सौतेली माँ से बदला
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो वैसे तो मेरी तीन चार कहानियाँ अभी अधूरी पड़ी हैं जैसा कि मैने आपको बताया था कि अभी थोड़े वक्त की और बात है फिर मैं अपनी कहानियो को पूरी करूँगा
दोस्तो काफ़ी दिनो से मैने कोई नई कहानी पोस्ट नही की है इसीलिए मैं आपके लिए ये कहानी लेकर आया हूँ ये कहानी एक ऐसे लड़के की कहानी है जिसने अपनी सौतेली माँ, मौसी और सौतेली बहनों से बदला लेने के लिए मुझसे चुदवाया और खुद भी चोदा . तो दोस्तो कहानी कुछ इस तरह है...........................................
सौतेली माँ से बदला compleet
- rajsharma
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सौतेली माँ से बदला compleet
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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`·.¸.·´ -- raj sharma
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Re: सौतेली माँ से बदला
ये उस वक़्त की बात है, जब मैं शहर में नया नया आया था और अपने एक दोस्त के यहाँ रहता था।
जिस कॉलेज में पढ़ता था, वहां मेरा जो सबसे पहला दोस्त बना वो वसीम था।
आहिस्ता आहिस्ता, हम दोनों की दोस्ती गहरी हो गई और हम दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त बन गये।
मेरा उसके घर, बहुत आना जाना था।
वसीम के घर में, सिर्फ़ तीन लोग थे – वसीम, उसके पिता और उसकी माँ।
वसीम के पिता, बहुत ही अमीर आदमी थे.. (वो अब इस दुनिया में नहीं हैं।)
वो, बहुत शराब पीते थे और रोज़ वसीम की माँ को मारते थे।
इधर, वसीम के पिता रोज़ शाम को एक औरत के पास जाते थे…
ये तो आप समझ ही गए होंगें की उनके उस औरत से “नाजायज़ संबंध” थे!!!
उस औरत का नाम, सलमा था और वो शादीशुदा थी। मगर, वसीम के पापा की वजह से, उसने अपने पति को छोड़ दिया था।
सलमा की दो बेटियाँ थीं – गुलबदन और गुलनार..
दोनों बहनें, जुड़वा थीं और उनकी उम्र लगभग 15 साल थी..
सलमा की एक छोटी बहन भी थी – नीलोफर, जो लगभग हमारी उम्र की ही थी..
इधर, वसीम के पिता ने सलमा को एक फ्लैट दिया था। जिस में, ये सभी चार लड़कियाँ रहती थीं।
वसीम के पिता का सलमा के साथ, उसकी शादी के पहले से ही चक्कर था।
शादी के बाद भी सलमा, ज़्यादातर टाइम अपने मायके में ही बिताती थी।
हर कभी वसीम के पिता, उसे अपने फार्म हाउस में बुलवा कर चूत चोदते थे…
इधर, सलमा अपने पति से ज़्यादा नहीं चुदवाती थी।
सलमा की दोनों बेटियाँ, वसीम के पिता की चुदाई से ही हुई थी..
सलमा ने दोनों लड़कियों को जन्म देने के बाद, अपने ससुराल में सिर्फ़ एक साल बिताया था…
जब सलमा की माँ की मौत हुई, उसने अपने पति को छोड़ दिया..
फिर वसीम के पिता ने उसे एक फ्लैट खरीद के दिया। जहाँ वो, अपनी दोनों बेटी और बहन के साथ रहने लगी..
वसीम, अपने पिता की चौथी पत्नी का बेटा था..
उसके पिता की पहली पत्नी, किसी के साथ भाग गई और बाकी दोनों ने उसके पिता को शराब और उनके रसिक व्यवहार के चलते, छोड़ दिया..
फिर वसीम के पिता ने कहीं से वसीम की माँ को पटाकर, उनसे शादी कर ली..
