मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन complete

Post Reply
NISHANT
Novice User
Posts: 206
Joined: 07 Jan 2016 16:22

Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by NISHANT »

BAHUT HI SEXY UPDATE HAI
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by rajaarkey »

NISHANT wrote:BAHUT HI SEXY UPDATE HAI
Dolly sharma wrote:Really hot threesome

shukriya dosto
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by rajaarkey »


96

और नज़ीबा ने खुद अपने दोनो पैरो को बारी-2 ऊपेर उठाया और मैने उसकी शलवार और पैंटी को निकाल कर साइड मे रख दिया… जैसे ही मैने नज़ीबा को पूरी नंगी किया…वो फिर से नाज़िया की टाँगो के दरम्यान ठीक वैसे ही अंदाज़ मे बैठ गयी… जैसे मैं नाज़िया को चोदते हुए उसकी टाँगो के दरम्यान घुटनो के बल बैठता था….मैने फिरसे नज़ीबा के मम्मों को पीछे से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया….और उसके कानो के पास अपने होंटो को लेजा कर सरगोशी से भरी आवाज़ मे कहा.. “नज़ीबा मैं देखना चाहता हूँ कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो…इसलिए जब तक मैं अपने कपड़े उतारता हूँ….तब तक तुम मुझे नाज़िया से प्यार करके दिखाओ… कि तुम्हारे लिए मेरी हर बात की क्या अहमियत है…”

मैने तोड़ा सा पीछे होकर अपनी कमीज़ के बटन के खोलने शुरू किए… नज़ीबा ने एक बार फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा…और फिर वो नाज़िया के ऊपेर झुक गयी… मैं जब तक कमीज़ उतार रहा था…. तब तक नज़ीबा ने नाज़िया के ऊपेर झुक कर अपने अपने होन्ट नाज़िया के होंठो पर रख दिए थे….पहले तो सिर्फ़ नज़ीबा ही किस कर रही थी….पर जैसे ही मैने नज़ीबा की टाँगो के नीचे से एक हाथ निकाल कर नाज़िया की फुद्दि के अंदर अपने दो उंगलियों को डाल कर अंदर बाहर करना शुरू किया…फिर दोनो ने ऐसे जोश से ऐक दूसरे को किस की कि मैं वो नज़ारा देख कर पागल होने लगा.

मैं पास बैठ कर दोनो को देख रहा था... बिलाख़िर नाज़िया ने भी नज़ीबा का साथ देते हुए, अपने बाज़ुओं को नीचे लेटे लेटे नज़ीबा की गर्दन के गिर्द डाला और उसने नज़ीबा को अपने जिस्म के साथ लगा लिया….नज़ीबा की पूरी फ्रंट साइड नाज़िया के फ्रंट साइड से टच हो रही थी…पर नाज़िया ने अपनी फुद्दि के ऊपेर टिकाया रखा हुआ था….जिसकी वजह से नज़ीबा की फुद्दि नाज़िया की फुद्दि के साथ टच नही हो रही थी..कुछ देर बाद नज़ीबा ने नाज़िया के होंटो को छोड़ा और नाज़िया के एक मम्मे को मुँह मे डाल लिया...

और पूरे जोशो ख़रोश के साथ नाज़िया के मम्मे को चूसना शुरू कर दिया… नज़ीबा ने मेरी तरफ़ देखते हुए नाज़िया के दूसरे मम्मे को पकड़ कर दबाते हुए मुझे इशारा किया… तब तक मैं अपने सारे कपड़े उतार चुका था… नाज़िया की आँखे मस्ती में एक बार फिर से बंद हो चुकी थी….मैने फॉरन नाज़िया के ऊपेर झुक कर उस के दूसरे मम्मे को चूसना शुरू कर दिया...नाज़िया ने फिर से अपने हाथ हम दोनो क सिर पर रख दिए...फिर हाथों से सिर को दबा कर अपनी चेस्ट ऊपेर उठाने लगी. ..

