काले जादू की दुनिया complete

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Jemsbond
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Re: काले जादू की दुनिया

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अब त्रिकाल पायल की तरफ मुड़ा. इसे देख कर पायल के रोंगटे खड़े हो गये और वो रस्सी से बँधी छटपटाने लगी और इधर उधर हाथ पाँव मारने लगी. त्रिकाल ने चुटकी बजाई और पायल के जिस्म पर बँधी रस्सी गायब हो गयी पर इससे पहले वो भाग पाती त्रिकाल के विशाल हाथो ने उसे कमर से उठा लिया.

“हा...हा...हा...क्या चिकना माल है पटक कर चोदने लायक है...इसे तो मैं अभी के अभी भोगुंगा...”

त्रिकाल का हाथी जैसे लंड पर सुनीता देवी का खून लगा हुआ था. उसने फिर से तन्त्र किया और इस बार पायल के जिस्म से उसके कपड़े गायब हो गये.

उसने ज़बरदस्ती पायल को भी अपनी माँ की तरह कुतिया जैसे चौपाया बनाया और अपने हल्लाबी लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. पायल को लग रहा था कि उसकी माँ की तह वो भी मर जाएगी.

तभी त्रिकाल ने एक जर्दस्त झटका मारा और उसका लॉडा पायल की कुवारि बुर की चीथड़े उड़ाता हुआ अंदर घुस गया.

“आअहह...........” यह पायल की आख़िरी चीख थी क्यूकी उसके बाद वो कभी नही उठी. खून की नादिया तो ऐसे बह रही थी जैसे वहाँ कोई मौत का नंगा नाच हुआ हो.

“दोनो कुतिया माँ बेटी एक झटके मे ही मर गयी....हा..हा..हा.” त्रिकाल हंसता हुआ पायल की लाश से अपना खून से सना लंड निकाला और आचार्य की तरफ एक बार देखा और चिल्लाया, “देख लिया त्रिकाल से दुश्मनी का नतीजा....हा.हा.हा.”

पर आचार्य के शरीर मे कोई हरकत नही हुई. अपनी बेटी की लाश देख कर उनको भी दिल का दौरा पड़ गया और उनकी भी वही मृत्यु हो गयी. इसे देख त्रिकाल विजय की हुंकार भरने लगा और चिल्लाया, “सत्य प्रकाश...तू भी मर गया....खैर अगर तू जिंदा होता तो मैं आज तेरी गान्ड मार के तुझे मृत्यु लोक भेजता...हा.हा.हा.." कहते हुए त्रिकाल का शरीर धुन्ध बन गया और हवा मे समा गया.

उसके जाते ही काले जादू का असर ख़तम हुआ तो आश्रम के सेवक आज़ाद हो गये. वो दौड़ते भागते आए तो देखा की सुनीता देवी की लाश नंगी पड़ी है और उनकी चूत से खून की नादिया बह रही है. पास ही में पायल की लाश भी नंगी पड़ी थी जिसकी चूत बुरी तरह से फटी हुई थी जिससे भी बहुत खून बह रह था. वो सब भाग कर आचार्य के पास गये तो उनकी भी मृत्यु हो चुकी थी. पूरे आश्रम मे मातम फैला हुआ था.

इधर दूर मुंबई जयपुर हाइवे पर अर्जुन की गाड़ी सरपट दौड़ रही थी. दोनो आचार्य सत्या प्रकाश और उनके परिवार के साथ हुए अनहोनी से अंजान थे. करण ने निशा को फोन कर के बोल दिया था कि उसका काम कुछ और दिनो तक चलेगा जिससे निशा और उदास हो गयी.

पूरा दिन गाड़ी चलाने के बाद वो दोनो जयपुर पहुचे. आधी रात का समय हो चुका था इसलिए वो दोनो वही एक होटेल मे रुक गये. पूरी रात वही होटेल मे बिताने के बाद वो दोनो सुबह देर तक सोते रहे क्यूकी वो ना जाने कितनी देर से लगातार गाड़ी चला रहे थे.

