जोरू का गुलाम या जे के जी

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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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बिना रुके , ... उन्होंने अपने सुपाडे को बाहर खींचा , और एक बार फिर उस कसे छल्ले से उनका मुट्ठी की साइज का सुपाडा आधा बाहर हुआ था की फिर दुहरी तेजी से ,

और अबकी उनका एक हाथ चूँची पे ,जोर जोर से वो उसे रगड़ मसल रहे थे , निचोड़ रहे थे , निपल पुल कर रहे थे

घिसटता ,रगड़ता , दरेरता ; कमल जीजू का मोटा सुपाड़ा एक बार फिर मेरी गांड के छल्ले के पार हो गया।




पांच छह बार इसी तरह गांड के कसे छल्ले के अंदर बाहर और अब मुझे दर्द का मजा मिलने लगा था ,एक नया मज़ा ,

और फिर अचानक कमल जीजू ने फिर से ,पूरी ताकत से अपना मोटा मूसल मेरी कसी कसी गांड में ठेलना शुरू कर दिया।

मैं एक बार फिर से चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,चूतड़ पटक रही थी ,पर

कमल जीजू कौन रुकने वाले थे ,

वो ठेलते रहे ,पेलते रहे ,धकेलते रहे।

मुझे पता नहीं कितना टाइम लगा लेकिन , जैसे जब लंड का सुपाड़ा बच्चेदानी पर लगता है बस वही फीलिंग हुयी ,

और रीनू की आवाज ने मेरा ध्यान रीनू और उनकी ओर खींचा ,

जीजा साली ने मिलकर व्हिस्की की बोतल आधी से ज्यादा ख़तम कर दी थी।

रीनू हंस रही थी हलके हलके ताली बजा रही थी , और मुझे देखते बोली ,

" क्यों साली ,छिनार ,घोंट गयी न अपने प्यारे कमल जीजू का पूरा लंड गांड में ,

कमल जीजू भी हलके हलके मुस्करा रहे थे ,उनका पूरा लंड मेरी गांड में ,


और पल दो पल ठहर के अब उनकी उंगलिया , अब उनके होंठ मैदान में आ गए।

कभी वो मेरे गाल चूमते तो कभी कचकचा के काट लेते,

और कभी झुक के उनके होंठ मेरे निपल चूसने लगते तो कभी चूंचोयो पर उनके दांत अपना निशान बना देते।

उनकी उँगलियों का जादू तो ,एक हाथ लगातार मेरे एक उभार को दबा रहा था मसल रहा था , कुचल रहा था


जैसे कोई जूसर में रस निकाले

और दूसरा हाथ सीधे मेरी बुर पे , रगड़ता मसलता और गचाक से मेरी बुर में उन्होंने दो ऊँगली पेल दी।

अंगूठा क्लीट पे कभी दबाता कभी रगड़ता मसलता ,


कुछ ही देर में मैं अपनी गांड में धंसी मोटे खूंटे का दर्द भूल गयी और मजे से ,

बाहर बारिश में जिस तरह पेड़ काँप रहे थे ,उससे भी तेजी से मेरी देह काँप रही थी ,

लग रहा था मैं अब गयी , तब गयी ,


और कमल जीजू ने एक बार फिर से मेरी गांड में अपने मोटे लंड से धक्के लगाने शुरू कर दिए।

और मैं झड़ने लगी।

लेकिन बिना रुके उनके धक्के ,

२० मिनट में मैं दो बार झड़ी ,और उसके साथ ही जीजू ने ,

अब वो मेरे उभारों होंठों योनि , सब को छोड़ ,


सिर्फ मेरी गांड मार रहे थे।

हर धक्के में सुपाड़ा गांड के छल्ले के बाहर जाता और फिर रगड़ता दरेरता ,




दर्द से मेरी हालत खराब थी ,

लेकिन अब इस दर्द में ही मजा मिलने लगा था ,एक एकदम अलग तरह का मजा ,

जो जिसने गांड मरवाई होगी/ मरवाया होगा , उसी को मालूम होगा।


और अब मैं भी अपनी गांड सिकोड़ के जीजू के लंड का मजा ले रही थी ,

कभी खुद अपने चूतड़ पीछे कर के धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।

दर्द से चीख भी रही थी तो मजे से सिसक भी रही थी।

और अबकी जो मैं झड़ी तो सिर्फ गांड मरवाने से और साथ में कमल जीजू भी मेरी गांड के अंदर






कटोरी भर तो मलाई छोड़ी ही होगी उन्होंने।

कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे , फिर वो झुक के मेरे कान में बोले ,

" सुन , सब गांड निचोड़ कर के अंदर रोक लेना ,एक बूँद भी बाहर मत आने देना ,गांड का मस्त टॉनिक है ये। "

और मैंने यही किया।

उनके सहारे से मैं सीधी हुयी और फिर उन्होंने और रीनू ने मुझे पकड़ कर वहीँ बैठा दिया जहां ये रीनू के साथ बैठे थे।

कमल जीजू ने रीनू के हाथ से व्हिस्की की बोतल लेकर सीधे बोतल से गटका और बोतल मेरी ओर बढ़ा दी और

मैंने भी सीधे बोतल से नीट।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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जोरू का गुलाम भाग ८२




