Thanks Jay for welcoming me in this forum.jay wrote:जौनपुर ब्रो आपका वेलकम है इस नई थर्ड के साथ अब होगा हंगामा जब मिल बैठेंगे दीवाने दो हे हे हे हे हे हे
छोटी-छोटी रसीली कहानियां, Total 18 stories Complete
Re: छोटी-छोटी रसीली कहानियां
Re: दोहरी सुहाग रात_Dohri Suhaag Raat
Thanks xyz for appreciating the stories.xyz wrote:मैं दर्द से तिलमिला उठी- “ओह्ह… बहनचोद, काट क्यों रहे हो? मेरी चूची है कोई खाने की चीज नहीं है। मुझे दर्द होती है जब तुम अपने दाँत से काटते हो मेरे निपल्स को, प्यार से करो जो कुछ करना है…”
bahoot achi kahani hai Jaunpur ji apse aisi hi kahaniyo ki ummed thi
Re: छोटी-छोटी रसीली कहानियां
Thanks rajaarkey bro for warm welcome.rajaarkey wrote:दोस्त आपका बहुत दिन से इंतजार था आप आए बहार आई शुक्रिया इतनी अच्छी कहानियाँ पढ़ने को देने के लिए
अब तो आपकी नई कहानियों का हंगामा शुरू हो चुका है बहुत मज़ा आएगा
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Thanks
गैंगबैंग_ज़ारा का_Zara Ka Gangbang
गैंगबैंग_ज़ारा का (Zara Ka Gangbang)
लड़कियां दो वजह से रखैल बनती हैं। एक ये कि उनको ये सब अच्छा लगता है या दूसरी वजह ये कि उनको पैसा चाहिए होता है। जबकि मेरी ऐसी कोई मजबूरी नहीं। मैं एक अमीर खानदान से हूँ, और मुझे अपने गुरूर की सजा मिली है।
ये सब तब शुरू हुआ जब मैंने एम॰काम॰ के बाद प्राइवेट कालेज में लेक्चररशिप शुरू की, क्योंकी मुझे पढ़ाना अच्छा लगता है। अरे मैंने अपना पूरा परिचय दिया ही नहीं। मेरा पूरा नाम “ज़ारा जब्बार” है, मेरा रंग गोरा और मेरा फिगर 38-32-40 है, और मैं लाहोर की रहने वाली हूँ, और इस वक्त मेरी उमर 28 साल है और मैं अविवाहित हूँ।
मेरे घर में सिर्फ़ अब्बू हैं। क्योंकी मेरी अम्मी का मेरे बचपन में ही इंताकल हो गया था। जिस वक्त मैंने एम॰काम॰ किया उस वक्त मेरी उमर 23 साल की थी और मेरा फिग 34-28-36 था… और मुझमें गुरूर कूट-कूटकर भरा हुआ था। क्योंकी मैं नाज़ों से पली बढ़ी हूँ। और मेरी हर फरमाइश बिना माँगे पूरी की जाती है। अब सोचती हूँ कि काश… मुझमें ये गुरूर ना होता तो आज मैं इतनी बड़ी मुसीबत में होती।
एम॰काम॰ मुकम्मल करने तक कई लड़कों ने मुझसे बात करने की कोशिश की और दोस्ती के लिए भी हाथ आगे बढ़ाया मगर मैंने किसी को लिफ्ट नहीं दी। और एम॰काम॰ के बाद मैंने जाब करने का फैसला किया और पापा ने भी मेरी हिमायत की। सो मैं एक अच्छे से कालेज में पढ़ाना शुरू कर दिया जो कि अब्बू के एक दोस्त का था। कालेज काफी बड़ा है और दो गार्ड जो कि पठान हैं उनके नाम ‘हामिद खान’ और ‘जुनेद खान’ हैं। वो कालेज की चोकीदारी करते हैं, और अंकल के बहुत भरोसेमंद आदमी हैं।
उस वक्त मैं ग्रॅजुयेशन तक के स्टूडेंट्स को अकाउंटिंग पढ़ाती थी। 6 महीने ठीक गुजर गए लेकिन एक रोज एक ऐसा वाकिया हुआ कि जिसने मुझे गुस्सा दिला दिया। मेरे एक स्टूडेंट ने 14 फरवरी (रोज डे) पे मेरी क्लास की एक फीमेल को कालेज कैंपस में सबके सामने किस कर दी (उसने अपने दोस्तों से इसकी शर्त लगाई थी जो मुझे बाद में पता चला।) वो लड़की रोती हुई वहाँ से निकल गई।
मुझे उस लड़के पे बहुत गुस्सा आया हुआ था और मैंने प्रिन्सिपल से बात करके उसको कालेज से निकलवा दिया। जिससे उसका एक साल जाया हो गया। उसने मुझसे और प्रिन्सिपल से माफी माँगने की बहुत कोशिश की। लेकिन मैं उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी और मैंने ये तक कह दिया कि इस कालेज में या तो मैं रहूंगी या ये रहेगा। सो उसको कालेज से निकाल दिया।
यहाँ से असल कहानी शुरू होती है। मैंने उसको तो निकलवा दिया लेकिन ये भूल गई कि इनका पूरा ग्रूप कालेज में पढ़ता है या काम करता है। कुछ दिन ठीक गुजरे और उसके बाद जो कुछ हुआ, वो बहुत बुरा हुआ।
