जोरू का गुलाम या जे के जी

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kunal
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जोरू का गुलाम भाग ९०

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जोरू का गुलाम भाग ९०


"है न एकदम है।

ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी प्लैट से कवर की हुयी और एकदम चिपकी ,बंद। बस वही ले आ ना। यहीं टेबल पर खोलना। हम सबके सामने , बड़ी स्पेशल सी स्वीट डिश है। "

मैंने गुड्डी को चढ़ाया , और वो ये जा वो जा।

जब तक गुड्डी आयी मैंने और जेठानी जी ने टेबल क्लीन कर दी थी और सिर्फ स्वीट डिश के लिए साफ़ प्लेटें रख दी थी।

और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।


खोलो न , मैंने जिद की और

गुड्डी ने खोल दिया

जैसे ही गुड्डी ने वो प्लेट खोली , गुड्डी की आँखे एकदम फ़ैल गयी, विस्फारित।


वो महक , रस से भीनी सुगंध , वो रंग ,एक नशा सा तारी हो गया सिर्फ देख कर , महक से




छिले,कटे , सिन्दूरी अल्फांसो की खूब लम्बी लम्बी फांके , छलकते हुए रस से भीगे ,

रसीले, स्वाद उसकी महक से भिन रहा था ,सीधे रत्नागरी से एक्सपोर्ट क्वालिटी ,

पूरी प्लेट रसीली बड़ी बड़ी लम्बी रस से भरी ,फांको से भरी थी ,एक महक और बस चखे बिना ही कोई दीवाना हो जाए


असर तो गुड्डी पर प्लेट खोलते ही पड़ा , लेकिन कनखियों से गुड्डी ने अपने 'भैय्या ' की ओर देखा ,

( यही एक्प्रेसन तो मैं देखना चाहती थी , मेरे भैय्या नाम भी नहीं ले सकते , टेबल पर कोई आम की बात कर ले तो उठ जाते हैं , टेबल पर रखना तो दूर ,भाभी आप को ये सब चीजें भैय्या के बारे में जान लेना चाहिए ,पहले दिन से ही ये बात सुनते सुनते ,... )



और उसके भैय्या टेबल से नहीं उठे थे बल्कि हम सभी की तरह अल्फांसो के रस की भीनी भीनी सुगंध का मजा ले रहे थे।



गुड्डी ने एक फांक छूई।




और वो उसका टच फील इंज्वाय कर रही थी , फिर मेरी ननद ने एक फांक उठा कर मुंह से लगाया , खूब रस से भरा हुआ , उसे होंठों से थोड़ा किया ,

फिर हलकी सी बाइट , आम का मीठा मीठा रस छलक रहा था ,और गुड्डी को स्वाद भी खूब आ रहा था। फिर आधी फांक सीधे मुंह में , चूसने लगी।

बीच में एक दो बार अपने 'भैय्या ' की ओर भी देखा उसने कहीं वो , बुरा तो नहीं मान रहे ,

लेकिन बुरा कौन , वो तो अपनी इस छुटकी बहिनिया की कच्ची कोरी बुर के सपने में डूबे ,





गुड्डी के रसीले किशोर होंठों के बीच रस से भरी फांक से छलकता रस निहार रहे थे।


गुड्डी ने एक दो फांके मेरी जेठानी को और एक फांक मेरी प्लेट में रखी लेकिन उनके प्लेट में नहीं।

पर उनकी निगाहें उस किशोरी पर टिकी थीं ,


कैसे उसने दो उँगलियों के बीच लम्बी मोटी फांक पकड़ रखी थी ,कैसे उसे अपने गुलाबी भीगे भीगे रसीले होंठो के बीच हलके हलके दबा के चूस रही थी




और कैसे जब रस की एक बूँद छलक कर उसकी ठुड्डी पर आ गयी तो गुड्डी ने कैसे जीभ निकाल के उसे चाट लिया। गुड्डी की उँगलिया कैसे उस भीने भीने रस से गीली हो रही हैं।

कैटरीना कैफ का मैंगो वाला ऐड याद है न , गुड्डी उससे कहीं कहीं ज्यादा सेक्सी रसीली लग रही थी।



मैंने उनको कुहनी मार के उस जादूगरनी के जादू से निकालने की कोशिश की और हलके से ,बहुत धीमे से थोड़ा झिझकते वो बोले ,

" गुड्डी ,.. "

गुड्डी ने एक और बड़ी सी रसीली फांक अपने मुंह में डाल ली और उनकी ओर देखा।





और उस सारंग नयनी ने मुड़ कर अपनी बड़ी बड़ी नाचती गाती रतनारी आँखों से ,जैसे कोई हिरणी मुड़ के देखे ,उन्हें देखा।

उस किशोरी के गुलाबी रसीले होंठों पर आम रस लिपटा हुआ था , और दोनों होंठों के बीच एक खूब मोटी सी सिंदूरी रसीली फाँक ,

मैंने उन्हें फिर कोहनी मारी और कान में फुसफुसाया , " अरे बोल न "

गुड्डी ,

और फिर चुप हो गए।
हम तीनो,मैं, गुड्डी और मेरी जेठानी कान पारे सुन रहे थे ,इन्तजार कर रहे थे।

और उनके बोल फूटे , झटपट जैसे जल्दी से अपनी बात ख़तम करने के चक्कर में हों।

" गुड्डी , चूत ज़रा अपनी चूत मुझको दो न। "

जैसे ४४० वोल्ट का करेंट लगा हो सबको ,सब लोग एकदम पत्त्थर।

गुड्डी के तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था ,मेरी जेठानी भी एकदम ,

मैंने बात सम्हालने की कोशिश की ,

" अरे गुड्डी चूत मतलब , ये तेरी दोनों जांघो के बीच वाली चीज , नीचे वाले मखमली कोरे होंठ नहीं मांग रहे है , बल्कि ऊपर के होंठ के बीच में फंसी सिंदूरी रसीली फांक मांग रहे हैं।
अरे आम को चूत ही तो कहते हैं संस्कृत में।




रसाल ,मधुर और होता भी तो है वैसे ही चिकना , रसीला। चाटने चूसने में दोनों ही मजा है , हैं न यही बात। "

उन्होंने सर हिला के हामी भरी ,


जेठानी मेरी एक नम्बरी क्यों मौक़ा छोड़तीं ,बोली ,




" अरे मान लो गुड्डी से नीचे वाला होंठ मांग ही लिया तो क्या बुरा किया , अरे दे देगी ये समझा क्या है अपनी ननद को। घिस थोड़ी जायेगी "

माहौल एक बार फिर हलका हो गया था। मैंने भी मजा लेते हुए कहा ,

" अरे घिस नहीं जायेगी , फट जाएगी इनके मूसल से "


हँसते हुए मैं बोली।

" तो क्या हुआ ,अरे कोई न कोई तो फाड़ेगा ही ,अपने प्यारे प्यारे भैय्या से ही फड़वा लेगी। " जेठानी जी ने भी अपनी छुटकी ननद को और रगड़ा।

" और क्या ,फिर ये तो कहती ही हैं , मेरे भय्या कुछ भी ,कुछ भी मांगे मैं मना नहीं करुँगी , लेकिन अभी तो जो वो मांग रहे है वो तो दे दो न बिचारे को "

और चारा भी क्या था बिचारी के पास।

अपने रस से भीगे होंठों के बीच दबे खूब चूसी हुयी फांक को गुड्डी ने निकाल के जैसे ही उनकी ओर बढ़ाया ,




उनका एक हाथ वैसे भी गुड्डी के कंधे पर ही था , बस एकदम सटे चिपके बैठे थे वो ,बस दूसरे हाथ ने झपट कर उस गुड्डी की खायी ,चूसी,चुभलाई आम की फांक को सीधे वो उन होंठों के बीच।

और अब वो उस फांक को वैसे ही चूस रहे ,चाट रहे थे, चख रहे थे

जैसे थोड़ी देर पहले उनके बाएं बैठी वो एलवल वाली मजे से चूस रही थी।

मस्त गंध ,अल्फांसो के टैंगी टैंगी स्वाद के साथ , आमरस के साथ उसमें काम रस भी तो मिला था। उनकी छुटकी बहिनिया के किशोर होंठों का रस ,उसका मुख रस।

खूब मजे से वो चूस रहे थे ,चुभला रहे थे ,कुतर रहे थे। जैसे कुछ देर पहले गुड्डी के होंठों से आम रस की बूंदे सरक कर ठुड्डी तक पहुँच गयी थीं , वही हालत अब उनकी थी।



लेकिन मेरी निगाहें उन से ज्यादा अपनी ननद और जेठानी पर चिपकी थी जो पहले दिन से मुझे ज्ञान देने में जुटी थीं ,

मेरे भैय्या को ,मेरे देवर को ,तुम्हे कुछ मालूम नहीं ,तेरे मायके में होता है यहां नहीं , भाभी ,भइया को ये एकदम पसंद नहीं ,कित्ती बार तो आपको बोल चुकी हूँ लेकिन आपको तो समझ ही नहीं ,


जो कहते हैं न फट के हाथ में आ जाना , एकदम वही हालत थी मेरी ननद और उससे भी ज्यादा जेठानी का।
गुड्डी का तो मुँह एकदम खुला , शाक भी सरप्राइज भी , जो चीज वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी , उसके भैय्या ,


जिठानी की हालत तो गुड्डी से भी खराब जो चीज वो कभी सोच नहीं सकती थी ,

उसी घर में ,उसी डाइनिंग टेबल पर जिस पर बैठ के घंटो वो मुझे लेक्चर देती थीं।

एकदम सन्नाटा , पिन ड्राप ,

सन्नाटा तोड़ा उन्होंने ही




,गुड्डी से बोले ,

" अच्छा है न, मस्त टैंगी , तेरे लिए तेरी भाभी ने स्पेशली मंगाया था ,मस्त स्वाद है न "


बिचारी गुड्डी क्या जवाब देती , वो सिर्फ बाजी ही नहीं हारी थी बल्कि बहुत कुछ,

और मैं मन ही मन सोच रही थी ,गुड्डी रानी ये तो सिर्फ शुरुआत है।

किसी तरह तो तुझे पटा के अपने घर ले चल पाऊं न फिर तो , अरे तेरी सील तो तेरे सीधे साधे भैय्या से तुड़वाउंगी ही ,आगे आगे देखना , मंजू बाई और गीता तो बस मौका मिलने की देर है , और तेरी कच्ची अमिया कुतरने वालो की कमी नहीं है।

लेकिन बोली मैं उसके सीधे साधे भैया से ,

" अरे कैसे भाई हो ,तूने तो गुड्डी की ले ली लेकिन अब उसको भी तो दो , उस बिचारी के होंठों से ,

और मेरी बात पूरा होने के पहले ही प्लेट से एक बड़ी सी रसीली खूब लम्बी फांक उठा के उन्होंने सीधे गुड्डी के रसीले होंठों के बीच ,




और अबकी गुड्डी ने गड़प लिया।

और जैसे कोहबर में नाउन से लेकर दुल्हन की भौजाइयां तक सिखाती हैं , की कैसे जब दूल्हा उसे कोहबर में खीर खिलाये तो कचाक से वो उसकी ऊँगली काट ले ,



बस एकदम उसी तरह गुड्डी ने ,जब उन्होंने आम की फांक अपनी ऊँगली से गुड्डी के आमरस से सिक्त मुंह में डाली तो बस ,कचाक से उस शोख ने उनकी ऊँगली काट ली।

मेरी उंगलिया तो किसी और काम में बिजी थीं ,पिंजड़े से शेर को आजाद करने के काम में ,और शार्ट का फायदा भी यही है , जरा सा सरकाओ ,शेर आजाद।




और भूखा शेर बाहर आ गया ,दहाडता ,चिग्घाड़ता। और ऊपर से मैंने अपनी कोमल कोमल मुट्ठी में , उसे पकड़कर मुठियाना शुरू कर दिया। बस थोड़ी देर में ही वो फनफनाने लगा।

मेरी उँगलियाँ तो उनके खड़े तन्नाए खूंटे को मुठिया रही थीं पर कान तो फ्री थे और वो तोता मैना संवाद की एक एक बात सुन रहे थे।

गुड्डी की जोर से उनकी ऊँगली काटने के बाद , उईईईई की तीखी आवाज उनके मुंह से निकली , फिर वो उस एलवल वाली से फुसफुसा कर बोले ,


" सुन जब मैं काटूंगा न तो तेरी ,... "

उन की बात काटती , वो शोख अदा से इतराती बोली ,


" तो काट लेना न डरती हूँ क्या तेरे से , मौके का फायदा उठाने की बात है। मैंने उठा लिया। "


वो भी एकदम अपनी चिरैया से सटे चिपके, एक हाथ उसके कं.धे पर पकड़ कर गुड्डी को जोर से अपनी ओर खींचे ,भींचे ,गाल से गाल रगड़ खा रहे थे.


