जोरू का गुलाम या जे के जी

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kunal
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जोरू का गुलाम भाग १३४

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जोरू का गुलाम भाग १३४

बहुत लोग कह रहे थे की लंबा फ्लैशबैक हो गया ,

ये भी कह रहे हैं ,और सही बात है मैंने इनका काम जो बढ़ा दिया , सारी रिकार्डिंग इन्हे ही चेक करनी है , और फिर रा रिकार्डिंग अलग और उसकी कॉपी , अपनी फेवरिट बहना की फेवरिट सहेली , दिया के पास , अपनी सास के पास , मेरे मेल पे ,... और वो भी अभी तुरंत ,

मैंने इनसे तो मजे लेकर कह दिया , की मुझे तो लंबा ही पसंद है।

लेकिन पहली बात ये थी की मुझे जेठानी के मायके के बारे में एक एक चीज जाननी थी , उनकी माँ के बारे में भी ,और जब होली के बहाने जेठानी ने उगलना शुरू कर दिया ,अपने लीलने के बारे में तो मैं और उन्हें उकसा उकसा कर ,




आप लोगों से कई बार मैं बता चुकी हूँ जिस दिन से मैं इस घर में आयी हूँ , मैंने पैर रखा भी नहीं था ठीक से की जेठानी ,

और उस समय तो ये गुड्डी भी उनकी पक्की चमची थी।

मैं मान के आयी ही थी की ससुराल में ये सब बर्दास्त करना होता है ,

पर मेरे मायके के बारे में कोई बोले खास तौर से मेरी मम्मी के बारे में ,... मुझे एकदम बर्दाश्त नहीं होता था।

जेठानी ने पहले दिन ही से, ..

'अरे इसकी माँ ने कुछ संस्कार वनस्कार तो सिखाया नहीं , वो तो अपने धंधे बिजनेस में ,... खाली पैसे पढ़ाई से थोड़ी होता है , आदमी संस्कार गांव घर से ले के आता है ,'

गलती से मेरे मुंह से निकल गया था की हमारे यहां तो नान वेज ,

बस जब देखो तब मम्मी को सराबी कबाबी , और मुझसे ये शराबियों कबाबियों का घर नहीं है , अब ससुराल में आयी हो तो ससुराल के संस्कार ,गुन ढंग ,

जब मुझसे रसोई छुलाई गयी तो फिर ,


अरे इस रसोई में बिना नहाये घुसना नहीं और लहसुन प्याज भी नहीं आता।

और अब मैं सोच रही थी की सारी नैतिकता इनकी खाली जीभ तक ,...

और दो चार दिन बाद ही पता चल गया की वो नहीं चाहती थीं की इनके देवर की शादी मेरे साथ हो ,


वो अपने मायके की , बल्कि मायके के रिश्ते की एक लड़की की जो इन्ही की तरह गाँव के एक स्कूल से गुड सेकेण्ड क्लास पास थीं ,उन्ही से ,.. कई बार उन्होने सास को समझाया भी और सास समझ भी जाती लेकिन गलती इन लोगों से हो गयी ,


इन्होने मुझे देख लिया।




इनकी भाभी सोच रही थीं की उसके बाद भी उनके देवर और सास वही करेंगी एक देखने की फार्मलिटी हो जाए फिर वो अगले दिन फोन करके बोल देंगी की लड़के को लड़की नहीं पसंद आयी।

पर एक बार मुझे देखने के बाद बस वो एकदम से लट्टू , उनके बोल नहीं फूटते थे अपनी भाभी और माँ के आगे

लेकिन इस बार वो अड़ गए , और सास भी थोड़ी ढुलमुल थी कुछ फेमली कुछ ,...

जेठानी के जहर भरे बोल के बावजूद , मुझे कुछ भी खलता नहीं था ,क्योंकि ये लड़का एकदम क्रेजी मेरे ऊपर और

मेरे ख़ास तौर से उभारों पर ,...




मुझे बहुत अच्छा लगता था जिस तरह वो चोरी चोरी चुपके चुपके देखते थे और जैसे ही उनकी चोरी पकड़ी जाती ,क्या कोई लड़की शरमाएगी ,इत्ती जोर से ब्लश करते।

और जब उन्होंने ये कबूला ( और रिकार्ड हुआ )की उनकी मम्मी अपने ननदोई और जीजा के साथ ,साथ साथ ,.. मैं इतनी खुश हुयी की ,

अब बोलें ये ,... और अब तो सब चीज रिकार्ड थी , हमेशा मेरे मोबाइल में रहेगी ,चाहूंगी रेडियो जेठानी आन हो जाएगा।


दूसरी बात





गुड्डी की , वो तो अब इंटर पास हो चुकी थी लेकिन वो उसे हमेशा अपने अंगूठे तले


कितना मुझे समझाया , इसे अपने साथ मत ले जाओ घास और आग साथ नहीं रखना चाहिए , कहीं मेरे इनका ,

मैंने तो एक बार बोल भी दिया , ... अरे दीदी हो जाएगा तो हो जाएगा।

असल में मेरा उसे लेजाने का मतलब ही यही था ,उसे अपने भइया के नीचे लिटाने का ,



और जब मैं नहीं मानी तो सीधे उसके घर वालों से , फिर जेठ जी ,मेरी सास ,...

कितनी मेहनत करनी पड़ी मुझे उनके प्लान को नाकामयाब करने की।

और अब तो ,...

वो खुद तैयार करेंगी गुड्डी को मेरे साथ भेजने की ,




खुद तो अपने भाइयों से चुदवाया ,





घर में काम करने वालों से, हरवाहे से ,ग्वाले से ,



और ,..


एक बार जहां रिकार्डिंग सुनेगी बस उनके सारे बल ढीले हो जाएंगे ,

और सबसे बड़ी बात थी आने वाले कल की ,

क्या गारंटी की गुड्डी से बार मेरे साथ चली भी जाए तो वो बाद में चरस नहीं बोएंगी।


सास ,जेठ , क्या क्या उन्हें सिखाये पढ़ाये ,

फोटो के बारे में तो उनकी छोटी बहिनिया ने सिखा पढ़ा दिया था की मॉर्फिंग का बहाना बना दो तो वो डर इनके मन से निकल गया था ,


हाँ सोनाक्षी सिन्हा जैसे दिखने वाली श्रुति के बारे जो दिया ने उन्हें बताया




और अच्छी बात ये थी की वो उनके साथ की पढ़ी उनकी पुरानी सहेली भी निकल गयी ,

वो एकदम दहल गयीं , सिर्फ इसलिए की उस रिकार्डिंग में श्रुति की आवाज भी थी जिससे वो एकदम मना नहीं कर सकती थी।

और इनकी रिकार्डिंग में तो नाम पता समय सब कुछ ,...


फिर आज कल आडियो स्टोरी का भी जमाना है ,तो टुकड़े टुकडे में ही सही जेठानी जी गाथा उन्ही की आवाज में ,... और बस एक दो बार सुना दिया तो

इस फ्लैशबैक की जैसी जरूरत होगी ,जैसा कहते हैं न सनद रहे ताकि वक्त बेवक्त काम आये ,

जेठानी इतनी देर बोल के थोड़ी थक गयी थीं , और वाइन सटकने में बिजी थी और मैं फ्लैशबैक और रिकार्डिंग के बारे में सोचने में ,

अब लाइट भी आन थी और रिकार्डिंग भी बंद थी।

मैंने बातचीत का सिलसिला फिर शुरू किया।


" तो इंटर के पहले जो गुलबिया ने कहा था सात आठ ,.. "

मैंने पूछा

लेकिन जवाब उन्होंने नहीं दिया ,सिर्फ मुस्करा दीं ,

और मेरा दिमाग फिर एक बार उनकी होली वाले दिन पे , और मैंने पूछ लिया ,

" और वो भरौटी वाले दोनों लौंडे , जिनसे आप बहाना बना के बच आयी थीं की फिर कभी , ... उनसे आप बच गयीं , या फिर उन सबों ने कभी,

अब वो मेरी बात बीच में काटकर खिलखिलाने लगीं , और फिर वापस होली वाली रात पहुँच गयीं।

" तू भी न कोयी बात छोड़ती नहीं , ... उस दिन उसी के लिए गुलबिया ने इतना हड़काया , होलिका देवी केतना गुस्सा होती हैं अगर कउनो लाँडो को होली के दिन मना करोगी ,... अरे मजा ले लेती तो कौन तोहार घिस जाता।

लेकिन इस बात पे वो मानी की पहले तो चुन्नू का चक्कर और दूसरा मैंने मना थोड़े किया ,


खाली बोला है , दूंगी दूंगी ,और रंगपंचमी के पहले ही दे दूंगी। तब गुलबिया मानी ,उसका माथा ठंडा हुआ ,बोली , हाँ अगर रंगपंचमी के पहले भी दे दोगी तो होलिका का आसीर्बाद तोहरे साथ रहेगा , और मुझे खिलाने पिलाने पर जुट गयी ,होली का खास परसाद। "

मेरा माथा ठनका ,होली का परसाद , ये का होता है ?.

