जोरू का गुलाम या जे के जी

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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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ये मेरे और जेठानी जी के बीच में बैठे थे।

लंड की हालत तो इनकी मैंने किचेन में ही चूस चूस के ख़राब कर दी , बिना झाड़े और अब वो साढ़े साथ इंच एकदम शीयर शार्ट से झांकता ,

जेठानी जी की भी निगाहें वहीँ चिपकी।


"अपने माल को तो अपने होंठ से कैसे रस ले ले के खिला रहे थे , और भौजाई को ,... देवर के रहते भाभी को अपने हाथ का इस्तेमाल करना पड़े , कित्ती शर्म की बात है ,क्यों न दीदी। "


मैंने उन्हें उकसाया और अपनी जेठानी को भी लपेटे में ले लिया ,

" एकदम " वो बोलीं , फिर बस ,मैंने उन्हें आँख मारी जबरदस्त और लिम्का कम वोदका ज्यादा वाला ग्लास सीधे उनके हाथ से उनकी भौजाई के होंठों के बीच,

और पहले झटके में ही आधा पेग से ज्यादा उन्होंने थोड़ा मनुहार थोड़ा जबरदस्ती करके अपनी 'संस्कारी' भौजाई को घोंटा ही दिया।


" हे कैसा स्वाद है इसका ,एकदम अलग लग रहा है "

बुरा सा मुंह बनाते जेठानी बोलीं ,मैं तो अपनी मुस्कराहट रोकने में बिजी थी ,लेकिन उनोने बात सम्हाल ली ,

" अरे भाभी पीजिये न , ये मॉकटेल है अबकी मास्टर शेफ में फर्स्ट आयी थी , वहीँ से मैंने सीखी। लिम्का में एक दो कोल्ड ड्रिंक ,थोड़ा लाइम कार्डियल क्रश आइस , ...ापहली बार थोड़ा ,... लेकिन एक दो पेग ,मेरा मतलब एक,... दो घूँट पी लीजियेगा न तो मजा आएगा। "



इसरार करते उन्होंने एक बार और ,... और अबकी तो पूरा एक पेग वो अपनी भौजाई को घोंटा के माने।

जेठानी को तो पता नहीं पर मुझे बहुत मजा आने वाला था ,अगर एक बार उनकी भौजाई को चढ़ गयी तो,...


और मुझे उनके देवर पर पूरा भरोसा था। अगर वो अपनी बहन को पटा सकते थे मेरे साथ चलने के लिए तो , फिर तो ,.... मैंने भी उनका साथ दिया।

" सच में दी , मॉकटेल बनाने में तो ये एक्सपर्ट हैं ,मुझे भी पहली बार बड़ा कड़वा कड़वा लगा था लेकिन आधी ग्लास ख़त्म करने के बाद , ... "

मैं अपनी जेठानी से बोली और एक कबाब सीधे उनके मुंह में डाल दिया।
" दी ये खाइये न इसके साथ स्वाद ठीक हो जाएगा। "

उन्होंने आँखों ही आँखों में मुझसे हाई फाइव किया अपनी भाभी के ग्लास को रिफिल किया और फिर जेठानी जी के होंठो पे ,

अबकी बिना ज्यादा नखड़ा किये वो गटक गयीं।

दो पेग वोदका पहली बार ,और वो भी इतनी जल्दी , ..

.पांच छह मिनट में तो वो सर पे चढ़ के बोलने ही वाली थी।

तुम लोग तो लो , वो ग्लास ख़तम करते बोलीं ,

और मैंने अपने मुंह का अधखाया कुचला लिथड़ा , सीधे अपने मुंह से उनके देवर के मुंह में ,जेठानी जी के सामने और उन्होंने मुंह खोल के गड़प भी कर लिया। फिर उनके देवर ने मुगलाई पराठे में ;लपेट कर एक बड़ा सा कौर कबाब का , और सीधे अपनी भाभी के मुंह में।

मैंने किसी तरह भुलाने की कोशिश की ,जब मैं शादी के बाद आयी थी , भले ही मेरी जेठानी से जी ने हाथ भर का घूंघट कढ़वा रखा हो ,लेकिन बात तो सुनाई ही पड़ती थी न।


कैसे यही जेठानी जी मेरी सास से कह रही थी ,

" बहू तो अच्छी है ,देखने सुनने में ,खूब पढ़ी लिखी भी ,देवर जी की पसंद की लेकिन इसके घर में सुना है शराब ,कबाब सब ,... और हम लोगों का घर इतना संस्कारी ,धार्मिक ,... लहुसन प्याज तक नहीं "


