जोरू का गुलाम या जे के जी

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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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बेचारी अब उनसे नहीं रहा जा रहा था ,मुझसे बिनती की उन्होंने ,

" हे दे दो न , दिलवा दो न ,.. "

मैं क्यों सुनती मैं तो चूसने में लगी थी।

और फिर उन्होंने वो कहा भी नहीं , और अब उनके बोल फूटे , ..." हे दिलवा दो न लंड ,.. "

मैं लंड चूसती रही जिसे देख के बेचारी की हालत ख़राब थी।

" दिलवा दो न लंड " दुबारा बोलीं वो।

" दीदी आप कुछ बोल रही थीं "


अब सुपाड़ा में बाहर निकाल के जेठानी की आँख में आँख डाल के देखते पूछा , और बोली मैंने सूना नहीं एक बार फिर बोलिये न ,

हाँ खूंटा अभी भी कोमल के कोमल हाथ में ही था , खड़े कंचे के बराबर निप्स को छूते ,रगड़ते।

" हे दिलवा दे न लंड , बस थोड़ी देर के लिए ,एक बार के लिए "



" अरे दीदी एक बार के लिए क्यों बार बार , अरे मैंने तो आप से कितनी बार कहा मैं तो मिल बाँट के खाने में यकीन रखती हूँ , चाहे इनकी बहन हो या ,...

अरे घिसेगा तो थोड़ी , फिर हाथी घूमे गाँव गाँव ,जिसका हाथी उसका नाम। चाहे ये बहनचोद बने मादरचोद बने , फिर किसी को चोदना क्या ये चूँची भी नहीं पकड़ सकते मेरे पीठ पीछे,बिना मुझे बताये , ... लीजिये न और फिर आप की तो बात अलग है , आप इनकी एकलौती भाभी है ,आइये न मिल के मजे लेते हैं। "


और मैंने जेठानी जी का हाथ खोल दिया।
जैसे कोई कितने दिनों का भूखा प्यासा हो ,बस वैसे ही वो नदीदी लपकी , पर मैंने उन्हें रोक दिया।



" अरे दीदी , आपके देवर का ही है , जब मैं इनकी बहनों को नहीं रोकती तो आप का तो हक बनता है। आराम से मजे ले ले के ,मिल बाँट के खाते हैं न ,फिर आज तो आपकी छुट्टी ख़तम हुयी है ,आज आपको ये पूरा का पूरा , बस मुंह खोल के मांगिये ,देवर से लंड , और दिल खोल के घोंटिये।

और मैंने उन्हें फ्रूट क्रीम की ओर इशारा किया।

मुस्कराते हुए उन्होंने फ्रूट क्रीम उठायी और अपने देवर के मस्ताए खूंटे में लपेटा , खूब प्यार से।

मैंने मुस्कराकर छत की ओर देखा कैमरे आन थे।

मैं सिर्फ इस लिए अपनी जेठानी को ६ घण्टे के लिए बाहर नहीं ले गयी थी की उनके देवर अपनी 'धार्मिक संस्कारी भाभी ' के लिए ,'जिस किचेन में कभी लहसुन प्याज नहीं आता ' उसी किचेन में अंडा मछली मटन चिकेन पोर्क और भी बहुत कुछ , अपनी संस्कारी भाभी के लिए बनाएं ,

बल्कि इस लिए भी की साथ साथ , अब झूठे ही कंपनी के सिक्योर्टी के इंचार्ज थोड़े ही बनाये गए थे ,

जगह जगह , बेड रूम से लेकर टॉयलेट तक हर जगह कैमरे फिट कर दें ,बेड रूम में तो एक दर्जन से ऊपर ,हाई रिजोल्यूशन , ३६० डिग्री ,बहुत कम रौशनी में चलने वाले ,रिमोट आपरेटेड और वॉयस रिकॉर्डर्स।

जैसे कुछ देर पहले मैं अपने प्रीतम के खूंटे पे क्रीम मल रही थी और बिचारी जेठानी देख देख ललचा रही थीं




,अब मौका मिला तो वो खुद ,




और उसके बाद गड़प ,... क्या मस्त चूस रही थीं वो।

लपड़ लपड़ सपड़ सपड़ ,

और जिस आराम से उन्होंने पहले पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा , फिर आधे से ज्यादा लंड ,६ इंच से ऊपर गड़प कर लिया ,

मैंने साफ़ अंदाजा कर लिया ,

जेठानी में पक्की छिनार ,मायके की खेली खायी है।

दो चार मिनट तक तो मैं देखती रही ,फिर मुझसे नहीं रहा गया ,




" दीदी चलिए न मिल के , ... " और एक बार फिर ढेर सारी व्हिप्पड क्रीम ,

एक साइड से वो चाट रही थीं ,दूसरी साइड से मैं।

सुपाड़ा मैं ने घोंटा तो बॉल्स वो चूसने लगी।




आज तो उनके मूसल चंद की चांदी हो रही थी , धीरे धीरे मैं उसे उकसा रही थी ,बुदबुदा रही थी ,

" बस आज इस छिनार का मजा ले ले ,फिर तो तेरी सारी मायकेवालियाँ ,बिन झांटों की चूत से लेकर भोंसडे वाली तक ,कल तो तेरी बहना को ले के चल ही रही हूँ तेरे लिए , रगड़ रगड के मजे लेना उस इंटरवाली टीनेजर के ,

लेकिन असली मजा , बस १० -१२ दिन और , मम्मी दिलवाएंगी तुझे पक्का , जिस भोंसडे से निकला है न तू बस उसी को हचक हचक के ,एकदम खुल के मेरी सास का भोंसड़ा ,.... "

और जैसे ये सुन सुन के मूसलचंद और पागल हो रहे थे।

उधर उनकी भौजी भी ललचा रही थीं सुपाड़ा मुंह में लेने के लिए , मैंने खुद अपने हाथ से उन के होंठों के बीच

इनकी भौजाई और इनमे एक बात कॉमन थी , जब चुदाई की मस्ती चढ़ती थी तो बस आँखे एक दम बंद ,


भौजी क्या कोई रंडी चूसेगी , ...जिस तरह से अपनी ऊँगली से बेस को हलके से पकडे सिर्फ होंठों से रगड़ रगड के ,

और अब मेरा मोबाइल मैदान में था , लेटेस्ट आईफोन होने का फायदा क्या , ...

