जोरू का गुलाम या जे के जी

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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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मैंने बन्ना गाना शुरू किया साथ में मेरी कजिन्स ,भाभियाँ ,बसंती सभी।

मेरा प्यारा बन्ना ,मेरा सुन्दर बन्ना।

बन्ने के सर पे सेहरा सोहे , अरे सेहरा सोहे

प्यारे बन्ने के सर पे सेहरा सोहे ,

अरे लोग कहें , अरे लोग कहें


( फिर मैंने एक मीनिंगफुल पॉज दिया , और सभी लोग रुक गए ,यहाँ तक की ढोलक की थाप भी ,


अरे लोग कहें मलिया का जना , बड़ी धूम डगर से आया रे बना

मैंने गाया और साथ में सबने दुहराया ,

अरे लोग कहें मलिया का जना , अरे मलिया का जना।


(मैंने गाना आगे बढ़ाया )

बड़ी धूम डगर से आया रे बना , बन्ने के तन पे सूट सोहे ,सूट सोहे टाई सोहे ,

अरे सूट सोहे , टाई सोहे ,

अरे लोग कहें , अरे लोग कहें बजजवा जना , अरे दरजी का जना।

बड़ी धूम डगर से आया रे बन्ना , बन्ने के पैरों में , अरे बन्नो के पैरों में

बन्ने के पैरों में जूता सोहे , जूता सोहे मोजा सोहे ,अरे लोग कहें

अरे लोग कहें , अरे लोग कहें मोचिया का जना , अरे मोचिया जना।

( पीछे से मौसी बुआ सब ,दूल्हे को चिढा चिढा के बोलने लगीं , अरे इसकी माँ किसके किसके पास गयीं ,
बिचारी को पता ही नहीं होगा उनका पेट किसने फुलाया )

लेकिन असली हथियार तो मैंने बचा रखा था , मैं फिर चालू हो गयी ,

" अरे बड़ी धूम डगर से आया रे बना , अरे धोबी की गली से आया रे बना ,

अरे लोग कहें , अरे लोग कहें ( अबकी मैंने बरज दिया था सबको कोई पूरा नहीं करेगा मैं ही बोली )

अरे लोग कहें गदहवा जना , अरे गदहवा जना।

फिर तो ये ठहाके लगे ,सब लोग बस यही अरे समधन की बड़ी कैपिसिटी है ,क्या ताकत है ,गदहे के साथ भी।

( लेकिन हमें क्या पता था की दो दिन बाद यही बात फिर से , ... )


मुझे लगा की अब जीजू की हालत खराब होगी लेकिन वो भी एक बार उन्होंने मुस्करा के मेरी ओर देखा , लेकिन

मुझे चिढाते हुए अपने एक दोस्त से कहने लगे , यार ये तो भजन मार्का गाना था। कुछ लोग बहुत कहते थे की उन्हें नान वेज पसंद है लेकिन यहाँ तो लहसुन प्याज भी नहीं,

संध्या भाभी इशारा समझ गयीं। उन्होंने बसन्ती की ओर देखा ,चल शुरू होजा अपने लेवल पर ,असली देहाती गारी.

अब ढोलक मेरे पास आगयी ,बसन्ती जीजू को चिढा चिढा के गा रही थी और हम लोग साथ दे रहे ,सारे बरात में आयी लड़कियों का नाम ले ले के।

चिट्ठी आय गयी सहर बनारस से ,चिट्ठी आय गयी
अरे दूल्हा बहन चोद ,अरे दूल्हा मादरचोद ,अरे कमल बहनचोद ,

चिट्ठी पढला की ना ,चिट्ठी बन्चला की ना ,

तोहरी बहनी छिनार , तोहरी ज्योति छिनार , तोहरी नीतू छिनार,

कइलीं हमरो भतार , कयलि भतरो के सार , कयलि लौंडन हजार

एक जाय आगे दूसर पिछवाड़े , बचल नाहीं कोई नौआ कहार।

चूत चुदवावे ,खूब मरवावे अरे मीता छिनार,अरे नीतू छिनार ,अरे ज्योति छिनार।



मुझे लगा की अब जीजू हारी मान जायँगे लेकिन वो तो एकदम , अब वो बिचारे तो ज्यादा कुछ बोल नहीं सकते थे शादी की रस्में शुरू हो गयी थीं तो उन्हें अपने दोस्तों से कुछ कानाफूसी की ,मुझे दिखा के

फिर तो वो सब मेरे पीछे पड़ गए।

" अरे बिचारा बॉलर ,दो ही ओवर में ,बॉलर चेंज कर दिया , रिटायर्ड हर्ट हो गया। " एक ने बोला।

" कही बॉल तो नहीं उसकी ..घिस गयी ,"

दुसरे ने शक जाहिर किया।

" अरे बॉल तो उसकी एकदम मस्त है , देख नहीं रहे हो , एकदम न्यू बाल है, टनाटन .
लगता है कहीं गले में खराश आ गयी होगी। "



