समाज सेविका compleet

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rajaarkey
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Re: समाज सेविका

Post by rajaarkey »


sheeshe ki tarah saaf taral patharth usaki choot ko tar
batar kar raha tha. maine apani pahali ungali usaki
choot ke ched par rakhi. mujhe aisa laga jaise maine aag
ko choo liya ho. itani garm choot thi usaki.
maine dheere se apani ungali usaki choot me ghusaayi to
usake muh se aah nikal gayi. dheere dheere mai apani
ungali usaki choot me aage peeche karane laga. vo see
see ki aawaaz nikaalne lagi. mujhe apani ungali ko usaki
choot me aage peeche karane me badaa mazaa aa raha tha.
idhar mera lund phir se tan kar taiyaar ho gaya tha.
phir maine do ungaliyaa usaki komal choot me ghusaayi.
chikani choot hone vajah se donom ungaliyaa bade aaram
se andar baahar ho rahi thi. lagbag pachaas saathh baar
maine apani ungaliyom se usaki choot me ghisaayi ki aur
usake muh se baar baar siskiyom ki aawaz aate rahi.
vo itani bekaraar thi ki kabhi apanaa sar daaye karati

to kabhi baaye. mai uth khada hua aur ek haath usaki
kamar ke neeche aur doosara usaki gardan ke neeche daal
kar use kisi phool ki tarah utha liyaa.
mai use uthaa kar apane bedroom me le gayaa aur sheere
se use bistar par silaa diya. vo aankhe band kiya mere
agale kadam kaa intezaar karane lagi. pent to meri utari
hui hee thi. maine apani shirt bhi utaardi aur poori
tarah nangaa ho gaya. usaki sari aur petikot usake
shareer par ab bhi mauzood the. maine jaise taise karake
usaki sari utaari aur petikot.
vaah...! kya scene tha. nangi hokar vo kisi apsara ki
tarah khoobsoorat lag rahi thi. usaka jism venus ke rut
ki tarah shaphaaph tha. utanaa hi gadaraaya hua, utanaa
hi aakarshak bedaag aur chikana.

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Jaunpur

Re: समाज सेविका

Post by Jaunpur »

Very nice Story.
complete it ASAP.

Thanks.
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rajaarkey
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Re: समाज सेविका

Post by rajaarkey »

Jaunpur wrote:Very nice Story.
complete it ASAP.

Thanks.

shukriya dost jald hi complete ho jaayegi
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rajaarkey
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समाज सेविका (भाग-2)

Post by rajaarkey »



समाज सेविका (भाग-2)

वो करवट होकर लेट गई. अब मैं उसके चुतडो को देख
रहा था. बहुत ही खूबसूरत, बहुत ही दिलकश. उसकी
गान्ड के दोनों उभार बड़े सेक्सी थे. उसकी गोलाइया
इतने सलीके की थी, कि मेरी आँखे मे नशा सा छाने
लगा. मैं उसकी गान्ड की गोलाइयों पर हज़ार जान से
फिदा हो गया. मैने धीरे से उसकी गान्ड पर हाथ
फेरा तो मुझे लगा जैसे मेरी उंगलियों को सब्र का फल
मिल गया हो... बहुत मीठा, बहुत रसीला.
उसकी गान्ड बहुत चिकनी और नाज़ुक थी. मैं दो मिनिट
तक उसे प्यार से सहलाता रहा और फिर उसकी कमर पर
हाथ रख कर मैने उसे चित लिटा दिया. उसकी दोनों
टांगे आपस मे सटी हुई थी. मैने आहिस्ते से दोनों
दोनों टाँगों को अलग किया और एक बार फिर मेरे सामने
वही खूबसूरत मंज़र था. उसकी मासूम और प्यारी सी
चूत मेरे सामने थी. गीलापन से छप छप करती
हुई. मैने जहा तक संभव था, उसकी टाँगों को
फैलाया और उसकी चूत को निहारने लगा. चूत का
द्रुश्य कयामत ढाने वाला था. मैं उसकी टाँगों के
बीच मे आ गया और धीरे से अपना मूह उसकी चूत के
पास ले गया. वो कस मसाने लगी. मैने अपनी ज़बान का
नोकीला सिरा उसकी क्लाइटॉरिस पर रखा और किसी साँप की
जीब की तरह थर थर हिलाते हुए उसे चाटने लगा.

