जोरू का गुलाम या जे के जी

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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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"...
…… मम्मी उन्हें जम के छेड़ रही थीं।

" अरे काहें इतना शरमा रहा है। समझ ले तेरी मां का है , उनका तो और भी गददर है। तेरे ससुराल में तो आज भी उनके जोबन की याद करके सब मरद मुट्ठ मारते हैं। उनका तो खूब दबाया होगा न तूने। बस उन्ही का समझ के पकड़ ले , क्यों कैसा लग रहा है , है न रसभरा ,गदराया। "

बिचारे , मैं समझ रही थी उनकी क्या हालत हो रही होगी और उनसे ज्यादा उनके खूंटे की।

और मॉम ने हमला और तेज कर दिया।



उन्हें मालूम था की वो किस तरह उनके गोरे गोरे पैरों के दीवाने हैं।

बस , उन्होंने थोड़ा सा पेटीकोट ऊपर सरकाया और अब उनका खड़ा खूंटा उनके दोनों तलवों के बीच ,जैसे कोई हल्के हल्के मथानी मथ रहा हो।




सबसे पहले तो लाल रंग से रंगे नाखूनों वाले अंगूठों से उन्होंने हल्के से सरका सरका के सुपाड़े का चमड़ा सरका दिया , फिर पैर के अंगूठे से सुपाड़े के छेद में सुरसुरी करनी उन्होंने शुरू कर दी , फिर उनके शरारती पैर के अंगूठों ने हल्के हल्के मांसल सुपाड़े को दबाना , मसलना शुरू कर दिया।

खूंटा उनका लोहे के राड ऐसा कड़ा हो रहा था।

पर तड़पाने में तो मम्मी का मुकाबला नहीं था। उनकी चांदी की पायल की रुनझुन बता रही थी की अब मेरे उनका खूंटा कस कस के मम्मी के दोनों गोरे गोरे तलुवों रगड़ा मसला जा रहा था।



उनका चेहरा मम्मी की छोटे छोटे रोएं वाली गोरी मांसल काँख में दबा हुआ था , और मम्मी उन्हें कस के भींचे हुए थीं।




उनकी उन्ह आंह मस्ती की हाल बता रही थी और फिर मम्मी ने अपना सबसे खतरनाक तीर चल दिया। उनका एक पैर अगवाड़े पिछवाड़े के बीच में और फिर मॉम के अंगूठे ने सीधे पिछवाड़े , गोलकुंडा के दरवाजे पर रगड़ दिया।


मस्ती से उनकी हालत खराब हो गई और फिर सब झिझक भूल के उनके हाथ ने कस के मम्मी के मम्मे को दबोच लिया और कस के दबाने लगे।

यही तो वो चाहती थीं , मम्मी ने उनका दूसरा हाथ भी पकड़ के सीधे अपने गोरे गोरे दूसरे 36 डी डी पर रख दिया और बोलीं ,

" हाँ दबा न कस कस के जैसे मेरी समधन का दबाता है। है न वैसा ही रसीला , कड़ा कड़ा , गदराया ,...

अरे घबड़ा मत अगर तुझसे दबवाने में वो जरा भी नखड़े करेंगी तो में हूं न। सारी पोल पट्टी उनकी मुझे मालूम है कैसे जब उनकी कच्ची अमिया भी ठीक से नहीं आई थी तो तेरे मामा से भिजवाती थी। एकदम खोल के कस कस के दबवाऊंगी ,मुन्ना जरा भी परेशान मत हो तू। "

बिचारे उनका चेहरा तो मम्मी की पसीने से भरी कांख में दबा हुआ था , जहां से जो वो उन्ह आंह की आवाजें निकल रही थी उसे हामी ही कहा जा सकता है।



एक बार फिर तेज पायल की आवाज बता रही थी कैसे उनके लण्ड की जम के रगड़ाई हो रही है।
पायल की बढ़ती रुनझुन बता रही थी की उनके खूंटे की मम्मी के पैरों से रगड़ाई अब कितनी तेजी से हो रही है।






मस्ती से उनकी हालत खराब थी , उनके होंठ , उनकी फेवरिट जगह मम्मी की पसीने से भरी काँखों के बीच चाटते चूसते, मम्मी के गोरे गोरे पैर उनके खूंटे को मसलते रगड़ते ,





उनके जो हाथ मम्मी के रसीले उभारों पर थे , उन्होंने झिझक छोड़ के उसे कस के दबोचना दबाना शुरू कर दिया था।




और जब उनकी हालत एकदम खराब हो गई वो एकदम झड़ने के कगार पर पहुंच गए तो बस मम्मी के पैर रुक गए ,और मम्मी ने उनसे वो साफ साफ कबूलवा लिया जिसमें मैं नाकाम थी। मॉम ने साफ साफ पूछा ,

" बोल , साले , रंडी के जने , भेजेगा ना अपने माल को मेरे पास , मेरे गांव बोल , मादरचो। "



और उन्होंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया।

मम्मी ने खुशी से मेरी ओर देखा और एक बार फिर से उनकी पायल की रुनझुन चालू हो गई थी।



उनके तलवे फिर से चालू हो गईं. धीमे धीमे फिर उनकी रफ़्तार बढ़ती गई , और साथ में मम्मी के अपनी समधन के बारे में कमेंट ,




" अरे दबा कस के , ले मजा जैसे मेरी समधन के गदराए जोबन का लेता है।

दुद्धू पिएगा बोल , अरे बचपन में तो बहुत पिया होगा न लेकिन असली मजा तो जवानी में चूस चूस के , ... घबड़ा मत पिलाएगी मेरे मुन्ना को और वो भी मेरे सामने। अरे सारे मोहल्ले में बांटती है , तेरे मामा से दबवाती भिजवाती चुसवाती है।





अरे पहले सहलाना , फिर मजे से दबाना फिर चूस चूस के ,जैसे बचपन में पीया होगा न ,वैसे ही। उससे भी ज्यादा मजा आएगा ,सच में। "



मम्मी की खूंटे के रगड़ने की रफ़्तार अब पूरी तेजी पकड़ चुकी थी , पायल और बिछुए की रुनझुन , 8-10 मिनट रगड़ने के बाद जैसे ही मॉम को लगता की वो किनारे पर पहुंचने वाले है , वो बस रफ़्तार थोड़ी सी हल्की कर देतीं , बिना रुके और हल्के से पाज के बाद फिर से,...



मुझे अपने ऊपर अब , ... जो मैंने शिलाजीत,बादाम साण्डे का असली तेल लगा लगा के मालिश की थी उसका असर झलक रहा था।

एकदम लोहे के खम्भे की तरह कड़ा , तना ,...

