माया complete

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jay
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Re: माया

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"बेब्स, आइ वान्ट टू लिव माइ लाइफ विद स्पीड ओके.. आंड शादी क्या, कोई भी रिश्ता मुझे बोझ लगता है मेरे मोम डॅड को छोड़ के... सो अगर तुम मुझसे सीरीयस प्यार करती हो, तो प्लीज़ डोंट डू इट.. और अगर सेक्स करना चाहती हो तो आइ आम ओके..." भारत ने उसे सॉफ कहा था एक बार..




"नॉक..नॉक.. सर, आपके पेप्सी कॅन्स" कॅंटीन के लड़के ने उसको अपने ख़यालों से जगाया


"तो दे ना इधर.." भारत ने अपने वॉलेट से 500 का नोट निकालते हुए कहा


"यह पकड़, और जा" भारत ने उस लड़के को कहा



"साहब, छुट्टा नहीं है.."



"अरे मेरे बाप मैने माँगा तुझसे छूटता.. तू जा ना, मैं डेम्पो से समझ लूँगा चल"



जैसे ही वो लड़का गया, भारत वॉशरूम में घुसा और ब्रश करके पेप्सी के 2 कॅन्स के साथ अपने गार्गल्स किए... क्लासरूम के लिए तैयार होके वो अपने रूम से निकला और दौड़ दौड़ के क्लासरूम में पहुँचा



"मे आइ कम इन सर..." क्लास रूम में बैठे सर ने दो आवाज़ें सुनी.. एक तो भारत की, दूसरी थी उसके सो कॉल्ड कॉंपिटिटर की... सिधार्थ


"भारत.. यस कम इन आंड टेक युवर सीट" सर ने भारत को अंदर बुलाया और भारत सिड को स्माइल देके अंदर जाके अपनी बेंच पे बैठ गया



"सिड, व्हाई आर यू सो लेट... दिस ईज़ नोट आक्सेप्टबल ओके" सर ने उसे अंदर बुला के कहा



"बट सर, ईवन भारत..." सिड ने इतना ही कहा कि सर ने उसे जवाब दिया


"सिड, प्लीज़ तुम अपने टाइम पे रहो.. भारत को टाइम मॅनेज्मेंट मैं सिखा दूँगा ओके.. राइट भारत" कहके सर ने भारत को स्माइल दी



"ऊह सर... वैसे, आइ आम ऑल्सो सॉरी हाँ, फॉर बीयिंग लेट" भारत ने हंस के जवाब दिया.. उसका जवाब सुनके क्लास में बैठे सभी स्टूडेंट्स हँसने लगे..



"ओह नो प्राब्लम.." कहके सर ने सिड को अपनी जगह पे बैठने का ऑर्डर दिया




"ड्यूड... व्हाट'स दा कॅच हाँ.. कल सुबह तक तो यह तुझे देखना भी पसंद नहीं करता था, आज सुबह सडन चेंज हाँ" भारत के पास बैठे उसके सबसे अच्छे दोस्त राहुल ने कहा



"मेरे भाई.. कल सुबह और आज सुबह के बीच में एक रात आती है... वन नाइट..." भारत ने अपनी शैतानी स्माइल के साथ कहा



"व्हाट !!! क्या हुआ ऐसा कल रात को हाँ ?" राहुल ने सर्प्राइज़ होके भारत से पूछा
..................................................

"ओह बेब.... यू आर दा हॉटेस्ट आइ हॅव एवर बिन विद ऑन बेड.." भारत अपनी चुदाई ख़तम करके अपने पार्ट्नर से बोलने लगा


पिछली शाम भारत , शालिनी के रूम में आइस क्रीम पहुँचाने गया था... शालिनी को क्वालिटी वॉल्स चाहिए थी वो भी स्ट्रॉबेरी फ्लेवर... क्यूँ कि कॅंटीन में मिली नहीं, शालिनी ने अपनी इच्छा भारत को बताई.. स्ट्रॉबेरी फ्लेवर के साथ भारत ने चॉक्लेट फ्लेवर का भी बंदोबस्त कर लिया था, जो उसका पर्सनल फेवोवरिट था सेक्स में...