उनकी बात काट के मेरी लगाम सासु जी ने जेठानी को सौंप दी ,


" अरे तो तू बड़ी है न , सीखा देना उसे ,थोड़ा प्यार से ,थोड़ा जिस घर में आयी है उस घर का चाल चलन तो सीखना ही पडेगा "

मैंने झटके से सब बातें हवा में तिनके की तरह उड़ा दीं।

बस एक बात मैटर करती है ,मेरा साजन सिर्फ मेरा है , और वह ,बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छा है।

वह अपने हाथ से मेरी उन्ही जिठानी को मुगलाई पराठे में लिपटा मटन कबाब बड़े प्यार से खिला रहे थे और बाद में लिम्का -वोदका ,




और वो उत्ते प्यार से ही खा रही थीं।

थोड़ी थोड़ी उन पे चढ़ भी रही थी ,किसी पे चढ़ जाती , पहली बार वो भी दो तीन पेग से ऊपर मेरी जेठानी की आँखों के लाल डोरे बता रहे थे।

और अब आम का नंबर था , जैसे ही उन्होंने अपने हाथों से दसहरी की फांक लेके अपनी भौजाइ के आम के फांक ऐसे रसीले होंठों की ओर किया तो उनकी भौजाई मुझसे बोलीं ,

" पहले तो नाम लेने से कूदता था और अब अपने हाथ से ,.... "




तब तक वो बोले ,


" भाभी पूरा खोलिये न तब तो डालूं , " ( डबल मीनिंग वाले डायलॉग में अब वो भी ,... )

उनकी भौजी ने खोल दिया ,और देवर ने डाल दिया , एक बार में पूरा ,

मुझे मौका मिल गया , जेठानी जी का आँचल नीचे ढलक गया और एक झटके में चुट पुट ,चुट पुट , जेठानी जी की ब्लाउज की तीन चुटपुटिया बटन खुल गयीं।




उनका गोरा गोरा खूब भरा गदराया कड़ा कड़ा जोबन आलमोस्ट छलक कर बाहर ,

शरारत का हक़ सिर्फ देवर भाभी का ही थोड़े है ,थोड़ा हक़ तो देवरानी का भी बनता है।

जेठानी जी के गुदाज खुले छलकते उभार पर अपनी ऊँगली से दबाते मैंने चिढ़ाया ,

" दीदी आप अपने देवर को ये वाले आम एक बार चखा देतीं न तो बस वो वाले आम भी ये खा लेते ,"

" मैंने कभी मना किया था क्या ,... बस यही एकदम बुद्धू,... " आम की फांक चूसती वो बोलीं।

एक फांक मैंने भी उठा ली लेकिन मैं मुस्कराते हुए सोच रही थी ,

यही बात तो कच्ची अमिया वाली भी बोल रही थी ,मेरी छुटकी ननदिया ,

" मैंने कभी मना किया था क्या , " ,...


लेकिन अब जमाना बदल चुका था अब ये कच्ची अमिया भी कुतरेंगे और रसीले आम भी।

मैंने उन्हें आँख से इशारा किया लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं पड़ी , इनका एक हाथ तो पहले ही अपनी भाभी के कंधे पर था और अब अपने आप सरकती उंगलिया जेठानी जी की खुली गोरी गुदाज गोलाइयों पर सरक कर ,...

जेठानी जी ने अपना हाथ उठाया , मुझे लगा शायद ये इनके हाथ को रोकेंगी लेकिन ,

उन्होंने एक खूब मोटी ,सिन्दूरी ,रस से छलकती फांक उठायी और सीधे देवर के मुंह में ,

और उन्होंने गड़प कर लिया।

इनकी आँखों में आंखे डालतीं शरारत से वो बोलीं ,क्यों आ रहा है मजा।

बस मौके का फायदा उठा के एक बार मैंने अपनी जेठानी की खाली ग्लास लिम्का -वोदका से भर दी और बोला ,

" अरे दीदी अभी तो मजा शुरू हुआ लेकिन आप की ग्लास तो अभी भरी हुयी है ,आप के देवर ने इत्ते प्यार से मास्टर शेफ वाल मॉकटेल बनाया है और आप ,... "

अबकी जेठानी ने जी खुद ग्लास उठा के बॉटम्स अप ,

आधा पेग से ज्यादा और अंदर।


" हे जो फिल्म लाये हो लगाओ न ," जेठानी खुद मटन कबाब गड़प करते बोलीं ,फिर कहा ," बढ़िया स्वाद है ,कभी खाया नहीं ऐसा। "