अबकी लेकिन उन्होंने खुद ही राज खोल दिया।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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बोलीं ,


" तुझे बताया तो था ,गुलबिया की होली की सुबह वो पांच दिन वाली छुट्टी चल रही थी ,इसलिए होली में दिन में , वो होली में सबसे दूर रही लेकिन दिन में उसकी छुट्टी ख़तम हो गयी तो बस शाम को उसने सुबह का भी उधार ,... तो उसकी बुरिया एकदम बजबजा रही थी मलाई से।




वही। मेरे मुंह के ऊपर चढ़ के , और मैंने भी उस के अंदर जीभ डाल के , ...और जब कुरेद कुरेद के सब कुछ साफ़ कर लिया , तो उसने बताया।

" अरे ई तो होली का असली परसाद है , और होली की रात क ई अगर कउनो कुँवार तोहरे उमर क , कच्ची जवानी वाली ननद को खिला दो ,... "

लेकिन मैं उसके पीछे पड़ी थी किसके किसके साथ ,


तो गुलबिया ने बोला ,की ई पंचमरद परसाद है ,दू भरोटी क , दू अहिरौटी क ,एक पठान टोला ,... "



फिर वो कुछ रुक के मुझसे बोलीं ,

" तू तो मुझसे कह रही थी की होली के दिन मैंने पांच से ,लेकिन वो तो सुबह से लेकर रात को ,.. और गुलबिया तो सांझ को ही पांच पांच से ,.."


ये उनके गाँव का संस्कार था लेकिन मैं चुप रही मेरे मन में दूसरा सवाल कुरेद रहा था , वो परसाद वाली बात और मैंने कुरेद के पूछ लिया ,

: दीदी वो परसाद वाली बात उसका असर ,

" गुलबिया ने एक बूँद भी बाहर नहीं बहाया था , सब अपनी बुर में भींचे ,भींचे ,.. और सब मुझे चटाया और बोला ननद रानी तोहरे ऐसे कच्ची अमिया वाली ननद ई होली की रात पञ्चमरद परसाद खाय के ,...




छिनार तो खैर कुल यह गाँव की लौंडिया हैं ,लेकिन तू सबकर कान कटबू। लौंडन फँसावे में लंड घोंटे में , कोई भी तोहसे बीस , और जितना चाहे उतना लौंड़ा घोंटा , रण्डियन को भी ,.. "






मुझे लगा की गुलबिया का परसाद का जरुर असर मेरी जेठानी पर पड़ा है।

लेकिन असली बात तो रही गयी थी ,वो भरोटी के लौंडन वाली ,

जेठानी ने वो बात भी बता दी।

होली के एक दिन बाद , गुलबिया आयी और इनकी माँ से बोला उ कहाईन क तबियत ख़राब है ,मुझे बुलाया है थोड़ी देर के लिए।



जब तक उनकी माँ कुछ सोचती समझती ,गुलबिया इनको ले के चल दी , और उस कहाईन के घर ,... दोनों भरौटी के लौंडे , और वो भी गुलबिया के सामने ही वहीँ घर की कच्ची जमीन पे पटक के , ...





निहुरा के ,...





भरोटी का जवाब तो उन्होंने मेरे पूछने पर दिया लेकिन एक बात उन्होंने बिना मेरे पूछे बता दी।

' और चन्दा भाभी ,.. चुन्नू तो सबेरे चला गया था लेकिन ,चंदू भैय्या ,.. चंदा भाभी एकदम पीछे और महीने के पांच दिन जो उनकी छुट्टी होती थी ,




उन दिनों मोर्चा मैं ही सम्हालती थी ,मुझे अंग्रेजी और मैथ्स पढ़ाने के बहाने वो बुलाती और,..


मैं मान गयी अपनी जेठानी को लेकिन मुझे तो टोटल नंबर चाहिए था , इंटर के पहले वाला मैंने फिर कुरेदा



तो दीदी वो जो गुलबिया ने कहा था की साल भर में सात आठ ,... मैंने पूछा लेकिन फिर सवाल बदल दिया। इस सवाल का जवाब वो पहले ही टाल चुकी थीं।

इंटर मेरा मतलब बारहवे में पहुँचने से पहले तो बारह का नंबर ,..

लेकिन फिर बात उन्होंने काट दी लेकिन एक बात कबूल कर ली।


" तू भी न ,अरे गाँव है कउनो शहर थोड़ो , ... फिर ओह उम्र में कौन गिनती ,... हाँ बारहवें में पहुंचने से पहले बारह नहीं , बारह से ज्यादा , असल में इंटर में मेरा स्कूल बदल गया लेकिन ओकरे पहले , बारह से ज्यादा ,...

और मैंने उनसे सबका नाम गिनवा के ही दम लिया ,


वैसे तो रिकार्डिंग बंद थी पर मेरे मोबाइल की रिकार्डिंग तो आन ही थी।

और फिर इंटर का भी राज खोल दिया।

"तुझे बताया तो था इंटर में मैं पैदल जाती थी ,दो किलोमीटर आना दो जाना।







बगल के गाँव में था। हाईस्कूल सिर्फ लड़कियों का और ये क्या कहते हैं उसे

"को एड " मैंने जोड़ा।

" हाँ वही ,बस लड़का लड़की एक साथ ,मम्मी से जिद करके उसी में एडमिशन करवाया। फिर क्या था और गाँव के लौंडे तो शहर वालों कीतरह क्या कहती हो तुम लोग टेक्स्ट। ..




वो तोसीधे गन्ने के खेत में ले जाके सीधे , और जोसीधे से न माने तो जबरदस्ती "

इस बार भी मैं उनसे आठ लड़कों का नाम लेके ही मानी उन्ही की आवाज में और वो आज कल कहाँ है। किस जगह कितनी बार ,सारे प्राइवेट डिटेल्स।


लेकिन एक बात उन्होंने और बतायी ,श्रुति वाली , वही जिसे दिया सोना भाभी कहती थी , सोनाक्षी सिन्हा की लुक अलाइक ,



जिस नए इंटर स्कूल में वो गयीं ,




श्रुतिया उंहा पहले से ही पढ़ती थी , और स्कूल के लौंडों में जो उसके साथ पहले से पढ़ते थे कई उससे फंसे थे। वो भी इंटर में आने से पहले से ही ,

कुछ दिन तक तो मेरी जेठानी की उससे , ... एक तो वो इनसे जलती थी और दूसरे लड़के चूँकि श्रुति उस स्कूल का पुराना माल थी उसके चक्कर में ज्यादा ,



पर पहुंचने के पन्दरह दिन के अंदर ही जेठानी जी ने स्कोरिंग शुरू कर दी। और छमाही के पहले श्रुति का नंबर डांक लिया , कुछ तो श्रुति के पुराने यार भी नयी कन्या के चक्कर में ,..





और कुछ दिन में श्रुति और इनकी दांत काटी रोटी और साथ साथ लंड घोंटने वाली दोस्ती ,...



दोनों मिल के।

घंटे भर से भी ऊपर की रिकार्डिंग हो चुकी थी , शादी के पहले के उनके सारे यारों की लिस्ट , करेंट पते के साथ मेरे पास थी ,जेठानी जी की आवाज में।

वो सुस्ता भी चुकी थीं और हम दोनों भी एक्शन के लिए रेडी थे।

वो तो कब के चले गए। मैं समझ गयी रिकार्डिंग फ़ाइनल करने , उसकी एक पूरी और दो तीन दस पंद्रह मिनट की आडियो क्लिप बना के मेसेज भी करनी थी।


जेठानी ने ध्यान नहीं दिया की उनके देवर उनका मोबाइल भी ले गए हैं। मेसेज उन्ही के फोन से करने थे

लाइट ऑन थी और हम जेठानी देवरानी ,वाइन के सिप ले रहे थे।


वाइन का,जेठानी की बातों का और उनके जोबन का असर हो रहा था।


पर मेरी निगाहे इनकी भाभी के जोबन को सहला रही थीं।

सच में मस्त थे , एकदम कड़े , और मांसल , खूब गोरे संगमरमर के गुम्बद ऐसी।



और मैं उनकी अभी कही ,रिकार्ड की गयी बातों को सोच रही थी , बारहवें में पहुँचने के पहले १२ से भी न जाने कितने ज्यादा लौंडों ,मर्दों का तो वो खूंटा घोंट चुकी थीं।