क्या हुआ था? आइए मैं आपको बताती हूँ।
वो दिन बाकी दिनों से अलग था। उस दिन मौसम बहुत खूबसूरत था, एकदम रोमँटिक। मैंने काले रंग की शलवार-कमीज और मैचिंग ब्रा अंडरवेर पहना था। उस दिन तो मेरा भी दिल कर रहा था कि इस मौसम में कोई मेरे साथ भी होता। कालेज में एग्ज़ॅम्स चल रहे थे और उस दिन सटर्डे था। मेरे अब्बू ुबई गए हुये थे और उन्होंने मंडे को वापस आना था। दोपहर तक सब स्टूडेंट्स चले गए थे। अब कालेज में सिर्फ़ टीचर्स और लैब स्टाफ था। शाम 4:00 बजे तक पूरा कालेज खाली हो गया सिर्फ़ मेरे अब्बू के दोस्त अली (प्रिन्सिपल), मैं और लैब स्टाफ रह गया था।
और यहीं से उनका प्लान शुरू हुआ। उन्होंने कालेज के हर एरिया में कैमरे फिट किए हुये थे। जो कि अंकल ने ही कहा था लैब असिस्टेंट को। 4 लोग कंप्यूटर लैब में काम करते थे। अंकल ने मुझे साथ लेकर जाना था क्योंकी उस दिनमैं अपनी गाड़ी में नहीं आई थी।
उन्होंने मेरा पूछा तो लैब असिस्टेंट ने कह दिया कि मैं जा चुकी हूँ लेकिन मैं अपने केबिन में बैठी पेपर्स चेक कर रही थी और बेखबर थी कि क्या हो रहा है। अंकल चले गए और मुझे पता भी नहीं चला।
5 बजे लैब असिस्टेंट मेरे रूम में आया और कहा- “ज़ारा अब बस करो और चलो बाहर चलो। मिलकर मौसम एंजाय करते हैं…”
मैं उससे बेताकल्लूफ नहीं थी तो मैंने उसको झिड़क दिया और बाहर जाने को कहा। उसने फौरन अपना लहजा बदल लिया और बोला- “गश्ती तुझे एक बार में बात समझ में नहीं आती?”
मुझे तो झटका लगा। मैंने जोर से एक तमाचा उसके मुँह पे मार दिया। उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। मैं भागकर बाहर निकली और अंकल के आफिस में गई। वो वहाँ नहीं थे। मैं जल्दी से वहाँ से भागने लगी, लेकिन मेरी किश्मत कि वो 4 लैब असिस्टेंट दरवाजे में खड़े हुए थे और मेरी तरफ घूरकर देख रहे थे। मेरा तो डर के मारे गला खुश्क हो गया। अब वो चारों हँस रहे थे। उन चारों के नाम ये हैं जमील, इमरान, इरफान, सैफ। मैंने इमरान को थप्पड़ मारा था।
इमरान मेरे करीब आने लगा।
मैं- देखो, मेरे करीब मत आओ। तुम जानते हो ना कि मैं किसकी बेटी हूँ। अगर मुझे कुछ किया तो तुम जानते हो कि तुम बच नहीं पाओगे। वो मेरी बात सुनकर और जोर से हँसने लगा। मेरा तो गला खुश्क हो गया डर के मारे। मैंने उनको पैसों की आफर भी की लेकिन वो नहीं माने।
तभी इरफान बोला- “साली, तूने हमारे जिगरी दोस्त साहिल को कालेज से निकलवाया है। आज तो तुझे नहीं छोड़ेंगे…”
मैंने कहा- मैं उसका अड्मिशन दोबारा करवा दूँगी। और माफी भी माँगूँगी, लेकिन प्लीज़ मुझे जाने दो…”
लेकिन वो कहाँ मानने वाले थे। तभी मैंने देखा कि वहाँ 6 लोग और आ गए जो कि इसी कालेज क स्टूडेंट्स थे। जिनमें साहिल भी शामिल था। मैंने सबके सामने हाथ जोड़ दिए, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।
साहिल- “अरे मेडम… हमें पैसे नहीं आप चाहिए… तभी तो मेरे बदला पूरा होगा। और आप हैं कि मुझे अड्मिशन दिलवाओगी। देखना…”
मैंने उससे माफियां माँगी मगर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था।
साहिल- “मेडम एक डील करते हैं। आप हम सबके सामने नाचें और मेरे लण्ड को चूसकर उसका पानी निकल दें, तभी हम आपको जाने देंगे…”
मैं तो सुनकर चकित रह गई। मैंने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।
लेकिन वो नहीं माना और बोला- “देखो मेडम, अगर आप ऐसा नहीं करोगी तो हमें मजबूरन आपका रेप करना पड़ेगा, और उसमें आपका अपना ही नुकसान है…”
मैं- “ठीक है… लेकिन मेरी शर्त है कि बाकी सब लोग बाहर जायेंगे, और यहाँ के सभी कैमरे को बंद करो…”
.