वीडियों, स्टिल ,और फिर व्हाट्सअप भेजने में भी तो आसानी होती है न ,





जेठानी का चेहरा एकदम साफ़ और इनके बस मूसलचंद ,


पहला व्हाट्सएप मम्मी को नहीं , मेरी पार्टनर इन क्राइम ,दिया को। फिर मम्मी। फिर ,... फिर ,...

दिया का जवाब भी आगया ,

थम्स अप ,हग्स किसेज ,चियर्स और फिर कमेंट , ... भाभी ये तो पक्की , इसके मुंह में तो एक साथ दो दो ,और वैसे भी आपके सैयां और मेरे भइया का नार्मल से दूना साईज तो है ही मोटाई में भी लम्बाई में भी।

मैंने और फोटुए उसे व्हाट्सएप कर दी ,लेकिन मूसलचंद मजा ले रहे थे ,मेरी जेठानी मजा ले रही थीं तो मैं क्यों ,


मैंने जेठानी के शहद के छत्ते की ओर रुख किया।


मस्त थी जेठानी की बुर।

वो मेरे मरद का लंड चाट रही थी और मैं उसकी बुर।

जैसे वो पक्के चूत चटोरे थे ,मैं भी। बॉर्डिंग में एक दम सीधी साधी लड़कियों की भी नयी नयी बछेड़ियों को भी ,...चार मिनट का मेरा रिकार्ड था झाड़ने का।


और अबकी जैसे मेरे सैयां का लंड उनकी भौजी के मुंह में घुसा था ,वैसे मेरी जीभ उनकी बुर में घुस गयी।



वो दोनों ओर से चुद रही थीं।

अभी तो शुरुआत थी।

मेरी ऊँगली अब उनकी क्लिट पे सहलाती , छुती ,फिर मैंने रगड़ दिया ,कस के।

बस जेठानी की हालत खराब लगी चत्तड़ पटकने , और मैंने जीभ से चोदना और तेज कर दिया।

साथ में मेरे होंठ उनकी बुर की पुत्तियाँ कस कस के चूस रही थीं , नतीजा वही हुआ जो होना था ,
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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बस दो मिनट में मेरी जेठानी झड़ने के करीब ,

पर मुझे उन्हें झाड़ना थोड़ी था तड़पाना था।

इसलिए मैं रुक गयी , जीभ बुर के बाहर और ज़रा मैं अपने मूसलचंद का नजारा देखने में लग गयी ,

मैं इतना खुश हो गयी बता नहीं सकती ,कितने दिनों से बस यही नजारा देखने के लिए मैं तड़प रही थी।

अब जेठानी नहीं चूस रही थीं , वो चोद रहे थे , और वो भी हलके से प्यार से नहीं ,




हचक हचक के , बर्बरता पूर्वक ,जैसे मूसलचंद एकदम गुस्से में हों ,

जेठानी लेटी थीं पीठ के बल ,गों गों कर रही थीं , उनकी आँखे उबली पड़ रही थी , गाल दोनो फूले हुए फटे पड़ रहे थे ,




मुंह से लार की एक लकीर बह रही थी ,

और मेरे साजन का मोटा लंड ऑलमोस्ट जड़ तक ,

हर धक्के में आलमोस्ट सुपाड़े तक निकाल के ऐसे पेलते जैसे किसी चार बच्चे की माँ के भोंसडे में पेल रहे हों। जेठानी के हलक में सीधे जाके सुपाड़ा ठोकर मार रहा था , और उसके बाद गले तक ठेल कर ,दबा कर जेठानी का मुंह वो गैग कर दे रहे थे ,


चार स्टील सीधे दिया के पास व्हाट्सएप मेरे आई फोन से ,

और फिर उनका एक हाथ मेरी जेठानी के गले पर , जैसे कह रहे हों स्साली एक मिनट भी चूसना रुका न तो बस टेंटुआ दबा दूंगा।





जबरदस्त ब्रूटल डीप थ्रोट ,एक हाथ गले पर और दूसरा अपनी भाभी की बड़ी बड़ी चूँची पे ,

अपने चूतड़ के जोर से मेरा साजन मेरी जेठानी का मुंह जबरदस्त चोद रहा था।

खुश होके मैंने एक बार फिर जेठानी के शहद के छत्ते की ओर रुख किया , वहां भी एक तार की चासनी बह रही थी।




अबकी फचाक से दो ऊँगली एक साथ मैंने उनके बुर में पेल दी ,सीधे जड़ तक।




बहुत टाइट बुर थी मेरी जेठानी की। और जब उनके देवर का लंड घुसेगा उसमे तो आज उनके बुर को भी वो भोसड़ा बना के ही दम लेने वाला था।

