काफी देर तक सोनी नहीं आई तो मैंने फिर से उसे आवाज लगाई- सो गई क्या… जल्दी आ…
तभी सामने सोनी नजर आई जिसके हाथ में बैडमिन्टन के सामान की जगह दो पोर्न बुक्स थीं।
मैं बिलकुल हक्का-बक्का रह गया कि यह चीज़ छुपाना मैं कैसे भूल गया और अब क्या होगा।
उसने ऊपर आकर मुझे पूछा- यह क्या है?
मुझसे जवाब देते भी नहीं बन रहा था फिर भी स्थिति को सम्भालते हुए मैंने उससे वो बुक्स छीनने की नाकाम कोशिश की और उसे डांटते हुए कहा- ये बुक्स तुम्हें कहाँ से मिली… ये तुम्हारे काम की नहीं… और ये मेरी भी नहीं… किसी दोस्त से ली है… इन्हें अभी के अभी मुझे वापिस दो नहीं तो मैं तुम्हारी शिकायत मामा (मेरे डैडी) से कर दूँगा!
सोनी ने शांत भाव से जवाब दिया- कूल डाउन… कूल डाउन… शिकायत तो मैं तुम्हारी… मामा से करूँगी अगर तुम मुझे इसके बारे में नहीं बताओगे…
मैं डर गया कि अगर सोनी ने मेरी शिकायत डैडी से की तो क्या होगा… क्योंकि वो बुक्स उन्हीं की अलमारी से लाई हुई थी इसलिए धीरे से बोला- क्या जानना चाहती हो?
‘यही… जो इसमें लिखा है… यह चुदाई क्या होती है… इतनी गन्दी गालियों वाली बुक्स तुम पढ़ते हो… वेल… ABC से स्टार्ट करो… मुझे कुछ भी नहीं मालूम…’ सोनी ने उत्सुकता से एक बुक के पन्ने पलटते हुए कहा।
मुझे यह सुन कर आश्चर्य हुआ कि उसे सैक्स का बिलकुल ज्ञान नहीं था और बहुत अधिक उत्सुकता थी।
मैंने उसकी सैक्स क्लास शुरू की, मैंने पूछा- तुम जानती हो… तुम्हारा जन्म कैसे हुआ?
सोनी- हाँ… मम्मी के पेट से…
मैं बोला- वो तो ठीक है… पर तुम वहाँ कैसे पहुँची?
वो जवाब देते-देते रुक गई और बोली- ठीक है… तुम ही बताओ…
मैं बोला- जिसे तुम गन्दी गालियाँ कह रही हो… वो लाइफ की सबसे सुन्दर हकीकत है… आदमी और औरत के शारीरिक सम्बन्ध को सहवास, सम्भोग, चुदाई या fucking कहते हैं।
सोनी मेरी बात काट कर बोली- शारीरिक सम्बन्ध… मीन्स शादी ना?
‘मेरी बात सुनो… बीच में मत बोलो…’ मैंने उसे रोका और बोला- शादी तो एक तरह का रजिस्ट्रेशन है कि लड़का-लड़की या आदमी-औरत एक दूसरे से बेरोकटोक सैक्स कर सकते हैं!
उसकी चूत की तरफ इशारा करते हुए मैंने कहा- तुम्हारे पास जो नीचे ये है ना… जिससे तुम यूरिन पास करती हो उसे योनि कहते हैं… सैक्स की भाषा में इसे चूत, फोकी, भोसड़ी, बूर, पुस्सी और फुद्दी जैसे कई नामों से जानते हैं… और मेरे पास मतलब सभी लड़कों, आदमियों के पास जो टूल नीचे होता है उसे लिंग कहते हैं… सैक्स की भाषा में इसके भी लंड, लौड़ा, डिक, कॉक जैसे कई नाम है… आदमी और औरत के बीच एक अजीब आकर्षण होता है… जो नेचुरल है… किसी सुन्दर लड़की या औरत को देख कर लड़के का लिंग कड़क खड़ा हो जाता है इसी तरह किसी स्मार्ट और सुन्दर आदमी या लड़के को देख कर किसी भी लड़की की योनि हल्की गीली हो जाती है… इसी तरह सैक्स की बातें सुन कर या सैक्स को देख कर भी ये सब होता है… इसे ही सैक्स की इच्छा कहते हैं… सच बताना… तुम्हारी योनि हल्की गीली फील नहीं हो रही… ?
यादें मेरे बचपन की compleet
- Rohit Kapoor
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Re: यादें मेरे बचपन की
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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Re: यादें मेरे बचपन की
मैंने अचानक पूछा तो उसने झट से नीचे देखा… जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो… पर कुछ नहीं बोली।
मैंने अपनी बात जारी रखी- सैक्स में लड़का अपना कड़क लिंग लड़की की गीली योनि में डालता है और अन्दर बाहर करता है… इसे चुदाई… सहवास… सम्भोग कहते हैं… तुम मानो या मत मानो यह दुनिया का सबसे बड़ा मज़ा है… कुछ देर बाद लड़की और लड़का आनन्द के चरम पर पहुँच कर स्खलित हो जाते हैं जिसे चरमसुख या ओर्गेज्म कहते हैं… इसमें लड़के के लिंग में से वीर्य या सीमन निकलता है और लड़की की योनि में से रस के रूप में उसके अंडे स्खलित होते हैं… अगर वीर्य के शुक्राणु और योनि रस के अंडे, लड़की की योनि में आपस में मिल जाएं तो लड़की प्रेग्नेंट हो सकती है…
मैंने उसे पूछा- अब तुम बताओ इसमें गन्दा क्या है… सोचो अगर सैक्स नहीं होता तो तुम, मैं, मम्मी, डैडी, बुआ, राहुल, अनु, सचिन कोई भी नहीं होते… यहाँ तक कि सब जानवर, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे भी सैक्स करते हैं… इस चीज को एक्सेप्ट कर लो कि सब सैक्स करते हैं तभी दुनिया आगे बढ़ती है… मैं भी करूंगा… तुम भी करोगी… सुन रही हो ना?
