चमकता सितारा compleet

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Jemsbond
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Re: चमकता सितारा

Post by Jemsbond »

अंत में सब ठीक होने पर दोनों लड़कियाँ उसके साथ रहने लगती हैं और लड़का आखिर में कहता है- ‘एक साथ दो को झेलने से भला तो मैं पागल ही रहता।’
मैं- चेतन जी इस कहानी को आपने लिखा है क्या?
चेतन जी- हाँ।
मैं उठा और उनके गले लग गया।
‘मैं जैसी कहानी चाहता था.. बिल्कुल वैसी ही कहानी है यह..’ मैंने कहा।
चेतन जी- तो कहानी फाइनल न?
मैं- बिल्कुल फाइनल। अब चलिए मुझे भूख लगी है। सुबह से कुछ खाया नहीं है, मैं सीधा यहीं आ गया।
फिर मैं और चेतन जी पास के ही एक रेस्तरां में आ गए। छोटे शहरों में तो ऐसी जगहें देखने को भी नहीं मिलती हैं। चेतन जी शायद वहाँ अक्सर आते जाते रहते थे। वहाँ के मैंनेजर हमें चेतन जी की पसंदीदा टेबल तक ले गए। फिर हमने लंच आर्डर किया और आपस में बातें करने लग गए।
चेतन जी- कैसे महसूस हो रहा है?
मैं- किस बात के लिए?
चेतन जी- तुमने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष के बाद जो मुकाम हासिल किया है.. उस बात के लिए कैसा फील कर रहे हो?
मैं- संघर्ष वो करते हैं.. जिनकी कोई मंजिल होती है। मैं तो बिना किसी मंजिल के ही अपने कदम आगे बढ़ाए जा रहा था।
चेतन जी- मैं कुछ समझा नहीं।
मैं- मैं वहाँ किस लिए आया था, आपको पता है?
चेतन जी- ऑडिशन के लिए।
मैं- जी नहीं.. मैं अपनी एक दोस्त की फाइल आप तक पहुँचाने आया था। गेट कीपर ने कहा कि अन्दर आने के लिए ऑडिशन देना होगा.. सो मैंने दे दिया। अब यह तो मेरी किस्मत थी कि बाकी किसी को एक्टिंग आती ही नहीं थी।
चेतन जी- किसी भी काम का हुनर दो वजहों से किसी के अन्दर होता है। पहला.. या तो उसने जी जान से उस हुनर को सीखा हो या तो उसमें कुदरती भगवान् की देन हो और जहाँ तक तुम्हारी बात है.. तुमसे बेहतर एक्टर सच में.. पूरी मुंबई में नहीं होगा। वैसे किसकी फाइल लेकर आए थे तुम?
मैं- कोमल जो कोलकाता की रहने वाली है। उनकी एक डॉक्यूमेंट्री देख कर आपने कॉल किया था।
चेतन जी- हाँ हाँ याद आया.. परसों रात को उनसे मेल पर बात हुई थी। आप जैसे जानते हो उसे?
मैं- मैं अभी उन्हीं के साथ रह रहा हूँ।
चेतन जी- लिव इन रिलेशन में!
मैं- नहीं सर.. हम दोनों अलग-अलग कमरे में रहते हैं।
अब खाना आ चुका था।
चेतन जी ने खाना शुरू करते हुए कहा- मैं सच में कोमल के काम से बहुत इम्प्रेस हूँ.. और उसने तो काफी सारे अवार्ड्स भी जीते हैं।
यह बात मुझे नहीं पता थी।
मैं- इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर की जगह वो नहीं आ सकती है क्या?