लड़कियां दो वजह से रखैल बनती हैं। एक ये कि उनको ये सब अच्छा लगता है या दूसरी वजह ये कि उनको पैसा चाहिए होता है। जबकि मेरी ऐसी कोई मजबूरी नहीं। मैं एक अमीर खानदान से हूँ, और मुझे अपने गुरूर की सजा मिली है।
ये सब तब शुरू हुआ जब मैंने एम॰काम॰ के बाद प्राइवेट कालेज में लेक्चररशिप शुरू की, क्योंकी मुझे पढ़ाना अच्छा लगता है। अरे मैंने अपना पूरा परिचय दिया ही नहीं। मेरा पूरा नाम “ज़ारा जब्बार” है, मेरा रंग गोरा और मेरा फिगर 38-32-40 है, और मैं लाहोर की रहने वाली हूँ, और इस वक्त मेरी उमर 28 साल है और मैं अविवाहित हूँ।
मेरे घर में सिर्फ़ अब्बू हैं। क्योंकी मेरी अम्मी का मेरे बचपन में ही इंताकल हो गया था। जिस वक्त मैंने एम॰काम॰ किया उस वक्त मेरी उमर 23 साल की थी और मेरा फिग 34-28-36 था… और मुझमें गुरूर कूट-कूटकर भरा हुआ था। क्योंकी मैं नाज़ों से पली बढ़ी हूँ। और मेरी हर फरमाइश बिना माँगे पूरी की जाती है। अब सोचती हूँ कि काश… मुझमें ये गुरूर ना होता तो आज मैं इतनी बड़ी मुसीबत में होती।
एम॰काम॰ मुकम्मल करने तक कई लड़कों ने मुझसे बात करने की कोशिश की और दोस्ती के लिए भी हाथ आगे बढ़ाया मगर मैंने किसी को लिफ्ट नहीं दी। और एम॰काम॰ के बाद मैंने जाब करने का फैसला किया और पापा ने भी मेरी हिमायत की। सो मैं एक अच्छे से कालेज में पढ़ाना शुरू कर दिया जो कि अब्बू के एक दोस्त का था। कालेज काफी बड़ा है और दो गार्ड जो कि पठान हैं उनके नाम ‘हामिद खान’ और ‘जुनेद खान’ हैं। वो कालेज की चोकीदारी करते हैं, और अंकल के बहुत भरोसेमंद आदमी हैं।
उस वक्त मैं ग्रॅजुयेशन तक के स्टूडेंट्स को अकाउंटिंग पढ़ाती थी। 6 महीने ठीक गुजर गए लेकिन एक रोज एक ऐसा वाकिया हुआ कि जिसने मुझे गुस्सा दिला दिया। मेरे एक स्टूडेंट ने 14 फरवरी (रोज डे) पे मेरी क्लास की एक फीमेल को कालेज कैंपस में सबके सामने किस कर दी (उसने अपने दोस्तों से इसकी शर्त लगाई थी जो मुझे बाद में पता चला।) वो लड़की रोती हुई वहाँ से निकल गई।
मुझे उस लड़के पे बहुत गुस्सा आया हुआ था और मैंने प्रिन्सिपल से बात करके उसको कालेज से निकलवा दिया। जिससे उसका एक साल जाया हो गया। उसने मुझसे और प्रिन्सिपल से माफी माँगने की बहुत कोशिश की। लेकिन मैं उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी और मैंने ये तक कह दिया कि इस कालेज में या तो मैं रहूंगी या ये रहेगा। सो उसको कालेज से निकाल दिया।
यहाँ से असल कहानी शुरू होती है। मैंने उसको तो निकलवा दिया लेकिन ये भूल गई कि इनका पूरा ग्रूप कालेज में पढ़ता है या काम करता है। कुछ दिन ठीक गुजरे और उसके बाद जो कुछ हुआ, वो बहुत बुरा हुआ।
क्या हुआ था? आइए मैं आपको बताती हूँ।
वो दिन बाकी दिनों से अलग था। उस दिन मौसम बहुत खूबसूरत था, एकदम रोमँटिक। मैंने काले रंग की शलवार-कमीज और मैचिंग ब्रा अंडरवेर पहना था। उस दिन तो मेरा भी दिल कर रहा था कि इस मौसम में कोई मेरे साथ भी होता। कालेज में एग्ज़ॅम्स चल रहे थे और उस दिन सटर्डे था। मेरे अब्बू ुबई गए हुये थे और उन्होंने मंडे को वापस आना था। दोपहर तक सब स्टूडेंट्स चले गए थे। अब कालेज में सिर्फ़ टीचर्स और लैब स्टाफ था। शाम 4:00 बजे तक पूरा कालेज खाली हो गया सिर्फ़ मेरे अब्बू के दोस्त अली (प्रिन्सिपल), मैं और लैब स्टाफ रह गया था।
