यादें मेरे बचपन की compleet
- Rohit Kapoor
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Re: यादें मेरे बचपन की
सोनी ने बात को अच्छे से सम्भालते हुए उसे उकसाते हुए ताना भी मारा तो मुझे भी लगा कि अब बात बन रही है इसलिए मैं भी आग में घी डालते हुए बोला- सच में अनु… बहुत मजा आता है इन बुक्स ओर सैक्स वीडियोज में… एक बार पढ़ो तो सही!
‘बुक्स तो एक-दो मेरी फ्रेंड ने मुझे दी थी तो मैंने भी पढ़ी है पर वीडियो कभी नहीं देखा… वीडियो में क्या होता है?’ उसने उत्सुकता से शरमाते हुए पूछा।
जैसा कि मैंने पहले बताया था… उस समय मोबाइल, कंप्यूटर, इन्टरनेट इतने प्रचलन में नहीं थे यहाँ तक कि सीडीज भी नई-नई ही आई थी इसलिए ये सब साहित्य आम लोगों और गरिमामयी परिवारों की पहुँच से थोड़ा दूर था और वैसे भी बड़ी बुआ के घर में काफी सख्ती थी इसलिए अनन्या को सैक्स का अपने सहेलियों से ज्ञान तो हो गया था पर ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई थी।
मैं तुरंत मुद्दे पर आया- वीडियोज में लाइव सैक्स होता है… मस्त… कुछ में स्टोरी भी… बहुत अच्छा लगता है… तुम देखोगी?
तुरंत उसने गर्दन हिला कर अपनी स्वीकृति दी तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
‘चलो नीचे… मेरे रूम में चल के सैक्स का ज्ञान बांटते हैं… जैसा कि हमने कल किया था!’ मैंने सोनी की ओर देखते हुए कहा तो अनन्या बोली- तो तुमने कल भी ये सब किया था? तो ये थी तुम्हारे बचपन की बातें?
हम सब हंसने लगे और उठ कर छत की लाइट्स बंद कर मेरे कमरे में आये और बैड पर बैठ कर सैक्स की जानकारी का आदान-प्रदान करने लगे।
हालांकि वे दोनों श्रोता थीं और मैं वक्ता।
सोनी और अनन्या को आश्चर्य था कि मैं इस विषय में इतना ज्यादा कैसे जानता हूँ।
मैंने अनन्या को अपनी अब तक की पूरी कहानी सुनाई कि कैसे मैं सैक्स ज्ञान में इतना आगे हूँ फिर मैंने उसको हस्तमैथुन के बारे में पूछा तो उसने शर्माते हुए कहा कि वो कभी-कभी हस्तमैथुन करती है।
सोनी ने अनन्या को पूछा कि तुमने किसी का लिंग देखा है तो अनन्या ने ना कहा तभी बातों ही बातों में सोनी ने मुझे कहा- अभि… आज हम दोनों को अपना लिंग दिखाओ… !
तो मैंने भी कहा- ठीक है, मैं दिखाऊँगा पर एक शर्त है… तुम दोनों को भी मेरे साथ कपड़े खोलने पड़ेंगें… अगर तुम नहीं चाहो तो कोई तुम्हें टच भी नहीं करेगा… पर मैं अकेला कैसे कपड़े खोलूँ!
अनन्या की तरफ देख के बोला।
सोनी ने कहा- ठीक है मैं तो तैयार हूँ… तुम क्या बोलती हो अनु?
‘सोनी… क्या बोल रही हो… एक दूसरे के सामने कपड़े खोलेंगे… नहीं मैं नहीं खोलूंगी कपड़े-वपड़े… बात करने तक ठीक है… थोड़ी तो शर्म रखो!’ अनन्या थोड़ी शरमाते हुए बोली।
सोनी पलट कर थोड़े गुस्से से बोली- अनु… खोल नहीं सकती… देख तो सकती हो… बाद में अगर तुम्हारा मन करे तो तुम भी आ जाना!
कह कर सोनी अपनी जींस खोलने लगी तो अनन्या बोली- मुझे नहीं देखना ये सब… मैं जा रही हूँ!