चेतन जी- मैं बात करूँगा। उसकी जैसी काबिलियत है.. मुझे नहीं लगता कि उसे इस पोजीशन पर आने में ज्यादा दिक्कत होगी।
मैं- ठीक है.. सर आप देख लेना। अगर आप कल की मीटिंग करवा दें तो बढ़िया होगा।
चेतन जी- मैं कॉल करके देखता हूँ।
फिर उन्होंने फोन पर किसी से बात की और मीटिंग होना कन्फर्म कर लिया।
मैं- थैंक यू सर।
चेतन जी- अरे थैंक यू मत कहो। अब आप यशराज बैनर के स्टार हो। इतना तो हम कर ही सकते हैं। यहाँ आज हम आपकी ज़रूरत को समझेंगे.. तभी तो कल आप हमारे लिए वक़्त निकाल सकेंगे।
मैं उनकी बातों का मतलब समझ चुका था।
खाना ख़त्म हुआ और फिर हम वापिस स्टूडियो पहुँच गए।
चेतन जी- अरे हाँ.. याद आया आज हमारे पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है। मैं तुम्हें पता भेज दूँगा.. आज आ जाना। वहाँ तुम्हें फिल्म के बाकी स्टार्स से भी मिलवा दूँगा।
मैं- ठीक है सर.. वैसे मैं अपने दोस्तों को साथ ला सकता हूँ न?
चेतन जी- क्यों नहीं.. वैसे कितने पास बनवा दूँ?
मैं- जी.. मेरे अलावा तीन पास बनवा दीजिएगा..
चेतन जी- ठीक है।
मैं वहाँ से निकला और अपने फ्लैट पर आ गया। लगभग दोपहर के तीन बजे थे और घर में सब लंच में व्यस्त थीं।
पायल- आ गए एक्टर बाबू।
मैं- हाँ जी.. वैसे मेरे पास आप सबके लिए एक खुशखबरी है।
मेरा कहना था कि सब लंच छोड़ कर मुझे घेर कर बैठ गईं।
मैं- यार आप सब ऐसे मत देखो मुझे.. मुझे घबराहट होने लगती है।
ललिता- मेरे हुजूर.. अब इसकी आदत डाल लो। अब से हर रोज़ सब तुम्हें ऐसे ही देखेंगे।
मैं- ठीक है देखो फिर।
मैंने कोमल की ओर देखते हुए कहा- कोमल तुम अपनी तैयारी पूरी कर लो। तुम्हारी कल यशराज फिल्म्स में मीटिंग है। हो सकता है तुम्हें मेरी फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर बनाया जाए।
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Re: चमकता सितारा

Post by Jemsbond »

कोमल अपनी आँखें बड़ी करती हुई बोल पड़ी- क्या सच में?
मैं- हाँ यार, अभी तक मैंने झूठ कहना अच्छी तरह सीखा नहीं है।
पायल- और मेरे लिए क्या खुशखबरी है?
मैं- आप सब को तैयार होकर.. मेरे साथ पार्टी में चलना है। यशराज की पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है। रात आठ बजे वहाँ पहुँच जाना है। वहाँ जाओ सब से मिलो। हो सकता है तुम लोगों का काम भी बन जाए।
मेरा इतना कहना ही था कि सब मेरे गले लग कर मेरे बालों की ऐसी-तैसी करने लग गईं और सबने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और तेज़ आवाज़ में गाने बजा कर मुझे पकड़ कर डांस करने करने लग गईं।
आज मुझे अपने घर की बहुत याद आ रही थी। अगर वो सब भी मेरे साथ होते तो कितना अच्छा होता।
फिर सब तैयार होने चली गईं।
वैसे भी मुझे पता था कि इन सबको तैयार होने में कितना वक़्त लगने वाला है। इसीलिए मैं थोड़ी देर के लिए सोने चला गया।
पायल की आवाज़ से मेरी नींद खुली। सात बजने वाला था और अब तक सब मेकअप को फाइनल टच ही दे रही थीं। पायल तैयार हो चुकी थी।
पायल- अरे उठो भी.. तुम्हें इतनी नींद कैसे आती है..? फिल्म मिल गई है, सुपरस्टार बनने जा रहे हो.. और तो और.. आज पहली बार जिन्हें अब परदे पर देखा है.. उनसे मिलने जा रहे हो। मुझे तो सोच-सोच कर ही रोमांच आ रहा है।
मैं- मुझे मेरी नींद सबसे प्यारी है। बाकी सब जाए भाड़ में।
मैं भी नहा धोकर कपड़े पहन कर तैयार हो गया।
ललिता- हो गए तैयार.. बस दस मिनट में!
