मा की मस्ती compleet

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Rohit Kapoor
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Re: मा की मस्ती

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अब तो मनु को बहुत ही मज़ा आ रहा था,अब तो उसकी माँ उसके हर तरह के इशारे को समझ कर जैसे वो चाहता था वैसे ही कर रही थी,फिर मनु वहीं पर नीचे बैठ गया और उसने अपना मूह अपनी माँ की चुदि हुई चूत पर रख दिया और वो उसमे भरे हुए रस को चूसने लगा,आरती को भी अपनी चूत चुसवाने में मज़ा आ रहा था.

अब आरती के लिए खड़ा होना मुश्किल हो गया था,तो वो मनु से बोली कि मनु अब मेरे से खड़ा नही हुआ जा रहा.

तो मनु ने कहा कि कोई बात नही तुम यहीं पर लेट जाओ और ये कह कर उसने अपनी माँ को वहीं पर लिटा दिया,और फिर से उसकी चूत में मूह घुसा दिया और उसको चूसने लगा,आरती अब मनु की चुसाइ से बुरी तरह से सीसीयाने लगी थी,और अपनी कमर को उपर उछालने लगी थी.

फिर कुछ ही देर में आरती की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया,और उसकी चूत का पानी मनु ने सारे का सारा चूस लिया.

आरती कुछ ही देर में दो बार झाड़ चुकी थी अब उसकी टाँगों में इतनी ताक़त नही थी कि वो खड़ी हो सके तो उसने मनु से कहा कि अब मैं खाना नही बना सकती तुम बाहर से ही कुछ मॅंगा लो,मनु ने कहा कि ठीक है और उसने फिर बाहर से पिज़ा का ऑर्डर दे दिया,और फिर से किचन में आ गया वहाँ आरती वैसे ही नंगी हालत में फर्श पर लेटी हुई थी,ये सीन मनु को बहुत ही इरोटिक लगा और उसने अपनी माँ की इस हालत में फोटो खींच ली.

आरती की आँख खुली तो उसने देखा की मनु उसको देखे जा रहा है,तो वो बोली कि ऐसे क्या देख रहा है,मनु बोला माँ तुम ऐसे नंगी लेटी हुई बहुत सुंदर लग रही हो,तो इसलिए ही तुमको निहार रहा था.

आरती बोली अब बस भी करो और वो उठने लगी तो मनु ने उसको अपनी गोद मैं उठा लिया और उसको ले जा कर उसके बेड पर लिटा दिया.कुछ ही देर में वो सो गयी.

इस तरह से अब मनु की तो लॉटरी लग गयी थी,वो अब स्कूल से आने के बाद ज़्यादा समय अपनी माँ के साथ ही गुज़ारता था,और ऐसे ही रमण भी जब भी मनु को ट्यूशन पढ़ाने के लिए आता था तो कम से कम एक बार तो आरती को ज़रूर ही चोद्ता था,अब आरती को भी चुदाई की इतनी आदत हो गयी थी कि वो घर में हर समय कम कपड़ों में ही रहती थी और ब्रा और पैंटी पहन-ना तो उसने तक़रीबान बंद ही कर दिया था.

जैसे ही उन दोनो जनो में से कोई भी उसको चोदना चाहता था वो हर समय तैयार ही रहती थी,एक तरह से हर टाइम उसकी चूत में किसी ना किसी के लंड का पानी बहता ही रहता था,क्यूंकी वो उसको सॉफ नही करती थी,उसको लंड के पानी को अपनी चूत में महसूस करके बहुत मज़ा आता था,अगर कभी भी उसको पैंटी पहननि पड़ती थी तो वो वैसे ही हालत में ही पैंटी पहन लेती थी और उसको बहुत मज़ा आता था.

रमण जब मनु को ट्यूशन पढ़ाने आता था तो वो आ कर उसकी गोद में बैठ जाती और फिर वहीं से उनकी मस्ती शुरू हो जाती थी और चुदाई पर जा कर ही रुकती थी,पर इस बीच में रमण मनु को वहीं पढ़ने की हिदायात दे कर दूसरे कमरे में ले जा कर आरती की चूत को अपने लंड की खुराक देता था.

इस तरह से अब आरती की चुदाई और मनु की पढ़ाई दोनो साथ-2 चल रही थी,पर कुछ दिनो से रमण को इसमे कुछ बदलाव करने की चाहत हो रही थी

और एक दिन जब रमण हमेशा की तरह से आरती की चूत मार रहा था,तो वो बोला कि जान आज तो कुछ अलग करने का दिल है.
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Rohit Kapoor
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Re: मा की मस्ती

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आरती ने कहा क्या हुआ क्या मेरे से दिल भर गया तुम्हारा.

