए थे।
ये दोनों मेन हाइवे पर खड़े थे यहाँ गाड़ियाँ बिजली की रफ़्तार से दौड़ती हैं यहीं साइड में एक ढाबा है.. जो बहुत मशहूर है.. इसकी चाय और खाना बहुत मशहूर है.. कई बार लोग अपनी गाड़ी को साइड में लगा कर यहाँ रुकते हैं।
नीरज और राधे भी यहीं मिलते हैं.. मगर आज राधे ढाबे से थोड़ा दूर नीरज का इन्तजार कर रहा था।
मीरा- ये आया क्यों नहीं अभी तक?
राधे- अरे आ जाएगा..
वो दोनों अभी बातें कर ही रहे थे.. तभी वहाँ नीरज आ गया.. जिसे देख कर दोनों चुप हो गए।
राधे- वो देखो आ गया.. उसको देखो कैसे पागल की तरह गाड़ी चला रहा है.. या तो खुद मरेगा या किसी को मारेगा..
मीरा- हाँ दारू के नशे में लगता है.. तभी इतना तेज भाग रहा है..
नीरज ने गाड़ी रोकी और उतर कर लहराता हुआ उनकी तरफ आया।
नीरज- हैलो मेरे दोस्त.. कैसे हो.. ओह.. साथ में भाभी जी भी आई हैं.. वाह.. भाई मज़ा आ गया.. आज तो मेरे स्वागत के लिए दोनों आए हो।
नीरज अभी भी नशे में धुत्त था.. उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी। मीरा को उस पर बड़ा गुस्सा आया।
राधे- हाँ बोल भाई.. क्या बात हो गई.. जो मुझे यहाँ बुलाया है?
नीरज बड़ी ही गंदी निगाहों से मीरा के मम्मों को घूर रहा था।

मीरा- ओ हैलो.. मुझे घूरना बन्द करो और राधे ने जो पूछा है.. उसका जबाव दो.. क्या काम है?
नीरज- अरे वाह.. आपको गुस्सा भी आता है.. आप बहुत सुन्दर हो इसलिए नज़र है कि हटने का नाम ही नहीं ले रही।
राधे- देख नीरज.. ये सब बात जाने दे.. तू इतनी शराब पीकर आया है.. तुझे पता भी नहीं.. कि तू क्या बोल रहा है। अब जिस काम के लिए आया है.. वो बता दे ताकि हम भी जाएं.. ओके…
नीरज- ठीक है.. बात को घुमाने से क्या फायदा.. तू मेरे को 10 लाख दे दे.. मैं चला जाऊँगा बस..
राधे- क्या तेरा दिमाग़ खराब है क्या.. कल तो 5 दिए थे.. अब मेरे पास कुछ नहीं देने को.. समझा..!
नीरज- अच्छा.. कुछ नहीं है.. देखो ना भाभी जी.. आपके पास इतने पैसे हैं और ये मुझे थोड़े से पैसों के लिए मना कर रहा है.. अब आप ही समझाओ ना इसे..
मीरा- वो पैसे हराम के नहीं हैं.. मेरे पापा की मेहनत के हैं.. समझे.. तुमको जितना दिया.. बहुत हो गया.. अब अपनी मनहूस सूरत लेकर यहाँ से चले जाओ वरना ठीक नहीं होगा..
नीरज- अबे चुप साली रंडी.. मैं इसको तेरी बड़ी बहन बना कर लाया था.. आज इसको तू यार बना कर मेरे को आँख दिखा रही है साली.. इसका लौड़ा तेरे को भा गया क्या.. एक बार मेरे से भी चुद कर देख.. मज़ा आ जाएगा..
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

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राधे ने जब यह सुना तो गुस्सा हो गया और उसने नीरज की तरफ गुस्से से देखा और उसको कहने लगा- अपनी ज़ुबान को काबू में रख नीरज.. अगर तू मेरा दोस्त ना होता ना.. तो मैं तेरा मुँह तोड़ देता.. चल माफी माँग मीरा से..