दो चार घूँट में ही ताजगी आ गयी।


वो पूरी रात गांड मरौव्वल के नाम थी ,इनकी, मेरी

हम दोनों, मैं और कमल जीजू तो थोड़े थके बैठे थे ,सुस्ताते लेकिन एकदम संतुष्ट।

लेकिन मामला गे ज्यादा नहीं था बल्कि अक्सर बाई ( यानी लड़का लड़की दोनों ) ज्यादा था

पर बिचारे उनकी हालत खराब थी ,कमल जीजू से मेरी गांड मरवाई देखकर झंडा उनका एकदम खड़ा ,

और फिर बीच बीच में उनकी मस्त सेक्सी साली , कभी उनका बौराया लंड दबा देती ,मसल देती तो कभी हलके से मुठिया देती।




मेरी ओर आँख मार के मुझे चिढ़ाती वो बोली ,

" तेरे जीजू का लंड कसी कसी गांड मारे ,और मेरे जीजू का लंड प्यासा रहे , "

और नीचे बैठ कर उनकी साली ने गप्प से उनका लंड मुंह में ले लिया और लगी चूसने।

रीनू ,थी तो मेरी ही छिनार बहना लंड चूसने में एक नंबरी।




आज उनको पहली बार साली का असली मजा मिल रहा था।

कुछ देर तक तो उनकी साली अपनी लम्बी जीभ से उनके सुपाड़े को ,पी होल को छेड़ती रही ,

फिर गप्प से एक झटके में उन के लीची ऐसे सुपाड़े को उनकी साली ने घोंट लिया ,

क्या कोई नदीदी लड़की लॉलीपॉप चूसेगी चुभलायेगी ,





और वो भी मुझे चिढ़ा के ,दिखा दिखा के,

मैंने भी उसे दिखा के थम्स अप किया कमल जीजू के थोड़े सोये थोड़े जागे लौंडे को पकड़ के उसे दिखाया ,

" लगी रह ,लगी रह मेरे पास है मेरे जीजू का। "

कुछ ही देर में उनका पूरा लौंडा उनकी साली ने घोट लिया था ,


और क्या मस्त साली चूस रही थी।

उनकी हालत खराब थी।

लेकिन झड़ने में उनको भी बहुत टाइम लगता था।

इसी बीच अजय जीजू उठे ,... मेरी गांड मराई देख के उनके भी खूंटे की हालत खराब थी ,

उनका सर पकड़ के मुंह खुलवाते बोले ,

" मेरी बीबी के मुंह में तो तेरा लंड है ,चल तबतक तू मेरा चूस ,"

और जब तक वो कुछ सोचें मना करें , अजय जीजू ने उनका मुंह खुलवा कर जबरन अपना मोटा लंड अंदर ठेल दिया।

और कुछ देर में वो अजय जीजू का और रीनू उनका लंड चूस रही थी ,सटासट गपागप।





मैं और कमल जीजू देख कर मुस्करा रहे थे और व्हिस्की की बची हुयी बोतल ख़तम कर रहे थे।


वो भी न , ... अब लंड चूसने में एकदम एक्सपर्ट हो गए थे ,कैसे होंठों से मांसल सुपाड़े को दबाया जाय ,

कैसे हलके हलके नीचे से जीभ से लंड को चाटा जाय बढ़कर , बिना चोक हुए ,कैसे एकदम हलक तक ,... जीजू का लंड पूरे ८ इंच उन्होंने अंदर ले लिया था , और साथ में चूस भी पूरी ताकत से रहे थे ,


मम्मी और मंजू बाई की ट्रेनिंग ,

लेकिन प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट , ... और मेरे दोनों जीजू की कराई प्रैक्टिस ,

जित्ती मस्ती से वो अजय जीजू का लंड चूस रहे थे ,उत्ते ही जोश में अजय जीजू उनका मुंह चोद रहे थे।

मैं और कमल जीजू भी इन दोनों का खेल तमाशा देख रहे थे और व्हिस्की की बची बोतल ख़तम कर रहे थे।




मैं कमल जीजू की गोद में ही बैठी थी ,

मेरे चूतड़ उनके सोये जागे लंड को दबाते और कमल जीजू के हाथ मेरे जुबना का रस लेते।

इतराते जोर से अपने नितम्बों से उनके खूंटे को दबा के मैंने पूछ लिया ,जीजू आपने तो बहुतों की गांड मारी होगी सबसे ज्यादा मजा किसके साथ ,


कमल जीजू मेरी बात का असली मतलब बिना मेरे बोले समझ गए ,कचकचा के मेरे कोमल गाल काटते बोले ,

" कोमलिया , यार बुरा मत मानना , बट यू आर नंबर टू। "

" उन्हहु ,जीजू मैं तो बुरा मान गयी लेकिन कौन है नंबर वन। " इतराते उन्हें चूम के मैंने पूछ लिया।

जोर जोर से अजय जीजू का लंड चूस रहे ,उनकी ओर इशारा करके कमल जीजू बोले ,

" ये ,तेरा वो , बहुत दिन बाद एक असली चिकने का मजा मिला , जो मजा दर्जा ** के लौंडो की नेकर सरकाने में , उन्हें निहुरा के ठोंकने में आता था , एकदम वही मजा ,... "


सुबह होने वाली थी।

रीनू उनका और ये अजय जीजू का लंड चूसने में मगन थे ,

लेकिन सुबह सुबह जो होता है मेरे पेट में गुड़गुड़ चालू हो गयी।

रात में जो रीनू ने जबरन मुझे ठूंस ठूंस कर खिलाया था ,उसका असर या फिर अजय जीजू और कमल जीजू जो दोनों की कुदाल मेरे पिछवाड़े चली थी उसका पता नहीं ,

मैं सिंहासन से उठी कमल जीजू के तो रीनू ने टोंक दिया इशारे से ,... किधर ?

