मेरी प्रेमिका compleet

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rajsharma
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Re: मेरी प्रेमिका

Post by rajsharma »

"ओह हाआअँ आआईसे हीईीई ओह मेराा चूओता!!!!!!!!" सोनाली
इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि शायद पूरा घर जाग गया होगा. उसका
शरीर जोरों से काँप रहा था, शायद उसकी चूत पानी पर पानी
छोड़ रही थी.

उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जकड़ा और मेरा लंड लंबी
पिचकारी के साथ पानी छोड़ने लगा. मेरा पानी उसकी बच्चे दानी तक
छूट रहा था. मेरा वीर्य उसके पिताजी के वीर्य के साथ उसकी चूत
मे मिल गया था. तभी मैने किसी के लंड को अपनी गान्ड पे महसूस
किया.

"गुड मॉर्निंग एवेरिबडी" विजय ने कहा. विजय ने अपना लंड कुछ देर
तक मेरी गान्ड पे रगड़ा, "क्या में?' उसने धीरे से कहा. में सोनाली
की चूत पर से हट गया जिससे वो अपनी बेहन की चुदाई कर सके.

"हाआँ वीीइजया चोडो मुझे और तुम भी अपना वीर्य पिताजी और राज
के वीर्य के साथ मिला दो." सोनाली बोल पड़ी.

विजय ने एक ही धक्के मे अपना लंड अपनी बेहन की चूत मे डाल दिया.
वो ज़ोर के धक्कों के साथ अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. में
अपनी प्रेमिका को अपने भाई से चुदते देख रहा था. उसने अपनी टाँगे
अपने भाई की कमर पर कस ली थी और उछल उछल कर उसके हर
धक्के का साथ दे रही थी. जब दोनो के शरीर आपस्मे टकराते तो
अजीब आवाज़ कमरे मे गूंजने लगी.

"ओह विजय ओह हाां चूओड़ो मुज्ज़ज्झे." सिसकते हुए सोनाली
की चूत ने पानी छोड़ दिया. विजय ने भी दो चार धक्के मार कर अपना
वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.

सुबह की चुदाई ने सबको थका दिया था, "बच्चो में नहाने जा
रहा हूँ, फिर मुझे ऑफीस का कुछ काम भी है." कहकर सोनाली के
पिताजी कमरे से बाहर चले गये.

"राज सच बताना जब पिताजी और भाई मुझे चोद रहे तो तुम्हे कैसा
लग रहा था?" सोनाली ने मुझसे पूछा.

"सच कहूँ तो में अस्चर्य में था कि इतनी चुदाई तुम कैसे करवा
लेती हो? कभी थकती नही हो?' मैने पूछा.

"क्या पता मुझे क्या हो जाता है. हर वक्त मेरी चूत मे आग लगी
रहती है, मन करता है कि हमेशा किसी मोटे लंड को अपनी चूत मे
डाले पड़ी रही." सोनाली मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए बोली.

में क्या जवाब देता. में देख रहा था कि मेरी प्रेमिका दिन पर दिन
एक चुदासु औरत मे बदलती जा रही थी. पर मेरे साथ भी तो यही
हो रहा था. इस चुड़क्कड़ परिवार के साथ रहकर मुझे भी यही मन
कर रहा था कि मैं बस चोद्ते जाउ चोद्ते जाउ.

उसी दिन शाम को हम गार्डेन मे एक दूसरे के शरीर से खेल रहे थे.
विजय का चेहरा अपनी बेहन की टाँगो के बीच था. वो उसकी चूत को
चूस रहा था और मैने अपने लंड को सोनाली के मुँह मे दे रखा
था.

"आहुंम्म, ज़रा सुनिए." एक अजनबी आवाज़ सुनाई दी. हम सब ने मूड कर उस
दिशा मे देखा. एक जवान लड़का बगीचे के आख़िर मे पेड़ के सहारे
खड़ा था.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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rajsharma
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Re: मेरी प्रेमिका

Post by rajsharma »


विजय वहाँ से खड़ा हुआ, "इस समय तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?"
उसने गुस्से मे उस लड़के से पूछा.

"में……बस आपके बगीचे मे आ गया." उस लड़के ने डरे हुए कहा.

"विजय ये वही लड़का है जो हमारे बाग से सेव चुराता है." सोनाली
ने अपनी चुचियों को हाथों से ढकते हुए कहा. उसने अपनी टाँगे भी
सिकोड ली थी. उसका कहाँ सही था, सू लड़के हाथों मे सेव से भरी
एक टोकरी थी. विजय ने उसकी और गुस्से से कदम बढ़ाए तो लड़का डर
के मारे थोड़ा पीछे हो गया.