दूसरा कोई होता तो मम्मी के इस 'ट्रीटमेंट' के बाद कब का पानी फेंक चुका होता। मम्मी भी तारीफ की निगाहों से मुझे देख रही थीं।

मम्मी ने स्पीड के साथ और भी ट्रिक शुरू कर दी थी , उनके पैर का अंगूठा कभी लण्ड के बेस पे रगड़ देता तो कभी पिछवाड़े के छेद पे , और उनकी बातों तेज हो गया था ,एकदम खुल्लमखुल्ला,

" मादरचोद , बोल ,…तेरी मां का भोसड़ा , बोल लेगा न मजा उसके भोसड़े का। बहुत रस है छिनार के भोंसडे में , बोल बहनचोद , रंडी का जना,बहन का भण्डुआ , लेगा न भोसड़े का मजा , मादरचो ,... "



वो झड़ने के एकदम कगार पे थे , और मां ने अपनी कांख से उनके सर को छोड़ दिया था। पर वो अभी भी ,..

" चलती हूं , अभी सारा सामान अनपैक करना है , फ्रेश भी होना है " और ये कहते हुए वो उठ खड़ी हुई लेकिन चलने के पहले उन्होंने अपने दामाद को देखा जैसे अपने सवाल का जवाब पूछ रही हों और वो भी , उनके मुंह से हाँ निकल ही गया।

विजय भरी मुस्कान से उन्होंने मेरी ओर देखा और अपने दामाद को ललचाते हुए बड़े बड़े कसे नितम्ब मटकाते , अपने कमरे की ओर चल दीं।


बिचारे वो ,उनकी तो हालत खराब थी , कुलबुलाते छटपटाते दरवाजे की ओर देख रहे थे ,जहां इस तड़पती हालत में उन्हें छोड़ के उनकी सास चली गई।





बिचारे वो



उनकी हालत देख के, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पतली रजाई पलट दी और उनका झंडा अभी भी वैसे ही कड़ा ,खड़ा था , भूखा प्यासा।


मैंने उसे अपनी कोमल कोमल मुट्ठी में दबोच लिया और लगी रगड़ने मसलने ,

" बहुत कस के खड़ा है , अब क्या करोगे?

मैं बोलूं , वो जो मेरी छिनार ननद है न तेरी चूतमरानो ममेरी बहन गुड्डी , बस उसी की चूत में पेल दो। एकदम मस्त माल है ,





सोचो न उसकी उठी हुई सुंदर लम्बी लम्बी टांगे तेरे कंधे पे , खूब फैली हुई गोरी गोरी चिकनी मांसल जाँघे ,...


उसकी कच्ची कमसिन टाइट किशोर चूत में दरेरता रगड़ता फाड़ता घुसता तेरा ये मोटा लण्ड , कितना मजा आएगा न , सोचो तुम उस छिनार को हचक हचक के चोद रहे हो , , फचाफच फचाफच,... "





और साथ में मैंने उनके मुठीयाने की रफ़्तार बढ़ा दी , लण्ड का सुपाड़ा अभी भी खुला था और मेरा अंगूठा उस पे हल्के से टैप कर रहा था।





मेरे मुठीयाने के साथ अब वो खुद अपना चूतड़ उठा उठा के धक्के वो मार रहे थे जैसे सच में अपनी बहन की कच्ची चूत चोद रहे हों।

मैंने और आग लगाई ,

" बस अब कुछ दिन की ही तो बात है , तुझे ले चलूंगी न तेरे मायके। मिलवाऊंगी तेरे उस माल से , ... तो उसे ऐसे ही हचक हचक के , उसके कच्चे टिकोरे पकड़ के पेलना। बहुत कसी है चूत उसकी लेकिन देखना हंस हंस के घोंटेगी अपनी चूत में वो , ... पक्की चुदवासी है वो ,"





और इसके साथ ही मैंने एक उंगली और अंगूठे से उनके मांसल खूब फूले कड़े सुपाड़े को हल्के से दबाया , दो बूंद प्री कम की छलक आई।


मेरी मंझली उंगली का लम्बा शार्प नाखून उनके पी होल ( पेशाब के छेद ) में और दूसरे हाथ का अंगूठा सीधे उनके गांड के छेद में ,

वो उचक गए , और दो चार बूंदे प्री कम की फिर से सुपाड़े से बरस पड़ीं। मैने उसे तरजनी में लपेटा और उन्हें दिखा के चिढ़ाते हुए चाट लिया और उठ गई ,



तब तक मम्मी की आवाज उनके कमरे से आई ,


" चल न मम्मी बुला रही है " और मैं उन्हें उसी हालात में खींच के उस कमरे में ले आई जिसे मॉम के लिए इत्ते प्यार से उन्होंने तैयार किया था।





मेरी तर्जनी पर अभी भी ' रस की बूंदे ' चमक रही थी। मम्मी की निगाहें उधर ही थी , जैसे ही मैने उंगली उनकी ओर बढ़ाई , झट से नदीदी की तरह उन्होंने चाट लिया और बोलीं ,

" यमम , बहुत स्वादिष्ट है। वाह "

माम की तारीफ भरी निगाहें उनकी तरफ थी पर वो शर्मा के बीर बहूटी हो रहे थे।

चारो ओर सामान फैला पड़ा था , उनकी साड़ियां, पेटीकोट , अंडर गारमेंट्स , उन्होंने अपने सारे सूटकेस ,बैग्स खोल दिए थे और अालमारी मे लगाने जा रही थी।

मम्मी की बगल मे मै भी फर्श पर बैठ गयी और बोला ,



" अरी मम्मी काहें तकलीफ़ कर रही हैं , ये ६ फिट का अादमी क्यों खड़ा है। "

खुद ही वो मम्मी के पास बैठ गए फिर जैसा वो कहती गयी अलग अलग शेल्फ पर साड़ी ,पेटीकोट, अंडर गारमेंट्स लगाते गए।






एक गुलाबी रंग की सिल्कन ब्रा को अपने हाथ मे लेकर वो थोड़ी देरतक देखते रहे , उसका टच महसूस करते रहे। थी भी बहुत अच्छी , खूब कढ़ाई की हुई , लेसी , हाफ कप , प्योर सिल्क ,

मम्मी मुस्करा कर बोलीं , "चल तुझे पसंद अा गयी तो तू ही रख ले। "

इनकी चेहरे की चमक देख के मुश्किल से मै अपनी मुस्कराहट दबा पायी।


वो चेंज करने के लिए बाथरूम की ओर मुड़ने लगीं तो चिढाते हुए मैं बोलीं ,

" अरे मम्मी यहीं चेंज कर लीजिये न अब इनसे क्या शरम। "

" सही कह रही है तू ,अब तो ये भी अपने बिरादरी में शामिल हो गया ,... " और उन्होंने तौलिया लपेट लिया।

लेकिन पहले उनके बड़े बड़े मस्त 36 डी डी ,लेसी ब्रा से झलकते ,छलकते, वो देख चुके थे।





और जब वो पीछे मुड़ीं तो उनके बड़े बड़े ,कड़े कड़े चूतड़ ,...