"उम्म... पूरी शाम पेलते रहे उसके बाद भी फ्रेश लग रहे हो... क्या एनर्जी है तुम में भारत, उपर से चॉक्लेट की महक से तो सेक्स करने की इच्छा और बढ़ गयी..." शालिनी अपने बेड से उठके सिगरेट जलाती बोली


"तुम चीज़ ही ऐसी हो जानेमन.. तुम पहली लड़की हो जिसने पूरी चुदाई में "आइ लव यू" नही कहा... आइ नो लोग चुदाई में पागल होके लव यू वगेरह बोलते हैं, बट बेबी यू आर डॅम प्रॅक्टिकल" भारत ने अपने लिए सिगरेट लेते हुए कहा


"हाए रे, ऐसा मत बोल यार, प्यार तो तुझसे कॉलेज के सभी पटाखे करते हैं, पर मेरा ध्यान फिलहाल कल के एग्ज़ॅम में है, उसका टेन्षन बहुत है यार" शालिनी अपने बेड के सामने रखे टेबल पे अपने पेर फेलाती हुई उसको बोली


"ईको बेब, डॅम ईज़ी सब्जेक्ट, उसमे क्या लोचा है ? " भारत अपनी टीशर्ट पहनने लगा


"बेबी... प्लीज़ हेल्प मी ना, कल मेरे मार्क्स अच्छे आयें, ऐसा कुछ कर ना " शालिनी अपने होंठों पे अपनी जीभ फेरती हुई बोली


"व्हाट कॅन आइ डू बेब्स, स्टडी युवरसेल्फ़ ओके" भारत अपनी टीशर्ट पहेन के रूम से निकलता हुआ बोला


"धाधाांम्म्ममम....." की आवाज़ से रूम का दरवाज़ा बंद हुआ, और शालिनी एक बार फिर अपने कमरे में अकेली हो गयी और उसके दिमाग़ में घूमने लगा एकनॉमिक्स का भूत..


"यार, कैसे पास हो पाउन्गि कल... मुझे कुछ आता भी नहीं" शालिनी अपने आप से बोलने लगी और जाके शीशे के सामने खड़ी हो गयी


"उम्म्म्म...जितनी सेक्सी बॉडी है मेरी काश उतना अच्छा दिमाग़ भी होता एकनॉमिक्स के मामले में" शालिनी अपने होंठों पे उंगली फिराती बोली.. धीरे धीरे अब वो खुद के चुचों पे आई और अपने निपल्स को भींच दिया


"सीयी...आहह.एम्म्म" शालिनी सिसकती हुई बोली
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: माया

Post by jay »



शालिनी वर्मा:-



पुणे की रहने वाली थी.. घर पे बैठना उसे अच्छा नही लगता, वो तो बस अपने दोस्तों के सहारे ज़िंदगी गुज़ारने के सपने देखती.. उसका बाप भी पुणे के फेमस बिल्डर्स में से एक था... शालिनी दोस्तों के लिए ही एमबीए करने यहाँ आई और यहीं के हॉस्टिल में रहने लगी.. शालिनी का फिगर, किल्लर था.. नॅचुरल ब्यूटी थी वो, उसके 34बी के चुचे हर लड़के के मूह में पानी ला देते, 26 की कमर उसकी, लो वेस्ट जीन्स जब पहनती, तब अपनी कमर पे एक पतली सी चैन बाँध देती... 34 की जांघें उसकी, हर किसी लंड पे वार करती.. जब वो चलती, उसकी मटकती गान्ड और उछलते चुचे लड़कों के दिल पे बिजलियाँ गिराती... कॉलेज के ज़्यादातर लड़के शालिनी पे चान्स मार चुके थे पर उसने किसी को घास नहीं डाली.. शालिनी की घायलों की लिस्ट में था भारत का सो कॉल्ड कॉंपिटिटर सिद्धार्थ... सिड उसे अपना जीवन साथी बनाना चाहता था, पर शालिनी कभी उसकी बात का जवाब नहीं देती..


"सिड, प्लीज़ ग्रो अप यार... मैं यहाँ से उस जाने वाली हूँ, और तुमसे शादी करके मैं अपनी लाइफ को स्लो नहीं करना चाहती" शालिनी ने सिड को कहा था जब सिड ने उसे दबे लफ़्ज़ों में प्रपोज़ किया था...


आईने के सामने खड़े शालिनी को 15 मिनिट के करीब हो चुके थे, एक हाथ से अपने चुचे सहलाती और एक हाथ अपनी चूत पे रगड़ने लगी थी...