दबवाया मिजवाया तो न जाने कितनों से होगा , शायद इसीलिए कच्ची की उमर रगड़वाने ,मिसवाने से ये शेप ये साइज़ ,




पर मैंने उन विचारों को झटक के दिमाग से बाहर किया।

आज की रात सोचने की थोड़े मौज मस्ती की है। और मेरे हाथ सीधे मेरे जेठानी के जुबना पे ,

साथ साथ मैं ये भी चेक कर रही थी की मेरी तरह इनको भी कन्या रस में भी मजा आता है या सिर्फ मोटे मोटे खूंटे ही,

मेरे सवाल का जवाब तुरंत मिल गया।

जिस तरह से उनकी उंगलिया जवाब में मेरे खुले जुबना पे थिरक रही थीं ,उसे छू रही थीं ,सहला रही थी ,मामला साफ़ था।




जब गाँव के मरद इनकी चुनमुनिया को चोद चोद के ,उसी समय गाँव की भौजाइयां भी इस कच्ची अमिया का मजा ले रही थीं।

गुलबिया के बारे में तो इन्होने खुद उगला था और कितनी प्रौढ़ाएँ भी होंगी जिनकी पाठशाला में मेरी जेठानी जी की ट्रेनिंग हुयी होगी।

वाइन का ग्लास दोनों ने एक झटके से ख़तम किया और खुला खेल फरुर्खाबादी चालू हो हो गया।

जेठानी मेरी पक्की औरतखोर थीं ,


और यही तो मैं चाहती थी इस समय

मजा सिर्फ मजा।
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जोरू का गुलाम भाग 135

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जोरू का गुलाम भाग १३5

मजा सिर्फ मजा।

कैमरे रिकार्डिंग डिवाइसेज सब बंद थी।




चुम्मा चुम्मी की शुरुआत उन्होंने की ,सीधे मेरे दोनों होठों को अपने होंठों के बीच दबाकर , और फिर उनकी जीभ मेरे मुंह में ,

एकदम पक्की छिनार , जैसे उनकी भाभियों घर की काम करनेवालियों ने जबरन चूम चूम के सिखाया होगा ,रस लेना।




मैंने भी उनकी जीभ चूसना शुरू किया



और मेरे दोनों हाथ अब कस कस के उनके जुबना दबा मसल रहे थे।

उनके हाथ कौन से पीछे थे , रगड़ने मसलने के साथ वो मेरे निप्स को भी अंगूठे और तर्जनी के बीच दबा दबा के रगड़ रही थीं।

मेरे होंठ उनके होंठों से आजाद हुए और सीधे उनके ३६ डी डी पर ,




अब वो सिसक रही थीं ,चूतड़ पटक रही थीं ,पर मैं बिना असली मजा लिए थोड़ी छोड़ने वाली थी।

मेरे होंठ उनकी जाँघों के बीच ,सीधे शहद के छत्ते पर ,






और मेरे साजन की भाभी के होंठ मेरी रामदुलारी पर , प्यार से उसे चूम रही थी ,चाट रही थीं खूब हलके हलके फिर एक झटके में

उन्होंने अपनी मोटी मेरी बुर में ठेल दी और

परफेक्ट 69 शुरू हो गया था।

मैंने कल परसों गुड्डी से भी अपनी चूत चटवायी थी ,चुसवाई थी ,पहले जबरदस्ती , फिर उसे पटा के।

लेकिन उसका मजा अलग है , और उसका एकदम ,खेली खायी के साथ कबड्डी का मजा अलग।

उसे भी सब दांव आएं और आप को भी तो कबड्डी बराबर की है ,





जेठानी के होंठ मेरे भगोष्ठों को चिपके चूस रहे थे ,उनकी जीभ मेरी बुर में घुसी एकदम लंड की तरह ,लेकिन लंड से भी ज्यादा मजा दे रही थी। क्योंकि

जेठानी को गाँव वालियों ने रगड़ रगड़ के ट्रेन किया था उन्हें मालूम था क्या कैसे कब चाटना है। इनर वाल्स पर जी प्वाइंट कहा है।

मेरी चूत एक तार की चाशनी छोड़ रही थी।

पर जेठानी की बुर की हालत कम खराब नहीं थी।


वो बार बार फुदक रही थी ,सिकुड़ पचक रही थी। मेरी जीभ को अपने अंदर भींच रही थी।

वो भी झड़ने के कगार पर थीं।

पर मैं उन्हें एकदम कगार तक ले जाना चाहती थी।




मैंने जीभ बाहर निकाल ली कर जीभ की जगह मेरी एक ऊँगली जेठानी की बुर के फोल्ड पर हलके हलके

और जीभ क्लिट पर फ्लिक करने लगी

जेठानी बौरा गयीं ,चूतड़ पटकने लगीं , हाँ झाड़ झाड़ प्लीज झाड़ दो ने , बोलने लगी।

पर बजाय झाड़ने के मैने होंठ हटा दिया और क्लिट पर हल्की चिकोटी काट ली ,'

एक तेज दर्द की लहर जेठानी की शरीर में


" चाट स्साली चाट , और कस के चाट तुझे कुत्तों से चुदवाउंगी , रंडी की जनी ,चाट कस कस , "




मैं पहली बार जेठानी को अपने ,अपनी संस्कारी जेठानी को गालियां दे रही थी , पर

उसका असर भी हुआ दर्द भूल के वो फिर मेरी चूत चाटने में जुट गयी।

और मैंने भी कुछ देर में अपनी जेठानी की बुर को ,

वास्तव में मस्त थी।

खूब फूली फूली मांसल पपोटे ,एकदम रस भरी संतरे की फांके ,छेद भी संकरा सा ,

चुद भले वो कच्ची उमर से रही होऊं लेकिन बुर की बनावट ही ऐसी थी की , कितना भी चुदे कसी की कसी।

तभी तो उनके स्कूल के लौंडे लार टपकाया करते थे इस चूत के लिए ,

और अगर दिया का कहा हुआ तो तो कल से इस शहर के लौंडे इस बुर के लिए लार टपकायेंगे।


मैंने एक नयी ट्रिक अपनायी ,

चुद भले वो कच्ची उमर से रही होऊं लेकिन बुर की बनावट ही ऐसी थी की , कितना भी चुदे कसी की कसी।

तभी तो उनके स्कूल के लौंडे लार टपकाया करते थे इस चूत के लिए ,

और अगर दिया का कहा हुआ तो तो कल से इस शहर के लौंडे इस बुर के लिए लार टपकायेंगे।


मैंने एक नयी ट्रिक अपनायी ,





सिर्फ जीभ की नोक से इनकी भाभी की रसीली मांसल बुर के पपोटों के बस किनारे , हलके हलके पहले छूना शुरू किया

फिर लिक करना




पहले धीरे धीरे ,फिर तेजी से और बीच बीच में उनकी क्लिट भी मेरी जीभ फ्लिक कर देती थी।

अबकी उनकी बुर में न मेरी जीभ घुसी न ऊँगली ,

लेकिन जेठानी एक बार फिर सिसक रही थीं चूतड़ पटक रही थीं


। हाँ उनकी टाँगे मोड़ के मैंने पीछे के गोल दरवाजे का भी दीदार कर लिया ,जिसमे अभी भी कोई लंड नहीं घुसा था

लेकिन कुंवारापन मेरे ८ इंच के डिल्डो ने फाड़ दिया था।

अभी भी वो छेद एकदम कसा कसा ,

मैंने बस अपनी तर्जनी से सुरसुरी की और वो एकदम से ,

उनकी बुर फिर चाशनी छोड़ने लग।

"स्साली की गांड भी बहुत सेंसिटिव है "


मैंने समझ लिया और

अपने अंगूठे से उनके क्लिट को जोर जोर से दबाने लगी , मसलने लगी ,






एक बार फिर मेरे सैंया की भौजी , झड़ने के कगार पर ,अब गयीं तब गयीं

अबकी मैंने चांटे का सहारा लिया ,

सीधी उनकी रस से भी ,गीली लथपथ बुर पे ,पहले तो हलके हलके दो ,और फिर एक कस के जन्नाटे दार उनकी बुर पे पूरी ताकत से।


वो बिलबिला गयीं ,उनकी आँखों में आंसू छलक आये।

दो मिनट घड़ी देखकर मैंने उन्हें दर्द से बिलबिलाने दिया ,


फिर हलके हलके मलहम ,अपनी जीभ से उँगलियों से

और इस बार नो होल्ड्स बार्ड था ,ऊँगली जीभ सब कुछ ,





बहुत तड़पा लिया इन्हे अबकी झाड़ दूंगी मैंने सोच लिया ,

उनकी बुर एक दम पनिया गयी थी।

मेरी जीभ सट सट उनकी लथपथ गीली बुर में जा रही थी , ओंठ उनके भगोष्ठ चूस रहे थे और उंगलिया कभी क्लिट तो कभी पिछवाड़े ,


