माया complete

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jay
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Re: माया

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"हे शॅरन.. सिड हियर.. यस, शॅरन आइ वाज़ सेयिंग प्लीज़ डोंट डिस्टर्ब भारत नाउ.. यू नो हाउ ही ईज़. सो व्हाट वी विल डू, आइ विल मीट यू टुमॉरो आंड विल कॉल हिम जायंट्ली..."



"ओके सिड... आइ विल सी यू टुमॉरो.. "



"शॅरन से हुई इस बात के बाद, दूसरे दिन मैं ऑफीस गया ही नहीं और दिन ख़तम होने से पहले मैने रिज़ाइन रख दिया.. जब शॅरन को यह बात पता चली, तब उसी रात शॅरन ने भारत को दो तीन बार ट्राइ किया, बट हमारी किस्मत ने साथ दिया और भारत से उसकी बात नई हुई... तभी ही लोकल गुण्डों से बात करके मैने आस पास कॅमरास बंद करवाए और तीसरी सुबह शॅरन के घर के बाहर जाके देखा तो शॅरन के माँ बाप वॉक पे गये हुए थे.. मैं पीछे से उसके घर घुसा और शॅरन को भी सॉफ कर दिया.." सिड ने अपना स्पेक्स उतार के कहा



"यूएस में भी गुंडे होते हैं... वाह" मेहुल ने अपने पीले दाँत दिखाते हुए कहा



"हम जैसे लोग हर जगह हैं.. वैसे, इन सब का कुछ फाइनान्षियल बेनेफिट भी तो होना चाहिए" विक्रम ने बीच में कहा



"चिंता नहीं करो... राकेश की संपाति 500 करोड़ से उपर है. प्रॉपर्टीस, बॅंक बॅलेन्स, स्टॉक्स... और पुराना खिलाड़ी है हवाला के धंधे का.. हो सकता है शायद यह फिगर अब 4 डिजिट्स में चला गया हो... जो भी हो, मेरी बहेन और मेरा हिस्सा 75 % रहेगा.. तुम तीनो 25 % बाँट लो... और अगर हिस्सा कम लगे तो तुम इस प्लान से निकल जाओ.. जब तक बाहर जाके मूह खॉलोगे, तब तक तुम लोगों की लाश भी वॉरली सी लिंक पे मिल जाएगी.." उस लड़की ने कश खींच के कहा



"अगर 500 करोड़ भी हुआ तो मेरा हिस्सा 40 करोड़ होगा.. मुझे इससे ज़्यादा नहीं चाहिए, " मेहुल ने सिड और विक्रम को देख के कहा



"हां हां.. ठीक है... डन" सिड और मेहुल ने भी एक साथ कहा

.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अगली सुबह भारत जल्दी से तैयार होके निकला और जाते जाते उसने राकेश को भी फोन किया



"हाई डॅड.. एंजायिंग ना.." भारत ने अपना ब्लेज़र पहेन के कहा



"यस सन... कमिंग सून, मे बी 5 डेज़" राकेश ने जवाब दिया



"ग्रेट.. आंड मोम... व्हेअर ईज़ शी.." भारत मे जूस पीते हुए कहा



"ओह शी .. शी ईज़ फॅंटॅस्टिक हाहहहा" राकेश ने कहा



"कम ऑन यू ओल्डीस... सी यू सून.. टेक केर" कहके भारत ने फोन कट किया और शालिनी से अलविदा लेके ऑफीस के लिए निकल गया.. कोलाबा से निकल के, भारत खार की तरफ बढ़ने लगा... खार स्टेशन के बाहर ही एक बंदे को गाड़ी में बिठाया और काफ़ी लंबी ड्राइव के बाद वो पहुँच क्रॉफर्ड मार्केट ईरानी होटेल



"दो कटिंग ईरानी चाइ, और दो मस्का बन... " बंदे ने सीट पे बैठ के ऑर्डर दिया



"सर, यह रही लिस्ट... और मेरे पैसे दीजिए" उस बंदे ने लिस्ट देके भारत से कहा



"यह लो तुम्हारे 20 हज़ार..." भारत ने पैसे देके कहा



"20... बात तो 10 की हुई थी ना" उस बंदे ने कहा



"10 इस काम के.. अगर लिस्ट देख के कुछ और काम हुआ तो 10 उस काम के भी" भारत ने लिस्ट देख के कहा



शुरुआत से देखना भारत ने चालू किया, लिस्ट में इनकमिंग और आउटगोयिंग कॉल्स.. इनकमिंग और आउटगोयिंग स्मस के नंबर भी थे... धीरे धीरे जब लिस्ट में आगे जाने लगा, तब एक जाना पहचाना नंबर उसे दिखा.. उसने अपना आइ फोन निकाला और उसपे नंबर टाइप करने लगा.. जैसे जैसे नंबर टाइप किया, वैसे वैसे उसके कॉंटॅक्ट्स से सजेशन्स आते गये.. पूरा नंबर टाइप किया और बस एक ही सजेशन आया



"ह्म्म्म,... आइ शुड हॅव गेस्ड दिस..." कहके उसने अपनी पॉकेट से एक पेपर निकाला और उसपे कुछ नाम लिखना चालू किया



फिर वापस लिस्ट देखना चालू रखा... जब लोकल नंबर्स ख़तम हुए, तो इंटरनॅशनल आउटगोयिंग की तरफ लिस्ट गयी... उस लिस्ट में बस एक ही इंटरनॅशनल नंबर था.. हर दिन कम से कम 30 मिनिट्स तक की बातें थी.. भारत ने ध्यान से उस नंबर को देखा,