मैं- और नहीं तो क्या.. अब तुम्हारा पूरा मेकअप किट खुद पर लगा लूँ क्या?
पायल- अरे कुछ तो मेन्टेन करो.. इधर बैठो.. मैं तैयार करती हूँ।
मेरे चेहरे, हाथ और गले पर पता नहीं क्या-क्या लगा रही थी। खैर अब मैं भी तैयार हो गया था।
तभी ललिता आई और उसने अपना लेडीज परफ्यूम मुझ पर स्प्रे कर दिया।
मैं- यह क्या किया तुमने..? लेडीज परफ्यूम क्यूँ स्प्रे किया तुमने?
ललिता- ओह..! सॉरी यार, मैं तो तुम्हें तैयार करने में भूल ही गई कि ये लेडीज परफ्यूम है।
तभी चेतन जी का कॉल आया।
चेतन जी- मैंने पता भेज दिया है और अब जल्दी आ जाओ। पार्टी शुरू हो चुकी है।
मैंने गुस्से से ललिता को देखते हुए कहा- ठीक है चेतन जी.. मैं आ रहा हूँ..
मैंने फ़ोन काट दिया।
अब मैं फिर से नहाने भी नहीं जा सकता था और नए कपड़ों में यही आखिरी था। सो मैंने ज्यादा वक़्त ना लेते हुए सबसे चलने को कहा और बाहर आ गए।
टैक्सी बुक करके हम दिए हुए पते पर पहुँच गए। वर्ली में एक होटल में ये पार्टी दी गई थी। हम सबने एक-दूसरे का हाथ थामा और होटल के अन्दर आ गए। पार्टी में जाने वालों की लिफ्ट ही अलग थी। नीचे स्टाफ के पास एक लिस्ट थी।
मैंने कहा- विजय और मेरे साथ तीन गेस्ट की एँट्री भी होगी।
स्टाफ ने लिफ्ट में जाने को कहा।
अब हम सब अपने सपने को देखने से कुछ पलों की ही दूरी पर थे। मैं तो काफी हद तक नार्मल था.. पर बाकी तीनों को देख ऐसा लग रहा था मानो तीनों जोर-जोर से चिल्लाने वाली हों।
कोमल और पायल ने अब तक मेरे हाथ पकड़े हुए थे और अब इतनी जोर से हाथ दबा रही थीं कि अब हल्का-हल्का दर्द सा भी होने लगा था।
खैर.. हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए थे.. सामने एक बड़ा सा दरवाज़ा था। गाने की धुन और लोगों के चिल्लाने का शोर इतना था कि दरवाज़े बंद होने के बावजूद भी मैं सुन सकता था। हम सबने एक गहरी सांस ली और दरवाज़े को धक्का दे अन्दर आ गए।
यहाँ इतना धुँआ था कि मैं बर्दास्त नहीं कर पाया और खांसते हुए बाहर आ गया। मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं दुबारा अन्दर जाने की कोशिश करता। मैं दीवार से टिक कर आँखें बंद कर खड़ा हो गया। एक बेहद मीठी आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा।
किसी बेहतरीन कारीगर की तराशी हुई संगमरमर की मूर्ति की तरह थी वो.. उसकी आँखें गहरे भूरे रंग की और भरा पूरा संगमरमर सा बदन..
वो- ऐसी जगह.. पहली बार आए हो क्या..?
मैं- हाँ.. पर लगता नहीं ज्यादा देर यहाँ टिक पाऊँगा।
फिर कोई दरवाज़े को खोल कर बाहर निकला और उसके साथ निकले धुएँ से फिर से मैं खांसने लग गया।
वो मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली- आप छत पर चलो.. लगता है ये जगह आपको सूट नहीं करने वाली है।
मैं (उसके साथ छत पे जाते हुए)- अब तो जो भी हो.. इसकी आदत तो डालनी ही होगी मुझे। अब मैं खाली हाथ वापस जा भी नहीं सकता।
वो- मतलब..?
मैं- माफ़ कीजिएगा.. मैं अपने बारे में बताना भूल गया। मेरा नाम विजय है और कल ही यशराज फिल्म्स ने मुझे अपनी तीन फिल्मों के लिए साइन किया है।
वो किलकारी सी भरती हुई बोली- तो हम बैठे थे जिनके इंतज़ार में.. वो खुद ही हमारी बांहों में आ गिरे।
मैं- मतलब?