नाज़िया बुरी तरह तड़प ने लगी...उस की हालत बिगड़ने लगी….और ऐसा होता भी क्यों ना उस के दोनो मम्मो को हमने मुँह मे जो डाला था उस का तो रोम रोम मज़े मे डूबा था…कुछ देर बाद नज़ीबा ने नाज़िया के मम्मे को मुँह से बाहर निकाला…और नाज़िया के जिस्म के हर हिस्से को चूमते हुए पेट की तरफ़ का सफ़र शुरू कर दिया.... नज़ीबा ने पेट पर नाफ़ के चारों तरफ़ ज़ुबान घुमा कर दोनो हाथों से नाज़िया की फुद्दि के ऊपेर रखे हुए तकिये को हटा कर साइड में कर दिया….जैसे ही तकिया हटा…मैने फॉरन नाज़िया की फुद्दि पर हाथ रख कर उसकी फुद्दि को रब करना शुरू कर दिया….

नाज़िया का जिस्म एक बार फिर से काँपने लगा…नज़ीबा एक बार फिर से नाज़िया के फेस के ऊपेर झुक गयी…नाज़िया ने अपनी आँखे खोल कर हवस से भरी नज़रों से नज़ीबा की तरफ देखा और इस बार नाज़िया ने फॉरन सिर उठा कर नज़ीबा के होंठों से होन्ट लगा दिए और पागलों की तरह किस करने लगी...नाज़िया ने हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे ऊपेर खींचा फिर मेरा मुँह भी नज़ीबा के होंठो से लगा दिया और हम तीनो ने अपने होन्ट ऐक दूसरे के होन्ट से जोड़ दिए...

कभी नाज़िया नज़ीबा के होंठ चूमती कभी मैं कभी हम तीनो के होंठ ऐक साथ जुड़ जाते...किस करते हुए नज़ीबा फॉरन नाज़िया के ऊपेर आइ. ..और नाज़िया के मम्मों को चूसने लगी...मैने नाज़िया के होंठो को सक करना शुरू कर दिया...नज़ीबा ने फिर आहिस्ता आहिस्ता पेट की तरफ़ जाना शुरू कर दिया. .. नज़ीबा फॉरन नाज़िया के ऊपर आइ और उस के मम्मे दबाने लगी...फिर नज़ीबा भी मेरे साथ नाज़िया के होंटो का रस पीने लगी...

नाज़िया ने आहिस्ता आहिस्ता अपनी टांगे खोल दी...नज़ीबा की फुद्दि नाज़िया की फुद्दि के साथ टच हुई …फिर जो नज़ीबा ने किया वो मंज़र देख कर तो मैं भी बे काबू होने लगा…दो दिन पहले मैने नज़ीबा को एक थ्रीसम वीडियो दिखा कर उसके जेहन में ये भर दिया था….ऐसा करने मैं बहुत मज़ा आएगा….और आज मुझे यकीन नही हो रहा था…कि दो दिन पहले जो नज़ीबा ने देख कर मुझसे वादा किया था…कि वो मुझे हर वो ख़ुसी देगी…जिसकी ख्वाहिश मेरे दिल में है….वो आज नज़ीबा सच में पूरी कर रही थी…नज़ीबा ने अपनी बुन्द को दबा कर नाज़िया की फुद्दि से फुद्दि रगड़नी शुरू कर दी...

नज़ीबा अपनी लचकीली कमर को ऐसी धीरे-2 हिला हिला कर नाज़िया की फुद्दि से फुद्दि को बड़ी महारत से रगड़ रही थी....जैसे उसकी कमर में कोई स्प्रिंग लगा हो…मैं ये सब देख कर और जोश में आ गया...दोनो को इस तरह देख कर मेरा तो बुरा हॉल होने लगा...मैने नाज़िया के होंटो से अपने होंटो को अलग किया…और उन दोनो के पीछे जाकर दोनो की टाँगो के दरम्यान बैठ गया…..फिर जो मंज़र मेरी आँखो के सामने आया… उसे देख कर मेरा लंड फूटने को आ गया…नाज़िया और नज़ीबा दोनो की फुद्दियो के लिप्स उनकी फुद्दि से निकल रहे लेसदार पानी से सारॉबार हो चुकी थी…दोनो की फुद्दिया एक दूसरे के साथ रगड़ खाती हुई फिसल रही थे…और दोनो की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूँज रही थी….

