जोरू का गुलाम या जे के जी

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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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अभी कच्चे टिकोरे हैं ,थोड़ी मेहनत ,जोर जबरदस्ती ज्यादा करनी पड़ेगी तो कर लेना।

अपने सामने करवाउंगी ,खुद उसका हाथ पैर पकड़ के। और मुझे मालूम है उसके कच्ची कली की चुनमुनिया में भी बड़े बड़े चींटे काट रहे हैं। बस एक बार जबरदस्ती कर के फाड दे उसकी ,फिर तो खुद ही अपने हाथ में ले के तेरे पीछे टहलेगी। "

" एकदम तू इसे इसकी बहना का कच्ची चूत का मजा दिलवाना , और बस उसके बाद मैं अपनी समधन का नम्बर लगवाऊंगी।





घबड़ा मत मुन्ना ,बहुत जल्द। पहले कोरी चूत , फिर रसीले भोंसडे का मजा लेना ,मेरी गारंटी। अब तूने तो हाँ कर दी ही है , ... "



अब मम्मी अपने पूरे रंग में आ गयी थीं। मैंने कार के शीशे चढ़ा दिए थे। सिर्फ बातों से ही नहीं,...

उनके हाथ ,अपने दामाद के कंधे पर थे ,एकदम चिपकी थीं। जिस गदराये जुबना के वो दीवाने थे बस एकदम उनसे चिपका ,मम्मी के गाल उनसे बार बार छू जा रहे थे ,और उनकी लंबी उंगलिया खुल के , बल्ज के ऊपर था।

उनके रोयें उत्तेजना से ,रोमांच से खड़े थे , पर मैं समझ रही थी सिर्फ रोयें ही नहीं बल्कि बहुत कुछ खड़ा होगा उनका।

रही सही कसर मम्मी की बातें और उँगलियाँ कर दे रही थीं ,

" अच्छा सच बोल घर जा के तू किस के बारे में सोच के मुट्ठ मारता ,अपनी उस किशोर कमसिन बहना के ,या,.. "

मम्मी कुछ बोलतीं उसके पहले उन्होंने बहाना बना दिया ,

" नहीं मम्मी ,असल में कल रात में ठीक से सो नहीं पाया था इसलिए नींद आ रही थी। " उन्होंने नया बहाना ढूंढ़ा।


" अरे इत्ती सी बात , तो सो जा न मेरे कंधे पर रख के , ... " और जो मम्मी ने उनका सर पकड़ के रखा तो बजाय कन्धों के ,दो नरम नरम तकियों के बीच ,

मम्मी के दोनों गुदाज उभारों पर , ...आँचल तो उनका कब का नीचे सरक चुका था।



और ब्लाउज भी बहुत ही लो कट था ,इसलिए उनकी मांसल गोलाइयाँ , चेहरे को सहलाती और ऊपर से ,... मम्मी का हाथ उनके सर पे हलके दबाता सहलाता ,पुश करता उनके चेहरे को ,मम्मीकी गोलाइयों के बीच,...

चूड़ियों के खनखनाने से मैं साफ़ समझ रही थी ,मम्मी का हाथ अब उनके खड़े खूँटे पे खुल के जीन्स के ऊपर से ,आगे पीछे हो रहा था।





" मुन्ना सो तो तू आज रात भी नहीं पायेगा ,और जवानी में राते सोने के लिए थोड़े ही होती हैं। "

पांच दस मिनट में जब तक हम पार्लर नहीं पहुँच गए वह उसी हालत में रहे ,...

लेकिन वहां पहुँच के फिर वही ,

" आप दोनों लोग जाइये मैं यहीं रहूंगा। "

लेकिन अबकी मम्मी ने खुल के मेरी सास को दस मोटी मोटी , ...और उनका हाथ खींच के अंदर।





खिलखिलाहटों ने हम लोगों का वहां स्वागत किया। बहुत ही लक्जरियस,...

जिनी जो ओनर थी , मम्मी से बोली ,

" हम लोग आप लोगों का ही वेट कर रहे थे " मुस्करा के वो बोलीं।

ये बहुत ही 'स्पेशल किस्म 'का हाई क्लास पार्लर था ,जो कहीं लिस्टेड नहीं था, न ही इसका फोन नम्बर किसी डायरेक्टरी में था। बस ये तो मम्मी का ही जलवा था और उनकी नेट्वर्किंग , जो ,... मम्मी की जिस सहेली ने हमें यहां का कांटैक्ट दिया था उन्होंने ही जिनी को भी सब कुछ बता दिया था।

" आप ने बोला था न फेशियल और ,... "


जिनी बोल मम्मी से रही थी लेकिन निगाहें उसकी , 'उन्ही ' के ऊपर चिपकी थीं।




मम्मी ने उसकी बात बीच में कैच कर लिया और बोलीं,


" एकदम और उसके साथ मैनीक्योर पेडीक्योर भी ,असल में कुछ लोग मेरे पैरों को देख के ज्यादा ही ललचाते हैं ,इसलिए मुझे पैरों का थोड़ा ज्यादा ही ख्याल रखना पड़ता है, "





और जिस तरह मम्मी ने उनकी और देखा किसी को भी शक नहीं रहा वो किस के बारे में बातें कर रही हैं।

जिनी की भी निगाहे वहीँ पहुँच गयीं , उनकी ओर हाथ बढ़ाते वो बोलीं ,

" यू लुक वेरी प्रिटी "

ब्लश करते हुए उन्होंने हाथ मिला लिया। लेकिन उनका चेहरा अब एकदम गुलाल हो गया।



" एंड नाउ यू शूड मेक हिम प्रिटीयर। "



मम्मी ने साफ साफ अपना इरादा बताया।

और जिनी ने भी बिना उनका हाथ छोड़े हामी भरी और कहा



" एकदम यही तो हमारी स्पेशेलिटी है और उसके लिए हमारे पास एक स्पेशलिस्ट भी है ,सोफी।


उन्होंने सोफी को आवाज दी और मम्मी के फेशियल के लिए एक असिस्टेंट को बोला।




सोफ़ी ,... क्या चीज थी वो , मैं तो महा इम्प्रेस हो गयी।



टाल , ( कम से कम ५. ११ तो रही ही होगी ) छरहरी एकदम सुरु के पेड़ की तरह , तन्वंगी लेकिन साथ ही खूब कर्व्स भी , गोलाइयाँ पूरी भरी गुदाज।

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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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साढ़े तीन इंच की स्टिलेटो हिल्स ,और ब्लैक फिशनेट स्टाकिंग , उनसे झांकती छलकती मांसल पिंडलियों की गोराई साफ़ दिख रही थी। ब्लैक लेदर स्कर्ट ,घुटनों से बहुत ऊपर ख़तम हो जारही थी ,लेकिन बहुत शार्ट भी नहीं थी।

पर सबसे इम्पार्टेंट था उसका हावभाव ,पर्सनाल्टी , एट्टीट्यूड और हलकी सी डामिनेंस की फीलिंग,...