वो मुझे बिना पलक झपकाए उत्सुकता से सुन रही थी। उसके रोंगटे खड़े हो गये थे तो मुझे वो दिन याद आ गया जब मैंने पहली बार सैक्स की बुक को पढ़ा था… तब मेरी भी वही हालत हुई थी जो आज सोनी की थी।
उसकी उत्सुकता को देखते हुए मैं फिर बोला- तुम जानती हो मुझे ये बुक्स कहाँ मिली… मेरे डैडी की अलमारी में ऐसी 30-35 बुक्स हैं… वहाँ सैक्स के वीडियो कैसेट्स भी है… मैं इसे वहीं से लाया… तुम जानती हो मेरे मम्मी-डैडी हर बुधवार और शनिवार को सैक्स करते हैं… मैंने उन्हें कई बार सैक्स करते हुए देखा है।
अचानक सोनी की ट्यूबलाइट जली और वो मेरी बात काटते हुए बोली- अब भी… अगर वो अब भी सैक्स करते हैं तो मामी प्रेग्नेंट नहीं होती?
‘गुड क्वेश्चन… ज्यादा तो मुझे मालूम नहीं पर मेरे ख्याल से उन दोनों में से किसी एक ने अपना ऑपरेशन करवा लिया है… मीन्स… डॉक्टर्स एक छोटे से ऑपरेशन से आदमी के शुक्राणु की नली को बाँध देते हैं और उसके बाद उसके वीर्य से कोई औरत प्रेग्नेंट नहीं हो सकती इसे नसबंदी कहते हैं… ऐसा ही ऑपरेशन औरत के साथ भी किया जा सकता है… हालांकि इसके अलावा भी बहुत सारे तरीके होते है प्रेगनेंसी से बचने के लिए!’
सोनी ने पूछा- जैसे?
‘जैसे कंडोम, माला-डी टेबलेट्स और ओर्गेज्म के समय लिंग को बाहर निकाल देना जिससे वीर्य योनि में नहीं गिरे…’ मैंने जवाब दिया।
सोनी- कंडोम क्या होता है?
‘रुक… मैं आता हूँ!’ कह मैं उठा और दौड़ कर अपने रूम में से कामसूत्र कंडोम का पैकेट ले आया और खोल कर उसे दिखाया- यह एक तरह का कवर है जो कि लड़के के लिंग पर चढ़ा देते हैं… ओर्गेज्म के समय जो वीर्य निकलता है वो इसमें जमा हो जाता है… और योनि में नहीं पहुँच पाता… यही सबसे पोपुलर और आसान तरीका है।
सोनी ने कंडोम को हाथ में लेकर पूछा- तुम्हारे पास ये कहाँ से आया… क्या… तुमने कभी सैक्स किया है?
मैंने कहा- किया नहीं… और करना तो चाहता हूँ… पर किससे करूँ?
सोनी ने शरमाते हुए कहा- एक बात बोलूँ… मुझे तुम्हारा लिंग देखना है… मैंने आज तक किसी बड़े लड़के का लिंग नहीं देखा।
मुझे लगा कि अब काम बनने वाला है इसलिए बिना शर्माए मैंने कहा- सोनी… हम लोग छत पर हैं… मेरे रूम में चलो… वहाँ चल के दिखाऊँगा।
हम दोनों उठे और छत की लाइट्स बंद कर के मेरे कमरे में गये और लाइट्स ओन करके मैंने दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया और उसे बिस्तर पर मेरे पास बैठने को कहा।
फिर मैंने अपनी पैंट के हुक्स खोले और दोनों हाथों से अंडरवियर और पैंट को नीचे करते हुए अपने लिंग को पकड़ कर बाहर निकाल दिया जो कि उत्तेजना के मारे पहले से ही कड़क था।
मैंने अपनी बात जारी रखी- सैक्स में लड़का अपना कड़क लिंग लड़की की गीली योनि में डालता है और अन्दर बाहर करता है… इसे चुदाई… सहवास… सम्भोग कहते हैं… तुम मानो या मत मानो यह दुनिया का सबसे बड़ा मज़ा है… कुछ देर बाद लड़की और लड़का आनन्द के चरम पर पहुँच कर स्खलित हो जाते हैं जिसे चरमसुख या ओर्गेज्म कहते हैं… इसमें लड़के के लिंग में से वीर्य या सीमन निकलता है और लड़की की योनि में से रस के रूप में उसके अंडे स्खलित होते हैं… अगर वीर्य के शुक्राणु और योनि रस के अंडे, लड़की की योनि में आपस में मिल जाएं तो लड़की प्रेग्नेंट हो सकती है…
मैंने उसे पूछा- अब तुम बताओ इसमें गन्दा क्या है… सोचो अगर सैक्स नहीं होता तो तुम, मैं, मम्मी, डैडी, बुआ, राहुल, अनु, सचिन कोई भी नहीं होते… यहाँ तक कि सब जानवर, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे भी सैक्स करते हैं… इस चीज को एक्सेप्ट कर लो कि सब सैक्स करते हैं तभी दुनिया आगे बढ़ती है… मैं भी करूंगा… तुम भी करोगी… सुन रही हो ना?