मुंबई के उलट यहाँ का मौसम उतना खराब नही था. बदल तो घने छाए थे लेकिन बारिश बस हल्की हल्की ही हो रही थी. वो दोनो किसी तरह इधर उधर से रामपुरा का पता पूछ रहे थे, लेकिन इतने पुराने गाँव के बारे मे किसी को कुछ नही पता था. शायद अब रामपुरा मे लोग भी नही रहते थे.

वहाँ से दूर त्रिकाल के गुफा मे जश्न का महॉल था. काजल और रत्ना के नंगे जिस्मो की नुमाइश हो रही थी. त्रिकाल काजल के सामने ही रत्ना पर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत मे हल्लाबी लंड को जड़ तक पेल रहा था. बारह साल से त्रिकाल से हर रोज़ चुदने के बाद रत्ना की चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी.
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Re: काले जादू की दुनिया

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त्रिकाल के भूके आदमी किसी जोंक की तरह काजल के नंगे जिस्म से चिपके हुए थे. त्रिकाल को काजल कुवारि चाहिए थी अगली अमावस्या तक, पर अभी अपने आदमियो की काम वासना शांत करने के लिए त्रिकाल ने उन्हे काजल की गदराई मोटी फूली हुई गान्ड मारने की अनुमति दे दी थी.

इधर रत्ना त्रिकाल का बिस्तर गरम कर रही थी वही उसकी बेटी पर चार पाँच आदमी चढ़ कर उसकी गान्ड मार रहे थे. काजल ज़ोरो से चिल्ला रही थी और रत्ना उसकी गान्ड फट ते हुए देख रही थी लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई ना था.

ना जाने त्रिकाल के आदमी क्या खाते थे कि सुबह से अनगिनत बार वो काजल की गान्ड मार चुके थे लेकिन अभी भी उनके तगड़े लंड खड़े थे. काजल की गान्ड इतने लंड लेने से बुरी तरह फट चुकी थी. उसके गान्ड का छेद इतना चौड़ा हो गया था कि गान्ड से टट्टी अपने आप बाहर निकलने लगती थी. अपने कॉलेज मे एक बहुत ही खूबसूरत लड़की मानी जाने वाली काजल आज इन घटिया जानवरो से गान्ड मरवा रही थी. उसे अपने पर ही तरस आ रहा था. उसके भाइयो के आने मे देरी से उसकी हिम्मत भी टूटी जा रही थी. अब उसे उसकी मौत तय दिख रही थी.

तभी त्रिकाल ज़ोर से हुंकार भरा और उसके लंड से एक कटोरे भर वीर्य रत्ना की चूत मे गिरने लगा. रत्ना के भोस्डे का छेद इतना बड़ा हो गया था कि पूरे कटोरे भर वीर्य को भी अपने अंदर समा ले.

त्रिकाल ने रत्ना की भोस्डे से लंड खीचा और उसे वापस काल कोठरी मे बंद करवाने का आदेश दे दिया. तभी अचानक बाहर से त्रिकाल का एक दूत आया जो उसके लिए बाहरी दुनिया की खबर लाता था.

“मलिक वो दोनो लड़के....रामपुरा तक पहुचने की कोशिश कर रहे है...और अगर हम ने उनको नही रोका तो वो त्रिशूल पाने मे कामयाब हो सकते है..”

इसे सुनकर त्रिकाल बौखला गया, “नेह्हियियी....ऐसा नही हो सकता....त्रिकाल को कोई नही मार सकता....बहुत जल्दी त्रिकाल अमर हो जाएगा...फिर यह त्रिशूल भी मुझे नही मार पाएगा....हा..हा.हा.”