"उम्म्म्म...आहह यअहह आहमम्म्म.... ओह्ह्ह.... नूऊऊओ" शालिनी ने अपनी चूत और चुचे से हाथ हटाते हुए घड़ी पे नज़र डालते हुए कहा


"यह ईको, ना तो दिमाग़ में जाती है, ना तो चूत में कुछ करने देती है" शालिनी झल्ला के शीशे के सामने से हटी और जाके बेड पे बैठ के किताब पढ़ने लगी... कपड़ों के नाम पे शालिनी ने एक लोंग टी-शर्ट पहनी थी जो उसके घुटनो के थोड़ा उपर तक आ रहा था.. अंदर ब्लॅक ब्रा और पैंटी... नीचे उसकी चिकनी सफेद टाँगें नंगी थी... वक़्त शाम के 7 बजने वाला था, भारत के साथ की हुई चुदाई को एक घंटा गुज़र चुका था... शालिनी को धीरे धीरे अब दिमाग़ में पढ़ाई घुस रही थी, उसका पूरा ध्यान अब बुक में था, तभी..


"नॉक नॉक" दरवाज़े पे हुए इस आवाज़ से उसका ध्यान टूटा


"व्हाट दा फक.. अब कौन आ गया" शालिनी गुस्से में बेड से उठके दरवाज़े के पास जाने लगी..


"हू ईज़...." शालिनी दरवाज़ा खोलके सिर्फ़ इतना ही बोली, तभी सामने खड़े शक़्स को देख के चौंक सी गयी


"सर, आप... इस वक़्त.... यहाँ ?" शालिनी सामने खड़े भार्गव सर को देख के बोली


"हेलो मिस शालिनी..." भार्गव सर ने अंदर आते हुए कहा... "वो , भारत ने मुझे बताया कि तुम्हे एकनॉमिक्स समझ नही आ रही... इसलिए उसने मुझे रिक्वेस्ट की कि मैं पर्सनली यहाँ आके तुम्हे थोड़ा गाइड करूँ" भार्गव सर चेर पे बैठ कर बुक देखने लगे...


"सो, क्या बॉदर कर रहा है शालिनी तुम्हे ईको में ?" भार्गव सर ने अपने रीडिंग ग्लासस पहेन के शालिनी से पूछा..

शालिनी, भार्गव सर के आने से शॉक्ड तो थी ही, पर उससे ज़्यादा शरम उसे अपने कपड़ों की वजह से आ रही थी...

"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." इस आवाज़ से शालिनी की नज़र कोने में पड़े अपने फोन पे गयी

"सर, एक्सक्यूस मी फॉर आ सेक प्लीज़ " कहके शालिनी ने फोन लिया और कमरे से बाहर चली गयी

"बेब... दिस ईज़ व्हाट आइ हॅव अरेंज्ड फॉर यू.. नाउ यू नो व्हाट टू डू" भारत ने उसे सामने से फोन पे कहा

"बट, हाउ... आइ मीन , व्हाट" शालिनी अपनी लड़खड़ाती हुई ज़बान से बोली

"कम ऑन डार्लिंग , ही ईज़ दा इंचार्ज फॉर टुमॉरो'स एग्ज़ॅम... आइ नीड नोट से एनितिंग एल्स आइ गेस..." कहके भारत ने फोन कट कर दिया

शालिनी ने तुरंत भारत कॉल्लबॅक किया

"व्हेर आर यू" शालिनी ने भारत को पूछा

"व्हाई.." भारत अपनी नूडल्स ख़ाता हुआ बोला

"थॅंक्स आ टोन डार्लिंग.. " शालिनी ने दबी आवाज़ में कहा

"नो थॅंक्स बेब, कल इसकी फीस देना, आइ हंग्री नाउ, बाय " कहके भारत ने फोन कट किया

"यह ऐसा क्यूँ है" शालिनी मन में यह सवाल लेके अपने रूम में चली गयी

"मिस शालिनी, वेस्टिंग लॉट ऑफ टाइम नाउ... कॅन वी प्लीज़ स्टार्ट, टेल मी व्हाट'स युवर प्राब्लम इन दिस सब्जेक्ट" भार्गव ने अपनी कड़क आवाज़ में अंदर आती शालिनी से पूछा

