सौतेली माँ से बदला compleet

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rajsharma
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Re: सौतेली माँ से बदला

Post by rajsharma »

गुलनार, अब मेरे लण्ड को पकड़ के सहला रही थी.. !!
मैं उसके बूब्स को दबा रहा था.. !! लिप्स पर, उंगली फेर रहा था.. !!
फिर, कुछ 15-20 मिनट बाद, गुलनार नीचे जा के मेरे लण्ड को चूसने लगी।
कुछ ही देर में, हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए.. !!
मैं गुलनार की चूत में उंगली घुसा कर, उसके दाने को चूस रहा था।
15-20 मिनट के बाद, मैंने गुलनार को अपने लण्ड पर बैठा दिया.. !! फिर, धीरे धीरे गुलनार ऊपर नीचे होने लगी.. !!
फिर क्या था, एक बार और शुरू हो गया – हमारा चुदाई का प्रोग्राम…
इस बार, मैंने गुलनार की चूत और गाण्ड को हर स्टाइल में चोदा।
करीब, आधे घंटे से ज़्यादा देर तक मैंने गुलनार को चोदा और अपना सारा मूठ मैंने उसकी गाण्ड में भर दिया।
इस तरहा, हमने चुदाई करते करते रात बिताई और कब सो गये, पता नहीं चला।
सुबह के 10 बजे, हमारी नींद खुली.. !!
हम चारों, घर आने के लिए तैयार होने लगे तभी सलमा का फोन आया के वो भी नीलोफर के साथ, वहां आ रही है तो हम लोग घर के लिए ना निकलें।
ये सुनते ही, गुलबदन और गुलनार खुशी से उछल पड़ीं.. !!
मैंने बाहर आकर, ललन से कहा के हम लोग नहीं जा रहे हैं और सलमा और नीलोफर जी भी कुछ ही देर में, यहाँ पहुँच जाएँगीं तो तुम हम सब के खाने का इंतज़ाम कर देना…
कुछ देर बाद, ललन की बीवी हमारे लिए नाश्ता लेकर आ गई।
हमने नाश्ता किया और वसीम और मैं बाते करने बैठ गये।
गुलबदन और गुलनार, दोनों एक साथ मिलकर ललन के घर चले गये।

फिर कुछ देर बात, सलमा और नीलोफर आ गए.. !! वो दोनों आते ही, वसीम के गले लग गये.. !!
मैं – क्या हुआ… ?? तुम दोनों, ऐसे अचानक यहाँ… सब कुछ, ठीक है ना…
सलमा – कुछ नहीं, वो घर को पैंट करने वाले आ गये और मुझे पैंट से एलर्जी है… इस लिए, मैनेजर को घर का चाबी देकर, हम लोग यहाँ आ गए…
वसीम – तो ठीक है… वैसे, यहाँ भी मुझे कुछ काम था… जिसे, मैं बाद में करने की सोच रहा था… मगर, अब तो सब लोग आ गए हैं तो मैं वो काम भी करवा ही देता हूँ…
वसीम ने बाहर जाकर ललन से कुछ मज़दूर बुलाने को कहा और वो खुद सबके साथ काम में लग गया।
मैं भी, उसके साथ था.. !!
ऐसे ही पूरा दिन निकल गया…
शाम को, जब घर आए तो सलमा ने कहा – वसीम, मैनेजर का फोन आया था की वहां कुछ दिक्कत आ रही है…
वसीम ने कहा – ठीक है… मैं और विनय, चले जाते हैं… जब सब काम, ख़तम हो जाएगा तो आप लोग आ जाना…
लण्ड की प्यासी, गुलबदन और गुलनार भी हमारे साथ जाने के लिए ज़िद करने लगीं.. !! तो सलमा ने कहा की तुम दोनों को भी तो पैंट से प्राब्लम है… इसलिए, तुम दोनों नहीं जा सकते… चुपचाप, यहीं पर रहो…
नीलोफर बोली – दीदी, मुझे पैंट से प्राब्लम नहीं है… इस लिए, मैं इनके साथ जाती हूँ… वहां, इनका ख़याल रखने वाला भी कोई नहीं है… मैं इन दोनों को खाना बना दूँगी…
इस पर सलमा मान गयी।
फिर, सलमा ने वसीम को दूसरे कमरे में बुला कर उस से कहा के इतने दिन तक, मैं तुमसे बिना चुदवाए कैसे रहूंगी… जाने से पहले, एक बार तो चोद दो और अगर मौका लगे तो बीच बीच में आकर, मेरी चूत की आग बुझा जाया करना…
वसीम ने सलमा को जमकर चोदा…
मैं गुलनार और गुलबदन के साथ, दूसरे बेड रूम में बैठा बातें कर रहा था।
तभी, नीलोफर ने गुलनार को आवाज़ दी तो वो वहां से उठकर चली गई।

