काले जादू की दुनिया complete

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amitraj39621

Re: काले जादू की दुनिया

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superb update
Jemsbond
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Re: काले जादू की दुनिया

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amitraj39621 wrote:superb update
Thank you amit
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Jemsbond
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Re: काले जादू की दुनिया

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करण के पास कुछ भी कहने को नही था. उसे खुद सब कुछ गोल मोल लग रहा था. उसे समझ मे नही आ रहा था कि रात उसके साथ क्या हुआ, आज वो सुबह अपने आप होटेल के रूम तक कैसे पहुच गया और निशा यहाँ जयपुर तक कैसे आ गयी.

निशा अपने आँसू पोछते हुए करण के शर्ट का कॉलर पकड़ते हुए बोली,” एक बात बताओ करण , कि मेरे प्यार मे क्या कमी रह गयी थी जो तुमने मुझे आज इतना बड़ा धोका दिया....उस रंडी के जिस्म मे ऐसी क्या बात थी जो तुम्हे अपनी बीवी के जिस्म को छोड़ कर उसके पास चले गये...”

करण कुछ बोल ना सका. उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली. करण की खामोशी को निशा की नज़रो मे उसे और ज़्यादा गिरा दिया.

“मैं सब कुछ सह सकती थी....पर अपने पति को किसी और औरत के साथ नही देख सकती....क्या नही किया मैने तुम्हारे लिए....तुम्हारे लिए अपना जिस्म सौंप दिया तुम्हे....अपना करियर अपने माँ बाप सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ गयी...और बदले मे मुझे मिला क्या...यह धोका...तुमने सिर्फ़ मेरे जिस्म को अपनी वासना शांत करने मे इस्तामाल किया है.”

करण का सर शर्म से झुका रहा.

निशा की आँखे फिर भर आई, वो करण को कॉलर से पकड़ कर झंझोरते हुए बोली, “क्यू....आख़िर क्यू किया ऐसा तुमने करण....बोलो तुम्हे कैसा लगेगा जब मैं किसी गैर मर्द के साथ उसका बिस्तर गरम करू..”

करण निशा के मूह से ऐसी बातें सुनकर अंदर से टूट गया. उसकी आँखे रो पड़ी और वो वही निशा के कदमो मे गिर गया, "निशा मुझे माफ़ कर दो.."

निशा एक पत्थर की मूरत बन खड़ी थी. “करण....मुझे तुमसे तलाक़ चाहिए....” निशा अपने आँसू पोछते हुए बोली.

तलाक़ शब्द करण के कानो मे गूँज उठा. उसका घर बनने से पहले ही बिखर चुका था. जिसे उसने अपनी जान से भी ज़्यादा चाहा आज वो खुद उसे अलग होने की बात कर रही थी. करण को लगा मानो उसका आधा अंश उसे टूट कर अलग हो गया हो.

उसने निशा से कुछ ना कहा और अपने कमरे की तरफ लौट चला. निशा ने भी उसे पलट कर एक बार भी नही देखा और वहाँ से चली गयी.

करण एक लूटे हुए इंसान की तरह वापस कमरे मे आया तो मोहिनी इस बार अर्जुन के लौडे पर कूद कूद कर उसका लॉडा अपनी चूत मे ले रही थी. करण को बहुत गुस्सा आया उसने मोहिनी का हाथ पकड़ कर खीचते हुए कहा, “साली तुझे रंडीबाजी करने के लिए हम ही मिले थे क्या....देख तूने मेरा घर उजाड़ दिया...मेरी नयी नयी शादी हुई थी...तूने सब बर्बाद कर दिया...”

“मैने क्या किया साहब...मैं तो एक ग़रीब विधवा हू....कल रात आप दोनो भाइयो ने ही ज़बरदस्ती मेरा बलात्कार किया था....क्या आप भूल गये...” मोहिनी मासूम बनते हुए बोली.

“क्या बलात्कार...???” करण ने अपने मन मे सोचा. मोहिनी की चुचियो से निकाले दूध पीने के बाद दोनो की यादश्त कमज़ोर हो गयी थी.

“आप कहो तो मैं चुप चाप पोलीस मे जाकर आप दोनो के खिलाफ रपट लिखवा देती हू....”

“नही ऐसा मत करना....हम पता नही यहा क्यू आए थे हमे कुछ याद नही आ रहा....तुम्हे जो चाहिए वो बोलो मैं तुम्हे दूँगा पर पोलीस मे कंप्लेंट मत लिखवाना...” दूध के असर से दोनो रामपुरा जाना ही भूल गये थे.

“ठीक है अगर मुझे यह देदो तो मैं रपट नही लिख्वाउन्गि...” मोहिनी करण के लौडे को ज़िप से बाहर निकालते हुए बोली.

करण ने एक ज़ोरदार थप्पड़ मोहिनी के गालो पर रसीद दिया. “जा चली जा यहाँ से....और दोबारा कभी इधर मत आना...”