मैंने बोला बाथरूम तो फिर उसने आँख उठा के सवाल छोड़ा

और बचपन की तरह मैंने दो ऊँगली दिखा के इशारा किया , नंबर दो।

बस।


मैंने कहा था न वो पूरी रात गांड मरौव्वल की रात थी।

रीनू इन्हे छोड़ के मेरी ओर लपकी और मुझे वही सोफे पे पकड़ के निहुरा दिया और मेरी गांड चियार के मुझसे बोली ,





" अरी मेरी छुटकी बहिनिया ,अभी लगवाती हूँ न तेरी गांड में मोटी डॉट ,किधर जा रही है। "

और अगले ही पल अजय जीजू का बांस मेरी गांड में ,

रीनू छिनार ने कुछ अजय और कमल जीजू के कान में फुसफुसाया ,

हचक हचक कर ,हचक हचक कर अजय जीजू मेरी गांड मार रहे थे ,लेकिन जब तीन चौथाई करीब ६ इंच अंदर धंसा रहा होगा तो उनका लंड पकड़ कर

रीनू ने गोल गोल , गोल गोल २० बार क्लॉक वाइज और २० बार ऐंटी क्लॉक वाइज

गनीमत था की मेरी गांड में अभी भी कमल जीजू की कटोरी भर मलाई भरी थी और फिर सुबह का ,

रीनू जैसे कोई स्टाप वाच लेके देख रही थी ,

७ मिनट बाद बोली , टाइम ओवर , और फिर कमल जीजू मेरी गांड के अंदर ,

और अजय जीजू ने सीधे उनका मुंह जबरन खुलवा के सीधे लिथड़ा चुपड़ा लंड रीनू के जीजू के मुंह में।


रीनू टाइम कीपर के साथ साथ फोटोग्राफर का भी काम कर रही थी , उनका मेरी गांड से निकले लंड को चूसने चाटने वाली स्टील वीडियो सब कुछ




७ मिनट बाद कमल जीजू का भी टाइम ओवर ,

कमल जीजू का मेरी गांड से निकला लंड इनके मुंह में और

अजय जीजू का लंड इनके मुंह से मेरी गांड में


चार चार बार , बारी बारी से अजय और कमल जीजू ने मेरी गांड का मजा लिया


लेकिन जैसे मैंने कहा था न की वो रात गांड मरौव्वल की रात थी ,


मेरे दोनों जीजू झड़े इनकी ही गांड में।

और मैं भी झड़ने लगी ,

मैं कल की रात से आज की रात में वापस आ गयी थी।


इनकी जीभ मेरी गांड के अंदर घुसी धंसी ,पूरी तरह गोल गोल घूमती,

और इनके चूसने चाटने में एक्सपर्ट होंठ मेरी गांड के छेद से चिपके , वैक्यूम क्लीनर को भी मात करते

जोर जोर से चूसते ,

कल कमल जीजू के लंड ने मुझे सीखा दिया था की सिर्फ गांड मार के भी कोई झाड़ सकता है ,

और आज इनकी जीभ ने बता दिया की गांड चाट चाट के भी कोई झाड़ सकता है।




इनकी जीभ एकदम कमल जीजू के लंड की टक्कर में थी ,

मैं झड़ रही थी , बार बार

बाहर सावन की झड़ी लगी थी ,

और ये मेरी गांड लगातार

जब मैं एकदम लस्त पस्त हो गयी तब जाके उन्होंने छोड़ा और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में ,लेटे खुली खिड़की से बाहर से आती फुहारों का मजा लेते रहे।


मैं तो सावन की फुहार की तरह अच्छी तरह बरस चुकी थी लेकिन

बिचारे उनका खूंटा वैसे ही खड़ा तन्नाया , भूखा।

पहले मेरी उँगलियों को उस पे दया आयी

फिर मेरे होंठों को और




फिर मेरे गदराये उभारों को।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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थोड़ी देर मैंने अपने बावरे सैयां के मतवाले लंड को मुठियाया







फिर अपने होंठों में लेकर चूसा ,चुभलाया






और और फिर अपने गदराये कड़े कड़े ३४ सी के बीच लेकर जोर जोर से दबाया मसला।

मैं उन्हें उठने नहीं दे रही थी ,







बस अपनी दोनों मस्त चूँचियों के बीच उनके लंड को मैं रगड़ घिस्स कर रही थी , बीच बीच में अपने होंठों के बीच उसे दबा कर उसका भी स्वाद चख लेती थी।




थोड़ी देर में हम दोनों 69 की मुद्रा में थे ,








लेकिन इस बार भी मैं झड़ गयी और वो बिचारे,






चार बजे के बाद ही मैं सोई होंगी , मैं एक बार फिर झड़ी कर्टसी मेरी सैयां की जीभ ,






लेकिन वो , ...