गुलबदन, मुझे अकेले पाते ही मेरे ऊपर टूट पड़ी और मैं बेड पर गिर गया.. !!
गुलबदन मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे चेहरे पर, बेतहाशा किस करने लगी.. !!
मैंने उसे रोका तो उसने कहा – कब से तुमसे चुदवाने की सोच रही हूँ, विनय… मगर, तुम हो के मुझे घास नहीं डालते… आज, चान्स मिला है तो तुमको मुझे चोदना ही पड़ेगा…
मैंने गुलबदन को पकड़ के नीचे बेड पर पलट दिया और कहा – देखो, अभी सही टाइम नहीं है… कोई भी, कभी भी आ जाएगा… कुछ ही देर में, हम लोग यहाँ से निकलने भी वाले हैं… मुझे ऐसे टेंशन में और जल्दी जल्दी चोदने में, मज़ा नहीं आता… अगर, मैं ठीक सोच रहा हूँ तो तुम भी नहीं चाहोगी के मैं तुम्हें यूँही जल्दबाज़ी में चोद के, तुम्हारी हसरात पर पानी फेर दूँ… इसलिए, मौका लगने पर मैं तुम्हें जमकर चोदूंगा, जिस से हम दोनों को बहुत मज़ा आएगा… तो, अभी के लिए जानेमन, अपने आपको रोक लो और काबू रखो, अपनी जवानी पर…
मैंने कुछ देर उसकी चुचियों को दबाया और उसके होंठों को किस किया और फिर मैं वहां से चला गया।
जैसे ही घर की पैंटिंग का काम ख़तम हुआ सलमा, गुलबदन और गुलनार तीनों फार्म हाउस से आ गए।
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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007
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Re: सौतेली माँ से बदला

Post by 007 »

मस्त मज़ा आ रहा है भाई
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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rajsharma
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Re: सौतेली माँ से बदला

Post by rajsharma »

007 wrote:मस्त मज़ा आ रहा है भाई

धन्यवाद दोस्त
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: सौतेली माँ से बदला

Post by rajsharma »