"उः सर.. दिस टॉपिक ईज़ दा प्राब्लम..." शालिनी ने भार्गव के आगे झुक के कहा, जिससे उसकी लूस टी-शर्ट का गला खुल गया, और उसके दो चुचे भार्गव की आँखों के सामने आ गये... भार्गव का ध्यान जो अब तक बुक में था, शालिनी के चुचों पे उसका ध्यान पड़ते ही, भार्गव के लंड में अकड़न चालू हो गयी.. शालीन जैसी युवती का ऐसा रूप देख तो बूढ़ों के मरे हुए लंड में भी जान आ जाए, भार्गव तो फिर भी 48 साल का हॅटा कट्टा आदमी था... शौकीन आदमी, हमेशा शराब और शबाब के ख़यालों में रहता, कॅंपस में रहके यह शौंक उसका कभी पूरा नही हुआ था, पर भारत ने आज उसका ध्यान रखा, इसके लिए शालिनी का यह रूप देख वो अंदर ही अंदर खुश हो रहा था.
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Re: माया

Post by jay »



"उः.... ओह हां... उम्म.... " भार्गव ने बस इतना ही कहा कि शालिनी इस बार उसके पास आके बैठ गयी, उसका एक हाथ बुक के पेज पे, और एक हाथ उसने जान बुझ के भार्गव की जाँघ पे रखा..


"सर... यह समझाइये ना प्लीज़, मुझे तो दिमाग़ में घुस ही नहीं रहा यह सब" शालिनी अपने हाथों के साथ अपने चुचे हिलाती हुई बोल रही थी... शालिनी के हिलते चुचे देख भार्गव के लंड में उभार बढ़ता जा रहा था..


"उहह... हां यह दरअसल, यह ऐसा है के... उहह आक्च्युयली इसमे..." भार्गव शब्द खोजने लगा


यह देख शालिनी ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा


"सर... आइ गेस यूआर नोट कंफर्टबल हाँ.... आप रिलॅक्स हो जाइए प्लीज़.. लेट मी हेल्प यू..." यह कहके शालिनी ने हल्के हल्के भार्गव के जांघों पे हाथ फिराते हुए, अपनी उंगलियों का जादू चलाने लगी...जांघों से होके शालिनी भार्गव के पैरो के पास जाके उसके जूते निकालने लगी...


"फीलिंग बेटर सर..." शालिनी भार्गव के पैरो के बीच बैठी हुई थी..


"उम्म्म...यअहह" भार्गव बस इतना ही बोल पाया


"ओह्ह...इट्स डॅम हॉट हियर, कहके शालिनी अपनी जगह से उठी, और भार्गव का जॅकेट उतारने लगी.. जॅकेट उतारते उतारते शालिनी ज़्यादा से ज़्यादा अपने चुचों के दर्शन करवाने लगी.... एक एक कर सब बटन खुलते ही भार्गव के जॅकेट को शालिनी ने कोने में फेंका... भार्गव का खड़ा हुआ लंड अब शालिनी के नज़रों से छुपा हुआ नहीं था.. वो थोड़ा और टीज़ करना चाहती थी भार्गव को


"अरे सर, थोड़े और रिलॅक्स होइए ना..." कहके शालिनी ने भार्गव को धक्का दे दिया बेड पे और भार्गव के बेड पे गिरते ही, शालिनी उसके उपर चढ़ गयी... शालिनी की नंगी जाँघो को अब भार्गव का लंड सॉफ महसूस हो रहा था


"उम्म्म... आइ लव दा स्मेल ऑफ आ मॅन... सर" शालिनी अपने होंठ भार्गव के होंठों के पास ले जाती हुई बोली
शालिनी की गरम साँसें और उसकी तेज़ धड़कन को अब भार्गव महसूस कर रहा था... कुछ पल के लिए भार्गव और शालिनी की नज़रें एक दूसरे पे अटक ही गयी थी..