रमण-नही मैने ये कब कहा मैं तो आज तुम्हारी चूत के साथ-2 तुम्हारी गान्ड भी मारना चाहता हूँ,वैसे तो तुम्हारी चूत इतनी दिलकश है कि कोई सारी उमर भी चोद्ता रहे तो उसका दिल नही भरेगा,पर थोड़ा सा चेंज करने में ज़्यादा मज़ा आएगा.

रमण की ये बात सुन कर आरती एक बार तो घबरा गयी,वैसे तो उसने अपनी कई सहेलियो से सुन रखा था जो कि अपनी गान्ड मरवाती थी कि जैसा मज़ा चूत मरवाने में आता है उस-से कहीं ज़्यादा मज़ा गान्ड फड़वाने में आता है,और उसका दिल भी कई बार चाहता था कि वो रमण या मनु से कहे कि वो उसकी गान्ड मारें,पर वो बोलती नही थी,दिल के किसी कोने में उसको गान्ड मारने के दर्द का डर लगता था,इसलिए वो चुप रहती थी,पर आज जब रमण ने खुद उसकी गान्ड मारने का प्रस्ताव दिया तो उसकी ये दिली इच्छा उभर कर आ गयी,और वो समझ गयी कि आज उसकी गान्ड का भी उद्घाटन हो ही जाए गा.

पर कहते हैं ना वो औरत ही क्या जो एक बार में ही मान जाए तो वो बोली कि नही मैं अपनी गान्ड तुम्हारे इस गधे जैसे लंड से फड़वाने वाली नही हूँ,तुम बस मेरी चूत ही मारो.

पर आज रमण ने अपने दिल में ये फ़ैसला कर लिया था कि वो आरती की गान्ड को फाड़ कर ही रहेगा,तो वो बोला कि जानेमन तुम ये क्या कह रही हो तुम एक बार ले कर तो देखो अगर तुमको अच्छा नही लगा तो मैं ज़िद नही करूँगा,पर मेरी ये शर्त है कि तुमको मेरे से भी ज़्यादा मज़ा आएगा.

आरती ने कहा कि नही-2 ये नही हो सकता तुम्हारा ये लंड अगर मेरी कुँवारी गान्ड में गया तो ये तो फॅट ही जाएगी.

रमण समझ गया कि आरती ने आज तक अपनी गान्ड नही मरवाई है,और जैसे ही ये विचार उसके दिमाग़ में आया तो उसका लंड और ज़्यादा फन-फ़ना कर तन गया कि आज तो उसको कोरी गान्ड मारने को मिलने वाली है,और वो ये मौका किसी भी हालत में नही छोड़ने वाला था,तो उसने आरती को कहा कि डार्लिंग तुम एक बार ले कर देखो अगर तुम्हे ज़्यादा दर्द हुआ तो मैं नही करूँगा.

ऐसे रमण ने जब कई बार कहा तो आरती ने सोचा कि अब ज़्यादा नखरा नही करना कहिए कहीं ये गान्ड मारने का विचार त्याग ही ना दे तो वो बोली कि ठीक है पर अगर मेरे को ज़्यादा दर्द हुआ तो तुम आगे नही करना और अपना ये निकाल लेना.

रमण ने कहा कि ये मेरा प्रॉमिस है कि मैं तुम्हारे रोकते ही रुक जाउन्गा.(जबकि अंदर ही अंदर वो सोच रहा था कि एक बार तू ले तो ले साली फिर तो जब तक ये अंदर का पूरा दर्शन नही कर आएगा और अपना जाल नही चढ़ा देगा तब तक मैं तुझे छोड़ने वाला नही हूँ)पर बाहर से उसने ऐसा कुछ भी फील नही होने दिया.