वो मुझे बिना पलक झपकाए उत्सुकता से सुन रही थी। उसके रोंगटे खड़े हो गये थे तो मुझे वो दिन याद आ गया जब मैंने पहली बार सैक्स की बुक को पढ़ा था… तब मेरी भी वही हालत हुई थी जो आज सोनी की थी।
उसकी उत्सुकता को देखते हुए मैं फिर बोला- तुम जानती हो मुझे ये बुक्स कहाँ मिली… मेरे डैडी की अलमारी में ऐसी 30-35 बुक्स हैं… वहाँ सैक्स के वीडियो कैसेट्स भी है… मैं इसे वहीं से लाया… तुम जानती हो मेरे मम्मी-डैडी हर बुधवार और शनिवार को सैक्स करते हैं… मैंने उन्हें कई बार सैक्स करते हुए देखा है।
अचानक सोनी की ट्यूबलाइट जली और वो मेरी बात काटते हुए बोली- अब भी… अगर वो अब भी सैक्स करते हैं तो मामी प्रेग्नेंट नहीं होती?
‘गुड क्वेश्चन… ज्यादा तो मुझे मालूम नहीं पर मेरे ख्याल से उन दोनों में से किसी एक ने अपना ऑपरेशन करवा लिया है… मीन्स… डॉक्टर्स एक छोटे से ऑपरेशन से आदमी के शुक्राणु की नली को बाँध देते हैं और उसके बाद उसके वीर्य से कोई औरत प्रेग्नेंट नहीं हो सकती इसे नसबंदी कहते हैं… ऐसा ही ऑपरेशन औरत के साथ भी किया जा सकता है… हालांकि इसके अलावा भी बहुत सारे तरीके होते है प्रेगनेंसी से बचने के लिए!’
सोनी ने पूछा- जैसे?
‘जैसे कंडोम, माला-डी टेबलेट्स और ओर्गेज्म के समय लिंग को बाहर निकाल देना जिससे वीर्य योनि में नहीं गिरे…’ मैंने जवाब दिया।
सोनी- कंडोम क्या होता है?
‘रुक… मैं आता हूँ!’ कह मैं उठा और दौड़ कर अपने रूम में से कामसूत्र कंडोम का पैकेट ले आया और खोल कर उसे दिखाया- यह एक तरह का कवर है जो कि लड़के के लिंग पर चढ़ा देते हैं… ओर्गेज्म के समय जो वीर्य निकलता है वो इसमें जमा हो जाता है… और योनि में नहीं पहुँच पाता… यही सबसे पोपुलर और आसान तरीका है।
सोनी ने कंडोम को हाथ में लेकर पूछा- तुम्हारे पास ये कहाँ से आया… क्या… तुमने कभी सैक्स किया है?
मैंने कहा- किया नहीं… और करना तो चाहता हूँ… पर किससे करूँ?
सोनी ने शरमाते हुए कहा- एक बात बोलूँ… मुझे तुम्हारा लिंग देखना है… मैंने आज तक किसी बड़े लड़के का लिंग नहीं देखा।
मुझे लगा कि अब काम बनने वाला है इसलिए बिना शर्माए मैंने कहा- सोनी… हम लोग छत पर हैं… मेरे रूम में चलो… वहाँ चल के दिखाऊँगा।
हम दोनों उठे और छत की लाइट्स बंद कर के मेरे कमरे में गये और लाइट्स ओन करके मैंने दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया और उसे बिस्तर पर मेरे पास बैठने को कहा।
फिर मैंने अपनी पैंट के हुक्स खोले और दोनों हाथों से अंडरवियर और पैंट को नीचे करते हुए अपने लिंग को पकड़ कर बाहर निकाल दिया जो कि उत्तेजना के मारे पहले से ही कड़क था।
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Re: यादें मेरे बचपन की
सोनी जो मेरे पास बैठी थी आश्चर्य से बोली- इतना बड़ा… इतना बड़ा किसी की योनि में कैसे जा सकता है?
मैंने जवाब दिया- जब कोई लड़की पहली बार सैक्स करती है तो उसे दर्द होता है… पर लिंग अन्दर जाने पर वो दर्द मज़े में बदल जाता है… वो मज़ा दुनिया के किसी भी आनन्द से बढ़ कर होता है!
ये सब मैं उसे उकसाने के लिए कह रहा था और सच ही तो कहा था मैंने… सैक्स का आनन्द दुनिया के हर सुख से बढ़ कर है…
मैंने रिक्वेस्ट करते हुए उसे कहा- पकड़ो इसे… तुम्हे भी अच्छा लगेगा… प्लीज… इसे हाथ में ले कर इस तरह ऊपर नीचे करो ना… प्लीज… एक बार…
उसने थोड़े संकोच के बाद मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे मेरे बताये तरीके से ऊपर-नीचे करने लगी… पहली बार मेरे लिंग को किसी लड़की ने छुआ था इसलिए कुछ ही सेकंड्स में उत्तेजना से मेरा वीर्य निकल गया जिससे उसके हाथ भर गये और वो डर भी गई।
मैंने उसे कहा- सॉरी… एक्साईटमेंट से मैं फिनिश हो गया… ये मेरा सीमन है… तुम प्लीज टॉयलेट में जाकर हाथ साफ कर लो!
