पंजाबी मालकिन और नौकर
मित्रो मुझे नही पता ये कहानी किसने लिखी है मैं तो सिर्फ़ मनोरंजन के लिए यहाँ आरएसएस पर पोस्ट कर रहा हूँ
यह कहानी एक नौकर की ज़ुबानी है.
मेरा नाम धर्मा है. मेरी उमर 18 साल है. बचपन से मेरे माँ बाप का कोई अता-पता नहीं, इसलिए मैं सड़कों फूटपाथ पर ही पला - बड़ा हुआ. कभी अख़बार बेचकर रोटी खाता तो कभी गाड़ियाँ सॉफ कर के. एक साल पहले मैं एक एजेन्सी में आ गया जो लोगों को सर्वेंट्स दिलाती थी. मैं शक्ल से भोला भाला दिखता हूँ और बोलता भी बहुत कम हूँ, ज़्यादातर चुप ही रहता हूँ.
मैं-ने कुछ दिन एजेन्सी में ही पीयान का काम किया. उन्होने मुझे खाना बनाना और झाड़ू पोछा लगाना भी सिखाया जिस-से कि मैं एक सम्पूर्न नौकर बन पाऊ.
2 महीने पहले की बात है जब मैं एक घर में नौकर लगा. वह पंजाबी थे, मालिक सरदार और मालकिन पंजाबन थी. मालिक का नाम जसपाल सिंग और मालकिन का ज़स्प्रीत.
मालिक की उमर लगभग 40 और मालकिन की 33 है. उनकी एक बेटी है जो फॉरिन में पढ़ रही है. मालिक किसी कंपनी का मॅनेजर है और अक्सर टूर पे रहता है.
मालकिन एक टिपिकल पंजाबन हैं. बात पंजाबी में ही करती हैं. हाइट 5.8’’, जैसे कि टिपिकल पन्जाबनो की होती है, थोड़ी मोटी, पेट बहुत हल्का सा बाहर निकल रहा है, चूतड़ बड़े और भरे भर हैं, मम्मे (ब्रेस्ट) भी बड़े और भरे भरे हैं, कमर होगी लगभग 35 इंच, रंग काफ़ी गोरा, होंठ नॉर्मल से थोड़े बड़े जो कि लाल लिपीसटिक में शराब की बोतल लगते हैं. कहने का मतलब हैं कि मालकिन का शरीर आम औरतों से ज़्यादा बड़ा है, इतनी मोटी नहीं हैं, बस शरीर का साइज़ बड़ा है.
मेरी हाइट 5.6" है, रंग काफ़ी सावला है, मालिकिन के रंग के आयेज तो मेरा रंग काला ही कहलाया जाएगा. मेरी शक्ल भोली है, सिर के बाल बहुत कम करवा रखे हैं, एक तरह से मैं गंजा ही हूँ, इसलिए बच्चा लगता हूँ. लेकिन मेरी थोड़ी थोड़ी मसल्स भी हैं. मुझे ज़्यादा पंजाबी भाषा नहीं आती थी लेकिन मालकिन की पंजाबी सुनते सुनते अब मैं भी थोड़ी कच्ची पक्की पंजाबी बोलने लगा हूँ. मालकिन तो हमेशा पंजाबी बोलती हैं.
मैं रात को किचन में सोता हूँ. घर वालों को मुझ पर भरोसा है.
रोज़ सुबेह उठ कर मैं सबसे पहले मालिक-मालकिन के लिए बेड-टी बनाता हूँ.
यह उन दिनो की बात है जब मालिक टूर पे गये हुए थे. सुबह हुई तो मैं-ने मालकिन के लिए बेड-टी बनाई और उनके कमरे में गया.
मालकिन को मैं आवाज़ दे कर उठाता था, कमरे में जाकर मैं बोला
मैं : बीजी, चाह (टी) रखी ए..
मालकिन : लेह आया चा, धरम की टाइम होया ए ?
बीजी दी आँखें बंद सी
मैं : बीजी 7 वजेह ए..
बीजी दिन बिच (में) ते सलवार कमीज़ पान्दी (पेहेन्ती) एह्न ते रात नू सोन्दी/सोती भी सलवार कमीज़ इच ही ए.पर रात वाला सलवार कमीज़ बहुत पतले कपड़े का होता है इसलिए थोड़ा सा ट्रॅन्स्परेंट है जिस में से उनकी काली ब्रा कुछ कुछ दिखाई देती है. दिन बिच बीजी सलवार कमीज़ दे नाल दुपट्टा या चुन्नि नहीं पहन्दि. ऊना दे सलवार कमीज़ बड़े रंग बिरंगे होंदे ए. वैसे मेरा दिमाग़ उनके शरीर पर कभी नहीं गया था लेकिन एक सुबेह....