आते ही, गुलबदन ने मुझे पकड़ा और कहा – अब तो मैं घर आ गई हूँ, चलो ना रूम में… मैंने इतने दिन से अपने आपको, तुम्हारे लिए रोक के रखा है… अब मुझ से बर्दाशत नहीं होता… जल्दी से मुझे चोद के, मेरी चूत की आग को बुझाओ…
मैंने उसे कहा – ठीक है, आज रात को, तुम्हारी ये तमन्ना पूरी कर दूँगा…
ऐसा कह के, मैं वसीम के पास गया और बोला – यार, बहुत दिन हो गये मैं घर नहीं गया… अब तो सब लोग आ गए हैं, इस लिए मैं घर जाना चाहता हूँ…
ये सुनते ही वसीम का चेहरा उतर गया.. !! क्यूंकि, वो नहीं चाहता था के मैं उस से दूर जाऊं.. !! वो मुझ से, अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता था.. !!
वसीम मेरे लिए पूरी दुनियाँ को छोड़ सकता था.. !! मगर, इस बार वो मुझे कुछ नहीं कह पाया.. !!
मैं जैसे ही घर के लिए निकलने लगा तो एक एक करके सब लोग मेरे पास आए और मुझे रुकने के लिए कहने लगे।
सलमा मेरे पास आई और बोली – विनय, मुझे नीलोफर ने सब कुछ बता दिया है… तुम क्यूँ जा रहे हो, ये भी तो तुम्हारा ही घर है और वसीम तुमसे बहुत प्यार करता है इस लिए वो बहुत दुखी है…
मैं समझ गया के उसको मेरे पास, वसीम ने ही भेजा है।
मैंने कहा – देखो आंटी, अभी मेरा घर जाना ज़रूरी है… इतने दिन हो गये, एक ही शहर में रहते हुए मैं घर नहीं गया…
मेरे मुँह से आंटी सुनते ही, सलमा ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और कहा – आंटी नहीं, सलमा… तुम्हारा दोस्त, वसीम भी तो मुझे नाम से ही बुलाता है… इस लिए, तुम भी मुझे सलमा कह के बुलाना…
उन सब ने मिलकर मुझे बहुत रोकने की कोशिश की मगर मैं रुका नहीं तो वसीम खुद मुझे गाड़ी में घर तक छोड़ने के लिए आया।
मेरा घर, वसीम के घर से थोड़ा ही दूर था।

घर जाते ही, मुझे भैया ने कहा के पापा ने तुम्हें गाँव बुलाया है… तो, कल सुबह तुम्हें गाँव जाना होगा… एक काम करना, अपने साथ अपनी भाभी और ऋचा को भी ले जाना…
फिर अगले दिन सुबह मैं, भाभी और ऋचा गाँव के लिए निकल गये।
जैसे मैंने पहले बताया था के भाभी के प्रेग्नेंट होने के बाद, मैं ऋचा को चोदा करता था।
भाभी ने मुझे गाड़ी में कहा – देवर जी, इतने दिन तक कहाँ थे… ?? मेरी बहन को बहुत तरसया है, तुमने… अभी इसकी सारी ज़िद, तुम्हें पूरी करनी पड़ेगी… ये तुम्हारा सज़ा है…
मैं भी भाभी की कोई भी बात नहीं टालता हूँ, इस लिए मैंने कहा – भाभी, आपका हुक्म सर आखों पर…
फिर, मैं ऋचा के करीब जा के बैठ गया।
उसने मुझसे बात नहीं की तो मैंने उससे कहा – देखो, अब तुम्हें छोड़ के कभी नहीं जाऊंगा… अब तो मुस्कुरा दो, मेरी जान…
ऐसी ही बहुत सारी बातें करने के बाद, फाइनली ऋचा मान गई। उसने मेरी तरफ देखा और हँसी।
कुछ देर बाद, हम लोग गाँव पहुँच गये।
घर जाते ही, पापा ने ऑर्डर सुना दिया के अब हम लोग भी जा के शहर में रहेंगे… इस लिए, तुझे एक बड़ा सा घर देखना होगा…
पापा की बात सुनकर, मैं खुश हो गया और थोड़ा दुखी भी हुआ क्यूंकि अगर सब लोग वहां रहेंगे तो मे अपनो मनमानी नहीं कर पाउँगा.. !! मगर, क्या करें ये तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश था, मानना तो पड़ेगा.. !!
रात को, मैंने ऋचा को अकेले बुला कर अपने कमरे में जम कर चुदाई की.. !! इस काम में, भाभी ने भी हमारी मदद की.. !!
रात को, मैंने उसे 2 बार चोदा।
मेरा तो और भी चोदने का मन था.. !! मगर, ऋचा 2 बार में ही थक गई.. !! इसीलिए, मुझे अपने आप को रोक के चुप चाप सोना पड़ा.. !!
सुबह होते ही, वसीम का फोन आया और उसने मुझे तुरंत आने के लिए कहा।
मैंने उस से कहा के पापा, अभी जाने नहीं देंगे… तो उसने, बोला – मैं जानता था तू यही कहेगा… इसलिए, साले मैंने पहले से ही अंकल से बात कर ली है और उन्होने हाँ भी कह दिया है… इसीलिए, फटाफट तू वहां से आ जा और ये मत कहना के अभी आने के लिए कोई गाड़ी नहीं है क्यूंकि मैंने तेरे लिए गाड़ी भेज दी है… जल्दी से, तैयार हो ज़ा… गाड़ी, पहुँचती होगी…
मैं क्या कहता। बस, फटाफट रेडी हो गया।
मेरे जाने की बात सुनते ही, ऋचा मेरे कमरे में दौड़ के आई और मेरे बाहों मे चिपक गई और रोने लगी।
उसने मुझे, जाने से मना किया।
मैंने भी उस से कहा के कल रात को जब में तुम्हें और चोदना चाहता था तो तुमने मना कर दिया… अब, भुक्तो उसकी सज़ा…
ये सुनते ही उसने कहा – आज के बाद, कभी नहीं मना करूँगी… जब तक तुम चाहो और जैसे चाहो, मुझे चोद सकते हो… मैं नहीं रोकूंगी, तुम्हें… पर मत जाओ, प्लीज़…
फिर मैंने, उसे समझाया – पगली, मैं तो मज़ाक कर रहा था… क्या करूँ, मैं भी जाना नहीं चाहता… मगर, मेरे दोस्त ने बुलाया है और वैसे भी एक बड़ा घर ढूढ़ना है, मुझे… उसके लिए तो, टाइम लगेगा…
इतना कहकर, मैंने उसे किस किया और उसके बूब्स को दबाया।
फिर, गाड़ी आ गई तो मैं जल्दी से निकल गया, शहर के लिए।
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Re: सौतेली माँ से बदला