उसके मूह से तरह तरह की आवाज़े आने लगी. मैं उसी
रफ़्तार से उसकी क्लाइटॉरिस को चाटता रहा. वो बिन पानी
की मछली की तरह तड़पने लगी. उसे इतना मज़ा आ रहा
था कि वो अपने बेड पर पटकने लगी थी. फिर वो
चीखने लगी... और उसके मूह से अजीब अजीब शब्द
निकलने लगे... मैं अपनी ज़बान से उसकी चूत के एक एक
भाग को चाट रहा था और उसके मूह से सी सी... आह
... उऊः की आवाज़े निकाल रही थी.

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rajaarkey
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Re: समाज सेविका

Post by rajaarkey »



फिर उससे सहन नही हुआ और उसने मेरे बाल पकड़ लिए
और बोली... "हटो अब.. कुछ और करो.."

मैने पूछा.. "क्या करू.."

"घुसा दो अपने लंड मेरी चूत के अंदर... खूब ज़ोर
से... चोदो, खूब चोदो... इतना चोदो की आज सारी
आरजुए पूरी हो जाए."

मैने अपना मूह उसकी चूत के पास से हटाया और उसने
अपने घुटने मॉड़े. मैं उसकी उठी हुई टाँगों के बीच
बैठ गया. उसने अपनी टांगे मेरे शरीर से लपेट दी.
मैने उसकी टाँगों को अलग किया और दोनों हाथों से
उन्हे अपनी बाहों मे ले लिया. मेरी बाहे उसकी उठी हुई
टाँगों को थाम रही थी, जिसकी वजह से उसकी चूत
पूरी तरह खुल कर मेरे सामने आ गयी थी. मैने
अपना सनसानता हुआ लंड उसकी चूत के छेद पर रखा
और उसने एक झूर झूरी सी ली. लंड के चूत पर रखते
ही वो अपने आप ही अंदर जाने लगा. बड़ी चिकनी चूत
थी उसकी.

मैने धीरे से धक्का दिया और बिना तकलीफ़ पूरा लंड
उसकी चूत मे समा गया. गरम गरम चूत के अंदर
लंड की अजीब हालत थी. मैं धीरे धीरे अपने लंड
को उसकी चूत मे आगे पीछे करने लगा. मुझे वॉर्म
मसाज का मज़ा आने लगा. मेरा लंड उसकी गर्म चूत
के घर्षण से बाग बाग हुआ जा रहा था. मेरे दिल मे
आवाज़ आने लगी कि ये सिलसिला कभी ख़त्म ना हो और
जिंदगी भर यू ही चलता रहे.

मैं अपने लंड उसकी
चूत मे अंदर बाहर कर रहा था और हर स्ट्रोक मे वो
सिसकारिया भरती जा रही थी. अब मैइमे अपनी बाहों मे
जकड़ी उसकी टाँगों को और कस के पकड़ा और उसे थोड़ा
उपर उठाया. इस तरह उसकी चूतड़ भी उपर उठ गये.
थोड़ा और कोशिश किया तो चूतड़ पूरी तरह ऊपर उठ
गयी. यानी अब उसकी गान्ड बिस्तर से लगबग तीन इंच
ऊपर थी. ऐसा करने से उसकी चूत 60 डिग्री के ऐंगल
से उपर हो गयी. अब उसकी क्लाइटॉरिस मेरे लंड के सामने
थी. मैने अपने लंड के हेड से उसकी क्लाइटॉरिस को
मसलना शुरू किया और वो आनंद से विभोर हो कर थर
थर काँपने लगी.

मैं लगातार उसकी क्लाइटॉरिस को अपने
लंड से मसले जा रहा था और वो तड़पे जा रही थी.
बीच बीच मे मैं अपना लंड उसकी चूत के अंदर
गहराई तक घुसा देता और चोदने का मज़ा डबल हो
जाता. मैं अपने लंड को उसकी चूत की पूरी दरार पर
घिस रहा था. साथ ही उसकी क्लाइटॉरिस को मसल भी
रहा था और मौका मिलते ही पूरे लंड को उसकी चूत
के अंदर डाल रहा था. वो खुशी से ऐसे थर थरा
रही थी, जैसे किसी बच्चे को उसका मन पसंद खिलौना
मिल गया हो.


कुछ देर मैं यू ही करता रहा. फिर मैने खेल ख़तम
करने के मकसद से उसे दोबारा अच्छी तरह बेड पर लिटा
दिया और उसकी गान्ड के नीचे नर्म तकिया रख दिया,
उसकी चूत उभर कर किसी फूल की तरह मेरे सामने
आ गयी. मैने अपना सख़्त और मजबूत लंड उसकी चूत
के उपर रखा और एक झटके मे सारा लंड उसकी चूत मे
अंदर डाल दिया. वो हल्के से चीख पड़ी. धीरे धीरे
मैं अपना लंड उसकी चूत मे उपर नीचे कर रहा था.


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