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वो बाथरूम में घुसी ही थीं की मैंने फिर बोला ,

" मम्मी आपके लिए उन्होंने खुद चमकाया है ,सब कुछ अपने हाथ से यहां तक की टा... '

लेकिन मेरी बात बीच में काट के मम्मी ने इनकी तरफ मुड़ के तारीफ़ से देखा और बोलीं ,

" चल तब तो आज इस्तेमाल कर लेती हूँ वरना मेरा इरादा तो कुछ और ही था ,.... "

जिस तरह से माम ने उनकी ओर अर्थपूर्ण ढंग से मुस्करा के देखा ,

बिचारे वो ,जोर से ब्लश करने लगे। मम्मी का इरादा वो भी समझ गए थे।

और मैं उनकी रगड़ाई का मौक़ा क्यों छोड़ती ,मैं भी बोली ,

" एकदम सही ,मम्मी। मैंने उनको बता भी दिया है कि ,... "

लेकिन तबतक मम्मी ने बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था।

मैंने उनको किचेन में खदेड़ दिया ,

" अब ज़रा जा के किचेन में लग जाओ ,मम्मी को पता भी तो चले की उनके दमाद ने क्या क्या सीखा है ,क्या तैयारी की है उनके लिए। "

वो किचेन में चले गए और जब मम्मी बाथरूम से फ्रेश होके निकलीं तो हम माँ बेटी 'पंचायत में', हर तरह की गप ,सहेलियों ,रिश्तेदारों से लेकर सीरयल तक.


डेढ़ घंटे बाद उन्होंने अनाउंस किया लन्च तैयार है।



एकदम दावत ,पूरा दस्तरखान सजा दिया था उन्होंने।

निहारी से शुरू कर ,,चिकेन टिक्का , तरह तरह के कबाब , गलावटी , सामी स्टार्टर में ताज़ी चटनी के साथ



और फिर मेंन कोर्स में ,रोगन जोश ,हांडी चिकेन,मटन कोरमा दाल गोश्त , सुरमयी फिश, कीमा बिरयानी।








( मैंने उन्हें बता दिया था की मम्मी को नान वेज डिशेज पसन्द है और कही मेरे कोने में छुटकी ननदिया की बात भी कांटे की तरह धंसी थी ,'हमारे यहां तो ये सब छुआ भी नहीं जाता। )




माम बस खाने की लज्जत का रंग देख रही थीं ,उसकी महक सूंघ रही थीं और जब वो ताजा रोटी लाने गए थे , मुझसे कहने लगी ,

" कोई क्या खाता है , उससे सिर्फ यह नहीं पता चलता है की वो क्या पसंद करता है ,बल्कि इससे उसकी पूरी अपब्रिंगिंग , रहन सहन,घर का माहौल ,बचपन से लेकर आज तक का वातावरण सब कुछ पता चलता है। तूने तो उसकी न सिर्फ सब खाने पीने की हैबिट बदल डाली बल्कि खुद इत्ते अच्छे ढंग से उसने प्यार से मेहनत करके पकाया है ,... सच में तूने उसे उसके मायके वालों के माहौल से….जिस तरह से बाहर निकाला है न ,... "

उनकी बात काट के मैं बोलीं, " अरी माँ मैं बेटी किस की हूँ ,मजाक है क्या।"

तबतक वो गर्मागर्म रोटियां ले कर और मेरी बात सुन के थाली में रोटी डालते माँ से बोले , (उन्होंने रोटी का भी पूरा प्लैटर बना रखा था। रुमाली रोटी ,शीरमाल ,तवे की रोटी रोटी सब कुछ। )

" मैं भी तो ,... "

" एकदम बेटे ,बैठ न हम लोगों के पास ,चल तू भी खा। " माँ ने दुलार से उनके गोरे गोरे गाल सहलाते कहा ,

लेकिन मैंने बड़ा सीरीयस चेहरा बना के जैसे कुछ जोड़ते हुए उन्हें छेड़ा ,

" ये रिश्ता मेरे कुछ समझ में नहीं आया ,हाँ ये मैं मानती हूँ की मेरी उस छिनार ननद के बचपन के यार हो तो उस रिश्ते से ननदोई लगोगे , और तेरी उस बहना पे मेरे सारे नजदीक के ,दूर के रिश्ते के सब भाई चढ़ेंगे तो उनके साले लगोगे। "

खिलखिलाती हुयी मेरी माम भी उनकी खिंचाई करने में जुट गयीं और बोलने लगी ,

" सही कह रही है तू और फिर ,.... मेरी समधन के भी तो,... " और हम दोनों साथ साथ हंसने लगे।

फिर तो वो वैसे ऐसे झेंपे की सीधे रसोई में जा के रुके।

अगली बार जब वो रोटियां ले के आये तो फिर माम ने जबरदस्ती उन्हें अपने बगल में न सिर्फ बैठा लिया बल्कि जबरदस्ती अपने मुंह का कौर उनके मुंह डालते हुए साथ खिलाना शुरू किया।

माँ के हाथ से खाते और उनके मुंह से ,खाने की तारीफ़ सुनते हुए वो ऐसे ब्लश कर रहे थे ,जैसे गौने की रात के बाद की कोई दुल्हन हो।

मैं समझ रही थी ,तारीफ़ माँ उनकी कर रही थीं लेकिन देख मेरी ओर रही थीं की मैंने कितनी जबरदस्त ट्रेनिंग दी उनको।


स्वीट डिश में जेली के साथ ताजे काट दसहरी आम , डबल का मीठा और फिरनी थी।





उन रसीले आमों की फांके देख के माँ भी अपनी मुस्कान रोक नहीं पायी। माँ को उनकी जे के जी के पहले के दिनों की चिढ भी मालूम थी और मेरी जो शर्त लगी थी ,मेरी छोटी ननद के साथ वो भी मालुम थी।


माम् रोगनजोश की जो तारीफ़ कर दी तो फिर तो रेसिपी से लेकर कैसे खुद उन्होंने चेक करके मटन ख़रीदा सब बताया दिया।