मुस्कराते हुए उसने हम सब लोगों को हाय बोला और उनके सामने हाथ बढ़ा दिए हैंडशेक के लिए ,

" आई ऍम सोफ़ी एंड ,... "

वो कुछ बोल पाते की उसके पहले मैं बोल पड़ी ,उन्हें उनके गर्ली नाम से इंट्रोड्यूस कराते बोली , मीता।

" हाय मीता, व्हाट कैन आई डू फार यू ,.. "




" एक्च्युली ,अ लाट लेकिन बस शुरू में थोड़ा सा फेशियल फिर नेल आर्ट ,




यु नो ब्राइडल मेकअप ऐसा हलका सा ,लेकिन मेकअप ज़रा परमानेंट और वाटर प्रूफ "





डिटेल इंस्ट्रक्शन के लिए मम्मी थी ही लेकिन जो सोफी ने बोला उससे मेरा दिल खुश हो गया।

वो बोली


" श्योर ,लीव ईट टू मी। और जहां तक मेकअप का सवाल है १५-२० दिन तक तो हलका भी नहीं पडेगा। "

और मैं इसी लिए खुश थी ,मम्मी तो हफ्ते दस दस दिन बाद वापस जाने वाली थीं। और उसके तुरंत बाद मैं इन्हें इनके मायके ले जाने वाली थी। बस, अब ये लाख उछल कूद करें इस रूप सिंगार का ,लिपस्टिक और नेल पालिश का असर तो तब तक जाने वाला नहीं था। पन्द्ह बीस दिन ,यानी मेरा काम बन गया।


" आओ न मीता , आई विल मेक यू सॉफ्टर ,प्रीटीयर , स्वीटर , ... और कोमल , और सुन्दर और मीठी ,... "







सोफ़ी ने उनका हाथ पकड़े पकडे ,अपने साथ खींचते कहा ,और वो भी एकदम से मन्त्र मुग्ध उसके पीछे पीछे चले गए।

जिधर से वो आयी थी ,पार्लर का वो एक अलग कोना था ,दोनों ,सोफ़ी और वो , उधर ही चले गए.

मैं अपना हेयर डू थोड़ा चेंज करवाना चाहती थी ,पर्म और स्टर्न लुक , उसके बाद फेशियल ,...

माम का फेशियल स्टार्ट हो गया था।

" सोफ़ी अभी हाल में आयी है ,शी इज यंग बट एक्सपीरिएंस्ड एंड डिटर्मिन्ड इन ट्रांसफार्मेशन। वो एकदम साफ्ट और और सेंसुअस लुक देने में एक्सपर्ट है ,जितनी भी हार्ड एजेज़ हैं सब , ... और जो लोग थोड़े लजीले ,ना ना करने वाले होते हैं न , सोफी फर्मली उन्हें हैंडल कर लेती है , आल स्टेप्स तो डिस्कवर देयर रियल सेल्फ। मीता का आज फर्स्ट डे है न इसलिए एविएरीथिनग इज आन हाउस। विद सोफ़ी यू कैन बी श्योर ऑफ़ कम्प्लीट ट्रांसफार्मेशन , बट ,... इट टेक्स टाइम। "

मैडम जिनी मम्मी से बोलीं और मम्मी ने भी बहुत रॉयल अंदाज में बोला ,

"टाइम एंड मनी इज नो कंसीडरेशन। "

और मैडम जिनी का चेहरा खिल गया।


कुछ देर में मेरा हेयर डू हो गया और एकदम से मेरा लुक बदल गया , जैसा मैं चाहती थी एकदम वैसा ,स्टर्न लेकिन सेंसुअस। मेरा नेल वर्क भी कम्प्लीट हो गया था तभी वो आये ,

सच में एकदम चेंज लुक ,और सबसे अच्छी बात ये थी , ही वाज स्माइलिंग एंड इंजॉयिंग दैट लुक /

चेहरा उन का एकदम दमक रहा था ,मेकअप से भी ख़ुशी से भी।




उनकी आईलैशेज वेयर थिकर एंड फुलर, आइ ब्रोज सो कर्वी एंड थिक, लाइक सम सेक्सी सल्ट्री साईरन ,..

. आईलाइनर ,हल्का सा काजल, उनके बोनी चीकबोन्स हाइलाइट कर दिया था।

उनके गाल गोरे गुलाबी तो थे ही लेकिन विद अ टच आफ रूज , गाल उनके एकदम गुलाब हो रहे थे। लिप ग्लास से लिप्स एकदम फुल ,जूसी , सक्यूलेंट हो गए थे। खूब भरे भरे जैसे कोई आइटम गर्ल या सेल्सी मॉडल हो , और सबसे बड़ी बात ये लुक अगले १५-२० दिन तक यानी उनके मायके में भी,

मैं उनका चेहरा देख कर ही खुश हो रही थी की उन्होंने अपना हाथ आगे कर दिया।

उनकी अंगुलिया तो वैसी ही लंबी गोरी पतली फेमिनिन लुक वाली थीं लेकिन अभी तो, मैं एकदम से पह्चान नहीं पायी।


परफेक्ट नेल वर्क ,न्यू ग्लास , पालिश एकदम चमक रही थी। जस्ट परफेक्ट।



और सब से अच्छी बात ये थी ,ही वाज सो हैप्पी इन ' हर ' न्यू लुक।

बहुत ख़ुशी से उन्होंने मुझे एक गिफ्ट रैप्ड पैकेट दिखाया। पिंक कलर के रैप में,

" उन्होंने , ... मैडम ने दिया है ,गिफ्ट। " वो ब्लश भी कर रहे थे और खुश भी बहुत थे।

तीन असॉर्टेड रेड लिपस्टिक , रेड लिप लाइनर्स ,आई शैडो पैलेट और पाउडर ब्लशर फॉर फेमिनिआइजिंग दोज मेल चीकबोन्स ,.. और साथ में एक कार्ड ,

टू मीता विद लव। ... कम अगेन ,..

