सोलहवां सावन complete
- rajaarkey
- Super member
- Posts: 10097
- Joined: 10 Oct 2014 10:09
- Contact:
Re: सोलहवां सावन,
suswaagatam aapki nai kahaani ke liye komal ji
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
- Withlove
- Super
- Posts: 71
- Joined: 07 Oct 2014 07:28
Re: सोलहवां सावन,
komaalrani wrote: किसी ने कहा कि अब घर चलते हैं पर मेरी भाभी ने हँसकर कहा कि अब कोई फायदा नहीं, रास्ते में अच्छी तरह भीग जययेंगे, यहीं सावन का मजा लेते हैं। तेज होती बरसात के साथ, मेरी चूत में उंगली भी तेजी से चल रही थी।
कपड़े सारे भीग गये और बदन पर पूरी तरह चिपक गये थे। चूत में उंगली के साथ अब क्लिट की भी अंगूठे से रगड़ाई शुरू हो गयी और थोड़ी देर में ही मैं झड़ गयी और उसी के साथ बरसात भी रुक गयी।
लौटते समय भाभी, चमेली भाभी के घर चली गयी और मैं चम्पा के साथ लौट रही थी कि रास्ते में अजय और सुनील मिले। भीगे कपड़ों में मेरा पूरा बदन लगभग दिख रहा था, ब्रा हटने से मेरे उभार, सिंथेटिक टाप से चिपक गये थे और मेरी स्कर्ट भी जांघों के बीच चिपकी थी।
चन्दा जानबूझ कर रुक कर उनसे बात करने लगी और वो दोनों बेशर्मी से मेरे उभारों को घूर रहे थे।
मैंने चन्दा से कहा- “हे चलो, मैं गीली हो रही हूं…”
चन्दा ने हँसकर कहा- “अरे, बिन्नो देखकर ही गीली हो रही हो तो अगर ये कहीं पकड़ा-पकड़ी करेंगे तो, तुम तो तुरंत ही चिपट जाओगी…”
सुनील और अजय दोनों ने कहा- “कब मिलोगी…”
मैं कुछ नहीं बोली।
चन्दा बोली- “अरे, तुमसे ही कह रहे हैं…”
हँसकर मैंने कहा- “मिलूंगी…” और चन्दा का हाथ पकड़कर चल दी।
पीछे से सुनील की आवाज सुनाई पड़ी- “अरे, हँसी तो फँसी…”
तब तक चन्दा की आवाज ने मुझे वापस ला दिया। उसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया था और साड़ी उतार रही थी।
मैंने उसे छेड़ा- “क्यों मेरे चक्कर में घाटा तो नहीं हो गया…”
“और क्या, लेकिन अब तेरे साथ उसकी भरपायी करूंगी…” और उसने मेरे उभारों को फ्राक के ऊपर से पकड़ लिया। हम दोनों साथ-साथ लेटे तो उसने फिर फ्राक के अंदर हाथ डालकर मेरे रसभरे उभारों को पकड़ लिया और कसकर मसलने लगी।
“हे, नहीं प्लीज छोड़ो ना…” मैंने बोला।
पर मेरे खड़े चूचुकों को पकड़कर खींचते हुए वह बोली-
“झूठी, तेरे ये कड़े कड़े चूचुक बता रहें हैं कि तू कित्ती मस्त हो रही है और मुझसे छोड़ने के लिये बोल रही है। लेकीन सच में यार असली मजा तो तब आता है जब किसी मर्द का हाथ लगे…”
मेरी चूचियों को पूरे हाथ में लेकर दबाते हुए वो बोली कि कल मेले में चलेगी ना, देख कित्ते छैले तेरे जोबन का रस लूटेंगे। उसने मेरे हाथ को खींचकर अपने ब्लाउज़ के ऊपर कर दिया और उसकी बटन एक झटके में खुल गयीं।
“मैं अपने यारों को ज्यादा मेहनत नहीं करने देना चाहती, उन्हें जहां मेहनत करना है वहां करें…” चन्दा बोली।