"इंटरनॅशनल नंबर इतने बड़े क्यूँ होते हैं यार.. अच्छा कोई जान पहचान है क्या वहाँ.. नंबर तो यूएस का है शायद" भारत ने एक बार फिर लिस्ट देख के कहा



"नहीं सर.. आज तक मुंबई के बाहर नही गया, इंटरनॅशनल कहाँ जाउन्गा..." उस बंदे ने अपनी चाइ लेके कहा



"हाहहहा.. बेटे, मेरे साथ रहोगे तो जहाँ बोलॉगे वहाँ भेजूँगा.. पहले रूको, मुझे यह नंबर नोट करने दो.." कहके भारत ने फिर अपना फोन निकाला और उस नंबर को टाइप करने लगा.. उस के डिजिट्स टाइप करते ही उसके सामने दो सजेस्टेड नंबर्स आए, एक तो शॅरन का था.. पर जल्दी जल्दी में उसने कुछ नहीं देखा और बस नंबर टाइप करने लगा. जैसे जैसे नंबर्स टाइप होते गये, वैसे वैसे सजेशन्स भी कम होते गये.. फाइनली उसके सामने था बस एक सजेशन.. वो नाम देख के उसकी आँखें और बड़ी हो गयी



"एह... यह इससे कैसे... " भारत ने बस इतना ही कहा, के उसके सामने बैठे बंदे ने उसे देखा



"सर, सब ठीक"



"उः.. हां..." कहके भारत ने तीसरा नाम लिखा पेपर पे... और फिर दोबारा लिस्ट देखने लगा.. जब पूरी लिस्ट ख़तम हुई, उसने फिर स्मस की तरफ देखा... स्मस' में एक और इंटरनॅशनल नंबर और एक दूसरा लोकल नंबर भी आया जिसपे एक दिन में काफ़ी स्मस गये थे और आए भी थे.. इस बार भी भारत ने सोचा के शायद यह नंबर्स उसके फोन में हो, पर टाइप करते करते उसे कोई सजेशन नहीं आया



"डॅम इट... अच्छा सुनो, यह एक लोकल नंबर है... मुझे इसकी डीटेल्स चाहिए, लाइक किसके नाम पे है और रेसिडेन्षियल अड्रेस.." भारत ने उसे नंबर दिखा के कहा



"ठीक है सर, अगर प्रीपेड हुआ तो इन्फ़ॉर्मेशन ग़लत भी हो सकती है, लेकिन पोस्टपैड हुआ तो इन्फो सही मिलेगी" उस बंदे ने नंबर नोट करके कहा



"अगर जो मैं सोच रहा हूँ वोही हुआ तो पोस्टपैड ही होगा..." कहके भारत ने लिस्ट अपनी जेब में डाली और उस बंदे के साथ बाहर निकला..



क्रॉफर्ड से लेके अपनी ऑफीस तक का सफ़र भारत के लिए काफ़ी तकलीफ़ वाला था, क्यूँ कि उसकी जान पहचान का एक नंबर मिला था उसे.. ऑफीस पहुँच के भारत ने रीना को बुलाया
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: माया

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"रीना... नो डिस्टर्बेन्स टुडे ओके... आज कोई मीट नहीं, जेम्ज़ के साथ कॉल में हूँ.. आंड रिमेंबर.. नो डिस्टर्बेन्स अट ऑल ओके" भारत ने रीना को उंगली दिखा के कहा, जिससे रीना थोड़ा डर गयी और बिना कुछ कहे बाहर चली गयी.. रीना के बाहर जाते ही, भारत ने अपनी जेब से उस लिस्ट को निकाला.. उसकी नज़र एक बार फिर उस इंटरनॅशनल नंबर पे गयी जिसकी डीटेल्स उसको चाहिए थी..



"नंबर तो यूएस का है, शॅरन के अलावा मेरा कोई यूएस में है भी नहीं.. तो कैसे निकालु... मैं कॉल भी नहीं कर सकता अपने फोन से... फक ...." भारत अपनी कॅबिन की खिड़की पे खड़ा रहा और बाहर देखने लगा...



"डन..." भारत ने खुद से कहा और अपनी कॅबिन के लॅंडलाइन से फोन करने का सोचा... धीरे धीरे भारत ने नंबर डाइयल करना स्टार्ट किया, आखरी डिजिट प्रेस करते ही.. एक लंबा सा पॉज़ था.... दूसरे ही पल



"फक.. नंबर स्विच्ड ऑफ...." कहके भारत ने फोन रख दिया...



"रीना, सेंड मी आ कप ऑफ स्ट्रॉंग कॉफी... "भारत ने इंटरकम पे कहा और फिर सोचने लगा...कुछ देर में उसकी कॉफी रख के रीना बाहर निकल गयी और फिर भारत अकेला हुआ.. बैठे बैठे, उसने धीरे धीरे अपनी कॉफी ख़तम की...



"उम्म्म... कॉफी ऑल्वेज़ वर्क्स.... यह पता चल गया है कि यह नंबर तो एटी&टी का है, अब बस कैसे भी करके कोई यूएस वाला मिल जाए तो शायद.." भारत ने खुद से यह कहा ही के उसके दिमाग़ में इन्स्टेंट एक नाम आया



"यस ... रूबी.... " कहके भारत ने अपना फोन निकाला और रूबी के कॉंटॅक्ट डीटेल्स देखने लगा.. रूबी की डीटेल्स उसके पास थी ही नहीं.. इनफॅक्ट, जब रूबी यूएस गयी, तब से भारत ने कभी उसके बारे में नहीं सोचा था... कोई कॉंटॅक्ट नहीं, कोई मसेज नहीं... भारत ने तुरंत फ़ेसबुक पे लॉगिन करके उसकी डीटेल्स देखने की कोशिश की, लेकिन वो उसकी फ्रेंड्स लिस्ट में भी नहीं थी और उसका प्रोफाइल भी ब्लॉक्ड था उन लोगों के लिए जो उसकी फ्रेंड्स लिस्ट में नहीं थे...