"तो तुम हमारे बॅग से चोरी करते हो. इसके लिए तो तुम्हे दीवाल फाँद
कर आना पड़ता है ना, अब पोलीस को क्या जवाब दोगे." विजय ने कहा.

"शांति से काम लो विजय." में विजय की ओर बढ़ते हुए
बोला, "थोड़े से सेव से हमे क्या फरक पड़ने वाला है. तुम्हारा नाम
क्या है लड़के?" मैने उससे पूछा.

"अमित सर, मैं यहाँ से दो मकान छोड़ कर ही रहता हूँ." उस लड़के
ने जवाब दिया.

मैने देखा कि वो लड़का मेरे खड़े लंड को घूर रहा था साथ ही
सोनाली के नंगे बदन को भी देख रहा था. उसका लंड उसकी पॅंट मे
खड़ा हो गया था.

"तो तुम हमे छुप छुप कर देख रहे थे," विजय ने उससे पूछा.

"नही सर, में तो भूल से इस तरफ आ गया, वरना मेरा कोई इरादा
नही था." उस लड़के ने जवाब दिया.

"जो तुमने देखा क्या वो तुम्हे अच्छा लगा?" सोनाली ने शैतानी भरी
मुस्कुराहट के साथ पूछा.

सोनाली के इस प्रश्न से लड़के को थोड़ी राहत मिली, "हां, तुम्हारा
जिस्म तो एकदम जान लेवा है."

सोनाली मुस्कुराइ और उसने अपने हाथ अपनी चुचियों पर से हटा दिए,
और अपना नंगा बदन उस लड़के को दिखाने लगी. मैने सोचा ज़रूर इस
लड़का का लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा.

"मैने तुम्हे अपना दिखाया अब तुम अपना मुझे दिखाओ?" सोनाली ने कहा.

वो लड़का चौंक उठा, पर विजय ने उसकी पॅंट पहले ही नीचे खींच
दी थी. उस लड़के का लंड तन कर एक दम खड़ा था. "तुम्हारी उम्र क्या
है?" मैने उसे पूछा.

"अभी 19 का पूरा हुआ हूँ." उस लड़के ने जवाब दिया.

"पर तुम्हारा लंड तो तुम्हारी उमरा से ज़्यादा बड़ा लगता है." विजय ने
उसके लंड को सहलाते हुए कहा.

सोनाली ने मेरी तरफ देखा जैसे मुझसे इज़्जजत माँग रही हो, मैने
अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

सोनाली ने अमित की तरफ देखा, "अमित यहाँ आओ, मुझे तुम्हारा लंड
देखना है." अमित हिचकिचाते हुए सोनाली की ओर बढ़ गया.

अमित जब सोनाली की कुर्सी की पास आगेया तो उसने अपनी टाँगे और फैला
दी जिससे उसकी गुलाबी और गीली चूत सॉफ दिखाई दे सके. सोनाली ने
उसके लंड को अपने हाथों मे पकड़ लिया. अमित का लंड करीब 7' इंच
लंबा होगा. उसने उसके लंड दो चार बार रगड़ा, "ह्म्म्म्म अच्छा है…….."

"हे क्या तुम कुंवारे हो?" इतने मे प्रियंका की आवाज़ सुनाई दी. वो
गार्डेन मे कदम रख रही थी. उसे कुछ भी नही पहन रखा था.
जब अमित ने उसकी भारी भारी चुचियाँ देखी तो उसका लंड उछलने
लगा.

`नही में कुँवारा नही हूँ." अमित ने जवाब दिया.

"तो फिर साबित करो." कहकर प्रियंका सोनाली के बगल की आराम कुर्सी
पर लेट गयी. उसकी बिना झान्टो की चूत रोशनी मे चमक रही थी.
सोनाली ने अमित के लंड को छोड़ दिया.

"क्या तुम सही मे करना चाहती हो?" सोनाली ने प्रियंका से पूछा.
प्रियंका ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी और पीछे की ओर लेटते हुए
अपनी टाँगे और फैला दी.

अमित हैरत भरी नज़रों से प्रियंका के सुंदर शरीर को देख रहा
था. फिर वो उसके पास आया और उस पर लेट कर अपने लंड को उसकी
गीली चूत मे घुसा दिया.

"ओ हाां आआचा लग रहहा है." प्रियंका सिसकी.