और होंठ जीभ सब सीधे सिर्फ क्लीट पे ,

और अबकी तो चार मिनट के अंदर ही उनकी देह कांपनी शुरू हो गयी थी।

और मैंने उन्हें फिर छोड़ दिया।

उनकी मुख चुदाई जम कर उसी तरह चालू थी ,फर्क इतना था सिर्फ , अब बजाय लेटने के जेठानी बैठी थी और चुद रही थीं , फचाक फचाक। दोनों हाथों से इन्होने अपनी भौजाई का सर पकड़ रखा था , और





मूसल चंद ठोकर पर ठोकर मार रहे थे ,गुस्से में ,सीधे गले तक रगड़ रगड़ कर ,

गलती मूसलचंद की भी नहीं थी , कौन नहीं गुस्सा होता।


उसकी सोनचिरैया पर बचपन के माल पर जिसे वो इतने दिनों से पटाने की ,फंसाने की कोशिश कर रहे थी और जब उसकी झिल्ली फाड़ने का मौका आया तो यही जेठानी , सब कुछ भरभंग करने में जुटी थीं , पूरी प्लानिंग बना के।

कुछ देर तक मैं भी देखती रही , पर मैं अपने काम में लग गयी , बुर चूसने के।

और अबकी जब वो झड़ने के कगार पर पहुंची तो मैंने कनखियों से देखा , उन्होंने अपनी भौजाई के मुंह से लंड निकाल लिया है।

मूसलचंद क़ुतुब मीनार की तरह खड़े हैं , तन्नाए।

झड़ने तो मैंने उनकी अभी भी नहीं दिया , मैं रुक गयी और जोर से अपने नाखूनों से क्लिट को नोच लिया।

दर्द से जेठानी बिलबिला उठीं।


गुस्सा मुझे कौन सा कम था , मेरे साथ जो किया ,किया , इत्ते मुश्किल से अपने सैंया के लिए उनकी बहन को पटाया था और उसी में वो ,...

दर्द कम होने से पहले मैंने फिर चूसना शुरू कर दिया और अबकी दो मिनट में ही ,... मैं फिर रुक गयी।

तीन बार चार बार , बुर लथपथ हो रही थी।

" हे झाड़ दे न ,एक बार झाड़ दे काहें तड़पा रही ही। " जिठानी बिनती कर रही थीं।

लेकिन जैसे मैंने सुना नहीं ,और एक बार फिर ,...

छह बार , सात बार झड़ने के कगार पे ले जाके ,

अब वो कुछ भी करने को तैयार थीं




" अरे प्लीज एक बार झाड़ दो न , उफ़ उफ्फ्फ्फ़ , क्या करती हो ,झाड़ दो न प्लीज , ओह्ह ओह्ह हाँ , ... "

" अरे इतना मस्त खड़ा है , तैयार उनसे बोलिये न अपने देवर से। जो मजा लंड से चुदवा के झड़ने से आएगा वो ,.. "

और मैं अपनी जेठानी की ओर देखा ,वो याचना की दृष्टि से अपने देवर की ओर देख रही थीं।


पर उन्होंने ना ना में सर हिला दिया।

रास्ता मैंने निकाला ,आखिर कुछ भी हो मेरी जेठानी थीं ,

" अरे दीदी ऐसे नहीं ,खुल के बोलिए अपना लंड मुझे दो न ,चोदो मुझे और हो सकता है थके हों ,दिन भर तो खाना बनाया उन्होंने ,तो आप ही न उनके ऊपर चढ़ के चोद दीजिये। आखिर आप के छोटे देवर है आप का हक है ,और फिर लंड भी कितना मस्त खड़ा है। "

अबकी उन्होंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया और ऊँगली से पांच का इशारा किया ,और मैंने मतलब समझाया

"मतलब पांच बार जोर जोर से मांगिये उनसे और चढ़ के चोद दीजिये। माना बित्ते भर का है लेकिन आप धीमे धीमे पूरा घोंट लीजियेगा।

जेठानी ने पांच बार जोर जोर से बोला भी और चढ़ भी गयीं




" हे अपना लंड दे न , चोदो न मुझे ,चोदो ,पेल दो मेरी बुर में अपना लंड "

जोर से वो प्रेस कर रही थीं ,करीब आधा तो घोंट गयी ,फिर धीरे धीरे ,





अब रिमोट का कंट्रोल मेरे हाथ में था। कैमरे सिर्फ वही ऑन थे , जो जेठानी के फेस को उनकी बाड़ी को कैप्चर कर रहे थे ,और उनके देवर के सीने तक , क्लोज अप में ,जेठानी की चूँचियाँ ,उनका फेस , फिर बुर में घुसता लंड और साथ में जेठानी जी की आवाज

"चोदो न मुझे , पेल दो अपना लंड ,.. "

लाइटें भी अब ऑन कर दी मैंने , सिर्फ जेठानी को कवर करते हुए ,

एकदम सिनेमैटिक फोटोग्राफी ,... फोकस्ड।

अब कोई न कह सकता था की ये मॉर्फ है , क्लोज अप ,उनकी आवाज

और जबरदस्ती भी नहीं

वो खुद बोल रही थीं और अपने आप लंड पे चढ़ी।





थोड़ा सा मैंने कमर पकड़ के जेठानी जी और नीचे पुश किया , बस अब दो ढाई इंच बचा था।




तब तक फोन घनघनाया। गुड्डी का था ,
मैंने टेक्स्ट किया , पांच मिनट बाद , तुझे तेरी बड़ी भाभी की आवाज सुनवाउंगी।



जेठानी जी के पीछे खड़ी , मैं कैमरे और लाइट से दूर अपनी तैयारी कर रही थी।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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जोरू का गुलाम भाग १२१