हाँ उसे मुठियाते ,चूसते ,चाटते मैंने वायदा किया था डायरेक्ट उनके लंड से ,

जल्दी ही उसे उसकी माँ के भोंसडे का मजा चखाउंगी,

और उसके पहले उसकी बहन की कच्ची कोरी चूत का।


और जब मेरी आंख खुली सुबह तो ,

सुबह कब की निकल गयी थी , पूरे दस बज गए थे।

और मैं एकदम घबड़ा गयी उफ़ इत्ती देर हो गयी मेरी सासु और जेठानी कित्ते ताने मारेंगी।

एक बार बस सात बजे से थोड़ी ही देर हुयी थी और गलती मेरी नहीं सासु जी के लड़के की थी ,

सुबह सुबह उनका मूड बन गया था और चलते चलते एक राउंड ,

लेकिन हड़कायी गयी मैं

" अरे आज सुबह बहुत देर से हुयी " मेरी जिठानी ने तंज किया तो किसी ने बोला ,

" अरे अटारी से उतरने की इतनी जल्दी क्या था , क्या कहते हैं वो बेड टी ऊपर ही भिजवा देती। "

सुबह उतर कर चाय बनाना ,सास को जेठानी को चाय देना , फिर इनके लिए बेड टी ले जाना ऊपर रोज का रूटीन था।


तभी मुझे याद आया वो ज़माना अब गुजर चुका है , अब मेरा जमाना आ गया है ,क्योंकि


वो बेड टी की ट्रे ले के खड़े थे ,




हम दोनों ने साथ साथ बेड टी पी।

एक नयी सुबह हो चुकी थी हर मायने में।
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जोरू का गुलाम भाग ८३

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जोरू का गुलाम भाग ८३




एक नयी सुबह हो चुकी थी हर मायने में।
....

और उसके बाद मैं तैयार हो गयी नीचे जाने के लिए,

मैंने तो आप लोगों को बताया ही था पहले की ,

इसके पहले ससुराल में अपने कमरे से निकलते समय , साडी ब्लाउज के अलावा मैं कुछ सोच भी नहीं सकती थी। और वो भी ,





साडी पूरे सर को ढके, बाल की झलक भी नहीं दिखनी चाहिए।


कल मैंने पहली बार इन के मायके में शलवार कुर्ता पहना था , और वही मेरी जेठानी को शाक देने के लिए काफी था ,

और आज मैंने शाक का लेवल थोड़ा बढ़ाया ,

एक बहुत छोटी सी लाइट प्याजी रंग की चिकन की कुर्ती , जो मेरे कमर के बहुत पहले ही ख़तम हो जाती ,

झलकौवा और नाभि दर्शना

हाँ आज एक बहुत छोटी सी हाफ कप वाली बस मेरे उभारो को हलके से नीचे से उभारने वाली ब्रा ,अंडर वायर्ड मैंने पहन ली

लेकिन उस झलकौवा कुर्ती में वो साफ़ साफ़ दिखती थी।


पहले तो मैंने सोचा की इसके साथ इनका कोई ट्रॉउजर पहन लूँ , फिर मुझे लगा सेकेण्ड डे के लिए बहुत हो जाएगा , इसलिए एक टाइट सी पजामी और हाई हील।

खटखट करते हुए मै जब उतरी तो पहले तो जेठानी जी मेरे देर से नीचे आने के लिए ढेर सारे ताने कमेंट्स सोच के बैठी थीं , पर

मेरा रूप देख के उनकी बोलती बंद हो गयी।




एक बहुत छोटी सी चिकन की आलमोस्ट ट्रांसपैरेंट कुर्ती कमर पेट नाभि सब खुली और एक फ्लोरल पजामी।

" नाश्ते में , ... "




जेठानी जी ने कुछ बोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उनकी बोलती बंद कर दी , उन्हें अपनी बाँहों में भींच लिया और ,

" अरे दीदी आप का ये छह फिट का देवर किसलिए है , बोलिये न जो आप को पंसद हो , अरे सासु जी नहीं है तो चलिए हम दोनों थोड़ी मस्ती करते हैं न , बचपन के इनके ज़रा आप किस्से सुनाइये न , फिर कोई सीरयल। "

और उनसे मैं बोली ,

" जो तेरी पसंद ,लेकिन जल्दी बिचारी तुम्हारी भाभी कितनी भूखी हैं न। "

थोड़ी ही देर में वो नाश्ता लेकर हाजिर।

खाना हम तीनो ने मिल के बनाया।

और मैं और जेठानी जी मिल के उन की खिंचाई करते रहे।

खाने के बाद जेठानी जी सोने चली गयीं और कलावती आ गयी।


बताया तो था न उसके बारे में। मुझसे २-३ साल छोटी होगी , यही करीब १९-२० साल की।

शादी हो गयी है लेकिन मरद पंजाब कमाने गया है ,इसलिए ज्यादातर अपनी माँ के पास रहती है। माँ उसकी हम लोगों के यहां काम करती है ,कपड़ा बरतन झाड़ू पोंछा , लेकिन जब कलावती रहती है तो अक्सर वही आती है।