मैने अपना लंड पकड़ उसे मुठियाने लगा. मेरे हाथ उसी रफ़्तार और
ताल मे हिल रहे थे जिस रफ़्तार और ताल मे अमित का लंड प्रियंका की
चूत के अंदर बाहर हो रहा था.

अमित ने प्रियंका की टाँगे पकड़ी और उसे और फैलाते हुए अब ज़ोर के
धक्के लगाने लगा. शायद अमित चुदाई मे नौसीखिया नही था, उसे
पता था कि लड़की या औरत को कैसे चोदा जाता है उसके किस हिस्सों
को छेड़ा जाता है. प्रियंका अपने चुतड उठा उसके लंड को और
अंदर लेती और उसके धक्कों का साथ देती.

अमित अपने लंड को प्रियंका की चूत मे अंदर बाहर कर रहा तभी
विजय उसके पीछे पहुँचा और अपनी एक उंगली अमित की गान्ड मे डाल दी.

"ओह्ह्ह ये क्या कर रहे हो? ओह्ह्ह पर अच्छा लग रहा है." अमित और
जोरों से प्रियंका की चूत मारने लगा. सोनाली ने अमित के चेहरे को
अपने हाथों मे लिया और उसके होठ चूसने लगी. विजय अब जोरों से
अपनी उंगली अमित की गान्ड के अंदर बाहर कर रहा था.

"ऊऊऊः मेर्रर्रा चूऊटने वाअला हाीइ." अमित ज़ोर से चिल्लाया.

विजय ने हाथ बढ़ाकर उसके लंड को अपनी बेहन की चूत से बाहर
निकाला और उसके लंड का निशाना प्रियंका की चुचियों पर कर दिया.
मोटे और गाढ़े वीर्य की पिचकारी उसके लंड से निकल कर उसकी
छातियों पर गिरने लगी.

"ओह हाआअँ बाआहो आआचाअ लग रहाः है ऑश अया."
प्रियंका सिसक पड़ी.

प्रियंका अमित के वीर्य को अपनी छाती पर मसल्ने लगी. "ओ अमित
तुम बहुत अच्छे हो, एक बच्चे से भी अच्छे."

"तुम बच्चा किसे बुला रही हो?" वो चिढ़ते हुए बोला.

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Re: मेरी प्रेमिका

Post by rajsharma »


सोनाली अपनी हथेली और उंगलियों से अपनी चूत से खेल रही थी. वो
ज़ोर से सिसकी और मेरी तरफ देख कर कहा, "डार्लिंग अब मुठियाना
बंद करो, और अपने लंड को मेरी चूत मे डाल दो. मुझे तुम्हारा
पानी चाहिए."

सोनाली को दुबारा कहने की ज़रूरत नही पड़ी मैने एक ही धक्के मे
अपना पूरा लंड उसकी चूत मे डाल दिया. में ज़ोर के धक्के लगा उसे
चोदने लगा. उसी तरह जिस तरह अमित ने उसकी बेहन को चोदा था.

सोनाली जोरों से सिसक रही थी, "हाां राआज चूओड़ो मुउुझहे
आौर जूओर से ऊहह हाां."

प्रियंका हमारी चुदाई देख रही थी साथ ही अपनी तीन उंगलियाँ अपनी
चूत के अंदर बाहर कर रही थी साथ ही अपनी चुचियों को भी
मसल रही थी.

में इतना उत्तेजना मे भर गया था कि मैने सोनाली को पकड़ कर
घूमा दिया. अब वो आराम कुर्सी को पकड़ घोड़ी बन गयी थी. मैने
जोरों से अपने लंड को उसकी गान्ड मे घुसा दिया. में उसकी कमर पकड़
धक्के पर धक्का मारने लगा.

में सोनाली की गान्ड एक पागल की तरह मार रहा था. मेरे
धक्के इतने विशाल थे कि अमित और विजय भी सिर्फ़ हमे ही देखे जा
रहे थे. मेरा लंड इतनी तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था जैसे किसी
गाड़ी का पिस्टन.

"हाआअँ राआज फाड़ दो मेरिइइ गाअंड कूऊ ओह भार दो मेरी
गांद को अप्प्पंे राअस सीए." सोनाली इतनी जोरों से चिल्ला रही थी कि
शायद मोहल्ले वालों को भी उसकी आवाज़ सुनाई दे रही होगी.

मैने ज़ोर के धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी गान्ड मे छोड़ दिया.
थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और घर के अंदर पिशाब करने को चले
गये.

पिशाब करके हम जब हॉल मे आए तो देखा कि सोनाली के पिताजी कमरे
मे खड़े थे.