माम का चरण सौन्दर्य का काम अभी चल ही रहा था की मैं सोफी केबिन की ओर चली गयी ,उसे थैंक करने के लिए फार गुड वर्क डन।



पूरा पिंक और बहुत लक्ज़रियेंट ,



वो एक कोई कैटलॉग देख रही थी , और जिस का मेकअप किया जाता था उस के लिए जो चेयर थी वो काउच में बदल जाती थी।

मेरी निगाहें चारो और दीवाल पर घूम रही थी ,मैं एकदम महाइम्प्रेस , सोफ़ी के सर्टिफिकेट्स ,उसकी सक्सेस स्टोरीज और सबसे इंटरेस्टिंग थीं ,शेल्फ में रखी तरह तरह की ,...

वो उठ के मेरे पास आयी और बहुत पोलाइटली मुस्कराते हुए उसने मरी बधाई स्वीकार की और बोली ,

" यस मेरे काम को वैसे तो कुछ लोग 'जेंडर ट्रांसफार्मेशन ' भी कहते हैं पर मैं इसे देखती हूँ की कैसे मैं उन्हें ज्यादा सॉफ्टर ,सेंसुअस, कोमल बनाती हूँ ,उन्हें इस बात को स्वीकार करने के लायक की वो अपने 'ट्रू शेल्फ ' जैसे हो सके ,खुल कर अपने 'दूसरे रूप ' को इंज्वाय कर सकें ,बिना किसी गिल्ट कांशस के। और एकदम अच्छी तरह से। "

उसने वो कैटलॉग मेरी ओर बढ़ाया और मेरे तो जैसे ,... एकदम शब्द विहीन हो गयी मैं।

जो चीज मैं सोच सकती थी और जो मेरी कल्पना से भी बाहर थी , सब कुछ तो थी वहां।

फेमिनिजाइंग ज्वेलरी ,ब्यूटीफुल कामसेटिक्स विद वाटरप्रूफ परमानेंट मेकअप , एक्सेसरीज़ ,... क्या नहीं था लेकिन जिस चीज ने मेरे होश उड़ा दिए वो थे ,


ब्रेस्ट ,एकदम परफेक्ट ३२ सी ,३४ सी , हर शेप और साइज के बॉडी फ्रेम के हिसाब से।

बार्न अगेन सिलिकॉन ब्रेस्ट्स , थोड़े महंगे लेकिन एकदम रियल लाइफ ,





पेयर आफ टियर ड्रॉप शेप्स विद रियल लुकिंग निप्स और अरियोला , और साथ में मैचिंग ब्रा ,लेसी पुशअप ,पैडेड ,...
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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मेरी मन की बात भांपते मुस्करा के सोफ़ी बोली ,

"यस फार मीता आलसो लेकिन अभी नहीं कुछ ट्रेनिंग के बाद , उनकी बॉडी परफेक्ट है एकदम टेलर मेड , अभी नहीं लेकिन सून ,वेरी सून ,... एंड आई गारंटी इवेन इफ समबडी प्रेसेज , फान्डल्स , केयरसेज ओवर द ड्रेस वो डिफ़रेंस नहीं बता पायेगा ,...मेरी गारंटी। में बी आफ्टर टू थ्री सेटिंग्स ,... "

और सोफ़ी ने खुद कैटलाग के दो चार पन्ने एक साथ पलट दिए।

और मेरी ऊपर की सांस ऊपर नीचे की नीचे रह गयी ,...

वैजाइना ,...

पिंक एकदम रियल लाइफ लाइक, साफ्ट जूसी लैबिया ,पल्सेटिंग क्लीट


" क्यों इनका इस्तेमाल भी हो सकता है क्या , ?"

मॉम की आवाज थी। वो पता नहीं कब दबे पाँव चली आयीं और हम दोनों को पता ही नहीं चला।

" एकदम ,लेकिन डॉगी पोज इस्तेमाल करनी होगी। " खिलखिला के सोफ़ी बोली और उसका मतलब समझ के हम दोनों की हंसी भी उसमे शामिल हो गयी।

हम ने ध्यान नहीं दिया था और वो भी कुछ दूर पर ,...

मॉम ने उन्हें देखा सबसे पहले और मुस्करा के सोफ़ी से कहा ,


" अब तुझे इसे अपनी छत्रछाया में ले लेना चाहिए। "

सोफ़ी जा के उनके बगल में ,उनके कंधे पर हाथ रख के खड़ी हो गयी थी।

उनके ताजे ताजे पिंक पेंटेड लिपग्लास पे हलके हलके ऊँगली फिराती वो बोली ,

" आई हैव आलरेडी टेकेन हर अंडर माई विंग्स ,... क्यों है न मीता। "

वो थोड़ा झिझके थोड़ा लजाये लेकिन सर हिलाके उन्होंने हामी भर दी और धीरे से बोला भी ,

" हां ,.. यस श्योर ,... "

वो ब्लश कर रहे थे लेकिन सोफ़ी के लंबे नाखूनों का टच भी इंज्वाय कर रहे थे।
मुझे एक आइडीया आयी और मैंने सोफ़ी से पूछ लिया ,

" हे ,वी आर आर्गनाइजिंग अ हेन पार्टी ,स्लाइटली वाइल्ड , वुड यू लाइक टू ज्वाइन ?"