वो- मैं आपकी फिल्म की दो हिरोइन में से एक हूँ..
फिर उसने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा- मेरा नाम कांता खान।
मैं उसके गले लगते हुए बोला- हाथ मिलाना दूसरों से.. मुझसे अब गले लगने की आदत डाल लो.. मैं नहीं चाहता कि हमारी फिल्म में हमारे बीच प्यार की कोई कमी दिखे।
जब मैं अलग होने लगा तो कांता ने मुझे खींच कर फिर से गले लगा लिया और मेरे कानों के पास आ कर बोल उठी- अब तसल्ली तो होने दो.. ऐसे कहाँ मुझे छोड़ कर जा रहे हो।
हम दोनों गले लगे ही हुए थे कि चेतन जी वहाँ आ गए, उनके साथ में एक लड़की भी थी।
चेतन जी (हल्के नशे में)- तो आप कांता से मिल चुके हो.. ये रहीं आपकी दूसरी हीरोइन.. ‘डॉली श्रीवास्तव’
मेरा दिल इस नाम के साथ ही ज़ोरों से धड़क उठा।
‘इस फिल्म में तुम्हें इन दोनों के साथ ऐसी केमिस्ट्री बनानी है कि परदे पर आग लग जाए बस..’
उसे वहीं छोड़ कर वो फिर से नीचे हॉल में चले गए।
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Re: चमकता सितारा

Post by Jemsbond »

डॉली ने मेरे पास आते हुए कहा- आपकी परफ्यूम की पसंद बड़ी अच्छी है।
मैं तो जैसे इस नाम को सुनने के साथ उससे जुड़ सा गया था। मेरे अन्दर का ज्वार जैसे फूटने को हो आया था, मुझे अब उसके चेहरे में अपनी डॉली दिख रही थी।
मैंने उसे खींच कर गले से लगा लिया और कस कर बांहों में भरते हुए मैंने कहा- कहाँ चली गई थीं.. मुझे छोड़ कर.. जाने से पहले एक बार भी मेरा ख्याल तक नहीं आया तुम्हें..? कम से कम एक बार तो सोच लिया होता तुमने.. कि मैं तुम्हारे बिना जिंदा भी रह पाऊँगा या नहीं..
इतना कहते-कहते मेरी आँखें भर आईं।
तभी तालियों की आवाज़ से मैं नींद से जगा जैसे। कांता और कुछ लोग तालियाँ बजा रहे थे।
‘क्या फील के साथ एक्टिंग की है यार तुमने।’
यह कहते हुए कांता ताली बजा रही थी।
मैंने डॉली को खुद से अलग किया, वो भी थोड़ी शॉक्ड थी।
तभी कांता के फ़ोन पर एक कॉल आया और वो चली गई, मैं अब डॉली से दूर जाना चाह रहा था तो मैंने डॉली से काम का बहाना किया और होटल के बाहर आ गया।
मेरा दिल बेचैन सा हो गया था.. मैंने एक टैक्सी बुलाई और रात को ही समंदर के किनारे पर आ गया। अब इन लहरों का शोर मेरे अन्दर की वादियों में गूंज रहा था.. समंदर की तेज़ हवाएँ जैसे मेरे अन्दर लगी.. इस आग को बुझाने की जगह और भड़का रही थीं।
मैं वहीं रेत पर घुटनों के बल गिर पड़ा और जोर-जोर से चिल्लाने लगा, इतने दिनों से मैं खुद को ही भूल बैठा था, आज जैसे हर वो याद मेरे आँखों के सामने घूम रही थी। थोड़ी देर बाद मैं किसी तरह खुद को काबू में करने की कोशिश करने लगा।
तभी किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया… मैंने मुड़ कर देखा तो डॉली श्रीवास्तव थी।
डॉली- कोई कितना भी बड़ा एक्टर क्यूँ न हो, उसका जिस्म तो एक्टिंग कर सकता है.. पर उसका दिल नहीं। तुम्हारी धड़कने मैंने महसूस की हैं.. ये झूठ नहीं कह रही थी। क्या है तुम्हारा सच..? मैंने सुना था कभी कि बांटने से दर्द हल्का होता होता है।
मैंने उससे कहा- कभी मैंने भी किसी को चाहा था.. पर इस दुनिया ने उसे मुझसे जुदा कर दिया.. वो अब इस दुनिया में भी नहीं है।
डॉली- तुमने एक्टिंग को ही क्यूँ चुना।
मैं- मैं अपने आप को भूल जाना चाहता था.. मुझे ये यादें बस दर्द देती हैं।
डॉली- इस दुनिया में जितना अपने दर्द में तड़पोगे.. उतनी ही तालियाँ तुम्हें मिलेंगी। ये फिल्मों की दुनिया ही ऐसी है.. जो जितना बड़ा कलाकार यहाँ है.. उसने उतने ही बड़े ग़मों को समेट रखा है..