Post by rajsharma »


शहर जाते ही, वसीम के ऑफीस गया और उस से पूछा के क्या हुआ… ?? सब ठीक है, ना… ?? तूने मुझे इतना जल्दी क्यूँ बुलाया… ??
उसने कहा – यार, एक काम के सिलसिले में, आज ही हमें शिमला के लिए निकलना है… तू तो जानता है के मैं तेरे बगेर कहीं भी नहीं जाता तो कैसे तुझे नहीं बुलाता.. !!
मैंने पूछा – और कौन जाएगा, हमारे साथ… ??
तो वसीम ने कहा के, सलमा जाएगी, हमारे साथ…
फिर वसीम ने, शिमला की 3 फ्लाइट की टिकट बुक कीं और हम ऑफीस से घर आ गए।
मुझे देखते ही, सब लोग खुश हो गये.. !! मगर, मेरे जाने की बात सुन के नीलोफर, गुलबदन और गुलनार का चेहरा उतर गया और वो सब भी साथ में चलने की ज़िद करने लगे.. !!
मगर, मैंने किसी तरहा उन तीनों को मना लिया।
जल्द ही, सारी पैकिंग ख़तम करके मैं, वसीम और सलमा एयरपोर्ट के लिए निकल गए।
वहां से हम फ्लाइट से, शिमला पहुँच गये।
वसीम ने, पहले से ही होटल बुक करके रखा था तो होटल की गाड़ी एयरपोर्ट के बाहर, हमारा इंतज़ार कर रही थी।
हम लोग, वहां से निकल के होटल में आ गए।
वसीम ने, 2 कमरे बुक किए थे.. !! एक मेरे लिए और एक सलमा और अपने लिए.. !!
होटल पहुँचते ही, वसीम अपने क्लाइंट के साथ बिज़ी हो गया।
मैं अपने कमरे में अकेला था तो सलमा मेरे कमरे में आई।
मैंने पूछा – क्या हुआ… ??
उसने बताया के वो अकेली कमरे में बोर हो रही थी।