सिर्फ रोगनजोश ही नहीं बाकी चीजें भी ,निहारी की रेसिपी तो उन्होंने इतने डिटेल में बतायी, १२ से १५ लाल सूखी मिर्चें ,पांच हरी इलायचियाँ, पॉपी सीड्स , तेजपत्ता , चार टेबल स्पून भुना जीरा ,दालचीनी ,... क्या क्या कितना डाला ,किस चीज की धीमीआंच में किस चीज को तेज आंच में पकाया , सब कुछ।

मम्मी ने उनकी तरफ प्यार से देख लिया तो बाकी चीजें भी , बड़े इसरार से गलावटी कबाब खिलाया और उसके बारे में सब कुछ , ...कैसे पपीते का इस्तेमाल उन्होंने उसे मुलायम करने के लिया और कैसे वो मुंह में घुल जाता है।

वास्तव में वह मुंह में घुल गया /

" बस एक बार तुम , अपने मायके में न जो तुम्हारी वो बहन कम माल ज्यादा है उसे भी ये रोगन जोश अपने हाथ से बना के खिला दो ,तेरी गुलाम हो जायेगी ,खिलाओगे न उसे। " माँ ने बड़े भोलेपन से उनसे पूछा।

वो पशोपेश में थे और मैं मुश्किल से हंसी दबा रही थी।


लेकिन मम्मी को मना करने की हिम्मत उनमे कतई नहीं थी ,बस उन्होंने हां में सर हिला दिया। खुश हो के मम्मी बोलीं ,

" यार तूने इतना अच्छा खाना बनाया है ,कुछ तो इनाम बनता है। बोल क्या लोगे ?"



खुश हो के मम्मी बोलीं ,

" यार तूने इतना अच्छा खाना बनाया है ,कुछ तो इनाम बनता है। बोल क्या लोगे ?"

उनका चेहरा इतना ख़ुशी से दमक रहा था मैं बता नहीं सकती ,लेकिन फिर वो बोले।

" मम्मी आप को पसंद आया ,इस से बड़ा इनाम मेरे लिए क्या हो सकता है। "

"दूधो नहाओ ,पूतो फलो , " मैंने मम्मी की ओर से आशीष दे दिया फिर पलीता भी लगा दिया।

" अरे मौक़ा अच्छा है ,मम्मी से उनकी समधन मांग लो ,बचपन से ललचाते थे न ,.. "

" है तेरी वकालत की जरूरत नहीं है ,और मेरी समधन तो मैं वैसे ही अपने मुन्ने को मैं बहुत जल्द दिलवाऊंगी। पूरे मोहल्ले को जोबन लुटाती हैं तो बिचारा मेरा मुन्ना क्यों,... " उन्होंने मुझे जोर से झिड़का और एक बार फिर उनके बाल बिगाड़ते हुए बोलीं ,

"बोल न मुन्ना ,क्या मांगते हो?"

बिना उनके जवाब का इन्तजार किये वो हलके से उनके कान में बोलीं ,

" बोल बच्चे चाहिए न "

" हाँ एकदम मम्मी "

ख़ुशी उनसे रोके नहीं रुक रही थी।

( असल में ये चीज वो पहले दिन से चाहते थे और मैं मना करती थी ,मैं लगातार पिल पर रहती थी "

" कितने एक दो तीन चार ,... " मम्मी आज उनकी कोई भी ख्वाहिश पूरी करने के मूड में थी।

" पांच " झट से उनके मुंह से निकल गया।


" एवमस्तु ,चल तेरे अगले चार साल में पांच बच्चे होंगे। तू जल्द ही पांच का पिता बन जाएगा। "


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एक बार तो मैं झटक गयी फिर मुझे समझ में आ गया ,मम्मी ने उनको पिता बनने का आशीर्वाद दिया था ,मेरे माँ बनने का थोड़े ही। फिर से चिढाते हुए मम्मी से मैंने पुछा।

"ये तो एकदम एक्सप्रेस डिलीवरी हो गयी लेकिन चार साल में पांच कैसे ?"

" अरे तू भी न इसकी संगत में रह के , ....गाभिन होने और बच्चा जनने के बीच जनाना को कितना टाइम लगता है ९ महीने न तो फिर ४५ महीने हुए ,मैं तो ४८ महीने का टाइम दे रहीं हूँ ,बच्चा बाहर ,ये अंदर। "


लेकिन मेरे मन में अभी भी उथल पुथल हो रही थी कहीं मेरे साथ तो नहीं ?

और माँ से ज्यादा कौन समझ सकता था मुझे। माँ ने उन्हें थोड़ी और जेली लाने को भेजा और फिर मुझे समझाया ,

" अरे यार ये बच्चे तेरे से होंगे ये मैंने कहाँ कहा , जो तू घबड़ा रही है। बस देखती जा। "

और जैसे ही वो आये ,माँ ने स्पष्टीकरण जारी कर दिया ,

" और इन पांच बच्चो के लिए मैं जैसे कहूँगी ,जिस तरह कहूँगी ,जिस समय उस समय करना पडेगा ,समझ गए न। पहले शाट में ही गाभिन कर दोगे ,बोलो मंजूर है न। '

एकदम मम्मी कह के उन्होंने उनके पैर छू लिए।

माम ने उनके उठाते हुए हलके से उनके बल्ज को रगड़ते हुए चिढ़ाया ,

"सोच के ही टनटना गया है न तेरा। "






सच में तम्बू में बम्बू एकदम तना था।


बिचारे एक दम से ब्लश करने लगे।




मैं ,मम्मी के साथ उनके कमरे में गप्प गोष्ठी में लग गयी और वो किचेन में।

मंजू बाई अभी छुट्टी पर थी ,उसकी लड़की गीता के बच्ची हुयी थी। वो वहीँ गयी थी।

इसलिए बर्तन ,साफ़ सफाई सब इन्ही के जिम्मे , तो वो उस में लग गए।


शाम को मम्मी ने गिफ्ट पैकेट्स खोले जिसे वो सुबह नदीदों की तरह देख रहे थे।



शाम को मम्मी ने गिफ्ट पैकेट्स खोले जिसे वो सुबह नदीदों की तरह देख रहे थे।


सेक्सी नाइटी, साडी ,शलवार सूट , इरोटिक अंडरगारमेंट्स ,ज्वेलरी ,... ढेर सारी चीजें... मेरे लिए।



वो जलन भरी निगाह से देख रहे थे।

आखिर वो रोक नहीं पाये ,

" मम्मी ,मेरे लिए। ' उनके मुंह से निकल ही गया।

मम्मी भी न। छेड़ने में उनका सानी नहीं है। मुस्करा के वो बोलीं ,

" मैं हूँ न तेरे लिए ,तू ही तो कहता था की मम्मी बस आप आ जाओ ,मुझे कुछ और नहीं चाहिए। "