मैंने उसे रोका- ओके अनु… तुम अपने कपड़े मत खोलना… तुम वीडियो देखना चाहती थी ना… तुम खाली देखो… ये लाइव विडियो… प्लीज… कोई तुमको फोर्स नहीं करेगा कपड़े खोलने के लिए… फिर भी तुमको लगे कि यहाँ कुछ गलत हो रहा है तुम कभी भी उठ के जा सकती हो… ओके… प्लीज?
अब अनन्या भी उत्सुकतावश रुक गई और बैड के सामने सोफे पर जा कर बैठ गई।
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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Re: यादें मेरे बचपन की
सोनी ने अपनी जींस उतारी तो मैंने उसे टॉप भी खोलने को कहा तो वो बोली- टॉप क्यों?
मैंने जवाब दिया- आज एक नई चीज सिखानी है!
सोनी ने वासना के वशीभूत होकर अपना टॉप भी उतर फेंका और बैड पर जाकर अधलेटी सी बैठ गई।
अब वो केवल ब्रा और पैंटी में ही थी और आज कल जितना शरमा भी नहीं रही थी।
मैं भी अपनी ट्रैक-पैंट, टी-शर्ट और बनियान खोल कर तुरंत बैड पर चढ़ गया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके कसे हुए उरोजों को दबाने लगा।
थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने धीरे से पीछे हाथ डाल कर ब्रा का हुक खोलकर उसके गोरे-गोरे स्तनों को आजाद कर दिया और उसके गुलाबी चुचूकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसके कसे हुए उरोज़ों को पहली बार किसी पुरुष का स्पर्श मिला था इसलिए वो आँखें बंद कर के सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने कुछ देर चूसने के बाद अपने होंठ उसके रसभरे होठों पर रख दिए और उनका स्वाद लेने लगा तो वो भी अपनी जीभ से मेरी जीभ मिला कर मेरा साथ देने लगी।
उसके हाथ भी मेरे बदन पर चल रहे थे।
उधर उत्तेजना के मारे अनन्या का भी बुरा हाल था इसलिए उसने भी धीरे से अपनी जींस की ज़िप खोल कर उंगली डालकर अपनी योनि को सहलाना शुरू कर दिया था।
इधर मैंने हौले-हौले अपने होंठ सोनी के होठों से हटाकर कर उसके वक्षों और नाभि को चूमते हुए उसके कटिप्रदेश की ओर बढ़ा दिए और पैंटी के ऊपर उन्हें चूमने लगा फिर दोनों हाथों से पैंटी को नीचे कर उतार फेंका।
मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी की और अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी तो वो कसमसा उठी- वाओ… कितना अच्छा करते हो तुम… आह… इई… बहुत मज़ा आ रहा है… प्लीज करते रहो… रुकना मत… ओह्ह आउच… कम ओन…!
मैं उसकी योनि को चूस रहा था तभी मुझे अपनी पीठ पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने नज़र घुमा कर देखा।
पीछे अनन्या बिना कपड़ों के खड़ी मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी और हमारे आमंत्रण का इन्तजार कर रही थी।
उसके चेहरे पर अति उत्तेजना के भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे।
मैंने तुरंत घूम कर उसके बड़े और तने हुए स्तन अपने हाथों में ले लिए और उसके होंठों से होंठ मिलाकर चूसने लगा।
वो काफी स्मार्ट थी इसलिए तुरंत उसके हाथ मेरे अंडरवीयर पर चलने लगे और उसने मेरे लिंग को बाहर निकाल लिया।
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Re: यादें मेरे बचपन की
मैंने उसे सुनीता के पास बैड पर लिटा दिया और घुटनों के बल बैठ झुककर उसकी क्लीन शेव्ड पुस्सी चूसने लगा, साथ ही मैंने अपने दांयें हाथ की उंगली सोनी की योनि में घुसा दी जिसे मैं अधूरा ही छोड़ आया था।
सोनी फिर से रंग में आने लगी थी और मादक आवाजें निकलने लगी थी।
कुछ देर चूसने के बाद मैं उठा और सुनीता की योनि को चूसने लगा। अब मेरे बाँये हाथ की उंगली अनन्या की योनि को छेद रही थी जिससे आने वाले आनन्द को वो नितम्ब उठा कर बयान कर रही थी।
मेरा दायाँ हाथ सुनीता के उरोज़ मसलने में व्यस्त था।
कुछ ही समय में सोनी स्खलित हो गई और निढाल पड़ गई।
मैं उठ कर अनन्या की टांगों के बीच बैठ गया और उसकी योनि को जीभ से और उंगली से मसल कर उत्तेजित करने लगा।
कुछ ही देर में मुझे लगा कि वो मेरा लिंग योनि में लेने को मना नहीं करेगी तो मैंने अपना कठोर लिंग उसकी योनि के छेद पर लगाया और उसे धीरे से पूछा- डालूँ?