"पिताजी आप कब घर आए?" सोनाली ने प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा.

उसके पिताजी ने अपनी नंगी बेटी को उपर से नीचे तक देखा. उनका लंड
उनकी पॅंट मे तन कर खड़ा हो गया था. "जब तुम सभी गार्डेन मे
मज़े कर रहे थे."

सोनाली के पिताजी ने जब अपनी बेटी की गुलाबी और फूली हुई चूत देखी
तो उसे चोदने को आतुर हो गये, "सोनाली बेटा तुम ये सोफा पकड़ कर
थोड़ा झुक जाओ."

सोनाली को पता था कि आगे क्या होने वाला है और वो खुशी खुशी
तय्यार हो गयी. वो डिन्निंग टेबल पकड़ कर घोड़ी बन गयी, उसकी
मुलायम चुचियाँ टेबल की सख़्त लकड़ी पर टिकी हुई थी.

उसने देखा उसके पिताजी ने अपनी पॅंट खोली और अपने लंड को उसकी
चूत पर घिसने लगे.

"पिताजी थोड़ी क्रीम तो लगा लीजिए." सोनाली ने कहा.

"नही इसकी ज़रूरत नही है, तुम्हारी चूत पहले से ही काफ़ी गीली
है."

उसके पिताजी धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत मे घुसाने लगे. एक
झटके मे तो नही पर हां इंच दर इंच उनका लंड सोनाली की चूत
मे घुस रहा था.

सोनाली ने जब अपने पिताजी के लंड की गोलाईयों का स्पर्श अपनी गान्ड
पर महसूस किया तो वो समझ गयी कि उनका पूरा लंड उसकी चूत मे
घुस चूका है. उसका मन कर रहा था कि उसके पिताजी आज उसकी
भयंकर चुदाई करे.

"पिताजी अब ज़ोर से चोदिये मुझे खूब ज़ोर से." वो अपने पिताजी से
बोली.

बाहर तूफ़ानी हवा चल रही थी. और हल्की बारिश भी होने लगी
थी. इसके पहले की बारिश तेज होती बाहर से सभी हॉल मे आ गये.
अंदर आते ही अमित को अपनी जिंदगी का सब से चौकाने वाला नज़ारा
देखने को मिला. एक लड़की अपने बाप से घोड़ी बन चुद रही थी.

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Re: मेरी प्रेमिका

Post by rajsharma »

अमित नो जो भी देखा उसे देख कर अच्छा लगा. पिताजी ने सोनाली को
टेबल पर दबा रखा था. उनका एक हाथ उसके सिर पर था और दूसरा
उसकी पीठ पर. उसके मम्मे टेबल पर मसल रहे थे. उनका मोटा और
लंबा लंड भयंकर रफ़्तार से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा
था.

"ओह सोनाली तूमम्महारी चूत बहूत आआछःईईई है. इसससे अच्छी
चूत मेईने आज तक नही छोदि. में तूमम्महरी चूओत रोज़ चूड़ना
चाहता हूँ."

"हाआँ पिटाआअजी आअपका लंड भी साब्से आआआछा है.. ये चूओत
आज से आअपकी आअपका जाअब दिल्ल्ल चाहे आअप इससे चोद साकते
हाीइ."

उसके पिताजी के धक्के पूरी टेबल को हिला रहे थे. एक बार तो टेबल
पर पड़ा फुल्लों का गुलदस्ता ज़मीन पर गिर पड़ा और टूट गया. काँच
के टूटने की आवाज़ भी उन्हे नही रोक पाई. वो दोनो चुदाई करते
रहे और तब तक करते रहे जब उसके पिताजी ने सोनाली की चूत मे
पानी नही छोड़ दिया. सोनाली की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था.

फिर उसके पिताजी घूमे और उन्होने हम लोगों को देखा. जो हम ने
देखा था उससे सब इतना गरमा गये थे कि सब अपने आप से खेल रहे
थे.

"मुझे नही पता था कि तुम सब हमे देख रहे हो?"

उसके पिताजी कुछ अजीब सी स्थिति मे थे. उनका अर्ध मुरझाया लंड
भी काफ़ी बड़ा लग रहा था. सोनाली भी अब पलट कर हमे देख रही
थी. वो टेबल का सहारा लिए खड़ी थी. इतनी भयंकर चुदाई के बाद
उसकी टाँगो मे इतनी ताक़त नही थी कि वो अपने पैरों पर खड़ी रह
सके.

"मुझे नही लगता कि हम पहले कभी मिले हो?" उसके पिताजी ने अमित
को देखते हुए कहा.

