छोटी-छोटी रसीली कहानियां, Total 18 stories Complete

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Jaunpur

Re: छोटी-छोटी रसीली कहानियां

Post by Jaunpur »

Rohit Kapoor wrote:Ummm Marvelous bro
Rohit Kapoor wrote:waiting for next.............................
xyz wrote:bhai ji or kahani post kiziye na
Rohit Kapoor wrote:waiting your next story.............................
rajsharma wrote:दोस्त कहानी बहुत ही अच्छी है
007 wrote:सुपर कहानी सुपर एंड
jay wrote:
Jaunpur wrote:.
दोस्तों,
कहानी पूरी हो चुकी है।
मज़ा लीजिये।

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भाई जी मज़ा कहाँ से लें इस कहानी का तो पूरा मज़ा लेलिया अब कोई नई कहानी शुरू करोगे तभी तो मज़ा आएगा
..
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दोस्तों,
कहानी की तलाश जारी है। छोटी सी अच्छी कहानी मिलते ही पोस्ट होगी।
लम्बी कहानी के लिये अलग सूत्र शुरू करूंगा।
धन्यवाद।

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jay
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Re: छोटी-छोटी रसीली कहानियां

Post by jay »

Jaunpur wrote:
Rohit Kapoor wrote:Ummm Marvelous bro
Rohit Kapoor wrote:waiting for next.............................
xyz wrote:bhai ji or kahani post kiziye na
Rohit Kapoor wrote:waiting your next story.............................
rajsharma wrote:दोस्त कहानी बहुत ही अच्छी है
007 wrote:सुपर कहानी सुपर एंड
jay wrote:
Jaunpur wrote:.
दोस्तों,
कहानी पूरी हो चुकी है।
मज़ा लीजिये।

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भाई जी मज़ा कहाँ से लें इस कहानी का तो पूरा मज़ा लेलिया अब कोई नई कहानी शुरू करोगे तभी तो मज़ा आएगा
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दोस्तों,
कहानी की तलाश जारी है। छोटी सी अच्छी कहानी मिलते ही पोस्ट होगी।
लम्बी कहानी के लिये अलग सूत्र शुरू करूंगा।
धन्यवाद।

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जौनपुर भाई जी हमें मालूम है आपका खजाना मस्ती के तीरों से भरा पड़ा है कोई भी निकाल कर मार दीजिए
हम तैयार हैं मस्ती में पागल होने के लिए
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Jaunpur

आनन्द भरा सुहाना सफर

Post by Jaunpur »

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आनन्द भरा सुहाना सफर

मिताली और उनके पति पंकज सहारनपुर में रहते थे, पंकज सरकारी बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन उनका ताबदला पटियाला हो गया था तो वे अपना कुछ सामान पटियाला लेकर जा रहे थे, वैसे तो काफी सामान उन्होंने छोटे ट्रक से भेज दिया था पर कांच की कुछ चीज़ें, क्राकरी आदि अपनी कार से लेकर जा रहे थे।

हर्षित नाम का एक युवक उनके पड़ोस में ही रहता था। सामान कुछ ज़्यादा था इसलिये पंकज ने हर्षित को भी साथ चलने को कहा ताकि वहाँ जाकर सामान गाड़ी से उतारकर रखवाने में ज़्यादा दिक्कत ना हो। रविवार का दिन होने के कारण हर्षित के कालेज की छुट्टी थी और वैसे भी हर्षित मिताली भाभी का कहा हुआ कभी नहीं टालता था। उनका बात करने का तरीका ही इतना लुभावना था कि जब भी वो प्यार से कोई भी काम कहती, हर्षित मना ना कर पाता था।

सितम्बर का महीना था। हर्षित की पूरी सुबह मिताली भाभी और उनके पति पंकज का सामान उनकी गाड़ी में रखवाने में निकल गई थी। पंकज और मिताली की शादी को अभी ढाई साल ही हुए थे, अभी तक उनके कोई बच्चा नहीं हुआ है।

