मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन complete

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rajaarkey
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

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चाची: अर्रे समीर पुत्तर तुम नीचे क्यों आए….कुछ चाहिए क्या…?

मैं: नही वो आपी कह रही थी कि आप को बोल दूं कि फीडरर मे दूध डाल कर उन्हे दे आए….

चाची: अच्छा मैं दे आती हूँ….तू यहाँ बैठ….

मैं: नही चाची मे खेलने जा रहा हूँ….

मैं वहाँ से बाहर निकला ही था कि, पीछे बिल्लू की आवाज़ आई….”अच्छा भाभी जान मे भी चलता हूँ….”

मैं गेट खोल कर बाहर निकल आया…और ग्राउंड की तरफ जाने लगा….तो पीछे से बिल्लू ने मुझे आवाज़ दी…मैने पीछे मूड कर देखा तो, वो मेरी तरफ ही आ रहा था….बिल्लू मेरे पास आया और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला….”कहाँ जा रहे हो भतीजे साहब….”

मैं: ग्राउंड मे जा रहा हूँ….

बिल्लू: अच्छा मुझे भी उधर ही जाना था…

वो मेरे साथ चलाने लगा….जैसे ही हम ग्राउंड के पास पहुचे तो, बिल्लू ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रोड पर हलवाई की दुकान पर ले गया….”चल आ भतीजे तुझे समोशे खिलवाता हूँ…”

मैं: नही मुझे भूक नही है…मैने नही खाने…

बिल्लू: चल आजा यार….एक दो खा ले….

मैं: नही सच मे चाचा जी…..मेरा खाने का मन नही है…..

बिल्लू: अच्छा भतीज आज तूने जो भी देखा यार देख उस बारे मे किसी से बात नही करना….नही तो मेरे और भाई जान के बीच झगड़ा हो जाना है…

मैं: नही करता….

बिल्लू: पक्का ना…..

मैं: हां नही करता….

बिल्लू: यार तूने मेरे दिमाग़ से बहुत बड़ी टेन्षन निकाल दी….अगर तू थोड़ा बड़ा होता.. तो तुझे भी भाभी जान की फुददी दिलवा देता…लेकिन अभी तेरी उमर बहुत कम है…

मैं बिल्लू की बात पर चुप रहा…

.”अच्छा देख अगर तू ये बात किसी को नही बताएगा तो, कल मैं तुझे सहर से नया बॅट ला दूँगा…लेकिन मुझसे वादा करो कि, ये बात तुम किसी से नही कहोगे…

मैं: मैं नही करता…लेकिन मुझे बॅट भी नही चाहिए….

बिल्लू: अब तुम मेरा इतना बड़ा राज़ छुपा रहे हो तो, मेरा भी फ़र्ज़ बनता है ना अपने राज़दार को कुछ तो तोहफा दूं….

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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

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मैं बिल्लू की बात सुन कर मुस्कुराने लगा….लेकिन बोला कुछ नही…मे वहाँ से स्कूल की दीवार की तरफ गया….मुझे दोपहर से ही पेशाब लगा था….जो सुमेरा चाची के रूम के ऩज़ारे के चक्कर मे करना भूल गया था….अब मुझे बहुत तेज प्रेशर लगा था..मैने जैसे ही सलवार का नाडा खोल कर अपने लंड को बाहर जो कि प्रेशर से पूरी तरह सख़्त खड़ा था….जैसे ही मैं पेशाब करने लगा….तो मैने नोटीस किया कि, बिल्लू मेरे लंड की तरफ बड़े गोर से देख रहा है…मैने पेशाब किया और फिर अपनी सलवार का नाडा बंद करके जैसे ही ग्राउंड मे जाने लगा…तो बिल्लू मेरे पास आ गया….”कि गल भतीजे अभी से इतना बड़ा हथियार कैसे कर लिया तूने…”

मैं: चाचा जी आप किस हथियार की बात कर रहे है….

बिल्लू: तेरी लंड की बात कर रहा हूँ…. अगर इस उमर मे तेरा लंड इतना बड़ा है तो 3-4 साल बाद तो और बढ़ा हो जाना है इसने…तेरी तो ऐश है…(मुझे बिल्लू से ऐसे बातें सुन कर अजीब सा लग रहा था…इससे पहले मेरे दोस्तो के बीच मे ऐसी बात नही हुई थी...लेकिन कहते है ना…. ”नेसेसिटी ईज़ दा मदर ऑफ इन्वेन्षन” ज़रूरत और ख्वाहिश ही इंसान की माँ होती है….वैसे ही हाल उस वक़्त मेरा हो चुका था…. इसलिए मैं झीजकते और शरमाते हुए भी बिल्लू से पूछने से रोक ना पाया….)