काजल के ऐसा सुनते ही उसके दिल मे एक उम्मीद जाग गयी कि आख़िर उसके भाइयो ने हार नही मानी है और वो त्रिकाल को मारने आ रहे है.

“मेरे लिए क्या आदेश है मालिक....” उस आदमी ने कहा.

“जाओ जाकर उन दोनो लड़को पर नज़र रखो....मैं कुछ ऐसा करूँगा कि वो दोनो अपना लक्ष्य भूल जाएँगे और तब तक मुझे समय मिल जाएगा अगली अमावस्या तक का....” एक रहस्यमयी मुस्कान हंसते हुए त्रिकाल ने उस आदमी को वहाँ से भेज दिया.

वो वापस तन्त्र साधना पर बैठ गया और घंटो तक तन्त्र मंतरा करता रहा. करीब 6-7 घंटो की तन्त्र साधना के बाद उसने मन्त्र फूक कर अग्नि कुंड मे डाला जिससे एक छोटा सा विस्फोट हुआ और पूरी गुफा मे गहरा धुन्ध फैल गया.

ढुन्ध छांट ते ही सामने एक कुरूप बुढ़िया नज़र आई . इतनी देर से काजल वही पर बँधी पड़ी थी. उसने जब उस बुढ़िया को देखा तो वो समझ गयी कि वो एक चुड़ैल है.

“मुझे कैसे याद किया मालिक...” उस चुड़ैल ने कहा.

“मोहिनी एक ज़रूरी काम करना है...” त्रिकाल गंभीर होते हुए बोला.

“आप एक क्या सौ कहो...मैं करने को तय्यार हू...”

“ठीक है....अपना रूप किसी अप्सरा का धर और मेरे बताए हुए दो लड़को को अपनी काम वासना मे फसा ले....ध्यान रखना वो कभी रामपुरा तक ना पहुच पाए और उन्हे अपने हुस्न मे तब तक फसा के रख जब तक अगली अमावस्या नही आ जाती ताकि मैं इस लड़की की बलि देकर अमर हो जाउ...हा.हा.हा.”

“आपका हुकुम सर आँखो पर मालिक...पर मुझे इसके बदले क्या मिलेगा...” चुड़ैल हंसते हुए बोली.

“बोल तुझे क्या चाहिए....” त्रिकाल गुर्राया.

“मालिक आपको वो पुराने दिन याद है जब आप मेरे साथ संभोग किया करते थे....” चुड़ैल ने याद दिलाया.

“हाँ मुझे याद है...मैने सबसे पहले तेरे साथ संभोग किया था...”

“तो आज इस कार्य के लिए मैं आपसे वो संभोग वापस माँग रही हू...आपके हलब्बी लंड से मेरी चूत चोद दो एक बार...और अपना प्रसाद मेरी चूत मे डाल दो..” बुढ़िया चुड़ैल हंसते हुए बोली.

त्रिकाल मुस्कुराया और चुड़ैल को ज़मीन पर लिटा के अपना भीमकाय लंड उसके फटे भोसड़े मे पेल दिया. काजल को यह सब देख कर उल्टी आ रही थी. करीब घंटे भर चली चुदाई के बाद त्रिकाल ने अपना लंड चुड़ैल की चूत मे खाली कर दिया.

“अब जा और अपना काम कर...” त्रिकाल ने लंड को चुड़ैल की चूत से निकालते हुए बोला.

त्रिकाल का सारा वीर्य अपनी चूत मे समेटे हुए चुड़ैल खड़ी हुई और त्रिकाल का शुक्रिया अदा कर के वहाँ से चली गयी.

वहाँ से दूर राजस्थान मे करण और अर्जुन दोनो रामपुरा गाँव को तलाश करने मे जुटे थे. कुछ लोगो से उन्हे पता चला कि जब से वहाँ गाँव मे अकाल पड़ा है तब से वो उस गाँव को श्रापित मान लिए जिसके बाद सबने वो गाँव खाली कर दिया, और आज यह हालत हो गयी है की सिर्फ़ बड़े बुज़ुर्गो को ही वो गाँव का पता मालूम है.