और उठ के उन्होंने डीवीडी लगा दी ,लेकिन उनके उठने का असर ये हुआ की ,

अब जेठानी जी बीच में हो गयीं ,मेरे और मेरे उनके बीच सैंडविच।

" हे जो फिल्म लाये हो लगाओ न ," जेठानी खुद मटन कबाब गड़प करते बोलीं ,फिर कहा ," बढ़िया स्वाद है ,कभी खाया नहीं ऐसा। "

और उठ के उन्होंने डीवीडी लगा दी ,लेकिन उनके उठने का असर ये हुआ की ,
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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अब जेठानी जी बीच में हो गयीं ,मेरे और मेरे उनके बीच सैंडविच।

टाइटिल से ही मैं समझ गयी कुछ भी बचा नहीं होगा इसमें , " हार्डकोर ३ ब्रेजर्स "

कुछ कुछ तो कुनमुनाई मेरी जेठानी जी , जब पिक्चर के शुरू में ही टॉप लेस ,...

" कैसी पिक्चर है ," कुछ मुंह बनाया उन्होंने

" आप के देवर लाये हैं आप के लिए , वो जाने ,आप जानिये। "

मुस्करा के मैं बोली , फिर उनसे पूछ लिया ,

" सच्ची में दी आपने पहले कभी नहीं देखा , जेठ जी नहीं लाये थे कभी ,... "

" लाये थे ,लेकिन मैंने उन्हें झिड़क दिया, ये क्या सब ,... फिर दुबारा उनकी हिम्मत नहीं हुयी "

जेठानी जी ने कबूला।


" अरे देवर तो होता ही इसीलिए है न , जो काम सैंया के साथ न कर पाओ वो देवर के साथ ट्राई कर लीजिये। "


और तब तक फिल्म शुरू हो चुकी थी और जैसे ऐसी फिल्मो का नियम है , शुरूआत ब्लो जॉब से करनी होती है ,

और ऐक्ट्रेस डीप थ्रोट कर रही थी।


" क्यों दी ये मत कहियेगा , ये भी नहीं ट्राई किया ?मैंने अपनी जेठानी को चिढ़ाया।

" एक दो बार , बस तेरे जेठ तो बहुत जिद करते है लेकिन मैं मना कर देती हूँ ,मुझे अच्छा नहीं लगता ,... उसी से ,.. वो सब ,.. उसी को मुंह में लेना "


धीमे से मेरे कान में उन्होंने राज खोला।

" दो दिन की बात है , पक्का ,आपकी छुट्टी ख़तम बस ,... अपने देवर से ट्राई कर लीजिएगा न , बहुत मस्त चुसवाते हैं वो ,सच्ची। "





मैं भी उनके कान में फुसफुसाते बोली।

असर उस फिल्म का उनके देवर पर भी पड़ रहा था , तम्बू एकदम तना। मोटा सुपाड़ा छोटे से शार्ट से बाहर झांकता,

तब तक एक और ऐक्टर ने अपने कपडे उतारे और उसका लंड , एकदम लम्बा मोटा ,८ इंच से कम क्या होगा रहा होगा ,

" उईईई ,... " जेठानी जी की सिसकी और चीख एक साथ निकल गयी।


" इत्ता बड़ा ,घोंट पाएगी वो। " वो बोल पड़ी।




"एकदम भाभी अभी देखियेगा न " अबकी जवाब उनके देवर ने दिया।

बर्फ कब की पिघल चुकी थी ,उनकी ' संस्कारी' भौजाई अब धीमे धीमे खुल रही थीं।

" आपके देवर का इससे कौन सा कम है , और मैं तो रोज ,... फिर परसों रात तो आप भी ,...एक बार पकड़ के देखिये न ,अच्छा जस्ट जरा सा ,शार्ट के ऊपर से , बस एक बार छू के ,... "


मैंने फुसफुसाते हुए अपनी जेठानी को उकसाया और जब तक वो सम्हले , जेठानी जी का हाथ पकड़ के इनके खूंटे पर।

थोड़ी देर तो वो झिझकी ,शरमाई , हाथ हटाने की कोशिश भी की लेकिन कभी मैंने तो कभी उनके देवर ने ,

और दो चार मिनट के बाद वो उस मोटे खूंटे को न सिर्फ शार्ट के ऊपर से छू रही थी बल्कि ,...