मैं: वो कैसे…

बिल्लू: यार देख तेरा लंड तेरी उमर के बच्चो के हिसाब से कही बड़ा है…..और जब कोई सेक्स की भूखी औरत ऐसे तगड़े लंड को देख ले तो, वो जल्द ही उस सख्स पर आशिक हो जाती है..और बड़े प्यार से अपनी फुददी मरवाती है….

मैं: चाचा एक बात पूछूँ….?

बिल्लू: हां पूछ भतीजे….

मैं: क्या सच मे मेरा हथियार तगड़ा है…..

बिल्लू: और नही तो क्या…मैं क्या झूट बोल रहा हूँ….मेरे जैसे आदमयों का लंड भी 5-6 इंच के बीच मे होता है…तेरा तो अभी से 6 इंच लंबा लग रहा है….कभी नापा है तूने….

मैं: नही….

बिल्लू: लेकिन है तेरा 6 इंच के करीब……अच्छा जा अब तू खेल मुझे भी ज़रूरी काम याद आ गया है….

मैं वहाँ से ग्राउंड मे चला गया….और वहाँ अपने दोस्तो के साथ क्रिकेट खेलने लगा…शाम को अब्बू के घर आने से पहले मे वहाँ से फारिघ् होकर घर वापिस आ गया…वो सारी रात मेरे दिमाग़ मे बिल्लू की कही बातें और सुमेरा चाची के रूम का नज़ारा घूमता रहा…अगले दिन सुबह तक मेरे दिमाग़ मे सनक बैठ चुकी थी…
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by 007 »

बहुत ही अच्छी और मस्त कहानी है भाई
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by rajaarkey »

007 wrote:बहुत ही अच्छी और मस्त कहानी है भाई
shukriya dost
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by rajaarkey »


उस रात मैं अपने गुज़रे हुए दिनो की यादो मे खोया कब सो गया पता नही चला…अगली सुबह मुझे बाहर से आवाज़ आई तो मेरी आँख खुल गयी…मैने उठ कर टाइम देखा तो सुबह के 5:30 बजे थे….रूम मे उस वक्त ज़ीरो वाट का बल्ब जल रहा था..बाहर अब्बू नजीबा से बात कर रहे थे….शायद वो और मेरी सौतेली अम्मी कही जा रहे थे….उनकी बातों से मैं अंदाज़ा नही लगा पाया कि, वो इतनी सुबह-2 कहाँ जा रहे है…मैं रज़ाई के अंदर लेटा हुआ था…फिर थोड़ी देर बाद मुझे गेट खुलने और बंद होने की आवाज़ आई….इसका मतलब कि मे और नजीबा दोनो घर मे अकेले थे…ऐसा नही था कि, पहले कभी हम घर पर अकेले नही होते थे….लेकिन पिछले कुछ दिनो के हादसों ने मेरे सोचने समझने का रवैया और बदल दिया था…

मैं बेड से नीचे उतरा और बाहर आया…बाहर बेहद ठंड थी…हल्की-2 धुन्ध छाई हुई थी…बरामदे मे एक लाइट जल रही थी….किचन और अब्बू के रूम का डोर बंद था…आगे वाले कमरो के डोर भी बंद थे…..नजीबा अपने रूम मे जा चुकी थी….मुझे पता नही उस वक़्त क्या सूझा..मे नजीबा के रूम की तरफ बढ़ने लगा….मैने नजीबा के रूम के डोर के सामने जाकर देखा तो, अंदर लाइट ऑफ थी….मैने डोर नॉक किया तो, अंदर से नजीबा की आवाज़ आई…”कॉन है…”

मैं: मे हूँ समीर…..

फिर खामोशी छा गयी….थोड़ी देर बाद डोर खुला तो, नजीबा सामने खड़ी थी…उसने येल्लो कलर का पतला सा सलवार सूट पहना हुआ था…”जी…कुछ चाहिए….” नजीबा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…
”वो अम्मी और अब्बू सुबह -2 कहाँ गये है….?’

नजीबा: उनके एक दोस्त के बेटे के शादी है….वही पर गये है…जहाँ जाना था….वो जगह दूर है…इसलिए सुबह-2 ही निकल गये…

मैं सिर्फ़ टी-शर्ट और पाजामा पहने खड़ा था…और बाहर मौसम बहुत सर्द था…. “मैं आपके लिए चाइ बना दूं….” नजीबा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…

“नही तुम सो जाओ….मेरे ख़याल से तुम्हारी नींद अभी पूरी नही हुई होगी….वैसे भी बाहर बहुत ठंड है….” मैने इधर उधर देखते हुए कहा तो, नजीबा ने सर झुकाते हुए मुस्कुरा कर कहा…”हां ठंड तो है…आप अंदर आ जाएँ…”

मैं: नही तुम परेशान हो जाओ गी….