मीरा- नहीं राधे.. इस कुत्ते को पुलिस के हवाले कर दो.. सारी अकल ठिकाने आ जाएगी।
नीरज- अच्छा.. ये तेवर हैं तुम दोनों के.. बुलाओ पुलिस को.. अच्छा ही होगा तुम दोनों तो पैसे दोगे नहीं.. तो तुम्हारे पापा से ही माँग लेता हूँ हा हा हा.. कुछ समझ आया जानेमन.. मैं क्या कहना चाहता हूँ।
राधे- नीरज तुम हमें बेकार में परेशान कर रहे हो।
नीरज- हाँ कर रहा हूँ.. और आगे भी करूँगा.. तू साला दोस्त होकर मुझे डांटता है.. अब चुपचाप पैसे दे दो.. नहीं तो मैं उस बूढ़े को सब बता दूँगा.. और तुम्हारा खेल ख़त्म हो जाएगा।
अब मीरा और राधे दोनों के हलक सूख गए.. नीरज से उनको ऐसी उम्मीद भी नहीं थी.. वो बोलते तो क्या बोलते..
नीरज- अरे अरे.. देखो तो दोनों को साँप सूंघ गया क्या.. अभी तो साली बहुत ज़ुबान चल रही थी तेरी.. हा हा हा.. तेरे बाप को डबल झटका लगेगा.. एक तो ये कि ये राधे साला उसकी बेटी नहीं है.. और दूसरा ये कि उसकी बेटी ने उसको धोखा दिया.. अपने यार से चुदवाती रही और बाप को धोखा देती रही.. हा हा हा.. नहीं नहीं.. मैं कहानी को बदल दूँगा.. मैं कहूँगा.. तू पहले से राधे से प्यार करती थी.. यह सारी चाल तेरी ही थी.. इसको बहन बना कर यहाँ लाना.. तो सोच तेरा बाप तो उसी समय लुढ़क जाएगा। अब बता.. पैसे प्यारे हैं या बाप हा हा हा..
नीरज एकदम शैतान की तरह हँस रहा था। एक तो नशा और ऊपर से अपने आप पर घमण्ड.. उसको कुछ ज़्यादा ही भयानक दिखा रहे थे।
राधे- नीरज तू इतना गिर जाएगा.. मैंने सोचा भी नहीं था.. तेरे जैसे दोस्त को तो जिंदा ज़मीन में गाड़ देना चाहिए।
नीरज- अबे चुप साले.. सारी जिंदगी वहाँ रंडी बनकर नाचता रहता तू.. मैंने तुझे यहाँ तक पहुँचाया है.. समझा.. और इस रसमलाई के लिए तूने मुझे भुला दिया साले.. अब देख तेरे सामने इस साली को नंगा करके चोदूँगा.. हा हा हा हा.. और तू कुछ नहीं बोल पाएगा। इसकी चूत को नया लौड़ा देकर रंडी बना दूँगा साली को..
नीरज की बात सुनकर राधे का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। वो गुस्से में नीरज की तरफ गया। नीरज ने उसको अपनी तरफ आते देखा तो वो हँसता हुआ बिना पीछे देखे.. पीछे की ओर हटा.. तभी.. दोस्तों अब इसे इत्तफ़ाक कहो या कुदरत का खेल.. कि नीरज का सन्तुलन बिगड़ गया और वो नशे की झोंक में पूरा घूम गया और सड़क के बीच में चला गया.. बस तभी एक ट्रक स्पीड से वहाँ से गुजरा और नीरज को उड़ाता हुआ निकल गया।
राधे तो बस देखता ही रह गया कि अचानक ये क्या हुआ। वो ज़ोर से चिल्लाया.. मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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Re: मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

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राधे- नीरज नीरज.. नहीं नहीं..
मीरा भी एकदम हतप्रभ हो गई कि अचानक ये क्या हो गया?