रिश्ते में हम लोग उसे अपनी ननद मानते थे , इसलिए मैं और जेठानी जी खुल के उससे मजाक करते थे , और वो भी सूद ब्याज समेत जवाब देती थी , गारी गाने में तो नम्बरी।





देखने में भी अच्छी थी , थोड़ी गोल मटोल ,लेकिन सही जगहों पर , उभार खूब गदराये , कड़े कड़े ,मस्त और पिछवाड़ा भी खूब भारी।

उसे हम लोग चिढ़ाते थे


"लगता है तुझे मायके के यार बहुत पसंद है इसलिए ससुराल छोड़ के मायके में रहती है। "

और वो भी कोई कम थोड़ी ,उलटे पलट के जवाब देती,

" अरे बात आपकी एकदम सही है, मेरे मायके के मरद हैं ही बहुत दमदार ,तभी तो आप दोनों अपना अपना शहर छोड़ चुदवाने मेरे मायके में आयी। "

और मैं इनका नाम लगा के उसे चिढ़ाती ,जेठानी जी के सामने ,

" दीदी लगता है आपके देवर को भी कलावती ने अच्छी तरह ट्रेन किया है "

मेरी जेठानी भी हाँ में हाँ मिलाती बोलतीं ,


" सही कह रही हो , अरे ये आती थी तो सबेरे सबेरे दरवाजा तो मेरे देवर ही खोलते थे लेकिन पता नहीं ,वो खोलते थे या ये खोलती थी। "

" या दोनों खोलते थे "



मैं भी जोड़ती ,और हम दोनों खिलखलाने लगते ,लेकिन कलावती वो कौन हार मानने वाली ,

मुझसे बोलती ,

" अरे छुटकी भौजी ( मुझे वो छुटकी भौजी ही कहती ) , गनीमत मनाओ अपनी छुटकी ननदिया को की तोहरे सैंया को ट्रेनिंग वेनिंग करा दी , वरना कहीं सुहागरात में बजाय अगवाड़े कही ,... पिछवाड़े पेल दिए होते न तो पता चलता। गांड में वो चिलख मचती बैठ नहीं पाती। "

एकदम खुल्लम खुल्ला मजाक होता था उसका ,


तो जेठानी जी तो सोने चली गयी थी और कलावती धोने के लिए कपडे इनसे मांग रही थी ,और ये बिचारे शरमाते लजाते ,

" दे दो न मांग रही है तो "मैंने चिढ़ाया , " आखिर बहन लगेगी तुम्हारी और तुम मांगोगे तो ये भी दे देगी ".




" एकदम , मैं तो बिना मांगे देने को तैयार हूँ छुटकी भौजी लेकिन तोहार झांट तो न सुलगी। "


वो क्यों चुप रहती।


लेकिन अब मैं भी

" अरे उस की चिंता मत करो ,उ सब साफ़ कर के चिक्कन मुक्कन ,न हो तो अपने भैया से पूछ लो , इस लिए सुलगने का सवाल नहीं है। "


मैंने बोला।

और इन को एक बहुत छोटा सा तौलिया दे दिया , उसे पहन के सब कपडे इन्होने उतार के कलावती के हाथ में दे दिए।


मुझे बदमाशी सूझी ,मैंने कलावती को इशारा किया और बोली ,

" हे इ तौलिया भी तो थोड़ी गन्दी हो गयी है न इसको भी धोने को ले लो। "

" एकदम छुटकी भौजी , सही कह रही हो "


और हँसते खिलखिलाते उसने तौलिया खींच ली।

अब वो एकदम ,.. खूंटा एकदम कलावती के सामने ,वो नदीदियो की तरह घूर घूर के देख रही थी ,खिलखिला रही थी।

उन्होंने हाथ से उसे छिपाने की कोशिश की लेकिन कित्ता छिपता , बड़ी मुश्किल से उन्होंने बाथरूम में शरण ली।

" अरे पहले नहीं देखा था क्या जो ऐसे देख रही थी " मैंने कलावती को चिढ़ाया।

" देखा था लेकिन तब इत्ता मोटा और लम्बा नहीं था। " वो साफ़ साफ़ बोली।

उनकी बहुत चिरौरी मिनती के बाद एक छोटा सा बॉक्सर शार्ट मैंने उन्हें दिया , बाथरूम में।

लेकिन जब वो पहन के निकले तो ,

फिर मैंने खींच दिया और शेर पिंजड़े से बाहर ,

" चल ठीक से देख ले और चाहे तो पकड़ के दबा के मसल के भी ,.. फिर मत कहना छुटकी भौजी ने ,... "

" एकदम छुटकी भौजी ,"

और उसने न सिर्फ पकड़ा , बल्कि रगड़ा और मसला भी।

किसी तरह वो कलावती से छुड़ा के ऊपर कमरे में भागे।

मैं और कलावती नीचे खिलखिलाते रहे.