तीसरा मेरे उभारों को देख के छेड़ रहा था।

" अरे खराश का इलाज तो है अपने पास , वो स्पेशल मरहम सीधे गले के अंदर सफ़ेद क्रीम , स्पेशल वाली खूब गाढ़ी थक्केदार। बस एक बार लगवा लें तो बस गला एकदम नया ,तसल्ली बखश इलाज। "





पहला फिर से बोला।

जीजू मुझे देख के मुस्करा रहे थे, बरातियों का काउंटर अटैक।

और अब बरात में आयी लड़कियां भी चालू हो गयीं , चकर मकर।

पीछे से मेरी भौजाइयों ने काउंटर डिफेन्स करने की कोशिश की, उन्हें छेड़ा

"अरे लगता है अपनी बहनों के गले में अच्छी तरह से क्रीम लगाई है , तभी इतनी सुरीली आवाज निकल रही है इन सबकी। "


और हमारी ओर की लड़कियों की हंसी गूँज उठी ,लेकिन फिर से एक लड़का उधर से बोल उठा ,

" अरे भौजी , बस सबेरे आप की ननद को ले जाएंगे न , बस अगली सुबह पूछ लीजियेगा उन से क्रीम का हाल चाल। कितनी बार ,कहाँ कहाँ ,उनसे बोलियेगा तो फोटो भी खीच कर व्हाट्सअप कर देंगी। "

और अब मीता, कमल जीजू की षोडसी बहन जो चोली और लहंगे में सबका जान मार रही थी और मेरे जीजू से देह रगडती बैठी थी,बोली

" अरे हमारी नयी भाभी बिचारी अगर बहुत थकी ,लस्त पस्त होंगी तो उनकी उस वाली मुंह दिखाई की फोटो मैं व्हाट्सएप कर दूंगी , घबड़ाइये मत। एकदम क्लोज अप ,क्रीम के साथ। "

जीजू का एक और दोस्त बोल उठा ,

" अरे मीता कल की बात तो कल की रात। स्पेशल ऑफर आज की रात , आज की रात ही आप में से जिन जिन को क्रीम चाहिए हाथ उठा के मांग ले , आज इस्तेमाल की कोई कीमत नहीं पैसा नहीं। पसन्द आये तो अपनी ननदों को भौजाइयों को रिकमेंड करिये , शर्तिया मजा आएगा,....

और वो मीता वो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी , उस लड़के की बात बीच में काट के बोली ,

" पक्की गारंटी , ठीक ९ महीने बाद आज से मेरे भैय्या के ससुराल में सोहर होगा , केहां केहां ,...

और एक बार फिर बरातियों की ओर से ठहाके गूंजने लगे।

जीजू ने मीता को बुला के कान में कुछ कहा , और मीता बाकी लड़कियों ,लड़कों के कान में कुछ कहने लगी।

मुझे लगा जीजू उसे हडका रहे होंगे , पर ,....

इधर बसन्ती आँचल में अपनी हंसी दबाते छंदा भाभी से बोली ,
,
" अइसन बराती तो ना देखले रहनी "

" अरे बहुत दिन बाद आज तो मजा आ रहा है शादी में ,कोई जवाब देने वाला तो मिला वरना आज कल तो गारी शुरू होते ही बंद करा देते हैं। "

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जोरू का गुलाम भाग ६५

छंदा भाभी के चेहरे से ख़ुशी छलक रही थी।

जीजू के मन्त्र का असर चालू हो गया था , मीता ,नीतू ,ज्योती बरात की की सारी लड़कियां ,

" वी वांट साली " " वी वांट साली "


और अब जीजा के दोस्त भी चालू हो गए , एक ने मुझे देखते हुए उसमें जोड़ भी दिया ,

" वी वांट साली , पीले कुर्ते वाली , " वी वांट साली ,पीले कुर्ते वाली "


सब मेरे पीछे पड़ गए।





और मैंने जीजू की ओर देखा तो वो तो और एकटक मेरी ओर देख रहे थे ,मुस्करा रहे थे ,

एकदम दुष्ट बदमाश।

" वी वांट साली , पीले कुर्ते वाली , " वी वांट साली ,पीले कुर्ते वाली " सब मेरे पीछे पड़ गए।

और मैंने जीजू की ओर देखा तो वो तो और एकटक मेरी ओर देख रहे थे ,मुस्करा रहे थे ,एकदम दुष्ट बदमाश।

" चल सूना दे कोमल , इनलोगों की माँ बहन का हाल , अब अगर ये तेरे ही मुंह से सुनना चाहते हैं असली वाली। "

पीछे से एक भौजी ने मुझे ललकारा।

संध्या भाभी ने भी मेरी ओर उम्मीद से देखा और ढोलक अपनी ओर खींच लिया ,यानी फैसला हो गया। ढोलक की जिम्मेदारी उनकी ,गाने की मेरी।