मिताली भाभी पंजाबी परिवार से हैं और बला की खूबसूरत हैं, उनका गोरा रंग, नीली आँखें, गदराया बदन और गुलाबी होंठ किसी भी उम्र के मर्द को पागल कर दें, और फिर हर्षित तो एकदम युवा है, सिर्फ़ उन्नीस साल का, उसपर मिताली भाभी का जादू चलना लाज़मी था। वो हर्षित के पड़ोस में दो सालों से रह रही थीं, इतने समय में हर्षित और मिताली भाभी काफी घुलमिल गए थे।

हर्षित तो पहले दिन से ही मिताली भाभी के हुश्न का दीवाना था। उस दिन सुबह से ही हर्षित, मिताली भाभी और उनके पति गाड़ी में सामान रखते-रखते पशीने से लथपथ हो चुके थे। गाड़ी सामान से लगभग भर ही चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारा सामान रखने के बाद किसी और के बैठने की जगह ही नहीं बचेगी। तभी पंकज घर के अन्दर गए ताकि आखिरी बचा हुआ सामान ला सकें।

हर्षित और मिताली भाभी ने जैसे ही उन्हें घर से बाहर आने की आहट सुनी तो मुड़कर देखा तो दोनों हैरान रह गये। पंकज अपना 42 इंच का टीवी उठाए आ रहे थे।

“अब इस टीवी को कहाँ रखेंगे?” हर्षित ने मिताली भाभी को बोलते सुना।

“मुझे नहीं पता, पर इसके बिना मेरा काम नहीं चलने वाला। इसे तो मैं लेकर ही जाऊँगा। थोड़ा बहुत सामान इधर-उधर खिसका कर जगह बन ही जायेगी…” पंकज बोले।

हर्षित ने पिछली सीट पर देखा और कहा- पीछे तो जगह नहीं है। मेरे ख्याल से आगे वाली सीट पर ही रखना पड़ेगा?

“अच्छा? तो फिर तुम्हारी भाभी कहाँ बैठेंगी?” पंकज बोले।

उनके चेहरे से लग रहा था जैसे वो गहन चिंतन में डूबे हुए हैं और कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने टीवी आगे वाली सीट को लेटाकर इस तरह से रखा कि आधा टीवी आगे ड्राईवर के साथ वाली सीट पर और आधा ड्राईवर के ठीक पीछे वाली सीट पर आ गया। फिर हर्षित से पीछे वाली सीट पर बैठने को कहा। हर्षित के बैठते ही उन्होंने मिताली भाभी को भी हर्षित के साथ बैठने को कहा और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द करने की कोशिश करने लगे, पर काफी कोशिश करने के बाद भी दरवाज़ा बन्द नहीं हुआ।

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Jaunpur

आनन्द भरा सुहाना सफ़र

Post by Jaunpur »

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भाभी कहने को मोटी तो नहीं थी पर जगह ही इतनी कम थी कि किसी भी हालत में दो जने वहाँ नहीं बैठ सकते थे। भाभी ने अपने पति को समझाने की कोशिश की- एक काम करते हैं, आज टीवी यहीं छोड़ दीजिये। आप जब अगली बार जायेंगे तो ले जाना।

“बिल्कुल भी नहीं… कल से क्रिकेट के मैच शुरू हो रहे हैं, मेरा काम नहीं चलने वाला टीवी के बिना…” वो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे।

भाभी पहले ही गर्मी से परेशान थीं, उनके चेहरे पर गुस्सा साफ दिखाई देने लगा था, उन्होंने झल्ला कर कहा- देखिये, फटाफट फैसला कीजिए, इतनी कम जगह में दो लोग नहीं आ सकते।

या तो आप अपना टीवी छोड़ दीजिये, या फिर हर्षित को मेरी गोद में बैठना पड़ेगा और मुझे नहीं लगता कि मैं हर्षित का वज़न झेल पाऊँगी।

