यादें मेरे बचपन की compleet

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Rohit Kapoor
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Re: यादें मेरे बचपन की

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उसकी चीख सी निकल गई थी और साथ ही आँखों से आँसू भी… पर अब उसे भी पता था कि वह जीवन के असीमित आनन्द से कुछ ही कदम दूर है इसलिए आँख बंद किये सहती रही और शायद वो अपने आप को अनन्या से बेहतर भी साबित करना चाहती थी इसलिए दर्द को सहन कर गई।
मेरी हिम्मत फिर से बढ़ी और मैंने एक और धक्का देकर लिंग को सोनी की योनि में अन्दर तक धकेल दिया और अपने कूल्हों को ऊपर-नीचे कर के हौले-हौले उसकी चुदाई करने लगा।
कुछ ही मिनटों के दर्द के बाद सोनी भी अपनी टाँगें मोड़ कर मेरे कूल्हों पर टिका कर मेरा साथ देने लगी।
अब उसे भी मज़ा आने लगा था इसलिए अब उसकी सिसकारियाँ मादक आवाजों में बदल गई थी- आह्ह… अब दर्द कम हो गया है… तुमने सच ही कहा था… पहले दर्द होता है पर बाद में जो मज़ा आता है… वो स्वर्ग के आनन्द से भी बढ़ कर है… करते जाओ… रुकना नहीं… प्लीज… और जोर से… वाओ… फ़क मी.!
मुझे लगा कि मैं अकेला सोनी को संतुष्ट नहीं कर पाऊँगा इसलिए रुक गया और अनन्या को आवाज लगाते हुए कहा- अनन्या… प्लीज आओ ना… हमारी हेल्प करो ना..!
अनन्या भी अब उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए तुरन्त अपने सारे कपड़े खोल कर हमारे खेल में शामिल हो गई और जैसा अभी मूवी में देखा था वैसे ही घुटनों के बल झुक कर सोनी के पास बैठ कर उसके उरोज़ चूसने लगी।
अनन्या की योनि अब मेरी तरफ थी इसलिए मैंने अपनी दायें हाथ की उंगली उसकी योनि में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
अब सोनी के साथ अनन्या की मादक सिसकारियाँ रूम में गूंजने लगीं थी।
मैंने सोनी की योनि में अपने प्रहार तेज कर दिए थे।
कुछ ही मिनटों के बाद सोनी तेज उत्तेजक आवाजों के साथ अकड़ कर स्खलित हो गई और मुझे लिंग बाहर निकालने को कहा।
मेरा काम अब तक पूरा नहीं हुआ था इसलिए मैंने अपना खून से सना लिंग सुनीता की योनि में से निकाला और घोड़ी बनी अनन्या के पास जाकर उसकी योनि पर हाथ से पकड़कर टिका दिया और हल्का सा धक्का दिया।
अनन्या एक बार चौंक कर लगभग चीख उठी पर अगले ही पल सब समझ कर अपनी सहमति जताते हुए अपने गोरे-गोरे नितम्बों को हिला कर मेरे लिंग को अन्दर आने का न्यौता देने लगी जिसे मेरे लिंग ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
मैंने उसके दोनों नितम्बों पर अपने हाथ रखा और अपने लिंग को अनु की योनि पर रख अन्दर घुसा दिया।
अनन्या धीरे से चीख उठी पर हल्के से दर्द के बाद आनन्द से मेरे लिंग को अपनी योनि में लेकर अपने नितम्बों को आगे-पीछे कर के उसे अन्दर-बाहर करने लगी तो मैं भी अपने हाथों से इसमें उसकी मदद करने लगा।
सैक्स की इस मुद्रा में पुरुष को स्त्री से अधिक आनन्द मिलता है और पुरुष का लिंग स्त्री की योनि में अधिक भीतर तक भेदन करता है।
चुदाई करते हुए मैंने थोड़ा झुककर अपने हाथों से अनन्या के लटकते उरोजों को पकड़ लिया और मसलने लगा जिससे उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी।
कुछ ही देर में मैं थक गया इसलिए लिंग बाहर निकाल कर सीधा लेट गया और अनन्या को अपने ऊपर आने को कहा।
अनन्या घूम कर मेरे ऊपर सवार हो गई और उसने मेरे तने हुए लिंग को अपनी योनि पर सेट कर भीतर ले लिया और सैक्स की कमान अपने हाथों में ले ली।
उसने अपने हाथ मेरे सीने पर रख लिए और नितम्ब उचका-उचका कर सैक्स के एक दक्ष खिलाड़ी की भांति अपनी योनि का भेदन करने लगी।
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Rohit Kapoor
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Re: यादें मेरे बचपन की

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अब उसकी चुप्पी भी टूटी और वो उत्तेजना से वशीभूत हो मादक आवाजें निकलने लगी- आह्ह… अभी… यह बहुत अच्छा है… आज दर्द भी नहीं और मज़ा भी बहुत आ रहा है… वाओ… आईई… यू आर सो नाईस अभी… कम ओन… मेरी ब्रेस्ट्स को मसलो… प्लीज अभी… निचोड़ दो इनको..!