रोज हम दोनों अलग अलग टीम में होते थे वो भौजाइयों की टीम की लीडर और मैं ननदों की लेकिन आज एक साथ , पर रतजगे की बात और होती थी ,वहां सिर्फ औरतें लड़कियां होती थीं , और वो भी घर की तो वहां सब शर्म लिहाज भूल के मैं भी थोड़ा बहुत नान वेज गाने सीख गयी थी , पर यहाँ सब के सामने ,


और मैंने एक बार फिर कमल जीजू की ओर देखा , बहुत हलके से शरारत भरी मुस्कान के साथ फुसफुसाते से बोले ,

" प्योर नान वेज "

किसी और ने सूना हो न सूना हो लेकिन मैंने तो कान पारे हुए थे , सुन लिया।

मेरी और कमल जीजू की परफेक्ट ट्यूनिंग हो चुकी थी , मैं जीजू की बात कैसे टालती ,मेरे एकलौते हैंडसम सेक्सी जीजू ,

और मैंने गांडीव सम्हाल लिया , छंदा भाभी और बसन्ती से मैने फुसफूसा के बोला कौन वाला ,

और मैं चालु हो गयी।

चीनू अब आके उनके बगल में बैठ गयी थी। उसने भी झुकी निगाह से मेरी ओर देख के सिग्नल दे दिया ,

चल कोमलिया सुना दे ज़रा आज इनकी माँ बहनों का हाल , कस के ,छंदा भाभी ने ललकारा

संध्या भाभी की ढोलक की टनाकेदार थाप , पीछे से मेरी कजिन्स की ,भौजाइयों की तालियां और किसी ने मंजीरा भी सम्हाल लिया था ,




कामदानी दुपट्टा हमारा है ,कामदानी दुपट्टा हमारा है ,

अरे कामदानी दुपट्टा हमारा है ,कामदानी ,

दूल्हे की बहना ने ,अरे जीजू की बहना ने ,

मीता छिनार ने , अरे ज्योती छिनार ने ,

एक किया दो किया साढ़े तीन किया , कोरी चमार किया ,

हिन्दू मुसलमान किया , तुरक पठान किया, अरे ,

अरे ९०० पण्डे बनारस के , अरे ९०० छैले लखनऊ के।

कामदानी दुपट्टा हमारा है अरे कामदानी ,

अब मौक़ा था हमारी ओर की लड़कियों का शोर करने का ,

" अरे बड़ी कैपेसिटी है इस गुलाबी लहंगे वाली की , मीता की ,९०० पूरे। "

बसन्ती ने मिर्च डाली ,


" अरे तो झांट आने के पहले से ही अपने भैया से मरवा रही है। बचपन की चुदक्कड़ है ये छिनार। "


लेकिन मीता बजाय बुरा मानने के खिलखिला रही थी , हंस के मुझसे बोली ,

" अरे तभी तो आपकी चीनू दी को लेजारही हूँ , बस परसों सुबह उनकी कैपिसिटी पता चल जायेगी ,सबेरे सबेरे फोन कर के जरूर पूछियेगा। "

मैं समझ गयी थी ये इत्ती आसानी से नहीं मानने वाली है ,


मैंने गाना आगे बढ़ाया ,

कामदानी दुपट्टा हमारा है ,अरे कामदानी ,

मीता छिनार ने ( मीता चूतमरानो ने ,बंसती ने जोड़ा ) नीतू छिनार ने अरे एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,

अरे ९०० भंडुए कानपुर के ( मीता कानपूर की थी ) अरे ९०० गँड़ुये कानपुर के

कामदानी दुपट्टा हमारा है।


मुझे लगा की वो सब अब सरेंडर करदेंगी ,लेकिन जीजू भी न , उन्होंने ज्योति से बोला ,

" क्यों ज्योति मिर्च थोड़ी कम थी न "





जवाब मीता ने दिया , मिर्च थी भी क्या ,अरे मुझे तो एकदम बेस्वाद लगा फीका फीका।

" भैया आपकी साली बिचारी साली शहरवाली,उसे क्या मालूम देहाती गारी वारी , कहिये उसे तो बेबीडॉल पर डांस कर के भले दिखा दे। "


ज्योति ने और पलीता लगाया।




' नहीं मालुम है तो कोई बात नहीं , ढोलक इधर लाइए न , अभी आप सब की पोल पट्टी उघाड़ के रख दूंगी , ऐसी मिर्च होगी न की परपराती फिरियेगा। "





छोटी मिर्ची नीतू बोली।

अब इज्जत की बात थी ,

बंसती ने मेरी ओर देखा , वो गाली जो बसन्ती जब शुरू करती थी हम सारी ननदे बस कान में उँगलियाँ डाल लेते थे , और टारगेट मैं ही होती थी असली। शुद्ध देहाती ,खुल्लम खुल्ला।