दोस्तो, आज तो आपका कलेजा मुँह को आ गया होगा.. मगर क्या करें बुराई का अंजाम बुरा ही होता है। अब राधे का इरादा ऐसा बिल्कुल नहीं था। मगर नीरज के पाप का घड़ा शायद भर गया था.. या रोमा की हाय उसको खा गई.. जो यह हादसा हुआ।
अरे अरे नहीं.. क्या सोच रहे हो.. मैं जो ये ज्ञान दे रही हूँ.. तो कहानी खत्म हो गई.. ऐसा कुछ नहीं है। अभी कुछ ट्विस्ट बाकी है मेरे दोस्तो..
आप शायद भूल गए नीरज के पीछे कुछ लड़के आए थे.. वो कहाँ गए.. तो जब नीरज और राधे के बीच ये तमाशा चल रहा था.. वो लड़के कुछ दूर खड़े होकर ये सब देख रहे थे और जब ये हादसा हुआ वो सब स्पीड से नीरज की तरफ़ भागे। मगर कुछ ही देर में वहाँ भीड़ जमा हो गई।
उन्होंने नीरज को उठाया और हॉस्पिटल लेकर गए।
इधर राधे तो एकदम सुन्न सा हो गया उसके हाथ-पाँवों ने काम करना बंद कर दिया था।
मीरा- राधे.. राधे.. क्या हुआ कुछ बोलो?
राधे- मीरा देखो मैंने अपने दोस्त को खो दिया.. उउउ.. उउउ.. मैंने अपने दोस्त को खो दिया उउउ..
मीरा- राधे प्लीज़ चुप रहो.. नीरज को कुछ नहीं होगा.. वो उसको हॉस्पिटल ले गए हैं.. अब चलो यहाँ से.. प्लीज़ ऐसी कोई भी बात मुँह से मत निकालो.. कोई सुन लेगा तो मुसीबत हो जाएगी। तुमने कुछ नहीं किया.. यह बस एक हादसा हुआ है.. ओके.. प्लीज़ चलो यहाँ से..
बड़ी मुश्किल से मीरा ने राधे को समझाया और वहाँ से घर ले गई।
राधे- मीरा हमें उसके पास जाना चाहिए.. वो ठीक तो होगा ना?
मीरा- नहीं.. हमारा वहाँ जाना ठीक नहीं होगा.. समझो बात को.. पापा को पता चल जाएगा। मैं किसी तरह पता लगा लूँगी। मगर प्लीज़ तब तक तुम घर पर ही रुकना.. ओके..
राधे- नहीं मीरा.. अगर उसको कुछ हो गया.. तो मैं कभी अपने आपको माफ़ नहीं कर पाऊँगा. वो कैसा भी हो.. मेरा दोस्त था.. प्लीज़ चलो..
मीरा- मेरा विश्वास करो.. उसको कुछ नहीं होगा। मैं जाकर आती हूँ ना.. प्लीज़ तब तक तुम बस यहीं रहो।
मीरा वहाँ से वापस निकल गई और राधे एकदम सुन्न सा होकर वहीं बैठ गया।
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उधर रोमा और टीना के दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं.. क्योंकि शाम हो चुकी थी और अब नीरज के पास जाने का समय हो गया था।
टीना- यार मेरा तो दिल बड़ा घबरा रहा है.. अब क्या होगा?
रोमा- अरे कुछ नहीं होगा.. रुक मैं उसको फ़ोन करती हूँ।
रोमा ने नीरज को फ़ोन लगाया.. मगर उसका फ़ोन बन्द था। कई बार रोमा ने ट्राइ किया.. मगर कोई फायदा नहीं हुआ।
टीना- अरे क्या हुआ?
रोमा- यार कितनी बार ट्राइ किया.. फ़ोन बन्द है उसका..
टीना- चलो जान बची.. पड़ा होगा कहीं पीकर.. तू अब फ़ोन मत कर।
रोमा- यार कहीं उसने वीडियो नेट पर डाल दिया तो?