पहली तीन पत्नियों से, उनको कोई औलाद नहीं थी।
वसीम के पिता, उसकी माँ को रोज़ बुरी तरह मारते थे। इसीलिए, बिना कुछ कहे एक दिन वसीम की माँ, घर छोड़ कर चली गईं।
उनके जाने के बाद, वसीम चुपचाप सा रहने लगा था…
एक दिन, हम दोनों उसके कमरे में बैठे थे तो बाहर से कुछ आवाज़ें आईं।
हम लोगों ने बाहर आकर देखा तो उसके पिता सलमा, उसकी दोनों बेटियाँ और बहन को साथ लेकर घर आये थे।
फिर, वसीम के पिता ने वसीम को पास बुलाया और कहा – ये आज से, तेरी नयी माँ है… ये दोनों लड़कियाँ, तेरी छोटी बहन हैं… और ये (नीलोफर को दिखाते हुए) तेरी मौसी है… ये लोग आज से, हमारे साथ ही रहेंगी…
ये सुनकर, वसीम गुस्से से लाल हो गया और अपने कमरे में चला गया।
तो, उसके पिता ने मुझे कहा – तुम जाकर, अपने दोस्त को समझाओ…
फिर मैं वसीम के कमरे में आया, तो देखा की वसीम रो रहा था।
मैंने उसे समझाया.. लेकिन, वो समझने को तैयार ही नहीं हुआ।
आख़िर, वो समझता भी क्या और मैं समझता भी क्या… ??
कुछ देर बाद, मैं वहां से चला गया।
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Re: सौतेली माँ से बदला
दूसरे दिन, जब मैं वसीम के घर गया तो वसीम कुछ बदला बदला सा लग रहा था।
मेरे पूछने पर उसने मुझे कहा की वो, अपने पिता और सोतेली माँ से बदला ज़रूर लेगा.. मगर, सही समय आने पर..
खैर, ऐसे ही तीन-चार महीने बीत गये और एक दिन वसीम के पिता को अस्पताल में भरती कराना पड़ा।
वहां पता चला की उनका लिवर बिल्कुल खराब हो गया है और वो बस कुछ ही दिनों के मेहमान हैं।
फिर कुछ दिन बाद, उनकी मौत हो गई।
वसीम, उनसे इतनी नफ़रात करता था की उसने उन्हें “दफ़नाने” को भी मना कर दिया पर बाद में, मेरे बहुत समझाने से वो मान गया।
उसने विधिवध, अपने पिता का सारा क्रियाकरम किया।
हालाकी, उसके पास बहुत पैसा था पर पिता की गंदी आदतों की वजह से सारे रिश्तेदारों ने, उससे नाता तोड़ दिया था…
एक बात ये अच्छी हुई की वसीम के पिता ने सारी प्रॉपर्टी वसीम के नाम कर दी थी..
समय यूँही बीतता रहा और फिर एक दिन वसीम ने मुझसे कहा की आज मैं उस साली सलमा को नहीं छोड़ूँगा।
उस दिन रात को, जब वसीम घर गया तो सब लोग सो चुके थे।
उसने सलमा के कमरे का दरवाज़ा खोला और अंदर गया तो देखा की वो सो रही है।
वसीम, तुरंत उसके ऊपर चढ़ने लगा तो वो जाग गई…
सलमा ने कहा – ये क्या कर रहे हो… ??
