Thanks dost
ज़िंदगी भी अजीब होती है Restart
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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है Restart
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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है Restart
“लाला मैं दोपहर को कह के गयी थी ना कि हमारा आटा पीस दियो पर अभी तक ना पीसा अब रोटिया कैसे सेकूंगी मैं”
मैने पलट कर देखा और मुझे जैसे यकीन ही नही हुआ. वो मेरी आँखो के सामने खड़ी थी इतने दिनो बाद मैने जो उसे देखा था तो बस देखता ही रह गया और जब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी तो बस वो भी मुस्कुरा ही तो पड़ी.
“मनीष, यकीन नही होता ”
मैं- यकीन तो मुझे भी नही होता, कितना टाइम बीत गया ना . अब जाके मिली है तू .
“क्या करूँ तुझे तो पता है कि शादी के बाद दुनिया ही बदल जाती है और फिर मेरे वाला भी तेरी तरह फ़ौज़ी है तो बस झोला-झंडी उठाए बस घूमते ही रहते है , फिर गाँव भी कम ही आना जाना होता है भाई भी अपनी ड्यूटी मे मस्त है तो बस ऐसे ही है”
मैं- सबका यही पंगा है , वैसे पहले से ज़्यादा हट्टी-कत्ति हो गयी है तू .
“मुझे पता था तू सबसे पहले ये ही नोटीस करेगा तू सुधरा नही ना अभी तक चल आजा घर चलके बाते करते है .”
मैं- ये राशन का समान घर दे आउ फिर आता हूँ .
“लाला को बोल दे किसी के हाथ भिजवा देगा”
मैं- ठीक है तेरे साथ ही चलता हूँ.
मुझे अभी भी यकीन नही आ रहा था कि प्रीतम एक बार फिर से मुझे ऐसे मिल जाएगी . उसके ब्याह के बाद दो- तीन बार ही मैं मिला था उस से फिर मैं भी तो बिज़ी हो गया था अपने झमेलो मे पर आज , शायद इसे ही संजोग कहते है.
प्रीतम- काफ़ी तगड़ा हो गया है पहले से तू.
मैं- बस वो ही तेरे वाली बात ऐसा ही है.
प्रीतम- सही है कितने दिन की छुट्टी आया है.
मैं- कल ही जाना है
प्रीतम- ये क्या बात हुई आज मिला और कल जाने की बोल रहा , रुक जा दो - चार दिन मेरे साथ अरसा हो गया किसी अपने के साथ हुए.
मैं- तेरा कहा मैने कभी टाला है क्या तू कहे और मैं जाउ हो सकता है क्या रुक जाउन्गा पर तेरे वाला भी आया है क्या.
प्रीतम- ना रे, कश्मीर मे तैनात है आजकल. तो हम फिलहाल ससुराल मे ही जमे है , इधर तो मैं अकेली ही आई हूँ ना, ताऊ जी के पोता हुआ है तो उसी का प्रोग्राम है बच्चों को भी सास-ससुर के पास छोड़ के आना पड़ा. अब सर्दी का मौसम है उनको संभालू या प्रोग्राम को एंजाय करू.
मैं- बच्चे भी कर लिए.
प्रीतम- दुनिया का दस्तूर है तो हम ने भी दो औलादे कर ली.
मैं- सही है.
बाते करते करते हम उसके घर आ गये और एक दम से जैसे यादो का सैलाब टूट पड़ा मुझ पर इस घर मे बहुत मज़े किए थे मैने प्रीतम के साथ कुछ बेशक़ीमती पल बिताए थे मैने.
प्रीतम- हम बदल गये पर ये दीवारे आज भी वैसी ही हैं
मैं- तेरी मेरी कहानी इन दीवारो के दरमियाँ ही सिमटी हुई है कही पर.
प्रीतम- दीवानी हो गयी थी मैं तेरी .
मैं- कुछ तो हमें भी सुरूर था.
प्रीतम- वो भी क्या दिन थे ना
मैं- दौर बीत चुका है वो .
प्रीतम- पर यादो का क्या
मैं- कुछ नही.
प्रीतम- थोड़ा टाइम गुजारेगा मेरे साथ.
मैं जवाब देता उस से पहले ही निशा का फोन आ गया
मैं- हाँ.
निशा- कहाँ हो.
मैं- थोड़ी देर मे आता हूँ
निशा- हूंम्म.
मैने फोन रखा .
प्रीतम- किसका फोन था.
मैं- निशा का .
प्रीतम- वो कुम्हारो की लड़की , अभी तक तेरे साथ है वो.
मैं- मेरे घर ही हैं शादी कर रहे है हम जल्दी ही.
प्रीतम- चल झूठे,
मैं-तेरी कसम यार, एक लंबी कहानी है
प्रीतम- मैं तो तब भी बोलती थी ये लड़की तुझे दूर तक ले जाएगी .गाँव बस्ती का क्या
मैं- अब किसी की कोई औकात नही .
प्रीतम- तो कमिने मुझे ही भगा लेता मैने कौनसा सा टूट के नही चाहा था तुझे, तन मन धन सब तेरे नाम कर दिया था.
मैं- यार तू तो आज भी दिल मे है पर मैने कहा ना वो दौर बीत गया है इस छोटी सी ज़िंदगी मे बहुत कुछ घट गया है , अब बस मैं और निशा ठिकाना ढूँढ रहे है एक दूसरे के सहारे ज़िंदगी कट जाएगी.
प्रीतम- तू जो भी करेगा अच्छा ही करेगा.
उसने मेरे गालो पर किस किया और बोली- वैसे मैं आज अकेली ही हूँ.
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- xyz
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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है Restart
nice update bhai
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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है Restart
मित्र इंतिहाई मस्त कहानी है
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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है Restart
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