कह कर उसने मेरे हाथ अपने उरोजों पर रख लिये और मैं उसके कठोर उरोजों को दोनों हाथों से बुरी तरह से मसलने लगा जिसमें उसे असीम आनन्द मिल रहा था।
स्त्रियों को वैसे भी ऊपर रहकर सैक्स करने की मुद्रा में ज्यादा आनन्द आता है क्योंकि इसमें पुरुष पर और अपने सभी अंगों पर उनका खुद का नियंत्रण रहता है।
कुछ मिनटों तक चली इस मादक रतिक्रीड़ा के बाद दोनों के चरमोत्कर्ष का समय निकट आ गया था इसलिए मैं अनन्या को नीचे कर उसके ऊपर सवार हो गया और अपने लिंग से अनन्या के यौवन का तेजी से भेदन करने लगा और पहले अनन्या और कुछ सेकेंडों के बाद मैं भी स्खलित हो गया।
मैं स्खलित होकर उसके ऊपर ही लेट गया था और हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे। जब वासना का ज्वार थोड़ा शांत हुआ तो पता चला कि मेरा वीर्य उसकी योनि में ही छूट गया है।
वो तुरंत उठकर टॉयलेट की ओर भागी और अपनी योनि को अच्छी तरह से धो कर आई और सुबक-सुबक कर रोने लगी तो जैसे-तैसे हम दोनों ने उसे चुप कराया, पर सच में तीनों बहुत डर गये थे कि कहीं अनन्या प्रेग्नेंट नहीं हो जाए।
उन दिनों प्रेग्नेन्सी टेस्ट के लिए आज जैसे आसान किट भी अपलब्ध नहीं थे जिनमें स्त्री-मूत्र की एक बूँद डालने से प्रेग्नेन्सी टेस्ट हो जाता है इसलिए हम तीनों की हालत ख़राब थी कि अब क्या होगा।
तीनों अपने-अपने कमरे में चले गये पर सारा मज़ा काफूर हो गया था, तीनों भविष्य के बारे में सोच-सोच के परेशान हो रहे थे कि जिस खेल को आसानी से चुपचाप खेल रहे थे उसका अब सबको पता चलने वाला था।
जैसे-तैसे एक दिन निकला… हम तीनों एक दूसरे से कटे-कटे रहने लगे थे। हालांकि तीनों तब भी दोपहर में घंटों मेरे कमरे में बैठकर आगे क्या करना है, उसके बारे में चर्चा करते रहे पर कुछ खास हल नहीं निकला।
यह दिन भी बहुत तनाव भरा निकला पर अगले दिन सुबह-सुबह ही अनन्या और सोनी दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझे खुशखबरी सुनाई कि अनन्या को पीरियडज़ आ गए हैं, तब हम तीनों की जान में जान आई कि थैंक गॉड… आज तो आपने हमें बचा लिया।
खैर… अब सब समस्या का निवारण हो गया था और अब हम तीनों आपस में काफी खुल गये थे इसलिए फिर से नई सीडी देखने की योजना बनाने लगे क्योंकि पोर्टेबल टीवी और सीडी प्लेयर फिर से डैडी के कमरे में चला गया था।
किस्मत से उसी दिन दोपहर बाद दोनों बुआ और मम्मी शॉपिंग करने निकलीं तो उन्होंने सोनी और अनन्या को भी अपने साथ चलने को कहा पर दोनों कुछ बहाना बनाकर मना कर दिया।
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अब हम तीनों घर में अकेले थे इसलिए आज हमने डैडी के रूम में ही सीडी देखना तय किया और सबसे पहले घर का मुख्य द्वार अन्दर से लॉक किया और डैडी के कमरे में जाकर एसी ओन किया और डैडी की अलमारी से कई मस्त इंग्लिश मूवीज की सीडीज निकाली।
हर सीडी की मूवी मैं देख चुका था इसलिए मैंने उनमें से सबसे अच्छी सीडी निकाली और जल्दी से चला कर बिस्तर पर आकर बैठ गया।
दोनों बैड पर ही बैठी थी लेकिन आज डर से कुछ दूरी बनाये हुए थी।
हालांकि मुझे पता था कि जल्दी ही यह दूरी खुद मिट जायेगी।
मूवी शुरू हुई… स्टोरी कुछ खास नहीं थी और बहुत जल्दी सैक्स शुरू हो गया।
उसमें भी दो लड़कियों के साथ एक लड़का था पर दोनों कहानियों में ये फर्क था कि वहाँ वो लड़कियाँ उस लड़के को सैक्स करने के लिए उकसा रही थी और यहाँ ये दोनों लड़कियाँ सैक्स करने से डर रही थी।