वो उठी और टॉयलेट में से हाथ साफ कर के आई और सामने चेयर पर बैठ गई। मैंने अपनी पैंट फिर से पहन ली थी।
अब मैंने शरमाते हुए कहा- मैंने तुम्हारी एक बात मानी… अब मेरी भी एक रिक्वेस्ट है… मैंने भी किसी लड़की की योनि को कभी नहीं छुआ… क्या तुम मुझे ये करने दोगी… प्लीज… एक बार…
मुझे लगा कि वो मुझे मना कर देगी या फिर ना-नुकुर करेगी पर उत्तेजनावश वो एक बार में ही मान गई… वो कुर्सी से उठी और अपनी स्कर्ट उतार कर मेरे पास आकर बैठ गई।
अब सोनी मेरे सामने टी-शर्ट और पिंक पैंटी में थी और शायद उसे अपनी स्थिति पर थोड़ी शर्म भी आ रही थी इसलिए अपने घुटने मोड़ कर बैठी थी।
मैंने हल्के हाथों से उसके पैरों को पकड़ कर सीधा किया और धीरे से दोनों हाथों से उसकी पैंटी पकड़ कर नीचे खींचने की कोशिश करने लगा पर उसके बैठी होने के कारण मुझे थोड़ी दिक्कत होने लगी तो उसने मुझे सहयोग करते हुए अपने नितम्ब उठा कर अपनी मौन स्वीकृति भी दी।
धीरे से मैंने उसकी पैंटी को उसके तन से अलग कर के पलंग पर रख दिया पर अब भी शर्म के मारे वो अपनी टांगों को सिकोड़े बैठी थी।
मैंने फिर से उसके पास जाकर उसकी दोनों टांगों को चौड़ा किया और उसकी हल्के रोयों वाली गुलाबी सी योनि को निहारने लगा, फिर अपनी दो उंगलियों से उसके भगोष्ठ को सहलाने लगा।
सोनी की सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
मैंने उठकर उसे बैड पर पैर लटका कर लेटने को कहा तो उसने मुझे अचरज से देखा कि मैं क्या करना चाहता हूँ पर मैंने आँखों के इशारे से उसे समझाया कि मैंने कुछ भी उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं करूंगा तो वो तुरंत बैड पर पैर लटका कर अपनी कोहनियाँ बैड पर टिका कर अधलेटी सी उत्सुकता से मुझे देखने लगी।
मैं भी धीरे से घुटनों के बल उसकी टांगों के बीच जमीन पर बैठ गया और मैंने उसकी टांगों को थोड़ा चौड़ा कर अपनी जीभ उसकी योनि पर टिका दी और चाटने लगा।
उसे भी तीव्र आनन्द का अहसास तो हुआ पर लगभग चीखते हुए बोली- छी… छी… ये क्या कर रहे हो… प्लीज ये मत करो!
मैंने धीरे से कहा- यह सैक्स में फोरप्ले कहलाता है… डैडी… मम्मी के साथ हमेशा करते हैं… और सच बताना… तुमको अच्छा लग रहा है या नहीं? अगर नहीं लगता हो तो मैं हट जाता हूँ।
उसने मुस्कुरा कर मुझे अपनी मर्जी करने की मौन स्वीकृति दी और मेरे सर पर हाथ फिरने लगी।
मैं उँगलियों और जीभ से उसकी योनि को चूसने, चूमने, चाटने और सहलाने लगा हालांकि ये मुझे कुछ ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था पर मम्मी-डैडी को इतने सालों से सैक्स करते देख मुझे अब यह मालूम चल गया था कि लड़कियों को सैक्स में सबसे अच्छी यही क्रिया लगती है।
मैंने जवाब दिया- जब कोई लड़की पहली बार सैक्स करती है तो उसे दर्द होता है… पर लिंग अन्दर जाने पर वो दर्द मज़े में बदल जाता है… वो मज़ा दुनिया के किसी भी आनन्द से बढ़ कर होता है!
ये सब मैं उसे उकसाने के लिए कह रहा था और सच ही तो कहा था मैंने… सैक्स का आनन्द दुनिया के हर सुख से बढ़ कर है…
मैंने रिक्वेस्ट करते हुए उसे कहा- पकड़ो इसे… तुम्हे भी अच्छा लगेगा… प्लीज… इसे हाथ में ले कर इस तरह ऊपर नीचे करो ना… प्लीज… एक बार…
उसने थोड़े संकोच के बाद मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे मेरे बताये तरीके से ऊपर-नीचे करने लगी… पहली बार मेरे लिंग को किसी लड़की ने छुआ था इसलिए कुछ ही सेकंड्स में उत्तेजना से मेरा वीर्य निकल गया जिससे उसके हाथ भर गये और वो डर भी गई।
मैंने उसे कहा- सॉरी… एक्साईटमेंट से मैं फिनिश हो गया… ये मेरा सीमन है… तुम प्लीज टॉयलेट में जाकर हाथ साफ कर लो!