लेकिन एक बार फिर ,



अबकी जब वो झड़ने के कगार पर पहुंची तो उनके देवर निकल आये ,

उन्होंने मुझे थम्स अप का सिग्नल दिया , यानी रेकर्डिंग एकदम परफेक्ट।

मेरी जेठानी की कहानी उन्ही की जुबानी

लेकिन अपनी भाभी की गीली रसीली बुर देखकर उनका खूंटा एकदम तन्नाया ,



इशारे से मैंने उन्हें पास बुलाया ,और सीधे लीची से मोटे सुपाड़े को लेकर मुंह में चुभलाने लगी।




कभी जीभ से पेशाब के छेद में सुरसुरी करती तो कभी बस चूसती चुभलाती।

दो मिनट देवर का लंड तो

दो मिनट उनकी भौजाई की बुर ,

दो तीन बार में उनका लंड मेरे थूक से पूरा लिथड़ गया ,

और मैंने खुद देवर का लंड उनकी भौजाई की बुर फैला के सटा दिया ,


सटम सटक्का ,मार दे धक्का ,




और उन्होंने धक्का मार दिया , आधे से ज्यादा लंड एक बार में अंदर।

मेरी जीभ अभी भी जेठानी की क्लिट फ्लिक कर रही थी ,और कभी जेठानी के देबर के

बाहर बचे लंड को।

चार पांच धक्के ,और लंड पूरा अंदर ,

देवर भौजाई की चुदाई चालू हो गयी थी ,फुल स्पीड में।




भौजाई भी नीचे से चूतड़ उठा उठा के अपने देवर का साथ दे रही थीं।

मैं बगल हट गयी और ,.... रिकार्डिंग ऑन।


मैं बस अब देख रही थी ,और सोच रही थी ,




सच में इसीलिए इनकी भौजाई इंटर में अपनी स्कूल की सबसे मस्त लौंडिया थीं।

पक्की चुदवासी , नंबरी चुदकड़।

देवर भौजाई , और भौजी आज न सिर्फ अपने देवर से चुदवा रही थीं बल्कि खुल के उन्हें चोद भी रही थीं।

धक्के का जवाब धक्के से ,

चुम्मी का जवाब चुम्मी से ,खुद उनका हाथ खींच के अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों पर रख रही थीं , दबवा मिजवा रही थी।



और वो भी पूरे जोश में कभी कचकचा के अपनी भौजी का गाल काटते तो कभी उनकी चूँची ,

हफ्ते भर तक तो ये निशान गालों के मिटने वाले नहीं थे , उनकी मेरी सास ,जेठ मेरे सब देखते ,

पर यही तो मैं चाहती थी।




कचकचा के उन्होंने चूसते हुए निप्स काट लिए ,और जेठानी जोर से चीखीं पर , जवाब में जेठानी ने भी अपने लम्बे नाख़ून अपने देवर के कंधे में गड़ा दिए और भौजी के दांत देवर के गालों पे निशान छोड़ रहे थे।

और इन्होने भी अपना मोटा खूंटा पूरा बाहर निकाला , अपनी भौजाई को दोहरा किया और मार दिया छक्का ,
बाउंड्री नहीं सीधे स्टेडियम से बाहर ,



मोटा सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी पे।

और जेठानी जोर से चीख उठीं।

सब का सब रिकार्ड हो रहा था , जेठानी की चीखें भी सिसकियाँ भी।

और मैं साथ साथ जेठानी के अपने मोबाइल में भी रिकार्ड कर रही थी , स्टिल वीडियो सब।

आखिर अगर उन के मोबाइल से जाएगा तो कोई भी ट्रेस करने वाला उन्ही के फोन तक तो आएगा।

" काहो भौजी मजा आवत हो चोदवावे में ," ऊपर से देवर ने पूछा।

" हाँ हाँ बहुत " नीचे अब से पूरी ताकत से धक्का मारते भौजी ने कबूला।

" सामू से चोदवावे में ,अरे अपने गऊँवा के हरवाहे से चोदवावे में ज्यादा मजा आवत रहे की देवर के साथ। "

उन्होंने फिर अपनी भौजी से उनके हरवाह से चुदवाने की बात कबुलवाई।

" आज ,देवर क साथ। "


उन्होने फिर एक जोर का धक्का मारा लेकिन एक बात बोल दी जो मेरी जेठानी को महंगी पड़ने वाली थी ,

" ओके कुतिया बना के लेने का शौक था बहुत। और स्कूल वाली ड्रेस में निहुरा के। "

वो अब धक्के नहीं मार रहे थे पर नीचे से उनकी भौजी के धक्के बदस्तूर जारी थे।


वो अपने हाथों से खुद अपने देवर की पीठ पकड़ के अपने अंदर की ओर खींचती , मुंह उठा के देवर के गाल चूमती ,पूरी हीट में थीं जैसे कातिक में कुतिया गर्माती है ,बिलकुल वैसे।

मैं क्यों चुप रहती ,मेरे मुंह से भी निकल पड़ा

" सही तो करता था आपका हरवाहा ,अरे कुतिया को तो कुतिया ही बना के चोदना चाहिए न। "

मेरी बात उनके देवर के लिए हुकुम।



" चल भाभी तो बन जा कुतिया ,हमहुँ आज अपनी भौजी के कुतिया बनाय के चोदेगे। "

और उन्होंने लंड बाहर निकाल लिया ,कैमरे का फोकस ,क्लोज अप अब मैंने उनके टनटनाये लंड की ओर कर दिया ,

तब तक जेठानी मेरी निहुर के एकदम कुतिया ,दोनों टाँगे खूब फैला के , लगता है क्लास में उन्हें खूब मुर्गा /मुर्गी बनाया गया होगा।

कैमरे ने आराम से उसे पैन किया उनके चेहरे से लेकर उनके बड़े बड़े चूतड़ और बुर के क्लोज अप।

दोनों चूतड़ पकड़ के उन्होंने हचक के पेल दिया , एक बार में पूरा लंड अदंर।





" ईईईई ,... " जेठानी जोर से चीखीं भी और सिसकी भीं।

अगला धक्का पहले से भी तेज था। और फिर धक्के पे धक्का

और पहली बार अपनी भौजाई से ऐसे ,

" स्साली बोल , भौजी ,संदीपवा क ममेरी बहन हैं न आप , शादी के बाद भी चोदवाई हो उससे "

" नहीं नहीं ," वो मुकर गयीं।

पर उनकी आवाज से मैं भी समझ गयी और वो भी की सरासर झूठ।

लेकिन मैं अपने उनके दिमाग को मान गयी ,अगर उ संदीपवा के शादी के बाद भी , और ये बात संदीपवा क मेहरारू इनके भौजाई को मालूम हो गयी तो , ...


" चटाक चटाक "

दो हाथ जहाँ गोल गोल चूतड़ शुरू हो रहे थे उनके देवर के वहीँ पड़े।

" भौजी देवर से झूठ नहीं चलेगा ,मैं मुंह में हाथ डाल के बात निकाल लूंगा। "




और दो हाथ फिर , अबकी सीधे चूतड़ पे।

" नहीं नहीं हाँ ,बस दो चार बार ,...संदीपवा की शादी के बाद ,.. "

अबकी इन्होने अपनी भौजाई के लम्बे खुले बालों को लपेटा उसकी लगाम बनायीं और बाएं हाथ में पकड़ के जोर से खींचा।

वो बिलबिला गयीं।

" सात आठ बार , पांच छह बार , सनदीपवा के घर , ... "


अब जेठानी रास्ते पे आ गयीं थीं।

और उन्होंने लंड निकाल के एक धक्का फिर उनकी बुर में , और अगला सवाल।

" उहो कुतिया बना के चोदता था न "



"हाँ ,हाँ ,.. " और अबकी जेठानी ने जोर से उनके धक्के के जवाब में धक्का मारा जैसे उन्हें अपना कजिन याद आ गया हो।

"और ओकरे बियाहे के बाद जब चोदवाई तो तोहार भौजाई कहाँ थीं , ... "



अब वो प्यार से सब उगलवा रहे थे।

" उन्ही ,उसके घर में , दो तीन बार तो बहाना बना के उसको बजार भेज दिए थे और दो बार तो वो वही ,एक बार वो नहा रही थी बाल धो के तो बस उसी के बिस्तर पे , और एक दो बार नीचे किचन में खाना बनाने के लिए उसको भेज के हम दोनों ,जम के ,.. "


भौजी अब बिना रुके उगल रही थीं।





फिर भी उन्होंने दो चांटे जड़ दिए गांड पे अपनी भौजी के।

हलके हलके कमल खिल उठे।

" तोहार बियाह तब हो गया था जब उससे ,उसके घर में चुदवा रही थी? "

" हाँ ,बियाह के बाद पहली बार जब मैं मायके गयी थी तभी। " वो बोल उठीं।

" सात आठ बार में तो पांच छह बार तो संदीपवा के घर पे और बाकी दो तीन बार ?"

