समाज सेविका compleet
- jay
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Re: समाज सेविका
purani ka nasha hi kuch our hai
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
- rajaarkey
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Re: समाज सेविका
jay wrote:purani ka nasha hi kuch our hai
जय भाई इसीलिये तो बुजुर्गों ने कहा है नई नौ दिन पुरानी सौ दिन
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Re: समाज सेविका
शुक्रिया दोस्त इसी तरह साथ बनाए रखनाsupremo009 wrote:nice start bro!
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Re: समाज सेविका
'क्या...क्या कहा....? मतलब?' वो हैरानी से बोली.
'चुदास नही समझती हो?'
'कुछ कुछ..क्या यही मतलब है सेडक्षन का?'
'हा, शायद... यानी अगर....मेरा मतलब है...कि ...
अगर कोई... अब कैसे समझाऊ तुम्हे?' मैं उलझा कर
बोला.
वो हँसने लगी और बोली...'कही चुदास का
मतलब...सेक्स करने की चाह तो नही?'
मैं उसे एक टक देखने मगा. उसके होंठों पर चंचल
मुस्कान थी.
मैने कहा...'ठीक समझी तुम.'
वो मेरी आँखों मे आँखे डालती हुई बोली... 'किस शब्द
से बना है...ये चुदास?' मैं उसकी आवाज़ मे कंप-कंपी
सी महसूस की.
मेरे दिल ने कहा...'गधे, इतना चान्स दे रही है...
तू भी बन जा बेशरम... वारना पछताएगा.'
मैं बोला...'चुदास...चोदना, इस शब्द से बना है?'
वो खिलखिला कर हँसने लगी और फिर जल्दी से चुप हो
कर बाथरूम की ओर देखने लगी कि कही मेडम ना आ
जाए.
वो फिर मेगज़िन की पन्ने पलटने लगी. मैं सोचने
लगा कि अब क्या करूँ. अचानक उसने फिर पूछा...'ये
वेजाइना का क्या मतलब होता है?'
मैने दिल ही दिल मे कहा...साली तू जान बूझ कर ऐसे
सवाल पूछ रही है...
मैने बिंदास हो कर कहा...'वाजीना, या वेजाइना...योनि को
कहते है...'
'व्हाट? योनि? योनि क्या?'
'योनि नही जानती हो...?'
'नही'
'चूत समझती हो?'
उसने झट से अपने मूह पर हाथ रख लिया और फिर
बाथरूम की तरफ देखने लगी.
'चूत समझती हो कि नही?' मैने पूछा.
वो मेगज़िन के पन्ने पलटते हुए धीरे से बोली...
'हाँ!'
'और फक्किंग ?'
वो फिर बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखने लगी.
मैने कहा... 'मेडम नही है... अपनी मा के यहाँ गयी
है.'
उसने एक गहरी साँस ली और मुस्कुराती हुई मेरी तरफ
देखने लगी. मेरे दिल ने कहा...मछली फँसी.
'तो मैं कल आती हू...' वो उठने लगी.
'ठहरो, आ जाएगी अभी... कहा था चार बजे शाम
तक आ जाएगी.'
'अभी तो दो ही बजे है.'
'तो क्या हुआ.. थोड़ा इंतेजार कर लो.'
'थोड़ा?.. पूरे दो घंटे बाकी है'
'हा तो क्या हुआ... मुझसे बाते करो....'
'क्या बात करूँ?'
'कुछ भी...ये बताओ तुम क्या करती हो?'
'कहा तो था, समाज सेवा करती हू.'
'किस किसाम की सेवा?'
'ज़रूरतमंद लोगों की ज़रूरते पूरी करना, उनकी
समस्याए सुलझाना...वग़ैराह.'
'मैं भी ज़रूरतमंद हू....मेरी ज़रूरत पूरी कर
सकती हो?'
'क्या ज़रूरत है आपकी?'
मैने उसके चेहरे पर नजरे गाढ दी और धीरे से
बोला...'तुम हो मेरी ज़रूरत.'
वो बिना कुछ कहे मेरी तरफ देखने लगी. फिर
बोली...'क्या करेंगे मेरे साथ?'
'वही जो एक आदमी एक औरत के साथ करता है....'
वो खामोश हो गयी....मैने हिम्मत करके बात आगे
बढ़ाई.... 'बड़ी चुदास महसूस हो रही है...'
उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गयी और वो
बोली...'चुदास की प्यास?'
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Re: समाज सेविका
'वाह...बहुत अचाहा कहा तुमने...वाकई चुदास की
प्यास लग रही है.'
'सच कहु तो ये प्यास मुझे उस दिन से लगी है...जिस
दिन आपको पहली बार देखा था...'
वो मेरी तरफ प्यार भरी नज़रों से देखती हुई बोली.
मैने अपना शक दूर करने के लिए कहा...'तुम तो
इतने लोगों से मिलती हो...तुम्हारी प्यास तो कोई भी
मिटा सकता है... और शायद...'
'नही नही...अब इतनी भी गयी गुज़री नही हू
मैं...आपमे कुछ ख़ास बात है...'
'तो क्या तुमने कभी किसी के साथ....?'
'जब तक मेरा पति मेरे साथ था...तब तक... फिर
हमारा डाइवोर्स हो गया...और मैं दो साल से प्यासी हू.'