और उस लम्बे मोटे लंड वाले ने उस लड़की के पिछवाड़े का बाजा बजा दिया , एक झटके में पूरा सुपाड़ा गांड के अंदर ,




" ये पीछे भी ,... " जेठानी चौंकी।

" अब दीदी ये मत कहियेगा की जेठ जी ने , आपके इत्ते मस्त चूतड़ों को छोड़ रखा है , " मैंने उन्हें चिढ़ाया।


" तूने मरवाया है ,कभी पीछे। ?
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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अबकी जेठानी जी ने मेरे से सीरियसली पूछ लिया और मेरी आँखों के सामने मेरे दोनों जीजू अजय और कमल जीजू के मोटे मोटे लंड आ गए।

" तो क्या दीदी सच में आपकी गांड कभी जेठ जी ने नहीं मारी या फिर किसी ने आपके मायके में ,या ,... "


" नहीं नहीं ,तेरे जेठ जी तो एकदम तू तो जानती है कैसे ,और इस परिवार का रीत रिवाज ,... उन्होंने कभी कहा भी नहीं "

जैसे मन मसोसती हुयी मेरी जेठानी बोली।

संस्कारी परिवार के रीत रिवाजों को डुबोते हुए मैंने जेठानी जी के ग्लास को फिर लिम्का कम वोदका ज्यादा वाले ड्रिंक से भर दिया और मेरी जेठानी ने गड़प भी कर लिया।

लेकिन देवरानी के नाते मेरा तो कुछ धरम भी बनता था न तो मैंने सोच भी लिया की जेठानी जी के कुंवारे पिछवाड़े की नथ तो उतारनी पड़ेगी।



जो मजा उनके देवर देवरानी ने लिया , उससे बिचारी जेठानी कैसे बची रहें ,सख्त नाइंसाफी होती। और नाइंसाफी मुझे पसन्द नहीं।

सामने स्क्रीन पर गांड मरौवल जम कर चल रही थी और मेरी जेठानी की आँखे वहीँ चिपकी थीं। ख़ास तौर पर जब वो मुस्टंडा अपना मोटा लंड पूरा बाहर निकालता तो , और उसके खुले सुपाड़े पर


और तबतक टिट फक का एक सीन आ गया ,






खूब मस्त बड़ी बड़ी ,३८ डी डी से क्या कम होंगी और उन चूँचियों के बीच जिस तरह मस्त लंड को पकड़ के वो चोद रही थी ,

मेरे मुंह से निकल गया ,क्या मस्त चूँचियाँ है

और जवाब बिना रुके उन्होंने दिया ,

" अरे मेरी भौजाई की चूँचिया उस से लाख गुना अच्छी हैं ज्यादा कड़क , और रसीली ,उस स्साली की तो सब नकली प्लास्टिक ,"

और भौजाई अपनी तारीफ़ सुन के खुश ,और उनके देवर का हाथ सरक के , बलाउज की बची हुयी तीन चुटपुटिया बटनों में से दो चट चट उनके देवर के हाथ के दबाव से खुल गयीं ,


सिर्फ एक सबसे नीचे वाले केसहारे किसी तरह ब्लाउज लटका फंसा था।

और भौजी के जिस जुबना की वो तारीफ़ कर रहे थे ,वो अब उनकी हथेली में सहलाया ,दबाया कुचला जा रहा था।




कुछ देर में तर्जनी और अंगूठे के बीच उनकी भौजी के निपल भी रगड़े मसले जा रहे थे।

मुझसे ज्यादा कौन जानेगा , उनकी उँगलियाँ निपल पे , क्लिट की रगड़ायी से कम नहीं होती थी , कोई भी लड़की हो औरत हो उसे दो चार मिनट में वो पिघला सकते थे



और भौजी की हालत ख़राब , वोडका , सामने चल रही ब्ल्यू फिल्म और जॉबन पर देवर का हाथ ,

कनखियों से मैंने देखा की मेरी जेठानी का हाथ अब एकदम खुल के अपने देवर के तने लंड को शार्ट के ऊपर से अब खुल के रगड़ रहा था।

" आपने इस में से कौन से कौन से पोज ट्राई किया है "मैंने जेठानी जी से पूछा।









मिशनरी पोज में उन्होंने हामी भरी



तब तक एक एक्टर डॉगी पोज में ,

" दी इस पोज में तो जेठ जी ने जरूर चोदा होगा , " अब मैं उन्हें खुल के बोलने के लिए उकसा रही थी।




" हाँ नहीं , हाँ जायद नहीं दो चार बार शादी के शुरू में ,.. चोदा था ऐसे ,




" हिचकिचाते उन्होंने कबूला फिर मुझसे पूछा , तो मैंने बात मोड़ दी।

" आपके देवर बगल में बैठे हैं , पूछ लीजिये न उनसे। "

और बिना पूछे उन्होंने कबूल कर लिया।


" रोज बिना नागा , भौजी ,अरे इसे कुतिया बना के चोदने में इत्ता मजा आता है न ,
जब मेरा मोटा सुपाड़ा रगड़ते दरेरते कसी चूत में घुसता है न भाभी,... "