मैंने आज तक कभी गायी नहीं थी लेकिन सूना इतनी बार था की अच्छी तरह याद हो गयी थी ,

संध्या भाभी भी समझ गयीं , ढोलक की थाप एकदम तेज , साथ में

पीछे से घरातियों की लड़कीयों का कोरस ,

" चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,चने के खेत में ,

चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,


( और अब मीता , और बरात में आयी औरतें पहली बार मुस्करायीं ,ये गारी तो ऐसी है जो शायद ही कोई ननद बची हो ,जिसे उसकी भाभियों ने न सुनाया हो , पीछे से मम्मी और मौसी ने भी हिम्मत बढ़ाई ,सूना दे कोमल आज खोल के )

संध्या भाभी ने ढोलक तेज की ,




" चल मेरे घोड़े चने के खेत में अरे चने के खेत में ,

अरे चने के खेत में बोया है गोभी , अरे बोया है गोभी ,

अरे दूल्हे की बहना को अरे नीतू छिनार को ,ले गया धोबी

चने के खेत में ,अरे चने के खेत में

अरे चने के खेत में बोया था गन्ना ,अरे बोया था गन्ना ,अरे बोया था गन्ना।

दूल्हे की बहना को ,अरे मेरे जीजू की बहना को ,

अरे जीजू के माल को , अरे ज्योति छिनार को ले गया बभना ,

चने के खेत में ,चने के खेत में अरे दबावे दोनों जोबना चने के खेत में।

अरे चने के खेत में बोई थी घुँची ,अरे बोई थी घुंची ,

अरे ज्योति छिनार को अरे ज्योति साली को ले गया मोची ,
अरे दबावे दोनों चूंची , ज्योति साली की मीजे दोनों चूंची ,चने के खेत में।




ढोलक तेजी से ठनक रही थी , साथ में भौजाइयों के हाथ में मंजीरा ,उनकी और मेरी कजिन्स की तालियां।

ऐसी लड़कियां जो गारियाँ शुरू होते ही उछल जाती थी ,क्या देहाती गँवारू वो भी आज ,... मेरे साथ मुझसे भी तेज आवाज में दुहरा रही थीं ,इशारा कर कर के गा रही थीं ,

ज्योती छिनार दबवावे दोनों चूंची चने के खेत में।

मीता मुस्करा रही थी अपने नंबर का इन्तजार करती और उसका भी नम्बर लगवा दिया मैंने ,


चल मेरे घोड़े,चने के खेत में ,चने के खेत में ,

चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में ,

चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई

अरे जीजू की बहना की हमारी प्यारी ननदी की ,

अरे मीता रानी की हो रही चुदाई चने के खेत में।

चने के खेत में अरे चने के खेत में ,

मीता छिनार को चोदे हमार भाई ,चने के खेत में।

चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,चने के खेत में पड़ा था रोड़ा

अरे मीता बुरचोदो को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,

अरे जीजू भंडुए की मीता को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,

अरे चोद रहा घोडा ,चने के खेत में

अरे मीता भाईचोदी घोंट रही लौंडा चने के खेत में।






बरात की कोई लड़की बची नही ,और मीता का नाम तो सबसे जोड़ के ,यहां तक की गधा घोडा कुत्ता कोई नहीं बचा जिस्ससे मैंने उसे न चुदवाया हो।

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गाना ख़तम होते ही जबरदस्त शोर हुआ. हमारे घर सारी लड़कियों ने जबरदस्त शोर किया ,भाभियों ने भी।




इसलिए भी की जूता चोरी का मिशन कामयाब हो गया था और जूता ,मीता ज्योति को दिखाते हुए मेरी कस्टडी में कर दिया गया था।


उधर से कोई कमेंट आता उसके पहले ही मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया ,

एकदम नया लेकिन उसी तरह हॉट


जीजू का एक दोस्त बार बार अपनी घडी मीता को दिखा रहा थे ,शायद कोई इम्पोर्टेड थी , बस उसी को देख के मैं चालू हो गयी ,

अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,

अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,

अरे दूल्हा की बहिनी के दुई दरवाजा ,

अरे जीजू भंडुवा के बहिनी के दुई दरवाजा

मीता छिनरो के ,ज्योति साली के दुई दरवाजा

अरे मिल के घरतिया बजावे ला बाजा ,

अरे ले भागे कुठरिया में ,सुई डोले

अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में , सुई डोले

अरे मीता बुजरो खूब चोदवावै , अरे दूल्हा क बहिना खूब चोदवावे

हो खूब चोदवावे ,हो खूब चोदवावे, दूल्हा के सालों से चूंची मिसवावे

चूंची मिजवावै और गाल कटवावे , अरे घोंटे उ लौंडा कुठरिया में ,

सूई डोले ,अरे सूई डोले कलाइ बिच घड़िया में , सुई डोले।







शादी की रस्में भी साथ साथ हो रही थीं , लेकिन हमारी ढोलक की ठनक कम नहीं हो रही थी।