शाम को डिनर में मैंने अपनी जेठानी का धरम भरष्ट करा दिया।


मैं भूली नहीं थी ,इनकी पहली बर्थडे मेरी शादी के बाद।

मुझे मालुम था की ये लोग 'शुद्ध हिन्दू भोजनालय टाइप' हैं ,इसलिए एगलेस पेस्ट्रीज लायी थी मैं बहुत बहुत ढूंढ के ,पर

सब बेकार ,

इन्ही जेठानी जी ने ,

बहुत धीमे से तीर चलाया ,

"तुम्हे तो मालुम ही है की ,यहां हम सब ,.. परफेक्ट वेजिटेरियन हैं , लहसुन प्याज भी नहीं और इसमें तो. "

" नहीं नहीं दीदी ,एकदम एगलेस है प्योर वेज ,देखिये पैकेट पर ग्रीन टिकुली भी लगी है।

लेकिन मेरी किस्मत ,मेरी ननद कम सौतन , वो भी पहुँच गयी और उसने अमोघ अस्त्र चला दिया ,

" अरे सब कहने को ,... बरतन तो वही होते है , हटाइये न ,भैय्या आप को ,"

और भैय्या ने हटा दिया और जेठानी जी ने सीधे डस्टबिन में ,...


बात मैंने ही शुरू की ,

" अरे आज तो अवार्ड नाइट है , दी आज पिज़ा चलेगा , मैं तो किचेन में जाउंगी नहीं न आपको जाने दूंगी , बिचारे आप के देवर ही किचेन में ड्यूटी देंगे। "

" और क्या अगर किचेन में ही सारी ड्यूटी दे दी तो रात में ड्यूटी कैसे देंगे। "


हँसते हुए मेरी जेठानी बोली , फिर वो सोच में पड़ गयीं लेकिन लाएगा कौन।



मैंने अपने मोबाइल की ओर इशारा किया और बोला



" ये, आप हुकुम करिये ,आपके देवर टेंट ढीली करें और पिज्जा हाजिर। "

वो फिर सोच में पड़ गयीं ,


" लेकिन वेज ,प्योर वेज "

" एकदम दीदी ,"


और फिर और दिखाओ ,और दिखाओ की तर्ज पर मैंने मोबाइल पर ढेर सारे वेज पिज्जा के नाम गिना दिए , फोटुएं दिखा दीं।

फ़ार्म हाउस , मारगिरीटा ,डीलक्स वेजी , वेज एक्स्ट्रा वेगांजा , सब के सब वेज।

वो भी अपनी भौजाई के साथ देख रहे थे , लेकिन ऊँगली से मैं उनके हाथ पर साथ साथ लिख रही थी ,

चिकेन ओनली।

उन्होंने मेरी ऊँगली दबा के हामी भर दी ,

और जेठानी जी बोलीं ठीक है जो तुम ठीक समझो।



मेरी दूसरी ऊँगली ने वेज के बगल का बटन दबाया और अपने उनको इशारा कर दिया




चिकेन डामिनेटर ,जिसमें ग्रिल्ल्ड चिकेन , डबल बाबरबेक चिकेन ,एक्जॉटिक चिकेन और इटालियन सलामी पड़ी थीं ,

मैं कनखियों से उन्हें देख रही थी ,उन्होंने चिकेन डामिनेटर का बटन दबा दिया।

और खुद मुझसे पूछा की एक कोई और आर्डर कर दें ,जब तक वो फिर वेज की ओर मुड़ते मैंने चीज और

पेपरोनी का बटन दबा दिया , जिसमे अमेरिकन पोर्क पड़ा रहता।
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जोरू का गुलाम भाग ८4

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जोरू का गुलाम भाग ८4



अब आखिर जेठानी जी हर तरह के स्वाद चख लें ,जब नया स्वाद आज उन्हें चखना ही था।

साइज ,जेठानी जी बोल पड़ीं।

" लार्ज और क्या , पूरे १२ इंच का ,.. ." मैं बोली और चिढ़ाते हुए पूछा क्यों १२ इंच से घबड़ा गयीं क्या।






" नहीं नहीं , हम दो है हर एक के हिस्से में ६ इंच ही तो आएगा "


हँसते हुए वो बोलीं , डबल मीनिंग डायलॉग में तो उन्हें शुरू से ही मजा आता था।



" नहीं दी ,मुझे तो ७ इंच की अब आदत हो गयी है , उसके बिना तो मजा भी नहीं आता ,क्यों "


उनके कंधे पे हाथ रख के मैंने उनकी आँख में आँख डाल के देखा और मुस्करा दी.

बिचारे शरमागए। समझ तो हम तीनों रहे थे की किस सात इंच की बात हो रही है।

बात बदलने में उनसे ज्यादा कोई एक्सपर्ट नहीं था ,






बोले बिरयानी चलेगी साथ साथ।

जेठानी जी ना करें उसके पहले मैंने फैसला सूना दिया

"चलेगी नहीं दौड़ेगी "


और मोबाइल पर बिरयानी वेज भी जेठानी जी को वेज पिज्जा की तरह दिखा दी और खुद ही हैदराबादी मटन बिरयानी ऑर्डर कर दी।

और जब डिलीवरी ब्वाय आया तो इनके साथ मैं भी ,

और इनके हाथ से पिज्जा और बिरयानी लेकर सीधे किचन में।

अरे गरम तो हैं , वो बोले।

अब इन्हे कौन समझाए ,इनको तो सिर्फ एक बात समझ में आती थी ,


वो मैंने ,

पहले तो तरह तरह के चिकन वाला पिज्जा माइक्रोवेव में रखा।

इस किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं आता , शादी के बाद पहले दिन ही , और कित्ती बार वही बात ,

एक कढ़ाई चढ़ाते हुए और उसमे थोड़ा घी डाल के वो मटन बिरयानी डालते हुए मैंने सोचा ,

और आज उसी किचेन में ,चिकन मटन पोर्क सब कुछ ,और अभी तो ये शुरुआत है ,

मेरी सासु जी आएँगी न मेरे घर इनके हाथ से उन्हें चिकन दो प्याजा न खिलाया तो ,...