" श्योर ,नेकी और पूछ पूछ , एंड मैं भी इस शहर में नयी नई हूँ , और मैं भी चाहती थी कुछ एक्साइटिंग लोगों से मिलना। दैट विल बी ऐन अपॉर्च्युनिटी और जहां तक वाइल्ड का सवाल है ,वाइल्डर द बेटर। " हंस के वो हम लोगों से हाथ मिला के वो बोली।

लेकिन उनसे हाथ नहीं मिलाया , उन्हें हग किया और बोली ," ओ के मीता ,मिलते हैं ब्रेक के बाद। "

हम लोग कार में बैठ रहे थे की वो फिर आयी और उन्हें एक बुक गिफ्ट किया ,

" मीता फ्राम माई साइड,रीड लर्न प्रैक्टिस एंड यूज। "

श्योर वो बोले। वो तो बेताब थे रैपर खोलने के लिए ,लेकिन वो खुद उन्हें चिढाते बोली , " अरे इतनी भी जल्दी नहीं। घर पहुँच के "


रास्ते में हेन पार्टी की बात शुरू हो गयी और उनका फायदा हो गया।



मम्मी जो उनके मायकेवालियों की ऐसी की तैसी करतीं वो बच गयी। ड्राइव अभी भी मैं ही कर रही थी और वो पीछे मम्मी के साथ बैठे थे।


" मॉम , अब तो ये कॉक भी हेन हो गया है ,इसे भी हेन पार्टी में शामिल कर लेते हैं " ड्राइव करते आगे से मैंने पूछा।

" एकदम लेकिन रुक इसका टेस्ट तो कर लेते हैं , और उनके ताजे ताजे पाउडर रुज लगे गाल पर हाथ फेरते मम्मी उनसे बोली ,

" सुन मैं कुछ सवाल करुँगी अगर तूने मेरी बेटी से पहले जवाब दे दिया तो ठीक वरना, मैं मान लुंगी की अभी तेरी ट्रेनिंग बाकी है और सजा होगी की घर पहुंचने के पहले तुझे मेरी समधन के नाम दस मोटी मोटी गालियां सुनानी पड़ेंगी। समझ ले मैं शुरू करती हूँ ,

और मम्मी शुरू हो गयीं ,

" व्हाई मेन आर लाइक कापियर्स "

और सवाल खत्म होने के पहले ही मैंने जवाब सुना दिया ,

" बिकाज दे आर गुड फार रिप्रोडक्शन ,एंड टैट इज आल। "

" व्हाई मेन आर लाइक ,.. हाई हील्स " माम ने दूसरा सवाल पूछा।

" एक बार बस यूज करना समझ लो दे आर ईजी टू वाक् आन इन्टायर लाइफ। " मैंने फिर सवाल ख़तम होने के पहले जवाब दे दिया।

" .... बैंक अकाउंट,... "

"... ढंग का बैंक बैलेंस न हो तो कोई इंटरेस्ट नहीं जेनेरेट होता है।"

"... लाइक कामर्सियलस ,.. "

" ... यू डोंट बिलीव अ वर्ड ,दे से ,.. "

" ... पापकार्न ,... "

" थोड़ी देर मजा आता है ,लेकिन बहुत थोड़ी देर। "

और मम्मी उनकी ओर विजयी निगाह से देख रही थीं ,बस अभी वो उनसे अपनी समधन को , लेकिन मैंने उदारता दिखाई।

' चल मम्मी ये भी याद करेंगे ,कैसे दरियादिल लोगों से पाला पड़ा था अबकी मैं पूछुंगी , और जवाब कोई नहीं देगा सिर्फ तुम्हे देना होगा , ये मत कहना की मुझे तो आता था तुमने पहले बोल दिया। पूरे ४५ सेकेण्ड का टाइम भी दे रही हूँ। "

मॉम ने मुंह बना लिया की मैं उनका फेवर कर रही हूँ लेकिन मान गयीं।




" चलो बोलो ,मैंने पूछा , व्हाई ककंबर्स आर बेटर देन मेन , कम से कम पांच बाते बतानी होंगी ,४५ सेकेण्ड का टाइम ,और अबकी अगर हारे न तो गालियां तो तो देनी पड़ेंगी , तेरे मायकेवालियों के बारे में जो जो मैं और मम्मी बोलेंगी वो सब बोलना पडेगा।“

ये बाजी भी वो हार गए। मैंने ही बताया।

औसत ककम्बर ६ इंच से तो बड़ा ही होता है।

( वैसे उनका भी ६ इंच से बड़ा ही था लेकिन बात औसत की थी )

ककम्बर हफ्ते भर तक कड़ा रहता है।

.... उनको कभी परफार्मेंस ऐन्क्ज़ायटी नहीं होती।

.... आप घर ले जाने से पहले उन्हें चेक कर सकते हो ,बाजार में सहला कर देख सकते हो ,पकड़ सकते हो।

... उन्हें दूसरे ककम्बर से जलन नहीं होती।

हाँ उनके मायके वालियां बच गयीं क्योंकि तब तक हम लोग घर पहुँच गए।
………………….
हम लोग घर पहुँच गए और उनको मुर्गे से मुर्गी बनाने के चक्कर में मेरी सास की ऐसी की तैसी होने से बच गयी।


लेकिन मैं डांट खाने से नहीं बची।


हुआ ये की मम्मी का प्लान था कहीं बाहर खाने का ,और ये अपने झुमके और नथ के चक्कर में झिझक रहे थे।

मैं भी इनको बचाना चाहती थी ,आखिर कुछ भी हो ,' मेरा पति सिर्फ मेरा है। "

घर पहुंचते पहुँचते तिजहरिया हो गयी थी और सबके पेट में चूहे कूद रहे थे।
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वापस घर




मम्मी को घर पहुंचते ही याद आया की रस्ते में हम लोग रेस्टोरेंट में तो रुके ही नहीं खाना खाने के लिए।

उनका प्लान था की उनके नथ और झुमके ,फिर पार्लर के बाद ,किसी रेस्टोरेंट में खाना खाएं , जिससे सब के सामने उनकी झिझक,

पर मैं जानती थी उन्हें कितना पुश करें ,कितना नहीं ,... घर की बात और थी ,जहां सिर्फ मैं और मॉम होते थे , बाहर अभी ,...

