मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन complete

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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

Post by rajaarkey »

007 wrote:बहुत ही अच्छी और मस्त कहानी है भाई
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

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उस रात मैं अपने गुज़रे हुए दिनो की यादो मे खोया कब सो गया पता नही चला…अगली सुबह मुझे बाहर से आवाज़ आई तो मेरी आँख खुल गयी…मैने उठ कर टाइम देखा तो सुबह के 5:30 बजे थे….रूम मे उस वक्त ज़ीरो वाट का बल्ब जल रहा था..बाहर अब्बू नजीबा से बात कर रहे थे….शायद वो और मेरी सौतेली अम्मी कही जा रहे थे….उनकी बातों से मैं अंदाज़ा नही लगा पाया कि, वो इतनी सुबह-2 कहाँ जा रहे है…मैं रज़ाई के अंदर लेटा हुआ था…फिर थोड़ी देर बाद मुझे गेट खुलने और बंद होने की आवाज़ आई….इसका मतलब कि मे और नजीबा दोनो घर मे अकेले थे…ऐसा नही था कि, पहले कभी हम घर पर अकेले नही होते थे….लेकिन पिछले कुछ दिनो के हादसों ने मेरे सोचने समझने का रवैया और बदल दिया था…

मैं बेड से नीचे उतरा और बाहर आया…बाहर बेहद ठंड थी…हल्की-2 धुन्ध छाई हुई थी…बरामदे मे एक लाइट जल रही थी….किचन और अब्बू के रूम का डोर बंद था…आगे वाले कमरो के डोर भी बंद थे…..नजीबा अपने रूम मे जा चुकी थी….मुझे पता नही उस वक़्त क्या सूझा..मे नजीबा के रूम की तरफ बढ़ने लगा….मैने नजीबा के रूम के डोर के सामने जाकर देखा तो, अंदर लाइट ऑफ थी….मैने डोर नॉक किया तो, अंदर से नजीबा की आवाज़ आई…”कॉन है…”

मैं: मे हूँ समीर…..

फिर खामोशी छा गयी….थोड़ी देर बाद डोर खुला तो, नजीबा सामने खड़ी थी…उसने येल्लो कलर का पतला सा सलवार सूट पहना हुआ था…”जी…कुछ चाहिए….” नजीबा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…
”वो अम्मी और अब्बू सुबह -2 कहाँ गये है….?’

नजीबा: उनके एक दोस्त के बेटे के शादी है….वही पर गये है…जहाँ जाना था….वो जगह दूर है…इसलिए सुबह-2 ही निकल गये…

मैं सिर्फ़ टी-शर्ट और पाजामा पहने खड़ा था…और बाहर मौसम बहुत सर्द था…. “मैं आपके लिए चाइ बना दूं….” नजीबा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…

“नही तुम सो जाओ….मेरे ख़याल से तुम्हारी नींद अभी पूरी नही हुई होगी….वैसे भी बाहर बहुत ठंड है….” मैने इधर उधर देखते हुए कहा तो, नजीबा ने सर झुकाते हुए मुस्कुरा कर कहा…”हां ठंड तो है…आप अंदर आ जाएँ…”

मैं: नही तुम परेशान हो जाओ गी….

मैं वहाँ से अपने रूम मे आ गया…और बेड पर चढ़ कर रज़ाई के अंदर घुस गया….मेरी फिर से हल्की सी आँख लग गयी….फिर जब आँख खुली तो, किचन से आवाज़ आ रही थी…शायद नजीबा उठ चुकी थी…और चाइ बना रही थी….मैने लेटे-2 टाइम देखा तो, सुबह के 6:15 हो रहे थे…और लाइट बंद थी…सुबह-2 ही कट लग चुका था…मैं बेड से उतरा और रूम से बाहर आकर बाथरूम की तरफ जाने लगा तो देखा नजीबा चाइ बना रही थी….मेरे कदमो की आवाज़ सुन कर उसने पीछे मूड कर देखा…लेकिन मुझे जल्दी थी बाथरूम जाने की, इसीलिए मे बाथरूम मे चला गया…जब फ्रेश होकर बाहर आया तो, सीधा किचन मे चला गया…चाइ बन चुकी थी….मैने देखा कि, नजीबा के बाल खुले हुए थे…और गीले थे….शायद उसने आज सुबह-2 ही नहा लिया था…