वो उठी और टॉयलेट में से हाथ साफ कर के आई और सामने चेयर पर बैठ गई। मैंने अपनी पैंट फिर से पहन ली थी।
अब मैंने शरमाते हुए कहा- मैंने तुम्हारी एक बात मानी… अब मेरी भी एक रिक्वेस्ट है… मैंने भी किसी लड़की की योनि को कभी नहीं छुआ… क्या तुम मुझे ये करने दोगी… प्लीज… एक बार…
मुझे लगा कि वो मुझे मना कर देगी या फिर ना-नुकुर करेगी पर उत्तेजनावश वो एक बार में ही मान गई… वो कुर्सी से उठी और अपनी स्कर्ट उतार कर मेरे पास आकर बैठ गई।
अब सोनी मेरे सामने टी-शर्ट और पिंक पैंटी में थी और शायद उसे अपनी स्थिति पर थोड़ी शर्म भी आ रही थी इसलिए अपने घुटने मोड़ कर बैठी थी।
मैंने हल्के हाथों से उसके पैरों को पकड़ कर सीधा किया और धीरे से दोनों हाथों से उसकी पैंटी पकड़ कर नीचे खींचने की कोशिश करने लगा पर उसके बैठी होने के कारण मुझे थोड़ी दिक्कत होने लगी तो उसने मुझे सहयोग करते हुए अपने नितम्ब उठा कर अपनी मौन स्वीकृति भी दी।
धीरे से मैंने उसकी पैंटी को उसके तन से अलग कर के पलंग पर रख दिया पर अब भी शर्म के मारे वो अपनी टांगों को सिकोड़े बैठी थी।
मैंने फिर से उसके पास जाकर उसकी दोनों टांगों को चौड़ा किया और उसकी हल्के रोयों वाली गुलाबी सी योनि को निहारने लगा, फिर अपनी दो उंगलियों से उसके भगोष्ठ को सहलाने लगा।
सोनी की सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
मैंने उठकर उसे बैड पर पैर लटका कर लेटने को कहा तो उसने मुझे अचरज से देखा कि मैं क्या करना चाहता हूँ पर मैंने आँखों के इशारे से उसे समझाया कि मैंने कुछ भी उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं करूंगा तो वो तुरंत बैड पर पैर लटका कर अपनी कोहनियाँ बैड पर टिका कर अधलेटी सी उत्सुकता से मुझे देखने लगी।
मैं भी धीरे से घुटनों के बल उसकी टांगों के बीच जमीन पर बैठ गया और मैंने उसकी टांगों को थोड़ा चौड़ा कर अपनी जीभ उसकी योनि पर टिका दी और चाटने लगा।
उसे भी तीव्र आनन्द का अहसास तो हुआ पर लगभग चीखते हुए बोली- छी… छी… ये क्या कर रहे हो… प्लीज ये मत करो!
मैंने धीरे से कहा- यह सैक्स में फोरप्ले कहलाता है… डैडी… मम्मी के साथ हमेशा करते हैं… और सच बताना… तुमको अच्छा लग रहा है या नहीं? अगर नहीं लगता हो तो मैं हट जाता हूँ।
उसने मुस्कुरा कर मुझे अपनी मर्जी करने की मौन स्वीकृति दी और मेरे सर पर हाथ फिरने लगी।
मैं उँगलियों और जीभ से उसकी योनि को चूसने, चूमने, चाटने और सहलाने लगा हालांकि ये मुझे कुछ ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था पर मम्मी-डैडी को इतने सालों से सैक्स करते देख मुझे अब यह मालूम चल गया था कि लड़कियों को सैक्स में सबसे अच्छी यही क्रिया लगती है।
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Re: यादें मेरे बचपन की
उसकी मादक सिसकारियाँ तेज होने लगी थी और वो कामुकतावश मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सिर को अपनी योनि में दबाने लगी थी।
अब उसके पैर अकड़ने लगे तो मैंने अपनी गति बढ़ा दी और कुछ ही सेकेंडों में वो निढाल होकर ढीली पड़ गई और हाँफने लगी।
मैं समझ गया कि वो ओर्गेज्म पर पहुँच चुकी थी इसलिए उसे छोड़ दिया और वहीँ जमीन पर लेट गया।
कुछ मिनटों बाद जब उसकी हवस का नशा उतरा तो उसे अपने आप पर बहुत शर्म आई और वो धीरे से उठी और कपड़े ले कर टॉयलेट में गई फिर अपनी योनि साफ करके कपडे पहन कर बाहर आई… दरवाजा खोला और बिना बोले अपने कमरे की ओर बढ़ गई।
मुझे भी अपने आप पर बहुत शर्म आ रही थी इसलिए मैं भी कुछ बोल नहीं पाया और उसे जाते हुए देखता रहा।
मैंने भी उठ कर दोनों बुक्स को अलमारी में रखा और अपना बिस्तर ठीक कर के लेट गया पर काफी देर तक सोनी का ही ख्याल दिल में चलता रहा।
मेरे लिंग पर उसके हाथों के स्पर्श की गुदगुदी अब भी मुझे महसूस हो रही थी।
ये सब सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह उठ कर ब्रश किया, फ्रेश हुआ और नीचे जाते हुए सोचने लगा कि कैसे सोनी से कैसे बात करूँगा हालांकि मुझे अब यह तो भरोसा था कि वो किसी को रात वाली बात बताएगी नहीं।
नीचे सब साथ बैठ कर चाय पी रहे थे पर सोनी नहीं थी।
मैंने सोनी के लिए पूछा तो अनन्या ने बताया- वो तो अभी तक सो रही है। रात को कितनी बजे तक खेले?