और उनका सुपाड़ा ,शार्ट से बाहर झाँक रहा था ,और ,और उनकी भाभी की उंगलिया कुछ हिचकते झिझकते अपने देवर के कड़े कड़े सुपाडे को सहला रही थी।

सामने स्क्रीन पर भी जबरदस्त डॉगी चुदाई चल रही थी।

" अरे दीदी , बस कल की रात और, परसों आपकी छुट्टी ख़तम और उस रात आपकी इस से भी जबरदस्त इस पोज में चुदाई होगी मेरी गारंटी। "




मैंने अपनी जेठानी से बोला

आधे से ज्यादा देवर का खूंटा बाहर था और देवर की भौजाई की मुट्ठी में अब वो खुल के रगड़ मुठिया रही थीं।




" दीदी ,देवर को देवर कहते ही इसलिए हैं सब्स्टीट्यूट , द्वितीयो वर , दूसरा दूल्हा ,एक के साथ एक फ्री वाला ,तो अब जेठ जी नहीं है तो फिर तो आपके देवर का हक़ बनता है ,फिर आपकी छुट्टी ख़तम होगी उस दिन ,उस दिन तो जम के खुजली मचती है।“


सामने स्क्रीन पर एक वोमेन आन टॉप वाली सीन चल रही थी। मेरी जेठानी मेरी बात में हामी भरते हुए बोलीं ,

" तू सच कहती है ,जिस दिन वो पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम होती है न , बस इत्ता मन करता है ,इत्ता मन करता है की ,बस मन करता है की स्साला कोई मरद मिल जाए न तो बस जैसे ये चोद रही है न ,बस वैसे ही पटक के चोद दूँ उसको। "

फिल्म ख़तम। हो गयी थी , मैंने लाइट जलाते हुए कहा ,

" अरे दीदी बैठा तो है आपके बगल में मर्द , ६ फिट का , बस चोद दीजिये पटक कर इसे और आपका देवर द्वितीय वर भी है , जेठ जी भी नहीं है तो फिर आपके देवर की ड्यूटी भी बनती है। "
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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मेरी जेठानी की उँगलियाँ अभी भी उनके शार्ट से बाहर झांकते सुपाड़े पर थीं, और उनके देवर का हाथ अभी भी उनके ब्लाउज में धंसा।

" जानते हो देवर को देवर क्यों कहते हैं ?" मेरी जेठानी बोलीं।

मेरे और इनके मुंह से एक साथ निकला ,क्यों ?

" इसलिए की वो हरदम अपनी भौजाई से मांगता रहता है , दे बुर , ... दे बुर। "


उनकी भौजाई हँसते हुए बोलीं।

" अरे दीदी तो आपको दे देना चाहिए था न , कौन सी घिस जाती और बिचारे देवर का भी ,... " मैं क्यों मौका छोड़ती।

" इसने कभी मांगा ही नहीं। " उनकी भौजाई बोलीं। सच में मेरे वो न एकदम ही ,...

लेकिन अब वो समझदार हो गए थे , तुरंत बोले ,

" भौजी दे बुर , ... दे बुर। "

" जा के आज पहले मेरी देवरानी की ले , आज कल मेरी छुट्टी है ,... " उनकी भौजाई खिलखिलाते बोलीं।

" यानी परसो का पक्का न " मैं और उनके देवर एक साथ बोले।


" परसों तो मैं तुझे रेप कर दूंगी , देखती हूँ तेरी ताकत ,तलवार तो बहुत तगड़ी है ,तलवार बाजी उस दिन देख लुंगी , अभी चलो। "
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जोरू का गुलाम या जे के जी भाग ९९

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जोरू का गुलाम भाग ९९

और मैं और ये कमरे से बाहर निकल आये।


रात काफी होचुकी थी।

पर इस उमर में रात सोने के लिए थोड़ी होती है।

हम दोनों सीढ़ी चढ़ रहे थे ,अपने कमरे में जाने के लिए।

" तुम बहुत दुष्ट हो " उन्होंने खिलखिलाते हुए मेरे नितम्ब पे एक जोर की चपत मारी और मेरे गाल काटते हुए बोले ,

" मेरी भौजाई को दारु ,... " और खिलखिलाने लगे।


" मॉक टेल ,मास्टर शेफ की अवार्ड विनर , ... असली कारीगरी तो साले तुम्हारी है "

और हँसते हुए मैंने उनके पिछवाड़े एक हाथ जड़ दिया।

" दीदी ,एकदम प्योर वेज कबाब , लहसुन प्याज भी नहीं पड़ा ,... "


मेरी आवाज की नक़ल करते हुए वो खिलखिला पड़े।

" दे बुर ,दे बुर , ... देवर मांगे दे बुर "