तभी काले जादू से वो चुड़ैल राजस्थान पहुच गयी और रात मे पैदल चल रहे करण अर्जुन के पास पहुच गयी. उसने काले जादू से अपना रूप बदल कर एक सुंदर सी कामुक अबला नारी बन गयी.

“साहब आपको कही ले चलूं ...” एक घोड़ागाड़ी (तांगा) चलाते हुई सफेद साड़ी मे वो चुड़ैल बड़ी कामुक लग रही थी.

करण और अर्जुन ने उसे पलट कर देखा और करण बोला, “जी हमे रामपुरा चलना है...”

यह सुनते ही चुड़ैल एक रहस्यमयी तरीके से मुस्कुराने लगी. और बोली, “आप बैठिए साहब...मैं आपको रामपुरा तक पहुचा दूँगी..” चुड़ैल की बात सुनकर दोनो चौंक गये. पूरे शहर मे उन्हे रामपुरा का पता कोई नही बता पाया और अब ढलती रात मे एक तान्गे वाली उन्हे रामपुरा पहुचाने की बात कर रही है.

खैर वो दोनो अपना समान टांगा पर रख कर चुड़ैल के आजू बाजू बैठ गये. अर्जुन को चुड़ैल की जिस्म से आती पसीने की गंध पागल बना रही थी, यही हाल करण का भी था.
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Re: काले जादू की दुनिया

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“तुम रामपुरा के बारे मे कैसे जानती हो....” अर्जुन ने पूछा.

“साहब मेरा ससुराल वही है....” चुड़ैल ने रहस्यमयी तरीके जवाब दिया.
“पर अभी तो वहाँ कोई नही रहता ना....” अर्जुन ने फिर पूछा.

“हाँ साहब जब से वहाँ अकाल पड़ा था, वाहा कोई नही रहता...सब कहते है वह गाँव श्रापित है....पर हम कभी कबार वहाँ जाते रहते है....इसीलिए मुझे वहाँ का रास्ता याद है..”

“तो क्या तुम्हे उस श्राप का डर नही है...”

“क्या साहब आप इतने पढ़े लिखे होकर इन अंधविश्वास पर यकीन करते हो...यह श्राप व्राप कुछ नही है बस मन्घडन्त बातें है...” चुड़ैल तांगा हाकते हुए बोली. उसे बाजू उठाने से उसके बगलो के पसीने का गंध करण और अर्जुन के नथुनो मे भर गया और उन दोनो के लंड उनके पॅंट के अंदर ही सलामी देने लगे.

चुड़ैल यह समझ गयी और रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराने लगी. उसे पता था था कि जो काम उसे दिया गया है वो उसे बहतारीन ढंग से कर रही है.

“तुमने अपना नाम नही बताया....” अर्जुन चुड़ैल के सम्मोहन मे फस चुका था और वो चुड़ैल से ज़्यादा ही चिपकने लगा ताकि उसकी जिस्म से आती पसीने की मादक गंध को सूंघ सके.

“जी मेरा नाम मोहिनी है साहब...” चुड़ैल ने जवाब दिया.

“तुम करती क्या हो...और तुम्हारे परिवार मे कॉन कॉन है...” अर्जुन धीरे से मोहिनी के कंधो पर हाथ रखता हुआ बोला. करण को यह सब बड़ा अजीब लग रह था. वो निशा से बहुत प्यार करता था इसीलिए अभी तक मोहिनी के सम्मोहन से आज़ाद था.

“साहब मैं तो बेचारी विधवा हू...मेरा मर्द यह तांगा चलाता था पर दो साल पहले उसको साँप काटने से मौत हो गयी तब मेरे सास ससुर ने मुझे उसका तांगा दे दिया चलाने को...” मोहिनी बड़ी अदा से बोल रही थी और तांगा हाकते जा रही थी.