इतना सुनते ही उनके पति ने झट से कहा- अरे हाँ। यह तो मैंने सोचा ही नहीं था। एक काम करो, तुम हर्षित की गोद में बैठ जाओ। वैसे भी तुम हल्की सी ही तो हो, हर्षित को ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। रास्ता भी इतना लम्बा नहीं है, बस कुछ घण्टों की तो बात है।

पंकज हर्षित को बच्चा ही समझते थे, इसलिए उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी कि उनकी बीवी हर्षित की गोद में बैठे।

“आपका दिमाग तो ठीक है? इतनी गर्मी में यह परेशान हो जायेगा…” भाभी ने अपने पति को गुस्से से घूरते हुए कहा।

“कोई दिक्कत नहीं है भाभी। वैसे भी रास्ता इतना लम्बा नहीं है और ऊपर से दूसरा कोई तरीका नहीं है…” हर्षित ने कहा।

तभी पंकज भी बोले- सही बात है मिताली, मान जाओ ना?

मिताली भाभी के पास पंकज की बात मान लेने के सिवा कोई चारा नहीं था, उन्होंने कहा- चलो ठीक है। अगर हर्षित को दिक्कत नहीं है तो ऐसे ही कर लेते हैं। लेकिन अगर रास्ते में हर्षित को दिक्कत हुई तो थोड़ी देर गाड़ी रोक लेंगे।

भाभी ने हर्षित की ओर देखा तो उसने “हाँ…” में सिर हिला दिया।

भाभी ने कहा- तो ठीक है। चलो सब नहा लेते हैं, गर्मी बहुत है। फिर चलेंगे।

हर्षित अपने घर गया और फटाफट नहा-धोकर वापिस आ गया। रास्ता साढ़े तीन से चार घण्टे का था और काफी गर्मी होने वाली थी इसलिए हर्षित ने थोड़े आरामदायक कपड़े पहनने का फैसला किया और अपनी टी-शर्ट और निकर ही पहन ली।

मिताली और पंकज भी थोड़ी देर में तैयार होकर आ गए।

भाभी ने भी गर्मी को ध्यान में रखते हुए एक पतला सा कुर्ता और सलवार ही पहनी थी। पंकज ड्राईवर सीट पर बैठ गए और हर्षित पीछे की सीट पर बैठ गया। भाभी भी पीछे वाली सीट पर हर्षित की गोद में बैठ गई और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द कर दिया।

“तुम ठीक से बैठे हो ना?” भाभी ने हर्षित से पूछा।

“जी भाभी, आप चिन्ता मत करो। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आप तो एकदम हल्की सी हैं…” हर्षित ने जवाब दिया तो भाभी मुश्कुराए बिना न रह सकी।

तभी उन्होंने अपने पति को चलने को कहा। उनके पति को सिर्फ़ उनका सिर ही दिखाई दे रहा था क्योंकी सारी जगह उनके टीवी ने घेर रखी थी।

“तुम ठीक से बैठी हो ना?” उनके पति ने पूछा।

भाभी अपनी जगह पर थोड़ा हिली और बोली- हाँ। एकदम ठीक हूँ।

गाड़ी चल पड़ी और चलते ही पंकज ने गाने चला दिये। सफर लम्बा था। करीब एक घण्टा बीत गया था और गाड़ी अपनी पूरी रफ़्तार से चली जा रही थी।

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Jaunpur

आनन्द भरा सुहाना सफ़र

Post by Jaunpur »

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मिताली आराम से बैठी गाने सुन रही थी कि तभी उन्हें अपने नीचे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ। उन्होंने खुद को थोड़ा हिलाकर ठीक करने की कोशिश की पर अभी भी उन्हें कुछ चुभ रहा था। वो थोड़ा ऊपर उठी और फिर ठीक से बैठ गई, पर अभी भी मिताली को अपने नीचे कुछ महसूस हो रहा था।

हर्षित साँस रोके चुपचाप बैठा था कि अब तो भाभी को पता लग ही जायेगा कि क्या हो रहा है।