बेचारे वो।

लेकिन जैसे कई बार मम्मी ( बल्कि अक्सर ) मम्मी पाला बदल कर अपने दामाद की ओर चली जाती थीं ,आज मैंने भी पाला बदल लिया ,और अपने 'उनके ' ओर चली गयी। मैंने उन्हें चढ़ाया ,






" अरे यार देखते क्या हो , फिर देरी किस बात की है ,गिफ्ट रैप खोलना शुरू कर न। "

उनकी निगाह वैसे भी मम्मी की खुली गोरी चिकनी पीठ को सहला रही थी और बैकलेस कच्छी चोली के बस पतले से रेशमी बंध को देख रहे थे।

गदराये कड़े कड़े गोरे गोरे उनके उभार वैसे ही बाहर छलक रहे थे।


ऊपर से मम्मी ने ज़रा सा उनके सामने झुक के एकदम टीट -दर्शन दे दिया , और उनके गोरे गुलाबी शरमाते गाल मींड़ते बोली ,

" एकदम मेरी ओर से पूरी इजाजत है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है मैं अपने इस प्यारे प्यारे मुन्ने के लिए न लायी होऊं हो। "

और उन्होंने दूसरा पैकेट खोल दिया ,एकदम मेरे ऐसी चीजें ,

गुलाबी नाटी नाइटीज,बेबी डाल,एकदम मेरी जैसी साड़ियां ,थोड़ा सा पैडेड , लेसी ब्रा ( हाँ बस पैंटीज नहीं थीं ) ,सैंडल्स,...

वो छू छू के देख रहे थे तभी माम ने दूसरी एक छोटी अटैची खोली , पुरानी खूब घिसी हुयी साड़ियां दर्जन भर तो रही होंगी।

" ले ,ये तेरे घर में पहनने के लिए ,किचेन में काम करना हो , घर का काम करना हो उस समय। ये मेरी पुरानी साड़ियां है ,मेरी फेवरिट थीं , पहन पहन के घिस गयीं थी , अब इसे बदल के मैं क्या कटोरी ग्लास लेती ,मैंने सोचा तेरे लिए ही ले आऊं। घर का काम भी करता रहेगा तो मेरी याद आती रहेगी। "

उनके गाल एकदम गुलाबी हो गये थे ,लेकिन उनके मुंह से हलके निकल ही गया , " हाँ मम्मी। "


और उसके नीचे ही एक और छोटा सा पैकेट था , जैसे ही मम्मी ने निकाला उनकी निगाहॆ उत्सुकता से वहीँ चिपक गयीं।

मम्मी ने भी उन्हें खूब ललचाते दिखाते धीरे धीरे खोला ,

ढेर सारी पैंटीज ,लेसी ,सिल्कन , ,... लेकिन सब की सब खूब पहनी ,घिसी हुयी। और हलकी सी महक भी माम की ,





" ये भी पहले से पहन रही हैं ,पुरानी है और जब से तेरी बर्थडे थी न तब से ये ही पहन रही थी और ये तो बस आज उतारी है , मेरी देह का सब कुछ रचा बसा है इसमें,... " वो बोलीं और जो पैंटी मम्मी ने आज उतारी थी ,लेकर सीधे उनके नाक पे लगा दी ,





" अरे वाह देह गंध ,ज़रा सूँघ के देख न , चाहे तो चाट भी ले , अरे मम्मी का ही तो स्वाद मिलेगा,... "

जैसे न चाहते हुए भी उन्होंने गहरी सांस ले के सूँघ ही लिया।

" अरे चाट भी ले न ,इनमें से सब दो तीन दिन कम से कम पहना है और उसके बाद धोया भी नहीं है , ... " अब मम्मी उनके पीछे पड़ गयी थी।

उनका खूँटा खूब टनटना गया था।

हम दोनों के डबल अटैक के आगे , ...

बस गृहिणियों का पुराना बहाना और पुरानी छिपने की जगह ,

" जा रहा हूँ ,कड़ाही जल रही होगी। " और वो भाग के किचेन में।

मैं और मम्मी खिलखिलाते रहे।



उनके कपडे मैंने उनकी आलमारी में लगा दिए।


शाम का खाना सिम्पल था लेकिन प्योर नान वेज। और उसके बाद कटे हुए दसहरी ,अल्फांसो ,..

मम्मी ने जिद कर के अपने साथ बैठाया उन्हें खिलाने के लिए और पूरे खाते समय ,...


उनकी माँ बहनों का नाम ले लेकर ,...



और बीच बीच में धमकी भी देतीं ," चल मेरी समधन से तेरी कबड्डी तो होगी ही ,लेकिन देख आज मैं क्या हाल करती हूँ तेरा मादर चो..."




वो बिचारे शर्मा भी रहे थे , झिझक भी रहे थे ,कुछ घबड़ा भी रहे थे लेकिन कुछ कुछ मन भी कर रहा था।

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खाने के बाद हम तीनों मम्मी के कमरे में पहुंचे तो वहां भी मम्मी ने , ...

उनके गोल गोल कड़े नितम्ब सहलाते दबाते ,एक ऊँगली उन्होंने बीच की दरार में घुसा दी और हलकेहलके चलाते बोलीं ,

" मेरी समधन के भी चूतड़ भी ऐसे ही मस्त मस्त गोल हैं , छिनार बचपन से मरवाती है न। "

मम्मी बिस्तर पे लेट गयी और वोलने लगीं ,थोड़ी थकान लग रही है।

मैंने इशारा किया और वो मम्मी के पैर दबाने में लग गए , पहले तलुए ,फिर पिंडलियाँ ,फिर थोड़ा और ऊपर , फिर ,..