"लाइक हेल... " कहके भारत ने फ़ेसबुक से लोगौट किया और फिर सोचने लगा..



"देअर हॅज़ टू बी सम्तिंग ना यार रूबी... हाउ दा फक शुड आइ कॉंटॅक्ट यू.." कहके भारत ने अपना ब्लेज़र उतारा और टाइ नाट लूस करके अपने लिए सिगर्रेट जला दी.. सिगर्रेट के कश लेते लेते उसने अपने माथे को पीछे किया और सीलिंग की तरफ देखने लगा..



"यस... मैल का तो जवाब देगी ही ना..." भारत ने अपना माथा सीधा करके कहा और जीमेल पे लोगों करके उसे मैल करने का सोचा... जीमेल पे लोग ऑन करते ही अपना इनबॉक्स देखा तो 400 अनरेड मेसेज..



"नौकरी... स्पॅम, स्टार्स... ताज... ऑल फक्किंग डेलीट" कहके भारत ने सब मेल्स डेलीट करना चालू किया.. पिछले दो दिन के मेसेज डेलीट करते करते उसकी नज़र एक मैल पे गयी



"रूबी.. थॅंक गॉड," कहके उसने रूबी के मैल को ओपन किया तो उसे कुछ ख़ास नहीं दिखा.. मैल की बॉडी पे बस दो चीज़े लिखी थी



ऊज़रनाम :- रूबी******@जीमेल.कॉम प्व :- 18212251815311190






"रूबी... अपना यूज़रनेम पासवर्ड मुझे क्यूँ देगी...." कहके भारत ने अपना मेलबॉक्स लोगआउट करके रूबी की आइडी से लॉगिन करने की कोशिश की.. यूज़रनेम डाल के जब भारत ने पासवर्ड डाला, तब वो पासवर्ड आक्सेप्ट नहीं हुआ..



"यूज़र आइडी तो ग़लत नहीं दे सकती, और रूबी अपना पासवर्ड भूलने वालों में से नहीं है... तो फिर...." भारत फिर सोचने लगा.. सोचते सोचते उसने एक्स एक्स्सेल फाइल ओपन की और ए तो ज़् लेटर्स लिखे और उनके सामने डिजिट्स फ्रॉम 1 तो 26







रूबी के दिए हुए डिजिट्स के सामने जो आल्फबेट आए, उसने एक एक कर वो एक्स्सेल में देखा और टाइप करने लगा.. जैसे वन बना गया आ और 8 बन गया एच..टाइप करते करते फिर भारत आके आखरी डिजिट पे रुका...



"0....इससे क्या होगा... " कहके भारत ने फिर अपना टाइप किया सारा पासवर्ड डेलीट कर दिया... उसने फिर दिमाग़ पे ज़ोर लगाया पर उसे कुछ नहीं सूझा, तो उसने एक और कॉफी मंगवा दी और सिगर्रेट जला के पास में रखे पेपर पॅड से खेलने लगा



"डिजिट्स ईज़ नोट दा पासवर्ड.. अल्फॅबेट्स ही हैं, बट 0 तो कोई आल्फबेट नहीं होता... " कहके भारत ने फिर अपना इंबॉक्षि देखा और रूबी से कोई दूसरे मेल्स हैं कि नहीं वो चेक करने लगा... कोई दूसरा मैल नहीं था, और यह एक लौता मैल था जिसमे बस उसका यूज़रनेम और पासवर्ड था..



"ओके.. लेट्स डू दिस अगेन...." कहके भारत ने रूबी के दिए हुए डिजिट्स को कॉपी किया और फिर उसने पहले डिजिट को डबल किया.. जैसे पहले 18, तो उसने उसे 18 रीड किया और एबीसी में देखने लगा.. तो 18थ डिजिट है आर...



"अगर पासवर्ड आर से स्टार्ट होता है, तो शायद उसका नाम ही हो... रूबी.." यह सोच के भारत ने रूबी के आगे के डिजिट्स देखे, तो उसका कोड निकला 18,21,2,25... पहले 7 डिजिट और उसका ब्रेक निकला रूबी



"कॉफी ऑल्वेज़ वर्क्स... " कहके भारत ने रूबी टाइप किया और दूसरे डिजिट्स देखने लगा... 25 के बाद के डिजिट्स थे 1815311190



"अगेन 18.. सो 18 स्टॅंड्स फॉर आर अगेन..." तो उसने आर टाइप किया, और बाकी के डिजिट्स बचे 15311190



"अगर मैं 15, के बाद देखूं तो 31 अल्फॅबेट्स है ही नहीं.. सो 3 मस्ट बी सेपरेट.. तो 3 ईज़ सी..... अब तक का पासवर्ड है रूबयर*सी... इसके बाद बचे डिजिट्स 1511190.. नाउ 0 तो कोई आल्फबेट नहीं है.. सो 0 निकल के बचता है 151119"



"या तो यह 3 अल्फॅबेट्स हैं, या तो 6.. लेट्स ट्राइ वन बाइ वन.... सो वन ईज़ आ.. सो इफ़ आइ प्लेस 1,5 विद आ आंड ए, पासवर्ड विल लुक लाइक रूबीरेस..." भारत ने खुद से कहा



"रूबीरेस,, कोई वर्ड तो नहीं जा रहा, दिस मीन्स, 15 ईज़ आ सिंगल डिजिट.. कहके उसने 15 की जगह प्लॉट किया तो



"पासवर्ड नाउ लुक्स लाइक रूबीरोक आंड डिजिट्स आर 1119.." भारत ने खुद से कहा..