अबकी मैं अपनी जेठानी की आवाज कॉपी करती हुयी हंसती हुयी बोली।
वो भी हंसने लगे।




" साल्ले माँगा क्यों नहीं बेचारी तुरंत दे देती अपनी बुर , मुझे तेरी कुँवारी नथ सुहागरात में न उतारनी पड़ती "


और उन्हें चिढ़ाने के साथ साथ मेरी ऊँगली अब अपने सैयां के नमकीन पिछवाड़े में धंसी , घिस्स मिस्स हो रही थी।

" देर आयद दुरुस्त आयद , मांग तो लिया और तेरी जेठानी ने हाँ भी कर दी। " \




मेरी खूब मीठी सी चुम्मी लेते वो बोले।




" चल बुर तू चोदना और कोरी कसी गांड का उद्घाटन मैं करुँगी "


उनके शार्ट से निकाल के खूंटे को मुठियाती मैं बोली।

लंड उनका एकदम तन्नाया।



वो कुछ बोलते उसके पहले ही मैंने करेक्शन जारी कर दिया।





लैंड को मुठियाते उनके लंड से ही मैं बोली ,

" अच्छा चल यार गुस्सा न हो , कोरी अनचुदी गांड मारने का मन कर रहा है तेरा ,चल मार लेना आखिर तुझे भी तो पिछवाड़े वाले छेद में आने जाने का रास्ता मालूम होना चाहिए , चल अपनी भौजाई की गांडफाड़ तू देना ,





बाद में जब उनकी सैंडविच बनायंगे , न तो तेरे हिस्से बुर मेरे हिस्से उनकी गांड। फाड़ के रख दूंगी ,इत्ते दिन की गांड मराई जो छिनार ने अपने देवर से बचा के रखी थी। लेकिन मारूंगी तो मैं गांड उस बुरचोदि की जरूर। "

बिना बोले उनसे रहा नहीं जाता तो इसलिए उन्होंने बोल दिया ,

और तब तक हम लोग कमरे में पहुँच गए थे

उन्होंने बोल दिया ,

" लेकिन ,... कैसे "

और उन्हें वही पलंग के सहारे निहुरा के मैं बोली,

"ऐसे , जैसे अभी थोड़ी देर में तेरी मारूंगी , अरे सब कुछ जानना जरुरी है क्या ,जब मारूंगी तो देख लेना ,ऐसी चिलायेंगी तेरी भौजी जैसे अपनी सुहागरात में फटने पर न चिल्लाई होंगी। "

शार्ट मैंने उनकी सरका के नीचे कर दी थी और उनके गोल गोल गोरे चिकने बबल बॉटम पर दो हाथ कस के जड़ दिए ,हलके गुलाबी फूल खिल उठे।

मेरी ऊँगली की टिप , पूरी ताकत से उनकी गांड के अंदर ,सटाक।

" एक बार में पूरा पेलना मेरी जेठानी के गांड के अंदर ,




नो रहम सहम ,चिल्लाने देना , बहुत गांड मटका मटका के तुझे ललचाती थीं न। "

गोल गोल ऊँगली की टिप उनकी कसी गांड में घुमाती मैं बोली ,और अगले पल उनकी शर्ट भी मैंने खींच के फर्श पर और उन्हें आगे सीधे ,

और और

बीस पच्चीस चुम्मे तो जड़ें ही होंगे उनके मालपूआ ऐसे मीठे मीठे गाल पे। फिर बोली अपने सजन से ,

" यार तू न बहुत बहुत अच्छा है ,बहुत मेरा सोना मोना ,खूब मीठा वाला सोना मोना , आज का दिन तो मैं भूल नहीं सकती ,पहले तो मेरी उस नकचढ़ी ननद से ,

" गुड्डी अपनी चूत दो न मुझे "

और एक बार हम दोनों फिर खिलखिलाने लगे और वो कपड़ों के दुश्मन मेरी साडी उतारने में जुट गए और थोड़ी देर में मैं भी उनकी जैसी थी ,वस्त्रहीन।

अब उनके मायके में हमलोगो को इस बात का फरक नहीं पड़ता था की दरवाजा बंद है की नहीं ,कहीं खिड़की खुली तो नहीं है ,कोई सुन तो नहीं लेगा ,

मैं उनकी लीगली वेडेड वाइफ , धर्मपत्नी , मर्जी उनकी जो चाहें करे मेरे साथ ,और किसी से क्या मतलब ,

मेरा सोना मोना , मेरा मुन्ना।

उन्हें अपनी बाँहों में लेकर अपने जोबन उनके सीने पर रगड़ाती मैं बोली ,

" यार आज तूने मेरा जिस तरह से उस छिनार के होंठो से सीधे लेकर ,... रसीली फांक ,,... साले गांडू तेरे मायकेवालियों की फट के हाथ में आ गयी। "