फिर रमण ने आरती को उसके बेड पर उल्टा लिटा दिया और उसकी गान्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया ,फिर अपनी एक उंगली उसकी गान्ड में डाली तो आरती की कसी हुई गान्ड में थोड़ा सा दर्द हुआ ,पर साथ ही साथ आरती को आनंद की एक मीठी अनुभूति भी हुई,और उसकी आह निकल गयी.
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Rohit Kapoor
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Re: मा की मस्ती

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रमण को भी बहुत अच्छा लगा क्यूंकी उसकी गान्ड इतनी टाइट थी कि उसकी उंगली को भी अंदर जाने में परेशानी हो रही थी,फिर रमण ने अपनी उंगली निकाली और उसको अपनी नाक के पास ले जा कर सूँघा तो उसमे से बड़ी मादक खुसबू आ रही थी,फिर उसने वो उंगली अपने मूह में ली और उसको अपने थूक से अच्छी तरह से गीला कर लिया अब उसने आरती की गान्ड को थोड़ा सा फैलाया और अपनी उंगली फिर से उसकी गान्ड में डाल दी इस बार वो बहुत आराम से अंदर चली गयी,अब उसने अपनी दो उंगलियों को गीला करके अंदर डाला तो थोड़ी सी मेहनत से वो भी चली गयी ,फिर रमण ने उनको अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,कुछ ही देर में आरती की गंद 2-2 उंगलियाँ अंदर लेने लगी,अब रमण ने सोचा कि ये टाइम सही है,अब उसकी गान्ड मार ही लेनी चाहिए.

फिर रमण खड़ा हुआ और आरती की ड्रेसिंग टेबल से क्रीम की शीशी उठा लाया,अब उसने उस क्रीम को अच्छी तरह से आरती की गान्ड मे लगाया और छेद के अंदर तक उस-से मालिश की ,फिर उसने क्रीम अपने लंड पर भी बहुत अच्छी तरह से लगाई.अब उसने आरती की कमर को ताक़ीए से उपर उठा कर उसको कुतिया बना दिया और अपना लंड उसकी गान्ड के सुराख पर लगाया,और दोनो हाथों से उसको फैला कर अपना सुपाडा उसमें फँसा दिया,फिर उसने आरती की कमर को कस कर पकड़ा और एक धक्का लगाया,जैसे ही उसका लंड थोड़ा सा अंदर गया तो आरती को दर्द का अहसास हुआ और वो बोली कि रमण अभी रूको दर्द हो रहा है,आरती के ये कहने पर रमण थोड़ा रुक गया और अपने हाथ आगे ले जा कर उसकी चुचियो को मसल्ने लगा जब आरती को दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसकी सिसकारी निकलने लगी,रमण समझ गया कि अब आगे बढ़ना है और उसने फिर से पोज़ीशन बना कर अबकी बार एक तेज़ धक्का मारा और अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में आरती की अन्चुदि हुई गान्ड में डाल दिया

जब रमण का आधे से ज़्यादा लंड एक ही झटके मे अंदर घुस गया,तो आरती की तो साँसें ही रुक गयी,और उसको ऐसा फील हुआ जैसे कि कोई गरम लोहे की रोड उसकी गान्ड में घुस गयी हो,और उसको अपनी गान्ड में इतनी तेज़ दर्द हुआ कि उसकी चीख ही निकल गयी.

जब आरती चीखी तो उसकी चीख मनु को भी सुनाई दी और उसका कुछ-2 ध्यान वैसे भी उस तरफ ही होता था ,जब भी रमण उसकी माँ को चोदने के लिए ले कर जाता था तो वो उनकी चुदाई के बारे में ही सोच-2 कर इतना गरम हो जाता था कि जैसे ही ट्यूशन ख़तम होती थी और रमण जाता था मनु वहीं पर अपनी अर्धनगन माँ की नाइटी उठा कर उसकी चुदि हुई गीली चूत में ही अपना लंड डाल देता था,ये उसका हर बार का रूटिन बना हुआ था.

तो जैसे ही आरती की चीख उसको सुनाई दी वो जल्दी से उठ कर अपनी माँ के बेडरूम में गया वहाँ जा कर देखा तो उसकी माँ कुतिया बनी हुई है और रमण उसकी गान्ड में अपना घोड़े जैसा मोटा लंड डाल रहा है,ये देख कर उसका तना हुआ लंड और तन गया,और वो वहीं पर खड़ा हो कर रह गया.

इधर रमण के लंड से आरती की हालत खराब हो रही थी,वो उसको बोली कि हाई ये तुमने क्या किया जब मैने तुमको कहा था कि धीरे-2 डालना तो तुमने इतनी तेज़ धक्का क्यों मारा अब अपने लंड को बाहर निकालो मेरी जान निकली जा रही है.