"111 कन्नोट बी एएए श्योर... " भारत ने खुद से कहा और फिर अल्फॅबेट्स की लिस्ट देखी, तो 11 और 19 हुए के और एस



"एंटाइयर पासवर्ड इस रूबीरॉक्स"... कहके भारत ने लॉगिन स्क्रीन पे देखा तो लास्ट अटेंप्ट की वॉर्निंग थी



"स्माल या कॅपिटल..." भारत ने खुद से कहा और फिर वापस अपना सर पकड़ के बैठ गया..



"ओके.. जीमेल में देअर ईज़ नो नेसेसिटी के एक कॅपिटल कॅरक्टर आंड ऑल नॉनसेन्स... सब स्माल में टाइप कर लेता हूँ... अगर हुआ तो ओके.. नही तो बॅक टू स्क्वेर.." कहके भारत ने पूरा पासवर्ड स्माल कॅरेक्टर्स में टाइप किया.. कुछ सेकेंड्स के बाद उसका लॉगिन सक्सेस्फुल हुआ..



"फ्यू... जीनियस.. यू रियली राक डार्लिंग" कहके भारत ने उसका मेलबॉक्स देखना चालू किया... इंबॉक्षल, सेंट, स्पॅम डेलीटेड, ट्राश, सोशियल, प्रमोशन्स.. जीमेल का हर टॅब चेक कर लिया लेकिन उसे कुछ काम का न्हीं दिखा..



"यूस्लेस..." कहके भारत ने फिर सिगर्रेट सुलगाई और खिड़की के पास खड़ा होके सोचने लगा
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: माया

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"अगर कोई मुझे अपना पासवर्ड देगा वो भी ऐसे कोड में, तो ज़रूर कुछ ना कुछ होना चाहिए.. आइ मीन, सम्तिंग इंपॉर्टेंट..." कहके भारत ने फिर अपना लॅपटॉप उठाया और उसका मैल देखने लगा.. हर टॅब, हर फोल्डर चेक करके भी उसे कुछ नहीं दिखा... उसने एक नज़र जब ड्रॅफ्ट्स के फोल्डर में मारी, वहाँ एक मैल अन्सेन्ट था.. ड्राफ्ट पे क्लिक किया भारत ने इस उम्मीद में कि काश वहाँ कुछ काम का हो. ड्राफ्ट पे क्लिक करते ही भारत की आँखें चमक गयी, क्यूँ कि वो ड्राफ्ट उसी की ईमेल अड्रेस पे भेजने के लिए टाइप किया गया था..



भारत ने धीरे धीरे वो ड्राफ्ट पढ़ना चालू किया...

रूबी का लिखा मैल पढ़ के भारत के हाथ पेर ठंडे हो गये थे.. उसकी कॅबिन में एसी 20 के टेंपरेचर पे थी, पर फिर भी उसके चेहरे पे बहता पसीना सॉफ बता रहा था कि रूबी के मैल में ज़रूर कुछ ख़तरनाक चीज़े लिखी थी..



"शालिनी.. यू हॅव रूबी'स नंबर" भारत ने शालिनी को पूछा



"रूबी.. क्यूँ अचानक, पहले बताओ.." शालिनी ने हंस के कहा



"शालिनी, मज़ाक नही कर रहा , है उसका नंबर.. घर आके सब बताता हूँ तुम्हे" भारत ने थोड़ी उँची आवाज़ में कहा



"चिल बाबा.. हां, आइ हॅव इट.. अभी भेजती हूँ ओके.." कहके शालिनी ने फोन कट किया और भारत को शालिनी का नंबर टेक्स्ट किया.. स्मस रिसीव करते ही, भारत ने अपने नंबर से रूबी को कॉल किया... पहले तो कॉल का कोई रेस्पॉन्स नहीं आया, पर दूसरी बार जब भारत ने कॉल किया, तो सामने से उसका कॉल कट हुआ..



"थॅंक गॉड.. शी ईज़ सेफ आइ गेस.. शायद किसी मीटिंग में हो..." कहके भारत ने चैन की साँस ली और फिर अपनी चेअर पे बैठ के उसके मैल के बारे में सोचने लगा.. भारत ने वो पेपर निकाला और 5 नाम लिख दिए पेपर पे



1). **********
2). *************
3). विक्रम कोहली
4). मेहुल
5). सिद्धार्थ



"विक्रम कोहली की लंका लगाई मैने यहाँ तक पहुँचने के लिए... अंडरस्टुड... मेहुल को अंदर करवाया था निधि की मदद से.. अंडरस्टुड... सिद्धार्ता की बहुत गांद मारी है मैने कॉलेज में, उसकी बहुत बेइज़्ज़ती भी की है.. अंडरस्टुड... लेकिन यह पहले दो नाम.. इन लोगों का आपस में क्या कनेक्षन है.. " भारत खुद से कहने लगा और फिर सीलिंग की ओर देखने लगा.. पूरा दिन एग्ज़ॉस्ट होके भारत घर जाने के लिए निकला, पर जाते जाते उसने अपने टेरिटरी मॅनेजर्स से उस दिन की सेल्स रिपोर्ट माँगी थी ताकि वो घर पे रिव्यू कर सके.. घर जाते जाते भी भारत का दिमाग़ काम नहीं कर रहा था.. अक्सर जल्दी गाड़ी चलाने वाला बंदा, आज 40 से उपर की स्पीड पे भी जा नहीं रहा था.. सोचते सोचते उसकी 30 मिनट की ड्राइव 60 मिनट में तब्दील हो गयी थी...