टीना- अरे ऐसे कैसे डाल देगा.. उसका फ़ोन बन्द है.. इसमें हमारी क्या ग़लती है.. और वैसे भी वो ऐसी ग़लती नहीं करेगा। तुमसे उसको बड़ा फायदा है.. तुमको वो ऐसे हाथ से जाने नहीं देगा। चल आज तो बच गए.. आगे का बाद में सोच लेंगे।
रोमा वहाँ से अपने घर चली जाती है और बस नीरज के बारे में ही सोचती रहती है। नीरज के व्यवहार से उसके दिल को बड़ा धकका लगा था। मगर टीना की इज़्ज़त बचाने के लिए उसने अपना दिल मजबूत किया हुआ था।
दोस्तो, अब यहाँ भी कुछ नहीं है.. उधर मीरा वापस आ गई है.. तो देखो वहाँ क्या हुआ होगा।
राधे कमरे में बैठा हुआ था.. मीरा को देख कर वो खड़ा हो गया। वो कुछ बोलता.. उसके पहले मीरा बोल पड़ी।
मीरा- अरे मेरे आशिक.. ऐसे मुँह लटकाए क्यों बैठे हो.. नीरज ठीक है ओके.. अब तुम टेन्शन मत लो.. मैं खुद उससे मिलकर आई हूँ। उसने माफी भी माँगी और तुम्हें भी सॉरी बोला है। अब उसको अपनी ग़लती का अहसास हो गया है.. वो हमें अब दोबारा परेशान नहीं करेगा।
राधे- ओह्ह.. थैंक्स.. भगवान ने मेरी सुन ली.. नहीं तो में अपने आपको कभी माफ़ नहीं कर पाता.. मुझे उससे मिलना है!
मीरा- अरे नहीं.. उसके कुछ दोस्त वहाँ आ गए थे.. डॉक्टर ने कहा है कि इसको मुंबई ले जाओ.. तो अच्छा रहेगा। बस उसके सर पर चोट आई है और पैर टूटा है.. वो ठीक है यार.. बाद में कभी आराम से मिल लेना।
राधे- ओके मीरा अच्छा हुआ कि उसको अपनी ग़लती का अहसास हो गया।
राधे ख़ुशी के मारे मीरा से लिपट गया और काफ़ी देर तक दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे।
दोस्तो, अब आज की रात सेक्स होगा.. यह तो भूल ही जाओ.. कहानी थोड़ा गमगीन अवस्था में चल रही है.. तो चलो रात को फास्ट फॉरवर्ड करो और सीधे सुबह का सूरज निकलते हुए देखो।
दोस्तो, सुबह का सूरज तो निकला.. मगर इस सुबह ने रोमा के दिल की धड़कनों को बढ़ा दिया।
रोमा अभी भी टेन्शन में थी कि नीरज ने फ़ोन क्यों नहीं किया और अभी तक भी उसका फ़ोन बन्द है। कहीं ऐसा ना हो वो स्कूल जाए और वहाँ पहले ही सबके पास उसका एमएमएस पहुँच गया हो.. बस इसी उलझन में वो तैयार हुई।
उसकी माँ ने भी उसको कहा- आज तेरा चेहरा क्यों उतरा हुआ है?
मगर उसने बुखार का बहाना बना दिया। वो चाह रही थी कि माँ उसको स्कूल जाने से रोक दे.. मगर ऐसा हुआ नहीं और वो बेचारी बेमन से स्कूल के लिए निकल गई।
उधर रोज का आलम था.. ममता आई अपने काम में लग गई और मीरा भी स्कूल चली गई।
ममता- क्या हुआ साहेब जी.. आज बड़े उदास लग रहे हो.. रात को बीबी जी से झगड़ा हुआ क्या?
राधे- अरे नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है.. आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है.. तो बस मूड खराब है.. तू अपना काम कर.. मुझे परेशान ना करना.. मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ।
ममता को लगा कि आज तो उसको लौड़े का स्वाद नहीं मिलेगा.. तो उसने भी मन मार कर अपनी चूत को समझा दिया और काम पर लग गई।
उधर टीना और रोमा स्कूल में बस इसी बात पर बात कर रही थीं कि आख़िर नीरज कहाँ गायब हो गया। मगर उनके लिए नीरज एक अनसुलझी पहेली की तरह हो गया था।
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