मैने आगे बढ़ कर नज़ीबा की कमर को दोनो तरफ से पकड़ा और उसे नाज़िया के ऊपेर से नीचे उतारने लगा….तो नज़ीबा ने अपनी कमर हिलाना बंद कर दिया…. और पीछे फेस घुमा कर मेरी तरफ हवस और सेक्स म्न डूबी हुई आँखो से देखा और खुद ही नाज़िया के ऊपेर से उतर कर साइड पर बैठ गयी….नाज़िया का भी वही हाल था… उसकी आँखो में हवस के लाल डोरे तैर रहे थी… मैने आगे होते हुए नाज़िया की टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठाया….और अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के पास लेजा कर नज़ीबा की तरफ देखा…तो नज़ीबा फॉरन ही मेरा मकसद समझ गयी….

और फिर जैसे ही नज़ीबा ने आगे झुक कर अपने हाथों से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स को खोला तो, नाज़िया एक दम से सिसक उठी…..”सीईईईई ओह्ह्ह्ह कुछ तो शरम कर लो….”

नज़ीबा अपने साँसे थामे नाज़िया की फुद्दि को देख रही थी… नाज़िया की फुद्दि के लिप्स खुला देख कर मैने अपने लंड के कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर टिका दिया… जैसे ही नाज़िया को अपनी फुद्दि के सूराख कर मेरे लंड के गरम दहकते हुए कॅप का अहसास हुआ, नाज़िया ने अपने दोनो हाथों से अपने मम्मों कस्के पकड़ लिया…मैने अपनी कमर को पूरी ताक़त से आगे की तरफ पुश किया…..

लंड फुद्दि के लिप्स को फेलाता हुआ अंदर घुस गया… नाज़िया के मुँह से घुटि हुई अहह निकल गइई… मैने आगे झुक कर नाज़िया के हाथों को उसके मम्मों से हटा दया और नाज़िया के थाइस को पकड़ कर धना धन शॉट लगाने लगा… और अपने एक हाथ को नीचे लेजा कर नाज़िया की कमर के पास बैठी नज़ीबा की फुद्दि में अपनी दो उंगलियों को डाल कर उंगली को अंदर बाहर करने लगा….जैसे ही मैने नज़ीबा की फुद्दि में अपनी उंगलियों को डाल कर अंदर बाहर करना शुरू किया…. नज़ीबा एक दम से सिसक उठी…..सीईईईईईईईई अहह अम्मी……” नज़ीबा के सिसकते ही मैने एक ज़ोर का झटका मारा…..तो लंड ठप की आवाज़ के साथ नाज़िया की फुद्दि में जड तक घुस गया..

नज़ीबा अपनी अध खुली नशीली आँखो से मेरे लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर होता देख कर सिसक रही थी….मैने नाज़िया की फुद्दि में अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए, नज़ीबा को आगे करके नाज़िया के ऊपेर झुका दिया….और नज़ीबा की एक टाँग उठा कर नाज़िया के ऊपेर से दूसरी तरफ रख दी… अब नज़ीबा नाज़िया के ऊपेर डॉगी स्टाइल मे आ गयी थी…. नीचे नाज़िया लेटी हुई थी नज़ीबा उसके ऊपेर दोनो तरफ पैर करके घुटनो के बल झुकी हुई थी….

नाज़िया: सीईइ हइईए समीर अहह माँ मुझे कुछ हो रहा है…..

मैने बिना कुछ बोले नाज़िया की फुद्दि से लंड निकाला और थोड़ा सा ऊपेर होकर नज़ीबा की फुद्दि पर अपने लंड के कॅप को नज़ीबा की फुद्दि के सूराख पर रगड़ने लगा… नाज़िया ने अपनी आँखें बंद की हुई थी…. उसे ये तो पता था कि नज़ीबा अब उसके ऊपेर है.. पर उसे पता नही था कि मैं अब क्या कर रहा हूँ…. नज़ीबा ने भी अपने फुद्दि पर मेरे लंड के कॅप की रगड़ को महसूस करते ही गरम अपनी बुन्द को पीछे की तरफ पुश करना शुरू कर दिया….