वो शायद ना कह देती पर उस वक्त काफी उत्तेजित थी इसलिए कुछ नहीं बोली और उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
इसे उसकी मौन स्वीकृति समझ कर मैंने धीरे से अपना लिंग हाथ से पकड़कर उसकी गोरी, चिकनी योनी के अग्रभाग पर टिकाया और भीतर धकेल दिया।
एक ही झटके में लिंग आधी गहराई तक चला गया था और अनन्या की लगभग चीख सी निकल गई तो मैं भी डरकर रुक गया।
दर्द के मारे अनन्या की आँखों से आँसू निकल आये थे पर वो जानती थी कि पहली बार में दर्द होगा इसलिए अपने निचले होंठ को दांतों के बीच में दबाया और मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया तो मेरा हौसला बढ़ा और मैंने दूसरा धक्का लगा दिया।
अब लिंग पूरा अन्दर घुस गया था सो मैंने उसे धीरे-धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया।
मुझे स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था जबकि अनु अब भी हर धक्के के साथ दर्द से कराह रही थी।
मेरे मन में उसके दर्द के प्रति दया का भाव भी था पर हवस के मारे निर्दयी होकर मैंने अपने धीमे प्रहार जारी रखे।
लगभग दो-ढाई मिनटों में ही उसका दर्द कम हो गया और अब वह भी इस कामक्रीड़ा का आनन्द लेने लगी।
उसकी कराह अब मादक सिसकारियों में बदल गई थी।
पास बैठी सोनी भी हमारे लाइव सैक्स को देखकर अपनी योनि में उंगली डालकर अपनी क्षुधा शांत कर रही थी।
कुछ मिनटों में अनन्या चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर स्खलित हो गई तो मैंने भी अपने प्रहार तेज कर दिए और कुछ ही सेकेंडों के बाद मुझे भी लगा कि मैं फिनिश होने वाला हूँ तो मैंने अंतिम समय पर अपना लिंग बाहर निकाल लिया और हाथ से हिलाकर अपने कामरस की पिचकारी अनन्या के पेट पर छोड़ दी और उसके पास में लेट गया।
कामाग्नि ठंडी पड़ी तो उठ कर देखा कि मेरा हाथ व लिंग पर थोड़ा खून लगा था और बेडशीट पर भी खून के कुछ धब्बे थे।
मैंने सोनी को बाथरूम में जाकर अपने बदन को साफ करने को कहा तो वो उठी और बाथरूम में जाकर साफ करने लगी।
मैंने अनन्या के पास जाकर उसे चुम्बन किया और पूछा- बहुत दर्द हो रहा है? नहा कर आ जाओ फिर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा देता हूँ।
सोनी के आने के बाद अनन्या भी उठी और मेरा तौलिया लेकर बाथरूम में नहाने को गई पर उसे चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी।
कुछ देर में वो नहाकर आई तो मैं उठकर बाथरूम में गया, अपना लिंग धो कर आया और कपड़े पहनने लगा।
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Re: यादें मेरे बचपन की
वो दोनों अपने कपड़े पहन चुकी थी और मैंने क्रीम के बारे में पूछा तो सोनी ने कहा- मैंने बोरोलीन लगा दी है… अब दर्द भी इतना नहीं है।
मेरी जान में जान आई… क्योंकि मैं तो डर गया था कि दर्द के कारण चाल में बदलाव किसी ने पकड़ लिया तो क्या होगा।
मैंने बेडशीट को बाल्टी में भिगो दिया और सोनी की मदद से नई चादर बिछा दी।
हम तीनों फिर से बैड पर अलग-अलग छोर पर बैठ गये, चुप्पी को तोड़ते हुए मैं शर्मिंदा होते हुए बोला- सोरी अनु… पर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया..!!