उसका दूसरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर घुसकर मेरे भगोष्ठों को छेड़ रहा था। थोड़ी देर दोनों भगोष्ठों को छेड़ने के बाद उसकी एक उंगली मेरी चूत के अंदर घुस गयी और अंदर-बाहर होने लगी।
चन्दा बोली- “यार, सुनील का बड़ा मोटा है, मैं इत्ते दिनों से करवा रही हूँ पर अभी भी लगाता है, फट जायेगी और एक तो वह नंबरी चोदू भी है, झड़ने के थोड़ी देर के अंदर ही उसका मूसल फिर फनफना कर खड़ा हो जाता है…”
उसका अंगूठा अब मेरी क्लिट को भी रगड़ रहा था और मैं मस्ती में गीली हो रही थी।
“और अजय का…” मैं अपने को पूछने से नहीं रोक पायी।
“अच्छा, तो गुड्डो रानी, अजय से चुदवाना चाहती हैं…” चन्दा ने कसकर मेरी क्लिट को पिंच कर लिया और मेरी सिसकी निकल गयी।
“तुम्हारी पसंद सही है, मुझे भी सबसे ज्यादा मजा अजय के ही साथ आता है, और उसे सिर्फ चोदने से ही मतलब नहीं रहता, वह मजा देना भी जानता है, जब वह एक निपल मुँह में लेकर चूसते और दूसरा हाथ से रगड़ते हुए चोदता है ना तो बस मन करता है कि चोदता ही रहे।
तुम्हारा तो वह एकदम दीवाना है, और वैसे दीवाने तो सभी लड़के हैं तुम पर…”
चन्दा की उंगली अब फुल स्पीड में मेरा चूत मंथन कर रही थी और उसने मेरा भी हाथ खींच कर अपनी चूत पर रख लिया था।
“और रवी तो… वह चाटने और चूसने में एक्सपर्ट है, नंबरी चूत चटोरा है, वह…”
मैं खूब मस्त हो रही थी।
मेरी एक चूची चन्दा के हाथ से मसली जा रही थी और उसके दूसर हाथ की उंगली मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी। ऐसा नहीं था कि मेरी चूत रानी को कभी किसी उंगली से वास्ता न पड़ा हो, पिछली होली में ही भाभी ने जब मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर मेरी चूत पर गुलाल रगड़ा मसला था तो उन्होंने उंगली भी की थी
और वह तो ऐसे भांग के नशे में थीं की कैंडलिंग भी कर देतीं पर भला हो कि रवीन्द्र, उनका देवर आ आया तो, मुझे छोड़कर उसके पीछे पड़ गयीं।
पर जैसे चन्दा एक साथ, चूची, चूत और क्लिट कि रगड़ाई कर रही थी वैसे पहले कभी नहीं हुई थी और एक रसीले नशे से मेरी आँखें मुदी जा रही थीं।
चन्दा साथ में मुझे समझा भी रही थी-
“सुन, मेरी बात मान ले, यहां जमकर मजा लूट ले, देखो यहां दो फ़ायदे हैं। अपने शहर में किसी और से करवायेगी तो ये डर रहेगा की बात कहीं फैल ना जाय, वह फिर तुम्हारे पीछे ना पड़ जाय, पर यहां तो तुम हफ्ते दस दिन में चली जाओगी फिर कहां किससे मुलाकात होगी।
और फिर शहर में चांस मिलना भी टेढ़ा काम है, जब भी बाहर निकलोगी कोई भी टोकेगा की कहां जा रही हो, जल्दी आना, और फिर अगर किसी ने किसी के साथ देख लिया और घर आके शिकायत कर दी तो अलग मुसीबत, और यहां तो दिन रात चाहे जहां घूमो, फिरो, मौज मस्ती करो, और फिर तुम्हारी भाभी तो चाहती ही हैं कि तेरी ये कोरी कली जल्द से जल्द फूल बन जाये…”
ये कह के उसने कस के मेरी क्लिट को दबा दिया।