मैंने बात बनाई ,

" मैंने दो तीन जगह चेक किया था ,टेबल खाली नहीं थी लेकिन आप घबड़ाइये नहीं मैंने ऑर्डर कर दिया है मटन बिरयानी के लिए बस पंद्रह मिनट में पहुँचती होगी। "

उन्होंने जोर से घूरा मुझे गुस्से से ,उन्हें मेरी चाल पता लग गयी थी मआख़िर वो मेरी भी माँ थी ,और ये भी की मैं उनको प्रोटेक्ट कर रही हूँ। बस गुस्से में पैर पटकते हुए अपने कमरे में चली गयीं।

लेकिन मुझे उनका इलाज भी मालुम था ,मैंने उनके कान में बोला ,

"अरे यार जाओ न उनके कमरे में उन्हें चेंज करने में हेल्प कर दो , तेरा फायदा हो जाएगा। "

अंधे को क्या चाहिए दो आँखे ,... वो मम्मी के पीछे पीछे ,..

और जब वो दोनों लोग बाहर आये तो मम्मी बस एक ट्रांसलूसेंट गाउन में जिसमें उनका उभार ,कटाव सब कुछ दिख रहा था। और सास दामाद खुश और खिलखिलाते

टेबल पर वो गिफ्ट रैप्ड बुक पड़ी थी जो सोफ़ी ने उन्हें दी थी ,' लर्न पैक्टिस एंड बी परफेक्ट " के इंस्ट्रक्शन के साथ।

वो उठा के खोलने लगे तो मैंने उन्हें छेड़ा ,

" बहुत जल्दी है ,... "

बिचारे शरमा के उन्होंने किताब रख दी लेकिन पीछे से मम्मी ने उन्हें पकड़ने की कोशिश करते हुए बोला ,


"लेकिन मुझे तो बहुत जल्दी है। "


" अरे मम्मी रात तो होने दीजिये न ," किसी तरह हंसी रोकते मैंने समझाया।

" ओह रात ,.. कब होगी रात ,... ".... अंगड़ाई लेते हुए बड़ी अदा से वो बोलीं ,और उनके दोनों कबूतर जैसे उड़ने के लिए बेचैन हो खुल के दिख गए।



रात आयी लेकिन आज शाम से सास दामाद की जुगलबंदी ,

वो एकदम से अपने दामाद की ओर , ... मैं बिचारी ,.. एकदम बाहर वाली हो गयी थी।

मम्मी ने शाम होते ही हुकुम सूना दिया आज चाय मैं बनाउंगी।

वो सोफी की किताब पढ़ने प्रैक्टिस करने में बिजी थे।

और मैंने कुछ ना नुकुर करने की कोशिश की तो मुझे डांट पड़ गयी ,

" जब से मैं आयी हूँ देख रही हूँ वो बिचारा जब देखो तब किचेन में घुसा रहता है ,और तुम पलँग चढ़ी कभी फोन ,कभी टैब कभी टीवी , ... जाओ ,.. " और फिर असली कारण भी उन्होंने बता दिया क्यों वो उस 'बिचारे' का साथ दे रही थीं ,


" अरे रात भर तो उस बिचारे की आज रगड़ाई होनी ही है ,अभी तो थोड़ा आराम कर ले। "

( जैसे गौने की रात कोई सास ,भौजाई को छेड़ रही ननदों को हटाये ये सोच के ,की बेचारी रात भर तो रत जगा करेगी ही )


खाने के समय भी मम्मी ने हुकुम सुना दिया , बहुत ही सिम्पल बस कोई एक दो चीजें ,

और यही नहीं किचेन में भी उनके साथ थीं वो , एक दो लैम्ब की डिशेज उन्हें सिखाने के लिए।


मम्मी के छेड़ने की , दोनों लोगों के खिलखिलाने की आवाजें किचेन से आ रही थीं।

आज उन्होंने आठ बजे टेबल सेट भी कर दी , और मम्मी आज मुझसे पहले टेबल पर पहुँच भी गयीं।

सिर्फ लैम्ब चॉप्स ,लैम्ब स्पेयर रिब्स और शाम की बची हुयी बिरयानी बस फ्रेश कर दी , ...



स्वीट डिश भी नहीं ,... वो आज मेरे और मम्मी के बीच में बैठे।

स्वीट डिश के लिए मैंने पूछा तो मम्मी ने मुझे घूर के देखा और उनके रसीले होंठों पे हाथ फेरतीं बोलीं ,

" इतनी अच्छी स्वीट डिश के रहते हुए और किसी स्वीट डिश की कोई जरूरत है क्या , ... फिर उन्होंने अपना फैसला भी सूना दिया। "

" तूने बहुत दिन मजे ले लिए ,अब जब तक मैं रहूंगी ,मैं और सिर्फ मैं ये हवा मिठाई खाऊँगी,क्यों मुन्ना। "

और जिस तरह से उन्होंने ब्लश किया बस ,... यही अदा तो मम्मी को घायल कर देती थी।

मैं और मम्मी ,मम्मी के कमरे में चले गए।

वो किचेन में काम निपटाने , और उनके आते ही मम्मी ने अपने पैर उनकी ओर बढ़ा दिए , बल्कि खुद ही अपना गाउन खींच के घुटनो के ऊपर कर दिया।



मम्मी के ताजे पेडिक्योर किये हुए पैर , गोरे गोरे महावर लगे तलुए , पैरों में रुन झुन करते बिछुए ,चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल, मांसल गोरी पिंडलियाँ



उनकी तो चाँदी हो गयी।

बस बिना कहे पहले तलुवे ,फिर पैर, ...


साथ में मम्मी की तारीफ़ और छेड़ छाड़ , बहुत अच्छी मालिश करते हो , लगता है मेरी समधन किसी मालिश वाले के साथ सोई होंगी तभी पेट से ही सीख के ,...