मैंने थोड़ा सोच कर जवाब दिया- खेले ही नहीं, नैट की डोरी टूट गई थी इसलिए पहले थोड़ी देर टैरेस पर और बाद में मेरे कमरे में बैठ कर बचपन की बातें करते रहे, फिर जाकर सो गये।
तब तक सोनी भी नीचे आ गई थी, उसने मेरी बात सुन भी ली थी इसलिए मेरा डर भी दूर हो गया कि उसे पूछने पर वो कुछ और जवाब नहीं दे दे।
वो बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रही थी जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो तो मेरी भी जान में जान आई।
चाय पीकर हम मेरे कमरे में चले गये और बातें करने लगे।
पता नहीं क्यूँ सोनी, जो हमेशा खिली-खिली सी रहती थी आज कुछ चुप-चुप सी थी।
मैंने पूछा भी पर उसने जवाब नहीं दिया।
कुछ देर बाद अनन्या उठ कर नहाने को चली गई पर सोनी बैठी रही।
अनन्या के जाते ही वो मेरे पास आई और बोली- मुझे सैक्स का वीडियो देखना है!
मैंने कहा- सोनी… डैडी के रूम में कुछ मस्त सीडीज हैं… पर घर में इतने लोग आये हुए हैं… हमेशा कोई ना कोई वहाँ रहता है… कैसे देखोगी?
‘मेरी बात मानो… मैं डैडी की अलमारी से कुछ और बुक्स ले आता हूँ वो पढ़ो… उनमें फोटोज भी हैं… बहुत मजा आएगा… और तुम बोलो तो कल वाला… हम फिर से कर सकते हैं…’ मैंने कुछ रुकते हुए कहा।
‘वो सब मुझे नहीं मालूम… मुझे आज के आज वीडियो दिखाओ… बस…!’ सोनी ने कुछ थोड़ा व्यग्र होते हुए कहा।
मैं कुछ सोच कर डरते हुए बोला- एक आईडिया है… पर… !
अब उसके पैर अकड़ने लगे तो मैंने अपनी गति बढ़ा दी और कुछ ही सेकेंडों में वो निढाल होकर ढीली पड़ गई और हाँफने लगी।
मैं समझ गया कि वो ओर्गेज्म पर पहुँच चुकी थी इसलिए उसे छोड़ दिया और वहीँ जमीन पर लेट गया।
कुछ मिनटों बाद जब उसकी हवस का नशा उतरा तो उसे अपने आप पर बहुत शर्म आई और वो धीरे से उठी और कपड़े ले कर टॉयलेट में गई फिर अपनी योनि साफ करके कपडे पहन कर बाहर आई… दरवाजा खोला और बिना बोले अपने कमरे की ओर बढ़ गई।
मुझे भी अपने आप पर बहुत शर्म आ रही थी इसलिए मैं भी कुछ बोल नहीं पाया और उसे जाते हुए देखता रहा।
मैंने भी उठ कर दोनों बुक्स को अलमारी में रखा और अपना बिस्तर ठीक कर के लेट गया पर काफी देर तक सोनी का ही ख्याल दिल में चलता रहा।
मेरे लिंग पर उसके हाथों के स्पर्श की गुदगुदी अब भी मुझे महसूस हो रही थी।
ये सब सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह उठ कर ब्रश किया, फ्रेश हुआ और नीचे जाते हुए सोचने लगा कि कैसे सोनी से कैसे बात करूँगा हालांकि मुझे अब यह तो भरोसा था कि वो किसी को रात वाली बात बताएगी नहीं।
नीचे सब साथ बैठ कर चाय पी रहे थे पर सोनी नहीं थी।
मैंने सोनी के लिए पूछा तो अनन्या ने बताया- वो तो अभी तक सो रही है। रात को कितनी बजे तक खेले?
मैंने थोड़ा सोच कर जवाब दिया- खेले ही नहीं, नैट की डोरी टूट गई थी इसलिए पहले थोड़ी देर टैरेस पर और बाद में मेरे कमरे में बैठ कर बचपन की बातें करते रहे, फिर जाकर सो गये।
तब तक सोनी भी नीचे आ गई थी, उसने मेरी बात सुन भी ली थी इसलिए मेरा डर भी दूर हो गया कि उसे पूछने पर वो कुछ और जवाब नहीं दे दे।
वो बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रही थी जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो तो मेरी भी जान में जान आई।
चाय पीकर हम मेरे कमरे में चले गये और बातें करने लगे।
पता नहीं क्यूँ सोनी, जो हमेशा खिली-खिली सी रहती थी आज कुछ चुप-चुप सी थी।
मैंने पूछा भी पर उसने जवाब नहीं दिया।
कुछ देर बाद अनन्या उठ कर नहाने को चली गई पर सोनी बैठी रही।
अनन्या के जाते ही वो मेरे पास आई और बोली- मुझे सैक्स का वीडियो देखना है!
मैंने कहा- सोनी… डैडी के रूम में कुछ मस्त सीडीज हैं… पर घर में इतने लोग आये हुए हैं… हमेशा कोई ना कोई वहाँ रहता है… कैसे देखोगी?