“चाइ बन गयी….?” मैने उसके पास खड़े होते हुए पूछा….”जी….” जैसे ही नजीबा बोली तो मुझे अहसास हुआ कि वो ठंड के कारण काँप रही थी….सर्दी ज़यादा थी…इसलिए मैने कोई ख़ास गोर नही किया….नजीबा चाइ कप मे डाली और मैं वहाँ से कप उठा कर अपने रूम मे आ गया…और चाइ पीने लगा….

चाइ पीते हुए मेरे दिमाग़ मे आया कि, लाइट तो पता नही कब से कट है….तो फिर कहीं नजीबा ने सुबह-2 ठंडे पानी से तो नही नहा लिया…जैसे ही मेरे मन मे ये ख़याल आया…मेने चाइ के कप को वही रखा और नजीबा के रूम की तरफ चला गया.. जब मैने रूम के डोर को नॉक करने के लिए हाथ बढ़ाया तो, रूम का डोर खुल गया….जब मे अंदर दाखिल हुआ था..तब नजीबा रज़ाई मे लेटी हुई थी….उसके रूम के विंडोस के आगे से पर्दे हटे हुए थे….जिससे अब बाहर की हल्की रोशनी अंदर आ रही थी…उसने मेरी तरफ देखा और कापती हुई आवाज़ मे बोली…”कुछ चाहिए था,…..” उसकी आवाज़ सुन कर मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हुआ….

मैं उसके पास जाकर बेड पर बैठा तो, मैने महसूस किया कि वो बुरी तरह से काँप रही थी….”क्या हुआ तुम्हे….ऐसे काँप क्यों रही हो….?” मैने उसके माथे पर हाथ लगा कर चेक करते हुए कहा…” उसने कहा कुछ नही वो सुबह-2 नहा लिया इसीलिए….”

मैं: तो तुम्हे किसने कहा था सुबह-2 नहाने के लिए ऊपेर से लाइट भी नही है… फिर ठंडे पानी से नहाने की क्या ज़रूरत थी…

क्योंकि जब मैं बाथरूम मे गया था….तो मुझे टंकी के अंदर के पानी की ठंडक के बारे मे पता था….हमारी पानी की टंकी छत पर खुले मे है…तो जाहिर से बात थी कि, रात को बाहर सर्दी मे होने की वजह से पानी कितना ठंडा होता है… “ मजबूरी थी….?” नजीबा ने काँपते हुए कहा….”

मैं: ऐसी भी क्या मजबूरी थी…..जो सुबह-2 ठंडे पानी से नहा लिया वो भी इतनी सर्दी मे…

नजीबा: वो वो जब नहाने गयी थी…तब लाइट थी…गीजेर ऑन किया…थोड़ा सा पानी गरम हुआ तो नहाना शुरू कर दिया…बीच मे लाइट चली गयी…बदन पर साबुन लगा हुआ था…तो फिर मजबूरन ठंडे पानी से नहाना पड़ा….

मैं: तुम्हारा भी कोई हल नही है….

मैं बात को बड़ी आसानी से ले रहा था…मुझे उस वक़्त तक नजीबा की हालात का कोई अंदाज़ा नही था कि, उसे किस क़दर सर्दी लग रही है….उसने करवट बदली और मेरी तरफ पीठ कर ली….और अपने ऊपेर ओढ़ रखी रज़ाई को कस्के पकड़ लिया….मैने रज़ाई के ऊपेर से जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रखा तो, उसके बदन को बुरी तरह काँपते हुए महसूस करके मेरे होश एक दम से उड़ गये…”नजीबा तुम्हारा बदन तो बहुत ज़यादा काँप रहा है…” मैने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा…

“आप फिकर ना करें थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा….”
मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गया… और वही बैठा रहा…मजीद 5 मिनट गुजर चुके थे…लेकिन नजीबा का कांपना कम ना हुआ….वो पहले से ज़्यादा काँप रही थी….
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

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मैं बहुत डरा हुआ महसूस कर रहा था…इससे पहले आज तक मैने कभी ऐसे हालात का सामना नही किया था….”नजीबा…” मैने सहमे हुए लहजे मे कहा…
“जी….” नजीबा ने बड़ी मुस्किल से जवाब दिया…”
सर्दी बहुत ज़यादा लग रही है….” इस बार नजीबा ने थोड़ी देर रुक कर जवाब दिया….”जी….आप फिकर ना करें…थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा….”