“मैं जब बैठी थी तब तो यहाँ ऐसा कुछ नहीं था तो अब कहाँ से…” मिताली खुद से बातें कर रही थी और तभी अचानक से उन्हें अंदाज़ा हुआ कि वह चुभने वाली चीज़ क्या है।
मिताली के गोद में बैठने के कारण हर्षित के लण्ड में तनाव आ रहा था और वही मिताली की गाण्ड की दरार में चुभ रहा था।

“हे भगवान। हर्षित का लण्ड मेरे बैठने के कारण खड़ा हो गया है…” मिताली ने मन ही मन सोचा- “मुझे उम्मीद नहीं थी कि आज भी मेरी वजह से किसी जवान लड़के का लण्ड खड़ा हो सकता है। कितना बड़ा होगा हर्षित का लण्ड? क्या सोच रहा होगा वह मेरे बारे में मन ही मन? क्या उसे भी मेरे चूतड़ों के बीच की खाईं महसूस हो रही है?” मिताली का मन ऐसे रोमांचक सवालों से प्रफुल्लित हो उठा था।

मिताली ने नीचे कि ओर देखा तो उनका कुर्ता भी खिसक कर ऊपर उठ गया था और उनकी नाभि साफ दिखाई दे रही थी। एक बार तो मिताली ने सोचा कि कुर्ता नीचे कर लिया जाये, पर फिर मिताली ने हर्षित को थोड़ा तंग करने के इरादे से उसे वैसा ही रहने दिया। मिताली को यह विचार बड़ा रोमांचित कर रहा था कि उनकी वजह से हर्षित उत्तेजित हो रहा है।

हर्षित के हाथ उनके दोनों तरफ सीट पर टिके हुए थे। चलते-चलते एक घण्टे से ज़्यादा हो चुका था, पर अभी भी कम से कम दो ढाई घण्टे का सफर बाकी था।

मिताली जानती थी कि पंकज को उनके सिर के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था कि नीचे क्या हो रहा है। उनके टीवी के आड़ में सब कुछ छुपा हुआ था। तभी मिताली ने महसूस किया कि हर्षित थोड़ा उठकर अपने आपको व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही हर्षित दोबारा बैठा तो उसका लण्ड ठीक भाभी के चूतड़ों के बीच में आ गया। मिताली का मन इस एहसास से और भी रोमांचित हो उठा और वो मन ही मन कामना करने लगी कि हर्षित कुछ ना कुछ और करे।

“तुम ठीक से बैठे हो ना हर्षित?” मिताली ने पूछा।

“हाँ भाभी। मैं तो एकदम ठीक हूँ। आपको तो कोई दिक्कत नहीं हो रही ना?” हर्षित ने इस उम्मीद में पूछा कि अगर भाभी को उसके लण्ड की वजह से कोई दिक्कत होगी तो वो इशारों में कुछ कहेंगी।

लेकिन मिताली ने कहा- “बिल्कुल नहीं। बल्कि मुझे तो अच्छा ही महसूस हो रहा है ऐसे बैठकर। तुम्हारे दोनों हाथ एक ही जगह रखे-रखे थक तो नहीं गए ना?”

हर्षित को भरोसा नहीं हो रहा था कि भाभी ने सच में वो सब कहा है, उसने जवाब दिया- हाँ भाभी, थोड़ा सा।

“एक काम करो, तुम अपने दोनों हाथ यहाँ रख लो…” कहकर मिताली ने हर्षित के दोनों हाथ अपनी दोनों जांघों पर रखवा लिये। और पूछा- “अब ठीक है?”

“हाँ, अब तो पहले से बहुत बेहतर है…” हर्षित ने खुश होकर कहा।

मिताली ने नीचे की ओर देखा तो पाया कि हर्षित ने अपनी दोनों हथेलियां उनकी दोनों जांघों पर रख ली थी और उसके दोनों अँगूठे मिताली की चूत के बहुत पास थे। मिताली मन में सोचने लगी के अगर हर्षित थोड़ा सा भी अपने अँगूठों को अन्दर की ओर बढ़ाए तो उनकी चूत को सलवार के ऊपर से छू सकता है, पर मिताली जानती थी कि हर्षित इतनी आसानी से इतनी हिम्मत नहीं करने वाला।