मैं अपनी तैयारी कर रही थी ,तभी फोन घनघनाया।

गुड्डी।

मैंने घडी देखी ,सवा ग्यारह , यही टाइम तो दिया था मैंने गुड्डी को , पर हमीं लोग थोड़े लेट होगये ,मैंने फोन काट दिया और उसे टेक्स्ट किया ,

" सात मिनट बस , और तुझे तेरी बड़ी भाभी की आवाज भी सुनवाउंगी ,बात भी करवाउंगी। "

हाँ एक बात और मेरे पति ने एक और काम कर दिया , अपनी भाभी के दोनों हाथ हेडबोर्ड में कस के बाँध दिए।




उनका मूसलचंद , मेरी जेठानी के अंदर जड़ तक धंसा , जेठानी उन के ऊपर क्लासिकल वोमेन ऑन टॉप वाली पोजीशन में ,

यही नहीं मेरे पति के पैर और हाथ दोनों जेठानी के पीठ पर , दोनों पैरों से कैंची की तरह उन्होंने जेठानी की कटीली कमर दबोच रखी थी और दोनों हाथ से भी पीठ को कस के बाँध रखा था।

सूत भर भी नहीं हिल सकती थी वो , हाँ चीखने चिल्लाने पर कोई रोक नहीं थी ,देख भी सकती थीं। न ब्लाइंड फोल्ड था न मुंह बंद था।

और मैंने देख रही थी अपनी जेठानी के नितम्बों को ,

क्या मस्त गोल गोल कड़े कड़े मांसल ,

ऊपर वाले उभार जेठानी के ३६ डी डी थे तो चूतड़ उनके ३ ८ से कम तो कतई नहीं थे। एकदम बबल बॉटम।

और जिस हालत में मेरे साजन का लंड घोंट कर वह लेटी थी , एकदम से उभर कर उनके चूतड़ सामने आ रहे थे।




और दोनों गोलाइयों के बीच छिपा हुआ छेद , गुदा द्वार ,

छेद क्या बस पतली सी दरार,एकदम पतली।


इसका मतलब जो बात जेठानी जी ने कबूली थी की पिछवाड़े से वो एकदम कोरी हैं ,वो बात एकदम सही थी।

बहुत दर्द होने वाला था उन्हें आज ,

बहुत मजा आनेवाला था मुझे आज।

मैंने अपना स्ट्रैप ऑन एक बार फिर से ठीक किया ,कमर में टाइट बंधा।

और ८ इंच का डिलडो , सवा दो इंच मोटा।



लम्बाई का अंदाजा आप इस से लगा सकते हैं की औसत मर्द का ५. ४ इंच खड़ा होने पर होता है ( और जिस तरह जेठ जी के बारे में जेठानी जी ने बताया था मैं पक्का श्योर थी चार साढ़े चार इंच मुश्किल से होगा ) . और डिलडो आठ इंच का ,आलमोस्ट मेरे बालम के मूसलचंद के साइज का ,

लेकिन असली फटने वाली थी उनकी मोटाई से।




सवा दो इंच , आप यह समझ लीजिये की कोक का कैन २. ४ इंच मोटा होता है ,और ये आलमोस्ट उतना, थोड़ा पतला। \\\






किसी की अनचुदी कोरी ,कसी गांड में पहली बार कोक के कैन साइज ( आलमोस्ट ) घुसेड़ा जाय ,

क्या हालत होगी ,कैसे दर्द से बिलखेगी ,



बीज कलर का , एकदम दूसरे वर और मेरे साजन के मूसलचंद की तरह ,





हाँ कंडोम वाले जैसे विज्ञापन में बताते है न जैसे बस वैसे ही ,

रिब्ड ,ज्यादा मजे के लिए।

ज्यादा मजे के साथ ज्यादा दर्द भी होना था जब ये रिब्ड आलमोस्ट कोक कैन की साइज वाल मेरी संस्कारी जेठानी के गांड के छल्ले से रगड़ते दरेरते पार होता।







लेकिन मैं इस समय डिल्डो के बारे में नहीं सोच रही थी , बस निहुरी हुयी जेठानी के गांड का छेद देख रही थी।

छेद कहाँ बस पतली सी दरार और वो भी दो बड़े बड़े गुदाज चूतड़ों के बीच दबी छुपी ,उसे आने वाले खतरे का कोई अहसास नहीं था।


मैंने तर्जनी से एक बार उनकी गांड की दरार सहलाई।

जेठानी सिहर उठीं।

अगली बार थोड़ा थूक , ऊँगली के पोर पर लगा के ,सहलाते सहलाते मैंने ऊँगली का सिरा अंदर ठेल दिया।

बड़ी मुश्किल से ऊँगली का पोर ज़रा सा घुसा , मैं गोल गोल घुमाती रही ,जबतक दो पोर अंदर तक नहीं घुस गया।

फिर ऊँगली को मोड़ कर गांड की अंदरूनी दीवारों पर ,रगड़ते ,करोचते ,




और अगली बार दो उँगलियाँ , थूक में लिसड़ी डूबी , और पूरी ताकत से ,

हचाक ,

अबकी दोनों का एक पोर घुस गया था।

" उईईई " रोकते रोकते जेठानी की सिसकी निकल गयी।

मेरी कलाई का जोर ,कोहनी का जोर , कायम था।

बोर्डिंग में नयी कच्ची कलियों की ऊँगली करने में मैं नंबर वन थी ,

बहुत कसी थी , लेकिन पूरी ताकत से घुसेड़ते ,गोल गोल घुमाते पूरे चार मिनट तक ,मैं दो पोर तक उँगलियाँ अंदर घुसा के ही मानी।