‘मेरी बात मानो… मैं डैडी की अलमारी से कुछ और बुक्स ले आता हूँ वो पढ़ो… उनमें फोटोज भी हैं… बहुत मजा आएगा… और तुम बोलो तो कल वाला… हम फिर से कर सकते हैं…’ मैंने कुछ रुकते हुए कहा।
‘वो सब मुझे नहीं मालूम… मुझे आज के आज वीडियो दिखाओ… बस…!’ सोनी ने कुछ थोड़ा व्यग्र होते हुए कहा।
मैं कुछ सोच कर डरते हुए बोला- एक आईडिया है… पर… !
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Re: यादें मेरे बचपन की
‘पर क्या…?’ सोनी तुरंत बोली।
‘अगर अनु हमारे साथ मिल जाए तो शायद बात बन सकती है… हम तीनों साथ होंगें तो किसी को शक नहीं होगा और हम डैडी की टीवी और नया सीडी प्लेयर मेरे रूम में लाकर सब कुछ देख सकते हैं…’ मैंने अपने दिल की बात जुबान पर ला दी।
‘ऐसा कैसे होगा… उससे कैसे बात करेंगें… ये इम्पॉसिबल है…!’ उसने थोड़ा उदास होते हुए कहा पर मैं खुश हुआ कि वो मुझसे सहमत तो है।
‘नहीं ये इम्पॉसिबल नहीं… थोड़ा रिस्क तो है पर… मेरे पास एक प्लान है…’ मैंने सोच कर कहा।
‘आज भी वही करेंगें जो कल हुआ था… कल तुम बैडमिन्टन के सामान लाने वाली थी आज अनु लाएगी… और आज मैं वो बुक्स और एकाध सीडी सामने रख दूँगा जिससे उसे वो दिखे ही… अगर मामला बिगड़े तो… थोड़ा तुम संभाल लेना… अगर सब अच्छे से हो गया तो तीनों मिल के मजे करेंगें…’ मैंने ख़ुशी मिश्रित डर के साथ कहा।
‘ठीक है… पर मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा… कहीं उसने किसी को बता दिया तो… सब गड़बड़ हो जायेगी…’ सोनी ने फिर थोड़े डर के साथ कहा तो मैंने जवाब दिया- रिस्क तो लेना ही पड़ेगा… मुझे लगता है हम तीनों साथ होंगें तो ही सब आराम से कर सकते हैं… अकेले तो कभी भी पकड़े जायेंगे…
मैं नीचे से कुछ अच्छी फोटोज वाली सीडीज और बुक्स ले आया और उन्हें बैडमिन्टन के सामान के ऊपर ही रख दिया और अलमारी को लॉक भी नहीं किया।
योजना के अनुसार हमने आज फिर रात को बैडमिन्टन खेलना तय किया।
मैं और सोनी डिनर कर के पानी का छिड़काव करने के नाम से पहले छत पर चले आये और अनन्या को बोल दिया कि डिनर कर के वो भी जल्दी ऊपर आ जाये।
हम लोग अनन्या का इन्तजार करने लगे तभी उसकी ऊपर आने की आवाज सुनी तो मैं दौड़ कर सीढ़ियों की ओर गया और योजना के मुताबिक उसे आवाज लगा कर बैडमिन्टन का सामान लाने को कहा।
हम दोनों की धड़कन तेज हो गई थी।
लगभग दस मिनट बाद अनन्या ऊपर आई तो उसके हाथ में गेम का सामान ही था तो मुझे लगा कि हमारा प्लान चौपट हो गया है।
उसने सारा सामान नीचे रखा और अपनी जींस की पिछली पॉकेट से मेरी रखी एक बुक निकाली और मुझे दिखाते हुए बोली- ये क्या है… क्या चल रहा है आजकल… ऐसी बुक्स पढ़ने लगे हो? और ये सीडी… ये किसकी है?
मैंने नादान बनते हुए बोला- ये बुक… ये बुक तुमको कहाँ मिली?
‘जहाँ तुम रख के भूल गये थे इसे… बता दूँ मामा को… मार पड़ेगी… और सीडी भी है… वीडियोज भी देखते हो… और क्या-क्या करने लगे हो आजकल?’ उसकी आवाज थोड़ी तेज हो गई थी तो मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और मुझसे तो कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था।
तभी बात सँभालने के अंदाज में सोनी बोली- मुझे दिखाओ तो… क्या है इस बुक में?’
कह कर उसने वो बुक अनन्या के हाथ से ले ली और पन्ने पलटने लगी फिर बोली- ओह सैक्स स्टोरीज… वाओ… इसमें क्या बड़ी बात है… यंग है… स्मार्ट है… स्टोरीज ही तो पढ़ रहा है… सब करते हैं… छोड़ो… आओ हम तो गेम खेलते हैं… लेट हिम एन्जॉय हिज लाइफ… हिज वे… !!
अब चौंकने की बारी अनन्या की थी, वास्तव में वो यह सब ड्रामा सोनी को दिखाने के लिए ही कर रही थी पर जैसे ही उसे मालूम चला कि सोनी की दिलचस्पी भी इसमें है। तो उसने तुरन्त पाला बदल दिया और थोड़े नरम स्वर में बोली- सोनी… क्या तुम भी पढ़ती हो ये स्टोरीज… अच्छी लगती हैं?