उनको उकसाने के लिए मैंने अपना लिंग बाहर निकल लिया और उनके सामने ही हस्तमैथुन करने लगा।
जल्दी ही मेरा लिंग स्खलित भी हो गया तो मैं उठ कर टॉयलेट में गया और लिंग को धो कर आया तो देखा कि सुनीता सोनी भी अपने अंतःवस्त्रों में हाथ डाल कर अपनी क्षुधा शांत करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
मैंने धीरे से उसे कहा- मेरे पास कंडोम है… आज कोई गड़बड़ नहीं होगी..!
सोनी ने अनन्या की ओर देखा तो अनु ने कहा- मेरी तरफ क्यों देख रही हो… मैं तो वैसे भी पीरियड में हूँ… पर बी केयरफुल… हम्म..!
सोनी जैसे अनु की अनुमति के इंतज़ार में ही थी इसलिए तुरंत उठ कर कपड़े उतारने लगी।
मैं भी तुरंत उठा अपनी पीछे की पॉकेट से कंडोम का पैकेट निकाल कर बिस्तर पर रखा और अपनी पैंट, टी-शर्ट निकाल कर सोनी पर टूट पड़ा।
सोनी केवल पैंटी में बैड पर लेटी थी इसलिए मैं उसके उरोजों को चूसने लगा।
कुछ देर चूसने के बाद मैं धीरे-धीरे उसकी नाभि पर जीभ लगा कर चाटने लगा तो उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने धीरे से नीचे की ओर बढ़ते हुए उसकी पैंटी पर अपना मुख रखा और ऊपर से ही उसे चूमने लगा।
कुछ ही सैकेंड में उसकी योनि में से यौवन-रस बहने लगा और उसकी पेंटी भी हल्की गीली हो गई।
तो मैं धीरे से उँगलियों से उसकी पेंटी को खोलने लगा।
उसने तुरंत अपने नितम्ब उठा कर पेंटी को खोलने में सहमति प्रदान की, मैंने पेंटी को खींच कर उतार फेंका फिर धीरे से उसकी टांगों को चौड़ी कर के उसकी उभरी हुई योनि के खड़े गुलाबी भगोष्ठ को अपनी उंगली से हल्का सा फैलाया और अपनी जीभ उस पर टिका कर उसे चूसने लगा।
उसने अपने हाथों से चादर को भींच लिया था और फिर एक हाथ मेरे सिर पर फिराने लगी।
अब उसकी योनि चूसना मुझे भी अच्छा लगने लगा था इसलिए उसकी योनि में जीभ डाल कर चूसने लगा।
वैसे भी रति-क्रीड़ा में अपने साथी को आनन्द देना ही सही रूप में रति-क्रीड़ा का आनन्द उठाना है।
कुछ मिनटों बाद मैं बैड पर लेट गया और उसे 69 पोजीशन में आने को कहा तो वो उठकर मेरे ऊपर आई और घुटनों को मेरी छाती के पास रख कर अपनी योनि को मेरे मुख के पास सेट कर घोड़ी बन कर बैठ गई।
मैं चाहता था कि वो मेरे लिंग को हाथ में पकड़े व मुँह में लेकर चूसे पर उसे कहने में संकोच कर रहा था और वैसे भी मैं कुछ ही देर पहले स्खलित हुआ था इसलिए लिंग पुनः पूरी तरह से उत्थित नहीं हो पाया था।
आखिर अपने संकोच को छोड़कर मैंने उसे अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर हिलाने का आग्रह किया तो उसने मेरे लिंग को हाथ में पकड़ लिया और उसके खोल को ऊपर नीचे करने लगी।
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उसके हाथ में लेते ही मेरा लिंग पुनः उत्थित होकर कठोर हो गया जिससे वो ऐसे खेलने लगी जैसे कोई बालक अपने पसंदीदा खिलौने से खेलता है।
अनु भी उत्सुकतावश उठकर हम दोनों के पास आई और मेरे लिंग को मुट्ठी में भर कर ऊपर नीचे करने लगी।
उन दोनों के हाथों का स्पर्श सच में बहुत आनन्ददायक था।
मैंने अनु को कहा- अनु… प्लीज इसको मुँह में लो… तुमको भी बहुत अच्छा लगेगा… मम्मा भी डैडी का हमेशा मुँह में लेती हैं। मैं इसको अभी क्लीन करके ही आया हूँ… प्लीज… लो ना..!