उँगलियों से जिस तरह वो दबा रहे थे ,प्रेस कर रहे थे ,नीड कर रहे थे क्या कोई प्रोफेशनल मालिश वाली करेगी।


थोड़ी देर में मम्मी का दर्द काफूर हो गया लेकिन वो गहरी नींद में सो गयीं ,और हम दोनों अपने बेड रूम में आ गए।



अगले सुबह वो बेड टी लेकर मम्मी को जगाने गए ,उस समय से ही ,

फिर ब्रेकफास्ट टेबल पर भी , ... मम्मी उनके पीछे पड़ी थीं लेकिन वो हिचक रहे थे ,ना ना कर रहे थे।



मम्मी उनका कर्ण छेदन संस्कार करवाना चाहती थी।


उन्होंने जब ये बोला की बड़े बड़े स्पोर्ट स्टार ,मेल माडल भी तो कान में स्टड पहनते हैं और उनका कान पकड़ के धमकाया तो मान गए वो।



" ये ना ना करने वाला छिनारपना तूने अपने मायकेवालियों से सीखा है न। "


वो हंस के बोलीं ,और कुछ देर में हम तीनों एक बाडी माडिफिकेशन शाप पे थे।


असल में उनकी घबडाहट उनके मायके वालियों से ही थीं , और ये बात माम सेबेहतर कौन समझ सकता था।


मेकअप , ड्रेस , क्लींन शेव लुक ,ये सब तो टेम्पोरेरी चीजें थी ,उन्हे बदल भी सकते थे ,और कुछ कहानी भी बना सकते थे।माम के वापस लौटने के बाद तुरंत ही हमें उनके मायके जाना था।

लेकिन परमानेंट बाडी माडिफिकेशन , ... ये बात वो भी जानते थे और उनसे ज्यादा मम्मी जानती थीं ,और इसलिए वो सुबह से ही पीछे पड़ीं थी।

और मम्मी पीछे पड़ें तो फिर किसी की औकात नहीं है ना करने की ,उनकी तो बात ही और थी।


असल में वो शाप नार्मल पियर्सिंग शाप नहीं थी।


कल शाम को ही हम माँ बेटी ने मुश्किल से उसे ढूंढा था , वो एक एडल्ट बाड़ी माडिफिकेशन पार्लर था। जहाँ ' नार्मल पियर्सिंग ' से भी ज्यादा बहुत कुछ होता था और मम्मी ने पहले ही उनकी नोज और इयर दोनों की पियर्सिंग के लिए बात कर रखी थी।



कल शाम को ही हम माँ बेटी ने मुश्किल से उसे ढूंढा था , वो एक एडल्ट बाड़ी माडिफिकेशन पार्लर था। जहाँ ' नार्मल पियर्सिंग ' से भी ज्यादा बहुत कुछ होता था और मम्मी ने पहले ही उनकी नोज और इयर दोनों की पियर्सिंग के लिए बात कर रखी थी।
………….

और बिचारे फंस गए। कुर्सी पर बैठते ही ,... जैसे डेंटिस्ट्स के यहां चेयर होती है न एकदम वैसे ही चेयर थी।


एक लड़की ,उनकी उस ममेरी बहन से दो तीन साल ही बड़ी होगी , कच्चे टिकोरे , लेकिन उनकी नोकें साफ़ साफ़ दिख रही थीं उसकी टी शर्ट में जो उसने अल्ट्रा लो जीन्स में टग कर रखी थी।



ये आदत से मजबूर उसके उभार देख रहे थे ,और उसने अपने गोरी कलाइयों से इनके हाथ को पकड़ के आर्म रेस्ट पर रखा और जब तक ये कुछ समझें समझें ,उसने कोई बटन दबा दी और दो कफ सीधे उनके हाथों पे , अब वो हाथ हिला भी नहीं सकते थे।

कान की तो बात उन्होंने मान ली थी लेकिन उन्हें क्या मालुम था की नाक भी , ...

" अरे नाक तो कान के साथ फ्री है ,फिर इस गोरे गोरे मुखड़े पे छोटी सी नथ तो खूब फबेगी। "


वो लड़की उन्हें समझाते ,उनके गाल सहलाते बोलीं।

" और क्या ,नथ नहीं पहनोगे तो मैं उतारूंगी क्या ?" मम्मी ने हंस के चिढाते हुए पूछा ,और हम तीनों की खिलखिलाट में उनकी नन्ही मुन्नी चीख दब के रह गयी।

नाक भी छिद गयी।

जब मैं और मम्मी उनके नए नए छेदों के हील करने के लिए वेट कर रहे थे ,वो लड़की फिर आयी और उसने मम्मी को कई कैटलॉग पकड़ा दिए।


उसमें कुछ थे जिसे बी एम् इ ( बाड़ी माडिफिकेशन एक्सट्रीम ) कहते हैं।


मम्मी लड़कियों के निपल्स ,बूब्स वाले कैटलॉग देख रही थीं ,फिर उन्हें कुछ सूझा और मुस्कराते हुए वो बोल पड़ी,


" हे क्या नाम है तेरी उस ननद का "

" गुड्डी ,मम्मी " मैंने जवाब दिया। मैं समझ गयी थी ,मम्मी केदिमाग में कुछ चल रहा है।

" देख ये कैसे लग् रहे हैं , " मम्मी ने कैटलॉग उनकी गोद में रख दिया।





तरह तरह के निपल्स डेकोरेशन ,पियरिसन्ग्स,... ज्वेलरी, निपल्स पियर्स्ड यहाँ तक की निपल्स कवर भी ,


बिचारे लाज से वो बीर बहूटी हो रहे थे , हम लोगों के साथ वो लड़की भी कैटलॉग देख रही थी।


" बोल न ,अरे आएगी जब तेरे साथ तो ,बोल अच्छे लग रहे हैं न। " मम्मी ने फिर उकसाया।

और अबकी वो लड़की शाप असिस्टेंट बोल पड़ी ,

क्या ऐज होगी उसकी और मैंने बता दिया।

एक पल सोच के वो मुस्करा के बोली ," ठीक है ,कुछ लड़कियां यंग एज में ही , टीनएजर्स में भी आज कल काफी , ... लेकिन साइज क्या है उसकी?"


" तुम बताओ न मालूम तो है तुम्हे " मैं और मम्मी एक स्वर में बोल पड़े।

झिझकते ,शरमाते लजाते उन्हें बोलना ही पड़ा," ३२ सी "

" अरे ये तो परफेक्ट है उस एज के लिए " शाप असिस्टेंट का चेहरा खिल गया ," फिर तो एकदम पहन सकती है वो। लेकिन असली बात है निपल की साइज क्या है ?"

और अबकी उसने सीधे ,उन्ही से पुछा ,लेकिन बिचारे वो ,जानते तो बताते न।

मैं जानती थी ( होली में उसके टॉप के अंदर हाथ डाल के खूब रगड़ा मसला था मैंने ,पुल भी किया था मैंने मूंगफली के दानों से थोड़े बड़े ) और मैंने बता दिया ,

" थोड़े छोटे हैं अभी। "

उस बिचारी शाप असिटेंट का मुंह लटक गया ,एक पोटेंशियल बिजेनस पर खतरा मंडरा रहा था।

लेकिन मम्मी मेरी इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी।


वो कैटलॉग के पन्ने पलट रही थीं और उनकी निगाह एक पन्ने पर आकर रुक गयी ,


देख ऐसे हैं न तेरी छुटकी ननदिया के जुबना ,


मैं कुछ बोलती उनके पहले उनके मुंह से हाँ निकल गयी।



लेकिन मम्मी मेरी इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी।


वो कैटलॉग के पन्ने पलट रही थीं और उनकी निगाह एक पन्ने पर आकर रुक गयी ,

गोल्डन निपल रिंग्स ,इरेक्ट निपल्स के चारो ओर , बिना किसी पियर्सिंग्स के ,...