मोहिनी को इससे कोई फ़र्क नही पड़ा. उसका काम तो हो गया था. उसकी चुचियो का दूध पीकर करण और अर्जुन दोनो अपनी बहन काजल के बारे मे भूल गये थे.

“जाती हू साहब...मारते क्यू हो...अगर मेरी चूत से मान भर गया हो बोल दो दूसरी की इंतज़ाम करवा दूँगी...” और आँख मारते हुए वो कमरे से निकल गयी.

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Re: काले जादू की दुनिया

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करण ने अपने भाई को संभाला और उसे उसके कपड़े पहनाए. दोनो को पिच्छली रात का कुछ नही याद था. फिर करण अर्जुन को अपने और निशा के बीच ग़लतफहमियो के बारे मे बताने लगा जिसे सुन कर अर्जुन भी सन्न रह गया.

इधर निशा का रो रो कर बुरा हाल था. वो अपने किस्मत को कोस रही थी कि उसने आख़िर क्यू करण जैसे धोके बाज से प्यार किया, जो अपनी बीवी को छोड़कर एक बाजारू रंडी के साथ हमबिस्तर हो रहा था. उसे लगा कि उसे अपने माँ बाप का कहा मान कर अमेरिका के लड़के से शादी कर लेनी चाहिए थी.

निशा गम मे इतना डूब गयी थी कि उसने सोचा कि वो स्यूयिसाइड कर लेगी क्यूकी अब उसके पास कहने को पति भी नही था और माँ बाप ने उसे पहले ही ठुकरा दिया था. वो जिस होटेल मे ठहरी थी उसी की छत से कूद कर जान दे देना चाहती थी.

लेकिन स्यूयिसाइड करने से पहले वो करण को ताक़त दे देना चाहती थी. वो अब करण से इतना नफ़रत करने लगी थी कि अपने साथ उसका नाम भी जोड़ना नही चाहती थी.
उसने अपने आँसू पोछे और जयपुर मे ही उसके एक वकील दोस्त को फोन लगाकर तलाक़ के कागज तय्यार करवा लिए. वो तुरंत लौट कर वापस करण के होटेल मे पहुचि जहाँ उसे रात के अंधेरे मे चुपके से मोहिनी घूँघट करते भागती दिखी.

“इस औरत ने मेरी खुशिया छीन ली....मेरे पति को मुझसे छीन लिया....मैं मरते मरते कम से कम इसे तो जान से मार ही डालूंगी...” कहते हुए निशा गुस्से मे तिल मिलाई मोहिनी का पीछा करने लगी.

जब काफ़ी देर पीछा करने के बाद निशा को मोहिनी एक पास के खंडहर मे जाती दिखी तो वो उसके पीछे लग गयी.

“मालिक आपने जैसा कहा था मैने वो कर दिया....मैने करण और अर्जुन को अपने काले जादू से अपने वश मे कर लिया और उनसे संभोग किया....फिर अपनी चुचि का ज़हरीला दूध उन्हे पिलाया जिससे वो अपनी बहन काजल के बारे मे पूरी तरह से भूल चुके है....यहाँ तक कि मैने करण और उसकी पत्नी के बीच ग़लतफहमिया डाल कर उनके रिश्तो मे दरार पैदा कर दी है..” मोहिनी अपने असली चुदैल वाली रूप मे आती हुई तन्त्र साधना से त्रिकाल के साथ मानसिक संपर्क बनाए हुए थी.

दीवार के पीछे छुपि निशा अपनी आँखो से एक अप्सरा जैसी मोहिनी को एक बुढ़िया चुड़ैल मे बदलते देखती रही और उसकी त्रिकाल से कही हर बात सुनने लगी. उसे तो अपनी आँखो पर यकीन ही नही हो रहा था.

“जी मालिक मैं अभी आस पास ही रहूंगी और यह सुनिश्चित करूँगी कि अगली अमावस्या से पहले वो रामपुरा तक पहुच कर वो त्रिशूल ना ले पाए....” चुड़ैल मोहिनी त्रिकाल से मानसिक तरंगो से बात करते हुए बोली.

निशा वहाँ से चुपके से खिसक ली. वो दौड़ कर वापस करण के होटेल पर आई और करण का कमरा खोलकर भागकर उसके गले लग गयी और उसके पूरे चेहरे को चूमती हुई बोलने लगी, “आइ लव यू करण....मैं तुम्हारे बगैर एक पल भी जी नही सकती...”

करण को यह देख बहुत हैरानी हुई की अभी निशा गुस्से मे तलाक़ तक देने को तय्यार है और अभी उसपर अपना पूरा प्यार लूटा रही है.

निशा ने करण को तलाक़ के कागज दिखाए और उसके सामने कागज को फाड़ कर उसके बाँहो मे समा गयी. “मैं कुछ समझा नही निशा...मुझे तो लगा था कि अब मैं तुमसे कभी नही मिल पाउन्गा....मैने तो स्यूयिसाइड तक करने का मन बना लिया था.”

निशा ने करण के होंटो पर उंगलिया रखते हुए बोली, “ष्ह्ह्ह्ह.....स्यूयिसाइड जैसे शब्द को कभी भूल कर भी अपने होंठो पर मत लाना....वरना मैं भी नही जी पाउन्गि....”