'ओह्ह... आइ सी...' मैने कहा... 'इसका मतलब है कि दो
साल से तुम्हारी चूत ने किसी लंड का मज़ा नही
चखा.'
'नही...' वो सर झुका कर बोली...'आप जैसा कोई
हॅंडसम आदमी नही मिला...'
'अगर मिल जाता तो...?'
'तो मैं अपनी चूत उसके लंड पर कुर्बान कर देती.'
'तो आओ... मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्योछावर होने
के लिए बेकरार है.' मैने उसके करीब जा कर उसका
हाथ पकड़ते हुए कहा.
वो फॉरेन मेरे सीने से लग गयी और मुझे ऐसा लगा
जैसे सीने मे ठंडक सी पड़ गयी हो. उसके गदराए
बदन से भीनी भीनी खुसबू आ रही थी. उसके मुलायम
बाल मेरे गालों को सहलाने लगे. मैने कस के उसे
अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और उसके बाल पकड़ कर
उसके चेहरे को उपर उठाया. उसके होंठ खुल गये.
जैसे गुलाब की दो पंखुड़िया भवरे के पंजे मे फँस
जाने के बेताब हो. मैने उसके अधखुले गुलाबी होंठों
को हलके से अपने दाँतों मे पकड़ लिया. उसकी सिसकारी
निकल गयी. फिर धीरे से मैने उसके नरम नरम
होंठों को अपने मूह मे ले लिया. ऐसा लगा जैसे शहद
का घूँट पी लिया हो.
उसके कोमल होंठ अमृत कलश की तरह मेरी ज़बान को
तृप्त करने लगे. मैं धीरे धीरे उसके मस्त
होंठों को अपने होंठों मे दबा कर चूसने लगा.
मेरी आँखे बंद थी और उसकी भी. नशा सा छाने
लगा.
मैने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की ओर बढ़
रहे है. मैने अपने टांगे फैला दी. उसने बड़ी
कोमलता से मेरे लंड को थाम लिया. फिर धीरे धीरे
उसे सहलाने लगी. मेरा लंड किसी लोहे की छड की तरह
सख़्त हो गया. वो पॅंट के ऊपर से ही मेरे लंड को
सहला रही थी, जैसे कोई औरत अपने बच्चे के
बालों को सहलाती है.
प्यास लग रही है.'
'सच कहु तो ये प्यास मुझे उस दिन से लगी है...जिस
दिन आपको पहली बार देखा था...'
वो मेरी तरफ प्यार भरी नज़रों से देखती हुई बोली.
मैने अपना शक दूर करने के लिए कहा...'तुम तो
इतने लोगों से मिलती हो...तुम्हारी प्यास तो कोई भी
मिटा सकता है... और शायद...'
'नही नही...अब इतनी भी गयी गुज़री नही हू
मैं...आपमे कुछ ख़ास बात है...'
'तो क्या तुमने कभी किसी के साथ....?'
'जब तक मेरा पति मेरे साथ था...तब तक... फिर
हमारा डाइवोर्स हो गया...और मैं दो साल से प्यासी हू.'
'ओह्ह... आइ सी...' मैने कहा... 'इसका मतलब है कि दो
साल से तुम्हारी चूत ने किसी लंड का मज़ा नही
चखा.'
'नही...' वो सर झुका कर बोली...'आप जैसा कोई
हॅंडसम आदमी नही मिला...'
'अगर मिल जाता तो...?'
'तो मैं अपनी चूत उसके लंड पर कुर्बान कर देती.'
'तो आओ... मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्योछावर होने
के लिए बेकरार है.' मैने उसके करीब जा कर उसका
हाथ पकड़ते हुए कहा.
वो फॉरेन मेरे सीने से लग गयी और मुझे ऐसा लगा
जैसे सीने मे ठंडक सी पड़ गयी हो. उसके गदराए
बदन से भीनी भीनी खुसबू आ रही थी. उसके मुलायम
बाल मेरे गालों को सहलाने लगे. मैने कस के उसे
अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और उसके बाल पकड़ कर
उसके चेहरे को उपर उठाया. उसके होंठ खुल गये.
जैसे गुलाब की दो पंखुड़िया भवरे के पंजे मे फँस
जाने के बेताब हो. मैने उसके अधखुले गुलाबी होंठों
को हलके से अपने दाँतों मे पकड़ लिया. उसकी सिसकारी
निकल गयी. फिर धीरे से मैने उसके नरम नरम
होंठों को अपने मूह मे ले लिया. ऐसा लगा जैसे शहद
का घूँट पी लिया हो.
उसके कोमल होंठ अमृत कलश की तरह मेरी ज़बान को
तृप्त करने लगे. मैं धीरे धीरे उसके मस्त
होंठों को अपने होंठों मे दबा कर चूसने लगा.
मेरी आँखे बंद थी और उसकी भी. नशा सा छाने
लगा.
मैने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की ओर बढ़
रहे है. मैने अपने टांगे फैला दी. उसने बड़ी
कोमलता से मेरे लंड को थाम लिया. फिर धीरे धीरे
उसे सहलाने लगी. मेरा लंड किसी लोहे की छड की तरह
सख़्त हो गया. वो पॅंट के ऊपर से ही मेरे लंड को
सहला रही थी, जैसे कोई औरत अपने बच्चे के
बालों को सहलाती है.
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