मैं चाय लेके बीजी के कमरे में गया तो मैं-ने देखा कि बीजी पेट के बल सो रही थी और उनकी कमीज़ उनके चूतड़ से भी ऊपर उनकी कमर तक चढ़ि हुई थी. उनकी सलवार उनके चूतडो के बीच में घुसी हुई थी. यह देख कर मुझे अपनी शू शू में पहली बार कुछ फील हुआ. उनकी सलवार भी थोड़ी ट्रॅन्स्परेंट थी इसलिए हल्का हल्का ऊना दा अंडरवेर भी दिख रहा सी. में पहली वार ऊना दे चूतडो दा आक्चुयल साइज़ देख रहा सी. ऊना दे चूतड़ ज़्यादा मोटे ते नहीं पर बड़े काफ़ी सी. मेरा दिल किया कि मैं ऊना दी सलवार ऊना दी चूतड़ दे बीच में से निकाल दूं.... लेकिन..क्या करूँ.. ऐसा कर नहीं सकता था..मैं ऊना दी चूतडो विच फॅसी हुई सलवार विच ईना खो गया कि मैं-नू पता ही नहीं चला कब बीजी थोड़ा मूडी और बोलीं
बीजी : धरम, किथे खोया हुआ ए, चा रखेगा वी या इसी तरह खड़ा रहेगा
बीजी दी आवाज़ में थोड़ा गुस्सा था..मेरी नज़र बीजी दे चूतडो ते सी..बीजी ने अपनी सलवार नू देखा तो पाया कि वो चूतडो से ऊपर चढ़ि हुई सी.... ते उनके नौकर की नज़र उनके चूतडो के बीच फसि हुई सलवार पर थी..
बीजी ने फॉरन एक हाथ से अपनी हिप्स में फसि हुई सलवार को पकड़ कर बाहर किया और ऊपर चढ़ि हुई कमीज़ नीचे करी..उनका अपनी सलवार को अपनी हिप्स में से निकालना मुझे बहुत अच्छा लगा
बीजी : धरम, मैं केया चा रख दे
मैं : जी बीजी....आज तुस्सी थोड़ी देर नाल उठे हो
बीजी : नहीं, मैं ते सही टाइम ते उठ गयी....तू ही चा लेके किन्ही ख़यालों विच खोया सी..
मैं : नहीं बीजी..मैं सोच रेया सी त्वानु नींद ता जागावां कि नहीं
बीजी : ज़्यादा गलां ना बना...चा रख दे और जा
बीजी को पता चल गया था कि मेरा ध्यान कहाँ था...इसलिए उन्हे थोडा गुस्सा आया..लेकिन इसमें मेरा क्या कसूर था..जो सामने होगा वही तो दिखेगा.... ........तब से मेरी आँखों के सामने बस बीजी के चूतड़ और चूतडो में फसि सलवार की ही फोटो आती रही..
बीजी नहा धोकर आई..आज उन्होने काले रंग का सलवार कमीज़ पहना था...उनके गोरे बदन पे काला रंग ग़ज़्ज़्ज़ज़ब लग रहा था...वो सलवार कमीज़ उन्होने पहली बार पहना था..
अपना नाश्ता बीजी खुद बनाती थी..लंच और डिन्नर मैं बनाता था..जितनी देर वो नाश्ता बनाती उतनी देर मैं घर की सफाई में लगा होता था....
पंजाबी मालकिन और नौकर complete
- Rohit Kapoor
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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Re: पंजाबी मालकिन और नौकर
करीब दोपहर के 1 बजे थे...कपड़े धोने के बाद मैं किचेन मे लंच के लिए सब्जी बना रहा था......तब बीजी किचेन मे आई.....
बीजी : धर्मा, की बना रेया है आज
मैं : बीजी तुस्सी दस्सो, वैसे मैं ते दम आलू बनाने दी सोच रेया आं
बीजी : हां, दम आलू ही ठीक है
मैं : बीजी, तुस्सी कही बाहर जा रहे हो?
बीजी : नही ते...क्यो ?
मैं : त्वाड्डे कपडो नू देख के लगा कि तुस्सी बाहर जा रहे हो
बीजी : कपडो नू......ओह..ए सूट मैं पहली वार पाया ए....नया सिलवाया ए
मैं : बीजी, एक गाल दस्सा
बीजी : की ?
मैं : तुस्सी इस सूट विच बहुत सुंदर लग रहे हो..........ए काला रंग त्वानु बहुत सूट कर रहा है
बीजी : अच्छा, ते तू ए ही देख दा रेन्दा ए की
मैं किस सूट विच कैसी लग रही आँ
मैं : नही ऐसी गल नही ए....
बीजी : काला सूट मैं पहली वार सिलवाया ए.....