"ओह... ईवन आइ लव दा सेंट ऑफ आ वुमन माइ डियर.. ब्लू लेडी..." भार्गव ने अपने नाक से शालिनी की बगल को सूंघते हुए कहा

"ओह... आइ आम इंप्रेस्ड .... सर्र्र्र्र्र्ररर......" शालिनी ने कसकते हुए अंदाज़ में जवाब दिया

"पढ़ाई करें माइ डियर...." भार्गव ने शालिनी को अपने आप से कसते हुए कहा

"कौनसी पढ़ाई सर... मैं तो बस अब काम सुत्र में ही रूचि रखती हूँ..." कहके शालिनी भार्गव से अलग हुई और सामने पड़ी चेर पे जाके अपनी एक टाँग चढ़ा दी.. शालिनी ने अपनी नंगी जाँघो को दिखाते हुए अपने लिए एक सिगरेट जला ली और उसके कश मारते हुए आँखों से भास्कर को अपने पास बुला लिया... भास्कर ने न्योता स्वीकारा और बेड से उठके शालिनी के पास जाने लगा.. भास्कर के पॅंट में उसका लंड तंबू बनके झूलने लगा था जिसे शालिनी ने नोट कर लिया और उसकी कामुक मुस्कान और भी ज़्यादा फेल गयी....

"उफ़फ्फ़... इस मेंथोल फ्लेवर में तुमने अपने होंठों का रस मिला के मुझे और भी पागल बना दिया शालिनी बेटी..." भास्कर अब शालिनी के रंग में रंगते हुए उसके हाथ से ही सिगर्रेट का कश लेते हुए बोला

"आप अपनी बेटी के साथ भी ऐश करते हैं क्या सर..." शालिनी ने अपने कामुक अंदाज़ में अपनी जांघों पे उंगलियाँ फेरते हुए भास्कर से पूछा...

“हाअई…. जब ऐसी बेटी हो, मैं तो बेटीचोद बनने में एक पल भी नहीं सोचूँ बेटी… उसके साथ ऐश क्या, सब करने को रेडी हो जाउ मैं तो…” कहके भास्कर ने अपने लंड पे हाथ घमाया और एक नज़र से शालिनी को देख के मुस्कुराहट दी..


“उम्म्म्म… लगता है आपको अभी भी कंफर्ट नहीं आया.. पर सर, कल की एग्ज़ॅम के लिए मुझे तैयारी करनी है, तो आप बाद में आइए प्लीज़… मैं नहीं चाहती मैं कल फैल हो जाउ” शालिनी ने जान बुझ के सीरीयस होते हुए कहा और अपनी टाँगें और भी ज़्यादा चौड़ी कर दी… शालिनी की पैंटी देख, भास्कर के पॅंट में उसके लंड की अकड़न और भी ज़्यादा बढ़ने लगी जिसे शालिनी ने देखा और मन ही मन में वो खुश हुई के उसका प्लान सही जा रहा है..

“अरे नहीं , ऐसे कैसे मेरी बेटी फैल होगी हाँ…. पहले पापा को खुश करो, फिर मैं तुम्हे कल के एग्ज़ॅम में फैल नहीं होने दूँगा बेटी…” भास्कर अब खुल के चुदाई के लिए शालिनी से बोलने लगा

“अरे, ऐसे कैसे, मेरे पापा तो सबसे पहले मुझे जो चाहिए वो देते हैं और बदले में कुछ माँगते भी नहीं… तो आप को अगर मैं मज़ा दूं, पहले मुझे वो दीजिए जो मुझे चाहिए..” शालिनी अभी अपनी कुर्सी से उठी और जाके जीन्स पहनने लगी.. यह देख भास्कर को लगा उसकी ख्वाहिश आज भी अधूरी रह जाएगी..

“अरे नहीं शालिनी बेटी.. रूको, मैं अभी कुछ करता हूँ, तुम ऐसे ही रहो, मैं अभी आया” कहके भास्कर तुरंत शालिनी के कमरे से बाहर निकला और स्टाफ रूम की तरफ बढ़ने लगा… क्यूँ कि अंधेरा हो चुका था, उसको देखने वाला कोई नहीं था… एक लंबे से कॉरिडर से गुज़र कर भास्कर स्टाफ रूम पहुँचा और काफ़ी देर तक ड्रॉयर्स और कपबोर्ड सर्च करके उसे पार्सल मिल गया जिसकी उसको तलाश थी.. अपना काम फिनिश करके, भास्कर वापस शालिनी के कमरे में गया, जहाँ शालिनी उसी का इंतेज़ार कर रही थी.. भास्कर का लंड जो अब बैठ गया था, शालिनी को ऐसे पोज़ में देख, फिर उसका लंड उबलने लगा


शालिनी कपड़े बदल के अब एक स्कर्ट और टॉप में बैठी थी और सिगरेट के मज़े ले रही थी…
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Rohit Kapoor
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Re: माया

Post by Rohit Kapoor »

keep going dude....story is building up great....
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