कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास complete

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Jaunpur

Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

Post by Jaunpur »

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Nice Story.
pl continue.
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Jemsbond
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

Post by Jemsbond »

rajaarkey wrote:एक और नई कहानी ............................................


मुबारक बाद स्वीकार करें
Rohit Kapoor wrote:good start
sapat70 wrote:बढिया, एक और चुदाई का मेला. बस जोरसे आगे बढाइए. फॅमिली में मोहब्बत जैसा अधूरा न छोडना, हांउसे भी साथ साथ आगे बढाइए
jay wrote:Nice short start! Waiting to read more
Jaunpur wrote:.
Nice Story.
pl continue.
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xyz wrote:जेम्स भाई जी नई कहानी के लिए कॉंग्रेचुलेशन

THANKS TO ALL
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

Post by Jemsbond »

बाथरूम से आने के बाद सबसे पहले मैने वो डीवीडी अपने लॅपटॉप पे डाउनलोड करी और फिर जल्दी से उसे उसकी जगह पे रख दिया.

बार बार वही नज़ारे मेरी आँखों के सामने तैर रहे थे. मम्मी पापा ये सब सिर्फ़ चाचा चाची के साथ करते हैं या और लोग भी शामिल हैं? क्या ये सिर्फ़ एक बार हुआ था या अब भी होता है? अब मैं बच्ची तो थी नही कि सेक्स के बारे मे ना जानती हूँ.मैं अपनी सारी बातें मम्मी से किया करती थी, मम्मी मेरे लिए सबसे बड़ी दोस्त है.क्या मैं इस के बारे में भी मम्मी से पूछ सकती हूँ? शायद नही, मम्मी मेरे सामने लज्जित हो जाएगी.

फिर सच्चाई का कैसे पता करूँ. वो डीवीडी आगे देखने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी और अब तो मम्मी पापा किसी भी वक़्त आ सकते थे.

मैने किचन में जा कर रात का खाना तैयार किया, ताकि मम्मी को आ कर किचन में कम ना करना पड़े. करीब एक घंटे बाद मम्मी पापा आ गये और मम्मी काफ़ी हैरान हुई कि मैने खाना तैयार कर रखा है और खुश भी बहुत हुई, क्यूंकी वो काफ़ी थक चुकी थी.


रात को खाना खा कर सब सोने चल दिए. मैं अपने कमरे में बिस्तर पे लेटी सोचती रही कि सच का कैसे पता करूँ और जो आग मेरे जिस्म में लग चुकी थी उसे कैसे शांत करूँ. दिल किया कोई बाय्फ्रेंड बना लेती हूँ, इतने तो पीछे पड़े हैं. पर बदनामी के डर से इस रास्ते पे जाने की हिम्मत ना हुई.

एक ही रास्ता दिख रहा था विमल मेरा बड़ा भाई. अगर मैं उसको पटा लेती हूँ तो घर की बात घर में रहेगी. उसका भी काम हो जाएगा और मेरा भी. वो तो लड़का है क्या पता बाहर कितनी लड़कियाँ फसा रखी हो.

रात भर मैं सो ना सकी. अभी भाई के आने में 3 दिन बाकी पड़े थे , इन तीन दिनो में मुझे कुछ ऐसा प्लान करना था कि भाई मेरे पीछे पड़े और ये ना लगे कि मैं भाई के पीछे पड़ी हूँ.

किसी भी लड़के को अपनी तरफ खींचना हो तो उसे अपनी झलकियाँ दिखा कर तरसाओ वो पके आम की तरहा तुम्हारी गोद में आ गिरेगा.

मैने भी कुछ ऐसा ही सोचा. सोचते सोचते ना जाने कब मेरी आँख लग गई.

रात भर नींद तो नही आई और सुबह मैं अपनी सवालों भरी नज़र से माँ को नही देखना चाहती थी, मैं बिना कुछ खाए पिए घर से चली गई. मेरी एक ही खास सहेली है कविता मैं उसके घर आ गई .