चार मिनट तक ,

और अब जब ऊँगली निकली तो मेरे हाथों ने उनके दोनों चूतड़ों को पूरी ताकत से फैलाया।

ऊँगली करने का नतीजा हुआ गांड का दुबदूबाता छेद अब साफ़ साफ़ दिख रहा था।

बस।

मैंने अपने स्ट्रैपआन डिल्डो का सुपाड़ा सीधे जेठानी के गांड के छेद पर ,

मैं छुआती रही ,सहलाती रही ,हलके हलके रगड़ती रही।

इस समय जो जेठानी के मन में चल रहा होगा उस का मुझे पूरा अहसास था।

होने वाले दरद का डर , कसी कोरी गांड फटने का डर ,और किसी कोने में मजे का भी अहसास।



और मैंने अपनी जेठानी की पतली कटीली कमिरिया पकड़ ली ( ३६ डी डी के मम्मे और ३ ८ के बड़े बड़े चूतड़ होने केबावजूद उनकीकामर अभीभी २९ की थी )

डिलडो का सुपाड़ा गांड पे सेट था ,और पूरी ताकत के साथ ,

मैंने अपने हिप्स का पूरा जोर लगा दिया था।

जेठानी के छटकने का कोई डर तो था नहीं ,उनके दोनों हाथ कस के पलंग में बंधे थे ,वो झुकी निहुरि ,बुर में जड़ तक मेरे सैंया का लंड घुसा , और मेरे साजन ने अपने हाथों से,पैरों से उनकी पीठ पर कस के ,एकदम नागपाश की तरह उन्हें जकड़ रखा था ,





एक धक्का और ,

फिर एक ,

उईईईईई उईईईईई आह्ह्ह्हह्ह्ह फ़ट गईइइइइइइ , ओह्ह्ह्हह्ह

ह्रदय विदारक चीख ,




मैंने आँखों से इशारा किया ,अपने साजन को

चीखने दे स्साली को।

और उन्होंने मुंह बंद करने को कोई कोशिश नहीं की ,

कमर को पकड़ के मैं धक्के पर धक्के मारती रही ,

वो चीखती रही बिसूरति रही।

कैमरे इस पल को कैद करते रहे ,हाँ मेरी तस्वीर सिर्फ मेरी गरदन तक थी , डिलडो का क्लोज अप भी।

मैं पेलती रही ठेलती रही धकेलती रही।




दर्द से वो तड़प रही थी , पानी के बाहर मछली की तरह फड़फड़ा रही थी ,

पर ये तो होना ही था।

गांड मारने में अगर कोई रहम करे तो फिर तो न तो किसी लौंडे की मारी जा सकती है , न किसी लड़की की।

एक पल रुक के मैंने एक धक्का और मारा अबकी दूनी ताकत से


उईईई उईईईईईई नहीं ,ओह्ह्ह्हह्ह , अबकी चीख अबतक की सबसे तेज थी , पर मेरा काम हो गया था , यूँ कहिये काम की शुरुआत


डिलडो का सुपाड़ा जेठानी की गांड में धंस गया था , अब वो लाख चूतड़ पटके ,बिना उसकी गांड फटे.

और थोड़ी देर मैं अपनी जेठानी जी की बड़ी बड़ी चूँचियों को सहलाती रही ,उनकेखुले नंगे चूतड़ पर हाथ फेरती रही ,




जैसे ही उनकी चीखें रुकी ,बस मैंने पूरी ताकत से बस पुश करना ,ठेलना शुरू किया और थोड़ी ही देर में खैबर का दर्रा ,गांड का छल्ला था।

उसे पार करना और मुश्किल था।

मेरे ज़रा सा जोर लगाते ही जेठानी की चीखें आसमान छूने लगीं और एक बार फिर फोन घनघनाया ,

और इस बार मैंने फोन आन कर दिया ,स्पीकर फोन भी ऑन था।

उईईई उईईईईई चीखे जारी थीं।


गुड्डी बोली जानते पहचानते भी ,

“इतनी मधुर स्वर में कौन गा रहा है। “



जेठानी जी ने गुड्डी की आवाज अपनी चीखों के बीच सुनी

खैबर के दर्रे पर फिर हमला बोलते मैंने गुड्डी से फोन पे कहा ,

" अरे तूने पहचाना नहीं ,अपने घर में इतनी मीठी आवाज और किसकी है ,एकदम शहद घुली ,तेरी बड़ी भाभी। तू ही पूछ लें न क्या बात है , तुझे तो ख़ास प्यार करती हैं वो। "

और वो किशोरी ,मौक़ा पा के मीठी छुरी से हलाल करने में उस छोरी ने कोई कसर न छोड़ी,

" अरे बड़ी भाभी जी क्या हुआ ,आपकी चीख ,मेरा मतलब गाने की आवाज मेरे मोहल्ले तक पहुँच गयी थी। मैं तो सो रही थी ,आपकी आवाज सुन के नींद खुल गयी इसलिए फोन लगाया ,बोलिये न भाभी अरे ननद से क्या छिपाना ,और आज तो आपके वो भी नहीं है। "

क्या बोलतीं वो , लेकिन मैं और ये दोनों आज उनसे बिना बुलवाये छोड़ना नहीं चाहते थे , तभी गुड्डी के दिल की आग शांत होती और हमारी भी।

हम दोनों को भी आता भी था उनसे बुलवाना।




चटाक चटाक , मेरे दो हाथ जेठानी के चूतड़ों पर पड़े , बिलबिला उठीं वो बिचारी।

लेकिन ये दर्द तो कुछ नहीं था जो उनके देवर ने दिया , कचकचा के उनके निपल काट लिए।




और दूसरे निपल की घुंडी पूरी ताकत से मरोड़ दी।

उईईई उईईईईईई नहीं नहीं ,चीख पड़ीं फिर से।

" बताइये न दीदी आखिर आपकी ननद आपसे कुछ पूछ रही है ,जल्दी वरना अगला हाथ और कस के ,... " मैं उन के कान में बोली।

मार के आगे ,....