अब तक काफ़ी रात हो चुकी थी. तांगा ना जाने कॉन से अंजान रास्ते पर चल रहा था. रास्ता इतना उबड़ खाबड़ था कि तांगा बुरी तरह हिचकोले खा रहा था. झींगुरो की आवाज़ आस पास की झाड़ियो से आ रही थी. घुप्प अंधेरे मे तांगे पर लगा लालटेन ही रोशनी का एक मात्र स्रोत था.

तभी तांगे ने एक ज़ोर का झटका खाया और उसका एक पहिया निकल कर दूर लुढ़क गया. करण और अर्जुन दोनो घबरा गये पर मोहिनी फिर अपनी रहस्यमयी मुस्कान हंसते हुए बोली, “साहब लगता है तांगा खराब हो गया है...मेरे घोड़े भी थक गये है...लगता है हमे आज रात यही पर बिताना पड़ेगा.”

चुड़ैल मोहिनी के सम्मोहन पाश मे जकड़ा अर्जुन खुश हो गया. करण को कुच्छ दाल मे काला नज़र आ रहा था. उसने बोला, “मोहिनी तुम एक काम करो हमे वापस जाने का रास्ता बता दो...हम दिन मे रामपुरा जाने का रास्ता अपने आप ढूँढ लेंगे..”

इसपर मोहिनी दाँत पीसती हुई बोली, “अरे साहब आप एक मर्द होकर घबरा रहे है जबकि मैं तो एक औरत हू....मेरी मानिए तो आप इस गुप्प अंधेरी रात मे वापस भी नही जा पाएँगे...”

“अरे भाई यह बोल रही है ना कि यह हमे कल सुबह रामपुरा पहुचा देगी तो इसमे टेन्षन की क्या बात है...” अर्जुन पूरी तरह से मोहिनी के काबू मे आ चुका था.

अब करण करता भी तो क्या करता. तीनो वही ज़मीन पर चादर बिच्छा कर लेट गये. मोहिनी के जिस्म से उठती मादक गंध को करण भी नज़रअंदाज नही कर पा रहा था. उसका लंड उसके पॅंट मे ही विकराल रूप लेने लगा. एक पल के लिए उसके मन मे निशा का चेहरा आया तो उसे मानो एक झटका सा लगा. उसे अपने आप पर शरम आई कि अपनी नयी नयी बीवी को घर छोड़ के आने के बाद वो एक पराई औरत के जिस्म की गंध सूंघ कर उत्तेजित हो रहा है.

पर अर्जुन के साथ मामला कुछ और ही था. उसके दिलो दिमाग़ पर मोहिनी ने जादू कर दिया था. किसी भावरे की तरह वो मोहिनी के आस पास मंडराने लगा था. करण को लगा कि अर्जुन शायद दिल से मोहिनी को पसंद करने लगा है.
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Re: काले जादू की दुनिया

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आधी रात से ज़्यादा हो चली थी जब करण के कानो मे मोहिनी सी सिसकिया गूँज उठी. उसकी आँखें तुरंत खुल गयी लेकिन गुप्प अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नही दिया.

“आअह साहब....धीरे धीरे मस्लो मेरी चुचियो को...” मोहिनी सीसीया रही थी.

करण के एकदम से होश उड़ गये. उसने अंधेरे मे ही इधर उधर टटोलकर देखा कि अर्जुन का चादर खाली है. तभी उसे अर्जुन की आवाज़ आई, “मोहिनी...तेरी इन चुचियो का सारा दूध मैं आज पी जाउन्गा..” इसे सुन कर करण हक्का बक्का रह गया. चुदाई उसके ठीक बगल मे ही हो रही थी.

उसकी समझ मे ही नही आ रहा था कि वो क्या करे. कुछ देर सोचने के बाद उसने सोचा कि अर्जुन और मोहिनी को डिस्टर्ब ना करे. उधर अर्जुन और मोहिनी चरम पर थे.