और उन्होंने वो पेज खोल के उनके और शाप असिटेंट लड़की के सामने कर दिया।

एक बार फिर उस लड़की का चेहरा खिल गया लेकिन उसने दो सवाल खड़े कर दिए , फिर से।

" ये तो हो सकता है ,इसमें पियरिसन्ग्स नहीं इन्वाल्व है न




और एक बार ये हो जाए तो निपल्स दो तीन महीने के अंदर पियरिसन्ग्स लायक भी हो जाते है , पर सिर्फ दो बाते है , एक तो प्राइस थोड़ी ज्यादा स्टिफ है , प्योर गोल्ड है इसलिए। "



मम्मी ने तुरंत उसकी बात काट दी ,शंका समाधान कर दिया और बोल पड़ीं ,

" प्राइस कोई ईशु नहीं है , तुम जानती नहीं ,ये अपनी उस बहन से कितना प्यार करते हैं , दूसरी बात बोलो। "

बिचारे वो , उन्हें बोलने का कोई मौक़ा देता तब न।

" दूसरी प्राब्लम वही साइज वाली लेकिन उसका इलाज है। " अबकी लड़की की आवाज में ख़ुशी थी।

" असल में आधे इंच से थोड़े भी बड़ें हो निपल न तब , लेकिन उस के लिए अगर कोई उसे सक कर के , फ्लिक कर के इरेक्ट कर दे , थोड़ा सा उसके बूब्स एराउज हों ,फिर तो ,.. "



अबकी वो लड़की सीधे उन्ही से बात कर रही थी , वो जान गयी थी हम दोनों उन की रगड़ाई कर रहे हैं और उस ने हमारा गैंग ज्वाइन कर लिया था।

" इसकी चिंता क्यों करती हो ,ये हैं न सब कर देंगे ,चूमेंगे ,चूसेंगे ,चुभलायँगे ,... इनकी एकलौती ममेरी बहन है क्यों नहीं करेंगे। " मम्मी अब पूरे जोश में आ गयी थी।

और वो लड़की भी जुगलबंदी में ,उनसे बोली ,

" घबड़ायेगा मत ,हम लोग रहेंगे न ,बस चार पांच मिनट चूस चूस के खड़ा कर दीजियेगा फिर तो , ... "

" क्यों बोलो मंजूर है न , बोल न बिचारी का भला हो जाएगा ,करेगा न , अरे रिंग कित्ती अच्छी लगेगी उस के निपल पे बोल न। " मम्मी ने और चूड़ी कसी।

मम्मी केआगे उनकी क्या चलती ,हलकी सी हाँ निकल गयी उनके मुंह से ,फिर तो वो शाप असिस्टेंट,

" सिंपल है , अरे साइज उसकी बढ़िया है ,बस थोड़ी देर हलके हलके सहलायेगा , ज़रा सा प्रेस करियेगा। बूब्स कड़े हो जायँगे ,और एक बार बूब्स कड़े हो गए न तो एक से एक शर्मीली ,लजीली झिझकती लड़कियां देखी है मैंने , निप्स अपने आप पोक आउट कर जाते है ,

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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

Post by kunal »

एक बार निप्स हलके से भी खड़े हो गए तो बस सिर्फ लिप्स से दो चार किस सीधे निप्स पर , और जीभ से उसे १०-१२ बार फ्लिक करियेगा , बिना छुए। एकदम टाइट खड़े होजायंगे , और कोई बात नहीं हम लोग होंगे न आपको समझाने सिखाने के लिए ,,...






एक बार आपने बस निप्स आप खड़ा कर दीजियेगा न तो मैं हूँ न आई विल टेक ओवर। सिम्पल। '

वो उनके ऊपर झुकी सीधे उन्ही से बात कर रही थी और मैं और मम्मी अपनी हंसी दबा रहे थे।

लेकिन मम्मी अपनी उत्सुकता नहीं दबा पायीं और पूछ बैठीं , " फिर क्या करोगी ?"


" और फिर हम लोग स्पेशल वैक्यूम पम्प इस्तेमाल करते हैं , "उसने एक खूब पतली टेस्ट ट्यूब जैसी नली की ओर इशारा किया , जिसके अंत में एक पावरफुल वैक्यूम पम्प लगा था।


उसने समझाया ,


" जैसे इनके कजिन के टिट्स , जब ये सक कर के निपल्स खड़ा कर देंगे ,बस खाली खड़े होने की बात है ,उसके बात ये ट्यूब मैं लगा देती हूँ और पम्प आन कर देतीं हूँ , थोड़ी देर में ही निप्स में सारा ब्लड , वो एकदम इनलार्ज हो जाता है , कम से कम पौन से एक इंच लंबा ,खूब सेक्युलेंट।


और फिर ३२ सी पर तो ऐसे निप्पल बहुत सेक्सी लगेंगे। उसके बाद रिंग , बस फिर ब्लड वापस नहीं जा पाता और निप्स परमानेंट अराउजल की स्थिति में रहते हैं। उसके ऊपर गोल्डन रिंग अच्छी लगेगी लेकिन आप फैसला करें ,कुछ चीप आप्शन्स भी हैं। "

" नहीं नहीं गोल्डन ही। " अब की वही बोले।

मैं और मम्मी मुश्किल से अपनी खिलखिलाहट दबा पाये।

उसने ये भी समझाया की वो इरेक्ट निपल्स में कोलाजेन का इंजेक्शन लगा देगी ( मम्मी ने उसके कान में उसके कान में फुसफुसा के कुछ और केमिकल्स भी जुड़वा दिए ,जो उसके निप्स को हरदम अराउजड रखते ) जिससे वो परमानेंटली इरेक्ट रहेंगे



। कुछ दिन के बाद निप्स में और डेकोरेशन भी लगा सकते हैं।

फिर वो कुछ ढूंढने लगी और एक शेल्फ से उसने फ़ार्म निकाला लेकिन उसे पढ़ के एक मिनट फिर उसके चेहरे पे टेंशन आ गया,वो बोली ,