मैं- क्या इस दर्द का कोई इलाज नहीं?
डॉली ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा- है न.. जैसे-जैसे वक़्त बीतेगा.. तुम इस दर्द में भी मुस्कुराना सीख जाओगे।
फिर वो मेरे पास आ कर बैठ गई और कहने लगी-
‘मैंने भी कभी किसी से बेइन्तेहाँ मोहब्बत की थी.. पर शायद उसे मेरे दिल की धड़कन कभी सुनाई ही नहीं दी। इस जिस्म के अन्दर जो दिल था उसे वो कभी समझ ही नहीं पाया.. या शायद वो मेरे प्यार के काबिल ही नहीं था। आज तुम्हें ऐसे तड़फता देख कर मेरे दिल में दबी हुई वो आग.. फिर से जल उठी। हर किसी के दिल में ऐसी ही कोई बात दबी होती है। जब-जब हम परदे पर अपने दर्द में रोते हैं.. तब-तब उनके जज़्बात भी बाहर आ जाते हैं।
इस दुनिया में हर लड़की को किसी ऐसे की ज़रूरत होती है.. जो उसे सच्चे दिल से चाहे। मुझे अपनी दुनिया में तो वो प्यार मिल न सका.. पर अब इस सपनों की दुनिया में ही तुम्हारे सच्चे प्यार को जी सकूँगी। तुम ये समझ लेना कि तुम्हारी डॉली मेरे चेहरे में तुम्हारे सामने है।
मैंने उसे खुद से दूर कर अलग करते हुए कहा- मेरे करीब मत ही आओ तो बेहतर होगा। मेरे दिल की आग में जल जाओगी।
डॉली- मैंने आग के समंदर को पार किया है.. बहुत जली हूँ खुद की आग में.. तुम्हारी चाहत की तपिश भी झेल जाऊँगी।
मैं- क्यूँ खेल रही हो मुझसे.. मैं टूट चुका हूँ।
डॉली- टूटे हुए दिल को समझने के लिए दर्द भरे दिल की ज़रूरत होती है। तुम्हें मैं ही संभाल सकती हूँ। खुद से लड़ना बंद करो और मेरे पास आ जाओ।
मैंने उसकी तरफ घूर कर देखा।
‘यूँ समझ लो कि इस जिंदगी ने तुम्हें फिर से मौक़ा दिया है अपनी डॉली के प्यार को पाने का’
उसने मेरी तरफ अपनी बाँहें फैला दीं।
मेरी आँखें भर आई थीं। अब सब कुछ मुझे धुंधला-धुंधला सा दिख रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे सच में डॉली मेरे सामने बाँहें फैलाए हो।
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Re: चमकता सितारा

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अब तो ये धोखा ही सही.. पर मैं डॉली को फिर से बांहों में भरना चाहता था।
मैं आगे बढ़ा.. पर मेरे कदम लड़खड़ा गए, जैसे ही मैं गिरने को हुआ.. डॉली ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
मैं- मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगी न..?
डॉली- नहीं.. हमेशा तुम्हारी बांहों में ऐसे ही रहूँगी।
मैं- हमेशा ऐसे ही प्यार करोगी मुझे?