वहाँ पहुच कर पता चला कि वो और उसके डॅड ही घर पे थे, उसकी माँ और भाई दोनो माँ के मैके गये हुए थे. दिन बातों बातों में कब गुजरा पता ही ना चला और रात को मैं उसके साथ ही उसके कमरे में सो गई.

थोड़ी देर बाद मेरी नीद खुली तो देखा कविता गायब है, सोचा बाथरूम गई होगी आ जाएगी जब कुछ देर और वो नही आई तो मैं कमरे से बाहर निकली और देखा कि उसके डॅड के कमरे की लाइट जल रही है मेरे कदम उस तरफ बढ़ चले और जो देखा उसने मुझे हिला के रख दिया.
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Re: कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

Post by Jemsbond »


कविता नीचे बैठी अपने डॅड का लंड चूस रही थी और उसके डॅड ने उसके चेहरे को पकड़ रखा था और अपनी कमर आगे पीछे कर रहे थे.कविता फिर ज़ोर ज़ोर से अपने डॅड का लंड चूसने लगी और थोड़ी देर में उसके डॅड झड गये और कविता ने सारा रस पी लिया. फिर वो अपने डॅड के लंड को चाट चाट कर सॉफ करने लगी और उठ के खड़ी हो गई. उसे डॅड ने उसे अपने पास खींचा और उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए.

दोनो एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे और उसके डॅड ने अपने हाथ कविता के बूब्स पर रख दिए और दबाने लगे. कितनी ही देर दोनो एक दूसरे को चूमते रहे.फिर दोनो ने एक दूसरे के कपड़े उतार डाले और बिस्तर पे लेट गये. कविता अपने डॅड के लंड को सहलाने लगी और वो उसके निपल को चूसने लगे,

कविता की सिसकियाँ निकलने लगी, आह आह उफ़ उफ़ ओह डॅड पी जाओ मेरा दूध आह उफ़ एम्म है . वो कभी एक निपल को चूस्ते तो कभी दूसरे को और कविता सिसकती रही.

यह देख मेरा बुरा हाल हो रहा था मेरी आँखो के सामने वो डीवीडी घूमने लगी, अगर बाप बेटी चुदाई कर सकते हैं तो मम्मी पापा ने कौन सा पाप किया. पापा भी तो उस वक़्त चाची को चोद रहे थे चाचा के सामने.

मेरा गुस्सा मम्मी पापा के उपर से हट गया. कविता के ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आई तो मेरा ध्यान फिर अंदर गया देखा कविता कुतिया बनी हुई है और उसके डॅड ने अपना लंड उसकी गंद मे डाल रखा है.

पहले तो कविता दर्द से चिल्ला रही थी फिर उसे मज़ा आने लगा आह आह फाड़ दो मेरी गंद आह आह चोदो और चोदो उफ्फ अफ हाँ हाँ और ज़ोर से और ज़ोर से आह आह आह आह बेटी चोद और चोद आह आह उम्म्म उफफफफफ्फ़ .

‘साली रंडी आज तेरा बुरा हाल कर दूँगा आह आह ले मेरा लंड ले ले साली कुतिया ले ‘

“चोद साले बेह्न्चोद और चोद आाआईयईईई”

मैं हैरान खड़ी देख रही थी दोनो एक दूसरे को गालियाँ दे रहे थे.

‘मादरचोद मेरी चूत कौन चोदेगा तेरा बाप’

उसके डॅड ने अपना लंड उसकी गंद से निकाला और एक झटके में उसकी चूत में घुसा दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे कविता भी उन्हे और उकसाती रही.

मुझ से और देखा ना गया, मैं कमरे में जा कर अपनी चूत में उंगल करने लगी, मेरी आँखों के सामने मेरे भाई का चेहरा घूमने लगा, क्या हॅंडसम पर्सनॅलिटी है उसकी,जो भी उसकी गर्लफ्रेंड होगी वो तो मज़े लेती होगी.रात को पता नही कविता कब मेरे पास आ कर सो गई.
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