वो शर्मा रहे थे।

हम दोनों मजे ले रहे थे।



" अरे मम्मी सिर्फ खून में होने से थोड़े ही होता है ,प्रैक्टिस भी तो लगता है खूब की है उन्होंने ," मैंने उन्हें मुस्कराते हुए छेड़ा।

" हाँ एकदम बोल न किस का दबाते थे ,अपनी मम्मी का की भौजाई का दबा दबा के सीखा है। " मम्मी ने चिढाया।

मम्मी का दूसरा पैर उनकी जांघ पर था ,जान बूझ कर मम्मी हलके हलके सरकाते आलमोस्ट उनजे तन्नाए बल्ज के पास ,

" अरे शर्मा काहे को रहे हो आखिर दबाने वाली चीज तो दबायी ही जायेगी न , ये मत बोलना की मेरी समधन या तेरी भौजाई दबवाती नहीं है , इत्ते मस्त है दोनों के। "
मम्मी जब उनके मायकेवालियों के पीछे पड़ जाती थीं तो उन्हें रोकना मुश्किल था ,फिर मैं क्यों रोकूंगी।

पैर के बाद उन्होंने मम्मी के कंधे भी दबाये और पीठ भी ,गाउन के अंदर हाथ डाल के ,


लेकिन उसका नतीजा वो हुआ जो न मम्मी चाहती थीं न मैं।

और शायद वो भी नहीं ,मम्मी को नींद आने लगी।

बीच बीच में वो हलके हलके खराटे लेने लगतीं।

" अच्छा चलो तुम दोनों जोर से नींद आ रही है , जाने के पहले लाइट बंद कर देना। मिलते हैं ब्रेक के बाद , " उनकी ओर देख के मुस्करा के बोलीं और करवट बदल के सो गयीं।

गाउन मम्मी का जांघ तक उठ गया।

निकलने के पहले उन्होंने मम्मी का गाउन ठीक किया और चादर ओढा दो।

लाइट मैंने बंद कर दी , पर जैसे वो बाहर निकले मैंने गपुच लिया 'हवा मिठाई "


" हे मम्मी से बच गए लेकिन मुझसे नहीं बचोगे। " मैंने दबोच के पुच्च पुच्च पंदरह बीस ले डाली उनके चेहरे पे।



सच्ची वो मुझे इतने प्यारे लगते थे , झूठ नहीं बोलूंगी ,... मैंने कभी शादी के लिए पूजा पाठ नहीं किया वो बस ऐसे ही मिल गए। लेकिन करती तो शायद उनके ऐसा ही चाहती, लेकिन मैं ये बात कभी उनसे बताती नहीं थी। बस इस डर से कहीं बिगड़ गए तो ,या फिर किसी की नजर लग गयी ,...


और प्लीज , प्लीज आप लोग भी उनसे कभी बताएगा मत। प्रामिस ,पक्का वाला न



" भूल गए भुलक्कड़ आज कौन दिन है , " अपने जोबन की बरछी उनके सीने में जोर जोर से चुभाती ,गड़ाती मैंने पूछा।

और उन्हें याद आ गया।

आफिस के दिनों में तो उन्हें फार्मल ,सेमी फार्मल पहनना पड़ता था ( हालांकि वो भी मैं ही सेल्केट करती थी और निकाल के देती थी , पत्नी का ये हक़ मैंने नहीं छोड़ा था ) लेकिन वीक एन्ड सिर्फ हमारा होता था , रात में उन्हें एक पुर्जी निकाल के ,.. और वो ड्रेस पहन के वो मेरे पास आते थे , और वीक एन्ड की रातें सोने के लिए थोड़े बनी होती हैं।

मैंने चिट्स का डिब्बा उनके सामने कर दिया।

चिट ले के वो गायब हो गए ,बस थोड़ी देर में।


अपने बेड रूम में पहुँच के नाइटी में चेंज कर के मैं बिस्तर पर लेट गयी थी।



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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

Post by kunal »



अभी मुश्किल से दस बज रहा था ,

मेरे कितने सीरियल छूट गए थे ,मैंने टीवी आन किया ,नाइट बल्ब जलाया और बाकी लाइट बंद कर दी /



सीरियल अभी शुरू ही हुआ था की वो आ गए ,


एकदम मस्त माल लग रहे थे वो ,गौने की दुल्हन जो नथ उतरवाने के लिए बेताब हो।



पिंक पटोला,लाल ब्रोकेड का चौड़ा बॉर्डर खूब फ़ब रहा था उनके ऊपर।


कच्छी आलमोस्ट बैकलेस स्ट्रिंग ब्लाउज, कानों में झुमके और नाक में मोती वाली छोटी सी नथ तो जिनी के यहां ही पहन ली थी उन्होंने ,


और चेहरे का नयी दुल्हन वाला मेकअप सोफ़ी ने गजब का किया था पर उन्होंने लिपस्टिक का ग्लास फ्रेश कर लिया और हल्का सा पाउडर ,रूज भी चीकबोन्स को हाइलाइट करने के लिए।





एकदम मस्त माल लग रहे थे वो ,गौने की दुल्हन जो नथ उतरवाने के लिए बेताब हो।


पिंक पटोला,लाल ब्रोकेड का चौड़ा बॉर्डर खूब फ़ब रहा था उनके ऊपर।

कच्छी आलमोस्ट बैकलेस स्ट्रिंग ब्लाउज, कानों में झुमके और नाक में मोती वाली छोटी सी नथ तो जिनी के यहां ही पहन ली थी उन्होंने ,और चेहरे का नयी दुल्हन वाला मेकअप सोफ़ी ने गजब का किया था पर






उन्होंने लिपस्टिक का ग्लास फ्रेश कर लिया और हल्का सा पाउडर ,रूज भी चीकबोन्स को हाइलाइट करने के लिए।




चुरमुर करती चटकने को बेताब लाल लाल चूड़ियां ऑलमोस्ट कुहनी तक ,कंगन ,बाजूबंद पतली कमर में पतली सी चांदी की करधन ,

पैरों में चौड़ी वाली हजार घुंघरुओं की पायल ( जो मैंने उन्हें उनके बर्थडे की रात पहनाई थी,)चौड़ा गीला ताजा महावर , और रुमझुम करते सारी रात बजने को बेताब बिछुए ,...