डॉली- नहीं इससे बहुत बहुत ज्यादा।
मेरी आँखें अब तक बंद थीं.. तभी डॉली के होंठ मेरे होंठों से मिल गए।
हम दोनों ही आँखों में आंसुओं का सैलाब लिए एक-दूसरे को चूम रहे थे।
जहाँ तक नज़रें जाती.. वहाँ बस अँधेरी रात का सन्नाटा पसरा हुआ था। अगर कोई शोर था तो वो शोर समंदर की लहरों का था।
समंदर की ठंडी नमकीन हवाओं ने जैसे उसके होंठों पर भी नमक की परत चढ़ा दी हो.. मैं उसके होंठों को चूमता हुआ उसमें खोने लगा।
डॉली ने मुझे अपने नीचे कर लिया और मेरे कपड़े उतारने लग गई।
मैंने भी उसके तन से कपड़ों को अलग किया, वो चाँद की रोशनी में डूबी और समंदर के पानी से नहाई हुई परी लग रही थी।
मैं उसके जिस्म को बस निहार रहा था.. पर शायद डॉली को शर्म आ गई, वो अपने हाथों से अपने जिस्म को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लग गई।
मैं उसके जिस्म पर जहाँ-जहाँ भी खाली जगह थी.. वहीं उसे चूमने लग गया। डॉली ने अब अपने हाथ हटा लिए थे, अब उसकी आवाज़ में सिसकियाँ ज्यादा थीं।
मैंने उसे पलटा और रेत लगे उसके जिस्म को.. समंदर के पानी से धोने लग गया।
उसके रेत से सने हुए जिस्म को धोते हुए हर उस जगह को भी चूमता जा रहा था। फिर उसके कूल्हों को चूमता हुआ मैंने उसके पीछे के रास्ते में अपनी ऊँगली फंसा दी।
मेरी इस हरकत से वो चिहुंक कर बैठ गई और मुझे लिटा कर मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाते हुए मेरे जिस्म को जोर-जोर से चूमने लग गई।
थोड़ी देर में मेरा लिंग उसके मुँह के अन्दर था। उत्तेजना की वजह से मैंने भीगी रेत को मुठियों से ही निचोड़ दिया और उस रेत से उसके स्तनों की मालिश करने लग गया।
अब हम 69 की अवस्था में आ गए.. मैं उसकी योनि को चूमता हुआ नमकीन पानी से भीगी हुई उँगलियाँ उसकी गांड में घुसाने लग गया।
कभी-कभी जो नमकीन स्वाद मुझे मिलता.. उससे ये तय नहीं कर पा रहा था कि ये समंदर के पानी का असर है या उसकी योनि का नमकीन पानी है।
अब मैंने उसे सीधा किया और अपने लिंग को एक जोरदार झटके से उसकी योनि में समाहित कर दिया। थोड़ी देर इसी आसन में अन्दर-बाहर करने के बाद उसे घोड़ी वाले आसन में लाया और पीछे से जोर-जोर से अपने लिंग को अन्दर-बाहर करने लग गया।
आखिरकार हम दोनों एक साथ अपने प्यार की पराकाष्ठा पर पहुँच गए। हमारे कपड़े भीगते हुए संमदर के साथ किनारे पर तैर रहे थे।
अब कहीं वो समंदर में ना चली जाए.. इस वजह से डॉली उठी और वैसे ही कपड़ों को इकठ्ठा करने लग गई। उसे देख कर ऐसा लग रहा था.. मानो कोई जल-परी जल-क्रीड़ा कर रही हो।
मैं बस दौड़ कर उसके पास गया और उसे पीछे से पकड़ कर अपनी बांहों में भर लिया।
डॉली ने खुद को मुझसे अलग किया और वही भीगे कपड़े पहन लिए। मैंने भी अपने कपड़े डाले और डॉली के साथ उसकी कार तक आ गया। उसने कार में रखी हुई मुझे शराब कि बोतल बढ़ा दी।
थोड़ी देर में हम सामान्य हुए तो डॉली मुझे अपने साथ अपनी कार में घर पर ले गई। घर पर कोई भी नहीं था। कमरे में बेहद हल्की रोशनी थी.. इतना प्रकाश भर था कि हम बस एक-दूसरे को महसूस कर सकते थे।
रास्ते में मैं उसकी कार में शराब ख़त्म कर चुका था.. सो अब मुझे नशा भी छाने लगा था। मैं बिस्तर के पास जाते ही बिस्तर पर गिर पड़ा और डॉली मेरे ऊपर आ गई।
हम एक-दूसरे में डूबते चले गए। जितनी नाराजगी.. जितना भी प्यार मेरे अन्दर डॉली के लिए था.. वो आज मैंने इस पर न्यौछावर कर दिया।
मेरी आँख लग गई।
सुबह-सुबह डॉली की आवाज़ से मैं नींद से जागा।
डॉली अपने भीगे बालों का पानी मेरे गालों पर गिराते हुए बोली- जानेमन जाग भी जाओ।
वो अभी-अभी नहा कर आई थी और अब तक तौलिया में ही थी।
मैंने उसके हाथ को पकड़ बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर आ कर उसके होंठों को चूमने लगा। फिर मैं उसके कानों के पास बोला- नाश्ता बहुत अच्छा था… लंच में क्या दे रही हो?