इस छेड़ छाड़ का असर मेरी जेठानी पर भी हो रहा था ,बर्दाश्त नहीं हो कर पा रही थीं , उनका वजीर भी मैंने पीट दिया था। वो उठने की कोशिश कर रही थीं।

बस मैं मन ही मन सोच रही थी ,ये तो शुरुआत है , अभी तो बस दस बारह दिन में सास को लिटाऊंगी इनके नीचे तो बस ,शह और मात।

जेठानी जी को रोकने के लिए मैंने प्लेट में से निकालकर दो खूब मोटी रसीली अल्फांसो की सिन्दूरी फांके जेठानी जी की प्लेट में रख दीं और हँसते हुए बोला ,




" दीदी ,सामने इत्ती रसीली आम की फ़ांके हो और कोई उसे छोड़ दे तो , ... "


अल्फांसो और जेठानी जी क्या कोई भी ,... उसे चूसते हुए उन्होंने मेरी बात को आगे बढ़ाया और बोलीं ,



" एकदम रसीली आम की फांके हो या कच्ची खट्टी मीठी अमिया , दोनों को ,... "
और अब उनकी बात गुड्डी ने पूरी की ,एकदम मेरी आँख में आंख डाल कर ,शरारत से ,शोखी से मुस्कराते ,

" भाभी मैं जानती हूँ ऐसे लोगों को क्या कहेंगे , पक्का,एकदम से बुध्धु,"


और फिर खिलखिलाते हुए ,अपने उभार इनकी ओर उचकाके वो शोख इन्हे चिढ़ाते बोली , क्यों भय्या है न , बुध्धु,

और इस छेड़छाड़ का सबसे ज्यादा असर इनके खूंटे पर पड़ रहा था ,ठुनक रहा था , फनफना रहा था।


और मैंने भी अब मुठियाने की रफ़्तार एकदम तेज कर दी , और साथ में मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े के छेद पर भी




इनको जल्द झाड़ने की सारी ट्रिक मुझे मालूम थीं।

और ये भी अपने लॉलीपॉप को देखकर बावले हो रहे थे ,





इनके हाथों का जोर उसके खुले गोरे गोरे कंधो पर बढ़ गया था , उंगलियां एकदम खुले टॉप से झांकती,उनको ललचाती गोलाइयों पर ,

पर गुड्डी तो एकदम शोला जो भड़के हो रही थी , और आग में घी डाल रही थी।




चुनकर उसने अल्फांसो की एक सबसे मोटी रसीली फांक उठायी , रस छलक रहा था उससे और फिर आम रस से गीले भीगे होंठों रगड़ती,

उन्हें ललचाती रिझाती बोली ,

" क्यों भैय्या ,चहिये ये "

जिस तरह से वो अपने छोटे छोटे उभार उचका कर उन्हें ललचा रही थी ,साफ़ था वो क्या देने की बात कर रही थी।

" दो न गुड्डी , ... " बोले वो , उनकी आँखों की प्यास साफ़ झलक रही थी।

और गुड्डी ने ने आम की उस मोटी रसीली फांक की टिप गड़प कर ली और उसपे हलके से दांत गड़ाते बोली ,

" न न ,ऊँहुँ ,ऐसे थोड़ी , अरे कम से कम तीन बार मांगो , थोड़ा गिड़गिड़ाओ ,रिक्वेस्ट करो ,ऐसे थोड़े ही कोई लड़की दे देगी ,सिर्फ एक बार मांगने पर। "

" दो न गुड्डी ,प्लीज , मेरी अच्छी गुड्डी ,दो न , बहुत मन कर रहा है दे दो न। "

" दे दूँ बोल ,सच्ची में "

गुड्डी ने उन्हें और तड़पाया। गुड्डी के रसीले होंठ , होंठों में फंसी वो रस से टपकती आम की फांक अब उनके प्यासे होंठो से मुश्किल से दो इंच दूर।

" हाँ ,दो न , दो न ,दो न ," तीन तिरबाचा भरते वो बोले।

" चल भैय्या तुम भी क्या याद करोगे ,कोई दिलदार बहिना मिली थी " वो हलके से बोली ,

और अब गुड्डी ने अपने ऱस से भीगे होंठ , होंठों में फंसी आम की फांक एकदम उनके पास कर दी ,मुश्किल से आधे इंच की दूरी ,

और जब इन्होने अपने होंठ बढाए आम की फांक लेने के लिए तो ,

उस शोख शरीर ने , मुस्कराते हुए ,झट से अपने होंठों के अंदर वो फांक ,गप्प।

पर उस रसीली के होंठ तो इनके होंठों से अभी भी आधे इंच ही दूर थे।

और अब ये भी , एक हाथ से कस के मेरी शोख शोला ननद के सर को पकड़ कर इन्होने अपनी ओर खींचा।

इनके होंठ उस बांकी टीनेजर के रस भरे होंठों पर , और फिर इनके होंठ ,

आम रस से गीले , भीगे उस किशोरी के होंठ , ठुड्डी , चिकने गाल , चाटने चूसने ,...





आप सोचिये न आप के सामने कोई शोख किशोरी हो ,अरे यही इंटर विंटर में पढ़ने वाली , गोरी चम्पई रंग , और उस के सिन्दूरी , मीठे , महक से भरे आम रस से गीले गीले ,

गोरे लुनाई वाले चिकने,चिकने गाल , भीगे भीगे होंठ हो तो उन गालों से ,होंठों से रस चूसने चाटने का.

इन्होने भी नहीं छोड़ा। और जब सब रस चूम चाट के , उनके होंठ पल भर के लिए अलग हुए तो उस कमसिन ने ,

अपने मुंह में से चूसी कुचली ,अधखायी , आम की फांक अपने होंठों के बीच निकाल कर इन्हे फिर ललचाया ,

और जैसे कोई बाज गौरैया पर झपटे ,इनके होंठों ने गुड्डी के होंठों को गपुच लिया ,

अब इनके होंठ गुड्डी के होंठों की चूम नहीं रहे थे बल्कि कचकचा कर के काट रहे ,रगड़ रहे थे ,
इत्ते देर से चिढ़ाने ललचाने का नतीजा, और

कुछ देर में ही इनकी जीभ गुड्डी के मखमली मुंह में घुस गयी।

इनके हाथ भी जो अब तक गुड्डी के मस्ती में पथराये उभारों को चोरी चोरी चुपके चुपके छू देते थे , अब खुल के सीधे ऊपर , हलके हलके रगड़ते


इधर उन लोगों की टंग फाइट चल रही थी , उधर इनका लंड भी झड़ने के कगार पर ,

मैंने मुठियाना फुल स्पीड पर कर रखा था,लंड फड़फड़ा रहा था।

प्लेट में आम की सिर्फ एक फांक बची थी , बल्कि दो बड़ी बड़ी फांके आपस में पूरी तरह जुडी ,दूसरे हाथ से मैंने वो उठा लिया
और जैसे ही इनके खुले सुपाड़े से सटाया ,पी होल में सुपाड़े के , आम की फांक के टिप से सुरसुरी की ,

बस

बस , ज्वालामुखी फूट पड़ा।

पिछले दो दिन से जब से ये अपने मायके आये थे मैंने इनके इन्हे झड़ने नहीं दिया था ,इसलिए।



सफ़ेद लावे का झरना , कम से कम कटोरी बाहर गाढ़ी थक्केदार मलाई , सारी की सारी आम की उस फांक पर।





मैंने इनके लंड के बेस को एक बार फिर दबाया ,और अबकी बची खुची मलाई रबड़ी फिर बाहर ,



आम की दोनों जुडी हुयी फांके अब इनके वीर्य से पूरी तरह भीगी ,गीली।

झड़ने के साथ ही होंठों ने गुड्डी के होंठों को आजाद कर दिया था ,

अपनी ननद के चिकने गाल दबाते मैं बोली ,

" अरे गुड्डी रानी ,अपने भैय्या के हाथ से तो बहुत फांक गड़प की हो जरा एक भाभी के हाथ से भी। "

और उसके चिरैया की चियारी चोंच की तरह खुले होंठों में , मैंने
इनकी मलाई रबड़ी से भरी टपकती आम की दो जुडी फांके सीधे गुड्डी के मुंह में।

" है न एकदम नया स्वाद ,आराम से मजे मजे ले ले के खाओ न ,टैंगी भी ,मीठा भी "

और अपनी उँगलियों में लगी इनकी बची खुची, मलाई रबड़ी अपनी किशोर ननद के होठों पर लिथेड़ दिया , थोड़ा सा उसके चिकने आम रस से भीगे गालों पर भी, अपनी जीत के निशान के तौर पर।

छिनार मजे ले लेकर इनके रस में भीगी आम की फांको का रस लेती रही और फिर जीभ बाहर निकाल कर जो मलाई मैंने उसके होंठों पर लिथेड़ी थी , वो भी चाट ली।

ये ट्रिक मंजू बाई ने बताई थी।

अगर किसी कुँवारी को ,जिसकी चूत अभी तक न फटी हो , किसी मरद की लंड की मलाई खिला दो ,
बस वो एकदम उसकी गुलाम हो जायेगी ,उसकी दीवानी।

पक्का टोटका , अगर उस कोरी चूत वाली को लंड की मलाई आम की फांक पे रख के तो बस ,
फिर तो वो खुद अपनी अनचुदी कसी कोरी चूत लेके , दोनों हाथ से चूत फैला के ,खुद चुदवाने के लिए ,उस मरद के पीछे पीछे चक्कर काटेगी। हरदम उसकी चूत में बड़े बड़े चींटे काटेंगे ,नम्बरी चुदवासी हो जायेगी वो।


बिचारी जेठानी टेबल अब छोड़ कर उठ गयीं, और उनके देवर भी वाश बेसिन की ओर ,लेकिन अब तो खेल ख़तम हो चुका था और जेठानी मेरी जीत की गवाह थीं।

" मैं चल रही हूँ अपने कमरे में मेरा सीरयल शुरू हो गया होगा , बिना मेरी ओर देखे , जेठानी जी अपने कमरे की ओर चल दी। "

" ठीक है दीदी , मैं और गुड्डी टेबल साफ़ कर के ,मैं इसे ले के ऊपर अपने कमरे में जा रही हूँ ,बहुत दिन बाद मिली है ये इससे बहुत बातें करनी है." टेबल समेटते मैं बोली।

गुड्डी तब तक प्लेटें उठा के किचेन में ,

" ठीक है दीदी , मैं और गुड्डी टेबल साफ़ कर के मैं इसे ले के ऊपर अपने कमरे में जा रही हूँ .बहुत दिन बाद मिली है ये इससे बहुत बातें करनी है." टेबल समेटते मैं बोली।

गुड्डी तब तक प्लेटें उठा के किचेन में ,

टीवी स्टार्ट होने की आवाज के साथ जेठानी जी की आवाज भी आयी ,


" ठीक है , चाय के टाइम शाम को मैं बुला लूंगी। "

वो सीधे कमरे में ,

और मैं गुड्डी के पीछे पीछे किचेन में ,

वो सिंक में झुकी और पीछे से ,


मैंने अपने गले का हार निकाल के गुड्डी की सुराहीदार गरदन में पहना दिया।




चौंक कर पीछे से मुड़कर उस मृगनयनी ने मुझे देखा ,

" पर भाभी मैं तो , ... "


मेरे होंठो ने उसके होंठ सील कर दिए , अभी भी थोड़ा सा आम रस लगा था ,उसे जीभ से चाट कर करती मैंने
अपनी प्यारी दुलारी ननदिया को हड़काया ,

" चुप ,अब आगे एक बोल भी नहीं। क्या जीत क्या हार , फिर ये हार तेरे गले में ज्यादा अच्छा लगता है। और आज से मेरी हर चीज तेरी और तेरी हर चीज मेरी ,कभी भी मना किया ना पिटेगी अपनी भाभी से। "

" एकदम भाभी आप बहोत अच्छी हो " और अब ननद रानी ने मुझे गले लगा लिया।

" लेकिन उस चार घण्टे से बचत नहीं होगी "

उस के मालपुए ऐसे गाल कचकचा के काटते मैं बोली ,

फुलझड़ी सी खिलखिलाती वो सुनयना बोली ,


" मालूम है भाभी ,मालूम है , मैं भी उधार नहीं रखती, बोलिये न क्या करना है। "

बिना हिचकिचाए अबकी दूसरे गाल पर अपने दांतों के निशान बनाते मैं बोली ,

" यही तो ,मैं कहती हूँ की तू अभी भी बच्ची है एकदम अपने भैय्या की तरह नासमझ। अरी बावरी , इत्ता भी नहीं समझी लड़कियां सिर्फ करवाती हैं करते तो हैं लड़के ,तेरे भैय्या हैं न करने के लिए। तो बस अब तुझे करवाना है और वो भी योर टाइम विल स्टार्ट जब हम ऊपर पहुँच जाएंगे तेरे भइया के कमरे में ,समझी ,"

पांच मिनट में उसे धकियाती ,पुश करती मैं गुड्डी को ले के अपने कमरे में ,




पैर से मारके धड़ाक ,कमरा बंद।

मैंने बोल्ट भी लगा दिया और सिटकिनी भी।

योर टाइम स्टार्टस नाउ ,दीवाल घडी में ढाई बज रहे थे।

बगल में एक प्याला अल्फांसो के ढेर सारे छोटे छोटे टुकड़े , और आइस क्यूब से भरा हुआ था।