जोर से बालों की लगाम खींचते हुए उन्होंने उगलवाया।





" यहीं ,इसी घर में , एक बार ऊ आया था राखी पे ,राखी बंधवाने तो राखी बंधवाने के बाद जिद करने लगा मिठाई की तो मुझे देना पड़ा और फिर उसके बाद रात को , यही इसी बिस्तर पे "

" जेठ जी कहाँ थे? " मुझसे नहीं रहा गया पूछ बैठी।

" अरे तुमको तो मालुम हैं उन्हें कितनी गहरी नींद आती है। "


मुस्करा के वो बोलीं।

लेकिन मैं ,मम्मी की ट्रेन की हुयी ,मैंने पकड़ लिया।

" अरे दीदी ,नींद की गोली कितनी डाली थी अपने मरद के दूध में एक की दो,सच सच बताओ ?"

"अरे तुझे तो सब मालूम पड़ जाता है , ... एक से रिस्क था इसलिए दो ,संदीप के जाने के बाद ही ऊठे वो। "

जेठानी ने कबूला।

मेरा गुस्सा सातवें आसमान में खुद तो ऐसा चरित्तर और गुड्डी के रास्ते में सारी बिघन बाधा यहीं डाल रहीं है। "

और मैं तो आग बबूला हो ही रही थी ,


वो तो , ... जोर से उन्होने अपनी भौजी के चूतड़ छू रहे लम्बे बाल पकड़ के खींचे और दूसरे हाथ से उनके मालपुए ऐसे गाल दबा के ,

झट से चिरैया की तरह भौजाई ने मुंह खोल दिया।

और पट्ट से अपने एक हाथ की दो ऊँगली सीधे उन्होंने भौजाई के मुंह में , बल्कि हलक तक ठूंस दिया।

वो गों गों करती रही ,चूतड़ पटकती रही पर उनकी उंगलिया हलक से नहीं निकली।

जेठानी के मुंह से लार निकल रही थी , मैं समझ रही थी बिचारी की क्या हालत हो रही होगी।

पर मेरे दिमाग में भी वैसे ही ख्याल आ रहे थे ,... इसका मुंह चौड़ा कराने को सैंडल , और वो भी ननदों की ,... कल

कल आने दो गुड्डी की , मेरी प्यारी छिनार ननद के पर काटने की बात कर रही थी न ये ,

गुड्डी से बोलूंगी अपनी कीचड़से लिथड़ी सैंडल सीधे जेठानी के मुंह में ठेल दे , पहने पहने।

उधर वो पूरी ताकत से अपनी दो उँगलियाँ अपनी भौजी के हलक में ठेले , न उन्हें अपनी भौजाई की गों गों की परवाह थी न टपकती लार की ,

अगर वो दो चार मिनट और इसी तरह उनके गले में ठूंस के रखते न तो ,

इतने प्यार से खाया रोगनजोश और कोरमा बजाय नीचे वाले के छेद के , उनके मुंह से ही ,

पर उन्होंने वो दोनों उँगलियाँ मेरी जेठानी के नीचे वाले छेद में ठेल दीं





उईईईईई ,... जेठानी चीख उठीं पर ,

अब तो चीख पुकार मचनी ही थी।
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जोरू का गुलाम भाग १३६

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जोरू का गुलाम भाग १३६


उनके देवर के कमर का जोर और कलाई का जोर एक साथ दिख रहा था।

कमर के जोर से उनका मोटा लंड हचक हचक के उनकी भौजाई की बुर चोद रहा था।




और कलाई के जोर से उनके दांयें हाथ की उँगलियाँ , जेठानी की गांड में एकदम ज्यादा तक घुसी हुयी थीं /

गचागच गचागच उनकी गांड मारी जा रही थी।


यूँ तो बात ये है उनकी कसी कुँवारी गांड का उद्घाटन उनकी देवरानी यानी मै कुछ देर पहले ८ इंच के डिलडो से कर चुकी थी।

पर वो पहली गांड मराई थी और कसी तो उनकी गांड थी ही /

बाएं हाथ से अपनी निहुरी भौजाई के खुले बालों की लगाम बना के वो बार बार खींच रहे थे और पूरी ताकत से चोद रहे थे।



हर धक्के के साथ उनका सुपाड़ा , उनकी भाभी की बच्चेदानी पर और लंड का बेस सीधे क्लिट पर चोट कर रहा था।




उँगलियाँ कुछ देर तक तो अंदर बाहर होती रहीं , फिर पूरी ताकत से गांड के अंदर घुसेड़ कर ,

गोल गोल , गोल गोल


और फिर चम्मच की तरह मोड़ के ,करोच के , पांच सात मिनट तक ,


मैं कैमरे के साथ जेठानी के अपने मोबाइल पर बैठ के , इन सारे ऐतहासिक पलों को रिकार्ड करने की कोशिश कर रही थी।

और तभी इन्होने जेठानी की गांड से अपनी दोनों उँगलियाँ निकाल के ,

और मैं समझ गयी , अपनी जेठानी से , मैंने विनम्र निवेदन किया

" हे रंडी की बेटी , स्साली मुंह खोल ,पूरा मुंह खोल ,... "


और एक चांटा जबरदस्त उनके गोरे गोरे गालों पर।

फिर उनके नथुने बंद कर दिया ,

" स्साली सांस को तड़पा दूंगी ,खोल छिनार "

उन्होंने आँखे भी बंद कर लीं।

पर कान के नीचे एक और जमा के ,

मुंह भी खुल गया ,आँखे भी।

" अरे ज़रा देख तो तेरे देवर की ऊँगली में ,.... अरे कुछ ख़ास नहीं तेरी ही गांड का है ,मस्त ,.. अरे ज़रा सा बस चटनी ,.... "

कैमरे तो रिकार्ड कर ही रहे थे ,मेरी जेठानी के मोबाइल ने भी ,

जैसे वो अपने देवर की लिथड़ी चुपड़ी ,...

और कैसे उन्होंने जबरदस्ती पर हौले हौले मेरी जेठानी के होंठों के बीच , धीरे धीरे सरकाते सारी ऊँगली घोंटा दी।


" हाँ अब आराम से मजे ले कर चूसिये। कैसा है स्वाद ," मैंने छेड़ा ,

पर अब वो पूरी ताकत मेरी जेठानी के आगे के छेद पर , उस ऊँगली को जैसे भूल ही गए थे।




पर मैं और कैमरे नहीं भूले थे।


पांच छह मिनट बाद वो ऊँगली निकल के फिर से गांड में


और उसी तरह गांड से निकल उनके मुंह में।

लेकिन इस बार गांड खाली नहीं बची।



लंड बुर से निकल के गांड में घुस गया और जेठानी की गांड हचक हचक के मारी जाने लगी।




जैसे ही मेरे साजन का मोटा लंड ,खैबर का दर्रा , गांड का छल्ला पार कर के अंदर घुसा ,

उईईई उईईईईई फटी ,जान गयी ,

जोर की चीख मची।

पर उन्होंने एक हाथ से बालों को मोड़ के बनायी गयी लगाम को पूरी ताकत से खींचा और दूसरे हाथ से चटाक चटाक ,


गांड के ऊपर ,पूरी ताकत से ,


पर उन्होंने एक हाथ से बालों को मोड़ के बनायी गयी लगाम को पूरी ताकत से खींचा और दूसरे हाथ से चटाक चटाक ,


गांड के ऊपर ,पूरी ताकत से ,





नौटंकी स्साली भोंसड़ी की ,अपने मायके में , हरवाहे से ,ग्वाले से और ,


चटाक चटाक

और एक बार लंड आलमोस्ट बाहर खींच के पूरी ताकत से ,

गांड के छल्ले को रगड़ता, दरेररता, फाड़ता





ओह्ह्ह मां ,माँ ओह्ह उह्ह्ह्ह

जेठानी जोर जोर से चीख रही थीं।

"स्साली माँ का नाम मत ले उसकी भी गांड मरवानी है क्या "

एकबार फिर से दो चांटे ,

इनका ये रूप , इनकी भौजी के लिए तो नया था ही मेरे लिए भी।

पर चाहती मैं यही थी।

अपनी सारी मायके वालियों की ,रगड़ रगड़ कर ,हचक हचक कर ,माँ ,बहन ,भौजी सबकी ,....