" वो मैं ,... " मुश्किल से उनके हलक से निकला।

मेरा हाथ अबकी दूनी तेजी से पड़ा चूतड़ पे और उनके देवर ने भी अपने नाख़ून गड़ा दिए मांसल मम्मो में।

" पूरा बोलिये न साफ़ साफ़ , एकदम खुल के गुड्डी को सब बताइये क्या हो रहा है वरना , अबकी ,... "

इनकी आवाज बर्फ की तरह ठंडी थी।

" वो मैं ,वो मैं ,... गां ,...गां ,.... गांड ,... "



मुश्किल से जेठानी बोल पायीं उसके सात करम हो गए।

लेकिन गुड्डी ,दिल की अच्छी उसने उनकी हेल्प कर दी , बात पूरी कर के।

" अरे भाभी ,तो साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहतीं की गांड मरवा रही हैं। लेकिन ये कौन सी बड़ी बात है ,जिस तरह से आप गांड मटका मटका के चलती हैं ,ये तो होना ही था। लेकिन ये बताइये ये शुभ काम कौन कर रहा है

,... "मैंने सिर्फ उनके चूतड़ को सहलाया और स्पैंकिंग के डर से वो गाने लगीं ,

" तेरी भाभी , मार रही हैं ,... गांड ,"
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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हिचिकचाते हुए उन्होंने बात पूरी की , और गुड्डी अब मेरे पीछे ,

" क्या भाभी आप भी न , अरे कोई ऐसे वैसे की गांड नहीं है , आपकी जेठानी जी की गांड है ,पूरे शहर में मशहूर , इतनी हलकी आवाज , ज़रा भी मजा नहीं आया। "

गुड्डी की शिकायत और मैं लाइटली लूँ , ये हो नहीं सकता। और बात भी सही थी। जेठानी की असली मधुर आवाज तो उनकी ननद को तब सुनने को मिलती

जब गांड का छल्ला पार होता।


मेरी और उनकी आँखे चार हुईं ,

जेठानी भी न कुछ भी काम आसानी से नहीं ओने दे रही थी , न गुड्डी को हम लोगों के साथ ले जाने की ,

न अपनी गांड ढीली करने की , और उसके बिना खैबर का दर्रा पार होना मुश्किल था।

जोर से वो जैसे अपने संस्कार बचा रही हो , अपनी गांड भींच कर ,

जोर से उन के नाख़ून जेठानी की बड़ी बड़ी चूँची में धंस गए।
,
चटाक ,चटाक , मेरे हाथ जेठानी की गांड पर ,

( कितना मजा आ रहा था ,बता नहीं सकती और अब की मैंने पूरी ताकत से चांटे मारे थे )

उईईईईई जेठानी चीखीं।

कचाक कचाक , मेरे सैयां के दांत जेठानी के निपल पर ,जैसे काट के खा लेंगे।

और मेरे बाएं हाथ के लम्बे नाखून ने कचकचा कर ,इत्ते दिनों का गुस्सा ,फ्रस्ट्रेशन ,जेठानी की क्लीट नोच ली।

गांड का दर्द अब वो भूल चुकी थीं ,मेरे नाख़ून ,उनके दांत ,चूँची और चूत में जेठानी के आग लग गयी थी।

उईईईईईई उईईईईईई ओह्ह्ह्हह उहहहहहह ,लगातार वो चीख रही थीं ,


न मेरे नाखूनों ने नोचना बंद किया ,न उनके दांतों ने काटना।

चीखें जारी थीं ,गुड्डी सुन रही थी।

और मैंने दोनों हाथों से अपनी जेठानी की कमर पकड़ी , और सब कुछ याद कर के , पूरी ताकत से ऑलमोस्ट कोक कैन साइज का डिलडो ,उनकी गांड में घुसा धंसा ,

पूरी ताकत से पेल दिया ,ठेल दिया , पेलती रही ,ठेलती रही।

मेरे सैयां के दांत अब अपनी भौजी के जुबना से हट गए थे , मेरे दोनों हाथ उनकी भौजी की कटीली कमरिया पर थे और मैं बस





अपनी पूरी ताकत से उनकी गांड मार रही थी , अपनी जेठानी के गांड में डिल्डो ढकेल रही थी।

और खैबर का दर्रा पार हो गया , डिलडो गांड के छल्ले के पार उस छिनार की गांड में धंसा ,एक तिहाई से ज्यादा ,

और अब चूँची का दर्द चूत का दर्द भूल के ,वो जोर से चीखीं ,

ओह्ह्ह्हह्ह नहीं जान गयी, उईईईईईई फटीईईईई

सच में उनकी गांड अब फट गयी थी।

और उनकी चीख ,उनका बिलखना ,बिसूरना रुक नहीं रहा था।


अब तक चुप गुड्डी ख़ुशी से खिलखिलाते मुझसे बोली।

" हाँ भाभी अब मजा आया ,अब लग रहा है आप अपनी जेठानी की गांड मार रही हो। यही तो इनको चाहिए था , बस इसी का इन्तजार था इन्हे। " और मेरे जेठानी से बोलीं