इसी बीच कुछ हम लोगों के यहां लड़के बरातियों को चाय पिला रहे थे तो दो ने मीता और नीतू को टारगेट किया , दोनों नखड़े कर रही थी

और मैंने अगला गाना चालु कर दिया ,



लीला लीला हो ननदी लीला ,

अरे दूल्हे की बहना लीला हो ,लीला ,लीला।

अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार तानी लीला हो ,लीला लीला।


अरे चट्ट लीला ,पट्ट लीला घुमा करवट सटासट लीला,

अरे दुनो जांघिया फैलाय ,गपागप लीला।

अबहीं उमरिया बा ननदी क बारी ,

अबहीं उमरिया बा मीता क बारी ,अरे नीतू क बारी

सारे घरतिया सटासट मारी ,सटासट मारी ,

अरे इधर उधर जिन हिला ,अरे भैया हमार ठेल दिहैं किल्ला ,

लीला लीला।


मैंने थोड़ा सा ब्रेक लिया तो संध्या भाभी और बंसती ने मोर्चा सम्हाल लिया ,

कोमल बीबी चल आज तू भी साथ दे , बंसती बोली , और मैंने भी

वो गालियां तो मेरा हरदम मेरा ही नाम लगा के दी जाती थीं इसलिए मुझे पूरा याद थीं ,


गंगा जी तेरा भला करे ,गंगा जी ,

अरे दूल्हा की बहिनी क बुरिया , अरे मीता क बुरिया ज्योती क बुरिया ,

पोखरवा जइसन ,तलबवा जइसन ,

ओहमा ९०० छैला कूदा करे ,मजा लूटा करें ,

बुर चोदा करें , गंगा जी ,

......

अरिया अरिया सगिया लगाया बिचवा लगाएंन चौरैया जी ,

सागवा खोटन चली दूल्हा क बहिना

अरे कमल भंडुवे की बहिना , अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार

गिरी पड़ीं बिछलायी जी ,अरे भोसड़ी में घुस गय लकड़िया जी।

अरे दौड़ा दौड़ा कमल भैया , भोंसड़ी से खींचा लकड़िया जी

अरे गांड़िया से खींचा लकड़िया जी ,

अरे दौडें आये दूल्हे राजा अरे कमल भैया ,

अरे उन्ही के गांडी में घुस गय लकड़िया जी



पूरे पांच घण्टे तक गाने चले। ११ बजे कमल जीजू मंडप में आये थे और पांच बजे सुबह कोहबर के लिए उठे।

कम से कम दो दर्जन से ज्यादा गारियां , मैंने खुद गायीं थी।


बरात में आयी लड़कियों पर तो सबसे ज्यादा लेकिन मैंने जीजू की माँ ,बुआ चाची किसी को नहीं बखस ,गदहा ,घोडा ,कुत्ता सब का नाम लगा लगा के और आफ कोर्स जीजू का नाम तो सबके साथ जोड़ा। और जीजू और उनके दोस्तों को भी नाम ले ले के , भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब ,


और यह प्रेम भरी छेड़छाड़ तो कोहबर में जारी रही ,;लेकिन उसके पहले मीता आयी मेरे पास ,मेरी सारी गालियों का टारगेट और मुझे अँकवार में भर लिया , बोली।





" आज से आप मेरी सबसे प्यारी वाली ,मीठीं मीठी छुटकी भौजी हो। "

इत्ती गालियां दी थी मैंने उसे ,

पर रिश्ते में में मेरी ननद थी छेड़ने का मौक़ा कैसे छोड़ती मैं , कचाक से मीता के गोर गुलाबी मालपुआ ऐसे गाल मुंह में भर के हलके से बाइट ले ली ,

" अरे बिना चखे कैसे पता चलेगा की मेरी फेवरिट ननद कित्ती मीठी है ? "

और जवाब में उसने भी ,मुझसे भी ज्यादा जोर से मेरे गाल को कचकचा के काट लिया और बोली ,

"अरे मेरे भैया से तो कटवाइयेगा ही न तबतक बहन से ही। "


और जवाब मैंने अपने टाइट कुर्ते को फाड़ते भरे भरे जोबन से उसकी चोली में फंसी कच्ची अमिया को कस के रगड़ के दिया।

हम दोनों में पक्की दोस्ती हो गयी थी और असली ननद भाभी का मीठा वाला रिश्ता भी।

तबतक कोहबर की घेरा बन्दी शुरू हो गयी थी और जूते के लिए सौदेबाजी भी ,


मैं अपनी कजिन्स और भौजाइयों के साथ कोहबर के दरवाजे पर मोर्चा लगा के बैठे , और उधर दूल्हे के साथ उनकी बहनें दोस्त सब ,