‘रोक तो मैं भी अपने आप को नहीं पाई… पर यह अच्छा नहीं हुआ… हमको यह नहीं करना चाहिए था..’ अनन्या ने भी नज़रें नीची झुका कर कहा।
उसके चेहरे पर अपराध-बोध साफ दिखाई दे रहा था तो मैंने बात को हल्का बनने के लिए धीरे से कहा- पर सच कहना… मज़ा आया या नहीं…? मुझे तो बहुत मज़ा आया… तुम बहुत अच्छी हो अनु…!
अब अनन्या ने धीरे से मुस्कुरा कर मेरी बात में अपनी सहमति दर्शायी।
‘अभी तुम लोग अपने कमरे में जाकर सो जाओ… कल हम डैडी को कह कर उनका नया सीडी प्लेयर और पोर्टेबल टीवी अपने कमरे में मंगा लेंगें और फिर मेरे पास रखी पोर्न सीडी देखेंगे… सच में सीडी में गजब की क्लेअरिटी होती है।’ मैंने बात बदलते हुए कहा।
‘ठीक है… कल दोपहर में हम ये वीडियो देखेंगे… जब घर में सब सो रहे होंगे… ओके..?’ सोनी ने चहकते हुए कहा और दोनों एक-एक करके उठ के अपने कमरे की ओर चल दी।
अगले दिन सुबह मैं नित्यकर्म से निवृत हो कर नीचे पहुँचा, तब तक सब आ चुके थे।
मैंने अनन्या को इशारे में दर्द के बारे में पूछा पर उसने थोड़ा जोर से जवाब दिया- ठीक है अब… मैंने मम्मा को सब सच-सच बता दिया!
यह सुन कर मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई कि अनन्या ने बुआ को क्या सच-सच बता दिया पर अगले ही पल उसी ने बात सँभालते हुए कहा- मैंने मम्मा को बता दिया है कि कैसे तुमने चीटिंग करके मुझे नीचे गिरा दिया जिससे मेरे पैर में चोट लग गई… ठीक से चला भी नहीं जा रहा… खैर, तुमको माफ किया, आज मैं तुमको गिराऊँगी!
मेरी जान में जान आई और साथ में मैंने मन ही मन अनन्या के दिमाग की दाद भी दी कि कैसे उसने अपनी चाल के बारे में स्थिति को संभाल लिया।
थोड़ी देर में मैंने सोनी को डैडी से बात कर के पोर्टेबल टीवी और सीडी प्लेयर को मेरे कमरे में ले जाने के लिए के लिए मनाने को कहा क्योंकि मैं जानता था कि डैडी उसकी बात नहीं टालेंगे।
एक ही मिनट में उसने डैडी को मना लिया और डैडी ने उसे कहा कि वो दोपहर में ऑफिस से किसी आदमी को भेजेंगे जो टीवी और सीडी प्लेयर मेरे कमरे में लगा जाएगा।
हम तीनों बहुत खुश थे कि सब अच्छे से हो रहा था।
तीनों ने चाय पी, मेरे कमरे में गये और बैठकर बातें करने लगे। सोनी सैक्स के बारे में जानने को बहुत ज्यादा उत्साहित थी तो मैं उसे मौखिक ज्ञान देने लगा।
दोनों मुझे एकाग्रता और उत्सुकता से सुन रही थी।
काफी देर सैक्स पर चर्चा होती रही और फिर मम्मी डांटने लगी तो हम तीनों ने दोपहर की योजना बनाई और सब ख़ुशी-ख़ुशी नहाने चले गये।
नहाकर मैं अपने दोस्तों के साथ फुटबाल खेलने चला गया, लगभग एक बजे वापिस आया और मम्मी-डैडी के रूम टीवी देखने लगा।
कुछ ही देर में मम्मी ने लंच करने के लिए आवाज लगाई तो मैं उठ कर डाइनिंग टेबल पर गया। दोनों बुआ और सोनी भी मेरे साथ लंच करने बैठ गई।
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Re: यादें मेरे बचपन की
अनन्या और मम्मी ने हमें परोसा और खुद भी हमारे साथ खाने आ गई।
हम सबने बातें करते हुए लंच का आनन्द लिया और उठ कर लिविंग रूम में बैठ कर गप-शप करने लगे।