तो वसीम ने कहा – साली, तुझे चुदवाने में बड़ा मज़ा आता है ना… चल, आज तुझे मैं दिखता हूँ की चूत चोदना किसे कहते हैं…
सलमा – बेटा, मैं तेरी माँ जेसी हूँ… तू मेरे साथ, ये सब नहीं कर सकता…
वसीम – साली, दो कौड़ी की रंडी… मेरी माँ सात जन्म में भी, तेरी जैसी नहीं हो सकती… तू तो वो छीनाल है, जिसने ना जाने कितनी ज़िंदगियाँ बरबाद की हैं… अपने पति की, उसके पूरे परिवार की, मेरी, मेरी माँ की… अगर तुझे मार भी दूं तो शायद ऊपर वाला, मुझे जन्नत नसीब करा दे… साली, तुझे तो रंडी भी नहीं बोल सकता… रंडी समाज, बदनाम हो जाएगा… चुड़ेल, जब तुझे मेरे पिता से चुदवाने में कोई शरम नहीं आई, फिर मुझ से क्यूँ नौटंकी कर रही है… वैसे भी ना जाने, किस किस से चुदवाया होगा, पता नहीं… नाटक मत कर नहीं तो खुशी खुशी तेरा गला दबा कर, फाँसी चढ़ जाऊंगा…
मेरे पूछने पर उसने मुझे कहा की वो, अपने पिता और सोतेली माँ से बदला ज़रूर लेगा.. मगर, सही समय आने पर..
खैर, ऐसे ही तीन-चार महीने बीत गये और एक दिन वसीम के पिता को अस्पताल में भरती कराना पड़ा।
वहां पता चला की उनका लिवर बिल्कुल खराब हो गया है और वो बस कुछ ही दिनों के मेहमान हैं।
फिर कुछ दिन बाद, उनकी मौत हो गई।
वसीम, उनसे इतनी नफ़रात करता था की उसने उन्हें “दफ़नाने” को भी मना कर दिया पर बाद में, मेरे बहुत समझाने से वो मान गया।
उसने विधिवध, अपने पिता का सारा क्रियाकरम किया।
हालाकी, उसके पास बहुत पैसा था पर पिता की गंदी आदतों की वजह से सारे रिश्तेदारों ने, उससे नाता तोड़ दिया था…
एक बात ये अच्छी हुई की वसीम के पिता ने सारी प्रॉपर्टी वसीम के नाम कर दी थी..
समय यूँही बीतता रहा और फिर एक दिन वसीम ने मुझसे कहा की आज मैं उस साली सलमा को नहीं छोड़ूँगा।
उस दिन रात को, जब वसीम घर गया तो सब लोग सो चुके थे।
उसने सलमा के कमरे का दरवाज़ा खोला और अंदर गया तो देखा की वो सो रही है।
वसीम, तुरंत उसके ऊपर चढ़ने लगा तो वो जाग गई…
सलमा ने कहा – ये क्या कर रहे हो… ??
तो वसीम ने कहा – साली, तुझे चुदवाने में बड़ा मज़ा आता है ना… चल, आज तुझे मैं दिखता हूँ की चूत चोदना किसे कहते हैं…
सलमा – बेटा, मैं तेरी माँ जेसी हूँ… तू मेरे साथ, ये सब नहीं कर सकता…
वसीम – साली, दो कौड़ी की रंडी… मेरी माँ सात जन्म में भी, तेरी जैसी नहीं हो सकती… तू तो वो छीनाल है, जिसने ना जाने कितनी ज़िंदगियाँ बरबाद की हैं… अपने पति की, उसके पूरे परिवार की, मेरी, मेरी माँ की… अगर तुझे मार भी दूं तो शायद ऊपर वाला, मुझे जन्नत नसीब करा दे… साली, तुझे तो रंडी भी नहीं बोल सकता… रंडी समाज, बदनाम हो जाएगा… चुड़ेल, जब तुझे मेरे पिता से चुदवाने में कोई शरम नहीं आई, फिर मुझ से क्यूँ नौटंकी कर रही है… वैसे भी ना जाने, किस किस से चुदवाया होगा, पता नहीं… नाटक मत कर नहीं तो खुशी खुशी तेरा गला दबा कर, फाँसी चढ़ जाऊंगा…
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बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: सौतेली माँ से बदला
फिर सलमा वसीम के पैर पकड़ कर, कहने लगी – मुझे माफ़ कर दो… प्लीज़, मुझे जाने दो…
वसीम ने उसके गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा मारा और बोला – जाने दूँ… कुतिया की औलाद, तेरी वजह से मेरी माँ, मुझे छोड़ कर चली गई और तू कहती है की मैं तुझे छोड़ दूँ… अगर ऐसी बात है, तो अभी के अभी मेरा घर छोड़ के चली जा… जा निकल जा, मेरे घर से…
मगर, सलमा मजबूर थी…
अब उसकी दोनों बेटियाँ बड़ी हो गईं हैं तो वो, जाए तो कहाँ जाए…
इसके बाद, वसीम ने सलमा की मैक्सी को फाड़ के फेंक दिया..