"हाई बेबी..." शालिनी ने भारत से कहा जब भारत घर के अंदर आया



"हेलो स्वीटी..." भारत ने अपना ब्लेज़र सोफा पे रख के कहा



"सिगर्रेट कम करो प्लीज़.. कितनी बार स्मोक किया आज, और कितनी कॉफी पी" शालिनी ने पानी की बॉटल पकड़ा के कहा



"डनो.. शायद 6 या 7 सिगर्रेट और ईक्वल कॉफी..." भारत ने जवाब दिया और वहीं ज़मीन पे ऐसे बैठ गया जैसे काफ़ी जन्मों का थका हुआ हो



"ऑल ओके हनी.. आइ मीन, स्ट्रेस्ड आउट लग रहे हो.." शालिनी ने भारत के पास बैठ के कहा



"नतिंग.. जस्ट हंग्री.." भारत ने झूठ कहा, क्यूँ कि आज की सब बातें वो अगर शालिनी को बताता तो शायद वो भी टेन्स्षन में आ जाती



"ओके डियर.. चलो यू फ्रेशन अप, आज तुम्हारा फेव खाना है.. बटर नॅन विद तड़का दाल आंड टॉस्ड रशियन सलाद.." कहके शालिनी ने उसका ब्लेज़र और लॅपटॉप लेके रूम में जाने लगी... भारत भी 5 मिनट बाद फ्रेश होने जा ही रहा था के तभी शालिनी ने कहा



"अछा सुनो, तुमने आज कितने कॉल्स मिस किए ज़रा बताओ" शालिनी ने उसका फोन दिखाते हुए कहा



"ऊप्स.. सॉरी यार, फोन साइलेंट पे था.. " कहके भारत ने शालिनी से फोन लिया और कॉल्स देखने लगा



"डोंट वरी 15 कॉल्स हैं मोम डॅड के नंबर से.. फाइनली मैने बात की , दे आर कमिंग बॅक टुमॉरो" शालिनी ने भारत से स्माइल करके कहा



"व्हाट... वो तो 5 दिन बाद आने वाले थे, आज सुबह ही बात की मैने.." भारत ने परेशान होके कहा



"ओके ना बाबा, इतने परेशान क्यूँ हो रहे हो. मैने भी पूछा, तो मोम साइड की डॅड कुछ ज़रूरी बात करना चाहते हैं तुम से.. सो जल्दी आ रहे हैं, आंड ओके ना, बाकी दो दिन थे उनकी टूर में.. युरोप और सदर्न हेमिस्फियर ओवर यार.. एशिया की एक कंट्री बाकी रही बस, वो कभी साथ जाएँगे.. आंड सिंगपुर से निकलेंगे आज... इनफॅक्ट अभी 15 मिनट पहले उनकी फ्लाइट ने टेक ऑफ भी कर लिया होगा शायद.." कहके शालिनी फिर अपने काम में लग गयी. खड़े खड़े भारत भी अचानक इसके बारे में सोचने लगा , पर फिर सब छोड़ के फ्रेश होने गया.... फ्रेश होके शालिनी और भारत साथ ही खाने बैठे और आपस में बातें करने लगे...
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Re: माया

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"सोना तो है नहीं... अभी 9 बजे हैं, शायद डॅड रात को 2 बजे लॅंड करें... सो तुम सो जाओ, यू नीड सम रेस्ट ओके.. मैं जाग ही रहा हूँ" भारत ने शालिनी को अपने हाथ से एक बाइट खिला के कहा



"उम्म्म.. ऐसे कैसे, आज वॉक पे चलते हैं... मरीन लाइन्स... फिर वहाँ से आके मैं सो जाउन्गी" शालिनी ने भारत से कहा..



"ओके चलो.. काफ़ी दिन से कुलफी भी नहीं खाई ना. लेट्स गो..." कहके भारत और शालिनी घर को लॉक करके गाड़ी में मरीन लाइन्स के पास गये और वहीं बने पत्थरो पे बैठे बैठे पानी में अपने पेर भिगोने लगे.. रात के 10 बजे की ठंडी हवा, काफ़ी कम भीड़ और समुंदर की लहरें पैरो के साथ खेलती हुई... शालिनी को यह सब एक सुकून सा लग रहा था.. शालिनी वहाँ अपना सर भारत के कंधे पे रख के बस हवा का मज़ा ले रही थी...