अंधेरे मे अर्जुन का तगड़ा लंड मोहिनी की कसी हुई चूत मे घुस चुका था. मोहिनी ज़ोरो से सिसकिया ले रही थी, “चोदो साहब....और ज़ोर से चोदो...अपना पूरा मूसल मेरी चूत मे पेल दो....दूसरे वाले साहब को भी बोलो की वो अपने लंड से मेरी गान्ड ठोके..” करण मोहिनी के मूह से अपने लिए ऐसे शब्द सुन कर सन्न रह गया.

उसका लॉडा भी अब पॅंट मे तनने लगा था. एकदम गुप्प अंधेरे मे ना जाने कहाँ से एक हाथ आया और करण के लंड को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगा.

करण ने तुरंत वो हाथ झिटक दिया. करण को उसका खड़ा लंड पॅंट के अंदर चुभ रहा था इसलिए उसने अपनी पॅंट की ज़िप खोली और लंड को अड्जस्ट करके वापस ज़िप बंद करने लगा जब उस हाथ ने करण को ऐसा करने से रोक दिया.

एकदम अंधेरे मे करण को कुछ दिख ही नही रहा था. बगल मे अर्जुन कस कस के मोहिनी की ठुकाई कर रहा था. अब उस हाथ ने करण की ज़िप को खोलकर उसके मोटे लंड को बाहर निकाल लिया. अपने लंड पर वो कोमल हाथो को महसूस करके करण को यकीन हो गया कि यह काम बगल मे चुद रही मोहिनी का है.

अब करण पर भी मोहिनी का सम्मोहन सर चढ़ कर बोलने लगा. वो उठा और बगल मे टांगे फैलाई चुद रही मोहिनी के दूध को मसल्ने लगा.

“आअहह....आप भी आ जाइए साहब...आप अभी तक मोहिनी के तान्गे की सवारी कर चुके है....अब खुद मोहिनी की सवारी भी कर लीजिए...” मोहिनी अर्जुन से चुदती हुई करण को बोली.

“आ जाओ भाई...बड़ा ही कड़क माल है...देखो कितनी कसी हुई चूत है इसकी..” बोलते हुए अर्जुन अपना तगड़ा लॉडा अंदर बाहर कर रहा था.

करण का दिलो दिमाग़ एक दूसरे से बग़ावत कर रहा था. दिमाग़ बिल्कुल सुन्न पड़ा था जिसे पास मे पड़ी एक नंगी औरत दिख रही थी, वही दिल उसको बार बार निशा के प्रति बेवफ़ाई से सचेत कर रह था. दिमाग़ उसे बार बार कह रहा था कि एक बार इसे चोद दे क्यूकी इस वीराने मे चुदाई के बारे मे निशा को कभी पता नही चलेगा.

“आ भी जाइए साहब...आज मोहिनी आप दोनो के लिए एक मुफ़्त की रंडी है...जितना पेलना है पेलो..” मोहिनी चुदाई मे झूम रही थी. दिल दिमाग़ की कशमकश मे दिल बाज़ी मार गया और दिमाग़ हार गया. करण उठा और मोहिनी को अपने उपर खिसका लिया. अर्जुन भी खिसकता हुआ वापस मोहिनी पर आ गया और दोबारा अपने लंड से उसकी चूत पेलने लगा.
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मोहिनी दोनो भाइयो के बीच सॅंडविच बनी हुई थी. मोहिनी अपनी चूत चुदवाते हुए अपने हाथो को नीचे ले गयी और करण का मोटा लंड पकड़ कर अपनी गान्ड से सटा दिया.