और यहीं से उनका प्लान शुरू हुआ। उन्होंने कालेज के हर एरिया में कैमरे फिट किए हुये थे। जो कि अंकल ने ही कहा था लैब असिस्टेंट को। 4 लोग कंप्यूटर लैब में काम करते थे। अंकल ने मुझे साथ लेकर जाना था क्योंकी उस दिनमैं अपनी गाड़ी में नहीं आई थी।
उन्होंने मेरा पूछा तो लैब असिस्टेंट ने कह दिया कि मैं जा चुकी हूँ लेकिन मैं अपने केबिन में बैठी पेपर्स चेक कर रही थी और बेखबर थी कि क्या हो रहा है। अंकल चले गए और मुझे पता भी नहीं चला।
5 बजे लैब असिस्टेंट मेरे रूम में आया और कहा- “ज़ारा अब बस करो और चलो बाहर चलो। मिलकर मौसम एंजाय करते हैं…”
मैं उससे बेताकल्लूफ नहीं थी तो मैंने उसको झिड़क दिया और बाहर जाने को कहा। उसने फौरन अपना लहजा बदल लिया और बोला- “गश्ती तुझे एक बार में बात समझ में नहीं आती?”
मुझे तो झटका लगा। मैंने जोर से एक तमाचा उसके मुँह पे मार दिया। उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। मैं भागकर बाहर निकली और अंकल के आफिस में गई। वो वहाँ नहीं थे। मैं जल्दी से वहाँ से भागने लगी, लेकिन मेरी किश्मत कि वो 4 लैब असिस्टेंट दरवाजे में खड़े हुए थे और मेरी तरफ घूरकर देख रहे थे। मेरा तो डर के मारे गला खुश्क हो गया। अब वो चारों हँस रहे थे। उन चारों के नाम ये हैं जमील, इमरान, इरफान, सैफ। मैंने इमरान को थप्पड़ मारा था।
इमरान मेरे करीब आने लगा।
मैं- देखो, मेरे करीब मत आओ। तुम जानते हो ना कि मैं किसकी बेटी हूँ। अगर मुझे कुछ किया तो तुम जानते हो कि तुम बच नहीं पाओगे। वो मेरी बात सुनकर और जोर से हँसने लगा। मेरा तो गला खुश्क हो गया डर के मारे। मैंने उनको पैसों की आफर भी की लेकिन वो नहीं माने।
तभी इरफान बोला- “साली, तूने हमारे जिगरी दोस्त साहिल को कालेज से निकलवाया है। आज तो तुझे नहीं छोड़ेंगे…”
मैंने कहा- मैं उसका अड्मिशन दोबारा करवा दूँगी। और माफी भी माँगूँगी, लेकिन प्लीज़ मुझे जाने दो…”
लेकिन वो कहाँ मानने वाले थे। तभी मैंने देखा कि वहाँ 6 लोग और आ गए जो कि इसी कालेज क स्टूडेंट्स थे। जिनमें साहिल भी शामिल था। मैंने सबके सामने हाथ जोड़ दिए, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।
साहिल- “अरे मेडम… हमें पैसे नहीं आप चाहिए… तभी तो मेरे बदला पूरा होगा। और आप हैं कि मुझे अड्मिशन दिलवाओगी। देखना…”
मैंने उससे माफियां माँगी मगर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था।
साहिल- “मेडम एक डील करते हैं। आप हम सबके सामने नाचें और मेरे लण्ड को चूसकर उसका पानी निकल दें, तभी हम आपको जाने देंगे…”
मैं तो सुनकर चकित रह गई। मैंने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।
लेकिन वो नहीं माना और बोला- “देखो मेडम, अगर आप ऐसा नहीं करोगी तो हमें मजबूरन आपका रेप करना पड़ेगा, और उसमें आपका अपना ही नुकसान है…”
मैं- “ठीक है… लेकिन मेरी शर्त है कि बाकी सब लोग बाहर जायेंगे, और यहाँ के सभी कैमरे को बंद करो…”
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गैंगबैंग_ज़ारा का_Zara Ka Gangbang
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उसने इनकार कर दिया- “अरे मेडम, हम सब इकट्ठे एंजाय करेंगे आपका डान्स, और रही बात वीडियो की तो वो इसलिए बनेगी कि भविष्य में आप हमारे विरुद्ध कोई शिकायत ना कर दें…”
सब लोग मेरे आस-पास सोफे पे बैठ गए और मैं कमरे के बीच में खड़ी थी। गाना शुरू हुआ लेकिन मैं नाचने में हिचकिचा रही थी।