और जीजू के दोस्त भी एकदम खुल के मजाक करने वाले , लेकिन मैं और संध्या भाभी तो थे ही आज हम लोगो के यहां की छुटकियां भी ,

मीता के बगल में कमल जीजू का एक दोस्त खड़ा था ,बोला

" अरे घुसने दीजिये न वरना हम धक्का मार के घुस जाएंगे। "

" लगता था इस छिनार के साथ बहुत धक्का मारने की प्रैक्टिस कर के आये हैं सब बराती।"


मीता की ओर इशारा करके संध्या भाभी ने चिढ़ाया।

" देखिये यहां घुसने का हक़ सिर्फ मेरे जीजू का है , और मैं उन्हें मना भी नहीं करुँगी , बस फ़ीस दे अंदर जाएँ। : "


मैं आँखे नचाते उस लड़के से बोली।




मीता फिर अपने रंग पे आ गयी थी , अपने भैया से सटती बोली,

" अरे आप लोग घुसने देने का पैसा चार्ज करती है ,क्या रेट है ,सबका एक ही रेट है या अलग अलग?"

" वो बातें तो हम जीजू से अंदर कर लेंगी लेकिन अभी आप लोग जूते का नेग दीजिये , "

हमारी ओर की एक छुटकी जो उम्र में मीता के ही बराबर रही होगी।








" इस नोटबंदी के जमाने में पैसा कहाँ होगा अरे अपनी मशीन खोलिये , बस भैया अपना कार्ड डाल देंगे , " नीतू भी अब चहक रही थी।

हमारे घर के लड़के भी बरातियों की लड़कियों के आस पास मंडरा रहे थे।

बंसती हम लोगों से बोलीं , अरे आवे दा दूल्हा के ,

और जब तक हम लोग कुछ समझते , हमारे यहां के लड़को को मीता और नीतू की ओर इशारा करके बोली ,

"इन दोनों को लेजाओ न बहुत गरमा रही हैं इन दोनों की नथ उतराई में ही इतना पैसा मिल जाएगा की सब नेग की रस्म हो जायेगी। "


अंत में समझौता हो गया , लड़कियां जिद कर रही थीं की वो भी अपने भैया के साथ कोहबर में आएँगी।

लेकिन हमने सिर्फ कमल जीजू को अंदर घुसने दिया।





पर वो भी ,टिपिकल कमल जीजू , मुझे दरेरते रगड़ते अंदर घुसे , पर मैं भी तो यही चाहती थी और रास्ता छेंके खड़ी रही।

पर जो नहीं सोचती थी वो भी हुआ ,मौके का फायदा उठा के मेरे टाइट कुर्ते से झांकते दोनों उभारों को जीजू ने कस के दबोच भी लिया।

मौके का फायदा सिर्फ वही उठा सकते थे क्या ,आखिर उनकी छोटी साली थी मैं ,

मैंने भी उस भीड़ धक्का मुक्की में अपने मेंहदी लगे हाथ सीधे उनके बल्ज पे , और जिस ताकत से उन्होंने मेरे कबूतरों को रगड़ा मसला था उससे भी दूनी जोर से ,

आखिर उन्हें भी तो ससुराल का ,कोहबर का और साली का मजा मिलना चाहिए।

कोहबर में खूब रगड़ाई हुयी उनकी , धान कुटवाया गया और साथ में गारियाँ भी ,

धान कूटा हो दूल्हा धान कूटा हो ,अपनी बहिनी क ओखरी में धान कूटा हो /

और छोटी साली होने के नाते सब रस्में भी मैंने कराई ,

दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पानी पिलाने का काम ,

( आफ कोर्स ,वो चीनू दी का जूठा था ) ,

दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पान खिलाने का काम

( उसके अंदर भी एक छोटा सा पान था जिसे चीनू दी ने घंटो मुंह में रखकर कुचला चुभलाया था )
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हमी तीनो थे ,उस समय मैंने मौके का फायदा उठा के कमल जीजू से दिल की बात कह दी ,

( मैंने एकदम खुल कर गालियां दी थीं ,उन्हें भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब तो बोला था , सिर्फ मीता और नीतू से नहीं बल्कि उनकी माँ और मौसी से भी रिश्ता जोड़ जोड़ के , तो मुझे लगा की कहीं ज्यादा तो नहीं हो गया )

" जीजू आपने बुरा तो नहीं माना " हिचकते हुए मैं बोल गयी।

पर कमल जीजू न , एकदम मेरे अच्छे वाले प्यारे जीजू , परफेक्ट जीजू ,

बिना इस बात का ख्याल किये की उनकी दुल्हन बगल में बैठी है ,सास और सलहजें भी सुन सकती है , मुस्कराते बोले ,

" अरे बुरवाली की बात का क्या बुरा मानना "