वो मुझे धकेलते हुए बोली- बदमाश.. जाओ यहाँ से.. आज नाश्ते से ही काम चला लो.. आज कुछ नहीं मिलने वाला।
मैं- कुछ भी कहो.. मैं नहीं छोड़ने वाला हूँ!
फिर मैंने उसके तौलिए को खींच कर अलग कर दिया।
डॉली-नहीं.. प्लीज भगवान् के लिए मुझे छोड़ दो।
मैं-अरे जानेमन.. तुम्हारी चूत में से कितना भी रस ले लूँ.. फिर भी बच ही जाएगा।
यह कहता हुआ मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लग गया।
अब डॉली भी बेकाबू हो रही थी। मैंने अपने लिंग को निकाल कर उसके मुँह में दे दिया। वो भी भी तसल्ली से इसे चूसने लग गई.. पर सुबह-सुबह का वक़्त था.. सो मुझे जोर से पेशाब लगी थी।
मैंने डॉली के बालों को पकड़ कर उसे फर्श पर बिठाया और उसके चेहरे पर अपने लिंग को रगड़ता हुआ पेशाब करने लग गया।
डॉली भागने की कोशिश कर रही थी.. पर मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ा हुआ था।
जब मैं खाली हुआ तो फिर से अपने लिंग को उसके मुँह में दे दिया। फिर मैं उसे फर्श पर बिखरे हुए उसी पेशाब पर उसे लिटा दिया और उसकी गांड में अपने लिंग को एक ज़ोरदार झटके से घुसा दिया।
उसका पूरा बदन लाल हो गया था। वो जोर से चीखना चाह रही थी.. पर मैंने कोई मौक़ा ना देते हुए उसके मुँह में अपनी चारों उँगलियाँ डाल दी।
मैं जोर-जोर से उसे धक्के लगा रहा था। थोड़ी-थोड़ी देर में मैं लिंग को उसकी गांड से निकाल कर चूत में डालता और फिर से उसे उसकी गांड में डाल देता।
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मेरी इस छेड़छाड़ से वो झड़ गई और थोड़ी देर में जब मैं झड़ने को हुआ तो फिर से उसकी मुँह में लंड डाल कर अपना सारा रस निकाल दिया।
अब फिर से उसे नहाना पड़ा.. पर इस बार मैं भी उसके साथ था।
वहाँ भी एक शॉट लगा कर उसे शांत किया और फिर हम बाहर आ गए।
मैं- अपने घर में अकेली रहती हो..? मम्मी पापा?
डॉली- मम्मी लन्दन में.. और पापा न्यूयॉर्क में.. दोनों का तलाक हो चुका है, यहाँ मैं अकेली ही रहती हूँ।
तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी। मैं अपने कपड़े पहन रहा था.. सो मैंने फ़ोन को स्पीकर पर कर दिया।
कोमल- मैंने सुना है कि तुम्हें तुम्हारी डॉली मिल गई?
मैं- तुम्हें कैसे पता?