साहिल बोला- “आए गश्ती… अगर तूने 5 गिनने तक नाचना शुरू नहीं किया तो हम सब तेरे कपड़े फाड़कर तुझे यहीं चोदना शुरू कर देंगे- 1… 2… 3… 4…
और मैंने नाचना शुरू कर दिया। मुझे नाचना तो नहीं आता था लेकिन मैंने अपनी कमर और चूतड़ों को सेक्सी तरह से हिलना शुरू कर दिया। 5 मिनट बाद दूसरा गाना चला। इस तरह मैंने 5 गानों पे डान्स किया। मैंने देखा कि सब अपने लण्ड बाहर निकालकर हिला रहे हैं।
ये देखते ही मेरी तो चूत गीली हो गई।
साहिल ने मुझे अपने पास बुलाया- “ओ गश्ती… इधर आ और मेरा लण्ड मुँह में ले…”
मैं उसकी तरफ जाने लगी।
तो वो बोला- “साली, चारों हाथों-पैरों पे कुतिया की तरह आ…”
मैं चारों हाथों-पैरों पे कुतिया बनकर उसकी तरफ गई। उसके लण्ड को हाथ में पकड़ने लगी।
तभी उसने जोर से मेरे मुँह पर थप्पड़ मार दिया और बोला- “साली, तुझे किसने बोला लण्ड को हाथ लगाने को?”
मेरा दिमाग घूम गया। उसने मुझे बालों से पकड़कर खींचा तो मेरी चीख निकल गई और मेरी आँखों में आँसू आ गए।
उसने मुझे अपने लण्ड पे झुकाया तो मैंने अपना पूरा मुँह खोल दिया और उसके लण्ड का टोपा मुँह में लेकर चूसने लगी। उसने मेरा मुँह पकड़कर अपने लण्ड पे दबा दिया। उसका लण्ड मेरे गले तक चला गया। अभी आधा लण्ड ही गया था और मेरी तो तो साँस रुक गई थी। उसने मुझे बालों से पकड़कर अपना लण्ड मेरे मुँह में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। 5 मिनट में ही मेरे जबड़े दर्द करने लग गए।
उसके मुँह से- “ऊऊऊओह… आआअह्ह… साल्ली… क्या गरम मुँह है तेरा? छिनाल्ल…” की आवाजें निकल रही थीं, और जब वो लण्ड मुँह में डालता तो थोड़ी देर रुक जाता। जब बाहर निकालता तो मैं साँस लेती और उसके बाद जब उसका लण्ड मुँह के अंदर जाता तो मेरी साँस रुक जाती।
तभी उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया। मेरे मुँह से उसके लण्ड तक प्री-कम की वजह से तार सी बनी हुई थी। चल साली मेरी गोटियां चूस… और मेरे सिर को अपनी गोटियों से लगा दिया।
एक-एक करके मैंने उसकी दोनों गोटियां चूसनी शुरू कर दीं। मुझे तो उबकाई आ रही थी। मगर मैं कर भी क्या सकती थी।
बाकी 9 लोग इस शो को एंजाय कर रहे थे। उसने मेरे बालों से पकड़कर अपने चेहरे के करीब किया और मुझे रंडी की औलाद, साली, गश्ती आदि गालियां देने लगा। तभी उसने मेरा मुँह जो कि आधा खुला था, में अपनी थूक फेंकी और मुझे घुटने पे झुका दिया। मैं थूक बाहर निकालने लगी तो उसने जबरदस्ती मेरा मुँह बंद कर दिया। मजबूरन मुझे उसको निगलना पड़ा। उसने मेरे मुँह में एक और बार थूका और दोबारा मुझे अपने लण्ड पे झुका दिया। तभी उनमें से किसी ने मेरे हाथ पीछे खींच लिए। मैं ये ना देख सकी कि वो कौन है। और उन्होंने मेरे दोनों हाथ बाँध दिए। इधर साहिल तेजी से मेरे मुँह को चोद रहा था।
बाकी लोगों ने भी अपने कपड़े निकाल दिए, और मेरे आस-पास घेरा बनाकर मूठ मरने लगे। मैं देख तो नहीं सकती थी पर सबकी आवाजें सुन सकती थी। उन्होंने एक कैंची निकाली और मेरी कमीज को काटना शुरू कर दिया। मैं विरोध करना चाह रही थी, मगर मुँह की चुदाई और हाथ बँधे होने की वजह से कुछ ना कर सकी। थोड़ी देर में मैं अपनी ब्रा में थी और सब लोग सीटियां मारने लगे और आवाजें कसने लगे- “हाए गश्ती, इसकी माँ को चोदूं, भोसड़ी की, छिनाल आदि गालियां भी देने लगे।