अगले ही पल मेरे अल्फांसो , आइस क्यूब भरे मुंह में फिर उनका सुपाड़ा कैद था ,

और बर्फ के पहले स्पर्श से ही वो जोर से चीखे , लेकिन इत्ते मस्त कड़े कड़े सुपाड़े को मैं ऐसे थोड़े छोड़ने वाले थी , मैंने और जोर जोर से चूसना शुरू किया।

मेरे दूसरा हाथ सीधे उनके बाल्स पे , जोर से मैंने उसे भी दबोच लिया।

मैं उनके मोटे कड़ियल चर्मदण्ड को जोर जोर से मुठिया रही थी , दूसरा हाथ उनके बाल्स को कभी सहलाता और कभी दबोचता और अब आधे से ज्यादा बांस मेरे मुंह में था।

फिर मैंने उनके पिछवाड़े भी मोर्चा खोल दिया। मेरी ऊँगली पहले उनके गोल कुइयां के आस पास चक्कर काट रही थी , फिर नाख़ून स्क्रैच करना शुरू किया , और थोड़ा सा अंदर।



मेरे होंठ कभी बहुत रोमांटिक ढंग से हलके हलके , प्यार से उनके सुपाड़े पे , खूंटे पे रगड़ते , छेड़ते ऊपर नीचे होते तो , और कभी एकदम जोर से , शरारत से हलके से दांत लगा देते , पूरी ताकत से उनका सुपाड़ा दबा देता।


और अल्फांसो के सुनहले टुकड़े ,उनके मोटे कड़े सुपाड़े से बार बार रगड़ रहे थे ,घिस रहे थे।

लेकिन मैंने सारी मलाई अपने मुंह में रूप ली और जोर जोर से मुठ मारने लगी। मेरे होंठ पूरी ताकत से चूस रहे थे , और जब मेरी ऊँगली ने पिछवाड़े ,अंदर प्रोस्ट्रेट को ऊँगली मोड़ के दबाया ,

तो एक बार फिर से , पहले से भी ज्यादा जोर से खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई , मेरा पूरा मुंह भरा हुआ था , गाल फूला हुआ। मुश्किल से मैंने सम्हाला हुआ था।

अल्फांसो के टुकड़े ,मलाई में अच्छी तरह भीगे ,गीले ,


और अब एक बार मैं फिर मुड़ी , मेरे होंठ सीधे उनके मुंह पे , और मेरे मुंह का रस पूरा उनके मुंह में और साथ में मेरी जीभ भी ,


उनके होंठ मेरे होंठों ने जबरन सील कर रखा था , और उंगलिया अभी भी हलके हलके थोड़े सोये जगे ,थके 'खूंटे' को सहला रही थीं।
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जोरू का गुलाम भाग ९१

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जोरू का गुलाम भाग ९१

अपने साढ़े चार इंच की हाई हील से मारकर मैंने दरवाजा बंद किया।

सटाक

मैंने दरवाजे की सिटकिनी बंद की

झटाक

मैंने दरवाजे का बोल्ट ,

"मादर,... तेरे सारे खानदान की गांड मार्रूं , चूतमरानो , घडी देख ले , ढाई बजे ,... "

और वो मेरी छुटकी ननद मेरे और दरवाजे के बीच दबी ,पिसी ,रगड़ी सहमी ,मेरे और दरवाजे के बीच एकदम कुचली जा रही थी।

मेरे बड़े बड़े भारी भारी उरोज उसकी नयी आयी कच्ची अमिया को कस कस के कुचल रहे थे।

जो मजा आ रहा था उस स्साली को रगड़ने में मैं बता नहीं सकती।

जो उसके लिए मैंने हाल्टर टॉप ख़रीदा था इसतरह की , गुड्डी की कसी कड़ी गोलाइयों का ऊपरी हिस्सा हमेशा खुला छलकता झलकता रहे।




और अब कड़ाक कड़ाक एक झटके से मैंने टॉप के ऊपर के दो बटन खोल दिए ,अब निपल तक साफ़ नजर आ रहे थे।


गोल गोल मटर के दाने , एकदम कड़े कड़े नए नए आये ,

और फिर उसके कंधो को सहलाती , उसके टॉप की स्किन कलर की नूडल स्ट्रिंग्स भी मैंने सरका के नीचे करदी।

टॉप बस उसके छोटे छोटे उभारों और एक बटन के सहारे बस जैसे तैसे टिका फंसा था।

दूधिया उभार जिसके पीछे पूरे शहर के लौंडे दिवाने थे ,अब आधे से ज्यादा साफ़ साफ़ दिख रहा था।
और और मेरी उँगलियों के टिप का दबाव उसके नए नए आये टिट्स पर ,




अंगूठा उसके निप्स पर और उंगलिया उन उभारों की परिधि नापता हुआ जैसे कोई गोलाप्रकार से एक वृत्त बना रहा हो।


जोर से अपने लम्बे नाख़ून गुड्डी के मांसल गदराते जोबन में गड़ाते मैं बोली ,

" सुन साली , लगता है जम के अपनी चूँची मिजवा दबवा रही है तू ,छिनार।

पहला इंस्ट्रक्शन ,कान खोल के सुन रंडी ,मैं दुहराऊंगी नहीं , तेरी ये चूँचीयां इसी तरह खुली रहनी चाहिए , समझी ,दोनों ये निपल एकदम दिखते झलकते रहने चाहिए , तेरे भय्या को। झुक के, उचका के अगले चार घंटे तक उन्हें दिखाना है तुझे। तेरी इन कच्ची अमियों के बड़े दीवाने हैं वो , इस लिए एकदम खुलकर खोल कर , समझ गयी ,"




जोर से उसके निपल की घुंडियां मरोड़ती मैं बोली।

" हाँ भाभी , " किसी तरह थूक घोंटती बहुत हलके से गुड्डी के मुंह से निकला।

" स्साली ,जोर से बोल , मैंने सुना नहीं। " एक हलकी सी चपत उसके गोरे नमकीन गालों पर लगाती मैं बोली।


" हाँ भाभी " अबकी वो ठीक से बोली।


धीरे धीरे लौंडिया मेरी मुट्ठी में आ रही थी।


मैंने एक बार और जोर से अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से उसके नवांकुरों को मसल दिया।

बिचारी उसे क्या मालूम , कच्चे टिकोरे सिर्फ उसके भैय्या को है नहीं उसकी भाभी को भी पसंद है।

इससे भी कमसिन लौंडिया सीधे गाँव से ,एकदम कमसिन जब हाईस्कूल पास कर के बोर्डिंग में आती थीं , ग्यारहवें में। रैगिंग के पहले दिन,लंड बुर ,चूत ,गांड सब सीखा देती थी मैं





और हफ्ते दस में कोई लौंडिया नहीं बचती थी जिसे मैं अपनी गुलाबो की चुस्की न लगवा दूँ और जिसकी बिल की गहराई न नाप लूँ।

लेकिन ये माल जिसे मैं अभी रगड़ रही थी ,उन सबसे उमर में भले एकाध साल ऊपर हो लेकिन , नमकीन होने में उन सबसे २० नहीं २२ था पूरा।

एक बार मैंने कुतर लिया इन कच्ची अमियों को न तो फिर सिर्फ मैं क्यों ,

मम्मी , वो तो उसे अपने साथ गाँव ले जाने पर तुली हैं ,हफ्ते दस दिन लिए ,

और मिसेज खन्ना ,मेरी वनिता मंडल की प्रेजिडेंट जिनकी हेल्प से मैं सेक्रेटरी बनी और इन्हे भी धड़ाधड़ एक के बाद एक प्रमोशन मिले , पावर्स मिले , वो भी तो कच्ची कलियों की दीवानी ,

और वो अकेले थोड़ी ,मेरी वनिता मंडल की बाकी सहेलियां भी ,और उनसे भी तो ननद भाभी का ही रिश्ता रहेगा इसका,

और सबसे बढ़कर इसकी राह देख रहे थीं ,मंजू बाई और गीता। वो दोनों तो इसे पक्की रंडी बना के ही छोड़ेंगी।

लेकीन इसके पहले आज इस बांकी शोख किशोरी को शीशे में उतारना जरुरी है।

और मैंने उसे अगली शर्त बता दी ,उसके 'सीधे साधे भैय्या के बारे में


" सुन बहन की लौंड़ी , तूने अपने अच्छे अच्छे सीधे साधे भैय्या का लंड देखा है की नहीं। वो तेरी चूँचियाँ घूरते रहते हैं और तू ,

तो बस अब तू अगले दो घंटे तक तेरी निगाह सीधे उनके शार्ट से झांकते लंड पे ,एकदम खुल्लम खुला ,
समझी घूर घूर के और अगले पंद्रह मिनट में कम से कम पांच बार शार्ट के ऊपर से तू उनके लंड को छूएगी , एकदम साफ़ साफ़ ,




पकड़ेगी रगडेगी ,ये नहीं की गलती से हाथ लग गया , समझी साली। "


और अबकी जो मेरा हाथ उसके नमकीन गाल पे पड़ा वो कतई प्यार भरी चपत नहीं था।

" ओह्ह हाँ भाभी "

मेरा एक हाथ अभी भी उसके जोबन की नाप जोख कर रहा था और दूसरा उसकी खुली जांघों के बीच उसकी छोटी सी स्कर्ट उठाकर सीधे उसके थांग के ऊपर से उसकी चुनमुनिया को हलके हलके दबा रहा था।

मन तो कर रहा था यहीं पटक के उस स्साली को चोद दूँ ,

अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ रगड़ के ,कचकचा के उसकी चूँचियाँ काट लूँ ,यकीन मन को मैंने बहुत समझया , मान जा कोमलिया ,अभी आज उसके भैय्या के लिए पटा , इसकी नथ उतरवा फिर वो मौका भी जल्दी आएगा।


वो अभी भी अलमारी ठीक कर रहे थे और मुझे गुड्डी की एक पुरानी बात याद आ गयी ,
" मेरे भैय्या कुछ भी अपने हाथ से नहीं करते ,एक ग्लास पानी तक भी नहीं लेते ,भाभी आप को ये सब पता होना चाहिए। "

सररर सररर ,मेरी साडी मैंने उतार के उनकी ओर फेंक दी ,

" अरे जरा सम्हाल के अच्छी तरह से तहिया के रख , एकदम ठीक से ,... "

और वो काम पर लग गए ,

मेरे और दरवाजे के बीच दबी उनकी बहना देखती रही।


बिचारी ,अभी उसे बहुत कुछ देखना था।

उस की हिरणी सी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे अपने 'कुछ भी काम न करने वाले भईया को ' मेरी साडी खूब ध्यान से तहियाते देख रही थी।





और में उसकी कच्ची अमिया को , जिसने पूरे शहर भर में आग लगा रखी थी।

लड़की के जवान होने की खबर उसे हो न हो ,उसके मोहल्ले के लौंडों को सबसे पहले हो जाती है।

और यहां तो गुड्डी एकदम जिल्ला टाप माल थी।

वो अपने भैय्या को देख रही थी और मैं उसके नए नए आये उभारों को , और साथ में क्लिक क्लिक क्लिक




भला हो मोबाइल कंपनी वालों का , क्या अच्छे कैमरे बनाते हैं ,उसकी कच्ची अमिया का

कटाव , उभार कड़ापन , क्लीवेज सब कुछ और साथ में उसकी मटर के दाने के बराबर की घुंडियां भी , एकदम कड़क

स्साली की चूँचियाँ सच में ,एकदम ,...

और हर फोटो में , यहाँ तक की निप्स के क्लोजअप्स में भी

उसका भोला भाला चेहरा , जिससे उसके बचपन की निशानी अभी तक गयी नहीं थी ,

लगता था जैसे उसके दूध के दांत भी न टूटे हों।

पर उसके हाल्टर टॉप से झांकते गदराये जोबन एकदम इस बात की गवाही दे रहे थे की लौंडिया एकदम लेने लायक हो गयी है।

और जब गुड्डी की निगाहैं वापस मेरी ओर आयीं तो मैंने क्लिक क्लिक बंद नहीं किया , बल्कि गरजी ,

" खोल स्साली , तुरंत ".

