मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन complete
- rajaarkey
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
मैने अपनी सांसो को रोक लिया….और नजीबा के रियेक्शन का इंतजार करने लगा…लेकिन नजीबा की तरफ से कोई रियेक्शन नही हुआ…मुझे अपने लंड का टोपा बहुत ही गरम भट्टी मे धंसता हुआ महसूस हो रहा था…मैं सॉफ तोर पर महसूस कर पा रहा था कि, नजीबा भी मुझसे चिपकती जा रही है…मेरा लंड पाजामे को फाड़ कर बाहर आने वाला हो गया था….”नजीबा….?” मैने खामोशी तोड़ते हुए कहा…
.”जी….” नजीबा की आवाज़ मे सरोगशी सॉफ महसूस हो रही थी…”
अब कैसा फील कर रही हो…” मैने उसके पैट को सहलाते हुए कहा….तो उसका जिस्म फिर से काँप गया….
नजीबा: जी पहले से बेहतर है….
मैं: अच्छा ठीक है ….मैं तुम्हारे लिए चाइ बना लाता हूँ….फिर तुम्हे और अच्छा लगेगा….(मैं अभी उठने ही वाला था कि, नजीबा ने मेरा वो हाथ पकड़ लिया जो मैने उसके पेट पर रखा हुआ था….)
नजीबा: मुझे चाइ नही चाहिए….
मैं: तो फिर क्या चाहिए…(मैं मन ही मन सोच रहा था कि, काश नजीबा कह दे कि मुझे सिर्फ़ आप चाहिए….)
नजीबा: कुछ नही मैं अब ठीक हूँ….(लेकिन नजीबा ने मेरे हाथ को कस्के पकड़ लिया था….जैसे कहना चाहती हो कि, मेरे साथ ऐसे ही लेटे रहो….)
मे: अच्छा ठीक है तो फिर मे चलता हूँ….
नजीबा: (जब मैने जाने का कहा तो, उसने मेरा हाथ और ज़ोर से पकड़ लिया….) रुक जाओ प्लीज़….थोड़ी देर और….
नजीबा की आवाज़ मे वासना की खुमारी छाई हुई थी….मैं भी वहाँ से जाना नही चाहता था….इसलिए मैने भी अपनी कमर को नीचे से पुश किया तो, मेरा लंड उसकी सलवार के ऊपेर से उसकी गान्ड के मोरी पर जा लगा…उसका पूरा बदन मस्ती मे काँप गया…”सीईईई उसके मूह से हलकी से सिसकारी भी निकल गयी….” तभी बाहर डोर बेल बजी…हम दोनो हड़बड़ा गये…मैं जल्दी से उठा और टाइम देखा तो 7 बज रहे थे….
”दूध ले लो शाह जी….” बाहर से हमारे दूध वाले की आवाज़ आई…तो मुझे ख़याल आया कि दूध वाला है…मैं किचन मे गया…और वहाँ से बर्तन उठा कर बाहर आकर गेट खोला….दूध वाले ने दूध बर्तन मे डाला और चला गया….मैने गेट बंद किया और दूध के बर्तन को किचन मे रख कर फिर से नजीबा के रूम मे चला गया… जब मैं वहाँ पहुचा तो नजीबा ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी अपने बालो मे कंघी कर रही थी……
जैसे ही उसने मेरा अक्श आयने मे देखा तो, उसने शरमा कर नज़रें झुका ली…”अब कैसी हो….?” मैने डोर पर खड़े-2 पूछा…
.”जी अब बेहतर हूँ..”
मैं: दूध किचन मे रख दिया है…मैं दुकान से ब्रेड और अंडे ले आता हूँ…
मैने बाहर का गेट खोला और दुकान की तरफ चला गया….आज तो लग रहा था कि, सर्दी पूरे जोरो पर है…गली मे इतनी धुन्ध छाई हुई थी कि, सामने कुछ भी नज़र नही आ रहा था….