अनु ने सोनी की ओर देखा, मुस्कुराते हुए मेरे लिंग के अग्रभाग को पहले जीभ से चाटा और फिर अपने होठों में भर कर चूसने लगी।
पहली बार में उसे उबकाई सी आ गई पर कुछ ही क्षणों में वो किसी अनुभवी खिलाड़ी की भांति मेरे लिंग को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी।
उन पलों का स्वर्ग का वो अहसास आज भी मेरे मन में ताज़ा है।
आनन्द के सागर में गोते लगाता मैं उसी समय स्खलित हो जाता पर अभी कुछ ही देर पहले हस्तमैथुन कर चरमोत्कर्ष पाया था इसलिए अपने आप मेरा स्टेमिना बढ़ गया था।
कभी भी अधिक देर तक सैक्स के मैदान में अपने साथी के सामने टिका रहना हो अथवा एक से अधिक साथियों को संतुष्ट करना हो तो पहले दौर के कुछ पहले हस्तमैथुन कर लेने से अगला दौर काफ़ी लम्बा हो जाता है और शारीरिक थकान भी नहीं रहती।
खैर… पुनः कहानी पर आता हूँ!
सोनी अनु को लिंग चूसते बड़ी उत्सुकता से देख रही थी, साथ ही वो खुद भी मादक सिसकारियाँ निकाल रही थी क्योंकि 69 पोजीशन में उसकी योनि में मेरी जीभ छेदन कर रही थी।
कुछ मिनटों के बाद मैंने उसके कूल्हे पर चपत लगाकर उठने का इशारा किया और उसे नीचे लिटाकर उसके नितम्बों के नीचे एक तकिया लगा दिया।
मैं घुटनों के बल बैठ गया और पास पड़ा कामसूत्र का पैकेट खोलकर कंडोम को अपने लिंग पर चढ़ा लिया।
मुझे आज भी याद है कि कामसूत्र नाम का कण्डोम बाज़ार में नया आया था और पुराने फ़िल्म अभिनेता कबीर बेदी और प्रोतिमा बेदी की पुत्री पूजा बेदी ने इस कण्डोम के विज्ञापन में पूर्ण नग्न दृश्य दिये थे।
किसी अनुभवहीन के लिए लिंग पर कंडोम चढ़ाना बहुत मुश्किल काम होता है पर मैं पहले कई बार कंडोम पहन कर हस्तमैथुन कर चुका था इसलिए मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
अनु और सोनी दोनों उत्सुकतावश मुझे यह करते देख रही थीं।
कंडोम चढ़ाकर मैंने सोनी की टांगों के बीच अपनी पोजीशन ली, अपनी तर्जनी उंगली को उसकी योनि में घुसाकर गीलापन चैक किया।
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कामातुर सोनि की योनि पर्याप्त गीली थी इसलिए मैंने अपने लिंग को उसकी भगनासा पर सेट किया और धीरे से लिंग को उसकी योनि में प्रवेश कराया जिसे उसने आनन्द और दर्द मिश्रित सीत्कार के साथ भीतर ले लिया।
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी छाती के दोनों ओर बिस्तर पर रखे और पुश-अप्स (एक प्रकार की कसरत) करने के अंदाज़ में अपने लिंग को उसकी योनि के अन्दर-बाहर करने लगा।
कंडोम की वजह से उसे काफ़ी दर्द हो रहा था और हर धक्के के साथ उसकी चीख सी निकल रही थी पर उसने सोचा कि शायद शुरू में ऐसा होता होगा और जल्दी ही अच्छा लगने लगेगा पर ऐसा हुआ नहीं।
मैं भी असहज़ महसूस कर रहा था पर मैं कंडोम हटाने की बात करके उन दोनों को नाराज़ नहीं करना चाहता था इसलिए बे-मन से धक्के लगाता रहा।
कुछ मिनट दर्द सहन करने के बाद सोनी ने कहा– अभि… कंडोम बिल्कुल कम्फ़र्टेबल नहीं…बहुत दर्द हो रहा है…प्लीज इसे हटा कर करो!!