पर अब रमण कहाँ उसकी सुनने वाला था,उसने कहा कि जान ऐसा क्या हो गया अगर अन्चुदि गान्ड में लंड जाएगा तो थोड़ा सा दर्द तो होगा ही,अभी कुछ देर सबर करो तेरा दर्द ख़तम हो जाएगा.रमण इस मौके को गँवाने वाला नही था वैसे भी.

मनु ने जब सुना कि रमण उसकी माँ की कुँवारी गान्ड को आज फाड़ रहा है तो उसको और भी ज़्यादा अच्छा लगा और अब उसको एक बात और लगी कि अब वो भी अपनी माँ के दोनो छेद का मज़ा ले सकेगा,इसलिए वो चाहता था कि रमण आज इस काम को बीच में ना छोड़े और आरती की गान्ड को एक बार अच्छी तरह से मार ले ,जिससे कि वो उसको मार सके,उसका लंड तो ये सोच-2 कर ही कड़क से कड़क हो रहा था कि अब उसकी माँ आरती की गान्ड मारने का मौका उसको मिला करेगा,वो तो कब से अपनी माँ की गान्ड का दीवाना था,पर उसकी हिम्मत ही नही होती थी ,पर आज उसकी दिली इच्छा पूरी होने वाली थी.



रमण कुछ देर तक उसी पोज़ मे आरती को लिए खड़ा रहा,फिर जब उसकी नज़र मनु पर पड़ी तो उसने उसको इशारे से अंदर बुला लिया ,जब मनु उसके पास आया तो उसने मनु से कहा कि मनु तुम अपनी माँ का दर्द कम करने के लिए आगे से उसके मम्मों को थोड़ा सा मस्लो,इस-से उसको राहत महसूस होगी.

मनु रमण की बात को समझ गया और बेड पर बैठ गया फिर वो आगे हो कर कुतिया बनी हुई आरती के मम्मों को मसल्ने लगा,जब उसका हाथ अपने मम्मों पर महसूस हुआ तो आरती ने उसकी तरफ देखा,आरती की आँखों में उस टाइम दर्द के कारण आँसू आ रहे थे,जब मनु ने अपनी माँ को ऐसे देखा तो उसको अपनी माँ पर बहुत दया आई,और वो रमण से बोला कि भैया आप अपना लंड माँ की गान्ड से निकाल लो माँ को बहुत दर्द हो रहा है.
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Re: मा की मस्ती

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रमण बोला -अर्रे यार तुम माँ बेटे कुछ देर के लिए सबर तो करो अगर अभी कुछ ही देर मे तुम्हारी यही माँ अपनी गान्ड उछाल-2 कर कहेगी कि अब मैं जब भी लंड लूँगी तो यहीं लूँगी,तुम देखना अभी इसको इतना मज़ा आएगा कि ये खुद ही अपनी गान्ड मारने को कहेगी.तुम बस जैसे मैने कहा है वैसे ही इसकी चुचियो को मस्लो इस-से इसका दर्द कम हो जाएगा.

ये सुन कर मनु फिर से अपनी माँ आरती के मम्मों को मसल्ने लगा ,फिर उसने आगे हो कर लेट कर अपनी माँ की एक चुचि को चूसना शुरू कर दिया,इस-से आरती को अपनी गान्ड मे दर्द कम लगने लगा और अब वो सिसकारियाँ भरने लगी,कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा ,जब आरती की सिसकारियाँ और तेज़ होने लगी तो रमण भी धीरे-2 अपने लंड को उतना ही अंदर अंदर-बाहर करने लगा,इससे आरती की गान्ड मे दर्द भी कम हो रहा था और थोड़ा सा चिकनाई होने से वो आ-जा भी आराम से रहा था.

अब रमण को लगा कि आरती भी अब रिदम में आ गयी है अब उसको और आगे बढ़ना चाहिए तो उसने फिर से एक बार आरती की कमर को ठीक से पकड़ा और इस बार के शॉट में अपना पूरे का पूरा लंड आरती की गान्ड मे पेल दिया,इस बार जब रमण ने धक्का लगाने से पहले आरती की कमर को पकड़ा था तो आरती समझ गयी थी कि अब रमण उसकी गान्ड को फाड़ कर ही मानेगा तो उसने अपनी चीख को पहले से ही काबू मे कर लिया था,और अपने दाँत पर दाँत रख कर मूह को बंद कर लिया था,और अपना ध्यान अपनी चुचि की चुसाइ की तरफ लगा दिया था,इसलिए उसको बहुत ज़्यादा दर्द का अहसास नही हुआ.