और साथ में एक कर्रारा झापड़ उसके गाल पे ,

गाल पे मेरी उँगलियाँ छप गयीं।

वो पूरी तरह कन्फुज , दर्द अलग , .. झपटपट उसने अपनी टॉप का बटन खोल दिया ,और अब तो उसके टेनिस बॉल साइज बूब्स ऑलमोस्ट बाहर ,

क्लिक क्लिक क्लिक क्लिक

गुड्डी के एक हाथ में उसका फोन ,





" खोलती है छिनार या लगाऊं कान के नीचे एक,... " मेरी ठंडी आवाज ने उसकी जान सुखा दी।

" अपना फेसबुक पेज , ... खोल जल्दी , या ये मत बोलना की तुम एलवल वालियां इत्ती गंवार ,पिछड़ी हो की फेसबुक और व्हाट्स ऐप भी नहीं मालूम। "




मेरी बात ख़तम होने के पहले ही उसकी गोरी गोरी नाजुक उँगलियाँ फोन के बटन पर टहल रही थीं।

" कित्ते फेसबुक अकाउंट हैं तेरे , ,... "

पहले तो उसके मुंह से सिर्फ एक हलके से निकला लेकिन जैसे ही उसकी आँखे मेरी आँखों से से मिली , उसने कबूल कर लिया।

" चार ,भाभी। "

" चारो खोल और इ मेल अकाउंट कितने हैं "

' पांच " वो मेमने की तरह मिमयाती बोली।

" वो भी खोल ,जल्दी सारे ". मैंने उसे हड़काया।

सीधे साधे भैय्या की बहिनी इत्ती सीधी साधी नहीं थी , चार फेसबुक और पांच इ मेल ,

खैर इन्होने भी तो बना रखे थे , अपनी इस कहानी के शुरू में तो बताया था न आपको और कैसे मैंने बॉबी जासूस बन कर हैकिंग टूल्स सीखे ,उन वो बी डी एस एम् और एम् आई एल ऍफ़ वाली फैंटेसीज के बारे में पता किया ,किन चैट रूम्स में वो जाते थे ,... खैर अब तो वो सब गुजरे जमाने की बातें हो गयीं।


उसके हाथ से फोन झटकती मैं बोली ,




" चल स्साली पासवर्ड बोलो , सारे अकाउंट्स का अभी। "

एक पल के लिए वो हिचकी पर मेरा उठता हाथ देखकर झट से उसने उगल दिया , सारे के सारे।


जैसे टीनेजर लड़कियों के होते हैं , उसकी डेट आफ बर्थ ,नाम से मिला जुला , नहीं बताती तो मैं वैसे ही ...पर उसने मेरा काम आसान कर दिया।

अगले ही पल मेरी उँगलियों का जादू उसके फोन पे चालू हो गया , सारे पासवर्ड चेंज ,


कहीं गुड्डी रंगीली तो कहीं गुड्डी एलवल वाली और साथ में उसकी फिगर ,उसके भइया का लंड साइज ७. ५ इंच और @$%*# पूरे १६ डिजिट के , और सबके अलग।

सात जनम में वो ये पासवर्ड गेस नहीं कर सकती थी।

और अब आया क्वेशचन वाला , वो भी सब मैंने चेंज कर दिया।

फॉरगॉट पासवर्ड वो ट्राई करती तो या तो उसके फोन पे ओ टी पी आता या मेल पे ,दोनों जगह मैंने सेंध लगा दी। सिम्पल।

मोबाइल में उसने जो फोन नंबर दे रखा था उससे मैंने अपना नंबर जोड़ दिया , बस जो मेसज उसके फोन पे आता वो मेरे फोन पे भी।

और चेक करने के लिए फेसबुक ने एक मेसज भेजा भी ,उसका ओ टी पी मेरे फोन पे भी , और मैंने कन्फर्म कर दिया।



वो टुकुर टुकुर देख रही थी।





बिचारी को क्या मालुम उसकी जिंदगी बदल रही थी।

अब उसके बाद मेल आईडी भी , पासवर्ड नए और सब मेरे कब्जे में।

फिर एक एक जासूस मैंने फेसबुक अकाउंट्स , उसके मेल आई डी पर छोड़ दिया , सीधे सिम्पल , ये की स्ट्रोक रीड करके मेरे फोन पे मेसेज करते , जब वो फेसबुक ,ट्विटर या कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जाती। दोनों जासूस अलग रंग के थे एक तो कर्नेल बेस्ड था ,सीधे रुट में एक्सेस करता और दूसरा मेमोरी इंजेक्शन बेस्ड , स्पाई आई ट्राजन की ही तरह का लेकिन उसमे मेरा पर्सनल टच भी था।

और ये दोनों चूँकि की स्ट्रोक बेस्ड थे इसलिए किसी एंटी वाइरस प्रोग्राम की पकड़ में आने से रहते।

लेकिन ये तो चार आने का ही खेल हुआ था ,

उसके बाद दो बड़े बड़े खब्बीस मैंने रवाना किये उसके फेसबुक ,मेल अकाउंट्स के जरिये उसके सारे कम्प्यूटर और उसकी सहेलियों के कम्प्यूटर ,फोन का पूरा राज जानने के लिए , एक हर ६ घण्टे और दूसरा हर १२ घण्टे में सब बाते बता देता।

आठ आने का खेल अभी भी बाकी था।

सच में एकदम सीधी साधी बच्चियों जैसा फेसबुक पेज था मैडम जी का।

सिर्फ ३२८ फ्रेंड्स और उसमें से भी लड़के सिर्फ १४९!!

इस चढ़ती जवानी में तो हजार से कम फ्रेंड्स का मतलब ,एकदम बहन जी टाइप लड़की है।

और मेरी बांकी ननद तो एकदम शोला बदन , उभरता जोबन।

और लड़के तो कम से कम ९०% + होने चाहिये।

भाभियाँ होती किसलिए हैं , जवान होती ननदों की इन्ही सब चीजों को ठीक करने के लिए लिए।

पहले तो मैंने उसकी प्रोफ़ाइल फोटो ठीक की , एकदम सीधी साधी थी शलवार सूट में।

उसकी जगह अभी अभी खींची फोटो , हाल्टर टॉप , एकदम रिवीलिंग ,उभर कटाव क्लीवेज सब कुछ।

डालते ही ४१२ लाइक्स आ गए।

और फिर ननद रानी ने अपने फोन नंबर के सिर्फ ७ डिजिट पोस्ट किये थे ,९ नंबर तक तो ठीक था लड़का ,दसवे नंबर के लिए दस बार ट्राई करते , लेकिन सिर्फ 7 नंबर कौन लड़का इत्ता पेसेंस दिखायेगा।

मैंने पूरे के पूरे १० डाल दिए।

रिलेशनशिप वाला कालम खाली था , उसे भी मैंने भर दिया , इन अ ओपन रिलेशनशिप।

फिर मेरे दिमाग में कुछ शरारत आयी ,आखिर जो इस जुबना पे दीवाना है उसकी भी तो ,




बस अपने हाय हैंडसम , उसके भैय्या कम सैंया की भी दो चार फोटुएं ,

झलकौवा टी में सारी एब्स दिखती ,हंक मेल मॉडल्स मात और दो में तो शॉर्ट्स में उनका खूंटा भी टनटनाया ,




तम्बू खड़ा

और उसके नीचे गुड्डी की ओर से कमेंट्स ,

मेरे भैय्या , मेरे ,... और फिर हार्ट्स और चुम्मी वाली स्माइलीज

एक पर , हैं न हॉट्स ( वही जिसमें तम्बू तना था था )

और देखते देखते उसकी ४२ सहेलियों के कमेंट्स भी आगये।

" जालिम ,.. "

" लकी यू ,... "

" यार शेयर करेगी बोल , बस एक बार लॉलीपॉप चखा दे "


एक फेसबुक अकाउंट उसका जो थोड़ा प्राइवेट टाइप्स था , जिसमें घर वाले ,रिलेटिव्स नहीं थे उसमें तो मैंने ज्यादा ही

पहले तो उसे ८ हाट ग्रुप्स में ज्वाइन करा दिया , हाट लड़कियां ,हाईस्कूल गर्ल्स , मैं दीवानी टाइप्स और

सबके कंफ्रमेशन मेसज उसके फोन पे आये जो मेरे हाथ में था और सबको ,कन्फर्मेंशन मेसेज तुरंत ,

और व्हाट्सऐप का नंबर , वहां तो मुझे खजाना हाथ ही लग गया।

एक इनकी कजिन्स सिस्टर का व्हाट्सऐप ग्रुप था सगी तो कोई थी नहीं , ममेरी अकेली यही , बाकी सब मौसेरी ,चचेरी , फुफेरी ,यहां तक की मुंहबोली भी ,...

कुल चौदह और सारी की सारी कुँवारी ,





सबसे छोटी गुड्डी से भी दो साल छोटी,...छुटकी ,हाईस्कूल में।

और सबसे बड़ी मुझसे एक साल छोटी।

क्या हाट हाट बातें होती थीं , एडमिन गुड्डी ही थी तो बस मैंने ज्वाइन भी कर लिया और उस में सेंध भी लगा दी और उस सुरंग से उन सारी चौदहों के फेसबुक अकाउंट, मेल सब कुछ मैं घुस गयी।


हाँ और खेल बंद करने के पहले मैंने गुड्डी की स्टेस्ट्स चेंज कर दी थी सारे अकाउंट्स पर ,

विद माई सेक्सी हैंडसम मैनली भइया , और इनकी एक गुड्डी के साथ ,जो अभी नीचे खींची थी वो फोटो भी लगा दी।

२६८ फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट्स आ गयी थीं नयी जिसमें २४४ लड़के थे बस सबको एक साथ यस मैंने मार दिया।

मेरी निगाह अब उनकी ओर गयी ,

साडी तो कब की वो रख चुके थे लेकिन अभी भी कुछ कुछ वार्डरोब में ढूढ़ रहे थे।
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जोरू का गुलाम भाग ९२

Post by kunal »

जोरू का गुलाम भाग ९२

" मुन्ना क्या ढूंढ रहे हो अपनी पोस्ट लंच सिग्गी ,बॉटम ड्राअर मैं रख दी है मैंने , अजय जीजू वाला पैक भी तो है वही निकाल लो। "


बोल मैं उनसे रही थी लेकिन चेहरा गुड्डी का देख रही थी ,

"भाभी मेरे यहां सिगरेट तो छोड़ दीजिये कोई नाम भी लेने का सोच नहीं सकता और मेरे भैय्या तो एकदम ही स्ट्रिक्ट सीधे. "

उसके चेहरे पर आता जाता भाव देखने में इत्ता मजा आ रहा था बता नहीं सकती थी।

उसके सीधे साधे भैय्या और ,सिगरेट।

पहले आम , और वो भी इतने स्वाद ले लेकर ,

और फिर यहां फर्श पर बैठ के मेरी साडी तहियाना और अब

मैं उनसे सिगरेट की बात कर रही हूँ।

गुड्डी की सच में बिना फाडे फट गयी थी।



इसी कमरे में तो मैं जब शादी के बाद आयी थी , कितना ज्ञान,कित्ता ज्ञान इसी सत्रह साल की छोरी ने , लेकिन अब ,...

मैं उन के पास पहुँच गयी थी , गुड्डी के भैय्या के पास जो अब मेरे सैंया थे , बाल बिगाड़ते बोली ,

मुन्ने को सिग्गी चाहिए , देती हूँ न और बॉटम ड्राअर से निकाल के सीधे उनके मुंह में ,

और वापस अपने शिकार के पास।

अबकी गुड्डी को मैंने पीछे से पकड़ लिया।


स्साली का पिछवाड़ा भी बहुत मस्त था ,एकदम निहुरा के मारने लायक।

दोनों कलाइयां मेरी हाथों की सँडसी जैसी पकड़ में और अब वो थोड़ा आगे की ओर सीना उभारकर ,

अब तो खुले टॉप से गुड्डी की छोटी छोटी टेनिस बॉल साइज के उभार एकदम खुल के छलक रहे थे , और

उसके 'सीधे साधे भैय्या ' भी सिगरेट सुलगाये ,एकदम उसके पास , और उनकी निगाहें भी अपनी उस




एलवल वाली बहिनिया के छलकते जुबना पर ,

मैंने आँख से इशारा किया और उनके मुंह से निकला धुंआ सीधे उस किशोरी के गोरे गोरे टॉप फाडू पहाड़ों पर ,

गुड्डी का चेहरा , उसके उरोज सब कुछ उसके भय्या के सिगरेट के धुंए में खो गए थे।


लेकिन मुझे मजा नहीं आया।

मेने उन्हें फिर इशारा किया ,और अबकी दो तीन कश 'गुड्डी के सीधे साधें भैय्या ' ने कस कस के लिए ,उनका पूरा मुंह फूला हुआ था ,बस।

और मैंने एक हाथ में अपनी ममेरी ननद की दोनों चिट्टी कलाइयां जकड़े जकड़े , दूसरे हाथ से कस के गुड्डी के गोरे चिकने गाल दबा दिए।

चिरइया ने चोंच खोल दी , बस।

और उनके होठों ने कस के अपने होंठों के बीच उस किशोरी के रसीले होंठ , और अब गुड्डी के सर को उन्होंने कस के दोनों हाथों से पकड़ लिया।

उनके होंठ गुड्डी के होंठो को भींचे उस के होंठ का रस ले रहे थे और गुड्डी के मुंह में उनके मुंह का सारा धुंआ ,

बिचारी ,ननदिया न खांस सकती थी , न स्मोक निकाल सकती थी।

जिंदगी का पहला स्मोक ,अपने भैया के होंठों से।




और तबतक सिगरेट उन्होंने मेरे हाथों में बल्कि मेरे होंठों को सौंप दी थी , और मैं उनसे भी जोर जोर से कश ,मेरा मुंह धुंए से पूरा फूल गया लेकिन मैंने निकलने नहीं दिया ,

और जैसे ही उन्होंने गुड्डी को छोड़ा तो बिना एक पल की देरी किये ,गुड्डी के होंठ मेरे होंठों के बीच और मेरे मुंह का धुंआ ,सीधे गुड्डी के मुंह में।







कहने की बात नहीं जब वो गुड्डी के किशोर उभारों पर सिगरेट का धुंआ छोड़ रहे थे , जब उनके होंठ गुड्डी के होंठो से चिपके थे और उनके मुंह का धुंआ गुड्डी के मुंह में जा रहा था और जब मेरे मुंह से ,...