मैं: ऐसे कैसे ठीक हो जाएगा….कब से यही सुन रहा हूँ….

अब तो मेरे दिमाग़ ने भी काम करना बंद कर दिया था….मुझे और कुछ तो ना सूझा पर रीदा आपी के साथ बिताई हुई एक सर्द रात याद आ गयी….जब मैं और रीदा आपी उनके घर की छत पर खुले मे सोए थे…उस वक़्त जोरो की सर्दी पड़ रही थी…मैं और रीदा आपी रज़ाई के अंदर नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे…और ठंड का नामो निशान नही था….जैसे ही वो बात मुझे याद आई..मैने एक पल के लिए क्या सही क्या ग़लत कुछ ना सोचा…और एक साइड से रज़ाई उठा कर अंदर घुस गया….नजीबा की पीठ मेरी तरफ थी….जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ तो, वो एक दम से चोंक गयी….

“ये यी आप क्या कर रहे है….” लेकिन तब तक मे उसके पीछे लेट चुका था…मेरा पूरा बदन फ्रंट साइड से उसकी बॅक साइड से चिपका हुआ था…

मैने नजीबा की बात की परवाह ना करते हुए, एक राइट बाज़ू उसकी कमर के ऊपेर से गुजार कर उसके पेट पर रख लिया….और उसे कस्के अपने से चिपका लिया…

.”ये आप क्या कर रहे है…?” नजीबा की आवाज़ मे अब कंपन के साथ-2 सरगोशी भी थी…

.”कुछ नही ऐसे तुम्हे गरमी मिलेगी….मुझे ग़लत मत समझना…लेकिन अभी मैं जो कर रहा हूँ….वही ठीक है….मुझ पर भरोसा है ना…..? “ मैने नजीबा के बदन को पीछे से अपने साथ और दबा लिया….

नजीबा बोली तो कुछ नही लेकिन उसने हां मे सर हिला दिया….हम दोनो के बदन एक दूसरे से पूरी तरह चिपके हुए थी…..रूम मे खामोशी छाई हुई थी…तकरीबन 6-7 मिनट बाद नजीबा का कांपना कम होने लगा…

लेकिन अब एक और नयी प्राब्लम हो चुकी थी…मेरे बदन की फ्रंट साइड जो कि नजीबा के बॅक से पूरी तरह टच हो रही थी…उससे उठती गरमी के कारण मेरा लंड जो नजीबा की गोल मटोल गान्ड पर दबा हुआ था..वो अब धीरे-2 सख़्त होने लगा था….मुझे डर लगने लगा था कि, कही नजीबा मेरे लंड को अपनी गान्ड पर महसूस ना कर ले. और कही मुझे ग़लत ना समझ बैठे….मैं वहाँ से उठने ही वाला था कि, फिर कुछ सोच कर रुक गया…मैने मन ही मन सोचा क्यों ना आज अपनी किस्मत को आज़मा कर देखूं….कि नजीबा का क्या रियेक्शन होता है…