"यू नो भारत... शराब, सिगर्रेट, पार्टीस.. इन सब से ज़्यादा सुकून है इस चीज़ में.. यहाँ से गुज़रते हर आदमी को देखो, हर आदमी के चेहरे पे एक सुकून दिखता है.. चाहे उसके पास पैसा बिल्कुल ना हो, पर उसके पास सुकून बहुत है.. जानते हो क्यूँ" शालिनी ने भारत से पूछा



"क्यूँ.." भारत ने रात में चमकती शालिनी की आँखों को देख के कहा



"क्यूँ कि वो लोग ज़िंदगी जीते हैं... वो लोग पैसों के पीछे नहीं भागते.. वो लोग जानते हैं कफ़न में जेब नहीं होती... कभी कभी ऐसा लगता है हम फ्यूचर के बारे में इतना सोचते हैं, कि प्रेज़ेंट को भूल ही जाते हैं... दुनिया का एक सच है, जो है वो आज में ही है... आज तुम जेपीएम इंडिया के सेल्स हेड, डॅड की प्रॉपर्टी इतना पैसा.. यह सब किसी काम का नहीं है, अगर तुम्हारे साथ जुड़े हुए लोग, और तुम खुद खुलके जी नहीं पा रहे.. कॉलेज से मैं तुम्हे देख रही हूँ. तुम रोज़ अपने दिमाग़ को किसी ना किसी चीज़ के लिए चला रहे हो.. उसका फ़ायदा क्या है, कभी अपने दिमाग़ को आराम दो, और दिल से सोचो... दिमाग़ काम करना बंद कर देता है तो भी इंसान जीता है, लेकिन अगर दिल काम करना बंद कर देगा.. तो यह पैसा, यह ताक़त.. किसी काम के नहीं रहेंगे.... " शालिनी ने नाम आँखों से भारत को देखते हुए कहा



"शालिनी..." भारत ने बस इतना ही कहा के शालिनी ने फिर उसे टोक दिया



"चलो कुलफी खाते हैं.. एमोशनल बनोगे तो तुम मुझे अच्छे नहीं लगोगे फिर..." कहके शालिनी ने भारत को अपने हाथ से उठाया और दोनो कुलफी लेके समंदर के पास वॉक करने लगे.... रात के करीब 11 बजे शालिनी और भारत घर लौटे. भारत को एरपोर्ट जाना था, इसलिए शालिनी अकेली ही जाके सो गयी रूम में.. भारत लिविंग रूम में बैठ के ही सब कुछ सोचने लगा... पहली बार भारत लिविंग रूम में अंधेरे में बैठा हुआ था. इतना प्रॅक्टिकल आदमी, जो सब कुछ प्लान करके करता था, जिसे किसी का डर नहीं था... उसे अंधेरे से बहुत डर लगता था, पर वो आज अकेला लिविंग रूम में एक दम अंधेरे में बैठा हुआ था.. बैठे बैठे भारत शालिनी की बातों के बारे में सोचने लगा.. आख़िर शालिनी सही बोल रही थी, शायद भारत इतनी भाग दौड़ करके भी ज़िंदगी में आगे तो निकल गया था, लेकिन था वो अकेला. शालिनी उसके साथ थी क्यूँ की वो उसकी बीवी थी.. उसका कोई दोस्त, कोई रिश्तेदार उससे बात तक नहीं करता था.. सब के बारे में भारत सोचने लगा और कैसे उसने सब के साथ प्रॅक्टिकल बिहेव करके उनको खुद से दूर कर दिया था.. सोचते सोचते भारत एक बार फिर रूबी के मैल के बारे में सोचने लगा... कॉर्नर लाइट ऑन करके उसने फिर वो लिस्ट निकाली जिसमे उसने 5 नाम लिखे थे.. पहले दो नाम उसके दिल को बहुत खटक रहे थे... उसने काफ़ी ज़ोर लगाया, लेकिन उनके बीच क्या रिश्ता हो सकता है. यह सोच सोच के भारत पागल हुए जा रहा था... देखते देखते करीब डेढ़ बज गया था रात का.. घड़ी देख के भारत ने एक बार शालिनी को चेक किया और फिर घर को लॉक कर के खुद एरपोर्ट की तरफ निकल गया.. करीब 15 मिनट में एरपोर्ट पहुँचा, और वहाँ आधा घंटा और वेट करके उसे दूर से राकेश और सीमी आते हुए दिखे..



"हेलो ओल्डीस..." भारत ने राकेश और सीमी के पास जाके कहा



" फाइन सन... तुम ठीक नहीं लग रहे.. शालिनी ने बताया, तुम कॅफीन पे ही गुज़ारा कर रहे हो..." सीमी ने भारत से गले लग के कहा



"ऑफ कोर्स नोट मोम.. आंड डॅड, हाउ आर यू.." भारत ने राकेश से कहा



" भारत.... सीमी को गाड़ी दो... वी नीड टू टॉक.. लेट्स गो सम्वेर.." राकेश ने भारत से कहा और खुद आगे बढ़ गया



"मोम.. व्हाट ईज़ इट.. एनितिंग सीरीयस.." भारत ने चाबी देते हुए कहा



"यस सन... आज नो मज़ाक... आज काफ़ी चीज़ों से परदा उठने वाला है... आंड लेट मी टेल यू.. तुम जितना दिखाते हो, उतने स्ट्रॉंग नहीं हो दिल से... डॅड की बातें सुन के प्लीज़ कंट्रोल युवर एमोशन्स.. प्रॉमिस मी.." सीमी ने हाथ आगे करके भारत से वादा माँगा

भारत एरपोर्ट से राकेश के साथ आगे बढ़ गया, और दोनो बाप बेटे पैदल चल पड़े... जितनी देर दोनो पैदल चले, उतनी देर दोनो की ज़ुबान तो खामोश थी, लेकिन मन काफ़ी तेज़ दौड़ रहा था.. भारत यह सोच रहा था कि ऐसी क्या बात है जिसकी वजह से राकेश अपनी टूर आधी छोड़ के आया है, क्या बात हो सकती है जो राकेश ने उससे आज तक नहीं की हो...क्या वो बात इतनी ज़रूरी है के सीमी या शालिनी के आगे नहीं हो सकती.... राकेश अंदर ही अंदर यह सोच सोच के परेशान हो रहा था के वो बात शुरू कहाँ से करे... आज राकेश ने ठान लिया था कि जो भी बात है उसके मन में है वो भारत से कर के ही रहेगा.... रात के करीब 3 बजे, सांताक्रूज़ - बांद्रा रोड की खामोशी में दोनो बाप बेटे बिना कुछ सोचे, बस आगे चलते ही जा रहे थे....