सारी की सारी फोटुएं मेरे मोबाइल में कैद।

सिगरेट बस अब थोड़ी सी बची थी ,लेकिन मैंने उन्हें हड़काया।

" यार ये हमारे कमरे में आयी है , गेस्ट है ,स्पेशल गेस्ट और तू अकेले अकेले सुट्टा मारे जा रहा है , ज़रा इसको भी तो सिग्गी का ,.... "

और एक बार फिर मैंने गुड्डी के पीछे वाली जगह ,गुड्डी की दोनों कलाइयां मेरे हाथ की पकड़ में और गुड्डी का मुंह खुलवाके खुद उन्होंने सिगरेट उस टीनेजर केमुंह में खोंस दी।





" अरे थोड़ा सा , हाँ और जोर से सक कर , इंजॉय द फील , थोड़ी देर अपने मुंह में रहने दे , फिर निकालना। अरे तुम तो एकदम एक्सपर्ट हो गयी यार ,अगली बार तो तू स्मोक के छल्ले बना लेगी। "

वो प्यार से अपनी बहिनिया को समझा रहे थे , एक दो कश में सिगरेट लेकिन खतम हो गयी।

निगाह उनकी लेकिन गुड्डी की मस्त कच्ची अमिया पर टिकी , और गुड्डी उसे ढकने छिपाने के लिए कुछ कर भी नहीं सकती थी।

वो प्यार से अपनी बहिनिया को समझा रहे थे , एक दो कश में सिगरेट लेकिन खतम हो गयी।

निगाह उनकी लेकिन गुड्डी की मस्त कच्ची अमिया पर टिकी , और गुड्डी उसे ढकने छिपाने के लिए कुछ कर भी नहीं सकती थी।




क्या कोई लौंडा ,किसी सत्रह साल की लौंडिया की चुम्मी लेगा , जिस तरह मैंने उनके मस्त माल की ली,



पुच्च पुच्च ,



सीधे उसके मस्त गोरे गुलाबी नमकीन गालों पे , और फिर मेरे होंठ गुड्डी के रसीले होंठों से चिपक गए और फिर कुछ ही देर में मेरी जीभ उसके रेशमी मुंह के ाडणार ,गोल गोल ,उसके मुखरस का रस पान कर रही थी।




हाथ क्यों पीछे रहते , खुले टॉप से झांकते दोनों उभारो को एकदम खुल के मेरे हाथों ने मीजना मसलना शुरू कर दिया।




उसकी खुली टांगों और फैली जांघों के बीच मेरी टाँगे , बस अब एक हाथ उसके किशोर भरे भरे नितम्बो को दबाती निचोड़ती ,

और दूसरा हाथ गुड्डी के टेनिस बाल साइज बूब्स को दबाता मसलता , मैंने कनखियों से देखा इनकी ओर,

असर जबरदस्त था , खूंटा एकदम टनटनाया।

" तीसरा इंस्ट्रक्शन " , मैंने गुड्डी के कान में फुसफुसाया ,

" अभी तेरे भइया तुझे एक पेसल सिगरेट देंगे ,मस्त मसाले वाली , तुझे खुद बनानी होगी। बस एक पाऊडर है उसे थोड़ा तम्बाकू में रगड़ रगड़ कर मिलाना होगा और फिर सिगरेट के पेपर में रोल करके , सीख लेगी तू , और अगर ये तूने कर लिया न तो ग्रेट कंसेशन /

एक अच्छी सीधी साधी बच्ची की तरह तू मेरी सब बातें मान रही हैं न ,तो बस तेरी चार घंटों की गुलामी ब्रेक कर के सिर्फ दो घंटे की आज ,और दोघंटे की कल। तो बस ठीक ढाई बजे तूने शुरू किया था न तो बस साढ़े चार बजे तेरी आज छुट्टी ,बाकी कल। "

" हाँ ,भाभी " मुस्कराकर वो बोली।

और अब मैंने उनको इंस्ट्रक्शन दिया।

गुड्डी को अपने चंगुल से छोड़ उनकी ओर मुड़ कर मैं बोली ,

" सुन , वो सिगी तो मैंने और तूने ही , बिचारी गुड्डी को तो मजा ही नहीं मिला। वो वाला निकाल न , अरे वही स्पेशल वाला ,पाउडर अलग और ,.. .अरे बना लेगी सिगी ये , मेरी ननदिया बड़ी हो गयी है ,अब बच्ची थोड़ी ही रही ,सब मजे लेगी , "

और गुड्डी के गाल मैंने कस के पिंच किये , मेरी उँगलियों ने भी हलके से उसके किशोर बूब्स को सहला दिया।

वो सिहर उठी , पर तबतक वो झुके बॉटम ड्राअर में अजय जीजू का दिया हुआ कश्मीरी पेसल ,

वही जो बुर की बुरी हालत कर देता था।

पर यही तो मैं चाहती थी ,मेरी ननदिया की बुर की बुरी हालत हो जाए आज।

और कुछ देर में वो गोरी गोरी एलवल वाली बांकी छोरी , अपनी गोरी गोरी गदोरियों पर,

गोरा गोरा पाउडर तम्बाकू के साथ मसल रही थी , मसल रही थी ,मिला रही थी।

देख कर कोई कह नहीं सकता थी की आज पहली बार वो ' पेसल सिगरेट ' बना रही है।

और मैं , क्लिक ,क्लिक क्लिक , उसके फोन पे भी और अपने फोन पर भी , वीडियो और स्टिल दोनों।

ताकि सनद रहे और वक्त बेवक्त काम आये।

लेकिन गुड्डी का ध्यान सिर्फ उस पेसल सिगरेट में और बस दो मिनट में वो उसके गुलाबी होंठों के ,



पहले सुट्टे में ही , ख्हों ख्हों , हालत खराब हो गयी उस की।





" खबरदार , निकलना नहीं , होल्ड इट , एकदम मुंह के अंदर स्मोक " मैं गरजी और साथ में मेरा हाथ उठा ,

वो एकदम से सहम गयी ,किसी तरह मुश्किल से धुंआ , वो भी पेसल सिगरेट का होल्ड कर रही थी।

मैंने बख्स दिया और अपनी टीनेज ननद के चेहरे से चेहरा सटा के बहुत धीमे धीमे प्यार से बोली ,

" जस्ट इंज्वाय इट बेबी , फील हाउ हाट इट इज ,एंड यू विल आलसो बी हाट। और कस के सुट्टा ले , पूरी ताकत से , हाँ बस इस मस्त धुंए को कम से कम डेढ़ दो मिनट तक मुंह के अंदर रख , चाहे कुछ हो जाय। "

और गुड्डी के कुंवारे रसीले होंठो को मेरे होंठों ने सील कर दिया।

पूरे दो मिनट तक , और इस बीच बेचारी का चेहरा एकदम सुर्ख ,आँखे लाल ,...

यही तो मैं चाहती थी ,और मैंने उसे समझाया ,

" यस यू कैन एक्जेल नाउ , लेकिन नाक से वो भी धीरे धीरे , मुंह ज़रा भी नहीं खुलना चाहिए। "

गुड्डी ,क्या करती , धीमे धीमे सीख रही थी ,और उस के नाक से धुंआ ,...

थोड़ा सा धुंआ नाक से निकला , एकदम सीधे उसके सर चढ़ा होगा , एकदम असली माल था ,एक दो सुट्टे में तो खेली खाई की हालत खराब हो जाती थी ,ये बिचारी तो एकदम नयी बछेड़ी।



एकदम वर्जिन विद वियाग्रा।

लेकिन मैं थी न उसकी भाभी , उसका साथ देने के लिए ,सिखाने के लिए। मैंने फिर बोला ,

" सच में मेरी बांकी ननदिया बड़ी हो गयी है ,चल एक सुट्टा और मार लेकिन अबकी पूरी ताकत से ,और अबकी दो मिनट से ज्यादा होल्ड करना। "

मैं प्यार से उसके कच्चे उरोजों को सहलाते लम्बे लम्बे बालों को हलके हलके हलके छू रही थी।




धीमे धीमे उसकी होल्डिंग पावर बढ़ रही थी , तीन चार सुट्टे में उसकी हालत एकदम खराब ,

उसके हाथ से सिगरेट लेते हुए मैंने उसे सिखाया ,

"देख ऐसे पकड़ , एकदम सेक्सी अंदाज में , मंझली ऊँगली और तर्जनी के बीच " सिगरेट पकड़ते हुए मैंने पकड़ना सिखाया।

( अभी तो मेरी ननद रानी को बहुत चीजें मुझे पकड़ना सिखाना था ) ,

" और फिर जब अपने होंठों के बीच में इसे रखो न तो बस जस्ट लर्न तो इंज्वाय द फील आफ सिगी आन योर सेक्सी हॉट लिप्स। और उसके बाद धीमे धीमे सक करो , यू नो व्हाट आई मीन ,...

नॉटी , आई मीन लॉलीपॉप , तुझे तो लॉलीपॉप चूसना बहुत अच्छा लगता है न एकदम वैसे , और फिर थोड़ी तेजी से एंड देन सक द स्मोक , जस्ट होल्ड इट इन योर माउथ , जित्ता देर मुंह में होल्ड कर पाओगी न उत्ता ही अच्छा लगेगा। एंज्वॉय द वार्म्थ ,द फील,... "

और मैंने जोर का सुट्टा लगाया ,सिग्गी एकदम दहक़ उठी , लाल लाल।

गुड्डी एकदम ध्यान से मेरी एक एक बात सुन रही थी देख रही थी , सीख रही थी।

माना उसकी नथ तो उसके प्यारे बचपन के यार उसके भैय्या से ही मैं उतरवाने वाली थी , लेकिन

मैं भी तो दीवानी थी उन मस्त कच्चे टिकोरों के ,मुझे भी कुतर कुतर कर ,

फिर उसके भैया तो ऑफिस चले जाएंगे , फिर तो मैं ही उसका भोग लगाउंगी। बहुत दिन होंगे ऐसी किसी कच्ची बछेड़ी को जबरदस्ती जाँघों के बीच दबोचे , रगड़े।

फिर सिर्फ मैं थोड़ी उसका भोग लगानेवालियों की अभी से लम्बी वोटिंग लिस्ट, इनकी सास ,लेडीज क्लब की प्रेजिडेंट मिसेज खन्ना और ,... लेकिन वो सब बाद में अभी तो , ...

एक जोर का सुट्टा और मारा मैंने ,सब का सब धुंआ मेरे मुंह में , और इन्हे सिगरेट पकड़ा दी ,


गुड्डी जान रही थी क्या होनेवाला है ,बल्की वेट कर रही थी।

बस मैंने अपनी छुटकी ननदिया को दबोच लिया। और इस बार मेरी फीलिंग्स साफ़ थीं ,
और गुड्डी ने भी अबकी उसी तरह जवाब दिया ,कोई जबरदस्ती नहीं सब कुछ राजी ख़ुशी


मेरी आँखों की भूख गुड्डी साफ़ साफ़ देख रही थी और अब मैं भी उसकी रतनारी आंखों में प्यास देख रही थी.




मेरे भूखे होंठ गुड्डी के किशोर रसीले होंठो पर रगड़ रहे थे और अबकी गुड्डी ने खुद होंठ खोल दिए और ,

मेरी जीभ उसके मुंह में और साथ में धुंआ , उसके तीन चार सुट्टे से ज्यादा धुंआ मेरे एक बार में और सब का सब उस किशोरी के मुंह में।

उसके होंठ अब सील हो चुके थे , मेरे होंठ चूस चूस कर ,




हलके से काट कर , क्या कोई लड़का रस लेकर चूमेगा , चूसेगा जिस तरह मैं उसके होंठ चूस रही थी।


और साथ में मेरे हाथ , अब खुल के ,एक ने तो टॉप के अंदर सेंध लगा दी और उसकी गदरायी चूँचियों को खुल के दबाने रगड़ने लगे।

दूसरा हाथ स्कर्ट उठा के उसकी दो इंच की छोटी सी थांग के ऊपर से उसकी चुनमुनिया को रगड़ रहा था ,




और मेरी ननद रानी की चुनमुनिया भी गीली हो रही थी ,फुदक रही थी।



गुड्डी भी रिस्पांस कर रही थी ,मेरे चुम्बन के जवाब में अब उसके होंठ भी मेरे होंठों को चूम चूस रहे थे ,




उसके कच्चे टिकोरे मेरे बड़े बड़े जोबनो के धक्के का जवाब धक्के से दे रहे थे , उसका आलिंगन भी , अब वो पूरी तरह खो चुकी थी ,

और उधर उसके भैय्या सिग्गी का सुट्टा,

चार मिनट गुजर चुके थे , गुड्डी एकदम गरम और सिगरेट की तरह मैंने भी अपनी ननद को पास कर दिया ,

बिना बोले मेरी आँखों ने बोल दिया ,

योर्स लेकिन एकदम खुल के ,...