अब वो, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।
सलमा, दोनों हाथों से अपने बदन को छुपाते हुए वसीम के सामने गिडगिड़ा रही थी की उसे छोड़ दे..
मगर, वसीम ने उसकी बातों को इग्नोर करके, उसे कस के एक और चांटा मारा तो वो रोने लगी..
फिर वसीम ने उसकी ब्रा-पैंटी को भी, फाड़ के फेंक दिया…
अब सलमा बिल्कुल नंगी, वसीम के सामने खड़ी थी…
पंद्रह साल की बेटी होने के बावजूद, सलमा के “हुस्न” में कोई कमी नहीं आई थी..
मोटे मोटे मम्मे.. एकदम सपाट पेट.. पतली कमर.. चूत पर, हल्की हल्की झांट.. गोल गाण्ड..
हाँ!! उसके निप्पल औसत से थोड़े बड़े थे…
वसीम ने अब उसे, अपने कपड़े उतारने को कहा।
सलमा ने रोते रोते, वसीम के सारे कपड़े उतार दिए।
अब दोनों ही नंगे हो गये!!!
वसीम का लण्ड, बहुत ही बड़ा था..
इतना बड़ा के, मैंने आज तक किसी “ब्लू फिल्म” में भी, इतना बड़ा और मोटा लण्ड नहीं देखा..
उसका लण्ड, करीब 8-9 इंच से भी बड़ा और काफ़ी मोटा था…
वसीम ने अब, सलमा के बालों को पकड़ा और कहा की बैठ नीचे और चूस मेरे लण्ड को।
वो, मना करने लगी तो उसने उसके गाल पर फिर से एक तमाचा मारा और मुँह में ज़बरदस्ती लण्ड ठूस दिया…
लेकिन, सलमा अब भी रो रही थी..
इसके बाबजूद, वसीम ने उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया।
वसीम ने उसके गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा मारा और बोला – जाने दूँ… कुतिया की औलाद, तेरी वजह से मेरी माँ, मुझे छोड़ कर चली गई और तू कहती है की मैं तुझे छोड़ दूँ… अगर ऐसी बात है, तो अभी के अभी मेरा घर छोड़ के चली जा… जा निकल जा, मेरे घर से…
मगर, सलमा मजबूर थी…
अब उसकी दोनों बेटियाँ बड़ी हो गईं हैं तो वो, जाए तो कहाँ जाए…
इसके बाद, वसीम ने सलमा की मैक्सी को फाड़ के फेंक दिया..
अब वो, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।
सलमा, दोनों हाथों से अपने बदन को छुपाते हुए वसीम के सामने गिडगिड़ा रही थी की उसे छोड़ दे..
मगर, वसीम ने उसकी बातों को इग्नोर करके, उसे कस के एक और चांटा मारा तो वो रोने लगी..
फिर वसीम ने उसकी ब्रा-पैंटी को भी, फाड़ के फेंक दिया…
अब सलमा बिल्कुल नंगी, वसीम के सामने खड़ी थी…
पंद्रह साल की बेटी होने के बावजूद, सलमा के “हुस्न” में कोई कमी नहीं आई थी..
मोटे मोटे मम्मे.. एकदम सपाट पेट.. पतली कमर.. चूत पर, हल्की हल्की झांट.. गोल गाण्ड..