हर्षित की छुअन से मिताली की चूत से रस निकलने लगा था और उनकी पैंटी भीगने लगी थी, उन्हें लग रहा था कि थोड़ी ही देर में यह गीलापन उनकी सलवार तक पहुँच जायेगा और तब अगर हर्षित ने उसे छू लिया तो वह समझ जायेगा भाभी के मन में क्या चल रहा है और वो कितनी गर्म हो चुकी हैं। मिताली ने खुद ही हिम्मत करके बात आगे बढ़ाने की सोची और अपने दोनों हाथ हर्षित के हाथों पर रख लिये।

देखने में भाभी की यह हरकत बड़ी ही स्वाभाविक सी लग रही थी। फिर उन्होंने हर्षित के हाथों को ऊपर से धीरे-धीरे मसलना शुरू किया। मिताली ने एक बार सिर उठाकर अपने पति की ओर देखा। अपने पति के इतनी पास होते हुए हर्षित के साथ ऐसी हरकतें करना उन्हें बड़ा ही रोमांचित कर रहा था। मिताली ने हर्षित के हाथों को मसलते-मसलते उन्हें धीरे-धीरे ऊपर की ओर खिसकाने की कोशिश की ताकि हर्षित के हाथों को अपने चूत के ठीक ऊपर ला सके।

हर्षित भी अब तक समझ चुका था कि भाभी क्या चाह रही हैं, वह खुद भी वासना से भरकर पागल हुआ जा रहा था।

मिताली ने नीचे की ओर देखा तो हर्षित अपने दोनों हाथ भाभी की टाँगों के ठीक बीच में ले आया था और अपने दोनों अँगूठों से भाभी की चूत को उनकी सलवार के ऊपर से हल्के-हल्के सहलाने लगा था। मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़कर अपनी चूत के बिल्कुल ऊपर रख लिया और अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया जिससे हर्षित अच्छे से भाभी की चूत को उनकी गीली हो चुकी सलवार और पैंटी के ऊपर से सहला पा रहा था।

मिताली ने हर्षित का हाथ पकड़कर जोर से अपनी चूत पर दबा दिया तो हर्षित ने भी भाभी की चूत को थोड़ा और जोर से रगड़ना शुरू कर दिया। अब मिताली भी वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी, उन्होंने अपने हाथ हर्षित के हाथों के ऊपर से हटा लिए थे पर हर्षित ने अपने हाथ वहीं रखे और भाभी की चूत को रगड़ना बन्द कर दिया।

मिताली बेसब्री से इंतज़ार करने लगी कि हर्षित कुछ करे, पर शायद हर्षित आगे बढ़ने में अभी भी डर रहा था। लेकिन मिताली जानती थी कि उसका डर कैसे दूर करना है, मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़ा और उसे उठाकर अपने पेट पर अपनी सलवार के नाड़े के ठीक ऊपर रख दिया और उसके हाथ को दबा दिया और दूसरे हाथ से अपना नाड़ा खोलने लगी।

नाड़ा खोलते ही मिताली ने हर्षित का हाथ अपनी सलवार के अंदर की ओर कर दिया जिससे हर्षित का हाथ भाभी की बुरी तरह भीग चुकी पैंटी पर आ गया। हर्षित ने भाभी की चूत को गीली पैंटी के ऊपर से रगड़ना शुरू किया। वह अब भाभी की चूत की फ़ाँकों को अच्छे से महसूस कर सकता था। मिताली ने थोड़ी देर तक तो उसी तरह हर्षित के हाथ का मज़ा लिया, फिर उसे पकड़कर अपनी पैंटी की इलास्टिक की तरफ लेजाकर उसके अन्दर की ओर धकेल दिया। भाभी की पैंटी हर्षित और भाभी दोनों के हाथों के लिए बहुत छोटी थी, इसलिए मिताली ने अपना हाथ बाहर ही रखा और सिर्फ़ हर्षित के हाथ को ही आगे बढ़ने दिया।

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***** to be contd... ...
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