मेरा इशारा काफी था , और अब सिग्गी का धुंआ एक बार फिर उसके भैय्या के मुंह से गुड्डी के मुंह में ,


जोर से कचकचा के उन्होंने गुड्डी के गुलाबी होंठ भींच रखे थे ,


चुम्मा चाटी ,चूँचियो की खुल के रगड़ा रगड़ी , और सबसे बढ़ के , उनके एकदम तने खूंटे ने सीधे गुड्डी के पनियाई थांग पे ठोकर मारनी शुरू की।





मेरे हाथों के फोन , क्लिक ,क्लिक क्लिक ,

भाई बहन की ये एकदम हॉट हॉट सिजलिंग सेक्सी , और गुड्डी भी पूरी तरह से उनका साथ दे रही थी।

जो एक दो इनकी उसकी थोड़ी कम हॉट लेकिन किस्सी नजर आ रही थी , वो मैंने गुड्डी के फेसबुक पेज पे ,एक नयी प्रोफ़ाइल पिक्चर

और सिग्गी भी अब एक बार फिर से गुड्डी के होंठों के बीच।

जब वो सिग्गी ख़तम हुयी तो तीन तीन बार हम तीनों ने लेकिन दो तिहाई उस पेसल का धुंआ गुड्डी ने ही घोंटा।

( अभी तो बहुत कुछ घोंटना था उसे अगवाड़े ,पिछवाड़े )

और उस 'पेसल धूँए' का असर उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था ,आँखे एक दम लाल लाल डोरों से भरीं , चेहरे पर एक अलग तरह की मस्ती ,

कैसे बताऊं ,

बस ये समझिये , जैसे कातिक में कुतिया गरमाती है न , बस एकदम वैसे , अ बिच इन हीट।
कुछ भी करने कहने को तैयार।

" हे यू इन्जॉयड द स्मोक न "

" हाँ ,भाभी , ... " मुस्कराते वो बोली। उस खास सिग्गी का असर अब उसके सर चढ़ के बोल रहा था।

" अरे तो अपने भैय्या से बोल न ,उन्होंने तो तुझे दिया , तुझे पिलाया। "

मैंने अपनी 'सीधी साधी ' ननद को और चढ़ाया।

गुड्डी एकदम उनसे चिपक के बोली ,

" भैय्या ,यू आर सो गुड , सिग्गी बहुत अच्छी थी , आई इंज्वॉयड द स्मोक ,एकदम मस्त "

और सब कुछ मेरे इन्तजार करते कैमरे में , उसकी और उसके भैय्या की बातचीत।

" अच्छा लगा न तुझे "


गुड्डी को आलमोस्ट हग करते वो बोले , उनके होंठ गुड्डी के होंठों से इंच भर भी दूर नहीं थे।


" हाँ एकदम भैय्या ,बहुत मजा आया " वो बोली।

और सब कुछ कैमरे में , अब कौन कह सकता था की उसे धोखे से या जबरदस्ती सिग्गी हमने पिलाई।

" हे देख तेरी ये प्यारी बहिनिया एकदम टॉपलेस है ,उसके निप्स भी देख सकते हो ,... "




मैंने उनसे कहा और टॉप और ब्रा ज़रा सा सरका के अपनीजवान होती ननद के मटर के दाने ऐसे गोल गोल कड़क निप्स पूरे तरह उघार के उन्हें पकड़ के दिखा दिए ,फिर और जोड़ा ,

" और मैंने भी साडी कब की उतार दी है , तो बस अब तेरी शर्ट ,.. "

और फिर उनकी छुटकी बहिनिया को चढ़ाया

" यार तू भी आलमोस्ट टॉपलेस मैं भी बिना साडी के ,तो इनकी शर्ट क्यों बची है ,उतार दे न अभी। "

" एकदम भाभी आप हरदम सही बोलती हो , ये तो नाइंसाफी है। " और जब तक वो सम्हलें सम्हलें , गुड्डी ने उन्हें टॉपलेस कर दिया।

और फिर गुड्डी की आँखे एकदम उनकी देह से चिपक गयी ,



उनकी ऐब्स , वी ऐसी बाड़ी खूब चौड़ी छाती लेकिन पतली कमर ,नो फैट्स , और लड़कियां जिस पे मरती है ,सिक्स पैक्स।




और असली चीज शार्ट में तम्बू ताने खड़ी ,उनका मोटा तगड़ा साढ़े सात इंच का खूंटा ,

उस सिगी ने गुड्डी की लाज शरम सब गायब कर दी थी बल्कि जैसे मैंने कहा न

शी वाज जस्ट अ बिच इन हीट।

गुड्डी की निगहने सीधे उनके मोटे खूंटे पे।

और अब मेरी बारी थी ,पीछे से उसे दबोचते ,उसके गदराये बूब्स सहलाते मैंने उस के कान में फुसफुसाया ,

" तुझे मालूम है तेरे भैय्या इन के कित्ते दीवाने हैं , "

"एकदम भाभी , बहुत दिनों से , .... लेकिन बिचारे बहुत सीधे हैं न कुछ कह पाते हैं न कर पाते हैं ," खिलखिलाते उस टीनेजर ने सच उगल दिया।

"तो चल के मजा देते हैं न , आगे से तू पीछे से मैं , मिल के उनकी सारी शरम उतार देते हैं। "

हम दोनों स्कूल की सहेलियों की तरह मस्ती कर रहे थे , खिलखिलाते ,एक दूसरे का हाथ पकड़े ,कान में फुसफुसाते।

वो बोली ,

" एकदम भाभी ,नेकी और पूछ पूछ , चलिए आज हम दोनों मिल के भैय्या की ऐसी की तैसी कर देते हैं।

और आगे से वो ,पीछे से मैं।

कमरे में हल्का अँधेरा था , मखमली ,और स्टीरियो पर ग्राइंड की हलकी हलकी म्यूजिक ,

गुड्डी की कच्ची अमिया ,उनकी नंगी छाती रगड़ रही थी ,गुड्डी की आँखों में भी अभी उस सिगी के लाल डोरे तैर रहे थे।

जोर से वो अपने भैय्या को पकडे , मुस्कराती ,चिढ़ाती

और पीछे से मैं उन्हें उकसाती ,चढाती ,आज सही मौक़ा है

मत छोड़ना इस अपने माल को।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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जोरू का गुलाम भाग ९३

एक ओर से उस किशोरी केछोटे छोटे कड़े कड़े बूब्स टॉप से आलमोस्ट बाहर निकले उनके सीने पर रगड़ते हुए ,





और पीछे से मेरे ऑलमोस्ट खुले ब्लाउज से छलकते बड़े बड़े मेरे जोबन की नोक उनके पीठ को बेधते हुए।

मेरे हाथ सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उन्हें बाहों में बांधे हुए उनकी छुटकी बहिनिया को भी पकडे थे ,
,
मेरे एक हाथ ने गुड्डी का छोटा सा स्कर्ट उठा दिया और दुसरे ने उनके एकदम टनटनाये बालिश्त भर के मस्त लंड को सीधे

उसकी कच्ची कली को ढंकने की नाकाम कोशिश करती दो इंच की पट्टी वाली थांग पे ,

म्यूजिक के साथ साथ हम तीनो ग्राइन्ड कर रहे थे ,

टच मी ,टच मी ,टच मी ,

किस मी किस मी किस मी

गुड्डी के होंठ गाने के लफ्जों को न सिर्फ दुहरा रहे थे बल्कि उन्हें खुल के दावत भी दे रहे थे।


और गाना भी री मिक्स था इसलिए उसके वर्ड्स भी कुछ देर में ही हनी सिंह के गानों को मात देने लगे ,

किस मी ,किस मी , किस मी

सक मी ,सक मी ,सक मी




हग मी ,हग मी ,हग मी

फक मी ,फक मी ,फ़क मी

और ग्राइंड डांस जल्द ही ड्राई हंपिंग में बदल गया।

गुड्डी और वो एक दूसरे की बाँहों में और उनका खूंटा सीधे गुड्डी के गुलाबो के ऊपर बस बीच ,में बहुत पतला सा उनका शार्ट और न के बराबर उसकी पैंटी।

दोनों एक दूसरे की बाहों में बंधे

रेशमी अँधेरे में पुच पुच की पुच्ची की आवाजें और साथ में बैक ग्राउंड में गाने की हलकी हलकी आवाज ,

किस मी किस मी किस मी



और अब मैंने पाला बदल लिया था ,मैंने ने भी गुड्डी को पीछे से ,... और अब वो मेरे और मेरे इनके ,के बीच सैंडविच बनी ,

गुड्डी का एक उभार इनके हाथ में ,और दूसरा मेरे हाथ में

आगे का मजा ये ले रहे थे तो पीछे का मैं ,

और चूतड़ थे भी मेरी छुटकी ननदिया के बड़े सेक्सी ,




बहुत बड़े और भारी नहीं लेकिन एकदम लौंडों के माफिक ,खूब टाइट ,बब्बल बॉटम ,बस वैसे ही जिन्हे देख कर लौंडेबाजों की पैंटें टाइट हो जाती हैं और वो ,

बस यही सोचते हैं की ,किसी तरह पहला मौका पाते ही इसे निहुरा के ठोंक दें।




मेरा एक हाथ गुड्डी के उभारों का रस ले रहा था तो दूसरा उसके चूतड़ों का।

म्यूजिक तेज हो गयी थी , और अब डांस अब सिर्फ ड्राई हंपिंग में बदल गया था।

गुड्डी खुल के अपने भैय्या का ड्राई हंपिंग में साथ दे रही थी।

गाना सेक्सी फीमेल वॉयस में

गुड्डी गाने के शब्दों के साथ बोल भी रही थी ,

हग मी हग मी हग मी

फक मी ,फक मी ,फ़क मी।

गाना थोड़ा और ,...
..

और फिर मेल वॉयस में भी ,

तेरी चूत चोदू ,तेरी फुद्दी फाड़ूं

तेरी कोरी बुर में अपना लंड पेलूं

और सिल्की फीमेल वॉयस




मेरी चूत तू चोद ,मेरी बुर तू चोद

चोद ,चोद चोद ,चोद

कस के चोद ,हचक के चोद

मेरी चूत तू चोद ,मेरी बुर तू चोद

गुड्डी की शहद घुली आवाज उसी फीमेल आवाज के साथ साथ ,....



वो रसीली छिनार हम दोनों का बराबर का साथ दे रही थी ,कभी धक्के आगे दे दे के अपने भैया के खड़े खूंटे पे अपनी चुनमुनिया रगड़ती तो

कभी अपने गोल गोल गोल चूतड़ मेरे ऊपर रगड़ती।

बस थोड़ी सी ट्रेनिंग की जरूरत थी और फुसलाने ,उकसाने की , मेरी सीधी साधी ननदिया ,

अपने शहर की रेड लाइट एरिया , कालीनगंज की रंडियों को भी मात कर देगी।

यही तो मैं चाहती थी।

गुड्डी के कान में फुसफुसा के मैं बोली ,

" तुझे क्या इंस्ट्रक्शन दिया था भूल गयी ,अगले पन्दरह मिनट में तुझे भैय्या के लंड को पांच बार कस कस के पकड़ना रगड़ना था और सात मिनट हो गए , और एक बार भी स्साली तूने लंड को हाथ भी नहीं लगाया , चल , देख कित्ता मस्त खूंटा तेरे भैय्या ने खड़ा किया है। "

बस अगले ही पल ,उनके ९० डिग्री पर खड़े हथियार को उनकी कच्ची अमिया वाली बहन ने दबोच लिया ,और मैंने उस साली की कच्ची अमिया को।

गुड्डी ने न सिर्फ पकड़ा ,बल्कि हलके हलके दबा भी रही थी और फिर मुठियाना भी शुरू कर दिया।

मेरे मोबाइल पर एक मस्त वीडियो बन रहा था , भैय्या बहिनी का।

उन्होंने भी ड्राई हंपिंग की रफ़्तार तेज कर दी ,बस लग रहा था इस कच्ची कली को ,अपनी छुटकी बहिनिया को यहीं खड़े खड़े चोद देंगे।

म्यूजिक बंद हो गयी थी पर इनके खूंटे की उसके गुलबिया पर रगड़ाई जारी थी।

और मस्तायी मेरी ननदिया भी खुल के अपने भैय्या के मोटे खूंटे का मजा ले रही थी।

शादी के शुरू के दिनों में अगर कभी गारी मैं या मजाक में भी उनका नाम ,उस के साथ जोड़ती थी तो वो ऐसा चिहुँकती थी और आज एक दम खुल के उनका लंड पकड़ के रगड़ मसल रही थी।