मैं साहिल का लण्ड मुँह से निकालना चाह रही थी मगर उसकी मजबूत पकड़ ने ऐसा नहीं करने दिया। तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी शलवार काट रहा है। मैं बचना चाह रही थी मगर मेरे मुँह से सिवाए ‘म्म्म्मह… न्नहिँ’ के सिवा कुछ नहीं निकल सका। फिर उन्होंने यही हाल मेरी ब्रा और पैंटी के साथ किया। अब मैं बिल्कुल नंगी उन 10 लोगों के सामने थी। मैं हिल भी नहीं पा रही थी।
तभी साहिल का लण्ड मेरे मुँह में फूलने लगा और उसकी आवाज आई- “साली रंडी, अगर एक भी बूँद नीचे गिरी तो हम तेरी गाण्ड में 2-2 लण्ड घुसेड़ेंगे और वो भी बिना तेल के… पी जा मेरा पानी… साली रांड…” इसके साथ ही 1… 2… 3… 4… 5…
इसके आगे तो मैं भूल गई और उसके पानी को जल्दी-जल्दी गले से नीचे उतारने लगी। 5 मिनट तक उसने कम से कम 20-25 पिचकारियां छोड़ी होंगी। शायद वो बहुत अरसे से नहीं झड़ा था। मेरा तो पेट बिल्कुल भर गया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने खूब डटकर खाना खाया हो। उसने फिर भी लण्ड मेरे मुँह से नहीं निकाला और अगले 5 मिनट तक धक्के मारता रहा। उसके बाद उसने लण्ड बाहर निकाला तो मुझे बहुत जोर से खाँसी आने लगी। फिर उसके कहने पे मैंने उसका लण्ड चाट-चाटकर साफ कर दिया।
इस बीच इन 10 लोगों में से कोई मुझे किस कर रहा था, कोई मेरे चूतर दबा रहा था, कोई गाण्ड में उंगली कर रहा था, कोई चूचियों के साथ खेल रहा था। मतलब ये कि मेरे जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जो मसला ना गया हो और मैं घुटनों के बल जमीन पे बैठी थी… या ऐसे कहूँ कि उन्होंने मुझे जबरदस्ती बिठा दिया था और मुझे मुँह खोलकर जबान बाहर निकालने को कहा।
मैंने इनकार किया तो एक जोरदार थप्पड़ मेरे गालों को लाल कर गया और मुझे दिन में तारे नजर आने लगे। मजबूरन मुझे उनकी बात माननी पड़ी।
अब बाकी 9 लोग मेरे इर्द-गिर्द खड़े होकर मूठ मार रहे थे। थोड़ी देर बाद सब ने झड़ना शुरू कर दिया। सब लोग झड़ रहे थे और मुझे कुतिया, रांड़, आदि बोलते जा रहे थे। और अपना पानी मेरे जिश्म पर निकालते गए। मैं सबके पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मेरे जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जिस पे उन लोगों का पानी ना लगा हो। मैं अपनी आँखें भी नहीं खोल सकती थी। जब सब लोग फारिघ हो गए तो मुझे देखकर हँसने लगे और मेरा दिल कर रहा था कि अभी जमीन फट जाए और मैं उसमें समा जाऊँ।
अब उन्होंने मेरे हाथ खोल दिए, और मुझे उठाकर अंकल अली के आफिस के अटैच बाथरूम में ले गए। और मेरे जिश्म को अच्छी तरह रगड़-रगड़कर धोया। मेरी चूत और गाण्ड में उंगलियां भी कीं। फिर हम सब बाहर आ गए। मैंने टाइम देखा तो 9:00 बज रहे थे। इसका मतलब कि मुझे ये सब करते 4 घंटे हो चुके थे। मेरे गले और जबड़ों में बहुत दर्द हो रहा था।
बड़ी मुश्किल से मैंने उनसे कहा- “प्लीज़… अब तो मुझे जाने दो। जो कुछ तुमने कहा, वो मैंने किया है। प्लीज़ अब मुझे जाने दो…”
तभी इमरान बोला- “मेरी रांड़… इतनी भी क्या जल्दी है… अभी हमें अपने जिश्म से जी भरके खेलने तो दे। हमारे पास आज की पूरी रात और कल का पूरा दिन है। लेट्स एंजाय…”
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उसने इनकार कर दिया- “अरे मेडम, हम सब इकट्ठे एंजाय करेंगे आपका डान्स, और रही बात वीडियो की तो वो इसलिए बनेगी कि भविष्य में आप हमारे विरुद्ध कोई शिकायत ना कर दें…”