मैंने अपना लिंग बाहर निकाला और कंडोम निकलते हुए बोला– हाँ… मुझे भी अजीब लग रहा है… बिल्कुल मज़ा नहीं आ रहा…!
उसकी योनि सूख गई थी इसलिए मैंने पहले उंगली से और फिर झुककर अपनी जीभ उसकी योनि में घुसाकर फिर से गीला करने लगा।
आजकल चॉकलेट, स्ट्राबेरी, ऑरेंज, पाइनएप्पल और ना जाने किन-किन फ्लेवर के कंडोम आने लगे हैं पर उन दिनों कामसूत्र में एक ही गन्दी बदबू वाला कंडोम होता था जिसकी बदबू काफ़ी देर तक लिंग और योनि से जाती नहीं थी।
सोनी की योनि चूसने से उसे तो अच्छा लगने लगा था पर मुझे उसकी योनि से कंडोम की गन्दी बदबू आ रही थी इसलिए जल्दी ही उठकर मैंने फिर से पोजीशन ली, अपने लिंग पर थूक लगाकर गीला किया और उसकी प्यासी योनि पर रखकर हल्का सा धक्का दिया।
इस बार पूरे आनन्द के साथ उसने मेरे लिंग को स्वीकार किया और मादक सिसकारियाँ निकाल अपने कामातुरता प्रदर्शित की।
मुझे भी इस बार स्वर्ग का सा सुख मिल रहा था इसलिए लिंग को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
सोनी ने अपने दोनों पैर उठाकर मेरे कूल्हों पर रख दिए थे और उत्तेजक सीत्कारों के साथ रतिक्रीड़ा में मेरा सहयोग करने लगी– वाओ… अभि… ये बहुत अच्छा है… ऐसे ही करते रहो… हर दिन मज़ा बढ़ता ही जा रहा है… यह मज़ा पहले क्यूँ नहीं मिला… आह्ह… कम ओन… चोदो मुझे अभि… और जोर से…!!
ऐसी आवाजों से जोश मिलता है और मैं पूरे जोश के साथ सोनी को चोद रहा था।
थोड़ी देर में कुछ थकावट महसूस हुई तो सोनी के बदन पर लेट सा गया और अपने होठों से उसके होठ व जीभ चूसने लगा।
मेरे दोनों हाथ अब उसके स्तनों के गुलाबी निप्पल मसल रहे थे।
कुछ मिनट चूसने के बाद मैं बैड पर लेट गया और सोनी को ऊपर आने का इशारा किया।
सोनी मेरे ऊपर सवार हुई मेरे लिंग को हाथ से पकड़कर अपनी योनि के मुख पर सेट किया और होठों को भींच कर अपने भीतर प्रविष्ट करा दिया।
मैंने अनु को भी हमारी रति-क्रीड़ा में शामिल होने का न्यौता दिया जिसे उसने स्वीकार करते हुए अपने टॉप और ब्रा उतार फेंके और हमारे खेल में शामिल हो गई।

अनु सोनी के आगे मेरे सीने पर सवार हो गई और मेरे हाथ पकड़कर अपने उरोजों पर रख लिए जिन्हें मैं बेदर्दी से मसलने लगा।
दोनों के उरोज़ पूरी तरह से कसे हुए और अनछुए थे पर सोनी की तुलना में अनन्या के उरोज़ बड़े होने के कारण उनको मसलने और मुंह में चूसने में ज्यादा मज़ा आता था।
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