करण को अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था. उसने झुक कर निशा के होंटो को चूम लिया. आज का चुंबन मे दोनो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित लग रहे थे.
“वो मोहिनी कोई औरत नही बल्कि एक चुड़ैल है....” निशा ने करण को समझाते हुए कहा.

“पर वो तो हमे तांगा चलाते हुए मिली थी....ना जाने हम कहाँ जा रहे थे....और आज सुबह हमारे सर मे तेज़ दर्द था और वो हम से ज़बरदस्ती चिपकती जा रही थी...” करण बोला.

फिर जो भी निशा ने खंडहर मे देखा वो करण और अर्जुन को बता दिया. निशा के बताते ही दूध का असर ख़त्म हो गया और उन्हे सब कुछ याद आ गया. करण और अर्जुन ने भी अपनी माँ, अपनी बहन से लेकर त्रिकाल तक की पूरी बात निशा को बता दी. करण और अर्जुन को आचार्य के बारे मे भी उनके सेवको से पता चला.

“करण भाई तुम जा कर नीचे गाड़ी निकलवाओ मैं भी जल्दी से तय्यार हो कर आता हू...हमे आज किसी हाल मे रामपुरा पहुचना है...” अर्जुन बोला और अपना सब समान समेटने लगा.
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Re: काले जादू की दुनिया

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करण के जाते ही निशा और अर्जुन कमरे मे अकेले रह गये. “निशा भाभी...मैं आपसे कुछ कहूँ..”

“हां कहो ना...”

“भाभी आप करण को कभी मत खोना....करण जिंदगी भर परिवार के प्यार के लिए तड़प्ता रहा है....अगर आपने भी उसे छोड़ दिया तो वो मर जाएगा..”

“अर्जुन ऐसा कभी नही होगा...क्यूकी अगर करण को कुछ हो गया तो यह निशा भी उसी दिन मर जाएगी...”

“भाभी...मैने सच्चे प्यार के रूप मे सलमा को हमेशा के लिए खो दिया है....मैं भगवान से दुआ करूँगा कि आपकी और भैया के जिंदगी मे कभी ऐसे दिन ना आए...” कहते हुए अर्जुन भावुक हो गया.

तभी दौड़ता हुआ करण अंदर आया और बोला, “आज हमारी किस्मत अच्छि है...नीचे एक गाँव के बुजुर्ग को मैने रामपुरा तक हमको ले चलने के लिए तय्यार कर लिया है...”

सब कुच्छ सुनते हुए निशा बोली, “मैं भी चलूंगी तुम लोग के साथ....”

लेकिन तभी करण निशा को रोकते हुए कहा, “नही निशा तुम हमारे साथ नही सकती...आगे बहुत ख़तरा है...ऐसे ही सफ़र मे हम ने अपनी प्यारी छोटी बहन को खो दिया था....अब मैं तुम्हे नही खोना चाहता...”

“तुम भी मुझे बड़े किस्मत से वापस मिले हो...मैं तुम्हारी पत्नी हू...और एक पत्नी का फ़र्ज़ होता है कि वो पति के साथ हर मुश्किल घड़ी मे रहे...” निशा बोली.
करण के पास इसका कोई जवाब नही था. उस बुजुर्ग की मदद से तीनो शाम ढलते ढलते रामपुरा पहुच गये.

“इस से आगे मैं नही जाउन्गा साहब....यह गाँव श्रापित है....इसमे वो ही जा सकता जिसके पास सच्चे प्रेम की ताक़त हो...” कहते हुए वो बुजुर्ग आदमी वापस लौट गया.

सामने एक वीरान खंडहरो से भरा एक छोटा सा गाँव था. उसकी झोपड़ियो को मौसम ने कमज़ोर कर के गिरा दिया था. चारो तरफ बिना देखभाल के घनी घनी झाड़िया उग आई थी.

“हमारे पास सच्चे प्यार की ताक़त है....” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा.

“अगर तुम साथ हो तो मैं कही भी जा सकती हू..” निशा ने जवाब दिया.

“मेरे पास सच्चा प्यार तो नही पर मैं सच्चे प्यार को समझ चुका हू...और कही ना कही सलमा के सच्चे प्यार की ताक़त मुझमे भी है...” अर्जुन बोला.

तीनो हाथ पकड़ कर श्रापित रामपुरा गाँव मे प्रवेश कर गये. उनके प्रवेश करते ही गाँव मे तेज़ आधी तूफान चलने लगी लेकिन तीनो के कदम नही डगमगाए. तीनो को अपनी सच्चे प्यार की ताक़त पर पूरा भरोसा था.

सारे बाधाओ को पार कर वो एक मंदिर तक पहुचे. यह वही मंदिर था जिसकी बात आचार्य सत्य प्रकाश कर रहे थे. तीनो को मंदिर के सामने द्वार पर अनगिनत नाग रेंगते दिखाई दिए जो उन्ही को देख कर फुफ्कार रहे थे.
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