और हाँ गले में मंगलसूत्र भी ,

काजल से कजरारी आँखे , लालगुलाबी भरे भरे रसीले होंठ , मालपुवा ऐसे कचकचा के काटने लायक गाल और जो पैडेड ब्रा उन्होंने चोली के नीचे पहन रखी थी ,एकदम किसी किशोरी के नयी नयी गौने के दुल्हन के अनछुए टेनिस बाल साइज के बूब्स लग रहे थे ,

मेरा तो मन कर रहा था की बस ,... लूट लूँ ,...




और सबसे बढकर उनका एट्टीट्यूड , वो एकदम गौने की रात वाली लाज शरम, पलाश की तरह दहकते ब्लश करते गाल ,झुकी झुकी निगाहें,... जैसे मन कर भी रहा हो डर भी लग रहा हो , ... क्या होगा आज रात ,..

पूरी रात मेरी थी

( थी तो पूरी जिंदगी मेरी )

" हे जरा चल के तो दिखाओ "

जिस तरह उन्होंने शरमाते हुए धीरे से हूँ बोला और घूँघट हल्का सा हट गया ,

लगा जैसे हजारों दिए अँधेरी रात में एक साथ जल गए हों ,

हजार जल तरंग एक साथ बज उठे हों ,


और हलके हलके कदम रखते हुए उन्होंने कैट वाक् शुरू किया ,

मेरी निगाहे तो उनके नितम्बो पर चिपकीं थी ,एकदम गज गामिनी।


अब मुझसे नहीं रहा गया।

दरवाजा घुसने के साथ ही उन्होंने बंद कर दिया था ,एक मद्धम मद्धम नाइट बल्ब जल रहा था ,मदिर मदिर,


टीवी पर सीरियल आ रहा था , बहुत हलकी आवाज में ,लेकिन अब उसे कौन देख रहा था ,यहाँ सामने हॉट हॉट पूरी अडल्ट फिल्म चल रही थी ( जैसी हमारे मोहल्ले वाला केबल वाला रोज रात में एक बजे से लगाता था )

मैंने बोल ही दिया , आओ न। इन्तजार करना बहुत मुश्किल हो रहा था।

और वो आ गए ,मेरे साथ हलकी सी रजाई जो मैंने ओढ़ रखी थी उसके अंदर।


एसी फुल ब्लास्ट पर चल रहा था।

वो आये और मैंने उन्हें दबोच लिया ,आज मैं शिकारी थी और वो शिकार ,...मम्मी से तो वो बच गए लेकिन मुझसे नहीं बचने वाले थे।

मैंने उन्हें गपूच लिया और हलके सहलाती रही , कभी गालों को कभी होंठों को।

फिर हलके से दबा लिया।

जल्दी नहीं थी मुझे रात अभी जवान थी , और मुझे धीमे धीमे मजा लेना था।


वह चुपचाप लेटे , बस थोड़ा लजाते कुनमुनाते ,

जो करना था मैं कर रही थी , उनकी लंबी लंबी गहरी साँसे बस उनकी उत्सुकता ,उत्तेजना का राज खोल रही थीं।

और मुझे पता चल रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा था।

बाहर रात धीरे धीरे झर रही थी ,

हलकी सी खुली खिड़की सी रात रानी की भीनी भीनी खुशबू अंदर आ रही थी और साथ साथ में थोड़ी थोड़ी मीठी मीठी चांदनी भी।


और फिर हलकी सी खट खट की आवाज हुयी ,

हम दोनों ने उसे अनसुनी कर दिया।

हम दोनों आपस में ही खोये थे ,लेकिन आवाज तेज हो गयी फिर और फिर बार बार,


और फिर मम्मी की आवाज सुनाई पड़ी ,

"तुम लोग सो गए हो क्या" ?

जब तक ये अपना हाथ मेरे मुंह पे लाकर मेरा मुंह भींचते ,मेरे मुंह से निकल ही गया

" हाँ मम्मी "

और उसी समय मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया लेकिन अब हो क्या सकता था।

" दरवाजा खोलो " मम्मी की टिपकिकल डिमांडिंग आवाज सुनाई पड़ी।



खूब निदासी आँखों के साथ जुम्हाई लेते ,अंगड़ाई लेते मैंने जाके दरवाजा खोला।

ये एकदम रजाई ओढ़ के दीवार की ओर दुबक गए ,आँखे जोर से बंद कर के।




" अभी अभी नींद लगी थी ,बहुत तेज। आप देर से नॉक कर रही थीं क्या ?" मैंने बहाना बनाया। और ये भी जोड़ा ,

" बिचारे तो थके मांदे , आधे घंटे पहले ही पलंग पर पड़ते सो गए। "



" आधे घण्टे हो गए नॉक करते , तुम न घोड़े बेच कर के सोती हो ,बचपन की आदत है तेरी। " मम्मी ने बुरा सा मुंह बना के हड़काया और मतलब साफ़ किया ,

" थोड़ी देर पहले ही नींद खुल गयी थी मेरी ,फिर नहीं आ रही थी। मैंने सोचा चलो सीरियल का रिपीट आ रहा होगा देख लूँ ,शुरू हो गया क्या ?

उनकी निगाहें टीवी पर गडीं थी और मेरी बिस्तर पर जहाँ ये दुबके छिपे पड़े थे।

बस मैंने उन्हें बचाने के लिये ,... मैं घुस गयी रजाई में एकदम उनसे चिपक कर ,

" आइये न मम्मी ,बस अभी शुरू हुआ है। "

और मम्मी भी रजाई में धंस ली सीरियल देखने लगी।

गनीमत थी उनके और मम्मी के बीच में मैं थी , चीन की दीवाल की तरह।

मम्मी का ध्यान पूरी तरह सीरियल पर लगा था और मैंने मना रही थी किसी तरह आधा घंटा पूरा हो सीरियल ख़तम हो और मॉम जायँ अपने कमरे में।

आधे घण्टे ख़तम हो गए ,सीरियल भी ख़तम हो गया लेकिन मम्मी बजाय जाने के चैनेल सर्फ़ करने लगीं और मुझसे बोली ,

" ज़रा पानी लाओ , गला सूख रहा है। "

मैं एक दो मिनट रुकी पर रास्ता भी क्या था ,मैं पलंग से उठ कर गयी और जब लौटी तो ,..



