सोलहवां सावन complete

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Jaunpur

Re: सोलहवां सावन,

Post by Jaunpur »

mini wrote:jonpur ji bhi aa jayeto y forum sabko piche chod dega
Mini ji,
1. I don't know how to start a new thread on this forum.

2. All my posts may be from other writers.

3. I will post only full stories.

4. Will pdf link of the stories be OK?

Thanks
mini

Re: सोलहवां सावन,

Post by mini »

komaalrani wrote:
उधर सुनील बैचैन हो रहा था।

चंदा रानी अपने मोटे मोटे चूतड़ मचकाती उधर चल दीं।

थोड़ा दूर से कुछ लाउडस्पीकर की आवाजें आ रही थीं ,गाने की , लेकिन आवाज साफ नहीं थी।

मैं थोड़ा उधर मुड़ी तो देखा की नौटंकी का बैनर दूर से नजर आ रहे थी।

दो तीन नौटंकी वालों के टेंट उधर लगे थे , नीलम नौटंकी कंपनी कानपुर , शोभा थियेटर।

मैं उधर बढ़ गयी , और अब गाने की आवाज साफ सुनाई दे रही थी ,

और एक जगह से थोड़ा थोड़ा स्टेज दिख भी रहा था ,







लड़ाई लो अंखिया हो लौंडे राजा , लड़ाई लो
सास गयीं गंगा , ननद गयी जमुना ,


लड़ाई लो अंखिया हो लौंडे राजा , लड़ाई लो

तबतक स्टेज के नीचे से किसी लड़के ने दस का नोट दिखाया ,

उसने दो बार अपने भारी उभार मचकाए और झुक कर , अपनी पूरी गहराइयाँ उसे दिखाते , रूपया ले लिया , फिर अपने होंठों से चूम कर , आँखों से लगा कर , पहले तो अपनी बहुत ही लो कट चोली में रखने का उपक्रम किया , फिर उसे हारमोनियम मास्टर के पास रख दिया।

जोर का चक्कर मार के वो फिर उस लड़के के सामने , जिसने पैसा दिया था , उसका नाम पूछा और गाया ,

रानी पर वाले बाबू साहब का , प्यारी प्यारी पब्लिक का शुक्रिया अदा करती ,अदा करती , अदा करती हूँ।
साथ में नगाड़े वाले ने तीन बार नगाड़े पर जोरदार टनक दी।

और गाना फिर शुरू हो गया ,

लड़ाई लो अंखिया हो लौंडे राजा , लड़ाई लो
दबाई दो छतियां हो लौंडे राजा ,लड़ाई लो अंखिया हो लौंडे राजा , लड़ाई लो

और दो हाथों ने जबरदस्त जोर से मेरी छाती दबा दी।


उन हाथों को मैं भूल सकती थी क्या , और कौन चंदा।

बिना उसका हाथ हटाये ,स्टेज पर चल रहा नाच देखते मैं बोली ,

" तू दबवाय आई न , यार से अपने "
"एकदम खूब दबवाया , लेकिन देख एक बिचारा तेरा दबाने के लिए बेचैन खड़ा है। अब तू भी दबवा ही ले यार " चंदा ने मेरे कान में फुसफुसाया।

मैंने कनखियों से देखा ,जिधर चंदा ने इशारा किया ,


अजय एक दम नदीदे लड़के की तरह , जैसे होंठों से लार टपक रही हो।


सब लोग स्टेज पर नाच देखने में मगन थे और वो , उसकी निगाहें चिपकी हुयी थी मुझसे , बल्कि साफ कहूँ तो मेरे उभारों से। चुनरी थोड़ी सरक गयी थी और उभार काफी कुछ दिख रहे थे। लो कट होने से गहराई भी , बस अजय की निगाह वहीँ डूबी हुयी थी।

मेरा तन मन दोनों सिहर गया , ये लड़के भी और ख़ास तौर से ये अजय न ,

मेरे नए नए आये जोबन और कड़े हो गए।

चंदा ने अजय को टोका ,

" हे क्या देख रहे हो। "

बिचारा अजय जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो , एकदम खिसिया गया।

कुछ तो नहीं। धीमे से बोला।

" कुछ तो देख रहे थे ,जरूर " अब मैं भी उसकी रगड़ाई में शामिल हो गयी थी।

साथ ही चूनर अड्जस्ट करने के बहाने से उसे गोरी गोरी गुदाज गोलाइयों का के पूरा दर्शन भी दे दिया।

उसकी हालत और खराब ,

" इस बिचारे की क्या गलती , देखने लायक चीज हो तो कोई भी देखेगा ही ," चंदा ने पाला बदल लिया और अजय के बगल में खड़ी होगयी लेकिन फिर उसने अजय को चिढ़ाया ,

' सिर्फ देखने लायक है या कुछ और भी ,.... "

जवाब नाचने वाली की ओर से आया ,




लड़ाई लो अंखिया हो लौंडे राजा , लड़ाई लो
दबाई दो छतियां हो लौंडे राजा ,लड़ाई लो अंखिया हो लौंडे राजा , लड़ाई लो

अरे उठायी लो टंगिया , सटाय दो , घुसाय दो , धँसाय दो


और उस के साथ वो जिस तरह की आवाजें निकाल रही थी टाँगे उठाये थी , कुछ कल्पना के लिए बचा नहीं था।


बात अजय ने बदली ,

"हे निशाना लगाने चलोगी।"


और जवाब चंदा ने दिया ,

" जानती है , अजय का निशाना एकदम पक्का है चूकता नहीं। "

लेकिन अजय ने मुझसे बोला , " लेकिन कई बार नहीं भी लगता। "

भीड़ का एक धक्का आया , नौटंकी में घुसने वालों का ,

और चंदा थोड़ा पीछे रह गयी।

मैंने अजय का हाथ पकड़ लिया और मौके का फायदा उठा के , थोड़ा सट के धीमे से बोली ,

" क्या पता, लग गया हो और ,… तुम्हे पता न चला हो। "

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mini

Re: सोलहवां सावन,

Post by mini »

mmw bhi hindi mai kabhi nahi mili
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