" इस फ़ार्म में या तो लड़की को या उसके किसी क्लोज मेल रिलेटिव को कन्सेंट पर साइन करना पड़ेगा ,पर गुड्डी तो अभी है नहीं न ,... " उसने अपनी परेशानी बतायी।

और हम लोगों में से कोई कुछ बोल पाता , उन्होंने समस्या का समाधान कर दिया।

उसके हाथ से फ़ार्म ले के जहां जहां उस लड़की ने बोला उन्होंने साइन कर दिया।

" और सिर्फ ५०० एडिशनल लगेगा , आज कल एक कन्सेशन स्कीम चल रही फिर वो साल भर एडिशनल बाडी माडिफिकेशन भी करवा सकती है सब पर २८ % की छूट , "




वो कुछ सकपकाये लेकिन मेरी डाँट पड़ गयी , और फिर तो जहाँ जहां उन्होंने कहा उन्होंने सारे बाक्स टिक कर दिए , निप्पल रिंग्स , नेवल रिंग्स , लोवर लिप्स डेकोरेशन , बिना कुछ भी देखे।




और उसके बिना मांगे अपना प्लेटिनम कार्ड भी पकड़ा दिया।

जब तक वो कार्ड चार्ज करके लौटी तो मम्मी ने कैटलाग उनकी तरफ बढ़ा दिया , और उन्हें पता चला , टीनएजर्स के नेवल में रिंग्स ,कन्ट लिप्स में रिंग।

वो लौटती उसके पहले दूकान के ओनर लौटे और उन्होंने ,पियर्सिंग चेक कर के बोला की अच्छी तरह होगये हैं , और अब वो पहन सकते हैं।

फिर मम्मी से खुश होकर वो बोले ,अच्छा हुआ आप लोगों ने वो निप्स रिंग्स अभी बुक कर लिए ,अभी इनॉगरल आफर चल रहा है और फिर ये ६ महीने के लिए वैलिड है। "

वो कुछ और बोलते तब तक बाहर आफिस में फोन की घंटी बजने लगी और वो लड़की वापस आ गयी। उसके हाथ में एक बाक्स था।



उस शाप असिस्टेंट ने उनका कार्ड उन्हें वापस करते हुए ,झुक कर फिर बोला ,

" एक चीज और मैं अभी से आप को बता देती हूँ ,इस रिंग में एक ईशु रहेगा , " फिर कुछ रुक के उन्ही से वो बोली ,



वो लड़की वापस आ गयी। उसके हाथ में एक बाक्स था। उस शाप असिस्टेंट ने उनका कार्ड उन्हें वापस करते हुए ,झुक कर फिर बोला ,

" एक चीज और मैं अभी से आप को बता देती हूँ ,इस रिंग में एक ईशु रहेगा , " फिर कुछ रुक के उन्ही से वो बोली ,

" निप्स उसके हरदम अराउजड रहेंगे ,और खासतौर से जब ड्रेस से रब करेंगे न तो ,इसलिए कोई साफ्ट ब्रा भी उसके लिए ,... "


लेकिन उसकी बात काटते हुए मम्मी तुरंत बोली



" नहीं नहीं ,इसकी कोई जरुरत नहीं। हम उसके लिए हाफ कप वाली ब्रा लेंगे , निप्स दिखे तो दिखे। इत्ता खर्च करके उसके भैया ने ,... तो क्या छिपाने के लिए ? क्यों बोलो न। "




माम ने फिर तोप का मुंह उनकी ओर कर दिया और बिचारे वो ,उनके मुंह से हलके से हाँ निकल भी गया।

" पर ,.. "


अब उस लड़की को भी मजा आ रहा था। उनकी रगड़ाई करने में वो हम दोनों के साथ गैंग अप हो गयी थी। उसने फिर उन्ही को छेड़ते हुए बोला ,





" यू नो , कांस्टैंटली अगर उसके निप्स रब करेंगे न ,... तो,... तो फिर उसके लोवर लिप्स भी ,वो लगातार वेट् रहेगी ,और उसके चेहरे से भी यही झलकेगा की वो एकदम अराउजड है , कोई भी जो उसको देखेगा तो एकदम समझ जाएगा की ,ये एकदम गीली है , .. वो अपने को कंट्रोल भी नहीं कर पायेगी। उसकी हरदम ,.. "




" अरे साफ़ साफ़ क्यों नहीं बोलती की हरदम उसकी चूत गीली रहेगी ,उसकी चूत में चींटे काटेंगे ,एक तार की चाशनी बहती रहेगी। लेकिन जो मीठी चीज है वहां तो चींटे काटेंगे ही। फिर अगर उसको देख के लौंडे ललचायेंगे ,तो,... वही तो ये चाहते हैं।

अरे नयी नयी जवानी आयी है तो दिखाने के लिए न , हरदम इनकी बहना गरम रहे ,क्यों बोलो न। "


मम्मी अब अपने लेवल पर आ गयीं ,एकदम खुल के।

बिचारे फिर ,.. सर हिला के उन्होंने हामी भर दी।

" और तेरा भी तो फायदा होगा , वैसलीन का खर्चा बचेगा , जब चाहा ,जहाँ चाहा , निहुराया ,सटाया, दुनो जुबना पकड़ के ठेल दिया ,गचाक से अंदर। है न। "

लेकिन उनकी और रगड़ाई नहीं हुयी क्योंकि शाप असिटेंट ने वो डिब्बा खोला और बोली ,

" ये स्टड हमारी ओर से गिफ्ट ,इयर पियर्सिंग तो अब मेल्स में होने लगी है लेकिन नोज अभी भी बहुत अनकॉमन है। "

" नहीं नहीं स्टडस नहीं ,अरे इनकी प्यारी प्यारी सास की ओर से ,मैं लायी हूँ न इनके लिए , और उन्होंने ज्वेलरी का एक छोटा सा डिब्बा खोला।

उसमें झुमके और नोज रिंग्स थीं एक दम जो मैंने और मम्मी ने पहने थे उससे मैचिंग।





मम्मी और उस असिस्टेंट ने मिलके उन्हें झुमके पहना दिया और नोज रिंग्स भी।

वो लड़की भी ,एकदम उनकी रगड़ाई करने में ,... उनका गाल सहलाते हुए उसने ,उनके सामने एक मिरर ला के रख दिया और चिढ़ाते बोली ,

"रूप निखर आया है ,... "

हम लोगों के चलने के पहले वो उनको वार्न करते बोली ,अगले तीन चार दिन इसको उतारने की कोशिश भी मत करियेगा ,वरना जो वूंड होगा न उसका हील करना मुश्किल होगा। और उसके बाद भी किसी फीमेल की हेल्प से ही ,... "
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