माना जेठानी की गांड मैंने डिलडो से फाड़ी थी पर लंड से तो वो पहली बार ,


और क्या कोई लौण्डेबाज गांड मारेगा ,जिस तरह से ये अपनी भाभी की गांड मार रहे थे।

एकदम बेरहमी से ,साथ में

उनके बालों की लगाम बना के खींचते , चांटे मारते।





लगातार बीस मिनट तक ,

जेठानी मेरी चीखते कराहते भी दो बार झड़ चुकी थीं।

मैं अपने साजन के पीछे ,अपने जोबन की बरछी उनके पीठ में गड़ाती ,

और मेरी निगाह मेरे बालम के खूंटे पे पड़ी ,जब वो जेठानी की गांड से आधा निकला ,

एकदम जेठानी की गांड के रंग में रंगा ,

बस मुझे एक शरारत सूझी

कमांड मैंने अपने हाथ में ले ली।





लंड का बेस पकड़ के गोल गोल ,दर्जन भर बार क्लॉक वाइज फिर दर्जन भर बार एंटीक्लॉक वाइज

फिर उसी तरह से ,

और उन्होंने भी , बस अपनी दोनों टांगों को जिनके बीच में कुतिया की तरह निहुरि जेठानी फंसी थीं ,जोर के सिकोड़ लिया , पूरी ताकत से ,

वैसे भी पहली बार उनकी गांड फटी थी ,पहली बार गांड में आज लंड जा रहा था और वो भी बियर कैन की साइज का ऊपर से

ऐसे टाँगे सिकोड़ने से चार बच्चो की माँ की भी कुँवारी की तरह कसी हो जाती है ,और जेठानी की गांड तो पहली बार ,

और ,

लंड और दरेरते ,रगड़ते ,गोल गोल घुमाने से पेट में भी घुमड़ घुमड़ ,

मैं एक बार फिर जेठानी के चेहरे के पास , कुछ देर तक तो उन्होंने भी गोल गोल ,गोल गोल

फिर वो भी झड़ने के कगार पर थे ,पूरी ताकत से गांड उन्होंने मारनी शुरू कर दी /

जेठानी जी जब तीसरी बार झडीं तो वो भी साथ साथ

देर तक उनकी रबड़ी मलाई जेठानी की गांड में।

बरसती रही , भिगोती रही।




लेकिन जब उन्होंने अपना खूंटा बाहर निकाला ,एकदम लिथड़ा

मख्खन मलाई में

मख्खन जेठानी की रसीली गांड का ,और

मलाई उनके देवर के लंड का।

मेरी उनकी आँखे मिली और बस बात हो गयी।

चटाक ,

पहली बार मेरा झापड़ मेरी आदरणीय जेठानी के गाल पे पड़ा। और मेरे फिंगर प्रिंट्स एकदम साफ़


" सुन लीजिये साफ़ साफ़ , अब न मुंह बंद होगा न आँखे आराम से ,,... "


गांड से निकला ,गांड रस से लिथड़ा लंड अब उनके भीगे होंठों के पास ,

कैमरा पूरा क्लोज अप के साथ एक एक मूवमेंट कैप्चर कर रहा था था और जेठानी की आँखे भी

उन्होंने होंठ भींचे और मेरा हाथ उठा ,

हाथ का उठना थी की होंठ अपने आप खुल गए और मेरे साजन का अपनी भौजी की गांड से निकला लंड सीधे उनके मुंह में।


और मेरी कड़क आवाज ,

" चूस चूस के ,चाट चाट के साफ कर दो ,आखिर माल भी तो आपके गांड का ही है न। चूसिये मजे लीजिये कस के ,और हाँ सिर्फ चाटना नहीं है ,चूस के चाट के एकदम खड़ा कर देना है जितना चुदाई शुरू होने के टाइम पर था। "

पर उनके देवर ने यह इंश्योर कर लिया था।

जिस तरह से उन्होंने जबरदस्ती कस के अपनी भौजाई के सर को दोनों हाथों से बर्बरता पूर्वक पकड़ रखा था ,पूरी ताकत से , अपनी कमर के जोर से लंड एकदम जड़ तक बॉल्स तक पेल रखा था





जैसे किसी ने छोटे मुंह वाली बोतल पर मोटी सी डॉट लगा रखी हो , जबरन एकदम ठूंस के। बस वैसे ही।

बिचारी जेठानी , गों गों भी नहीं कर पा रही थीं।




लेकिन धीमे धीमे चूसने की रफ़्तार उन्होंने बढ़ा दी।

मैं तो बस जेठानी की ही मोबाइल से ढेर सारी फोटुए खींच के इधर उधर ,बस


और दस बारह मिनट के बाद जब वो जेठानी के मुंह से बाहर निकला तो एकदम खड़ा, टनटनाया।




और अब मेरा मन ललचा गया।

उस मोटे मूसलचंद को देखकर किसके मुंह में पानी नहीं आ जाता और वो तो मेरा था ,मेरा अपना।

फिर मेरे मन की हर बात , बिना कहे सुने मानता था वो।

यही तो मैं चाहती थी , उनके मायके में ही , उनके मयकेवालियों की

जो इतनी 'संस्कारी ' बनती हैं ,जिनके ताने सुन सुन के मेरी जिंदगी ,...

उन की बुर गांड सब चोद चोद के ,

इनकी भाभी ,माँ ,बहन सब चोद दे ये मेरा मूसलचंद।

जल्द ही इनकी बहन फिर इनकी माँ का मेरे सामने ही यही , ...



खुश हो के गप्प से मैंने मुंह में ले लिया।

सुपाड़ा खुश ,सुपाड़े वाला खुश।

इनके आँखों की चमक देखते बनती थी।


आज इन्होने न सिर्फ पहली बार अपनी जिंदगी में गांड मारी ,वो भी इतनी मस्त ३९ + साइज की मस्त , कसी कोरी ( इनकी भौजाई की फाड़ी भली मैंने हो ,पर लंड तो सबसे पहले इन्ही का गया उसमें ),और गांड मारने की आखिरी मंजिल ,असली मजा


सीधे गांड से मुंह में

आस टू माउथ

ए टी एम।

मैं प्यार से आराम से चूस चुभला रही थी अपनी जेठानी के सामने ,

जिनके सामने एक बार दिन में ,बीती रात की बात करने पर जोर की पड़ी थी मुझे ,पूरे साथ मिनट और सिर्फ मुझे ही नहीं पूरे मायके वालों को मेरे।

और मेरे निगाह जेठानी के बड़े बड़े कड़े कड़े गदराये उभारों पर पड़ी।





वाकई बड़े थे ,३६ डी डी। गोरे ,गुदाज ,मांसल और सबसे बढ़ कर उन दोनों के बीच की संकरी घाटी ,

मेरे शरारती सोचने के कारखाने में एक नयी सोच जगी।

मुझे मालूम थी उनकी एक फेटिश , मैंने ही लगाई थी।

चूँची चोदन की।

और इतनी बड़ी चूँचियाँ हो और चोदीं न जाएँ ,

और खास तौर पे इनकी संस्कारी भौजाई की ,

पर कोमल के काम करने का तरीका कुछ अलग ही है ,इसलिए मैंने खुद

उनके बौराये तन्नाए मूसलचंद को मुंह से बाहर निकाला और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्द पिलाये , सुपाड़े के पी होल को मैंने अपने तनताये निप्स से सटा लिया।आगे न मुझे कुछ कहने की जरुरत थी न इशारा देने की ,

हलके से धक्का देकर इन्होने मुझे अपनी भौजाई के बगल में गिरा दिया

और मेरी दोनों चूँचियों के बीच ,क्या मस्त चूँची चोदन करते थे वो।

पुरानी बातें ,न सोचो तो भी ,


इसी घर में शादी के शुरू के दिनों में ,शुरू क्या पांच छह महीनों तक


रात भर तो वो पहले दिन से मेरे ऊपर चढ़े रहते थे ,

पर दिन उगते ही न जाने क्या होजाता था इन्हे ,

न तुम हमें जानों ,न हम तुम्हे जाने।

अपनी माँ ,बहन ,भावज के सामने तो बात भी छोड़िये , देखते तक नहीं थे मेरी ओर।

ऐसा इनके बचपन से कैशोर्य में सिखाया पढ़ाया गया था , सेक्स डर्टी है।




और आज उन्ही भावज के बगल में मुझे लिटा के ,इत्ते प्यार से मेरी गदरायी चूँचियाँ चोद रहे थे।