वो मेरी हरकते देख रहे थे।

" यू आर सच अ गुड ब्वाय कुछ इनाम तो मिलना चाहिए "
,
और उनका बॉक्सर शार्ट नीचे खींचकर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में ,





शादी के शुरु के दिनों में रात भर एकदम लिपटे चिपटे रहते थे

लेकिन दिन में अपनी मायकेवालियों के सामने ,

न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने

और किचेन में तो बिना नहाये घुसने की मनाही ,एक बार मैं चाय बनाने वाली थी की सासु जी ने टोक दिया
बहु रात भर क्या क्या और वैसे ही किचेन में


यहाँ आज एक कड़ाही में मटन बिरयानी गरम हो रही थी

ओवन में चिकन पिज्जा और उस के बाद सलामी का नंबर

और मैं उसी किचेन में सपड़ सपड़ उन का लंड चूस रही थी।



मेरा पति सिर्फ मेरा है ,मेरी मर्जी मैं उसके साथ क्या क्या करूँ।



जेठानी को देखना है तो देखें।

और जब तक मैं दूसरा सलामी वाला पिजा ओवन में गर्म करती ,वो टेबल लगा रहे थे।


और अवार्ड प्रोग्राम देखते , जेठानी जी ने चिकन ,पोर्क ,मटन सब प्रेम से खा लिया।

" पिज्जा अच्छा है न ,सलामी वाला पिजा जेठानी जी को देते मैं बोली।




"एकदम ऐसा मैंने पहले कभी नहीं खाया " ख़तम करते मेरी जेठानी बोली।

"आपने आपने देवर को पहले कभी नहीं बोला होगा न ," और मैंने उन्हें हुकुम सुनाया

"जबतक हमलोग हैं यहां रोज शाम को इसी तरह का पिज्जा "

" अपनी जेठानी के लिए किचेन में से ही पिज्जा के एक पीस पर मैं एक्स्ट्रा चिकेन टॉपिंग डाल के लायी थी और उस को ,अपने ही हाथ से उन्हें गड़प करवा दिया।

सलामी वाली मेरे इशारे पर उनके देवर ने अपने हाथ से ,उनके मुंह में ,

एक पल के लिए उनकी ओर मुंह बनाते बोलीं वो ,

" हे कैसा कैसा लग रहा है ,... क्या है ये। "

मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने मोर्चा सम्हाल लिया ,

" अरे भाभी ये इम्पोर्टेड मशरूम है इसलिए थोड़ा अलग स्वाद ,... "

" और क्या दो चार दिन खाइयेगा ,बस स्वाद लग जाएगा। " मैं भी अपने सैयां के साथ आ गयी।

तभी मैंने देखा की अपनी भौजाई की ओर देखते उनका तम्बू तन रहा था।

दो बातें मेरे समझ में आ गयी , ये साल्ला , इसे अपने घर सारी लौंडिया ,औरतें पसंद है और दूसरी

इनकी भौजाई के धरम भरष्ट या स्वाद बदलवाने वाले खेल में इसे भी मजा आ रहा है।


और अपनी एक गलती भी मेरी समझ में आगयी ,

जब किचन में मैं इनका लिंग चूषण कर रही थी , हाथ से झाड़ कर इनकी सारी मलाई अपनी जेठानी के पिजा पर।

स्पेशल क्रीम टॉपिंग।

आधे से ज्यादा चिकेन और सलामी जेठानी जी ने गड़प कर ली और


मटन बिरयानी भी।




चुन चुन के उन की प्लेट में मैंने मटन पीसेज रखी थी ,





'इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली जेठानी जी ने सब साफ़ कर दिया ,

पहले तो कभी चखा नहीं था उन्होंने जो पकड़ पाती , हाँ उन पीसेज को इम्पोर्टेड रसियन पनीर बोलनापड़ा।

खाने के बाद मैंने जेठानी जी को आँख मार के पूछा स्वीट डिश चलेगी।

समझते हुए भी अनजान बन कर बोलीं ,

" कौन सी स्वीट डिश ?"

"अरे दीदी ,आपका इत्ता स्वीट स्वीट देवर सामने बैठा है ,चलेगा। "

तबतक इनका खूंटा पूरा तन गया था , और बेशर्मी से उनके तने खूंटे को ,





शार्ट के ऊपर से पकड़ कर दबाते मसलते ,मैंने उनकी भौजाई को दिखाया ,

" मस्त चाको बार , चलेगा "





" क्या गलत सलत बोलती हो ,चॉकलेट के रंग का तो नहीं है। "

जेठानी जी मूड में आ गयी थी.