हाँ!! उसके निप्पल औसत से थोड़े बड़े थे…
वसीम ने अब उसे, अपने कपड़े उतारने को कहा।
सलमा ने रोते रोते, वसीम के सारे कपड़े उतार दिए।
अब दोनों ही नंगे हो गये!!!
वसीम का लण्ड, बहुत ही बड़ा था..
इतना बड़ा के, मैंने आज तक किसी “ब्लू फिल्म” में भी, इतना बड़ा और मोटा लण्ड नहीं देखा..
उसका लण्ड, करीब 8-9 इंच से भी बड़ा और काफ़ी मोटा था…
वसीम ने अब, सलमा के बालों को पकड़ा और कहा की बैठ नीचे और चूस मेरे लण्ड को।
वो, मना करने लगी तो उसने उसके गाल पर फिर से एक तमाचा मारा और मुँह में ज़बरदस्ती लण्ड ठूस दिया…
लेकिन, सलमा अब भी रो रही थी..
इसके बाबजूद, वसीम ने उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया।
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Re: सौतेली माँ से बदला
वसीम का लण्ड इतना बड़ा था की सलमा के गले तक घुस जाता था।
फिर मजबूरी में सलमा ने, उसके लण्ड को चूसना शुरू कर दिया..
करीब 15 मिनट के बाद, जब वसीम झड़ने वाला था तो सलमा ने उसकी लण्ड को मुँह से निकालने की कोशिश की.. मगर, वसीम ने उसके मुँह को ही पकड़ लिया और ढेर सारा मूठ उसके मुँह में छोड़ दिया।
वसीम का मूठ, इतना निकला की सलमा को उल्टी आने लगी.. तो वसीम ने उसके मुँह और नाक को, अपने दोनों हाथों से बंद कर दिया।
जैसे तैसे, सलमा ने सारा माल गटक लिया.. मगर, उसे अब भी उल्टी हो गई..
वसीम ने फिर उसे उठा के बेड पर फेंक दिया।
अब वो, उसकी दोनों चुचियों को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा तो सलमा को दर्द होने लगा..
उसने उसकी दोनों निप्पल को, इतना ज़ोर से दो उंगलियों से दबाया के वो चीखने लगी।
वसीम ने उसकी दोनों चुचियों और निप्पल को रगड़ रगड़ के लाल कर दिया।
सलमा दर्द के मारे, छटपटा रही थी।
अब वसीम उसकी दोनों टांगें फैला के, चूत के दाने को रगड़ने लगा..
उसने देखा की सलमा को थोड़ी मस्ती चढ़ने लगी, तो उसने चूत के दोनों होंठों को खोल के, एक साथ अपनी चार उंगलियों को ज़ोर से, एक झटके में, अंदर घुसेड दिया..
सलमा ऐसी चीखी के मानो, उसकी चूत में किसी ने “जलता हुआ एसिड” डाल दिया..
वसीम उसकी चूत में जितना हो सके, अपना हाथ घुसाता चला गया और वो चीखती रही – नहीं ही ही ही ही ही… निकाल ल ल ल ल ल… आह ह ह ह ह ह… माँ न न न न न… प्लीज़… आआआआआआआआहह…।
लेकिन वसीम उसकी चीख को इग्नोर करते हुए, अपने हाथ को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा।
दूसरे हाथ की उंगली को वो, सलमा की गाण्ड के छेद में डालने लगा..
सलमा की गाण्ड का छेद, थोड़ा कसा था।
मगर, वसीम पर वासना से कहीं ज़्यादा हैवान हावी था..