नज़ीबा; अहह ईए क्या कर रहे हूओ ओह आईसीए तो ना तड़पाओ…प्लीज़ फक मी… (नज़ीबा ने लगभग चिल्लाते हुए कहा…)

नज़ीबा को लंड के लिए इस क़दर तड़पता देख कर मैने भी जोश में आते हुए, एक ही झटके में नज़ीबा की फुद्दि में अपना पूरा का पूरा लंड घुसा दया… और नज़ीबा की कमर पकड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करके फुल स्पीड से चोदना शुरू कर दिया… नाज़िया ने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोला और देखा नज़ीबा उसपर झुकी हुई थी… उसके 34 साइज़ के मम्मे आगे पीछे उसके चहरे के ऊपेर 1 इंच की दूरी पर हिल रहे थे….. नीचे मेरी थाइस नज़ीबा की बुन्द पर चोट कर रही थी…

नाज़िया अपनी बेटी को ऐसी हालत में देख कर गरम होने लगी…. उसने अपनी जिंदगी में सोचा भी नही होगा कि, वो ऐसे भी अपनी बेटी को इतने करीब से चुदवाते हुए देखे गी….मैने अपने दोनो हाथों को नज़ीबा के कंधों पर रख कर नज़ीबा को नाज़िया के ऊपेर झुकाना शुरू कर दिया…. नज़ीबा अपनी फुद्दि को अपनी रानो को खोल कर चुदवा रही थी…. नज़ीबा के मम्मे अब जब हिलते तो, नाज़िया के मम्मों पर रगड़ खाने लगते…. नज़ीबा के तने हुए निपल्स नाज़िया के निपल्स पर बार-2 रगड़ खा रहे थे… कुछ ही पलों में नज़ीबा के मम्मे…. नाज़िया के बड़े-2 मम्मों के ऊपेर दब गये….

नाज़िया बिना कुछ बोले अपनी आँखें बंद किए लेटी रही… मैने अपनी पूरी ताक़त से नज़ीबा की फुद्दि में लंड को अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा… नज़ीबा अहह ओह सीईईईईईईईईईईई करने लगी….. मैने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर नाज़िया की फुद्दि के दाने (क्लिट ) को अपनी उंगलियों से दबाना चालू कर दिया नाज़िया के जिस्म में मानो जैसे करेंट दौड़ गया हो….

नाज़िया:ओाहह उंह सीईईई हइईए मैं हाई मेरी फुद्दि….

अब नाज़िया भी पूरी गरम हो चुकी थी…. उसने भी मदहोश होकर नज़ीबा को अपनी बाहों में भर लिया….. मैने नज़ीबा की फुद्दि से लंड निकाला…. तो नज़ीबा की फुद्दि के पानी की कुछ बूंदे नाज़िया की फुद्दि के ऊपेर गिरी…. मैने नीचे होकर अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि पर टिका दिया और उसकी टाँगों को घुटनो से पकड़ कर अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दिया लंड नाज़िया की फुद्दि के अंदर चला गया….. \

मैं: ओह्ह्ह मेरी दोनो बीवियों को कैसा लग रहा है….

नाज़िया: ओह्ह्ह मैं आपको बता नही सकती…..कैसा लग रहा है…सीईईई अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह समीईर करो और जोर्र्र से करो…..मुझे रोज ऐसे ही प्यार किया करो…. आज तो चाहे मेरी फुद्दि सूजा ही दो…. मैने आज के बाद आपको कभी मना नही करना है…

मैं: क्यों नज़ीबा सुना तुम्हारी सौतन क्या कह रही है….

मैने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए, नज़ीबा की फुद्दि में अपनी उंगलियों को घुआ कर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….. “हाआँ…..अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सुना……सीईईईईई अहह हाईए…” नज़ीबा का जवाब सुन कर मैने और ज़ोर से नाज़िया की फुद्दि मे घस्से लगाने शुरू कर दिए….

मैं: तुम्हे कोई एतराज तो नही….अगर मैं तुम्हारे साथ साथ नाज़िया की भी रोज लिया करूँ….

नज़ीबा: अहह नहियीईईईई बाज़ी और मैं आपको हमेशा खुश रखेंगे….बोलो ना बाजी आप समीर को खुश रखने में मेरा साथ दोगी ना…..

नाज़िया: हान्णन्न् मेरी जान….आप दोनो तो मेरी जान हो….आप दोनो के लिए कुछ भी…

मैने धना धन शॉट लगा कर नाज़िया की फुद्दि को चोदे जा रहा था….नाज़िया मस्ती से भर चुकी थी…. नज़ीबा भी अपनी नाज़िया के साथ चिपकी हुई थी …. दोनो की साँसें एक दम तेज चल रही थी… मैने नज़ीबा के कंधों को पकड़ कर सीधा किया और उसके कान में बोला…

मैं: नाज़िया के मम्मों को चूसो….