और ये कह के उन्हें मैंने बिस्तर पर धकेल दिया ,और उन के ऊपर चढ़ गयी।

" भोंसड़ी के , मादरचोद , जानते हो लेकिन किस बात ने एकदम मुझे तेरी पंखी बना दिया ,... अपने माल को जिस तरह से तूने साल भर के लिए ,और सबसे बढ़ कर उसके घर वालों को भी बस अब चार पांच दिन में ये हमारे साथ , और जानते हो मेरा तो फायदा होगा ही , तुझे तो बंद सील खोलने को मिलेगी ,मंजू बाई ,गीता की मस्ती ,गुड्डी का भी फायदा लेकिन जानते हो सबसे ज्यादा कौन खुश होगा ,... "


उनकी आँखों में झाँक के मैंने पूछा।

वो मुस्कराते रहे समझ के ,

और हम दोनों के मुंह से एक साथ निकला ,

" मम्मी ,... "

उनका लंड तो मेरी मुट्ठी में ही था झुक के एक बार सुपाड़ा चूम के मैं बोली ,

" याद है मम्मी ने तुझसे क्या कहा था। "

" एकदम ,मम्मी की बात मैं क्या भूल सकता हूँ और टालने की तो सोच भी नहीं सकता " वो बोले।

बात उनकी एकदम सही थी ,और मेरी मम्मी भी कम दलबदलू थोड़े ही अब मुझसे ज्यादा इन्ही की ,किसी बात में हम इनमे कुछ फरक हो तो हरदम अपने दामाद का साथ।

" एक बार तू हचक हचक के चोद लेगा अपने कुंवारे माल की चूत को हफ्ता दस दिन ,तो,.. "


मैं बोल ही रही थी की मम्मी की बात आगे की उन्होंने पूरी की।

" हफ्ते दस दिन के लिए उसे गाँव में , ... तो भेज देंगे न "

" तुझे मालूम है गाँव में वो तेरी शहर वाली बहना , सुबह गन्ने के खेत में ,





दिन में अरहर के खेत में तो शाम को अमराई में ,




किसी भी दिन ६-७ से कम नहीं ,मोटे मोटे ,अहिरौटी ,भरौटी , पठानटोला सब को मम्मी ने दावत बाँट दी है एडवांस में। फिर जो तेरी सलहजें लगेंगी ,मेरी भौजाइयां , वो भी कम नहीं ,... "

मैंने दो लाइन में गाँव में होने वाले सीन को खिंच दिया।

" अरे गाँव में तो जायँगी तेरी ननद तो गाँव का मजा तो लेना ही चाहिए न , अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है ,ऐसी सुविधा और कहाँ है


"वो हँसते हुए बोले और मेरे निपल सीधे उनकेमुंह में।

उनका मुंह तो बंद हो गया लेकिन मेरा खुला था ,

" और उसके आगे तूने ये भी कबूला था की बस एक महीने के बाद उसे गाभिन करने को ,... "

लेकिन खड़ा लंड देख कर मेरा मुंह भी बंद हो गया मैं भी कस क के चूसने लगी।

थोड़ी देर में हम दोनों 69 की पोज में।




उनका गन्ना चूसने में मुझे बहुत मजा आता है , खूब मोटा ,कड़ा रसीला तो है ही ,लम्बा भी कितना सीधे हलक तक , डीप थ्रोट

लेकिन जानते हैं सबसे अच्छी बात क्या हो ,

मेरा अपना है , एकदम पर्सनल ,मैं उसे चाहे चूमूँ ,चाहे चूसूं चाहे चाटूँ ,किसी को भी क्या ,

ख़ास तौर से उनके मोटे मांसल सुपाडे के पी हॉल ( पेशाब वाले छेद ) में जीभ के टिप से सुरसुरी करने में ,




जो हालत खराब होती थी उनकी ,जो तड़पन ,उनकी आँखों में जो मजा छलकता था ,वो देखने के लिए तो मैं कुछ भी।


आज भी शुरआत उन्ही शरारतों से मैंने की , जीभ की टिप से पेशाब के छेद को सहला के , वो एकदम गिनगीना गए। और फिर गप्प से पूरा सुपाड़ा अंदर।

कुछ देर चूसने चुभलाने के बाद , मैंने लंड बाहर निकाल लिया ,बेचारे वो चूतड़ उचका उचका कर ,...