मुझे लगा चीनू दी बुरा मान जाएंगे पर वो भी अब एकदम अपने साजन की हो गयी थीं , ... वो मुस्कराने लगीं।

" और जब मैं कुछ करूँगा तो तू बुरा तो नहीं मानेगी न "

जीजू मुझसे एडवांस में गारंटी लेना चाहते थे।

मैं मुस्कराते हुए चुप रही ,पर चीनू दी भी न उन्होंने एकदम पाला बदल लिया था , हम बहनों का साथ छोड़ के मेरे जीजू की तरफ चली गयी थी।

मुझे कोहनी मारती बोलीं ,

" अब चुप क्यों है बोल न "

" जीजू , ये बुरवाली बुरा मानने वाली नहीं है , और ये साली आधी घरवाली नहीं डबल घरवाली है ,जित्ता दी के साथ , उसका दूना इस बुरवाली साली के साथ। "

अब हम तीनों में कोई पर्दा नहीं रह गया था ,और कोहबर की शर्त तो हमेशा की शर्त हो जाती है।

लेकिन चीनू दी अगर मेरे कमल जीजू की ओर डिफेक्ट कर गयीं थीं ,मेरा साथ छोड़ के तो मैं क्यों उनका साथ देती।




एक बार फिर से उन दोनों की गाँठ जोड़ते मैंने जीजू को उनके फायदे की बात बता दी ,

" जीजू , पिछले चार दिन से जब से दी की को पांचदिन वाली सहेली गयीं है न ,दी पिल पर हैं। इसलिए आप को बेकार में रबड़ वबड पे पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है , "

चीनू दी ने मुझे घूर के देखा पर मुस्कराहट नहीं रोक पायीं ,अब वो बात तो पता नहीं जीजू से कह पाती की नहीं तो मैंने कह दी।



और मालूम तो सब को था ही की आज रात चीनू दी के साथ क्या होना है।



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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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जोरू का गुलाम भाग ६७



उस रात ,...

अगली सुबह मैं देर से उठी , और जब उठी तो पता चला,...

सोई भी तो बहुत देर से थी, और सोता भी कौन ,

एक बड़े से कमरे में हम ननदों और भौजाइयों के सोने का इंतजाम था , जैसा शादी वाले घर में होता है ,

जमीन पर बिस्तर लगा हुआ था , गद्दे चद्दर , जाड़े का मौसम था इसलिए खूब मोटी मोटी लंबी लंबी रजाइयां , और बस ,





लिहाफ के अंदर चाहे कोई कच्चे टिकोरे वाली ननद हो या बस अभी झांटे आ रही थी , भौजाइयों उसे गपुच लेती थीं , और फिर जोर जबरदस्ती थोड़ी मान मनौवल ,







अरे तेरे भैया नहीं तो आज तेरे ही साथ ,

मेरे ऊपर तो भौजाइयों की 'विशेष कृपा' रहती थी ,

और उस रात तो और ,शादी के अगले दिन की रात ,कुछ लोग चले गए थे ,बाकी ज्यादातर कल सुबह चले जाने वाले थे ,फिर पता नहीं कब मिलते। शादी के काम का प्रेशर भी नहीं था। ,... आज आखिरी मौका था , तो ,...


कौन सोता कौन सोने देता ,...


मेरे बगल की रजाई में चीनू दी की दो छोटी चचेरी बहने , गीता और नीता थीं , अभी दोनों बारहवे में गयी ही थी , और भौजाइयां चालू हो गयी ,

मुश्किल से १० बजा होगा और किसी ने कमरे की बत्ती बंद कर दी ,




" हे मालूम है तुझे तेरी बहन की फट रही होगी इस समय , " एक भौजी ने गीता से कहा ,





" फट नहीं रही होगी ,अब तक फट गयी होगी , दूल्हा उसका ऐसे छोड़ने वाला नहीं है " नीलू भाभी ने अपनी राय दी।

अबतक गीता एक भाभी की बाहों में थीं ,





" चल तुझे बताती हूँ की कैसे फटी होगी तेरी दी की आज रात। "

लेकिन तबतक संध्या भाभी मेरे पीछे पड़ गयीं , अरे चल पहले इसकी ले के बताते हैं न , ये लड़कियां भी देख के सीख जाएंगी ,

मेरी रजाई और साया एक साथ उन्होंने नीलू भाभी के साथ पलट दिया ,

फिर तो चीनू दी का नाम ले के , मैं चीनू दी बन के रोल प्ले कर रही थी नीचे से कभी चूतड़ उचका के कभी सिसक के कभी चीख के और





संध्या भाभी कमल जीजू का

( लेकिन मन में मेरे सचमुच में कमल जीजू ही थे , मुझे मालूम था की मेरी वो छोड़ने वाले नहीं थे , )





और बारह बजने तक तो कोई ननद बची नहीं थी , उधर वहां चीनू दी की सुहागरात उनकी ससुराल में हो रही होगी और यहां ,