"दाद... इट्स ऑलमोस्ट 3 एएम.... " भारत ने एक शॉपिंग माल के पास पहुँच के कहा



"यस सन... आइ नो....." कहके राकेश वहीं माल की एंट्रेन्स पे बने बेंच पे बैठ गया और अपने स्पेक्स निकाल के अपने सर के पसीने को पोछने लगा... राकेश के चेहरे की शिकन देख के भारत समझ गया कि बात सिर्फ़ ज़रूरी नहीं, बल्कि गंभीर भी है... इसलिए वो भी वहीं राकेश के पास बैठ गया... बेंच पे बैठे बैठे राकेश और भारत बस अपने सामने की दिशा में देखने लगे.... दोनो अपने दिल को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे थे, राकेश बात को बोलने के लिए और भारत उस बात को सुनने के लिए... हिम्मत जुटा के राकेश ने बोलना शुरू किया



"कर्मा...... माइ सन, कर्मा ईज़ दा बिग्गेस्ट बिच.... कहते हैं व्हाट गोज़ अराउंड, कम्ज़ अराउंड... ज़िंदगी में जैसे बीज बोएंगे, पेड़ फल भी वैसे ही देगा... जब मैं 15 साल का था, तो नासिक से यहाँ भाग के आया था... नासिक में मेरा जीवन एक कुएँ के मॅंडेक जैसा लगने लगा था.. एक दिन जब मौका मिला, तो नासिक से यहाँ एक ट्रांसपोर्ट के ट्रक में बैठ के आ गया.. मुंबई में मेरे कदम सबसे पहले वीटी स्टेशन पे पड़े.. वीटी स्टेशन देख के मैने खुद से वादा किया, अगर मैं यहाँ कामयाबी हासिल नहीं कर पाया तो और कहीं नहीं कर पाउन्गा.... मेरी पहली नौकरी डॉक्स पे थी.. डॉक्स पे मैं सुबह से शाम हमली करता, और शाम को डॉक्स के पास बने चाइ की कीटली पे सो जाता....... 3 साल मैने डॉक्स पे नौकरी की, रोज़ वही काम, रोज़ उतने पैसे... जब 18 साल का हुआ तो मुझे लगने लगा कि शायद मैं अभी भी वो नहीं कर रहा हूँ जिसके लिए मैं यहाँ आया हूँ... 20 डिसेंबर 1978... उस दिन की शाम मैं कभी नहीं भूल सकता.... रोज़ की तरह, उस दिन भी शाम को डॉक्स का सारा काम निपटा के मैं चाइ पीने बैठा ही था के तभी मेरे सामने राजू आया....



"क्या गुरु.. क्या कर रहे हो तुम..." राजू ने मुझसे पूछा



राजू का सवाल सुन पहले तो मैं डर गया, वो भी 18 का ही था, लेकिन मेरे सामने काफ़ी लंबा था , कान में बाली, घुंघराले बाल और मूह में बीड़ी.... मैने सोचा के मैं उसे अनदेखा कर दूं, लेकिन फिर हिम्मत करके मैने उसे जवाब दिया



"तुम से मतलब.. तुम अपना काम करो...."



"अबे सुरसुरी बॉम्ब.... तेवर किसको दिखा रहा है बे.. अपुन तो तेरे वास्ते एक काम लेला था समझा क्या.. ज़्यादा अकड़ के चलेगा तो ज़िंदगी भर हमाल का हमाल बनके ही रहेगा समझा.." कहके राजू वहाँ से जाने लगा.. जैसे ही मैने उसकी बात टटोल के समझी, मैं तुरंत उसके पीछे दौड़ के गया..



"आए आए. सुन... बता, क्या काम है..." मैने राजू से हान्फते हुए कहा



"अब आया ना लाइन पे श्याने... सुन, कल रात को 2 बजे इधर एक बोट आने वाली है, वो बोट में से 10 बॉक्सस निकाल के संभाल के रखने हैं.. फिर 3 बजे एक दूसरी बोट आएगी, वो बॉक्स उसमे रखने हैं.. कर पाएगा तू यह काम..." राजू ने मुझे उंगली दिखा के कहा



"इसमे क्या बड़ी बात है.. यह तो मैं रोज़ करता हूँ.." मैने बिना कुछ समझे जवाब दिया



"अबे पानी कम चाई.. कल जो बॉक्सस आने वाले हैं उसका समान रोज़ के जैसा नहीं है... गांजा और अफ़ीम के साथ गैर क़ानूनी रेडियो और ट्रॅनसिस्टर्स और दूसरा सामान भी रहेगा... अगर अपुन दोनो ने उस काम को निपटा दिया तो अपुन दोनो को दो दो हज़ार रुपये मिलेंगे समझा..." राजू ने पैसों की बात की.. दो हज़ार सुन के मेरे कानो में जैसे एक मधुर आवाज़ सी आने लगी... मेरे सामने था वो मौका जिसके लिए मैं नासिक से यहाँ आया था, लेकिन गैर क़ानूनी काम की वजह से मुझे डर लगने लगा.. कुछ देर मैं खामोश रहा, और फिर मन को मज़बूत करके मैने राजू से कहा