पहले जहन मे नजीबा के बदन को गरमी देने के कारण उससे चिपका हुआ था…और मेरे जेहन मे डर बैठा हुआ था कि, कही नजीबा को कुछ हो ना जाए…लेकिन अब डर की जगह हवस ने ले ली थी…मेरा लंड जो कि नजीबा की गान्ड की लाइन के बीच मे था..वो अब पूरी तरह सख़्त हो चुका था…मेरे लंड और नजीबा की गान्ड के बीच नजीबा की पतली सी सलवार और मेरा पायज़मा ही था….क्योंकि मैं अक्सर रात को सोने से पहले से अंडरवेर उतार देता हूँ….उस समय नजीबा ना तो कुछ बोल रही थी और ना ही काँप रही थी…लेकिन जब मेरा लंड उसकी गान्ड से रगड़ ख़ाता हुआ, जैसे ही उसके गान्ड की लाइन मे घुसा तो, उसके बदन ने एक तेज झटका खाया…
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मैने अपनी सांसो को रोक लिया….और नजीबा के रियेक्शन का इंतजार करने लगा…लेकिन नजीबा की तरफ से कोई रियेक्शन नही हुआ…मुझे अपने लंड का टोपा बहुत ही गरम भट्टी मे धंसता हुआ महसूस हो रहा था…मैं सॉफ तोर पर महसूस कर पा रहा था कि, नजीबा भी मुझसे चिपकती जा रही है…मेरा लंड पाजामे को फाड़ कर बाहर आने वाला हो गया था….”नजीबा….?” मैने खामोशी तोड़ते हुए कहा…

.”जी….” नजीबा की आवाज़ मे सरोगशी सॉफ महसूस हो रही थी…”

अब कैसा फील कर रही हो…” मैने उसके पैट को सहलाते हुए कहा….तो उसका जिस्म फिर से काँप गया….

नजीबा: जी पहले से बेहतर है….

मैं: अच्छा ठीक है ….मैं तुम्हारे लिए चाइ बना लाता हूँ….फिर तुम्हे और अच्छा लगेगा….(मैं अभी उठने ही वाला था कि, नजीबा ने मेरा वो हाथ पकड़ लिया जो मैने उसके पेट पर रखा हुआ था….)

नजीबा: मुझे चाइ नही चाहिए….

मैं: तो फिर क्या चाहिए…(मैं मन ही मन सोच रहा था कि, काश नजीबा कह दे कि मुझे सिर्फ़ आप चाहिए….)

नजीबा: कुछ नही मैं अब ठीक हूँ….(लेकिन नजीबा ने मेरे हाथ को कस्के पकड़ लिया था….जैसे कहना चाहती हो कि, मेरे साथ ऐसे ही लेटे रहो….)

मे: अच्छा ठीक है तो फिर मे चलता हूँ….

नजीबा: (जब मैने जाने का कहा तो, उसने मेरा हाथ और ज़ोर से पकड़ लिया….) रुक जाओ प्लीज़….थोड़ी देर और….

नजीबा की आवाज़ मे वासना की खुमारी छाई हुई थी….मैं भी वहाँ से जाना नही चाहता था….इसलिए मैने भी अपनी कमर को नीचे से पुश किया तो, मेरा लंड उसकी सलवार के ऊपेर से उसकी गान्ड के मोरी पर जा लगा…उसका पूरा बदन मस्ती मे काँप गया…”सीईईई उसके मूह से हलकी से सिसकारी भी निकल गयी….” तभी बाहर डोर बेल बजी…हम दोनो हड़बड़ा गये…मैं जल्दी से उठा और टाइम देखा तो 7 बज रहे थे….

”दूध ले लो शाह जी….” बाहर से हमारे दूध वाले की आवाज़ आई…तो मुझे ख़याल आया कि दूध वाला है…मैं किचन मे गया…और वहाँ से बर्तन उठा कर बाहर आकर गेट खोला….दूध वाले ने दूध बर्तन मे डाला और चला गया….मैने गेट बंद किया और दूध के बर्तन को किचन मे रख कर फिर से नजीबा के रूम मे चला गया… जब मैं वहाँ पहुचा तो नजीबा ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी अपने बालो मे कंघी कर रही थी……

जैसे ही उसने मेरा अक्श आयने मे देखा तो, उसने शरमा कर नज़रें झुका ली…”अब कैसी हो….?” मैने डोर पर खड़े-2 पूछा…

.”जी अब बेहतर हूँ..”

मैं: दूध किचन मे रख दिया है…मैं दुकान से ब्रेड और अंडे ले आता हूँ…

मैने बाहर का गेट खोला और दुकान की तरफ चला गया….आज तो लग रहा था कि, सर्दी पूरे जोरो पर है…गली मे इतनी धुन्ध छाई हुई थी कि, सामने कुछ भी नज़र नही आ रहा था….




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