बिना कुछ सोचे, उसने ज़बरदस्ती एक उंगली सलमा की गाण्ड में घुसा दी।
थोड़ा उसे अंदर बाहर करने के बाद, उसने अपनी बाकी तीन उंगलियों को भी अंदर घुसा दिया।
इधर सलमा चिल्लाती रही – माररररररररररर गईईईईईईईईईई माआआआआआअराआआअ गाआआआआइईईई… छोड़ दे मुझे, प्लीज़… आह हहहहहहह… माफ़ कर देदे…
पर वसीम बेदर्दी से उसकी गाण्ड और चूत अपनी उंगलियों से चोद्ता रहा!!!
कुछ 5-7 मिनट के बाद, वसीम उठा और किचन में गया..
इधर, सलमा को दर्द इतना था की वो उठ नहीं पा रही थी..
इसीलिए, वो कहीं भाग नहीं सकती थी और वैसे ही बेड पर तड़पति हुई बेसाहरों की तरहा पड़ी रही..
फिर मजबूरी में सलमा ने, उसके लण्ड को चूसना शुरू कर दिया..
करीब 15 मिनट के बाद, जब वसीम झड़ने वाला था तो सलमा ने उसकी लण्ड को मुँह से निकालने की कोशिश की.. मगर, वसीम ने उसके मुँह को ही पकड़ लिया और ढेर सारा मूठ उसके मुँह में छोड़ दिया।
वसीम का मूठ, इतना निकला की सलमा को उल्टी आने लगी.. तो वसीम ने उसके मुँह और नाक को, अपने दोनों हाथों से बंद कर दिया।
जैसे तैसे, सलमा ने सारा माल गटक लिया.. मगर, उसे अब भी उल्टी हो गई..
वसीम ने फिर उसे उठा के बेड पर फेंक दिया।
अब वो, उसकी दोनों चुचियों को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा तो सलमा को दर्द होने लगा..
उसने उसकी दोनों निप्पल को, इतना ज़ोर से दो उंगलियों से दबाया के वो चीखने लगी।
वसीम ने उसकी दोनों चुचियों और निप्पल को रगड़ रगड़ के लाल कर दिया।
सलमा दर्द के मारे, छटपटा रही थी।
अब वसीम उसकी दोनों टांगें फैला के, चूत के दाने को रगड़ने लगा..
उसने देखा की सलमा को थोड़ी मस्ती चढ़ने लगी, तो उसने चूत के दोनों होंठों को खोल के, एक साथ अपनी चार उंगलियों को ज़ोर से, एक झटके में, अंदर घुसेड दिया..
सलमा ऐसी चीखी के मानो, उसकी चूत में किसी ने “जलता हुआ एसिड” डाल दिया..
वसीम उसकी चूत में जितना हो सके, अपना हाथ घुसाता चला गया और वो चीखती रही – नहीं ही ही ही ही ही… निकाल ल ल ल ल ल… आह ह ह ह ह ह… माँ न न न न न… प्लीज़… आआआआआआआआहह…।
लेकिन वसीम उसकी चीख को इग्नोर करते हुए, अपने हाथ को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा।
दूसरे हाथ की उंगली को वो, सलमा की गाण्ड के छेद में डालने लगा..
सलमा की गाण्ड का छेद, थोड़ा कसा था।
मगर, वसीम पर वासना से कहीं ज़्यादा हैवान हावी था..
बिना कुछ सोचे, उसने ज़बरदस्ती एक उंगली सलमा की गाण्ड में घुसा दी।
थोड़ा उसे अंदर बाहर करने के बाद, उसने अपनी बाकी तीन उंगलियों को भी अंदर घुसा दिया।
इधर सलमा चिल्लाती रही – माररररररररररर गईईईईईईईईईई माआआआआआअराआआअ गाआआआआइईईई… छोड़ दे मुझे, प्लीज़… आह हहहहहहह… माफ़ कर देदे…
पर वसीम बेदर्दी से उसकी गाण्ड और चूत अपनी उंगलियों से चोद्ता रहा!!!
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इसीलिए, वो कहीं भाग नहीं सकती थी और वैसे ही बेड पर तड़पति हुई बेसाहरों की तरहा पड़ी रही..
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
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मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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