मैं वहाँ से अपने रूम मे आ गया…और बेड पर चढ़ कर रज़ाई के अंदर घुस गया….मेरी फिर से हल्की सी आँख लग गयी….फिर जब आँख खुली तो, किचन से आवाज़ आ रही थी…शायद नजीबा उठ चुकी थी…और चाइ बना रही थी….मैने लेटे-2 टाइम देखा तो, सुबह के 6:15 हो रहे थे…और लाइट बंद थी…सुबह-2 ही कट लग चुका था…मैं बेड से उतरा और रूम से बाहर आकर बाथरूम की तरफ जाने लगा तो देखा नजीबा चाइ बना रही थी….मेरे कदमो की आवाज़ सुन कर उसने पीछे मूड कर देखा…लेकिन मुझे जल्दी थी बाथरूम जाने की, इसीलिए मे बाथरूम मे चला गया…जब फ्रेश होकर बाहर आया तो, सीधा किचन मे चला गया…चाइ बन चुकी थी….मैने देखा कि, नजीबा के बाल खुले हुए थे…और गीले थे….शायद उसने आज सुबह-2 ही नहा लिया था…

“चाइ बन गयी….?” मैने उसके पास खड़े होते हुए पूछा….”जी….” जैसे ही नजीबा बोली तो मुझे अहसास हुआ कि वो ठंड के कारण काँप रही थी….सर्दी ज़यादा थी…इसलिए मैने कोई ख़ास गोर नही किया….नजीबा चाइ कप मे डाली और मैं वहाँ से कप उठा कर अपने रूम मे आ गया…और चाइ पीने लगा….

चाइ पीते हुए मेरे दिमाग़ मे आया कि, लाइट तो पता नही कब से कट है….तो फिर कहीं नजीबा ने सुबह-2 ठंडे पानी से तो नही नहा लिया…जैसे ही मेरे मन मे ये ख़याल आया…मेने चाइ के कप को वही रखा और नजीबा के रूम की तरफ चला गया.. जब मैने रूम के डोर को नॉक करने के लिए हाथ बढ़ाया तो, रूम का डोर खुल गया….जब मे अंदर दाखिल हुआ था..तब नजीबा रज़ाई मे लेटी हुई थी….उसके रूम के विंडोस के आगे से पर्दे हटे हुए थे….जिससे अब बाहर की हल्की रोशनी अंदर आ रही थी…उसने मेरी तरफ देखा और कापती हुई आवाज़ मे बोली…”कुछ चाहिए था,…..” उसकी आवाज़ सुन कर मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हुआ….

मैं उसके पास जाकर बेड पर बैठा तो, मैने महसूस किया कि वो बुरी तरह से काँप रही थी….”क्या हुआ तुम्हे….ऐसे काँप क्यों रही हो….?” मैने उसके माथे पर हाथ लगा कर चेक करते हुए कहा…” उसने कहा कुछ नही वो सुबह-2 नहा लिया इसीलिए….”

मैं: तो तुम्हे किसने कहा था सुबह-2 नहाने के लिए ऊपेर से लाइट भी नही है… फिर ठंडे पानी से नहाने की क्या ज़रूरत थी…

क्योंकि जब मैं बाथरूम मे गया था….तो मुझे टंकी के अंदर के पानी की ठंडक के बारे मे पता था….हमारी पानी की टंकी छत पर खुले मे है…तो जाहिर से बात थी कि, रात को बाहर सर्दी मे होने की वजह से पानी कितना ठंडा होता है… “ मजबूरी थी….?” नजीबा ने काँपते हुए कहा….”

मैं: ऐसी भी क्या मजबूरी थी…..जो सुबह-2 ठंडे पानी से नहा लिया वो भी इतनी सर्दी मे…

नजीबा: वो वो जब नहाने गयी थी…तब लाइट थी…गीजेर ऑन किया…थोड़ा सा पानी गरम हुआ तो नहाना शुरू कर दिया…बीच मे लाइट चली गयी…बदन पर साबुन लगा हुआ था…तो फिर मजबूरन ठंडे पानी से नहाना पड़ा….

मैं: तुम्हारा भी कोई हल नही है….

मैं बात को बड़ी आसानी से ले रहा था…मुझे उस वक़्त तक नजीबा की हालात का कोई अंदाज़ा नही था कि, उसे किस क़दर सर्दी लग रही है….उसने करवट बदली और मेरी तरफ पीठ कर ली….और अपने ऊपेर ओढ़ रखी रज़ाई को कस्के पकड़ लिया….मैने रज़ाई के ऊपेर से जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखा तो, उसके बदन को बुरी तरह काँपते हुए महसूस करके मेरे होश एक दम से उड़ गये…”नजीबा तुम्हारा बदन तो बहुत ज़यादा काँप रहा है…” मैने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा…

“आप फिकर ना करें थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा….”
मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गया… और वही बैठा रहा…मजीद 5 मिनट गुजर चुके थे…लेकिन नजीबा का कांपना कम ना हुआ….वो पहले से ज़्यादा काँप रही थी….
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