सब लोग मेरे आस-पास सोफे पे बैठ गए और मैं कमरे के बीच में खड़ी थी। गाना शुरू हुआ लेकिन मैं नाचने में हिचकिचा रही थी।
साहिल बोला- “आए गश्ती… अगर तूने 5 गिनने तक नाचना शुरू नहीं किया तो हम सब तेरे कपड़े फाड़कर तुझे यहीं चोदना शुरू कर देंगे- 1… 2… 3… 4…
और मैंने नाचना शुरू कर दिया। मुझे नाचना तो नहीं आता था लेकिन मैंने अपनी कमर और चूतड़ों को सेक्सी तरह से हिलना शुरू कर दिया। 5 मिनट बाद दूसरा गाना चला। इस तरह मैंने 5 गानों पे डान्स किया। मैंने देखा कि सब अपने लण्ड बाहर निकालकर हिला रहे हैं।
ये देखते ही मेरी तो चूत गीली हो गई।
साहिल ने मुझे अपने पास बुलाया- “ओ गश्ती… इधर आ और मेरा लण्ड मुँह में ले…”
मैं उसकी तरफ जाने लगी।
तो वो बोला- “साली, चारों हाथों-पैरों पे कुतिया की तरह आ…”
मैं चारों हाथों-पैरों पे कुतिया बनकर उसकी तरफ गई। उसके लण्ड को हाथ में पकड़ने लगी।
तभी उसने जोर से मेरे मुँह पर थप्पड़ मार दिया और बोला- “साली, तुझे किसने बोला लण्ड को हाथ लगाने को?”
मेरा दिमाग घूम गया। उसने मुझे बालों से पकड़कर खींचा तो मेरी चीख निकल गई और मेरी आँखों में आँसू आ गए।
उसने मुझे अपने लण्ड पे झुकाया तो मैंने अपना पूरा मुँह खोल दिया और उसके लण्ड का टोपा मुँह में लेकर चूसने लगी। उसने मेरा मुँह पकड़कर अपने लण्ड पे दबा दिया। उसका लण्ड मेरे गले तक चला गया। अभी आधा लण्ड ही गया था और मेरी तो तो साँस रुक गई थी। उसने मुझे बालों से पकड़कर अपना लण्ड मेरे मुँह में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। 5 मिनट में ही मेरे जबड़े दर्द करने लग गए।
उसके मुँह से- “ऊऊऊओह… आआअह्ह… साल्ली… क्या गरम मुँह है तेरा? छिनाल्ल…” की आवाजें निकल रही थीं, और जब वो लण्ड मुँह में डालता तो थोड़ी देर रुक जाता। जब बाहर निकालता तो मैं साँस लेती और उसके बाद जब उसका लण्ड मुँह के अंदर जाता तो मेरी साँस रुक जाती।
तभी उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया। मेरे मुँह से उसके लण्ड तक प्री-कम की वजह से तार सी बनी हुई थी। चल साली मेरी गोटियां चूस… और मेरे सिर को अपनी गोटियों से लगा दिया।
एक-एक करके मैंने उसकी दोनों गोटियां चूसनी शुरू कर दीं। मुझे तो उबकाई आ रही थी। मगर मैं कर भी क्या सकती थी।
बाकी 9 लोग इस शो को एंजाय कर रहे थे। उसने मेरे बालों से पकड़कर अपने चेहरे के करीब किया और मुझे रंडी की औलाद, साली, गश्ती आदि गालियां देने लगा। तभी उसने मेरा मुँह जो कि आधा खुला था, में अपनी थूक फेंकी और मुझे घुटने पे झुका दिया। मैं थूक बाहर निकालने लगी तो उसने जबरदस्ती मेरा मुँह बंद कर दिया। मजबूरन मुझे उसको निगलना पड़ा। उसने मेरे मुँह में एक और बार थूका और दोबारा मुझे अपने लण्ड पे झुका दिया। तभी उनमें से किसी ने मेरे हाथ पीछे खींच लिए। मैं ये ना देख सकी कि वो कौन है। और उन्होंने मेरे दोनों हाथ बाँध दिए। इधर साहिल तेजी से मेरे मुँह को चोद रहा था।
बाकी लोगों ने भी अपने कपड़े निकाल दिए, और मेरे आस-पास घेरा बनाकर मूठ मरने लगे। मैं देख तो नहीं सकती थी पर सबकी आवाजें सुन सकती थी। उन्होंने एक कैंची निकाली और मेरी कमीज को काटना शुरू कर दिया। मैं विरोध करना चाह रही थी, मगर मुँह की चुदाई और हाथ बँधे होने की वजह से कुछ ना कर सकी। थोड़ी देर में मैं अपनी ब्रा में थी और सब लोग सीटियां मारने लगे और आवाजें कसने लगे- “हाए गश्ती, इसकी माँ को चोदूं, भोसड़ी की, छिनाल आदि गालियां भी देने लगे।