जब रमण ने देखा कि इस बार आरती ने चीख नही मारी तो एक बार तो उसको ऐसा लगा कि कहीं उसने गान्ड की जगह आरती की चूत में तो लंड नही डाल दिया है,पर फिर जब उसने देखा कि नही लंड तो गान्ड मे ही गया है और वो भी पूरे का पूरा तो उसकी ख़ुसी का ठिकाना नही रहा और अब वो अपनी कमर को धीरे-2 आगे पीछे करने लगा,कुछ ही देर में लंड आराम से अंदर-बाहर होने लगा और अब आरती को भी राहत के साथ-2 मज़े की अनुभूति होने लगी थी और वो भी रमण का साथ देने लगी थी.

जब मनु ने अपनी माँ को ऐसे मज़े लेते हुए देखा तो वो वहाँ से उठ गया और खड़ा हो कर अपनी माँ की गान्ड मराइ देखने लगा,उसको अपनी माँ की गान्ड मराइ देखने मे बहुत मज़ा आने लगा,और उसने अपना लंड निकाल लिया और उसको मसल्ने लगा,आरती ने जब उसको ऐसे करते हुए देखा तो अपने पास बुला लिया और उसके लंड को अपने मूह में ले लिया अब आरती पीछे से गान्ड मरवा रही थी और आगे से मनु का लंड चूस रही थी.
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Re: मा की मस्ती

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कुछ ही देर मे रमण ने अपने धक्को की स्पीड और तेज़ कर दी अब आरती भी पीछे को तेज़ी से धक्के लगा रही थी,और कमरे में खूब मादक सिसकारियाँ गूँज रही थी,तभी मनु अपनी माँ के मूह मे ही झड गया,और आरती उसके लंड का सारा रस पी गयी,अब रमण भी झड़ने को तैयार हो गया था,कुछ ही देर मे रमण ने अपना सारा माल आरती की गान्ड में ही गिरा दिया और आरती के उपर ही ढेर हो गया आरती भी वहीं पेर बेड पर ढेर हो गयी थी.

वो तीनों वहीं कमरे में रास लीला के बाद थक कर लेट गये,अब रमण आरती पर से हट गया था,और आरती वैसे ही लेटी हुई थी,और उसकी गान्ड में से रमण का माल बाहर आ रहा था,ये देख-2 कर मनु के लंड में फिर से हरकत होने लगी थी.पर अभी उसको पता था कि उसकी माँ अभी-2 गान्ड फटवा कर हटी है कुछ टाइम तक वो उसका लंड नही लेगी,इसलिए वो मन मार कर रह गया.

थोड़ी ही देर में रमण उठा और अपने कपड़े पहन-ने लगा,उसने देखा कि आरती की गान्ड का छेद अच्छी तरह से खुल चुका है,वो बोला जानेमन आज तो चुदाई में बहुत मज़ा आया.

आरती बोली-वो तो तुम्हे आना ही था ,आज तुमको मेरी कुँवारी गान्ड जो फाड़ने को मिली थी,पर तुम्हारे इस मोटे लंड ने मेरी गान्ड की हालत खराब कर दी,अब मेरी गान्ड में बहुत दर्द हो रहा है,पता नही मैं उठ भी पाउन्गि या नही.

रमण-आरे ऐसा कुछ नही होगा ,मनु अभी तुम्हारी गान्ड की गरम पानी से कुछ सिकाई कर देगा तो ठीक हो जाएगा दर्द,अच्छा अब मैं चलता हूँ.

और ये कह कर रमण चला गया,अब घर में माँ-बेटा ही रह गये थे.मनु ने पूछा माँ क्या बहुत दर्द हो रहा है,आरती ने कहा नही कुछ खास नही मैं तो ऐसे ही बोल रही थी,मुझे लगा कहीं वो रमण फिर से ना शुरू हो जाए,मैं अभी फ्रेश हो कर आती हूँ.

ये कह कर आरती उठी और बाथरूम में चली गयी,थोड़ी ही देर में आरती फ्रेश हो कर नाइटी पहन कर बाहर आ गयी,अभी उसको देख कर कुछ खास पता नही चल रहा था कि इसकी अभी-2 गान्ड फाडी गयी है,मनु भी समझ गया कि उसकी माँ को कुछ ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई है गान्ड मरवाने में तो ऐसे मैं वो भी उसकी गान्ड मार सकता है,ये सोच कर ही उसका लंड फिर से तन गया.
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