" अच्छा आपने तो देखा होगा ही , होली दिवाली में ,चलिए चाको बार न सही कोरेनेटो सही ,अब आपने ऊपर वाले मुंह से आज नया नया स्वाद ले लिया है ,

तो नीचे वाले मुंह का भी स्वाद बदल ही लीजिये आज। "


मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।

मना नहीं किया उन्होंने ,लेकिन बुरा सा मुंह बना के बोलीं ,

" यार ,मेरा पेट गड़गबड़ चल रहा है ,वरना ,... "

मतलब ,बिना समझे वो बोल उठे लेकिन उनकी भौजाई ने उन्हें खुल के समझा दिया।

" तू भी न बुद्धू , अरे मेरी पांच दिन वाली छुट्टी चल रही है। कल से शुरू हुयी है। " उन्होंने अपनी परेशानी बताई।



" अरे दी , तो इसमें क्या परेशानी की बात है , अब चार दिन ,बल्कि तीन दिन ही तो बचे हैं , और हम लोग कल कौन वापस जाने वाले हैं ,पूरे हफ्ते भर के लिए आये हैं। " मैंने अपनी जेठानी का मन हल्का कर दिया।


और इन्हे इशारा किया ,

" अरे चल नीचे वाले होंठ आउट आफ ऑर्डर हैं तो ऊपर वाले ही सही , गुड्डी की चुम्मी तभी मिलेगी जब मेरी जेठानी जी को खुश करेगी। "

और जब तक मेरी जेठानी समझे सम्हले , इनके होंठ अपनी भौजाई के होंठों पे , और भौजाई की दोनों कलाई मेरे कब्जे में।

सँड़सी ऐसी मेरी पकड़ ,

और मैंने अपनी जेठानी का आँचल नीचे कर दिया , गोल गोल गदराये और उन के हाथ सीधे वहीँ।




मैंने आँख तरेर कर देखा तो अगले पल उनका हाथ ब्लाउज के अंदर ,

बिचारी जेठानी कसर मसर कर रही थीं , छूटने की कोशिश कर रही थीं ,इन्हे बुरा भला कर रही थीं ,


पर हम तीनों जानते थे असल में उनका मन क्या कर रहा है।

और मैंने भला हो मोबाइल फोन वालों का ,

दसियों फोटों , एक डेढ़ मिनट का वीडियो

चलते समय मैंने जेठानी जी को वो फोटुए दिखा भी दी उनका देवर से जोबन मर्दन करवाते ,चुसवाते चुमवाते।





" सासु जी का व्हाट्सऐप नंबर है क्या आपके पास , " मैंने जेठानी जी से भोलेपन से पूछा।

और बुद्धू वो बोले ,मेरे पास है।

' क्यों क्या करना है " जेठानी जी ने पूछा।

" बस ये सोच रही थी की , ... अपनी सासु जी को उनकी बड़ी बहू और छोटे बेटे की ये अच्छी अच्छी फोटुएं भेज दूँ। "

दूर से मोबाइल नचाते ,उन लोगों की हॉट हॉट फोटुएं दिखाते मैं हँसते हुए बोली।




" अरे डीलिट कर अभी , " बेचारी जेठानी जी बोलीं ,

उनकी बात मान कर मैंने अपनी सासु जी जो तो नहीं भेजी लेकिन इनके सासु जी को तुरंत भेज दी। "

और इनकी सासु जी का कमेंट भी आ गया ,

" लगे रहो मुन्ना भाई , मस्त है लेकिन अपनी उस छुटकी बहिनिया के साथ ऐसी फोटुएं कब भेजोगे। लेकिन पूरा उघार कर दबाना उसकी। तेरे माल के कच्चे टिकोरे देखने के लिए मैं तरस रही हूँ। "

और उनकी सास से ज्यादा तगड़ा उनका कमेंट था ,

" जल्दी ,मॉम बहुत जल्दी। "


हाँ एक बात बताना तो मैं भूल गयी ,


गुड्डी वही उनकी कटीली बहिनिया ,एलवल वाली ,

आज नहीं आयी।

बल्कि में और जेठानी जी ने उसे आने नहीं दिया।





" बहुत चींटे काट रहे होंगे उसको , तड़पने दे थोड़ा ,... " ये जेठानी जी की आइडिया थी।

और सच में , पूरे ग्यारह बार फोन आये उस बिचारि के

और हम लोगों ने २८ बहाने बनाये , ... सारे सफ़ेद झूठ ,

उसके भैय्या का पेट खराब है ,


.... सर दर्द कर रहा है।

.... आफिस का काम है।

…. सो रहे हैं .

आखिरी फोन आधे घंटे पहले आया था ,जब जेठानी जी चिकेन पिज्जा गड़प कर रही थीं।

और मैंने बोल दिया ,कल आ जाय दस ,साढ़े दस के बीच ,खाना हमारे साथ।

एकदम भाभी नेकी और पूछ पूछ , चिड़िया चहक के बोली।


अब उसे ये तो कल ही पता चलना था की उसे क्या खिलाने वाली हूँ मैं।
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