गठरी मोठरी बने , अपने घुटनों में सर छिपाये घबडाते लजाते वो वो बैठे थे ,दुल्हन के जोड़े में एकदम गौने की रात में शर्माती डरती दुल्हन की तरह।

और मम्मी एकदम अब उनके सामने , ठुड्डी पे हाथ लगाए उनका मुखड़ा देखने की कोशिश में ,


और मुझे देखते ही मम्मी बोलीं,

" इत्ता मस्त माल छुपा के रखा था मुझसे , "


मम्मी ने आँखे चढ़ा के मुझसे बोला और फिर उनका घूंघट खोलने के चक्कर में पड़ गयीं।

बिचारे वो शर्मा रहे थे घबड़ा रहे थे लैकिन अंदर अंदर उनका मन भी कर रहा था।


और अचानक मम्मी ने पूरे जोर से ,हलकी फुल्के से नहीं ,सीधे उनके होंठ पर कचकचा के चूम लिया।





अपने दोनों भरे भरे होंठों के बीच उनके रसीले ,लाल लिस्प्टिक लगे होंठों को भर के जोर से उन्होंने काट लिया ,और देर तक चूसती रहीं।

यहीं नहीं ,मम्मी ने इतने पर भी नहीं छोड़ा और उनके रूज लगे ,फूले फूले गालों को भी कचकचा के काट लिया।

हलकी सी सिसकी निकल गयी उनकी।

" तेरी छिनार बहन भी ऐसे ही गाल कटवाती है न ,बोल बहन के भंडवे " चिढाते हुए मम्मी ने बोला ,तो मैं क्यों मौका छोड़ देती। मैं भी बोल पड़ी ,
" अरे मम्मी साफ़ साफ़ ये क्यों नहीं पूछती की क्या ये भी अपनी उस बहिनिया के ऐसे ही गाल काटते थे ?"

मम्मी का ध्यान अब लेकिन थोड़ा नीचे पहुँच गया था। उन्होंने आँचल जबरन हटा दिया था , कसी लो कट चोली और पैडेड ब्रा में हल्का सा क्लीवेज भी झलक रहा था।

मम्मी ने जोर से सीटी मारी और उनके गाल पे चिकोटी काट के बोली ,

"तेरे गेंदें तो ,तेरी उस साली से भी बड़ी बड़ी लगती है , रंडी के ,... बोल क्या साइज है तेरे माल की "

" ३२ सी ,... " हलके से उनकी आवाज निकली।



" मन करता है न दबाने को ,घबड़ा मत बहुत जल्द , ... "



मम्मी ने उन्हें एस्योर किया और तोप का मुंह मेरी ओर मोड़ दिया ,

" बहुत मस्त दुल्हन है न ,अगर दुल्हन इतनी मस्त है तो फिर सुहाग रात भी मस्त मनानी चाहिए न "



वो मुझसे बोलीं और बिना मेरे जवाब का इन्तेजार किये उनकी ओर जिस लोलुप खा जाने वाली निगाहों से देखने लगीं की वो काँप गए।

लेकिन मैं क्यों छोड़ती मैंने भी आग में घी डाला,

" एकदम मम्मी ,बिचारी इतना सज धज के ,सिंगार पटार कर के बैठी है ,फिर भी अगर आज इस की सुहागरात नहीं मनी ,अगर ये कोरी रह गयी तो ,.. अपने मायकेमें जा के शिकायत करेगी न ,सबका नाम बदनाम करेगी। "


मम्मी की निगाह उनके गोरे चिकने चेहरे पे अटकी हुयी थी ,

"अरे इसके मायके वालों का भोंसड़ा मारूँ ,... " उनके मुंह से निकला।

मम्मी अब अपने पूरे रंग में आ गयी थी ,फिर बोलीं ," लेकिन जरा अपनी इस प्यारी प्यारी दुल्हन को ठीक से देख तो लूँ , और उनसे बोलीं ,

" अरे जानम उठ जा जरा चल के दिखा तो। "

" सुना नहीं ,अरे मम्मी को अपने जोबन का जलवा तो दिखा। "


मैं भी मम्मी के साथ जुगल बंदी में शामिल हो गयी थी। "जरा उठो न ,खड़े हो ,चल के दिखाओ। " मैंने निहोरा किया और उठ के वो खड़े हो गए , पलंग के पास ही।

लजाते झिझकते एकदम मूर्ती की तरह , लेकिन क्या रूप था।

पिंक पटोला , अञ्चल सर से बस छलकता सा ,थोड़ा थोड़ा सीधी मांग दिख रही थी और उसमें सिन्दूर दमक रहा था। ऊपर से नीचे गहने ,सिंगार और सब से बढ़ कर जिस तरह लाज से उनकी आँखे झुकी थीं ,जिस तरह उँगलियों में उन्होंने पल्लू हलके से घबड़ाते हुए पकड़ रखा था।

मम्मी की निगाहें तो बस ऊपर से नीचे तक बार बार उन्हें सहला रही थी , बस निगाह हटती ही नहीं थी जैसे उनके रूप और जोबन से। फिर किसी तरह उन्हें उकसाती बोलीं ,

" ज़रा चल के दिखाओ न , थोड़ा सा ,मैं भी तो देखूं न , हस्तिनी की चाल है या चित्रिणी की ,गज गामिनी हो या ,... "

एक पल तो वो ठिठके लेकिन ,बहुत धीमे धीमे ,एकदम नयी दुल्हन की तरह लजाते सम्हलते , भरे भरे नितम्ब हलके हलके मादक मदिर डोलते ,

मम्मी तो बस चित्रलिखी सी देखती रहीं लेकिन मैंने मुंह में ऊँगली डाल के जोर की सीटी मारी और गुनगुनाया ,




" अरे गोरी चलो न हंस की चाल ,ज़माना दुश्मन है ,... "
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