"पिताजी ये अमित है. हमारे पड़ोस मे रहता है." विजय ने कहा.

"ओह इसका मतलब है ये हमारे घर मे घुस आया, मुझे कुछ इंतज़ाम
करना पड़ेगा." पिताजी कुछ चिंतित होते हुए बोले.

विजय ने अमित के लंड को अपने हाथों मे पकड़ लिया, "मुझे नही
लगता कि ये किसी से कुछ कहेगा, क्यों अमित मे सही कह रहा हूँ ना?"

"अच्छा है," पिताजी ने कहा, "तुम्हारा स्वागत है, तुम हम सबमे
शामिल हो सकते हो? पर लगता है तुम पहले से ही शामिल हो."
पिताजी ने कहा.

हमारा बाकी का दिन चुदाई, फिर खाना, फिर चुदाई मे गुज़रा. जब
में और सोनाली अकेले बैठे थे उसने मुझे चूमते हुए कहा, "राज
में कितनी खुश हूँ तुम्हे बता नही सकती. इस कदर एक दूसरे के
साथ रहकर हम मज़े ले रहे है."

उस दिन के बाद अमित भी उनकी चुदाई का हिस्सा बन गया था. वो अक्सर
उसँके घर जाता और सबके सब चुदाई करता. सोनाली के पिताजी भी
उसे पसंद करने लगे थे. वो विजय से भी अच्छा लंड चूस्ता था.
सोनाली के पिताजी ने उसकी गान्ड भी एक दिन मारी थी.

सोनाली के घर कुछ दिन रहने के बाद में अपने घर चला गया.
मुझे अपनी शूटिंग की तय्यारी करनी थी. इसका मतलब था स्क्रिप्ट
पढ़नी, लोकेशन देखनी, सब तय्यारियाँ करनी अपने असिस्टेंट्स के
साथ. इसी बीच मेरी गायत्री से भी बात होती रही.

वो अपने काम मे मशरूफ थी, पर वो मुझे बहोत याद करती थी, और
में भी उसे याद करता था.

थोड़े दिन बाद मुझे कुछ काम से गायत्री के सहर मे जाने का मौका
मिला. में और गायत्री करीब करीब साथ साथ ही रहे. हम ने खूब
मस्ती और चुदाई की.

जब में वापस आया तो प्रोड्यूसर्स ने बताया कि शूटिंग दो हफ्तों के
लिए कॅन्सल हो गयी है. इसका मतलब था कि मेरे पास एक महीने की
छुट्टी थी. में सीधा सोनाली के घर की तरफ रवाना हो गया.

"आओ राज तुम्हारा स्वागत है. आज घर पर कोई नही है. पिताजी
तलाक़ के फ़ैसले के लिए माँ के पास गये है. विजय अभी काम से
वापस नही आया और प्रियंका भी बाहर गयी है." सोनाली ने मुझ से
कहा.

सोनाली के सफेद कलर के टॉप पर से उसके खड़े होते निपल मुझे
दिख रहे थे. उसने ब्लू कलर की टाइट जीन्स पहन रखी थी, जिससे
उसके चूतड़ की गोलियाँ साफ नज़र आ रही थी. हम दोनो उसके कमरे
मे आ गये. मैने उसे अपनी बाहों मे भर लिया.

"ऊवू राज मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लो. मैने तुम्हारे लंड को महसूस
करना चाहती हूँ." उसने कहा.

मैने उसके कपड़े उतारने शुरू किए. उसे नंगा करने के बाद मैने
उसे बिस्तर पर धकेल दिया और खुद अपने कपड़े उतारने लगा. मैने
उसकी चूत को देखा वो एक दम सफ़ा चट थी. बालो का नामो निशान नही
था उसकी चूत पर.

"पसंद आई तुम्हे?" कहकर उसने अपनी टाँगे फैलाकर हवा मे उठा
दी. उसने अपने दोनो हाथों से अपनी चूत को और फैला दिया. उसकी
चूत का अन्द्रूनि गुलाबी हिस्सा मुझे साफ दिखाई दे रहा था. "किसका
इंतेज़ार कर रहे हो मेरे राजा. घुसा दो अपना लंड मेरी चूत मे और
आज इसका भरता बना दो." वो एक रंडी की भाषा मे बोली.

मैने एक ही झटके मे अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया. मैने उसकी
चूत को अपने लंड को जकड़ते हुए महसूस किया और उसकी चूत ने पानी
छोड़ दिया. आज उसकी चूत इतनी कसी हुई लग रही थी कि में भी
अपने आपको रोक नही पाया और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.

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