मैं : बीजी इस सूट दी चुन्नी किस रंग दी ए...
बीजी : सफेद रंग दी..
मैं : सफेद.....मैंनु नही लगदा कि सफेद चुन्नि इस काले सूट नाल मैंच करे..
बीजी : मैं वी पहन के नही देखी.......हून आंदी आ बीजी अपने कमरे से चुन्नी लेने
गयी......वापस किचेन मे आई तो उन्होने चुन्नी पहनी हुई थी
बीजी : ले देख......कैसी लगदी ए ?
मैं : नही बीजी....मैंनु ते अच्छी नही लगी........इस से तो आप बिना चुन्नी के ही अच्छे
लगते हो...
बीजी : सच दस....अगर मैं ए चुननी पा के अपनी सहेली दे घर जावां ते वो मेरा मज़ाक ते नही करेंगी ?
मैं : मेरे ख़याल ते करेंगी....
बीजी : ते तू दस....केडि रंग दी चुन्नी पावां इस सूट नाल ?
मैं : पर त्वानु चुन्नी पहनने की लोड (ज़रूरत) की ए...
बीजी : ते की मैं घर दे बाहर बगैर चुन्नी दे जावां...
मैं : आ हो...ते क्या हुआ
बीजी : तू पागल ए...शरीफ घराँ दी औरते घर दे बाहर चुन्नी पहन कर के ही निकल्दि ए
मैं : पर किस वास्ते....
बीजी : किस वास्ते!..........ताकि लोग उन्हानू बुरी नज़ारा नाल ना देखे
मैं : की गल कर दे हो बीजी...........चुन्नी दे बगैर लोग बुरी नज़र नाल क्यो देखांगे ?
बीजी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी जो वो छुपाने की कोशिश कर रही थी
बीजी : धर्मा, की बना रेया है आज
मैं : बीजी तुस्सी दस्सो, वैसे मैं ते दम आलू बनाने दी सोच रेया आं
बीजी : हां, दम आलू ही ठीक है
मैं : बीजी, तुस्सी कही बाहर जा रहे हो?
बीजी : नही ते...क्यो ?
मैं : त्वाड्डे कपडो नू देख के लगा कि तुस्सी बाहर जा रहे हो
बीजी : कपडो नू......ओह..ए सूट मैं पहली वार पाया ए....नया सिलवाया ए
मैं : बीजी, एक गाल दस्सा
बीजी : की ?
मैं : तुस्सी इस सूट विच बहुत सुंदर लग रहे हो..........ए काला रंग त्वानु बहुत सूट कर रहा है
बीजी : अच्छा, ते तू ए ही देख दा रेन्दा ए की
मैं किस सूट विच कैसी लग रही आँ
मैं : नही ऐसी गल नही ए....
बीजी : काला सूट मैं पहली वार सिलवाया ए.....
मैं : बीजी इस सूट दी चुन्नी किस रंग दी ए...
बीजी : सफेद रंग दी..
मैं : सफेद.....मैंनु नही लगदा कि सफेद चुन्नि इस काले सूट नाल मैंच करे..
बीजी : मैं वी पहन के नही देखी.......हून आंदी आ बीजी अपने कमरे से चुन्नी लेने
गयी......वापस किचेन मे आई तो उन्होने चुन्नी पहनी हुई थी
बीजी : ले देख......कैसी लगदी ए ?
मैं : नही बीजी....मैंनु ते अच्छी नही लगी........इस से तो आप बिना चुन्नी के ही अच्छे
लगते हो...
बीजी : सच दस....अगर मैं ए चुननी पा के अपनी सहेली दे घर जावां ते वो मेरा मज़ाक ते नही करेंगी ?
मैं : मेरे ख़याल ते करेंगी....
बीजी : ते तू दस....केडि रंग दी चुन्नी पावां इस सूट नाल ?
मैं : पर त्वानु चुन्नी पहनने की लोड (ज़रूरत) की ए...
बीजी : ते की मैं घर दे बाहर बगैर चुन्नी दे जावां...
मैं : आ हो...ते क्या हुआ
बीजी : तू पागल ए...शरीफ घराँ दी औरते घर दे बाहर चुन्नी पहन कर के ही निकल्दि ए
मैं : पर किस वास्ते....
बीजी : किस वास्ते!..........ताकि लोग उन्हानू बुरी नज़ारा नाल ना देखे
मैं : की गल कर दे हो बीजी...........चुन्नी दे बगैर लोग बुरी नज़र नाल क्यो देखांगे ?
बीजी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी जो वो छुपाने की कोशिश कर रही थी
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Re: पंजाबी मालकिन और नौकर
बीजी : धर्मा...तू 18 साल दा हो गया ए तेनू ए वी नही पता...
मैं : मैंनु कौन दस्सेगा बीजी...