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- xyz
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
hot kahani raj bhai ji
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(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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- jay
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
bhai ekdum mast kahaani hai
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- rajaarkey
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
xyz wrote:hot kahani raj bhai ji
jay wrote:bhai ekdum mast kahaani hai
शुक्रिया दोस्तो
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
गली मे धुन्ध छाई हुई थी…..जिसके कारण थोड़ी दूर तक ही नज़र आ रहा था… मे अभी दुकान से कुछ दूर था…और जैसे ही मे सुमेरा चाची के घर के सामने से गुज़रा तो, ठीक उसी वक़्त सुमेरा चाची हाथ मे बाल्टी लिए बाहर आए…. सुमेरा चाची भैंस का दूध निकालने जा रही थी….उनके घर के ठीक सामने ही उनका एक छोटा सा प्लॉट था…जिसके चारो तरफ बड़ी-2 बौंड्री थी…और सामने एक लकड़ी का दरवाजा था….जैसे ही सुमेरा चाची की नज़र मुझ पर पड़ी….तो वो मुस्कुराते हुए बोली….”सवेरे सवेरे किधर दी सैर हो रही है….?” (सुबह सुबह कहाँ घूमने जा रहे हो….) मैं उसके पास रुक गया….”वो दुकान से ब्रेड और अंडे लेने जा रहा था…”
सुमेरा चाची ने गेट बंद किया और गाली मे इधर उधर नज़र मारी….सर्दी की वजह से कोई दिखाई नही दे रहा था…अगर गली मे कोई होता भी तो, धुन्ध के कारण हमे देख नही पाता…सुमेरा चाची मेरे पास आई और धीरे से बोली…”हवेली मे चल….” लेकिन मैने सॉफ मना कर दिया…कह दिया कि, नजीबा घर पर अकेली है… मे दुकान पर गया….वहाँ से दूध और अंडे खरीदे और घर के तरफ चल पड़ा….जब मे घर के पास पहुँचा तो, मैने देखा कि हमारे घर के बाहर एक मोटर साइकल खड़ी है…फिर जब और पास पहुचा तो मोटर साइकल देख कर पता चला कि, ये बाइक तो नजीबा के मामा की है…
मैने गेट को धकेला तो, गेट खुल गया….सामने बरामदे मे नजीबा के मामा और मामी जी बैठे हुए थे….मैं अंदर गया तो नजीबा किचन से बाहर आ गयी.. मैने उसको ब्रेड और अंडे पकड़ाए…..और फिर नजीबा के मामा मामी के पैर छुए…दुआ सलाम के बाद मे उनके पास ही बैठ गया…नजीबा चाइ बना कर ले आई…”आप इतनी सुबह-2 सब ख़ैरियत तो है ना….?” मैने नजीबा के मामा से पूछा….
”हां सब ठीक है…हम नजीबा को लेने आए थे….इसकी मामी ने आज सहर मे शॉपिंग के लिए जाना है…ये कह रही थी कि, नजीबा को साथ लेकर जाउन्गि.. कि नजीबा की चाय्स बहुत अच्छी है….
मैं: ओह्ह अच्छा….ज़रूर ले जाए….
मैने नजीबा की ओर देखते हुए कहा….उसके आँखे मानो मुझे थॅंक्स बोल रही थी… कि मैने ख़ुसी-2 उसे उसके मामा मामी के साथ जाने के लिए हां कह दी…
मामी: चल बेटा तैयार हो जा फटाफट…
नजीबा: मामी से बस 15 मिनट बैठिए….मे नाश्ता बना लाउ…फिर चलते है….
उसके बाद नजीबा नाश्ता बनाने लगी….मे उसके मामा मामी से इधर उधर के बातें करने लगा….नजीबा ने नाश्ता बनाया और मुझसे पूछा…मैने कहा कि, मैं बाद मे खा लूँगा..तुम जाकर तैयार हो जाओ….नजीबा तैयार होने चली गयी,…..मुझे ख़याल आया कि, नजीबा भी जा रही है…और मे घर पर अकेला हो जाउन्गा…क्यों ना सुमेरा चाची या रीदा को अपने घर पर अकेले होने के बारे मे बता दूं…आज घर बुला कर दोनो मे से किसी एक की अच्छी तरह फुद्दि मारूँगा….अब मैं मन ही मन दुआ कर रहा था की, नजीबा के मामा मामी नजीबा को जल्दी से लेकर घर से चले जाए…
करीब 15 मिनट बाद नजीबा तैयार होकर बाहर आई…..उसने महरूण कलर का सलवार कमीज़ पहन रखा था…आज तो वो गजब ढा रही थी….उसके मामा मामी उसे साथ लेकर चले गये….उनके जाने के बाद मे घर से निकला और गेट को ताला लगा कर सुमेरा चाची के घर की तरफ चल पड़ा…लेकिन शायद आज मेरी किस्मत ही खराब थी…सुमेरा चाची रीदा और फ़ारूक़ चाचा तीनो घर के बाहर खड़ी टॅक्सी मे बैठ रहे थे…शायद वो भी कही जा रहे थे….इसलिए मैं पीछे से ही मूड आया…घर पहुचा गेट का ताला खोल अंदर गया…और नाश्ता प्लेट मे डाल कर खाने लगा…नाश्ते के बाद मैने बर्तन किचन मे रखे…और अपने रूम मे आकर टीवी ऑन किया और बेड पर रज़ाई ओढ़ कर बैठ गया….
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