" क्यों मजा आ रहा है न अपने भैय्या का पकड़ने दबाने में ,अरे वो भी तेरे कच्चे टिकोरे कैसे रस ले ले के दबा रहे हैं , तू भी ले ले खुल के मजा।

हाँ एक बात और कान खोल के सुन ले , इस कमरे में सिर्फ लंड ,बुर ,चूत गांड और चुदाई ही बोली जायेगी , अगर इसके अलावा कुछ भी स्साली तेरे मुंह से निकला ,जरा भी झिझकी , शरमाई न तो बस समझ ले ,पांच हाथ तेरे गाल पे और पांच तेरे चूतड़ पे ,

और इत्ती जोर से छपेगा न की पांच दिन तक मेरे फिंगर प्रिंट्स तेरे गाल और गांड पे नजर आएंगे। "

" हाँ ,भाभी समझ गयी " हलके से मिमियाते उसके मुंह से निकला।

तभी मुझे एक बात और ,बल्कि दो बातें और सूझीं।

एक बार इसी कमरे में मेरे मुंह से गलती से कार्ड्स के बारे में निकल गया था ,टाइम पास के लिए और क्या क्या ज्ञान नहीं मिला था ,


" भाभी आप भी न ,मेरे सामने बोल दिया तो बोल दिया गलती से भी भैय्या के सामने जुबान से भी नहीं निकालिएगा , क्या सोचेंगे आप के बारे में। अरे आपके मायके में होता होगा ये सब , मवालियों ,जुआरियों का ये खेल , मेरे सीधे साधे भैय्या को ये सब एक दम पसंद नहीं है। "

और मैंने उनसे बोला ,


" हे ज़रा कार्ड निकालिये न , गुड्डी के साथ ज़रा तीन पत्ती,... "

और वो तुरंत ड्राअर की ओर मुड़े ,

बात गुड्डी की सही थी ,

ये तो पत्ते पहचानते तक नहीं थे। लेकिन दो लोगों ने ,एक तो सुजाता इनकी साली ने चिढ़ा चिढ़ा के और फिर उससे भी बढ़कर इनकी सास ने , और हर बार दांव लगा के ,हारने पर इनकी सास ,मेरी सास को एक से एक गालियां इनसे दिलवातीं। दस दिन में तीन पत्ती के तो ये मास्टर हो गए।

और गुड्डी को फिर एक और जोर का झटका जोर से लगा , लेकिन असली झटका तो अभी लगना बाकी था।

मैंने मोबाइल पे उसका फेस बुक पेज खोल के दिखाया ,उसकी नयी प्रोफ़ाइल फोटो ,




स्मोक करती हुयी ,उसके टिट्स खुल के नजर आ रहे थे।

४१२ लाइक्स आ चुकी थीं , ७५८ नयी फ्रेंड्स रिक्वेस्ट्स भी ,ज्यादातर लड़के।

बेचारी , जोर का झटका बहुत जोर से लगा।

" भाभी ,ये क्या , मिटाइये न इसको लोग ,... " घबड़ा के वो बोली।

" अरे यार तेरा फेसबुक पेज है तू डिलीट कर देना जब चाहे " मैं मुस्करा के बोली

( बिचारी को क्या पता अब न तो वो अपना पासवर्ड बदल सकती है न कुछ डिलीट कर सकती है ,हाँ ऐड भले करले )

और फिर उस आईफोन को जिससे मैं उसकी सारी हॉट हॉट फोटुएं थी उसे खोल दी ,


उसके भैय्या की गुड्डी की किस करती फोटू ,




गुड्डी के मटर के दाने ऐसे कड़े कड़े निप्स ,

वो पेसल सिगरेट बनाती , हाथ से मसल के तम्बाकू में सफ़ेद पाउडर मिलाती ,




और सबसे हॉट तो उन के शार्ट में तम्बू बनाये खूंटे को रगड़ती मसलती ,




स्टील भी ,वीडियो भी।




और हर फोटो में उसका चेहरा एकदम साफ़ ,खिला मुस्कराता।

" ऐसा करती हूँ की , ... तुझे नहीं पसंद आयी न वो प्रोफ़ाइल तो बस ,

इस में से कोई डाल देती हूँ ,तू सेल्केट कर ले , बल्कि सारी की सारी।

और साथ में जो तेरी फ्रेंड्स का व्हाट्सएप ग्रुप है न ,और कजिन्स वाले में भी , तेरे अकाउंट से ही भेज देती हूँ "

मेरी उँगलियाँ मोबाईल के बटन पर टहल रही थीं।

" नहीं नहीं भाभी प्लीज , देखिये मैं आपकी हर बात मान तो रही हूँ ,.प्लीज डिलीट कर दीजिये ये सब ".

रिरियाती ,गिड़गिड़ाती वो बिचारी बस हाथ नहीं जोड़ रही थी और सब कुछ कर रही थी।

" देख मैं क्यों डिलीट करूँ अब ये लेटेस्ट आई फोन जिसका है वो डिलीट करे "

मैं मुस्कराती हुयी बोली।

" मतलब ,... " उसे कुछ समझ नहीं आया।

" अरे अपने भइया कम सैंया से पूछ न , वो तुझसे कुछ देना चाहते थे और तुझसे कुछ लेना चाहते थे ,पर एक तो भुलक्कड़ और दूसरे तुझसे भी ज्यादा शर्मीले , तेरा भी घाटा और उनका भी घाटा ,"


हँसते हुए मैं बोली।

उन्हें कार्ड नहीं मिला था पर उन्हें बुलाते मैंने कहा ,

"सुनो इधर , तुम गुड्डी को कुछ देना चाहते थे न और इससे कुछ मांगना भी चाहते थे न तो आओ न ,.. "

और आते ही वो लेटेस्ट आई फोन मैंने उनके हवाले कर दिया ,

और जैसे कोई घुटने के बल झुक के प्रपोज करे बस एकदम उसी तरह ,



लेकिन मैंने उन्हें उकसाया , हे तुझे भी तो कुछ गुड्डी से माँगना था मांग ले न ,मेरी ननद एकदम मना नहीं करेगी।




" हाँ भैय्या बोल न क्या चाहिए बस एक बार खुल के अपने मुंह से , ... "


अब गुड्डी भी मेरे साथ उनकी खिंचाई करने पर जुटी थी।

" बोल ,देगी न गुड्डी ,... "

मुश्किल से उनके मुंह से बोल फूटे।

" हाँ दूंगी ,दूँगी ,दूंगी , लेकिन क्या मांग तो सही न " गुड्डी भी उन्हें चिढ़ाती ,खिझाती बोली।

बोल वो उनसे रही थी लेकिन उस सारंग नयनी की मुस्कराती शोख आँखे देख मुझे रही थी।

" ऐसा मौक़ा बार बार नहीं आएगा ,देख मेरी प्यारी ननद कित्ती अच्छी है , मांग लो आज एकदम खुल के "


मैं भी गुड्डी के साथ उनकी रगड़ाई कर रही थी।

" बोल देगी ,मना तो नहीं करुँगी ,... " वो मुश्किल से बोले ,

लेकिन जिस तरह से उनकी आँखे गुड्डी की कच्ची अमिया को देख रही थी ,हम तीनो को मालुम था उन्हें क्या चहिये।

" क्या भइया आप भी न " गुड्डी ने खींच के उन्हें खड़ा किया और जोर से उन्हें बाहों में भींच के बोली,





" मैंने कभी मना किया है क्या , आप ही , चलिए तीन बार बोल देती हूँ भाभी के सामने ,दूंगी दूंगी दूंगी। बस लेकिन अब अगली बार आपने पूछा तो बस मैं गुस्सा हो जाउंगी ,पूछने की क्या जरुरत। "

अब इससे ज्यादा हिंट कोई लड़की क्या देती।

गुड्डी की इस बात से तो मैं भी सहमत थी ,वो एकदम ही ,.... अरे उनकी जगह कोई और होता न तो दो साल पहले ही अबतक इसकी कब की फाड् चुका होता।

और फिर गुड्डी ने बिना गिने उनकी दस से ज्यादा किस्सी ,




और फिर गिन के उतनी ही मेरी भी ,

तारीफ़ वो उनकी कर रही थी लेकिन कह मुझ से रही थी ,

" भाभी सच में , सारी मेरी सहेलियां सब की सब जल मरेंगीं , स्साली ,... सोच भी नहीं सकती आई फोन वो भी लेटेस्ट , क्या मस्त है , आज तक किसी के भिभाई ने ,किसी ने भी ऐसा गिफ्ट नहीं दिया,कोई छोटा मोटा फोन वोन दे देता है तो सब महीनो गाना जाती हैं। "

गुड्डी की ख़ुशी ऐसी छलक रही थी की बस , ...

" अरे तो इसी बात पे एक सेल्फी तो खींच ले अपने इस फोन के साथ ,और पोस्ट कर दे फेसबुक पे ,वरना तेरी सहेलियों को पता कैसे चलेगा। "मैं बोली।

और मेरी बात पूरी करने के पहले सेल्फी खिंच चुकी थी ,हम तीनो की ,और मैंने उसे भी फेसबुक पे उसकी पोस्ट कर दिया ,सारे अकाउंट्स पे और व्हाट्सअप पे भी ,

फिर उसकी स्टेटस भी पोस्ट कर दी ,लवली गिफ्ट फ्रॉम माय वैरी लवली भैय्या।

मैं और वो जबतक फेसबुक अपडेट कर रहे थे ,वो कार्ड ढूंढने में लग गए।

" इसी लिए तो कह रही थी मैं न की तेरा फोन तू जब चाहे तब डिलीट कर देना , घर जा के ,घर जाने के पहले।

हाँ और तेरे भैय्या ने तेरे लिए कुछ अच्छी अच्छी फ़िल्में भी इसने लोड की है ,लेकिन घर जाके देखना ,और कमरा अच्छी तरह से अंदर से बंद कर के , एकदम शिक्षाप्रद ,ज्ञानदायक। बट नो फिंगरिंग विंगरिंग और तब अपने भइया को थैंक्स के लिए फोन करना। "
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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मैं उसे समझा रही थी।

डिलीट वो कर दे तो कर दे , वो सारी की सारी फोटुएं ,वीडियो ,मेरे फोन पे ,मम्मीके फोन पे ,मेरे मेल अकाउंट में , मेरे फोल्डर में ,कम से कम दस जगह मैं आलरेडी सेव कर चुकी थी।

तबतक कार्ड ले के वो पलंग पर पहुँच गए थे और वहीँ से उन्होंने गुहार लगाई ,

" गुड्डी आ न "

और हम दोनों उनके साथ।

"और ये कार्ड कोई ऐसे वैसे नहीं थे , इनकी सास ने गिफ्ट किये थे दो पैकेट। काम सूत्र कार्ड्स ,कुल ५३ आसन और सिर्फ सम्भोग के ही नहीं ओरल ,ऐनल सब कुछ।


वो पत्ते फेंट रहे थे ,तभी मुझे एक शरारत सूझी।

" हे गुड्डी को पत्ता खींचने दो न प्लीज। "

वो समझ रहे थे मेरा मतलब इसलिए झिझक रहे थे। मैंने गुड्डी को चढ़ाया।

" अरे यार तू तो बड़ी हो गयी , इंटर कर चुकी ,रिजल्ट आ जाएगा तो कालेज में चली जाएगी , बोल खींच लेगी न पत्ते। "

" हाँ एकदम , " अपने छोटे छोटे जुबना उभार के वो छोरी बोली।

असल में अक्सर रात को मैं या पत्ते खींचते थे , जो पत्ता निकलता था ,उसी आसन में पहला राउंड।

" हे गुड्डी को पत्ता खींचने दो न प्लीज। "

वो समझ रहे थे मेरा मतलब इसलिए झिझक रहे थे। मैंने गुड्डी को चढ़ाया।

" अरे यार तू तो बड़ी हो गयी , इंटर कर चुकी ,रिजल्ट आ जाएगा तो कालेज में चली जाएगी , बोल खींच लेगी न पत्ते। "

" हाँ एकदम , " अपने छोटे छोटे जुबना उभार के वो छोरी बोली।




असल में अक्सर रात को मैं या पत्ते खींचते थे , जो पत्ता निकलता था ,उसी आसन में पहला राउंड।

अब क्या करते वो उन्हें बावन पत्तों की किताब गुड्डी की ओर बढ़ाई , और मैंने फिर एक स्नैप।

" शाबास गुड्डी , बस आँखे बंद ,और सोच ,... १०० तक गिनते हुए , बस फिर पत्ता खींचना। "

मैंने गुड्डी को शरारत से देखते समझाया।

" सोचना क्या है भाभी " आँखे तो उस शोख ने बंद कर ली फिर बड़े भोलेपन से मुझसे पूछा।


" सिम्पल यार ,तू किस तरह से अपनी सोनचिरैया का ताला अपने भैय्या से खुलवाना चाहती है , जैसा कार्ड निकलेगा बस वैसे ही तेरे भैय्या तेरे ऊपर चढ़ाई करेंगे। "