और नज़ीबा फिर से नाज़िया पर झुक गयी और नाज़िया के मम्मे को मुँह मे ले लिया नाज़िया की फुद्दि का ज्वाला मुखी अब फटने को तैयार था….नाज़िया ने भी अपनी कमर को हिलाते हुए अपनी बूँद को ऊपेर की तरफ उठाना शुरू कर दिया… रूम मे थप-2 की आवाज़ पूरे रूम में गूंजने लगी और नाज़िया का जिस्म झटके खाने लगा और उसकी फुद्दि ने पानी छोड़ दिया…. फिर नाज़िया का जिस्म एक दम से ढीला पड़ गया…. मैने नाज़िया की फुद्दि से लंड निकाल कर नज़ीबा की फुद्दि के सूराख पर सेट किया और नज़ीबा की बूंद को पकड़ कर पीछे की ओर खींचने लगा लंड फुद्दि की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर घुस गया…..

और फिर मैं नज़ीबा की बुन्द को पकड़ कर आगे पीछे करने लगा और कुछ देर बाद मैने नज़ीबा की बुन्द से अपने हाथ हटा लिया… नज़ीबा ने आगे की तरफ झुक कर पीछे अपनी बुन्द को ऊपेर उठा लिया… जिससे उसकी फुद्दि ऊपेर की तरफ हो गयी और वो अपनी बुन्द पीछे धकेल धकेल कर मेरे लंड को अपनी फुद्दि मे लेने लगी…

मैं: और तेज करो….. मेरी जान…..

नज़ीबा ने भी पूरे जोश में आकर अपनी बुन्द को पीछे की तरफ धकेलना चालू कर दिया….मेरा लंड अब और तेज़ी से नज़ीबा की फुद्दि के अंदर बाहर होने लगा…

नज़ीबा;अहह ओह सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैईईईईईन्न्नननननननणणन् ओह

और नज़ीबा की फुद्दि ने भी पानी उगलना चालू कर दिया और वो नाज़िया के मम्मों पर गिर पड़ी….मैने नज़ीबा की कमर को अपने हाथों से पकड़ लिया और तबडतोड़ धक्के लगाने चालू कर दिए…. फिर जैसे ही मुझे अहसास हुआ कि, मैं भी फारिघ् होने वाला हूँ….. मैने नज़ीबा की फुद्दि से लंड को बाहर निकाल लिया और अपने लंड को हाथ से दो तीन बार ही हिलाया था कि, लंड से पानी की पिचकारियाँ निकलने लगी और सीधा नज़ीबा की फुद्दि के ऊपेर जाकर गिरने लगी… एक के बाद एक मेरे लंड से चार बार रुक रुक कर पिचकरी छूटी और नज़ीबा की फुद्दि को भीगो दिया….

नज़ीबा की फुद्दि से मेरा लेसदार पानी बह कर नाज़िया की फुद्दि पर गिरने लगा…. दोनो की फुद्दियाँ मेरे लंड से निकले काम रस से भीग चुकी थी…. दोनो को अपनी फुद्दि पर गरम लेसदार पानी का अहसास हो रहा था…और उस मज़े के अहसास को महसूस करके दोनो का जिस्म रह रह कर झटके खा रहा था…. मैं थक कर पीछे की तरफ लेट गया.. फिर हम तीनो बारी-2 जाकर बाथरूम में फ्रेश हुए और फिर से बेड पर आ गये…. उस रात हम तीनो मैं से कोई भी नही सोया…नाज़िया और नज़ीबा की शरमो हया में कोई कमी नही आई थी….

इसलिए वो सेक्स के दौरान झिझक रही थी…और दोस्तो यही झिझक मुझे वो लुफ्त देती थी… जिसके बारे मे मैं कभी सपनो में सोचता था….जिसके बारे मे मैने खुली आँखो से नज़ाने कितनी बार सपने देख लिए थे…आज मेरी खुली आँखो के वो सपने पूरे हो चुके थे….

एंड.

समाप्त
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by rajaarkey »

दोस्तो ये सफ़र यहाँ ख़तम हो चुका है आप सब को ये कहानी कैसी लगी अपनी फीडबेक ज़रूर देना दोस्तो कुछ दिनों में फिर चलेंगे एक और नये सफ़र पर
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply