दोस्तो यहाँ से अब कुछ शॉर्ट मे लिखता हूँ….ताकि अब आप लोगो को जल्द से जल्द समीर नाज़िया और नज़ीबा के लास्ट अपडेट्स की तरफ ले चलु….दोस्तो उसके तीन महीने बाद जब नज़ीबा के एग्ज़ॅम हुए, उसके बाद मैने नज़ीबा से निकाह कर लिया….और आख़िर कार वो वक़्त भी आ गया…..जिसका मुझे बड़ी शिदत से इंतजार था….उस रात जैसे मैं नज़ीबा के रूम मे दाखिल होने लगा तो, देखा नज़ीबा ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी हुई थी…..और नाज़िया उसके पास खड़ी उससे बात कर रही थी….
नाज़िया: नज़ीबा…..(नज़ीबा ने फेस घुमा कर नाज़िया की तरफ देखा…)
नज़ीबा: जी अम्मी….
नाज़िया: बहुत प्यारी लग रही हो तुम….ऐसे बार-2 आयने में अपने आप को ना देखो… कही खुद की ही नज़र ना लग जाए तुम्हे….
नज़ीबा: अम्मी आप भी बहुत प्यारी लग रही है…
नाज़िया ने आगे बढ़ कर नज़ीबा को अपनी बाहों मे भर लिया…और उसके माथे को चूमते हुए बोली….”किसी की नज़र ना लगे मेरी बेटी की खुशियों को….”
नज़ीबा: अम्मी एक बात पूछूँ….
नाज़िया: हाँ पूछो….
नज़ीबा: मुझे तो याद ही नही रहा….आज रात मैं समीर को क्या गिफ्ट दूं..
नाज़िया: ये तो मुझे भी याद नही रहा…चलो कोई बात नही….उसे इतना प्यारा गिफ्ट तो मिल ही गया है… नाज़िया ने नज़ीबा के गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा….तो नज़ीबा एक दम से शर्मा गयी….
”अम्मी एक बात पूछूँ….” नज़ीबा ने खड़े होकर नाज़िया की तरफ फेस करते हुए कहा…
.”हां बोलो…” नाज़िया ने उसको कंधो से पकड़ कर बेड के पास लेजा ते हुए कहा..और फिर बेड पर बिठा दिया….
“अम्मी आप अभी भी समीर से प्यार करती है ना….?”
नज़ीबा की बात सुन कर नाज़िया एक दम सीरीयस हो गयी,….”पता नही बेटा… पर मुझे बहुत ख़ुसी है कि तुम्हे तुम्हारा समीर मिल गया….और मेरा यकीन करो.. तुम्हारी अम्मी तुम्हारी खुशियों के रास्ते के बीच मे कभी भी नही आएगी…”
मैं: सॉरी अम्मी मेरा मतलब वो नही था…मैं दरअसल कहना…..
नाज़िया: कोई बात नही….(नाज़िया नज़ीबा को बीच में टोकते हुए बोली….)
नज़ीबा: अम्मी आज तक मैने आप से जो भी माँगा….वो आपने मुझे दिया है… आप ने आज तक मेरी सारी ख्वाहिशें पूरी की है….क्या आज आप मेरी आख़िरी ख्वाहिश पूरी करोगी…..
नाज़िया: तुम बोलो तो सही…मेरी प्यारी सी बेटी के लिए मेरी जान भी हाज़िर है….और आगे से ऐसा कभी मत कहना…ये तुम्हारी आख़िरी ख्वाहिश है….जो तुम्हारी अम्मी पूरी कर सकती है….मैं तो तुम्हारी हर खुशी और हर ख्वाहिश पूरी करने के लिए अपनी जान भी दे दूँगी….बोलो क्या चाहिए तुम्हे….
नज़ीबा: सच अम्मी…..
नाज़िया: हां सच तुम कह कर तो देखो…तुम्हे नही पता आज मैं कितनी खुश हूँ….
नज़ीबा: अम्मी मैं वो….
नाज़िया: हां-2 बोलो रुक क्यों गयी…..
नज़ीबा: वो मैं आज समीर को गिफ्ट मैं आपको देना चाहती हूँ….
नाज़िया नज़ीबा की बात सुन कर एक दम शॉक्ड हो गयी….”क्या ये क्या कह रही हो….?” नाज़िया ने हैरत से भरी आँखो से नज़ीबा की तरफ देखते हुए कहा…
.”अम्मी मुझे पता है आप समीर से बहुत प्यार करती हो….और समीर आपसे….प्लीज़ अम्मी इनकार ना करना….”
नाज़िया: ये तुम क्या कह रहे हो…..तुम्हे पता भी है आज तुम्हारी सुहागरात है…
नज़ीबा: मुझे पता है अम्मी….प्लीज़….मेरी खातिर….समीर की खातिर…..
नाज़िया: बेटा तुम्हे पता भी है आज इस रात की अहमियत क्या होती है….एक हज़्बेंड वाइफ की लाइफ में….
नज़ीबा: मुझे पता है….
नाज़िया: तुम पागल हो गयी हो…..
नज़ीबा: अम्मी आपने वादा किया है मुझसे….
नाज़िया: पागल मत बनो…समीर क्या सोचेगा मेरे बारे मे…..
नाज़िया बेड से उठ कर जैसे ही बाहर आने लगी तो, मुझे रूम के डोर पर खड़ा देख कर एक दम से चोंक गयी….और अगले ही पल उसकी नज़रें शरम के मारे झुक गयी… और सर झुका कर जैसे ही वो रूम से बाहर जाने लगी…मैं रूम का डोर बंद करके डोर और नाज़िया के रास्ते बीच में खड़ा हो गया….
.”समीर मुझे बाहर जाने दो…..” नाज़िया ने मुझसे नज़रें मिलाए बिना ही कहा….
.मैने डोर को अंदर से लॉक किया…और फिर जैसे ही नाज़िया की तरफ मुड़ा तो, नाज़िया अभी भी सर झुकाए खड़ी थी…और उसके पीछे नज़ीबा भी बेड के पास खड़ी सर झुकाए तिरछी नज़रों से हमारी तरफ देख रही थी….
नाज़िया: समीर मुझे बाहर जाना है…मुझे जाने दो…..
मैने आगे बढ़ कर नाज़िया को उसके दोनो कंधो से पकड़ा और उसे अपनी तरफ पुश किया….जैसे ही वो मेरी करीब आई तो, नाज़िया एक दम से पीछे की ओर हटने की कॉसिश करते हुए बोली…..”आह समीर ये क्या कर रहे हो…..?” नाज़िया के गाल एक दम सूर्ख हो चुके थे
…”कोई बीवी अपने शोहर से ऐसी बात करती है क्या….?” मैने नाज़िया के होंटो पर उंगली रख कर उसे चुप करते हुए कहा…”बोलो अपने शोहर को नाम से पुकारते है….?”
नाज़िया ने मेरी बात सुन कर चोंक कर मेरी तरफ देखा…और फिर नज़रें झुका कर बोली…”बाहर बहुत काम पड़ा है….मुझे जाने दो…….”
मैं: काम तो कल भी हो सकता है….अब तुमने बाहर जाने की बात की तो, तुम जाओ ना जाओ….मैने यहाँ से बाहर चले जाना है….अगर यहाँ से कोई बाहर जाएगा तो, मैं….
नाज़िया: ये कैसी ज़िद है….
मैं: ज़िद्द तो तुम कर रही हो…..अपने शोहर से ज़ुबान लड़ा कर….
मैने नाज़िया को अपने बाज़ुओं में लेकर उसके कमर पर कसते हुए कहा….तो नाज़िया मुझसे एक दम चिपक गयी…उसकी पूरी फ्रंट साइड मेरी फ्रंट साइड से टच हो रही थी.. “आज की रात तो, हर बीवी अपने शोहर का पूरा ख़याल रखती है….वो शोहर जिससे प्यार तो, दूर शादी से पहले वो उनको जानती तक नही होती…और एक तुम हो… जिसे उसकी पसंद का शोहर भी मिला तो भी नखरे कर रहे हो….”
नाज़िया: वो नज़ीबा……
मैं: नज़ीबा कोन सी पराई है….
मैने अपने हाथो को नाज़िया की कमर से नीचे करते हुए, जैसे ही उसकी शलवार के ऊपेर से उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स को पकड़ कर दबाया….नाज़िया एक दम तड़प उठी.. “ओह खुदा के लिए मुझे मेरी बेटी के सामने ऐसे शर्मिंदा तो ना करो…. आह मैं उसका सामना कैसी करूँगी…”
मैने नाज़िया की बुन्द के दोनो पार्ट्स को दबाते हुए उसे पीछे की तरफ पुश करते हुए बेड के पास ले गया….और उसे बेड पर लेटा कर खुद भी बेड पर चढ़ गया…अब नाज़िया बेड पर पीठ के बल लेटी हुई थी…उसने शरम के मारे अपनी आँखो को बंद किया हुआ था…और मैं उसकी तरफ फेस करके करवट के बल लेटा हुआ था…नाज़िया का एक बाज़ू मेरे कंधे के नीचे था…और उसके दूसरे हाथ को मैने अपने एक हाथ से पकड़ा हुआ था…नज़ीबा सर झुकाए बेड के पास खड़ी थी…”इधर आओ…” मैने नज़ीबा की तरफ देखते हुए कहा….तो नज़ीबा बेड पर आ गयी…मैने उसे नाज़िया के पास दूसरी तरफ लेटने का इशारा किया…तो नज़ीबा भी नाज़िया की तरफ फेस करके करवट के बल लेट गयी….
नज़ीबा को अपने पास लेटता हुआ महसूस करके नाज़िया ने अपनी आँखे खोल कर नज़ीबा की तरफ देखा….और फिर मेरी तरफ देखने लगी…नाज़िया का एक बाजू मेरे कंधे के नीचे था….और उसके दूसरे हाथ को मैने उसी हाथ से पकड़ रखा था…और दूसरे हाथ को उसके पेट पर फेर रहा था….मैने नाज़िया के पेट पर हाथ फेरते हुए, धीरे-2 अपने होंटो को जैसे ही नाज़िया के होंटो की तरफ बढ़ाना शुरू किया तो, नाज़िया ने अपना फेस घुमा कर नज़ीबा की तरफ कर लिया….”माँ मुझे बहुत शरम आ रही है….प्लीज़ ऐसे तो ना करें….” नाज़िया की नज़रें जब नज़ीबा की नज़रों से टकराई तो, नाज़िया ने अपनी आँखो को बंद कर लिया…
जिस हाथ से मैं नाज़िया के पेट को सहला रहा था…उसी हाथ से मैने नाज़िया के फेस को अपनी तरफ घुमाया….और नाज़िया के होंटो को अपने होंटो में लेकर चूसना शुरू कर दिया…पर नाज़िया रेस्पॉंड नही कर रही थी…उसने अपने होंटो को ज़बरदस्ती बंद कर रखा था….मैने नाज़िया के होंटो से अपने होंटो को अलग किया…और उसके फेस की ओर देखते हुए बोला…”मेरी बड़ी बीवी को तो किस भी नही करना आता….चलो नज़ीबा इसे दिखाओ कि किस कैसे करते है….” मैने नाज़िया के फेस से हाथ हटा कर नज़ीबा की चिन को नीचे से पकड़ा और उसे अपनी तरफ पुश किया तो, नज़ीबा कठपुतली की तरह आगे आ गये,….
अब सूरते हाल ये था कि, मेरा और नज़ीबा दोनो का फेस नाज़िया के फेस के ऊपेर चन्द इंचो के फाँसले पर था….और नाज़िया का फेस हम दोनो की तरफ ऊपेर था…पर उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी….जैसे ही मैने नज़ीबा के होंटो को अपने होंटो मे लेकर सक करना शुरू किया तो, नज़ीबा ने मेरा साथ देते हुए अपने होंटो को खोल लिया… मैं पूरे जोशो ख़रोश के साथ नज़ीबा के रसीले होंटो को चूस रहा था…थोड़ी देर नज़ीबा के होंटो को सक करने के बाद मैने नज़ीबा के होंटो से अपने होंटो को अलग किया और सरगोशी से भरी आवाज़ में बोला…”अपनी ज़ुबान मेरे मुँह मे डालो… मुझे तुम्हारी ज़ुबान चुसनी है…” मैने नाज़िया की तरफ देखा उसकी आँखे अभी भी बंद थी….पर उसका फेस एक दम रेड हो चुका था….
जैसे ही मैने दोबारा नज़ीबा के होंटो को अपने होंटो मे लेकर चूसना शुरू किया तो, नज़ीबा ने अपने होंटो को चुस्वाते हुए, अपनी ज़ुबान को मेरे होंटो के दरमियान कर दिया….मैने भी जोश में आकर नज़ीबा की ज़ुबान को सक करना शुरू कर दिया… नज़ीबा मेरा भरपूर साथ दे रही थी…..नज़ीबा की ज़ुबान सक करते हुए हम दोनो के मुँह से सुपुड-2 की आवाज़ आ रही थी…मैने एकदम से नज़ीबा के होंटो से अपने होंटो अलग किया….और नाज़िया की तरफ देखा तो नाज़िया हैरत और शरम से भरी नज़रों से हमारी तरफ देख रही थी….
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जैसे ही नज़ीबा ने नाज़िया की तरफ देखा तो, नाज़िया ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली….”सीईइ नाज़िया नज़ीबा की ज़ुबान बहुत मीठी है….तुम्हारी सौतन ने तो अपने होंटो और ज़ुबान के जाम पिला कर अपने मुझे खुश कर दिया है….तुम मुझे खुश नही करोगी…” मैने नाज़िया के कान के पास अपने होंटो को लेजा कर सरगोशी में कहा तो, और फिर नाज़िया के कान को अपने होंटो में लेकर जैसे ही चूसा…नाज़िया एक दम से तड़प उठी….मैने हाथ से नाज़िया के फेस को अपनी तरफ घुमा कर उसके होंटो को अपने होंटो में लेकर सक करना शुरू कर दिया…..
पर नाज़िया ने फिर से कोई रेस्पॉन्स नही दिया….मुझे पता था कि, नाज़िया अभी भी शरमा रही है….आख़िर उसकी बेटी साथ मे थी….जो शरम हया उसमे थी….उसे दूर करने में मुझे पता नही कितना वक़्त लगने वाला था….इसीलिए मैने नाज़िया के होंटो को छोड़ आगे बढ़ने की सोची….मैने नाज़िया के फेस से हटा कर नाज़िया के पेट पर उसकी नाफ़ के पास रखा….और उसके कमीज़ को पकड़ कर धीरे-2 ऊपर करना शुरू कर दिया…जैसे ही नाज़िया को इस बात का अहसास हुआ तो, नाज़िया ने हिलना शुरू कर दिया.. क्योंकि नाज़िया का कोई भी हाथ फ्री नही था….जिससे वो मुझे रोक पाती….”अह्ह्ह्ह समीररर ये क्या कर रहे हो….क्यों मुझे शर्मिंदा कर रहे हो….प्लीज़ समीर छोड़ दो मुझे… ऐसे तो ना करो…”
मैं: बड़ी बदजुबान हो तुम…….कैसी बेबाकी से अपने शोहर का नाम ले रही हो…. मुझे लगता है तुम्हारी जिंदगी में मेरी कोई अहमियत है ही नही….
मेरी बात सुन कर नाज़िया ने अपनी आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा…और रुआंसी सी आवाज़ मे बोली….”सॉरी पर ऐसे तो ना करिए….”
मैने नाज़िया की तरफ देखते हुए उसकी कमीज़ को ऊपेर करना शुरू कर दिया…नाज़िया ने भी मान लिया था कि, अब वो कुछ नही कर सकती…नाज़िया ने हथियार डालते हुए फिर से अपनी आँखे बंद कर ली…. मैने नाज़िया की कमीज़ को उसके गले तक ऊपेर उठा दिया….जैसे ही नाज़िया की कमीज़ उसके गाले तक ऊपेर हुई, मैने नाज़िया की ब्रा को एक हाथ से नीचे से पकड़ कर नज़ीबा की तरफ देखते हुए नज़ीबा को दूसरी मम्मे के नीचे से ब्रा पकड़ने का इशारा किया तो, नज़ीबा ने शरामते हुए नज़रें झुका ली…
.”तुमने सुना नही मैने क्या कहा…” मैने थोड़ा गुस्से में कहा तो, नज़ीबा ने दूसरी साइड से नाज़िया के ब्रा को पकड़ लिया….
“ऊपेर उठाओ….” और फिर मैने नज़ीबा ने एक हाथ से नाज़िया के ब्रा को जैसे ही ऊपेर उठाया…नाज़िया के गोरे 38 साइज़ के मम्मे उछल कर बाहर आ गये…मैने अपने साइड वाले मम्मे को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए नज़ीबा की तरफ देखा….जो नज़रें झुका कर लेटी हुई थी….”ये देखो तुम्हारी अम्मी के मम्मे कितने बड़े है…सीईइ देखो इनके निपल कैसे सख़्त हो चुके है….” मेरी बात सुन कर नाज़िया ने ऐसे होंका भरा जैसे वो रो रही हो….”हाईए मैं मर गयी… मैं अब तुम दोनो के साथ आँखे कैसी मिलाउन्गी….नज़ीबा प्लीज़ इस तरफ मत देखना….”
मैं: क्यों क्यों नही देखना उसे….उसने देखना भी है और अपनी सौतन के मम्मों को चूसना भी है….
नाज़िया: नही…..
मैने देखा कि नज़ीबा बड़ी ही नशीली नज़रों से मेरी तरफ देख रही थी….मैने उसकी तरफ देखते हुए नाज़िया के मम्मे के ऊपेर झुकते हुए, जितना हो सकता था.. उसके मम्मे को मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया…”सीईईईईईईईईईई अहह….” जैसे ही नाज़िया को अपने मम्मे पर मेरी गरम ज़ुबान फील हुई, नाज़िया एक दम से तड़प उठी…
मैने नाज़िया का राइट मम्मा पकड़ा और मुँह में डाल लिया फिर रूम में मुकामल खामोशी छा गयी ....मैं नाज़िया के मम्मे को चूस्ते हुए नज़ीबा की आँखो में देख रहा था…मैने नाज़िया के मम्मे को चूस्ते हुए, नाज़िया के दूसरे मम्मे को पकड़ कर दबाया…तो नाज़िया के दूसरे मम्मे का निपल और तीखा होकर बाहर निकल आया….मैने नाज़िया के मम्मे को चूस्ते हुए आँखो ही आँखो से नज़ीबा को नाज़िया के मम्मे को सक करने को कहा तो, नज़ीबा ने नाज़िया के ऊपेर झुकते हुए,नज़ीबा ने पूरा मुँह खोला और नाज़िया का मम्मा मुँह में डाल लिया...जैसे ही नज़ीबा ने नाज़िया के दूसरे मम्मे को चूसना शुरू किया...
तो नाज़िया ऐसे तडपी, जैसे उसे करेंट लग गया हो….”हाए मैं गयी… हाई ओईए खुदा ये तुम दोनो आअहह मेरे साथ कियाअ कर रहे हो…ओह्ह्ह्ह नज़ीबा तुम तो ऐसा ना करो….तुम तो आह तुम तो मेरी बेटी हो…प्लीज़ ऐसा ना करो…” नाज़िया बुरी तरह तड़प रही थी….मैने नाज़िया के मम्मे को बाहर निकाला तो नज़ीबा ने भी ने भी नाज़िया के मम्मे को मुँह से निकालना चाहा…पर मैने उसे मना कर दिया…नज़ीबा ने फिर से नाज़िया के मम्मे को सक करना शुरू कर दिया… “बेड रूम में वो तुम्हारी बेटी नही है….आज के बाद बेडरूम के अंदर तुमने उसे बेटी नही कहना….” नज़ीबा बड़ी नफ़ासत से नाज़िया के मम्मे को सक कर रही थी...
नाज़िया: अह्ह्ह्ह ऐसा करने से सच्चाई तो बदल नही जाएगी….
मैं: अच्छा अगर मेरी बात का यकीन ना हो…तुम खुद ही नज़ीबा से पूछ लो… बताओ नज़ीबा नाज़िया बेडरूम में ये तुम्हारी क्या लगती है….
मैने फिर से झुक कर नाज़िया के मम्मे को मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया…”सीईईईई ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अब्ब बस भी करो….मुझे बहुत शर्म आ रही है….”मेरी बात सुन कर नज़ीबा ने नाज़िया के मम्मे को अपने मुँह से बाहर निकाला और सरगोशी से भरी आवाज़ में कहा…”मैं आपकी बेटी नही…आपकी सौतन हूँ बाजी…” और नज़ीबा ने फिर से नाज़िया के मम्मे को अपने मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया…”सीईईईईई ओह हाईए तुम पागल हो गयी है….सीयी ओह्ह्ह्ह मुझसे बर्दास्त नही हो रहा…अहह बस करो….” नाज़िया बुरी तरह मस्ती में सिसक रही थी….
नाज़िया: आह मेरे बाज़ू में दर्द हो रहा है…
नाज़िया ने अपने बाज़ू को मेरे कंधे के नीचे से खेंचते हुए कहा…तो मैं खुद ही थोड़ा ऊपेर हो गया….नाज़िया ने अपने बाज़ू को मेरे नीचे से निकाल लिया…मेरे और नज़ीबा के दरम्यान मम्मे चूसने का मुक़ाबला स्टार्ट हो चुका था.. ....हम दोनो ने मम्मे चूस चूस कर नाज़िया को इस क़दर मजबूर कर दिया कि उस ने अपने दोनो हाथ हम दोनो के बालों में फेरने शुरू कर दिए.....”ओह्ह ये तुम मुझसे क्या करवा रहे हो….अह्ह्ह्ह हइईए आह नज़ीबा ओह जी मुझे कुछ हो रहा है…अहह मैने मर जाना है….ओह्ह्ह्ह,……”
मैं: क्या हो रहा है सच क्यों नही कहती कि तुम्हे अपने मम्मे चुसवा कर मज़ा आ रहा है….
नाज़िया: आहह खुदा के लिए चुप हो जाओ आप….
नाज़िया ने अपने दोनो बाज़ुओं में मेरे और नज़ीबा के सर को कस लिया…और हम दोनो के सर को अपने मम्मों पर दबाने लगी….वो कभी कभी सीयी की आवाज़ निकालती...मगर और कुछ ना कहती...नज़ीबा और मेरे गाल आपस में टकरा रहे थे...हम दोनो नाज़िया को ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा दे कर नाज़िया को भरपूर गरम करने की कोशिश कर रहे थे...नाज़िया भी अपने हाथों के ज़ोर से हमारे सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी...
नाज़िया की कमीज़ और ब्रा उस के गले में थी...हम तीनो उस वक़्त खामोश थे और कुछ भी बोलने के मूड में नही थे....बस मैं और नज़ीबा इशारों से और ऐक दूसरे को देख कर समझाते हुए कर रहे थे…नाज़िया की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूँज रही थी….नज़ीबा ने भी अपनी साइड संभाली हुई थी…और नाज़िया के राइट मम्मे को चूस रही थी….
नाज़िया भी पूरी गरम हो चुकी थी…अब वो किसी भी तरह का विरोध नही कर रही थी…नाज़िया को मस्त होकर अपने मम्मे चुस्वाते देख कर थोड़ी ही देर बाद मैने नाज़िया की कमीज़ को पकड़ कर तोड़ा सा खींच कर नाज़िया को उतारने का इशारा दिया...नाज़िया नशे में डूबी हुई उठ बैठी और अपनी कमीज़ को आगे पीछे से पकड़ कर उतारा नज़ीबा ने भी उस की मदद करते हुए ब्रा का हुक खोल कर उस को भी उतार दिया...
नाज़िया ने नशीली निगाहों से पहले नज़ीबा के फेस पर अपनी लंबी पलकें झुका कर उस को देखा ..फिर ऐसे ही मेरे चेहरे को देखा…फिर जैसे ही मैने नाज़िया को अपनी बाजुओं में लेकर उसे गले से लगाया…..तो नज़ीबा ने भी नाज़िया को अपनी बाहों में कस लिया….नाज़िया भी उस वक़्त फुल गरम हो चुकी थी…उसने मुझे और नज़ीबा को अपने बाज़ुओं के घेरे मे ले लिया…जैसे ही मैने नाज़िया के गालों को चूमना शुरू किया…तो मुझे देख कर नज़ीबा ने फॉरन नाज़िया के गाल चूमते हुए उस को प्यार करना शुरू कर दिया...
नज़ीबा आहिस्ता आहिस्ता किस करते हुए गर्दन पर आइ फिर नाज़िया की चेस्ट को मुँह में ले लिया और उस को चूसने लगी...नाज़िया ने तड़प कर सिसकी की आवाज़ निकाली और मेरे फेस को अपने फेस के सामने ला कर मेरे होंठो पर अपने नर्म ओ नाज़ुक होन्ट रख दिए.
मैने पागल होते हुए नाज़िया के होंठों का जाम अपने होंठो से लगा लिया ...नाज़िया को आहिस्ता आहिस्ता बेड पर लेटा दिया….और पूरी शिदत से मेरे होन्ट चूसने लगी उधर नज़ीबा भी नाज़िया की चेस्ट को हाथों में ले कर चूस रही थी..
मेरा एक हाथ खुद ही नाज़िया के एक मम्मे पर चला गया जिस को नज़ीबा ने पहले ही पकड़ रखा था मैं नज़ीबा के हाथ के ऊपेर से ही मम्मा दबाने लगा… नाज़िया मज़े के नशे में डूबी हुई सिसकारियाँ भर रही थी….मैने नज़ीबा का हाथ पकड़ कर नाज़िया के मम्मे से नीचे करते हुए धीरे-2 नाज़िया के पेट की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया….जैसे -2 नाज़िया नज़ीबा के हाथ को अपने पेट की तरफ नीचे जाता हुआ महसूस कर रही थी…वैसे -2 उसका जिस्म उसकी कमर रुक-2 कर झटके खा रहे थे….फिर जैसे ही नज़ीबा और मेरा हाथ नाज़िया की शलवार के नैफे से टकराया….तो मैने नज़ीबा के हाथ से अपना हाथ हटा कर नाज़िया की शलवार का नाडा पकड़ा और नज़ीबा की आँखो में देखते हुए धीरे-2 नाज़िया की शलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….
नज़ीबा मदहोशी से भरी नज़रों से कभी मुझे और कभी नाज़िया की शलवार के नाडे को खुलता हुआ देख रही थी….जैसे ही नाज़िया का शलवार का नाडा खुला…मैं उठ कर बैठ गया….और नाज़िया की टाँगो को खोल कर उसकी टाँगो के दरम्यान आते हुए, उसकी शलवार को दोनो साइड से पकड़ कर जैसे ही नीचे करने लगा तो, नाज़िया ने मेरा हाथ पकड़ लिया….नही प्लीज़ इसे मत उतारो….” नाज़िया ने बिना आँखे खोले ही कहा….
“तुमने मुझे फुद्दि प्यार से देनी है या मार खा कर देनी है….” मैने नाज़िया की शलवार को नीचे की तरफ झटकते हुए कहा….पर नाज़िया ने अपनी शलवार को नही छोड़ा..
“जो करना है कर लो….पर प्लीज़ ये लाइट ऑफ कर दो….” नाज़िया ने सिसकते हुए कहा….
पर मैने नाज़िया की एक ना सुनी और नाज़िया की शलवार के साथ-2 नाज़िया की पैंटी की इलास्टिक को भी पकड़ कर ज़ोर से नीचे खेंचा…जैसे ही नाज़िया के हाथो से उसकी शलवार निकली मैने नाज़िया की शलवार और पैंटी को उतार कर साइड में रख दिया…मेरी नज़र नाज़िया की पैंटी पर पड़ी….जो उसकी फुद्दि वाली जगह से एक दम गीली थी….मैने नाज़िया की पैंटी को पकड़ा और नज़ीबा को दिखाते हुए कहा….”ये देखो तुम्हारी सौतन की फुद्दि कितना पानी छोड़ रही है….देखो लंड लेने के लिए कितनी बेकरार है…फिर भी नखडे कर रही है….” मैने नज़ीबा की तरफ पैंटी बढ़ाई…तो नज़ीबा ने शरमाते हुए नाज़िया की पैंटी को पकड़ कर जैसे देखना शुरू किया.. तो नाज़िया ने झपट्टा मार कर उसके हाथ से पैंटी छीन ली…
नाज़िया: नज़ीबा तुम भी बेशर्मी पर उतर आई हो….
नाज़िया ने पैंटी को बेड के दूसरी साइड पर फेंकते हुए कहा….तो मैने नज़ीबा की तरफ अपना हाथ बढ़ाया…तो नज़ीबा ने जैसे ही अपना हाथ मेरे हाथ में दिया… मैने नज़ीबा को अपनी तरफ खेंचा…नज़ीबा उठ कर घुटनो के बल बैठ गयी…मैने नज़ीबा को अपने आगे नाज़िया की टाँगो के दरम्यान आने को कहा… जैसे ही नज़ीबा नाज़िया की टाँगो के दरम्यान आई…नाज़िया ने अपने सर के नीचे रखे हुए तकिये को उठा कर अपनी फुद्दि पर रख लिया…
.”नज़ीबा तुम्हारी सौतन तो बहुत शरमाती है….” मैने पीछे से अपने बाज़ुओं को आगे करते हुए, नज़ीबा के मम्मों को कमीज़ के ऊपेर से पकड़ते हुए कहा….और धीरे नज़ीबा के मम्मों को दबाने लगा….सामने लेटी नाज़िया हम दोनो को नशीली नज़रों से देख रही थी...
जैसे ही मेरी नज़रें नाज़िया की नज़रों से टकराती तो, नाज़िया अपनी नज़रें फेर लेती… “इसे उतारो….” मैने नाज़िया की तरफ देखते हुए नज़ीबा की कमीज़ को पकड़ कर उसे उतारने के लिए कहा…..तो नज़ीबा ने अपनी कमीज़ को पकड़ लिया....नज़ीबा भी उस वक़्त मदहोश हो चुकी थी…. उस ने फॉरन कमीज़ पकड़ कर ऊपेर करते हुए उतार दी... मैने उसकी ब्रा के हुक्स फॉरन ही खोल दिए…फिर उसने अपनी स्किन कलर की ब्रा को भी उतार दिया...फिर मैने नज़ीबा की शलवार का नाडा पकड़ कर खेंचा और नज़ीबा को खड़े होने के लिए कहा…जैसे ही नाज़िया की टाँगो के दरम्यान नज़ीबा खड़ी हुई, मैने उसकी शलवार के साथ-2 उसकी पैंटी को भी पकड़ कर नीचे खेंच दिया….
जैसे ही नज़ीबा ने नाज़िया की तरफ देखा तो, नाज़िया ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली….”सीईइ नाज़िया नज़ीबा की ज़ुबान बहुत मीठी है….तुम्हारी सौतन ने तो अपने होंटो और ज़ुबान के जाम पिला कर अपने मुझे खुश कर दिया है….तुम मुझे खुश नही करोगी…” मैने नाज़िया के कान के पास अपने होंटो को लेजा कर सरगोशी में कहा तो, और फिर नाज़िया के कान को अपने होंटो में लेकर जैसे ही चूसा…नाज़िया एक दम से तड़प उठी….मैने हाथ से नाज़िया के फेस को अपनी तरफ घुमा कर उसके होंटो को अपने होंटो में लेकर सक करना शुरू कर दिया…..
पर नाज़िया ने फिर से कोई रेस्पॉन्स नही दिया….मुझे पता था कि, नाज़िया अभी भी शरमा रही है….आख़िर उसकी बेटी साथ मे थी….जो शरम हया उसमे थी….उसे दूर करने में मुझे पता नही कितना वक़्त लगने वाला था….इसीलिए मैने नाज़िया के होंटो को छोड़ आगे बढ़ने की सोची….मैने नाज़िया के फेस से हटा कर नाज़िया के पेट पर उसकी नाफ़ के पास रखा….और उसके कमीज़ को पकड़ कर धीरे-2 ऊपर करना शुरू कर दिया…जैसे ही नाज़िया को इस बात का अहसास हुआ तो, नाज़िया ने हिलना शुरू कर दिया.. क्योंकि नाज़िया का कोई भी हाथ फ्री नही था….जिससे वो मुझे रोक पाती….”अह्ह्ह्ह समीररर ये क्या कर रहे हो….क्यों मुझे शर्मिंदा कर रहे हो….प्लीज़ समीर छोड़ दो मुझे… ऐसे तो ना करो…”
मैं: बड़ी बदजुबान हो तुम…….कैसी बेबाकी से अपने शोहर का नाम ले रही हो…. मुझे लगता है तुम्हारी जिंदगी में मेरी कोई अहमियत है ही नही….
मेरी बात सुन कर नाज़िया ने अपनी आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा…और रुआंसी सी आवाज़ मे बोली….”सॉरी पर ऐसे तो ना करिए….”
मैने नाज़िया की तरफ देखते हुए उसकी कमीज़ को ऊपेर करना शुरू कर दिया…नाज़िया ने भी मान लिया था कि, अब वो कुछ नही कर सकती…नाज़िया ने हथियार डालते हुए फिर से अपनी आँखे बंद कर ली…. मैने नाज़िया की कमीज़ को उसके गले तक ऊपेर उठा दिया….जैसे ही नाज़िया की कमीज़ उसके गाले तक ऊपेर हुई, मैने नाज़िया की ब्रा को एक हाथ से नीचे से पकड़ कर नज़ीबा की तरफ देखते हुए नज़ीबा को दूसरी मम्मे के नीचे से ब्रा पकड़ने का इशारा किया तो, नज़ीबा ने शरामते हुए नज़रें झुका ली…
.”तुमने सुना नही मैने क्या कहा…” मैने थोड़ा गुस्से में कहा तो, नज़ीबा ने दूसरी साइड से नाज़िया के ब्रा को पकड़ लिया….
“ऊपेर उठाओ….” और फिर मैने नज़ीबा ने एक हाथ से नाज़िया के ब्रा को जैसे ही ऊपेर उठाया…नाज़िया के गोरे 38 साइज़ के मम्मे उछल कर बाहर आ गये…मैने अपने साइड वाले मम्मे को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए नज़ीबा की तरफ देखा….जो नज़रें झुका कर लेटी हुई थी….”ये देखो तुम्हारी अम्मी के मम्मे कितने बड़े है…सीईइ देखो इनके निपल कैसे सख़्त हो चुके है….” मेरी बात सुन कर नाज़िया ने ऐसे होंका भरा जैसे वो रो रही हो….”हाईए मैं मर गयी… मैं अब तुम दोनो के साथ आँखे कैसी मिलाउन्गी….नज़ीबा प्लीज़ इस तरफ मत देखना….”
मैं: क्यों क्यों नही देखना उसे….उसने देखना भी है और अपनी सौतन के मम्मों को चूसना भी है….
नाज़िया: नही…..
मैने देखा कि नज़ीबा बड़ी ही नशीली नज़रों से मेरी तरफ देख रही थी….मैने उसकी तरफ देखते हुए नाज़िया के मम्मे के ऊपेर झुकते हुए, जितना हो सकता था.. उसके मम्मे को मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया…”सीईईईईईईईईईई अहह….” जैसे ही नाज़िया को अपने मम्मे पर मेरी गरम ज़ुबान फील हुई, नाज़िया एक दम से तड़प उठी…
मैने नाज़िया का राइट मम्मा पकड़ा और मुँह में डाल लिया फिर रूम में मुकामल खामोशी छा गयी ....मैं नाज़िया के मम्मे को चूस्ते हुए नज़ीबा की आँखो में देख रहा था…मैने नाज़िया के मम्मे को चूस्ते हुए, नाज़िया के दूसरे मम्मे को पकड़ कर दबाया…तो नाज़िया के दूसरे मम्मे का निपल और तीखा होकर बाहर निकल आया….मैने नाज़िया के मम्मे को चूस्ते हुए आँखो ही आँखो से नज़ीबा को नाज़िया के मम्मे को सक करने को कहा तो, नज़ीबा ने नाज़िया के ऊपेर झुकते हुए,नज़ीबा ने पूरा मुँह खोला और नाज़िया का मम्मा मुँह में डाल लिया...जैसे ही नज़ीबा ने नाज़िया के दूसरे मम्मे को चूसना शुरू किया...
तो नाज़िया ऐसे तडपी, जैसे उसे करेंट लग गया हो….”हाए मैं गयी… हाई ओईए खुदा ये तुम दोनो आअहह मेरे साथ कियाअ कर रहे हो…ओह्ह्ह्ह नज़ीबा तुम तो ऐसा ना करो….तुम तो आह तुम तो मेरी बेटी हो…प्लीज़ ऐसा ना करो…” नाज़िया बुरी तरह तड़प रही थी….मैने नाज़िया के मम्मे को बाहर निकाला तो नज़ीबा ने भी ने भी नाज़िया के मम्मे को मुँह से निकालना चाहा…पर मैने उसे मना कर दिया…नज़ीबा ने फिर से नाज़िया के मम्मे को सक करना शुरू कर दिया… “बेड रूम में वो तुम्हारी बेटी नही है….आज के बाद बेडरूम के अंदर तुमने उसे बेटी नही कहना….” नज़ीबा बड़ी नफ़ासत से नाज़िया के मम्मे को सक कर रही थी...
नाज़िया: अह्ह्ह्ह ऐसा करने से सच्चाई तो बदल नही जाएगी….
मैं: अच्छा अगर मेरी बात का यकीन ना हो…तुम खुद ही नज़ीबा से पूछ लो… बताओ नज़ीबा नाज़िया बेडरूम में ये तुम्हारी क्या लगती है….
मैने फिर से झुक कर नाज़िया के मम्मे को मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया…”सीईईईई ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अब्ब बस भी करो….मुझे बहुत शर्म आ रही है….”मेरी बात सुन कर नज़ीबा ने नाज़िया के मम्मे को अपने मुँह से बाहर निकाला और सरगोशी से भरी आवाज़ में कहा…”मैं आपकी बेटी नही…आपकी सौतन हूँ बाजी…” और नज़ीबा ने फिर से नाज़िया के मम्मे को अपने मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया…”सीईईईईई ओह हाईए तुम पागल हो गयी है….सीयी ओह्ह्ह्ह मुझसे बर्दास्त नही हो रहा…अहह बस करो….” नाज़िया बुरी तरह मस्ती में सिसक रही थी….
नाज़िया: आह मेरे बाज़ू में दर्द हो रहा है…
नाज़िया ने अपने बाज़ू को मेरे कंधे के नीचे से खेंचते हुए कहा…तो मैं खुद ही थोड़ा ऊपेर हो गया….नाज़िया ने अपने बाज़ू को मेरे नीचे से निकाल लिया…मेरे और नज़ीबा के दरम्यान मम्मे चूसने का मुक़ाबला स्टार्ट हो चुका था.. ....हम दोनो ने मम्मे चूस चूस कर नाज़िया को इस क़दर मजबूर कर दिया कि उस ने अपने दोनो हाथ हम दोनो के बालों में फेरने शुरू कर दिए.....”ओह्ह ये तुम मुझसे क्या करवा रहे हो….अह्ह्ह्ह हइईए आह नज़ीबा ओह जी मुझे कुछ हो रहा है…अहह मैने मर जाना है….ओह्ह्ह्ह,……”
मैं: क्या हो रहा है सच क्यों नही कहती कि तुम्हे अपने मम्मे चुसवा कर मज़ा आ रहा है….
नाज़िया: आहह खुदा के लिए चुप हो जाओ आप….
नाज़िया ने अपने दोनो बाज़ुओं में मेरे और नज़ीबा के सर को कस लिया…और हम दोनो के सर को अपने मम्मों पर दबाने लगी….वो कभी कभी सीयी की आवाज़ निकालती...मगर और कुछ ना कहती...नज़ीबा और मेरे गाल आपस में टकरा रहे थे...हम दोनो नाज़िया को ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा दे कर नाज़िया को भरपूर गरम करने की कोशिश कर रहे थे...नाज़िया भी अपने हाथों के ज़ोर से हमारे सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी...
नाज़िया की कमीज़ और ब्रा उस के गले में थी...हम तीनो उस वक़्त खामोश थे और कुछ भी बोलने के मूड में नही थे....बस मैं और नज़ीबा इशारों से और ऐक दूसरे को देख कर समझाते हुए कर रहे थे…नाज़िया की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूँज रही थी….नज़ीबा ने भी अपनी साइड संभाली हुई थी…और नाज़िया के राइट मम्मे को चूस रही थी….
नाज़िया भी पूरी गरम हो चुकी थी…अब वो किसी भी तरह का विरोध नही कर रही थी…नाज़िया को मस्त होकर अपने मम्मे चुस्वाते देख कर थोड़ी ही देर बाद मैने नाज़िया की कमीज़ को पकड़ कर तोड़ा सा खींच कर नाज़िया को उतारने का इशारा दिया...नाज़िया नशे में डूबी हुई उठ बैठी और अपनी कमीज़ को आगे पीछे से पकड़ कर उतारा नज़ीबा ने भी उस की मदद करते हुए ब्रा का हुक खोल कर उस को भी उतार दिया...
नाज़िया ने नशीली निगाहों से पहले नज़ीबा के फेस पर अपनी लंबी पलकें झुका कर उस को देखा ..फिर ऐसे ही मेरे चेहरे को देखा…फिर जैसे ही मैने नाज़िया को अपनी बाजुओं में लेकर उसे गले से लगाया…..तो नज़ीबा ने भी नाज़िया को अपनी बाहों में कस लिया….नाज़िया भी उस वक़्त फुल गरम हो चुकी थी…उसने मुझे और नज़ीबा को अपने बाज़ुओं के घेरे मे ले लिया…जैसे ही मैने नाज़िया के गालों को चूमना शुरू किया…तो मुझे देख कर नज़ीबा ने फॉरन नाज़िया के गाल चूमते हुए उस को प्यार करना शुरू कर दिया...
नज़ीबा आहिस्ता आहिस्ता किस करते हुए गर्दन पर आइ फिर नाज़िया की चेस्ट को मुँह में ले लिया और उस को चूसने लगी...नाज़िया ने तड़प कर सिसकी की आवाज़ निकाली और मेरे फेस को अपने फेस के सामने ला कर मेरे होंठो पर अपने नर्म ओ नाज़ुक होन्ट रख दिए.
मैने पागल होते हुए नाज़िया के होंठों का जाम अपने होंठो से लगा लिया ...नाज़िया को आहिस्ता आहिस्ता बेड पर लेटा दिया….और पूरी शिदत से मेरे होन्ट चूसने लगी उधर नज़ीबा भी नाज़िया की चेस्ट को हाथों में ले कर चूस रही थी..
मेरा एक हाथ खुद ही नाज़िया के एक मम्मे पर चला गया जिस को नज़ीबा ने पहले ही पकड़ रखा था मैं नज़ीबा के हाथ के ऊपेर से ही मम्मा दबाने लगा… नाज़िया मज़े के नशे में डूबी हुई सिसकारियाँ भर रही थी….मैने नज़ीबा का हाथ पकड़ कर नाज़िया के मम्मे से नीचे करते हुए धीरे-2 नाज़िया के पेट की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया….जैसे -2 नाज़िया नज़ीबा के हाथ को अपने पेट की तरफ नीचे जाता हुआ महसूस कर रही थी…वैसे -2 उसका जिस्म उसकी कमर रुक-2 कर झटके खा रहे थे….फिर जैसे ही नज़ीबा और मेरा हाथ नाज़िया की शलवार के नैफे से टकराया….तो मैने नज़ीबा के हाथ से अपना हाथ हटा कर नाज़िया की शलवार का नाडा पकड़ा और नज़ीबा की आँखो में देखते हुए धीरे-2 नाज़िया की शलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….
नज़ीबा मदहोशी से भरी नज़रों से कभी मुझे और कभी नाज़िया की शलवार के नाडे को खुलता हुआ देख रही थी….जैसे ही नाज़िया का शलवार का नाडा खुला…मैं उठ कर बैठ गया….और नाज़िया की टाँगो को खोल कर उसकी टाँगो के दरम्यान आते हुए, उसकी शलवार को दोनो साइड से पकड़ कर जैसे ही नीचे करने लगा तो, नाज़िया ने मेरा हाथ पकड़ लिया….नही प्लीज़ इसे मत उतारो….” नाज़िया ने बिना आँखे खोले ही कहा….
“तुमने मुझे फुद्दि प्यार से देनी है या मार खा कर देनी है….” मैने नाज़िया की शलवार को नीचे की तरफ झटकते हुए कहा….पर नाज़िया ने अपनी शलवार को नही छोड़ा..
“जो करना है कर लो….पर प्लीज़ ये लाइट ऑफ कर दो….” नाज़िया ने सिसकते हुए कहा….
पर मैने नाज़िया की एक ना सुनी और नाज़िया की शलवार के साथ-2 नाज़िया की पैंटी की इलास्टिक को भी पकड़ कर ज़ोर से नीचे खेंचा…जैसे ही नाज़िया के हाथो से उसकी शलवार निकली मैने नाज़िया की शलवार और पैंटी को उतार कर साइड में रख दिया…मेरी नज़र नाज़िया की पैंटी पर पड़ी….जो उसकी फुद्दि वाली जगह से एक दम गीली थी….मैने नाज़िया की पैंटी को पकड़ा और नज़ीबा को दिखाते हुए कहा….”ये देखो तुम्हारी सौतन की फुद्दि कितना पानी छोड़ रही है….देखो लंड लेने के लिए कितनी बेकरार है…फिर भी नखडे कर रही है….” मैने नज़ीबा की तरफ पैंटी बढ़ाई…तो नज़ीबा ने शरमाते हुए नाज़िया की पैंटी को पकड़ कर जैसे देखना शुरू किया.. तो नाज़िया ने झपट्टा मार कर उसके हाथ से पैंटी छीन ली…
नाज़िया: नज़ीबा तुम भी बेशर्मी पर उतर आई हो….
नाज़िया ने पैंटी को बेड के दूसरी साइड पर फेंकते हुए कहा….तो मैने नज़ीबा की तरफ अपना हाथ बढ़ाया…तो नज़ीबा ने जैसे ही अपना हाथ मेरे हाथ में दिया… मैने नज़ीबा को अपनी तरफ खेंचा…नज़ीबा उठ कर घुटनो के बल बैठ गयी…मैने नज़ीबा को अपने आगे नाज़िया की टाँगो के दरम्यान आने को कहा… जैसे ही नज़ीबा नाज़िया की टाँगो के दरम्यान आई…नाज़िया ने अपने सर के नीचे रखे हुए तकिये को उठा कर अपनी फुद्दि पर रख लिया…
.”नज़ीबा तुम्हारी सौतन तो बहुत शरमाती है….” मैने पीछे से अपने बाज़ुओं को आगे करते हुए, नज़ीबा के मम्मों को कमीज़ के ऊपेर से पकड़ते हुए कहा….और धीरे नज़ीबा के मम्मों को दबाने लगा….सामने लेटी नाज़िया हम दोनो को नशीली नज़रों से देख रही थी...
जैसे ही मेरी नज़रें नाज़िया की नज़रों से टकराती तो, नाज़िया अपनी नज़रें फेर लेती… “इसे उतारो….” मैने नाज़िया की तरफ देखते हुए नज़ीबा की कमीज़ को पकड़ कर उसे उतारने के लिए कहा…..तो नज़ीबा ने अपनी कमीज़ को पकड़ लिया....नज़ीबा भी उस वक़्त मदहोश हो चुकी थी…. उस ने फॉरन कमीज़ पकड़ कर ऊपेर करते हुए उतार दी... मैने उसकी ब्रा के हुक्स फॉरन ही खोल दिए…फिर उसने अपनी स्किन कलर की ब्रा को भी उतार दिया...फिर मैने नज़ीबा की शलवार का नाडा पकड़ कर खेंचा और नज़ीबा को खड़े होने के लिए कहा…जैसे ही नाज़िया की टाँगो के दरम्यान नज़ीबा खड़ी हुई, मैने उसकी शलवार के साथ-2 उसकी पैंटी को भी पकड़ कर नीचे खेंच दिया….
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
BAHUT HI SEXY UPDATE HAI
- Dolly sharma
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
Really hot threesome
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
NISHANT wrote:BAHUT HI SEXY UPDATE HAI
Dolly sharma wrote:Really hot threesome
shukriya dosto
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