कोमल- वो आपकी दूसरी वाली… क्या नाम था उसका.. हाँ कांता खान.. वो बता रही थी कि आप और डॉली एक साथ बाहर गए हो। वैसे जनाब नाश्ता और लंच यहीं करोगे या परमानेंटली उसी के घर पर शिफ्ट हो रहे हो.?
मैं- नहीं यार… मैं अभी आता हूँ. वैसे भी अब बिस्तर पर नींद नहीं आती, मैं सोफे को बहुत मिस कर रहा हूँ।
कोमल- ताने मारना बंद करो। मैंने बिस्तर मंगवा दिया है और कम से कम जाकर अपने लिए शॉपिंग वगैरह तो कर लो.. हीरो बन गए हो और विलेन से भी बुरे हालत में रहते हो।
मैं- ठीक है मेम साब.. आपका हुकुम सर आँखों पर..
मैंने फ़ोन काट दिया।
डॉली- यह वही है न.. जिनके बारे में तुमने बताया था?
मैं- हाँ..
डॉली- तुम यहीं मेरे साथ क्यूँ नहीं रहते हो.. वैसे ये भी ठीक है हमें थोड़ी दूरी बना कर रहना चाहिए वरना ये मीडिया वाले छोड़ते नहीं हैं।
मैं- क्या करते हैं वो?
डॉली- अभी आपकी यह पहली फिल्म है.. मेरी ये दूसरी फिल्म है.. तो मुझे अनुभव थोड़ा ज्यादा है। आपकी फिल्म एक बार हिट हो जाने दो फिर देखना कि ये क्या-क्या करते हैं।
मैं- तुम्हारी कौन सी फिल्म आई है। मैंने तो नहीं देखी है।
डॉली- कैसे देखोगे अभी पंद्रह दिन पहले ही तो रिलीज़ हुई है.. कल जिसकी सक्सेस पार्टी में गए थे.. उस फिल्म के लीड रोल में मैं ही थी।
मैं- ह्म्म्म… चलो थोड़ी शॉपिंग करते हैं। मेरे पास अभी तक ढंग के कपड़े भी नहीं हैं।
डॉली- हाँ मैं डिज़ाइनर अपॉइंटमेंट ले लेती हूँ.. फिर हम दोनों काम पर चलेंगे।
मैं- जानेमन.. अभी मैं सुपरस्टार बना नहीं हूँ। ऐसा करो कि मुझे खुद ही जाने दो.. मैं अपने लेवल के कपड़े खरीद लूँगा.. तुम बस अपनी कार में ही रहना और हाँ.. अभी मैं आपसे पैसे लेने वाला नहीं हूँ.. सो कुछ और मत कहना।
डॉली- मैं भी साथ चलूंगी। मैं भी एक्ट्रेस हूँ.. ऐसे तैयार हो जाऊँगी कि कोई भी मुझे नहीं पहचान पाएगा।
मैं- उसके लिए तो जो पहना है उसे उतारना भी होगा न !
मैं फिर से उसके कपड़े उतारने लग गया।
डॉली- नहीं… प्लीज छोड़ दो मुझे।
फिर कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ शॉपिंग पर गए। वो पूरा दिन हमने खूब मज़ा किया। रात को थक कर आ कर सो गए।
दूसरे दिन सुबह सुबह कोमल का कॉल
कोमल- जनाब बिस्तर उदघाटन की राह देख रहा है.. कब आयेंगे आप?
मैंने डॉली को सुनाते हुए कहा- पहले यहाँ वाला बिस्तर तो तोड़ दूँ।
फिर मैं और कोमल जोर-जोर से हंसने लग गए।
इधर डॉली ने तकिए को मेरे चेहरे पर मारना शुरू कर दिया। जैसे-तैसे हालात को काबू में किया।
कोमल-तुम्हें हंसते हुए देख कर अच्छा लगता है.. ऐसे ही रहना और जल्दी से घर आओ.. मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना रही हूँ और हाँ.. डॉली को भी साथ ले आना।
हम दोनों तैयार हुए। मैंने कल जो शॉपिंग की थी.. उसमें से आधे कपड़े यहीं छोड़ कर बाकी कपड़े अपने साथ फ्लैट में ले आया।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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