करण ने भी नीचे से एक तगड़ा झटका मारा और उसका आधा लॉडा मोहिनी की गान्ड मे समा गया. अगले झटके मे करण ने पूरे लौडे को मोहिनी की गान्ड मे जड़ तक उतार दिया. करण और अर्जुन के लौडो की लंबाई बराबर थी यानी 8 इंच पर करण का लॉडा थोड़ा ज़्यादा मोटा था और अर्जुन का थोड़ा पतला.

मोहिनी की चाल कामयाब हो चुकी थी. आख़िर उसने अपने काले जादू से दोनो भाइयो को अपने लक्ष्य से भटका दिया था जो आज रात मिलकर उसकी गान्ड और चूत चोद रहे थे.

चुदाई करते समय मोहिनी ने जादू किया और उससे करण के दिमाग़ को पढ़ने का मौका मिल गया. अब उसे करण की नयी शादी और उसकी पत्नी के बारे मे पता चल चुका था. उसे ये भी पता चल गया था कि करण और निशा एक दूसरे से लड़ कर आए है.

दोनो करण और अर्जुन चुदाई मे इतने व्यस्त थे कि उन्हे कुछ भी होश नही था. मोहिनी ने चुद्ते हुए अपने हाथो को करण की पॅंट की जेब मे डालकर उसका मोबाइल निकाल लिया और निशा का नंबर डाइयल करने लगी.

उधर दूर मुंबई मे बैठी निशा अपने अकेलेपन से लड़ रही थी. करण के ऐसे अचानक बिना कुछ बताए छोड़ कर चले जाने से उसे उसपर शक हो रहा था कि कही उसका किसी लड़की के साथ चक्कर तो नही. तभी उसके मोबाइल पर करण का कॉल आया. इतनी रात को कॉल आने से वो चौंक गयी. उसने फोन उठाया तो पीछे सिसकिया और चुदाई की आवाज़ें चल रही थी. निशा का दिमाग़ एकदम से सन्ना गया.

“आह....करण बाबू चोदिये...और ज़ोर से चोदिये अपने लौडे को मेरी गान्ड मे....” मोहिनी जान बूझ कर चिल्ला कर बोल रही थी ताकि फोन पर निशा सुन सके.

“आअहह...मोहिनी...क्या मस्त माल है तू....तेरी गान्ड कितनी कसी हुई है...” इस सब से बेख़बर काले जादू के असर से करण बडबडाये जा रहा था. यह सब सुनकर मानो निशा पर पहाड़ टूट पड़ा हो.

“क्या मेरी गान्ड आपकी बीवी निशा से भी ज़्यादा टाइट है...” मोहिनी फिर चिल्ला के बोली ताकि निशा यह सब सुन सके.

“हाँ मेरी जान...तेरी गान्ड मे जो बात है वो मेरी बीवी मे भी नही...इनफॅक्ट मुझे उसकी गान्ड बिल्कुल पसंद नही है....मजबूरी मे उसकी चूत चोदता हू..वरना वो भी नही चोदु..” करण यह सब कहना नही चाहता था पर मोहिनी का सम्मोहन उसे ऐसा कहने पर मजबूर कर रहा था.

निशा को लगा कि उसके कान फट जाएँगे अगर उसने आगे एक भी सेकेंड सुना तो. गुस्से और नफ़रत से उसका चेहरा लाल हो गया था.

फिर भी उसके मन मे कही ना कही यह ख़याल ज़रूर था कि उसका पति करण उसके साथ धोका नही कर सकता. इसलिए निशा ने सच पता लगाने का फ़ैसला किया.

उसने करण का लॅपटॉप खोला और उसके क्रेडिट कार्ड के बिल को देखने लगी. उसे वहाँ दिखाई दिया कि करण और अर्जुन ने जयपुर के मान सिंग पॅलेस नाम के होटेल मे क्रेडिट कार्ड से पेमेंट किया है. निशा गुस्से मे तिल मिलाते उठी और तुरंत सुबह वाला मुंबई तो जयपुर फ्लाइट बुक करवा लिया.
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