‘नहीं… ज्यादा तो नहीं पढ़ी पर जो पढ़ी बहुत अच्छी लगी… सच में अनु… मजा आ गया पर वीडियो नहीं देखा… तुमने नहीं पढ़ी कभी… शॉकिंग यार… तुम तो मुंबई में रहती हो फिर भी… इतनी बैकवर्ड कैसे… मुंबई के लोग तो बहुत एडवांस होते हैं?’
‘अगर अनु हमारे साथ मिल जाए तो शायद बात बन सकती है… हम तीनों साथ होंगें तो किसी को शक नहीं होगा और हम डैडी की टीवी और नया सीडी प्लेयर मेरे रूम में लाकर सब कुछ देख सकते हैं…’ मैंने अपने दिल की बात जुबान पर ला दी।
‘ऐसा कैसे होगा… उससे कैसे बात करेंगें… ये इम्पॉसिबल है…!’ उसने थोड़ा उदास होते हुए कहा पर मैं खुश हुआ कि वो मुझसे सहमत तो है।
‘नहीं ये इम्पॉसिबल नहीं… थोड़ा रिस्क तो है पर… मेरे पास एक प्लान है…’ मैंने सोच कर कहा।
‘आज भी वही करेंगें जो कल हुआ था… कल तुम बैडमिन्टन के सामान लाने वाली थी आज अनु लाएगी… और आज मैं वो बुक्स और एकाध सीडी सामने रख दूँगा जिससे उसे वो दिखे ही… अगर मामला बिगड़े तो… थोड़ा तुम संभाल लेना… अगर सब अच्छे से हो गया तो तीनों मिल के मजे करेंगें…’ मैंने ख़ुशी मिश्रित डर के साथ कहा।
‘ठीक है… पर मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा… कहीं उसने किसी को बता दिया तो… सब गड़बड़ हो जायेगी…’ सोनी ने फिर थोड़े डर के साथ कहा तो मैंने जवाब दिया- रिस्क तो लेना ही पड़ेगा… मुझे लगता है हम तीनों साथ होंगें तो ही सब आराम से कर सकते हैं… अकेले तो कभी भी पकड़े जायेंगे…
मैं नीचे से कुछ अच्छी फोटोज वाली सीडीज और बुक्स ले आया और उन्हें बैडमिन्टन के सामान के ऊपर ही रख दिया और अलमारी को लॉक भी नहीं किया।
योजना के अनुसार हमने आज फिर रात को बैडमिन्टन खेलना तय किया।
मैं और सोनी डिनर कर के पानी का छिड़काव करने के नाम से पहले छत पर चले आये और अनन्या को बोल दिया कि डिनर कर के वो भी जल्दी ऊपर आ जाये।
हम लोग अनन्या का इन्तजार करने लगे तभी उसकी ऊपर आने की आवाज सुनी तो मैं दौड़ कर सीढ़ियों की ओर गया और योजना के मुताबिक उसे आवाज लगा कर बैडमिन्टन का सामान लाने को कहा।
हम दोनों की धड़कन तेज हो गई थी।
लगभग दस मिनट बाद अनन्या ऊपर आई तो उसके हाथ में गेम का सामान ही था तो मुझे लगा कि हमारा प्लान चौपट हो गया है।
उसने सारा सामान नीचे रखा और अपनी जींस की पिछली पॉकेट से मेरी रखी एक बुक निकाली और मुझे दिखाते हुए बोली- ये क्या है… क्या चल रहा है आजकल… ऐसी बुक्स पढ़ने लगे हो? और ये सीडी… ये किसकी है?
मैंने नादान बनते हुए बोला- ये बुक… ये बुक तुमको कहाँ मिली?
‘जहाँ तुम रख के भूल गये थे इसे… बता दूँ मामा को… मार पड़ेगी… और सीडी भी है… वीडियोज भी देखते हो… और क्या-क्या करने लगे हो आजकल?’ उसकी आवाज थोड़ी तेज हो गई थी तो मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और मुझसे तो कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था।
तभी बात सँभालने के अंदाज में सोनी बोली- मुझे दिखाओ तो… क्या है इस बुक में?’
कह कर उसने वो बुक अनन्या के हाथ से ले ली और पन्ने पलटने लगी फिर बोली- ओह सैक्स स्टोरीज… वाओ… इसमें क्या बड़ी बात है… यंग है… स्मार्ट है… स्टोरीज ही तो पढ़ रहा है… सब करते हैं… छोड़ो… आओ हम तो गेम खेलते हैं… लेट हिम एन्जॉय हिज लाइफ… हिज वे… !!
अब चौंकने की बारी अनन्या की थी, वास्तव में वो यह सब ड्रामा सोनी को दिखाने के लिए ही कर रही थी पर जैसे ही उसे मालूम चला कि सोनी की दिलचस्पी भी इसमें है। तो उसने तुरन्त पाला बदल दिया और थोड़े नरम स्वर में बोली- सोनी… क्या तुम भी पढ़ती हो ये स्टोरीज… अच्छी लगती हैं?
‘नहीं… ज्यादा तो नहीं पढ़ी पर जो पढ़ी बहुत अच्छी लगी… सच में अनु… मजा आ गया पर वीडियो नहीं देखा… तुमने नहीं पढ़ी कभी… शॉकिंग यार… तुम तो मुंबई में रहती हो फिर भी… इतनी बैकवर्ड कैसे… मुंबई के लोग तो बहुत एडवांस होते हैं?’
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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