"दो हज़ार नहीं बादशाह... अपुन को तो तीन हज़ार चाहिए.... काम में जोखम भी इतना है.. " मैने राजू का सुर पकड़ के कहा
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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Re: माया

Post by jay »


"अबे ए.. दो दो हज़ार में छोकरे लोग लाइन लगा के खड़े हो जाएँगे.. चल फुट ले " राजू ने मुझे जाने के लिए कहा.. पलट के मैं जाने लगा, और अंदर ही अंदर खुद को कोसने लगा, कि मैने 2000 में ही बात मान ली होती तो क्या जाता.. खुद को गालियाँ देता मैने कुछ कदम आगे बढ़ाए ही थे कि पीछे से राजू बोला



"आए बादशाह.. चल तीन रख लेना.... कल 1 बजे मिलूँगा मैं तुझे इधर समझा...." राजू ने पीछे से आवाज़ दी और कहीं चला गया... वो बात सुन के जैसे मानो मैने कोई बढ़ी उपलब्धि हासिल कर ली हो.. तीन हज़ार रुपये आने का सोच कि मैं रात भर सो नहीं पाया.. सुबह काम करने की दिल भी नहीं हुई, पूरा दिन बस यही सोचता रहा के तीन हज़ार के लिए क्या काम कैसे करूँगा.. यह सब सोच सोच के शाम ढलने लगी और मैं वहीं चाइ की दुकान पे बैठा रहा...रात के करीब 10 बजे सोया ताकि 1 बजे राजू के आने से पहले उठ सकूँ... ठीक 1 बजे मैं उठा और कपड़े पहेन के मैं दुकान के बाहर आया तो राजू भी सामने से आ रहा था.... मैं धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ने लगा और उसके पास जाके खड़ा हो गया



"सही है गुरु.. पहले काम के लिए तैयार है ना.." राजू ने अपनी बीड़ी जलाते हुए कहा



"हां.... मैं तैयार हूँ...." मैने निडरता से कहा



"वाह, अच्छा सुन डरने का नहीं.. समझा" राजू ने भीड़ी के धुँए को आसमान में उड़ा के कहा



"अगर डरँगा, तो काम बुरा मान जाएगा.." मैने भी उसके हाथ से बीड़ी ली और उसका कश लेने लगा



"वाह बेटे, सही है... चल अब आजा देखते हैं.." कहके राजू और मैं दोनो डॉक्स में गये और आने वाली बोट का इंतेज़ार करने लगे..



ठीक 2 बजे हमे दूर से बोट आती दिखी.. राजू और मैं वहीं खड़े खड़े उसका इंतेज़ार करने लगे.. जैसे जैसे बोट नज़दीक आती, मेरे दिल की धड़कन तेज़ होती जाती... लेकिन तीन हज़ार रुपये, बार बार मुझे अपने कदम पीछे हटाने से रोक रहे थे.... जैसे ही बोट किनारे पे आई, पहले राजू उसके नज़दीक गया और अंदर बैठे आदमी से कुछ हाथ में लेके देखा और फिर अंगूठा दिखा दिया उसे.. फिर उससे हमारे पैसे लेके मुझे समान उठाने का इशारा किया... हम जल्दी से अपने अपने बॉक्सस उठा के किनारे पे रखने लगे... जैसे ही हम ने आखरी बॉक्स किनारे पे रखा, हमे फिर से एक बोट आती दिखी, लेकिन वो पोलीस की थी...



"अबे, यह कहाँ से आ गये.. आज से पहले तो कभी नहीं आए, अब हम कहाँ रखेंगे इसको.." राजू ने अपने बाल खींच के समान की तरफ इशारा करके कहा



"डर नहीं रखने का बादशाह, इसी के लिए अपुन ने तुझसे 3000 माँगे थे..." मैने वहीं खड़े रहके पोलीस की बोट की तरफ इशारा किया और उन्हे अपने पास बुलाने लगा.. जैसे ही पोलीस की बोट हमारे पास आई, उसमे से एक इनस्पेक्टर और दो हवलदार बाहर आए..



"सुलेमान साब.. वादे के मुताबिक यह रहे आपके 2000 रुपये...." मैने राजू से पैसे लिए और उसमे से 2000 निकाल के उनके हाथ में थमा दिए



"हम तीन हैं.. तो 2 हज़ार कैसे बाटेंगे हम.." इनस्पेक्टर सुलेमान ने कहा



"ठीक है साब... दूसरी बार जब माल आएगा , तब आपका यह कर्ज़ा भी उतार देंगे..." मैने 2000 उसके हाथ में पकड़ाए और उसे चलता किया



"अबे, यह क्या.. कैसे, मतलब..." राजू हकलाने लगा



"कहने से कोई बादशाह नहीं बन जाता गुरु... मैं जब काम हाथ में लेता हूँ तभी उसके बारे में पूरी तरह सोच लेता हूँ... यह बॉमबे पोलीस की नयी मुहिम है, बोट में स्मगलिंग का समान रोकने की.... सामने दुकान पे यह सब बातें चलती रहती है.. कल तेरे से मिलने के बाद जब मैं उधर गया तो यह इनस्पेक्टर वहीं बैठा अपने साथियों से बात कर रहा था... लेकिन पैसे पैसे पे लिखा है खर्च करने वाले का नाम... मैने तुझसे 1000 ज़्यादा माँगा, और देना इसको पड़ा.. " मैने राजू की जेब से बीड़ी निकाल के सुलगाई



"और वो तेरी बात मान गया.." राजू ने असचर्या में आके पूछा

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