और कुछ देर में उनका सुपाड़ा मेरे होंठों से रगड़ खा रहा था ,मैं जीभ बाहर निकाल के उसे लिक कर रही थी

और एक बार में गप्प से , सीधे मेरे होठों के बीच।

कनखियों से मैंने देखा बिचारि मेरी जेठानी ललचा रहीं थीं।

जैसे कोई लालची लड़की किसी दूसरी लड़की को लॉलीपॉप चूसते देख ललचाये।

मैंने अनदेखा कर दिया और उनके कड़े मोटे लंड की रगड़न अपनी चूँचियों पे महसूस कर रही थी।

भले ही मेरी जेठानी कम उमर में चालू हो गई हों ,

अपने घर के हरवाह ,ग्वाले ,कोंहार , किसी को न छोड़ा हो उन्होंने

सारे कजिन्स ,स्कूल के लौंडे ,

लेकिन मेरा ऐसा रसिया ,सबसे बड़ा खिलाडी ६४ आसनों का ज्ञाता ,मस्त चूत चटोरा कहाँ मिला था उन्हें ,

उनका पिछवाड़ा और उनकी चूँचियाँ दोनों ने लंड का मजा नहीं लिया था आज के पहले

मुझे दया आ गयी।


और जेठानी को खींच के मैंने बगल में लिटा दिया , और उनसे बोली

" अरे इत्ते बड़े बड़े मम्मे रोज नहीं मिलते ,ज़रा अपनी भौजाई को भी तो ,...

बस मेरी जेठानी की चूँची चोदाई चालू हो गयी।




और जेठानी भी गजब की छिनार ,बचपन की रंडी

खुद दोनों हाथों से अपनी चूँचियों को पकड़ के ,...

क्या कोई ब्ल्यू फिल्म में पोर्न एक्ट्रेस टिट फक करवाती होगी।


ब्ल्यू फिल्म तो मेरी जेठानी की भी बन रही थी ,मैंने एक बार फिर से कैमरे चालू कर दिए थे और मोबाइल से भी ,

पर जेठानी इन सबसे बेखबर अपने देवर से अपनी बड़ी बड़ी चूँचियाँ चुदवाने में मगन थीं।


मेरी जेठानी के गले में मंगल सूत्र चमक रहा था। उनकी मांग में सिन्दूर दमक रहा था ,

और वो अपने हाथ से अपने देवर का लंड पकड़ के अपनी चूँचियों के बीच ,


" रंडी ,छिनार ,पतुरिया " मैंने बुदबुदाया

पर जेठानी की बड़ी बड़ी चूँची देख के मेरा मन भी लालच में आ गया और पीछे से मैंने भी उनकी गदरायी चूँची दबोच ली।

वो अपनी भौजी की चूँची चोद रहे थे और मैं

उनकी भौजाई की चूँची रगड़ मसल रही था ,क्या गन्ने के खेत और अरहर के खेत में उनकी कच्ची अमियाँ मसली कुतरी गयी होंगी।

जिस जोर से मैं मसल रही थी ,

और वो दो बार झड़ चुके थे एक बार अपनी भौजाई की बुर में और एक बार गांड में


तो तीसरी बार तो उन्हें वक्त लगना ही था।

कुछ देर की चूँची चुदाई के बाद


एक बार फिर उनका लंड उनकी छिनार भौजाई की बुर में घुस गया




पर चूँचियों की रगड़ायी मसलाई चालू थी , देवर नहीं तो देवरानी।





हचक हचक के बुर चोदीं जा रही थी ,

रगड़ रगड़ के जोबन रगड़े जा रहे थे ,पर मुझे एक और शरारत सूझी

मैंने उनकी ओर देखा ,और उनकी नाचती मुस्कराती आँखों ने हाँ कर दी।

मंजू ,गीता की ट्रेनिंग में वो सब सीख पढ़ के पक्के हो चुके थे।



पहले तो मैंने उनकी भौजाई के दोनों हाथ पकड़ के पलंग के सिरहाने बाँध दिए , गांठे अच्छी तरह चेक कर लीं।

वो उनके ऊपर चढ़े लदे , तो उनकी भौजाई के हिलने का सवाल ही नहीं था।

और मैं सीधे अपनी जेठानी के मुंह पे ,

बिना मेरे कहे वो बुर चट्टों मेरी बुर चाटने लगी पर




पर मेरा इरादा तो कुछ और था ,
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जोरू का गुलाम भाग १३७

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जोरू का गुलाम भाग १३७


जेठानी के मैंने नथुने दबाये , मुंह खुलवाया और सीधे अपने पिछवाड़े का छेद जेठानी के मुंह के ऊपर ,

उन्होंने मुंह बंद करने की सोची भी होगी की





ले चांटे ,दे चांटे

मेरी जेठानी की बड़ी बड़ी चूँचियों पर ,एकदम लाल।

और चांटे उनके देवर ही बरसा रहे थे।

गालियां मैं बरसा रही थी ,

" स्साली छिनार , अपनी गांड का तो ,... अपने देवर की ऊँगली से चाटा ,देवर के लंड से चाटा और मेरी गांड से ,... "

और एक चांटा मैंने भी गाल पे।

" सुन ले , अगर एक पल के लिए भी मुंह बंद हुया तो बस , पूरा मुंह खोल ,जीभ से चाट ,.... हाँ हाँ ऐसे ही,...




नहीं नहीं ,अंदर डाल पूरा अंदर डाल , हाँ और थोड़ा और ,रंडी की जनी,तेरी माँ हरामन , तू हरामन ,चाट कस के ,... "

मैं बोले जा रही थी ,उनकी भावज को गाइड कर रही थी।

और अब उनका एक हाथ अपनी भौजी के गले पे जैसे कह रहा हो अगर गांड में से जीभ निकली तो बस टेंटुआ दबा दूंगा।

और दूसरा हाथ उनकी चूँची पे ,


और इस हाल ने मेरे साजन का भी जोश बढ़ा दिया था क्या हचक के चुदाई कर रहे थे ,




और बीच बीच में दो चार हलके हाथ जेठानी की बुर पे चटाक चटाक ,

तभी फोन बजा जेठानी का ही।


उनके हाथ तो बंधे थे सो मैंने काल खोल दी ,

एक औडियो रिकार्डिंग थी ,पूरे पांच मिनट की

पांच मिनट चली।


जेठानी की दास्तान ,जेठानी की आवाज में , सामू ,संदीप ,स्कूल के लड़के सब कुछ हो उन्होंने कबूला था और अंत में दिया की आवाज।




" भाभी जान , आपने तो सोना डार्लिंग मेरा मतलब है श्रुति भाभी को भी मात दे दी। अपने जवान होते दिनों की कहानी अपनी जुबानी आपने सुना डाली। सामू ,जुगनू ,संदीप , और लौंडे स्कूल के ,...

गनीमत था मेरी छमिया भाभी जान , आपकी ये वॉयस रिकार्डिंग मेरे पास पहुंची ,... लगता है आप बता रही होंगी और कहीं अँधेरे में गलती से आपके मोबाइल का कोई बटन दब गया इसलिए रिकारीडिंग हो गयी और कोई और बटन दब गया तो मेरे पास ,... इसको तो कोई भी मॉर्फ नहीं करेगा ,...

चलिए मैं डिलीट कर दूंगी ,.... अभी किया नहीं है कर दूंगी , पर अभी तो आप बिजी होंगी ,लेकिन ४० मिनट में एकाध हाट हाट सेल्फी भेजिए न , पक्का प्रॉमिस ,... डिलीट कर दूंगी। "

दिया की एक एक बात मेरी जेठानी के सीने में तेज चाकू की तरह चुभ रही थी।

लेकिन कर भी क्या सकती थीं। एक तो आज मॉल जाते समय श्रुति की बात सुना सुना के दिया ने उन्हें दहशा दिया था और अब उनकी खुद की आडियो रिकार्डिंग फिर एकदम परसनल डिटेल के साथ।

" अरे घबड़ाइये मत दिया के पास ही तो है ,गया तो आपके मोबाइल से ही है , कोई बटन दब गया है , दिया सही कह रही थी। "


मैं बोली।

" अरे भाभी आप काहें को परेशान हो रही हैं , बस चुपचाप देवरानी की हर बात मानती जाइये ,ननदों की बात मानिये। "




जोर जोर से धक्का लगाते हुए वो बोले।


" सही तो कह रहे हैं आपके देवर , भाभी जान। बस मेरी बात मानिये , गुड्डी और दिया की हर बात मानिये ,... ,अरे आपने अपनी गांड का तो खूब स्वाद लिया , अब जरा देवरानी के भी पिछवाड़े का ,...