" अरे भौजी काहें इतना चिल्ला बिसूर रही हो , अरे फटने वाली चीज थी फट गयी।


अरे अपने मायके में आपके किसी भाई वाई ने गन्ने के खेत में , अरहर के खेत में आगे वाली भी तो फाड़ी होगी , फिर भी तो आप खूब दर्द हुआ होगा और उसके बाद से ,अरे आप मेरी मीठी वाली भाभी को कल से थैंकू थैंकू बोलियेगा ,जब खुद ही मचक मचक के गांड मराइयेगा। अरे दूसरों की छोड़िये , मैं आउंगी न कल स्कूल जाने के पहले ,बस एक बार मैं भी मारूंगी आपकी। अब दूकान खुल ही गयी है तो ,... "

" एकदम अरे यार तू तो छोटी ननद है तेरा तो हक़ है . और तुझे तो तेरी ये बड़ी भाभी इतना प्यार करती हैं , तुझे हर पल अपने पास रखना चाहती हैं तुझे कोचिंग में हम लोगों के साथ नहीं भेजना चाहतीं हैं इसलिए तो ,... " गुड्डी की बात बीच में काटती मैं बोली और साथ में एक बार फिर मैंने डिल्डो को पीछे खींच लिया।

जैसे ही वो गांड का छल्ला पार करते वापस आया , बहुत जोर से वो चीखीं। पर मैंने आलमोस्ट डिलडो सुपाडे तक बाहर निकाल के फिर दूनी तेजी से अंदर ठेला , एक बार फिर गांड के छल्ले को रगड़ते ,दरेरते ,फाड़ते घिसटते , डिलडो गांड के अंदर।

चार पांच बार लगातार , गांड के छल्ले को ,गांड के सबसे सकरे पार्ट को मैं रगड़ रही थी।

वो चीख रहें ,चिल्ला रही थीं और गुड्डी फोन पे सुन रही थी ,स्पीकर फोन ऑन था ,इसलिए चीखों के बीच गुड्डी के कँनेट

जो ताज़ी चोट पर लाल मिर्च से कम नहीं थे ,

मेरी जेठानी कान खोल के सुन रही थीं।


और कर भी क्या सकतीं थी , इत्ते दिन उनकी बातें हमने सुनी थी ,आज उनका सुनने का दिन था।

" अरे भाभी आप को तो खुश होना चाहिए , एक साथ दो दो , एक अगवाड़े एक पिछवाड़े , जब आप मायके जाइयेगा तो आप के यारों की चांदी ,... "

गुड्डी नमक मिर्च मिला के छिड़क रही थी।

लेकिन थी तो अभी बच्ची ही न ,अभी आज तो उसके इंटर का रिजल्ट आया था ,मैंने गुड्डी की बात में रफू किया ,

" तू भी न गुड्डी यार , अरे दो क्यों , तीन , तेरी बड़ी भाभी मुंह से भी तो घोंटेंगीं ,चूसेगीं। अभी तेरे भैय्या का इत्ते मस्त ढंग से चूस रही थीं चल अभी तुझे फोटों व्हाट्सएप करती हूँ। और फिर मायके जाने तक क्यों इन्तजार करेंगीं ,

अरे तू तो कल हमारे साथ चल रही हैं न , तू यहाँ की जिल्ला टॉप मॉल , बिचारे सारे शहर के लौंडे तेरा नाम ले ले के मुट्ठ मारते थे , बस उन अपने सारे यारों की लिस्ट जेठानी जी को और उन सबको जेठानी जी का मोबाइल नंबर ,... बिचारी ने अपने मायके में किसी को नहीं मना किया तो तेरे मायके में क्यों मना करेंगीं। "

और मैं तो मल्टी टास्किंग वाली , गुड्डी को बाएं हाथ से व्हाट्सएप किया और दाएं हाथ से जेठानी की कमर पकड़ के एक बार फिर पूरी तेजी से डिलडो अंदर धकेला। छल्ला पार होने के बाद इतनी मुश्किल नहीं थी , करीब दो तिहाई डिल्डो ,६ इंच से ऊपर गांड में धंसा था , उसकी भी फोटो अपनी सेक्सी ननद को व्हाट्सएप और मैं गांड मारने में लग गयी।

एक हाथ जेठानी की चूँची पर और दूसरा कमर पे।

व्हाट्सऐप मिल गया था लगता है गुड्डी को ,हँसते हुए बोली।

" बड़ी भाभी ,बड़ी जबरदस्त ताकत है आपकी घोंटने की , लेकिन ये बाकी का दो इंच क्या अपनी छिनार माँ बहनों के लिए बचा रखा है क्या। अरे उनके लिए , मेरी गली के बाहर जो गदहे खड़े रहते हैं न उनकी एडवांस बुकिंग करा दूंगी सुबह ही ,यहाँ से जाने से पहले। और आप तो उनका घोंटेंगी ही। "

मैंने एक बार और धक्का मारा अब डिलडो पूरी जड़ तक , आठ इंच पूरा जेठानी की गांड में घुसा धंसा।

और गुड्डी ने मुझसे बात कर के गुड नाइट बोल दिया ,

" भाभी आप का आईडया एकदम सही है , अरे अपने यारों से इतने दिन तक अपनी चुनमुनिया आपके यार के लिए बचा के रखी है लेकिन वो सब के सब मेरे फेसबुक पे तो हैं ही ,पूरे १ २ ८ अभी सबको अपनी प्यारी प्यारी भाभी का मोबाइल भेजती हूँ ,बस देखिये कल से लाइन लगी रहेगी मेरी प्यारी बड़ी भाभी के लिए। लेकिन अभी चलती हूँ , सुबह उठना है आपके यहां और फिर स्कूल में पार्टी मस्ती और फिर आप लोगों के साथ , पैकिंग भी बची है ,गुड नाइट। "