उनकी ममेरी बहन का चेहरा हल्का सा सुर्ख हुआ ,थोड़ा सा झिझकी वो पर, ... कार्ड खींच दिया।

पर मैंने न गुड्डी को आँखे खोलने दीं ,न इन्हे कार्ड देखने दिया ,और कार्ड को वैसे ही पट करके रख दिया।

" हे एक और खींच न , ये तो फर्स्ट टाइम वाला था , अबकी वाला हम दोनों मानेंगे की तेरी फेवरिट मनपसंद पोजीशन है। " मैंने फिर कहा।

अबकी न वो झिझकी ,न शर्मायी बस , थोड़ी देर आँखे बंद करके ,और फिर पत्ता खींच दिया।

उसे भी मैंने गुड्डी से ही पट करवा के रखवा लिया और फिर उससे बोला ,अब खोल आँख और पहला वाला पत्ता पलट ,पता चल जाएगा की मेरी ननदिया की नथ कैसे उतरेगी।

गुड्डी से ज्यादा तो वो कार्ड के पलटे जाने का इन्तजार कर रहे थे।


और गुड्डी ने कार्ड पलट दिया।

एकदम सही सेल्केशन ,पहली चुदाई के लिए।




मिशनरी पोजीशन ,

कार्ड में लड़की जाँघे एकदम खुली,टाँगे मरद के कंधो पर ,मोटा सुपाड़ा अंदर तक धंसा और लड़की के चेहरे पर मजे और दर्द के मिले जुले भाव।

गुड्डी की आँखे एकदम उसी फोटो पर चिपकी ,हाँ वही थोड़े थोड़े शर्मा रहे थे।

"हे गुड्डी यार अब आसन भी तूने तय कर लिया पहली बार फड़वाने का , और तीन बार मेरे सामने बोल भी दिया , दूँगी ,दूँगी ,दूँगी




तो बस अब दिन घडी मुहूरत निकलवा लेती हूँ ,"

और ये कहते हुए मैंने गुड्डी की छोटी सी स्कर्ट में हाथ डाल के उसकी सोनचिरैया को मसल दिया ,

पनिया रही थी वो।

" हे गुड्डी ,दूसरा वाला भी खोल न "

लेटेस्ट आई फोन दिलवाने वाले भइया की कोई बात टाल सकती थी क्या उनकी छुटकी बहिनिया आज ,बस उसने झट्ट से पत्ते को पलट दिया।

मेरे और इनके मुंह से एक साथ निकला ,' वाऊ "

कुतीया वाली पोजीशन ,

इनकी फेवरिट और मेरे जीजू लोगों की भी तो ,कमल जीजू ,अजय जीजू दोनों की ,

एक लड़की निहुरी और पीछे से एक मर्द चढ़ा , आधे से ज्यादा मोटा लंड अंदर घुसा ,एक हाथ से चूँची दबाता और दूसरे से उसकी कमर पकड़े।





गुड्डी थोड़ी थोड़ी लजा रही थी ,लेकिन उसकी आँखे उसी कार्ड पर चिपकी ,

" अरे यार तेरे और तेरे भैय्या की पसंद एकदम एक है , ये इनकी भी फेवरिट पोजीशन है ,




अब तो कुतिया बना के तुझे रोज गपागप गपागप घोटायेंगे। "

मैंने कनखियों से देखा ,भैय्या और छुटकी बहिनिया की निगाह एक पल के लिए मिली , निगहने मुस्करायीं ,शरमाई और और फिर ,

दोनों ने मुझे दोनों को ,एक दूसरे को देख लिया और दोनों झेप गए।




असल में गुड्डी के लिए मेरी भी तो यही प्लानिंग थी ,

हचक हचक कर ,कुतिया की तरह ,




जैसे कातिक में देसी कुतीया गरमाती है न और खुद कुत्ते ढूंढ ढूंढ कर ,

बस वैसे ही फरक सिर्फ ये होगा की वो कुतिया तो सिर्फ महीने गरमाती है और ये ,... बारहो महीने ,

तीसो दिन ,चौबीसो घंटे गरमाई रहेगी।

बात बदलने में तो उनका कोई मुकाबला नहीं ,बोले ,चल गुड्डी अब कार्ड शुरू करते हैं।

" एकदम भैय्या। " भैय्या की बहिनी बोलीं।

( मुझे दिए गए कार्ड के बारे में ११ लेक्चर वो भूल चुकी थी और मैं भी बीती ताहि भुलाई दे कर के बस अब इसकी कच्ची जवानी के मजे ले रही थी )

पत्ते फेंट दिए , बाँट दिए गए।


मुझे लगा ,गुड्डी को मैं आसानी से हरा दूंगी लेकिन वो बित्ते भर की छोरी गजब का मुकाबला कर रही थी





( बाद में उसने राज खोला , खेलती तो वो भी थी ,बचपन से पिकनिक में ,अपनी सहेलियों के साथ लेकिन सिर्फ उसे लगता था की उसके भैय्या को नहीं पसंद है इसलिए इनके सामने बस यही दिखाती थी की वो भी ,... )

ताश से ज्यादा जो मैंने मम्मी से सीखा था ताश में बेईमानी , बिना बेईमानी के कहीं ताश का खेल होता है क्या ,

ख़ास तौर पर जब सामने एक जवान होती ननद हो और दांव पर उसके गदराये किशोर जोबन हों ,




फिर थोड़ी तांक झाँक , थोड़ी इशारे बाजी इनके साथ और हम दोनों ने मिल के उसे हरा दिया।

शर्त बहुत छोटी सी लगाई उन्होंने

गुड्डी को मैं ब्लाइंडफोल्ड कर दूँगी और फिर हम दोनों उसे छुएंगे , बस उसे बताना था ,भैय्या या भाभी और कहाँ छुआ। सिर्फ दस मिनट।

वही ब्लाइंडफोल्ड जो बेडरूम गेम्स में मैं इनके साथ इस्तेमाल करती थी , एकदम से नहीं दिखाई देता।

गुड्डी ने चुपचाप बंधवा लिया।

और शुरुआत भी मैंने किया , उसके चम्पई चिकने गालों पर अपनी ऊँगली की टिप बस छुला के हटा ली। एकदम मक्खन।

और गोरे इतने की लगता था हाथ लगाओ तो कही मैली न हो जाय।

फुलझड़ी हंसी ,बोली , भाभी ,गाल।

और मेरी देखा देखी उन्होंने भी उसके गाल छू दिए।
वही ब्लाइंडफोल्ड जो बेडरूम गेम्स में मैं इनके साथ इस्तेमाल करती थी , एकदम से नहीं दिखाई देता।

गुड्डी ने चुपचाप बंधवा लिया।



और शुरुआत भी मैंने किया , उसके चम्पई चिकने गालों पर अपनी ऊँगली की टिप बस छुला के हटा ली।
एकदम मक्खन।




और गोरे इतने की लगता था हाथ लगाओ तो कही मैली न हो जाय।

फुलझड़ी हंसी ,बोली , भाभी ,गाल।

और मेरी देखा देखी उन्होंने भी उसके गाल छू दिए।

गुड्डी का चेहरा के पल के लिए ब्लश किया , खूब जोर से फिर हलके से बोली ,

" भइया ,गाल। "

नाजुकी उसके लब की क्या कहिये
पंखुड़ी एक गुलाब की सी है।


मेरी नदीदी निगाहें उसके थरथराते सनील से होंठों को सहला रही थीं , छु रही थीं।




बस मन कर रहा था , चुपके से एक चुम्मी चुरा लूँ।

या डाल दूँ डाका उन होंठों पे जो बस क्या कहूं , एकदम चाशनी से भरे ,


मिल गये थे एक बार उस के जो मेरे लब से लब

उम्र भर होंटो पे अपने हम ज़बान फेरा किए.

पहले तो मैंने हलके से अपनी लम्बी ऊँगली का जस्ट टिप उस किशोरी के होंठों पे ,



और जब तक उस के लबों से बोल निकले ,

' भाभी , होंठ '

लब थरथरा रहे थे लेकिन होंठों ने बात कर ली।

आखिर मेरे होंठों ने डाका डाल ही दिया गुड्डी के होंठों पे।

पहले हलके से लबों ने एक दूसरे को छुआ , दुआ सलाम हुयी ,हाल चाल पूछा और फिर





में अपनी असलियत पर आ गयी।

गुड्डी के नए जवान हुए होंठ , गुड्डी के निचले होंठों को दबोच कर मैंने खूब रस चूसा उसका और फिर दोनों होंठों का ,




लेकिन वो अपनी पारी का वेट कर रहे थे और उनकी निगाहें उस शोला बदन के गोरे संदली गोल कन्धों से सरकती हुयी , सीधे खुले खुले




पहाड़ियों और उन के बीच की घाटी तक।

और उन्होंने उस नाजनीन के कंधे को छू लिया।

मैंने भी उसके लबों को आजाद कर दिया।

" भैय्या ,कन्धा " आजाद लबों ने अपने पुराने यार को छुअन को पहचाना।

दूसरे कंधे को मैंने चूम लिया , उस शोख पर डाका तो हम दोनों डाल रहे थे ,हक़ हम दोनों का बराबर का था।

" भाभी , कन्धा , ... " वो चिड़िया चहचहाई।


हम दोनों के छूने का असर किसी भी नशे से ज्यादा हो रहा था। मैंने उस सारंग नयनी की आँखों में देखा , और आँखों ने उस के मन का राज कह दिया ,

उन आंखों की हालत कुछ ऐसी है,
जैसे उठे मैकदे से कोई चूर होकर।

और आज तक कोई ननद अपनी भाभी से दिल का राज छुपा पायी है क्या ,

और मेरी उंगलियां सीधे गुड्डी के छोटे छोटे पहाड़ों पर ,ऊँगली ने पहले हलके हलके उन के चक्कर काटे ,फिर सीधे टिप के ठीक पहले





और बोलते बोलते वो अटक गयी ,

" भाभी , भाभी वो ,... "

हया का परदा जबरदस्त था , और वही तो मुझे हटाना था।

" बोल न ,खुल के,... " उस के कानों में मैं फुसफुसाई और साथ में खुद को उस के इयर लोब्स के चुम्मे का इनाम दे दिया।

उस का पूरा जिस्म लरज गया , बहुत हिम्मत कर के बोली वो किशोरी ,

" भाभी ,सी ,... सीना। "

" ये क्या सीना पिरोना लगा रखा है क्या सिखाया था तुझे , अभी तेरे दो घंटे पूरे नहीं हुए हैं , पूरे ५५ मिनट बाकी है ,सजा मालुम है न "

मेरी निगाहें एक दम बेरहम हो गयीं।

और उस के चेहरे पर डर का कोहरा छा गया ,

" भाभी ,चू, चू ,... " हिम्मत कर के उस के मुँह से अल्फाज निकलने की कोशिश कर रहे थे।

" अरे क्या चिड़िया की तरह चूं चूं कर रही है ,साफ़ साफ़ अगर बोलना चाहती है तो चूँची बोल न " खिलखिलाते हुए मैं बोल पड़ी ,

और साथ साथ वो शंर्मिली भी खिलखिलाने लगी।

जैसे बच्चो को ऊँगली पकड़ के चलना सिखाना पड़ता है ,न बस एकदम वैसे ही जवान होती ननदों की हालत होती है ,

खिलखिलाते हुए उस के मुंह से निकल ही गया ,

" भाभी , चूँची। "

अब वो भी मैदान में आ गए , और बोल उठे ,




" गुड्डी फिर से बोल मैंने नहीं सुना। "

अब मुर्गा भी कुकुड़ू कुं करने लगा था ,और वैसे भी इनका मुर्गा पूरी तरह अकड़ा था।

" नहीं गुड्डी मत बोल ,पहले ये छुएंगे फिर ,... " खिलखिलाते हुए मैंने गुड्डी को मना किया ,


लेकिन वो अपने भैय्या की होने वाली रखैल उसके मुंह से निकल ही गया

" भैय्या ,चूँची। "



तबतक टॉप और ब्रा सरका के मैंने ननद के जोबन तीन चौथाई से भी ज्यादा उघाड़ कर उन्हें परस दिए।

गुड्डी के निप्स , एकदम खड़े कड़क टनटनाये , इस बात की गवाही दे रहे थे की स्साली कित्ता मस्त हो रही है।

उनकी उंगलिया उसे छूने पकड़ने के लिए आगे बढ़ीं तो मैंने सर हिला के उन्हें मना कर दिया और अपने होंठों पर ऊँगली रख के इशारा किया ,




" होंठों से उसके निप्स टच करो "

गुड्डी की आँखों पर तो ब्लाइंडफोल्ड था लेकिन सुन तो सकती थी वो इसलिए ,

हिम्मत कर के उसके भैय्या ने हलके हलके ,धीमे धीमे अपने होंठ ,अपनी छुटकी जवान होती बहिनिया के निप्स तक बढाए ,

पर

पर

पर घंटी घनघना उठी।



एक दो बार नहीं लगातार ,
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