कच्चे टिकोरे हों या आ रही छोटी छोटी अमिया हो , शलवार ,स्कर्ट ,कैपरी सब की सब सरक के नीचे उतर चुकी थीं ,

नयी गीली गुलाबी चूतो पर भाभियों की खूब धक्का खायी बुरें , रगड़ घिस्स ,रगड़ घिस्स।





" अरे गनीमत मान होने वाले ननदोई जी का ख्याल कर के पूरी ऊँगली नहीं पेल रही हूँ , बिचारे को झिल्ली इंटैक्ट मिले , लेकिन ज़रा नीचे वाली कुठरिया का ले ले लेने दे। "



किसी कोने से रजाई के अंदर से भौजाई की आवाज आती , तो कहीं कोई किसी शर्माती घबड़ाती ननद को कोई चिढाती ,

" काहें को इतना शरमा रही है वहां तेरी चीनू दी की झिल्ली कब की फट चुकी होगी ,अब तो वो तेरे जीजू के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही होंगी। "

चीनू दी का तो पता नहीं पर मैंने संध्या भाभी के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।

उतनी खेली खायी तो नहीं थी पर मैं भी अभी अभी हनीमून से सीधे यहाँ लौटी थी , ढेर सारे दांवपेंच ,पैंतरे मैंने भी सीख लिए थे , बेड रेसलिंग के।

कुछ देर में संध्या भाभी नीचे ,मैं ऊपर ,उनके दोनों गुदाज उभार मेरे हाथों में और मेरी चूत उनकी बुर की रगड़ाई करती।

बत्ती बंद थी , पर रोशनदान से आती चांदनी से सब कुछ साफ़ साफ़ दिखता था , और मेरी बगल की रजाई में दोनों कजिन्स ,गीता और नीता बैठ कर टुकुर टुकुर ,

सिर्फ बुर की रगड़ाई घिसाई नहीं , चूसना चाटना ,69 सब कुछ ,

तीन चार बार से कम कोई नहीं झड़ा होगा ,चाहे कच्ची कुँवारी किशोर कलियाँ रही हों या दो दो बच्चे की माँ भौजाइयां ,

और मेरे साथ तो ,..

संध्या भाभी हटीं तो रानू भाभी पहले से घात लगाये बैठीं थी।







४-५ भौजाइयां, एक के बाद एक




पांच बजे के आसपास ही सोने को मिला और तब तक एकदम लस्त पस्त.

जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,





और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।

जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,

और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।

मेरी तो सोच सोच के ,डर से आशंका से हालात ख़राब ,

कल सुबह इसी समय तो विदाई हुयी थी उनकी ,कल रात ही तो सुहागरात थी ,इतनी मीठी मीठी बातें पर

और बिचारे कमल जीजू उनकी क्या हालत हुयी होगी ,

कुछ सोच नहीं पा रही थी , किसी ने बोला बड़ी मौसी ( चीनू दी की माँ )अभी हॉस्पिटल से चीनू को देख के आ रही हैं ,

बस दौड़ती हुयी मैं उनके कमरे में पहुंची।

और


मौसी और मेरी मम्मी जोर जोर से खिलखिला रही थीं।

मेरी घबड़ाई हालत देख के मौसी ने हँसते पूछा ,




" कोमलिया तुझे क्या हो गया ,सुबह सुबह इतनी परेशान , ... "

मैंने किसी तरह अपने को कंट्रोल करते बोला ,

" चीनू दी ,.. हास्पिटल ,... अभी आप "

एक बार फिर मौसी और मम्मी खिलखिलाने लगीं।

" अरे तेरी चीनू दी की तेरे उस दुष्ट जीजा ने फाड़ दी और कुछ नहीं। "


मौसी जोर जोर से हंसते बोलीं।

फटती तो सबकी है सुहागरात में ,लेकिन हॉस्पिटल ,मैं सोच रही थी की मम्मी ने सब हाल खुलासा किया।


कमल जीजू लगता है कुछ ज्यादा ही 'वेल एंडाऊड ' है , बस , चीनू दी की ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी , इसलिए पास के नर्सिंग होम में भर्ती किया है , शायद एक दो टाँके वांके लगेंगे। मौसी देख के आयीं हैं ,उन्होंने डॉक्टर से बात भी की है , सब ठीक है परेशानी की कोई बात नहीं है।

और तबतक मंझली मौसी भी आ गयी और वो एकदम मेरे पीछे पड़ गयीं ,

जोर जोर से मेरे गाल मींजती बोली ,

" छोटी साली होने के तूने कुछ पकड़ वकड कर नाप वाप के देखना चाहिए था न। "

" लगता है चीनू की सास सच में गदहे घोड़े के पास गयी थी "


मम्मी हंसते हुए बोलीं।

" मैंने तो बोला ही था गाने में न ,लोग कहें गदहे का जना "
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