गुड्डी उड़न छू हो गयी और मैंने अब सब बात छोड़ के ,हचक हचक के

अब एक बार डिलडो अंदर घुस ही गया तो प्यार से धीरे धीरे मैं बाहर निकालती और हचक के पेल देती।

जेठानी की गांड को धीमे धीमे डिलडो की आदत हो रही थी लेकिन हर धक्के के साथ उन की जोर की चीख निकल ही जाती।

दस मिनट तक लगातार , बार बार लगातार ,
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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

Post by kunal »

तब तक मुझे कुछ याद आया और दो चांटे चटाक चटाक पूरी तेजी से ,

" इतना गांड पटक रही थी चुदवाने के लिए ,मेरे सैंया का लंड घोंटने के लिए अब चोदती क्यों नहीं। "

जेठानी के खुले बालों को मैं ने लपेट कर ,जैसे कोई घोड़ी की लगाम अपने हाथ में पकडे , उस तरह जोर से खींच के हड़काया।

डिलडो पूरा गांड में धंसा ,मेरी कमर भी कुछ थक रही थी और अब जेठानी और उनके देवर की चुदाई का नंबर था।

जेठानी मेरे और अपने देवर के बीच सैंडविच बनी ,हलके हलके उन्होंने अपनी कमर उठाई और मुश्किल से मेरे सैयां के लंड पे ,

नीचे से उनके देवर भी साथ दे रहे थे , अब मेरा रोल पैसिव था।





उनके देवर अपनी जेठानी की कमर पकड़ के ऊपर उठाते पुल करते और जैसे ही लंड आलमोस्ट बाहर होता ,जेठानी खुद अपने देवर के कंधे पकड़ के पुश करतीं

और वो भी अपनी भाभी को अपनी ओर खींचते जब तक लंड एकदम अंदर तक उनकी बच्चेदानी से नहीं टकराता।

कुछ ही देर में स्पीड बढ़ गयी , जैसे कोई धुनिया रूयी धुनें उस तरह वो धुन रहे थे अपनी भाभी की बुर को।

बस पांच मिनट में भौजाई झड़ने के कगार पर पहंच गयी। पर वो नहीं रुके और जेठानी झड़ती रहीं ,झडतीं रही एकदम लस्त पस्त।

पर अब मैं मैदान मैं आ गयी और वो भी , एक साथ नीचे से वो लंड पेलते ,पीछे से मैं डिलडो , हम दोनों साथ साथ डालते ,साथ निकालते।

थोड़ी देर में ही जेठानी चीखने लगीं ,छोड़ दो ,छोड़ दो प्लीज छोड़ दो।

पर छोड़ने के लिए थोड़े ही , ... हम दोनों ने रफ़्तार बढ़ा दी , और मैंने जेठानी की क्लीट भी मसलनी ,

अबकी पांच मिनट के अंदर ही जेठानी झड़ने लगीं।



उनकी देह काँप रही थी , बोली नहीं निकल पा रही थी।

पर मैंने न क्लिट मसलना बंद किया न हम दोनों ने चोदना।


जब वो तीसरी बार झड़ी तो साथ साथ मेरे वो भी ,सारी मलाई अपनी भाभी की बुर में सीधे बच्चेदानी में , घल घल घल घल।

मेरा डिलडो जड़ तक गांड में धंसा।

हम लोग थके पलंग पर गिर गए , जेठानी मेरे और उनके बीच में




अभी भी जेठानी के बुर में मेरे साजन का लंड और गांड में मेरा डिल्डो जड तक धंसा था।

किसी तरह मैंने अपने आईफोन से पांच छ सेल्फी हम तीनों की फिर ,.... ,दिया के पास व्हाट्सएप।

धीरे धीरे उन्होंने मूसलचंद को बाहर निकाला और मैंने डिल्डो ,




हम दोनों थोड़े थके मांदे ,और हम दोनों के बीच दबी कुचली मसली मेरी जेठानी।

काफी देर तक हम ऐसे ही लिपटे थके पड़े ,

दूर कहीं एक का घंटा बजा तब मुझे अहसास हुआ रात अभी बाकी है और जेठानी जी के साथ बहुत कुछ ,...

मैंने उन्हें डिलडो दिखाया पूरे ८ इंच का तो जेठानी एक बार फिर डर से ,







" नहीं नहीं प्लीज ये नहीं ये नहीं , इसे पैक कर के रख दो "




और ये भी अपनी भाभी के देवर चढ़ गए ,

" सुन नहीं रही हो भाभी क्या रही हो चलो रखो इसे अंदर। "

" ठीक है दीदी चलिए आप की बात इसे रख देती हूँ , प्रॉमिस एक देवरानी का प्रॉमिस अब इसे आपके अंदर , ... कुछ भी नहीं अब ये एकदम बंद मैं इसे इस्तेमाल नहीं करुँगी ,बस लेकिन एक बार स्माइल दीजिये न। "

उनका डर ख़तम , सच में वो मुस्करा दी। डिलडो \स्ट्रैप सब मैंने उन्हें दिखा कर के पैक कर के रख दिया।

जेठानी अब खुल के मुस्करा रही थीं , पीछे से मैंने उन्हें प्यार से पकड़ रखा था आगे से उनके देवर ने।

" मुझे क्या मालूम था की आपका पिछवाड़ा कोरा है एकदम , लेकिन ये मैं नहीं मानूंगी की आपका अगवाड़ा भी कोरा था जब आप यहाँ आयीं।





सच्ची भाभी बोलिये न , देखिये मैंने आपकी बात मान के इसे बंद कर के रख दिया , प्लीज दीदी। "


मैंने उन्हें उकसाया।
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