मैं मस्ती से कांप गयी- “पर… मैंने सुना है कि पहली बार दर्द बहुत होता है…” मस्ती ने मेरी भी शर्म शत्म कर दी थी।
“अरे मेरी बिन्नो… बिना दर्द के मजा कहां आता है, और कभी तो इसको फड़वाओगी, जब फटेगी… तभी दर्द होगा… वह तो एक बार होना ही है… आखिर तुमने कान छिदवाया, नाक छिदवायी कित्ता दर्द हुआ, पर बाद में कित्ते मजे से कान में बाला और नाक में कील पहनती हो।
ये सोचो न कि मेरी उंगली से जब तुम्हें इतना मजा आ रहा है… तो मोटा लण्ड जायेगा तो कित्ता मजा आयेगा। और अगर तुम्हें इतना डर लगा रहा है तो मैं तो कहती हूँ तुम सबसे पहले अजय से चुदवाओ, वह बहुत सम्हाल-सम्हाल कर चोदेगा…”
सेक्सी बातों और उंगली के मथने से मैं एकदम चरम के पास पहुँच गयी थी, पर चन्दा इत्ती बदमाश थी… वह मुझे कगार तक ले जाकर रोक देती और मैं पागल हो रही थी।
“हे चन्दा प्लीज, रुको नहीं हो जाने दो… मेरा…” मैंने विनती की।
“नहीं पहले तुम प्रामिस करो कि अब तुम सब शर्म छोड़कर…”
“हां हां मैं अजय, रवी, सुनील, दिनेश, जिससे कहोगी, करवा लूंगी… बस प्लीज़ रुको नहीं…” उसे बीच में रोककर मैंने बोला।
“नहीं ऐसे थोड़े ही… साफ-साफ बोलो और आगे से जैसे खुलकर चम्पा भाभी बोलती हैं ना तुम भी बस ऐसे ही
बोलोगी…” चन्दा ने धीरे-धीरे, मेरी क्लिट रगड़ते हुए कहा।
“हां… हां… हां… मैं अजय से, सुनील से तुम जिससे कहोगी सबसे चुदवाऊँगी… ओह… ओह्ह्ह्ह…” मैं एकदम कगार पर पहुँच गयी थी।
चन्दा ने अब तेजी से मेरी चूत में उंगली अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया और मेरी क्लिट कसकर पिंच कर ली और मैं बस… झड़ती रही… झड़ती रही… मेरी आँखें बहुत देर तक बंद रहीं।
जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि चन्दा ने मुझे अपनी बाहों में भर रखा है और वह धीरे-धीरे मेरे उभारों को सहला रही है। मैंने भी उसके जोबन को जो मेरे जोबन से थोड़े बड़े थे, को हल्के-हल्के दबाने शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में ही हम दोनों फिर गर्म हो गये। अबकी चन्दा मेरी दोनों टांगों को फैलाकर, किसी मर्द की तरह, सीधे मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे सख्त मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
“जानती हो अब तक सबसे मोटा और मस्त लण्ड किसका देखा है मैंने…” चन्दा ने कहा।
“किसका…” उत्सुकता से भरकर मैंने पूछा।
“जानती हो अब तक सबसे मोटा और मस्त लण्ड किसका देखा है मैंने…” चन्दा ने कहा।
“किसका…” उत्सुकता से भरकर मैंने पूछा।
मेरी चूत पर अपनी चूत हल्के से रगड़ते हुये, चन्दा बोली-
“तुम्हारे कजिन कम आशिक का… रवीन्द्र का…”
“उसका… पर वह तो बहुत सीधा… शर्मीला… और तुमने उसका कैसे देखा… फिर वह मेरा आशिक कहां से हो गया…”
“बताती हूं…”
मेरी चूत की रगड़ाई अपनी चूत से करते हुए उसने बताना शुरू किया-