बीजी : तेनू दिख नही रहा कि अगर मैं ने चुन्नी नही पहनी ते.......किस तरह दस्सा तेनू..?
मैं : अच्छा बीजी, चुन्नी दा काम की है..
बीजी : चुन्नी ढक्कन वास्ते की जाँदी ए...
मैं : ढक्कन वास्ते...की ढक्कन वास्ते....छोटी सी चुननी आख़िर की ढक सकदि ए..?..बीजी तुस्सी
वी ते ए सफेद चुन्नी पा रखी ए.....की ढक दी पयी ए ये?...मैंनु ते लगदा नही कुछ वी धक दी पयी ओ...
बीजी : ते ले हुन मैं चुन्नी उतार दी आं..
बीजी ने चुन्नी उतार दी
बीजी : ले..हुन दस..ए चुननी पहले कुछ धक दी नही पयी सी
मैं : ओह....बीजी...मैं समझ गया....ए औरता दे उन्हां नू धक दी ए...
बीजी : आ हो...ए औरता दे उन्हां नू धक दी ए
मैं : मैं ता कड़ी औरता दे ढक्कन वाली चीज़ ते गौर ही नही कित्ता......हुन मैं मार्केट जाते
हुए इस चीज़ ते गौर करांगा....
बीजी ने चुन्नी उतार दी थी
बीजी : चीज़.....किस चीज़ ते गौर करेगा ?
मैं : ए ही कि किस औरत ने ढकि हुई ए और किसने नही......
बीजी : तू ज़रूर मार खाएगा....
मैं : पर बीजी....औरता नू ओह ढक्कन दी लोड की ए.....मरद ते नही ढक दे
बीजी : जो औरतो दा होन्दा ए ओ मरदो दा नही होन्दा...
मैं : ओह ते ठीक ए....पर मरद औरता दे उन पे बुरी नज़र क्यो डालेंगे ?
बीजी थोड़ा सा मुस्कुराते हुए बोली
बीजी : शायद मारदा नू ओ चीज़ अच्छी लगदी ए..
मैं : ए लो...ए विच अच्छा लगन दी की गल ए...
बीजी : ए मैंनु की पता.............तू ए दस कि कौन से रंग दी चुन्नी इस सूट नाल मैंच करेगी...
मैं : बीजी मेरे ख़याल नाल ते काले रंग दी चुन्नी ही इस नाल मैंच करेगी.....
बीजी : ह्म्म.....शायद तू ठीक केंदा ए....काली चुन्नी ते मेरे पास है वी...
मैं : मैंनु कौन दस्सेगा बीजी...
बीजी : तेनू दिख नही रहा कि अगर मैं ने चुन्नी नही पहनी ते.......किस तरह दस्सा तेनू..?
मैं : अच्छा बीजी, चुन्नी दा काम की है..
बीजी : चुन्नी ढक्कन वास्ते की जाँदी ए...
मैं : ढक्कन वास्ते...की ढक्कन वास्ते....छोटी सी चुननी आख़िर की ढक सकदि ए..?..बीजी तुस्सी
वी ते ए सफेद चुन्नी पा रखी ए.....की ढक दी पयी ए ये?...मैंनु ते लगदा नही कुछ वी धक दी पयी ओ...
बीजी : ते ले हुन मैं चुन्नी उतार दी आं..
बीजी ने चुन्नी उतार दी
बीजी : ले..हुन दस..ए चुननी पहले कुछ धक दी नही पयी सी
मैं : ओह....बीजी...मैं समझ गया....ए औरता दे उन्हां नू धक दी ए...
बीजी : आ हो...ए औरता दे उन्हां नू धक दी ए
मैं : मैं ता कड़ी औरता दे ढक्कन वाली चीज़ ते गौर ही नही कित्ता......हुन मैं मार्केट जाते
हुए इस चीज़ ते गौर करांगा....
बीजी ने चुन्नी उतार दी थी
बीजी : चीज़.....किस चीज़ ते गौर करेगा ?
मैं : ए ही कि किस औरत ने ढकि हुई ए और किसने नही......
बीजी : तू ज़रूर मार खाएगा....
मैं : पर बीजी....औरता नू ओह ढक्कन दी लोड की ए.....मरद ते नही ढक दे
बीजी : जो औरतो दा होन्दा ए ओ मरदो दा नही होन्दा...
मैं : ओह ते ठीक ए....पर मरद औरता दे उन पे बुरी नज़र क्यो डालेंगे ?
बीजी थोड़ा सा मुस्कुराते हुए बोली
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बीजी : ह्म्म.....शायद तू ठीक केंदा ए....काली चुन्नी ते मेरे पास है वी...
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Re: पंजाबी मालकिन और नौकर
रोहित भाई कॉंग्रेचुलेशन नई कहानी के लिए
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