मैं साहिल का लण्ड मुँह से निकालना चाह रही थी मगर उसकी मजबूत पकड़ ने ऐसा नहीं करने दिया। तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी शलवार काट रहा है। मैं बचना चाह रही थी मगर मेरे मुँह से सिवाए ‘म्म्म्मह… न्नहिँ’ के सिवा कुछ नहीं निकल सका। फिर उन्होंने यही हाल मेरी ब्रा और पैंटी के साथ किया। अब मैं बिल्कुल नंगी उन 10 लोगों के सामने थी। मैं हिल भी नहीं पा रही थी।
तभी साहिल का लण्ड मेरे मुँह में फूलने लगा और उसकी आवाज आई- “साली रंडी, अगर एक भी बूँद नीचे गिरी तो हम तेरी गाण्ड में 2-2 लण्ड घुसेड़ेंगे और वो भी बिना तेल के… पी जा मेरा पानी… साली रांड…” इसके साथ ही 1… 2… 3… 4… 5…
इसके आगे तो मैं भूल गई और उसके पानी को जल्दी-जल्दी गले से नीचे उतारने लगी। 5 मिनट तक उसने कम से कम 20-25 पिचकारियां छोड़ी होंगी। शायद वो बहुत अरसे से नहीं झड़ा था। मेरा तो पेट बिल्कुल भर गया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने खूब डटकर खाना खाया हो। उसने फिर भी लण्ड मेरे मुँह से नहीं निकाला और अगले 5 मिनट तक धक्के मारता रहा। उसके बाद उसने लण्ड बाहर निकाला तो मुझे बहुत जोर से खाँसी आने लगी। फिर उसके कहने पे मैंने उसका लण्ड चाट-चाटकर साफ कर दिया।
इस बीच इन 10 लोगों में से कोई मुझे किस कर रहा था, कोई मेरे चूतर दबा रहा था, कोई गाण्ड में उंगली कर रहा था, कोई चूचियों के साथ खेल रहा था। मतलब ये कि मेरे जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जो मसला ना गया हो और मैं घुटनों के बल जमीन पे बैठी थी… या ऐसे कहूँ कि उन्होंने मुझे जबरदस्ती बिठा दिया था और मुझे मुँह खोलकर जबान बाहर निकालने को कहा।
मैंने इनकार किया तो एक जोरदार थप्पड़ मेरे गालों को लाल कर गया और मुझे दिन में तारे नजर आने लगे। मजबूरन मुझे उनकी बात माननी पड़ी।
अब बाकी 9 लोग मेरे इर्द-गिर्द खड़े होकर मूठ मार रहे थे। थोड़ी देर बाद सब ने झड़ना शुरू कर दिया। सब लोग झड़ रहे थे और मुझे कुतिया, रांड़, आदि बोलते जा रहे थे। और अपना पानी मेरे जिश्म पर निकालते गए। मैं सबके पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मेरे जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जिस पे उन लोगों का पानी ना लगा हो। मैं अपनी आँखें भी नहीं खोल सकती थी। जब सब लोग फारिघ हो गए तो मुझे देखकर हँसने लगे और मेरा दिल कर रहा था कि अभी जमीन फट जाए और मैं उसमें समा जाऊँ।
अब उन्होंने मेरे हाथ खोल दिए, और मुझे उठाकर अंकल अली के आफिस के अटैच बाथरूम में ले गए। और मेरे जिश्म को अच्छी तरह रगड़-रगड़कर धोया। मेरी चूत और गाण्ड में उंगलियां भी कीं। फिर हम सब बाहर आ गए। मैंने टाइम देखा तो 9:00 बज रहे थे। इसका मतलब कि मुझे ये सब करते 4 घंटे हो चुके थे। मेरे गले और जबड़ों में बहुत दर्द हो रहा था।
बड़ी मुश्किल से मैंने उनसे कहा- “प्लीज़… अब तो मुझे जाने दो। जो कुछ तुमने कहा, वो मैंने किया है। प्लीज़ अब मुझे जाने दो…”
तभी इमरान बोला- “मेरी रांड़… इतनी भी क्या जल्दी है… अभी हमें अपने जिश्म से जी भरके खेलने तो दे। हमारे पास आज की पूरी रात और कल का पूरा दिन है। लेट्स एंजाय…”
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