“तुम्हें याद है, अभी जब मैं मुन्ने के होने पे गयी थी, मैंने रवीन्द्र पे बहुत डोरे डालने की कोशिश की… मुझे लगता था कि भले ही वह सीधा हो पर बहुत मस्त चुदक्कड़ होगा, उसका बाडी-बिल्ड मुझे बहुत आकर्षक लगता था…
पर उसने मुझे लिफ्ट नहीं दी…
मैं समझ गयी कि उसका किसी से चक्कर है… पर एक दिन दरवाजे के छेद से मैंने उसे मुट्ठ मारते देखा… मैं तो देखती ही रह गयी, कम से कम बित्ते भर लंबा लण्ड होगा और मोटा इतना कि मुट्ठी में ना समाये… और वह किसी फोटो को देखकर मुट्ठ मार रहा था… कम से कम आधे घंटे बाद झड़ा होगा…
और बाद में अंदर जाकर मैंने देखा तो…
जानती हो वह फोटो किसकी थी…”
“किसकी… विपाशा बसु या ऐश की…”
मेरी आँखों के सामने तो उसकी मुट्ठ मारती हुई तस्वीर घूम रही थी।
“जी नहीं… तुम्हारी… और मुझे लगा की पहले भी वह तुम्हारी फोटो के साथ कई बार मुट्ठ मार चुका है… यहां मैं अपनी चूत लिये लिये घूम रही हूँ वहां वह बेचारा… तुम्हारी याद में मुट्ठ मार रहा… अगर तुम दे देती तो…”
मुझे याद आ रहा था कि कई बार मैं उसको अपने उभारों को घूरते देख चुकी हूँ और जैसे ही हमारी निगाहें चार होती हैं वह आँखें हटा लेता है…
और एक बार तो मैं सोने वाली थी कि मैंने पाया कि वह हल्के-हल्के मेरे सीने के उभारों को छू रहा है… मैं आँख बंद किये रही और वह हल्के-हल्के सहलाता रहा… पर उसे लगा कि शायद मैं जगने वाली हूँ तो उसने अपना हाथ हटा लिया। मुझे भी वह बहुत अच्छा लगता था।
“क्यों नहीं चुदवा लेती उससे…” मेरी चूत पर कसकर घिस्सा मारते हुये, चन्दा ने पूछा।
“आखिर… कैसे… मेरा कजिन है…” मैंने कुछ झिझकते कुछ लजाते पूछा।
“अरे लोग सगे को नहीं छोड़ते… तुम कजिन की बात कर रही हो, तुम्हें कुछ ख्याल है कि नहीं उसका, अगर कहीं इधर-उधर जाना शुरू कर दिया… कोई ऐसा वैसा रोग लगा बैठा…” चंदा ने जोर देकर समझाया।
मुझे भी उसकी बात में दम लग रहा था ,लेकिन चंदा से कैसे हामी भरती ?
चन्दा ने फिर मुझे पहली बार की तरह कगार पे ले जाके छोड़ना शुरू कर दिया, और जब मैंने खुलके कसम खाकर ये प्रामिस किया कि न मैं सिर्फ रवीन्द्र से चुदवाऊँगी बल की रवीन्द्र से उसकी भी चूत चुदवाऊँगी तभी उसने मुझे झड़ने दिया।
जब सुबह होने को थी तब जाकर हम दोनों सोये।
अगले दिन दोपहर के पहले से ही मेले जाने की तैयारियां शुरू हो गयी थीं।
दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रहने का..
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है
- 007
- Platinum Member
- Posts: 5355
- Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: सोलहवां सावन,
Nice update.. komal ji
plz more..........
plz more..........
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
- jay
- Super member
- Posts: 9108
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
- Contact:
Re: सोलहवां सावन,
komal ji you are great
pls update
pls update
Read my other stories
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)