तभी ऑफिस का इलेक्ट्रीशियन भी आ गया और मैं उसे अपने कमरे में ले गया जहाँ उसने नीचे से पोर्टेबल टीवी और सीडी प्लेयर ला कर फिट कर गया।
कुछ देर बाद एक-एक कर के दोनों बुआ और मम्मी अपने कमरे में रेस्ट करने चली गई तो हम तीनों भी अपने मिशन पर चल पड़े।
ऊपर जाकर मैंने अपने रूम को अन्दर से लॉक किया, दोनों को बैड पर बैठने को कहा… टीवी ऑन किया और सीडी को प्लेयर में डाल कर रिमोट लेकर मैं भी बैड पर बैठ गया।
प्ले का बटन दबाते ही स्क्रीन पर इंग्लिश मूवी शुरू हो गई।
दो लड़के और दो लड़कियाँ ‘स्ट्रिप पोकर’ (ताश का एक खेल) खेल रहे थे जिसका पत्ता कटता उसे फाइन के रूप में अपना एक कपड़ा उतारना होता था।
धीरे-धीरे सब के कपड़े उतरने लगे और इसी तरह उनमें सैक्स शुरू हो गया, चारों एक-दूसरे में गुत्थम-गुत्था हो गये थे।
मैं यह सीडी डैडी के रूम में देख चुका था पर उत्तेजना के मारे अपने आपको रोक नहीं पाया और अपने ट्रैक पैंट के अन्दर हाथ डालकर लिंग को मसलने लगा।
बैड पर ही अनन्या और सोनी बिना पलक झपकाए एकटक टीवी की तरफ देख रहीं थीं।
थोड़ी देर देखने के बाद मैंने सोनी की पीठ पर हाथ फिराना शुरू किया तो वो भी पीछे मेरे पास आकर बैठ गई।
मैं धीरे-धीरे उसके उरोजों को मसलने लगा था और वो भी हल्की-हल्की सिसकारियों के साथ मेरा साथ दे रही थी।
कुछ ही मिनटों में मैंने उसका टी-शर्ट ऊपर कर उतार फेंका और ब्रा के हुक खोल उसके खिलते स्तनों को आजाद कर हौले-हौले उसके गुलाबी चुचूकों को चूसने और मसलने लगा।
वो भी उत्तेजना के मारे आँखें बंद किये स्तनों के मर्दन का आनन्द लेने लगी थी।
अब अनन्या भी मूवी देखते हुए अपनी स्कर्ट में हाथ डाल कर अपनी योनि को मसलने लगी थी।
मैंने थोड़ा उठ कर अपना टी-शर्ट और बनियान खोला और सोनी को बाँहों में भरकर उसके होंठ चूमने लगा, वो भी मुझे भींच कर मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी।
कुछ देर चूमने के बाद मैं फिर से उठा और अपनी ट्रैक-पैंट को उतार कर एक तरफ रख कर सोनी की जींस के बटन खोलने लगा।
टाइट होने के कारण मुझे उसके जींस के बटन खोलने में परेशानी हुई तो उसने तुरंत उठ कर अपने हाथों से जींस को खोल कर एक तरफ पटक दिया और अपनी टांगों को चौड़ा करके अपनी गुलाबी योनि को मेरे आगे परोस कर मेरे आगे लेट गई।
मैंने भी तुरंत दोनों हाथों से उसकी पैंटी को खोल कर नीचे किया और अपना मुँह उसकी टांगों के बीच लगा कर उसके भगोष्ठ चूसने लगा।
आज ही उसने अपनी योनि को साफ किया था जिससे उसकी गुलाबी उभरी हुई योनि गजब की लग रही थी।
कुछ ही सेकेंडों में सोनी की योनि गीली हो गई थी और उसकी सिसकारियाँ भी तेज हो गई थी तो मुझे लगा कि अब सहवास का सही समय आ गया है।
मैंने उठ कर उसे एक तकिया अपने नितंबों के नीचे लगाने को दिया और अपना अंडरवीयर उतार फेंका।
वो लिंग लेने के लिए पूरी तरह से तैयार थी इसलिए मैंने अपने लिंग पर खूब सारा थूक लगाया और हाथ से पकड़ कर सोनी की योनि के मुख पर धीरे से रख कर दबा दिया।
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