मैंने आपको, पहली स्टोरी में सलमा के बारे में बताया था…
सलमा, दो जवान लड़कियों की माँ होने के बाबजूद बहुत ही “सेक्सी लेडी” है.. !!
उसके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और उसकी गाण्ड तो मानो, लण्ड को पुकार रही हो उसमें घुसने के लिए.. !!
इस उम्र में भी, सलमा का बदन काफ़ी टाइट था.. !! रंग गोरा और ज़्यादा मोटी नहीं थी, वो.. !!
उसे देख कर, किसी भी बूढ़े का सोया हुआ लण्ड खड़ा होकर वीर्य की पिचकारी मारने लगेगा.. !!
मैंने पहले भी सलमा की चूत, बूब्स और गाण्ड देखी है.. !! जब, वसीम ने उसे ज़बरदस्ती चोद चोद के फाड़ दिया था.. !!
सलमा, मेरे पास आकर मेरे साइड में लेट गई और टीवी देखने लगी।
हम दोनों में ढेर सारी बातें होने लगी।
उसने मुझे बताया के कैसे वसीम के पिताजी ने उसे पहली बार फार्महाउस में चोद के, उसकी चूत की सील तोड़ी थी और उसकी गाण्ड फाडी थी.. !!
उसने बताया के उस वक़्त वो, ऐसी चुदाई से बेहोश हो गई थी क्यूंकि उसकी चूत से बहुत सारा खून निकल गया था.. !! गाण्ड भी, सूज गई थी.. !!
ऐसी सेक्सी बातें करते करते, हम दोनों गरम होने लगे।
मेरा तो लण्ड पैंट के अंदर से ही, हिचकोले खाने लगा.. !!
सलमा ने मुझसे कहा के वसीम ने मुझे बताया है की तुम बहुत अच्छी तरहा से और देर तक चोदते हो…
मैंने कहा – वो तो अपने अपने और उस वक़्त के स्टेमना पर निर्भर करता है…
फिर सलमा और मैं, एक दूसरे के और पास आ गए.. !! .. !!
मैंने जानबूझ कर, उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया।
उसने फट से मेरे हाथ को अपनी जाँघ के ऊपर रख दिया और मेरे पैंट के ऊपर हाथ रख के दबाने लगी।
मैं भी बिना पीछे हटे, उसकी जाँघ को सहलाने लगा।
उस वक़्त, सलमा ने एक काली रंग की साड़ी पहनी थी।
फिर, मैंने उसके मुँह पकड़ा और लिप्स को किस करने लगा.. !!
सलमा ने भी अपनी जीभ निकाल के, मेरे मुँह में डाल दी।
मैंने उसकी ज़ुबान को मुँह में ले कर, चूसना शुरू कर दिया.. !!
धीरे धीरे, उसके मुँह से गरम साँसे निकलने लगीं।
मैंने सलमा के साड़ी के पलू को थोड़ा नीचे सरका दिया तो उसके दोनों बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज के ऊपर से ही, साफ दिखाई देने लगे।
उसे देख कर, मैं अपने आपको रोका नहीं सका और ऊपर से ही उसकी चुचियों को मसलने लगा.. !!
सलमा, सेक्स के मामले में एक्सपर्ट थी।
उसने फ़ौरन, मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मैंने भी उसके ऊपर के सारे कपड़े उतार फेंकें तो उसकी दोनों चुचियाँ आज़ाद हो गईं.. !!
क्या मस्त बूब्स थे, साली के।
कोई भी देख कर, पागल हो सकता है.. !!
अब मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी चुचियों को चूसने लगा।
पहले से ही, उसके निप्पल कड़क हो गये थे.. !!
बारी बारी से, मैंने उसके दोनों बूब्स को चूसा।
सलमा, नीचे से मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही दबा रही थी.. !!

औरतों को चोदने का एक बड़ा फ्यादा होता है.. !! क्यूंकि, वो पहले से ही चुदाई के मामले में एक्सपर्ट होती हैं.. !! वो, जानती हैं के कैसे मर्द को खुश किया जाए.. !!
फिर, सलमा ने मेरे पैंट को खोल दिया।
अब मैं, सिर्फ़ चड्डी में था.. !!
मैंने भी उसकी साड़ी और पेटीकोट को निकाल फेका।
अब वो मेरे सामने, सिर्फ़ छोटी सी पैंटी में थी.. !!
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