थोड़ी मुख शुद्धि भी हो जायेगी। "




मैं उन्हें समझाते बोली और फिर टोन बदल दिया,

" स्साली , रंडियों के खानदान की ,तेरे सारे खानदान की गांड मारुं ,छिनार बहुत इसी मुंह से चटर पटर बोलती थी न अब देख कैसे मुख सुद्धि होती है तेरी , अभी तो शुरुआत है , ज़रा भी मुंह बंद करने की कोशिश की न तो बस सारी तेरी मन की बात ,



उस तेरे भाई संदीपवा की मेहरारू के पास , तेरी बहन भौजाई के व्हाट्सऐप में , खोल के बैठूं हैं सबके नंबर , ज़रा भी हिली डुली न रंडी मुंह बंद करने की सोचा भी न तो बस ,... जब तक तेरे देवर तेरी बुर का भोंसड़ा बनाएंगे न भोसड़े वाली , तब तक मेरी गांड तेरे मुंह में , ....





लील , घोंट सब ,... वरना उस ससुरी सोना डार्लिंग तेरी सहेली से भी ज्यादा ,... "

और साथ साथ मैंने अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को पूरी ताकत से फैला के ,अपना पिछवाड़े का छेद और पूरी तरह से,...




"चटाक ,चटाक ,... "





दो कस के अपनी भौजाई की चूँची पर जड़ कर , ... उन्होंने भी मेरी बातों में अपनी सहमति दे दी।





और मैंने कस के एकबार फिर से अपनी जाँघे जेठानी के सर पे दबा दी। उनके कान मेरी जाँघों के बीच दबे थे।

मंजू बाई ने सिखाया था ये , औरत की जाँघों के बीच बहुत ताकत होती है ,कैसे किसी के चेहरे पर चढ़ कर ,मुंह खुलवाके , ... और अपनी जाँघों के बीच उसका सर इस तरह इस ताकत से दबोचा जाय की वो सूत बराबर भी न हिल सके


मेरी जेठानी न हिल सकती थी ,न सुन सकती थी ,न बोल सकती थी ,...


उनके दोनों हाथ बंधे थे कस के पलंग से

मेरी जाँघों ने उनके कान ,उनके सर को दबोच रखा था


उनकी टाँगे उठी दुहरी फैली अपने देवर के कन्धों पर ,






सिर्फ उनका मुंह खुला था ,पूरी तरह और उसे मेरी गांड के छेद ने सील कर रखा था।



उनकी बुर बुरी तरह फैली थी और उसमे उनके देवर का मोटा लंड धंसा था।





उनकी एक चूँची देवर के हाथों में और दूसरी देवरानी के हाथों में ,


बाहर मौसम बहुत खराब हो गया था ,खिड़कियां हवा के तेज झोंकों से खुल गयी थीं।

बिजली चली गयी थी , बादल जोर जोर से कड़क रहे थे ,







और बीच बीच में बिजली तेजी से चमक रही थी थी ,

और उसी बिजली की रौशनी में हम दोनों की देह के नीचे ,दबी कुचली जेठानी की देह दिख जाती थी।



जो मुझे करना था वो मैं कर रही थी ,

जो मेरे साजन को करना था वो मेरे साजन कर रहे थे।


जेठानी सिर्फ ,.. चुपचाप ,....


बारिश तेज हो गयी थी बाहर और उस के झोंके अब मेरी मेरी जेठानी और उन की देह को भी भिगो रहे थे।


पर आज हमारी देह की आग इतनी आसानी से नहीं बुझने वाली थी ,

जैसे कोई फकिंग मशीन चोदे वो उसी तरह चोद रहे थे ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,हर बार लंड सुपाड़े तक बाहर

अपने दोनों पैरों के बीच कैंची की तरह कस के उन्होंने जेठानी की जाँघों को भींच रखा था जिससे जेठानी की बुर एक दम

टाइट , कसी कुँवारी चूत की तरह और

उसमे रगड़ता दरेरता फाड़ता घिसटता

मेरे सैंया का बीयर कैन से भी मोटा लंड , तूफानी तेजी से

अंदर का तूफ़ान बाहर से कम नहीं था,


और आज हम दोनों जेठानी को झड़ने भी नहीं दे रहे थे।

जैसे ही जेठानी की देह पत्ते की तरह कांपने लगती , वो अपने चूतड़ पटकना शुरू करती ,

एकदम झड़ने के कगार पर ,

वो अपना मोटा खूंटा सीधे बाहर निकाल लेते और

हलके हलके सीधे चटाक चटाक अपनी भाभी की पनियाई गीली झड़ने को बेचैन बुर पे ,




मेरे लम्बे नाख़ून जेठानी के निप्स पे ,कस के नोच लेते ,

दर्द से वो बिलबिला उठतीं , तड़प जातीं ,

और उस बिलबिलाती बुर में फिर मेरा साजन , हचक हचक के इस ताकत से लंड पेलते की

अगर मेरी सास भी उनके नीचे होतीं तो चीख उठतीं।





( पर मेरी जेठानी चीख भी नहीं सकती थीं ,उनके खुले मुंह पर तो मेरी खुली गांड का कब्ज़ा था )


पता नहीं कितनी देर तक , बाहर तूफान अंदर तूफ़ान।

और जब लाइट आयी ,तूफ़ान हलका हुआ , बारिश रिमझिम में बदल गयी ,

तो वो ,.. और उनके साथ उनकी भौजाई भी ,...



पर आज उन्होंने एक बूँद मलाई अपनी भौजी की बुर में नहीं डाली।





मैं अपनी जेठानी के मुंह के ऊपर से उठ गयी और सारी थक्केदार मलाई की बौछार ,




मेरी जेठानी की ३६ डी डी गोल गोल कड़ी कड़ी चूँचियों पर , सीधे जेठानी के मुंह पर।



मैंने जेठानी के हाथ खोल दिए ,खिड़कियां एक बार फिर से बंद कर दी , बस थोड़ी देर में सुबह होने वाली थी।

और अपने साजन के पास , मुझे मालूम था इस पिचकारी में अभी बहुत सफ़ेद रंग बाकी था ,बस पिचकारी के बेस को थोड़ा पिचकाना था

और पिचकारी को अपने हाथ से पकड़ कर जेठानी की मांग पर ,


सीधे उनके देवर के वीर्य से उनकी मांग भर दी ,

फिर मंगल सूत्र

फिर सीधे निपल पर।





वो एकदम ज़ोम्बी की तरह ,... बैठी।

" हे अरे आप भूल गयीं आप को दिया को सेल्फी भेजनी है ,उसका टाइम बस ख़तम होने वाला है। आपके मायकों वालों का व्हाट्सएप उसके पास भी है ,फिर कहीं उसने इधर उधर ,झट से एक सेल्फी खींच के भेज दीजिये न "

और उन्ही का मोबाइल उनके हाथ में पकड़ा दिया।

वीर्य से लिथड़ी भीगी

बाल ,चेहरा, चूँची




और बटन मैंने दबा दिया ,




फिर सेल्फी खींचने में क्या कोताही ,एक के बदले पूरे एक दर्जन कम सोक्ड जेठानी के ,

और फिर उनसे से चीज कहलवाकर , उनके दाड़िम दांतो ,होंठों का भी ,...

टाइम स्टाम्प ,तारीख सब कुछ , और सब में थोड़ा बैकग्राउंड भी,उनका राट आयरन का बेड ,बैडरूम की खिड़की ,पीछे लगी पिक्चर

दिया के पास दो मिनट के अंदर पहुँच भी गयी और उसका मेरे मोबाइल पे थम्स अप साइन भी आ गया।


हाँ इस भाग की रिकार्डिंग नहीं हो पायी थी क्योंकि लाइट चली गयी थी।


हम तीनो थके , लथपथ नींद से मांदे पलंग पर पड़ गए। बीच में जेठानी एक ओर उनके देवर और दूसरी ओर देवरानी। वो तो कुछ देर में हलके हलके खर्राटे भी भरने लगे।

हवा के झोंके से खिड़की एक बार फिर थोड़ी थोड़ी खुल गयी थी। हलकी हलकी हवा चल रही थी , बारिश बंद हो चुकी ,बादल भी अपना बिस्तर समेट कर जा रहे थे। पर बाहर आम के पेड़ की पत्तियों से ,छत के परनाले से अभी भी पानी के टपकने की आवाजें आ रही थीं। रात की कालिख भी हलकी पड़ने लगी थी।

सुबह बहुत देर नहीं थीं।

एक नयी सुबह , ... खासतौर से मेरी जेठानी के लिए।
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