कुछ देर उन्हें तड़पा कर ,मेरी जीभ तितली की तरह कभी उस मोटे गन्ने के बेस पे तो कभी बॉल्स पे तो कभी सीधे सुपाड़े ,बस छू कर हट जाती।

उनकी तपन बढ़ रही थी ,लेकिन मेरी ननद को भी तो उन्होंने बहुत तड़पाया था , हाईस्कूल में थी तबसे उसके कच्चे टिकोरों को देख के वो ललचाते थे।

और फिर लिक ,पहले छोटी छोटी ,फिर लम्बी ,सीधे उस खूंटे के बेस से लेकर सुपाड़े तक , और एक झटके में आधा लंड गप्प।




मेरी कोमल कलाई ने भी अब उस खूंटे के बेस को पकड़ के हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया।

दूसरा हाथ उनके कोमल कोमल नितम्बों को सहला रहा था।

शरारत की शुरुआत उन्होंने ही की।


मस्ती से मेरी रसीली फांको को चूस रहे थे ,सिर्फ मैं ही नहीं मम्मी भी मानती थी उन सा चूत चटोरा दूसरा नहीं हुआ।

जिस तरह से वो अपने दोनों होठों के बीच में लेकर एक एक पुत्ती को चूसते थे , लंड भी मात ऐसी चुदाई अपनी जीभ से करते थे।




जीभ की नोक जिस तरह से जी प्वाइंट ढूंढ लेती थी ,किसी भो लड़की को दो चार मिनट में झाड़ने की गारंटी ,

लेकिन आज ये सब करते करते वो पिछवाड़े पहुँच गए, उनकी उंगलिया नितम्बो को फैला के उन्होंने बीच की दरार पे रगड़ घिस्स शुरू कर दी।

मस्ती से मेरी रसीली फांको को चूस रहे थे ,सिर्फ मैं ही नहीं मम्मी भी मानती थी उन सा चूत चटोरा दूसरा नहीं हुआ।

जिस तरह से वो अपने दोनों होठों के बीच में लेकर एक एक पुत्ती को चूसते थे , लंड भी मात ऐसी चुदाई अपनी जीभ से करते थे। जीभ की नोक जिस तरह से जी प्वाइंट ढूंढ लेती थी ,किसी भो लड़की को दो चार मिनट में झाड़ने की गारंटी ,






लेकिन आज ये सब करते करते वो पिछवाड़े पहुँच गए, उनकी उंगलिया नितम्बो को फैला के उन्होंने बीच की दरार पे रगड़ घिस्स शुरू कर दी।

और मैंने उनकी माँ बहन सब एक कर दी।

" स्साले ,भोंसड़ी के , तेरी छिनार माँ को अपने मरद से चुदवाउंगी।उसके भोंसडे में अपने मरद का मोटा लंड पेलवाउंगी , स्साले तेरी भौजाई की कोरी गांड तुझे दिलवाने का वादा क्या किया ,छिनार केजाने ,तू मेरे ही पीछे पड़ गया , "



और ये कह के गच्चाक से अपनी मंझली ऊँगली उनकी गांड के अंदर मैंने पेल दी। पूरे दो पोर तक।

उनकी जीभ जैसे हजार तितलियाँ एक साथ कभी छू दें ,कभी उड़ जाएँ ,



बस उसी तरह मेरे पिछवाड़े के छेद पर ,और जो वो वहां चुम्मी लेते थे तो बस , रिमिंग में एकदम एक्सपर्ट हो गए थे वो , और मेरी तो बस जान नहीं निकलती थी बस सब कुछ हो जाता था ,

ऊपर से मेरी गालियों का असर ,और उस से भी बढ़ के उनकी नमकीन गांड में मेरी ऊँगली का ,

उन्होंने अपनी जीभ मेरे पिछवाड़े की सुरंग में ,...सिखाया तो उन्हें ये मंजू बाई ने था लेकिन अब एकदम परफेक्ट हो गए थे , जैसे कोई ऊँगली से करोचे वैसे ही उनकी जीभ गांड की अंदरूनी दीवारों पे , ...

मस्ती से मेरी हालत खराब थी।




अगर वो कुछ देर और ऐसे करते रहते तो मेरा झड़ना पक्का था ,लेकिन मेरा प्लान तो कुछ और था ,इसलिए मैंने तुरंत पोजीशन बदली ,उन्हें निहुराया और बोली ,


आँखे बंद ,...


पहले तो मैं उन्हें ब्लाइंडफोल्ड लगाती थी लेकिन अब बस मेरे होंठ काफी थे और मेरे होंठों ने फेविकोल से भी कस के उनकी आँखे चिपका दीं।



लेकिन हलकी सी आवाज आयी भईया

'भैय्या ,...

वो आवाज जो सपने में भी वो पहहचान सकते थे मैं भी
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